Book Title: Gujarati Hindi Kosh
Author(s): Gujarat Vidyapith
Publisher: Gujarat Vidyapith
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुजराती-हिंदी कोश गजरात विद्यापीठ अहमदाबाद For Private and Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुजराती-हिन्दी कोश NR बचाया गूजरात विद्यापीठ अमदाबाद-१४ For Private and Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सो रूपिया Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir © गूजरात विद्यापीठ, १९६१ पहेली आवृत्ति, प्रत १०,००० प्रथम पुनर्मुद्रण, प्रत ५,०००, डिसेम्बर १९९२ मुद्रक जितेन्द्र ठा. देसाई नवजीवन मुद्रणालय, अमदाबाद- ३८००१४ प्रकाशक विनोद रेवाशंकर त्रिपाठी मंत्री, गूजरात विद्यापीठ मंडळ गुजरात विद्यापीठ, अमदाबाद- ३८००१४ For Private and Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रकाशकनुं निवेदन गुजराती-हिन्दी शब्दकोश अने संस्कृत-गुजराती शब्दकोश प्रसिद्ध करवानुं गूजरात विद्यापीठे ई. स. १९५५ मां ठरावेलुं. आ बे शब्दकोशो पैकी गुजराती-हिन्दी शब्दकोश आजे गुजरातनी जनता समक्ष रजू करतां आनंद अनुभवीए छीए. आ शब्दकोशनी योजना श्री मगनभाई देसाईए शुरू करावेली, एटले तेनुं प्रास्ताविक निवेदन लखी आपवानी तेमने विनंति करी. तेनो स्वीकार करी आ निवेदन लखी आपना बदल तेमनो आभार मानुं छं. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ ग्रंथना प्रकाशन-खर्च पेटे भारत सरकारना वैज्ञानिक संशोधन अने सांस्कृतिक बाबतोना खाता तरफथी आर्थिक मदद मळी छे, तेनो उल्लेख करतां आनंद थाय छे. गुजरातनी जनता आ ग्रंथने उत्साहपुर्वक वधावी लेशे एवी आशा छे. ता० १२-१२-६१ ३ For Private and Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेदन भाई रामलाले जणाव्यु के, जे कोशना संपादनमा, -- तेना संकल्पथी मांडीने लगभग ते छपाई रहेवा आव्यो त्यां सुधी,-मारो हाथ हतो, ते प्रजा पासे जाय त्यारे ए कामने अंगे निवेदन हुं करुं, ए उचित थशे. आ विनंती मान्य राखी, हु आ निवेदन करुं छु. तेम करवानी मने तक आपी तेने माटे विद्यापीठनो आभारी छु. ई. स. १९३५ मां सरकारना कबजामांथी विद्यापीठ छूटयु, पछी नवेसर तेणे जे कामो शरू करूं, तेमा राष्ट्रभाषा हिंदी-हिंदुस्तानीना प्रचारनुं कार्य खास हतुं. ते अंगेना कार्यक्रममा एक नानकडो हिंदी-गुजराती कोश तैयार करवो जोईए, एम नक्की थयु. अने ते काम में शरू करीने १९३९ मां प्रसिद्ध कर्यु हतुं. आ ग्रंथने खूब सारो आवकार मळयो. कुल ७,००० नकलोनी बे आवृत्तिओ पूरी थई गया पछी, १९५६ मां बहार पाडेली (कुल' १०,००० नकलोनी) आवृत्ति अत्यारे प्रजा आगळ चाले छे. उपरनो कोश बहार पड्या पछी थोडां ज वर्षोमां, स्वाभाविक रीते, मने थयुं अने एवी मांग पण थई के, हवे गुजराती-हिंदी कोश पण तैयार करीने गुजरातने आपवो जोईशे. १९५० बाद गुजरातमा हिंदीनो अभ्यास सरकारी निशाळोमां शरू थयो, एटले पण आवा कोशनी जरूर वधु ने वधु देखावा लागी. तेथी १९५५ मां विद्यापीठे विचायु के, एक नानकडो गुजराती-हिंदी कोश पण हवे बनती त्वराए तैयार करवो जोईए. एवो कोई कोश चालु उपलब्ध नथी, तेथी शिक्षण अने साहित्य क्षेत्रे आ जातना प्रकाशननी खोट छे ने पहेली तके दूर करवामां आवे. एटले आ काम विद्यापीठना हिंदी विभागना अध्यक्ष, भाई गिरिराज किशोर जोडे चर्चीने शरू करवानुं नक्की करवामां आव्युं, अने ते माटेनी योजना विचारीने तेमने जणावी, काम उपाडवा व्यवस्था करी. __ पहेलु पगलं ए हतुं के, कया अने केटला गुजराती शब्दो सामान्यपणे आ कोशमां लेवा, ए विचारवं. लोकोपयोगितानी दृष्टिए जरूरी हतुं के, कोश अति मोटो न करवो तेम ज नानो पण न चाले. हिंदी शिक्षण अने प्रचारनी गुजरातनी चालु स्थितिनी मागने पहोंची वळे एटली शब्द-सामग्री (शब्दप्रयोगो सहित) ओछामा ओछी होवी घटे. ते दृष्टिए कोशमां लेवाना गुजराती For Private and Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दोनी पसंदगीन काम पहेलु उपाउ. आ अरसामा गुजराती विनीत जोडणीकोशनी शाळोपयोगी आवृत्ति बहार पाडवामां आवी हती; तेने आधारे शब्दोनी विणामणी करवी सारी, एम विचायु, अने ते काम विद्यापीठना हिंदी विभागना सेवक श्री नानुभाई बारोटने सोंप्यू. जेम शब्दोनी पसंदगी थाय तेम तेनां कार्ड बनाववामां आवता. एटलं थके, ते शब्दोना हिंदी पर्यायो मूकवानुं शरू करवान बीचं पगलं भरवामां आव्युं हतुं. ते पछी श्री नानुमाई साये विद्यापीठ हिंदी विभागना बीजा सेवक श्री अंबाशंकर नागरने हिंदी पर्यायो जोई जवा माटे श्री नानुभाई साथे थबानू सोप्यु. श्री गिरिराज किशोर पण आ काममां घटतुं ध्यान राखी हिंदी पर्यायों विष बरोबर चकासणी करी ले, ए उचित हतुं. श्री अंबाशंकर आम गुजराती छे, परंतु ते घणो काळ राजस्थानमा हता. अने श्री गिरिराज किशोर हिंदीभाषी प्रदेशमा न छे. आवेषणे हिंदी पर्यायोनी सचोट समर्पकता विषे शब्दोने तपास्या छे. तेथी आ कोशने गुजराती-भाषी तेम ज हिंदी-भाषी एम बने प्रकारना संपादकोनो लाम मळयो छे. अलबत्त, मुख्य काम श्री नानुभाईए संभाळg छ, तेनी नोंध लेता आनंद थाय छे. ते गुजरातना एक जूना हिंदी प्रचारक अने अनुभवी शिक्षक तथा साहित्यप्रेमी छे. आगळनु पगलं हतुं, शब्दोनां कार्ड परथी कोश · हस्तलिखित-प्रेसकॉपी तैयार करवानु. ए. काम थये. आत्रण मित्रोए पाछु ए सळंग जोई लई, प्रेसमां छपाववा माटे मोकलवा सारु छेवटन करी लीधुं अने हिंदी विभाग तरफपी श्री गिरिराजजीए पने जणाब्यु के, हवे छापकाम शरूः करावी शकाय छे.. : कोशना काममां खूब सीणवटभरी महेनत करवानी होय छे, ए तो सौ जाये. पण तेमा अमुक कसब पण जरूरनो . ते दृष्टिए पण मा काम जो लोईए. उपरना प्रणे मित्रो माटे कोश- काम नवं हतुं. तेथी आ करवामां श्री गोपाळदास पटेले बने में ध्यान आप्यु हतुं. मारे वहींयां कबूल कर जोईए के, अनेक बीजां कामोने लईने ई मवे गमे तेटलु बधू ध्यान आपी शक्यो नवी. परंतु ग्रंथ- संपादन बरोबर थाय ए सातरी मेळववा पूरतुं काम कर्यानो संतोष मने छे... . .. - पाती बखते 'नवजीवन'ना हिंदी विभागमा काम करता. श्री सोमेश्वरजी पुरोहित, श्री तिवारीणी वगेरे भाईभोनी कीमती मदद मळी छे, तेनी साभार नोंच लेवी बोईए. बा बने भाईयो गुजराती जाये के, तेथी शब्दोना समर्पक हिंदी पनि आपवामा एमना सलाह सूचनो कीमती नीवस्यां छे. For Private and Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir , आम तैयार चयेलु काम हवे प्रवा आवण र थाय छे माता छे के, तेमने ते उपयोगी नीवडशे. विद्यापीठ आ एक कीमती काम करी माई तेथी पोताने कृतार्थ थयुं माने छे. कोशना संपादननी दृष्टिए केटलीक बाबतो कहेवा जेवी गणाय, तें उपर हवे आवं. आ कोश तैयार करती वखते गुजरातना विशाळ विद्यार्थीवर्गने नजर समक्ष राखवामां आव्यो छे. बीजी दृष्टि गुजराती भाषाना लोकभोग्य साहित्यने हिंदीमां उतारवाना कार्यमां आ कोश द्वारा कंईक मदद थशे एवी पण आशा छे. ___गुजराती अने हिंदी भाषामां घj साम्य छे. तेथी आवा कोशमां शब्दोनी पसंदगी करवामां घणी सावधानी राखवी पडे छे. संस्कृत तत्सम शब्दो, के जेनां अर्थ अने जोडणी बन्ने भाषामा सरखां होय, तेवा शब्द लीषा नथी. पण तेवा शब्दनो शब्दप्रयोग लेवा योग्य होय तो तेवा तत्सम शब्दोने स्थान आप्यु छे. उदा. सिंह; स्वभाव इ०. जोडणीमा सामान्य फरक होय तेवा समानार्थ हिंदी के उर्द-फारसी शब्दोने खास लीषा छे. उदा. 'मेहनत; जात; मा इ०' क्रियापद लगभग बर्षा लीषां छे. क्रियापदनां कर्मणि, भावे तैम ज प्रेरक रूपोमा अर्थ शक्य होय त्या सुधी आपवानों प्रयत्न करवामां आव्यों छे. जेम के, “गवा, चवायूँ' आदिना अर्थ 'गाया जाना; चबा जाना' आप्याँ छे. कोशमा आवां रूपोना पर्याय आपधार्नु उचित गणवामा नयी आयतुं. 'गार्या जाना' व्यवहारमा वापरी शंकाय छे, पन कोशमा मुकाता नथी. पण आ कोश विद्यार्थीको माटे छे, तेथी तेमने भाषांतर करती मुश्केली न पडे एम मानी, आवा पर्याय आप्या छे. - एम काम करतां आ कोशमां कुल लगभग २५ हजार शब्दो संघसवा छे. आ संख्या ठीक काम दे एवडी गणाय. आगळनी आवृत्तिओमां, जरूर प्रमाणे, वषारो थतो रहेशे. हिंदी अर्थ छूटथी आप्या छे, जेयी कोश वापरनार तेना अनेक पर्याय जाणी शके. अर्थ आपवामां बोलचालनी हिंदी-हिंदुस्तानी भाषानो सविशेष उपयोग करवामां आव्यो छे. हिंदी बहु मोटा जनसमूहनी भाषा छे. तेथी शक्य छ के, एक प्रदेशमां वपरातो शब्द ते ज रूपे बीजा प्रदेशमां न वपरातो होय. आधी पण बन्या तेटला जुदा जुदा वधु पर्याय पाप्या छे. For Private and Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दप्रयोग खास आप्या छे. समजवा सरळ होय तेवा शब्दप्रयोग नथी आप्या. बघा ज प्रयोगो आपवा जतां कोशनुं कद तथा किंमत वधी जाय, ए पण संभाळवु रहघुं. शब्दनी व्युत्पत्ति आपी नथी. आवा नाना कोशमां व्युत्पत्ति आपीने तेनुं कद वधावुं आ तबक्के जरूरी नयी मान्युं. गुजराती शब्दोना हिंदी अर्थ आगळ बतावेली दृष्टिने ध्यानमा राखीने आपवामां आव्या छे. जरूरी लाग्यं छे त्यां शब्दनी व्याख्या आपीने पछी तेना पर्याय आपवानो प्रयत्न कर्यो छे. जेम के, 'ठीकरुं न० मिट्टी के बरतनका टूटा हुआ टुकड़ा; ठीकरा '. आ कोश तैयार करवामां मुख्यत्वे गूजरात विद्यापीठना 'सार्थ गूजराती जोडणीकोश', 'विनीत जोडणीकोश' तथा 'हिंदी - गूजराती कोश' नो उपयोग करवामां आव्यो छे. हिंदी पर्याय माटे ज्ञानमंडल लिमिटेड, बनारस, ना 'बृहत् हिंदी कोश' तथा नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, नो 'संक्षिप्त हिंदी शब्द-सागर - नो अने 'फिरोजउल लुगात' उर्दूनो विशेष उपयोग कर्यो छे. उपरांत बीजा नाना मोटा कोशोनो पण उपयोग करवामां आव्यो छे. ते बघानी आभारपूर्वक नोंध लेवामां आवे छे. अंते, आ बहार पडे छे त्यारे मारो आनंद ने संतोष प्रगट करू छु के, हिंदी प्रचारना काममां आवा एक कोशनी जरूर मानी हती, ते आजे ईश्वरकृपाए पूरी थई शकी छे. हवे तेने वधु ने वधु उपयोगी बनाववानुं काम तेना वापरनारानुं छे. तेओ तेने सुधारवा वधारवा माटे, पोताना अनुभवमांथी मळतां सूचनो विद्यापीठने करता रहेशे एवी विनंती छे. तो आ कोश तेनी उत्तरोत्तर आवृत्तिओ रूपे पोतानी साहित्य -अने शिक्षणमां सेवा आपवानी शक्ति वधारतो रही शकशे. १२-१२-६१ For Private and Personal Use Only मगनभाई देसाई Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोश वापरनारने सूचनाओ शब्दोनी गोठवणी शब्दोनी गोठवणी गूजराती कक्कावारीना मामान्य धोरणे करवामां आवी छे. एटले अनुनासिक के अनुस्वारवाळो अक्षर ते वगरना अक्षरनी पछी मूकवामां आव्यो छे. जेम के, 'चंचळ', 'चंपल' वगेरे शब्दो 'चरबी', 'चलम' पछी आवे. आ ज प्रथा बधा अक्षरोमां अपनाववामां आवी छे. ते सिवाय बाकीनी गोठवणी कक्कावारीना सामान्य क्रममा छे. मूळ शब्दना विकल्प होय तो तेमने मूळ शब्द पछी अल्पविराम मूकीने आखा लखवामां आव्या छे. जेम के, अखडबखड, अखडाबखडी जातवंत, जातवान पण आ रीत बधे अखत्यार करवामां नथी आवी. केटलीक जग्याए मुळ गब्दना विकल्पने ढूंकावीने नीचे प्रमाणे मूक्यो छ : अकेक (-)- अकेक, अकेकुं जडवा (-बां) तोड --जडबातोड, जडांतोड हिंगळो (क)-~-हिंगळो, हिंगळोक सदा(०काळ)-- सदा, सदाकाळ एटले के, आ '-' संज्ञा तेनी पूर्वेना अक्षरने बदले लेता थता शब्दनो अने आ '' संज्ञा तेमां उमेरीने बनता गन्दनो विकल्प सूचवे छे. आ कोशमां लिपि देवनागरी वापरी छे. प्रथम गुजराती शब्द काळा टाइपमा मूक्या छे. पछी तेना उच्चारणनो संकेत ( ) आवा कौंसमा आप्यो छ. पछी ते गुजराती शब्दन व्याकरण आवे छे. शब्दना सामान्य अर्थ पूरा थया पछी तेना प्रयोगो आप्या छे. जेम के, लोथ (थ,) स्त्री० लोथ; लाश (२) आफत; बला (ला.) (३) वि० बहुत थका हुआ; लोथ-पोथ। [-थवं = थककर चूर होना.] उच्चारण शब्दोना उच्चारण विषे संकेत मूकवामां आव्या छे, ते शब्द पछी तरत ज अने व्याकरण बताव्यं छे ते पहेलां ( ) आवा कौंसमां छे. जेम For Private and Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir के, सांकळ (०) स्त्री०. उच्चारणमा हश्रुति, यश्रुति, पोचो अनुनासिक, पहोळा ऐं, ऑ, अने क्यांक लघुप्रयत्न अकार (जेम के रहेb) बताव्या छे. दरेक संकेतनी समज संकेतसूचीमां आपी छे. जे शब्दनो प्रयोग होय ते ए शब्दना सामान्य अर्थो पूरा थया पछी नागरीनु पूर्णविरामर्नु ।' चिहन कर्या पछी [ ] आवा कौंसमां आपवामां आव्यो छे. एक शब्दप्रयोग पूरो थाय एटले तेने छेडे ।' आq चिहन मुक्यु छे. शब्दद्रयोग पूरो थाय त्यारे गुजराती पूर्णविरामनुं .' आq चिहन मूकी कौंस पूरो कर्यों छे. ट्रॅकाणने खातर, शब्दप्रयोग लखवामां मूळ शब्द फरी न लखतां तेने स्थाने '-'आवी नानी लीटी मुकीने चलाव्यं छे. जेम के, मांख शब्दमां। [-आडा कान करवा-सुनी. अनसुनी करना। - तळे काढj = देख लेना; नजर डालना.] __ ज्यां मूळ शब्दनुं रूपांतर थईने शब्दप्रयोग बने त्यां ते शब्द आखो लख्यो छे. जेम के, आँखे पाटा बांधवा; आंखो बोचीए आववी, इ० शब्दप्रयोग कक्कावार क्रममां मुक्या छे. ज्यां मूळ शब्द आगळ कोई पद आवे तेवो शब्दप्रयोग होय, (जेम के, मों शब्दमां गळ' मों करईं, कराव) त्यां ते शब्दना सामान्य प्रयोगो पूरा थया पछी, अने तेमना क्रममा आपवामां आव्या छे. पर्यायवाचक शब्दोना अर्थ दरेक ठेकाणे लखवाने बदले एक ठेकाणे लखी बीजे ठेकाणे देखिये लखीने पछी ' ' आवा चिह्नमां ते शब्द जणाववानो रिवाज राख्यो छे. ज्यां ते शब्दना बधा अर्थ लागु न पड़ता होय त्या अर्यनो अमुक नंबर जोवानुं कह्युं छे. स्थळसंकोचने कारणे आवा पर्यायवाची शब्दो एकसाथे मूकीने पछी तेना अर्थमां 'देखिये-- आदि' कहथु छे. उदा० सांझ, सांझरे, सांझे देखिये 'सांज' आदि. - केटलाक पारिभाषिक शब्दोना हिंदीमां अर्थ आप्या पछी तेनो ' ' आवा चिह्नमा नागरी लिपिमा अंग्रेजी अर्थ आप्यो छे. संक्षेपोनी समज अ० अव्यय अ०-क्रि० अकर्मक क्रियापद । उदा० उदाहरण For Private and Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्मणि कर्मणि प्रयोगनुं रूप ग. गणितशास्त्र न० नपुंसक लिंग न०ब०व० नपुसंक लिंग, बहुवचन ५० पद्यमां वपरातो शब्द पुं० पुंलिंग पुं०व०व० पुंलिंग, बहुवचन प्रेरणार्थक प्रेरक भेदनुं रूप भावे भावे प्रयोग, रूप ला. लाक्षणिक वि. विशेषण वि.पुं० विशेषण, पुंलिंग वि०स्त्री. विशेषण, स्त्रीलिंग व्या. व्याकरण स० सर्वनाम सक्रि० सकर्मक क्रियापद स्त्री० स्त्रीलिंग स्त्री०ब०व० स्त्रीलिंग, बहुवचन उन्चारणनो संकेत (०) पोचो अनुनासिक छे एम बतावे छे. जेम के, आंख (०). (ऍ) पहोळो छे एम बतावे छे. जेम के, पेठे (पॅ). (ओं) पहोळो छे एम बतावे छे. जेम के, मोळं (माँ). (') वर्णनी पछी उपर मूकेलं अल्पविराम ते वर्णमां हश्रुति छ एम बतावे छे. जेम के, वीलु (वी'). (,) वर्णनी पछी नीचे मूकेलं अल्पविराम ते वर्णमां यश्रुति बतावे छे. जेम के, वाड (ड). () खोडा- चिह्न लघुप्रयत्न अकार बतावे छे. जेम के, रहे, (रहें). For Private and Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका १. प्रकाशक- निवेदन २. निवेदन -श्री मगनभाई देसाई ३. कोश वापरनारने सूचनाओ ४. गुजराती-हिन्दी कोश १-५५२ For Private and Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुजराती-हिन्दी कोश म पुं० संस्कृत-कुटुंबकी वर्णमालाका पहला अक्षर- एक स्वर अकडाई स्त्री० अकड़; अकड़बाज़ी; ऐंठ; अभिमान (२) बाँकपन ऐंठ अकडाट पुं० तनाव; अकड़ाव; अकड़; अकडा अ० क्रि० अकड़ना अकबंध वि० जैसेका तैसा; बगैर खोला हुआ; न बरता हुआ; ज्योंका त्यों । अकरांतियुं वि० पेटू; भुक्खड़ (२) अत्यधिक (खाना) अकर्मी वि० अभागा (२) अकर्मण्य ; आलसी (३) अकर्मी; दुराचारी । अकल स्त्री० अक्ल ; बुद्धि; समझ अकलमंद वि० अक्लमंद; समझदार अकसीर वि० अकसीर; रामबाण अकस्मात् अ० अकस्मात्; अचानक; यकायक घटना अकस्मात पुं० दुर्घटना; आकस्मिक अकळामण स्त्री० व्याकुलता; घबराहट; बेचैनी अकळावू अ० क्रि० अकुलाना; घबराना (२) ऊबना; उकताना (३) चिढ़ना अकारत (-थ) अ० अकारथ; बेकार; व्यर्थ अकारं वि० अप्रिय; नापसंद अकाल (-ळ) वि० बेमौका;बेमौसमका; असामयिक (२) पुं० अयोग्य अवसर (३) अकाल (४) परमात्मा अकीक पुं० अकीक; एक प्रकारका पत्थर मकर-कुं) वि० एक-एक (२)एकके बाद एक (३) प्रत्येक; हरएक अक्कड वि० सख्त; कड़ा (२) तना हुआ; सीधा (३) ऐंठू. अक्कर्मो वि० देखिये 'अकर्मी'.. अक्कल स्त्री० देखिये 'अकल'... अक्कलक(-)रो पुं० अकरकरा अश्कलबाज वि० अक्लमंद अक्का स्त्री० कुट्टी; दोस्ती तोड़ना; लड़कोंका खेलमें मैत्री-भंग । अक्केक वि० देखिये 'अकेक' अक्षत वि० अक्षत; अखंडित; बिना टूटा हुआ (२) पुं० ब० व० बिना टूटे हुए चावल, गेहूँ या जोके दाने ; अक्षत अक्षर वि. अविनाशी (२) पुं० अकारादि वर्ण (३) हरेफ़ (४) पुं० ब०व० हस्ताक्षर (५) विषिके लेख (६) ब्रह्मा।[-काढयो = (हाथसे) लिखना या (मुंहसे) बोलना । -पाडवो लिखना.] अक्षरगणित न० अक्षरगणित; बीज़ गणित; अलजबरा अक्षरमेळ वि० अक्षर-वृत्त; वाँकी संख्या और लघु-गुरुके क्रमकी समानतावाला वृत्त; वणिक छंद अखड वि. जोता-बोया न जानेवाला (खेत) (२) घास भी न पैदा हो ऐसा (खेत) (३) खाली (मकान) असरबखर, अखडावखडी वि० ऊबड़अखतरो पुं० प्रयोग; आजमाइश अखत्यार पुं० अख्तियार; इख्तियार; अधिकार __ खाबड़ For Private and Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अखत्यारनाk असत्यारनामुंन०,अखत्यारपत्र न०;पुं० मुखतारनामा; अधिकार-पत्र मलबारनवीस पुं० अखबारनवीस; संवाददाता अबरामण न० जामन; वह चीज़ जिसे दूधमें डालकर दही जमाते हैं अखरा, अ० क्रि० जमना (दही) अखरोट न. अखरोट . .. अलाडो पुं० अखाड़ा; दंगल (२) साधुओंका मठ। भिखारा करवा सुनी-अनसुनी करना; ध्यान न देना.] अवात पुं० अखात; खाड़ी अनानीज स्त्री० आखातीज; वैशाख शुक्ल तीज अलूट वि० अखूट; जो खुटे नहीं अल्सर वि० देखिये 'अखड' अगर पुं० वह मैदान जहाँ जानवर लड़ाये जाते हैं [पुं० अवधूत; साधु अगडबंब वि० खूब मोटा: संड-मुसंड (२) अगउंबगर वि० खरा-खोटा (२) न० अंड-बंड; बेमायने बात .. अगणोतेर वि० उनहत्तर; ६९ अगग्याएंशी वि० उन्नासी; ७९ अगत्य स्त्री० न० महत्त्व (२)जरूरत। [-आपवी (-) = महत्त्व देना.] अगथियो पुं० एक पेड़; अगस्ति अगन स्त्री० अगन; अग्नि (२) जलन अगमचेती स्त्री० आगम-सोच; दूरंदेशी; पेशबंदी अगमनिगम न० भूत और भविष्य (२) (सं. आगम-निगम) वेद और शास्त्र अगमबुद्धि स्त्री० आगम-बुद्धि; दूरदर्शिता; पेशबंदी वाणी; गूढ गिरा अगमवाणी स्त्री० अगमबानी; रहस्यअगर पुं० आगर (२) न० अगर; अगर (३) अ० अगर; यदि;जो(४)अथवा अषणल अगरबत्ती स्त्री० अगरबत्ती; धूपबत्ती; ऊदबत्ती अगरियो पुं० नमक बनानेवाला; आगरी अगवड स्त्री० दिक्कत; कठिनाई; बाधा; अड़चन झूठे वादे अगस्त्यना वायदा = पूरे न होनेवाले अगाउ अ० आगे; पहले .. अगाउथी अ० अगाऊ; पहलेसे; आगेसे अगाडी अ० अगाड़ी; आगे; अगाड़ अगाडीपछाडी अ० आगे-पीछे(२)स्त्री अगाड़ी-पिछाड़ी; घोड़ेके गले और पांवमें बांधनेकी रस्सियाँ अगाशी (-सी) स्त्री० छत अगियार वि० ग्यारह अगियारमुं वि० ग्यारहवाँ (२) न० एकादशाह; मृत्युकी तिथिसे ग्यारहवा दिनका कर्म (३)उस दिन होनेवाला भोज दशी; हरिवासर अगियारश (-स) स्त्री० ग्यारस; एकाअगियारा पुं०ब०व० ग्यारहका पहाड़ा। -गणवा, भणवा नौ दो ग्यारह होना; चंपत होना.] अगियारी स्त्री० अगियारी; पारसी लोगोंका मंदिर; आतिशखाना अगुवो पुं० अगुआ; मुखिया (२)आगे चलनेवाला अग्रणी पुं० अगुआ अग्रलेख पुं० अग्रलेख; लीडिंग आर्टिकल' अघटतुं वि० अघटित; अनुचित; अयोग्य; बेजा नाजायज अघटित वि० अघटित; अयोग्य ; बेजा; अघण न० हगनेकी क्रिया; हगना(२)गुदा अघणखाड(-ण)स्त्री० हगनेका गड्ढा; हगनहटी [बार हगे ऐसा; हग्गू अघणशी (-सी) वि० हगोड़ा; बार For Private and Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बचमूतर स्त्री० हगना बौर मूतना अधरणी न०; स्त्री० पहले पहल गर्भ धारण करना (२) सीमंत; सीमंतोन्नयन संस्कार; आठवाँ पूजना अपर वि० मुश्किल; कठिन अघवq स० क्रि० हगाना; पाखाना फिराना (२) खूब पीटना (३) जबरदस्ती वसूल करना; हगा लेना अघq अ० क्रि० हगना; पाखाना फिरना (२) दबावके कारण विवश होकर दे देना; हग देना [ला.] अघाट वि० अपार; अनंत (२) (दस्तावेजमें) कुल हक़ोंके साथका (३) पुं० शिलालेख (४) माफ़ीकी जमीन जिसे उसका स्वामी बेच न सके; अघाट (५) घाट ... अघाटियुं वि० कुल हक्कोंके साथ दिया हुमा (२) नमकहराम कराना अचाउ स० क्रि० हगाना; मलत्याग अघाणुं वि० पाखानेकी हाजतवाला मधामण स्त्री० अतिसार; दस्त लगना (२) भय या सख्त परिश्रमसे दस्त लग जाय ऐसी स्थिति ... अधावस० क्रि० देखिये 'अपवर्गा' बमार स्त्री० बीट; चिड़ियोंका मैला अघोर वि० भयानक; अति घोर . अघोरी वि० सुस्त; निद्रालु, अहदी (२) घिनौना (३) पु० अघोरी; ... अघोरपंथी साधु; औघड़ अचकवू अ०क्रि० अटकना; ठिठकना; रुकना [अचरज; अचंभा अचरज (-त) न०, (ती) स्त्री० अचंबो पुं० अचंभा; आश्चर्य ; हैरत अचानक य. अचानक; यकायक बाल वि० अचूक; खाली न जानेवाला । (२) अ० बिना चूके; सही मच्छर पुं० आषा सेर (कच्चा अच्छेरो पुं० अघसेरा (कच्चा) अछत स्त्री० कमी; न्यूनता मछवा पुं० ब व. छोटी माता%B चेचकका एक प्रकार जातिका अछूत वि० अछूत, अस्पृश्य (२) बछूत अछो अछो करवं, अछो अछो बान करवा = लाड़-प्यार करना; अक्खोमक्खो करना (२) प्रेमपूर्वक आव, भगत करना अछोडगे पुं० पषा (२) एक लड़ीकी गलेकी माला (३) घड़ीकी जंजीर या सांकल अजगर पुं० अजगर सांप अजमायश स्त्री० आजमाइश परीक्षा; अजमाइश करना अजमाव, स० क्रि० आजमाना; जांच अजमो पुं० अजवायन जो पचे नहीं अजर वि० अजर; जरारहित (२) अजरामर वि. अजर और अमर; अविनाशी; जरा-मरणरहित . अबरो पुं० अपच ; बदहज़मी; अजीर्ण अजवाळवं सकि० मांजना; रगड़कर उबला करना (२) उजाला करना (३) नाम रोशन करना (४) इज्जत बरबाक करना (व्यंगमें) अजवाळियुं न० शुक्ल पक्ष; उजाला . पाख (२) रोशनदान | भजवाळी वि० स्त्री० चांदनी रात अत्रवाळू न० उजाला; प्रकाश; रोशनी अजंप (-पो) पुं० घबड़ाहट; अशान्ति; बेकरारी: विज्ञान अजान वि० अनजान ; नावाकिफ (२) अजाणत अनजाने गजनवी अजायं-वि० अनमान; मपरिचित For Private and Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सा अभावच वि० अजीब; आश्चर्यकारक अजायबी स्त्री० आश्चर्य; तअज्जुब अजीठं वि० जूठा (२) जिसमें खायापिया गया हो ( बरतन, चौका) (३) जूठनसे गंदा (४) न० जूठन अमीरण न० अजीरन; बदहजमी अजीर्ण वि० अजीर्ण, जो पचा न हो (२) न० अजीरन; अपच; बदहजमी अजुक्त (ग) वि० अनुचित; अयुक्त; नामुनासिब [ लाजवाब अथोड वि० बेजोड़; अद्वितीय; लासानी; अटक स्त्री० अटक; रुकावट; बाघा (२) मुश्किल ( ३ ) शंका (४) हवालात ; हिरासत ( ५ ) टेकन (६) प्रतिज्ञा; संकल्प (७) देखिये 'अडक' अटकचाळु वि० नटखट ;) शरारती (२) नि० शरारत ; नटखटी अटकण वि० जो ठहरा रहे (२) स्त्री०; न० टेउकी; टेकन (३) ठोकर (४) मशीनको चलाने या बंद करनेकी कल 12 अटका अ०क्रि० अटकना, रुकमा; थममा अटकळ स्त्री० अटकल; अंदाजा; अनुमान अटकायत स्त्री० रुकावट; रोक; अटकाव (२) हिरासत में रखना अटकायती वि० हवालातमें रखा हुआ; नजरबंद ( कैदी) अटकाव पुं० अटकाव; रुकावट; अटक (२) अड़चन ; बाघा (३) मासिक-धर्म अटकाव स० क्रि० अटकाना; रोकना अटपटं वि० अटपटा; पेचीदा अटवा अ०क्रि० भटकना (२) पैरोंमें उलझना (३) उलझन में पड़ना अब अ० क्रि० पिसन : होना (२) घुटना; पिलमा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अम अटापा पुं०ब०ब० रंगबिरंगी पारियों (२) पटा अटामच न० पलेथन अटारी स्त्री० अटारी; कोठा; झरोखा अटारो (-लो) पुं० अटाला; कबाड़ ( घरका टूटा-फूटा सामान ) अटाळी स्त्री० देखिये 'अटारी' अटूलुं बि० अकेला; तनहा ; एकला अटेरन न० अटेरन ( सूत लपेटनेका साधन) [ अटल अट्टल वि० पक्का; पूरा ( २ ) अडिग ; अट्टहास पुं० न०, अट्टहास्य न० अट्टहास ; जोरकी हँसी क़हक़हा अठवाडिक वि० प्रति सप्ताह होनेवाला; साप्ताहिक ( २ ) न० साप्ताहिक पत्र अठवाडियं न० अठवारा; सप्ताह; हफ़्ता ar fao चालाक; उस्ताद; चंट अठिगण न० टेकन; सहारा; तकिया अठग स०क्रि० सहारा लेना; उठगना; टेकना अगं वि० हठी; ज़िद्दी ( २ ) मोटा अठेद्वारका = यहीं पड़ाव अठ्ठाणु ( - णुं ) वि० अट्ठानबे ; ९८ अठ्ठावन वि० अट्ठावन; ५८ [२८ अठ्ठावीश ( स ) वि० अट्ठाईस ; अट्ठाइस; अट्ठोतेर वि० अठहत्तर अठत्तर; ७८ अठ्ठयाशी ( -सी) वि० अठासी ; ८८ अडक स्त्री० उपनाम; अल्ल; जाति, वंश, धंधे और रहनेकी जगह आदिके आधार पर रखा गया नाम अडकबुं स०क्रि० छूना (२) अ०क्रि० अड़ना; अटकना अडकाड स० क्रि० छुआना; खुलाना अडकाव पुं० स्त्रीका रजस्वला होना reeraj Ho fr० बंद करना; उठेगाना; ओठेगाना For Private and Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरकावं अ० क्रि० रजस्वला होना (२) बंद होना; लगना [अगल-बगल अडखेपरखे अ० इर्द-गिर्द; आस-पास अडग वि० दृढ़; अडिग ...... अरचण स्त्री० अड़चन; बाधा, (२) मुश्किल (३) स्त्रीका रजस्वला होना अडण न० खीरी; धन . भरताळीस वि० अड़तालीस; ४८ अब्द पुं० ब० व० उरद, उड़द मडवावो (-ळो) पुं० कुटनेसे : नरम होना (२) मारसे हड्डी-पसलीका दुखना; हड़फूटन (३) थककर चूर हो जाना । [-काढवो = काम या मारसे भरता बना देना; कचूमर निकालना; हलवा निकालना । -नीकळवो= थककर चूर हो जाना; हलवा निकल जाना." अग्ध वि० आधा अडषियं न० अद्धा (तोल) (२) हाथीदांतकी आधी चूड़ी (३) थोड़े डिब्बोंकी थोड़ी दूर जानेवाली रेलगाड़ी; 'शटल' अाधू वि० आषा; नीम [बहुत अउधूपडषु वि० लगभग आधा; थोड़ाअडपो पुं० अठन्नी अउधोअप वि० आधों-आध; आधे-आध अग्धोजी पुं० अघेला; धेला अरपलं वि० शरारती; नटखट (२) न० शरारत; छेड़छाड़; नटखटी अरफ(-फे-फो)ट स्त्री० चपेट । [-मां आव = किसीके साथ टकरा जाना; किसीकी ठोकर लगना; बीचमें • आ जाना. अकाउ वि० फालतू ; बेकार : सम्बरि न० चक्कर; लड़खड़ाहट; अडोशपकोण असंग वि० नादान (२)मूर्ख;अविचारी अब्बोत (-2) वि० गावदी; गवार (२)-स्त्री० धौल; चपत अडवडियं न० देखिये 'अडबडियु अडवाणुं वि० नंगे पैर चलनेवाला अग्धं वि० बेहूदा; बेतुका; शोभाहीन (२) नंगे पाँव चलनेवाला.... अडवं स० क्रि० छूना (२) अटकना; अड़ना (३) घाटा या नुकसान होना (४) अ० क्रि० साथ होना (५) __लगा रहना; आरंभ होकर जारी रहना (६) (घोड़ेका) अड़ना अडसट्टे अ० अंदाजन् ... अडसट्टो पुं० अंदाजा; अनुमान अबसठ वि० अड़सठ; ६८ असंमो पुं० अडंगा (२) कुश्तीका एक दावे अडाउ वि० बिना बोये उगनेवाला; खुदरी ... अगर स० क्रि० छुआना (२) धकेल. देना; भीतर घुसेड़ना अगयुं न० कंडा; गोइठा अगव, स० कि० गप मारना (२) झूठ कहना (३) खूब खाना (४) घुसाना (५) धमकाना; डॉटना अडगळी स्त्री० बरामदा; बारजा. अगळीपाळी स्त्री०. आगे-पीछेका बरामदा अडियल वि० अड़ियल मडिंगो पुं० अड्डा; डेरा अबीओपटी स्त्री०. अड़चन; संकट जरूरतका वक्त; अड़ी अडीलम वि० शूरवीर; हट्टा-कट्टा अकबडूकियुं वि० दोनों पक्षोंमें रहने वाला; औढर (२) अस्थिर . अडोशपमेश पुं० अड़ोस-पड़ोस .. For Private and Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बडो पु० अड्डा (२)व्यापक असर [ला. अंग वि. रुका हुआ . अगसम्पुं वि० अटका या रुका हुआ मढळक वि० ज्यादह; ढेर; 'पुष्कळ अहार वि० अठारह; १८ अढी वि० ढाई; २॥ अठीहन्यं वि० बौना (२) लुच्चा; बदमाश [ला.] [उठंगना अडेलधुं सक्रि० सहारा लेना; टेकना; म नकार और निषेधसूचक उपसर्गअन; उदा. 'अनबन' (२) पुं० का स्त्री०बनानेवाला प्रत्यय (३) क्रिया परसे संज्ञा बनानेवाला प्रत्यय अणमाड(त) स्त्री किसी चीजके न आनेका भाव; अज्ञान; अकौशल मणकी स्त्री० खेलमें उलटा-सीधा बोलमा; रोंगटी ... अणकू(-को)ट पुं० अन्नकूट अणसूट(-2) वि. अखट ..... अमलेग्युं वि० बिना जोता हुआ अणगमतुं वि० नापसंद; अप्रिय अनगमो पुं० नापसंदगी (२) अरुचि अणघड वि० अनगढ़; अपढ़; अशिक्षित अणचियं वि० बेईमानी करनेवाला; खेलमें रोंगटी खानेवाला अचित्तव्युं, अचितुं(-) वि० अन चीता (२) आकस्मिक; यकायक अणची स्त्री० देखिये 'अणकी' अणछतुं वि० गुप्त; छिपा हुआ अजाण वि० अनजान(२)स्त्री० अज्ञान अणवीठ (-5) वि० अनदेखा; अदृष्ट अगवायं वि० यकायक; अचानक; बिना सोचा हुआ; अचीता झुका हुआ अणनम वि० अडिग; जो न झुके; न अणपतीज स्त्री. अविश्वास अस्वार अणबनाव पुं० अनबन; बिगाड़; खटपट . अनमानीतं वि० अप्रिय .. अणवर पुं० शहबाला; विंदायक; दुलहा या दुलहिनका साथी . [अल्हड़पन अणसमज (०ण) स्त्री० बेसमझ; अणसमजणु, अणसमजु वि० बेसमझ; नादान; अनाड़ी . अणसार पुं० समानताका या सादृश्यका अंश (२) सूक्ष्म असर भनक; आहट अणसार(-रो) पुं० इशारा; संकेत (२) अणि स्त्री० अनी; नोक (२) चोटी; शिखर (३) अंत; सिरा (४) संकटकी स्थिति; अड़ी अणिवार वि० नोकदार; नुकीला अणियाळू वि० नोकदार; नुकीला अणियुं न० लेखनीकी नोक; टॉक अणिशुद्ध वि० समूचा अखंडित (२) संपूर्ण दोषरहित अणी स्त्री०, अणीदार वि०, अणीशुद्ध वि० देखिये 'अणि' आदिमें। अणुमात्र वि० बिलकुल थोड़ा; लेशमात्र अजू(-णो)जो पुं० कारीगरोंकी छुट्टीका दिन; अंझा; छुट्टी मिजाजी अतई वि० मिलनसार नहीं ऐसा अतरडो पुं० बढ़ईका एक औजार; रेती अताग वि० अथाह अतूट वि. अट; अखंड अतोभष्ठ ततोभष्ट वि० न घरका न घाटका; कहींका न रहनेवाला अत्तर न० इत्र; अतर मतारघरी अ०. अब ही अतरवानी स्त्री० अतरदान; इत्रदान अत्तरपगले अ० देखिये 'अत्तरपती' मत्यार स्त्री० चालू समय; वर्तमानकाल मत्यारे अ० अभी; फ़िल्-हाल; हाल ही For Private and Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अत्रे अत्रे अ० यहाँ restrest स्त्री० बेकार घूमना; आवारागर्दी (२) टक्कर (३) लड़ाई अथडामण ( - णी) स्त्री० मुठभेड़; टक्कर (२) आवारागर्दी अथडावं अ० क्रि० टकराना; भिड़ जाना (२) भटकना (३) व्यर्थ कोशिश करना [ला. ] ( ४ ) तकरार होना अथवा अ० अथवा ; या; ख्वाह अथाक वि० अथक अथाक (ग) वि० अथाह; बेहद अथाणुं न० अथाना; अचार; संधाना अवकुं वि० अधिक; ज्यादह; विशेष अवना ( - ) वि० अदना; तुच्छ अदब स्त्री० अदब; विवेक; शिष्टाचार (२) दोनों हाथ कोहनीमेंसे मोड़कर आमने-सामने कोहनीके पास रखने की विनय-सूचक एक मुद्रा अदबद वि० अनिश्चित प अवबसर अ० विनयपूर्वक; लिहाजसे अवल वि० सही । [ तो कांटो = सच्चा न्याय । नो घंट = पुराने जमाने में इन्साफ़ चाहनेवाले फ़रियादी - के लिए लगा हुआ घंटा. ] अदलबदल अ० रद्द- बदल; फेरफार अदलाबदली स्त्री०, अबलोबदलो पुं० अदला-बदला; हेर-फेर अवा स्त्री० अदा; नखरे; चेष्टा (२) हावभाव; अदा (३) अ० चुकता; बेबाक़ अदालत स्त्री० अदालत; न्यायालय अदावत स्त्री० अदावत; बैर अचावतियुं वि० अदावती; अदावत रखनेवाला [हुआ; अदीठ [प] मीठ (-) वि० अनदेखा; न देखा अडूगडुं वि० देखिये 'अघूकहुँ' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभी अवेलाई स्त्री० डाह; ईर्ष्या [ईर्ष्यालु असिपुं, अदेसुं वि० अदेखी; डाही; बद्दल अ० सही; बराबर अब वि० अर्थ ; आषा; अध (समासमें) reeच वि० अघकुटा (२) कच्चापक्का (३) कच्ची समझवाला [ला. ] अलोलुं वि० अधखुला अघकुं वि० देखिये 'अधूकडुं ' rees अ० अहाहा [ (कच्चा) अघमण न० मनका आधा भाग; अघमन अषमणियो, अधमणीको पुं० अधमंनका बाट (कच्चा) अधमूडं वि० अघमरा; अघमुआ अधरात स्त्री० अघरात; आधी रात (२) जरूरतका वक्त अघरात मघरात अ० आधी रातको; बहुत रात बीते - जब चाहे तब (२) ऐन या जरूरत के वक्त अबबच स्त्री० मध्य; बीच (२) अ० अघबीच बीचमें (३) समाप्तिसे पहले अपवचाळ अ० देखिये 'अधवच ' raari वि० कच्ची समझवाला:: अघवारदुं अ०क्रि० आधा होना (२) स०क्रि० आधे-आध करना; अधिमाना अपवाद न० अधियारी; अधियार (२) दो जगह पर भाग करके रहना अधावंष, अधाधुं (-यूं) घ ( - धी) स्त्री० देखिये 'अंघाबूंषी' अधिकार पुं० अधिकार; सत्ता; हुकूमत (२) पद (३) लियाक़त; पात्रता (४) हक़ ( ५ ) प्रकरण अधिवेशन न० अधिवेशन; बैठक अमीराई स्त्री०, अघोरापनं अधीरता; उतावली अधीरं वि० अधीर; धैर्यरहित; उतावला For Private and Personal Use Only न० Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org = अधूंकडं वि० जो उकहूं बैठा हो अबूचं वि० अधूरा; बाक़ी [पूर्व बिगड़े हुए कामको और बिगाड़ना; तुर्रा यह कि । अधूरे आवयुं अवतरणुं, · जन्मबुं पूरे समय से पहले ही जन्म * होना । अधूरे जयं = अधूरा जाना; हमल गिरना; कच्चा जाना । अभूले घडो छलकावो अधजल गगरी छलकत जाय'; अज्ञानीका ज्ञानी होनेका घमंड करना.] अधेली स्त्री० अंबेली; अठभी अबेलो पुं० अधेला; धेला = 14 अघोतुं न० बरता हुआ या जीर्ण वस्त्र अघोळ न० आषी छटाँक (कच्ची ) अघोळं न० आधी छटँकी ( कच्ची ) अध्वर अ० अंतरिक्ष में; हवामें लटकता (२) अनिश्चित अध्वरताल अ० लटकता; अनिश्चित अध्चर-पorर अ० बिलकुल अंतरिक्षमें " अननास न० अनन्नास अनशन न० अनशन; आहारका त्याग अनहद वि० बेहद असीम अनाज न० अनाज ; नाज अनाड पुं० बिगाड़; नुक़सान ( २ ) अड़चन (३) वि० देखिये ' अनाडी ' अनाडी वि० गँवार; मूर्ख (२) जिद्दी, हठी अनाथ वि० अनाथ निराधार ( २ ) स्त्री० ग़रीबी; कंगालियत अनाम वि० अनाम; बग़ैर नामको (२) अप्रसिद्ध (३) अवर्णनीय ( ४ ) पुं० परमेश्वर अनामत स्त्री० ; न० अमानत; थाती अनामी वि० (२) पुं० देखिये ' अनाम (३) स्त्री० अस्थी अनार न० अनार " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपड अनावड, अनावडत स्त्री० किसी चीज के न आनेका भाव; अकौशल; अनभिज्ञता अनुकूल (-ळ ) वि० अनुकूल (२) हितकर अनुक्रम पुं० अनुक्रम; सिलसिला अनुक्रमणिका, अनुक्रमणी स्त्री० अनुक्रमणी विषय-सूची $ अनुप वि० बेजोड़; अनुपम; लासानी अनुबंध पुं० अनुबंध; संबंध अनुभव पुं० अनुभव; प्रत्यक्ष ज्ञान; तजरबा अनुभववं स० क्रि० अनुभव करना; महसूस करना या होना अनुरूप वि० अनुरूप; योग्य; लायक़ अनुलक्षवं स० क्रि० लक्ष्यमें रखना. अनुवाद पुं० कही हुई बातको दोबारा • कहना (२) अनुवाद; तरजुमा अनुसंधान न० अनुसंधान; पहले आई हुई बातके साथ संबद्ध बात ( २ ) योग्य संबंध ( ३ ) जाँच-पड़ताल : अनुसार अ० अनुसार; मुताबिक़ अने (नॅ) अ० और; तथा अनेनास न० देखिये 'अननास ' अनेरु वि० निराला ( २ ) अपूर्व; अनोखा अनोखं वि० अनोखा ; अनूठा अन्न न० अन्न; खुराक अनजल, अनगळ न० अन्न-जल ; दानापानी (२) लेना-देना; क़िस्मत [ला. ] अन्नपाणी न० अन्नजल; खाना-पीना; गुजारेका साधन [ युक्त अभैयुं वि० देखिये 'अणचियुं'; अन्यायअन्वये अ० अनुसार; मुताबिक़ : अपचो पुं० अपच, बदहजमी ; अजीर्ण अपजश, अपजस पुं० अपजस; अपयश; बदनामी अपढ वि० अपढ़; अनपढ़ For Private and Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपनाव स० क्रि० अपनाना; अपना बना लेना या मानना [(३) सौतेला अपर वि० दूसरा; भिन्न (२) पीछेका अपर मा, अपर माता स्त्री सौतेली मां अपरंपार वि० अपार ६२ पाप अपराध पुं० अपराध ; दोष ; गुनाह जुर्म अपलक्षण न० अपलक्षण (२) दुराचरण अपवाद; पुं० अपवाद (२) निंदा; लांछन; ऐब । [-बेसबो, लागयो = ऐब लगना. . अपवास पुं० उपवास; फ़ाक़ा । अपशुकन पुं० अपशकुन; असमुन . अपशुकनियाळ, अपकनियुं वि० बद शगुन ; मनहूस; अशुभ ...... अपंग वि० अपंग; पंगु; अंगहीन (२) • लाचार [ला.] रहनेका स्थान मपासरो वि० उपाश्रय; जैन साधुओंके अपील स्त्री० अपील; साग्रह प्रार्थना (२) निचली अदालतके फैसले पर पुनर्विचार करनेके लिए दरख्वास्त (३) चंदेके लिए प्रार्थना । [-करवं = दिल पर असर हो इस प्रकार विनती करना । -g%3D दिल पर असर करना; जॅचना। -मां जq = अपील अदालतमें अपील करना.) अपील कोर्ट स्त्री० अपील अदालत मपूरतुं वि० अपर्याप्त; जो काफ़ी न हो अपूर्णाक पुं० पूर्ण संख्यासे.कम संख्या; भिन्न [ग.] मपूशण, अपोशण न० भोजनके प्रारंभ तथा अंतमें किया जाता आचमन (२) भोजनके प्रारंभ में थोड़ा भात परोसा जाता है वह मप्रिय वि० अप्रिय (२) न० अनिष्ट पकवान वि० (२)पुं० अफ़ग़ान काबुली अबोला अफर वि० निश्चित; अटल अफरा, अ० क्रि० अफरना अफलातून पुं० अफलातून ; प्लेटो (२) वि० सुंदर अफवा स्त्री० अफ़वा; अफ़वाह; गप अफळावू अ० क्रि० टकराना; भिडना अफाट वि० (२) अ० बहुत विशाल; अस्खलित [(चीज़) अफाळवं स० क्रि० टकराना; पटकना अफीण न० अफ़ीम; अफ़यून अफीणियं, अफीणी वि० अफ़ीमी; - अफ़ीमची (२) सुस्त; आलसी.... अबघडी अ० अभी; इसी क्षण; फौरन अबज वि० (२) पुं० अब्ज; अरब अबतर वि० खराब; बिगड़ा हुआ अवधूत पुं० अवधूत (२) वि० मस्त अबनूस न० आबनूस अबरक, अबरख न० अबरक अबला, अबळा वि. स्त्री० अल्प बलवाली (२) स्त्री० अबला; स्त्री अबळसा स्त्री०, अबळखो पुं० इच्छा; अरमान ; चाव (२)गभिणीकी इच्छा; दोहद; बिराय अबाब पुं० लग्न आदि अवसर पर लेन देनकी तय हुई बात (२) नेग-दस्तूर अबी अ० अभी; इसी क्षण .... अबीर, अबील न० अबीर . मबुष वि० अबोध; नासमझ (२) मूर्ख (३) अल्हड़ अबूज वि० नाकदर अबूम वि० देखिये 'अबुध' अबे अ० अबे; अरे (तिरस्कारसूचक) अबेतबे करवू = अबेतबे करना ... अबोला पुं० ब० व० वरको खिलाये जानेवाले खाजे (२) अरुचि, अनिच्छा। For Private and Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org [अबोखे पडq= (किसी चीज़ पर) अरुचि पैदा होना. अबोट पुं० चौका लगाना (२) बिना स्नान किये जहाँ जाया या छूआ न जाये ऐसी जगह; चौका अबोटियु न० खाना पकाते या खाते समय पहननेका रेशम, सन या ऊनका अबोष वि० देखिये 'अबुध' भबोल वि. जो बोला न जा सके (२) अबोल ; गूंगा; चुप (३) बेहोश अबोला पुं० ब० व० अबोला अन्या पुं० अब्बा; बाप अम्बा स्त्री० मा (२) बूढ़ी स्त्री (३) थूथू-थक्का (खेलमें) अम्बाजान पुं० अब्बाजान; पिताजी अभक्षाभक्ष पुं० देखिये. 'अभक्ष्यभक्षण' अभक्ष्यभक्षण न० निषिद्ध आहार करना; मांसाहार करना अभगवं अ० क्रि० छूत लगना (२) स्त्रीका रजस्वला होना; कपड़ोंसे होना अभण वि० अनपढ़; निरक्षर अभरखो पुं० देखिये ‘अबळखा' अभराई स्त्री० टाँड़ परछत्ती। [-उपर चढाव,मूक (काममेंसे या विचारमेंसे) दूर करना; अलग रखना; ध्यान न देना. .. ... . अमरे भरवं समृद्ध करना; खूब भरना अभागण,अभागणी वि०स्त्री०अभागिनी अभागियं वि० देखिये 'अभागी' . अभागी वि० अभागी; कमनसीब अभागा (२)जायदादमें हिस्सा पानेका अनधिकारी; अभागी मभावा पुं० ब० व० गर्भिणीकी अभिलाषा; दोहद; बिराय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमरपटों अभावो पुं० अरुचि अभिनन्दन न० अभिनंदन; धन्यवाद, बघाई (२) अनुमति (३) स्तुति अभिनन्दवं स० कि० अभिनंदन करना; बधाई देना (२) अ० क्रि० आनंदित होना अभिनेता पुं० अभिनेता; नट . अभिप्राय पुं० अभिप्राय; राय (२) हेतु; मतलब; आशय । अभिलाख पुं० अभिलाष ; मनोकामना (२) उत्कट इच्छा अभिलाष पुं०, अभिलाषा 'स्त्री० अभिलाष; अभिलाषा अभिलाषी वि० अभिलाषी .. अभिवंदन न०, मभिवंदना स्त्री अभिवंदन; अभिवन्दना; नमस्कार (२) देवकी आरती, भस्म वगैरह लेना अभिवृद्धि स्त्री० अभिवृद्धि; बढ़ती (२) उन्नति मन्यात पुं० अभ्यास; पढ़ाई (२) पुनरावृत्ति (३) अभ्यास; आवत; मुहावरा । [-परयो = मुहावरा या अभ्यास हो जाना; आदी होना (२) बीचमें मुहावरा छूट जाना (३) बीचमें पढ़ाई रुक जाना.] अम्यासी वि० अभ्यासी; अभ्यस्त ; आदी (स उद्यमी (३) पुं० विद्यार्थी(४)पंडित अभ्रक न० अभ्रक; अबरक अमयुं वि० व्यर्थ (२) अकारण; बिलावजह (३) मुफ्तका अमन न० अमन ; शान्ति (२)सुख-चैन अमनचमन न० अमन-चैन; सुख-शांति अमरपटो पुं० अमरताका वरदान या पट्टा । [-लईने, लसावीने आवq 3 अमर होकर जन्मना या अमर होना.] For Private and Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमरवेल अमरवेल स्त्री० अमरबेल; अकासबेल अमराई स्त्री. अमराई; आमका बास । अमल, अमळ वि० अमल; निर्मल; शुद्ध अमल पुं० अमल ; सत्ता; अधिकार (२) हुकूमत ; शासन ; व्यवस्था (३)अमल; नशा या नशीली चीज; अफ़ीम (४) समयका शुमार (५) व्यवहारमें लाना। [-ऊतरवो सत्ता या नशेकादूरहोना। -करवं अमल करना;आचरण करना। -करवो अमल-पानी करना-घडवो = नशा छाना । -थवो = अमल दरआमद होना । -मां आणवू, मूक, लाव_ = -का अमल करना; कार्यमें लाना.] अमलदार पुं० अमलदार; अधिकारी . अमलदारी स्त्री० अधिकारीका काम या पद अमलपाणी न० अफ़ीम-पानी अमस्तकुं, अमस्तुं वि० देखिये 'अमथु' अमळाट पुं० ऐंठन; रस्सी आदिकी ऐंठन; बट (२) पेटमें ऐंठन; मरोड़ (३) बल; लचक (४) मिजाज (५) बैर अमळावं अ० क्रि० ऐंठा जाना; बल खाना (२)पेटमें दुखना; मरोड़ आना (३) दिल दुखना दुर्भाग्य अमंगल, अमंगळ वि० अमंगल (२)न० अमात्य पुं० अमात्य ; मंत्री; वज़ीर अमाव (-वा) स्या, अमास · स्त्री० अमावस; अमावास्या; मावस अमी न० अमृत; अमी [प.] (२) मिठास (३) कृपा (४) थूक (५) (जमीनका) रस और कस अमीट वि० अनिमेष अमीदृष्टि, अमीनगर स्त्री० दयादृष्टि; कृपा; मेहरबानी अमीन वि० अमीन; विश्वसनीय (२) पुं० एक अल्ल (३)अभिभावक; दृस्टी (४) पंच; मध्यस्थ (५) गविका बड़ा हाकिम; अमीन अमीनिधि पुं० अमृतका भंडार (२) चन्द्र अमीर पुं० अमीर; सरदार (२) अफ़ग़ानिस्तानके राजाकी उपाधि (३) अमीर; रईस; धनी व्यक्ति अमीरस पुं० अमृत-रस; . सुधा . अमीराई, अमीरात स्त्री० अमीरी; दौलतमंदी (२) अमीर-वृत्ति; अमीरी अमीरी वि० अमीरके जैसा; अमीराना (२) स्त्री० अमीरी अमुक वि० अमुक; फलाँ (२)अनिश्चित (३) स० अमुक; ढिमका अमुक तमुक वि० अमुक-अमुक; फ़लाफ़ला [उद्विग्न होना अमुझा अ०क्रि० घबड़ाना; अकुलाना; अमूलख, अमूलुं वि० देखिये 'अमूल्य' अमूल्य वि० अमूल्य; अनमोल; बहुमूल्य अमूंझण स्त्री० घबड़ाहट. अमूंझावं अ० क्रि० देखिये 'अमुझावं' अमृत वि० अमृत (२)अमर (३) न? अमृत-रस अमोल, अमोलुं वि० देखिये 'अमूल्य' अयोग्य वि० अयोग्य; नामुनासिब (२) नाक़ाबिल अरक पुं० अर्क; सत्त्व अरगजो पुं० अरगजा [फ़रियाद अरज स्त्री अर्ज;निवेदन;प्रार्थना (२) अरजदार वि० अर्ज करनेवाला; फ़रियादी अरजी स्त्री० अरजी; निवेदन फ़रियाद (२) अर्जी; प्रार्थना-पत्र; अरजी अरसी स्त्री० अडूसा . For Private and Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मणि अनि, बरणी स्त्री० बरनी; अरणि.. भरधुं वि० देखिये 'अडधुं' [ बहुत भरतुंपरशुं वि० लगभग आधा; थोड़ाअरषोअरघ वि० आधो- आघ; आधे-आघ अरब पुं० अरब (देश); अरबिस्तान (२) अरब-निवासी; अरब अरबी वि० अरबी; अरब देशका (२) अरब - निवासीसे संबद्ध ( ३ ) स्त्री० अरबी; अरबकी भाषा अरमान स्त्री० अरमान; अभिलाषा अरमार स्त्री० जहाजी बेड़ा; नौसेना अरर अ० अरर; अहह अरसपरस अ० आपसमें; परस्पर अरसो पुं० अरसा (२) मौक़ा अराजक वि० अराजक; बिना राजाका (२) न० राजाका न होना; अराजक (३) अंधाधुंध : अव्यवस्था अराजकता स्त्री० अराजकता: अव्यवस्था; अंधाधुंध · अरीठी स्त्री० रीठी ( पेड़) अरीठं न० अरीठा; रीठा अरीसो पुं० अरीसा; आईना; शीशा अवचतुं वि० अरुचिकर; नापसन्द rofer स्त्री० अरुचि; अनिच्छा; नफ़रत (२) भूख न लगना; अरुचि अरुणुं वि० अरुण; लाल रंगका . अरुपद अ० इधर-उधर; आगे-पीछे अरे अ० अरे (२) स्त्री० हाय दुःखकी पुकार ( ३ ) चिंता; फ़िक्र अरेराट पुं०, अरेराटी स्त्री० दु:ख या चिता होना अर्घ्यं वि० अर्घ्य; मूल्यवान ( २ ) पूजनीय; अर्घ्य (३) न० पूजा; सम्मान । [- आप = ( पुजापा लेकर ) पूजना; (२) पायमाल करना ( व्यंग्यमें ) . ] १२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अह्मणवं अर्थ पुं० अर्थ; हेतु (२) अर्थ मानी (३) गरज; प्रयोजन ( ४ ) धन संपत्ति ; अर्थ | [ - आवबुं काममें आना; सहायक होना । बेसबो = बराबर अर्थ होना; समझमें आना । - बेसाडवो = अर्थ बैठाना । - सरवो-हेतु सिद्ध होना; अर्थ सरना; काम चलना. ] [ तंत्रकी व्यवस्था अर्थकारण न० अर्थव्यवस्था; आर्थिक अर्थघन वि० अर्थपूर्ण अर्थतंत्र न० अर्थव्यवस्था अर्थे अ० लिए; वास्ते अर्थ वि० अर्ध; आधा; नीम ( २ ) न० एक चीजके दो समान हिस्सोंमेंसे एक अर्धगोळ पुं० गोलार्ध (२) वि० अर्धगोलाकार अर्धदग्ध वि० अर्धदग्ध; अधजला ( २ ) अधकचरा ; अधूरे ज्ञानवाला अर्धविराम न० अर्धविराम अर्प स०क्रि० अर्पण करना (२) भेंटके रूपमें देना [स्त्रियोंकी चोटी अलक पुं० अलक; लट; ज़ुल्फ़ (२) अलकमलक पुं० देश-विदेश अलग वि० अलग; जुदा (२) दूर अलगार स्त्री० पंक्ति; क़तार अलड ( ल . ) वि० देखिये 'अल्लड अलफाउ वि० निकम्मा; फ़ालतू... अलबत ( -त- तां) अ० अलबत्ता अलबेलुं वि०अलबेला; बाँका (२) आशिक़ अलमस्त वि० अलमस्त; मौजी; मस्त P (२) जोरावर; हट्टा-कट्टा अलमारी स्त्री० अलमारी; आलमारी (२) कई खानोंवाला ताखा या आला अलवण वि० अलोना अलाणबुं अ० क्रि० (ऊँटका ) बलबलाना For Private and Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मलाणी अलाणी स्त्री० मोट खींचनेवाले बैलोंके आने-जानेके लिए कुंएके पास बनाया हुआ ढाल; नैची। अलाबला स्त्री० बला;प्रेत-बाधा मलाय, (ला') वि० अलहदा; अलग अली स्त्री० अली; सखी (२) अ० एक स्त्रीवाचक संबोधन; अरी अलणां न०ब०व० अलोना-व्रतके दिन अलणं वि० अलोना (२) न० अलोना रहना (व्रत) होना; अनबन अलेणाभाव पुं०, अलेणुंन० लेन-देन न अलेतुं (ले') वि. अल्हड़; नासमझ अलेलटप्पु वि० अललटप्पू; अटकलपच्चू अलयां-बलयां न०ब०व० बलायें लेना अलोप वि० अलोप; नदारद अल्प वि० अल्प; तुच्छ; थोड़ा अल्पविराम न० अल्पविराम अल्या, अल्यो अ० अबे अल्लड (ल') वि० अल्हड़; नासमझ (२) उच्छृखल अल्ला पुं० अल्ला; अल्लाह; खुदा । -नी गाय,गावडी-गरीब स्वभावका मनुष्य; अल्लाह मियाँकी गाय.] अवकरा (-ळा) स्त्री० देखिये 'अवक्रिया' अवकळा स्त्री० व्याकुलता; बेकली (२) उलटा असर अवकाश पुं० अवकाश; खाली जगह .(२) मौक़ा (३) क्षेत्र (४) फुरसत अवक्रिया स्त्री० उलटा असर; नुकसान अवगणना स्त्री० अवगणना; अवज्ञा अवगणवं सक्रि० गिनतीमें न लेना; उपेक्षा करना अवगतिक, अवगतियुं वि० मरनेके बाद भूत-प्रेत होनेवाला (२) नरकमें पड़नेवाला; अधोगामी अपस्या अवगुण पुं० अवगुण, दोष, दुर्गुण (२)हानि (३) अपकार दुर्गुणी अवगुणियं, अवगुणी वि० कृतघ्न (२) अवजोग पुं० दुर्योग; अशुभ मुहूर्त अवर(व') वि० खाली; जो मुद्दतसे काममें न लाया गया हो; अव्यवहृत अवतरण न० अवतरण; नीचे उतरना (२) अवतार; जन्म (३) ढलवा उतार (४) अवतरण; उद्धरण अवतरण चिह्न न० अवतरण चिह्न (' ') ऐसा चिह्न (जन्म लेना अवतर, अ.क्रि० नीचे उतरना (२) अवतार पुं० नीचे उतरना; अवतार (२) जन्म; देहधारण (३) ज़िन्दगी (४) देव या ईश्वरका अवतार अवतारी वि० अवतारी (२) देवी; ईश्वरी अवध (ध,) स्त्री० देखिये 'अवधि' अवधि पुं०; स्त्री० अवधि; हद (२) अंत (३) नियत काल; मीयाद अवनवं वि० अभिनव; नया(२) अद्भुत अवयव पुं० अवयव(२)वस्तुका विभाग; अंश (३) साधन (४), 'फेक्टर' ग.] अवरजवर पुं०; स्त्री० आना-जाना अवल वि० अव्वल; पहला (२) उत्तम अवलकारकुन पुं० मुख्य कारकुन । अवल-मंजल स्त्री० (पारसियोंकी) उत्तरक्रिया अवलंबवू सक्रि० (किसीका)सहारा या आधार लेना (२) अक्रि० लटकना अवलंबित वि० अवलंबित; आश्रित (२) लटकता हुआ शुकन' अवश (-२)कन पुं० देखिये 'अपअवस्था स्त्री० अवस्था; हालत; दशा (२)आयुष्यके चार अंश; अवस्थाएं (३) बुढ़ापा For Private and Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १४ अबहेलन अबहेलन न०, अबहेलना, अवहेला स्त्री० अवहेलना; अवहेला; अनादर उलटा अवळचंडाई स्त्री० शरारत अवळचंडुं वि० कहे इससे करनेवाला ( २ ) शरारती (३) उलटी खोपड़ीका अवळवाणी स्त्री० उलट-वाँसी; गूढ़ बानी (२) उलटा बोलना ( ३ ) अशुभ बानी अवळसवळ अ० उलटा-सीधा; उलटा पलटा अवळासवळी स्त्री० एक बेल (२) अ० उलटा पुलटा या उलटा-सीधा अबळं वि० उलटा औंधा (२) टेढ़ा; आड़ा (३) विपरीत । [ अवळा करवा के थवा = घाटा उठाना या होना; कसर खाना । अवळा पाटा बांधवा = ग़लत समझाना; भ्रममें डालना; उलटी पट्टी पढ़ाना । अवळा पूजेला = गत जन्ममें पाप किये हुए होंगे। अबळे हाये देवी = जोरसे चपत लगाना.] अवकुंसवळं वि० उलटा-पलटा अवाज पुं० आवाज; ध्वनि ; शब्द ( २ ) आवाज़; स्वर अवार्ड न० खीरी; थन अवाडी (वा) पुं० देखिये 'हवाडो' अवारनवार अ० कभी-कभार ; कभी कभी (२) बारी-बारीसे अवावरुं वि० देखिये 'अवड' अवाळु पुं० न० मसूड़ा; मसूढ़ा अविचारी वि० अविचारी; विवेकहीन (२) उतावला . [ (२) पैसा; पूँजी अवेज पुं० एवज़; बदला; मुआवज्रा अबेजी वि० बदले में काम करनेवाला; एवजी (२) स्त्री० एवजी होनेका भाव Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्तर अबेर (वॅ' ) न० वैरका अभाव प्रेम अवेर पुं० निगरानी ; क़ानू ( २ ) विवेकी उपयोग; सुव्यवस्था (३) मितव्ययिता; किफ़ायत (४) समेटना [ रखना अवेर स०क्रि० सँभालना; सुव्यवस्थित अशक्य वि० अशक्य; नामुमकिन अशनाई स्त्री० आशनाई (२) शरारत अशरफी स्त्री०अशरफ़ी; (सोनेकी) मुहर अशराफ वि० शरीफ़ अषाड (-3) पुं० असाढ़ अष्टरुल्याणी वि० आठ शुभ लक्षणोंवाला ( अश्व जिसके चारों पाँव, ललाट, सीना, कंधा और पूंछ सफ़ेद हों) अष्टकोण वि० (२) पुं० अष्टकोण अष्टपष्टं अ० उलटा-सीधा ; सही-गलत असल वि० असल; असली; मूल (२) पुराना (३) उत्तम ( ४ ) सही; असल; खालिस (५) अ० पहले [ पुराना असलनुं, असली वि० असली; आगेका; असवार पुं० सवार;घुड़सवार (२) सिपाही असवारी स्त्री० सवारी असहकार पुं० असहयोग (२) ब्रिटिश शासनको सहयोग न देनेके लिए गांधीजी द्वारा चलाये गये आंदोलनका नाम असाड पुं० देखिये 'अषाड ' असावध, असावधान वि० असावधान; ग़ाफ़िल; बेखबर असीम वि० असीम; बेहद; अपार असील वि० असील; खानदानी ( २ ) भला; असील (३) पुं० मुवक्किल असूम वि० जो कंजूस न हो; उदार असूर, असूयं अ० देरसे; विलंबसे असेमसे अ० किसी भी मिस या बहाने अस्तर न० अस्तर For Private and Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्तरो अस्तरो, अस्त्री पुं० उस्तुरा; अस्तुरा; उस्तरा अहसान न० देखिये 'अहेशान' अहालेक पुं० अलख अहित न० अहित; अकल्याण (२)हानि अहीर पुं० अहीर; ग्वाला; आभीर अहीं अ० यहाँ; अत्र; इधर अहीतहीं अ० इधर-उधर अहींयां अ० यहाँ; इधर अहेवाल पुं० अहवाल; वृत्तांत अहेशान न० एहसान ; आभार [कृतज्ञ अहेशानमंद वि०अहसानमंद ; आभारी; अहोभाग्य न० बड़ा भाग्य; खुश-नसीबी महोहो अ० अहह अळखामणुं वि० अप्रिय अळगुं वि० अलग; दूर (२) न्यारा; निराला (३) न० रजोदर्शन अळतो पुं० अलता; महावर (२) मेहँदीका लोंदा [ला.] अळवी स्त्री० अरवी; घुइयां अळवीतरं वि० तूफ़ानी; ऊधमी (२) न० तूफ़ान अळशियु, अळसियुं न० अलसीका तेल अळशी स्त्री० .अलसी 'अळसियुं न० केंचुआ; गिंजाई [घाम अळाई स्त्री० अम्हौरी; गरमी-दाना; अंक पुं० अंक; चिह्न छाप; निशान(२) संख्याका चिह्न; अंक (३) दाग़; कलंक (चंद्रमें) (४) गोद; अंक (५) नाटकका एक भाग; अंक अंकगणित न० अंकगणित अंके अ० अंकोंमें जकड़कर अंकोराबंध अ० शृंखलाबद्ध रीतसे (२) अंकोडी स्त्री० अंकुड़ी; लग्गी (२) लग्गी; लकसी (३) कटिया अंगियो अंकोडो पुं० अंकुड़ा; जंजीरका आंकड़ा (२) अंकुड़ा; हुक (३) सँड़सा अंग न० अंग; शरीर (२) अवयव (३) भाग (४) खुद; आप । [-तळे घालवू = किसीकी कोई वस्तु हड़पना; दबा बैठना; हजम करना । -तूटq = देह टूटना; अंग टूटना; अंगड़ाई । -तोडq = खूब मेहनत करना। -भराई आवq, जq = (थकावट या मेहनत-मजदूरीसे) शरीरका जकड़ना या दुखना ।-भरावं = देहके जकड़नेका असर मालूम होना; ज्वरके लक्षण दिखाई देना। -भारे थवं = शरीरका बोझ बढ़ना; मस्ती या सुस्ती आना.] अंगउधार वि० (२) अ० हाथ-उधार अंगकसरत स्त्री० कसरत; व्यायाम अंगत वि० खानगी; निजी अंगनुं वि० निजका; खानगी (२) विश्वासी (३) नज़दीकी (सगा) अंगमहेनत स्त्री० शारीरिक श्रम अंगमोडा पुं० ब० व० अंगड़ाई आना; देहका टूटना अंगरखं न०, अंगरखो पुं० अँगरखा अंगवस्त्र न० उपरना (२) रखेली [ला.] अंगार पुं० अग्नि (२) अंगार; अंगारा (३) जलन (४) कपूत [ला.] । [अंगारा ऊठवा = अंगारों पर लोटना; खूब अखरना.] अंगारवायु पुं० 'कार्बोलिक एसिड गैस' अंगारी स्त्री० अंगारी; चिनगारी (२) अँगीठी अंगारो पुं० देखिये 'अंगार' अंगियुं न० झगा आस्तीनकी) अंगियो पुं० अॅगिया; चोली (बिना For Private and Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अंगुर = अंगुर न० पुं० अंगूर ( घावका ) अंगुल पुं० अंगुल (२) उँगली; अंगुश्त अंगुलि (-ली) निर्देश पुं० अंगुल्यादेश अंगूठो पुं० अँगोछा; गमछा अंगूठी स्त्री० पैरके अँगूठेमें पहननेका स्त्रियोंका एक गहना (२) अंगुरताना अंगूठो पुं० अंगूठा । [अंगूठा पकड़वा = खड़े हो, नीचे झुककर पैरके अँगूठे पकड़ना; ऐसा करनेकी सजा होना (२) आगेके लिए सीख ग्रहण करना; गुनाह क़बूल करके उसमें से नसीहत पाना [ला. ] । अंगूठे कमाड ठेलबुं = किसीको मालूम न हो इस तरह कोई काम करना या किसीकी मदद करना । - आपवो, करी आपवो, पाडवो = ( दस्तावेज़ आदिमें) अँगूठेका निशान लगाना ( २ ) दस्तखत करना; मंजूर रखना । - देखाडवो, बताववो = ठेंगा, अँगूठा दिखाना. | अंगूर स्त्री० अंगूर अंगे अ० की बाबत ; - के बारेमें अंगोअंग अ० अंग अंगमें अंग्रेज पुं० अँगरेज़; अँग्रेज़ अंघोळ न० स्नान अंघोळवं अ० क्रि० नहाना अंघोळियुं न० नहानेका पानी गरम करनेका पात्र ( २ ) नहाने बैठनेका पीढ़ा अंचई स्त्री० रोंगटी; बेईमानी (खेलमें) अंचळवो, अंचळो पुं० बच्चोंके ओढ़नेके काम आनेवाला बहुरंगी रूमाल (२) तेलमें डुबाकर सुलगाई हुई रस्सी अंजन न० अंजन; काजल (२) एक वृक्ष अंजळ, अंजळपाणी न० देखिये 'अन्नजल' अंजाम पुं० अंजाम; अंत ( २ ) परिणाम अंजावबुं स० क्रि० अंजाना; अँजवाना १६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंतराय अंजाबुं अ० क्रि० चौंधियाना ( २ ) किसीसे प्रभावित हो जाना ( ३ ) 'आज' क्रियाका कर्मणिरूप अंजीर न० अंजीर ( फल और पेड़) अंजुमन न० अंजुमन; सभा; मजलिस अंटस पुं० आँट; कट्टर बैर अंटोळकाटलं न० खोटा बाट ( २ ) आवारा आदमी [ला. ] अंडळ वि० बिना मेहनतका; हरामका अंडळगंडळ वि० अंड बंड; झूठ-सच अंतर वि० अंतर; भीतरका ( २ ) नज़दीकी ( ३ ) न० भीतरका हिस्सा (४) अंत:करण; मन; दिल ( ५ ) अवकाश; फ़ासला ; अंतर ( ६ ) बीचका समय ( ७ ) फ़र्क़ ; अंतर (८) भेद; जुदाई (९) समास अंतमें 'अन्य' या 'बीजुं' ऐसे अर्थ में; उदा० 'रूपांतर' (१०) स्त्री ० ( ' खबर के साथमें) आंतरिक समाचार | [ - खोलबुं = दिल खोलना (२) मनकी बात साफ़ साफ़ बता देना । - पडबुं = अंतर पड़ना (२) फ़र्क़ होना (३) जुदाईका भाव पैदा होना. ] अंतरछाल स्त्री० अंतरछाल अंतरजामी वि० अंतरजामी; अंतर्यामी (२) पुं० परमात्मा अंतरपट न० अंतरपट; परदा अंतरवेल स्त्री० अमरबेल अंतरस न० पानी या खुराकका श्वासनलिकामें घुस जाना अंतरंग वि० अंतरंग ; नज़दीकी ; भीतरी (२) आत्मीय; दिली (३) विश्वसनीय (४) न० अंदरका हिस्सा ; अंतराल अंतराई स्त्री० अंतर; फ़ासला (२)जुदाई अंतराय पुं० अंतराय; विघ्न; बाघा For Private and Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंतराल अंतराल न० अंतराल; बीचकी जगह(२) अंतर; फ़ासला (३) अवकाश; जगह अंतरावू अ०क्रि० रुकना; घिरना; फंसना अंतराळ न० देखिये 'अंतराल' अंतरियाळ अ० अधर; अंतरीक्षमें अंतरो पुं० अंतरा; ध्रुपदके तीन हिस्सोंमेंसे दूसरा; ध्रुपदके बाद आनेवाली हर एक टेक अंतवेळा स्त्री० अंतकाल अंतिम वि० अंतिम; आखिरी अंते अ० अंतमें; आखिरकार अंत्य वि० अंत्य; आखिरी; अंतिम अंत्यज वि० अंत्यज (२) पुं० अछूत जातिका मनुष्य; हरिजन अंदर अ० अंदर; भीतर अंदरखाने, अंदरखानेथी अ० अंदरूनी तौर पर अंदाज पुं० अंदाज़; अंदाजा; अटकल। [-काढवो= अंदाज़ा लगाना। -लेवो =अंदाजा पानेके लिए कसना; आज़माना.] अंदाजपत्र, अंदाजपत्रक पुं० न०'बजट'; आय-व्ययका चिट्ठा अंदाजी वि० अंदाज़से नियत किया हुआ अंदेश, अंदेशो पुं० वहम आशंका;अंदेशा अंध वि० अंध; अंधा (२)विचारहीन; नासमझ [ला.] अंधकार पुं० अंधकार; अँधेरा अंधभक्ति स्त्री० अंधभक्ति; विवेकहीन भक्ति [अंधेर; अराजकता अंधाधुंध, अंधाधुंधी स्त्री० अंधाधुंध; अंधापो पुं० अंधापा; अंधापन अंधारकोट पुं० घनघटा; घनघटासे छानेवाला अँधेरा अंबोळ, अंधारकोटडी स्त्री० अँधेरी कोठरी (२) कालकोठरी (३)कैदखाना अंधारपछेडी स्त्री०, अंधारपछेडो पुं० वह (काला या जादुई) वस्त्र जिसे ओढ़कर अदृश्य या गुप्त रहा जाय । [-ओढाडवी,(-वो) अँधेरी डालना; धोखा देना.] अंधार अ०क्रि० आकाशका बादलोंसे छा जाना; घटा घिरना; घुमड़ना अंधारां न०ब०व० आँखोंके आगे अँधेरा छाना; चक्कर आना। [-उलेचवां (प्रकाश पानेके लिए) व्यर्थ कोशिश करना.] अंधारियुं वि० अँधेरा; अंधियारा (२) न० अंधेरा पाख; अंधेरिया अंधारी स्त्री० अंधेरी; अँधियारी (२) सुनारका एक औजार (३) अँधेरी डालना; धोखा देना (४) चक्कर (५) जेलकी अंधेरी कोठरी (६) कालकोठरीकी सजा अंधारं न० अँधेरा (२) अंधेर [ला.] (३) गुप्तता (४) अज्ञान अंधारं घोर वि० (२) न घना अंधकार; अँधेरा धुप्प अंधेर न० अंधेर; अव्यवस्था अंबाडियुं न० उपलोंका ढेर; गोहरोंका अंबार अंबाडी स्त्री० अंबारी; हौदा अंबार पुं० अंबार; ढेर अंबावू अ०क्रि०(दाँत)खटाना; गुठलाना अंबोडी स्त्री० छोटा जूड़ा अंबोडो पुं० जूड़ा; खोपा अंबोळवू सक्रि० खटाई लगाना (२) बढ़ाना; मिलाना ग. हिं-२ For Private and Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ आगरण आ आ पुं० वर्णमालाका दूसरा अक्षरएक स्वर आ स० (२) वि० यह आई स्त्री० माँ (२) दादी (३) देवी आईजी स्त्री० सास आउ न० थन; खीरी आकडी स्त्री० आकका एक प्रकार आकडो पुं० आकड़ा; आक आकरं वि० कड़ा; सख्त (२) कठिन; मुश्किल (३) तेज ; तीखा (४) महँगा आकर्षण न० आकर्षण ; खिंचाव (२)मोह आकर्षवं स० क्रि० खींचना; आकृष्ट करना (२) मुग्ध करना आकस्मिक वि. आकस्मिक ; अचानक आकळविकळ वि० आकुल; बेचैन आकळु वि० अधीर (२) गुस्सावर आका पुं० आका; मालिक आकाडोडी, आकादोडी स्त्री० आकका घूआ या डोंडी आकार पुं० आकार; आकृति; शक्ल (२) लगान मुक़र्रर आकारणी स्त्री० जमाबंदी (२) अंकाई; कूत (३) आँकनेका औजार; अंकन आकार स० क्रि० मूल्य ठहराना (२) कूतना; आँकना (३) पैमाइश करना (४) - के नाम डालना आकाश न० खाली या शून्य स्थान; अवकाश (२) आकाश; गगन आकीन पुं०; न० यक़ीन; श्रद्धा आकुल, (-ळ), व्याकुल, (-ळ) वि० बहुत घबड़ाया हुआ; व्याकुल आक्षेप पुं० आक्षेप ; इलज़ाम (२)निंदा आखडवू अ०क्रि० भटकना (२) ठोकरें खाना (३) भिड़ जाना आखडी स्त्री० मानता; मनौती आखर स्त्री० आखिर; अंत (२)अ० आखिरमें आखरघडी स्त्री० अंतिम पल (२) मौतका वक्त; अंतकाल आखरण न० जामन आखरवु स० क्रि० जमाना (दही) आखरी वि० आखिरी; अंतिम आखरे अ० आखिरकार (२) हारकर आखलो पुं० साँड़ आखळियो पुं० (रोटी बेलनेका) चकला आखाखाउ वि० (बगैर हक़) पूराका पूरा खा जानेकी वृत्तिवाला; लोभी आखाबोलुं वि० स्पष्टवादी (२)कटुभाषी आखं वि० पूरा; अखंड ; साबित आग पुं० आगम; आना आग स्त्री० आग; अग्नि (२) जलन (३) आग (लगना) (४) क्रोध आगगाडी स्त्री० रेलगाड़ी आगतास्वागता स्त्री० आगत-स्वागत; आव-भगत आगबोट स्त्री० अगिनबोट ; 'स्टीमर' आगमच, आगमज अ० आगेसे; पहलेसे आगमण स्त्री० चूल्हेका अगला हिस्सा (जहाँ कोयले बुझाये जाते हैं) आगमन न० आगमन आगरण स्त्री०लोहारखाना या लुहारकी भट्ठी (२) सुनारकी भट्ठी For Private and Personal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आगली पाछली आगली पाछली स्त्री० पुरानी या गई गुज़री बात ।