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आओ संस्कृत सीखें 3. ते गणयन्ति । 4. युवां रचयथः । 5. अहं स्पृहयामि । 6. वयं लुट्यामः ।
9. युवामिच्छथः । 10. आवां पृच्छावः । 11. त्वय्यच्छसि ।
पुरुष
एक वचन
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पाठ-9 वर्तमाना विभक्ति आत्मनेपद के प्रत्यय
| द्विवचन । बहुवचन प्रथम पुरुष
महे द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष
अन्ते 1. आत्मनेपदी धातुओं को आत्मनेपद के प्रत्यय लगते हैं । वन्द्+अ+ए-वन्दे 2. उभय पदी धातुओं को परस्मैपदी और आत्मनेपदी के प्रत्यय लगते है । 3. अ वर्ण के बाद इ वर्ण, उ वर्ण, ऋ वर्ण और लु वर्ण हो तो क्रमशः वे दोनों मिलकर ए, ओ, अर् और अल् हो जाता है ।
उदा. वन्द् + अ + इते = वन्देते
वन्दे वन्दसे
वन्दते आत्मनेपदी धातु वन्द् = वंदन करना (गण-1)
वृध् = बढना (गण-1) संस्कृत में अनुवाद करो 1. हम बढते हैं । 2. तुम दोनों पकाते हो । 3. हम दोनों वंदन करते हैं । 4. वे खडे रहते हैं ।
वन्दावहे वन्दामहे वन्देथे वन्दध्वे वन्देते वन्दन्ते
उभयपदी धातु . पच् = पकाना (गण-1)
ह्र = हरण करना, ले लेना (गण-1) हिन्दी में अनुवाद करो 1. त्वं हरसि । 2. वयं हरामहे । 3. आवां पचावहे । 4. अहं पचामि ।