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आओ संस्कृत सीखें
संज्ञाएँ 1. नामी:- अ वर्ण को छोडकर इ से औ तक के 12 स्वर नामी कहलाते हैं |
इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लु, लू, ए, ऐ, ओ, औ समान:- अ से दीर्घ ल तक के 10 स्वर समान कहलाते हैं । अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लु, लू धुट:- वर्ग के 5 वें अक्षर और अंतस्था को छोड़कर शेष 24 व्यंजन धुट् कहलाते हैंक् ख् ग् घ, च छ ज झ, ट् ठ् ड् द, त् थ् द्ध, प फ ब भ, श ष स ह. अघोष:- प्रत्येक वर्ग का पहला और दूसरा अक्षर तथा श् ष स ये 13 व्यंजन अघोष कहलाते हैं
क ख, च् छ, ट् , त् थ्, प् फ, श् ष् स् 5. घोषवान :- अघोष सिवाय के सभी 20 व्यंजन घोषवान कहलाते हैं
ग् घ् ङ्, ज झ ञ, ड् द ण, द् ध् न, ब् भ् म्, य र ल व्, ह्. 6. शिट:- अनुस्वार, विसर्ग, श् ष स्, जिह्वामूलीय तथा उपध्मानीय आदि
शिट् कहलाते हैं । 7. ह्रस्व:- जो स्वर जल्दी बोला जाता है, उसे ह्रस्व कहते हैं, जैसे अ,
इ आदि । 8. दीर्घ:- जो स्वर लंबा करके बोला जाता है, उसे दीर्घ कहते हैं
जैसे-आ, ई आदि 9. प्लुत:- जो स्वर दीर्घ से भी ज्यादा लंबाकर बोला जाता है, उसे प्लुत
कहते हैं - अरे, आ 10. अनुनासिक:- स्वर जब नासिका की मदद से बोला जाता है, तब उसे
अनुनासिक कहते हैं। स्वर के ऊपर अर्धचंद्राकार और बिंदु रखा जाता है। जैसे- अँ, अँ, आँ, आँ आदि व्यंजनों में भी य, ल और व् नासिका की मदद से बोले जाते हैं और उन्हें इस तरह लिखा जाता है ।
यँ, लँ, ,