[-काढवी = पुरानी बातें याद करना;गड़े मुर्दे उखाड़ना।-काढी नाखवी, भूलवी = गई गुज़री भूल जाना; माफ़ करना.] आगलं (लु,) वि० अगला (२) मुख्य आगलुपाछलुं वि०(२)न० आगे-पीछेका; अगला-पिछला आगवाळो पुं० आगवाला; 'फायरमैन' आगq वि० अपना आगवो पुं० अगुआ; राहबर आगळ अ० अगाड़ी; आगे (२)पासमें; बग़लमें (३) सामने (४) आइंदा; आगे आगळियो पुं०, आगळी स्त्री०, आगळो पुं० अगड़ी; अरगल आगाही स्त्री० आगाही; भविष्यवाणी आगियो पुं० जुगनू (२)ज्वार-बाजरेका एक रोग; आगड़ा (३) सफ़ेद ज्वार (४) वेताल आगुवो पुं० देखिये 'आगवो' आगे अ० आगे; अगाड़ी आगेकदम न०, आगेकूच स्त्री० आगे बढ़ना; प्रगति आगवान वि० आगे चलनेवाला (२) पुं० नेता; अगुआ आगेवानी स्त्री० अगुआई; अगवानी आगोतर, आगोतरं वि० आगेका; शुरूका; पहलेका (२) पासका आधु वि० दूर (२)क्रि०वि० आगे; पास; उदा० 'आधु आव' आधुपाछु वि० (समय या अंतरमें) आगे-पीछेका (२) (स्थान-फेरके कारण) जो नजर न आये (३) झूठ-सच । [-करवं = हेर-फेर करना (२) छिपाना।-जोवू =आगे-पीछेका आजकाल पूरा खयाल करना; परिणाम पहलेसे सोचना। -थq = इधर-उधर बेकार घूमना (२)छिपना या हट जाना.] आघे अ० दूर; परे आघेथी अ० दूरसे आधेनुं वि० दूरका (२) भविष्यका आचकी स्त्री० नसोंका तनाव; ऐंठन आचको पुं० हचकोला; दचका; धक्का (२) संकोच; आना-कानी[ला. (३) धड़का (४) हानि; घाटा आचमन न० आचमन; अचवन (२) प्रवाही प्रसाद आचमनी स्त्री० आचमनी आचरकूचर वि० फुटकर(२)न०खानेकी फुटकर चीजें (३) फुटकर चीज़-वस्तु आचार पुं० आचार; बरताव (२) सदाचरण (३) आचार-विधि (४) शास्त्रोक्त आचार(५)शिष्ट संप्रदाय आचारविचार पुं० ब० व० आचारविचार (२) धार्मिक रीति-रिवाज और मान्यताएँ आछकलाई स्त्री०, आछकलापणुं न०, आछकलावेडा पुं०ब०व० छिछोरापन आछकलुं वि० छिछोरा (२) फूलकर कुप्पा हो जानेवाला आछर पुं० पोशाक (२) बिछावन (३) गधेकी पीठ पर रखनेकी गद्दी आठरवू अ० क्रि० घटना; उतरना (२) नरम होना (३) बिछाना आफु वि० छिदरा; झीना(२)कम; थोड़ा (३)धुंधला तैसा आछुपातळ वि० थोड़ा-बहुत (२)जैसाआज अ० आज (२) स्त्री० आज आजकाल अ० आज-कल (२) अभी; । हाल (३) स्त्री० आज-कल । -करवी For Private and Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आजनुं www.kobatirth.org = आज-कल करना; टाल-मटोल करना. ] आज वि० आजका; हालका ( २ ) आज-कलका; अर्वाचीन ( ३ ) कमसिन आजम वि० आज़म; बड़ा (२) माननीय; बुजुर्ग [मक रोग आजार पुं० आज़ार; बीमारी (२) संत्रा - आजारी वि० बीमार; रोगी; मरीज़ आजी स्त्री० माँकी माँ; नानी आजीजी स्त्री० आजिज़ी; गिड़गिड़ाहट आजीविका स्त्री० आजीविका; गुज़रान; निर्वाह (२) निर्वाहका साधन; रोजी आजुबाजु, आजूबाजू अ० आस-पास ; इर्द-गिर्द ; चारों ओर आजे अ० आज आजो पुं० माँका बाप; नाना आज्ञा स्त्री० आज्ञा (२) रजा; इजाज़त आज्ञापत्रिका स्त्री० आज्ञापत्र ; फ़रमान (२) सरकारी 'गैज़ेट '; गज़ट आज्ञार्थ पुं० आज्ञार्थ; विध्यर्थ [व्या. ] आज्ञांकित वि० आज्ञाकारी; ताबेदार आझम वि० देखिये ' आजम ' आझाद वि० आजाद; स्वतंत्र आझादी स्त्री० आज़ादी ; स्वतंत्रता आटआटलं वि० इतना इतना आटलामां अ० इतनेमें ( २ ) पासहीमें; यहीं कहीं आटलं वि० इतना आटापाटा पुं० ब० व० एक खेल आटापाणी न० ब० व० दाना-पानी; खुराक (२) आजीविकाके साधन [ला. ] आटालूण न० आटा -नमक ( २ ) व्यर्थ होना [ला. ] आटो पुं० आटा; पिसान (२) चूरा । [-काढवो = खूब थका डालना . ] २० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आडंबरी आटोप स०क्रि० समेटना (२) निबटाना; समाप्त करना ( ३ ) बंद करना आठ वि० आठ; ८ आठम स्त्री० आठें; अष्टमी आड (ड) स्त्री० आड़; आड़ा तिलक (२) हठ । [ - पकड़वी, लेवी = हठ या ज़िद पकड़ना. ] आड (ड) स्त्री० आड़; ओट; परदा (२) रोक; रुकावट (३) प्रतिबंध; बाधा (४) 'उप' जैसा पूर्वग जो 'गौण' अर्थ बताता है; उदा० 'आडकथा' । [ - मां मूकवुं = क़र्ज़ लेते समय जमानतके तौर पर कोई चीज़ एवज़में रखना. ] [ परोक्ष आडकरुं वि० टेढ़ा-मेढ़ा; तिरछा (२) आडकथा स्त्री० उपकथा (२) बातचीतमें विषयांतर करना आडखील, (ली) स्त्री०, आडखीलो पुं० विघ्न ( २ ) अर्गला आडगीरो पुं० बंधक रखी हुई चीजको दुबारा बंधक रखना आडणी स्त्री० ( रोटी बेलनेका ) चकला आडत स्त्री० आढ़त आडतियो पुं० आढ़तिया; आढ़तदार आडत्रीस वि० अड़तीस ; ३८ आडधंधो पुं० गौण धंधा [भूला हुआ आडफेटियुं, आडफेटुं वि० गुमराह; रास्ता आडभींत स्त्री० ओट या परदेके लिए बनाई हुई दीवार आडरस्तो पुं० राजमार्ग नहीं ऐसा गली कूचेका रास्ता ( २ ) पथ भ्रष्टता; गुमराही आडश स्त्री० आड़; परदा [बँडेर आडसर पुं०; स्त्री०; न० पाल; बाँध (२) आडंबर पुं० घटाटोप ( २ ) ठाट; दबदबा (३) आडंबर; दिखावा (४) अहंकार आडंबरी वि० आडंबरी; ढोंगी For Private and Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आडाई आडाई स्त्री० आड़ापन; टेढ़ाई ( २ ) हठ; दुराग्रह; जिद आडाबोलुं वि० झूठ बोलनेवाला; टेढ़ी बात करनेवाला आडियं न० आरा ; करवत ( २ ) तिलक करनेका साधन ( ३)आधी अंजलीभरकी एक माप ( ४ ) बच्चोंका आस्तीन से नाकके रेंटको पोंछना आडी स्त्री० आड़े रखनेकी चीज़ (२) ( बँडेरसे पतली ) बल्ली (३) मनौती (४) हठ (५) सीमा (६) कुश्तीका एक पेंच ( ७ ) आड़ा तिलक; आड़ आडीवाडी स्त्री० कुटुंब-क़बीला ; बालबच्चे मडुं वि० आड़ा; जो सीधा न हो (२) खड़ेका उलटा (३) बीचमें पड़ा हुआ या बीचमें आये ऐसा ( ४ ) हठी (५) अड़ंगेबाज़; रुकावट डालनेवाला (६) परोक्ष (७) टेढ़ा; बाँका (८) विरुद्ध; बीचमें आता हुआ ( ९ ) अ० तिरछी दिशामें (१०) न० बैलगाड़ीका खड़ा डंडा (११) भूतपलीत इत्यादि । [आडी जीभ करवी = बीचमें झूठ बोलकर रुकावट डालना । - (-डे) आववं = बीचमें ( बाधा या मददके रूपमें ) पड़ना । - ( - डे) ऊतरबुं = कार्यके बीचमें आकर विघ्न या मदद पहुँचाना ( २ ) असगुन होना (खास करके बिल्लीसे) । - थवं = लेटना (२) आड़ा, विरुद्ध या हठी होना । - पडवुं = लेटना ( २ ) बीचमें बाधा डालना; विरोध करना । - फाटयुं = बीचमेंसे दूसरे रास्ते मुड़ जाना ( २ ) बुरा रास्ता पकड़ना ( ३ ) बाधक होना. ] २१ आणीपार आडं अवळं वि० (२) अ० उलटा-सीधा; इधर-उधर (२) बेढंगा [ला. ] (३) खराखोटा; झूठा सही गलत । [ - लेबुं = खूब धमकाना; आड़े हाथों लेना (२) घूस खाना.] [ बात आडुंबोढुं वि० उलटा-सीधा (२) न ० वैसी आडे अ० आड़े; बीचमें (२) विरोधमें आडेदहाडे अ० बहुत कामके या त्योहारके दिनके सिवा और किसी दिन आडेवड, आडेबडे अ० अंधाधुंध ; बेहिसाब; मनचाहे वैसे आडो पुं० विरोध; रुकावट (२) हठ; ज़िद आडो आंक पुं० सीमा; हद; मर्यादा । [ - वाळवो = हद करना; ग़ज़ब ढांना. ] आडोडाई स्त्री० देखिये ' आडाई ' आडोशपाडोश पुं० अड़ोस-पड़ोस; पासपड़ोस (२) आसपास रहनेवालोंका समूह आडोशीपाडोशी पुं०; न० अड़ोसी पड़ोसी आण (ण) स्त्री० आज्ञा; आन (२) मनाही; शपथ (३) घोषणा । [ - देवी (देव, देवी आदिका नाम लेकर ) मना करना । - फरवी, वर्तवी = हुक्म या सत्ता चलना । - फेरववी, वर्ताववी = हुक्म चले ऐसा करना; ढिढोरा पिटवाना. ] [ ( २ ) अधिकार आणदाण स्त्री० वसूल करनेकी सत्ता आणपाण स्त्री० चवन्नी, आना, पैसा बतानेवाली आड़ी-खड़ी लकीरें; पाई आदि; उदा० '017||| ' आणवं स० क्रि० लाना; आना आणी स्त्रीलिंगका एक प्रत्यय - आनी; उदा० 'देवर-देवराणी' आणीकोर, आणीपा अ० इस ओर आणीपार अ० इस पार; इस तरफ़ = Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only आणीगम, आणीतरफ, Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आणीपास २२ आदाशीशी आणीपास अ० इस ओर चरणोंमें समर्पित करना; नवधा आणीपेर अ० इस तरह भक्तिका एक प्रकार आणीबाज अ० इस तरफ़ आत्माराम वि० आत्माराम (२) पुं० आणुं न० गौना (२) उस समयका आत्म-ज्ञानका प्रयासी योगी (३) जीवनेग। [-आवq = वधूको ससुरालसे न्मुक्त योगी (४) आत्मा; परमात्मा बुलावा आना। -करवं= गौना करना आथड, अ.क्रि० भटकना (२) लड़ना (२) गौनेकी रस्म करना.] आथमणुं वि० पश्चिमी; मग़रिबी आणे (आ'णे,) स० इस आदमीने आथमवं अ० क्रि० अस्त होना (२) (२) इससे पतनकी ओर जाना । आतम पुं० आत्मा आथर पुं० घासकी तह (२) चादरा; आतमराम पुं० अपनी आत्मा बिछावन आतवार पुं० रविवार; इतवार आचरण न० चादर(२)बिस्तर;बिछौना आतश, आतस पुं० आतिश; आतश; आथर, सक्रि० बिछाना (२) घासकी अग्नि (२) जलन (३) क्रोध गंजी बनाना (३) ढंकना आतशपरस्त वि० आतिशपरस्त; आथवण न० खमीर (२) पाचनक्रियामें अग्नि-पूजक (२) पुं० पारसी उपयोगी पदार्थ; 'एन्झाईम' पर.वि.] आतशबहेराम पुं० अगियारी; आथर्बु स० क्रि० फल या तरकारीको आतिशखाना मिर्च-मसाला लगाकर तेलमें रखना आतशबाजी स्त्री० आतिशबाजी (२) खमीर उठाना आतुर वि० आतुर; -से पीड़ित (२) आथो पुं० खमीर उठना (२) खमीर । अधीर; आकुल (३) उत्सुक । -आववो, चडवो= खमीर उठना.] आतो पुं० ज्येष्ठ पुत्र (२) दादा आदत स्त्री० आदत; टेव; अभ्यास आत्मपरीक्षण न० आत्मनिरीक्षण आदम पुं० आदम (२) मनुष्य आत्मबंषु पुं० अपना-निजी संबंधी आदमजात स्त्री० मनुष्यजाति (मामा, मौसी या फूफी आदिका बेटा) आदमी पुं० आदमी; मनुष्य आत्मबुद्धि स्त्री. अपनी समझ २) आदर पुं० आदर; सन्मान; पूज्यभाव अपनेपनकी समझ (३) स्वार्थपरता; आदर स० क्रि० शुरू करना (२) खुदगर्जी आदर-सत्कार करना (३) प्रेम दिखआत्मभान न० अपनी जातका भान लाना (विवाहके लिए) आत्मभाव पुं० आत्मभाव; गर्व; अहंभाव आदवेर न० पुराना बैर; क़दीमी (२)अपनी रक्षा और विकासकी इच्छा अदावत (२) कट्टर बैर (३) सबमें अपनासा आत्मा है ऐसी आदानप्रदान न० आदान-प्रदान;लेन-देन भावना आदापाक पुं० अदरक-पाकः (२) मार; आत्मसमर्पण न० आत्मनिवेदन; अपने मरम्मत [ला.] आपको और अपना सब कुछ ईश्वरके आदाशीशी स्त्री० आधासीसी ज्ञान For Private and Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदि २३ आफरीन आदि वि० आदि; आदिका (२) मुख्य; - आपघात पुं० खुदकुशी; आत्महत्या प्रधान (३) वगैरह; इत्यादि (४) आपण स० (सामान्यतः पद्यमें) मैं या पुं० प्रारंभ; शुरू (५) मूल कारण हम और तुम या आप; अपन [प.] (६) पहला पद [ग.] आपणं स० अपना (२) हमारा । आदिमजाति स्त्री० आदिमजाति आपणे स० देखिये 'आपण' (२) मैं; आदिवासी वि० आदिवासी उदा० 'भाई, आपणे एमां मानता नथी' आq न० अदरक (३) तुम ; आप [कठिनाईके दिन आध वि० आधा आपत्काळ पुं० आपत्काल; मुसीबत - आषण, आधरण न० अदहन आपत्ति स्त्री० आपत्ति(२)दुःख मुश्किल आषार पुं० आधार; टेक (२)सहारा; आपद, आपदा स्त्री० आपद्; आपदा आलंबन (३) सबूत; प्रमाण (४) आपभोग पुं० स्वार्थत्याग ‘फल्क्रम' [प. वि.] [ग्रंथ आपमतलबियुं, आपमतलबी वि० आधारग्रंथ पुं० प्रमाणभूत या प्रमाणरूप मतलबी; खुदग़र्ज़; स्वार्थी आधाशीशी स्त्री० आधासीसी आपमतियुं, आपमतीलुं वि० अपनी ही आधीन वि० अधीन; मातहत बुद्धिके अनुसार चलनेवाला; खुदराय आधेड वि० अधेड़; ढलती उम्रका आपमुखत्यार वि० खुदमुख्तार; स्वतंत्र आनंदवं अ० क्रि० खुश होना आपमेळे अ० अपने-आप; खुद-ब-खुद आनंदी वि० आनंदी; खुशमिजाज आपरखु वि० अपना ही खयाल रखनेआनाकानी स्त्री०आनाकानी आगापीछा वाला (२)स्वार्थी आनावारी स्त्री० कनकूत; दानाबंदी आपले स्त्री० लेना-देना; आदान-प्रदान आनी स्त्री० इकन्नी (२) सोलहवाँ आपवडाई स्त्री० आत्मश्लाघा; खुदभाग [ला.] नुमाई आप न०आपा; अपना स्वरूप(२)खुदी; आपवीती स्त्री०आपबीती(२)आत्मकथा अहंता (३)स्वशरीर(४) स० आप; आपवं स० क्रि० देना (२) सौंपना 'तुम' का आदरार्थक रूप (५)खुद; आपे अ० आप ही आप; स्वतः; मन स्वयं (समासमें) अपना __ ही मन [बुजुर्ग [ला.] आपआपणुं वि० अपना-अपना; आप- आपो पुं० पिता (२) वृद्ध मनुष्य; आपआपमां अ० आपस-आपसमें; अंदर आपोआप अ० खुद-ब-खुद ; स्वयं ; आप ही अंदर स्वोपार्जित धन ही आप (२) स्वाभाविक रीतिसे आपकमाई स्त्री० खुदकी कमाई; आफणीए अ० [प.] अपने-आप (२) आपकर्मी वि० अपने ही पुरुषार्थ पर यकायक आधार रखनेवाला; स्वावलंबी आफत स्त्री० आफ़त आपखुद वि० खुदराय; स्वेच्छाचारी; आफर, अ० क्रि० अफरना निरंकुश चार आफरीन अ० क़ुरबान, फ़िदा, खुश-खुश आपखुवी स्त्री० खुदमुख्तारी; स्वेच्छा- हुआ हो ऐसे; बलि गया हो ऐसे (२) For Private and Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - २४ आफरो आमचूर आफ़री; शाबाश; धन्य (उद्गार) . . • आबादानी, मोबादी स्त्री आबादानी; (३) स्त्री० शाबाशी [खानेसे) ___ आबादी; समृद्धि आफरो पुं० अफरा; अफारा (ज्यादा आबेहूब वि० हूबहू; वैसा ही आफलातून पुं० देखिये ‘अफलातून' आबोहवा स्त्री० आबहवा; हवापानी (२) वि० सुंदर आभ न० आकाश; आसमान (२) आफळवू अ० क्रि० टकराना; भिड़ बादल । [-तूटी पडq = आसमान जाना (२) विफल होना फटना। -फाटQ = आसमान सिर आफूस स्त्री० आमकी एक जाति पर टूट पड़ना । -ना तारा देखाडवा आफ्रिदी वि० भारतकी पश्चिमोत्तर = खूब परेशान करना । -नी साये सीमा पर बसनेवाली एक पठान बाथ भीडवी=बूतेसे ज्यादा हिम्मत जातिका (२)पुं० उस जातिका आदमी; करना.] अफ़रीदी आभडछेट स्त्री० अस्पृश्यको छूना (२) आव न० आब; पानी (२) तेज; छूतछातका खयाल; छुआछूत (३) नूर (३) धारकी तेज़ी- तीक्ष्णता रजस्राव (४) प्रसवके समय निकलनेआबकारी स्त्री०शराब चुआने या खींच- वाला लहू, आँवल वगैरह नेका काम (२) शराब वगैरह मादक आभडवू अ० क्रि० अस्पृश्यको अनेसे चीजों पर कर (३) वि० उस करसे अपवित्र होना (२) स्पर्श करना; छूना। संबंधित . [आभडवा जq=किसीके अंत्येष्टिआबखोरो पुं० आबखोरा संस्कारमें जाना. आबरू स्त्री० आबरू; कीर्ति; साख; आभलुं न० आकाश; आसमान (२) नाम (२) स्त्रीकी लाज [ला.] । बादल(३) आईना(४) छोटा गोल दर्पण [-उघाडवी, उघाडी करवी= इज्जत (जो कपड़ों पर लगाया जाता है) उतारना; बेआबरू करना। -काढवी आभार पुं० उपकार; एहसान = नाम निकालना (२) (व्यंग्यौ) नाम आभारदर्शन न० एहसान मानना डुबाना; बदनाम होना। -ना कांकरा आभालाड पुं० (मनसे गढ़ा हुआ)भारी = बेआबरू; फ़ज़ीहत। -पर हाथ मुनाफ़ा -फ़ायदा (२) मनके लड्डू नाखवो = इज्ज़त पर हाथ डालना(२) खयाली पुलाव (३) अशक्य आशा सूखीकी लाज लेना; बलात्कार करना. आभुं वि० चकित; हैरान; भौंचक आक्दार वि० प्रतिष्ठित; इज्ज़तदार आम पुं० आँव (२) पेचिश मी पुं० अब्बा; पिता (२) दादा आम अ० इस तरह (२) इस ओर; यहाँ आबाद वि० आबाद; बस्तीवाला (२) आम वि० आम; साधारण; सामान्य संपन्न; खुशहाल; फलता-फूलता (३) आमचुं न० कच्चे आमकी सुखाई हुई उपजाऊ; ज़रखेज़ (जमीन) (४) फांक; अमहर (२) किसी भी खट्टे सलामत; सुखी (५) सुंदर; खूब फलकी सुखाई हुई फाँक (६)अचूक (७) अ० बिना चूके; खूब आमचूर न० आमका अचार आदि For Private and Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरम् बट देना । -राखवो = टेक या द्वेषका भाव होना.] आमंत्रणपत्रिका स्त्री० निमंत्रण-पत्र आमेज वि० आमेज ; शामिल ; मिलाया हुआ आमजनता आमजनता स्त्री० आम जन आमटी स्त्री० इमलीके पानीकी कढ़ी या दाल (दक्षिणी ढंगकी) आमणे (आ'म) स० इन्होंने आमतेम अ० अव्यवस्थित ढंगसे; किसी भी तरहसे (२) इधर-उधर आमतेमथी अ० किसी भी प्रकारसे (२) कहींसे; इधर-उधरसे आमथी अ० इस ओरसे आमदनी, आमदानी स्त्री० आमदनी; आय (२) पैदावार; उपज आमनुं वि० इस ओरका; इधरका (२) (आ'म) स० इनका । [आमनो सूरज आम ऊगवो=अनहोनी होना;इधरकी दुनिया उधर हो जाना. आमन्या स्त्री० आज्ञापालन(२)मर्यादा; लिहाज।[-पाळवी, मानवी, राखबी = आज्ञानुसार बरतना; आज्ञा शिरोधार्य करना (२) अदब-लिहाज़ रखना। -मां रहे-की आज्ञा या मर्यादाका लोप न करना. गंधक आमलसारो गंषक पुं० आँवलासार आमली स्त्री० इमली; इमलीका पेड़ और उसका फल (लड़कोंका) आमलीपीपळी स्त्री० एक खेल आमवर्ग पुं० आम-साधारण लोगोंका समाज; जनसाधारण आमसभा स्त्री० आम-जलसा; जनसाधारणकी सभा (२) उसके प्रतिनिधियोंकी सभा [ड़ना; उमेठना आमळवू सक्रि० बटना; ऐंठना; मरोआमळी स्त्री० आँवला; आँवलेका पेड़ आमळु न० आँवला; आमला (फल) सामळो पुं० बट; ऐंठन (२) टेक; अभिमान (३) द्वेष; वो आय न० आयु; उम्र आय स० (२) वि० यह (पारसी) आय पुं० आय; लाभ (२) उपज आय (आ'य) स्त्री० शक्ति (२) हिम्मत आयखं न० आयुष्य ; जिंदगी; जीवन आयत स्त्री० आयत; कुरानका वाक्य आयताराम पुं० मुफ्तखोर [मुफ्तका आयतुं वि० अनायास मिला हुआ; आयनो पुं० आईना विरसा आयपत स्त्री० आय; आमदनी (२)न० आयपतवेरो पुं० आयकर आयव्यय पुं० आय-व्यय ; आमद-खर्च आयंदे अ० आयंदा; आइंदा; भविष्यमें (२) अंतमें; फलतः __ आया स्त्री० आया; धाय आयात वि० आयात; बाहरसे आया हुआ (माल) (२) स्त्री० बाहरसे आनेवाले मालकी आमद आयोजन न० आयोजन; व्यवस्था; प्रबंध (२) उसकी साधन-सामग्री आयोजना स्त्री० व्यवस्था; संगठन आर (आर) पुं० माड़ी (२) आहार आर स्त्री० आर; अरई; (लोहेकी) (पैने आदिकी) (२) छोटा पैना (३) आर; सूआ (मोचीका) आरगणुं न० आरा; सूआ (मोचीका) आरजू स्त्री० आरजू; इच्छा (२)आशा (३) आतुरता आरड, अ.क्रि० गला फाड़कर बोलना; डकराना (चौपायों आदिका) (२) For Private and Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरणकारण आलपाको ऊँची, बेसुरी आवाज निकालना आरियु न० ऑरिया; फूट रेंकना [ला.] [अनिश्चित आरी स्त्री० आरी; छोटा करवत (२) आरणकारण न० बहाना (२) वि. मोचीका एक औज़ार; सूआ आरत वि० आर्त (२) विपद्ग्रस्त (३) आरेषु वि० तूफ़ानी (२) झक्की; हठी ज़रूरी (४) आतुर (३) न० पक्के साढ़े तीन मनकी एक आरत स्त्री० आति ; पीड़ा; संकट (२) माप या वज़न चाव; उत्साह रखनेका पात्र आरो पुं० किनारा (२) अंत (३) आरतियुं न० आरती; आरतीका दीपक छूटनेका उपाय ; चारा [ला.] आरती स्त्री० आरती; देव आदिकी आरो पुं० आरा; पहियेकी गड़ारी और मूर्तिके समक्ष दीपक घुमाना (२) उस पुट्ठीके बीचकी पटरी समय गाया जानेवाला स्तोत्र; आरती आरोगq स० क्रि० जीमना (३)आरतीका दीपक रखनेका पात्र; ___ आरोप पुं० आरोप; इलज़ाम (२) आरती (४) एक छंद। [-उतारवी, आरोपण लगाना;रखना।[-आववो= करवी आरती उतारना (२) मान, दोष या इलज़ाम लगना । -मूकवो, पूजा या अभिनंदन करना [ला.]] लगाववो = दोष लगाना.] आरपार अ० आर-पार आरोपण न० आरोपण; एक वस्तुमें आरब पुं० अरब ; अरब देशका निवासी दूसरीके गुण-धर्मकी कल्पना (२) आरस, आरसपहाण पुं० संगमरमर आरोप; इलज़ाम (३) संस्थापन (४) आरसो पुं० बड़ी आरसी; आईना रोपना; लगाना; रखना; मढ़ना आरंभ पुं० आरंभ; तैयारी; शुरू आरोपवू सक्रि० एक पदार्थमें दूसरेके आरंभ स० कि० शुरू करना (२) गुण-धर्मकी कल्पना करना (२) ऐब तैयारी करना या इलजाम लगाना (३) घालना; आरंभशूर, आरंभशूरुं वि० क्षणिक रखना; लगाना; डालना; उदा० उत्साह दिखानेवाला; शुरूमें उत्साह 'वरमाळा आरोपवी; मन प्रभुमां दिखाकर बादमें शिथिल होनेवाला आरोपवू' इ० आराम पुं० आराम सुस्ताना (२) शान्ति आरोपी वि० मुलज़िम; अभियुक्त (३) दुःख वगैरहमेंसे छुटकारा (४) आरोवारो पुं० छुटकारा (२) आखिर क़वायदमें आरामसे खड़ा रहनेका आरोहण न० आरोहण; चढ़ना (२) हुक्म । -मळवो = थकावट दूर सवार होना (३) ऊपर बैठना करनेके लिए समय या अवकाश आर्द्रतामापक वि० आर्द्रता या नमी नापे मिलना. ऐसा (२) न० ऐसा यंत्र; 'बैरोमीटर' आरामखुरशी स्त्री० आरामकुरसी आवायु पुं० 'हाइड्रोजन' आरियां न० ब० व० नाव, जहाज़ आलपाको पुं० अलपाका; एक प्रकारकी वगैरहके पाल उतारना भेड़ (२) उसके ऊनसे बनाया जाता आरियुं न० टोकरा कपड़ा; अलपाका For Private and Personal Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आलपाल आलपाल स्त्री० सेवा - टहल (२) देखभाल (बालकोंकी) आलबम न० अलबम आलबेल स्त्री० सब सलामत है ऐसा सूचित करनेवाली संतरीकी पुकार । [- पोकारवी = 'आलबेल' पुकारना. ] आलमगीर वि० दुनियाको जीतनेवाला (२) पुं० औरंगज़ेबका उपनाम आलबुं स० क्रि० देना आलंबन न० आलंबन आला वि० आला; श्रेष्ठ आलापवुं स०क्रि० अलापना; बोलना (२) आलापके साथ गाना; आलापना; अलापना " आलांबालां न० ब० व० बहाने आलिम वि० आलिम; पंडित; विद्वान् आलिंगवुं स०क्रि० भेंटना ; गले लगाना आली वि० आली; भव्य ; उच्च ; ऊँचा आलीशान वि० देखिये आलेशान आलु न० ज़रदालू; खूबानी आलेख पुं० आलेख ; लिखावट ( २ ) पट्टा ; दस्तावेज़ ( ३ ) सनद ( ४ ) मुहर; 'सील' (५) 'ग्राफ़'; आलेख; मानचित्र (६) चित्र शानदार आलेखवं स०क्रि० अंकित करना; रेखा खींचना ( २ ) उरेहना (३) लिखना आलेशान वि० प्रतिष्ठित; उत्तम ( २ ) बहुत बड़ा ( ३ ) आलीशान ; भव्य; [करना आलोक स०क्रि० देखना ( २ ) अवलोकन आलोपालो पुं० आला - पाला; पेड़की पत्तियाँ, जड़ें वग़ैरह वनस्पति आव स्त्री० आमद; आयात आवक स्त्री० आना; आगमन ( २ ) आय; आमदनी ( ३ ) कमाई; उपज २७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आब आवक जावक स्त्री० आना-जाना ( २ ) आय - व्यय ( ३ ) उसकी बही आवकवेरो पुं० आयकर (२) चुंगीकर; आयातकर आवकार पुं० आव-भगत; सत्कार । [ - आपवो, देवो = स्वागत करना; 'खुश - आमदीद' कहना.] आवकारवुं स० क्रि० आव-भगत या स्वागत-सत्कार करना आवची बावची स्त्री० एक वनस्पति या उसके बीज; बनतुलसी आवजा, आवजाव स्त्री० आना-जाना; आमद रफ़्त [कारी ; कुशलता आवड, आवडत स्त्री० आना; जानआवडवुं अ०क्रि० आना; जानना; - से वाकिफ़ होना; - की जानकारी होना आवडुं वि० इतना आवरदा पुं०; स्त्री०; न० आयुष्य ( २ ) ज़िंदगानी | [ - बहु लांबो छे = किसीको याद करते ही वह आ पहुँचे तब बोला जाता उद्गार । -नुं पूरं -नुं बळियुं = पूरी उमरवाला; नसीबदार. ] आवरखं स०क्रि० ढँकना (२) छा जाना; व्याप्त होना ( ३ ) घेरना आबरो पुं० मासिक आय-व्ययके हिसाबकt खाताबही ( २ ) आमद आवरोजावरो पुं० आना-जाना ( २ ) आय-व्यय आववुं अ०क्रि० आना; दूरकी जगहसे पास पहुँचना ( २ ) आना; अंतर्भाव होना; उदा० 'अमदावाद गुजरातमां आव्युं' (३) पैदा होना; निकलना ( फल, फूल, क्रोध, दाँत आदि ) ( ४ ) ( कपड़ा वग़ैरह) ठीक बैठना; छोटाबड़ा न होना; अँटना ( ५ ) ( हिसाब ) For Private and Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आवळ बैठना ; मिलना ( ६ ) समाना (७) -में दर्द होना; (आँख) उठना । [ आवी चडवुं = आ धमकना । आवी चूकवुं = पूरा हो जाना ( २ ) कम पड़ना । आवी पडवं = आ पड़ना । आवी बनवुं = भारी संकटमें आ जाना । आवी मळवुं = अचानक मिल जाना या प्राप्त होना. ] आवळ पुं०; स्त्री० एक वनस्पति आ वार अ० इस बार इस समय आबुं (आ'वुं ) वि० ऐसा आवृत्ति स्त्री० आवृत्ति; चक्कर लगाना (२) लौटना ( ३ ) बार बार होना; बार बार करना (४) पुस्तकका फिरसे छपना; आवृत्ति; संस्करण आवेग पुं० आवेग; प्रबल मनोवेग ; जोश (२) आवेश; क्षोभ (३) उतावली ; दौड़ा-दौड़ी [गुस्सा आवेश पुं० आवेश; जोश ; उत्साह ( २ ) आशक पुं० आशिक़ ; प्रेमी ( २ ) वि० आशिक़ ; आसक्त; मोहित; फ़िदा आशकमाशूक न० ब० व० आशिक़(आदि लेना माशूक़ आशका स्त्री० देवताकी आरती, भस्म आशनाई स्त्री० आशनाई; मित्रता; दोस्ती आशय पुं० आशय; मनसूबा ; इरादा (२) न० स्थान; आशय ( ३ ) पात्र ( ४ ) किये हुए कर्मोंके संस्कार या उनका समूह आशरे अ० क़रीब ; लगभग; अंदाज़न् आशरो पुं० आसरा ; आश्रय; छत्रछाया; सहारा (२) आधार; अवलंब ( ३ ) अंदाज़ा; तखमीना । [आशरे जवं शरणमें जाना; आश्रय स्वीकार करना । -काढवो = अंदाज लगाना. ] २८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आसामी आशाभयं वि० आशान्वित आशावादी वि० आशावादी; जो होता है वह भलेके लिए होता है इस सिद्धान्तको माननेवाला ( २ ) पुं० ऐसा पुरुष आश्रम पुं० ; न० आश्रम; विश्रामस्थान; रहनेका स्थान ( २ ) विश्रान्ति ( ३ ) साधु-संतकी कुटी; पर्णकुटी ( ४ ) जीवनके चार विभाग या अवस्थाएँ; आश्रम (५) राष्ट्रीय या धार्मिक हलचलका प्रधान स्थान आसन न० आसन; बैठनेकी जगह ( २ ) बैठने, सोने या खड़े रहने का ढंग ( ३ ) वह चीज जिस पर बैठा जाय; आसन ( ४ ) लकीरोंसे बनाया हुआ कोष्ठक; खाना आसनावासना स्त्री० आश्वासन ( २ ) खातिरदारी; आव-भगत For Private and Personal Use Only आसमान न० आसनियुं न० आसनी ; छोटा आसन आसमान । - जमीन एक थवां = आकाश-पाताल एक होना; बहुत बड़ा अनर्थ होना; प्रलय होना । सातमा आसमान पर चडं = = आसमान पर उड़ना.] आसमानी वि० आसमानी; आसमानके रंगका (२) दैवी (३) स्त्री० आसमानी ग़ज़ब ; दैवकोप आसमानी सुलतानी स्त्री० दैवकी और राजाकी ओरसे ढाया जानेवाला दोहरा ग़ज़ब आसंघ स्त्री० एक औषधि; असगंध आसाएश स्त्री० आसाइश; आराम आसान वि० आसान; सहल आसानकेद स्त्री० सादी क़ैद ; क़ैद - महज आसामी पुं०; स्त्री० आसामी ; आदमी; व्यक्ति ( २ ) क़र्ज़दार; असामी ( ३ ) Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आसुरविवाह मालदार - प्रतिष्ठित आदमी (४) ग्राहक; मुवक्किल आसुर ( - री) विवाह पुं० आसुर विवाह; कन्याविक्रयवाला विवाह आसो पुं० असोज; आश्विन मास कुआर आसोपालव पुं० अशोक वृक्ष आस्ते अ० आहिस्ता आस्था स्त्री० आस्था; आदरभाव ( २ ) श्रद्धा; धर्मविश्वास ; यक़ीन (३) पूँजी आह स्त्री० आह; हाय ( २ ) अ० आह; हा आहा, (०हा) अ० आहा आहीर पुं० अहीर; ग्वाला आहीरडी, ( - ण, - णी) स्त्री० अहीरिन; अहीरकी स्त्री आहेडी पुं० अहेरी; शिकारी आळ न० कलंक; तोहमत (२) ढकोसला; बहाना (३) स्त्री० नटखटी । [ - ऊतरखं = कलंक टलना । - मूकवुं = बोहतान जोड़ना; तोहमत लगाना ] आळपंपाळ वि० मिथ्या (२) जो सत्य न हो ( ३ ) फुसलानेवाला (४) न० आश्वासन ( ५ ) भूतप्रेतादि आळवीतरं वि० तूफ़ानी; ऊधमी आळस स्त्री० ; न० आलस्य; सुस्ती; काहिली; ढिलाई | [ - आववी, (-वं) -चडवी, ( - बुं) अलसाना; सुस्ती लगना । - खावी, (-वुं) = आलसी होकर पड़ा रहना । -मरडवी : अँगड़ाई लेना. ] = आळसु वि० आलसी ; काहिल ; सुस्त । [ -नो पीर = बहुत बड़ा आलसी . ] आळं वि० गीला (२) ताज़ा उधेड़ा हुआ; कच्चा (चमड़ा) (३) ज़रा छूनेसे दर्द हो ऐसा (४) नरम; गुदगुदा [ बालक बाळंमोळं वि० भोला-भाला (२) न० २९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आंक आलेखवं स० क्रि० देखिये ' आलेखवं ' आळोटबुं अ० क्रि० लोटना आंक (०) पुं० आँक; अंक (२) दर; मूल्य ( ३ ) मोटाईका या पतलेपनका हिसाब ( सूतका ) ( ४ ) निशानी; चिह्न (५) अंदाज़ा ( ६ ) सीमा; हद ( ७ ) पुं०ब० व० पहाड़े । [ - पाडवो, मांडवो = दाम ठहराना. ] [ करनेकी बही आंकडावही (०) स्त्री० बीजक दर्ज आंकडाशास्त्र (०) न० अंकशास्त्र; संख्याशास्त्र; ' स्टेटिस्टिक्स आंकडी (०) स्त्री० अँकुड़ी; हुक ( २ ) कँटिया; मछली पकड़नेकी बंसी (३) आंतोंमें होनेवाली पीड़ा; मरोड़ ( ४ ) अकड़बाई (रोग) (५) सख्त एतराज़; नाराज़गी [ला. ] [एँच-पेंच आंकडीकडी (०) स्त्री० आँट - साँट ; आंकडो (०) पुं० आँकड़ा; अँकुड़ा; हुक (२) कँटिया (३) डंक ( बिच्छू वग़ैरहका) (४) मूंछके सिरेकी ऐंठन आंकडो ( ० ) पुं० आँकड़ा; अंक ; संख्या; संख्याका चिह्न (२) लेन-देनका हिसाब या चिट्ठी (३) बिल (४) दहेज | [ - पाडवो = लिखना; दाम ठहराना । - मूकवो = ठहराई हुई रक़म लिखना । बे आंकडा (भणवा, आवडवा) " - थोड़ा, सामान्य ( पढ़ना, आना ) . ] आंकणी (०) स्त्री० आँकने या लकीर खींचनेका साधन ( २ ) अंकाई; For Private and Personal Use Only कूतना आंकj (०) न० चिह्न लगानेका बढ़ईका एक औज़ार; किलकी आंकj (०) स०क्रि० आँकना ; निशान लगाना; (२) लकीर खींचना ( ३ ) कूतना; अंदाजा करना; आँकना (४) Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३० आंको पहचाननेके लिए शरीर पर चिह्न अंकित करना;दागना (५) खास कामके लिए नाम-निर्देश करके कुछ फंड या रक़म अलग रखना; 'इयरमार्क' [ला.] आंको (०) पुं० निशानीकी रेखा;चिह्न (२) अंदाज़ा; अंकाई (३) हद ; औचित्यकी सीमा आंकोशियां (०) न० ब० व० पसलियाँ (२) बेहद कोशिश (३) इससे पैदा होनेवाला हाँफा आंख (०) स्त्री० आँख (२) [ला.] देखनेकी ताक़त; नज़र (३) निगाह; ध्यान; देख-भाल (४)(किसी चीज़का आँख जैसा)छिद्र;छेद;नाका(५)बीजकी गाँठ परकी नोक ( ईख आदिकी)। [-आडा कान करवा = सुनी अनसुनी करना। -आववी = आँख आना (२) पशुके बच्चोंकी आँखका काम करनेके काबिल होना ।-ऊंची करवी काममेंसे निगाह दूसरी ओर ले जाना (२) गुस्सा होना (३) (बीमारका) आँख खोलना। -चोळतुं रहेवू, चोळीने रहेवू = हार या थककर रोते रहना; लाचार बनना। -ठरवी = कलेजा ठंडा होना (२)पसंद आना। -तळे काढवं = देख लेना; नज़र डालना। -फोडवी = आँखें फाड़कर निकम्मी चीजको देखना या पढ़ना (२) आँख फोड़ना । -मां आंगळीओ घालवी =(दूसरेको) नापसंद हो या उसे परेशान करे ऐसा उसके देखते हुए करना । -मां आंजq = नज़र बाँधना ; भरमाना (२) दूसरेको उसके रूप, गुण आदिकी कमीके बारेमें लज्जित करना। -मां कमळो होवो आंगळी ___= (मनके किसी कारणसे) जैसा हो वैसा न दिखाई देना या न समझना; आँखोंमें पीलिया होना । आंखे पाटा बांधवा = अक्लका चरने जाना (२) भरमाना; धोखा देना । (ऊडीने) आंखे बाझवू = खूब सुंदर होना। आंखो बोचीए आववी = थककर चूर हो जाना. आंखढांकणी (०) स्त्री० बैल या घोड़ेकी आँखों पर लगाये जानेवाले ढक्कन; अँधोटी; अनवट आंखम (-मि)चकारो(०) पुं० निमिष; पलकोंका गिरना (२) आँख मारना; आँखसे किया हुआ इशारा आंखमि (-मी)चामणां(०) न०ब०व० आँख-मिचौनी; लड़कोंका एक खेल (२) देखा अनदेखा करना (३) इशारा (आँखसे) आंगडी (०) स्त्री० छोटा अँगरखा; झगा आंगण, (-j) (०) न० आँगन; सहन आंगमण (०) स्त्री० ज़ोर (२) देखिये 'आगमण' आंगलं (०) न० झगा; छोटा अँगरखा आंगळ (०) न० अंगुल ; उँगली (२) उँगलीके जितनी लंबाई; अंगुलमान (३) दशकी संज्ञा आंगळियात, आंगळियु (0) वि० (२) न० पहले खाविंदका पुत्र या पुत्री आंगळी (०) स्त्री० अँगुली; उँगली । [-आपतां पहोंचो पकडवो, पहोंचे वळगवं = उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना । -करवी% इशारा करके उकसाना; चिढ़ाना; छेड़ना (२) उँगलीसे दिखाना (३) बदनाम करना; उँगली उठाना । -पर नचाववं For Private and Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१ आंगळी-देखामणुं = उँगलियों पर नचाना। -यी नख वेगळा = नख और उँगली साथमें होते हुए भी अलग हैं ऐसा भेदभाव । -ना वेढा पर,-ने टेरवे होवं = बराबर ज़बानी होना; ज़बान पर होना.] आंगळी-देखामj(०) न० अंगुश्तनुमाई; फ़ज़ीहत; बदनामी आंगळु (०) न० देखिये 'आंगळी' आंगी (०) स्त्री० दूल्हेको ननिहालकी ओरसे मिलनेवाला बिना तुरपा हुआ कोरा वस्त्र (२) देवीकी मूर्तिके बदले रखी जाती रंगबिरंग धातुओंके पतरेकी तख्ती (३) हनुमानकी मूर्ति परकी तेल और सिंदूरकी परत (४) मूर्तिकी सजावट (जैन) (५) धूलकी आँधी आंग्ल वि० अँगरेज़ संबंधी आंग्लदेश पुं० अँगरेज़ोंका देश; इंगलैंड आंच (०) स्त्री० आँच; ज्वाला (२) तेज; दीप्ति (३) रोब (४) धमकी (५) चोट। -आववी = आँच आना; ईजा पहुँचना । -लागवी जलना.] आंचकवू(०) स० क्रि० जोरसे एकदम खींचता हिचकी आंचकी (०) स्त्री० नसोंका तनाव (२) आंचको(0) पुं० देखिये 'आचको' आंचळ (0)पुं० (मादा पशुका लंबा थन आंचळी स्त्री० अंचल; वस्त्रका छोर आंजण(०)न०आँजन;अंजन(२)भरमाना आंजणी(०) स्त्री० अंजनी; बिलनी; अंजनहारी आंजवं(0) सक्रि० आँजना; आँखमें लगाना (२)तेजकी प्रखरतासे आँखें चकाचौंध हो जाना (३) चकित कर देना; प्रभाव डालना [ला.] आंतरसो आंट(०) स्त्री० आँट; उलझन; गुत्थी (२) कीना; बैर; आँट (३) लेन-देन संबंधी एतबार; साख; प्रतिष्ठा (४) हथौटी (५) हाथकाममें या बोलनेलिखने में तेजी (६) अँगूठे और तर्जनीके बीचकी जगह; आँट (७) निशानेबाजी; निशाना बाँधनेकी कुशलता। [-जवी, तूटवी= साख जाना; बेइज्जत होना.. आंटण (०) न० घट्ठा (चमड़ी परका) आंटq(०) सक्रि० निशाना बाँधना (२) आगे निकल जाना; बढ़ना आंटी(०) स्त्री० आँटी; गाँठ; उलझन (२) सूतकी आँटी ; लच्छी (३) कीना; आँट [ला.](४) फंदा; पेच; प्रपंच (५) समस्या; मसला (६) साख; आबरू आंटीटी (०) स्त्री० आँट-साँट; दाँव__ पेच (२) छल-कपट आंटो(०) पुं० बट; लपेट; पेच (२) धक्का; चक्कर (३) कट्टर बैर आंटोफेरो(०) पुं० चक्कर और फेरा(२) कामके लिए इधर-उधर आना-जाना आंतरडी(०) स्त्री० दिल; जी आंतरडुं(०) स्त्री० आंत; अंतड़ी । [आंतरडां ऊंचां आववां, गळे आववां = आंतें गलेमें आना; अधिक श्रम पड़ना। आंतरडांनी सगाई = सच्ची सगाई; नाभि-संबंध.] आंतरवं (०) स० क्रि० (बाड़ या परदेकी आड़ बनाकर) अलग करना (२) घेरना (३) रास्ता रोकना आंतरसी (-से) वो, आंतरसो (०) पुं० __ अंदरकी सिलाई; सिया हुआ कपड़ा ठीक नापका हो इस वास्ते अंदरसे टाँके देना; पलेट; पट्टी For Private and Personal Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आंतरी आंतरो (०) पुं० अंतर; फ़ासला; फ़र्क ( २ ) अंतरपट; परदा ( ३ ) भेद ( ४ ) ध्रुपदका दूसरा हिस्सा ; अंतरा (५) दो रेखाओंसे छेदा हुआ तीसरी रेखाका भाग; ' इन्टरसेप्ट ' [ग] । [ - राखवो = भेद-भाव रखना; दिल खोलकर बात न करना. ] आंषण (०) न० देखिये 'आधण ' आंबळियुं (०) न० साहस ; अविचारित कर्म; विवेकहीन कर्म आंधळी खिसकोली (०) स्त्री० एक खेल; अंधा भैंसा आंधळी चाकण, (-ळ, ळण ) (०) स्त्री० दोमुंहा साँप ; गुंगी आंधळं (०) वि० अंधा; अंध ( २ ) ज्ञानहीन; अंधा (३) अँधेरा ; प्रकाशरहित । [ आंधळियां करवां = आँख मूंदकर साहसमें कूद पड़ना; बिना सोचे-समझे कूद पड़ना । आंधळे बहेरं कुटा अंधे और बहरेका - एक सरीखे अज्ञानमें भटकना; घोटाला और बढ़ना. ] = आंधळंब, आंधळंभीत (०) वि० पूरा या निपट अंधा आंषी स्त्री० आँधी; अंघड़ ( २ ) अंधापन । [- आववी, चडवी = आँधी उठना.] आंबलियो (०) पुं० आमका पेड़ [ प . ] आंबली (०) स्त्री० इमली (२) चि आंबलीपींपळी (०) स्त्री० एक खेल आंबवुं (०) स० क्रि० आगे बढ़े हुएकी बराबरीमें आ जाना; पकड़ लेना ३२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आंहीं (२) अ०क्रि० आम जाना; गुठलाना आंबळी स्त्री० आंबळं (०) न० देखिये 'आमळी, आमळं ' आंबागाळो (०) पुं० आमका मौसम आंबामोर (०) पुं० बौर; आमका मौर (२) धानका एक प्रकार आंबावाडियंन०, आंबावाडी (०) स्त्री० अमराई; आमका बाग़ आंबाशा ( -सा) ख (०) स्त्री० पेड़ पर पका हुआ आम; सीकल; कोपर आंबाहळवर (०) स्त्री० आँबाहलदी आंबेल (०) न० एक जून अलोना रहने का व्रत (जैन) आंबेल (०) स्त्री० ( बालकके जन्मके समयकी ) नाल आंबो (०) पुं० आम; आमका पेड़ (२) बच्चोंका एक खेल आंबोई (०) स्त्री० नाभिके नीचे रगोंकी गाँठ जैसा अंदरका भाग आंबोळियुं (०) न० अमहर; रोठा आंस (०) पुं० धुरा; अक्ष आंसु (०) न० आँसू ; अश्रु । [ - आववां, खरवां, पडवां, वहेवां = आँसू गिरना; रोना । - ढाळवां = रोना; आँसू ढालना । —लूछवां, लोहवां : रोनेवालेको शान्त करना ( २ ) ढाढ़स दिलाना; आँसू पोंछना. ] आंहां (०) अ० आँहाँ; ऊँहूँ हांस (०) स्त्री० हाँ-ना (करना ) ; पसोपेश आंहीं (०) अ० यहाँ For Private and Personal Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इनामसाराम इ इ स्त्री० देवनागरी वर्णमालाका तीसरा अक्षर - एक स्वर इकरार पुं० इक़रार (२) स्वीकृति इकरारनामुं न० इक़रारनामा; प्रतिज्ञापत्र; 'एफिडेविट' । इकोतेर वि० एकहत्तर; ७१ इखलास पुं० इखलास; दोस्ती मेलमिलाप [आशा करना इच्छ, स० क्रि० इच्छा करना (२) इच्छा स्त्री० इच्छा; मरजी; रुचि; खुशी (२)आशा; उम्मीद (३) इच्छा; चाह [जान-बूझकर; सोद्देश इच्छापूर्वक अ० इच्छाके अनुसार (२) इच्छावर पुं० स्वयं पसंद किया हुआ वर इच्छाशक्ति स्त्री० संकल्पका बल; मनोबल इजन न० न्योता; निमंत्रण इजनेर पुं० इंजीनियर (२)यंत्रविद्याका विशेषज्ञ इजनेरी वि० इंजीनियरसे या उसके कामसे संबंधित (२) स्त्री० इंजीनियरिंग; यंत्रका काम या यंत्रशास्त्र इजाफत स्त्री० इज़ाफ़ा; वृद्धि (२) मिलाना; खालसा करना इजार स्त्री० इजार;सुरवाल; पाजामा इजारदार पुं० इजारेदार; ठेकेदार इजारबंध पुं० इज़ारबंद; नाड़ा इजारापद्धति स्त्री० इजारा देकर कार्यकी व्यवस्था करनेकी पतिः इजारो पुं० इजारा; ठेका (२) सनदसे __ मिला हुआ हक । [-शक्षको, लेबो%3D ऐसा हक़ प्राप्त करना, खरीदना या जमाना.] इज्जत स्त्री० इज्जत; आबरू (२) सतीत्व ; स्त्रीका शील । [-ना कांकरा थवा = इज्जत गॅवाना..... इसरायल वि० यहूदी लोगोंसे संबंधित; इबरानी (२) पुं० इसराईल (३) यहूदियोंका देश इठ्ठोतेर वि० अठहत्तर; ७८ इठयाशी (-सी)वि० अठासी; अट्ठासी; ८८ . इतबार पुं० एतबार; विश्वास ; भरोसा इतर स० (२) वि० इतर; अन्य (३) भिन्न (४) तुच्छ । इतरडी स्त्री० किलनी; चिचड़ी इतरवाचन न० पाठयक्रमकी पुस्तकोंके अतिरिक्त किया जानेवाला बाचन इतराज वि० नाखुश इतराजी स्त्री० नाराजगी; खफ़गी इति अ० इस तरह (२) इति(३) स्त्री. । इति; समाप्ति इतिमात्र वि० इतिमात्र; इतना इतिश्री स्त्री० इति; समाप्ति इधरउधर, इधरतिघर अ० इधर-उधर इनकार पुं० मना (२) इनकार । -जq=मकरना. इनकार, स० क्रि० इनकार करना इनसाफ (-फी) देखिये 'इन्साफ' इनाम न० इनाम; बल्शिश; पुरस्कार इनामअकराम न० बख्शिश (२)इनामइकराम पुरस्कार और सन्मान गु. हिं-३ For Private and Personal Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org इनामदार वि० इनाम पानेवाला (२) जिसके पास इनाममें मिली जमीन या गांव हो; माफ़ीदार; इनामदार (३) पुं० एक अल्ल इनामी वि० इनाम से संबंधित ( २ ) इनाममें पाया हुआ ( ३ ) इनाम मिले ऐसा इनायत स्त्री० इनायत ; भेंट इन्कमटॅक्स पुं० आय-कर इन्कार पुं० मना (२) इनकार;अस्वीकृति इन्कार स० क्रि० इनकार करना इन्किलाब शिदाबाद = इनक़लाब जिंदाबाद ; क्रान्ति बनी रहे इन्शाअल्लाह = ईश्वरेच्छा इन्सान पुं०; न० इनसान; मनुष्य ( २ ) मनुष्य जाति [ बता; सज्जनता इन्सानियत स्त्री० इनसानियत ; मानइन्साफ पुं० इंसाफ़; न्याय ( २ ) फ़ैसला । [-मागवो : = न्याय करनेको कहना - अर्ज करना. ] इन्साफी वि० इन्साफ़से संबद्ध ( २ ) न्यायी (३) स्त्री० इंसाफ़की रीति (४) अदालत इबादत स्त्री० इबादत; भक्ति; स्तुति इबादतलाना न०, इबादतगाह स्त्री० इबादतखाना; उपासना-मंदिर इमाम पुं० इमाम (२) मुल्ला; क़ाज़ी (३) वह झंडा जो ताजियेके आगे रखा जाता है; पंजा ( ४ ) तसबीका शुमारदाना इमारत स्त्री० इमारत ; हवेली इमारती वि० इमारत से संबद्ध ( २ ) इमारतके कामका इयत्ता स्त्री० नियत परिमाण, संख्या आदि (२) इयत्ता ; प्रमाण ( ३ ) सीमा इयळ स्त्री० पिल्लू; ढोला ३४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस्पिताळ इरादो पुं० इरादा; उद्देश; आशय इलका पुं० खिताब ; पदवी इलम पुं० इल्म; विद्या (२) जादू (३) जंतर-मंतर; वशीकरण (४) उपाय इलमबाज, इलमी वि० इल्म जाननेवाला (२) क़ाबिल इलाको (-खो) पुं० इलाका प्रांत; प्रदेश (२) हुकूमत - अधिकारका प्रदेश हक़ इलाका इलाज पुं० इलाज ; उपाय ( २ ) चिकित्सा इलायची स्त्री०; न० इलायची;लायची इलामबुं वि० देखिये 'अलायदुं ' इलाही वि० ख़ुदा-संबंधी; ईश्वरविषयक (२) वंदनीय [ आदि इशक, (०बाजी), (-की) देखिये 'इश्क' इशारत स्त्री० इशारत ; संकेत ; इशारा इशारो पुं० इशारा; संकेत ( २ ) सूचन इश्क पुं० इश्क़ प्रेम (२) कामविकार (३) आसक्ति [ व्यापार इश्कबाजी स्त्री० भोगविलास; प्रणयइश्की वि० आशिक़ (२) छैला इश्की टट्टु न० इश्क़बाज ; व्यभिचारी या कामी पुरुष इसप ( ब ) गूल न० इसबगोल इसम पुं० मनुष्य; व्यक्ति; शख्स इस्कामत स्त्री० मालमत्ता; मिल्कियत इस्कोतरो पुं० छोटा संदूक़ इस्क्रू पुं० स्क्रू । [ - ढीलो होवो = मगज अस्थिर होना या ऐसा प्रतीत होना. ] इस्टापडी स्त्री० सिटकिनी; खटका; 'स्टापर' इस्तरी स्त्री० इस्तरी; इस्तिरी इस्तेमाल पुं० इस्तेमाल; उपयोग इस्त्री स्त्री० इस्तरी इस्पिताल ( - ) स्त्री० अस्पताल For Private and Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस्रायल वि०(२)पुं० देखिये 'इझरायल' इस्लाम पुं० इसलाम इस्लामी वि० इसलामी;इसलाम संबंधी (२) इसलामका अनुयायी इंगळा स्त्री० इंगला; इडा नाड़ी इंच पुं० इंच इंजिन न० इंजन इंतजाम पुं० इंतजाम; बंदोबस्त इंतेजार वि० आतुर; अधीर इंतेजारी स्त्री० इंतजार; आतुरता इंद्रगोप पुं० इंद्रगोप ; बीर-बहूटी इंग्रजव पुं० इंद्रजौ; कुटजका बीज इंद्रवारj न० इन्द्रायन (२) रूपवान किंतु कपटी मनुष्य [ला.] ई स्त्री० देवनागरी वर्णमालाका चौथा वर्ण - एक स्वर ईचवू (ई') स० क्रि० लूंसकर खाना (२) गुच्ची पर रखी हुई गुल्लीको डंडेसे उछालना (पीड़ा; चोट ईजा स्त्री० ईज़ा; कष्ट (२)(शारीरिक) ईतरावं अ० क्रि० इतराना ईनमीन ने (०साडे)तीन =इने-गिने; अल्प; थोड़े ईमान पुं० ; न० ईमान; श्रद्धा(२)धर्म; ईमान (३)अंतःकरण(४)प्रामाणिकता; सचाई ईमानदार वि० ईमानदार; सच्चा ईमानदारी स्त्री० ईमानदारी; दयानत ईमानी वि० ईमानवाला; प्रामाणिक ईव स्त्री० हौवा; आय स्त्री ईशान स्त्री० ईशान (२) पुं० शिव ईशानकोण पुं० ईशान [ईशानी ईशानी वि० ईशानका(२) स्त्री० दुर्गा; ईश्वर पुं० ईश्वर; प्रभु (२) स्वामी; मालिक (३) राजा। [-उपर चिट्ठी = केवल ईश्वराधार। -ना घरनी चिट्ठी, घर- तेई- खुदाके घर जाना; मौत आना। - सोळे बेस = ईश्वराधीन होना। -ने मात्र के वचमा राखीने = ईश्वरको साक्षी बनाकर; खुदाको दरमियानमें रखकर; ईश्वरका डर रखकर । ने लेखे, -ना नाम पर, -ने खातर= खुदाके वास्ते; ईश्वरका डर रखकर; धर्म, दया या सत्यकी खातिर; खुदाकी राह । ईश्वरे सामु जो = ईश्वरकी कृपा-दृष्टि होना. ईश्वरी वि० ईश्वर-संबंधी (२) स्त्री० दुर्गा; ईश्वरी (३) देवी ईस स्त्री० चारपाईके ढाँचेके दाहिनी और बायीं ओर लगी दो लंबी लकड़ियाँ; पाटी ... ईसवी वि० ईसवी; ईसाका । ईसवीसन पुं०; स्त्री० ईसवी सद् ईसाई वि० ईसाई (२) ईसाका. ईसामसीह, ईसुविस्त पुं० ईसामसीह ईस्वी वि० ईसवी इंट स्त्री० इंट इंटवागे पुं० ईंटका भट्ठा; पजावा इंटाळो पुं० इंटकोहरा; इंटका टुकड़ा (२) ईंटें बनानेका सांचा हुआ इंटेरी (-ल) वि० ईंटोंसे चुना, जोड़ा For Private and Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंडळ इंडगळ स्त्री अंडे लेकर जानेवाली . चींटियोंकी पंक्ति (२) छोटे छोटे बंडोंका ढेर (३) बच्चोंकी धाड़; कच्चे-बच्चे ला.] 'न• अंडा (२) मंदिरका कलश इंडोनी स्त्री० ईंडुरी; गेंडुरी; ईंटरी षण (-) न. इंधन; जलावन उ पुं० नागरी वर्णमालाका पांचवां अक्षर - एक मुख्य स्वर उकरडी स्त्री० कूड़ेका छोटा ढेर (२) ब्याहके अवसर पर कूड़ा-करकट : डालनेकी जगह(३)एक मलिन देवता उकरडो पुं० धूरा (२) मंदा स्थान; - गंदगी [ला.] : . [व्याकुलता उकरांटो पुं० जोश; आवेश (२) उकळाट पुं० ऊमस (२) गुस्सा (३) संताप उकाळवं स० क्रि० उबालना (२)फ़ायदा करना [ला.] (३) बिगाड़ना (व्यंग्यमें) उकाळावं अ० कि० उबाला जाना उकाळो पुं० उबालना (२) काढ़ा धनिया, लौंग आदि मसालोंको पानीमें औटाकर बनाया हुआ पेय (३) ऊमस (४) कुढ़न; संताप उकांटो पुं० आवेश; जोश (२)उबकाई (३) अरुचि; उकताना (४) कंप; सिहरन (५) अव्यवहृत किनारा उकांसण न० उकसाहट; उत्तेजना उकास, स० क्रि० खोद निकालना; बाहर निकालना (२) ध्यान पर लाना; पुरानी भूली हुई बातोंको याद दिलाना [ला.] (३) 'उकसाना; उभारना उकेरो पुं० देखिये "उकरडो' उकेल पुं० ; स्त्री० सूझ; समझ (२) रास्ता', हल; सुलझाव । [-काठको = निबटारा या फ़ैसला करना; उपाय बताना; सुलझाना।-पडवो सूझना; हल होना; निबटना.] उकेलवं स० क्रि० खोलना; उधेड़ना; (लपेट, बट, गुत्थी, टांका आदि)(२) बाँचना (३) खत्म करना; निबटाना (४) उकेलना; खोलना; खुला करना उकेला अ० कि० 'उकेलq' क्रियाका कर्मणिरूप; उकेला जाना उखडियो पुं० खुरचनी उखरडं (-गुं) वि० खुला (२) न. दूसरेकी बात जाहिर करना जसरांटु वि० खुला, उखरांटो पुं० धातुके पात्र परका दाग़ उखा सक्रि० 'ऊखड' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप(२)उखाड़ना(३)पदच्युत करना [ला.] (४) नाश करना उखाणुन., (-णो) पुं० समस्या;पहेली (२) कहावत; मिसाल; दृष्टांत । उखाळवंसक्रि० उखाड़ना(२)उकेलना; उधेड़ना (३) भूली हुई बातोंको याद दिलाना [ला. उखेर वि. जोतनेके अयोग्य (जमीन); खराबा (२)जो परती रहा हो; वीरान (३)पुं०; स्त्री० उखाड़ी हुई चीज़; परत उडवं स० क्रि० देखिये 'उखाडवू' For Private and Personal Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उडा उखेडावं अ० क्रि० 'उखेडवुं ' क्रियाका कर्मणिरूप; उखेड़ा जाना उगटणुं न० हलदी और तेल मिला उबटन जो वर-कन्याको लगाते हैं उगम पुं० उगना; उदय ( २ ) आरंभ; मूल उगमणुं वि० पूरबका; मशरिकी उगाढवं स० क्रि० उगाना उमामवं स० क्रि० मारनेके लिए उठाना; तानना [ ( २ ) बचत लाभ उगार पुं० उबार; बचाव; छुटकारा उगारवुं स०क्रि० उबारना; बचा लेना (२) बचत करना ['उगावो' उगारो पुं० देखिये 'उगार' ( २ ) देखिये उगावो पुं० उगना; फलना-फूलना (२) वर्षाकालमें उगनेवाले छोटे-छोटे पौधोंका समूह उघडraj स०क्रि० 'ऊघडवु' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; खुलवाना उधराई स्त्री० उगाही; लगान, क़र्ज़, कर इत्यादिकी वसूली उधराणियो पुं० तलबगार ; वसूलीका काम करनेवाला उघराणी स्त्री० उगाही ( २ ) तकाजा उघराणुं न० चंदा; फंड उघरात स्त्री० देखिये 'उघराई'. उघरातदार वि० वसूली करनेवाला; तलबगार उघरावबुं स०क्रि० उगाहना; तहसीलना उघलावबुं स० क्रि० 'ऊघलवु' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; वरयात्रा निकालना उघाड पुं० बादलोंका हट जाना; आकाशका खुलना (२) भाग्यका उदय; लाभ [ला. ] । [ -नी कळवो = (बादल आदिका हटकर ) धूप निकलना. ] उघाउपणुं वि० नंगे पैर चलनेवाला ३७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपखं उघाडबाएं वि० जो चोरको सुगम हो; खुला (२) न० भाग छूटनेका रास्ता; चोर-खिड़की किरना उघाडवास स्त्री० खोलना और बंद उघाडबुं स० क्रि० उघाड़ना; खोलना उघानुं वि० खुला; जो बँका, बंद या भिड़ा हुआ न हो (२) जिसने ओढ़ा, पहना न हो; नंग ( ( ३ ) साफ़; स्पष्ट ( ४ ) प्रकट; जाहिर ( ५ ) अरक्षित । [ -कर, पाडवं = खुला या प्रकट करना ( २ ) जाहिरमें बदनाम हो और सब निंदा करें ऐसा करना । -थवं, पढधुं = जाहिर होना; परदा खुलना ( २ ) बदनाम होना । उघाडे चोक, उघाडे छोगे, उघाडे बारणे = जाहिरमें; खुले आम ; खुले खजाने. } उधाडं पुगाडुं वि० नंगा ; नंगघडंग उचकामण न०, ( - णी) स्त्री० ढोनेकी मजदूरी; ढुलाई उचकाववुं स०क्रि० 'ऊचकबुं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; उठवाना उचाट पुं० उचाट; फ़िक्र (२) अधीरता उच्चापत स्त्री० हड़प; अनुचित रीतिसे किसी चीजको उड़ाना उच्चाळी पुं० घरका माल असबाब । [ उचाळा भरवा = घर-बार खाली करके निकलना या भाग जाना; बोरिया- बँधना उठाना या संमेटना (२) चंपत होना; चलते बनना. ] उचेड स०क्रि० उधेड़ना; (छाल) ... उतारना उच्चक वि० मोल- तोल किये बिना ऐसे ही दिया हुआ, रखा हुआ या ठहराया हुआ उच्चरवं स० क्रि० बोलना For Private and Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उच्चारवं ३८ उच्चार, सं० क्रि० उच्चारण करना (२) बोलना उच्चालक पुं० ऊँचा उठानेका मुख्य साधन; उत्तोलन दंड; 'लीवरप.वि.] उच्चालन न० ऊँचा करना; उचकाना (२) लीवरकी मददसे बल लगानेकी . एक योजना [प.वि.] उच्छेद, स० क्रि० उच्छेद करना उच्छेवियु वि० लावारिस; निवंश (२) उच्छेदी(३) न० लावारिसकी जायदाद उखरंग पुं० आनंद या आनंदकी उछाल उछरंगी वि० हर्षोन्मत्त ; आनंदविभोर उछळाट पुं० उछाल; आवेग उछळामणी स्त्री० होड़; स्पर्धा (२) नीलाम उछाळ स्त्री० उछाल उहाळ, सक्रि० उछालना (२) ऊपरनीचे करना (शाक इ०)(३) (धनका) दुरुपयोग करना उछाळाबंध अ० उछलते हुए उछालो पुं० उछाल; छलांग (२) यकायक बढ़ती (३) आवेश; जोश (४) हमला (५) उबकाई। [-आववो . =एकदम उछल पड़ना; ऊँचे जाना। -मारवो= ज़ोरसे उछलना.] उछांछळावेडा पुं०ब०व० उद्धत बरताव उछांछं वि० उद्धत(२)बेहया; निर्लज्ज उछीतुं (-) वि० लौटानेकी शर्त पर मांगकर लिया या दिया हआ:मॅगनीका उछेवि वि० (२) न० देखिये 'उच्छेदियुं' उछेर पुं० स्त्री० पालन-पोषण;परवरिश (२) शिक्षा-दीक्षा; तालीम उछेर, स० कि० पाल-पोसकर बड़ा । करना (२) शिक्षा-दीक्षा देना; संस्कारवान बनाना उटांग उजवणी स्त्री० (पर्व, तिथि, त्योहारादि) उत्सव मनाना (२) वनभोजन । उजवणुं न० व्रतादिकी समाप्तिका उत्सव उजवाव, स० क्रि० 'ऊजवयु' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; किसी कार्यको संपन्न करवाना [उच्चजातीय उजळियात वि० उच्च (ऊँच)जातिका; उजागर वि० उजागर; चमकदार उजागरो पुं० उजागरा; रतजगा (२) चिंता उजाड स्त्री० बरबादी; तबाही उजार स० क्रि० उजाड़ना उजाणीस्त्री० वनभोजन (२) जियाफ़त उजाश (-स) पुं० उजास; रोशनी उजाळवं स० क्रि० उजालना (२) चमकाना; रोशन करना [ला.] उजेश (-स) पुं० देखिये 'उजाश' उज्जर वि० उजाड़; वीरान उमरउवं स० क्रि० नोचना उझरडावू अ०क्रि० नुचना; नोचा जाना उझरडो, उमेडो पुं० खरोंच; रगड़ उटकंटो पुं० एक वनस्पति ; उत्कटा उटकामण न० (बरतन)मांजनेमें काम आनेवाली चीज़ (२) मांजनेकी मजदूरी; मजाई उटकाववं स० क्रि० मंजवाना उटपट (-टां)ग वि० (२) न० देखिये 'उटंग' उटवणुं न० उबटन । उटंग वि० ऊटपटांग; असंगत (२) न० वेसिर-पैरकी बात; गप (३) तरंग; मनकी लहर उटंगी वि० मनगढंत (२) गप्पी उटांग वि० देखिये 'उटंग' For Private and Personal Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उटाटियं उटाटियं न०, (-यो) पुं० कुकुरखांसी उठन (-)न० मृतक व्यक्तिके घर बैठने जानेकी एक रीति; मातमपुरसी उठाउ, (गीर) वि० उठाईगीरा; उचक्का; चाँई . [(३)खड़ा करना उठारg सक्रि० उठाना (२) जगाना उठामणुं न० देखिये 'उठमणुं' उठाव पुं० उठाव ; उभार (२)ऊँचाई; उठान (३) खपत; बिक्री (४) कल्पना; मनकी लहर (५) देखाव; तड़क-भड़क सुहावना उठावदार वि० असरकारक ; दर्शनीय; उठावदुं सक्रि० उठाना; उचकाना (२) चुपकेसे उठाकर चलते बनना; चुराना (३) (खूब) खाना (४) जगाना; सोये हुएको उठाना (५) खड़ा करना; तैयार करना (६) पालन करना; मानना; अदा करना (हुक्म, सेवादि) उठावावं अ० क्रि० उठाया जाना उठावं अ० कि० 'ऊठवू' क्रियाका भावे रूप; उठा जाना उठावो पुं० मनगढंत या बनावटी बात (२) खपत; उठाव उठांतरी स्त्री० चंपत बनना;चल देना। [-करवी = नौ दो ग्यारह होना. उडताळीस वि० देखिये 'अडताळीस' उडाउ वि० उड़ाऊ; फ़जूलखर्च उगाउपणुं न० उड़ाऊपन; फ़जूलखर्ची उतार सक्रि० देखिये 'उडाव' (२) उड़ाना (मक्खी, चिड़िया आदिको) उगण (-) वि. जो उड़ता हो ऐसा । लगे; वायुवेगी (२) न० उड़ान उसामधोगे पु० उड़नेवाला घोड़ा (२) वायुवेगी घोड़ा उतार साव, स० क्रि० उड़ाना (पतंग) (२) उड़ा देना; फ़जूल खर्च करना (३) अफवाह फैलाना (४) चकमा देना; धोका देना; उड़ान मारना (५)मजाक उड़ाना(६)(परीक्षा) फेल करना। [उसावी देवू लापता कर देना (२) फ़जूल खर्च कर गलना; उड़ा देना (३) (सिर, अंग) काट डालना; मार डालना; नष्ट-ध्वस्त कर देना (सुरंग आदिसे).] उग, अ.क्रि० उड़ा जाना उडरj न० बीड़; बिड़ई उहाणी, उतेजी स्त्री० इंडरी; इंडवा गूंथी हुई छोटी बिड़ई उढाणुं न० देखिये 'उढरणुं' उत्तर स्त्री० एकके ऊपर एक (एकसे एक छोटा ऐसे क्रममें) रखे बरतन उतरडवं स० क्रि० उधेड़ना (२) (छाल, चमड़ी इ०) खींचना उतराण स्त्री० मकर-संक्रांति (२) मकर-संक्रांति (त्यौहार); खिचड़वार उतराण न० उतार; वह जगह जहाँसे नदी चलकर पार की जा सके। उतरातुं (-) वि. उत्तरका; उत्तरी उतरामण न०,(-जी) स्त्री० उतराई उतराव, स० कि० उतरवाना (२) 'ऊतरवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (३) (सिर परका बोझ) उतारने में मदद करना उतार पुं० उतार; उतराव; ढाल (२) भाटा (३) (नशा, जहर, मंत्र, खराब बसर, दवा इ० का) प्रभाव दूर करने या उतारनेका उपाय; उतार(४) रोग या भूत-प्रेतके असरको उतारनेके लिए सिर परसे वारी हुई सामग्री; उतारा For Private and Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५) अघमाधम मनुष्य या ऐसे मनुष्योंका गुट [ला.] उतार स० कि. "ऊतरवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (२) उतारना (३) खराद या चाक आदि पर चीजें तैयार करना; उतारना (४) सान चढ़ाना (५) लिखना; नकल करना (६) जहरका असर उतारना (७) पार पहुँचाना (८) भूत-प्रेतके असरको दूर करनेके लिए सिर परसे वारना। [उतारी पार-बात काटना ; बातका बीचमें खंडन करना (२) मान भंग करना; हलकी या नीची श्रेणीमें रख देना.] उतार पुं० प्रवासी; मुसाफ़िर (२) (सराय, होटल आदिमें) ठहरनेवाला उतारो पुं० उतारा; पड़ाव; मुकाम (२) अवतरण; उद्धृत अंश उतावळ स्त्री० उतावली; जल्दी उतावळियं वि० उतावला; जल्दवाज (२) अधीर उतावला उताबळ वि० तेज; वेगी (२) अधीर; उता अ० कि० 'ऊतवू' क्रियाका भावेरूप; उकठना उतेग् स० क्रि० देखिये 'उतरडवू' उत्ककोण पुं० केंद्रापसारी, कोण; 'एक्सेंट्रिक एंगल' [ग.] उत्तर वि० उत्तर; पिछला (२)पीछे आनेवाला (३) -से अधिक ; ज्यादा (४)बायाँ (५)पुं०म० जवाब; उत्तर (६) बचाव; सफ़ाई (अभियोगसे) (७) स्त्री० उत्तर दिशा (८) अ० पीछे । [-आपको जवाब देना(२)बचावमें कहना; सफाई पेश करना.] उत्तरव पुं० उत्तरी ध्रुव उत्साह उत्तरपन पुं० बचावपक्ष;प्रतिवादी (२) प्रतिवादीका जवाब (३) कृष्णपक्ष उत्तरपत्र न०; पुं० उत्तर-पुस्तक उत्तरवही स्त्री० उत्तर-पुस्तक उत्तेजन न० उत्तेजन; प्रोत्साहन (२) उत्तेजना। [-आपवं, देवं = बढ़ावा देना; भड़काना; उकसाना। -मळq= प्रोत्साहन मिलना.] उत्तेजवू स० क्रि० हौसला बढ़ाना; बढ़ावा देना उत्थान न० उत्थान (२) उदय (३) उन्नति; जागृति (४)उत्साह; हौसला (५) सहायता . उत्पापस० कि. खंडन करना; उखाड़ना (२) (आज्ञा, नियम आदिको) तोड़ना या न मानना (३) उठाना; जगाना उत्पन्न वि० उत्पन्न; जनमा हुआ (२) उपजा हुआ; बना हुआ (३) उगा हुजा (४) न० पैदावार; उपज (५) कमाई (६) नफ़ा; लाभ उत्पात पुं० उछाल ; छलाँग (२) घाँधल; ऊधम; उत्पात (३) विपत्सूचक आकस्मिक घटना (४) विनाशकारी आपत्ति (भूकंप आदि); उत्पात उत्पाति: उत्पाती वि० उत्पाती; खुराफ़ाती ; शांत न रहनेवाला (२) ऊधमी; शैतान (३) उत्पात मचानेवाला; उपद्रवी उत्पादन न० उत्पादन; पैदा करना (२) पैदावार; उपज (३) फल; लाभ उत्साह पुं० उत्साह; हौसला; उमंग (२) आनंद; हर्ष (३)तदेही; खंत । |-रेडयो जोश पैदा करना; हौसला बढ़ाना. For Private and Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपलाव उपलाव, सक्रि० 'ऊथलवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; उथल-पुथल कर देना (२) पदच्युत करना (३) पलटना; . बदलना उथापन न०,(-ना) स्त्री० उत्थापन; उठाना; जगाना (२) मंदिरमें देवताका सोकर उठना (३)न मानना उचाप, स० क्रि० बदलना या हटा देना (२) उलटना-पलटना (३) आज्ञाका उल्लंघन करना उथामवं स० क्रि० इधरसे उधर उठाना और रखना; बार बार उठाना (२) बिखेरना; तितर-बितर या ऊपरनीचे कर देना (३) व्यर्थ श्रम करना (४) इधर-उधर खोजना उदबत्ती स्त्री० उदबत्ती; अगरबत्ती उवमात पुं० ऊधम; उत्पात उबमातियुं वि० ऊधमी; शरारती; उत्पाती उदय पुं० उदय ; उगना (२) बढ़ती; उन्नति (३) प्रकट होना; उद्भव। [-पामj= उदित होना; उगना (२) उन्नति होना.] उवयात वि० सूर्योदयकालमें पड़नेवाली तिथि; उदया तिथि उदर न० उदर; पेट (२)गर्भाशय (३) कोटर; खोखला भाग (पेड़, पहाड़का) (४) आजीविका; रोजी [ला.](५) वस्तुका भीतरी भाग।