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आओ संस्कृत सीखें
पाठ-3
सर्वनाम 1. सर्वनाम अर्थात् जो नाम सभी के लिए लागू पड़ते हैं ।
जैसे- कोई भी व्यक्ति स्वयं के लिए 'मैं' शब्द का प्रयोग कर सकता है । राकेश कहता है :- 'मैं' जाता हूँ | तो रमेश भी स्वयं के लिए कह सकता है - 'मैं' जाता हूँ । 'मैं' शब्द का प्रयोग हरेक व्यक्ति अपने लिए कर
सकता है अतः 'मैं' सर्वनाम है । 2. सर्वनाम पद
प्रथम पुरुष अहम् (मैं) आवाम् (हम दोनों) वयम् (हम सब) द्वितीय पुरुष त्वम् (तुम) युवाम् (तुम दोनों) यूयम् (तुम सब) तृतीय पुरुष सस् (सः) (वह) तौ (वे दोनों) ते (वे सब)
संधि नियम (1) स्वर और व्यंजन पास-पास में आए तो उनकी संधि होती है । जैसे
अहम् अटामि-अहमटामि । (2) पद के अंत में रहे 'म्' के बाद कोई व्यंजन आए तो 'म्' के बदले
पहले के अक्षर पर अनुस्वार हो जाता है । अथवा 'म्' के बदले बाद
रहे व्यंजन का स्व अनुनासिक हो जाता है । उदा. (1) त्वम् रक्षसि - त्वं रक्षसि ।
(2) त्वम् चरसि - त्वञ्चरसि । (3) पदान्त 'म्' के बाद कोई स्वर आए तो वह 'म्' बाद के स्वर में मिल
जाएगा- जैसे त्वम् अर्चसि-त्वमर्चसि । (4) पदान्त 'म्' के बाद विराम हो तो 'म्' ही रहता है जैसे पठसि त्वम्। (5) सस् के बाद विराम हो तो स् का र् और र् का विसर्ग हो जाता है।
उदा. स:। और सस् के बाद व्यंजन आए तो स् का लोप हो जाता है। उदा. स पठति ।