-भरखाना (२) गुजारा करना; पेट पालना.] उदरनिर्वाह पुं० आजीविका; गुजरान बरस स्त्री० देखिये 'उधरस' उबंबर (-रो), उबर पुं० गूलर (२) देहली (३) हिजड़ा रुपमा उदारमतवाद पुं० रूढ़िवादी न रहकर नये सुधारोंके लिए अवकाश रखनेवाला वाद; 'लिबरलिज्म' उदास वि० उदासीन; निरपेक्ष ; तटस्थ; वेपरवाह (२) विरक्त; विषयवासनाकी इच्छासे रहित (३) ग़मगीन; उदास; खिन्न तटस्थ ; निष्पक्ष उदासीन वि० उदासीन; विरक्त (२) उदाहरण न० उदाहरण; मिसाल। [-आपy, देq=मिसाल देना। -लेवू = सबक लेना; दृष्टांत परसे सीख लेना; समझना.. उद्गार पुं० उद्गार; बोल; शब्द। कारबो उच्चारण करना; बोलना (भाव या लागणी' के साथ).] उद्गारचिह्न न० आश्चर्यचिह्न !' उद्घाटन न० उद्घाटन; खोलना (२) स्पष्ट करना; समझाना (३) खोलनेका साधन (कुंजी वगैरह) (४) रहँट उद्घाटनक्रिया स्त्री० उद्घाटन-विधि उद्देश पुं० उद्देश; हेतु; इरादा उद्देशवं स० क्रि० नाम लेकर या लक्ष्य करके कहना [उद्देश्य [व्या.] उद्देश्य वि० उद्देश्य; लक्ष्य (२) न० उद्देश्यवर्षक न० उद्देश्यवर्धक व्या.] उदार स० क्रि० उद्धार करना. उद्भव, अ० क्रि० उत्पन्न होना उद्योग पुं० उद्योग; पेशा, व्यवसाय (२) कामकाज; उद्यम (३) मेहनत ; श्रम उद्योगधंधो पुं॰उद्योग-धंधा काम-काज; रोज़गार स्त्री० उद्योगशाला उद्योगमंदिर न०, उद्योगशाला (-छा) उपरक अ० क्रि० (हृदयका)धड़कना; कांपना (२) सोते सोते यकायक जाग उठना; उझकना । For Private and Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उद्यमात उघमात पुं०, ( - तियुं ) वि० देखिये 'उदमात' आदि उघरस स्त्री० खाँसी । [ -आववी: हाँसी आना । - खावी = खाँसना . ] उधान न० ऊँचे चढ़ना ( २ ) दमा ( ३ ) बड़ा ज्वार (समुद्रके जलका) (४) पशुओं की संभोगकी इच्छा (५) तीनकी संख्याका व्यापारियोंका संकेत । [ -घडवु = बड़ा ज्वार आना ( २ ) दमेका हमला होना. ] उपामो पुं० प्रयत्न (२) मिथ्या दौड़धूप । [ -करवो = बहुत दौड़-धूप करना; महा प्रयत्न करना. ] उपायेलं वि० दीमकका खाया हुआ उधार वि० उधार (२) चुकता न किया हुआ ( ३ ) गया- बीता; निकृष्ट; बोझ सा [ला. ] 1 [ - करवुं = नाम पर लिखवाकर खरीदना; क़र्ज़ करना । -लेवं = पैसे बाक़ी रखकर माल खरीदना. ] उधारनोंष स्त्री० उधार बेचा हुआ माल लिखनेकी बही; उधार नोंधबही उधारपासुं न० बहीका वह भाग जहाँ खर्चकी रक़में लिखी जाती हैं; खर्चबाजू उपारवही स्त्री० देखिये 'उधारनोंध उषारखं स०क्रि० नामे लिखना; खर्चमें लिखना 1 उधारावं अ० क्रि० 'उधारखं ' क्रियाका कर्मणि रूप; नाम पर लिखा जाना उषारियुं वि० बार बार उधार पर खरीदनेवाला ४२ उधाएं वि० देखिये 'उधार' उधारो पुं० उधार या खर्चका हिसाब ( २ ) वादा ( ३ ) विलंब ; ढिलाई (४) घाटा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपयोग उधेई स्त्री० दीमक बेड स० क्रि० देखिये 'उचेडबुं ' उष्ड वि० देखिये ' ऊघड' उनामणियं, उनाम (ना) न० नहानेका पानी गरम करनेका पात्र उनाळु (ना' ) वि० गरमियोंमें बोयी जानेवाली या तैयार होनेवाली; चंती (२) ग्रीष्म-संबंधी; ग्रीष्मकालीन उनाळो (ना') पुं० गरमीका मौसम ; गरमी उन्मनुं वि० उन्मना; अधीर; आतुर (२) खिन्न ; अनमना [उपजाऊ उपजाउ वि० उत्पादक (२) जरखेज; उपकार पुं० उपकार (२) मदद; सहायता (३) एहसान । [-चडवो= एहसानमंद होना । -मानवो = एहसान मानना. ] उपजाववुं स० क्रि० 'ऊपजवुं ' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (२) मनसे उपजाना; बनाना; गढ़ना उपटण ( - गुं) न० उबटन उपडाई स्त्री०, ( -मण) न०, (-मणी) स्त्री० उठानेकी उजरत; उठौनी उपडाव स० क्रि० ' उपाडवु', 'ऊपडबुं ' की प्रेरणार्थक क्रिया उपणावj स० क्रि० 'ऊपणवुं ' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; ओसानेमें मदद करना उपतंत्री पुं० सहायक संपादक उपवेशबुं स० क्रि० उपदेश देना For Private and Personal Use Only उपनगर न० उपनगर उपमंत्री पुं० उपमंत्री सहायक मंत्री उपयोग पुं० उपयोग; काम; व्यवहार; प्रयोग ( २ ) जरूरत ; उपयोग ( ३ ) ध्यान; सतर्कता (जैन) । [ सेबो = काममें लेना; इस्तेमाल करना. ] Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उपयोगिता काममें उपयोगिता स्त्री० उपयोगिता उपयोगी वि० उपयोगी; आनेवाला; कार-आमद उपर अ० ऊपर (२) ऊँचे ; नीचेका उलटा (पद, स्थान, क्रम आदिसे ) ( ३ ) - से ज्यादह; अलावा; अतिरिक्त ( ४ ) ( - से) आगे ; ऊँचे दरजेमें (५) आगे पहले; पूर्व ( ६ ) – के सहारे; -की वजहसे (७) बारेमें; -की बाबत ( ८ ) किनारे पर । | -जयं = जात या स्वभाव पर जाना । नीचे थबुं = अधीर बनना । बेस, ने उपर बेसवुं = निगरानी रखकर काम लेना ( किसी व्यक्ति या कामकी ) । -मे उपर राखवं = अपना पल्ला नीचे न पड़ने देना (२) खूब दुलारना । -पग मूकवो = न मानना; अवगणना करना (२) कुचलना । - पडबुं = प्रतियोगिता या होड़ में उतरना ( २ ) काम बिगाड़ना; रुकावट डालना ( ३ ) - के आसरे जाना; बोझ बनना ( ४ ) रूप, गुण आदिमें मिलता-जुलता होना; उदा० 'ए एना बाप उपर पडधो छे' । -रहीने = जान-बूझकर . ] उपरउपरथी अ० ऊपर-ऊपर; बालाबाला ( २ ) ज़रा-ज़रा उपरउपरनुं वि० ऊपरी; दिखाऊ उपरचोटियुं, उपरछलुं (ल्लं) वि० ऊपर-ऊपरका; छिछला; दिखावटी उपरटपके अ० ऊपर-ऊपर (२) हिसाब - बही में चढ़ाये बिना उपरणी स्त्री० ओढ़नी ; छोटा उपरना उपरणं न०, ( - णो ) पुं० उपरना; दुपट्टा उपरवट स्त्री० अनधिकार बड़े अधिकारीका भाव जताना ( २ ) उल्लंघन; ४३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपलान अवगणना विरुद्ध; (३) वि० अवगणना करनेवाला (४) बढ़ेचढ़े ऐसा ; सवाया । [ - जयं, थवं - अवगणना करके काम करना. ] उपरवटणो पुं० खरलकी मूसली; बट्टा उपरवाड स्त्री० घर, मुहल्ले या गाँवके पासका हिस्सा उपरवास अ० पानी या पवनके बहावकी उलटी दिशामें; उजान उपरवास पुं० बालाखानेमें रहना उपराउपर, उपराउ ( - छा) परी अ० लगातार; एकके बाद एक उपराणुं न० पक्ष लेना; तरफ़दारी उपरामणी स्त्री० दो चीज़ोंके अदलबदलमें मूल्यका तफ़ावत जो अधिक देनेका हो; फ़र्क़ उपराळं न० देखिये 'उपराणु' उपरांत अ० ज्यादा अधिक (२) अतिरिक्त सिवा; ( इसके ) अलावा (३) बाद; ऊपरसे ; उपरांत उपरी पुं० बड़ा अधिकारी; बड़ा अफ़सर (२) वि० ऊपरी [ बर्ताव उपरोपणुं न० बड़ा अफ़सर हो ऐसा उपरुं वि० तिरछा ; पहलूके बल ( २ ) खड़ा; उदा० 'खाटलो उफरो करवों' उपलक वि० ऊपर-ऊपरका (२) फ़ालतू (३) हिसाबबहीमें नोंध किया हुआ मगर किसी खास खातेमें नहीं चढ़ाया हुआ; उचंत । [ -मांडवु, राखबुं = किसी खास खाते में चढ़ाये बिना बही में दर्ज कर लेना या नोंध करना. ] उपलकियुं वि० छिछला;ऊपर-ऊपरका; दिखावेका उपलाण वि० ऊपरका; ऊपरके हिस्सेका (२) न० ऊपरका हिस्सा या बाजू For Private and Personal Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपलं (लु,) वि० ऊपरका (२)ऊपर आया हुआ; उपरोक्त उपसंहार पुं० उपसंहार (२) सारांश; निचोड़ (३) सार-संक्षेप; उपसंहार उपसागर पुं० उपसागर फुलाव उपसाट पुं० उभार (२) सूजन-(३) उपसाव, स० क्रि० 'ऊपसकुं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप(२)उभारना(३)फुलाना उपस्थित वि० उपस्थित; मौजूद; हाजिर (२) सामने आया हुआ उपार पुं० सूजन (२) फैलाव (३) मोटापा (४) जोश (५) आरंभ (६) कोशिश; यत्न (७) जमा रकममेंसे वापस लेना (८) वापस ली हुई रकम (९) खपत; मांग उपाडवं स० क्रि० 'ऊपडवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; ऊँचा करना; उठाना (२) (किसीके)ऊपर लेना; जिम्मे लेना; अंगीकार करना; मोल लेना (३) जड़-मूलसे उखाड़ना (४) रखी हुई रकम वापस लेना (५) उचकना (६) आरंभ करना; शुरू करना। उपाडा, अ.क्रि० 'उपाडवू' का कर्मणिरूप; उठाया जाना उपाडो पुं० देखिये 'उपाड'(२)झाड़ झंखाड़ काटकर किया हुआ ढेर उपादेय वि० उपादेय (२) स्वीकार्य (३) पसंद करने योग्य (४) उत्तम; सराहनीय उपाधि स्त्री० उपाधि; पीड़ा (२) जंजाल ; झंझट ; चिंता (३) चिह्न संज्ञा (४) खास लक्षण; गुण-धर्म (५)पदवी; 'डिग्री' (६)खिताब (७) अल्ल । [-वळगवी = बला पीछे लगना। -मां आव, मावी पडg%3D पीड़ा या झंझटकी स्थितिमें आ पड़ना। -मां पडg = मुसीबतमें फंसना; आफ़त मोल लेना. उपार्जन न०, (-ना) स्त्री० उपार्जन; प्राप्ति; कमाई उपासण न० (भूले हुए या ठंडे पड़े हुए मामलेको) फिरसे उकसाना; उकसाहट उफर वि० देखिये 'उपरुं' . उफांत (-द) स्त्री० अहंपद; गर्व (२) अमीरीका आडंबर (३) उड़ाऊपन; फ़िजूलखर्ची उबळक वि० हिसाबबहीमें किसी खास खातेमें नहीं चढ़ाया हुआ; उचंत उबाट पुं० फफूंदी (२) उबसनेसे जमने वाली फफूंदी या होनेवाला परिणाम उबाडियुं न० लुआठी; लूका उबा, अ० क्रि० फफूंदी जमना; उबसना; सड़ना उबाळो पुं० ऊमस (२) उफान ; जोश (३) उकसाहट; उत्तेजना (४) होहल्ला; कोलाहल (५) ईंधन; उपले (६) (एक साथ जलाया जाय इतना) मुट्ठा। [-आववो = उफनना. उबेर स्त्री० हलमें फाल बिठानेके लिए लगाया जानेवाला पच्चड़; खुश उबेलो पुं० मरोड़के साथ दस्तकी _हाजत होना (२) मरोड़ा; आमशूल उबळवं स० क्रि० बट या ऐंठनको खोलना (२) बोया हुआ खेत फिरसे जोतना; उलटना (३) गई-गुजरीको याद करना उभर(-)क वि० घुटनोंको मोड़कर आधा खड़ा रहा हुआ (खड़े बल) (२) उकडू बैठा हुआ उभय वि० उभय; दोनों For Private and Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उभयान्वयी उभयान्वयी वि० उभयान्वयी; समुः च्चयबोधक [व्या.] उभरण न० उफान (२) खमीर उठना उभराट पुं० उफान उभरामण न० उबाल; जोश (२) उफनकर बाहर निकला हा पदार्थ उभाळ वि० खड़ा हो ऐसा; सीधा ऊपरको उठा हुआ (२) ढलवां (३) स्त्री० चढ़ाव उभेळ, सक्रि० देखिये 'उबेळवु' (२) घानकी इस तरह कुटाई करना कि सिर्फ उसके छिलके निकल जायें उमदा (-) वि० उम्दा; अच्छा; बढ़िया (२) कुलीन ; खानदानी (३) कीमती उमर स्त्री० उमर; उम्र।-थवी= बुढ़ापा आना; उम्र ढलना। -सामुं, (-मे) जोg = बड़ी उम्रका खयाल करना, उसकी कद्र करना। उमरे पहोंच = वयस्क होना.] उमरहुं न० उदुंबरका फल; गूलर उमरडो पुं० उदुंबर; गूलर (पेड़) उमरलायक वि० उमरलायक; वयस्क उमराव पुं० अमीर; रईस (२)श्रीमंत उमळको पुं० हुलास; दुलारकी उमंग । -आणवो, लाववो = प्यारका भाव अपनेमें जगाना; हुलसना । -आववो =दिलकी कली खिलना.] [चाव उमंग पुं० उमंग, हुलास (२) आनंद; उमंगी वि० उमंगवाला; हौसलामंद उमार(-डियु) न०, (-डो)पुं० देखिये 'उबाडियुं'; लुआठा उमिया स्त्री० उमा; पार्वती उमियावर पुं० उमापति; महादेव उमेद स्त्री. उम्मीद (२) इच्छा उसाjि उमेदवार विक उम्मीदवार; अपेक्षा रखनेवाला (२) पुं० उम्मीदवार; नोकरीका प्रार्थी या नया काम सीखनेवाला उमेदवारी स्त्री० उम्मीदवारी . उमेरण न० और बढ़ाना; वृद्धि करना (२) जामन उमेरणी स्त्री० और बढ़ाना; वृद्धि करना (२) बढ़ाकर बात करना; बढ़ावा [ला.] उमेर स० क्रि० और रखना, डालना, उडेलना, बढ़ाना (२) मिलाना; जोड़ना (३) उसकाना; भड़काना [ला. उमेरो पुं० बढ़ती ; वृद्धि (२) मिलावट उरफे अ०.उर्फ़; अथवा उरस पुं० उर्स (२) शादीका भोज उराम स० क्रि० देखिये 'उडाडवू' उरांगउटांग पुं० ओरांग-उटांग उरेफ-मंडी स्त्री० औरेबदार बंडी उर्दू स्त्री• उर्दू भाषा (२) इस भाषाकी लिपि उर्फ (-फें) अ० देखिये 'उरफे' उलटाववं सक्रि० उलटना; औंधाना उलंघवं स० क्रि० लाँघना; फांदना (२) अनादर करना; उलंघना प.] उलाळ (ला') वि० उलार; ओलरता (२) पुं० गाड़ी आदिका पीछेकी ओर अधिक बोझसे झुकना।[-परखो = उलार होना.] उलाळवू(ला') सक्रि० उलार हो ऐसा करना (२) उछालना (३) अधबीच छोड़ देना (४) लेन-देन बंद करना; दिवाला निकालना उलाळियु (ला')न उलारनेकी क्रिया। [-करवं बीचमेंसे बंद करना (२) दिवाला निकालना.] .. For Private and Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उलाळियो उलाळियो (ला) पुं० उलारनेकी क्रिया (२) देखिये 'उलाळो' (३) स्त्रियोंका एक गहना ( ४ ) दिवाला निकालना (५) विनाश | [ - करवो = देखिये 'उलाळियुं करवं ' . ] उलाको (ला') पुं० किवाड़में पुराने ढंगकी लकड़ीकी खड़ी सिटकिनी (२) उबकाई; उछाल उलेच (-चो) (ले') पुं० रूमाल; गरमी से बचने के लिए रखा जाता गीला कपड़ा (२) चंदोवा उलेचणियो (ले' ) पुं० उलीचनेका पात्र ; डोई (२) उलीचनेकी एक तरकीब उलेचबुं स०क्रि० उलीचना उलेचावुं अ० क्रि० उलीचा जाना उल्लसवं अ० क्रि० देखिये 'उल्लासवुं ' उल्लंघन न० उल्लंघन; लाँघना (२) (आज्ञा, नियम ) तोड़ना; अनादर करना; विरुद्धाचरण करना (३) अपराध उल्लंघवं स० क्रि० देखिये ' उलंघनं ' उल्लास पुं० उल्लास; हर्ष (२) प्रकाश (३) प्रकरण; उल्लास उल्लास अ० क्रि० हुलसना; उल्लसित होना (२) पुलकित होना ( ३ ) चमकना उल्लू वि० उल्लू; मूर्ख | [ बनवुं = मूर्ख समझा जाना; मूर्खोमें शुमार होना. ] उल्लेखवं स० क्रि० लिखना; खोदना (२) उल्लेख करना; निर्देश करना (३) बयान करना उबटण न० उबटन ( २ ) लेप या मालिश : करना (३) माँजनेके काम आनेवाली वस्तु ૪૬ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उस्तादी उबेलवं स० क्रि० उपेक्षा करना ( २ ) अनादर, अवहेलना या तिरस्कार करना उबेला अ० क्रि० उपेक्षित होना उशीकुं (सुं) न० तकिया उशे (से) टवं स० क्रि० ( तिरस्कारमें या लापरवाही से ) फेंकना उश्केरणी स्त्री० उत्तेजना; उकसाहट उश्केरवुं स०क्रि० उत्तेजित करना; भड़काना ( २ ) उकसाना; उभाड़ना उश्केराट पुं० आवेश; उक्साहट श्रावुं अ० क्रि० आपेमें न रहना; उत्तेजित होना उष्णकटिबंध पुं० उष्णकटिबंध उष्णतामान न० तापमान ; 'टेम्परेचर' उष्मा स्त्री० उष्मा; गरमी ( २ ) सहारा (३) भाप उष्मामान न० तापमान ; 'टेम्परेचर ' उष्मामापक न० तापमापक; 'थरमामीटर' उसरडवं स०क्रि० बटोरना ( २ ) झाड़बुहारकर ( फेंक देने के लिए) कचरा इकट्ठा करना उसरडो पुं० बटोरन; झाड़-बुहारकर इकट्ठी की हुई वस्तु (२) तबाही उसेटवुं स०क्रि० देखिये 'उशेटवु' ; फेंक देना उसेटावं अ० क्रि० फेंका जाना उसेड स० क्रि० देखिये 'उसरडवं' उस्ताद वि० उस्ताद होशियार ( २ ) पुं० गुरु (३) शिक्षक; उस्ताद ; आचार्य; तज्ज्ञ उस्तादी वि० उस्तादके ढंगका (संगीत) (२) स्त्री० उस्तादी ; होशियारी (३) चालाकी; धूर्तता For Private and Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उंदर | दान उंदर पुं० चूहा मूस उंदरकणियुं न०, उंदरकणी स्त्री० चूहाउंदरडी स्त्री० चुहिया; मूषा उंदरडो पुं० चूहा (२) मूषी; बड़ा चूहा उंदरबाई स्त्री०, उंदरियुं न० चूहादान उंबर पुं० देहली; चौखट ऊ पुं० देवनागरी वर्णमालाका छठा वर्ण - एक स्वर ऊकटो पुं० उठी हुई आँखकी एक दवा कडुं वि० देखिये 'उभडक' ऊकलवं अ० क्रि० उकलना; खुलना; सुलझना ( गुत्थी, डोर, लपेट, ऐंठन आदि) (२) (अक्षर या लिखा हुआ ) पढ़ा जाना ( ३ ) सधना; काम पूरा होना ऊळबंदु न० वह तापमान जिस पर पदार्थ खौलने लगे; 'बोइलिंग पॉइन्ट' [ प. वि. ] ऊकळवं अ० क्रि० उबलना; खौलना (२) उबल पड़ना; गुस्सा होना ऊड अ० क्रि० उखड़ना ( २ ) जड़मूलसे अलग होना; हटना ( ३ ) गुस्सा हो जाना; आपे से बाहर हो जाना [ला. ] (४) बहक जाना; आवारा होना । | ऊखडी जवं = तबाह हो जाना; दुर्दशा होना । ऊखडी पडवुं = गुस्सा हो जाना. ] ऊखडेल वि० गुमराह; बहका हुआ ऊखर वि० रेहुआ (२) स्त्री० ऊसर ऊखळ न०, ( -ळी) स्त्री०, ( - ळु ) न०, ( को ) पुं० ऊखल; ओखली ૪૭ ऊ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊघडबुं उंबर पुं० उदुंबर; गूलर उंबरं न० गूलर (फल) उंबरो पुं० उदुंबर; गूलर उंबरो पुं० लकड़ी ; देहली उंबी स्त्री० ऊमी; जौ-गेहूँकी बाल For Private and Personal Use Only चौखटकी नीचेवाली ऊगट स्त्री० खड़े पहियेके आगे या पीछे रखी जाती आड़ ; टेउकी ( २ ) उबटन; बटना ऊगटो पुं० देखिये 'ऊकटो ' ऊगम पुं० उगना; उदय (२) उत्पत्ति स्थान; उद्गम (३) शुरू; आरंभ ऊगरवुं अ० क्रि० उबरना; बचना (२) बाकी रहना ऊगवुं अ० क्रि० उगना; अँखुआना; ( बीजका) अंकुरित होना ( २ ) ( सूर्य, चंद्र ) उगना; उदय होना (३) (मनमें) उठना; उपजना ( ४ ) फलदायी होना; परिणाम आना [ला. ] । [ ऊगता सूरजने पूजवुं = उन्नतिशील पक्ष में रहना; लाभकी ओर जानेकी वृत्ति रखना । ऊगवुं तेनुं आथमवुं = सुबह से शाम तक परिस्थिति में कोई फ़र्क़ न आना; सावन हरे भादों सूखे । ऊग्या आयम्यानी खबर - दुनियादारीकी समझ या खयाल ; सामान्य समझ. ] ऊघडवं अ० क्रि० उघड़ना; खुलना (२) खिलना ( फूल, कली ) ; ( नसीब ) खुलना [ला. ] ( ३ ) ( रंग, आसमान इत्यादि) निखरना; साफ-स्पष्ट होना Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८. कमल (४) नये सिरेसे शुरू होना; रुके हुए कामका जारी होना; खुलना (स्कूल आदि) उपलवं अ० क्रि० घोड़ी चढ़ना (२) बदनाम होना (कटाक्षमें) . उचक अ० देखिये 'उच्चक'... ऊबकवू स० क्रि० उठाना; ऊँचा । करना; सिर पर रख लेना (२) उलाहना देना; धमकाना [ला.] ऊचकावं अ० क्रि० उठाया जाना ऊचकी स्त्री० हिचकी ऊचकुं वि० मँगनीका (२) नादार ऊचक्को पुं० उचक्का (२) ठग ऊचमूच अ० अचानक देना ऊची जवू अ० क्रि० दूध देना बंद कर ऊछरवू अ० क्रि० पलना ऊछळवू अ० क्रि० उछलना (२) जोश मारना (३) छलांग भरना; उछलना (४) धड़ाधड़ चलना (लाठी, तलवार, वस्तु इत्यादि) (५) खूब बढ़ जाना (चीजोंके दाम) ऊजड़ वि० देखिये 'उज्जड'; वीरान ऊजव, सक्रि० (व्रतादिका) उद्यापन करना (२) उत्सव मनाना (३) बदनाम करना (कटाक्षमें) कर्मणिरूप ऊजवाएं अ० क्रि० 'ऊजवq' क्रियाका ऊजळाई स्त्री० चमक; उजलापन (२) स्वच्छता (३) संस्कारिता (४) धनसंपत्तिसे पूर्ण होनेका आडंबर ऊजळाट पुं०, (-मण) स्त्री०; न०, (-श) स्त्री० उजलापन । ऊजळू वि० उजला; सफ़ेद (२) उजागर; चमकदार (३) निर्मल; स्वच्छ (४) उच्च वर्णका (५) अच्छे चाल-चलनवाला; सदाचारी (६)धनसे सुखी। [ऊनळा पगला = नेक कदम; शुभ सगुनवाला। ऊजळे लूगडे = आवरूके साथ; बिना बदनामीके.] ऊजळू (०फट), (०फटाक), (बग), (बग जेवू) वि० एकदम सफ़ेद ऊसववं स० क्रि० त्याग करना; छोड़ना अटक, स० क्रि० मांजना अटकावू अ० क्रि० मांजा जाना ऊटोकूटो पुं० अनाजको कूटकर फटकनेके बाद रहनेवाले छिलके; भूसी ऊ (-3) वि० साढ़े तीनगुना । ऊठबस स्त्री० उठ-बैठ (२) उठनेबैठनेकी कसरत ; उठा-बैठी (३) एक प्रकारकी सजा (४) बार बार उठना और बैठना (बेक़रारी या घबड़ाहटसे) अठवू अ.क्रि० उठना; खड़ा होना (२) जागना (३) चौकन्ना - सजग होना; उद्यत होना या उठ खड़ा होना (४) अचानक उपस्थित होना; आ पड़ना; टूट पड़ना (दंगा, आँधी) (५) कार्य खत्म करके उठना (सभा, अदालत) (६) खिलना; निखरना; बराबर खुलना; उभरना (७) दिलसे उतरना; मन फिर जाना। [ऊठ पहाणा पग पर = अपने ही हाथों अपना खराब करना। ऊठतां बेसतां उठते-बैठते; हर वक्त। ऊठी जवं = चला जाना (२)(शाला)छोड़ देना (३) दिवाला निकालना; तबाह होना (४) मर जाना । ऊठीने बेहूं थवं = बीमारीमेंसे अच्छा होना.] अठवेठ स्त्री० सेवा-टहलमें हरदम हाजिर रहनेसे होनेवाला श्रम (२) बह श्रम जो बेगार-सा लगे For Private and Personal Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊठा न० ब०व० साढ़े तीनका पहाड़ा; हूँठा।[-गणावां, भणावां = भर- माना; धोखा देना; छलना.] ऊडक,ऊडकावू देखिये 'ऊटकवू' आदि अडसूड अ० अंधाधुंध; बिना सोचेविचारे; आँखें मूंदकर ऊडडियं वि० अंधाधुंध; विचारहीन (२) वैसे कार्य करनेवाला; अंधा ऊडण वि० उड़ाकू; उड़नेवाला (२) छुतहा; संक्रामक (३) साधारण तापमान पर उड़ जानेवाला (तेल आदि); 'वोलेटाइल' [र. वि.] ऊडणखाटली स्त्री० उड़नखटोला; बैलून ऊडणघो स्त्री. चंदनगोह ऊडणघोडो पुं० उड़नघोड़ा ऊडणपावडी स्त्री० पवनपादुका ऊडमूड अ० यकायक; चुपकेसे का अ० क्रि० उड़ना (२) तेज चलना; दौड़ना (३) फीका पड़नाउड़ना (रंग आदि) (४) भागना; छू होना (५)बिकना; खपना (वस्तु, माल आदि)(६)फैलना (७) (किसी पर) आक्रमण करना; टूट पड़ना (८) (परीक्षा) असफल रहना। [ऊडता काग पाडे एवं = चकोरबाहोश; कैसे भी पार पाये ऐसा; घाघ (२) शरारती; उत्पाती। ऊडीने आंखे बाम = एकदम सुंदर लगना; आँखमें बसना.] ऊडसूड अ० बिना सोचे-समझे बिना इत्तला दिये ऊडाऊर(-डी) स्त्री० बार-बार उड़ना ऊडीस्त्री० उड़ी;मालखंभकी एक कसरत की ग= भापके रूपमें हवामें उड़ जाना (गंध, कपूर, स्पिरिट आदिका) गु. हिं-४ करेल(-सं) वि० चंचल वृत्तिका (२) बहका हुआ । माण न० इंडुवा; बिड़ई कण वि० ऊन ; न्यून; अधूरा (२)स्त्री० कमी; न्यूनता ऊणप(-म) स्त्री० न्यूनता; कमी (२) अपूर्णता (३) दोष; बुराई ऊणुं वि० अपूर्ण; कम; अधूरा ऊतर स० क्रि० देखिये 'उतरडवू' ऊतरचड स्त्री० चढ़ा-उतरी ऊतरअ० कि० उतरना (२)गिरना; घटना; कम होना (वस्तुणोंके भाव) (३) (गुण, स्थिति, स्वभावमें) हलका पड़ना; बिगड़ना; खानेकी चीजोंका बिगड़ना; औसना (४)तौलमें ठीक उतरना (५) होना; उपजना; पाना (फ़सल) (६) ठहरना; मुकाम करना (७)हूबहू बनना (नक़ल, छबी) (८) (स्पर्धा, नाटक आदिमें)शरीक होना (९) (किसी अंग या हड्डीका अपने स्थानसे हटना; उखड़ना (१०) (ग्रह या दशाका) योग समाप्त होना; असर हटना (११) लज्जित होना; मुंह लटक जाना (१२) (रंग) धुल जाना (१३) (मन, हृदय, ध्यानमें) ठीक जमना; बैठना; खयालमें आना; भाना; घर करना; जगह करना (१४) (बाल) झड़ना; निकलना (१५) सक्रि० पार करना; पार उतरना (नदी, पुल आदि) । [ऊतरतां पाणी= कम होता जाता जोश, हौसला, जोर या स्थिति (२) बुढ़ापा। ऊतरी जq=सड़ना या औसना (२) ठीक उतरना। छतरी पर जल्दी उतरना (२) गुस्सा होकर For Private and Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५० मतराई लड़ने पर उतारू होना; आपेसे बाहर होना; डांटना; (३) उलहना देना] उतरावं अ० क्रि० 'ऊतरवू' क्रियाका भावेरूप; उतरा जाना उतरेलू वि. निकृष्ट ; उपयोगमें से रद्द किया हुआ (कपड़ा वगैरह); उतरन; 'सेकंड हैन्ड' ऊतवू अ० क्रि० हवा या पानीके असरसे (लकड़ीका) ऐंठ जाना; उकठना ऊतळ वि० उथला; कम गहरा । ऊबलपायल वि० उलट-पलट;परिवर्तित (२) स्त्री० उथल-पुथल ऊचल(-ला) अ० क्रि० आँधा होकर गिरना; उलटना ऊथलो पुं० पलटा; पलटा खाना (२) अच्छा होनेके बाद फिर रोगका आक्रमण होना; दौरा (३) कवितामें छंदांतर सूचित करनेवाला पद्य (४) प्रत्युत्तर। [-खावो= उलटना; औंधा या उलटा होना (२) बीमारीमें से उठकर फिर रोगग्रस्त होना।मारवो पलट देना; नीचेका भाग ऊपर करना (२) पलटा खाना; उलट जाना.] अदबत्ती स्त्री० ऊदबत्ती; अगरबत्ती ऊ, वि० बैगनी; ऊदा ऊपई स्त्री० दीमक ऊबड वि० मोल-तोल किये बिना ऐसे ही दिया, लिया या अंदाजसे ठहराया हुआ (ऐसी दर, नाप, खरीद) ऊबई वि० देखिये 'ऊघड' (२) न० ऐसा काम। [-लेवू = आड़े हाथों लेना; खूब धमकाना. ऊपर(-रा)अ० क्रि० खर्च में लिखा जाना (२) दूर होना; टलना (३) पलना 112!!!!!! ऊपसाईं ऊनवा (न') पुं० एक मूत्ररोग; सूजाक अनु(नु') वि. गरम; तप्त (२) ज्वरयुक्त। [ऊनी आंच (माववी, लागवी) = आँच आना; कुछ नुकसान, भय, जोखिम या बेइज्जती हो ऐसा प्रसंग या समय । ऊनी बराळ काढबी -दिलका गुबार निकालना; अपना दुखड़ा रोना.] ऊपज स्त्री० उपज; पैदावार (२) आमदनी; प्राप्ति (३) नफ़ा ऊपजनीपज स्त्री० पैदावार और बढ़ती (२) उपज (३) शुद्ध आय; असल आमदनी ऊपजवू अ०क्रि० उपजना; उत्पन्न होना; जनमना (२) बनना; परिणत होना (३) मिलना; सिद्ध होना; प्राप्त होना या आमदनी होना (४) दाम मिलना (५) असर पड़ना; बस चलना ऊपजवेरो पुं० आयकर ऊपटवू अ० क्रि० उड़ना (रंग आदिका) ऊपड अक्रि० उभरना; ऊँचा होना (२) उठाया जाना (३) प्रस्थान करना; निकलना; उठना; चलना; छूटना (४) अचानक शुरू होना; उठना (पीड़ा, रोग आदिका) (५) चुराया जाना; हड़प हो जाना (६) पैसोंका वापस लिया जाना (७)बिकना; खपना (८) झपटना; लपकना। ऊपडता(-ती)ने एकदम ; यकायक.] ऊपण, स० क्रि० ओसाना ऊपणा, अ० क्रि० ओसा जाना ऊपणुं न० खाटके सिरहाने या पांतेके तरफ़की लकड़ी ऊपस (-सा) अ० क्रि० उभरना (२) फूलना (३) सूजना For Private and Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ऊफर्य ऊफ वि० देखिये 'उपरं ' ऊब स्त्री० फफूंदी; भुकड़ी ऊबक स्त्री०, ( को ) पुं० उबकाई ऊबट वि० सड़ा हुआ; बिगड़ा हुआ (२) उतरा हुआ (तेल, अनाज आदि ) ऊब वि० उकडूं बैठा हुआ (२) आँधा । [-रहीने : = झख मारकर; अपने आप ठिकाने आकर ; मजबूर होकर ; अपनी ग़रजसे . ] [ जमना ऊब अ० क्रि० देखिये 'उबाबुं'; फफूंदी अबळ अ० क्रि० (बटका) खुलना ; उकलना (२) ( घाव या बीमारी क हो जानेके बाद) फिर शुरू होना; पलटा खाना ऊभड पुं० हर रोज उजरत पर काम करनेवाला मजदूर (२) अनिकेत; खानाबदोश कमबुं वि० देखिये 'कभुं ' ऊभणी स्त्री० मकानके फ़रों से बालाखाने तककी ऊँचाई (२) (घरकी) कुरसी ऊभर ( - रा) बुं अ० क्रि० उफान से बाहर निकलना; उमड़ना (२) छलकना (३) बहुत बड़ी संख्यामें इकट्ठा होना उमड़ पड़ना ऊभरो पुं० उफ़ान ; उछाला ( २ ) मनकी वृत्तिका उछाल या गुबार । - [- आववो, चडवो = जोश खाना; गुबार निकलना. ] ऊभवं अ० क्रि० खड़ा रहना - होना (२) थमना (३) डटना; टक्कर लेना; मुक़ाबला या सामना करना ऊभळवं अ० क्रि० देखिये 'ऊबळवं' क्रमाक्रभ स्त्री० लगातार खड़ा रहना ( २ ) अ० बिना रुके; खड़े-खड़े; बग़ैर कल पाये (दी - ५१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊमं ऊभुं वि० खड़ा (२) थमा हुआ; चलता बंद पड़ा हुआ; रुका हुआ (३) सीधा ; तना हुआ ( ४ ) खड़ी चढ़ाईवाला (५) अधूरा; जारी; बाकी; आगे चलनेकी या पूरा होनेकी अपेक्षा रखनेवाला (६) सीधा; जो एक ही दिशामें गया हो; जिसमें घुमाव न हो (७) जिंदा ; मौजूद (पति) (८) लंबरूप | [ऊभां हाडकांनुं = कामचोर; आलसी । ऊभी पूंछडीए नासबुं = दुम दबाकर भागना । —कर खड़ा करना; क़ायम करना; उद्यत करना; रचना; उपजाना; बनाना ( प्रायः जहाँ कुछ न हो उसमें से पैदा करनेका तथा कृत्रिमता या बनावटका भाव बताता है) । - थं = खड़ा होना; स्थापित किया जाना ( २ ) बीमारीमेंसे उठना (३) चुनावमें खड़ा होना । -यई रहेवुं = राह देखते खड़ा रहना ( २ ) बाट देखना; रुकना (३) चकित होना; भौंचक खड़ा रहना । ऊभुं ने अभुं बाळी के सळगावी मूकबुं जिस स्थितिमें हो उसी हालतमें एकदम जला डालना (२) रीस या खीज चढ़े ऐसा कहना या करना; जी जलाना । - रहेवुं = = रुकना (२) बाट देखना (३) टिकना; न डिगना; सामना करना; कम न होना । वरस = सास साल; पूरा वर्ष । ऊभे पगे = लगातार काममें लगा हुआ (२) झटपट ; बिना रुके। कभे पणे थई रहेनुं = अधीर हो उठना ; बेसब्र बनना . ] कमटवुं अ०क्रि० उमड़ना; जोशमें आकर बढ़ना ( २ ) पकना = । अ० क्रि० देखिये 'ऊमटवुं ' For Private and Personal Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ऊमर ऊमर, ऊमरो पुं० देहली; चौखटकी नीचेवाली लकड़ी | [ऊमरा घसवा = ( बेकार ) घर घर भटकना । ऊमरा बच्चे बेसबुं = (आना-जाना रुके इस तरह) चौखटके बीच बैठना ( २ ) फ़ाक़ा करते हुए धरना देना; तक़ाज़ा करना । ऊमरे चढवुं = (किसीके ) घर जाना । ऊखडी जबो = निर्वंश होना; घर बेचिराग़ हो जाना। -खोबी नालबो = लेनदारका तक़ाज़ा जारी रहना । - घसी नालवो = बार बार किसीके घर जाना. ] ऊमरो पुं० उदुंबर; गूलर कमलबुं अ० क्रि० खिलना; विकसित होना (२) ( पशुका) बियानेकी स्थितिमें होना (३) ( चूनेका) फटना ऊर्मिकाव्य, ऊर्मिगीत न० गीति काव्य; 'लिरिक ऊर्मिल वि० भावुक; तरंगी ऊल स्त्री० जीमका मैल; जिह्वामल । -- [ - उतारवी = (दातुनकी चीर या जीभीसे) जीभ का मैल साफ़ करना. ] ऊलक (ल.) स्त्री० हलकी ; क़ै; उलटी ऊलकुं न० मात्र हल्ले - गुल्लेसे मचनेवाली भगदड़ और घबड़ाहट; हुल्लड़ । [ -पडं = भगदड़ होना, मचना. ] ऊलट स्त्री० हौसला; उमंग ऊलट वि० उलटा ; विपरीत । [ -टपाले = लोटती डाकसे. ] ऊलटतपास स्त्री० जिरह ऊलटपा (-पू) लट वि० उलट-पलट; परिवर्तित (२) अव्यवस्थित ; अस्तव्यस्त ( ३ ) स्त्री० उलट-पलट जाँच (४) अव्यवस्था : . ऊलटमेर अ० उमंगके साथ; बाहौसला ५२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊंच ऊलटं अ० क्रि० उमंगसे करना ( २ ) उमड़ना; बढ़ आना (३) हमला करना; टूट पड़ना (४) आँधा हो जाना; उलटना (५) दोहराना; उलटना ऊलटसवाल पुं० प्रतिप्रश्न ऊलटसुलट वि० उलट-सुलट; अस्तव्यस्त ( २ ) उलटा-सीधा ; इधर-उधर ऊलटानुं वि० उलटा ऊलटासुलटी वि० देखिये 'ऊलटसूलट' ऊलटी स्त्री, उलटी; वमन ऊलटुं वि० उलटा ; आँधा ( २ ) विरुद्ध ; आड़ा ( ३ ) खिलाफ़ ; उलटा । [ ऊलटी गंगा बहेवी = उलटी गंगा बहना; स्वाभाविकके बदले उलटा होना; अनहोनी होना. ] ऊलबुं (ल' ) अ० क्रि० ( मौसमका ) बीत जाना; खत्म होना ऊलबुं (ल) अ० क्रि० झुक जाना; नमित होना ( २ ) गाड़ी आदिका आगेसे ऊँचा हो जाना; उलार होना (३) उलटना; सीधेका औंधा हो जाना (४) कूदना ( ५ ) खत्म होना; नाश होना (६) उत्साहके साथ आगे बढ़ना - पाँव धरती पर न रखना [ला. ] ऊंलिपुं न० जीभी ऊशियुं न० हँसिया ऊस पुं० रेह; कल्लर [सर्वनाश ऊसरपाटो पुं० विनाश ( २ ) सत्यानास; ऊहापोह पुं० चर्चा ऊंघ. स्त्री० ऊँघ ; निद्रा; नींद । [ -ऊडी जवी = नींद उचट जाना; जाग पड़ना ( २ ) आलस्य या अज्ञान दूर होना; होशमें आना । काढवी = नींद लेना (२) ( रतजगे के कारण ) भरी नींद निकालना । -येचीने उजागरो For Private and Personal Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंबण वहोरवो = जान-बूझकर दुःख या • झंझटमें फंसना। -मां जq= ग़फ़लत या अनजानमें जाना.] ऊंघण स्त्री० ऊँघ (२) बहुत सोनेकी आदत मालसी; अहदी ऊँघणशी वि० ऊँघनेका आदी (२) ऊँघवं अ० क्रि० ऊंघना; नींद लेना (२) आलसी होकर पड़े रहना; अलसाना (३) अनजाने-अज्ञानमें रहा करना [ला.] । [ऊंधी जसो जाना; गहरी नींदमें गड़प होना (२) (किसी बात या कार्यमें असरकारक होनेसे) बचना; बलासे पड़ा रहना; घरा रहना; उदा० ऊंघी जाय न आवे तो.'] ऊंचारवं अ० क्रि० सुलाना (२) छोड़ देना; शांत करना ऊंचाळ (0) वि० ऊँघनेका आदी (२) जरा जरामें ऊँघे ऐसा अंध वि० उच्च;-से बढ़कर; श्रेष्ठ (२) उमदा; बढ़िया [सिर पर उठाना अंचकवं स० क्रि० उठाना (२) (बोझ) ऊंचकामण न०, (-मी) स्त्री० उठानेकी उजरत; ढुलाई [मदद करना ऊंचकाव, स० क्रि० उठवाना; उठानेमें ऊंचका अ० क्रि० उठाया जाना ऊंच-नीचभाव पुं० अमुक ऊँचा और अमुक नीचा ऐसी भावना ऊँचाई स्त्री० ऊँचाई; बुलंदी ऊंचाण न० ऊँचाई (२) ऊँची जगह टीला ऊंचं वि० ऊंचा; बुलंद; नीचाका उलटा (२) उच्च ; बढ़कर; उमदा (कद, प्रमाण आदिमें) (३) खूब चढ़ाया हुआ (स्वर, आवाज) (४) अनमना; उदास (मन, जीव)। [ऊंची मांस करवी = ( किसी काममें से) आँख उठाना; ध्यान दूसरी ओर जाने देना (२) कोष या विरोष दिखाना; आंख दिखाना। -आवq= (दुःख, पीड़ा, भार आदिसे) छूटना; उबरना; मुक्त होना।-करवंबोझ सिर पर रखना; इसके लिए मदद करना (२) गड़े मुर्दे उखाड़ना। बावई झूठा बखान करना; अति मान देना; चढ़ाना। -जो = काममेंसे अवकाश निकालना या पाना (२) निगाह डालना; खयाल रखना। -नेऊ मामु राखq= गर्वसे इतराना; घमंडमें चूर होना। -मूक, मेलq= अलग या दूर रखना; छोड़ देना; भूल जाना (काम, हया, पढ़ाई आदि) (२) छिपाकर रखना; छिपा देना; बचत करना; संभालना.] ऊंनी वि० ऊँचा-नीचा; ऊबड़खाबड़।[-करवंतरतीबसे रखना; साफ़-सूफ़ करके व्यवस्थित करना (२) खलबली पैदा करना; अशान्ति खड़ी करना [ला. 1ऊंचो नीचो हाथ परवो = अन्यायसे धन कमाना; ऊपरकी आमदनी करना. ऊंचे अ० ऊँचे। [-चडाव देखिये 'ऊंचुं चडावq.] ऊँचेपी अ० ऊँचाईसे; ऊपरसे (२) छुए बिना; ऊंचेसे (३) ऊँची आवाजसे; ऊँचेसे (४) आकाशमैसे ऊंजण न० तेल देना (२) तौलनेका द्रव्य - तेल, अरंडीका तेल वगैरह ऊंज, स० क्रि० तौलना; तेल लगाना (२) रोग या भूत-प्रेत निकालनेके लिए मंत्र पढ़कर फूंकना; झाड़ना For Private and Personal Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अंगाव कंगाव स० क्रि० 'कंजवं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; तुलवाना ऊंट न० ऊँट । [ मे = बहुत लंबा; लंब-तड़ंग (२) बेवक़ूफ़; गँवार । -नां अढारे वांकां = स्वभावसे ही टेढ़ापन; ऊँटकी सब कलें टेढ़ी; ऊँटकी कौनसी कल सीधी.] अंटडी स्त्री० ऊँटनी; सांड़नी ( २ ) सुनारका एक औज़ार y ऊंटडो पुं० ऊँट (२) देखिये 'ऊंटियो' अंडबंद पुं० नीम हकीम; अताई वैद्य ऊंट न० कठबंदई; अनाड़ी उपचार ऊंटिया (-पुं) जीरं म० इसबगोल ऊंटियो वि० ऊँट जैसा ऊंचा ; लंब-तड़ंग (२) पुं० ऊँट (३) मंदबुद्धि और आलसी व्यक्ति (४) भारी बोझ ऊंचा करनेवाला यंत्र; हत्या; बालाकुप्पी (५) उटड़पा (गाड़ीका) मंडळ स्त्री० पेटका वायुगोला ; मरोड़ा ऊंडाई स्त्री० गहराई ( २ ) इसकी माप ऊंडाण न० देखिये 'ऊंडाई' (२) निचान ऊंड वि० सतहसे नीचा; नीचा ( २ ) उथलाका उलटा ; गहरा ( ३ ) भीतरसे लंबा; दूर तक अंदर ही अंदर चला गया हो ऐसा (४) घना (बन ) ( ५ ) गंभीर; गहन; जिसके मनकी थाह न लगे [ला. ] कंदर पुं० चूहा ऊंबरी स्त्री० उंदरी; गंज रोग ५४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंसोरिपुं वि० उलटे काम करनेवाला पांच वि० धुंधला (२) चुंधा (३) मूर्ख (४) उड़ाऊ ऊंची पुतळीनुं वि० जिसकी आंखकी पुतलीमें उलटा या औषा प्रतिबिंब पड़ता हो ऊंं वि० आँधा; उलटा ( २ ) आड़ा; विरुद्ध; सीधा या सुलटेका बिलकुल उलटा ; झूठा । [ ऊंचा पाटा बांधवा = उलटा-सीधा समझाकर बहकाना; उलटी पट्टी पढ़ाना । ऊंषां पगलांनुं = कमनसीब नहसक़दम । ऊंघी पाघडी मूकवी = दिवाला निकालना । —कर = औंघाना (२) देखिये 'ऊंं मारवु' । - घालबुं = शरमाना; लज्जित होना । - घालीने = दूसरी ओर निगाह डाले बिना (२) बिना सोचेसमझे; आंख मूंदकर (३) साहसके साथ । -मारखं = बिगाड़ना; चौपट करना । - वाळवं बिगाड़ना । - वेतर = गुड़ गोबर कर देना; उलटा कर देना. ] For Private and Personal Use Only * कंधुंच (-छ) तुं वि० उलटा-सुलटा अंबाडि न० लूका; लुआठा ऊंबेलो पुं० मरोड़ा मरोड़ ऊंहकारी पुं० 'ऊंह' ऐसा उद्गार; उह कहुं अ० ऊँहूँ; इनकार या हठसूचक उद्गार Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुं० देवनागरी वर्णमालाका सातवाँ अक्षर-एक स्वर बोझ ; ऋण ऋण न० ऋण; कर्ज (२) एहसानका ऋणसंबंध पुं० पूर्वजन्मका लेन-देन ऋणानुबंध पुं० पूर्वजन्मका लेन-देन (२) लेन-देन • ऋणियं, ऋणी वि० ऋणी; क़र्जदार; देनदार (२) आभारी ऋतु पुं० गर्भाधानका काल (२) रजोदर्शन (३) दो मासका नियत काल; ऋतु (४) मौसम; किसी चीजके होनेका उपयुक्त काल [ला.] (५) आबोहवा।[-सवी मौसमका शुरू होना. ए पुं० देवनागरी वर्णमालाका दसवाँ अक्षर-एक स्वर ए स० (निश्चयवाचक) वह (२) वर या वधूकी संज्ञा (हिंदुओंमें) (३) वि० वह एक वि० एक; १ (२) वेजोड़; अद्वितीय (३) अमुक; एक; उदा. 'एक राजा हतो' (४) भेदरहित; समान (५) एक मतका; एकजबान (६) (संख्यावाचक शब्दके अंतर्मे) 'करीब', 'लगभग' ऐसे अर्थमें ; उदा. 'पांचेक, सोएक' (७) 'सिर्फ या मात्र' के भावमें; उदा. 'एक पिताना वचनने सारु'। [-अस्त्रे मूड = (बिना लिहाजके सबके साथ) एकसा बरताव करना; एक लाठीसे सबको हाँकना ।-आंख बवी = आँखें चार होना। आँले जोh = पक्षपात करना। -इंद्रियर्नु मान = एक ही दिशा या हेतुका ज्ञान%B सब तरफ़का नहीं।-कानवी बीजे कान अy = कानोंकान बात फैलना; एक कानसे दूसरेमें जाना। -काने सांभळी बीजे काने काढी नालq= सुनी अनसुनी करना; सीख गाँठमें न बांधना। -कांकरे ये पक्षी मारवां = एक पंथ दो काज । -गुरुना चेला = एक थैलीके चट्टे-बट्टे । -चाए बेकका झटपट जवाब या फैसला (करना, देना)। -पग दूधमा ने एक पग बहीमा = दोनों पक्षोंमें; दो नावों पर चढ़ना । -पछी एकक्रमसे; एकके बाद एक ।-पायो ओछो होवो जरा पागल या अल्हड़ होना।-भवा बेभव करवा-धर्मभ्रष्ट या जातिच्युत होना(२)किसीके घर बैठ जाना।-मगनी (बे) फाड = एक चनेकी दाल; सहोदर । For Private and Personal Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra एक एक - माळाना मणका = एक रोटी, क्या मोटी और क्या www.kobatirth.org तवेकी छोटी । - लाकडीए हांकयुं = एक लाठीसे हाँकना (२) एकसा रौब चलाना । -हायें वाळी न पडे = एक हाथसे ताली नहीं बजती । नुं बेन थवं = जिद न छोड़ना; अपनी बात पर क़ायम रहना; बात पर अड़ना. ] एक एक वि० एक दफ़ा एक (२) एकके बाद एक; क्रमिक एककेसरी वि० एक केसरवाला (फूल) एककोशी वि० एककोशी एकगांठ स्त्री० एका ; मेल; मित्रता एकचक्री वि० एकचक्र; एक पहियेवाला (२) चक्रवर्ती ( ३ ) स्त्री० एकचक्री; एक पहियेवाली साइकल एकच अ० एक ही आदमीके पास सब सत्ता रखकर एकचि वि० एकचित्त; तल्लीन; दत्तचित्त (२) न० ध्यान एकाग्रता एकछत्र वि० एकच्छत्र; एक नरेशवाला ( २ ) न० एकतंत्र शासन-प्रणाली; एकहत्थी हुकूमत [ जगह पर एकजये ( - थ्ये) अ० एकसाथ; एक ही एकजीव वि० एकजीव; अभिन्न एकटाणुं न० एक जून भोजन करना एक वि० इकट्ठा एकत्रित ( २ ) अ० एकसाथ; एक जगह पर; एकत्र एकडो पुं० एककी संख्या बतानेवाला अंक १ ( २ ) हस्ताक्षर (३) क़बूल (४) बिरादरीका गोल । [ एकडा बनरमुं मींडं = जो गिनतीमें न हो; मामूली; निकम्मा । एकडे एकथी = शुरूसे । -करवो = एकका अंक लिखना ( २ ) सही, क़बूलत करना ५६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकदेशीय (३) शादी के लिए बिरादरी का मंडल बनाना । काठी नाखवो = गिनतीमेंसे हटा देना; संबंध-विच्छेद करना (२) जिद छोड़ देना । -कापवो = बिरादरीसे खारिज करना (२) शुमारमें न लेना । -पाडवो = शिक्षारंभ करना ( २ ) सही करना; स्वीकृति देना . ] एकाळि वि० एकपलिया (छाजन ) (२) न० एकपलिया मकान या ओसारा एकतरफी वि० एकतरफ़ा; एकपक्षीय एकतंत वि० आग्रही ( २ ) पुं० आग्रह एकतंते अ० साथ मिलकर; साथमें; एकजीव होकर ( २ ) लगा रहकर ; जारी रहकर ; तंदेही और आग्रहपूर्वक एकतार वि० एक तारवाला (२) एक सरीखा (३) एकरस (४) एकचित्त एकतारी पुं० एकतारा; इकतारा एकताळीस वि० एकतालीस; इकतालीस ; ४१ एकताळी पुं० एकतालीस सेरकी मनवाली माप एकतीस वि० इकतीस; ३१ एकत्र अ० एक जगह पर साथ में (२) एकत्र इकट्ठा; मिले-जुले एकत्रीस वि० देखिये 'एकतीस एकदम अ० एकदम ; तुरंत (२) बिलकुल; निपट; उदा० 'एकदम काळं ' एकवळ वि० जिसकी दाल न बनती हो ऐसा एकविल वि० एकदिल ; अभिन्न हृदय एकविली स्त्री० एकदिली; एकदिल होना (२) मनका मेल; एका एकदेशी (०) वि० एकदेशीय एक ही देशका (२) जो एक ही देश या For Private and Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकमा हिस्सेको लागू हो ऐसा; एकतरफ़ा; एकांगी (३) संकुचित; मर्यादित एकपारं वि० एकसा; फेरफाररहित एकपगे अ० अधीर हुआ हो ऐसे । एकम पुं० इकाई; एकाई; 'यूनिट' (२) एकका अंक; एक (३) गणनामें दाहिनी ओरसे प्रथम अंक या उसका स्थान; एकाई (४) स्त्री० पड़वा; प्रतिपदा एकमत वि० एकमत एकवाक्यता एकमती स्त्री० सबका एकमत होना; एकमार्गी वि० एक ही मार्गको पकड़े रहनेवाला (२) सरल; सीधी राह चलनेवाला एकमेक अ० परस्पर; आपस-आपसमें एकमेळ पुं० मेल; एका (२) वि. सहमत; अनुकूल (३) मेल रखनेवाला एकर पुं० एकड़ एकरगियुं वि० झक्की एकरस वि० एकरस (२) मशमूल एकराश वि० एक राशिका- एक सरी खा; समान गुणोंवाला (२) स्त्री० समानता (३) मेल; एका एकलक्षी वि० एक ही लक्ष्य या हेतुवाला एकलडोकल वि० अकेला; अकेला दुकेला; इक्का-दुक्का एकलता स्त्री० अकेलापन; तनहाई एकलबोकल वि० देखिये 'एकलडोकल' एकलपेटुं वि० अकलखुरा; खुदग़र्ज एकलमूडियुं, एकलमूडं वि० स्त्री, पुत्र आदिसे रहित; निरा अकेला एकलवायुं वि० अकेला; अकेला-दुकेला एकलवीर पुं० अकेला जूझनेवाला वीर एकलसूरं वि० अकेला; संगी-साथीहीन (२) मतलबी एकलियु.न. एक आदमीके सोनेकी नापकी तोशक एकलं वि० अकेला; एकाकी; तनहा एकवचन न० एकवचन [व्या.] एकवचनी वि० कहा पालनेवाला; बातका धनी एकबडु वि० एकहरा; इकहरा [धान एकवारियं न० एक बारका छड़ा हुआ एकवीस वि० इक्कीस; २१ एकसठ वि० इकसठ; ६१ एकतरखं वि० एक सरीखा; समान एकसंप वि० मेलवाला (२) पुं० ऐक्य; मेल एकसंपी स्त्री० (२)वि० देखिये 'एकसंप' एकसाथे अ० एकसाथ; मिले-जुले एकसेरं वि० एक लड़ीवाला. एकसें (-सो) वि० एक सौ; १०० एकहथु (-ज्यु) वि० एकहत्था; एक व्यक्ति द्वारा संचालित एकंदर वि० सारा; कुल एकंदर (-रे) अ०आम तौरसे; समग्रतया एकाएक अ०; एकाएक; अचानक एकाकार वि० एकाकार; एकरूप (२) मिला-जुला; गड्ड-मड्ड निराधार एकाकी वि० एकाकी; अकेला (२) एकाक्ष (-क्षी) वि० एकाक्ष (२) काना (३) पुं० कौआ एकाणु (-j) वि० एक्यानबे; ९१ एकाद(-) वि० एक-आध; एकाध; कोई एक (२)एक-दो (३)शायद एक एकावन वि० इक्यावन; ५१ एकाशण (-j) न० एकाशना; एक जून भोजन करना एकाशी (-सी) वि. इक्यासी; ८१ एकासण (-) न० देखिये ‘एकाशण' For Private and Personal Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org एकासूच एकासूष अ० प्रत्येक; एक-एक; तमाम एकांक विo एक अंकवाला (२) एक अंकवाला (नाटक) ; एकांकी (३) न० इकाई; 'यूनिट , एकांकी वि० देखिये 'एकांक' एकांग वि० एक अंगवाला (२) अपंग (३) पुं० अंगरक्षक एकांगी वि० देखिये 'एकांग' (२) एकतरफ़ा ; एकांगी - (३) हठी; एक ही बातको पकड़े रहनेवाला एकांत वि० सूना ; निर्जन ( २ ) अकेला; एकांत ( ३ ) खानगी (४) एक ही ओर लगा हुआ (५) न० ; स्त्री० सूना स्थान; एकांत " एकांतरा ( ० ) अ० बीचमें एकको छोड़कर [ बारीका बुखार एकांतरियो पुं० एकांतर; अंतरा; एकांतरे अ० देखिये ' एकांतरा एकी वि० जो दोसे निःशेष विभाजित न हो सके (संख्या) ; ताक़ ( २ ) स्त्री० एकता ( ३ ) पेशाबकी हाजत [ ला. ] । [ -करवी = पेशाब करना । -लागवी = पेशाबकी हाजत होना । -थवी = पेशाब होना. ] एकी वि० एक ही (अव्यय जैसे प्रयोगमें; उदा० 'एकीकलमे ' ) एकीकलमे अ० एकक़लम ; एकबारगी एकीडशे (से) अ० एकटक; अनिमेष एकीबेकी स्त्री० बालकोंका एक खेल एकीवलते, एकीवारे अ० एक-साथ एकीसाये अ० एक साथ एके वि० एक भी एकेक वि० एक-एक (२) अलग; जुदा (३) अ० एक-एक एकेकुं वि० एकके बाद एक ५८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एव्वाडी एकोतेर वि० एकहत्तर; ७१ एक्के वि० देखिये 'एके' एक्को पुं० एक्का; एक बूटीवाला ताशका पत्ता (२) एक ही बैल या घोड़ेकी दो पहियोंवाली गाड़ी; इक्का (३) एका; मेल (४) सबसे होशियार या कुशल आदमी; बेजोड़ या श्रेष्ठ पुरुष ; एक [ला. ] एक्याशी (सी) वि० इक्यासी; ८१ एरो (ऍ) पुं० एक औषधि ( २ ) इसका पौधा ( ३ ) रद्दी-सी चीजें [ला.] एसलास पुं० देखिये 'इखलास ' ; दोस्ती एजन अ० ऐजन; फिर वही ; ऊपर बताये अनुसार [मुखतार; एजेंट एजन्ट पुं० आढतिया (२) प्रतिनिधि; एजन्सी स्त्री० आढ़त ( २ ) आढ़तकी दुकान; एजेंसी ( ३ ) अंग्रेजोंके अमलमें सरकारी एजेंटके अधीन (देशी रियासतोंका) प्रदेश एटएटलं वि० इतना ज्यादा एटलामा भ० इतनेमें; इतने समयमें एटलं वि० उतना । [ एटला माटे : इसलिए; इस कारण. ] एटलं बधुं वि० इतना अधिक; पुष्कल एटले अ० अर्थात् ; यानी ( २ ) इससे ; इस परसे ( ३ ) वहाँ तक; उस हद तक (४) उस समय; इतनेमें एटलेयी अ० वहाँसे; उस स्थानसे एठ (ऍ) वि० जूठा (२) स्त्री० जूठन एठवाड (डो) (ऍ) पुं० खाने-पीने के कारण होनेवाली गंदगी ( जूठा बरतन, जूठन वग़ैरह) (२) कूड़ा-करकट; मलिनता । [ एठे पाणीए छांटे ते मी = जूठे हाथसे कुता न मारे ऐसा; बहुत कंजूस . ] For Private and Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एठं (ऍ) वि. किसीके खानेसे बचा हुमा; उच्छिष्ट (२) सा-पीकर या छूकर जुठारा हुमा या जुगरने योग्य; जूठा (३)जिसमें खाया-पिया गया हो या जूठन लगी हो; जून (बरतन, चौका, हाप) (४) न० जूठा या जुठारा जाय ऐसा अन्न एठंबई (ऐं) वि. जूठा (२) न. उच्छिष्ट; जूठन ए(-1) स्त्री० एड़ी; ए: (२)बूटकी एड़(३)बूटमें लगाई जानेवाली घोड़ेको मारनेकी कील; एड़ एगे(ए) पुं० नेह; स्नेह [ओर एणी कोर, एमी गम, एपीपा अ० उस एने (एँ) स. उसने एवी (ऍ) वि० अहदी; आलसी;प्रमादी एवीलान (एँ) न० अहदीखाना एषाण (ऐं)न०,(-जी)स्त्री० निशानी; पहचान; चिह्न । -आपवी, कहेवीपहचान या यादके लिए निशानी देना। -मूकवी = पहचानका चिह्न या निशानी करना या इसके लिए कोई चीज़ रखना. एन (एँ) वि० ऐन; ठीक; असल; खरा (२)खास; मुख्य (३) सुंदर (४)कामचलाऊ; मामूली (५) स्त्री०; न० शान; आबरू (६)जरूरतका वक्त; ऐन वक्त वक्त; अड़ी एनवेळा (एँ)स्त्री० ऐन वक्त; जरूरतका एनायत स्त्री० देखिये 'इनायत'। [-कर= इनायत फरमाना.]. एमिस पुं० अप्रैल एव(एँ) स्त्री० ऐवदोष ; खामी (२) बुराई; कलंक। [-उधारवी - दोष या बराई बताना। -जोवी ऐब ढूंढ़ना; ऐवजोई करना। -कवी = शरीरका गुणांगडकना (२) कलंक पर परदा डालना; ऐवपोशी करना। -लागवी-धब्बा लगना.] एम (एँ) अ० उस तरह । [-करता= उस तरहसे; यों।-, एम, एम ने एम = जैसेका तैसा; बिना फेरफारके; ज्योंका त्यों.] एम छतां (ऍ) अ. फिर भी एमनुं (एँ) वि० उस ओरका; उस रीतका; वैसा (२)(एँ)स० उनका एमां (ऐं') स. उसमें। एरण (-) (एर') स्त्री. निहाई। बी पोरीने सोयन दान = बड़े पापके अनुपातमें प्रायश्चित्तके तौर पर किया जानेवाला अल्प दान या शुभ काम.] एरंडियं न० रेडीका तेल। -पीवं%3 मुंहका स्वाद खराब हो जाना; मुंह बिगाड़ना; मुंह उतरना (मुंह बिगड़ा या खराब हुआ हो तब प्रयुक्त होता है).] एरंसी स्त्री० एरंडकी छोटी जाति; अंडी (२) रेड़के बीज; रेंडी एरंगे पुं० एरंड; रेंड; अंडी; अरंड एरिंग न० कानकी बाली; कर्णफूल एवं(ऐं') पुं० सांप जंतु एवं सांझर (एँ)न० साँप आदि जहरीले एरो(एँ) पुं० माना-जाना (२) उबारा एरोलेरो पुं० सोनारूपाका चूरा;(भंगरा) एलची पुं० एलची; राजदूत एल(-)ची न०; स्त्री. इलायची एलफोल (ऐं; फॅ) वि० उलटा-सीधा; अंड-बंड (२) अविचारी; अंट-संट (३) असभ्य (४) न० नखरा; शरारत (५) अनाप-शनाप For Private and Personal Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org एलबुं एल (ऍल) अ० क्रि० पानी छूटना ( हाथ, नमक आदिमेंसे) एवडं वि० उतना (२) उतना अधिक एवामां (ए) अ० इतनेमें एवं (ए) वि० वैसा; उस तरहका (२) उसके जैसा एवे (ए') अ० उस समय एश (ऍ) स्त्री० ऐश; सुख-चैन एशआराम (ऍ) पुं० ऐशोआराम; भोग-विलास एसर (ऍ) अ० क्रि० द्रवना; पानी छूटना (२) कम होना; घटना ( ३ ) विकार उत्पन्न होना; औसना एळियो पुं० एलुवा; मुसब्बर एळे (०वेळे) (ऍ; वॅ) अ० वृथा; बेकार स्त्री० देवनागरी वर्णमालाका ग्यारहवां वर्ण - एक स्वर ओ पुं० देवनागरी वर्णमालाका बारहवाँ अक्षर - एक स्वर ओइयां (ओ) अ० डकार लेते समय - होनेवाला संतोषजनक उद्गार (२) न० डकार या उसकी आवाज (३) डकार जाना; हजम कर लेना ओक (ऑ) स० क्रि० ओकना; के करना; उबकना (२) हजम किया हुआ माल वापस करना; उगलना [ला. ] ( ३ ) कह डालना; जाहिर करना ६० ऐ ओ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir care (२) बिना मेहनतके; मुफ़्त में । [ -जं = व्यर्थ या बेकार जाना. ] एंजिन (ऍ) न० इंजन; एंजिन एंजिनियर (ऍ) पुं० इंजीनियर एंट (ऍ०) स्त्री० ऐंठ; हठ; जिद ( २ ) इतबार ( लेन-देन संबंधी ) ; साख (३) टेक; प्रतिज्ञा एंटबुं (ऍ० ) अ० क्रि० ऐंठना; अकड़ना (२) ज़िद करना एंठ (०वाड), (-) (ऍ०) देखिये 'एठ' आदि एंव (ऍ०) न० ब० व० इंधन एंघाण (ऍ०) न०, ( -णी) स्त्री० देखिये 'घाण ' . एंशी, (सी) (ऍ०) वि० अस्सी; ८० ऐड वि० आड़ा; जिद्दी; ऐंडा ऐडजंतर वि० पूरा आड़ा; ऍड़ा-बेंड़ा ओकारी (ऑ) स्त्री० उबकाई; उलटी ओकraj (ऑ) स० क्रि० 'ओकबुं 'की प्रेरणार्थक क्रिया ओक्टोबर पुं० अक्तूबर ऑक्सिजन पुं० आक्सिजन ओखर (ऑ) न० मैला; गंदगी । [ - करवुं = (गाय, भैंस आदि चौपायोंका ) विष्टा खाना. ] ओखात (द) (ऑ) स्त्री० ताक़त; बूता ( २ ) औकात ; हैसियत बिसात For Private and Personal Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org atreचालीस भोग चालीस वि० उनचालीस; उनतालीस ; ३९ [४९ ओगणपचास वि० उनचास; उंचास; ओगणसाठ वि० उनसठ; ५९ ओगणीस वि० उन्नीस ; १९ ओगणोतेर वि० उनहत्तर; ६९ ओगण्याएंशी वि० उन्नासी; ७९ ऑगस्ट पुं० अगस्त ओगळं (ऑ) अ० क्रि० ठोस वस्तुका प्रवाही होना; गलना; पिघलना (२) (शरीर) घुलना; दुबला होना (३) दयार्द्र होना; पसीजना; दिल पर असर होना [ला. ] ओगाट (-) (ऑ) पुं० मवेशियोंका खाते खाते छोड़ा हुआ चारा; आखोर ओगान पुं० पानीकी तरंग ओगास (ऑ) पुं०; न० देखिये 'ओगाट' ओगाळ (ऑ) स० क्रि० 'ओगळबुं' की प्रेरणार्थक क्रिया (२) धीरे धीरे [(२) ढेर; राशि ओघ पुं० ओघ ; बाढ़का पानी; प्रवाह ओघड (ऑ) वि० औघर; अनगढ़; बुद्धू (२) भावहीन; लागणीशून्य; • जिसे भयका खयाल न हो मोघरा (ऑ) वि० धब्बेदार ओघराळो (ऑ) पुं० डोई (२) लसदार चीज्रका दाग़ खा जाना ओघलो, ओघो पुं० ओोध; ढेर; गंजी (२) बिखरे हुए बालोंका समूह (३) भोज लेनेवालोंका बड़ा समूह ओचर ( - रियुं) (ऑ) न० हिसाबके ब्योरेका आधाररूप पुरजा; वाउचर ओखितुं (ऑ) वि० अनचीता ( २ ) अ० यकायक अचानक ओच्छव (ऑ) पुं० उत्सव धूमधाम ६१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओझलपस्वी (२) ( गाते-बजाते हुए) भजन-कीर्तन ओड (०५) स्त्री० न्यूनता; कमी ओछाड (ऑ) पुं० बिछानेका कपड़ा; चादर; आच्छादन (२) ग्रिलाफ़ ; खोल ओछाढवं (ऑ) स० क्रि० ढकना; मोढ़ाना (२) छाना; छाँव करना ओछाबोलुं वि० कम बोलनेवाला; मितभाषी [ संकोच ; लज्जा ओछायो (ऑ) - पुं० छाँह; परछाईं (२) ओडुं वि० थोड़ा; कम (२) अधूरा; अपूर्ण (३) घटिया; हलका । [ -आज, आवबुं = दिल दुःखी होना; बुरा लगना (२) अपनेमें हीनभावका अनुभव करना । - : = बला टलना; दूर होना । - = कम या थोड़ा है ऐसा लगना; इसका दुःख या अपमान लगना । पात्र = कम योग्यता वाला या नीचे कुलका; ओछा आदमी (२) जिसके पेटमें बात न पचे (३) अभिमानी; बड़ाई हाँकनेवाला; ओछा आदमी। -लागवं = बुरा लगना; दिल दुःखी होना । - लावj = देखिये 'मोछु आववुं ' । - ओछु थई जवुं = प्रेम या हर्षके भावसे पुलकित हो जाना.] ओवसुं वि० कम-बेश; थोड़ा-बहुत ओजार (ऑ) न० औजार; आला; राछ; साधन योझल (ऑ) पुं० ; स्त्री० ; न० ओझल; परदा; बुरक़ा (२) जनाना । [-पाळबुं = स्त्रियोंका परदेमें रहना । - रहे = परदेमें रहना ( २ ) शरमाना [ला. ].] ओझलपड ( - ) दो (ऑ) पुं० स्त्रियों और पुरुषोंके बैठने की जगहके बीच में डाला हुआ परदा (२) परदा रखनेका रिवाज For Private and Personal Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ओशो ओसी स्त्री० कुम्हारिन ओशो पुं० कुम्हार ओट पुं०; स्त्री० भाटा ( २ ) आड़; ओट (३) पतन [ला. ] (४) अ० वापस ओटप न० तुरपन (२) बखिया ओटणी स्त्री० तुरपन (२) तुरपनेकी मजदूरी ओटली स्त्री० छोटा चबूतरा ओटलो पुं० बड़ा चबूतरा (किसी मकानसे सटकर बनाया हुआ ) । [ -ऊठवो = खूब नुकसान होना; तबाह होना (२) निवंश होना; घर बेचिराग़ होना । -घसी नाखवो = बार बार चक्कर लगाना (आजिजी या खुशामदके लिए) । ओटले बेसवुं = ( क़जैंकी तलबीके लिए ) चौखटके बीच में बैठना ; तक़ाज़ा करना (२) घर उजड़ना; बुरा हाल होना (३) ( बेश्याका) चक्लेमें बैठना. ]. ओटवं स० क्रि० - बखिया करना; तुरपना ओटी स्त्री० अंटी; टेंट; आँटी ओटो पुं० चबूतरा; चौतरा ओठ (ओ) पुं० होंठ ; ओठ । [ - ऊघडवा = जबान खुलना; शब्द निकलना । -उघाडवा = ज़बान हिलाना; बोलना। -करडवा = होंठ काटना या चबाना ( हताशा, पछतावा या क्रोधके कारण) । -पीसवा = होंठ चबाना; (क्रोधसे ) गुस्सा होना । सुषी आववुं होंठों पर आना; बोलनेको उद्यत होना . ] ओठवबुं (ऑ) स० क्रि० ग़लत बात बनाकर कहना ; झूठ बोलना (२) रखना; सजाकर रखना; जमाना (३) ठूंसकर खाना = ओठं (ऑ) बि० झेंपू; खिसियाना (२) न० परदा; ओट (३) ओोटके कारण ६२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओतची बनी हुई एकान्त और अँधेरी जगह (४) छिपने या आश्रय पानेकी जगह (५) परछाई; अक्स (६) बाग़ ; धब्बा (७) बहाना (८) नमूना ; नक़ल (९) तुच्छ व्यक्ति; पुतला (व्यक्ति) (१०) ताना; चुटीली बात ओड पुं० ओड़ ओड (ऑ) स्त्री० गला; गरदन ओडकार पुं० डकार ओडण स्त्री० ओड़ जातिकी स्त्री ओडनं पोट (ऑ; चॉ) वि० कुछका कुछ ! बिलकुल उलटा ; विचित्र । [ -वेतरयुं = बिलकुल उलटा कर डालना. ] ओडवं न० एक फल (२) छोटी नाव; डोंगी ( ३ ) स० क्रि० पेश करना ( ४ ) रोकना (५) अ० क्रि० मुश्किल से बोलना या अपनी बात समझाना [ बाल ओडियां (ऑ) न० ब० व० गरदन परके ओडं न० (खेतका ) धड़का (२) कामचलाऊ खड़ा किया हुआ निकम्मा आदमी; पुतले जैसा आदमी ओढण न०, ( - णी) स्त्री०, ( - णुं ) न० ओढ़ना; ओढ़नी ओढवुं स० क्रि० ओढ़ना (२) अपने ऊपर, जिम्मे लेना; ओढ़ना [ला. ] (३) दिवाला निकालना ओढाडबुं स०क्रि० 'ओढवु ' का प्रेरणार्थक रूप; ओढ़ाना ओढो पुं० ओढ़ना; खोल; ढक्कन ओज (ऑ) अ० इस साल (२) चालू समयमें ओतणी स्त्री० ढालनेका काम; ढलाई (२) ढालनेका पात्र (३) उसकी कला (४) धातु गलानेकी भट्ठी (५) उसकी मजदूरी; तँलाई For Private and Personal Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ओतरंग ओतरंग (ऑ) पुं०; न० उतरंग ओतराचीतरा न० ब० व० उत्तराफाल्गुनी और चित्रा नक्षत्रोंका असह्य गरमीका समय [ उत्तरकी ओरका ओतरातुं (-j) (ऑ) उत्तर दिशाका; ओतबुं स० क्रि० धातु ढालनेका काम करना; ढालना [ रास्ता भूला हुआ ओता (ऑ) वि० (मार्गसे) अपरिचित; ओसारी अ० ओहो ! वाह ! ओय स्त्री० आसरा (२) मदद; शरण ओथमीर पुं० ('अक्कल' शब्द के साथ प्रयुक्त होता है) मूर्ख ओयो (ऑ) पुं० आसरा; शरण ( २ ) ओट; बीचमें आना ( ३ ) छाया; छाँह ओधान (ऑ) न० गर्भ रहना; गर्भाधान ओध्धेदार (-री), ओषो देखिये 'होद्देदार, -री, होद्दो' ओप पुं० ओप; चमक; मुलम्मा ( २ ) पालिश; रौनक़ । [ -आपवो, चठाववो, देवो = रौनक़ बढ़ाना; चमकदार बनाना. ] ओपटी स्त्री ० औपटी; अड़चन ; कठिनाई (२) रजोदर्शन ( ३ ) प्रसूति ओपणी स्त्री० ओप (२) मुलम्मा चढ़ानेका औज़ार ओपबुं अ०क्रि० सोहना; शोभा देना (२) स० क्रि० माँज, रगड़कर चमक लाना; ओपना ( ३ ) ( चाँदी या सोनेका) पानी चढ़ाना ऑफिस स्त्री० आफ़िस कार्यालय; दफ़्तर मोबाळ (-को) पुं० ईंधन ( २ ) नदीके द्वारा लाई गई मिट्टी; भाठ ओभा स्त्री० आफ़त; पीड़ा; बला बोभामण ( - णी) स्त्री० आफ़तमें फँसना; उलझन ६३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओरमायुं ओभावुं अ०क्रि० कठिनाईमेंसे या प्रसूतिकी वेदनामेंसे छूटनेके लिए व्यर्थ प्रयत्न करना (२) घबड़ाना; पसोपेश में पड़ना; फँस जाना (३) आफ़तमें आ जाना: पचड़े में फँसना [भाटा और स्त्री ० लाग- डाँट; चढ़ा-चढ़ी (२) ओर (ऑ) वि० और; अन्य; दूसरा (२) निराला; अजीब; विचित्र ओर (ऑ) स्त्री० आँवल (गर्भका ) (२) आमको पालमें डालना ओरडी स्त्री० छोटा कमरा ओरडो पुं० बड़ा कमरा (२) घर (३) अंतःपुर ; जनानखाना [ला. ] । [ओरडे अजवाऴु होवुं = घर में धनदौलत और संतान होना । ओरडे ताळां 'देवाai= घर बेचिराग़ होना; निःसंतान होना । - वसावी = निःसंतान होना. ] ओरणी स्त्री० बोआई (२) बोआईका समय ( ३ ) बाँसा ( बीज बोनेका) (४) चक्कीका मुँह (५) गलेमें ठूसना - बहुत अधिक खाना ( तिरस्कारमें) ओरणुं न० उतना अनाज जितना एक बार पीसनेके लिए चक्कीमें डाला जाय; झींका; घान ओरत (ऑ) स्त्री० औरत; स्त्री ओरतो (ऑ) पुं० अरमान। [ - रही जवो == मनकी मनमें रहना; अरमान रह जाना । —बीतबो = इच्छा पूरी होना; अरमान निकलना. ] - ओरमाई (न, युं) (ऑ) वि० सौतेला ( माँ या बालकोंके लिए) । [-कर = (बालकके लिए) सौतेली मां लाना (२) सौतेली माँकी तरह बरताव करना.] For Private and Personal Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ओरर्खु ओरखं स० क्रि० में डालना; सदा० 'घंटीमा दळवानुं अनाज ओरवुं ' (२) (बीज) बोना; बाँसेसे (खेत में) बोना (३) ( पकानेके लिए) दाने अदहनमेंखौलते हुए पानी में - डालना (४) मुँह में ठूसना खाना ( तिरस्कारमें) ओरशियो पुं० होरसा; पत्थरका चकला | [ ओरशिया जेबुं साफ = बिलकुल सपाट (२) निर्वंश ; संततिरहित [ला. ].] ओरस पुं० देखिये 'उरस' ओराढवं स० क्रि० देखिये 'ओढाडवं' ओरियो (ऑ) पुं० देखिये 'ओरतो' (२) किनारे परका कुँआ ओरी स्त्री० एक छुतहा रोग ( प्रायः बालकोंका); खसरा ओलवधुं (ल' ) स० क्रि० बुझाना ओला पुं० कच्चा चमड़ा; खाल [ पौदर ओलाण (-j) (ऑ; ला') न० नैची; ओलाव (ऑ) स्त्री० औलाद; संतान (२) कुल ओलां न० ब० व० ओले ओलियं (ऑ) वि० भोला; सरल; उदार (२) भक्त [बंदा ; भक्त ओलियो (ऑ) पुं० औलिया (२) खुदाका ओलुं वि० वह [हुआ छोटा चूल्हा ओलो (ऑ) पुं० चूल्हेके साथ लगाया ओल्युं वि० वह ओवारणं न किसीके अमंगल या दुःखके निवारणके लिए आशिष देनेकी एक रस्म वारना [ ( २ ) निछावर करना 'ओवावं स० क्रि० वारना; बलैया लेना ओवा पुं० (नहाने, धोनेका) घाट ओशरी (ऑ) स्त्री० ओसारी ; दालान; बरामदा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૪ ओसान ओशलो पुं० छाती (२) (बाजरे की ) मोटी रोटी ( तिरस्कारमें) । [-नो ओशली कूटवो मर जा मुआ ऐसी बददुआ देना । करवो, टीपवो = रोटियाँ बनाना ( २ ) रसोई करना (३) खूब पीटना . ] ओशियाळ वि० देखिमे 'ओशियाळु ' (२) स्त्री० न० आश्रय, गरज या एहसान के कारण उत्पन्न होनेवाली पराधीनता या दीनता ; ओशियाळु वि० आश्रय, गरज या एहसान के कारण दबैल या पराधीन (२) शर्मिंदा (३) न० उक्त प्रकारकी पराधीनताका भाव ओशिकळ, ओशिंगण (ऑ) वि० आभारी ओशीकुं न० सिरहाना; तकिया ओसड न० औषध; दवा ( २ ) उपाय; इलाज [ला. ] । [ -करवुं = दवा या इलाज करना ( २ ) विघ्न दूर करनेका इलाज करना । - वाटवं = (२) बदनाम करना. ] ओसडसड न० दवा-दारू = सज़ा करना ओडि न० दवाके गुणोंवाली वनस्पति ओसरवुं (ऑ) अ० क्रि० पीछे हटना; सिकुड़ना (२) कम होना; घटना ( ३ ) सूखना ( ४ ) लज्जित होना; शरमाना ओसरी (ऑ) स्त्री० देखिये 'ओशरी' ओसक्युं स० क्रि० पसाना ओसवावुं अ० क्रि० ( दाना) पकना; गलना; सीझना ( २ ) जज्ब होकर कम होना ( ३ ) मनमें दुःखी होना; मन मसोसना [ला. ] (४) लज्जित होना ओसंगो (ऑ) पुं० शरम; संकोच ओसाण (न) (ऑ) पुं० हिम्मत; जोश; धैर्य (२) निशानी; चिह्न For Private and Personal Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ओसामण ओसामण न० माँड़; पसावन (२) दालके पानी से बनाई जाती एक खाद्य वस्तु ओसारो पुं० ओसारा; दालान ओसाववुं स० क्रि० देखिये ' ओसववुं ' ओहियां अ० देखिये 'ओइयां' ओळ (ळ, ) स्त्री० क़तार; पाँत ( २ ) श्रेणी; वर्ग ( ३ ) गली; कूचा ओळख स्त्री० पहचान; परिचय ( २ ) अल्ल; उपनाम (३) पहचाननेका निशान; परिचायक चिह्न ओळखपत्र न० परिचयपत्र ओळखवं स० क्रि० पहचानना; पिछानना ओळखाण स्त्री०; न० पिछान; परिचय; पहचान ( २ ) पहचाननेका निशान; परिचायक चिह्न (३) पहचाननेवाले मनुष्यका सबूत मोळखाववुं स० क्रि० पहचान कराना ओळखावं अ० क्रि० 'ओळखवु ' क्रियाका कर्मणिरूप ( २ ) परखा जाना; पहचाना जाना; भला-बुरा मालूम होना ( ३ ) प्रसिद्धि प्राप्त करना ओळखीतुं वि० जान-पहचानवाला ; परिचित ओळववं स० क्रि० हड़पना; पराये मालको अनुचित रीतिसे आत्मसात् कर लेना; पचाना (२) छिपाना क पुं० देवनागरी वर्णमालाका पहला व्यंजन - कंठ्य वर्ण कअवसर पुं० प्रतिकूल समय कई स० (२) वि० स्त्री० कौनसी कऋतु स्त्री० प्रतिकूल ऋतु (२) असाधारण या बेमौसिम समय गु. हि-५ ६५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कक भूस ओळवु (ओ) स०क्रि० कंघी करना; (बाल) सँवारना ओळबुंचोळवं (ओ) स० क्रि० मिट्टी, साबुन वग़ैरहसे बालोंको धोना और बादमें कंघीसे सँवारना -सुलझाना ओळंगवं स० क्रि० पार जाना; लाँघना; फाँदना; ऊपरसे होकर जाना (२) कूद जाना (३) उल्लंघन करना; अवज्ञा करना; (आज्ञा, नियमको ) तोड़ना ओळंडवं स० क्रि० ऊपरसे होकर जाना; लाँघना ओळंब पुं० साहुल; सहावल ; गुनिया ओळा पुं० ब० व० बूट; हरे चनेकी फलियाँ; चनेके फलदार हरे पौधेकी पूलियाँ ; होरहा ( २ ) होरा; होला ओळाभोळ अ० एक क़तारमें स्थित; श्रेणीबद्ध (२) एकके बाद एक पंक्ति में आया हो ऐसे ओळायो (ळा,) पुं० देखिये 'होळायो ' ओळांडवं स० क्रि० देखिये ' ओळंडवं' ओळांसवं स० क्रि० मालिश करना; मलना ( २ ) खुशामद करना [ला. ] ओळो पुं० चनेकी अधपकी फलियाँ; होरा ओळो पुं० परछाई (२) थोड़ा स्पर्श या संबंध [ला. ] ( ३ ) रक्षण; आश्रय ककडतुं वि० कड़कड़ाता हुआ (२) कलफ़दार और साफ़ (कपड़ा) (३) कड़ाकेका (सर्दी) [महान; भव्य eeser वि० मजबूत ( २ ) सीधा (३) ककडभूस अ० 'कड़-कड़' आवाज़ के साथ ( टूटना, गिरना आदि ) For Private and Personal Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ककड अ० क्रि० कड़कड़ाना(२)दाँत किटकिटाने लगें इतना कॉपना बत्तीसी बजना (३) 'कड़-कड़' आवाज़ हो इतना खौलना ककडाट पुं० कड़कड़ाहट(२)अ० तेजीसे; फर्राटेसे (३) बिना रुके; एकसमान रीतिसे ककडी स्त्री० छोटा टुकड़ा ककडीने अ० कड़ाकेका; जोरका । ककडे-बचके अ० थोड़ा-थोड़ा करके; टुक-टुक ककडो पुं० टुकड़ा ककई वि० करकरा; खुरदरा (२)तेज़ स्वभावका [ला.] ... [चीख-पुकार ककलाण न० रो-पीट; कलपना (२) ककळवू अ० क्रि० कलपना; बिसूरना (२)बड़बड़ाना (३) उबलना। ककळी ऊठवू = कुहराम मचाना (२) (जी) जलना - दुःखी होना. ककळाट पुं० कज़िया; क्लेश; किकि याना (२) चीख-पुकार ककळाटियुं वि० झगड़ालू; कलहप्रिय ककळाण न० देखिये 'ककलाण' ककाटियो पुं० चकमक कक्कावारी स्त्री० वर्णमालाका अनुक्रम कक्को पुं० क वर्ण (२) ककहरा; वर्णमाला (३) ककहरा; एक तरहकी कविताकी रचना जिसके चरण वर्णमालाके अक्षरोंके क्रमके अनुसार आरंभ होते हैं; अखरावट (४) प्राथमिक ज्ञान ला. ।-खरोकरदो - अपनी राय या जिद दूसरेसे स्वीकृत कराना। -चूंटवो अक्षर घोंटना (२)अक्षरारंभ करना (३)किसी काममें प्रारंभिक अवस्थामें होना। -बूंटपा करवो= अपनी बात पर आना; अपनी गाना.] कक्षा स्त्री० कक्षा; ग्रहोंका भ्रमणपथ (२) स्थिति; श्रेणी; कक्षा. (३) कमर (४) कछोटा (५) कमरा; खास कमरा; अंतःपुर कगर, अ० क्रि० गिड़गिड़ाना कच स्त्री० कच-कच; किच-किच कचकच स्त्री० किच-किच; माथा पच्ची (२) कज़िया; हुज्जत कचकचावq स० क्रि० कच-कच कराना (२) कसकर बाँधना (३) हैरान करना कचकचियुं वि० झगड़ालू ; हुज्जती (२) माथापच्ची करनेवाला कचकडं न०, (-डो) पुं० कचकड़ा कचडवं स० क्रि० देखिये 'कचर' कचरकूट स्त्री० कुचलना और कूटना (२) मेहनत; रगड़ कचरपचर वि० कच्चा; जो मनमें आया ऐसा – पक्व या अपक्व (खाना) कचरवं स० कि० कुचलना (२) बारीक कुचलना (३) कूटना; चूर्ण करना कचरापटी(-ट्टी) स्त्री० कूड़ा (२) कचरेका ढेर कचरापेटी स्त्री० कचरापेटी; कूड़ा डालने या इकट्ठा करनेका संद्रक कचरु न० कचरा; रद्दी चीज कचरो पुं० कचरा; कूड़ा (२) कीचड़ (३) मिट्टीका गारा (४) अति खराब या निकम्मा आदमी [ला.] कचवाट पुं० कचवाट; असंतोष (२) अनबन (३)माथापच्ची [असंतुष्ट कचवाटियु वि० कचवाट करनेवाला; कचवाव, स० क्रि० दिल दुखाना कचवायूँ अ० क्रि० दिलमें दुःख होना; चुभना [(३)कुटेव कचाल पुं० कुप्रथा (२) स्त्री० कुचाल For Private and Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कचाश स्त्री० कचाई (२) न्यूनता कचियं वि० देखिये 'कचकचियु' कचुंबर स्त्री०; न० कचूमर कचूको पुं० चिआँ कचूडो पुं० झूला कचूमर स्त्री० देखिये 'कचुंबर' कचूरो पुं० कुचला कचेरी स्त्री० कचहरी; अदालत (२) आफ़िस; दफ्तर; कार्यालय (३) इजलास; दीवानखाना।[-ए चर, जवू = कचहरी चढ़ना.] कचोरी स्त्री० कचौरी कचोरो पुं० कुचला [रखनेका पात्र कचोलुं न० कचुल्ला; कटोरा(२)रोली कच्चर वि० कुचला हुआ(२)गुप्त (मार) कच्चरघाण पुं० कचरधान; पूरी पामाली। [-नोकळवो, वळवो= बिलकुल तबाह होना.] कच्चाबच्चां न० ब० व० कच्चे-बच्चे कच्छ पुं० कच्छ; लँगोट (२)कछुआ(३) कछार; किनारेकी ज़मीन (४) हमेशा जहाँ पानी रहे वह देश; कच्छ (५) पुं०; न० कच्छ प्रदेश जो सौराष्ट्र के उत्तरमें है कच्छी वि० कच्छी; कच्छ देशका (२) स्त्री० कच्छकी बोली; कच्छी कच्छो पुं० कच्छ; लँगोट कछोटी स्त्री० लँगोटी (२) इसमें आ वृत अवयव कछोटो पुं० कछोटा; कछनी (२) कछोटेमें आवृत अवयव कछोर (-5) न० बुरी औलाद; कपूत कजळ(-ळा)q० अ० क्रि० कजलाना; झंवाना कजात वि० कुजन्मा; कमजात; नीच कटारी कजारजा स्त्री० खुदाका कहर; आफ़त (२)कजा; मौत कजावो पुं० कजावा कजियाखोर वि० झगड़ालू कजियो पुं० कज़िया; तकरार कजोडं न० स्वभाव, रूप, वय आदिमें असमान जोड़ा (वर-कन्याका); बेमेल जोड़ा कट स्त्री० कुट्टी (लड़कोंके खेलमें) कट पुं० कट; काट (पोशाक) कट अ० तुरत; पट ; खटसे। [-वईने, लईने खट आवाजके साथ (टूटना).] कटकट स्त्री० ऊब पैदा करनेवाली आवाज (२)बक-बक; चिढ़ चढ़े ऐसी टोक; किट-किट (३)अ० 'किट-किट' आवाजके साथ (४)कड़कड़ाते हुए कटकटावq स० क्रि० कटकटाना कटकणुं वि० कनकना (टूटना); खस्ता कटकिय वि० कनकना (२)न० छप्पर (३) बालाखाना; मंज़िल ककियो पुं० सैनिक कटकी स्त्री० छोटा टुकड़ा; कुटका कटकून छोटा खेत; गाटा कटको पुं० टुकड़ा कटलुं न० कुटिया (२) टट्टर कटाकटी स्त्री० मारपीट; मारकाट (२) जानलेवा दुश्मनी (३)जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता (४) नाजुक समय अड़ी कटाणुं वि० कसैला(२)कसैला (स्वाद) (३) बिगाड़ा हुआ; बनाया हुआ (मुंह) (४) न० अयोग्य समय कटामणुं वि० कसाव चढ़ावे ऐसा (२) जिसमें कसाव उतरे ऐसा (३) कसला कटार स्त्री० (अखबारका) कालम कटार (-री) स्त्री० कटार (शस्त्र) टा. For Private and Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कटाव बैल कटाव पुं० एक छंद ( २ ) पत्तोंके खेल में अमुक पत्तोंका न होना ( ३ ) काट या खोदकर बेल-बूटे बनाना; कटाव ( ४ ) ( पतंगका) पेच [ बूटोंवाला कटावदार वि० कटावदार; कटाव स०क्रि० कटाना; कटवाना (२) अ०क्रि० कसाव लगे ऐसा करना कटावं अ० क्रि० कसाना (कसावसे) कटि स्त्री० कटि; कमर कटिबद्ध वि० कटिबद्ध ; तैयार कटिबंध पुं० कमरबंद (२) कटिबंध ( पृथ्वीका ) कटी स्त्री०, कटीबद्ध वि०, कटीबंध पुं० देखिये 'कटि; कटिबद्ध; कटिबंध ' कटु ( ०क) वि० कटु ; कड़वा (२) तीखा ( ३ ) अप्रिय [ला. ] कटेव स्त्री० कुटेव कटोकटी स्त्री० अड़ी; नाजुक वक्त कटोरी स्त्री० कटोरी; छोटा कटोरा कटोरो पुं० कटोरा ; प्याला कट्टर वि० बहुत कड़ा; दृढ़ (२) कट्टर; चुस्त ( ३ ) प्राणघातक कट्टा (-ट्टी) स्त्री० कुट्टी; मंत्री भंग कट्टु वि० देखिये ' कट्टर ' कठ स्त्री० ऊमस ( २ ) अंतर पीड़ा; घबडाहट (३) कठिनाई कठण वि० कठिन (२) दुस्साध्य ; मुश्किल । [-छातीनुं = दुःख या संकट झेल सके या उसका मुक़ाबला करे ऐसा. ] कठणाई स्त्री० कठिनाई कठवं अ० क्रि० दु:ख होना; घबड़ाना (२) ऊमस होना ( ३ ) चुभना ; अखरना कठारो पुं० ऊमस ( २ ) देखिये 'कठेडो ' कठियारं न० लकड़हारेका पेशा कठियारो पुं० लकड़हारा ६८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कडलं कठेडो ( - रो ) पुं० खिड़की, जीना, छत आदि स्थानों परसे गिर न जाये इस लिए की हुई आड़; कटहरा ( २ ) अटारी; झरोखा कठोळ न० दलहन; द्विदल कड स्त्री० पहली बार कूटा हुआ धान (२) गिनती पर दी जानेवाली चीज़ के ऊपर प्रति सैकड़े दी जाती वृद्धि कडक वि० कुरकुरा (२) कठिन; मुश्किल ( ३ ) कच्चा; अपरिपक्व कडकड अ० कड़कड़ाकर कडकडतुं वि० देखिये ' ककडतुं ' कडकडाट पुं० (२) अ० देखिए 'ककडाट ' कडकडाववुं स० क्रि० कड़कड़ाना कडकडीने अ० देखिये ' ककडीने ' ( २ ) अति वेगसे aseबंगाळी वि० मुफ़लिस; निर्धन कडकाई स्त्री० कड़ाई (२) तंगी; अर्थ कष्ट कडकाबालूस वि० देखिए 'कडकबंगाळी' कडकी स्त्री० छोटा टुकड़ा कडको पुं० टुकड़ा कडछी स्त्री० कलछी; करछी कछो पुं० कलछा; करछा कडड (०कडड) अ० कड़ककर (टूटना ) ess भूस अ० कड़ककर (टूटना, गिरना आदि ) कदो पुं० कम देना (२) मिलावट (३) बाट । [ -करवी = छूट देकर सस्तेमें दे देना (२) बाधा दूर करके सौदा पटाना. ] [कड़बी; कड़वी कडप पुं० देखिए 'करप ' ( २ ) स्त्री० कडब स्त्री० कड़बी; कड़वी कडली स्त्री० कडुला; छोटा कड़ा ( बच्चोंका) कडलं न० कड़ा; पविका एक गहना For Private and Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कडवाट कडवाट स्त्री० कडुआहट (२) मनमें दुर्भाव; संबंध में कटुता [ला. ] कडवाश स्त्री० कडुआपन कडवी स्त्री० गुडुच कडवं न० एक ही रागके काव्यकी कुछ कड़ियोंका समुदाय जैसा कडवं वि० कड़वा ; कडुआ ( २ ) अप्रिय । [ कडवी जीभ = अप्रिय लगे बोलना. ] [कड़वा ; अति कटु कडवुझेर, कडवंवख वि० ज़हर, विष-सा कडवो पुं० करवा; टोंटीदार लोटा कडा पुं० एक प्रकारका धान -चावल कडा पुं० कुटज; इन्द्रजौका पेड़ कडा स्त्री० कड़ाही (तलनेकी) (२) देग़ कडाई स्त्री० कड़ाही; कढ़ाई कडाक अ० कडाकेके साथ कडाकडी स्त्री० चढ़ा- ऊपरी (२) सख्त बोल-चाल; मार-पीट ( ३ ) कड़ाका ; फ़ाक़ा कडाकूट स्त्री० किच-किच ; माथापच्ची कडाकूटियुं दि० मग़ज़चट; माथापच्ची करनेवाला; उकता देनेवाला कडाको पुं० कड़ाका; कड़क (२) कड़ाका; निराहार उपवास । [ कडाका थवा, पडवा = खाना नसीब न होना; फ़ाक़े होना. ] कडाबीन स्त्री० कडाबीन; छोटी बंदूक़ कडा ( - ढा) युं न० कड़ाहा कडियाकाम न ० राजका काम; राजगीरी कडियाळी वि० स्त्री० लोहेकी कड़ियाँ जड़ी हुई लाठी; लोहाँगी कडियो पुं० राज; मेमार कडी स्त्री०कडी ; अँकड़ी ; हुक (२) गोल मोड़ा हुआ तार या छड़; कड़ी ( ३ ) कानका एक गहना; बाली ( ४ ) बेड़ी ६९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कणजी (५) कविताकी टेक; चरण; कड़ी ( ६ ) क़तार; पंक्ति ( ७ ) किवाकी जंजीर या साँकल; कुंडी । [ -करवी = बेड़ी डालना | देवी, मारवी = कुंडी लगाना.] [ (२) मज़बूत; दृढ़ कडीतोड वि० कड़ी या साँकल तोड़े ऐसा astबंध वि० सिलसिलेवार; पंक्तिबद्ध (२) साँकलकी तरह जोड़ा हुआ कडु न० एक वनस्पति - औषधि; कुटकी कडुं न० कड़ा; बडी कड़ी (२) हाथका एक गहना; कड़ा कडूचं वि० कुछ कड़वे स्वादका कडेटार अ० झपाटेके साथ; तेजीसे कडो पुं० कुड़ा, इन्द्रजौका पेड़ कडोकफ न० कफ ; चकमक और डोरेका आग झाड़नेका एक साधन कढंगुं वि० कुठंगा; बेडौल कढा ( ०ई) स्त्री० कढ़ाई; कड़ाही कढापो पुं० ऊमस (२) क्लेश; कुढ़न (३) कढ़ी (तिरस्कार में ) कढायुं न० कड़ाहा कडियल वि० कढ़ा हुआ; खूब खौला हुआ कढी स्त्री० कढ़ी कण पुं० कण ( २ ) परमाणु ( ३ ) ब्राह्मण या अभ्यागतको दिया हुआ भिक्षान्न [ला. ] कणक वि० अपरिपक्व; ज़रा कच्चा कणक स्त्री० गूंधा हुआ आटा ( २ ) भिक्षान्न कणकण स्त्री० कराह; आह कणकणवं अ० क्रि० कराहना; आह खींचना कणकी स्त्री० कनकी ; किनका कणजियुं न० करंजके बीजका तेल कणजी स्त्री० एक पेड़ करंज For Private and Personal Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कम कणवू अ० क्रि० कराहना कणसलं न० बाल (जौ, गेहूँ आदिकी) कणस, अ० क्रि० कराहना कणिकपुं०; स्त्री० बाल ; खोशा(२)कण; किरच (३)गूंधा हुआ आटा कणिका स्त्री० कणिका; परमाणु (२) रगड़से शरीर पर पड़ा हुआ चिह्न घट्ठा कणी स्त्री० देखिये 'कणिका' । कणेजरो पुं० एक वनस्पति-औषधि कणो पुं० सँपोला; पोआ (२) फेंटा (३) ओटनीकी धुरी (४) ओटनीकी पेचदार लाट कैंची; कैंची कतरणी स्त्री० धातुके पत्तर काटनेकी कतरातुं (-यु) वि० कतराता हुआ; तिरछा जाता हुआ कतरायं अ० कि० कतराना; तिरछा जाना (२)विरुद्ध जाना (३)कटना कतल स्त्री० क़तल; कल कतलखानुं न० कत्लगाह; वधस्थल कतलनी रात स्त्री० क़तलकी रात; मुहर्रम महीनेकी दसवीं रात (२)बहुत धमाल और ज़ोरोंकी तैयारीका समय, किसी कामको पूरा करनेके वास्ते जोर-शोरसे की जानेवाली पूर्व तयारी या उसकी धमाल कतार स्त्री० कतार; पंक्ति कथनी स्त्री० कथा; बात; कथनी [प.] कथरोट स्त्री० कठौता; कठला कथंएँ स० क्रि० कहना; बोलना(२)कथावार्ता करना (३) टीका या विवेचन करना [(२)बिगड़ना कथळवं अ०क्रि०(हड्डी आदिका)उखड़ना कथाकार पुं० कथक्कड़; कथक (२) कहानी रचनेवाला; कहानीकार कनकवो कथीर न० राँगे और सीसेके मेलसे बनी हुी धातु; जस्ता (२) हलकी, तुच्छ वस्तु [ला.] कथीरी स्त्री० किलनी; चिचड़ी कथीरो पुं० बड़ी किलनी ; चिचड़ा कथोल स्त्री० अच्छे लागका अभाव (२) बिगड़ना कथोल (-लुं)वि० कुठौरका (२) असु विधाजनक (३)प्रतिकृल; बाधक कथ्थाई वि० कत्थई; खैरा कद ='कु' -खराब; निंद्य (यह पूर्वग है और नामके पहले आता है); उदा० 'कदरू'' कद न० क़द ; देहकी ऊँचाई (२)प्रमाण; विस्तार; आकार (३) वज़न; भार (४) पद; दरजा। [-खसq=कुल, दरजा या आबरू जाना या कम होना.] कदम न० क़दम ; पाँव (२)डग कदमबोसी स्त्री० क़दमबोसी (२) साष्टांग प्रणाम ; नमस्कार कदर स्त्री०कद्र; क़दर कवरदान वि० क़दरदान; कद्रदान कदरूपुं वि० कुरूप ; बेडौल कदा अ० कब (२) कभी; शायद कदाच अ० कदाचित् ; शायद (२) कभी; (संभवतः) किसी समय कदाचित अ० कदाचित् ; कभी कदापि अ० कदापि; कभी (२)हरगिज़ कदावर वि० कद्दावर; बड़े डील-डौलका (२) मजबूत कवी अ० कदापि; कभी(२)किसी समय कदीक अ० शायद ही; छठे-छमासे कदी कवी अ० कभी-कभी कनकवी स्त्री० छोटा कनकौवा कनकवो पुं० कनकौवा। -अपाययो, मुकाववो पतंगको उड़ता करनेके For Private and Personal Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कफ कनागत लिए दूसरेका उसे दूर ले जाकर छोड़ना; दरियाई देना। -चगाववो = पतंग उड़ाना.] कनडगत स्त्री० कष्ट ; दुःख देना कनडq स० क्रि० दुःख देना; सताना कनात स्त्री० कनात (२)मोटे कपड़ेका पर्दा कने अ० कने; पास कन्ना स्त्री० कन्ना (पतंगफा)-खावीकनियाना; कन्नी खाना। -बांधवी% कन्नेकी डोर बांधना.] कन्नाअ० क्रि० कनियाना; कन्नी खाना कनी स्त्री० कन्नी; धज्जी (पतंगकी (२)छोटी पतंग कन्या स्त्री० कन्या; क्वारी लड़की (२) पुत्री (३) कन्या (राशि) (४)पार्वती (५)कन्ना। [-ऊतरवी = विवाह-संबंध होना; बेटी-व्यवहार होना. कन्याकाळ पुं० कुंआरेपनका काल (२) कन्याका विवाह करनेका समय कन्याराशि वि० कन्यारासी; स्त्री-स्व भाववाला (२)स्त्री०एक राशि; कन्या कन्याविक्रय पुं० कन्या देनेके बदले में लिये जानेवाले पैसे; कन्याशुल्क कप पुं० कप; प्याला (२)प्रतियोगितामें विजेताको मिलनेवाला प्याले जैसा विजय-प्रतीक कपची स्त्री० गिट्टी (२) पत्थरका चुरा कपट न० कपट । [-रमबुंधोखा देना; कपट करना.] कपटवेश पुं० कपटवेश; बनावटी भेस कपरछाण वि० कपड़छान; कपडेसे छाना हुआ (२) (औषध आदि) कपड़ेमें । सीकर मिट्टीसे लीपा हुआ; कपड़मिट्टी । किया हुआ (३) न० कपड़छन कपडमट्टी स्त्री० कपड़मिट्टी कपडालत्ता न० ब०व० कपड़ा-लत्ता कपडु न० कोरा कपड़ा (२) वस्त्र ; कपड़ा कपरं वि० कठिन (२)तेज स्वभाववाला; सख्त (३) दबंग (आदमी) कपातर वि० देखिये 'कुपात्र' कपाशियोपुं० बिनौला(२)फुसी आदिको दबानेसे निकलनेवाली कड़ी पीप; कील कपाशी, कपासीस्त्री० (पावके)तलवोंमें गाँठ पड़ जाना; गोखरू कपास पुं० कपासका पौधा (२)बीज समेत रुई; कपास कपासियो पुं० देखिये कपाशियो' कपाळ न० ललाट; भाल (२) कपाल; खोपड़ी (३) भाग्य [ला.] कपाळकूट स्त्री० माथापच्ची; किच-किच कपूत पुं० कपूत (बेटा) कपूर न० कपूर [सुगन्धित जड़ी) कपूरकाचरी(-ली) स्त्री० कपूरी (एक कपूरियां न०ब०व० कपूरी (नागरदेलके पान) (२)कच्चे आमकी लंबी फाँके कपूरी वि० कपूरी; कपूरके रंगका (२) कपूरी नामका (पान) कपेचुं वि० पेचीदा; अटपटा कपोटी स्त्री०,(-)न० पपड़ी (रोटीकी) (२)पतली छाल; ऊपरी पतली परत कपोळकल्पित वि० कपोलकल्पित कप्तान पुं० अगुआ; मुख्य या बड़ा अफ़सर(२)जहाज़ या स्टीमरका मुखिया; कप्तान (३)पलटन या किसी टुकड़ीका नायक; दल-नायक कफ पुं० कफ; शरीरकी तीन धातुओंमें से एक (२)खाँसी (३) बलगम; कफ कफ पुं० चकमकसे झड़ी हुभी आगको पकड़नेवाली रुई; कफ For Private and Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कफन कफन न० कफ़न (२) मुर्दा रखनेका बक्स कफनी स्त्री० कफ़नी; फ़क़ीरोंका बिना बाँका कुरता ( २ ) छोटी बाँहका लंबा कुरता ७२ कफा वि० खफ़ा; नाराज; कुपित कफामरजी स्त्री० खफ़गी ; नाराजगी कफोडुं वि० प्रतिकूल; विषम (२) कुढंगा; मुश्किल [(२) कोष्ठबद्ध कबज वि० जो कब्जे या अधिकारमें हो कबजागीरो पुं० भोगबंधक; पटबंधक कबजिय ( - या ) त स्त्री० रुकावट ; अवरोध (२) क़ब्ज़ ; कब्जियत कबजेदार वि० क़ब्ज़ेवाला ( २ ) पुं० ऐसा व्यक्ति ; क़ाबिज़ कबजो पुं० क़ब्ज़ा; अधिकार ; दखल (२) दबाव ; पकड़ क़ाबू ( ३ ) बिना बाँका या छोटी बाँहका कुरता (४) चोली; अँगिया । [ - करवो = क़ब्ज़ा या अधिकार करना; हथियाना। - मेळववो, लेबो = वाक़ायदा क़ब्ज़ा लेना. ] कबजो भोगवटो पुं० क़ब्ज़ा और उपभोग; अधिकार और भुक्ति कबर स्त्री० क़बर; क़ब्र ( २ ) मुर्दा गाड़ने के बाद उसके ऊपर बनाया हुआ चबूतरा कबरस्तान न० क़ब्रिस्तान ; क़बरिस्तान कबाट पुं०; न० अलमारी कबाड वि० कुरूप; दुष्ट ( २ ) पुं०घासका भरा हुआ गाड़ा (३) न० मकान बना -- नेकी लकड़ी कबाडी वि० बुरे काम करनेवाला (२) पुं० मकानकी लकड़ीका व्यापारी (३) लकड़हारा कबाडुं वि० बेडौल, कुढंगा ; कुरूप (२) बुरा ; दुष्ट; व्यभिचारी ( ३ ) न० वैसा काम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कभारवा ; कबाब पुं० कबाब कबाबचीनी स्त्री० कबाबचीनी कबालो पुं० बदला; एवज़; विनिमय (२) क़बाला; बयनामा (३) वादेके मुताबिक़ पैसे देने की शर्त पर की हुई खरीद कबी अ० कभी ; कदापि कबीर वि० कबीर; महान ( २ ) पुं० भाट कवि (३) संत कबीरदास कबीरो पुं० कबीरपंथियोंका चौड़े मुँहका भिक्षापात्र कटोरा ( २ ) इस्लामी शरियतके मुताबिक़ महा अपराध कबीलो पुं० बीवी-बच्चे (२) क़बीला कबुलाव स० क्रि० क़बुलवाना कबुलाबुं अ० क्रि० क़बूला जाना कबूतर न० कबूतर कबूतरखानुं न० कबूतरखाना; काबुक (२) छोटे छोटे बहुत ख़ानोंवाली अलमारी (३) गंदी जगह [ला. ] कबूध स्त्री० कुबुद्धि; दुर्बुद्धि कबूल वि० क़बूल; मंजूर कबूलत स्त्री० क़बूलियत ; स्वीकृति । [ - आपक्षी, करवी = क़बूलना (२) क़बूलियत लिखना । -मागवी = स्वीकार करने को कहना; बात मंजूर है या नहीं यह पूछना; स्वीकृति माँगना. ] कबूलतनामुं न०; कबूलतपत्र पुं० क़बूलियत; इक़रारनामा; स्वीकृति - पत्र कबूलमंजूर वि० क़बूल किया हुआ; स्वीकृत मंजूर कबूलवं स० क्रि० क़बूलना; स्वीकार करना (२) स्वीकृति देना For Private and Personal Use Only • कबूलात, ( ० नामुं ), ( ० पत्र) देखिये 'कबूलत, कबूलतनामुं, कबूलतपत्र' कम, कब्रस्तान देखिये 'कबर, कबरस्तान' कभारजा स्त्री० लड़ाकी, कर्कशा स्त्री Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कभावो कभावो पुं० अनिच्छा; अरुचि; तिरस्कार कम वि० कम (२) खराब ; बुरा कमअक्कल वि० कमअक्ल ; मूर्ख (२) स्त्री० कम अक्ल ज्ञान कमआवडत स्त्री० अल्प कौशल; अल्प कमकमवं अ० क्रि० सिहरना; काँपना कमकमाट पुं०,(-टी) स्त्री० कँपकँपी; सिहरन (२)त्रास (३) जुगुप्सा; घृणा कमकमां न० ब० व० कँपकँपी; सिहरन । [-आववां, खावां, छूटवां = कँपकँपी छूटना.] कमकमी स्त्री० कँपकँपी (२)घिन कमखो पुं० कंचुकी; अँगिया कमजरे अ० वृथा; बेकार; बरबाद कमजात वि० रखेलीके पेटका कमठाईं न० कमठी; कमठ कमठाण न० बड़ा परिवार; रिसाला (२)असबाब; सामान (३) बेढंगी या खामखा बड़ी रचना कमतर वि० कमतर; घटिया कमताकात वि० कम ताक़तवाला कमती वि० कम; अल्प कमन न० अप्रीति; अरुचि नसीबी कमनसीब वि० कमनसीब (२)न० कमकमबेश वि० कमोबेश; कम-ज्यादा कमर स्त्री० कमर। [-कसवी, बांधवी कमर कसना; तैयार होना; कमर बाँधना। -तटवी, भांगवी=हताश होना; दिल बैठ जाना; हिम्मत पस्त होना। -तोडवो सख्त मेहनत करना (२) अन्य पस्तहिम्मत हो ऐसा करना.] कमरक (-ख)न० कमरख (फल) कमरपटो, कमरबंध पुं० कमरबंद; पट्टा कमळ न० कमल; पम कमळकाकडी स्त्री० कमलगट्टा कमीजास्ती कमळी स्त्री० कमलबाई; पीलिया । कमळो पुं० कमल; पीलिया (२)विकृत दृष्टि [ला.] कमंडळ (-छु) न० कमंडल; कमंडलु (२)एक धातुपात्र (परोसनेका) कमाई स्त्री० कमाई; उपार्जित धन कमाउ वि० कमाऊ; कमासुत . कमाड न० किवाड़ । [-देवू, वासq= किवाड़ बंद करना। भांगवां बारबार आना-जाना (वसूली आदिके लिए).] कमाणीस्त्री० कमाई; कमाया हुआ धन कमान स्त्री० कमान; धनुष (२)कमानके आकारकी कोई बनावट ;. मेहराब (३) कमानी; 'स्प्रिग' । [-चडाववीकमान खींचना (धनुष)।-छटकवी = कमानी (स्प्रिंग) छटकना (२) गुस्से में होना; कमान चढ़ना.] कमाल वि० कमाल ; पूर्ण (२) उत्कृष्ट ; कमाल ; बढ़िया (३) सुंदर (४)स्त्री० हद ; पराकाष्ठा । [-करवी= कमाल करना; भारीपराक्रमका काम करना.] कमावq स० कि० (चमड़ा) कमाना; काम लेने लायक बनाना (२) 'कमावू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; कमवाना कमावू स० कि० कमाना; पैदा करना कमिटी स्त्री० कमिटी; कमेटी; समिति कमिशन न०कमीशन ; कमिशन; दस्तूरी (२)नियुक्त जाँच-समिति; कमीशन (३) अधिकार-पत्र ; सनद (४) मुखतारी; अधिकार कमिशनर पुं० कमिश्नर-एक अमलदार (२) कमीशनका सदस्य कमी वि०कम ; अल्प (२)न्यून ; अधूरा; __ऊन (३) स्त्री० कमी; खामी; कसर कमीजास्ती वि० कम-ज्यादा; कम-बेश For Private and Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कमीना कमीना स्त्री० कमी; खामी ; कसर कमुरत न० अशुभ मुहूर्त ; कुसाइत कमुरतां न० ब० व० अशुभ दिन कमोत न० कुमौत; अस्वाभाविक मृत्यु कमोसम स्त्री० बेमौसिमका समय; प्रतिकूल ऋतु; अयोग्य काल कम्मर स्त्री० देखिये 'कमर' कयुं स० (२) वि० कौन ; कौनसा ; क्या कर पुं० कर; हाथ ( २ ) कर ; महसूल ; ज़कात ( ३ ) नेग; लाग ( ४ ) किरण (५) सूंड (६) दोकी संज्ञा । [ -घालवो, ठोकयो, नाखवो, बेसाडवो = कर लगाना । —भरवो = कर देना, भरना. ] करकर स्त्री० किरकिरी करकरियावर पुं० लग्न आदि अवसरों पर की हुई लेन-देनकी प्रतिज्ञा; ठहरौनी ; पहरावनी ( पोशाक या रुपये ) ; लाग करकरूं वि० करकरा ; खुरदरा करकसर स्त्री० किफ़ायत; मितव्ययिता करकसरियं वि० किफायतशार; कमखर्च करकोलवं स०क्रि० धीरे-धीरे काटकर या ककोरकर खाना; दूंगना करगरवं अ०क्रि० देखिये 'कगरवुं ' करच स्त्री० किरच; कनी करचली स्त्री० झुर्री ( देह पर) ; चुनट ( काग़ज़ आदि पर ) करचलो पुं० केकड़ा करचळी स्त्री० देखिये 'करचली' करचोली ( -ळी) स्त्री० ०देखिये 'करचली' करज न० क़र्ज़ ; क़र्ज़ा । [ काढवं कर्ज पर लेना ; क़र्ज़ लेना । - चूकवबुं, पतवबुं = ऋण चुकाना ; क़र्ज़ अदा करना । केरजे आपथुं, लेबुं, काढवु = क़र्ज़के रूपमें देना, लेना. ] ex Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करम करजदार वि० क़र्ज़दार करजाळी स्त्री० काजल पारनेका मिट्टीका दिया; कजलौटी ( २ ) चिमनी करड स्त्री० देखिये 'कड' करड स्त्री० काट; डंक ( २ ) खुजली करडकणुं वि० कटहा; काटनेवाला करडवुं स०क्रि० काटना ; डँसना ; दाँत से काटना (२) खाना (तिरस्कारमें) (३) कष्ट पहुँचाना, काटना करडाको (-गी) स्त्री० ( वाणीकी) वक्रता; कटाक्ष (२) बाँकपन; अकड़; ऍठ (३) सख्ती; कड़ाई करणी स्त्री०करनी; करतूत ; आचरण (२) राजका एक औज़ार ; कन्नी ( ३ ) चमत्कार; जादू करताल ( -ळ ) स्त्री ० हाथ से ताली बजाना (२) करताल; झाँझ करतां अ० - से (तुलना बतानेके अर्थ में); -की अपेक्षा करतुं कारवतुं वि० करता-धरता ; मुख्य ; अगुआ; जिसकी चलती हो ; कारबारी करतूक (त) न०करतूत; करनी ( २ ) ( खराब) बर्ताव ; आचरण करप पुं० आतंक; दाब ; धाक; अंकुश । [ - बेसाडवो: = धाक जमाना। - राखवो = क़ाबू में रखना; बसमें करने के लिये रोब जमाना.] करपवुं स० क्रि० दाँतोंसे थोड़ा-थोड़ा काटना ; ककोरना; कुतरना; दूंगना करपीण वि० रोयें खड़े करनेवाला; निर्दय करबडी स्त्री० खेतीकी घास निकालनेका एक औज़ार ; गहनी For Private and Personal Use Only करबवुं स०क्रि० खेतमें गहनी देना करभाग पुं० करके रूपमें देनेका भाग करम न० करम; काम (२) कुकर्म (३) भाग्य विधाता । [ - ऊघडवु - नसीब Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खुल जाना; सुअवसर प्राप्त होना। -फूट करम फूटना बुरे दिन आना। -बांधवां आनेवाले जन्ममें (खराब) फल भुगतने पड़े ऐसे करम करना; पाप कमाना। -ना भोग-कर्मफलके रूपमें मिलनेवाले दुःख ; कर्मभोग.] करम स्त्री०करम ; उदारता (२) कृपा करम पुं० कृमि ; पेटमें होनेवाला एक कीड़ा करमकथा स्त्री० करमकथा; बीती करमकल्लो पुं० करमकल्ला; बंधगोभी; पातगोभी करमकहाणी स्त्री० बीती (कथा) करमकूट स्त्री० निरर्थक श्रम; माथा पच्ची; किच-किच (२) पिष्टपेषण करमज,करमजी देखिये 'किरमज' आदि करमदी स्त्री०, (-दो) पुं० करौंदा करमनुं फूटलं वि० अभागा; बदनसीब करमापरमी वि० कर्माधीन; भाग्याधीन करमा अ०क्रि०कुम्हलाना; मुरझाना करमियो पुं० देखिये 'करम'; कृमि करमी वि० नसीबदार (२) धनाढ्य करमोड स्त्री० मोच करमोडवू सक्रि० मरोड़ना (२)थोड़े प्रवाही पदार्थके साथ मिलाना-मसलना; सानना [लचकना करमोडावं अ०क्रि० मोच आना;मुड़ना; करमो (०व) सक्रि० थोड़े प्रवाही • पदार्थके साथ मिलाना-मसलना; सानना करवडं न० कीप करवडो पुं० करवा (लोटा) करवत स्त्री०; न० करवत; आरा। [-मुकाव, मेलावq=(काशीमें)दूसरे जन्ममें अभीष्ट फल प्राप्त करनेके लिए आरेसे शरीर चिरवाकर प्राणत्याग करना; काशी-करवट लेना.] करवती स्त्री०छोटा करवत; आरी (२) सुनारका एक औजार करवं सक्रि० करना ; बरतना ; आचरना; बनाना; आयोजन करना; रचना करना; संपादन करना; पैदा करना वगैरह (२)अन्य क्रियाके साथ सहायक क्रियाके रूपमें आता है और अर्थमें विशेषता लाता है; उदा० 'जोQ करवु-देखना-दाखना (३)भूतकालिक कृदंतके साथ आकर अभ्यासबोधक क्रिया बनाता है ; उदा. 'जोया करवु% देखा करना। [करी जो = आज़माना; प्रयोग करना.] करवूकारववं सक्रि०अंजाम देना; पूर्ण करना (२)किसी क्रियासे सब तरहसे निबटना करंडियो पुं० करंड (बाँसका टोकरा) करं, वि० कर्मी; उद्यमी; उद्योगी करा पुं० ब०व० ओले; कर कराड स्त्री० बड़ी शिला; चट्टान (२) करारा; कगार (३) खोह; कंदरा. कराडी स्त्री०पहाड़की सँकरी और ऊँची दरार; खोह (२)दह (नदीका) (३) नदीका ऊंचा किनारा; कगार (४) सोनीका एक औजार कराबीन स्त्री० कड़ाबीन ; छोटी बंदूक करामत स्त्री० कारीगरी; कसब (२) हिकमत ; चतुराई (३) बनावट ; रचना (४) चमत्कार; करामात । करामती वि० करामाती; चमत्कारी करार पुं० क़रार; क़बूल ; ठहराव (२) क़रार; चैन ; आराम करारदाद पुं० प्रतिज्ञापत्र; कबूलियत (२) सुलहनामा; संधिपत्र For Private and Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करारनामुं ७६ करारनामुं, करारपत्र न० करारनामा; कर्ता वि. कर्ता; बनानेवाला (२)पुं० प्रतिज्ञा-पत्र ; दस्तावेज़ (२) संधिपत्र करनेवाला मनुष्य; कर्ता कराल (-ळ) वि०कराल ; भयंकर (२) कर्ताहर्ता (-) पुं० सर्जन और नाश उग्र; तीव्र (३) ऊँचा कड़कना करनेवाला (ईश्वर) (२) हरताकरांजवू अ०क्रि० काँखना(२)चिल्लाना; धरता; सर्वेसर्वा करांटुं(रां') न० देखिये 'खरेटुं' .. कर्म नकर्म ; क्रिया; काम (२)प्रवृत्ति; करांठी(-कुं) स्त्री० अरहर या कपास- पेशा; धंधा; उदा. 'वैश्यकर्म' (३) का सूखा डंठल ; कड़िया (अरहरकी) आचरण; धर्म-कर्म ; नित्य-नैमित्तिक करियाणुंन० किराना(२)पंसारीका पेशा कर्म (४) करम; नसीब ; पूर्वजन्मके कर्म करियातुं न० चिरायता [ला. (५) कर्तव्य (६) कुकर्म ; पाप करियावर पुं० पहरावनी (पोशाक या (७) वह पद जिस पर क्रियाका फल रुपये); शादीमें नेगकी रस्म; लाग पड़े; कर्म व्या.]। [-बांधवां, बंधावां करी स्त्री० परहेज़; पथ्य (२) छुट्टी; =ऐसे कर्म करना जिनके भले-बुरे 'अंझा।[-पाळवी-परहेज़ करना.] फल भुगतने पड़ें.] करी अ० -के कारण; -की वजहसे कर्मकथा स्त्री० करमकथा; बीती करीने अ० -के लिए; के कारण (२) कर्मचंडाळ पुं० कर्मचांडाल ; अधर्मी नामका; उदा० 'दशरथ करीने एक कर्मणि वि० कर्मणि ; कर्मके अनुसार राजा हतो' पुरुष,लिंग और वचन लेनेवाला व्या. करणप्रशस्ति स्त्री० शोकगीत; 'एलीजी' कर्मणिप्रयोग पुं० कर्मणिप्रयोग [व्या.] करणांत वि० करुण अंतवाला (२)न०। कर्मना भोग पुं०ब०व०दैवयोग ; प्रारब्ध दुःखान्त (नाटक); 'ट्रेजेडी' [छाछ कर्मनां काळां, कुंडाळा न० ब० व० हीन करेटें न० देखिये 'खरेटुं'(२)धोमें रही हुई कर्मरेख [वाद;प्रारब्धवाद करेण स्त्री० कनेर कर्मवाद पुं० कर्मसे संबद्ध वाद (२) कर्मकरेळी स्त्री० कुहराम ; शोर (२)क्रोध; कर्मवावी वि० (२)पुं०कर्मवादमें मान क्रोधकी ज्वाला [दीवार; खोपा नेवाला; दैववादी करो (रो') पुं० मकानकी बग़लकी कर्मी वि० नसीबदार (२) उद्योगी; कर्मी करोड स्त्री०मेरुदंड ; रीढ़ (२)पीठ कल पुं० कल ; गुंजन (२) कला ; मात्रा करोड पु० करोड़; कोटि (छंदःशास्त्र) करोडपति पुं० करोड़पती कलकल पुं० पक्षियोंकी मधुर ध्वनि ; करोडाधिपति पुं० करोड़पती चह-चहा (२) गुंजार (३) कलबल करोळियो पुं० मकड़ी (२)सेंहुआ; सफ़ेद कलकलाट पुं० कोलाहल ; शोर-गुल कोढ़ [(३) निर्दय कलकलियो पुं०एक पक्षी; किलकिला; कर्कश वि० कर्कश; कठोर (२) कटुभाषी पनडुब्बी [गुच्छा कर्कशा वि० स्त्री० कर्कशा; लड़ाकी कलगी स्त्री० कलगी; मौर (२) फूलोंका कर्तरिप्रयोग पुं० कर्तरिप्रयोग कलण न०दलदल ; गड़प्पा For Private and Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलवार कलदार वि० कलदार (सिक्का) कलप पुं० कलप; खिजाब कलपवू अ०क्रि० झुरना (२)कलपना कलफ पुं० कलप; खिज़ाब [बोलना कलबल स्त्री० कलबल (२) अस्पष्ट कलबलाट पुं० कोलाहल ; शोर-गुल कलम स्त्री० क़लम ; लेखनी (२) लिखावट (३) कूची; तूलिका (४) रचना-कौशल; लेखनशक्ति ; चित्रकारीका जौहर [ला.] (५) (पेड़पौधेकी) क़लम; पैबंद (६) दफ़ा; धारा (कानूनकी) (७) करारकी शर्त (८) भामा या लिपि; उदा० 'त्रण कलम जाणनार' । [-कपावी =इज्जत जाना (२) बरतरफ़ होना। -करवी कलम लगाना (पेड़, पौदा)। -चालवी, चलाववी=बिना रुके सुंदर ढंगसे लिखना। -लागवी (कानूनकी धारा) लागू होना; दफ़ा लगना.] कलमदान न० कलमदान कलमबंदी स्त्री० दफावार या पैरे बाँधकर की हुई चौकस लिखाई (२) कुर्कनामा (३) ज़ब्त की हुई चीज़ोंकी तफ़सील (४) किसी भी भागकी व्यवस्था या कामकाजकी पद्धति बतानेवाली तफ़सील (५) कौल-करार कलमवार अ० धारानुक्रमसे या इसके अनुसार वि० कलमी (पेड़) कलमी पुं० एक प्रकारके चावल (२) कलमेशरीफ पुं० कलामे पाक ; कुरान शरीफ़ कलमो पुं० कलमा; कुरानका मूलमंत्र कलरव पुं० कलरव(खासकर पक्षियोंका) कलवो पुं० कोर; निवाला (२) घोड़ी चढ़नेके पहले दूल्हेको कन्यापक्षकी कलेक्टर ओरसे भेजा जानेवाला कच्चा 'कंसार'; कलेवा फलंक न० कलंक; दाग़; धब्बा (२) तोहमत । [-उतार, धोई नाखq= कलंक धो डालना; दोष दूर करना । -चड, चोटवू, बेसवू, लागवू = ऐब लगना; दाग़ लगना. कलंकी (-गी) पुं० कल्कि कलंदर पुं० कलंदर; मुसलमान साधु (२)निःस्पृह व्यक्ति; फक्कड़ (३) मदारी (४) वर्णसंकर कला स्त्री० कला; अंश (२) चंद्रका सोलहवाँ भाग; कला (३) मिनट' - डिग्रीका साठवाँ हिस्सा [ग.] (४) कालका एक मान (५) युक्ति ; हिकमत (६) हुनर; कला; कारीगरी (७) सुंदर रचना या ऐसी हिकमत ; कला कलाई स्त्री० कलई; राँग (धातु) (२) कलईका मुलम्मा, लेप । [-कराववो= [ला.] सब बाल मूंडवाकर सिर सफाचट कराना; हजामत बनाना, बनवाना.] कलाईगरो, कलाईवाळो पुं० कलईगर कलाक पुं० ६० मिनटका कालमान; घंटा कलाडी (ला') स्त्री० मिट्टीका छोटा तवा कलाडु (ला') न० देखिये 'कलेडु' कलाबो पुं०बाँहका कट (२)दो सिरोंको जोड़ने के लिए बीचमें रखी जाती लोहेकी अँकुड़ी [उद्योगशाला कलाभवन न० हुनर और कलाकी शाला; कलामेशरीफ़ पुं० कुरान-शरीफ़ कलाल पुं० कलाल ; कलवार कलावq(०पटावकुं) सक्रि० युक्तियुक्त (रोचक) बातोंसे समझाना। कलिंगड (-डं) न० कलिंग; तरबूज कलेक्टर पुं० कलक्टर For Private and Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कलेजुं कलेजुं न० कलेजा (२) हृदय [ला. ] कलेडी स्त्री० मिट्टीका छोटा तवा कलेडुं न० रोटी सेंकने का मिट्टीका तवा कलोल पुं० देखिये 'कल्लोल' कल्पना स्त्री० नई बात सोचने या गढ़ की मानसिक प्रक्रिया; कल्पना ( २ ) धारणा; खयाल ( ३ ) मनकी तरंग कल्पवुं स० क्रि० कल्पना करना कल्मेशरीफ पुं० क़ुरान शरीफ़ कल्ली स्त्री० छोटा मुट्ठा (२) हाथ की उँगलियोंसे (साड़ी, धोती आदिमें) डाली जाती चुनट कल्ली स्त्री० कडुला कल्लुं न० कड़ा;स्त्रीके पाँवका एक गहना कल्लो पुं० मुट्ठा, पुलिंदा कल्लोल पुं० कल्लोल; मौज (२) आनंद; आनंदविभोर होना करना कल्लोलवु अ० क्रि० कल्लोल, आनंद कवखत पुं०; स्त्री० अयोग्य समय; असमय कवच स्त्री० केवाँच; कौंच कवर न० कवर; लिफ़ाफ़ा कव स०क्रि० कविता करना (२) स्तुति करना (३) वर्णन करना कवा पुं० प्रतिकूल पवन (२) प्रतिकूल परिस्थिति; कुजोग । [ - पेसवो: (शरीर) बिगड़ना. ] कवाब पुं० कबाब [ व्यायाम कवायत स्त्री० क़वायद; परेड ( २ ) कवायती वि० क़वायद पाया हुआ; कसरती कवाल पुं० देखिये ' क़व्वाल' कवाली स्त्री • क़व्वाली; कौवाली; ग़ज़ल कवावुं अ०क्रि० शरीरमें विकार पैदा हो जाना (२) बिगड़ना (३) दूध तोड़ना (४) बदनाम होना ७८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कसवार कवेण न० अपशब्द ; कुवाक्य कवेळा स्त्री० कुबेला ; असमय कव्वाल पुं० क़व्वाल; कौवाल कव्वाली स्त्री० देखिये 'कवाली' कश स्त्री०, ( ०ण) न० कस; बंद; तनी कशीवो पुं० कशीदा ज़रीका काम शुं स० (२) वि० कोई ; कुछ कशुंक स० (२) वि० कोई भी ; कुछ ही कष्ट स०क्रि० दुःख, कष्ट देना कष्टावं अ०क्रि० कष्ट पाना ( २ ) प्रसवकी पीड़ा होना कष्टो स्त्री० किस्त (देनकी) कस पुं० कस (सोने-चाँदीका) (२) कसौटी कस पुं० कस; सार; माल (२) बल; ज़ोर । [-काढवो, जोवो, लेवो = कसना ; माप या प्रमाण निकालना; जाँचना । - काढवो = कचूमर निकालना; कड़ी मेहनत कराना। - पर आवबुं, कसे चडवं, भरावं = होड़ाहोड़ी पर आना; तूल जाना, पकड़ना कस स्त्री० कस; बंद; तनी कसकसतुं वि० कसकर बाँधा हुआ ( २ ) जो मुश्किलसे अपनी जगह पर आता हो (चीज) ; चुस्त ; तंग कसकागळ पुं० रासायनिक प्रक्रिया दिखानेवाला काग़ज़; ‘टेस्ट पेपर' [र.वि.] कसणबुं स० क्रि० रौंदना; गूंधना कसणी स्त्री० कास; खाँसी; हब्बा-डब्बा (बच्चोंका) For Private and Personal Use Only कसतुं वि० बलात् अपनी जगह पर ठीक आता हुआ; चुस्त ( २ ) तौलमें कम रहता हुआ कसवार वि० कस सत्त्ववाला (२) उपजाऊ; जरखेज़ (३) मालदार ; धनी (४) ओजपूर्ण Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कसनळी कसनळी स्त्री० कस निकालनेके लिए इस्तेमाल की जाती कांचकी नली; 'टेस्ट-ट्यूब कसब पुं० कलाबत्तू कसब पुं० कसब; धंधा (२) हुनर; कारीगरी (३) कलाकौशल; निपुणता कसबचोर पुं० अपना हुनर दूसरोंसे छुपाये रखनेवाला; अपना फ़न छिपानेवाला (२) धंधे में ठगनेवाला कसबी वि० कलाकुशल ; निपुण ; हुनरमंद (२) कस्बी; कलाबतूनी; कामदार (३) पुं० कारीगर कसबो पुं० मुसलमानोंकी ज्यादा बस्तीवाला गाँव (२) बड़ा गाँव; कसबा (३) गाँवमें मुसलमानोंका टोला । कसम पुं० ब० व० कसम; सौगंध । [-आपवा, खवडाववा, देवा = सौगंध दिलाना. कसमनामुं न० हलफ़नामा; शपथ-पत्र ; 'एफिडेविट' कसमोडा पुं०ब०व० अंगड़ाई लेनेकी उत्कंठा होना (२) प्रसवके समय शरीरमें पीड़ा होना कसर स्त्री० कसर; कमी; टोटा (२) अपूर्णता; कचाई (३) खामी; दोष (४) कमखर्ची (५) नुक़सान ; हानि । [-आपवी (बिल चुकाते समय) थोड़ी छूट देना। -करवी-किफ़ायत करना (२) कम करना। -काढवी =(चुक या घाटेका) बदला ले लेना; कसर निकालना। -राखवी कमी या खामी रहने देना; कसर रखना.] कसरत स्त्री० कसरत; व्यायाम (२) अभ्यास शौकीन कसरतवान वि• कसरती; कसरतका कसरती वि० कसरती कसवाण स्त्री० बीमारी; बेकरारी कस, सक्रि० कसना; खूब खींचना; कसकर बाँधना कसवं सक्रि० कसना; परखना; आजमाना (२)थकाना; रगड़ना (३) तंग करना; सताना; पीस डालना (४) कम देनेका प्रयत्न करना। [कसीने आप,लेq=मोल-तोलकी बात पक्की करके देना या लेना। कसीने काम लेबूबने उतना ज्यादा काम कराना.] कसाई पुं० क़साई(२) गला काटनेवाला कसाकस (-सी) स्त्री० कशमकश; खींचातानी कसाणुं वि० कसैला; बेस्वाद कसायलं वि० कसैला [अनुभवी कसायलं वि० सधा हुआ; गठीला; कसा अ०क्रि० अनुभव या परिश्रमसे अभ्यस्त होना; सधना कसुतर(-5) वि० दुष्कर; मुश्किल (२) जो काममें न लाया जाय; बिगड़ा हुआ (३) पेचीदा; टेढ़ा कसुवाण स्त्री० देखिये 'कसवाण' कसुवावड स्त्री० असमय गर्भस्राव होना कसुंबल (-लु) वि० कुसुभी कसुंबी वि० कुसुंभी; कुसुमके रंगका (२)स्त्री० कुसुंभा रंग . कसुबो पुं० कुसुम ; कुसुंभ (२) इसके फूलमें से प्राप्त रंग (३) कुसुंभी (कपड़ा) (४) धोला; नशीला पेय; कुसुंभा; कुसुंभेके बहाने होनेवाला जलसा । [-गाळवो, घोळवो-अफ़ीम घोलकर एकरस बनाना। -पोवो, लेवो = अफ़ीमका रस पीना.]... कसूर स्त्री० कसूर; कुसूर For Private and Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कसूबल (-ल), कतूंबी, कसूबो देखिये 'कसुंबल, कसुंबी, कसुबो' आदि कसोज (-जु) वि० जो साफ़-सुथरा न हो; करदा मिला हुआ (अनाज आदि) कसोटी स्त्री० कसौटी; शाण (२) कस निकालनेकी रीति; परख (३) कड़ी जांच-परीक्षा। [-ए चढावq= (सोनेको) कसौटी पर घिसकर कस देखना(२)कडी जांच करना; कसौटी करना (३) कस निकले इस तरह काममें लाना।-मां ऊतरवू = कड़ी जाँचके लिए तैयार रहना; इसमें शरीक होना. कस्तर न० तिनका; रज; करदा कस्तर न० वह लेप जो ठठेरा रसोईके बरतनों पर करता है [संस्कार कस्ती स्त्री० पारसीका जनेऊ या इसका कहाणी (क) स्त्री० कहानी (२)कहावत कहान(-नो) (क) पुं० श्रीकृष्ण कहावq सक्रि० कहाना; कहलाना कहीं अ० कहाँ; किस जगह कहींक अ० कहीं; किसी जगह कहींकहीं अ० कहीं-कहीं कहेण (कहे) न० संदेशा (२) हुक्म; कहा (३) कथन ; वचन (४) बुलावा; न्योता। [-मोकल = कहला भेजना (संदेशा, निमंत्रण आदि).] कहेणी (कहे)स्त्री० कहावत (२) कथन; कहनेकी रीति (३) कहानी (४) लोकनिंदा; दोष [लोकनिंदा कहेती स्त्री० कहावत (२) कहानी (३) कहेवडगाव (कहे) सक्रि० कहलाना; कहलवाना (२) कहेवु' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप कहेवत (कहे) स्त्री० कहावत (२) दृष्टांत; मिसाल (३) मतला; उक्ति (४) लोकनिंदा कहेवापणुं न० खामी; दोष कहे (कहे) सक्रि० कहना; बोलना; बताना (२) समझाना (३) नसीहत देना (४) कहना; फ़रमाना (५) उलहना देना (६) नाम देना; कहना। [कही आपq=तत्काल असर होना (२)गुप्त या भविष्यकी बात बताना; प्रकट करना । कही छूटq=माने या न माने पर कहनेका धर्म समझकर कहना। कही देवू = गुप्त बात कह देना । कही बताव, कही संभळावq =आगेकी बात या एहसान जताकर ताना देना.] कह्यागरुं वि० कहा माननेवाला; आज्ञाकारी कह' न० कहा; वचन; नसीहत कळ स्त्री० कल; पेच-पुरज़ा; खटका (२) यंत्रकी चाभी; चाँप (३)युक्ति; कल [ला.]। [-दाबवी, मरडवी = कल घुमाना (२) पट्टी चढ़ाना.] कळ स्त्री० (चोट आदिके कारण)एकदम होनेवाली तीव या सतत वेदना (२) इससे होनेवाली मूर्छा; ग़श । [-चवी एकदम दुःख पैदा होना (२) दुःखसे मूच्छित होना।-वळवी= कल पड़ना; दुःखका दूर होना. कळ स्त्री० अटकल ; सूझ . कळ पुं० दलदल; गड़प्पा कळकळ स्त्री० कल-कल ; शोर-गुल (२) किट-किट; माथापच्ची (३)पक्षियोंका कलनाद - कलकल कळकळवू अ०क्रि० देखिये 'ककळ,' कळकळाण न० देखिये 'ककलाण' कळज(-जु)ग पुं० कलियुग For Private and Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळण, (-तर) न० दलदल; गड़प्पा कळतर न० कष्ट; वेदना (शरीरमें) कळतर न० कनकूत कळयी स्त्री० कुलथी (अनाज) कळपवं सक्रि० मृतकोंके नाम संकल्प करके दान देना (२) चलना; उपयोगमें आना कळपवं अ.क्रि० कलपना; झूरना कळव (-वि)कळ स्त्री०. कल; युक्ति (२)शान्ति; चैन; कल (३) सूझ; समझ कळवू सक्रि० ताड़ना; भांपना (२) कल्पना करना; अंदाजा लगाना कळ, अ.क्रि० दुखना; पीड़ा होना कळ अ०क्रि० दलदलमें गड़ना;सना कळश पुं०कलशी; लोटा (२) मंदिरका शिखर; कलश । [-घडावबो%3Dसिद्धि की पराकाष्ठा पर पहुँचना [ला..] कळशियो पुं० लोटा (२)दरत (रोग)। [कळशे (-शिये) अy = पाखाने जाना.] कळशी स्त्री० सोलह (कच्चे) मनकी एक कळशो पुं० लोटा कळा स्त्री० देखिये 'कला' (२) (मोरकी) पूंछके परों( कलाप )को फैलानेकी क्रिया; कला । [-करवी-युक्ति करना; चाल चलना (२) सौंदर्ययुक्त रचना करना (३) गोरका कला करना.] कळाकार पुं० कलाकार कळाण न० दलदलः; कीचड़वाली जगह कळाधर पुं० मोर (२) चंद्र (३) कलाकार कळाभवन न० देखिये 'कलाभवन' कळायल वि० जिसने कलापको फैलाया हो ऐसा (मोर) [जाना; दिखाई देना कळावं अ० क्रि० प्रतीत होना; समझा कळिकाळ पुं० कलिकाल गु. हि-६ कंकणदोरो कळियुग पुं० कलियुग [दाना कळियो पुं० गुठली(२)भट्टा(३)अनारका कळिगड(-2) न० कलिंग; तरबूज कळी स्त्री०कली ; रोह(२) मोतीचूरकी बुंदिया (३) अंगरखा, कुर्ता आदिमें लगनेवाला तिकोना कपड़ा; कली। [-हीलबीजीकी कली खिलना; ( मनुष्यका) प्रफुल्लित होना। -पारवी= मोतीचूर बनाना (२) तह बनाना.] कळीचूनो पुं० कलीचूना; कलईका चुना कळे कळे, फळे वळे अ० कलसे; युक्ति पूर्वक; समझा-बुझाकर कळेळी स्त्री० कुहराम ; चीख-पुकार कई अ० क्या; कहीं (वाक्यमें प्रश्नवाचक या निषेधसूचक उपयोगमें आता है); उदा० 'कंई माराथी जवाय?' कई वि० (२)स० कुछ; अमुक (अनिश्चितार्थ, प्रश्नार्थ और निषेधार्थ में प्रयुक्त होता है)। [-ईप भांति भांतिके अवर्णनीय भाव या घबड़ाहट या पीड़ा होना-नहीं = 'कोई फ़िक्र नहीं, चिता नहीं' ऐसा उद्गार । [-नहीं तो और या अधिक नहीं तो; कुछ नहीं तो सब कुछ छोड़कर। -तुं कई = कुछका कुछ; उलटा]. कई वि० (२)स० कई; अनेक; उदा० 'तमारा जेवा तो कई आवी गया' कंईक वि० (२)स० कुछ कंईक वि० (२)स० थोड़ासा कंईक अ० कहीं विवाहसूत्र कंकण न० कंकण ; दंदानेदार चुड़ी (२) कंकणवोरो पुं० लग्नविधिके प्रारंभमें वरकन्याके हाथमें बांधा जाता मैनफल और लाल डोरा; कंगन; कंगना [नाप For Private and Personal Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंकावटी ८२ कंगलियु कंकावटी स्त्री० कुंकुम रखनेका पात्र कंटोलो (-ळी) स्त्री० ककोड़ेकी बेल; कंकास पुं० ऋज़िया; क्लेश (स्त्री) खेखसा कंकासियण वि० स्त्री० कर्कशा; लडाकू कंठ पुं० कंठ; गला; हलक (२)टेंटुवा कंकासियुं वि० झगड़ालू; कलहप्रिय । (३)स्वर; आवाज़ (४)पक्षीका कंठा। कंकु न० कुंकुम, रोली। [-ना करवा= [-खूलबोआवाज साफ़ निकलना; मंगल कार्यकाप्रारंभ करना (२)काम कंठ खुलना। -बेसवो, बेसी जबोमें फ़तह हासिल करना [ला.]। -नां गंला बैठना; कंठ बैठना; स्वर साफ़ न पगला = सुख-वैभवका शुभागमन । निकलना ।-संघावो-गला धना; जी -नां पगलां करवा=आगमनसे घरको घबड़ाना । -सुकावो गला सूखना। सुखी बनाना.] [पूड़ा कंठे प्राण भाववा=बहुत मुसीबतमें कंकुपडी स्त्री०, (-डो) पुं० रोलीका फंसना। कंठे सोस परयो पानीके कंकोडी स्त्री० ककोड़ेकी बेल; खेखसा बिना गला सूखना; कांटा पड़ना। कंठे कंकोई न० ककोडा; लेखसा (फल) हो - जबानी होना; कंठस्थ होना.] कंकोतरी, कंकोत्री स्त्री० कुंकुमपत्रिका; कंठार(-ळ) स्त्री० समुद्रतट; किनारा लग्नपत्रिका कंठाळ स्त्री० गोन (घोड़ा, बैल आदिकी) कंगण न० देखिये कंकण' (२) बरतन भरनेका बोरा (३)बड़ा कंगनी स्त्री० कंघी चला (४) देखिये 'कंठार' कंगाल (-) वि. कंगाल; कॅगला कंठी स्त्री० कंठी; गलेका एक गहना (२) (२)दरिद्र ; तुच्छ (३) रस और कससे गुरुसे प्राप्त माला; कंठी(३) (अंगरखेमें) हीन; निःसत्व; बेमजा गरीबी गलेके सामनेके भाग पर किया जानेकंगालि (-ळि)यत स्त्री० कंगालियत; वाला बेल-बूटों या सुहावनी सिलाईका कंजूस वि० कंजूस ; सूम; कृपण काम । [-बांधवीचेला या शिष्य कंजूसाई स्त्री० कंजूसी; कृपणता बनाना; कंठी बांधना.] [कंठीबंद कंटाळवूअ० क्रि० ऊबना; उकता जाना कंठीबंधुं वि० एक ही गुरुका (२) वैष्णव; कंटाळी वि० स्त्री० काँटेदार; कँटीली कंठो पुं० बड़े मनकोंकी माला; कंठा (२)स्त्री० पंजेदार थूहड़:नाग-फनी । कंड पुं० कुंड (२)कुआं जोड़नेके काममें कंटाळं वि० कटीली; काँटेदार (२)न० आनेवाली टेढ़ी ईंट सफ़ेद कुम्हड़ा; पेठा कंडार पुं० नक्काशी; कोरनी (२)आकंटाळो पुं० ऊब लेखन; चित्रकारी करना कंटियं न० बाल (जौ, गेहूँ आदिकी) कंडार, स० क्रि० कोरना; नक्काशी कंटी स्त्री० बालके बारीक दाने (२) कंडियो पुं० करंड बाल; रवोशा (३) ताज़ा धान कंडील न० दीया रखनेका कांचका कंटी (-)वाळो पुं० चल्हे पर रखनेसे गिलास ; हाँडी; कंदील (२)लालटेन पहले रसोईके बर्तनों पर बाहरकी ओर कंडीलियुं न० कंडीलिया (२) दीयेको किया जानेवाला मिट्टी या राखका पवन न लगे इसलिए बनाया हुआ लेप; लेव मिट्टीका छोटा घर For Private and Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - बताई कंताई स्त्री० कातनेकी मजदूरी; कताई कंतान न० पटसनका कपड़ा; टाट (२) गोनपाट [कताई' कंतामण न०, (-णी) स्त्री० देखिये कंतावं अ० क्रि० काता जाना (२)कृश होना; सूखना (३)कम होना.. कंबार न०, (-री) स्त्री०,(-रो) पुं० एक वनस्पति ; कंथारी कंचाळ स्त्री० गोन (घोड़ा, बैल आदिकी) कंदो पुं० (बंदूकका काठका) दस्ता; कुंदा कंदोई पुं० हलवाई . . कंबोरी स्त्री० छोटी करपनी कंदोरो पुं० कंदोरा करषनी तागड़ी(२) दीवारकी जोड़ाईमें इंटोंसे बनाई हुई कोर कंगनी(३)निशानकी लकीर,लीक कंप अ० कि० कांपना; कंपना; थर थराना (२)डरना; सहमना कंपाउंड न० कंपाउंड; अहाता कंपाण (ण,)स्त्री० राटुल; बड़ा तराजू कंपारी स्त्री०,(-रो)पुं० कंपकपी; कंप कंपास पुं० कंपास; कुतुबनुमा; दिग्द र्शक यंत्र (२) परकार; कंपास कंबल पुं० कंबल (२) गल-कंबल कंबा स्त्री० बाँसकी फट्टी; खपची (२) बढ़ईका गज़ जो २४ इंचका होता है कंसार पुं० कसार जैसा मिष्टान्न कंसारी स्त्री० ऊन आदिके कपड़े खा जानेवाला एक कीट; कीड़ा कंसारो पुं० कसेरा; ठठेरा काकडी स्त्री० ककड़ी (२) आरिया (३) धज्जीको बटकर बनाई हुई बत्ती काकडो पुं० बड़ी बत्ती (२) गलेके भीतरकी दोनों ओरकी गाँठे (३) जीभकी जड़के ऊपर लटकनेवाला मांसखंड; घंटी काका पुं. गुड़ या महुएका शीरा (तंबाकू बनानेके काम आता है). काकम पुं० शीरा; किवाम.... काकरपुं० दांत(सूअर आदिप्राणियोंका) (२) कस्वतका दंदाना; दाता (३) चमड़ीमें बना हुआ कड़ा चीरा. कारिया कुंभार पुं० कलगीवाला पक्षी काकरी स्त्री० छोटे दंदानोंवाली धार (२) कंकड़ी (३) किरकिरी; रेत काकरो पुं० कंकड़ (२)गांठ (प्याज इत्यादिकी) [गिड़गिड़ाहट काकलवी स्त्री० आजिजी; चिरौरी; काका (का-का) अ० कोबेकी बोली कांव-कांव काका पुं० ब०व० चाचा; काका काकाकोवो पुं० काकाकोमा; काकातुआ काकाजी(-ससरा) पुं० चचिया ससुर काकाबळिया पुं० ब०व० चेचक; बड़ी माता काकी स्त्री० चाची; काकी काकीडो पुं० गिरगिट काकीजी (-सासु) स्त्री० चचिया सास काको पुं: चाचा (२)(पिताको संबोधन करनेमें प्रयुक्त होता है) (३)(व्यंग्यमें) दुश्मन । [काका मामा करवा= खुशामद करना.... काकोससरो पुं० चचिया ससुर काख स्त्री० कांख ; बग़ल कालबलाई,कालबिलाडी स्त्री० कखोरी; बग़लका फोड़ा [बजाना.] काखली स्त्री० कांख। -कूटवीचालें काग पुं० कोआ। मोवाघ-बातका बतंगड़; तिलका ताड़। -- बेसवं ने तान पर कार्यकारण-संबंधके बिना किन्हीं दो घटनाओंका अचा For Private and Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मक होना जिससे यह भ्रम पैदा हो कि इनमें सम्बन्ध है; कौएका बैठना और ताड़के फलका गिर पड़ना। - गेळे राह जोवी बहुत आतुरतासे राह देखना. पुरखा; पत्रिका कागज पुं० कागज; कागद (२)चिट्ठी; कागती स्त्री० कोमेकी मादा; काकी कामगे पुं० कोमा; कौवा (२)धूर्त और चालाक प्राणी [ला.][कागडाऊरखा वीरान हो जाना; उजड़ जाना (२) निस्संतान होना। कागगनी नजरे बोई- बहुत चौकन्ना रहना. कागदी वि. काग्रजी पतली छालवाला (२)जो जल्दी टूट-फूट जाय; नाजुक (३)पुं० कागज बनानेवाला; काग़जी (४) काग्रज बेचनेवाला या बही 'बांधनेवाला; कागजी - " कागवाश(श,) स्त्री० श्राद्धके दिन पितरोंके निमित्त कोको बलि देते समय निकाला जानेवाला उद्गार (२) काकबलि कापळ पुं० देखिये 'कागज'। [- नी कोपळी = बहुत नाजुक (वस्तु)। मानवो, लाववी =सिफ़ारिशपत्र मांगना या लाना. कागळपत्तर,कागळपत्र पुं० विट्ठी-पत्री या डाकसे आई हुई चिट्ठी कागळियं न० कागजका टुकड़ा; परचा (शेकागजका रुपया-नोट,लोन, शेयर, हुंडी जैसा। [कागळियां करवां = मिसिल बनाना या कागजी कार्रवाई करना। कागळिये चग्यंबीचमें मर जाना (२) जाहिर होना (३) अदालत चढ़ना (४)काग्रजी कार्रवाई होना; इसमें पड़कर कामका रुकना.] कागारोळ पुं० रोना-पीटना (२)काना रोल; कौआरोर काच पुं० काच; कांच (२)आईना काचवी स्त्री० कछुई; मादा कछुमा काचयो पुं० कछुआ काचर स्त्री० छोटा टुकड़ा काचरडूचर न० फुटकल खाद्य चीजें; __ चना-चबेना (२)अंगड़-खंगड़ .. काचली स्त्री० नारियलकी नरेली काचलं न० नरेली (२)कोई भी टूटा हुआ अर्धगोल हिस्सा (नरिया, घड़ा आदिका); कटाह, ठीब आदि(३)ऐसा कटोरा। [काचला कूटवा = व्यवं परिश्रम करना.] काचंगे पुं० गिरगिट काचा कान- वि० कानका कच्चा काची बुद्धी (-माया)स्त्री० धोखा खा जाये ऐसा भोला मनुष्य काचुं वि० कच्चा; अपक्व (फल) (२) आँच पर न पकाया हुआ (मटका); अधकचरा-जिसके पकनेमें कसर हो (भात) (३) न भूना हुआ (चना) (४)साफ़ न किया हुआ-जो कुदरती स्थितिमें हो (धातु, माल) (५)जल्दी टूट-फूट जानेवाला; काजू-भोजू; न टिकनेवाला (सड़क, रंग) (६) नादान; अनुभवहीन (मनुष्य, ज्ञान आदिमें)(७)अधूरा; अपूर्ण ; अपरिपक्व (काम, बुद्धि) (८)कामचलाऊ; जिसमें काट-छाँट हो सके (हिसाब) (९)पोचा; बेहिम्मत ; ढीला (दिल) (१०)बारदान आदिके साथका या अंदाजसे नियत किया हुआ (वजन, नाप) (११)पक्के वजनसे आधा; कच्चा (सेर,मन) (१२) न० कच्चापन; For Private and Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org काकोदं कसर; अधूरापन । [ -काप-अधूरी तैयारी या असमयमें किसी बातमें कसर होते हुए भी जल्दी बरतना या कुछ करना ( २ ) ऐसा करके काम बिगाड़ना (३) उतावलीसे बरतना । -सांगी या कमी महसूस करना. ] काको वि० न पकाया हुआ और रूखा; रूखा-सूखा 'कानच वि० बिलकुल कच्चा कापाकुं वि० अर्धदग्ध; कच्चा-पक्का काचुंपोचुं वि० अनुभवहीन और नाहिम्मत काछडी स्त्री० काछनी; लाँग । [-छूटी जयी=डर जाना। सालीने, पकडीने बोड = डरसे पागल होकर भागना; दुम दबाकर भागना.] काडीछूटो वि० पुं० व्यभिचारी काडो पुं० काछा; कछोटा । [ चारवो, बाळवो = कछोटेकी तरह धोती पहनना.] काछियण स्त्री० काछी जातिकी स्त्री काछियो पुं० काछी (तरकारी बेचनेवाला) (२) काछी जातिका आदमी फाछोटी स्त्री० काछ काछनी काछोटो पुं० कछोटा; काछा काज न० काज काम (२) काज प्रयोजन काजळ न० कालिख (२) काजल काजळकंकु न० ब० व० काजल और कुंकुम ( सौभाग्यवतीका सिंगार ) काजळराणी स्त्री० कजली तीज काजळी स्त्री० कालिख ; काजल (२) सखकी तह (३) काली फफूँदी (४) कजरौटा (५) गायके पूजनका स्त्रियोंका एक व्रत ( सावन मास में ) काजळी श्रीज स्त्री० कजली तीज ८५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काट काजी पुं० काजी (२) मौलवी काजु पुं० काजू [ चढ़ाये हुए काजू काजुकळिया पुं०ब०व० काजू (२) चीनी काजे अ० - के लिए; वास्ते काशी पुं० देखिये 'काजी' काट पुं० जंग; कसाव; काई (२) बोझरूप निकम्मा उतार या मैल [ला.] 1 [-लाबो, घडवो, बळगवो = जंग लगना, बिगड़ना.] काट पुं० प्रतिदावा; प्रतिकार (२) (ट) स्त्री० ताराके खेलमें अमुक रंगका पत्ता न होना-काट For Private and Personal Use Only काट पुं० कांटा; रोक; विघ्न; साल; उदा० "शत्रुनो काट काढवो ' काटकूट स्त्री० काटना और कूटना (२) टूटा-फूटा सामान; कबाड़; अंगड़खंगड़ (३) मकान बनानेका सामान काटको पुं० कड़ाका ; बड़ी गर्जना काटलूण पुं० ९० अंशका कोण ; समकोण ( २ ) इस नापका राज-बढ़इयोंका औजार; गोनिया काटसूणत्रिकोण पुं० समकोणत्रिकोण काटजो पुं० देखिये 'काटखूण ' काटछांट स्त्री० काट-छाँट काटमाळ पुं० इमारतकी नयी पुरानी लकड़ी (बल्ली, बाँस आदि ) काटरडो पुं० तलछट ; कीट; किट्ट (२) रद्दी - बेकार चीजें ; कबाड़ काटलं न० वजन; बाट (२) जच्चाको दी जानेवाली पुष्टई (३) कम करना; काट लेना (४) काँटा बाघा ; बला । [-काढबुं = बाधा दूर करना (२) काम तमाम करना; मार डालना ] का स० क्रि० काटना (२) हँसना ; काटना (३) छलना Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कार्बु काटh वि० जंगके रंगका; कालाय. .. काटाकाट स्त्री० कटाकटी; मार-काट - (२)क़तल (३) अदावत; कट्टर बैर काठ वि० पूर्व; घाघ काठ पुं० काठ; लकड़ी (२)पुं० इमारतमें काम आनेवाली लकड़ी (३) काठी (४) काठकी बेड़ी; काठ [काठी काठ९ न०,(-) पुं० (ऊँट आदिकी) काठियाणी स्त्री० काठी जातिकी स्त्री काठियावार पुं० न० गुजरातका एक भाग; काठियावाड (अब सौराष्ट्र) काठी स्त्री० ईंधन (२) जमीनकी एक नाप (४०० काठी-बीघा) (३) लाठी; डण्डा; बांस (४) देहकी गठन; काठी काठी वि० (२) पुं० काठियावाड़की एक मूल जातिका (व्यक्ति) काएं वि० कठिन; मुश्किल (२) कड़ा; कठोर (३) कंजूस (४) बुरा; अशुभ काठं न० काठी; देहकी गठन (२)ढांचा (ढोल, डफ आदिका); आकार(३) काठी; जीन (४)साड़ीका कपड़ा जिस पर किनारी लगानी हो . [धुसेड़ना काढघाल (ट, ल,) स्त्री० काढ़ना और काढ, स० क्रि० काढ़ना; बाहर खींचना-लाना-लेना; निकालना (२) अलग करना; गड़ी या सटी हुई चीजको आधारसे पृथक् करना; दूर करना (३) रद्द करना; हटाना (४) आलेखन करना; तसवीर या चित्र बनाना (बेलबूटा, अक्षर आदि) (५) कहना; बोलना; उच्चार करना (आवाज, चीख, बात इत्यादि) (६)कायम करना; नया खोलना; शुरू करना (शाला, दुकान आदि) (७)गिन डालना; गिनती करना कात .: (भाव, नाप)(८)रोशन करना; निका लना (नाम, आबरू, दिवाला आदि) (९)व्याप्त वस्तुओंको अलग करना; सार-तत्त्व निकालना (मलाई, तेल); रकम अलग रखना; उदा. 'तेणे पांचसो रूपिया दान खाते काठपा' (१०)कमाना: प्राप्त करना; जुटाना (११) अन्य क्रियाके साथ आने पर उस क्रियाके खत्म होने या निबटनेका भाव बताती है। [काढी नाम रद्द करना (२) अनुत्तीर्ण करना (३)कुछ न समझना। काढी मूकवं, मेल = निकाल देना; भगा देना (२) रखा दे देना (३) निकालकर रखना.] काडो पुं० काढ़ा; क्वाथ काण (०मोकाग) (ण,) स्त्री० मृतकके पीछे रोना-धोना; सियापा।-करवी, मानी-मृतकके पीछे रोना-धोना . (२) किसीसे बिगड़ा हुआ काम बनवाना । काणे अg=मातमपुरसीके लिए (दूसरे गांव) जाना.] काणियं (ण,) वि० सोगी; मातमदार काणियं वि० काना; एकाक्ष का, वि० सूराखदार; छेदवाला (२) काना; एकाक्ष (३)न० छेद ; सूराख कातर वि० कातर; आर्त (२)भीरु (३) तिरछा; काना कातर स्त्री०कतरनी; मैंची (२)बाल झड़नेका चौपायोंका एक रोग (३) कैंचीका-सा धारदार पतला ठीकरा, चादर आदि; टीन आदिकी चादर । [-बलावधी, फेरववी, मूकवी= काट -छांट करना.] कातरण न० कतरन कातर स० क्रि०कतरना (२)काटना; For Private and Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८७ कातरि' कुतरना (३)कम करना (४)कुरेदना; खुरचना (५)कटती कहना [ला.] कातरियुं न० छप्परके बिलकुल पासकी नीची मंजिल (२) लकड़ीका एक दुधारा अस्त्र (३) सेंध लगानेका औजार (४) दो चूड़ियोंके बीच में पहननेका एक पतला कंगन (५) भेजा (६) कटाक्ष; तेवर बदलकर देखना; तीखी निगाहसे देखना (७) स्लेटका टूटा हुआ बड़ा टुकड़ा। [कातरियां खावां, नाखवां रोषमें तिरछे देखना; चिढ़कर देखना.] कातरी स्त्री० किसी चीजका पतला, चिपटा टुकडा; कतला; बचका [प.] कातरो पुं० चिपटा, लंबा और टेढ़ा फल उदा. 'आमलीनो कातरो' (२) इससे मिलती-जुलती एक आतिशबाजी; छडूंदर(३)अनाजके उगते पौधोंको खा जानेवाला एक कीड़ा (४) गलमुच्छा (५) केलोंका घौरा, घौद कातळी स्त्री० देखिये 'कातरी' कातिल वि० कातिल (२) घातक (३) मर्मभेदी [(३) दगा [ला.] काती स्त्री० काती; छुरी (२) करवती कातुं न० काता; कुंद छुरी काथाकबला पुं० ब०व० कुत्सा; निंदा; झूठ-सच (२)हुज्जत ; व्यर्थकी तकरार कापियुं वि० कत्थई (२)न० नारियलके छिलकोंके रेशोंको बटकर बनाई हुई रस्सी (३) इसकी चटाई(४)पा-अंदाज़ काथी स्त्री० नारियलके छिलकोंके रेशे या इनकी डोरी कापो पुं० कत्था; खैरसार कादव पुं०कीच ; कीचड़। [-उरावो, फेंकवो निंदा करना; बदनाम करना.] कानुगे कादव-कीचड पुं० गहरा कीचड़, दलदल कान पुं० कान (२) लक्ष्य; ध्यान (३) बेध; छेद । [-ऊघरवाखरी बाबत मालूम होना। -करडवा कानाफूसी करना। घरेणे मूकवा-बहरा बनना। -फूटवा = (बहरा हो जाय ऐसा) असह्य कोलाहल होना (२) बहरा होना।-फोडी नाखवाभारी शोरगुल होना।-मांचा मारवा=कानमें तेल डालना.] कानखजूरो पुं० कनखजूरा कानछेरियां न० ब० व० कानके ऊपरके बालोंकी जुल्फें कानटोपी स्त्री० कनटोप; कुलही .. कानडी वि० करनाटकी(२) स्त्री० कन्नड (भाषा) कानपटी (-ट्टी) स्त्री० कामकी लो; लोलकी। -पकडवी=अपनी भूल क़बूल करना; कान पकड़ना (२) किसीको आगेके लिए सचेत करनेके लिए उसका कान पकड़ना; कान ऐंठना.] कानफटो पुं० कनफटा (साधु) कानफूटुं वि० बहरा कानफूसियां नम्ब०व० कानाफूसी ; कन फुसकी (२) बहकाना; कान भरना कानफूसियं वि० बहकानेवाला; कनफुसका (२)चुगलखोर(३) न० बहकाना या चुग़ली करना; कान भरना कानभंभेरणी स्त्री० कान भरना कानमूळियं न० कानकी जड़में होनेवाला एक रोग; कर्णमूल [कानछेरियां' कानशियां,कानशेरियां न०ब०व०देखिये कानस स्त्री० रेती (औजार) कानुगे पुं० कान्ह; कन्हाई; श्रीकृष्ण For Private and Personal Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कानूगो ८८ कानूगो पुं० कानूनदा कानून पुं०कानून (२)परिपाटी; रिवाज कानूनभंग पुं० कानूनभंग कानूनी वि० क़ानून संबंधी; कानूनी कानेकान अ० कानोंकान कानो(का') पुं० 'आ'कारका चिह्न ।'; खड़ी पाई; काना (२) बरतनका किनारा; आंवठकानोंकान कानोकान (का'). अ० लबरेज (२) काप पुं० काटना; काट (२) काटनेसे होनेवाली खरोंच, रगड़ या गड्ढा (३)स्त्रियोंका कानका एक गहना; कोप (४)काटने-ब्योंतनेका ढंग; काट कापकूप स्त्री० देखिये 'कापाकूप' कापड न० (कोरा, न बरता हुआ)कपड़ा कापरियो पुं० बजाज कापडी स्त्री० छोटी अॅगिया कापडं न० अॅगिया; कंचुकी कापणी स्त्री० काटनेकी रीत (२) (फ़सलकी) कटाई (३) (पत्तर काटनेकी) कटनी कापली स्त्री० काग़ज़ या कपड़ेका छोटा टुकड़ा; कतरन [पुरज़ा कापलो पुं० काग़ज़ या कपड़ेका टुकड़ा; कापवू सक्रि० काटना; काटकर अलग करना; (कुछ अंश) कम करना; घटाना (३) दूर करना; हटाना; काटना (४) ताशके पत्तोंको फेंटनेके बाद उनमेंसे कुछ पत्तोंको उठाना (५) ताशमें तुरुप चाल चलना; काटना कापाकाप (-पी) स्त्री० कटाकटी; खूनरेज़ी; क़तल कापाकूप (-पी) स्त्री० कतर-ब्योंत (२) काट-छाँट (३) बचत; किफ़ायत कापो पुं० लकीर(पड़ना); छंक (२) चीरा; शिगाफ़ कामकाज काफर वि० काफ़िर; अधर्मी (२) बदमाश ; दुष्ट (३) जंगली (४)पुं० अफ्रीकाकी आदिम जातिका आदमी काफलो पुं० काफ़िला; समुदाय (२) जंगी बेड़ा काफी स्त्री० काफ़ी; कहवा काबर स्त्री० एक पक्षी; मैना काबरचीत वि० चितकबरा रंग-बिरंगा काबरियं वि० कबरा; चितकबरा काबरी स्त्री० कुसुम ; करड़ी (२)चित कबरे, सफ़ेद और काले रंगका तेलहन कावरं वि० कबरा; चितकबरा काबू पुं० क़ाबू; अधिकार (२)अंकुश; नियंत्रण; बस (३)कब्जा (४)वजन; प्रभाव [चतुर; काबिल काबेल वि० अनुभवी (२) होशियार; काबलियत स्त्री० काबिलीयत; चतुराई काम न० काम ; कृत्य ; कार्य (२)नौकरका काम ; उदा. 'काम करनारी आजे आवी नथी' (३) कर्तव्य ; फ़र्ज़ (४) धंधा-रोजगार व्यवसाय (५)जरूरत; खप; उपयोग(६)केस ; मुक़दमा; उदा० 'एना उपर काम चलावयूँ जोईए' (७)अ०-के लिए; वास्ते [-आवy, लागवू काममें आना; इस्तेमाल होना। (२)(युद्धमें) काम आना।-बालअदालतमें मुकदमा शुरू होना।-थवं = काम निकलना;प्रयोजन सिद्ध होना। -पर -का उपयोग या आवश्यकता होना (२)-के साथ काम होना। -सर = काम होना; मतलब पूरा होना.] कामकरंदु वि० कर्तव्यनिष्ठ; कर्मठ (२) कामकाज न० काम-काज; काम-धंधा (२) कार-बार ___ मिहनती For Private and Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कामगरी कामगरी स्त्री० नौकरी; चाकरी;काम (२) नौकरीमें करनेका काम कामगरं वि० कामकाजी; उद्यमी कामगार वि० मेहनत-मजदूरी करनेवाला; काम करनेवाला (२)पुं०कामदार; मजदूर कामगीरी स्त्री० देखिये 'कामगरी' कामचलाउ वि० कामचलाऊ (२) अस्थायी कामचोर वि० कामचोर; आलसी (२) पुं० ऐसा आदमी (३) अपना हुनर दूसरोंसे छिपाये रखनेवाला ... कामचोरी स्त्री० कामचोरका कर्म; कामचोरी कामजोग (-) वि० कामके वास्ते । कामठी स्त्री० छोटा कमठा; धुनकी (२) पुं० कमठा रखनेवाला; भील कामहू न० कमठा; धनुष् . कामडी (-१) वि. दुबला-पतला; सुखंडी (२) स्त्री० बांसका फट्ठा कामढं वि० कर्मठ; कर्तव्यनिष्ठ (२) मेहनती जंतर-मंतर जादू-टोना कामण न० -वशीकरण; मोहनी (२) कामणगारं वि० वशीकरण करे ऐसा; मोहक मंतर कामणमण न० वशीकरण और जंतरकामदार पुं दीवान; कारबारी (२) नौकरीपेशा आदमी; मजदूर कामदारपक्ष पुं० मजदूर पक्ष मजदूर दल कामदारसंघ पुं० मजदूर संघ कामपंषोपुं० काम-धंधा; बनिज-ब्योपार कामसर अ० कामके लिए कामळ (-ळी) स्त्री० कमली कामळो पुं० कंबल; कम्मल कामो पुं० वीरताका काम; पराक्रम कायटियो पुं० एकादशाहका श्राद्ध करा__ नेवाला ब्राह्मण, कटहा; महाबाह्मण कायटुं न० एकादशाह; करट; उस दिन होनेवाला भोज।[-कर, बाळ एकादशाहके दिन भोजन करना। -सराव उस दिनका श्राद्ध करना] कायबाबाज वि० कानूनदा फायदा (-)सर अ० कानूनन् ; नियमानुसार [कारी कायदा कायदो पुं० कायदा; नियम (२) सरकायम वि० कायम; स्थिर; टिकाऊ (२) स्थायी; 'परमेनन्ट' (३)मंजूर; बहाल कायमी वि० नित्य; स्थायी । कायर वि० कायर;नाहिम्मत; नामर्द कायर(-) (का') वि० काहिल (२) त्रस्त; उकता गया हुआ; थका हुआ (३) कायर; बुजदिल । [-फर%3D परेशान करना; सताना।] . [पलट कायापलटो पुं० कायाकल्प (२) कायाकारक न० कारक [व्या.] (२)पदविन्यास कारकविभक्ति स्त्री० कारकविभक्ति कारकिर्वी स्त्री कार्यकाल (२) इस बीच किया हुआ काम-काज; कारकिर्दगी कारकुन पुं० कारकुन; कारिंदा कारकुनी स्त्री० कारकुनका काम कारखानदार पुं० कारखानेदार; कार खानेका मालिक कारखानू न० कारखाना (२)किसी बड़े कार-बारका स्थान कारगत स्त्री. ताक़त (२) प्रभाव; चलती (३) काम; अर्थ (४) काममें आनेका भाव कारज न० कार्य (२)विवाह या मृत्युसे संबद्ध प्रसंग -भोज।[-करवं,प-इस प्रसंगका खर्चा आदि करना या होना; उसका धार्मिक कृत्य आदि करना.] For Private and Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कारटियो कारटियो, कारटुं देखिये 'कायटियों', 'काय' कारटून न० कारटून; व्यंग्यचित्र कारण न०कारण; सबब ; निमित्त ( २ ) हेतु; उद्देश्य (३) जरूरत ; मतलब ( ४ ) भूतप्रेतादिके कारण होनेवाली व्यथा (५) अ० क्योंकि ;, कारण यह कि कारण के अ० कारण यह कि; इसलिए कि; क्योंकि कारणभूत वि० कारण-साधनभूत बना हुआ; निमित्तरूप बना हुआ कारणवशात् अ० कारणवश कारणसर अ० के कारण कारतक पुं० कातिक; कार्तिक मास कारतकी वि०कार्तिकका; कार्तिकसंबंधी कारतूस स्त्री० कारतूस कारभार पुं० कार-बार; कारोबार (२) बड़ा व्यवसाय या उद्योग कारभारी पुं० कार-बार चलानेवाला; कारबारी (२) दीवान; व्यवस्थापक कारभारं न० कारबारीका काम;वजारत कारमुं वि० भयानक (२) कूट प्रकृतिवाला; अद्भुत [(२) तूफ़ान; शरारत कारस्तान न० कारस्तानी; चालबाज़ी कारस्तानी वि० कारस्तानी करनेवाला कारी वि० भयंकर ; कंपा देनेवाला ( २ ) घातक; मारक; कारी (चोट) कारी स्त्री० युक्ति; तदबीर कारीगर पुं० कारीगर; दस्तकार (२) "कल, मशीन आदिको चलानेवाला (३) हर फ़न मौला - किसी भी हुनरमें प्रवीण व्यक्ति कारीग ( गी) री स्त्री० कारीगरका कलात्मक काम; कारीगरी; रचना (२) कारीगरी; कला-कौशल ; चालाकी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळुं कारेली स्त्री० करैलेकी बेल; करैली कारेलुं न० करेला ; करैला कारोबार पुं०कार- बार ; कारोबार कारोबारमंडळी स्त्री० कार्यकारिणी सभा कारोबारी वि० कारोबारका ; कारोबार से संबद्ध (२) स्त्री० कार्यकारिणी सभा कार्यवाहक वि० कार्यवाहक (२) पुं० कारभारी कार्यवाहकसभा स्त्री० कार्यकारिणी सभा कार्यवाही स्त्री० कार्य चलानेकी रीति; 'प्रोसिजर' ( २ ) कार्यवाही; कार्यक्रम कार्यसाधकसंख्या स्त्री० गणपूर्ति; 'कोरम' काल (ल.) स्त्री० कल (दिन) (२) अ० अगले या पिछले दिन; कल (३) अभी थोड़े दिन पर; बादमें काल पुं० काल; समय ( २ ) समयका विभाग; बेला (३)मृत्यु; अंत (४) मौसम कालपण न० बच्चोंका-सा बरताव ; बालकपन कालबूत न० कालबूत; कालबुद ( २ ) घाट; ठप्पा ; साँचा (३) जड़; बहाना (झगड़ेका) [ घोंटना ; पीसना कालव स०क्रि० तरल पदार्थ मिलाकर कालापणुं न० देखिये 'कालपण' कालावाला पुं० ब० व० गिड़गिड़ाहट; चिरौरी; आजिज़ी कालां न० ब० व० बालकपन; लाड़ । [ - काढत्र = बच्चोंका-सा बरताव करना; लाड़.] कालांतरे अ० बहुत लंबे अरसे -युगोंके बाद (२) कालांतर में ( ३ ) कभी [ला. ] काल ( -लींगडुं न० कलिंग; तरबूज़ कालुं वि० बालककी बोलीके जैसा टूटाफूटा अस्पष्ट और मधुर; रूठता, For Private and Personal Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org काल मचलता हुआ; लड़ैता (२) तोतला (३) बालिश; नादान कालुं न० कपासका डोंड़ा; ढोंढ़; तेंढ़ी काले अ० देखिये 'काल' अ० कावड स्त्री० काँवर; बहेंगी कावडियुं न० एक पैसा कावडियो पुं० काँवरिया कावतराखोर, कावतराबाज वि० चालबाज; छली [ साजिश कावतरं न० कारस्तानी ; प्रपंच ( २ ) कावसियो पुं० पक्का आदमी; घाघ कावळी स्त्री० पानी, दूध आदि पर तैरनेवाली पतली परत; काई कावादावा पुं० दाँव-पेच; छल-कपट का अ०क्रि० ऊब जाना; तंग आना कावो पुं० क़हवा (२) काढ़ा; क्वाथ काश ( स ) पुं० ; न० काश; काँस (२) उसका फूल; काश काश (स) पुं० कास; खाँसी काश (स) स्त्री० बाघा ; रुकावट । [काढबी, जबी = बाधा दूर होना; बला टलना (२) मामलेका तूल खींचना ] कासव पुं० क़ासिद; हरकारा कासळ न० अड़चन; रुकावट ; कोटा काळ पुं० काल (२) अकाल; क़हत ( ३ ) क्रोध || - आववो = गुस्सा आना (२) मौत आना । — काढबो = समय पसार करना । —लूटयो = आ बनना; मौतका सिर पर खेलना । —मांची आवई : भूखपीड़ित होना; खूब भूखा होना. ] काळका स्त्री० कालिका; चंडिका काळचक न० कालचक्र = काळचोघडि न० घातक समय या मौतकी घड़ी काळजातूट वि० घोर; जीतोड़ ९१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळाश काळजी स्त्री० देखभाल; हृदयपूर्वक संभाल; खबर या चिंता । [-करवी, धराववी, राखवी = देखभाल करना; खबर लेना. ] काळजुं न० देखिये 'कलेजुं' (२) हृदय; जी; मन [ला. ] । [ - कोरां = दिलको संताप होना । —खस = मन-बुद्धिका भ्रमित होना; अक्ल मारी जाना । - ठरकं ठ प = कलेजा ठंडा होना.] काळजूनुं वि० बहुत पुराना काळम्बर पुं० कालज्वर काळप स्त्री० कालापन (२) कलंक काळवळ न० कालबल काळभैरव पुं० कालभैरव ; शिव काळमापक यंत्र न० कालमापक यंत्र काळमोड वि० काला-कलूटा (२) निष्ठुर (३) पुं० एक प्रकारका बहुत सख्त और काला पत्थर काळमु वि० कालके-से मुँहवाला काळमूर्ति वि० कालकी-सी मूर्तिवाला (२) स्त्री० शरीरधारी काल (३) कालकी-सी भयंकर आकृतिवाला पुरुष काळयोग पुं० समयका योग; संजोग काळरात्री स्त्री० अंधेरी, डरावनी रात (२) कालरात्रि ; प्रलयकी रात (३) ७७ सालके बाद आनेवाली आश्विन - शुक्ला अष्टमी या भाद्रपद कृष्णाष्टमीकी रात ( ४ ) कालीके जन्मकी रात (५) यमराजकी बहन [ समय काळवेळा स्त्री० भयंकर समय (२) संध्या काळाट पुं० कालापन काळाबजारियो पुं० कालाबाजार चलानेवाला व्यक्ति या व्यापारी काळाश स्त्री० कालापन (२) मामूली कालापन For Private and Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org काळांतरे काळांतरे अ० देखिये 'कालांतरे काळांबोळां न० ब० व० कारस्तानी; काली करतूतें (२) बदचलनी। [करां = छलकपट या बदचलनी करना. ] काळियार पुं० काला हिरन; कालसार; कसायल काळी वि० स्त्री० काले रंगकी स्त्री; काली (२) स्त्री० काली बूटीवाले ताशके पत्तोंका एक प्रकार ; काला पान (३) काली; कालिका काळीचौदश (स) स्त्री० नरक चतुर्दशी काळीजोरी स्त्री० कालीजीरी काळीटीली स्त्री० कलंकका टीका; लांछन काळीनाग पुं० काला नाग-साँप (२) कालिय [ आदिवासी लोग काळीपरज स्त्री० 'दुबळा', 'चोधरा- आदि काळीरोटी स्त्री० मालपूआ काळीरोळी स्त्री० संध्याका झुटपुटा काळं वि० काला (२) दुष्ट; बुरा; अनीतिमय; काला (कर्म, बाजार आदि) (३) दुष्कर ; सख्त ; भयानक; कठोर आदि भाववाला (चोर; परिश्रम) । [काळा अक्षरने कूटी मारवाबिलकुल अनपढ़ होना; अक्षरसे भेंट न होना । काळा अडद चोरवा = भयंकर पाप करना । काळा तल चोरवा पाप करना । काळाना घोळा थवा बुढ़ापा आना | काळा मायानो मानवी = आदमजाद; मनुष्य ( सामान्यके अर्थमें) । कर = कलंकित करना (२) मुँह काला करना; टलना; दूर होना. ] काळुपाणी न० देसनिकाला ; कालापानी काळंबजार न० कालाबाज़ार काकुंभम्मर वि० काला भुजंग; अति काला ९२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कांं काळंमेश वि० काजल-सा काला : कालाकलूटा काळो कामणगारो पुं० श्रीकृष्ण काळो कायो पुं० बहुत अप्रिय और जालिम क़ायदा; काला क़ायदा (२) 'रॉलेट एक्ट' काळोतरी स्त्री ० संबंधियों आदिको भेजी जानेवाली मृतक कर्म आदिकी चिट्ठी; कहावत ['कई', 'कंईक' कोई ( ०क) (०) वि० ( २ ) स० देखिये कांकण (०) न० कंगन कांकरी (०) स्त्री० कंकड़ी; कंकरी (२) रेत ; पथरी ( ३ ) पथरी रोग कांकरीचाळी (०) पुं० मजाकमें किसी पर कंकड़ी फेंकना ; छेड़-छाड़ कांक (०) पुं० कंकड़ (२) डला (नमक, मिसरीका ) (३) कांटा; फाँस; अड़चन; रुकावट ( ४ ) शंका; मनका काँटा; खटका (५) पलकके नीचे होनेवाली फुंसी । [-चबो = मनमें चुभता रहना. ] कांग (०) स्त्री० कँगनी; कांगनी कांगडं (०) न० : • ठुड्डी; ठुर्री; अनाजका न भीगनेवाला दाना कांगरी (०) स्त्री० दंदानेदार या उभड़ी हुई बनावटवाली पंक्ति ( २ ) दीवा - रकी कँगनी; कारनिस कांगरी (०) पुं० दांता; दंदाना (२) शिखर (३) क़िलेकी मुंडेर परका छोटा कँगूरा; बजरी (४) दीवारकी बड़े ददानोंवाली पंक्ति ( ५ ) कामदानीका एक प्रकार कांगलं (०) वि० देखिये 'कांगुं ' कांगारू न० कंगारू कांगावेडा (०) पुं० ब०व० रांकपन; गिड़गिड़ाहट करना कांगुं (०) वि० रंक; कायर For Private and Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir .. गौचळी (०) स्त्री०कंचुली; चोली (२) केंचुली ; केंचली। [-उतारपी, काठी मानवी = केंचुली झाड़ना, छोड़ना, बदलना।-पहेरवी कायरता दिखाना; चूड़ियां पहनना (२) जनाना भेस बनाना.] लई (३)माडी कांनी (०) स्त्री०काजी; लपसी (२) कांटादार(०) वि०पानीदार;जोशीला कांटासरि(-ळि)यो (०)पुं० कटसरैया (पोषा) काटाळू (०) वि. केटीला; कांटेदार काटियं (०) न० कफ़न (२)संडास. काई(0) न० माल लेने देनेका इंतजाम-कोलकरार; सौदा (प्रायः ना. जायज)(२) भूसा कांटो(०)पुं०कांटा(२)उसके आकारकी कोई चीज़ (घड़ीकी सूई आदि) (३) युरोपीय लोगोंका खाना खानेका एक साधन; कांटा; उदा.'छरी-कांटो (४) तौलनेका कांटेदार तराजू; राटुल; टक आदि (५)नाकमें पहननेका स्त्रियोंका एक गहना; लौंग कील (६)रोमांच [ला.] (७) रुकावट; कांटा (८) बैर; कीना(९) वहम; शंका(१०)जोश; पानी (११)टेक ; दुराग्रह । [कांटा वाचवा, बेरवा-बैर मोल लेना; कांटे बोना। कांटो काढवोबाधा दूर करना (२) मनका खटका दूर करना.] कांठली (०) स्त्री० हंसली (२) करघेकी ठरकी; भरनी; 'शटल' काठलो (०) पुं० अंगरखेकी काट जो गलेमें ठीक बैठती हो; कंठा (२) तोतेके गलेकी रंगीन रेखा; कंठा (३) देखिये • 'कांठली' (४) घड़ा, गागर आदिका गला; कंठ (५)घाट ; किनारा कांगे (०) पुं० किनारी;तट (२)अंत; छोर; सीमा (३) (घड़ा, गागर, कुआं आदिका) काठा कार पुं० कांड; परिच्छेद (२) पौर (पौधेकी); कांड (३) डाली; शाखा कांगवरियाळ(6) स्त्री० कलाई पर बांधनेकी घड़ी; 'रिस्टवॉच' कांगवळ (०) न० भुजबल; बाहुबल कांगवळियं(०) वि० मजबूत (कला ईका बल); बाहुबली काव्यूि (०) म० पहुँची; मुतेहरा (२) कफ़ (कमीज़ आदिका) कांग(०) स्त्री दियासलाई या इसकी पेटी(२)देखिये 'कांडु काई(०) न० कलाई; गट्टा । [-कापी आप; हस्ताक्षर कर देना; क़बूलत लिखना (जिससे बादमें मुकर न जाये)।-पकरपाणिग्रहण करना; ब्याहना (२) आसरा देना.] कांतण(०) न० कताई; कातनेकी क्रिया कांत (०) सक्रि० कातना (२)निक म्मी चर्चा करना; बालकी खाल निकालना [ला.] । [कातेलं कांतषु व्यर्थ परिश्रम करना; किया हुआ काम दुबारा करना; पिष्टपेषण करना. कां तो(0) अ० अथवा; या तों कांदो (०) पुं०कांदा;प्याज (२)कंद; गांठदार जड़ (३) लाभ; फायदा ला.[-काढवो= फायदा मिलना; हाथ आना.] कांष (०) स्त्री०कंधा; स्कंध (२) जूएकी रगड़से गरदन पर होनेवाला बट्ठा। [-आपवी = कंधे पर उठाकर सहायता करना; कंधा देना।[-परवी%= For Private and Personal Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कमालत doe कंधेकी चमड़ीका सख्त होना । :-मारवी = कंधा देना. ] कांधावत (०) न० क़िस्तोंके अनुसार क़र्ज़ चुकानेका क़बाला- दस्तावेज कांपांजरां (०) न० ब० व० क़िस्त अदा न होने पर बकाया रक्कमकी सूदके साथ दुबारा क़िस्तें बांधना कांधियो (०) पुं० कंधे पर बोझ ढोनेवाला मजदूर (२) बैल (३) ठठरी उठानेवाला; कंधा देनेवाला ( ४ ) क़िस्त पर ब्याज - बट्टेका रोजगार करनेवाला (५) पुठवाल; पिट्ठू कांj (०) न० क़िस्त ; रहँटी कांप (०) पुं० काला, चिकना, जमा हुआ कीचड़ ; कल कांप (०) पुं० कंप; सिहरन nij (०) अ० क्रि० काँपना (२) थरथराना कांबळ (-ळी) (०) स्त्री० कमली कांबळी (०) पुं० कंबल कांबी (०) स्त्री० स्त्रियोंका पाँवका एक गहना (२) चरसेके मोहरेका काँठा (३) आंत उतरनेकी बीमारीमें गाँठको दबानेवाली करधनी; कंदोरा (४) चमड़ेका डोल कांस (०) पुं० छोटी नहर ( २ ) नाली कांसकी (०) स्त्री० कंघी कांसको (०) पुं० कंघा कांसj (०) अ० क्रि० खाँसना (२) खखारना (३) हाँफना ; साँस लेना (४) स०क्रि० ठूसना ; दबा-दबाकर भरना कांसा (०) न०ब०व० कांस्यताल; झाँझ कांसियो (०) पुं० पीतलकी कलछी (२) काँसेका बड़ा कटोरा - तसला (३) कंघा कांसी (० जोड) (०) स्त्री०; कांसीजोडं (०) न० ( बहुवचनमें ) बड़ा ९४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किस् कांस्यताल; झाँझ । [कांसीजोड बगाड = (धन आदिका ) घटना (२) भीख माँगना ( ३ ) काम-धंधा चला जाना; बेकार बनना. ] कांसं (०) न० काँसा किकियारी स्त्री० किकियाना; कंपा देनेवाली चीख किको पुं० चि किलो पुं० ( सरकंडेकी) क़लम; लेखनी (२) अच्छे अक्षरोंमें लिखा हुआ मसौदा - नमूना (३) क़िता; खेतका टुकड़ा (४) अ० ऐजन् [कलाबत्तू किनखाब पुं०कीनखाब; कम ख्वाब (२) किनार ( - री) स्त्री० किनारा; कोर (२) गोट ; किनारी ( ३ ) तट; किनारा किनारो पुं० किनारा; कांठा ; तट किन्नालोर, किमो देखिये 'कीनाखोर', 'कीनो' [वि० सस्ता किफायत स्त्री० किफ़ायत; बचत (२) किफायती वि० किफ़ायतका ; सस्ता किरकोल (-) वि० फुटकल (२) अ० खुर्दा; थोड़ा थोड़ा करके किरतार पुं० करतार; स्रष्टा किरपाण स्त्री० किरपान; कृपाण किरमज पुं० किरिमदाना ( २ ) इसमें से निकलनेवाला लाल रंग और दवा; किरमिज़ किरमजी वि० किरमिज़ी; गहरा लाल किलकार पुं० किलकार; किलक किलकारी स्त्री० किलकारी; किलकार (२) तीक्ष्ण चीख या पुकार [ चहचहा किलकिल स्त्री० कुलकुलकी आवाज़ ; किलकिलाट पुं० कुलकुलाना; कलरव (२) हर्षध्वनि [कीड़ा; कीट किल्लुं न० नाजमें पड़नेवाला एक For Private and Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . १५ . करता; डोगी रेंगान किल्लेदार किल्लेदार पुं० किलेदार(२)किलेकी रक्षा कोरिया न० चींटियोंका दर .. करनेवाला सैनिक [किलेकी तामीर कोरियासेर स्त्री० काचके बहुत छोटे किल्लेबंदी (-पी) स्त्री० किलेबंदी (२) मनकोंकी माला किल्लो पुं० किला; गढ़ काश्तकारी। कोरियं न० काचका बहुत छोटा मनका किश्त स्त्री किश्त; शह (शतरंज)(२) कोडी स्त्री. कीड़ी; चिउँटी। [-ओ किती स्त्री० किश्ती; नाव उमरावी असंख्य आदमियोंका जमा किसम स्त्री० किस्म; प्रकार होना।-ओ चरवी=(काम करते) किसमिस स्त्री० किसमिस, किशमिश उकता जाना।-उपर फटक-सामान्य किस्ती स्त्री. किश्ती ; डोंगी प्रयोजनके लिए भारी प्रयत्न.] किल्सो पुं० किस्सा; कहानी (२)किस्सा कोरीवेग पुं०चिऊँटीकी चाल चिउँटिया -कहानी। -करवो युक्ति रचना.] किंकर पुं० किंकर; सेवक कीडो पुं० कीड़ा किंकरी स्त्री०सेविका; दासी कीनालोर वि० कीनाकश; कीनावर किमत स्त्री कीमत; बदला; मुआवजा कोनो पुं० क़ीना; कट्टर बैर (२) क़द्र; गिनती कीमत स्त्री० देखिये "किमत' कोकली स्त्री० बच्ची कीमती वि० कीमती; मूल्यवान कोकलो पुं० बच्चा कीमियागर पुं० कीमियागर(२)कलाकीकी स्त्री० (आँखकी) पुतली; तारा कुशल-हुनरमंद व्यक्ति (३)धूर्त ; ठग कोकी स्त्री० बच्ची; बालिका कोमियो पुं० कीमिया; अकसीर (२) कोको पुं० बच्चा; छोटा बालक जादू, कार्यसाधक युक्तिला.] (३) कीच (०१) पुं० कीच; कीचड़ आसानीसे अधिक धन मिले ऐसा कीट वि० बराबर जबानी किया हुआ; इल्म, पेशा या साधन बरजबान (२)पूरा माहिर ; अनुभवी कीरतन न० कीर्तन कीट पुं० मैल; जंग (२)कूड़ा-करकट; कीरतनियां नम्ब०व० झांझ करदा; किट्ट; तपाये हुए घीकी तल- कीरतनियो पुं० कीर्तनिया; कीर्तनकार छट (३) गांठ; गट्ठा कील पुं० (गाड़ीके पहिये परकी) कोट (क) पुं० कीट; कीड़ा कालिख (२) मेख ; खूटा; कील कीटली स्त्री० केतली; चायदानी कोली स्त्री०ताली; कुंजी (२)तिजोरी कीटियं वि०जिसमें बिनौलेके टुकड़ों या कोलीवर पुं० जिसके पास (किला, पत्तियोंका चूरा आदि कचरा हो(२) तिजोरी वगैरहकी) कुंजी रहती हो न० छिलपट (लकड़ीकी) - वह व्यक्ति कीटी स्त्री० रूई (बिनौलेके बारीक कुकरेकूक न० कुकडू-कू (मुरगेकी) टुकड़ों या पत्तियोंके चूरे आदि)का कुछंब पुं० बुरी लत या चसका; लंपटता कचरा किट्ट; काईकटामण न० बेकार चक्कर काटना: कीटं न० तपाये हुए धीकी तलछट; कूचागर्दी For Private and Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुटारों - - कुटारो पुंकूचागर्दी (२) झंझट; माथापच्ची [ला.] रूप कुटाव सक्रि० 'कूटर्बु'का प्रेरणार्थक कुटावं अ०कि. 'कूटर्बु'का कर्मणि (२) भटकना; व्यथं चक्कर लगाना (३) समझमें न आना; असमंजसमें पड़ना ला.] कुटुंब न० कुटुंब ; परिवार (२)कुटुंबकबीला (३) स्त्री-पुत्रादिका समूह; बाल-बच्चे बच्चे कुटुंबकबीलो पुं० कुटुंब-कबीला; बालकुटुंबपरिवार पुं०कुटुंब और परिवार कुटुंबी वि०कुटुंबी; कुटुंबका (२) कुनबे, बाल-बच्चेवाला (३)न०० कुटुंबका व्यक्ति कुटव स्त्री० कुटेव; बुरी आदत कुन्तुं न० कुरता कुतकुं न० कुतका; सोंटा कुतरियं न० कुत्ता (घास); लपटीओं कुतुब पुं० चक्कीकी कील; अखौटा (२)ध्रुव तारा; कुतुब । कुत्ती स्त्री० कुत्ती; कुतिया कुत्तो पुं० कुत्ता कुदकारो पुं०कुदक्का; कुदान कुदकुं न० कुतका; सोंटा कुदरत स्त्री० कुदरत (२)जातिस्वभाव (३) शक्ति; ताकत कुदरती वि०कुदरती;प्राकृतिक ; असली कुदावईं सक्रि०कुदाना; कुदवाना कुदावं अ०क्रि० कूदा जाना कुधान न• कुधान्य कुषारोपुं० कुरीति(२)सुधारका उलटा; बिगाड़ - [चालाकी कुनेह स्त्री० हिकमत (२) चतुराई; कुपात्र वि० कुपात्र; नालायक़ (२) कुलनायक उपत, बहका हुआ; बेअदब (३)न. निम्न कोटिका पात्र()कुपात्र व्यक्ति कुप्पी स्त्री० कुप्पी; छोटा कुप्पा कुप्पो पुं० कुप्पा [दुश्चरित्र स्त्री कुबजा स्त्री० कुब्जा; कुबड़ी (२) खराब, कुम्जा वि० स्त्री० कुब्जा; कुबड़ी (२) स्त्री० कैकेयीकी दासी-मंथरा; कुबरी (३) कंसकी एक दासी जो कृष्णकी कृपापात्र थी; कुबरी; कुब्जा कुमारवा स्त्री० नीच-बुरी स्त्री (२) लड़ाकी; कर्कशा (३) फूहड़ स्त्री कुमक स्त्री० कुमक; मदद।[कुमके ऊमा रहे (किसीकी)कुमक पर होना; किसीका मददगार होना.] | कुमकुम न० कुंकुम रोली नरमी कुमळाश स्त्री० कोमलता; मुलायमत; कुमळ वि० देखिये 'कोमळ' । कुमाविसदार पुं० माल-महकमेका अधिकारी (२) साफ़ बुनाई कुमाश स्त्री०मुलायमत नरमी(कपड़ेकी) कुरकुरियुं न० कुत्तेका बच्चा; पिल्ला कुरतुं न० कुरता कुरन(-नि)स, कुनिश स्त्री० कोरनिश कुल वि० कुल ; सारा (२)तमाम ; पूर्ण कुल न० कुल; कुटुंब (२)कुलीनता (३) समूह; झुंड; दल (४) मुवक्किल (वकीलका) कुलगी (ल') स्त्री० कुल्हिया (२)सुनारोंकी कुल्हिया जिसमें सोना-चांदी गलाते हैं; घड़िया (३)गुदाका भाग; कांच (जिसमें से मल बाहर आता है)। [-मां गोळ भागवो आपसमें (झगड़ा) निबट लेना (अन्य व्यक्तिको बीचमें लाये बिना).] कुलनायक पुं० विश्वविद्यालयका उपकुलपति; 'वाईस-चान्सलर' For Private and Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फुलपति कुलपति पुं० कुलपति (२) कुलपति; 'चान्सलर एक बानगी; कुलफ़ी कुलफी स्त्री० बर्फ़से जमाई हुई दूधकी कुलाबो पुं० अंतरीपकी जमीन (२) आस्तीनका कट कुली पुं० कुली; मोटिया मिलाकर कुले अ० कुल-जमा; समग्रतया; सब कुलेर(ले') स्त्री० घी-गुड़के साथ मसला हुआ बाजरे आदिका कच्चा आटाएक खाद्य पदार्थ कुप्पी कुल्ली (कु') स्त्री० देखिये 'कुलडी' (२) कुल्ल (कु)न० कुप्पा । [कुल्लामा हाथ मुकाववो, मेलाववो खूब लालच देकर भरमाना] कुल्ले अ० देखिये 'कुले' कुवेण न० गाली; कुवाक्य (२) कटु वचन कुवेतर न० कुएंसे सींची जानेवाली जमीन; चाही जमीन कुवेती पुं० चरससे कुएंसे पानी निकालनेवाला; चरसी; चरसिया कुब्बत न० कूवत; ताक़त कुशका पुं०ब०व० धान, कोदों आदिके छिलके; भूसी कुशकी स्त्री० कूटे हुए धानकी बारीक फटकन; बारीक भूसी कुशल(-ळ) वि० शुभ ; मंगल (२) आरोग्यवान (३)प्रवीण; कुशल (४) 'न० कुशलक्षेम न० कुशल-क्षेम कुशलक्षेम वि० सुखी और तंदुरुस्त (२) कुसंप पुं० फूट; अनक्य; अनबन 'कुसुंबी (-चो) देखिये 'कसुंबी', 'कसुबो' कुस्ती स्त्री० कुश्ती (२) गुत्थमगुत्था; कुश्तमकुश्ता कुस्तीबाज पुं० कुश्तीयाज़ गुहारी स्त्री. कुल्हाडी कुहागे पुं० कुल्हाड़ा।[कुहाग(-). नौ हाचो-बुरे काममें किसीका साधन बननेवाला या उसका काम निकाल देनेवाला.] कुळ न० देखिये 'कुल' न०।[-उजाळवं =कुनबेकी शान बढ़ाना। -तारकुलको तारना; कुलोद्धार करना। -बोळवं = कुलका नाम डुबाना.] कुळदीवो पुं० कुलदीपक (२)पुत्र कुळदेवी स्त्री० कुलदेवी कुळरीत स्त्री० कुलरीति ; कुलमर्यादा कुळलजाम" वि० कुलको लज्जित करनेवाला; कुलबोरन कुळवंत, कुळवान वि० कुलीन कुळहीण (-j) वि० कुलहीन कुंकुम न० कुंकुम रोली [लग्नपत्रिका कुंकुमपत्रिका स्त्री० कुंकुमपत्रिका; कुंजडी स्त्री० एक पक्षी; मादा कोंच बगली (२) छोटा कुंज; कुंज गली कुंजई न० एक पक्षी; कुंज; क्रों व कुंजडो पुं० कुँजड़ा (२) माली (३) एक पक्षी कुंजार वि० कुंज जैसा; छतनार कुंजो पुं० कूजा; सुराही कुंड पुं० कुंड; यज्ञवेदी (२) जल__संचयके लिए बनाया गया सीढ़ियोंवाला पक्का हौज़; कुंड (३) कुंडके आकारका पात्र (४) बलि चढ़ानेकी जगह (५) छोटा उबारा; कुंड (६) गढ़ा; गर्त कुंडली स्त्री० छोटा कुंडरा; मंडलाकार रेखा (२) धातुकी खोली; शामी (३) जन्मकुंडली कुंडळ न० कानका गहना; कुंडल कुंदन न० कुंदन; खालिस सोना For Private and Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुंदो हुँदो पुं० कुंदा; सोंटा; डंडा (२)लाठी या बंदूकका मोटा सिरा; कुंदा कुंभकर्णनी ऊंघ लंबी और खूब गहरी (छह महीनेकी) नींद कुंभमेळो पुं० बड़ा मेला (२) हर बार- हवें बरस लगनेवाला हिंदुओंका एक मेला; कुंभ व्यक्ति [ला.] कुंभार पुं० कुम्हार (२) अनगढ़ या मुर्ख कुंभी स्त्री० खंभेके नीचेका पत्थर या लकड़ीका आधार; बैठक (२) मकानका खंभा . [मार; पिटाई कुंभीपाक पुं० कुंभीपाक; एक नरक (२) कुंवर पुं० कुँआरा लड़का (२) राज कुमार; कुँवर (३) लाड़ला बेटा; कुंअर कुंवरी स्त्री० क्वारी कन्या; कुंआरी (२) राजकुमारी; कुँवरी (३)बेटी; लाड़ली बेटी कुंवार स्त्री० घीकुआर; ग्वारपाठा कुंवारका स्त्री० कुँआरी; कन्या; कुमारिका(२)वह नदी जो समुद्र में न मिलती हो [छीसा अंकुर; ग्वारपाठा कुंवार (०y) पार्छन० घीकुआरका बरकुंवारी वि० स्त्री० समुद्रमें नहीं मिलने वाली (नदी) कुंवारं वि० कुँआरा; क्वारा;अविवाहित कई स्त्री० कुइयाँ; छोटा कुआँ कुक न० आँखमिचौनीके खेलमें की जानेवाली आवाज (२) इंजनकी -सीटीकी आवाज़; भोंपू; सीटी कुकगाडी स्त्री० रेलगाड़ी (बालभाषा) कूकड न०ब०व० मुर्गी, बतख इत्यादि: 'पोल्ट्री" कूकडी स्त्री० मुरगी कूकीकूक अ० आँखमिचौनीके खेलमें की जाती आवाज़ कूकडेकूक न० मुरग्रेकी आवाज कुकडू कू कूकडो पुं० मुरगा; मुर्ग कूकरी स्त्री० हलमें लगाई हुई पच्चर; खुरा (२) नेपाली कटार; खुखड़ी कूकरी स्त्री० (खेलनेकी) गोटी की स्त्री. छोटी गोटी (खलनेकी) कूको पुं० पत्थरका छोटा गोल टुकड़ा; गोटी (२) ठीकरी; गोटी । कूख स्त्री० कुख; कोख (२) गर्भाशय; पेट [ला.] (३) संतान । [-मारवी - स्त्रीको प्रथम गर्भ रहना;कोख खुलना। . -लाजवी = माँको ऐब लगना.] फूच स्त्री० कूच ; रवानगी (२) लश्करी चाल; कूच-कदम कूचडी स्त्री० मोटे बालोंकी कूची; बुरुश कूचडो पुं० उसकन ; उबसन (२)(चूना फेरनेके काम आनेवाली मूंज आदिकी) कूची (३) तानेका सूत साफ़ करनेका ब्रश; कूच कूचापाणी वि. जो बराबर घुल-मिल या पिघल गया न हो (२) न०ब०व० फोक और पानी (३)निस्सार चीजें कूची स्त्री० देखिये 'कूचडी' कूचो पुं० फोक; फुजला; सीठी (२) उबसन (३) (चूना फेरनेकी) कूची; ब्रश (४) तलछट ; गाद (५)तानेका सूत साफ़ करने का ब्रश; इंच (६) बार-बार कही गई सारहीन बात [ला. (७) पूरी तरहसे सोची-समझी हुई बात (८)निदा। [-करवोला .] एक ही बात बारबार कहना; पिष्टपेषण करना। काढवो=कड़ी मेहनत लेना;थका देना;मोमियाई निकालना.] कूज, अ.क्रि० कूजना; कुंजना ... कूजो पुं० कूजा; सुराही For Private and Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir A कूट वि० जो न समझा यान पढ़ा जाय; कूतरी स्त्री० कुत्ती; कुतिया ... गूढ़ (२)रहस्यमय ; पेचीदा (३)झूठा; कूत न० कुत्ता। [कूतरा जे भटकूट (४)पुं०; न० कपट ; धोखेबाजी; कता; आवारा (२) कटहा और ठगाई (५) पहाड़की चोटी; शिखर भौंकनेवाला । कूतराने मोते मर (६)ढेर (७)कूटप्रश्न (पहेली, रहस्य कुत्तेकी मौत मरना.] आदि) [बरतन; कबाड़ कूतरो पुं० कुत्ता - कूट स्त्री० माथापच्ची (२) टूटे-फूटे कूपली स्त्री० कुत्सा; बदगोई ; निंदा कटणखानुं न० वेश्यागृह; कसबीखाना कूथलो, कूयो पुं० गड़बड़झाला; घोटाला कटणी स्त्री० कुटनी; कुट्टनी (२) माथापच्ची (३) उबसन (४) कूटणुं न० सियापा; मातम; मृतकके कुत्सा; बदगोई पीछे पिट्टस (२) वसा प्रसंग .. कूदको पुं० कुदान; छलांग कूटवं सक्रि० मारना; पीटना (२) कूदवं अ०क्रि० कूदना (२) अपने बूतेसे कूटना (धान, औषध आदि)(३) मृतक अधिक खर्च या ठाठ करना [ला.] । व्यक्तिके पीछे छाती कूटना [कूबी पर = कूद पड़ना; साहस कूटाकूट स्त्री० बार बार ठोंकना;पिटाई; करना। कूबी रहे= फ़जूल (खर्च ठोंक (२) खूब रोना-पीटना; पिट्टस करनेके लिए) तत्पर रहना (२) कूटियुं न० मार; मरम्मत (२) बाज- आतुर, लैस होना.] रेको कूटकर बनाई हुई खाद्य वस्तु। कूवंकूवा, कूदाकूद स्त्री० उद्दल-कूद; [-करवं, काढ= बहुत पीटना; खूब कुदक्का (२)चंचलता; अशान्ति [ला.J मरम्मत करना.] (३) हदसे ज्यादा खर्च करना कूटी स्त्री० गोटी; नर्द कूपी स्त्री० कुप्पी; कूपी । कूटो पुं० चूरा; चूर्ण (२) मार; कुटाई कूपो पुं० कुप्पा (२) कुप्पेके आकारकी कूर न० कपट ; ठगाई (२)नुकताचीनी बड़ी बोतल करकपट न० छल-कपट; धोखा-धड़ी कूगई वि० बदशकल; कुरूप कूडं वि० कपटी; कूट (२) कुटिल; कूबो पुं० घोंसला (२) घासकी गुंबद्धखोटा (३) न० अपराध; खता (खास __ दार कुटिया करके देवी या मातृकाकी) [-पडh= कबो पुं० पक्का फ़र्श ; गच (२) फर्श देव-देवियोंका अपराध होना; वैसा कूटने-पीटनेका मुंगरा; मोगरा; कोबा काम होना.]. फूलो पुं० कूल्हा; चूतड़; कूला... कूणप, कूणाश स्त्री० कोमलता . कवायंभ, कवो पुं० मस्तूल कूणु वि० कोमल; नाजुक कूवो पुं० कुंआ कुआँ। [कूवामा उतारवं, कूतकं न० कुतका; सोंटा नाखवू = खूब नुकसानमें ले जाना; कूतरानी टोपी स्त्री०, कूतरानो कान फंसाना । कूवे पर = आत्महत्या पं० कुकुरमुत्ता [चमरी, मंजरी करना; कुएंमें गिरना (२) साहस कुतरी स्त्री० कुत्ता घास (२) इसकी ___करना। -पूरबो, -हवागे करवो= . For Private and Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुएँ या उबारेमें गिरकर आत्महत्या करना; कुएंमें गिरना. कूवो पुं० मस्तूल कूळ वि० कोमल; नाजुक कंची स्त्री. कुंजी; ताली (२) उपाय [ला.](३)रहस्य जाननेका साधन; कुंजी कंजरी स्त्री०, कंजई न० एक पक्षी; क्रांच; कूज [घेरा; कुंडलिका कुंगळी स्त्री० छोटा कुंडरा (२)[ला.] कुँगळं न० कुंडरा; घेरा; वृत्त;परिधि (२) घपला; घोटाला। [फूडगळा करवां, वाळवा = घोटाला, गड़बड़ करना। -चाळवं दिवाला निकालना (२) साफ इनकार करना.] कुंग स्त्री० कुंड जैसा छोटा गढ़ा (२) चौड़े मुंहका छोटे कुंड-सा बरतन कुंडी; कुंडी (३) छोटा उबारा; कुंड (४) बीसकी संख्याका संकेत; कोड़ी (५) गुच्ची [(३) घेरा; कुडरा कूर न• कुंडा; कूड़ा; कुंडरा (२) गमला कूणु वि० कोमल; नाजुक कुंबली स्त्री० (मूसलके सिरेका) खोल कूब (-4), न० घासकी मंजी; टाल कुंपळ स्त्री० कोंपल; गाभा । कभी स्त्री० देखिये 'कूभी' कूळ वि० कोमल; नाजुक कृपाळु वि० कृपालु; दयालु के अ० अथवा; या; वा (२) कि केंटलं वि० कितना केटलंएक, केटलंक वि० कुछ ; कुछ एक केटलकेटलं, केटलबर्ष, केटलंय वि० कितना-कितना; कितना केर (कॅड, स्त्री० कमर(२)कुमक [ला.) केरियं (क) न० कमर तकका अंगरखा; मिरजई करती केडी स्त्री० पगडंडी केरे अ० पीठकी ओर; पीछे केगे पुं० पगडंडी (२) पीछा (३) सिरा; अंत (४) सताना; कष्ट[ला.] । [-पकरवो = पीछा पकड़ना; पीछा करना(२)सताना।-मूकवोपीछा छोड़ना. केणीगम,केणीपा,केणीमग अ० किस ओर केद (क) वि० बंधनयुक्त (२) स्त्री० कैद; बंधन केदखानुं न० कैदखाना; कारागार केदार(-रो) पुं० एक राग; केदार; केदारा। [-करवो भारी पराक्रम __ करना; बहुत जोर मारना (२)कुछका कुछ कर देना [ला.]] के दी अ० किस दिन? कब? केबी (के) वि० कैदमें पड़ा हुआ (२) कैद किया हुआ (३) पुं० कैदी केफ (के) पुं०; स्त्री० कैफ़; खुमार [-कतरवो नशा उतरना। -करवी =नशा करना; नशीली चीजोंका उपयोग करना।-चढ़वो नशा चढ़ना; नशा छाना.] कैफियत (क) स्त्री० अधिकारीके पास पेश की जानेवाली हकीक़त कैफियत केफी वि० कैफ़ी; नशीला; मादक केम (के) अ० क्यों; किसलिए (२) कसे (३) प्रश्नसूचक अव्ययके रूपमें - क्यों? [कि केम के, केम जे अ० क्योंकि ; कारण यह कमेरा पुं० कैमेरा. केर (के) ०. कहर; जुल्म । [-वर्तवो हर टूटना; चारों ओर जुल्म फैल जाना. केरग(क) स्त्री० एक वनस्पति; करील For Private and Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - करई() न० करीलका फल; टेंटी केरबो (क) पुं० एकनाच; कहरवा (२) इसमें गाया जानेवाला गीत (३) इसका राग; कहरवा केरी (के) स्त्री० आमका फल; आम केरीगाळो पुं० आमका मौसम केई (के) न० करीलका फल; टेंटी केरोसीन न० केरोसिन; मिट्टीका तेल केल पुं० पीसा हुआ चूना । केवटुं वि० कितना केबडंक वि० अंदाजन कितना। केबडेय वि० कितना ही केवड़ा केवडो पुं० केवड़ा (पड़)(२) इसका फूल; केवळ वि० केवल; शुद्ध (२) सिर्फ़; मात्र (३) एकमात्र ; अकेला; केवल (४) अ० निपट; बिलकुल [(अव्यय) केवळप्रयोगी वि० विस्मयादिबोषक के वि० कैसा? किस तरहका? केवंक वि० कैसा? केबुंय वि० कैसा भी केशर न० देखिये 'केसर' केशरी वि० पुं० केसरिया; जाफ़रानी केशरी पुं० केसरी; सिंह केशवाळी स्त्री० अयाल; केसर केस न० केस; मामला; मुकदमा (२) नुसखा (वैद्य, डाक्टर आदिका) (३) अमुक बात या घटना या इससे संबद्ध व्यक्ति। [-चालयो मुकदमा इजलासमें चलना। -मारवो= मुकदमा दायर करना. केसर न० केसर; जाफ़रान (२) इसके फूलके बीचोंबीच उगनेवाला महकदार रेशा-सींका; केसर (३)प्रत्येक फूलके अंदर होनेवाला सींका; केसर (४) अयाल; केसर केसरभीन वि० केसरिया बाना पहनकर समर-भूमिमें मरनेको उद्यत केसरियां न० ब०५० केसरिया बाना पहन या तो अफ्रीमका आखिरी चूंट पी मरजिया बनकर लड़ना केसरिय वि. केसरिया; पीला(२) रंगीला; मौजी (३) न० स्त्रियोंका - केसरिया कपड़ा केसरी वि० केसरिया; पीला केसरी पुं० केसरी; सिंह [टेसू केस(ग) न००व० पलाशके फूल; केसूगे पुं० पलाश; टेसू (वृक्ष) केळ स्त्री० केला; कदली केळवणी स्त्री० देखिये केळवq' (२) . व्यवस्थित पालन-पोषण, विकास और शिक्षा (३) शिक्षा; तालीम (४) पढ़ाई; अध्ययन केळवणीकार पुं० शिक्षा-शास्त्री केळव, स० क्रि० व्यवस्थित रूपसे विकास करना, पालना-पोसना, सुधारना; शिक्षण देना (२) (साना हुआ आटा)गूंधकर तैयार करना (३)(कच्चे चमड़ेको) कमाना (४) सवारी ढोने या जोताईकी शिक्षा देना; सघाना केळू न० केला (फल) : .. केनत्यागी वि० केन्द्रापसारी केन्द्रवर्ती वि० केन्द्रवर्ती; मध्यवर्ती को स० (२) वि० देखिये 'कोई [प.] . (३) कौन कोई स० (२) वि० कोई कोई (०ए)क वि० (२) स० कोई भी एक कोक वि० (२) स० देखिये 'कोईक' कोकटी वि० कुकटी (२) इससे बनने वाली (खादी). कोकगई अ०क्रि० (शरीर या चमड़ीका) ऐंठना; सुरीं पड़ना; सूखना-सिकुड़ना For Private and Personal Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोरियो कुंभार १०२ कोठी कोकडियो कुंभार पुं० एक पक्षी;महोखा कोट स्त्री० गरदन। -मां माळा में कोकडी स्त्री० कुकड़ी; लच्छी (२) हैयामा लाळा=मुखमें राम और बगल में झुर्रा (३) सुखाई हुई खिरनी छुरी; दंभ । कोटे बांध-गले मढ़ना. कोकडं न० बड़ी कुकड़ी; लच्छा (२) (जिम्मेदारी); साथ कर देना । कोटे (शरीर या चमड़ीका) ऐंठना, सिकुड़ना चळग-गले पड़ना (२) बोझ बनना. या झुर्रा पड़ना (३) पेचीदा मामला; कोटगी स्त्री० कोठरी टेढ़ी खीर; उलझा हुआ कामकाज । कोटई न० मिट्टीका छोटा घर(२)दीवार [-उकेलq= उलझे हुए सूतकी लच्छी कोटलुंन०कड़ा छिलका(२)निस्सार चीज खोलना (२) किसी काममें आई हुई कोटलो पुं० मिट्टीका पिटारा (२)कोठार 'अड़चन, कठिनता या उलझन दूर कोटवाल (-ळ) पुं० कोतवाल (२) करना। -गूंचवा, गूंचायूं मामला ___एक अल्ल उलझनमें पड़ना; हल न होना.. कोटवाली (-ळी) पुं० स्त्री० कोतवाली कोकरवरj,कोकरवायं कुनकुना कोटि स्त्री० कोटि ; करोड़ (२)कमानका कोगळियं (कॉ)न० हजा; 'कॉलेरा' सिरा (३)किसी वादका पूर्वपक्ष (४) कोगळो (कॉ) पुं० मुंहभर पानीका पूंट दर्जा; कोटि; श्रेणी (५)परमोत्कर्ष या कोई भी तरल पदार्थ (२)कुल्ला; कोटिकोण पुं० कोटिकोण; 'कोम्प्लिमें टरी एंगल' कुल्ली।[-करपो=कुल्ली करना (२) कोठियुं न० छोटी नाव; डोंगी (२) मातमपुरसी करना (३)संबंध-विच्छेद गुल्ली-डंडेके खेलमें एक दाव (३) करना; नाता तोड़ देना.] जानवरोंके गलेमें बांधी जानेवाली कोच पुं० कोच; सोफ़ा (२) छपरखाट गोल लकड़ी (३)एक तरहकी गद्देदार बग्घी; कोच कोटीलो पुं०मुठिया (धुनकीकी) कोच न० चुभ जानेसे बना हुआ छिद्र छेद कोठली स्त्री० कुठली; छोटी कुठिया कोच वि० छेदोंवाला (२)बहुत पुराना (२) मिट्टीकी छोटी मंजूषा कोचलंन० छिलका (फल, अंडे आदिका) कोठलो पुं० मिट्टीकी बड़ी मंजूषा कोचववं स० क्रि० दिल दुखाना ( खानेकी चीजें रखनेकी) (२) कोचवं स० क्रि० कोंचना; चुभाना(२) कोठार; भंडार सेंध लगाना (३) दिल दुखाना [ला.] कोठायुद्ध न० चक्रव्यूहका अटपटा युद्ध कोट पुं० कोट; परकोटा(२)शत्रु न घुसने कोठार पुं० कोठार (२) तहखाना या --भेदने पावे ऐसी व्यूह-रचना (३) चार दीवारोंका बनाया हुआ पक्का डंडवारा; चहारदीवारी (४) किलेका ऊँचा कुठला; कोठा (३)भंडार; बखार भीतरी भाग (४) खजाना; कोश कोट पुं० कोट; बड़ा अंगरखा (२) कोठारियं न० छोटा कोठार [अल्ल (ताशके खेलमें) एक पक्षका जल्दीसे कोठारी पुं० कोठारी; भंडारी (२)एक सातों सर (हाथ) करना और कोठी स्त्री० मिट्टी या धातुका गोल विपक्षको एक भी न करने देना ऊँचा पात्र; कोठी (२) कोठा; बखार For Private and Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कोठी (३) साहूकारकी दुकान; पेंठ; कोठी (४) थाना (५) कुठियाके आकारकी आतिशबाजी । [ - घोईने कादव का डवो = निकम्मे काम पर व्यर्थ श्रम करना; इससे बदनाम होना. ] कोठी (कॉ.) स्त्री० कैथ; कपित्थ (वृक्ष) कोठं (कॉ) न० कपित्थ ; कैथ (फल) । [ - आप = विश्वास करना; ( प्रतिपक्षीसे ) अपनी ग़रज दिखाना ( २ ) ( नौकरीमें से ) रजा दे देना; बरतरफ़ करना (३) निराश करना; कुछ न देना । - मळं = ( नौकरी या कामसे) छुट्टी मिलना ( २ ) निष्फलता या निराशा मिलना; ( फेरा या काममें), निष्फल रहना. ] [चालबाजी कोठं (कॉ) न० चेहरा; मुखड़ा (२) प्रपंच; कोठो पुं० कोठा ; पेट ( २ ) शरीर; शरीरके अंदरका कोई भी कोषरूप भाग (३) मन; अंतःकरण (४) खाना ;. कोष्ठक (५) (चौसर, शतरंज आदिका) घर; खाना (६) बखार; गोल बड़ा कुठला (७) बड़ा कुआँ (८) म्युनिसिपलिटीका मुख्य कार्यालय ; कोठी; (९) चुंगी - कचहरी; मालगुजारका दफ़्तर (१०) काँजी - हाउस (११) क़िलेका बुर्ज (१२) व्यूह-रचना (१३) तालिका; पहाड़ा (१४) अँगरखेका गला; गरेबान । [ कोठे पडवुं = ( सीख, आदिका) खास असर न होना । - छूटबो : = दस्त लग जाना ( २ ) मौत आना । —बटलावदो=निषिद्ध आहार करना; देह नापाक करना. ] कोड पुं० मनोभाव; चाव; हुलास. कोडामणं वि० हुलासी; चावभरा (२) दवा ईला १०३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोळी कोडियं न० छोटा सकोरा कसोरा (२) ( मिट्टीका) दीया कोडी (ni) स्त्री० कोड़ी; छोटा शंख (२) एक छोटा सिक्का ; कौड़ी (३) बीसकी संज्ञा ; कोड़ी कोडील वि० हुलासी, चावभरा कोडुं (कॉ) न० छोटा शंख ; कौड़ी कोडो (कॉ) पुं० कोड़ा; शंख कोढ पुं० कोढ़; कुष्ठ कोड ( कॉढ) स्त्री० पशुशाला ; बाड़ा; अड़ाड़ ( २ ) मिस्तरीखाना कोटियं (कॉ) न० पशुशाला; बाड़ा कोठी (कॉ) स्त्री० कुल्हाड़ी कोढियुं ( येल) वि० कोढ़ी कोठी (०लं) वि० कोढ़ी; कुष्ठरोगी फोटो (कॉ) पुं० कुल्हाड़ा ( २ ) वि० पुं० अक्खड़; जबान-दराज़; उजडु कोण (कॉ) स० (२) वि० कौन कोण जाणे (कॉ) - क्या मालूम ? कौन जाने ? [कुहनीकी नोकदार हड्डी कोणी (कॉ) स्त्री० कुहनी; कोहनी (२) कोतर न० जमीन या पहाड़ में गहरा, चौड़ा गड्ढा ; खोह; नाला कोतरकाम न ० नक्क़ाशी; कोरनी कोतरणी स्त्री० नक्काशी करना; खोदना (२) खुदाईका ढंग ( ३ ) खुदाई; नक़्क़ाशी (४) खोदनेकी उप्रत; खुदाई (५) नक्काशका औजार [कोरना कोतर स० क्रि० नक्क़ाशी करना; कोथमी (०र) स्त्री० हरा धनिया कोयळी स्त्री० कोयली; थैली ( २ ) अंडकोष ; फ़ोता ( ३ ) हजारकी संज्ञा । [-छूटी मूकवी, नुं म छोडं खूब या जरूरत से ज्यादा खर्च करना । - -रूपया = हजार रुपये । -मांची बिलाएं For Private and Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोषको मोकळा, साप मोकळी-जिसकी मनमें कल्पना भी न हो ऐसी बात बनना; अनचीता हो जाना; धोखा खाना.] कोपळो पुं० कोथला; बड़ा थैला। [कोवळामा पांचशेरी घालौने मारवी = मीठी या गुप्त मार मारना.) कोदरा पुं० कोदरा; कोदो कोदरी स्त्री० कोदोके दाने कोदाळ (कॉ) वि० जड़बुद्धि; गवार । कोदालो (कॉ) स्त्री० कुदाली; कुदाल कोदालो (कों) पुं० बड़ी कुदाल; खंता कोदं (कॉ) न० बूढ़ी या कम, नहींवत् दूध देनेवाली भैस कोर्नु(कॉ) सकिसका? (२)किसीका [प.] कोपरबरास न० तांबे और पीतलके मेलसे बनी एक धातु कोपरापाक पुं०खोपड़ेको कसकर बनाया · हुआ एक पाक (२) मार (व्यंगमें) कोपर्क न० खोपड़ा;खोपरा; नारियलकी गिरी कोपरेल न० खोपरेका तेल कोप अ० क्रि० कोपना; गुस्सा करना कोबाड वि० मूर्ख कोबी (ज) स्त्री०; न० कोबी; गोभी कोम स्त्री० कोम; जाति कोमबाद पुं० जाति-वाद कोमळ वि० कोमल; मुलायम (२) सुकुमार; नाजुक (३) मृदु (४) मधुर; मनोहर (५) दया कोमी वि० कोमका; कौमी; जातीय कोयडगे (कॉ) पुं० देखिये 'कोरडो' कोयलो (कॉ) पं० कोयला (२)बझाया हुआ कोयला (३) अंगारा; अंगार। कोर स्त्री० कोर; हाशिया; किनारा (२) किनारी; गोट (३) ओर; को चाकोर बाजू (४) बाजू परका टुकड़ा; किनारा; कोना कोरे बेसवं = स्त्रीका रजस्वला होना.] कोरट (कॉ) स्त्री० कोर्ट ; अदालत कोरडं वि० जो गीला नहो; जिसमें नमी न हो (२)जो न भीगा हो ठुड्डी (दाना) कोरगे पुं० चाबुक; कोड़ा (२) दौर; धाक; सत्ता [ला. (३) जुल्म ; सख्ती आतंक त्रास (४)पहेली; समस्या प्रश्न कोरण स्त्री० बाजू (२) सिरा; चीजका किनारेका हिस्सा या सीमा; कोर; छोर (३) आँधी कोरणी स्त्री० कोरनेका औज़ार (२) कोरनेकी रीति या कारीगरी कोरम न० 'कोरम'; कार्यवाह संख्या कोरमुं न० दालका चूरा; खुद्दी कोरवकुं वि० एक ओर टेढ़ा-ढलता हुआ; तिरछा कोर, अ० कि० बेपना; छेदना (२) अंदरसे कोरना; जरा-जरा खोदना कोरी स्त्री० कच्छका रूपेका एक सिक्का जो करीब रुपयेका होता था। कोई वि० सूखा (२)रूखा (३) नया; न बरता हुआ; कोरा (कपड़ा) (४)सादा; कोरा(पत्र, काग्रज आदि) (५) बिना पकाया हुआ (आटा-चावल, सीधा आदि)।[-काढq= (वर्षामें) बादलोंकाखुलना।-पर-सूखना(२) वर्षाका रुक जाना(३)अनावृष्टि होना। कोरे कागळे मत्तुं = कोरे काग़ज पर दस्तखत करना । कोरे लूगर-कलंकित हुए बिना; बाआबरूघाटा सहे बिना.] कोरंकट वि० समूचा कोरा (कपड़ा) को ककरतुं वि० बिलकुल नया; कोरा कोषाकोर(-२) वि० समूचा कोरा For Private and Personal Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कोदमों कोमोरं वि० बिलकुल नया; बिना बरता हुआ; तहदर्ज कोल (कॉ) पुं० क़ौल प्रतिज्ञा; कबूलियत कोलकरार पुं० क़ौल-क़रार; इक़रारनामा (२) संधिपत्र; सुलहनामां कोलटा ( -सा) र पुं० कोलतार; अलकतरा; तारकोल कॉलम न० कालम ( अखबारका ) कोलसी (कॉ) स्त्री० (कोयलेका) बुरादा (खासकर जळे हुए खानके कोयलेका) कोलसो (कॉ) पुं० कोयला कोलु (लु' ) न० कोल्हू (ईख पैरनेका) कोलुं (लुं') न० गीदड़ सियार कॉलेज स्त्री० कालिज कॉलरा पुं० कालरा ; हैजा कोलो (कॉ) पुं० कोना; अंतरा कोडामण (कॉ) स्त्री० सड़ान सड़ाव (२) सड़ाई हुई चीज कोवडा ( रा ) व (कॉ) स०क्रि० सढ़ाना कोवाड (कॉ' ) वि० कुल्हाड़ीकी धार जैसी जिसकी (जीभ, वाणी) हो; जबान वराज (२) अक्खड़; जड़बुद्धि; उजड्डु कोवावु (कॉ') अ०क्रि० सड़ना सड़ जाना कोश (कॉश) स्त्री० रंभा ; सब्बल ( २ ) फाल; कुसी कोश पुं० खाना; घर या आवरण (चीजें रखनेका) (२) कोश ; संचित धन; खजाना (३) शब्दकोश (४) म्यान (५) चरसा; मोट ( ६ ) जीवित प्राणीके शरीरकी अणु जैसी मूल इकाई ( जिसके मांश, पेशी वग़ैरह बनते हैं); ( अझ, प्राणमय) कोश कोशियो पुं० मोट चलानेवाला (बैलोंसे) (२) मोटसे पानी निकालनेबाला; पुरहा; चरसी (३) एक पक्षी; भुजंगा १०५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्यारी कोशेंटो पुं० रेशमके कीड़ेका घर; कोया कोष्टक न० कोठा ; कोष्ठक (२) तोल, माप, अर्थ आदिके परिमाणोंकी तालिका; सारणी कोस पुं० कोस ( दूरीकी नाप ) कोस पुं० चरसा; मोट; पुर [रोग कोह (कॉ) पुं० सड़न (२) चमड़ीका एक कोहव (वा) ण न०, कोहवाट (-रो) (कॉ) पुं० सड़न; बिगाड़ रोग लगना कोहवं (कॉ) अ० क्रि० सड़ना (२) चमड़ीमें [(२) सड़ा हुआ कोहेलं वि० जिसे चमड़ीका रोग हुआ हो कोळ पुं० घूस ( बड़ा, मोटा चूहा ) कोळवु (कॉ) अ० क्रि० खिलना फूलना; पनपना; विकसित होना (२) फैलना कोळा (कॉ) अ०क्रि० हर्ष या गर्वसे इत राना; फूला-फूला फिरना [गस्सा कोळियो (कॉ) पुं० कौर; निवाला; कोळी (को) स्त्री० कुम्हडेकी बेल कुम्हड़ा कोळं ( को ) न० कुम्हड़ा; कद्दू (फल) hi (कॉ०) न० धोखा; चाल; पैतरेबाजी कोंटो (कॉ० ) पुं० फुनगी; अँखुआ कौत ( - तु) क न० कुतूहल ( २ ) कुतूहल जगानेवाली कोई बात ( ३ ) अचंभा; कौतुक (४) हँसी-मजाक कौवच स्त्री० ; न० केवांच; कौंच (२) खुजली पैदा करनेवाली इसकी फली कौवत न० कूवत; ताक़त काँस पुं० लिखाईमें व्यवहृत [ ], ( ), चिह्नोंका जोड़ा; कोष्ठक; 'ब्रेकेट क्यामत स्त्री० कयामत क्यारडी स्त्री० धानका छोटा खेत; क्यारी क्यारडो पुं०धानका मेंड़दार खेत;धनकर क्यारी स्त्री० छोटी क्यारी; थाला (२) सिंचाई करनी पड़े ऐसी जमीन (३) पानी For Private and Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org क्यारे भरा रहे ऐसी ज़मीन; क्यारी; कियारी (४) बोई- जोती जानेवाली जमीन क्यारे ( क्या' ) अ० कब ? क्यारेक ( क्या' ) अ० कभी; किसी समय क्यारेय ( क्या' ) अ० जी चाहे तब ( २ ) कभी भी क्यारो पुं० धानका खेत; घनकर (२) क्यारी [क़ीमतकी अंकाई; अंदाज क्यास पुं० क़यास; धारणा; अनुमान (२) क्यां अ० कहाँ ? क्यांक अ० कहीं; किसी जगह क्यांय अ० किसी भी जगह; कहीं भी क्रम पुं० क्रम; सिलसिला (२) श्रेणी; पंक्ति ( ३ ) डग; क़दम ( ४ ) नियमित व्यवस्था; रिवाज; प्रथा क्रमवार अ० क्रमानुसार ; सिलसिलेसे क्रियातिपत्यर्थ पुं० क्रियाका संकेतार्थ ; हेतुहेतुमद्भूत; उदा० ' जो वृष्टि थई होत तो सुकाळ थात ' किमात्मक वि० अमली; कामकाजी (२) प्रयोगात्मक; क्रियात्मक क्रियानाथ पुं० क्रियाके लिंग-वचन आदि जिस पर आधार रखते हैं यह पद [व्या. ] क्रियापद न० क्रिया; क्रियापद ख पुं० कवर्गका - कंठस्थानीय दूसरा व्यंजन ( २ ) शून्य स्थान; आकाश खई पुं० क्षयरोग (२) खाई; खंदक खखडबज वि० (प्राय: जर्जरित फिर भी) मजबूत गठनवाला (२) रोबदार ; भव्य खखवं अ० क्रि० खड़कना; खड़खड़ाना; बजना खखडाट पुं० खड़खड़ाहट वडावनुं स० क्रि० खड़खड़ाना; खट १०६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खसरो क्रियापुरक वि० क्रियाका अर्थ पूर्ण करनेवाला (पद) [व्या. ] क्रियाविशेषण ( ० अव्यय) न० क्रियाविशेषण [ वाक्य क्रियाविशेषण वाक्य न० क्रियाविशेषण क्रूस पुं० देखिये 'क्रॉस' क्रॉस पुं० क्रूस; वधस्तंभ (२) ईसाइयोंका धर्मचिह्न; क्रास क्विनाईन, क्विनीन न ० कुनैन; क्विनाइन क्वॉरॅन्टीन स्त्री०; न० क्वारंटाइन; करंतीना क्षकिरण न० एक्स-रे क्षयतिथि स्त्री० क्षयतिथि ; अवम तिथि क्षेत्र न० ज़मीन; खेत ( २ ) स्थान; जगह (३) क्षेत्र ; कार्य के लिए अवकाश (४) शरीर; देह ( ५ ) यात्राघाम; तीर्थस्थान (६) समरांगण ( ७ ) स्त्री ; पत्नी क्षेत्रफल (-क) न० क्षेत्रका फैलाव; विस्तार ( २ ) क्षेत्रफल ; रक़बा क्षेमकुशल (क) वि०क्षेम ; सुख-शान्ति और आरोग्यवाला (२) न० ऐसी स्थिति या इसका समाचार; कुशलक्षेम; कुशल- प्रश्न खटाना ( २ ) धमकाना [ला.] (३) मारना ( चपत ) खरी स्त्री० खखार (२) गाते समय सुरको कँपाना (३) सुर; आवाज़ ( ४ ) चिंता; खटका; चटपटी । [-बाझवी = गलेमें कफका चिपक जाना. ] खखरो पुं० शोक संताप ( २ ) पछतावा (३) शक; अंदेशा । [-करबो = शोक करना (२) मातमपुरसीके लिए For Private and Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जाना। -काढी मानवो = संदेह दूर करना । —थवो = पछतावा होना.] खळतुं वि० खौलता हुआ; अत्युष्ण (२) कलकल ध्वनि करते बहता हुआ खाळवं अ० क्रि० खौलना; उबलना (२) बहते हुए कलकल ध्वनि करना; खलखलाना (३.) अंजर पंजर ढीले हो जाना; जीर्ण-शीर्ण होता खगोल ( -ळ) पुं० खगोल ; आकाशमंडल खच्च अ० कसकर ; मज़बूती से ( २ ) भीतर धँसने, चुभने या इससे उलटी क्रियाकी आवाज़; उदा० खच दईने पेसी गयुं'; 'खच दईने खेंची काढधुं ' 1 · खचकावुं अ० क्रि० झिझकना (२) पीछे हटना; हिचकना खचको पुं० सतह पर पड़ा हुआ छोटा गड्ढा या कटाव ; खाँचा ( २ ) अड़चन; अंतराय १०७ खचर न० खच्चर सबरी स्त्री० मादा खच्चर खच न० निकम्मा या खच्चर जैसा घोड़ा (२) वि० बूढ़ा ; कमजोर खबरं न० जवानकी मौत खचबुं स०क्रि० जड़ना; बैठाना; ठोंकना (२) खचाखच भरना; लादना खचाखच अ० जल्दी-जल्दी चुभानेकी आवाज़ (२) खचाखच खचाखची अ० जरूर ; अवश्य ( २ ) स्त्री० भीड़ ; जमघट खचीत अ० जरूर; अवश्य खचोखच अ० धड़ाधड़ चुभाते हुए (२) ठसाठस ; खचाखच 7 खच्च अ० देखिये ' खच सच्चर न० खच्चर [ खुजलाहट -बजवाळ स्त्री० देखिये 'खंजवाळ' ; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सदस्ट खजवाळं स० क्रि० खुजलाना खजानो पुं० खजाना; भंडार; धनागार (२) धन दौलत [ला.] (३) हथियार रखनेका खोल, म्यान या छेदोंवाला पट्टा ( ४ ) बंदूक में गोली भरनेका खाना खजाना (५) चिलम में तंबाकू रखनेका गड्ढा (६) नमक जमानेका गड्ढा; आगर । [ खजाने पडवं = ऐसी दशामें आ पड़ना कि कोई न तो चिंता करे न गिनतीमें ले ( २ ) अपनी जगह ठीक जम जाना; ठिकाने लगना.] - खजूर न० खजूर ( वह फल जिससे छुहारा, खारिक बनता है ) खजूरियुं वि० खुजली पैदा करे ऐसा खजूरी स्त्री० खुजली पैदा करनेवाले छोटे छोटे रोयें, रोओं (२) खुजली खजूरी स्त्री० खजूरका पेड़ ; खजूर (२) एक मिठाई; खजूर खजूरं न० खजूरकी जातिका एक पेड़ जिसमेंसे ताड़ी निकलती है खजूरो पुं० कनखजूरा खटक खटक अ० खटाखट खट-खट आवाज़ करते हुए खटकरम, खटकर्म न० ब० व० ब्राह्मणोंके छः कर्तव्य ; षट्कर्म (२) खटकरम; नित्यकर्म For Private and Personal Use Only लटकवुं अ०क्रि० खटकना; किरकिरीकी तरह खटकना; कसकना (२) अंदरसे दुःखी होना; पश्चात्ताप करना खटको पुं० खटका; चुभन; चुभनेकी आवाज़; खटक (२) अड़चन; अंतराय (३) खटका ; शुबहा ; आशंका (४) चिंता; खटका लटलट स्त्री० खटखट (आवाज) (२) Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सटटारो अड़चन; विघ्न; बाघा (३) झंझट [खटखट माथापच्ची; खटखट खटारो पुं० माथापच्ची; किच-किच; खटपट स्त्री० युक्तिबाजीसे काम निकाल नेकी कोशिश खटपट ( २ ) योजना; व्यवस्था (३) खटखट; झंझट ; जंजाल । [ मां पामेलेमें पड़ना; सिर खपाना. ] लटपटियुं वि० उकता देनेवाला; टेढ़ा; झंझटी (२) चालबाज ; खटपटिया खटपटी वि० खटपटिया; चालबाज खटमधुर ( - ) वि० खटमीठा खटमीठं वि० खटमीठा; खटमिट्ठा खटराग पुं० छ: राग; षड्राग ( २ ) अनबन, खटराग (३) घर-गृहस्थीका जंजाल; मायाजाल खटरागी वि० झगड़ालू; बखेड़िया (२) दुनियादार; संसारी - सटलो पुं० कुटुंब-कबीला; बाल-बच्चे (२) सरोसामान ; सामग्री ( ३ ) मुक़दमा ( ४ ) पेचीदा - मुश्किल काम; टेढ़ी खीर [फ़ायदा पहुंचाना सब स० क्रि० खटास चढ़ाना ( २ ) खटाई स्त्री० खट्टापन (२) खट्टी चीज; खटाई [जिया; तकरार [ला. ] सटावट (टी) स्त्री० खटाखट (२) खटाटोप पुं० आडंबर; (व्यर्थ का) भारी दिखावा; जरासे कामके वास्ते अनावश्यक बड़ा आयोजन सटापटी स्त्री० गड़बड़ (२) खटापटी; झगड़ा; अनबन सारो पुं० माल ढोनेका गाड़ा; सग्गड़ (२) इसके जैसा कोई बड़ा वाहन; मोटरलारी (३) कर्कश आवाज करनेवाला - खराब वाहन [ला.] (४) घरगृहस्थीकी चीजें ; घरबार १०८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रायपु खटाव स० क्रि० 'खटावु', 'खाटवं' का प्रेरणार्थक रूप खटावु अ० क्रि० खटाना; खट्टा हो जाना (२) 'खाटवुं ' क्रियाका कर्मणिरूप; फ़ायदा पहुँचना [ अनबन [ला. ] खटाश स्त्री० देखिये ' खटाई' (२) लटुंब, खदूंगडुं वि० थोड़ा खट्टा खड वि० समासके पूर्वपदके रूपमें 'बड़ा' इस अर्थ में आता है; उदा० 'खडदादो, खडमोसाळ' खड न० खड; घास ; करबी ( २ ) खेत में उगी हुई अनावश्यक घास; चिखुरन खडक पुं० चट्टान (२) पानीमेंकी चट्टान (३) धारदार कगार खडकलो पुं० ढेर; एक पर एक रखी हुई चीज़ोंकी राशि; गड्ड खडक स० क्रि० एक पर एक क्रममें रखना; लादना खडकी स्त्री० पौरी; ड्योढ़ी (२) दो या ज्यादा घरोंके आगेकी एक ही आम दरवाजेवाली गली (३) इस तरहके दरवाजे परका बालाखाना खडलर अ० खिलखिलाकर; खुलकर (हँसना ) (२) स्त्री० खिलखिलाहट (३) खटपट; दखल; बखेड़ा; पीड़ा [ला. ] ( ४ ) तकरार; झगड़ा खतुं वि० 'खड-खड' की आवाज करता हुआ; खड़खड़ाता हुआ (२) न० बिना पानीका नारियल (३) बरतरफ़ होना [ला.] [-आप : निकाल देना; बरतरफ़ करना. ] लडलर भडभड अ० ' भड़भड़' की आवाज के साथ; भड़भड़ाते हुए (२) स्त्री० भड़भड़ (३) शोर-गुल जणुं अ० क्रि० खड़खड़ाना For Private and Personal Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरसगट पुं० खड़खड़ाहट (२) अ. बार स्त्री० खड़ाऊँ; पादुका कहकहा लगाकर (हँसना) सरियाट पुं० तालाबमें उतरनेका बिना सरसरियं वि० (२) न० देखिये 'खड- सीढ़ियोंका पक्का ढालू घाट; गऊघाट खडतुं' (३) किवाड़ या खिड़कीमें खरियं न० चीता; बाघ (२) ओसर; लगी काठकी पट्टियोंकी एक रचना जो बिना ब्यही हुई जवान भैस खुलती और बन्द होती है। झिलमिली खडियं न० सूखा; अवर्षण (२) सूखनेसे (४) एक खाद्य पदार्थ दरारें पड़ी हुई धरती (३) चौमासेमें सडतल वि० कष्ट सहन कर सके ऐसा कई दिन बारिश न होकर सख्त धूप (२) मेहनती (३) गठीले बदनका पड़े यह समय (४) तुच्छ खडियो पुं० दवात; दावात (२) खरतुं, खरतूस न० मौकूफ़ी ; बरतरफ़ी दीपकके काम आनेवाली डिबिया; खड, न० लोंदा; तरल पदार्थका जमा ढिबरी (३) बहुत खानोंवाली थैली; हुआ थक्का; आंठी कंधेके दोनों ओर लटकाया जाय ऐसा खडबचई वि० खुरदरा थैला(४) बड़ा बटुआ। [लरिया भरवा, खर, न० देखिये 'खड, खडिया पोटलां बांधा = बोरिया: खरबूच (-g) न० खरबूजा बिस्तर समेटना या उठाना.] सम्भड स्त्री० खड़बड़ (आवाज) (२) खडियो खार पुं० सुहागा; एक क्षार गड़बड़; शोर; ऊधम (३) जिया; खडिंग अ० ऐसी आवाज़ करके कहा-सुनी (४) दखल खरी स्त्री० खड़ी; खड़िया मिट्टी (२) सम्म, अ० क्रि० खड़बड़ाना (२) सड़क पर डाले जानेवाले पत्थरके छोटे कहा-सुनी होना हल्ला-गुल्ला टुकड़े; कंकड़; गिट्टी सम्भगट पुं० खड़बड़ (२) शोर; खडी फोज स्त्री० स्थायी लशकर सरमा(-मा)कडी स्त्री० षासका एक खडी माटी स्त्री० खड़िया मिट्टी; खड़ी कीट; 'ग्रासहोपर' खरी साकर स्त्री० एक प्रकारकी मिसरी सम्मोसाळ न० मा या बापका ननिहाल खडं वि० खड़ा (२) तत्पर; तैयार। खरवं सक्रि० लेप करना; पोतना(२) [-करवं पेश करना; सामने रखना; दाग़वाला करना या मैला करना (३) सामने हाजिर करना। -पq=सामने दाग लगाना; तोहमत लगाना (४) उपस्थित होना; खड़ा होना] घसीटना; बुरे काममें शामिल करना खरे चोक अ० सबके सामने खुले आम लग्अ ० कि० अड़ना अटकना; रुकना; बरे जोडे अ० खड़े-खड़े; तुरत; खड़ी थम जाना (२) हाथ-पैर आदि सवारी अवयवोंका उखड़ जाना; उखड़ना खण स्त्री० खुजली; चुल (३)झगड़ेमें उलझना; गिर जाना . खगलन अ० ‘खन-खन' आवाजके साथ सा स्त्री० इन्द्रधनुष (२) खड़ाऊँ सणसन अ०कि० खनकना;खनखनाना खगई स्त्री० शठता; कामचोरी समक्षणाद पुं० खनकार; झंकार For Private and Personal Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११० सगणियां खणखणियांन०ब०व० खन-खन आवाज़ करनेवाले छोटे छोटे धुंघरू या झांझ जैसे पतरे (रथ आदिके) खणखोज (-त, तर,-4) स्त्री० बारीक जांच-पड़ताल (२)खुचड़; हरफ़गीरी; निंदा [ला.] लणलोवियु वि० खुचड़ी; नुकताची खणज स्त्री० खाज; चुल; सुरसुराहट खणq स० क्रि० खरोंचना (२) खनना; खोदना(३)खुजलाना (४) चुटकी भरना खणस स्त्री० शक; शुबहा; अंदेशा (२) लागडाँट; कीना (३) तैदेही; हौस(४) पाखाने-पेशाबकी हाजत (५) आदत । [-थवी हाजत होना । खणसे भरावं =ज़िद पर आना; अड़ना.] खणसावू अ० क्रि० शुबहा होना (२) डाह करना (३) हाजत होना खत न० खत; लेखपत्र; दस्तावेज़ खतपत्तर, खतपत्र न० दस्तावेज़ या इससे संबद्ध काग़जात खतम अ० खतम ; खत्म; समाप्त खतरी वि० क्षत्रियकी एक जातिका (आदमी) (२) कपड़ा बुननेका पेशा करनेवाली एक जातिका (३) पुं० इस जातिका आदमी; खत्री खत न० दोष; छिद्र खतरो पुं० खतरा; भय (२) अंदेशा; धोखा; खटका खतवणी स्त्री० खतियोनी; खतौनी । संतववं सक्रि० खतियाना; खातेमें चढ़ाना खता (-ता) स्त्री० नुकसान(२)खता; खत्तो पुं० ठोकर (२) धप्पा; धौल। खित्ता खावा=पप्पा या ठोकर लगना (२) ग़लती करके नुकसान उठाना.. सपी खत्राणी स्त्री० खतरानी खत्री वि० (२) पुं० देखिये 'खतरी' खदखद अ० खदखद; खदबद खदखद, अ०क्रि० खदखदाना (२) ‘खदबद' आवाज करते हुए उबलना खदर, स० क्रि० खूब दौड़ाना (२) भटकाना; चक्कर कटवाना (३) कठोर परिश्रम कराना; कसना खबई वि० ठस और मोटा; दबीज; गफ़ खदबद अ० किलबिलाते हुए खदबद, अ० क्रि० किलबिलाना खदेड स० क्रि० देखिये 'खदडवू' खड्ड वि० देखिये 'खदडु' खधरावं अ० क्रि० लकड़ी आदिकी सतहका (दीमक आदिसे) खाया जाना (२) खुरदरा होना । खनखन स्त्री० चसका; लत (२) तँदेही (३) बारीक जाँच; खुचड़ खप पुं० उपयोग; व्यवहार (२)महत्त्व; उपयोगिता; ज़रूरत (३)कमी; तंगी (४) खपत; बिक्री (५) प्रयत्न । [-आवq= उपयोगी होना; काम आना (२) रण-मैदानमें मारा जाना। -जागवो-मांग,खपत बढ़ना ।-पडवो =ज़रूरत खड़ी होना।-लागवू काम आना.] यथावश्यक खप जोगुं वि० ज़रूरतके मुताबिक, खपत स्त्री० खपत; बिक्री खपतुं वि० काममें आये ऐसा; उपयोगी .. (२) बिक जाये ऐसा; खपता (३) जो खान-पानमें लिया जाये; व्यवहार्य; उपयोगमें आ सके ऐसा खपन वि० उपयोगी; कार-आमद खपरडी स्त्री० छोटा टट्टर; टट्टी(२) उगते पौधोंको खा जानेवाला कीट A For Private and Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सपर खपरगे पुं० बाँसकी फट्टियोंका टट्टा टट्टर सप, अ० क्रि० खपना; बिकना (२) नाश होना; खपना; खर्च होना (३) गिनतीमें होना; कुछ महत्त्वका होना (४) व्यवहारमें चले ऐसा होना (५) काममें आना; लगना; दरकार होना खपाट स्त्री० खपची; कमठी; खपटी सपाटियं न० खपाच ; फट्ठा । सपार(-4)अ० क्रि० 'खपवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप खपूसवं अ० कि० तँदेहीसे किसी काममें जुट जाना; लगा रहना; दत्तचित्त होना (२) स० क्रि० पीटना; ठोंकना खपेडी स्त्री० देखिये 'खपरडी' (२) (लकड़ी आदिका) छिलका; पपड़ा(३) नाकका मैल; नकटी; गुजी खपेडो पुं० टट्टर (२) पाइटमें काम आनेवाला टट्टर पाड़ (रोटीकी) सपोटी स्त्री० खुरंड; खुट्ठी (२)पपड़ी सपोर्ट न० खुरंड; खुट्ठी सपोडी स्त्री० देखिये 'खपोटी' खबर वि० गाढ़ा (दूध) सबरदारी स्त्री० खबरदारी; सावधानी खबर्दा न० मोटी परत या स्तर; पपड़ा खबर पुं०ब०व० स्त्री० खबर समाचार (२) संदेशा; सूचना; इत्तला (३) जानकारी; पता; ज्ञान; होश (४) निगरानी; देख-भाल। -करवी इत्तला देना; जताना (२)टोह लेना; खोज-खबर लेना।-पडवीजानना; जानकारी प्राप्त होना (२)बीतना; महसूस होना । -राखवी = देखभाल रखना; खबर लेना। -लेवी = खबर लेना; पता लगाना (२) डांटना, फटकारना; खबर लेना.] खबरअंतर पुं०ब०व० खबर; समाचार (२) शरीरका हाल पूछना खबरदार वि० खबरदार; होशियार (२) सावधान; चौकन्ना (३) अ० 'सतर्क रहो; होशियार हो जाओ; खयाल रखो' इस मतलबका उद्गार खबरपत्री पुं० संवाददाता खभळवू अ० क्रि० खलबलाना (२) हलचल मचना; हिल उठना (३)बेचैन होना; घबड़ाना; क्षुब्ध होना ला.] खभळाट पुं० खलबलाहट; खलबली खभो पुं० कंधा। [-चाववो= इनकार करना; आनाकानी करना। -ठोकदो, थाबस्वो = धन्यवाद देना; तारीफ़ करना।-देवो उठाने में मदद करना; कंधा देना. मनमें रुकना खमच (-बा) अ० क्रि० झिझकना; खमण न० कद्दकश पर कसी हुई चीज़ (२) भापमें पकाई हुई दाल और चावलके दरदरे आटेकी एक खाद्य चीज खमणढोकळो न०ब०व० देखिये 'खमण' खमण, स० क्रि० कद्दकश पर कसना खमणी स्त्री० कद्दक .. खमतुं वि० जो सहन कर सके (२) ___ समर्थ; योग्य (३) समृद्ध; धनी खम, स० क्रि० झेलना; सहना; बरदाश्त करना; अँटना (२) क्षमा करना [जैन] (३)अ० क्रि० थमना; ठहरना खमा स्त्री० क्षमा (२) धीरज; सत्र (३) अ० देखिये 'खम्मा ' .. खमीर न० खमीर (२) खटासयुक्त उभार; उठान (३) जोश; ताक़त । खमीस न० कमीज; कमीस खम्मा अ० 'क्षेम-कुशल रहो'; 'दु:ख न हो'; 'खुदा खैर करे'; 'जिन्दा बाद' ऐसा सूचित करनेवाला उद्गार For Private and Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बकास (२) क्रिकेटके खेलमें खड़ी गड़ी हुई तीन खूँटियोंमेंसे एक; 'स्टप' खलास वि० खलास; समाप्त खलास (सी) पुं० खलासी ; जहाजरान खली स्त्री० खलियान ; खलिहान ( २ ) दलहनको दलकर दाल बनानेका स्थान बलीतो पुं० खरीता; बड़ा लिफ़ाफ़ा बलेची स्त्री० छोटा खलीता ; (खानेदार) थैली बलेडी स्त्री० गिलहरी खलेल स्त्री० ; न० खलल लवडा ( - रा) ववुं स० क्रि० खिलाना खवाडवं स० क्रि० खिलाना लवावु अ० क्रि० खाया जाना (२) जंग लगना या सड़ना; क्षीण होना सवास वि० खवासकी जातिका (२) पुं० खवास (३) खास खिदमतगार; हुजूरी (४) चीज़की तासीर; पदार्थका गुण. (५) स्वभाव; मिजाज .. खवासण ( - णी), खवासी स्त्री० लौंडी; दासी (२) खवासिन; खवासकी स्त्री बीस पुं० खबीस (२) राक्षसः शियाणं वि० खिसियाना; लज्जित खस स्त्री० खुजली; खारिश. (रोग) बस स्त्री० खस (जड़) ; लाज खसक अ० क्रि० देखिये 'खीसकनुं ' ससको पुं० देखिये 'खचको ' खसखस स्त्री० पोस्तेका दावा; खसखस; खशखाश (२) पोस्ता खसर स्त्री० खरोंच ; लीक खसरको पुं० लीक; सतह परका छोटा गड्ढा (२) खरोंच खसली स्त्री० सूखी घास ; खड; चारा असलं न० सूखी घास या तिनका ; खर खसलं वि० खौरा; खारिश्ती ११४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खस अ० क्रि० खिसकना; सरकना (२) रपटना; फिसलना (३) [ला.] अपने क़ौल, राय, मान्यता, कथन आदिमें से निकल जाना; निकलना खसियाणुं वि० खिसियाना ससियुं (-येल) वि० खोरा; खोरा रोगवाला खसी स्त्री० खसी; बधिया करना खसूस (०न) अ० खुसूस; अवश्य ( २ ) खासकर खसेड स० क्रि० खिसकाना; हटाना खस्सी स्त्री० देखिये 'खसी ' खळ वि० खल; शठ स्वळस्थळ अ० कलकल ध्वनिके साथ (२) स्त्री० ; न० कलकल (मधुर ध्वनि) खळखळतुं वि० देखिये 'खखळतु खळखळं अ० क्रि० खलबलाना खळखळाट अ० कलकल करते हुए; बिना रुके बहते हुए (२) पुं० खलखल खळभळ स्त्री० खलबली (२) बेचैनी खळभळवं अ० क्रि० देखिये 'खभळवं' । [खळभळी ऊठबुं = क्षोभ होना ( २ ) सिहर उठना घबड़ा जाना. ] खळभळाट पुं० घबड़ाहट, बेचैनी ( २ ) कोलाहल ; खलबली खळबुं अ० क्रि० रुकना 3 खळावाड स्त्री० खलिहानकी जगह खळी स्त्री० देखिये 'खली' खळं न० खलिहान खंख वि० खंख ; खाली ; खुक्ख ( २ ) खोखला ; साररहित (३) निर्धन खंखाळवं स०क्रि० खँगालना (२)पानीकी कुल्ली करके (मुँह) साफ़ करना खंसेरबुं स० क्रि० झाड़ना (२) फटकारना; धमकाना; पीटना For Private and Personal Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संशोर स० क्रि० झाड़ना (आम) (२) बिखेर देना (३) नाखूनसे कुरेदना संग पुं० गड्डु; ढेर (२) डाह; बैर (३) बदला ( ४ ) तंदेही संगाळवं स० क्रि० देखिये 'खंखाळवं ' संचावुं अ० क्रि० झिझकना; रुकना खंजरी स्त्री० खंजरी; खंजड़ी; डफली संजवाळ स्त्री० खुजली; खाज (रोग) (२) चुल; सुरसुरी खंजवाळवं स० क्रि० खुजलाना खंड पुं० खंड; भाग; टुकड़ा (२) दल; समूह (३) प्रकरण (४) चोलखंड (५) मकानका एक हिस्सा ; कमरा ( ६ ) पृथ्वीका महाद्वीप; खंड (७) वि० विभागवाला; विभक्त; खंडित (८) छोटा ; संक्षिप्त [ छंदोंवाला काव्य खंडकाव्य न० खंडकाव्य ( २ ) अनेक खंडणी स्त्री० अधीन राज्यकी ओरसे प्रभु राज्यको दिया जानेवाला धन; खिराज खंड स० क्रि० खंडित करना; तोड़ना (२) कुछ कम देकर हिसाब बेबाक करना (३) थोकके दाम तय करके सस्ते में खरीदना ११५ खंडाखंडी स्त्री० भीड़-भाड़; रेल-पेल खंडाव अ० क्रि० कुटवाना खंडा अ० क्रि० कुटना; कूटा जाना (२) घाटे में रहना (३) पीड़ित होना; भीड़ में हैरान होना खंडियं वि० खिराज देनेवाला (२) खंडित इंडियेर न० खंडहर खंडेर न० देखिये 'खंडियेर '; खंडर खंत स्त्री० तनदिही; सावधानीके साथ काममें लगे रहनेका गुण ( २ ) साबधानी; होशियारी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खाली बायो संती (०) विदेह घाई स्त्री० धूर्तता खंषु वि० धूर्त; दगाबाज़ खंपाली ( -ळी) स्त्री० पाँचा खाई (खा') स्त्री० खंदक ; गहरा गड्ढा (२) खाई (३) वर्षा का पानी निकालनेके लिए गांवके पास खोदी हुई खाई खाईखसीने अ० देखिये 'खाईपीने ' स्वाईपीने अ० दत्तचित्त होकर ; संदेहीस; पूरी लगन और एकाग्रलाके साथ खाईबवेलुं वि० पूरा चालाक पक्का घाम खाउषदं वि० खाऊ; पेटू ( २ ) घूसखोर खाएश स्त्री० ख्वाहिश खाक स्त्री० खाक; धूल (२) मारी हुई धातु; कुश्ता (३) नाश; तबाही खाकटी स्त्री०, ( - ) न० टिकोरा; अंबिया For Private and Personal Use Only खाकी वि० खाकवाला; भस्म मलनेवाला (२) खाकके रंगका; मटियाला ; खाकी ( ३ ) गाढ़े पीले रंगका (४) ऐहिक [ला. ] खाख स्त्री० देखिये 'खाक खाखर पुं० पलाश; टेसू ( पेड़) खाखर पुं० अरहरकी सूखी पत्तियाँ arat स्त्री० छोटी खूब सिकी रोटी (२) रोटी (३) तंबाकूकी सूखी पत्तियाँ खाखरो पुं० पलाश वृक्ष लाख पुं० करारी, खूब सिंकी रोटी लालावीखी वि० छिन्न-भिन्न (२) दुःखी; परेशान (३) स्त्री० पामाली; बर्बादी खाली वि० देखिये 'खाकी' ( २ ) संख; निर्धन ( ३ ) न० खाकी (कपड़ा) खाली बंगाली ( -ळी) वि० खाली हाथ मस्त होकर घूमनेवाला; फक्कड़ जैसा खासी बाबी पुं० भस्म मलनेवाला साधू: खाकी , Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बाज न० खानेकी चीज; खाद्य (२) खाजा (मिठाई) लाज स्त्री० खाज; खुजली (रोग) खाजली स्त्री० छोटा खाजा बाजलं न० खाजा (२) कुंड़ा; चक्कर लाजुं न० खाजा (मिठाई ) [खाट खाट स्त्री० हिंडोलेके काम आनेवाली खाढकी पुं० क़साई; बूचड़ सालवश वि० लाटसे लगा हुआ; शय्यागत (प्रसूति या बीमारीसे) चाटली स्त्री० खटोला; खटिया (२) मरथी; खांट खाटलो पुं० खाट; चारपाई ( २ ) [ला.] बीमारी (३) प्रसूति । [ खाटले पडं =बाट पर पड़ना; बीमार होना । - आववो = प्रसूति होना। पपी = बीमार होना । - भोगववो = बीमारी भोगना । —होवो = घरमें बीमारी होना (२) प्रसूति होना.] [कमाना खाटवं स०क्रि० प्राप्ति होना; खटना; खाटियुं न० खट्टी, रसादार तरकारी (२) कच्चे आमका पना खाटीमीठी स्त्री० खानेकी खट-मिट्ठी टिकिया या गोली; 'पिपरमिंट ' ला वि० खट्टा (२) रंजीदा ; नाराज लाटं, (०चड), (०. चरड ), ( ० चूना जेबं), (०चंड), (० बडच, स ) वि० खट्टाचूक; अति खट्टा लाड स्त्री० खंदक ; गड्ढा खाडाजाजरू न० गड्ढे पर रखनेका पाखाना; उठौआ पाखाना खाडी स्त्री० ज्वारका पानी नदीमें जहाँ तक जाय वहाँ तकका नदीका हिस्सा (२) खाड़ी (३) गटर; मोरी लाडो पुं० खड्ढा; गड्ढा (२) घाटा ११६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लाज न० सानी या उबाला हुआ दाना ( मवेशीके लिए ) खाण (ण) स्त्री० खान; खदान ( २ ) छिपा खजाना (३) जिसमेंसे बाहर न निकला जाय ऐसा गहरा गड्ढा; उदा० 'नरकनी खाण' (४) अलूट भंडार ( ५ ) अनाज भरनेके लिए •बनाया हुआ तहखाना; खाँ (६) उत्पत्तिस्थान (७) धारदार चीजकी धारमें पड़ा हुआ गड्ढा; दाँता खाणियो पुं० खानका मज़दूर खाणुं न० भोज; दावत ( २ ) वनभोजन खातमो पुं० खातमा; अंत ( २ ) मृत्यु खातर स्त्री० खातिर - तवाजा; आवभगत ( २ ) तरफ़दारी (३) अ० खातिर; लिए; वास्ते खातर न० खाद (२) सेंध ( ३ ) चोरी खातरपाड पुं० सेंविया; चोर खातरपूंजी पुं० खादमें काम आने लायक कचरा ; घास-पात, गोबर, कूड़ा आदि खातरबरदाश ( स ) स्त्री० खातिरदारी खातरियुं न० सेंध लगानेका एक औजार खातरी स्त्री० भरोसा ; खातिरजमा (२) जिसमें कोई संशय न हो; निश्चय ( ३ ) सबूत; प्रमाण खातरीदार वि० विश्वसनीय; भरोसेका खातरीपूर्वक, खातरीबंध अ० यक़ीनन्; विश्वासपूर्वक खाताबंषी स्त्री० जमीन महसूलका एक बंदोबस्त ; रैयतवारी [निकलना खाताबाकी स्त्री० खाते में बाक़ी (पावना) खातावही स्त्री० खाता-बही; खतौनी खातां पीतां अ० कृ० निर्वाहका खर्च निकलते हुए खातुं न० खाता; मद (२) ऋणपत्र; तमस्सुक (३) विषय प्रकरण (४) For Private and Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दफ्तर; महकमा। [-सोलर्बु-कामकाजका नया विभाग शुरू करना(२) (बैंकमें या शराफ़के यहाँ) नया खाता खोलना, डालना। -चूकते करवं, चूकबी देवू = ऋण चुका देना; कर्ज अदा करना। -मांगी वाळवं% बट्टे खाते लिखना। -सरमर कर जमा और उधार दोनोंको बराबर करना.] सातुंप न० लेन-देन [आसूदा सातुं पीतुं वि० खाने-पीनेसे सुखी; जाते अ० किसी स्थल पर; -में; उदा० 'मुंबई खाते रमायेली मेच' खातेदार पुं० खसरे या किसी लेनदारकी बहीमें जिसका खाता हो वह व्यक्ति; असामी सादी स्त्री० खादी; खद्दर जादीभंगर पुं० खादीभंडार साप (ध,) स्त्री० टोटा; घाटा (२) दोष; कमी (हीरा-मोती आदिमें) सापरो पुं० गहरा गड्ढा (२) नुकसान साबावर्ष, खापाखाई, खापाखोराकी स्त्री० खुराकी साल पीपेल वि० खाने-पीनेसे सुखी; आसूदा-हाल (२) हृष्ट-पुष्ट सानगी वि० खानगी; निजी (२) गुप्त सानदान वि० खानदानी; कुलीन (२) प्रतिष्ठित (३) न० खानदान; कुटुंब खानदानी स्त्री० कुलीनता (२) सजनता नानपान न० खान-पान (२) उसकी चीज सानसामा पुं० खानसामा ... सानासराब वि० सत्यानासी सानासराबी स्त्री० सत्यानास; तबाही सातुं न० खाना; घरका विभाग ; कमरा (२) भंडार; निधि (३) मेज, संदूक्त, आलमारी आदिका विभाग; खाना (४) कोष्ठक; खाना साप स्त्री. दर्पण (२)अबरककी पत्ती सापरियं न० खपरिया; आंखकी एक औषधि (२) बालकको दी जानेवाली एक औषध . ... .. साबोचियुं न० डबरा. .. सामर्नु न० (घडाँचो आदिमें) बरतन रखनेके लिए बनायी हुई बैठक (२) (पेड़का) थाला आलबाल (३)कद; आकार (४)वि० नाटा; छोटे कदका खामी स्त्री० खामी; न्यूनता; कसर (२) घाटा (३) कुसूर; भूला दोष सामुसा अ० खामखाह; स्वाहमख्वाह - (२)खासकर(३)जानबूझकर खामोश अ० 'सब करो, रुक जाओ, शान्त हो जाओ, खामोश' इस अर्थका उद्गार खामोश (-शी) स्त्री० सत्र; धीरज सार पुं० खार; कांटा (२) बैर (३) ईर्ष्या; डाह सार पुं० खार; क्षार, सारपाट पुं० न० जिसमें से नमक बनता हो ऐसी भूमि ; क्षारभूमि सारवो पुं० खलासी; जहाजरान(२) फेरौरी करनेवाला; छप्परबंद (३) क्षारयुक्त गुड़ साराट पुं० कुछ-कुछ खारापन साराश स्त्री० देखिये 'खाराट' (२) अनबन ला.] [साग; अमलोनी सारी स्त्री० ऊसर; कल्लर (२)नोनिया सारीलं वि० देषी; ईर्ष्यालु सारं वि० खारा; नमकीन (२) नमक चढ़ाया हुआ (३) द्वेषी; ईर्ष्यालु .. सावं अग्गर, साई ऊस, खादक वि० 'अति खारा जारेक स्त्री० सारिक; छुहारा For Private and Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सारेकी वि० खारिक जैसा या इसके दका सज्जी खार सारो पुं० पापड़में डालनेका खार; खारोपाट पुं० देखिये 'खारपाट '(२) बच्चोंका एक खेल [छाल खाले (जी) स्त्री खाल; चमड़ा (२) खालपो पुं० चमार सालब, स० क्रि० खाली करना खालसा वि. अपनी पूरी मालिकोका; स्वकीय (२) खालिसा; सरकारी। -कर- खालसा करना।-पq= स्त होना.] खाली वि० खाली;रीता (२) निर्धन; खाली हाथ (३) स्त्री० झुनझुनी; सनसनी (४)खाली ताल (संगीतमें) (५) अ० बेकार; व्यर्थ (६) केवल; खाली। [-कर अंदरकी चीज निकाल लेना (२) मकान छोड़ देना (३) निर्धन बनाना। -q= मकान खाली पड़ना (२) तंगदस्त हो जाना; । पैसेकी कमी होना... खाली खालीलम, बालीवंस वि० बिलकुल खालीपीली अ० बिना कारण; खाली सालुं न० तुरी (जुलाहेका बानेका औजार) (२) खलिहानका माज ढकनेकी घास (३) परती रखा हुआ खेत (४) क्यारी; गाटा; उदा० 'तमाकुन खाल' खावटी स्त्री० साहूकार या जमींदारके पाससे मंगनी पर लिया गया अनाज (२) खुराकी; गुजारा खादं स० क्रि० खाना (२) सहना; उदामार खावों (३) सेवन करना; लगने देना; उदा. 'हवा खावी' (४) के पीछे खवे होना; में लपना, उदा. 'आ मकाने सो रूपिया खाया; 'आ काम बहु दहाडा खाशे' (५) हड़पना (६) 'दम, छींक, बगासु, उपरस' आदिके साथ प्रयुक्त होता है (७) न० पकवान (८) खानेकी चीज़; खाजा; संबल; उदा० 'खावू बंधाववु। [खाईने खोदबुं-बेवफ़ा या नमकहराम होना । खाईपी ऊतरवं -संसारके सुखोपभोग करके निवृत्त होना। खाई बगाउq= वेवफ़ा होना (२) खाते-पीते भी दुर्बल रहना। खातांपीतां संसारके सुख भोगते हुए " (२) खर्चेके उपरांत। खातुं धन% जिसके पीछे बार-बार खर्च करना पड़े ऐसी जायदाद । खातुंपीतुं सामान्यतः सुखी; खुशहाल.] खाम स्त्री० खानेका ज़ोर (२) खानेकी चीजोंकी राशि खास वि० खास; अपना; निजका (२) विशिष्ट; असाधारण (३) असल; खरा (४) अमीराना; खास खासडियुं वि० जूते जैसा (२)घटिया; कठ (केला) खासई न० जूता (२) फटकार [लाः] । [खास खावा = ठोकरें खाना; कड़ी फटकार पड़ना । खासगं मारवां =सख्त उलहना देना (२) जूतीकी नोक पर मारना; कुछ न समझना। -फाटी जq=क्या गया? क्या बिगड़ा? ऐसे अर्थमें । खासडे माय - 'धरा रहे; जूतीकी नोक पर; कुछ परवाह नहीं' ऐसे अर्थमें.] खासदार पुं० सेवक, हुजूरी (२)साईस खासियत स्त्री० खासियत; प्रकृति (२) विशिष्ट गुण (३) आदत For Private and Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बासु वासुं वि० खासा ; मज़ेदार (२) अ० वाह; शाबाश (३) भला; खूब; बराबर । [ दीवा जेवुं = बिलकुल स्पष्ट. ] खाळ पुं०; स्त्री० मोरी; नाबदान (२) नाली लगी हुई छोटी कुंडी खाळकूवो पुं० मोरीके पानीका गड्ढा या कुआँ ; चहबच्चा (२) पाखानेके लिए बनाया हुआ कुआँ ; संडास लाळकूंडी स्त्री० मैले पानीकी कूंड़ी बाळबुं स० क्रि० थामना; रोकना बखत (-) (०) स्त्री० भारी कुतूहल (२) ध्यानपूर्ण मनोयोग ; बड़ी लगन; तनदिही (३) नापसंदगी; नफ़रत सांच (०) स्त्री० सतह परका छोटा गड्ढा ; दाँता; कटाव ; खाँचा (२) तंगी; संकीर्णता ( ३ ) घाटा; टोटा (४) धक्का; झटका ( 11 ) जमाउधारका हिसाब न मिलना (०) स्त्री० छोटी-मोटी त्रुटि या न्यूनता; कोर-कसर; नुकता ( २ ) बारीकी; गहराई सांचो (०) पुं० (एकसी धार, सतह या लीक में होनेवाला) मोड़; कटाव या दाँता (२) संकरा रास्ता ; कूचा ( ३ ) नुक्कड़; निकलता हुआ कोना ( ४ ) विरोध; हरज । [-काढवो = बाघा डालना या खड़ी करना (२) नुक्कड़ या घुमाव बनाना । पडवो हरज होना (२) विघ्न आना । - राजवो = एतराज होना या शुबहा रखना ( २ ) नुक्कड़ बने ऐसा करना . ] खांज (०) न० कोना; वह स्थान जहाँ जल्दी किसीकी निगाह न जाय ( २ ) कुठनीका घर (३) अनाज जमा करनेका ११९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Jngh स्थान; कुठला - कोठार। [सांजरे ना = कोनेमें डाल रखना; परवाह करना.] [धूतं लांट (-दु) (०) बि० काइयाँ; चाई; खांड (०) स्त्री० चीनी ; शक्कर । [-बाबी = जरूरत से ज्यादा अच्छा या खुश होने लायक मान बैठना । -पोरसवी = मीठा मीठा बोलकर खुशामद करना. ] खांडनियं (०) न ० मूसल खांडनियो (०) पुं० ओखली ; ऊखल | [ खांडनियामां घालीने खांडवं = अपने वैशमें करके जुल्म करना.] खांडणी (०) स्त्री० छोटी ओखली; हावन (०) स०क्रि० कूटना खांडियं वि० खोड़ा; विकलांग ( २ ) न० खंडित सींगोंवाला ढोर (३) भैंस या उसका बच्चा [एक तोल खांडी (०) स्त्री० बीस. ( कच्चे ) मनका खांडं (०) वि० खोड़ा; टूटा हुआ; खंडित For Private and Personal Use Only खांडं (०) न० खाँड़ा; दोधारी तलवार (२) दुलहेके बदले उसका खाँड़ा साथ में लेकर गयी बरात [ला. ] खां (०) स्त्री० कंघा (२) पशुकी गरदन (३) जूआ लेनेवाले पशुकी गरदन पर जूएकी रगड़से होनेवाला घृट्ठा । [ - आववी = जूआ लेनेवाले पशुकी गर दन परकी चमड़ीमें घाव हो जाना; कंधा लगना । - पडवी = पशुकी गरदन पर घट्ठा हो जाना. ] खांधियो (०) पुं० अरथी ढोनेवाला; कंधा देनेवाला (२) मददगार; साथी (३) खुशामदी; पिट्ठू लांबु (०) न० क़िस्त ; भाग खोपण (०) स्त्री० खामी ; दोष; ऐब; नुकता (२) कफ़न Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (●) स० क्रि० छांगना; छाँटना (२) थोड़ा थोड़ा खोदना; (ढेरमें से) फावड़ेसे इधर-उधर करना सांपो (०) पुं० ( पेड़-पौधेकी) खुत्थी; खूंटी (२) टूटी हुई डालका तनेसे लगा हुआ ठंठ (३) किसी भी सतह पर रही हुई खूंटी या खुत्थी (४) खामी; दोष (५) गँवार; उजड्डु [ला. ] सांभी (०) स्त्री० स्मृतिस्तंभ; स्मारक सांभी (०) पुं० गाँवकी हद बतानेवाला पत्थर ( २ ) स्मृतिस्तंभ लांस (०) अ० क्रि० खाँसना बांसी (०) स्त्री० खाँसी चिडियं वि० खिचड़ी; पंचमेल (२) खिचड़ीके योग्य शिजवणी स्त्री० खिजाना; छेड़छाड़ बिजबाट पुं० खीज; गुस्सा; कुढ़न सिजावj स० क्रि० खिजाना; चिढ़ाना; खिझाना [चिढ़ना बिजावुं अ० क्रि० खिजना; खिझना; खिलकोडी स्त्री० गिलहरी; चिखुरी सिलवणी स्त्री० खिलाना; विकास मिलावट स्त्री० देखिये 'खिलवणी' खिलावj स० क्रि० खिलाना; विकसित [ रहना; उलझना; टँगना खिलावुं अ० क्रि० ऊँची जगह पर अटके बिलोडी स्त्री० गिलहरी खिसकोली स्त्री० गिलहरी सिसियाणुं वि० खिसियाना; लज्जित बिस्साकातय, बिस्साक्षरच, खिस्सुं देखिये करना 'खीसाकातर, खीसाखरच, खीसुं' लीच वि० खचाखच ; ठसाठस सोचडी स्त्री० खिचड़ी। [-जवराववी = निर्वाह करना । -शूटबी = रोजी कम होना; दाना-पानी उठना.] १२० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सीचा (बो) सीच अ० खचाखच; ठसाठस लीज स्त्री० खीज; चिढ़; गुस्सा (२) चिढ़ानेके लिए दिया हुआ नाम । [-काढवी = = एक परका गुस्सा दूसरे पर उतारना । —-पडवी = चिढ़ानेके लिए नाम धरना. ] खीजडो पुं० शमी (वृक्ष) लीजवj स० क्रि० खिझाना; चिढ़ाना खीजवायुं अ० क्रि० खीजना; चिढ़ना लीजवं अ० क्रि० स्वीझना; झुंझलाना (२) स० क्रि० डाँटना वीण स्त्री० घाटी; वादी; दर्रा (२) पहाड़ के दो ऊँचे स्थानोंके बीचका प्रदेश; खोह लीमो पुं० क़ीमा खीर स्त्री० दूध-भातकी एक बानगी खीरं न० ( आटा और पानीका ) घोल (२) खमीरदार घोल; मैदानी (३) खीरा (४) एक प्रकारका मोटा कपड़ा बील पुं० मुँहासा (२) आँखकी पलक पर होनेवाली रक्त-मांसकी गांठ (३) चक्कीकी खूंटी ; कील बीलगोटीलो पुं० कील; राछ लीडो पुं० चक्कीके बीचोंबीच गड़ी खूंटी ; कील; राछ; अखोटा लीलमा (-मां) कडी (०) स्त्री० चक्कीके ऊपरवाले पाटके बीचोंबीचकी लकड़ी जो नीचेवाले खूंटे में पिरोई जाती है; मानी (२) कील और मानी (चक्कीकी) araj स० क्रि० खिलाना; विकसित करना (२) डेड़ियाना; (कंबल, चादर आदिके दो हिस्सोंको लंबाईकी ओरसे मिलाकर) सीना सीलवं भ० क्रि० खिलना; फूलनाफलना (२) फबना; सुंदर लगना (३) For Private and Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बीजापानी प्रसन,प्रफुल्लित होना(४)हँसी सूझना (५)रंगमें आना; मस्ताना; उत्तेजित होना; आपेसे बाहर होना(६)सक्रि० (कंबल, चादर आदिको बीचमेंसे) सीना; डियाना माला खोलापाटी स्त्री० पेंच या स्क्रू बनानेका नीली स्त्री० कील; मेख सोलीपति(-सि)यारा न० ब० व० (कमरकस वगैरह गहनोंमें) भोगली और उसे पहनानेका नाका - छेद . सोलो पुं० खूटा (२) जुएका दांव लेनेवाला मध्यस्थ जुआड़ी [ला.]। खिोलेबांप-खूटेके साथ बांधना(२) स्थायी रूपसे जोड़ देना (३)ब्याहना; उदा० छोडी खीले बांधी सारी' [ला.]] जीसकर्बु अ० क्रि० फिसलना; सरकना सीसाकात वि० जेबकट ; जेबकतरा सोसासरच, खोसाखर्च पुं० साधारण 'खर्चके वास्ते जेबमें रखनेके पैसे (२) जेबखर्च; निजी खर्च तीसंन० खीसा;जेब। [बीसामांघालवं, मूक =अपने कब्जे में रखना (२) कुछ न समझना। खीसा तर करवां खूब धन जमा करना। -तर होवं = खूब पैसा होना; जेब भरी होना। -भर घूस देना या लेना.] सीटी स्त्री० छोटा खूटा; मेख (२) कपड़े टांगनेके लिए दीवारमें गाड़ी हुई मेख; खूटी खोटो पुं० खूटा; मेख; कील मुटार स० क्रि० घटाना; कम करना (२) पूरा करना उग्दो पुं० खुर्दा; रेजगारी (२) रेजारेजा; चूरा [ला.. [-करबोधन उड़ाकर उसे खत्म करना (२) तोड़ फोड़कर चूरा करना।-पाडवो, काही नासबो-तोड़-फोड़कर चूरा करना.] सुतार, स० क्रि० साना; कीचड़में घुसाना(२)भीतर जाकर चिपका देना खुद वि० असली; खालिस (२) स० खुद; आप . खुबाई वि० ईश्वरका; ईश्वरसे संबद्ध (२) पवित्र (३) कुदरती; दैवी (४) भोला; खुदाका [ला.] (५) स्त्री० ईश्वरता (६) सृष्टि; खुदाई खुनामरकी स्त्री० खूनखराबा; खूरेजी खुन्नस स्त्री०; न० खुनस । सपाव, स० क्रि० धसाना; नीचेकी ओर उतारना (२) गड़ाना खुमारी स्त्री० खुमारी; खुमार (२) धन, वैभव, सत्ता आदिका गरूर सुरवो पुं० देखिए 'खुडदो' खुरशी (-सी)स्त्री० कुरसी; कुर्सी (२) मान या अधिकारका स्थान; आसन खुरी स्त्री० खुर; सुम खुलासावार अ० खुलासावार; खुलकर खुलासो पुं० खुलासा; स्पष्टीकरण (२) सार; निचोड़ (३)हल; उपाय (४) कुशादगी; फैलाव (५)दस्त; पाखाना सुल्लखुल्ला अ० खुल्लम-खुल्ला खुल्लं वि० खुला; प्रकट (२)निखालिस; साफ़दिल (३) स्पष्ट (४) नंगा; जो ढका-छिपा न हो (५)प्रकट; जाहिर (६)असभ्य (७)जो घिरा हुआ न हो; खुला (८) जो गाढ़ा न हो; हलका खुल्लेलुल्ल वि० बिलकुल खुला गुबार वि० स्वार; खूब परेशान (२) तबाह For Private and Personal Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुवारी सुवारी स्त्री० स्वारी; बरबादी खुश वि० खुश; आनंदी ( २ ) संदुरुस्त खुशी स्त्री० खुश्की; स्थल - मार्ग खुशखुशाल वि० तंदुरुस्त और प्रसन्न ; खूब खुश खुशबो ( ०ई) स्त्री० खुशबू; सुगंध खुशबोदार वि० खुशबूदार खुशमिजाज पुं० आनंदी स्वभाव (२) वि० हँसमुख, खुशमिज़ाज खुशामत स्त्री० खुशामद; चापलूसी खुशामतखोर वि० खुशामदी; चापलूस खुशामतियुं वि० खुशामदी खुशाल वि० खुशहाल; सुखी (२) तंदुरुस्त खुशाली स्त्री० खुशहाली ; समृद्धि खुशी स्त्री० (२) वि० खुशी ; प्रसन्नता; हर्ष (३) मरजी; इच्छा (४) वि०खुश; राजी खुजली (ळी) स्त्री० खुजली; चुल (२) खाज, खुजली रोग (३) वह चीज़ जिसके छू जानेसे खुजलाना पड़े खूटल वि० अप्रामाणिक झूठ बोलनेवाला खूटबुं अ० क्रि० घटना; कम होना (२) छीजना सूखाचरे अ० किसी कोनेमें जो पुं० कोना; गोशा सूतबुं अ० क्रि० देखिये 'खूंतवुं ' सूद ( - ) रुंन० खुचड़; छिद्र खून न० खून; लहू ( २ ) खुनस; कीना (३) हत्या; खून खूनखराब पुं० खून-खराबा ; मार-काट खूनसार वि० खूंखार ( २ ) घातकी; खूनी खूनरेजी स्त्री० खूरेजी; क़तल (२) खूंखार मारपीट खूनस स्त्री०; न० देखिये 'खुन्नस ' खूनी वि० खूनी; घातक; हिंस्र (२) क़ातिल ; खून करनेवाला १२२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खूप अ० क्रि० धँसना (२) चुभना (३) दलदलमें धँस जाना या चिपक जाता खूब वि० खूब सुंदर; बढ़िया (२) बहुत खूब । [ करी कमाल किया; खूब करी ( प्रशंसासूचक उद्गार ) . ] खूबसूरत वि० खूबसूरत; रूपवान खूबी स्त्री० खूबी; विशेषता ( २ ) मज्जा; लुत्फ़ (३) चतुराई (४) सौंदर्य; कमाल (५) भलाई; खूबी [फ़रोश खूमचावाळो पुं० खोन्वेवाला; खोन्चाखूमचो पुं० खोन्चा (२) बेचनेकी चीजोंसे भरा हुआ खोन्चा (३) उसमें भरी हुई चीज ; भेंटकी चीज खुरपी स्त्री० खुरपी खुलतुं वि० खुला; ढीला; जो तंग या चुस्त न हो; झांगला (२) खुलता हुआ (स्कूल, दफ़्तर आदि ) खूलबुं अ० क्रि० खुलना (२) खिलना (फूल) (३) फबना; खिलना ( रंग ) खूंखारखं अ०क्रि० 'खूं-खूं' आवाज करना (२) (अमुक आवाज़ करके) खखारना (३) हिनहिनाना ( ४ ) ( अपनी हाजिरी, बड़प्पन आदि जतानेके लिए) खाँसना- खखारना लूंसारो पुं० खखारना (२) खो-खों तूंच (०खांच) स्त्री० कोना; नुक्कड़; खोंच (२) चुभन; खटक (३) असर; लगना (४) द्वेष; बैर ( ५ ) सूक्ष्म बुद्धि; तीक्ष्ण सूझ-बूझ (६) भूल-चूक; खामी ; दोष; खुचड़ लूंचवबुं स० क्रि० छीन लेना; झटकना लूंचं अ० क्रि० खटकना; चुभना (२) मनमें खटकना ; सालना (३) बंधनमें पड़ना; धँसना; लिपटना लूंचाव स० क्रि० छीन लेना; हथियाना For Private and Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खूंट पुं० साँड़ (२) स्त्री० जमीनकी हद बतानेवाला पत्थर खूँट (३) अ० ठीक नापसे; पूरा [खोंटना; खुटकना खूंट स० क्रि० जड़मूलसे उखाड़ना (२) खूंटियो पुं० साँड़ (बैल) खूंटी स्त्री० खूंटी; मेख खूंटो पुं० खूंटा [गड़ना तवं अ० क्रि० ( दलदलमें) धँसना ; खूब स० क्रि० रौंदना लूंध स्त्री० कंधे परका डिल्ला ; कूबड़ (पशु) (२) पीठकी हड्डी टेढ़ी होनेसे होनेवाला कूबड़ ( मनुष्य ) बूंषि, षु वि० टेढ़ी पीठवाला ; कुबड़ा खूप पुं० सेहरा ( दूल्हे का ) संपर्क न० खुत्थी; खूंटी (पेड़, पौदेकी) लूंपरो पुं० खुत्थी; खुत्य (२) खूंटी ; बालकी जड़ ['खूपवुं' सूप स०क्रि० (२) अ० क्रि० देखिये खेकडो पुं० केकड़ा [गाँव खेड़ा खेड स्त्री० खेती; जोत ( २ ) न० खेड; ड स०क्रि० ( जमीन ) जोतना (२) सुधारना; उपजाऊ बनाना; विकास करना ( ३ ) साहस या बनिज - ब्योपार करना (४) मुसाफ़िरी करना ( ५ ) चलाना; खेना [करनेका हक़ डहक (क्क) पुं० दखीलकारी ; खेती सेडान वि० जोता - बोया हुआ; जो जोता जाता हो (२) न० जोती हुई या जोती बोयी जाती ज़मीन खेड वि० चलानेवाला; हाँकनेवाला (२) पुं० किसान आदमी खेत पुं० किसान (२) उस वर्गका खेत न० खेत; क्षेत्र खेतर न० खेत क्षेतरपावर न० स्थावर संपत्ति १२३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेरी खेतराउ ( - ) वि० खेतका; खेतसे संबद्ध (२) खेत में से होकर जानेवाला ( रास्ता ) खेती स्त्री० खेती; काश्तकारी खेतीवाडी स्त्री० खेती और बाड़ी (२) खेतीबाड़ी; किसानी [ तहस-नहस दानमेदान (खें, में) वि० मलियामेट ; खेदो (-धो) पुं० पीछा खेप स्त्री० खेप; फेरा (ब (बोझका ) (२) लंबी यात्रा; सफ़र ( ३ ) खेपकी मजदूरी (४) व्यापारकी चीज़ोंका एक देशसे दूसरे देशमें आना; (५) - के पीछे लगा रहना; तंदेही (६) क़िस्त [ चतुर; अनुभवी खपानी (ख) वि० ऊषमी; शरीर (२) खेपियो पुं० दूत; क़ासिद क्षेमकुशळ (ख) वि० (२) न० देखिये 'क्षेमकुशळ' मायात खेर (खें) न० खैर; खदिर ( पेड़ ) खेर (ख) अ० खैर; अच्छा; भले (२) स्त्री० खैरियत; कुशल खेर स्त्री० खेह; धूल; झाड़न खेरवाह (ख) वि० खैरख्वाह ; हितैषी खेरवधुं स० क्रि० झाड़ना ( २ ) हटाना ; निकाल देना खेरसल्ला (ख) स्त्री० खैरसल्ला; कुशल-क्षेम (२) अ० ' खैर, भले या जाने दो' ऐसा उद्गार [ कत्था खेरसार (-ल) (खें ) पुं० खैरसार; खरंचो (टी) पुं० खेह; धूल; झाड़न खेरात (ख) स्त्री० खैरात; दान खेराती (ख) वि० खैराती; धर्मार्थ दिया हुआ ( २ ) जो खैरात करता हो खेरियत (ख) स्त्री० खैरियत; खैर तेरी स्त्री० झाड़न; रज (२) दाँत पर जमनेवाली पपड़ी; दंतशर्करा For Private and Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बेरो मेरो (ख) पुं० डोरियोंको गूंथकर बनाया हुआ जालीदार थैला मेरो (ख) पुं० झाड़न; चूरा खेल पुं० खेल खेल-कूद (२) तमाशा; करतब; दृश्य नाटक; भौड़का खेल (३) रचना; लीला [ला.] । [-काडबो = -का नाटक खेलना; अभिनय करना । —बेलवो = खेल खेलना. ] लबिली स्त्री० दिलमें खेलके प्रति प्रसन्न भाव होना लवं अ० क्रि० खेलना (२) खेल खेलना बेलाडी वि० खेला-खाया; चतुर; मुत्सद्दी (२) पुं० खेलनेवाला; नट; खेलाड़ी; खिलाड़ी सेबना स्त्री० सोच; चिता; परवाह सेस पुं० दुपट्टा; उपरना सब स० क्रि० खिसकाना; हटाना सेसियुं न० दुपट्टेकी तरह काम आनेवाला चादर जैसा वस्त्र; खेस मेह स्त्री० खेह; धूल; रज ( २ ) पुं० क्षय खेळ (ख) स्त्री० माँड़ी (०) स्त्री० खिचाव ; तनाव (२) आग्रह (३) कमी; तंगी संचताण (०) स्त्री० खींचा-तानी (२) आग्रह [ला. ] चबुं ( खे०) स० क्रि० खींचना ; घसीटना (२) कसमा; चुस्त करना (३) आग्रह करना; आग्रहपूर्वक पकड़े रहना (४) चूसना ; रस निकाल लेना; निचोड़ना । [ खेची झालबुं, पकड, राज = खींचकर सख्त पकड़ना (२) (अपनी बातका) आग्रह रखना; ढील न देना; बात नीचे न डालना. ] चा (०) स्त्री० खींचा-खींची; कशमकश १२४ सोचई संचाच (बी) (०) स्त्री० सींचातानी (२) आग्रह Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संचाण (०) न० देखिये 'खेंच' संचताण (०) स्त्री० खींच-तान खंड स्त्री० सूखने देना; पानी न देना (२) अवर्षण; सुखा डियं वि० जलहीन; जो सींचा न जाता हो (खेत) (२) न० सूखा (वर्ष) (खो') स्त्री० लत; आदत (२) द्वेष; बैर; जलन । [-भुलाववी = सबक सिखाना; लत छूट जाय ऐसा करना । - भूली जवी = (जिन्दगीके लिए) सबक मिलना. ] खो (खो' ) स्त्री० खाई; खोह; कंबरा खो (खो' ) स्त्री० एक खेल (२) उस खेलमें प्रयुक्त बोल सोई स्त्री० बच्चेको सुलाने के लिए बनाई या लटकाई हुई झोली [ चीज बोल न० बड़े क़दकी मगर खोखली लोल वि० जिसमेंसे मोटी और कर्कश आवाज निकले ऐसा (२) जो कुछ टूटा-फूटा हो बोद्धुं न० जिसका सार-सत्व निकाल लिया गया हो ऐसी खोखली चीज (२) भीतरका सामान निकाली हुई हलकी पेटी, बक्स आदि (३) काग़ज़ और कपड़ा लेईसे चिपकाकर बनाया हुआ पगड़ीका आकार; टुकड़ोंकी बनाई हुई पगड़ी (४) अदा हुई हुंडी; खोखा (५) नमूना; प्रतिकृति ; ढाँचा (६) खरी; मसौदा (७) कलेवर; कंकाल खोलो स्त्री० एक खेल सोच (ख) वि० पोला (२) दांतेदार (३) न० लोह (४) पुराना जमाना For Private and Personal Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२५ सोचरे (साँ) अ० कोनेमें सो स० क्रि० गाड़ना (२) रोपना; खोजवं स० क्रि० खोजना; ढूंढना खड़ा करना खोट स्त्री० घट; कमी; न्यूनता (२) सोउसु न० ढुंठ; ढूंठा नुकसान; घाटा (३) भूल; चूक (४) खोडंग (-)वं, खोडावं अ० कि. छोटी ज्वार (समुद्रमें)। [-सावी= लंगड़ाना; खांडा चलना नुकसान उठाना; घाटा सहना। परवी । खोडीबार न० खेतमें आने जानेके लिए =-की सख्त जरूरत महसूस करना। दो बाजूवाला खूटा गाड़कर बनाया. (२) कम होना; तोलमें कम होना.] हुआ रास्ता सोटक(-का), अ० क्रि० अटकना; खोगलं वि० खोंड़ा; अंगहीन . ठिठकना (३) आलसीपन खोर वि० खोंडा (२) लंगड़ा (३) खोटाई स्त्री० झूठापन (२) खोटाई स्वररहित; हलंत सोटाबोलुं वि० झूठ बोलनेवाला; सूठा; खोडो (खाँ) पुं० सिर पर जमनेवाला मुकर जानेवाला मैल; रूसी (२) सिरकी चमड़ीका खोटार वि० झूठा (२) खोटा; दुष्ट; एक रोग (३) संहार; सर्वनाश । पाजी (३) न० झूठ (४) प्रपंच [-काडवो, काढी नासबो = संहार खोटारो पुं० इंटकोहरा (२) अंगारा करना।-नीकळी जवो अति संहार होना. .. सोटी अ० देर हो इस तरह समय बर्बाद खोतरणी स्त्री० दांत कुरेदनेकी सलाई, हो इस तरह (२)स्त्री० देर; विलंब तिनका (२) खुरपी (३) नक्काशी सोटीपो पुं० विलंब होना; काममें देर करनेका औजार; टाँकी (४) खुदाई होना नक्काशी खोदूं वि० झूठा; असत्य (२) ग़लत; खोतरणुं न० टॉकी (२) खुरपी (३) खोटा(३) खराब; बुरा; खोटा (४) कुरेदनेका साधन; खोदनी (४)खुचड़ मुकर जानेवाला; बेवफा (५) न० दोष बुरा; नुकसान; अन्याय, उदा० कोईनुं खोतर सक्रि जरा जरा खोदना; खोटुं करवामां आपणमे शो लाभ!' कुरेदना (२) पामाल करना; किसी खोर(ड,) स्त्री० लत; कुटेव, खराब की) निंदा करता ला. बादत (२) शारीरिक खामी या दोष खोदकाम न० खोदनेकी क्रिया; खुदाई (३.) भूल; ऐब; कलंक; लांछन; (२) नहर, तालाब आदि खोदनेका दोष (४)न० ठुठ।[-आववी स्वामी काम; खुदाई (३) मरकाशी या कच्चापन रह जाना। -काडवी खोवणी सी खुचड़; निदा; बदगोई =भूल निकालना; दोष बताना (२) [ला.]। [-करवी, खोदवी = खुचड़ निदा करना। -मुलाववी = सबक निकालना; छिद्रान्वेषण करना.] सिखाना; आदत छूट जायं ऐसा सोदबु स० क्रि० ब० क्रि० खोदना;. करना.] मनना(२)कुरेदना; नक्काशी करना खोरखापण स्त्री० खामी या दोष; त्रुटि (३) निंदा करना ला. For Private and Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करना १२६ खोदाई स्त्री० खोदनेकी उजरत खुदाई खोल स्त्री० त्रुटि; कपड़ेका हो; खोबाण न० खोदा जाना या खोदना; सिलवट; खोखला (२) उतरी हुई खुदाई (२) पानीके जोरसे खुदी हुई जीर्ण त्वचा; खोल (३) सांपकी जमीन केंचुली (४)शामी (५) गिलाफ़; खोल खोदामणी स्त्री० देखिये 'खोदाई' सोलको स्त्री० गधी लोपरी स्त्री० खोपड़ी। [-मां पवन सोलकुं न० रेंगटा भरावो, होबो-मिजाज सातवें आस- खोलको पुं० गधा; खर मान पर होना; इतराना.] खोल स० कि० खोलना(२)स्थापित सोफ (खों) पुं० खौफ़ (२) गुस्सा धातुकी) सोफनाक (खों)वि० खौफ़नाक डरावना सोली स्त्री. शामी; टोपी (किसी खोबलो, खोबो पुं० अंजली; संपुट (२) सोली स्त्री० कोठरी अंजलीभर वस्तु (माप) खोबा (-रा) बबुंस० कि० गवा देना सोयणी (खो') स्त्री० बधार; छौंक खोवाईं अ० क्रि० खो जाना; हिराना सोपण (खो') न० जलती हुई लकड़ी; खो, स० क्रि० खोना; गँवाना (२) लुआठा (२) जामगी (३) छेड़खानी; घाटा या नुकसान होना। [लोई उकसाहट ला.] बेसबुंगवाना (२) पराजित होना.) सोपं न० पालनेकी झोली (२)ढोलनी; सोस सक्रि० खोंसना गड़ाना साना पालना कोठरी खोह स्त्री० खोह; कंदरा खोर न० झोंपड़ा; मिट्टीका घर (२) खोळ स्त्री० देखिये 'खोल ' (२) से (५) खोरणं न० देखिये 'खोयगुं' खोळ (खाँ) पुं० खली। जोरवावं अ० क्रि० निखरना; क्रम टूटना खोळ (खाँ) स्त्री० खोज; तलाश सोराक पुं० खुराक (२) वह सामग्री खोळy (खा) स० क्रि० खोजना; ढूंढना जिससे किसी बात, क्रियादिका सोळंसोळा (खों) स्त्री० खूब दूंड़ना निर्वाह हो; सामान, मसाला [ला.] खोळंबो (-भो) पुं० विलंब; ढील। सोराकी स्त्री० खुराक ; गुजारेकी चीज़ [खोळंभे नाखg खटाईमें डालना। . (२) उसका खर्च; खुराकी । खोळंभे परवं = खटाईमें पड़ना. . बोराकीपोशाको स्त्री. अन्न-वस्त्र (२) सोळासोळ (खॉ) स्त्री० देखिये उसका खर्च 'खोळंखोळा' खोराट (खों) पुं०, (-शो स्त्री० चीज़ खोळाघर (खों) पुं० जामिन पुरानी होनेसे उसमें पैदा होनेवाला सोळापरी (खों) स्त्री० जमानत; बेस्वादपन जामिनी भरना खोरियं न० लुमाठा; लूका: खोळाभर (खा) न० सीमंत; गोद बोकं (खों) वि. (आटा तेल आदि खोळियं न तोशक, गद्दे आदिका खोल पुराना होनेसे) उतरा हुआ; बेस्वाद; जिसमें रुई न भरी हो; खोली (२) बदजायका । - देह; चोला . For Private and Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सोळी स्त्री० शामी; टोपी (किसी धातुकी) फोको (ख) पुं० गोद; गोदी (२) hi या आंचलसे बनाई हुई झोली । ग पुं० कवर्गका - कंठस्थानीय तीसरा व्यंजन [पिछले दिन; कल काल स्त्री० गत दिवस (२) अ० गईकाले अ० पिछले दिन कल (२) बिलकुल हालमें; कल ही [ला. ] नईगुजरी स्त्री० गईगुजरी; भूतकालकी बात बगडवं अ० क्रि० गड़गड़ाना; गरजना मगडाट पुं० गड़गड़ाहट ( २ ) अ० तेजीके साथ; बेरोकटोक गगडाव स० क्रि० गड़गड़ाना (२) तेजीसे, बिना रुके काम करना (३) • जल्दी जल्दी पढ़ जाना; रपटाना गगणवं अ० क्रि० गुनगुनाना ( २ ) -नकियाना (३) अस्पष्ट शब्दोंमें अपनी नामरजी जताना; बड़बड़ाना [ला. ] (४) स० क्रि० मनमें बड़बड़ाना; अस्पष्ट स्वरमें कहना, बोलना गगणाट पुं० बकवास; बड़बड़ाहट नगरो पुं० गगरा; गागर गळं वि० दीन; गिड़गिड़ाता हुआ (२) गदराया हुआ (फल) - गगी स्त्री० बेटी; बिटिया गगो पुं० बेटा; पुत्र गच अ० गचसे; धँसनेकी आवाज करते गवर न०, ( को ) पुं० खट्टी या तीखी ढकार; अम्लीका [ अवरोध [ला. ] नि० चक्का; ढोंका (२) बाधा; [हुए १२७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ -भरवो = सीमंतोन्नयन संस्कार करना; गोद भरना. ] ['खूंखासुं' सारं ( खॉ० ) अ० क्रि० देखिये बोंबारी ( खॉ०) पुं० देखिये 'खूंखारो' गच्ची स्त्री० गच; गचकारी ( २ ) छत; गच गच्ची स्त्री० मिट्टी, ईंटें, कंकड़ और चूना आदिका जम जाना; गच; उदा० 'चूना गच्ची' (२) छत; पाटन (३) पक्का फर्श गच गच्छन्ती स्त्री० चंपत होना; भाग जाना । [ -करवी, पकडवी = चलता बनना; चंपत होना. ] गज पुं० लंबाईकी चौबीस तसूकी एक माप (२) बेंवड़ा; अरगल (३) छड़ (४) ( बंदूक़का ) गज (५) (सारंगी आदिकी) कमानी; गज । [शालो, वागवो = प्रयोजन सिद्ध होना; अवर होना. ] गज पुं० हाथी; गज गजग्राह पुं० 'टग ऑफ वार' - रा खींचनेका खेल; रस्सा-खिचाई गजब पुं० ग़ज़ब; जुल्म (२) आफ़त विपत् (३) अचंभा ; आश्चर्य । [-करवो, वर्तावबो = ग़ज़ब ढाना । - थवो = गजब टूटना. ] गजबtre वि० गजब ढानेवाला गजर : पुं० गजर; पहर पहर पर बजनेवाला घंटा (२) भोरका घंटा ; गजर गजरो पुं० गजरा गजल स्त्री० देखिये 'गझल For Private and Personal Use Only " Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गजव गजवबुं स० क्रि० गूंजता करना; गुंजारित करना; गुंजाना गजबाकातरु पुं० जेबकतरा; जेबकट गजबुं न ० जेब; खीसा । [ गजवामां धालबुं के मूक = घूस देना (२) खयालमें न लाना; कुछ न समझना ; परवाह न करना (३) अपने अंकुशमें या दबावमें लाना ( ४ ) से बेहतर या बढ़कर होना । गजव भरवां=घूस देना.] गजवेल स्त्री० फ़ौलाद; गजबेली गजाव स० क्रि० देखिये 'गजववं' गयिं वि० चौबीस इंचकी नापका (२) न० गजी; गाढ़ा गर्नु न० बिसात; सामर्थ्य; बूता गजर पुं० बड़ा बढ़ई; मिस्तरी (२) • बड़ा मुक़द्दम गझल स्त्री० एक फ़ारसी राग; रेखता (२) उस रागका काव्य; ग़जल गडकाव स० क्रि० गटकना; उदरस्थ करना (पीना, निगलना ) गटगटाव स० क्रि० गटगट पीना टियुं वि० देखिये 'गट्टु गट्टी (-) वि० नाटा; ठिगना (२) ठिगना और मोटा; पोल गठियं वि० धूर्त, चाँई; चालाक गो पु० जम गया हुआ ढेर; डला; ढोंका गड न० गांठ; गट्ठा (२) फोड़ा; गंड; गाँठ (३) स्त्री० चुनट ( कपड़ेकी) गडगड, गडगडाट, गंडगडाव देखिये 'गगडवु, गगडाट, गगडाववुं ' गडमड न० फोड़े-फुन्सी ( २ ) इनके कारण होनेवाला चमड़ीका एक रोग गडगूंदी स्त्री० लसोड़ा; लहसुआ (पेड़) गडनूं न० लसोड़ा; रेटा (फल) jो पुं० लसोड़ा (पेड़) १२८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गडवाडी स्त्री० मुक्केबाजी (२) भीड़-भाड़ ; रेला [(२) हाथापाई गडदापाटु न० ब० व० घूंसा और लात गडवो पुं० घूँसा; मुक्का गडब स्त्री० गाँठ; सूजन; फोड़ा; गंड गडबड स्त्री० कोलाहल ; शोर-गुल (२) गड़बड़; अव्यवस्था गडबडगोटो पुं० गड़बड़ी; गड़बड़झाला (२) हिसाबमें गोलमाल; हिसाबचोरी । [-वाळवो = घोटाला या घपला करना.] [कोलाहल; धमाल गडबड सडबड स्त्री० गड्डमगोल ( २ ) गडबडाट पुं० कोलाहल; शोर-गुल गडबडियुं वि० गड़बड़िया; उपद्रवी (२) न० लड़खड़ी गडब स० क्रि० दबा-दबाकर भरना; सना (२) पीटकर अधमुआ बनाना; भुरकस निकालना गडमथल स्त्री० मेहनत; सिर मारना गडबुं अ० क्रि० गड़ना; घुसना ( २ ) लुढ़कना (३) गड़गड़ाना गडवो पुं० घड़े आकारका पेंदेदार गोल लोटा ; गडुवा (२) घियाँड़ा गडाकु पुं०; स्त्री० गुड़ या खमीर मिलाकर बनाया हुआ तंबाकू ; गुडाकू; खमीरा गडी स्त्री० गाँठ; गुत्थी; उलझन (२) तह (कपड़ेकी) (३) गड़ारी; घिरनीके बीचका गड्ढा । [-पडवी = गाँठ पड़ना ( २ ) आँट होना (३) तह या चुनट पड़ जाना.] गडी पुं० दक्षिणी नौकर गडीबंध वि० तह-ब- सह; तह पर तह गडूची स्त्री० गुडुच; गुड़च; गिलोय गडेबाट अ० (२) पुं० गड़गड़ाहट; गर्जन For Private and Personal Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरियो १२९ गरियो पुं० गड़रिया (४) समझ या सयानापन प्राप्त करना; गडो पुं० बड़ा डला (२) खमीरी उदा० 'भण्यो पण गण्यो नहीं' तंबाकूका बड़ा कंकड़ गणवेश पुं० सारे समूहकी एक सरीखी गढ पुं० गढ़; किला; गिरि-दुर्ग। पोशाक; वरदी; 'यूनीफार्म' [-उयलाववो= भारी माथापच्चीका गणसारो पुं० आहट; भनक काम करना; किला फ़तह करना; गणित वि० गणित; गिना हुआ (२) गढ़ जीतना.] न० गणित; अंकशास्त्र (३) इसकी गढवी पुं० गढ़पाल (२) चारण (खासकर अंकगणितकी) किताब गढवू न० गुड़ भरनेका मिट्टीका बड़ा गणिती पुं० गणितज्ञ; गणितशास्त्री मटका गणुं वि० गुना; उदा० 'चार गणुं' गढाण न० जहाँ सिर्फ़ घास उगती हो गणेशचतुर्थी, गणेशचोय. स्त्री० गणेशऐसी ज़मीन; चरागाह; घासकुंद चोथ; गणेशचतुर्थी गढी स्त्री० गढ़ी; छोटा गढ़ (२) छोटा गणोत स्त्री० ; न० (काश्तकारके द्वारा मटका मालिकको दी जानेवाली) बटाई (२) गण पुं० गण; समूह (२) जाति; जमीनके उपयोगका अधिकारपत्र; वर्ग (३) गुण; क़ीमत । पट्टा; क़बूलियत गणकारवू स० क्रि० गिनना ; कुछ मूल्य- गणोतनामुं न०, गणोतपटो (-ट्ठो) पुं० महत्त्वका समझना; गिनतीमें लेना जमींदार और काश्तकारके बीच होनेगणगण अ० गुनगुनाते हुए वाला लगानका क़रार; पट्टा; कबूलियत गणगणवं, गणगणाट देखिये 'गगणवं, गणोतियो पुं० जोतनेके लिए दूसरेसे गगणाट' [देखिये 'गणतरी' पट्टे पर जमीन लेनेवाला काश्तकार; गणतर वि. गिनतीके ; इने-गिने (२)न० असामी गणतरी स्त्री० गिनती; गणना (२) गण्युंगांठघुवि० गिना-गिनाया;गिनतीका गिननेकी रीति (३) गिनकर निकाली गत वि० गत; गया हुआ (२) बीता हुई संख्या (४) अंदाज; खयाल; हुआ (३) मृत (४) अ० तक; उदा० हिसाब ; उदा. 'गणतरी बहार- खर्च' 'पढीओ गत कोईना पैसा रह्या नथी'। (५) मान; गिनती; लिहाज़ [ला. [-थq=मर जाना.] गणतंत्र न० देखिये 'गणोतपटो' गत (त') स्त्री० देखिये ‘गति' गणना स्त्री० देखिये 'गणतरी' (२) वाद्य पर बजाया जानेवाला गणराज्य न० गणराज्य; गणतंत्र (किसी रागका) सरगम'; गत। गणवत (०पटो) देखिये 'गणोतपटो' [-जाणवी = (समभावपूर्वक) हाल गणवं स० क्रि० गिनना; गणना करना समझना । गते घालq=(श्राद्ध करके) (२) गणितका प्रश्न या हिसाब करना; सद्गतिको पहुँचाना (२) उपयोगमें गिनना (३) [ला.] कुछ मूल्य या मह- ले लेना; काममें लेना। गते जyत्वका समझना; मानना; गिनना सद्गति प्राप्त करना. गु. हिं-९ For Private and Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गतकाई न० आश्चर्यकारी घटना; गटी (-,-गो) देखिये 'गधाडी, हैरतअंगेज वाकया (२) लतीफ़ा; गपाडु, गधाडो' चुटकुला गध्यापचीशी(-सी) स्त्री० गदहपचीसी गतागम स्त्री० समझ; ज्ञान; सूझ-बूझ गष्यामस्ती स्त्री० नासमझकी तरह गति स्त्री० गति; चाल (२) वेग; तूफ़ान और शरारत करना रौ (३) पहुंच; समझशक्ति; पैठ गध्यावतरं न० कड़ी मेहनत; रगड़ (४) समझ; मति (५) सामर्थ्य; (२) व्यर्थकी मेहनत [सद्भाग्य बल (६) दशा; गत (७) मृत्युके गनीमत स्त्री० गनीमत; ईश्वरकृपा; बादकी दशा; गति (८) चारा; गप स्त्री० गप; अफ़वाह (२) झूठी उपाय; मार्ग बात; डींग [गपागप.] गति वि० सद्गतिको प्राप्त (२) गप अ० गपागप; झट। [-पईने युक्तिसे काम निकालनेवाला; चतुर गपकाव, स० कि० गपकना गतिशास्त्र न० गतिशास्त्र;'डायनमिक्स' गपगोळो पुं० गपोड़ा गदक न० बहाना; मिस गपसप स्त्री० गपशप गदगद वि० (२) अ० देखिये 'गद्गद' गपागप अ० गपागप; जल्दी-जल्दी गवगदियां न० ब० व० खान-पान, गपाटी वि० गपोड़िया; गप्पी रुपये-पैसे या आनन्दकी बौछार; गपाटो पुं० गपोड़ा; गपड़-चौथ रंगरली (२) गुदगुदी सड़ा हुआ गपाव, स० क्रि० छिपे-छिपे घुसाना गदगडं वि० गुदगुदा; पिलपिला (२) गपावं अ० कि० छिपे-छिपे घुसना गवर स० क्रि० (पैरोंसे) दबाना; गपाष्टक न० गपड़चौथ ; गप रौंदना (२) परेशान करना [ला.] गपोडशंस पुं० गप हाँकनेवाला गदबदियां न०ब०व० देखिये 'गदगदियां' गपोलियुं न० नागा (विद्यार्थीका शालामें गदाव, स० क्रि० रेतमें दौड़ाना; थका से) (२)व्यभिचार । [-करवं नाना डालना तौल (प्राचीन) करना; गोता मारना.] गवियागो पुं० गद्याणक; आधे तोलेकी । गप्पी वि० गप्पी; गप हांकनेवाला गवेलुं न० गदेला (२) गद्दा; तोशक गप्पीवास पुं० गप हाँकनेका आदी; गद्गद वि० गद्गद (२) अ० ऐसे कंठसे गपोड़िया गपाठी स्त्री० गधी गप्पं न० गप्प; अफ़वाह गपाई न० गया। [गषागन पूंछड़ें गफलत स्त्री० ग़फ़लत; बेखबरी (२) पकर,पकडी राखq हठ न छोड़ना। ग़लती; भूल गषासाने ताव चढे एवं निरा मूर्ख जो गफलतियं, गफलती वि० ग़ाफ़िल; बिलकुल नापसन्द हो। गवारे बेसq= लापरवाह जलील या बदनाम होना नाम डुबाना। गफ्फो पुं० गप्फा; बड़ा कौर -वागे बनवंबेवकूफ़ बनना.] गब अ० झट; चटसे गवारी पुं० गधा (२) मूर्ख ; गधा [ला.] . गवकाव स० क्रि० गपकना For Private and Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरत गवगन १३१ गबगब अ० गपागप; चटचट (२) गमवं अ० क्रि० भाना; रुचना (R) स्त्री० अन्यकी बातोंमें बीचमें बोलना प्रिय लगना; पसन्द आना गवरगंग(-) वि० मूर्ख; गबरगंड गमाण स्त्री० देखिये 'गभाण' गवडगं, वि० गंदा और अव्यवस्थित गमाणियुं न० चरनीकी आड़ी रखी हुई गवरवं अ० क्रि० लुढ़कना (२) लोटना लकड़ी (३) (बिना हरकत या विघ्नके) गमार वि० मूर्ख (२) गवार; उजडू चलना; निभना; आगे बढ़ना गमे ते स० (२) वि० कोई भी या. गवारो पुं० गुब्बारा; बैलून (२) गुब्बारा कुछ भी (३) मनोनुकूल; इच्छित । (आतिशबाजी) गमे तेम अ० जी चाहे इस तरह; गबी स्त्री० गुच्ची इच्छानुसार (२)निरंकुश या अमर्याद गबो (-यो) पुं० गबी; मूर्ख (व्यक्ति) रीतिसे (३) अव्यवस्थित रूपमें; गभराट पुं० घबराहट [(२) भय लस्टम-पस्टम। -करीने किसी भी गभरामण स्त्री० घबराहट; बेचनी उपाय या रीतिसे. गभरावं अ० क्रि० घबराना; अकुलाना; गमो पुं० रुचि; पसन्द दुःख पाना (२) डर जाना । गम्मत स्त्री० देखिये 'गमत' गभर वि० गोरा और पुष्ट ; गबरू गयाव(वा)ळ पुं० गयावाल (२) मासूम; भोला गर पुं० जहरीली बीट (छिपकलीकी) गभाण स्त्री० गाय-बैलको चारा-पानी गर पुं० गूदा (फलका); मरज़; मज्जा देनेकी आड़ी लकड़ी रखकर बनाई (पेड़का) (२) मनका रहस्य; मर्म हुई जगह; चरनी (२) गांवके पासका गरक वि० ग्ररक; डूबा हुआ (२) घासका मैदान; चरागाह लीन; गर्क गभार (-रो) पुं० (मंदिरका) गर्भागार गरकवं अ० क्रि० धंसना (दलदलमें) गम स्त्री० ओर; दिशा (२) मन; (२) गर्क होना; डूबना (३) तन्मय मनका झुकाव (३) गति; पहुँच; होना; ग़रक होना (४) गम; सूझ ; समझ । -परवी = गरकाव वि० ग़रकाब; मशगूल सूझना; दिमाग या ध्यानमें आना.] गरगरी स्त्री० गराड़ी; चरखी (२) गम स्त्री० ग़म; शोक (२) सब्र ; ग़म- फिरकी; 'रील' खारी। [-खावी = गम खाना.] गरज स्त्री० ग़रज़; जरूरत (२) स्वार्थ । गम पुं० शक्ति (२) शरीरका जोड़ -परवी = गरज होना; ज़रूरत महसंघिस्थान । -भागवा = पैरोंकी सूस होना। -सरवी = ग़रज़ सरना, शक्तिका जवाब दे देना; पांव कट निकलना.] जाना.] गरजर्बु अ० क्रि० गरजना; दहाड़ना गमत स्त्री विनोद (२) मजा; आनन्द (शेरका) (२) कड़ककर बोलना; गमती वि० विनोदी (२) हंसोड़; तड़कना [मंद; स्वार्थी मज़ाक-पसन्द गरजाउ, गरजी (लू),गरवि० गरज For Private and Personal Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरनो १३२ गर्भवती गरजो. पुं० फुनगी; अंकुर (२) कांटा; फलीमेंसे निकलनेवाला गुड़ जैसा खड़ा खूटा (३) खुत्थी रेचक पदार्थ गरडगप (-फ) अ० गड़पसे; चटसे गरमाळो पुं० अमलतास गरणी स्त्री० गुरुआनी; स्त्री-गुरु (२) गरमी स्त्री० गरमी (२) गरमीकी जैन साध्वी बीमारी; उपदंश।[-आववी उष्णता गरमीजी स्त्री. जैन साध्वी या जागृति पैदा होना.] गरय पुं० अर्थ; धन गरमी स्त्री० किलकी (बढ़ईका औजार) गरदन स्त्री० गरदन ; गला गर, न० कटोरदान गरवी स्त्री० भीड़; मजमा गर, वि० गौरवशाली; बड़ा; महान गरनाळू न०पानी आने जाने के लिए जोड़- गरवं अ० क्रि० गिरना; झड़ना (२) कर बनाया हुआ सँकरा रास्ता; नाला गड़ना; धीरेसे घुसना । गरबड, (गोटो), (og),(सडबड), गराडी वि० व्यसनी; भाँग, गांजा आदि (सरबड), (-डाट), (-डियुं) पीनेका आदी; पियक्कड़ देखिये 'गडबड' आदि ... गरास पुं० गाँवकी रखवाली करनेके गरबी स्त्री० स्त्रियोंके रागमें गानेकी बदलेमें दी हुई जमीन या कुछ रकम; एक प्रकारकी कविता जागीर (२) (राजवंशियोंको) निर्वागरबो पुं० नवरात्रमें या जवारा बोनेके हार्थ दी हुई जमीन; जागीर; इनाम समयकी बहुत छेदोंवाली गगरी जिसमें गरीब वि० ग़रीब ; निर्धन (२) बापुरा; लगातार धीका दिया जलाते हैं; दीनहीन (३) नरम; रंक; सीधाझिंझिया (२) झिंझिया या दियोंके सरल [ला.] झाड़के आसपास वृत्ताकारमें घूमते गरीबग (-) रबुं वि० ग़रीब-गुरबा घूमते ताली बजाते हुए गाना (३) गरीबाई, गरीबी स्त्री० ग़रीबी; कंगाली एक प्रकारका रास या नाच; गरबा (२) नम्रता; सीधापन गरम वि० गरम; गर्म; उष्ण (२) गरुड पुं०; न० गरुड (पक्षी) शरीरमें उष्णता बढ़ानेवाला; उष्ण- गरुडो पुं० हरिजनोंका पुरोहित वीर्य (३) क्रुद्ध ; जोशीला; उत्तेजित गरेडी स्त्री० गराड़ी; चरखी [ला. ।-आग, लाय = बहुत गरम गरोडो पुं० देखिये 'गरुडो' (२)अतिशय चरपरा। कपडं ऊनी गरोळी (रो') स्त्री० छिपकली कपड़े; गरम कपड़े।-पडवूगरमीका गर्जवं अ० क्रि० देखिये 'गरजवू' .. असर होना; शरीरमें गरमी लगना.] गर्भ पुं० गर्भ; हमल (२) माज़ गरम मसालो पुं० गरम मसाला गूदा (३) किसी वस्तुका भीतरी हिस्सा; गरमागरम वि० गरमागरम पेट (४) नाटककी एक संधि; गर्भ गरमागरमी स्त्री० गरमागरमी; झगड़ा गर्भद्वार न० (मंदिरका) गर्भागार; गर्भगृह गरमाटो(-बो) पुं० गरमाहट ; उष्णता गर्भवती, गर्भवंती वि० स्त्री० गर्भवती; गरमाळानो गोळ पुं० अमलतासकी हामिला (२) स्त्री० गर्भिणी For Private and Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ... गळचं गर्मश्रीमंत गर्भश्रीमंत वि० जन्मसे श्रीमंत; पोत- डोंका अमीर गल पुं० कटिया; गलग्रह (मछलीका) (२) घूस; लालच (३) पता; बात; समाचार (४) गूदा; मरज गल पुं० विषैलो बीट या लार (२) बत्तीका बिलकुल जला हुआ सिरा; गुल (३) चिलममेंका तंबाकूका जट्ठा; गुदगुदी गलकी स्त्री० नेनुआ (बेल); घिया तोरी गलकं न० घिया; नेनुआ (तरकारी) गलगलियां न० ब० व०, गलगली स्त्री० [उसका फूल गलगोटो पुं० एक फूलका पौधा (२) गलई वि० वृद्ध; बूढ़ा; बड़ा । गलथी स्त्री० देखिये 'गळथूथी' गलपटो(-ट्टो) पुं० गलेमें लपेटनेकी पट्टी; गुलूबंद गलबो पुं० फूलका एक पेड़ गली स्त्री० देखिये 'गलीपची' गली स्त्री० गली; कूचा . गली(-कू)ची स्त्री० गली-कूचेका टेढ़ा-मेढ़ा और सँकरा रास्ता गलीगली स्त्री० गुदगुदी गलोच वि० ग़लीज़; बहुत गंदा गलीचो पुं० देखिये 'गालीचो' गलीपची स्त्री० गुदगुदी गलूडियुं न० पिल्ला गलूचंद (-घ) पुं० गुलूबंद (पट्टी) गलेफ पुं० गलेफ़; गिलाफ़; कपड़ेकी खोली गलोटियुं न० कलैया; कलाबाजी गलोई (-) न० मुंहके भीतरका गालका भाग; गलफड़ा। गलोल स्त्री० गुलेल (२) गुलेला (ढला) गलोली स्त्री० छोटा गुलेला; गुल्ला गलोलो पुं० गुलेला गल्लांतल्ला न० ब० ५० बहाने; टाल मटूल गल्लो पुं०खजाना; गोलक (२) रोजकी बिक्रीके पैसे डालनेका पात्र; गल्ला गवडा(-रा)व, सक्रि०गवाना (गीत) गवार पुं० ग्वार (२) उसकी फली और बीज; ग्वारफली गवारफळी, गवारसींग स्त्री० ग्वारफली गवावं अ० क्रि० गाया जाना (२) बदनाम होना [ला.] गवाह पुं० गवाह; साक्षी गवाही स्त्री० गवाही; साक्षी गवैयो पुं० गवैया; गानेवाला , गळकां न० ब०. व० गोते; डुबकियां; डूबते समयकी सिसकी। [-खावां%= गोते खाना.] - गळको पुं० एक दफ़ा चखी हुई चीज़का स्वाद लगना; चसका (२) रुचि शौक़ ; चाह; अरमान गळगळं वि० गुलगुला ; नरम ; पिलपिला - (२)गद्गद; दुःखकातर गळचटुं वि० जरा मीठा .. गळचवं सक्रि० गले तक खाना; ठूसना; नाक तक भरना गळचियुं वि० गले तक आये उतना लबरेज (२)न० देखिये 'गळची' (३) डूबते मनुष्यका डूबना-उतराना; डुबेकी गळची स्त्री० गला; गरदन गळचं न० गला (तुच्छताद्योतक) गळणी स्त्री० तरल पदार्थ छाननेका एक साधन; छलनी गळj न० दूध, पानी आदि छाननेकः कपड़ेका टुकड़ा; छन्ना; छनना For Private and Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गळती १३४ .. मंगे गळती स्त्री० जलहरी (शिवलिंग पर आ जाना। गळे घालवं% (कटाक्षमें) लटकाई हुई) अपने उपयोगमें लेना (२)गले मढ़ना। गळपूमी स्त्री० घुट्टी; जनमधूंटी गळे टाटिया आववा, भरावा - गळधरी, गळयाई, गळषी स्त्री० पित्त- मुसीबतमें फंस जाना; विकट परिविकारके कारण गले में दाह होना; स्थितिमें आ पड़ना । गळे पर ऐब अन्ननलिकाकी जलन लगाना; गले पड़ना; मत्थे मढ़ना (२) गळपण न० मिठास (२) गुड़, शक्कर हदसे ज्यादा आजिज़ी करना; गले आदि मीठी चीजें; मीठा पड़ना । गळे बामवं, वळगq= देखिये गळफो पुं० उगाल; खखार 'गळे पडवू' (२)गलेमें अटकना । गळे गळमाणुं न० एक स्वादिष्ट पेय हाथ मूकवा = गलेकी सौगंध खाना.] गळ, स० क्रि० निगलना (२) छानना गळेप वि० हड़पनेवाला (२) तोहमती गळवं अ० कि० रिसना (२) गलना; गळो स्त्री० गुडुच; गिलोय पिघलना (३) नरम होना; पकना गळ वि० मीठा; शीरीं; मधुर (४) धंसना; गड़ना। [गळी जq= गंगाजळी स्त्री० गंगाजली (पात्र) गलेके नीचे उतार देना (२) ग्रम गंगा नाहवी = छूटना; बरी होना साना; सह लेना; पी जाना (३) (पाप, जवाबदारी या जंजालमेंसे); बिगड़ना या गलना.] गंगा नहाना गळसूचं न० गला सूज आना; गलसुआ; . गंगापूजन न० गंगाकी यात्राके बाद घर कनफेड [गला घोंटना पर की जानेवाली गंगाकी पूजाकी विधि गळाडूंपो पुं० गला घोंटकर जान लेना; गंगास्वरूप वि० पवित्र (विधवाके गळाफांसो पुं० गलफांसी नामके पहले आदरार्थ इस्तेमाल गळावर वि० गला डूबे ऐसा(पानी आदि) किया जानेवाला 'गं. स्व.' विशेषण) गळामण न० (सोना, चांदी आदि) गंज पुं० गंज; ढेर(२)एक पर एक रखी गलानेकी रीत या इसकी उजरत (२) हुई एकसी चीजोंका ढेर; गड गलाते समय निकला हुआ कचरा गंजावर वि० बहुत बड़ा; जंगी गळाव, स० क्रि० गलाना गंजी स्त्री० गंजी; घासका गंज गळियं वि० गरियार; परुआ (२). गंजीफराक न० गंजी; बनियाइन [ला. निकम्मा (३) झक्की गंजीफो पुं० ताशके पत्तोंकी गड्डी; गड गळियेल वि० नीलके रंगका; नीला गंजेटी(-री) वि० गजेड़ी गळी स्त्री० एक वनस्पति; नील (२) गंठावं अ० कि० 'गांठवू' क्रियाका नील; दूली (रंग) कर्मणिरूप; गाँठा जाना (२)बढ़ते हुए गळं न० गला (२) आवाज; सुर। पदार्थका गांठ पड़कर अटक जाना; [-कापq=विश्वासघात करना; गला गांठ पड़ना [ला.] काटना। -रहेंसवं, रेसवं - देखिये गंठियं वि० ठग; धूर्त (२) गैठकटा 'गळु कापवू' ।गळे आवq=जान पर गंठो पुं० गलेका एक गांठा हुआ गहना; For Private and Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाथा करनेवाला गंठोगे १३५ गांठी; कंठा (२) कसकर बांधी हुई गारर न० भेड़ गठरी; गांठ (३) गट्ठा; गांठ (४) गारियं वि० भेड़से संबंधित (२) आठ फुटकी एक माप भेड़चाल चलनेवाला; अंधानुकरण गंठोगे पुं० स्त्रियोंका पैरका एक गहना (२) हायका सोनेका सांकड़ा (३) गारर न० भेड़ पीपरामूल; पिप्पलीमूल गार स० क्रि० गाड़ना गंई वि० मूर्ख; पागल गावो पुं० धियाड़ा (घी, तेल भरनेका) गरेरी स्त्री० गड़ेरी (ईखकी); गुल्ली गागलेड पुं० गाड़ीवान (२) लकड़ीके गोल छोटे बल्ले कुंदे गारी स्त्री० गाड़ी; सवारी (रेलगाड़ी, गंदकी स्त्री० गंदगी बैलगाड़ी, घोडागाड़ी इत्यादि)। [गंदवार पुंस्त्री०, (-) पुं० गंदगी करवी%3Dकिरायेकी गाड़ी करना ।-मां (२) अस्वच्छता घालq=सवारी पर बिठाना या गं, वि० गंदा; मैला रखना.] गंगोबरं वि० गॅदला; मैला-कुचला गारीत(बाम) पुं० गाड़ीवान गंब पुं०;स्त्री० गंध; बास (२) बदबू; गारीमाई न० गाड़ी आदिका किराया; दुगंध (३) सुगंधी द्रव्य ; चन्दन (४) भाड़ा तिलक; टीका (५) [ला.] ऐंठ; गाडं न० बैलगाड़ी; छकड़ा (२) घरघमंड (६) नापसंदगी (७) (लेश- बार; रोजगार [ला.] । [-गवगवई, मात्र) स्पर्श ; निकटता; उदा. 'मारे बलाब- अपना व्यवहार धैर्यपूर्वक ऐनी गंध पण न जोईए' निभाना; गुजारा करना । [-पाचई, गंधक पुं० गंधक [(२) सड़ना हांक_देखिये 'गाडंगबडाव' । गारे गंधा, अ० क्रि० गंधाना; तू मारना पीने खुले आम (२) यकायक (मौत गंधोल वि० बदबूदार (२) [ला.] आना).] ईर्षालु; अदेखी (३) झगड़ालू (४) गाढ (-)वि० गाढ़ा; ठस(२)घोर; अतिशय चिकने स्वभावका अत्यंत ; घना (अज्ञान; अंधेरा) (३) गंमत स्त्री० देखिये 'गमत' गहरा; भारी (नींद) गाउ पुं० कोस (करीब डेढ़ मीलकी नाप) गा,न० गाना (क्रिया) (२)गीत; गाना गागर (र') स्त्री० गगरी; छोटा गगरा गातली स्त्री० गाती; वह गांठ जो (२) हलककुद बिना सिया हुआ कपड़ा ओढ़कर गाज पुं० काज (बटनका) गलेमें लगाई जाती है गावर पुं०; न० गाजर बिजली गातर न० ब० व० अवयव; अंग गाजवीज स्त्री० बादलोंका गर्जन और गाया स्त्री० गाथा; कथा (२) छंदोगाजवू अ० कि. गाजना; गरजना बद्ध कथा; गाथा (३) श्लोक; उदा० (२) प्रसिद्धि होना; नाम आसमान __ 'बौद्ध गाथा' (४) प्राकृतका एक पर होना [ला.] भेद; गाथा For Private and Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गावलं १३६ गादलं न० गदेला; भारी तोशक; गद्दा [गाभेगाभा काठी नाखवा = सख्त गावी स्त्री० गद्दी; बैठनेका छोटा गद्दा मरम्मत करना; खूब पीटना । गाभा (२)सेठ, महंत आदिका आसन या पद; नीकळी जवा= सख्त मार पड़ना; गद्दी; गादी (३) सिंहासन; राजगद्दी भुरकुस निकलना; थक जाना.] गादीतकियो पुं० गद्दी और तकिया (२) गाम न० ग्राम; गाँव (२) वतन; मसनद; गावतकिया [बैठा हुआ वासस्थान। [-गांडं के घेलं करवं%3 गावीनशीन वि० गद्दीनशीन; गद्दी पर रूपगुणसे गाँवको वश करना; वशमें गावीपति पुं० राजा (२) गद्दीका वारिस करना; मोहित करना। -नुं पाप, गान न० गान; गाना; गीत. -नो उतार =गाँवका सबसे खराब गानतान न० गाना-बजाना (२) सुख- व्यक्ति । माथे करवं = सारे गांवमें चैन ला.] तलाश करना; गाँवकी खाक छानना। गापची स्त्री० युक्तिपूर्वक निकाल लेना -बच्चे रहे सबके साथ इज्जतसे या निकल जाना। -मारवी= (काम- रहना.] मेंसे या कहींसे) तरकीबके साथ गामई वि० सारे गाँवका; ग्राम्य निकल जाना; गोता मारना] गामठाण न० वह भूमि या स्थल जहाँ गाफ (-फे)ल वि० ग़ाफ़िल; असावधान गाँव बसा हो; गोट-बस्ती गावची स्त्री० देखिये 'गापची' गामठी वि० गाँवका; गाँव संबंधी (२) गावडी स्त्री० छिद्र; सूराख (२) छोटा गँवार; ग्रामीण [ला.] गड्ढा (३) युक्तिपूर्वक निकल जाना गामडियण स्त्री० गँवारिन; गँवार स्त्री [ला.] । [-मारवी = देखिये 'गापची गामडियं वि० गाँवका; देहाती; ग्राम्य मारवी'.] . . [घाटा [ला.] . (२) असंस्कृत; उजड्ड गाब९ न० बड़ा छेद (२) गड्ढा (३) गामडियो पुं० ग्रामीण; देहाती गाभ पुं० गाभ; पशुका गर्भ गामई न० गवई; छोटा गाँव गाभण(-जी) वि० स्त्री० गाभिन गामतरं न० ग्रामांतर करना (पशुकी मादाः) . गामस (-सा)रणी स्त्री० सारे गाँवको गाभवं वि० घबराया हुआ; हक्का-बक्का भोज देना मामलं वि० नरम ; गुदगुदा (२)न० धुनी गामात वि० देखिये 'गामई' हुई नरम रुई; गाला (३) बादलोंका गामेती पुं० गाँवका अगुआ; मुखिया समूह (२) गाँवका चौकीदार; गोड़इत गाभो पुं० वह चीज़ जिससे किसी गामेरं न० देखिये 'गामसारणी' चीजके भीतरका खोखलापन भरा गामोट वि० गाँवका (२) ग्राम्य (३) जाय; गाभा (२) पगड़ीके नीचेका पुं० गांवका पुरोहित; ग्रामयाजी कपड़ा; तहपेच (३) जेवरके भीतरकी गामोतरं न० देखिये 'गामतरूं' तांबे-पीतलकी सलाई (४) मग्ज़; गाय स्त्री० गाय ; गऊ गूदा; हीर (५) गूदड़; चिथड़ा। गायव वि० गायब; अदृश्य For Private and Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गांठ १३७ गार स्त्री० मिट्टी और गोबरका लेप; गाळियुं न० गरांव (२)कार्यका भार; गारा [जादूगर जिम्मेदारी [ला.] (३) छनना (४) गादडी पुं० गारुडी (२) मदारी (३) खूद; निथार गारो पुं० कीचड़ (२) गारा (३) पीसा गाळो पुं० अरिवन; फंदा (२) मीआद; हुआ चूना अवधि (३)मौसम ; उदा० 'केरीगाळो' गाल पुं० गाल (४) घरका विभाग; कमरा (५) गालपचोरि(-ळि)यां न०ब०व० गलेके (दो स्थल या कालके बीचका)अंतर भीतरकी गाँठका सूजना; गलशुंडी (६) अर्ज; चौड़ाई; पनहा (७) अमुक गालमशू (-सू)रियुं न० गलतकिया स्थान; प्रदेश (८)चक्कीमें झींका डागालीचो पुं० गालीचा; कालीन लनेका गड्ढा; मुंह (९)चूड़ीका घेरा गाल्ली स्त्री० छोटी बैलगाड़ी (२) (१०) शरीरकी गठन; काठी (११) (कच्चे) तीस मनकी एक नाप दर्रा; घाटी (१२) बट्टा; लाभकी मात्रा: गाल्लुं न० छकड़ा; सग्गड़; गाड़ा 'माजिन' (१३) आँतोंमें छनकर जमा गावडी स्त्री० गाय; गैया हुआ मल (१४)स्त्रियोंका एक बारीक गावडोल पुं० मुख्य मस्तूल वस्त्र गावली स्त्री० दलाली [- काढी जq= गांगडी (०) स्त्री० डली; छोटा टुकड़ा कामके बोझमेंसे छटकना; जवाब- गांगडुं(०) वि. जो भीगे नहीं और पके दारीमेंसे हटना.] [पाल नहीं (२) पुं० ठु”; ठुड्डो। [-रहेवं गावी पुं० मुख्य मस्तूल पर ताना हुआ = पकाने पर भी दानेका न पकना गावं सक्रि० गाना (२) [ला०] बखान (२) न सुधरना (३) दोनों पक्षोंमें ना; गुण गाना (३) एक ही बातको अप्रिय बनना.] बारबार कहना; दोहराना। [गाया गांगडो (०) पुं० डला;रवा(२) कपासकी करवं = (एक ही बातको) बारबार डोंडी जो फटी न हो, [(ऊंटका) कहना. गांगर (०) स० क्रि० बलबलाना गाशा (-शियो) पुं० घोड़ेके जीनके नीचे गांगुं(०) वि० रॉक; दीन (२) बेशऊर डालनेका नमदेका टुकड़ा; अर्कगीर । गांजवं(०) स० क्रि० झाँसना; चकमा गाळ स्त्री० गाली देना; फुसलाना (२) हराना (३) गाळ पुं० खूद; निथार बदना; गिनना। [गांज्यु जq= चकमा गाळ स० क्रि० छानना (पानी आदि) दिया जाना (२) किसीसे प्रभावित (२) उगारना; ओगारना(कुआँ आदि) होकर दबना. [पत्तियाँ) (३)गलाना (धातु आदि) (४)गला- गांजो(०) पुं० गाँजा (पौधा और ना; सोखना; कम करना (५)बिता- गांठ (०) स्त्री० गाँठ; गिरह ; गुत्थी ना; काटना; गुज़ारना (६) भबकेसे (२) पेड़का वह भाग जहाँसे डाली अर्क खींचना; चुआना; खींचना फूटती है; पोरोंका जोड़; गिरह (३) गाळंगाळा,गाळागाळी स्त्री०गालीगलौज लकड़ीमें भंवरीका गाँठ जैसा भाग; For Private and Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गांठगळफो १३८ गांयको मैवरी (५)गाँठकी शकलकी जड़ (जि- गट्ठा (२) बेसनकी तली हुई एक समेंसे अँखुआ फूटता है) (५)लहू जम चीज़ ; गांठिया (३) बड़ी गांठ (४)वि० जानेसे शरीरमें होनेवाली गांठ; गुल- गांठसे संबंधित; गांठदार; उदा. थी; गिलटी (६)एक रोग; प्लेगकी 'गांठियो ताव.' गिलटी (७) [ला०] बैर; कीना(८) गांठ (0) अ० गिरहमें ; कब्जे में। [-करवं मेल; गठीती। -करवी = छिपे तौर = अपने कब्जे में लेना; गाँठ करना. पर पैसा इकट्ठा करना; गांठ करना गांठगे (०) पुं० बड़ी गांठ; पोरोंके (२)एका करना (३)बैर मोल लेना। जोड़के पासका हिस्सा -पालवी = लड़का गांठके रूपमें जम गांड() स्त्री० गांड़; गुदा (२)पेंदा; जाना (२) गिल्टीकी पीड़ा होना। तला [स्त्री० पागलपन -नीकळवी = प्लेग होना। -पस्वी = गांग्छा(०) स्त्री०,(-पण)न०, गांगई (दोरीमें) गांठ पड़ना (२) मित्रता गांग्यिं (०) बौड़म ; पागल; सनकी होना (३) बैर होना; गांठ पड़ना। गांडं वि० पागल; घनचक्कर; नासमझ; -वाळीनिश्चय करना; गांठना सनकी (२)न० मूर्खताका काम या आ[ला.]। -गोपीचंदन कर के चरण (३)(चौसर आदिमें) पक जाने घस - खुदके पैसे खर्च करके खुदका पर गोटको उलटी चलाना।[-कावं ही नुकसान करना। गांठे करवं = नासमझीका काम करना (२)गोटीदेखिये 'गांठ करवी' । गांठे बांध को उलटी चलाना । -गाईपई ज= - अपने कब्जे में करना; गांठ बांधना.] बाछे खिलना.] गांठगळफो (०) पुं० गाँठ या फुचड़ा गाउँघेल (०) वि० गहेला; पागल-सा (सूतके धागेमें) (२)खटका; संशय गांरंतुर (0) वि. निरा पागल गांठडी (०) स्त्री० गठरी (२)गठरी; धन गांदरं (०) न०, (-रो) पुं० गांवके गांठटो (०) पुं० गट्ठर; गट्ठा पशुओंके खड़े होनेकी सिवानके गांठन(०) न० जोड़; संधि (२) दो पासकी जगह; रहावन (२) गांवके तारोंको जोड़नेवाली गांठ (३) गांठ- बाहरकी खुली जमीन; सिवान नेके धागे (४)गांठनेकी कला गांधियाटुं(-) (०) न० देखिये गांगांठy(०) वि० गांठका। [-उमेर धीवटुं '(२)बिना क्रमकी मिलावट; नमक-मिर्च मिलाना । गोपीचंदन खिचड़ी होना कर अपने ही पैसे खर्च करके अपना गांधी (०) पुं० पंसारी (२)एक अल्ल ही नुकसान करना.] . गांधीवटुं (०)न०,(-टो)पुं० पंसारीका गांठy(०) स० क्रि० गांठना (२) गाँठ पेशा (२) सबका थोड़ा-थोड़ा ज्ञान लगाना (३)गांठ करना (४)बदना; होना [ला.] समझना गांयजण, गांयजी (गा'०) स्त्री० नाइन गांठगळ (०) वि० गांठदार गांयजो (गा'०) पुं० नाई (२)आडंबरी गांठियो (०) पुं० सुखाई हुई हलदीका व्यक्ति [ला.] For Private and Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मांसडी गांडी (०) स्त्री० गठरी; गाँठ (रूईकी) गांडो (०) पुं० गट्ठर । [गांसडां पोटलां बांधवां = बोरिया- बँधना उठाना. ] frenीडी स्त्री० गिटकिरी गिनती स्त्री० गिनती ; हाजिरी लेना गिनी स्त्री० गिनी गिनी गिना अ० क्रि० (पतंगका ) कन्नी खाना; कनियाना ( २ ) नाराज होना; रिसाना गिरी स्त्री० भीड़ गिरफतार वि० गिरफ़्तार ( २ ) तल्लीन गिरफतारी स्त्री० गिरफ़्तारी [बरमा गिरमीट न० छेद करनेका औजार; गिरवी अ० देखिये 'गीरवी ' गिरो अ० (२) पुं० देखिये 'गीरो' गिलेट पुं० गिलट; मुलम्मा गिल्ली स्त्री० गिल्ली; गुल्ली (२) गिलटी; गाँठ; सूजन [खेल गिल्लीबंडो पुं० गुल्ली-डंडा या उसका गीगी स्त्री० छोटी लड़की ; बच्ची गीगो पुं० छोटा लड़का ; बच्चा गीच वि० घना गोबोगीच अ० खचाखच (२) वि० बहुत घना; घनिष्ठ गोव न० गीध; गिद्ध गोनी स्त्री० गिन्नी गिनी गीरणी स्त्री० मिल गोरव स० क्रि० गिरवी रखना गौरवी अ० गिरवी; गिरो [गिरवी गोरो अ० गिरवी ( २ ) पुं० गिरो; बंधक; गीरोलत न० गिरवीनामा; रेहननामा गीस स्त्री० चोरी | [ -पडवी : नुक़सान पहुँचना । -मारवी = चुराना.] गुचपुच अ० फुसफुससे; चुपकेसे (२) गिचपिच; अस्पष्ट ( लिखावट) (३) स्त्री० फुसफुस = घाटा या १३९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुणका गुचपुचियुं वि० गिचपिच; अस्पष्ट गुच्छ ( - च्छो) पुं० गुच्छा; गुलदस्ता (२) बालोंका गुच्छा; जुल्फ़ गुजरहुं न० गणपतिके आगे रखनेका मिट्टीका पात्र ( २ ) गारेकी गाजर जैसी आकृति जो मांगलिक प्रसंगों पर वेदी पर रखी जाती है गुजर अ० क्रि० गुज़रना; बीतना (२) गुज़रना; सिर पर आ पड़ना; कष्ट आना ( ३ ) स० क्रि० जाने देना; माफ़ करना । [ गुजरी अबुं = चल बसना; मर जाना.] गुजरान न० गुजरान; निर्वाह गुजरी स्त्री० शहर - कसबे में लगनेवाला बाज़ार; गुजरी; हाट गुजारवं स० क्रि० गुजारना; बिताना (२) पेश करना; दाद मांगना; गुजारिश करना ( ३ ) दुःख देना; सिर पर पहाड़ गिराना गुजारो पुं० गुजारा ; गुज़र; निर्वाह गुटको पुं० गुटका (पुस्तक) गुटपु (मु ) ट अ० ( सोनेके लिए) बराबर लपेटकर; झुरमुट मारकर गुण पुं० गुण; जाति-स्वभाव; मूल लक्षण (२) सद्गुण । [-ऊतरी मावना = अच्छा स्वभाव या गुण विरसेमे मिलना. ] ( ३ ) प्रकृतिके तीन गुणसत्त्व, रज, तम (४) ( इन परसे) तीनकी संख्या; गुण ( ५ ) असर; फ़ायदा । [ -करवी = फ़ायदा पहुँचा. ना; असर करना (दवाका).] (६) उपकार; उदा० ' तेणे गुण पर अवगुण कर्यो ' ( ७ ) प्रत्यंचा (८) डोरी ; धागा स; गुण ( ९ ) अंक; 'मार्क' गुणका स्त्री० गणिका; वेश्या For Private and Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुणगुण गुणगुण अ० गुनगुनाकर गुणवत्ता स्त्री० गुणयुक्तता; गुणोपेतता (२) उत्तमता; श्रेष्ठता गुणवंती वि० स्त्री० गुणशालिनी गुणवाचक वि० गुणवाचक (विशेषण) गुणवं स० क्रि० गुणा करना गुणाकार पुं० गुणा ; गुणन (२) गुणनफल गुणियल वि० सद्गुणी; गुणाढ्य गुणी वि० सद्गुणी (२) गुणवान पुरुष ( ३ ) कलाकोविद (४) जंतर-मंतर करनेवाला; जंतरी [ ( २ ) सज्जन गुणीजन पुं०; न० गुणग्राहक; कद्रदान गुनेगार वि० गुनहगार; अपराधी मुनेगारी स्त्री० गुनहगारी; अपराध गुनो (नो) पुं० गुनाह; जुर्म गुपचुप अ० गुप-चुप चुप-चाप गुप्ती स्त्री० गुप्ती गुफा स्त्री० गुफा, खोह; कंदरा गुफ्त ( -फ्ते ) गो स्त्री० गुफ़्तगू; बातचीत गुबारो पुं० देखिये 'गबारो ' गुम वि० गुम; लापता; ग़ायब गुमसुम अ० गुमसुम; स्तब्ध गुमान न० गुमान; गर्व गुमानी वि० गुमानी; अभिमानी गुमाव स० क्रि० गँवाना (२) नष्ट करना; उड़ा देना [गिरी गुमास्तांगीरी, गुमास्ती स्त्री० गुमाश्तागुमास्तो पुं० गुमाश्ता; कारकुन गुम्मो पुं० घूंसा; मुक्का गुरखो पुं० गोरखा गुरवो पुं० गुरदा; मूत्रपिंड ; 'किडनी' गुरु वि० गुरु; बड़ा ( २ ) भारी; वजनदार ( ३ ) दीर्घ (४) पुं० गुरु; शिक्षक (५) पुरोहित ( ६ ) बृहस्पति ( ग्रह ) (७) गुरुवार १४० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुलाब गुरुकूंची स्त्री० अनेक तालोंको लगनेवाली ताली-कुंजी (२) कैसी भी परिस्थिति में कारगर होनेवाली युक्ति, उपाय, साधन आदि; गुर गुरुबंधु, गुरुभाई पुं० गुरुभाई गुरुवार पुं० गुरुवार; बृहस्पतिवार गुर्जर वि० गुजरातका (२) पुं० गुज्जर जाति (३) गुर्जर ; गुजरात ( ४ ) गुजरातका रहनेवाला; गुर्जर =1 गुर्जरी स्त्री० गुर्जरी; गुजरात देशकी स्त्री (२) ग्वालिन; गूजरी (३) एक पुराना गुजराती रास (४) एक रागिनी ; गुर्जरी (५) गुजराती (भाषा) (६) गुजरात - रूपी देवी ( ७ ) वि० गुजरात से संबद्ध गुल न० गुल; फूल (२) गुलाबका फूल ( ३ ) बत्तीका सिरा जो बिलकुल जल गया हो; गुल [ला. ] । [ -करबुं = दीया ठंडा करना; चिराग़ गुल करना । बुं = दीया 'बुझना; चिराग़ गुल होना. ] गुलछड़ी स्त्री० फूलोंका एक पेड़ ( २ ) उसका फूल (३) गुलाब के फूलोंका गुच्छा ( ४ ) एक गहना गुलजा ( -मा) र पुं० गुलाबवाडी; फुलवारी (२) वि० गुलज़ार; रम्य गुलतान वि० मशगूल; तल्लीन गुलतोरो पुं० गुलाबका गुच्छा (२) फूलोंएक पेड़ गुलनार पुं० अनार गुलबांग न० गुल-गपाड़ा ( २ ) हँसीमजाककी बात ; चुटकुला (३) गाँवमें ग हाँकते फिरना For Private and Personal Use Only गुलमोर (मॉ) स्त्री० फूलोंका एक पेड़; गुलमोहर ( २ ) उसका फूल गुलाब न० गुलाब (फूल और पौधा) Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुलाबजळ गुलाबजळ न० गुलाबजल । गुलावजांबु न० गुलाबजामुन गुलाबदानी स्त्री० गुलाबपाश; दमकला गुलाबी वि० गुलाबी (२) मज़ेदार; हलका (नींद, तवीयत, जाड़ा आदि) (३) स्त्री० हलका लाल रंग; गुलाबी गुलाम पुं० गुलाम ; दास (२) पराधीन व्यक्ति [ला.] गुलामखत न० गुलामीका प्रतिज्ञा-पत्र (२)परतंत्र बनावे ऐसा लेख - करार गुलामगीरी स्त्री० देखिये 'गुलामी' । गुलामडो स्त्री० लौंडी; दासी गुलामी स्त्री० गुलामी (२) ताबेदारी; दासत्व (३)पराधीनता गुलाल पुं० ; न० गुलाल; अबीर गलांट ( ० ) स्त्री० कलाबाजी (२) उलट जाना; पलटा खाना ला][-मारवी, लगाववी =स्थितिका या बातका पूर्णतःपरिवर्तित हो जाना; पलटा खाना.] गुल्लु न० (पापड़की) लोई गुसपुस स्त्री० फुस-फुस; कानाफूसी गुस्ताखी स्त्री० गुस्ताखी; अशिष्टता गुस्सो पुं० गुस्सा; क्रोध गुंगु वि० देखिये 'गु' वि० गुंज न० रहस्य; छिपी हुई बात (२) 'स्त्री० गुंजा (३) गुत्थी; उलझन । गुंजवं अ० क्रि० गुंजना; गुनगनागा गुंजार (०व) पुं० गुंजार; गूंज (२) अव्यक्त मधुर ध्वनि ; गुंजन ; कलध्वनि गुंजाश स्त्री०सामर्थ्य ; हैसियत ; गुंजाइश गुंठो पुं० जमीनकी एक नाप (एकड़का चालीसवाँ हिस्सा) गुंडागीरी स्त्री० गुंडागोरी; बदमाशी गुंडो वि० गुंडा; बदमाश (२)पुं० गुंडा । (आदमी) गुंब (०र) पुं० गोंद; निर्यास (२)चिप कानेके काम आनेवाला बबूलका गोंद गुंदरपाक पुं० गोंद मिलाकर बनाया हुआ पाक (२) एक मिठाई (३) मार [ला.] गुंदरियं न० गोंददानी (२) चमचिच्चड़ या पिंड न छोड़नेवाला व्यक्ति [ला.] गुंदियुं न० गोंददानी गुंबज पुं० गुंबज; गुंबद गू न० गू; मैला गूगळ पुं० गूगल ; गुग्गुल गूज (-श) स्त्री० भेद; रहस्य (२) (दोनों ओर नोकवाली तख्ते जोड़नेकी) कीली (३)वि० गुप्त; गुह्य गडलं न० लोई (पापड़की) गूडवं स० कि० काटना (२) गोड़ना; खोदना [ध्वज गूडी स्त्री० उत्सवके दिन गाड़ा हुआ गूडी परमो पुं० चैत्र शुक्ला प्रतिपदा गूडो पुं० नला (पैरका) (२)बल । [गग भागवा = पैरोंमें शक्ति न रहना; पाँव कट जाना (२) शक्ति खत्म कर देना.] गुण स्त्री०' गोनी; गोन; बोरा (२) बैल या गधे पर अनाज लादनेका दोनों ओर लटकनेवाला थैला; गोन (३) (कच्चे) चार मनकी नाप , गूणपाट न० पटसनका मोटा टाट (२) न० ब० व० उसके कपड़े या उनके पहननेकी जेलकी सज़ा गुणियं न० गोनी; बोरा गूणियो पुं० ताँबेका घड़ा (२) थैला; गोनी (३) गोनिया (कारीगरका आला) गूमड(-९) न० फोड़ा गूमूतर न० गू-मूत; मल-मूत्र For Private and Personal Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गूलर गूलर न० गूलर ( पेड़ और फल ) (२) कानका एक गहना गूलरं न० पापड़की लोई (२) देखिये 'गूलर' (३) पालनेमें लटकानेका लकड़ीका एक खिलौना गूंगणुं वि० गुनगुना ; नाकसे बोलनेवाला गूंगळामण न० ; स्त्री० दम घुटना गूंगळावबुं स० क्रि० घोंटना (दम) गूंगळावं अ० क्रि० घुटना; साँस रुँधना गूंगुं वि० गुनगुना; नाकसे बोलनेवाला (२) गूंगा; मूक (३) न० गुजी ; नाकका सुखा मैल गूंगो पुं० गुजी; नकटी; नाकका सूखा मैल (२) एक प्रकारका कीड़ा गूंच स्त्री० गुत्थी (२) उलझन; कठिनाई [ला. ] । [ -उकेलबी = गुत्थी खोलना (२) मसला, उलझन हल करना; सुलझाना। -पडवी = उलझना ( तागा, डोरा) (२) उलझन पैदा होना ( ३ ) मुसीबत आना. ] गूंचवण स्त्री० (तागा, डोरी आदिका ) गुथ जाना; उलझना ( २ ) असमंजस ; दुबिधा ; चक्कर; फेर गूंचबबुं स० क्रि० उलझाना; फँसाना वाडियं वि० पेचीदा; टेढ़ा गूंचवाडो पुं० देखिये 'गूंचवण' गूंचबाबुं अ० क्रि० उलझना (तागा, डोरा आदिका) (२) फँसना ; हल न पाना [ला. ] ( ३ ) अकुलाना; घबराना चळी स्त्री० लच्छी; अंटी गूंबळं न० गोलाकार लपेटी या ऐंठी हुई चीज़ गेंडली गूंचा अ० क्रि० देखिये 'गूंचवावु' छळी, छळं देखिये 'गूंचळी', 'गूंचळु' गूंजुं (-मुं) न० जेब; खीसा १४२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गरफायदो गूंथण न० गूंथना; गुंफन ( २ ) गूंथने की क्रिया; गुंधावट (३) गूंथनेकी कला jart स्त्री० गूंथनेकी क्रिया; गुंघावट (२) गूंथनेकी कला (३) उसकी उजरत गूंथ स० क्रि० गूंथना; गूथना; गुंफना बाब स० क्रि० गुथवाना गूंथा अ० क्रि० गूंथा जाना; गुथना गूंब स० क्रि० खूंदना; रौंदना ( २ ) गूंधना मसलना (३) मारना; पीटना [ला.] गूंदापाक पुं० एक मिठाई (२) मार [ला. ] गूंबी स्त्री० गोंदनी ( पेड़ ) ; गोंदी गूं न० गोंदनीका फल; गोंदनी गृहकार्य न० घरका काम-काज ( २ ) गृहकार्य ( विद्यार्थीका ) गृहप्रवेश पुं० गृह प्रवेश ( २ ) दंडनीय अनधिकार प्रवेश गृहसंसार पुं० गृहस्थी ; घर - गिरस्ती गेड (गॅड, ) स्त्री० ( कपड़ेकी) तह; परत (२) चुनट ; सिलवटे (काग्रजकी ) (३) मेल खाना बनत [ला. ] । [-बेसवी = समझा जाना; खयालमें आना (२) सुराग मिलना; पता लगना . ] गेडी स्त्री० गेंद मारनेका एक सिरेसे मुड़ा हुआ डंडा [खेला जाता खेल गेडीबडी पुं० गेंद और डंडा या उनसे गेव (गॅ) वि० ग़ायब ( २ ) न० ग़ैब गेबी (गॅ) वि० ग़ैबी; गुप्त; गूढ़ गेर पुं० झड़ा हुआ चूरा; झाड़न गेर (गॅ) ग़ैर ( पूर्वंग) गेरइनसाफ (गॅ) पुं० ग़ैरइनसाफ़ी गैरकायदे (गॅ) वि० (२) अ० ग़ैरक़ानूनी ; अवैध गैरकायदेसर (गॅ) अ० गेर फायदो (गँ) पुं० नुक़सान; हानि गैरकानूनी ; अवैध For Private and Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गेरबंदोबस्त गोटलीबाग गेरबंदोबस्त (गॅ) पुं० अव्यवस्था; गड़बड़ ____ गोकळियं न० गोकुल (गाँव) (२)वि. गेररस्ते (गॅ) अ० बेतरीके; नाजायज गोकुलका रीतिसे अनुचित लाभ गोकळी पुं० ग्वाला; अहीर गेरलाभ (गॅ) पुं० घाटा; नुकसान (२) गोकीरो पुं० गुल-गपाड़ा; शोर गैरवर्तणूक (गॅ) स्त्री० अयोग्य आचरण गोख (गाँ) पुं० गोखा(२)ताक ; आला गेरवल्ले (गें)अ० बेठिकाने। [-जवू,पर गोखण न० घोखना; रटाई। =ठिकाने न लगना; योग्य जगह पर गोखणपट्टी स्त्री० धोखना; रट डालना न पहुंचना (२)खो जाना.] गोखणियं वि० घोखनेवाला; रटनेवाला गैरव स० क्रि० गिराना; झाड़ना गोखर पुं०; न० गोखरू (वनस्पति और गेरवहीवट (गें) पुं० अंधेर; अव्यवस्था बीज) गेरवाजबी (गॅ)वि० गैरवाजिब; अनुचित गोखली (गाँ) स्त्री० छोटा ताक गेरवो पुं० गेरुआ; गेरुई (रोग) गोखलो (गॉ) पुं० गोखा; ताक़ गैरव्यवस्था (गें) स्त्री० अव्यवस्था; गोल स० क्रि० घोखना; रटना घोटाला [गलतफ़हमी गोचर वि० गोचर; इंद्रियग्राह्य (२) गेरसमज (-जूत, -जूती) (गें) स्त्री० न० गोचर; चरागाह गेरहाजर (गॅ) वि० गैरहाजिर . गोचरी स्त्री० गोचरी; भिक्षा गेरहाजरी (गें) स्त्री० गैरहाजिरी गोचलं न० गोलाकारमें या टोलीमें गेर पुं०; न० गेरू (२)गेरुआ (रोग) इकट्ठा होना। [गोचलां गणवां = पार गेलो (-वो) पुं० गेरूका रंग; भगवा न पाना; आगा-पीछा करना; न गेरेज (गे) न० मोटरखाना; गराज सुलझाना.] गेरो पुं० गिरा हुआ चूरा; झाड़न गोझाएं वि० गायकी हत्या करनेवाला; गेल (गे) न० दुलार; प्यार (२)दुलार पापी (२)जहाँ हत्या हुई हो ऐसा; भरी क्रीड़ा अपवित्र (स्थल) [हत्यारा गेस (गें) पुं० गैस (२)जलनेवाली वायु गोझारो पुं० गोहत्या करनेवाला (२) जो कोयलेमें से निकाली जाती है; गैस गोट पुं० घटा (धुएंकी) (२)चूंट (३) गॅघट (गॅ०) वि० (नशेमें) चुर स्त्रियों और बच्चोंके हाथमें पहननेका गेंसी (गॅ०) स्त्री० मादा गड़ा एक गहना (४)गोट; मग़जी गेंगे (गॅ०) पुं० गेंडा; गैड़ा गॅॉटपीट न० गिटपिट गो स्त्री० गो; गाय (२) इंद्रिय (३) गोटपो(-मो)ट अ० देखिए 'गुटपुट' वाणी; गिरा (४) पृथ्वी (५) आकाश गोटली स्त्री० गुठली (२)गुठलीके भीतगोकळाठम स्त्री० जन्माष्टमी; कृष्णा- रका गूदा; गिरी (३)काममें से ग्रोता ष्टमी मारना; नाग़ा। [-मारवी = काममेंसे गोकळगाय स्त्री० बीरबहूटी; इंद्रगोप युक्तिपूर्वक निकल जाना; ग्रोता (२) सींगोंवाला एक कीड़ा (इसे मारना.] ईश्वरकी गाय भी कहते हैं) गोटलीबाज वि० कामचोर For Private and Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गोटलो गोटलो पुं० गुठली (२) मांसपेशी । [ -चडवो = मांसपेशी पर बल पड़ने से उसमें दर्द होना. ] गोटावं अ० क्रि० अंधड़की तरह गोलगोल घूमना और छा जाना ( २ ) जलते समय धुआँ होना ( ३ ) जटिल होना गोटाळो पुं० घोटाला; अव्यवस्था ( २ ) असमंजस ; पसोपेश (३) (पैसोंके मामले में ) गोलमाल ; घपला । [ - वळवो = अव्यवस्था होना । -वाळवो = गोलमाल, घपला करना. ] गोटी स्त्री० गुटी ; गोली; गुटिका (२) छोटो गाँठ [बाज़ी गोटीमड, गोटीलुं न० कलैया; कलागोटीलो पुं० रुई धुननेका गुंबददार डंडा, बात; मुठिया (२) पिंडा; गेंद (३) ( पक्षीका ) कंठा ( ४ ) कपड़े को बटकर बनाया हुआ कोड़ा • गोटो पुं० गोला ; पिडा (२) फूलों की कलगी; गुच्छा (३) एक प्रकारका फूल (४) (धूल या धुएँका) बादल; बगूला (५) फलके भीतरकी गोल गिरी; गोला; उदा० ' नारियेळनो गोटो' (६) घोटाला ; घेपला [ला. ] [ -घालवो = घोटाला, गोलमाल करना (२) चूल्हे में आग रखना; सुलगाना (३) फूट डालना । वळवो, वाळवो = देखिये 'गोटाळो वळत्रो, वाळत्रो'. ] गोठ (ठ) स्त्री० गोठ; गोष्ठी ; रहस्य (२) गोट; वनभोजन (३) हँसी-मज़ाक़; दिल्लगी ( ४ ) मित्रता (५) भेंट ; नेग ( खासकर होलिकोत्सव पर ) गोठडी स्त्री० गोठ; गोष्ठी गोठण पुं० घुटना गोठवण ( - णी) स्त्री० तरतीब ; रचना; १४४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गों व्यवस्थित रखना (२) प्रबंध; सुभीता; व्यवस्था गोठववं स० क्रि० तरतीबसे रखना; व्यवस्थित करना या रखना; लगाना (२) काम-धंधे में लगाना गोठ अ०क्रि० रास आना;भाना; रुचना गोठियण स्त्री० स्त्री - मित्र ; गुइयाँ ; सखी गोठियो पुं० दोस्त साथी गोठीमडुं न० कलैया; कलाबाजी; लुढ़कनी [ चैन; शान्ति गोठी पुं० गोठ; गोष्ठ (२) घोंसला (३) गोड (ग) न० गंड; गिलटी; गाँठ गोड स्त्री० गोड़ाई (क्रिया) गोड स० क्रि० गोड़ना; खोदना गोडाउन स्त्री० ; न० गोदाम गोडे (गाँडे') अ० नाई; भाँति ( २ ) - के साथ; की संगतमें गोतर (गाँ) न० द्विदलकी सूखी फलि - योंके छिलकों और पत्तियोंका भूसा ; मिस्सा (चौपायों का चारा ) गोतर न० गोत; गोत्र; कुल गोतराज पुं०; स्त्री० देखिये 'गोत्रज ' गोत स० क्रि० खोजना; तलाश करना गोतुं (गाँ) न० ( मवेशियोंके लिए उबला हुआ ) भूसा ( २ ) बिना ढंगके राँधा हुआ या ठंडा और बदजायका अन्न [ला. ] गोत्र न० गोत्र; वंश गोत्रज वि० गोत्रज; गोती ( २ ) पुं०; स्त्री० कुलदेवता गोथ (थ) स्त्री० गिन्नी (पतंगकी) (२) भूल-चूक; धोखा खाना [ला. ] गोथुं न० शरीर की ऐसी स्थिति जिसमें सिर नीचे हो ( २ ) कलाबाजी; लुढ़कनी ( ३ ) सींगवाले प्राणीक For Private and Personal Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिरसे चोट करना (४) [ब०व०] गोषो पुं० साड़ व्यर्थ श्रम करना (५) भुलावा; धोखा गोफण स्त्री० गोफन; गोफना; ठेलवास खाना [ला. [-सावं-पोखा खाना गोफणियो पुं० गोफनसे फेंकनेका ढेला; (२) लुढ़क जाना (३) कला- गुल्ला (२) ला (व्यंग्यमें) बाजी करना। -भार3 (सींगवाले .. गोबर न० गोबर (२)उपलोंका चूरा प्राणीका) सिरसे चोट करना । गोया गोबरं वि० गेंदला; गंदा (२)न० गोबर सावां = व्यर्थ श्रम करना. गोबावं अ० क्रि० पिचकना पोद स्त्री० पोद गोबो पुं० पटकनेसे धातुकी चीजोंका गोद (द,) स्त्री० बार-बार टोकना; पिचकना दखल; अंतराय । [-घालवी = बाधा गोयगी (गाँ) स्त्री० सौभाग्यवती स्त्री खड़ी करना या रोड़ा डालना.] (२) व्रतके निमित्त भोजनके लिए गोरडी स्त्री० गद्दी (२) गुदड़ी (३.) गल- बुलाई गई सौभाग्यवती स्त्री कंबल बिछानेका) गोयरो(गो) स्त्री० गौरी-पार्वतीका व्रत गोबडं न० गद्दा; गदेला (ओढ़ने और । गोर (गों) पुं० पुरोहित (२)पंडा गोववणी स्त्री० दखल; अंतराय; अड़चन गोर पुं० (उपलोंका)चूरा गोद स० क्रि० गोड़ना; खोदना गोर(गो) स्त्री० देखिये 'गोरमा' गोदाव, स० कि० चूंसे मारना (२)बार गोरख आमली स्त्री० एक पेड़ बार कहना; टोकना विलायती इमली (२) उसका फल गोदाम स्त्री०; न० गोदाम; मालखाना गोरखधंधो पुं० गोरखपंथी साधुओंका गोदाव स० क्रि० गोड़वाना (२) चूंसे बहुत कड़ियोंवाला डंडा; गोरखधंधा मारना (३) टोक-टाककर सावधान (२)एक ही कामकी निरर्थक पुनराकरना [ला.] वृत्ति ला. [भागे मागे गोरख बागे गोदी स्त्री० गोदी; नौनिवेश (जहाज -आगेकी बात आगे सोची जायेगी। आदिका) (२)गोदाम आगे देखा जायेगा.] ..... गोबो पुं० चुभे या गड़े ऐसी उमरी गोरण स्त्री० गोरज (२) संध्या-बेला हुई चीज; गाँठ; आँख (२)मुक्का; । वाला लग्न चूंसा (३) नुक़सान; धक्का [ला.]। गोरणलग्न न० गोधूलीके समय होने[-मारवो= घूसा लगाना (२)नुकसान गोरजी (गो) पुं० जैन साधु पहुंचाना.] गोरट(-टियं,-5) वि. गोरा गौरवर्ष गोषण न० गोधन; गायोंका समूह गोरपदं (गाँ) न० पुरोहिताई; यजमानी गोवलियं न छोटा सांड; बछड़ा गोरमटी स्त्री. लाल-पीली मिट्टी मिट्टी पोषा(-)लगन न० गोधूलीके समय गोरमा (गॉर,) स्त्री० गौरी; पार्वती होनेवाला लग्न (२) कुंबारियोंका गौरी-पूजनका व्रत बोधू न० देखिए 'गोलियु' गोरसी स्त्री०, गोरखं न० .बही, दूध गोधूम पुं० ब०व० गेहूँ; गोधूम रखनेका मिट्टीका पात्र; दोहनी गु.हि-१० For Private and Personal Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मोराट गोराट वि० देखिये 'गोरट' गोरा (-3) वि० पोची, बलुई और कुछ राती या पीली (मिट्टी या जमीन) गोराणी (ग) स्त्री० पुरोहितानी ( २ ) गुरुआनी गोरी स्त्री० गोरी; गौर वर्णवाली स्त्री गोदचंदन न० गोरोचन गोरुं वि० गोरा गो गफ, गोरुं गफाक वि० गोरा चिट्टा गोरो पुं० गोरा परदेशी (यूरप, अमरिका आदिका गोल आकार गोल वि० गोल; वृत्ताकार (२) पुं० गोलक पुं० गोलक; संदूक़ गोलण स्त्री० 'गोला' जातिकी स्त्री गोलमाल पुं० घपला; गोलमाल गोलवं (गॉ) स० क्रि० रौंदना गोलापो पुं० दासपना ; गुलामी पोलां न० ब० व० जनानखानेके निम्न कोटिके दास-दासी गोली स्त्री० 'गोला' जातिकी स्त्री (२) खवासिन; दासी गोलो पुं० गोला नामक जातिका आदमी (२) जनानखानेका नौकर (३) ताशका एक पत्ता ; गुलाम गोल्लो पुं० बछड़ा ( २ ) देवीका अनन्य भक्त (३) ताशका एक पत्ता; गुलाम गोवाली स्त्री० ग्वालिन; अहीरिन गोवाळ पुं० गोपालक; चरवाहा ; ग्वाला गोवाळण (पी) स्त्री० ग्वालिन गोवाळियो पुं० चरवाहा गोस न० गोश्त गोसाई (०) पुं० एक प्रकारका साधुवैरागी (२) असल में गुसांई मगर आजकल गृहस्थाश्रमी बनी हुई एक जाति गोसांईजी (०) पुं० वैष्णवोंके आचार्य; गोस्वामी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir E गोळ वि० (२) पुं० देखिये 'गोल' (३) पुं० कन्याओंके लेन-देनके लिए जातिवालोंका रचा हुआ एक जूथ-मंडली गोळ (गाँ) पुं० गुड़ गोळकेरी (गॉ, कॅ) स्त्री० आमका एक तरहका गुडयुक्त अचार गोळगोळ वि० गोल-गोल ; अस्पष्ट गोळगोळ (गौ-गॉ) वि० नरम; गुलगुला (२) जिसका दिल पसीज गया हो वह; दिलगुदाज [ला. ] गोळचं (गाँ) न० वह अचार जिसमें गुड़की अधिकता हो; गुडंबा गोळवाणा (गॉ) पुं० ब० व० गुड़मिश्रित धनिया ( मांगलिक अवसर पर बॉटा जाता है) गोळपापडी (गॉ) स्त्री० एक मिठाई गोलमटोल वि० बराबर गोल (२) गलगुथना; हृष्ट-पुष्ट [ (परिषद) गोलमेजी वि० (२) स्त्री० गोलमेज गोळवा पुं० ब० व० स्त्रियोंके हाथके सोनेके कड़े (२) उस आकारकी काँचकी चूड़ियाँ (३) लकड़ीके (गोल) बल्ले गोळाई स्त्री० गोलाई; घेरा गोळाकार वि० गोलाकार ; गोल गोळी स्त्री० गोली ( २ ) दवाकी बटी; गोली (३) बंदूक़ की या तमंचेकी गोली (सीसेकी) (४) पानी भरनेकी मटकी; कछरी (५) दही मथनेका मटका ; मथनी (६) अंडकोष [गोलीचालन गोळीबार पुं० गोली चलाना; फेर; गोळी पुं० गोला (२) गोफनसे फेंकनेका ढेला ; गुल्ला (३) (तोपका ) गोला (४) पानी भरनेका बड़ा मटका ( ५ ) वायुगोला रोग; गोला (६) गप (७) लालटेनकी चिमनी ; कुमकुमा; लट्टू For Private and Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गौंदर्य गोंब (गॉ० ) देखिये ' गांदरं ' गोंध (गाँ०) स० क्रि० बंद जगहमें रखना; क़ैद करना ग्यासतेल न० मिट्टीका तेल व पुं० 'क' वर्गका - कंठस्थानीय चौथा व्यंजन घई स्त्री० देखिये 'घाई' घडं पुं० ब० व० गेहूँ; गंदुम घवर्णं वि० गेहुआं; गंदुमी घच (०क) अ० गच ( धँसनेकी आवाज) । [ -दईने = गच आवाजके साथ; फटले. ] घचबुं स०क्रि० कचरना; खूब दाबना घरकुं न०, ( को ) पुं० खट्टी या तीखी डकार; अम्लीका धचूमको पुं० जमाव; झुंड ; भीड़ ( २ ) मड्डु-मड; अव्यवस्था [घाटा घट (ट) स्त्री० घट; कमी (२) टोटा ; घट वि० देखिये 'घट्ट' घट अ० गट आवाजके साथ; गटगट घट पुं० घड़ा ( २ ) शरीर ( ३ ) हृदय; घट घटक वि० घटक; वस्तुका अंशरूप (अवयव) (२) योजक; रचनेवाला (३) पुं० वह अवयव जिसके मेलसे कोई वस्तु बनी हो; इकाई घटतुं वि० उचित; उपयुक्त ( २ ) घटता हुआ; बाक़ीका घटना स्त्री० घटना; रचना; बनावट (२) माजरा ; घटना (३) कौशल ; कारीगरी [ (२) सिलसिला; परंपरा घटमाळ स्त्री० रहटके घड़ोंकी माला १४७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धक्तर पंचपाल ( - ) पु० ग्रंथपाल ; लाइब्रेरियन' ग्रंथावलि (की) स्त्री ० ग्रंथावलि ग्राम 'चायत स्त्री० ग्रामपंचायत घटवं अ० क्रि० घटना; कम होना; छीजना (२) (कपड़ा) तंग-वस्त होना; कसना ( ३ ) शोभा देना; भला लगना; योग्य होना ( ४ ) ठीक बैठना; लागू होना; उदा० ' श्लोकनो अर्थ बराबर घटाव्यो ' घटस्फोट पुं० चिताको ठंडी करके उस पर घड़ा फोड़ना (२) हमेशा के लिए संबंध तोड़ना [ला. ] (३) हल; निबटारा (४) गुप्त बातका भेद खोलना; भंडाफोड़ घटा स्त्री० घटा; समूह; झुंड ; झुरमुट (बादलों, वृक्षों आदिका.) घटादार वि० घटादार; छतनार घटाटोप पुं० घटाटोप ; घनघटा ( २ ) ऐसा ढक्कन या वस्तु (३) आडंबर; ठाट-बाट घटां स० क्रि० घटाना; कम करना घटाडो पुं० कमी; घटाव घटारत वि० उचित; उपयुक्त; ठीक घटाव स० क्रि० ठीक बैठाना ; लगाना उदा० 'वलोकनो अर्थ बराबर घटाव्यों घटित वि० उचित; उपयुक्त; मौजूं घट्ट वि० गाढ़ा ; गफ़ ( बुनाई ) ; दबीज घडतर न० गढ़-पीटकर बनाई हुई आकृति; गढ़न; बनावट (२) गढ़ना, 'रचना या बनाना या उसकी रीति; 2. For Private and Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४८ घबर बनावट (३) गढ़नेकी उजत; गढ़ाई घरियो पुं० पहाड़ा। (४) शिक्षा पाकर तैयार होना; घरी स्त्री० घड़ी; घटी (२) [ला.] शिक्षा (५)वि० गढ़-पीटकर बनता क्षण (३)मौक़ा; प्रसंग। [-ओ गणवी हुवा (लोहा आदि) = (-की) तैयारी होना (२)पड़ियाँ घरपण न० बुढ़ापा; जरा गिनना; मौतकी तैयारी करना। घरमांग(-ज) स्त्री० गढ़ना और -मा छठा भागा= बातकी बातमें; तोड़ना (२) पसोपेश; दुबिधा छनभरमें.] परमबल स्त्री० देखिये 'गडमथल' घडी घडी अ० घड़ी-घड़ी; बार-बार घर न० गुड़ भरनेका मटका घडीताळ अ० आसन्नमरण; घड़ीसाइत पर स० क्रि० गढ़ना; आकार देना घडीभर अ० घडीभर; थोड़ी देर : (२) बनाना; रचना; लिखना घडीसाष अ० घड़ी-साइत; आसन्नमरण (जेवर, कुर्सी, ग्रंथ आदि) (३)व्यव घमट पुं० घड़घड़ाहट स्थित रखना; संकलन करना (४) घडूली स्त्री० छोटा घड़ा पीटना (धातु) (५) मसविदा तैयार घडूलो पुं० घड़ोला; घड़ा करना (६) शिक्षा देकर योग्य बनाना घडो पुं० षड़ा; कलसा । [घडाना कळ[ला. (७) मरम्मत करना; गढ़ना। शिया करवा = कोल्हू काटकर मुंगरी [पाईने ठेकाणे भावq= अनुभवसे बनाना।-भरावो पाप उदय होना.] या ठोकरें खाकर समझ जाना। घडीलाग्यो पुं० मुरदेको जलानेके बाद घरी नालवं = खूब पीटना; गढ़ना.] स्मशानमें लड्डवाला घड़ा फोड़ना (२) बरबाट. पुं० घड़बड़ाहट; घड़-घड़ फैसला; निबटीरा [ला. [-करपो= आवाज निबटारा कर देना।-पबो=कोई भी बग्यो पुं० घड़ेके आकारका लोटा फ़ैसला होना (२) मौत होना (३) बहाई स्त्री० गढ़नेकी उजत; गढ़ाई भारी नुकसान आ पड़ना) बामण न०, (-बी) स्त्री० गढ़नेकी घन पुं० भारी हथौड़ा; घन [धुन उषत; गढ़ाई घायलं वि० अनुभवसे पक्का बना घन पुं० लकड़ीमें होनेवाला एक कीड़ा; हुमा; कसा हुआ; मजा हुआ [ला.] घनाघनीस्त्री० गाढ़ स्नेह ; गहरी छनना बसव, स० कि० गढ़ाना घj वि० बहुत; ज्यादा; अतिशय । बसावं अ.क्रि० गढ़ा जाना; अनुभवसे [-करवंजो शक्य हो सब कर पक्का होना; कसा जाना [ला. डालना (२) अनेक प्रकारसे समझामा पण्यिाळ स्त्री० न० घड़ी (यंत्र) (२) (३) किफ़ायतसे बचत करना। झालर; घड़ियाल।[-या पीए के -करीने = बहुत करके ; प्रायः।-होवं -बड़ी ग़लत समय बताती है या = बीमारीका ज्यादा होना; घड़ियाँ गिनना। धर्ना बानां करवा = अनेक परिवाळी .. घड़ीसाज [लबनी उपाय करना (२) खूब समझाना.] परियं न० ताड़ी चुमानेकी लंबी हाँग; धमुलक अ० बहुत करके; अकसर : For Private and Personal Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बमुंब षय वि० बहुत ही चन, वि० घन; ठोस (२) घना; गाढ़ा (३) बहुत; अधिक (४) लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाईवाला; 'क्यूबिक; घन [ग] (५) पुं० किसी अंकको उसी अंकसे दो बार गुणा करनेसे उपलब्ध गुणनफल; 'क्यूब'; धन (६) छः समान बाजुओंवाली आकृति (७) पु०; न० बादल; धन । घनचक्कर वि० घनचक्कर; जिसका दिमाग चला गया हो। घनफल (-ळ) न० घनफल; 'वॉल्यूम' घनमूल न० धन-मूल; 'क्यूब रूट' धनसार पुं० घनसार; कपूर (२) जल (३) पारा (४) चंदन घम अ० धमाधम; धमाकेसे धमक, अ० क्रि० घमघमाना धमकार (-रो), घमको पुं० धमाधम; झमक [आघात करना; घमघमाना घमघमाव, स० क्रि० धमाधम-जोरसे घमसाण न० तूफ़ान; घमरौल; ऊधम (२) भयंकर युद्ध; घमसान (३) विनाश (४)लोगोंका जमाव; मजमा। [-मच-बड़ी भीड़ इकट्ठा होना (२)भारी तूफ़ान या घमसान मचना.] धमंड पुं० घमंड; अहंकार (२)आडंबर घमंडी वि० घमंडी; मग़रूर घम्मर अ० घमर आवाजकी तरह घुमुर चम्मर घाघरो पुं० घेरदार बड़ा घाघरा पर न० घर; रहनेकी जगह; कोठी; मकान (२) गृह; एक कुनबेका वासस्थान; पैतृक निवास स्थान (३) चीज़ रखने का या उसके रहनेका बक्स; कोठा; खाना; उदा० 'चश्मानुं घर; सौगठीनुं घर' (४) घरापो जन्मकुंडलीमें ग्रहविशेषका स्थान [ज्यो.](५) कुल; घर (घरकी आबरू, खुशहाली, गृहस्थी आदि) (६)घरके लोग; घर-बार; घर-गिरस्ती (७) खानदान; कुल। [-अजवाळg%3 घरकी शान, आबरू बढ़ाना।-उधाएं रहेवं वंश चालू रहना (२) शादी होना; घर बसना। -काणुं करघरमें फूट डालना; घर फोड़ना(२) घर ही घरमें व्यभिचार करना ।पूछीने आवq=जान-बूझकर नुकसान करनेके लिए किसीका (संबंधी होकर) घरमें आना।-फा =चोरी करना; सेंध लगाना.] घरांग• न० घरका आंगन (२) अति परिचित-पासका स्थान [ला. घरकाज(-म) न० घर-गिरस्ती गृहकार्य घरकूकरियं, घरकूकडी वि० घरघुसड़ा घरसटलो पुं० घरका माल-असबाब; घर-बार (२) गृहस्थीका काम-काज (३) संसार या व्यवहारका-गृहस्थीका काम-काज (४) पली, बाल-बच्चे वगैरहका समुदाय घरखरच, घरखर्च पुं०; न० घरका निबाह करनेमें होनेवाला खर्च घरगतु(-थु, -स्य) वि० घराऊ घरेलू ...(२) बेचनेके लिए नहीं बनाया हुआ (३) खानगी; धरू घरपालु वि० घरपालन (२) फ़िजूल खर्च; उड़ाऊ (३) दगाबाज घरजमाई पुं० घरजेवाई; घरजमाई घरर स्त्री० लीक (२)परंपरा;प्रथा[ला.) घरगपो पुं० बुढ़ापा (२) बूढ़ोंकी-सी समझ; जरूरतसे ज्यादा समझ [ला.] For Private and Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घररि १५० घलोई घररियं वि० बूढ़ा; वृद्ध घरवट स्त्री० एक घरके हों ऐसा गाढ़ा परपियो पुं० वृद्ध-बुजुर्ग मनुष्य . संबंध; घरोबा (२) वि० घरका-सा घरडियो पुं० गलेकी घरघराहट; घर्रा संबंधी [घरबार (प्रायः मरणासन्न व्यक्तिका) घरवालरो पुं० घरकी चीज-वस्तु; परई वि० वृद्ध; बूढ़ा (२) पुराना; । घरवाळी स्त्री० घरकी मालकिन (२) नयाका उलटा (३) पक्का; सख्त । घरवाली; पत्नी [वालो; पति -पान अति वृद्ध व्यक्ति (कभी भी घरवाळो पुं० घरका मालिक (२)घरमर जाये ऐसा).] घरवदुं न० घरेल वैदक। बरईसख वि. बिलकुल जराग्रस्त; घरसंसार पुं० गृहस्थाश्रम (२) घरजरा-जर्जरित [तुच्छकारमें] जुगत; घर-गिरस्तीका काम घरकन्चर वि. बिलकुल जराग्रस्त घरसूत्र न० देखिये 'घरसंसार' घर वि० वृद्ध; बुजुर्ग; आदरणीय घराक पुं०; न० गाहक; खरीदार(२) घरपणियाणी स्त्री० घरवाली; गृहिणी पारखी; गुणग्राही (२) घरकी मालकिन; घरनी घराकी स्त्री० बिक्री; गाहकी (२) परवणी पुं० गृहस्वामी; घरवाला (२) खरीदारोंकी आमद (३)खपत; विक्री घरका मालिक घराणियात वि. गिरवी लिया हुना या रखा हुआ घरपंषो पुं० गृहकार्य; घर-मिरस्ती घराणे अ० देखिये 'घरेणे' परन वि० घरू; निजी; खानगी घई न० घरुआ (डिब्बा) परप्रवेश पुं० देखिये 'गृहप्रवेश घरे स्त्री० देखिये 'घरड' (२) कुंएके परवार न० घर-बार; घरकी चीज़वस्तु; घर-गिरस्ती, बाल-बच्चे वगैरह पत्थरों पर रस्सीसे होनेवाली गराड़ी घरेडी स्त्री० घिरनी; गराड़ी; गड़ारी (२)कुटुम्ब और क़बीला संसारी घरवारी वि० घर-गिरस्तीवाला (२) (२) घरी; घरघराहट (गलेकी) घरेणुं न० गहना; जेवर घरबोळ वि० घर-धालन घरेणुंगाढ़ न• गहना-पाता घरभंग पुं० (पत्लीके मरनेसे) घर घरेणे अ० गिरवी; बंधक; रेहन उजड़ना (२) वि. उस दशाको प्राप्त घरोपो(-बो) पुं० घरका-सा गाड़ परभेद् वि० घरका भेद जाननेवाला संबंध; घरोबा (२)घरका भेद खोलकर दगा देनेवाला घरोळी स्त्री० देखिये 'गरोळी' घरमेळे अ० आपसमें समझकर (२) घलात स्त्री० डूबी हुई या डुबाई गई मित्रताके नाते रकम; बट्टा; टोटा (२)पावना न देना घररख वि० घरकी संभाल रखे ऐसा घलावू अ० क्रि० 'घालवू' का कर्मणि घरबसरी स्त्री० देखिये 'घरवाखरो' घलोरी स्त्री. कुंदरू (बेल) (२) घरबलु वि० घरको चाहनेवाला; घर- - देखिये 'गरोळी' घुसड़ा घलोई न० देखिये 'पिलोडु' For Private and Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पवावं घवा, अ० क्रि० घायल होना; चोट लगना पतषसाट अ० गहराईसे (नींद लेना) पसब्दोरो पुं० घसीट लिखावट लिखने का श्रम घसर स० कि० घसीटना (२)घसीट लिखावट लिखना या जैसे-तैसे काम करना; रगड़ मारना [ला.] घसरको पुं० निशानीकी रेखा; चिह्न आंक; खरोंच [का काम; बेगार बासरी पुं० खरोंच; रगड़ (२)वेमनबसरपसर अ० घसीटते हुए; ज्यों-त्यों करके (२) बेगारकी तरह बस स० कि० घिसना (२) हायसे रगड़ना; मलना (३)(बरतन)मलना (४)ओपना; चमकाना पाससे बसाईन (जर्बु) = करीबसे, बिलकुल घसातुं वि. जो अपमानित करे, नीचा दिखाये; कटती (कहना) (२) नुकसानदेह; हानिकर पसारवं न० घिसकर पीनेकी औषधि घसारो पुं० घिसा जाना; छीज ; घटाव (२) घिसनेसे गिरी हुमी रज; घिसाई (३) नुकसान; घाटा; छीज। [-साचो, वेठयो= घाटा या खर्च सहन करना। -पहोंचो, लागवो= खर्च होना; घाटा होना; नुकसान पहुंचना.] बसाव, स० कि० घिसाना पसावं अ० क्रि० 'घस' क्रियाका कर्मणि रूप; घिसा जाना; घिसना (२)नुकसान उठाना पाटेमें रहना। [बसाई जq= (खूब काम आदिसे शरीरका) क्षीण होना; काम बाना; खप जाना. बसि वि० चूर्ण जैसा (नमक) . धसियो j० आटेको सेंककर बनाई जानेवाली एक खास वस्तु घंधोलियं न निकम्मा, खराब घर; घरोंदा (२) सारी देह ढक जाय इस तरह ओड़ना; झुरमुट (३)तहस-नहस होना; बर्बादी घंट पुं० बड़ी चक्की; जांता घंट पुं० घंटा; कासेका लंगरदार घंट (२) कांसेका बजानेका गोल और मोटा पट्ट; घड़ियाल (३) घंटा बजनेका शब्द; डंका (४) चंट; धूर्त; घाष ; उस्ताद (व्यक्ति)ला.]। [-फरवो, वागवो-घरका सब कुछ खर्च हो जाना (२) गरीबी होना। -बगाउवो प्रकट करना; जाहिर करना.] घंटसी स्त्री० बहुत छोटा घंटा; घंटी घंटीकी आवाज (२) घंटा; शून्य कुछ नहीं [ला. चंठलो.दलनेकी बग्रेर थालेकी चक्की घंटी स्त्री० चक्की । षषी घंटीमोनो लोट साचो होवो बहुत अनुभवी होना; पुराना पाप होना.] घंटीचोर पुं० चालाक चोर; पाऊषप घंटो पुं० बड़ा घंटा (२) उसका संका था पुं० कागजके चौबीस तावोंकी गही; दस्ता घा पुं० चोट; बाघात (२) धाव; जस्म (३) भारी गमका गहरा असर [ला. [-परखो - उस्म होना (२) माफ़त आना (३) [ला.] खूब सहन करना; बल लगाना;जोर करना; उदा. 'काम करतां शा पा पड़े छे?'। -गो घसरको इतना हुबा तो और क्यादा होने दो.] For Private and Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५२ घासचारो पाई स्त्री० जल्दबाजी; दौड़-धूप (२) घाण स्त्री० गंध; बदबू हंगामा; धांधल (३) भीड़; झमेला पाणी स्त्री० तेलहन पेरनेका यंत्र; धापरी स्त्री० घाघरी; छोटा लहँगा। धानी। [-ए मोर उबा देनेवाले, [-पहेरवी-स्त्रीका पार्ट लेना; चूड़ियाँ कड़ी मेहनतके काममें लगाना; पहनना (२) नामर्द बनना.] जोतना।-नो बळव = कोल्हूका बैल.] घाघरो पुं० धापरा; लहंगा चात पुं० घात; चोट ; घाव (२)नाश; घाट पुं० आकार; देखाव; सूरत; हत्या (३) स्त्री० अकाल मृत्युका रूप (२) मौक़ा; घात; ताक [ला.] फांसा। -जबी-मरते मरते बचना; (३) मली-बुरी रीतोंसे काम निकाल बालबाल बचना. लेनेकी योजना; उपाय (४) रीत; घातकी वि० घातकी (२) क्रूर लक्षण; शोभा। [-आवयो- योग्य घातेल न० घाव पर लगानेका तेल आकार देना (२) घात लगना; मौका घाम पुं० घाम (२) ऊमस (३)पसीना मिलना। -घरवो= आकार बनाना घायल वि० घायल; जख्मी (२) युक्ति या प्रपंच करना (३)मन- पारण न० घोर निद्रा (२) नींदमें खर्राटे सूबा करना (४) ताकमें रहना (५) लेना (३) नींद लानेवाली दवा मार डालना (६) भारी नुकसान घारी स्त्री० एक मिठाई (२) उरद या पहुंचाना. मूंगकी दालका बड़ा (३) चोटीके पाट पुं० घाट (२) दर्रा; घाटी (३) इर्द-गिर्द रखे हुए बालोंका गुच्छा; सह्याद्रिका पहाड़ी प्रदेश चंदिया छिद्र नारू चाटन स्त्री० सह्याद्रिके पहाड़ी प्रदेश घाई न० रोगसे शरीरमें होनेवाला में रहनेवाली जातिकी स्त्री घाल (ल.) स्त्री० जेवनारमें एकसाथ बाढी वि- सह्याद्रिके घाटोंमें रहने- भोजन करनेवालोंकी पांत; पंगत वाली एक जातिसे संबंधित (२) पुं० घाल (ल,) स्त्री० घाटा; टोटा उस जातिका मनुष्य घालमेल स्त्री निकालना और रखना; पाटील वि० सुडौल; रूपवान् ; सुगठित घाल-मेल करना (२) पचड़ा; संझट बादं(-3) वि० गाढ़ा; लोंदादार (३) प्रपंच; खट-पट । (२) खचाखच (३) बहुत; गहरा घालवू स० क्रि० घालना; खोंसना (४) कठोर; मजबूत (२) पहनना (३) अवसर पर उपघाई वि० देखिये 'घाटुं' हारके रूपमें पहनाना; उदा. 'में पाण पुं० घान (अनाज, तेलहन आदिका) कन्यानी कोटमा अछोडो घाल्यो (४) (२) संहार। [-काडवो भयंकर माल मारना; रकम डुबाना (५) संहार करना। -नोकळी जवो, वळवो बिगाड़ना; घालना; उदा० घर घालवू' -बिलकुल तबाह हो जाना.] घास न० घास; खड; चारा।[-कापवं पान पुं० लकड़ी खा जानेवाला एक घास काटना।-सा घास खाना.] कीड़ा; धुन घासचारो पुं० घास-चारा For Private and Personal Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मो - पासतेल न० मिट्टीका तेल; किरासन पासलेट न० देखिये 'घासतेल पासलेटियं वि० घासलेटी [ला.] पासियं वि० जिसमें पास ही होती हो ऐसा (२) घासर्मेसे पैदा होनेवाला (३)निस्सत्त्व; हलका; घटिया (पी, सोना आदि) [ला.] पासियो पुं० घासका बिछौना; साथरा [प.] (२) घसियारा चासियो पुं० देखिये 'गाशियों बांधू (०) वि० उतावला; अधीर । (२) घबड़ाया हुआ पांच (०;च,) स्त्री० लीकके बीचका गड्ढा; गड़ारी; गड्ढा (२) उलझन; मुश्किल पाचन (०) स्त्री० तेलिन बांची (0) वि. तेल पेरनेका पेशा करनेवाली एक जातिका (आदमी) (२) दूध बेचनेका पेशा करनेवाली एक जातिका (आदमी)(३) पुं० उस जातिका आदमी ; तेली; घोसी। [-मो बळद = कोल्हूका बैल (२) मूर्ख.] चाटाघांट (.) स्त्री० चीख पुकार; शोर-गुल घाटी (०) स्त्री० गलेके भीतरकी घाटी; कौआ; गलेकी वह छोटी हड्डी जो आगेकी ओर निकली रहती है; घंटी; टेंटुआ घाटी (०) स्त्री० दर्रा; घाटी (२) [ला.] मुश्किल और नाजुक अवसर (३) अड़चन; कठिनाई।[-आववी, परवी=अड़चन या नाजुक समय माना; मुश्किल में फंसना. घांटो (0) पुं० कंठ; आवाज (२) पुकार; हांक; ऊंची आवाज (३) धुड़की। [-पारयो चीख मारकर बुलाना (२) खीजना; धमकाना.] चिलोडी स्त्री० देखिये 'घलोडी घिलोई न० कुंदरू (फल) घिस्सो पुं० घिस्सा; रगड़ा घी पुं० घी ।[बळतामां घी होमउत्तेजनाको और बढ़ाना; जलती आगमें घी डालना. घीकेळा न.ब.२० घी और केले (२) बड़ा लाभ; पांचों धीमें होना (लाम) घीच वि० देखिये गीच धीचोधीच वि० खचाखच; ठसाठस पीतेलं न० कंवलगट्टा पीस स्त्री० खरोंच (२) चोरी (३) मार-पीट । [-परवी-नुकसान होना (२) लाभ होना (३) मार पड़ना। -मारवी हाच मारना; चोरी करना. धीसहं न० जुआ; जुआठा धीसलं न० बैलको जोताईकी शिक्षा देनेका साधन घुघरबट स्त्री० घेरदार घाघरेकी धुंधरूदार कोर (२) पुं० ऐसी कोरवाला घाघरा घुवरियाळ वि० धुंधरूदार घुषवाट (-टो) पुं० गर्जना; घहराना घुच्चो पुं० चूंसा; मुक्का कीड़ा; धुन घुण पुं० लकड़ी खा जानेवाला एक घुमरडी स्त्री० गोलाकारमें घूमनानाचना; घुमड़ी (२) सिरका चक्कर खाना; चक्कर (३) (खेल आदिमें) पकड़नेवालेको भुलावेमें डालकर घूम जाना (४)पालनेको हिलाना; झुलाना घुमाव, स० कि० घुमाना; चक्कर देना घुमावं अ०कि. 'धूमवू'का भावे स्प धुम्मो पुं० चूंसा; मुक्का For Private and Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुरकियूँ घरकि न० घुटकनेकी आवाज; सुर्राहट (२) धमकीभरी डॉट; घुड़की घुबड पुं०; न० उल्लू; घुग्घू सनियं वि० किसी तरहसे घुसनेवाला; घुसने के स्वभाववाला घुसपुस अ० फुससे (२) स्त्री० कानाफूसी बुसा स० क्रि० घुसेड़ना; भीतर पहुँचाना; दाखिल करना ( बगैर इजाजत या हक़के) घुसाव स० क्रि० घुसाना; घुसवाना घुसार्बु अ० क्रि० 'घूसवुं 'का कर्मणि घुंगट पुं० गुंबद (२) गुंबदके नीचेका मंदिरके भीतरका भाग धूघरमाळ स्त्री० बैलके गलेकी घंटियोंकी माला; टालीकी माला धूपरी स्त्री० घुंघरू; नूपुर (२) स्त्रियोंके हाथमें पहननेका घुंघरूदार एक गहना (३) एक खिलौना; छोटा घुनघुना (४) उबाली हुई ज्वार-बाजरा आदि; घूघरी धूधरो पुं० धातु आदिका पोला बजनेबाला गोला जिसमें कंकड़ आदि चीजें रखी जाती है (२) एक खिलोना; घुनघुना (३) एक खाद्य पदार्थ । [पूचरा मेनुं सुन्दर; मजेदार (२) • मजाक़-पसन्द (३) बोलता; वाचाल. ] धूमवर्खु अ०क्रि० घहराना (२) गरजना घूम अ० विचार-मग्न; लीन (२) चूर; = बदमस्त धूमची स्त्री० देखिये 'घुमरडी' धूमची पुं० पत्तियोंका जत्था ; गुंचा धूमट पुं० देखिये 'घुंमट' घूमटो पुं० घूंघट घूम स० क्रि० पालनेको हिलाना; मुलाना (२) चक्कर खिलाना; घुमाना १५४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टविं घूमडी स्त्री० देखिये 'घुमरडी' घुमड़ी घूमरावं अ० क्रि० झुंझलाना; रोषसे मुँह बिगाड़ना; कुढ़ना (२) चक्कर खाना (गोलाकार) (३) घुमड़ना; उमड़ना (४) आँख उठना घूमरी स्त्री० जलका चक्कर; भंवरी; घुमरी (२) घुमड़ी; फेरा (३) तेवर बदलना घूमबुं अ० क्रि० चक्कर खाना; गोलाकारमें घूमना (२) बेकार घूमना (३) [ला. ] बड़ा कारोबार चलाना (४) खुशीमें झूमना; लहराना ( ५ ) लगा रहना; जारी रहना घूमाघूम (मी) स्त्री० दौड़ा-दौड़ी; बार-बार आना-जाना घूरक अ०क्रि० घुरघुराना ; गुर्राना (२) जोरसे भूकना (३) घुड़कना ; गुर्राना धूकर (-१), (-) देखिये 'गूलर' घूस पुं० घूस; एक तरहका बड़ा चूहा घूसज न० घुसना; अनधिकार प्रवेश (२) वि० किसी प्रकारसे घुसनेवाला घूस अ० क्रि० घुसना धूसियुं न० चूहे फँसानेका खटकेदार पिजड़ा; चूहेदान धूसियुं मघ न० ( पेड़की खोह या उस तरहकी जगहमें घुसकर बनाये हुए छत्तेका) एक तरहकी छोटी मधुमक्खियोंका शहद घूंघट (-टो) पुं० घूंघट घूंट पुं० घूंट (२) आवाज; कंठ (३) स्त्री० (दम) घुटना घूंटडो पुं० घूंट (पेय) । [ -ऊतरवो घूंट गलेसे नीचे उतरना (२) समझा जाना; हलक़से उतरना.] खूंटज पुं०; न०, ( - जि) न० घुटना For Private and Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खूंटजिये घूंटनिये; घूंट अ० घुटनोंके बल ( चलना); दोजानू (बैठना ) । [पड: बालकका घुटनोंके बल चलना (२) [ला. ] मत्था टेकना (३) गिढ़गिड़ाना; घुटने टेकना. ] घूंट स० क्रि० घोंटना; पीसना; बाटना (२) रोकना या घोंटना (दमको ) (३) (अक्षर) घोंटना; (राग) रटना; अभ्यास करना मूंडी स्त्री० टखना खूंटी स्त्री० उलझन; फँसाव; अटकाव घेवूर वि० घना; छतनार (पेड़ ) (२) मतवाला; बदमस्त बेटी स्त्री० भेड़ [-धसान. ] घेदुं न० भेड़। [घेटानं डोळं = भेड़िया बेटो पुं० नर भेड़; भेड़ा; मेढ़ा वेन (घें) न० नशा; कैफ़ ; सुस्ती (२) मद; खुमार वेबर न० घेवर घेर (बॅ) अ० घर पर ; घरमें; घरकी ओर। [साळं देवायुं = घरका सर्वनाश होना या निर्वंश होना; घर उजड़ना । —बेठां = घर बैठे (२) बग़ैर मेहनतके; स्वाभाविक रूपसे । (-मे) घेर बेसवी की कमी पड़ना; खर्च होना; नुक़सान होना; उदा० 'आमां तो एने रू० १०० ने घेर बेठी' (२) (स्त्रीका) किसीके घर बैठना । -बेस: = बेकार बनना; घर बैठना (२) नौकरी आदिसे अलग किया जाना; बरतरफ़ होना (३) के साथ सगाई करना; किसीके घर बैठना (४) -का नुकसान होना; -का घर बैठना. ] चेर पुं० घेरा; घेर (२) समूह; टोली (३) स्त्री० ( कुआँ, वस्त्र आादिका) = १५५ पोव किनारेका हिस्सा (४) चोटीके इर्दगिर्द रखे हुए बाल; चंदिया ( ५ ) होली खेलनेवाले लड़कोंकी टोली घेरवार वि० घेरदार (कपड़ा) (२) खुला; जो कसता न हो घेर स० क्रि० घेरना (२) चौपायोंको पानी पिलाना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घेराव पुं० घेरा; घिराव ; चारों ओरका विस्तार; फैलाव ( २ ) घेरनेकी क्रिया; मिराई; रोक; अडकाव घेरानुं अ० क्रि० घिरना; घेरा जाना (२) घेरेमें आना; फँसना (३) छाना; चिरना; फैलना; पलकें भारी होना ( आकाश या चन्द्र बादलोंसे; अ नशे या नींदसे) घेरावो पुं० देखिये 'घेराव' घे (वें) वि० गाढ़ा ; कभी न छूटनेवाला ; पक्का (रंग); शोख ; गहरा ; 'उदा० 'घेरो लाल' ( २ ) गहन; गहरा (३) खुमारभरा; नशीला (आंखें) घेरेयो पुं० फगुहारा; होली खेलनेवाला धेरो पुं० घेरा (२) रोक (३) समूह; झुरमुट (पेड़ोंका) घेला (पॅ) स्त्री० बावलापन (२) सनक घेलाई (पॅ) स्त्री० पागलपन; सिड़ घे (घें) वि० सिड़ी; पागल (२) न० पागलपन पेंश (स) (पॅ०) स्त्री० मट्ठेमें नमक डालकर पकाया हुआ नरम भात; महेरी धो स्त्री० गोह धोवर पुं० बड़े सिरवाला जंगली बिल्ला (२) बच्चोंको डरानेका हाऊ; होवा (३) न० एक पक्षी घोघर बिलाडो पुं० जंगली बिल्ला घोष वि० मोटी बाबाजवाला For Private and Personal Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गोवरी भोवरो (-छो) पुं० मोटी आवाज; हाँक (२) गलेका वह हिस्सा जिसमें से आवाज निकलती है । [घोघरे बाशवं = गला घोंटना (२) न भाना; पसन्द न आना; गलेमें अटकना । -सालवो = गला घोंटना; गला दबाना ।-ताणवो= गला फाड़कर गाना. ] घोघो वि० पुं० अनपढ़ मूर्ख (मनुष्य) ; घोंघा (२) पुं० साँप (३) मुंह और माथा ढक जाय इस तरह ओढ़ना; घुग्घी ओढ़ना चोच स्त्री० चुभनेका असर; चुभन चोच अ० क्रि० भोंकना ; चुभाना घोडोड (दो) स्त्री० घुड़-दौड़ (२) घुड़-दौड़का मैदान अथवा मार्ग घोडागाडी स्त्री० घोड़ागाड़ी; तांगा घोडागांठ स्त्री० सरकनेवाली दोहरी गाँठ : [आनेवाली भारी बाढ़ घोडापूर न० (घोड़े की तरह) यकायक घोडार (र) स्त्री० तबेला घोडासर स्त्री० घुड़साल ; तबेला घोडि न० पालना; गहवारा । [-बंधाबुं = संतान होना; गोद भरना. ] घोडी स्त्री० घोड़ी (२) लकड़ी या धातुकी खूंटी जिस पर कोई चीज रखी जाय या व्यवस्थापूर्वक भरी जाय या टांगी जाय; घोड़िया, घोड़ी, बैठकी, तिपाई आदि (३) वह लाठी जिसका 'आधार लेकर चला जा सके; बैसाखी (४) ऊँचे चढ़नेका सीढ़ियोंवाला नसेनी जैसा लकड़ीका साधन; छोटा चौगोड़िया। [-छूटी के घोडो छूटचो = किसे मालूम क्या हुआ ? -ए चड= अमल-पानी करना; नशा करना । - पलाणवी = घोड़ी पर सवार होना. ] १५६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घोर घोडं न० घोड़ा या घोड़ी (२) छोटा या दुबला घोड़ा; टट्टू (३) चुड़सवार सेना; रिसाला । [-पाढयं = बहुत खर्च कर डालना; ( किसीको) बोझरूप होना. ] घोडे अ० के अनुसार; की भाँति घोडेस्वार पुं० घुड़सवार घोडेस्वारी स्त्री० घुड़सवार होना घोडो पुं० अश्व; घोड़ा (२) नदी या समुद्रकी उत्ताल तरंग (३) घोड़ेके आकारका लकड़ी आदिका नक्काशीदार टोंटा; घोड़ा ( ४ ) बंदूक़, तमंचेका खटका ; घोड़ा; लबलबी (५) कोई चीज़ रखनेके लिए बनाया हुआ आला जैसा साधन चौगोड़िया । [घोडा दोडावया = खयाली पुलाव पकाना; मनके लड्डु खाना, फोड़ना । घोडा नहीं पहोंचया = पैरोंकी शक्तिका जवाब दे देना; पैर लड़खड़ाना ( २ ) अपना बस न होना; शक्ति न होना । घोडे चडवं = नेतृत्व करना; अगुआ बनना (२) घोड़ी चढ़ना (३) बदनाम होना (४) उद्यत या आमादा होना । घोडे चडीने आग्वदुं = उतावली करते हुए आना (२) खुले आम आना । -साड थवो = घोड़ेका पिछले पैरों पर खड़ा होना. ] घो न० जख्म ; घाव (२) लट्टके खेल में चढ़नेवाला दांव या खेलनेकी बारी घोर पुं० गूंज; गुंजार (२) तंबूरा आदिमें षड्जके स्वरोंके तारकी आवाज या गूंज या तान-तरंग घोर वि० घोर; डरावना (२) सिहरी पैदा करनेवाला; रोयें खड़े करनेवाला (३) चुप; गहरा; घना; निबिङ ; For Private and Personal Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बोर भारी; घोर; अत्यंत ( निद्रा, बन, अज्ञान, अंधेरा आदि) घोर स्त्री० गोर; कब्र चोरखोदियो पुं० गोरकन (२) गोर खोदकर मुर्देको खा जानेवाला एक प्राणी (३) हीन कर्म करनेवाला [ला. ] घोरलोबु वि० विनाशक; जो विनाश करने पर आमादा हो घोरखोतुं न० गोर खोदकर मुर्देको खा जानेवाला एक प्राणी घोर अ० क्रि० ( नींदमें) नाकसे खरंस्वरंकी आवाज निकालना (२) खर्राटे लेना; गहरी नींद सोना घोरी वि० नींद लेनेका आदी ; खर्राटेबाज़ घोरी पुं० गल्ला; गोरू (चरनेके लिए आने-जानेवाला) बोलक (-की) स्त्री ०, -क) न० बिलकुल छोटा प्रकाशरहित घर; 'स्लम'; घरौंदा घोळ स० क्रि० पिलपिलाना ( २ ) च पुं० 'च' वर्गका - तालुस्थानीयपहला व्यंजन चक पुं० चिक; जालीदार परदा चकचक अ० झलाझल; चमाचम चकचक अ० क्रि० चमकना; झलकना चकचकाट पुं० चमक; झलक; कांति avefeo वि० चमकदार ; चमकीला चकचार स्त्री० पूछताछ; चर्चा चकचूर वि० ग़रक़; बदमस्त ( किसी नशेसे) (२) अ० चकनाचूर १५७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घोलना (३) मिलाना (४) जोरसे घुमाना; चक्कर देना । [घोळी पीहूं, घोळीने पी जवुं = कुछ न समझना; न बदना; बसमें न रहना. ] घोळाघोळ (ळी) स्त्री० बहुत घोलना; चक्कर देना (२) विचारोंका मनमें चक्कर खाना; मनकी डांवाडोल स्थिति; उधेड़-बुन घोळाबुं स०क्रि० 'घोळवूं 'का कर्मणि । [ धोळाया कर = देर करना (२) किसी बात या विचारका मनमें बारबार उठना.] घोंघाट (चॉ० ) पुं० शोर-गुल ; चिल्लपों are (घो०) स्त्री० लीकमें पड़ा हुआ गहरा गड्ढा; बड़ी गड़ारी (२) चुभने से हुआ घाव, या उसका असर; चुभन (३) नुक़सान [ला.] । [-मां पडं : | = लीकमें पड़कर गति मंद होना; खटाई में पड़ना; रुका पड़ा रहना. ] घोंचपरोणो पुं० बार-बार पैना भोंकना aaj (घ) स०क्रि० भोंकना; चुमाना चकडोल ( -ळ) पुं० पालने जैसी डोलीका बना, नीचे ऊपर चक्कर खानेवाला एक झूला ; हिंडोला (२) घुमड़ी चक्कर । [चकडोळे च = हिंडोलेमें बैठकर झूलना (२) नशा छाना, चढ़ना (३) उलझन में पड़ना; मन डोलना (४) बारबार स्थगित - मुल्तवी रहना. ] चकती स्त्री० छोटा गोल चपटा टुकड़ा; चकती चतुं न० किसी खाद्य वस्तुका गोल For Private and Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५८ श कोनेदार टुकड़ा; कतला (२) चकलं न० मुहल्लेके बागेकी खुली जगह, पकता (चमड़ी परका निशान) चौक (२) चौमुहानी; चौराहा; चौक पशामक पुं० चकमक (२) स्त्री चिन- चकलो पुं० चौक या उसमें लगनेवाला गारी (३)चमक ससक (४)तकरार; बाजार सगड़ा [ला.] । कारवी तकरार पकलो पुं० नर चिड़िया; चिड़ा होना; बखेड़ा होना.] [गोल-गोल बकवी स्त्री० चकवाकी; चकई पारकर न० घूमते चक्रकी तरह कबो पुं० चक्रवाक; चकवा बकरी स्त्री. चकफेरी; गोल-गोल चकळव(-वि)कळ वि० (२) अ. घूमना; चक्कर खाना (२) घुमड़ी; आकुल-व्याकुल; हक्का-बक्का . सिरका घुमाव (३) चकई; गोला- चकाचक अ० चकाचक; तृप्त होकर कारमें धूमनेवाली चकती (४) गोल- चकाम(-) न० चकत्ता गोल फिरे ऐसा एक खिलौना; फिरकी; बकास सक्रि० छान-बीन करना चकई।[-रनाम्बी-भरमाना; भुला- चकित वि० चकित; दंग बेमें गलना] खेलनेका एक खेल चकोत न०,(-रो) पुं० एक तरहका बकरती भारती स्त्री० वृस बनाकर बड़ा नीबू; चकोतरा। पकरईन चक्र चाफ (२)शून्यसिफ़र चकोर वि० चालाक; सतर्क; चंट बकर ममर ब० वूमते चक्रकी तरह (२) पुं० न० चकोर (पक्षी) बकर बकर ब० चक्कर आनेसे मूछित पाकर वि० घनचक्कर; पागल; बौड़म (२) चक्रकी तरह इधर-उधर घूमना (२) न० चक्का; पहिया (३) दौरा पौर मुड़ना; चकराना लगाना; घूमना (४) घेरा; जमघट; चकरायो पुं० चक्कर; घेरा (२) गोलाकार (५) (जेलमें) गोलाकारमें परिषि; फैलाव (३) चक्रव्यूह; मकानोंकी कतार (६)घुमड़ी; सिरका चकाबूह। [-सावो चकरावामा पर घुमाव; गश; चक्कर (७) गोला= लंबा चक्कर काटते हुए जाना; कारमें घूमना; चक्कर खाना। चकाबूहमें पड़ना.] [-आवां सिरका चक्कर खाना (२) बकरी वि० गोलाकार; गोल; उदा. गश खाना। -मां पर = फंसना; 'चकरी पापडी' (२) स्त्री० सिरका उलझना (२) खटाईमें पड़ना (३) धुमाव; घुमड़ी; चक्कर घाटा होना; उदा. 'सो रूपियाना पकली स्त्री० चिड़िया; गोरैया (२) चक्करमा आवी गयो'.] (नलकी) टोंटी; पानीकी कल [ला.] चक्की स्त्री० चक्की (२) घानी (३) पानीका नल। -मानी ने चक्कु न० देखिये 'चाकु' फरको मोटो-छोटे मुंह बड़ी बात; चक्रम पुं० पागल, बौड़म मनुष्य बूतेके बाहरकी बात. बकवृद्धि वि. चक्रवृद्धि; जो सूद-दरसूद चकलं न० चिड़िया; पखेरू; उदा. लगाया जाये 'चकना बहु साई बाय बना स० क्रि० पखाना For Private and Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोळ पनडोळ न० देखिये 'चकडोळ' बगबई स० क्रि० पांवों तले कुचलना; पोरसे दबाना; रौंदना जाना बगदा अ० क्रि० कुचला जाना; राँदा पगई ब० क्रि० आकाशमें-ऊंचे उड़ना (२) आनन्दविभोर होना; चहकना पषवं अ०क्रि० जलन होना; छरछराना; चुनचुनाना (२) 'चरचर आवाजके साथ जलना; चरचराना (३) मनमें दुःखी होना; कुढ़ना; जलना ला.] बचनाट पुं० चुनचुनाहट; जलन बपरम०कि० छरछराना; जलन होना पपराट पुं० छरछराहट; काट; जलन पधूको (-) पुं० चिआं; चिंचा बच्चार वि० चार-चार घट स्त्री० चिता; सोच; फ़िक्र (२) जिद; हठ (३)अ० चटसे (४) चाटपोंछकर; चट (कर जाना) खाना। [-बईने, लईने चटसे; तुरन्त.. पटक वि० चटकदार; गहरा; शोख; उदा० रातुं चटक' (२) स्त्री० लज्जत; स्वाद (३) मनकी चुभन; दंश [ला.] पटकदार वि० स्वादिष्ठ, लज्जतदार (२) चटकदार; चटकीला (३) मनको भानेवाला (४) मनोभावोंको भड़कावे, उकसावे ऐसा (लेख,माषण) पटकमटक वि० रसिक; नखरेबाप (२) स्त्री० चटकमटक घटक सक्रि० डंक मारना (२) मनमें चुभना [ला. (३) अ० कि. (चांदनीका) चटकना । पटकाव, स०क्रि० डंक मारना; काटना (२) मनमें चुभना परकी स्त्री० उत्कट मनोभाव; चुभन (२) चुटकी (३) मोहिनी (४) सोहावना, खुलता लाल रंग चटकं न० बूंद; छींटा घटको पुं० दंश; इंक (२) [शा.) तीव्र मनोभाव; चुभन (३) स्वाद चसका। -सागवो डंक लगना(२) मनमें चुभना (३) चसका लगना.] चटचट अ० झटपट; तेजीसे चटणी स्त्री० चटनी चटपट अ० झट-सट; ताबड़तोड़ चटपटी स्त्री० चटपटी(२)घबड़ाहट छटपटी; संताप चटई अ.क्रि. दिलको चोट लगना। चटीज = दिल पर चोट लगना.] चटाई स्त्री० चटाई स्वाद चटाको पुं० मनकी चुभन; दंश (२) चटार स० क्रि० चटाना चटापटा पुं०व०० रंगबिरंगीधारियाँ बदर वि० चटोरा; जिभला (२) घूसखोर चटोपट(-१)अ० चटाक-पटाक तेजीसे भट्ट अ० देखिये 'चट' चट्ठा अ० चट (कर जाना); खत्म पकतर(-री)स्त्री० चढ़ा-उतरी चम्पर अ० चड़-चड़से . परचर अ०कि. चड़-चड़ आवाज करना; तड़तड़ाना (२) तड़कना; चर्राना; घावमें खुश्कीके कारण तनाबसे दर्द होना; चरचराना [चढ़ाई चरण (उ') न० चढ़ाववाला रास्ता; बस्ती (')स्त्री उन्नति (२)बढ़ोतरी बढ़ती ... [उत्थान-पतन पस्तीपरती (')स्त्री० चढ़ती-पड़ती; च (ड') वि० बढ़ता, ऊँचे उठता हुबा (२) बढ़िया । [पस्तो वहाणे For Private and Personal Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चम बढ़ता हुआ दिन (२) उगता सूर्य ( ३ ) समृद्धिके दिन (४) (स्त्रीके) सगर्भावस्थाके दिन. ] चडप ( ० चडप) अ० चटसे; त्वरासे चडभड स्त्री० बढ़-चढ़कर बोलना; खीज; गुस्सा डमड अ० क्रि० गुस्सा होना; (किसी पर) बिगड़ना; झगड़ा मोल लेना; अधीर हो उठना भाट पुं० गुर्राहट; खीज; गुस्सा चड (ङ) स०क्रि०; अ०क्रि० चढ़ना (२) बाढ़ पर होना; बढ़ना; तेज, महंगा होना ( पानी, आवाज, सूजन, भाव आदि ) (३) सवार होना; उदा० 'घोडे चडवं' (४) चढ़ाई करना; उदा० गुजरात पर चडी आव्यो' (५) पकना; सीझना; उदा० 'भात चडी गयो छे' (६) गर्वसे इतराना; फूलना (७) गुस्सा होना; खीजना; उदा० 'चडी चडीने बोले छे' (८) तंग - चुस्त होना; कसना; उदा० 'कपड़े चडी गयुं' ( ९ ) से बढ़िया ठहरना ( १० ) - का असर होना; का रंग लगना; नशीली चीजोंका असर होना (११) ज़िद पर आना; उदा० 'ते हठे चड्यो छे' (१२) ( बाकी) बचना ; इकट्ठा हो जाना; चढ़ जाना; उदा० 'काम, उवराणी, रजा इत्यादि चयां छे' (१३) चढ़ाया जाना; चढ़ना; उदा० 'हनुमानने तेल चडवुं; पीठी चडवी' (१४) देवादिको भेंट किया जाना; उदा० 'देवने फूल, नाळियेर चडवु (१५) काग़ज़ या खोल चढ़ाना । [पडी बेस = सवार होना (२) -- १६० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिरजोरी करना (३) मर्यादा लांघकर बरतना; हुकम न मानना । बडी बाग = बहकना (२) मुंह लगना; मर्यादा लाँघना । वडधे घोडे आव = उतावली करते हुए आना. ] चडवो पुं० मिट्टीका छोटा जलपात्र; कुल्हड़ [(३) ममत्व; अहंकार चडस पुं० चरस (२) व्यसन; चसका साडसी (ड) स्त्री० प्रतियोगिता; चढ़ा - उपरी सी (ड) वि० आदी; व्यसनी (२) अहंकार, ममत्व रखनेवाला; हठी चढाई (डा') स्त्री० चढ़ाई सेनाका आक्रमण aria (डा' ) वि० फूलकर कुप्पा हो जानेवाला (२) झट गुस्सा हो जानेवाला; तुनकमिजाज (३) ( जमीनको ) अनुकूल आनेवाला; गुणकारी ( ४ ) सवारीके योग्य 'वडाऊतर (डा') स्त्री० देखिये 'बडऊतर' [होड़ घडाघडी (डा') स्त्री० चढ़ा-चढ़ी; स्पर्धा; चडाण (डा') न० चढ़ाव; चढ़ाई चढाव (डा') पुं० ऊंचाई (२) उत्तरोत्तर ऊँची होती जानेवाली जमीन (३) ऐसा मार्ग (४) बढ़ती; वृद्धि (५) सेनाका आक्रमण चडावj (डा' ) स० क्रि० चढ़ाना (२) चढ़ाई करनेको प्रेरित करना; उकसाना (३) चट कर जाना; उदरस्य [बढ़ावा; उकसाना 'चा (डा' ) पुं० देखिये 'चडाव' (२) चडियातुं (डि') वि० बढ़िया चड्डी स्त्री० जाँघिया; चड्डी चढऊतर स्त्री० देखिये 'चडऊतर' चड स०क्रि०; अ०क्रि० देखिये 'घट' करना For Private and Personal Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १६१ चढाई, चढउ, चढाऊतर, चढाच, चढाण, चढाव देखिये 'चडाई' आदि araj स० क्रि० चढ़ाना यातुं वि० देखिये 'चडियातुं' चण (ण) स्त्री० चुगा; चुन; चुग्गी चर्ण स्त्री० लहँगे आदिकी शुत्रदार सिलाई [ (२) उसकी रीति क्षणतर न० चुनाई; (दीवारकी.) जोड़ाई खवं स०क्रि० ईंटें जोड़ना; चुनना चण अ०क्रि० चुगना धर्मासार पुं० चनाखारं चणापणी स्त्री० हरे चनेका पौधा ; बूट (२) ऐसे पौधोंकी पूली; जुट चणिया (णि) न० चौखटक लकडीका छेद जिसमें किवाड़ घूमा करता है; ; चूल । [ खसी जयं = दिमाग़ खिसकना (२) नुक़सान होना. ] चणियो पुं० लहँगा; घाघरा चणी स्त्री० चनेकी एक जात ; छोटा चर्नी चणीबोर न० चनेके जितना छोटा बैर; झड़बेरी 1:12 *** है [ चणोठी स्त्री० घुंघची, गुंजा (बैल) (२) गुंजा-फल (३) एक मान; रती चतुराई स्त्री० चतुराई होशियारी 'चतुं वि० देखिये 'छतु' चतुपाट वि०' पूरा चित; चारों खाने चित चापाट अ० पीठके बल; अंटाचित वसुं (०पाट) देखिये 'चतु' आदि चनोठी स्त्री० देखिये 'चणोठी' चप अ० झट चटसे; एकदम चपकावयं स०क्रि० गरम करके चांपना (३) चिपकार्ना (३) छौंकना - 'चपचप अ० 'चप-चप' आवाज के साथ (२) झटपट तेजीसे पचपुं विचिपचिपा और ग. हि- ११ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न चपट वि० चिपका हुआ; चिपटी सटा हुआ [ चपटी चपटु वि० चिपटा, बैठा या पैसा हुआ; चपटी स्त्री० चुटकी (२) उसमें पकड़ी जाय उतनी मात्रा; चुटकीभर चीज (३) बीचकी उँगली पर अंगूठेको दबाकर छटकानेसे होनेवाली आवाज; चुटकी (बजाना ) (४) चुटकी बजानेमें लगनेवाला समय; थोड़ी देर (५) चुटकी (भरना, काटना) । [-मां उडावj = शुमारमें न लेना; कुछ समझना (२) मजाक उड़ाना. ] चपटी पुं० बड़ी चुटकी चपाला स्त्री० साफ़ की हुई लाख की चिपटी गुल्ली; चपड़ा चपण ( - णि, - गुं) न० चपनी, सकोरी (२) चमला; भिक्षापात्र [दुरेजा ware न० काग़ज़का टुकड़ा; परचा; चपरास स्त्री० चपरोस (सिपाही, अरदली आदिकी) (२) किवाड़को चौखट से जोड़नेवाला लोहे या पीतलका पुरजा; कब्ज़ा (ई) बड़ाई; प्रशंसा चपरासी पुं० चपरासी; 'पटावाला' चपस अ० क्रि० चपिना; चापना; 'जोरसे दबाना (२) अपनी जगह पर ठीक बैठना 7 7 चपळ वि० चपल; चंचल (२) होशियार चपाट स० क्रि० संपाटेसे खान; ' चट कर जाना For Private and Personal Use Only क चपाटी (सी) स्त्री० चार परितवाली रोटी (२) मोटी रोटी चपेट (टी) स्त्री० चपेट ; तमाचा (३) शिकंजा दबाव काबू (प्रेत-बाधक लिए) (३) नुकसान, आफत पोचप अ० एकदमे घटसे; झटेट Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चमोल पोतयं न० कागजका टुकड़ा; पुरजा चप्पट वि० देखिये 'चपट' चम्पण ( - नियं) न० देखिये 'चपण' पुं०; न० देखिये 'चाकु ' बरकी (खी) स्त्री० कागजका छोटा टुकड़ा; चिट [ वाचाल were fa० चरबांक; चंचल ( २ ) चावलुं वि० ज़रूरतसे ज्यादा अक़लमंद चबूतरी स्त्री० छोटा चबूतरा (२) पक्षियोंके बैठने और दाना चुगनेकी चबूतरी चबूतरो पुं० थाना पुलिस चौकी ( २ ) कर वसूल करनेका स्थान; नाका ( ३ ) चौतरा ; चबूतरा ( ४ ) पंखियोंको चुगा डालनेका पक्का स्थान चबोळवं स० क्रि० गालियाँ बकना चमक स्त्री० चमक; झलक (२) (कंप या ऐंठके कारण शरीरका ) तनाव; तनना ( ३ ) ताज्जुब (४) पुं० चुंबक; लोहकान्त मणि चमक अ० क्रि० चमकना; झलकना (२) चौंकना (३) चाल अच्छी न होना; हाथसे जाना चमकाट पुं० चमक; चमकारा (२) वातोन्मादका आवेश ( ३ ) हाथ से जाना; बहकना चमकार (-रो) पुं० तनाव; कंप ( २ ) चमकारा; झलक (३) 'चम चम ' आवाज़ चमकाव स० क्रि० चमकाना; चमचमाना (२) (थप्पड़ ) रसीद करना; पीटना बची स्त्री० छोटा चमचा; चमची बनची स्त्री० पान-सुपारी आदि रखनेकी खास थैली; बटुआ १६२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चपराव म पुं० चम्मच; चमचा चमर स्त्री० बाल या पर ( २ ) स्त्री० ; न० देखिये 'चम्मर' चमरणुं न० चमरख चमरबंध पुं० चमड़ेका पट्टा मरबंधी बि० (जिसने ) कमरमें चम डेका पट्टा बाँधा हो (२) शूरवीर और धैर्यवान ( ३ ) पुं० वह व्यक्ति जिसने कमरबन्द बाँधा हो चमरी स्त्री० चमरी; मंजरी ( २ ) फूलकी मंजरीके जैसी ऊनी या रेशमी कारीगरी (३) घोड़ेकी पूँछके बालोंकी बनाई हुई चंवरी; चंवरी चमरीगाय स्त्री० चमरी; सुरा-गाय चमार पुं० चमार (२) वि० उस जातिका चमेली स्त्री० चमेली (लता) चम्मड वि० चमड़े जैसा ; चिमड़ा; चीमड़ (२) कृपण; कंजूस चम्मडतोड वि० कंजूस; बखोल चम्मर स्त्री० ; न० चँवर; चामर; चमर चर अ० चरसे ( कपड़ा आदि फटने का शब्द करते हुए) For Private and Personal Use Only पर स्त्री० खाई; नाली (२) भाड़; भट्ठा चरकबुं अ० क्रि० चिरकना (खासकर पक्षियोंका ) [ कड़वा ; बेस्वाद चरकुं ( - ) वि० चरपरा और थोड़ा चरलो पुं० रूई ओटनेकी चरखी; ओटनी ( २ ) मिल ( ३ ) खराद चरचर अ० जलनेकी आवाज़ करते हुए; चड़चड़से (२) तेजीसे; जल्द (३) स्त्री० चरचराहट; 'चर-चर' आवाज (४) छरछराहट ( ५ ) चिंता; सोच [ला. ] चरचरनुं अ० क्रि० देखिये 'चचर' चरचराट पुं० देखिये 'चचराट' Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चरड अ० कपड़ा वग़ैरह फटनेका शब्द; चरसे (२) जूते से निकलनेवाली आवाज़; चरमर चरण पुं०; न० चरण; पाँव ( २ ) कविताका पाद; छंदका एक पाद; चरण; मिसरा । [ - सेवव = चरणका आश्रय लेना; पैर पकड़ना.] चरबी स्त्री० चरबी; मेद (२) मद; अभिमान [ला. ] । [ -करवी, करडवी = छेड़छाड़ या नटखटी करना (२) रोब या जोर दिखाना । चडवी, arat = चरबी चढ़ना; घमंड करना. ] चरबुं अ० क्रि० चलना; फिरना (२) ( पशुओंका ) चरना (३) कमाना; पैदा करना ['चडस' आदि चरस, चरसाचरसी, चरसीलुं देखिये चराई स्त्री० पशु आदिको चरानेकी मज़दूरी; चराई चराण न० चरान; चरागाह; गोचर (२) चराने की मज़दूरी; चराई चरामण न०, ( - जी) स्त्री० चराने की मजदूरी; चराई चरावयुं स०क्रि० चराना [ चरित चरित न० चरित; आचरण ( २ ) जीवनचरित्र न० आचरण; व्यवहार ( २ ) जीवनचरित्र; जीवनी ( ३ ) चरित्तर; कपट; पाखंड [ला. ] बरी स्त्री० परहेज [ चय च पुं० चौड़े मुंहका एक बरतन ; देश; परेडो पुं० दिलको धक्का लगना; . धड़का ; डर; कलेजा फटना (२) चीरा धरो (रो' ) पुं० चरी; गौचरभूमि चर्च स० क्रि० चर्चा बहस करना (२) निंदा करना (३) चरचना; चंदन बादिका लेप करना १६३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir DES चर्चा] [स्त्री० चर्चा; बहस; जिरह ( २ ) निंदा (३) लेप चर्चापत्र न० समाचारपत्र में आया हुआ चर्चा- विवेचनात्मक लेख या पत्र; संपादक के नाम पत्र चर्चापत्री पुं० समाचारपत्रमें चर्चात्मक लेख या चर्चापत्र लिखनेवाला चर्चां अ० क्रि० चर्चा होना चलन न० जोर; सत्ता चलती (२) प्रचलित सिक्का चलन ( ३ ) रीतिरिवाज; चलन चळणी वि० जिसका चलन हो; चलनसार; चलता (सिक्का) बलम स्त्री० चिलम चलव स० क्रि० देखिये 'चलाव' चलाउ वि० चलाऊ; टिकाऊ चलाणी स्त्री० पेंदेदार छोटी कटोरी; छोटा प्याला [ छालिया चलाणुं न० पेंदेदार छोटा कटोरा; चलाव स० क्रि० चलाना चला अ० क्रि० चलाया जाना चलू न० छोटा कसोरा; छोटा प्याला (२) मिट्टीकी लुटिया ; कुल्हिया बल्लं न० गौरवाकी जातिका छोटा पक्षी; चिड़िया चलं न० चुल्लू, अंजली चब वि० चीमड़; चिमड़ा चवडाववं स० क्रि० चबवाना चव वि० चीमड़ (२) न० ( हलकी ) फाल; कुसी बबराव स० क्रि० चबवाना चवाणुं न०- चबेना; चवैना: अ० क्रि० बड़ा जाना सुं न० चश्मा; ऐनक [ आवर्याः = कम दिखाई देना (२) घमंड For Private and Personal Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ........... ... . . . होना; चरवीं चढ़ना। चश्मा परी जवां गुस्सा होना; तेवर बदलना (२) सही वस्तु न दिखाई दे ऐसा होना.] चश्मेषव वि बिना ऐनकके बिलकुल देख न सके ऐसी आँखोंवालाचसक स्त्री० रंग या संधिस्थलके स्नायुके यकायक होनेवाले तनावसे उठनेवाली पीड़ा; हुक; चमक चसक अ० कि० छटंकना; खिसकना (२) दिमागे ठिकाने में रहना :: चसको पुं० चमक; हुक (२) तलब; चाव (३) लेत; चसका (४) माजनखरा; चाव-चोचली। [-आवो, नांखवो, मारवो = टीस' या चिलक उठना; शूल उठना। -लागवो लत या आदत पड़ जाना; चसका लगना) चसासाट अ० कसकर; मजबूतीसे (२) गट-गट (पीना) (३) पुं० चुस्त होना चसमपोशी स्त्री० चश्मपोशी चसमुं न० देखिये 'चश्मुं' चसअ० क्रि० खिसकना; हिलना बहेरी पु० चेहरा'। [-पडवों, पडीजवो = चेहरा उतरना; मुंह लटकना] चळ वि० चल; अस्थिर चळ (ळ,) स्त्री० खुजली; चुल (२) हड़बड़ाहट; चटपटी [ला. [-आवो, पवी = छटपटी होना (२) खुजली उठना; चुलचुलाना] FAF चळक स्त्री० झलक; चमक (२) चमक दार टिकली; सितारा चळक, अ० क्रि० चलकना; चमकनी चळकाट पुं० चिलक, चमक, प्रकाश बळको स्वाम चिलक (२) चमकनेवाला पचाजका छिड़का, उदा कपडा पर चळकी छटावी = THETK चळवळ स्त्री० चटपटी; उतावली (२) हलचल; आंदोलन : चळवळियं वि० हलचल मचानेवाला चळवं अ० क्रि० डिगना; हटना; खिसकना (२)पतित होना; च्युत होना पळाई स्त्री० छाननेकी मजदूरी चळामण न० छाननेकी उषत (२) छाननेके बाद चलनीमें बचनेवाला भूसा, चोकर आदि; बूर; चलनौस चळाव_ सक्रि० 'चळवू', 'चाळ,' का प्रेरणार्थक घळावं अ० क्रि० 'चाळवू'का कर्मणि (२) 'चळवू' का भावे चळं न० चुल्लू; आधी अंजली; अचवना (खानेके बाद हाथ-मुंह धोते समय) चंगी (मंगी) वि० भाँग-गाँजेमें पूर रहनेवाला; भंगड़, मंगेडी-गजेडी (२) व्यभिचारी चंगु वि० चंगी; तंदुरुस्त :.. चंचवाळवू सक्रि० (चोंचमें समाये इतना) थोड़ा थोड़ा मुंहमें लेकर स्वाद लेना; चुभलाना (२) जल्द खत्म न करना [ला.] (३) सहलाये जाना हाथ फेरना चंचळ वि० चंचल; अस्थिर; डीवीडोल (२) 'चुलबुला (३) क्षणिक; फ़ानी (४) चालाक, होशियार । चंचु(-चू) पात, चंच (-) प्रवेश पु. चोंच डुबाना (२) अल्प परिचय; चर्चप्रवेश [ला.] बंगल(-) वि० चंडाल; चांडाल; निर्दय; घातक (२)पापी; नीच (ो पुं० एक जातका अंत्यज; चांगल (४)जल्लादा; हत्यारा (५) नीमकर्म करनेवाला व्यक्ति वांडाल का For Private and Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org इंकाळचोकडी चंडाळचोकडी स्त्री० कुकर्म करने वालोंकी टोली F चंडूल पुं० चंडू चंडोल ( -ळ ) पुं० चंडूल (पक्षी) चंदन न० चंदन, संदल (पेड़, लकड़ी ) (२) चंदनका लेप ; चंदन ( ३ ) तिलक ; टीका । [ (चोख) चंदन जेवुं = बिलकुल साफ़.] चंदनघो पुं० चंदनगोह [ कंठका) चंदनहार पुं० चंदनहार (स्त्रियोंके चंदनी, स्त्री० चाँदनी (२) चंदोवा ; छत; चाँदनी ( ३ ) एक वनस्पति ; बारहमासी; गुलचाँदनी बंदरवो पुं० चंदोवा; चंदवा; छत (२) चाँदनी ; छतगीर चंदी स्त्री० घोड़े या बैलको दिया जानेवाला कोरा दाना; चंदी ( २ ) [ ला. ] रिश्वत चंदो पुं० चंदामामूं; चाँद (२) धातुकी चादर पर लिखा हुआ बख्शिशनामा; ताम्रपत्र (३)चेहरा; मुखाकृति ( ४ ) ट्रोपीके ऊपरका गोल भाग; चंदवा (५) टीका; तिलक (६) मुहर; छाप चंपल पुं०; स्त्री०; न० चप्पल चंपावतुं स० क्रि० चपवाना; दबवाना चंपा अ० क्रि० चँपना; दबना; चाँपा जाना (२) मैले पर पाँव पड़ना चंपी स्त्री० चप्पी; धीरे-धीरे पाँव दबाना चंपो पुं० चंपा; चंपक वृक्ष चंबु पुं० सुराहीनुमा एक बरतन ( २ ) कूज़ा; सुराही चंबेली स्त्री० चंबेली; चमेली चा (चा' ) पुं०; स्त्री० एक पौधा (२) उसकी पत्तियोंका पेय; चाय चाऊर, चामोळ न ० बीज गिराकर अवाज १६५ बनेका बाँसकी नलियोंवाला साधन; बाँसा सेल Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाक वि० चाक़; चुस्त ; स्वस्थ चाक पुं० चाका; पहिया; चक्र (२) कुम्हारका चक्र, चाक (३) चक्की गोल गति; चकारमें घूमना; चक्रगति (४) जूड़े में पहननेका एक गहना । [-आपको, देबो = गोल-गोल घुमाना । चाके चडवु = गोल-गोल घूमना (२) कुम्हारके चाक पर चढ़ना या रखा जाना (३) खूब चर्चा चलना; बदनाम होगा ( ४ ) मस्तीमें आना; मतवाला होना; छकना; उदा० 'हमणांनो ए बहु चाके चडयो छे' ] चाक पुं० चॉक; खड़िया मिट्टी; खड़ी चाडो पुं० कुम्हारका चक्र, चाक चाकण (ण) स्त्री० दोमुंहा, अंधा साँप, गूंगी C. चाकर पुं० चाकर; नौकर चाकरडी स्त्री० चाकरनी; नौकरानी चाकरियात वि० चाकरी करनेवाला (२) पुं० नौकर चाकर चाकरी स्त्री० चाकरी (२) खिदमत; सेवा - टहल ; तीमारदारी । [ -उठाववी = तीमारदारी, सेवा करना. ] चाकळ (०ण) स्त्री० देखिये 'चाकण' चाकळो पुं० चकला; रोटी बेलनेका पाटा; चौका (२) कुँएसे पानी निकालनेकी मोटकी बड़ी घिरनी, चरखी (३) गोल या चौरस गद्दी (खासकर चमड़े की ) चाकी स्त्री० कील, स्क्रू आदिके साथ • इस्तेमाल की जाने वाली पेचवार या बगैर पेचकी धातुकी गोल चकती; #sh For Private and Personal Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढिबरी (२)गोल गठरी (३)व्यवस्थित रीतिसे लगाया हुआ ढेर; चक्का चाकु पुं०; न० चाकू चाकुं न० बड़ा टुकड़ा; टॉकी (२) थक्का (३) खजूरका गट्ठर " चाकू पुं०; न चान; छुरी चासडी स्त्री० खड़ाऊँ; पांवड़ी चालवं सक्रि० चाखना; चखना (२) स्वादके लिए खाना, चखना [ला.] चाट वि० झेंपू; खिसियाना चाट (ट,) स्त्री० कुत्तों आदिको खाना डालनेका पात्रविशेष (२) खानेका . चसका; चाट [चोट बाट स्त्री० चांटा; तमाचा (२)ताना; चाटण न० चाटना; चाटनेकी क्रिया (२)चाटनेकी औषधि ; अवलेह .. पाटणियं वि० चटोरा; जिभला.... चाटणुं न०चाटकर खानेकी दवा अवलेह चाटलं न० दर्पण; आरसी बाट स० कि० चाटना; स्वाद लेना; जीभ फेरना . [पौना(२)चप्पू चाटवो पुं० काठकी बड़ी करछी; डौवा; चाटूडी स्त्री० काठकी छोटी करछी; छोटा डौआ [चरबाँक चाई वि० जरूरतसे ज्यादा अक्लमंद्र; चादूई वि० जिसे चाट खानेका चसका हो; चटोरा (२) घूसखोर चाटो पुं० अवलेह; चटनी चाळू न० चकत्ता; ददोरा चारियण वि०स्त्री० एककी बात दूसरेको कह देनेवाली; चुग़लखोर स्त्री चारियं वि० एककी बात अन्यको कहनेवाला; लुतरा; चुगलखोर चारियों पुं० दुबला-पतला व्यक्ति (२) चिड़ियों, बंदरों आदिको डरानेके लिए बनाया जानेवाला मनुष्य जैसा पुतला; धूहा; बिजूका; धड़का (३) गाँवका-मुहल्लेका दुष्ट व्यक्ति (४) वि० पुं० चुगलखोर; लुतरा चाडी स्त्री० एककी 'बात दूसरेको कह देना; चाड़ी।[-करवी, खावी -चुग़ली खानाः [लाई-लुतरी घाडीचुगली स्त्री० चाड़ी; चुग़ली; चाई न० गोफनका ढेला रखनेका फंदा (२) दीवार आदिमें दीया रखनेके लिए लगाया जानेवाला लकड़ीका टोड़ा; दीवारगीर (३) मुखड़ा; चेहरा (तुच्छकारमें) (४) थाला चादर स्त्री० चादर; चद्दर । [-ओढवी = चादर शरीर पर ओढ़ना (२) दिवाला निकालना। -ओढाडवीचादरसे ढाँकना (२) महंतकी मृत्युके बाद उनके वारिसको गद्दी पर बिठाना (३) तबाह करना; दिवाला निकलवाना.] [या बिछौना चादरं न० चादरसे बड़ा रंगीन ओढ़ना चावानी (चा')स्त्री० चायकी केतली; चादानी चानक स्त्री० चिंता; खटका (२) चेतावनी (३) जागृति; चालाकी। [-आपवी चेतावनी देना।-आववी, लागवी=सोच, फ़िक्र करना; चेतना। -राखवी = सतर्क रहना (२) सोच, फ़िक्र करना.] चानकी स्त्री० दिया; छोटी रोटी चानकुं न० देखिये 'चानकी' चापचीप स्त्री० टीप-टाप (२) चिकनाई; जरूरतसे ज्यादा अक्ल इस्तेमाल करनेकी आदत चापट स्त्री० चपत; तमाचा For Private and Personal Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६७ चापडो पुं० किसी चीजको कसकर चार वि० चार; ४ (२) कुछ; कई बाँधनेंका बंध; पट्टी; बंद; चिप्पड़ (३) थोड़ा; अल्प ।[-आँख थवी, चाप, न० हाथ या पैरका उँगलियों- करवी =ऐनक आना (२) गुस्सा वाला भाग; तली होना (३) चार आँखें होना; देखाचापाचीप स्त्री० देखिये 'चापचीप" देखी होना। -बोल कहेवा = ज़रा चापाणी (चा') न० ब० व० चाय या सीख या उलहना देना। चारे हाथ चायके साथका कलेवा; चाय-पानी होवा = कृपादृष्टि होना । चारे हाथ (२) स्वागत या विदाई समारंभका हेठा पडवा = कोई चारा या आधार जलपान [भाग; तली न रहना. . चा' (-) न० पैरका उँगलियोंवाला चारखूणियुं वि० चौकोना; चौकोर चाबखो पुं० चाबुक; कोड़ा (२) चारखूट वि० (२)अ० चौकोर; चौखूटा लगनेवाली बात-मार्मिक वचनाला.। चारण पुं० राजाओंका यशोगान और [चाबखा मारवा = व्यंग्य या मर्मभेदी बखान करनेका पेशा करनेवाली एक वचन कहना.] जातिका मनुष्य; चारण (२)वि. उस चाबुक पुं० चाबुक; कोड़ा जातिका चामळु न० चकत्ता; दारा; सांट चारणकाव्य न० 'बॅलर्डचामड वि० चमड़े जैसा चिकना चारणी वि० चारणका; चारणसे संबद्ध चामडियण स्त्री० चमारिन (२)स्त्री भाट-चारणोंकी कविताकी चामडियो पुं० चमार भाषा (३) चारण स्त्री .. चामडी स्त्री० चमड़ी। [-आववी = चार, स० क्रि० (ढोर) चराना (२) घावका भर जाना; घाव पर नई मोहरा, गोटी, गोट चलाना चमड़ी आना।-सोडी नाखवी= खूब चारसोवीस वि० स्त्री० 'पेनल कोड पीटना; चमड़ी उधेड़ना.] की ४२० वीं धारा-धोखेबाज़ी, छलचामडं न० प्राणियोंकी शरीरसे अलग कपट आदिके लिए (२) वि० ऐसा की हुई खाल; चमड़ा (२) चमड़ी गुनाह करनेवाला; चारसौ बीस (तुच्छकारमें) । [चामडां रंगवा = चारियुं वि० जिसमें सिर्फ़ घास उगती सख्त पीटना; खूब मरम्मत करना ।- हो ऐसा (खेत) (२) मात्र घास-पात खराब थq = मार खाना। चूंथाq= खानेवाले ढोरका (घी) (३) न० शव ठिकाने न पड़ना (२) बेकार श्रम घसियारा; चरकटा (४) चारा बांधउठाना (३) (स्त्रीका) शीलभंग नेका कपड़ा; झोली होना; मर्यादा जाना (४), बदनामी चारो पुं० पशु-पंखीकी खुराक; चारा होना] [चामर वृत्त चारो पुं० चारा; उपाय (२) चलन; चामर पुं; न० चामर; चंवर (२) सत्ता चामाचीडियं न० चमगादड़ चारोळी स्त्री० चिरौंजी पार (र.) स्त्री० चारा; हरी घास चाल स्त्री० देखिये 'चाली' For Private and Personal Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाल पु० चाल; रीति-रिवाज ( चलनेका ढंग; चाल (३) गति; रफ्तार (४) (खेलमें)मोहरा चलाता या उसका दाँव (५)चलन; आचरण । [-पाडयो-रीति कायम करना; प्रथा शुरू करना। (-नी) बाले चालबुं की चाल-गतिके अनुसार चलना (२) का अनुसरण करना.] चालचलगत स्त्री०, चालचलम न० चाल-चलन; आचरण ((२) चारित्र्य; शील चालणगाडी स्त्री० बच्चोंको खड़े खड़े चलना सिखलानेकी गाड़ी; घुड़ला चालचलाउ वि० कामचलाउ चालती स्त्री० चलता बनना। [पकडवी = चलता बनना; पलायन करना.] चालबाजी स्त्री० गोटी आदि चलानेकी रीति या होशियारी (२) चालबाजी; चालाकी [ला.] चालवू अ० क्रि० चलना(२)किसी यंत्रका गतिशील होना; चलना (३)निभना; गुजर होना; उदा. 'आम आपणुं क्यां सुधी चालशे?'(४)टिकना; चलना; काम देना; उदा० आटला चोखा घणा दिवस चालशे' (५) असर होना; बस चलना; उदा० 'एनुं कई चालतुं नथी' (६) आचरण करना; अनुसरण करना (७) काझी होना; हो सकना; उदा. 'आमां आटलं दूध चालशे' (८) किसी प्रवृत्तिका गतिशील बनना; उदा० 'अहीं मसलत चाले छे' (९) चलन होना; प्रचलित होना। [चालता, रस्ते चालता- अकारण; वैसे ही (शगड़ा मोल लेना)। चालती बहेलमा बेसबू, बेसी - - बड़ोंके या विजयीके पक्षमें जा घुसना.] चालाक वि. चालाक ; होशियार; चंट (२)धूर्त ; काइयाँ चालाकी स्त्री० चालाकी; धूर्तता चाली स्त्री० किरायेकी अनेक कोठलियोंवाला बड़ा मकान; चाल बालु वि० चलता हुआ; जारी (२) हालका; वर्तमान चावडी स्त्री० पुलिस-चौकी; थाना चावडं न० बीज गिराकर अनाज बोनेका बाँसकी नलियोंवाला साधन; बाँसा; सेल चावणुंन० चना-चबैना चावq स० कि० चबाना चावळं वि० जरूरतसे ज्यादा अवल बघारनेवाला (२)चरबाँक ...... चावी स्त्री० चाभी; चाबी; कुंजी (२) उपाय ; गुर [ला.] | [-चडाववी-उकसाना; उत्तेजित करना; उभाड़ना।जडवी रहस्य या उपाय मिल जाना.] चास पुं० हल जोतनेसे बनी हुी गहरी लकीर; कूड [कसौटी चासणी स्त्री० चाशनी; शीरा (२) चासन वि० (२)अ० देखिये 'चाहन' चाह पुं० चाह; इच्छा (२)प्यार चाहन वि० (२)अ० जाहिर; खुले-आम चाहना स्त्री० देखिये 'चाह' । चाह, स० क्रि० चाहना(२)प्रेम करना चाहे अ० चाहे; मरजीमें आये.. बाळणी स्त्री० चलनी; छलनी चाळणो पुं० अनाज छाननेकी बड़ी छल नी; झरना; चलना । चाळवतुं सक्रि० कभी कभी उलट-फेर करना; फेरना (२)खपरैलीको फेरना For Private and Personal Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ठीक करना (३) अलग अलग तरीके से उपयोग करना (४) गोटी चलाना, चाळवं स० क्रि० छानना; चालना (२) खपरैलोंको ठीक करना फेरना (३) अच्छा-बुरा छाँटकर अलग करना; चुनना चाळा पुं०ब०व० नक़ल उतारना; स्वांग (२) नखरे; चोचला; हाव-भाव (३) नटखटी; शरारत । [ -पाडवा = किसीकी नक़ल उतारना. ] चाळाचसका पुं० ब० व० नाज-नखरे; हाव-भाव (२) आनाकानी ; टालमदूल चालीस वि० चालीस ; ४० चाळो पुं० नखरा; मटक (२) लक्षण; निशान; चिह्न चांउ करवुं, करी, बबुं हजम कर जाना; धोखा देकर या भय दिखाकर ...ले लेना; हड़पना; माल मारना चांगळं (०) न० चुल्लू; चार उँगलियोंकी अंजली चांच (०) स्त्री० चोंच (२) चोंचके जैसी नोकदार चीज ; नोक; उदा० 'पाघ. डीनी चांच' । [-बूंपवी, यूजवी, बूडवी= समझ में आना; अक्लका काम करना; कुछ करनेके लिए शक्तिमान होना. ] (०) पुं० पिस्सू पांचो (०) पुं० ती [ डकैत चांचियो (०) पुं० जहाजी डाकू; जलचांडाळ वि० (२) पुं० देखिये 'चंडाळ' चांद (०) पुं० चाँद ( २ ) पदक; बिल्ला चांदनी (०) स्त्री० चाँदनी ज्योत्स्ना (२) चंदोवा छत चांदर (०) न० तारोंकी धुंधली रोशनी (२) चाँदनी (३) छोटे छेदमेंसे आनेवाली रोशनीकी किरन १६९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 硎 चांदणुं (०) न० देखिये 'चादर' चांद (१) वि० सफ़ेद चित्तीदार (२) निरंकुश; मस्ताना [ला.] चांवलियो (०) पुं० चंदा ; चंदामामा चांदलो ( ० ) पुं० टीका । [ चांदले चोंटवं = = नसीब में लिखा जाना; पल्ले पड़ना . ] चांद (०) वि० सूटखट; शरारती (२) न० नटखटी; शरत 21 चांदी (०) स्त्री० चाँदी (धातु) । [ -जेवुं : बिलकुल उजला. ] = vit (०) स्त्री० एक संक्रामक रोग; उपदंश (२) जहांसे चमड़ी छिल गई हो या उभरी हो ऐसा छाला । [पडवी = छाला पड़ना. ] चांबुं (०) न० छेददार घाव व्रण उपदंश रोग ( २ ) घावका दाग़ ;) विकता (३) लांछन, दाग़ [ला. ] (४) छिंद्र; दोष [ गोल आकार चांदो (०) पुं० चाँद (२) उसके जैसा चांप (०) स्त्री० किसी भी यंत्र मा साधनको चलाने या बंद करनेकी कल; चाँप पेच (२) सिटकिनी ( ३ ) रोब; घाक [ला. ] ( ४ ) इशारा; चेतावनी (५) चिंता; फ़िक्र [-चढाववी : दाबनेके लिए कलका घोड़ा उठाना (२) उकसाना। -राजवी = दाब रखना; दबाव में रखना (२) चिता या फ़िक्र करना; सँभाल लेना. ] : ai (०) बि० सख्त : कडा ( २ ) जल्द असर करनेवाला # चांग (०) स० क्रि० चाँपना, दबाता (२) जलाना; झुलसाना ( ३ ) घूस देना [ला. ] ( ४ ) सना चांपुं (A) न०पके कटहलका बीजकोष कोया. For Private and Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाल्लो चाल्लो पुं० तिलक; टीका (२) ललाटमें चिपकानेकी बिंदी या टिकिया (३) मंगल अवसर पर दो जाती पैसोंकी भेंट ; बरोक; टीकेका रुपया (४)ठीक तरह नहीं गला हुआ (दालका) दाना। [-अमर रहो = (स्त्रीका) सौभाग्य अखंड रहो। -बोटवो, पवो इतने रुपयोंका बेकार खर्च होना (२) इतने रुपयोंका जुरमाना होना.] चिकाखाई स्त्री० देखिये 'शिकाकई' चिकार वि० भरपूर; चक; ठसाठस (२) लबरेज चिखल पुं० कीचड़; चीखल [प.]. चिचरको पुं० झूला चिनियारी स्त्री० किकियाना चिल्लाहट चिचूको (-) पुं० चिआं; चिंचा। चिचोगे पुं० ईख पेरनेका कोल्हू चिटनीस पुं० चिटनवीस चिठी स्त्री० चिट्ठी ; खत; पुरजा (२) मृत्युको खबर देनेवाली चिट्ठी; कहाक्त (३) सिफारिशी चिट्ठी ; सिफ़ारिशनामा।[-उपाउदी चिट्ठी उठाकर खास वस्तुके अधिकारीका नाम निश्चित करना। -नाखवी- उसके लिए चिट्ठी डालना.] चिडग, अ० कि. चिड़चिड़ाना; चिढ़ना चिडियल वि० चिड़चिड़ा चिटाणु वि० चीकट और बदबूदार चिंगारी स्त्री चिनगारी चितई न. चित; चित्त [प.] पितरामन न. चित्र (२)चित्रकारी चितराब स० क्रि० चित्र बनवाना चितार पुं० चित्र (२)हूबहू बयान चितारो पुं० चितेरा; चित्रकार चिताळ स्त्री० चीरी हुई लकड़ीका टुकड़ा; फट्ठा; चला चित्त न० चित्त; मन (२)ध्यान [ला.] चित्तो पुं० चीता चित्र न. चित्र; तसवीर चित्रकाम न० चित्रकारी चित्रो पुं० देखिये 'चीतरो' चिथरियं वि० देखिये 'चीथरेहाल' चिनगारी स्त्री० देखिये 'चिणगारी' चिनाई वि० चीनमें बनाया हुआ (२) चीन देशका; चीनी (३) चीनी मिट्टीका बनाया हुआ (४)नाजुक ; कम टिकाऊ मगर आकर्षक चिपासियं वि० कंजूस (२) बातका बतंगड़ बनानेका आदी चिवावलं वि० देखिये 'चबावलं' चिमोती स्त्री० चिचड़ी; किलनी चिराई स्त्री० चिरवाई; चीरनेकी उधत चिराग पुं० चिराग़; दिया (२) दियेकी लौ चिराडो पुं० देखिये 'चीरो' ['चिराई' बिरामण न०,(-णी) स्त्री० देखिये चिरावस० क्रि० चिराना; चिरवाना चिरा, अ.क्रि. चिरना;फटना;दरकना चिरूट पुं० ; स्त्री० चुरुट ; सिगार चिरोरी पुं० एक प्रकारका नर्म पत्थर चितव_स० कि० मनन करना; सोचना चिता स्त्री० चिता; फ़िक्र (२)विचार चीक पुं०; स्त्री० वनस्पतिमें से निकलनेवाला चिकना रस या दूध ; निर्यास चीकट वि० चिकना; चीकट (२)तेल, घी आदि लगा हुआ (३)न०; स्त्री० चिकनाई (४)चिकनी चीज़ (घी, तेल आदि) या ऐसे पदार्थ में रहनेवाला स्निग्ध,तरल-तैली तत्त्व चरबी ; फेंट' For Private and Personal Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चीsarj चीकटावुं अ०क्रि० घी, तेल आदिसे चिकटा होना; चिकटना; चिकनाना (२) घी, तेल लगा हुआ पदार्थ खानेसे रोग या फोड़ेका बढ़ जाना चीकटुं वि० चिकटा; चीकट (२) चिकना लसदार [ नापन चीकणाई ( -श) स्त्री० चिकनाई; चिकaroj वि० चिकना ; चिपचिपा; लसदार (२) [ला. ] कमखर्च; कंजूस (३) जरूरत से ज्यादा अक्ल इस्तेमाल करनेवाला; चिकनी चुपड़ी बातें करनेवाला काश स्त्री० चिकनाई; स्निग्धता चीकू न० चीकू ( पेड़ और फल ) वाटो (-डो) पुं० चिल्लाहट; चिचि[ गीत; चीज चीज (स) स्त्री० चीज़ (२) अच्छा चीटकबुं स० क्रि० चिमटना; पिंड न छोड़ना; लिपटना याना चीटुं वि० चिकना; चिकटा (२) न० मक्खन तपानेसे नीचे बैठनेवाला मैल; घृतमंड; किट्ट [ रत; चिढ़ चीड (ड') स्त्री० गुस्सा; रिस ( २ ) नफ़चीड न० चीड़ (वृक्ष) [ खिझाना atraj (ड) स० क्रि० चीडवावुं (ड') अ० क्रि० खीजना पीडिj (ड) वि० चिड़चिड़ा (२) न० चीणो पुं० एक प्रकारका मोटा अनाज ; चेना चिढ़ाना; चिढ़ना; [घुड़की; झिड़की चीत वि० चित; पटका उलटा (कुश्ती में) चीत (०) न० चित्त चीतर स० क्रि० चित्र बनाना; उरेहना (२) घसीट लिखावट लिखना; घसीटना १७१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चीतरी स्त्री० घिन; नफ़रत या नाराजगीसे छूटनेवाली कँपकँपी । [-बडवी घिनसे कँपकँपी छूटना.] चीतरी पुं० चीता (२) एक प्रकारका साँप, चीतल [ चैला चीतळ स्त्री० चीरी हुई लकड़ीका फट्ठा; पीतळ पुं० एक प्रकारका साँप ; चीतल चीथडुं न० चिथड़ा; चीथड़ा ater, atre, चीयरेहाल देखिये 'चथरी' आदि. चीनी वि० चीनी ; चीन देशका ; चीनसे संबद्ध (२) स्त्री० एक प्रकारकी सफ़ेद मिट्टी (३) चीनकी भाषा चीनो पुं० चीन देशवासी; चीनी चीप स्त्री० लंबी चपटी पट्टी; खपची; चिप्पी फट्टी (२) ताशके पत्तोंकी पिसाई या उसकी बारी चीपट स्त्री० खपची ; चिप्पी चीपटी स्त्री० देखिये 'चपटी' चीपटो पुं० देखिये 'चपटो' चीपडुंन०, ( - डो) पुं० आँखका कीचड़ ; चीपड़; कीचड़ चीप स०क्रि० हाथ से दाब - खींचकर पट्टी बनाना ( २ ) सजाकर रखना; ताशके पत्तोंको पीसना; फेंटना; धोतीकी लांगको ठीक करना ( ३ ). ( बातका) बतंगड़ करना चीपाचीप स्त्री० बार-बार सजाकर रखने की क्रिया चीपियो पुं० चिमटा चीबडी स्त्री० उल्लूकी जातिका पक्षी; खूसट चीबडुं वि० चिपटी नाकवाला; चिपट चौबरी स्त्री० देखिये 'चीबडी' जी वि० चिपटी नाकवाला; चिपट For Private and Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीभगो स्त्री० ककड़ीकी जातकी एक बेल बीमन० आरिया; फूट चोमटी स्त्री० देखिये 'चपटी' , भीमटो पुं० बंड़ी- चुटकी (२) बड़ी चिमटी; चिकोटी (३) चिमटाचोमनी स्त्री० धुआँकश; चिमनी (२) लेम्पकी चिमनी ....). [ (कान) चीमळवू स० क्रि० मोड़ना; उमेठना चीमळावू अकि कुम्हलाना; मुरझामा (२) भीतर ही भीतर जलना; कुढ़ना; झुरना [वरार चीर स्त्री० फांक ; टुकड़ा (२) चीरा; . चीर स्त्री० स्त्रियोंका एक रेशमी वस्त्र (२)बल्कल (३)कोई कीमती कपड़ा; चीर (प्रायः व्यंग्यमें) . बीर स० क्रि० चीरना; फाड़ना; पाछना; काटना (२) बीचमें से दो हिस्से करना; आर-पार निकल जाय ऐसा करना (भीड़को चीरना) (३) गाहकसे उचितसे अधिक दाम लेना; लूटना; कसना [ला.] [अचार चीरियां न० ब०व० आमकी फौंकोंका पीरियं न० फाँक (२) (प्रायः आमके) अचारका टुकड़ा चौरी स्त्री० छोटी पतली फांक ; टुकड़ा चीरो पुं० चीरकर बनाया हुआ लंबा । पतला टुकड़ा; धज्जी; चीर (२) शिगाफ़; दरार(३)पाछ; चीर । पील स्त्री० वृक्षों आदिमेंसे निकलनेवाला रस; निर्यास (२)एक तरहकी भाजी; बथुआ; चिल्ली जोल स्त्री० चील पक्षी चीलझम्प स्त्री० चीलकी तरह झपट्टा मारकर झट छीन लेना; चीलझपट्टा.. बोलो (ची') पुं० लीक; गड़वांत (२) रिवाज; परंपरा; रूढ़ि [ला.] चीवट स्त्री० होशियारी; दरकार : बीस स्त्री० चीख [चिल्लाना चीसाचीस स्त्री० लगातार चीखनाचींपरी स्त्री० छोटा चिथड़ा (२)धज्जी बीयर न० फटा-पुराना कपड़ा या कप डेका टुकड़ा; चिथड़ा; गूदड़ .. चीथरेहाल वि० जो फटे-पुराने कपड़े पहने हो (२) अत्यंत निर्धन; फटेहाल [ला.] चीदरडी स्त्री० चिंदी; (कपड़ेकी) धज्जी चीदरडो पुं० (कपड़ेकी) बड़ी चिंदी, धज्जी [(२) फ़रमामा चीपर्बुसक्रि० उँगलीके इशारेसे बताना बीबोळवू सक्रि० देखिये 'चीमळवू' चुकादो पुं० निबटारा; निर्णय; फैसला चुकाबबुं सक्रि० 'चूक'का प्रेरणार्थक चुकावं अ० क्रि० 'चूकवू'का कर्मणिरूप चुगल वि० चुगलखोर; लुतरा (२) स्त्री० चुगली चुगलखोर वि० चुगलखोर; चवाई चुगली स्त्री० चुग़ली चुगलीखोर वि० चुगलखोर; चवाई चुडेल स्त्री० चुडैल ; डायन चुनंदा (-) वि० चुनिंदा; बढ़िया चुनारो पुं० चूना फूंकनेवाला (२) चूनेसे पुताई करनेवाला राज (३)चूना फूंकनेवाली जातिका मनुष्य चुप वि० चुप; खामोश (२)अ० शान्त या मौन रहनेके लिए सूचित करनेवाला संकेत चुपकी, चुपकोबी स्त्रो० चुप्पी; मौन चुपचाप, चुपाबुप अ० चुपचाप : For Private and Personal Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भूमाव चुनाव स० क्रि० अपनी मर्जी के खिलाफ़ शान्त होना; मन मारना ( २ ) भीतर ही भीतर जलना; मन मसोसना चुलेतर न० छोटे पीढे पर जड़ी हुईं एक प्रकारकी छुरी; हँसिया चुलेतरी पुं० आम काटनेका औजार; लकड़ी परे जड़ा हुआ बड़ा सरीता; अमकटना सणियं वि० सोखने की प्रकृतिवाला (२) न० छोटे बच्चोंका वाटवेका काठका खिलौना, चट्ट साड ( - ) धुं स०क्रि० चुसाना चुंग (-गा) ल स्त्री० पंजा; चंगुल; चुंगल ( २ ) उसके जैसी मजबूत पकड़; दबाव; शिकंजा [ला. ] - चुंगी स्त्री ० तंबाकू पीनेकी नलीके आकारकी चिलम - [ महसूल; चुंगी चुंगी स्त्री० माल पर लिया जानेवाला चुंबक वि० चुंबन करनेवाला; मुंब (२) अपनी ओर खींचनेवाला (३) न० चुंबक वस्तु; उदा० 'लोहचुंबक ' बबु स० क्रि० चूमना चुंमाळीस वि० चौवालीस; मोतेर वि० चौहत्तर; ७४ चूक स्त्री० चूक; भूल चूकंतु वि० चुकती; बेबाक़ अ० चुकतो; अदा ४४ कव स०क्रि० भुला देना; भुलाना (२) चुकता करना; निपटाना (ॠणे; "सारार) 1 चुकवावं अ० क्रि० 'चुकववु'का कर्मणि पूर्व अ० क्रि० चूकमा ; गलती करना; भूलना (२) अदी होना; निबटना; चुकता (३) संयुक्त क्रियकिं (प मूल क्रियकेि साथ आती है; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir G चूलासमंत्री उ० 'लखी यो (४) स०क्रि 'खोना; गँवाना; चूकना ( अवसर, निशाना, गांड़ी आदि ) चूगवं स० क्रि० चुगना चूड स्त्री० आंटी ( साँपकी) पकड़ लपेट, कुंडली ' चूडगेर पुं० चुड़िहारा चूडलो पुं० देखिये 'चूडो' चूडी स्त्री० चूड़ी (२) ग्रामोफोनका "रेकार्ड; चूड़ी । [ अ पहेरवी = नामर्द बनना; चूड़ियाँ पहनना. ] चूडीकरम न० चूड़ियाँ तोड़ देना; चूड़ियां ठंढी करना CAR चूडीगर पुं० देखिये 'चूडमर' चूडो पुं० बड़ी चूड़ी; चूड़ा । [-फोंडक = विधवा होना; चूड़ियाँ ठंढी करना. ] घून गच्ची (डी) स्त्री० चुनेकी मंज़बूत जोड़ाई (२) चुनेकी बनाई हुई पक्की छत छत भार धूनी स्त्री० हीरेकी कती, चुन्नी (२) नाककी चुन्नीवाली लौंग T [ 'चुप' आदि चूपचूप देखिये चून म० चूवी, चुज्मी; जूनी- भूसी वो कुं० चूना चूप खूपकी, चूपचाप चूमेषु स ंक्रि० घूमना; चुंबन करता चूर पुंठ चूर चूरा [ चूर्ण चूरण न० चूरन; बुकमी ( २ ) औषधिका चूरमुं न० भोजनका एक प्रकार ; चूरमा चूरी स्त्री० चूर; बारीक (सुपारीका) चूरो पु० चूत चूर चूल (चू'ल) स्त्री रसोईके लिए कर बनाया हुआ बड़ा चूल्हा; मिट्ठी 'लागडी, लालडी (कू) स्त्री० चूल्हेका भी काम देनेवाली गंगा For Private and Personal Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूलों पुं० चूल्हा । [पूलामांचा, पर, पेस यूंटली स्त्री०चुटकी;चिकुटी।-सबबी, -चूल्हेमें जा; भाड़में जा। -फूंकबो भरवी,लेबी-चुटकी काटना या लेना.] = खुद रसोई पकाना चूल्हा फूंकनाः] चूंटलो पुं० बड़ी चुटकी चूई अ०क्रि० चूना; टपकना । चूंटवं सक्रि० चुटकीसे तोड़ना; चुनना पूजो पुं० छप्परका वह छेद जिसमेंसे (फूल आदि); किसी वस्तुका ऊपरका पानी चूए (२) लकड़ी या नरेलीके हिस्सा नोचना, खोंटना (२) चुनना; जलनेसे उसमेंसे निकलनेवाला रस पसंद करना; छांटना। चूंटी काढ3 चूस स्त्री० चूसना; शोषण; दोहन चुनना; छांटना.] चूसन न० शोषण (२)वि.० चूसनेवाला चूंटा अ०कि. चुना जाना सननीति, सम्पति स्त्री० शोषण चूंटी स्त्री० चुटकी; चिकोटी चूसनी स्त्री० चटू (२)चूस डालना। चूंग स्त्री० अंगतोड़ पीड़ा सवं सक्रि० चूसना; सोखना(२) चूंषवं स० कि. हायसे कुचल, मसल रस, सार निचोड़ लेना [ला.[चूसी डालना; गांजना; क्रम या व्यवस्था सावंचूसकर निःसत्व कर डालना.] अस्तव्यस्त करना के धान करवंचीं -चपड़ न करना; चूंयाअ०क्रि० 'चूंथर्बु'का कर्मणि । यूँ न करना बसी स्त्री० चुनरी; बूंदरी [प.] चूंक स्त्री० पेटकी ऐंठन; मरोड़ (२) । भृगळं वि० देखिये 'चूंखडु' छोटी कील; तारकी खूटी; चरई। बाळीस वि० देखिये 'चुमाळीस'; [-आववीपेटमें पीड़ा होना (२) चेका (..) स० कि० देखिये 'छेकवू बुरा लगना; नाराज होना (३) चेकचेका, काचेक (') स्त्री०देखिये गुप्तरूपसे एतराज होना.] 'छेकाछेक' कार्नुअ० क्रि० पेटमें ऐंठन पैदा होना को (.') पुं० छेक (२) छेकनेसे (२) मुप्तरूपसे मनमें नाराजगी _होनेवाली लकीर या दाग़ होना; नहीं भाना ला.] चेटक न० भूत; भूतप्रेतकी छाया (२) ग(-) वि. चुंधा; छोटी आंसों- जादू चेटक वाला; जिसकी दृष्टि मंद हो बेड न० ब०१० पागलके-से हावभाव पंचवा अ० कि० देखिये 'चुमाएँ' या चेष्टाएँ (२) छेड़छाड़, नटखटी पर्छ वि० देखिये 'चूंखडु' . चेतवनी स्त्री० चेतावनी; चितावनी जो न चूंया ची-तनिक भी बोलना; बेतवा स० क्रि० जलाना; सुलगाना प्रत्युत्तर देना (२)एतराज; आना- (२)आग लगाना(३) इशारेसे बताना कानी। -कर-~-चपड़ करना.] (४) चिताना वि० देखिये 'चूंलळू' ... चेतम० कि० सुलगना; जलना (२) बस्त्री० सजली; कुलकर बाग लगना (३) इशारेसे समझ जाना मी स्वी० पुलना पसंच. (२) (४)चौकना होना; चेतना , मुलाक; निर्वाचन सार्नुस कि० देखिये 'चेतव': For Private and Personal Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बेन (चें) न० चैन; सुख; आराम; कल (२) आनंद; मजा।[-पर- कल पड़ना; चैन पड़ना.] चेन (चें') न० चिह्न; आसार चेनबाळो (')पुं० चिह्न निशानी (२) पुं०ब०व० हाव-भाव; नाज-नखरे धेनबाजी (चें) स्त्री० सुख-चैन ; अमन चैन; चैनकी बंसी बजाना चेप पुं० मवाद; पीब (२)दूसरेके रोग या संबंधका असर; छूत पेप पुं० दाब; दबाव (२) दुराग्रह; जिद; हठ। [-छोरवो = संग छोड़ देना (२) अपनी हठ छोड़ देना। -मूकबो, मेलबो = (सूई द्वारा)टीका लगाना (२)दुराग्रह छोड़ना.] पवं स० क्रि० दबाना (२.)निचोड़ना (३)खोंसना; रोपना बेपी वि० छुतहा; छुतैला; संक्रामक (२) चिकना; दुराग्रही पेर(चें') स० क्रि० अक्षर आदि काटना; छेकना (२) खुचड़ या दोष 'निकालना; चर्चा करना; बात छेड़ना बरंचर(-रा), राबेरी (चें) स्त्री० खूब ठेकना; बार बार छेकना चेरीमेरी स्त्री० बख्शिश बेरो(') पुं० ,क बेलको स्त्री० लड़की (प्यार और तुच्छ कारमें) (२)चेली; गुरगी बेलन० बालक लको न० लड़का पेली स्त्री० चेली; चेलिन ; गुरगी तो चेला। यो = चेला मुंडना. ..... . . पाई सकि० सेंकना; मरम करला (जलती रुई या मोमसे); लसाना चेह (.) स्त्री० चिता बचे (चें०)स्त्री०ची-ची(२)किच-किच चें (चॅ०,०)अ० खानगीमें; आपसमें (२) स्त्री०; न० आनाकानी; एतराज (३) बकवास; बड़बड़ चतर पुं०, चैत्र मास; चैत चोक (चाँ) वि० चार गुना (अंकोंमें). (२) पुं० घरके बीचकी चौकोर खुली जगह; चौक; अजिर (३) मकानके सामनेकी खुली जगह; चौक; सहन (४) मुहल्लेके बीचकी खुली जगह (५) बाजार। [-पूरवा = चौकमें सथिया (स्वस्तिक)अंकित करना (२) मंगल-कार्य करना (३) खयाली पुलाव पकाना.] चोकलु (चॉ) न० लकड़ीका चौकोर ढाँचा जिसमें किवाड़के पल्ले जड़े जाते हैं; चौखट; चौकठा (२)ऐसा लकड़ीका कोई चौकोर ढांचा; चौखटा; फेम ; चौकठा (३) युक्ति; बाजी ला.] (४)मुहल्लेका सहन । [-सवं, बेसी जq=सब जोड़ोंका ठीक लगना (२) विवाह तय होना.] चोकरी(चों) स्त्री०x ऐसा चिह्न (२) कमरेमें बना हुआ मेंडदार चौका जिसमें मोरी रहती है; चौका (३) चार आदमियोंकी मंडली; चौकड़ी (४) चार युगोंका समूह । [-परवीलिखा हुआ ग़लत होनेसे उस पर क्रास पड़ना; अनुतीर्ण होना।-मूकबी-गलत ठहराना; रद्द करना (२)उत्तीर्ण न करना (३) गैरहाजिरका चिह्न करना.] चोक (चौ)ब० कि० देखिये चोक' बोल (चौ) नि० चौकस; तय; पणा ठीक (वस्तु) (२) सतर्क; होशियार; For Private and Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बोलाई चौकस (मनुष्य) (३) भरोसेका १ (मनुष्य) (४) अ० अवश्य aliसाई (च) स्त्री० चोकसी; चौकसाई (२) भरोसा (३) खबरदारी । [ - राजवी = सतर्क, सावधान रहना.] चोकसी (चॉ) पुं० सोने-रूपेका कसे नि'कालनेवाला (२) चौकसी; सोने-रूपैका पेशा करनेवाला (३) एक अल्ल (४) स्त्री० देखिये 'चोकसाई' चकियात (चा) पुढ चौकीदार चौकी (चा) स्त्री० वह स्थान जहाँ चौकीदार रहता हो; चोकी (२) रखवाली; चौकीदारी (३) निगरानी; चौकी (४) टोल नाका, चुंगीघर (५) एक गहना (६) लकड़ीका चार पायोंवाला, चौकोर छोटा तख्ता; चौकी 6 · चोकीदार (चॉ) पुं० चौकीदार चोकीदारी स्त्री० चौकीदारी रखवाली चोकीपरो पु० चौकी और पहरा; कड़ी निगरानी; सख्त पहरा चोको (चॉ) पुं० चौकोर स्थान चौक (२) रसोई करनेके लिए गोबरसे लिपी हुई जगह; चौका (३) मसम सुन व्यक्तिको लिटाने के लिए मोवस्से लीपकर तैयार की हुई जगह चौकाः । चोके पढमरणासन्न होना । चोके मरणा पर सुलानाः खादसे उतारना । देवो, बाळको चौका लगाना (3) प्रपला करना; काम बगाना.] pic चोको (च) कोशा चौका (ताशकन) पोक्स (म) वि० देखिये चोकस O बोजा 5 अपन (ताशका) १७६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोल वि० चोखा ; साफ़ (२) स्त्री० सफ़ाई; चोखापन (३) फ़ैसला ; निंबटारा [ला. ] चोखवट स्त्री० पवित्रता; शुद्धि (२) सफ़ाई स्पष्टता (३) निबटारा; फ़ैसला... चोखंड (च) वि० देखिये 'चोखंड' ( २ ) पुं० चौकोर आकृति (३) चारों महाद्वीप - ( पृथ्वीके) चोखंड (चाँ) वि० चौकोर; चौकोना (२) चौरस ( ३ ) चौखंड 17 चोखा पुं० ब० ० चावल; तंडुल | [- मूकवा जर्बु = न्योता देने जाना । -- भेगी इयळ = बड़े के साथ छोटा. ] चोखापूर विo एक चावलके बराबर ( नाप या वज्रनमें) ; चावलभर् चोखाभार वि० एक चावल के वज्रनके जितना ( २ ) जरा-सा [ला.] चोखुं वि० देखिये 'चोरूख' चोखूण ( - जियूं) (च) वि० चतुष्कोण चौकोना.. C: चोखूंट (चॉ) ब्रि० चारों दिशाओंमें आया हुआ; वाम: चौखंड (२) ४-० चारों ओर, चौसूंद Spo चोखो पुं० चावलका, दानाचोखाई स्त्री० स्वच्छता; शुद्धता (२) प्रामाणिकता सचाई E चोखुं विor स्वच्छ, साफ़ (२) बिना मिलावटका; शुद्ध; चोखा; खलिस (नफ़ा) (३) सच्चा; खरा; आमाणिक (४ ) स्पष्ट साफ़ । [ साफ़ करा (२) स्पष्ट करना (३) घोटाला निकाल देना (४) खत्म करना । चीरखो माणस हा ईमानदार व्यक्तिः प्रामाणिक, स) For Private and Personal Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७७ बोरवंचट वि० बिलकुल साफ़ साफ़- चोदई वि० चोरी करनेका आदी; चोदा सुथरा (२)सुच्चा; चांई चोगगे (चों) पुं० चारका आंक; ४ पोर(बॉड)स० कि.चिपकाना (२) जोग (चा) वि० चार गुना; चोगुना जड़ना; बिठाना (३)जमाना; लगाचोगमा (-रदम) (चाँ) अ०। चारों ना; मारना (धौल, सोंटा) (४)ठीक, दिशाओंमें; चौगिर्द कठोर, लगती बात कहना भोपान (चौ) न० मैदान; चौगान पोगाई (चा स्त्री० चौड़ाई चोपडियां (चाँ) न० ब०व० चार चार चोर्ड(चाँ) वि० चौड़ा (२) चौहरा घड़ीके अंतर पर बजाये जानेवाले चोगे(चौ) पुं० एकके ऊपर एक रखी नगाड़े; गजर ही चीजोंका ढेर; गड्डी चोपरियं (चाँ) न० चार घड़ी जितना नोतरक (चॉ)अ० चारों तरफ़; चौमिर्द समय (२)मुहूर्त ; साइत चोतरो(चाँ) पुं० बड़ा चबूतरा; चौतरा चोट स्त्री० चोट ; आघात; वार(२) (२)धाना; चोकी [दोसूती; दुसूची घात; दावे; मौका (३)एक प्रकारका चोला (चाँ) वि. चार तारोंवाला; तांत्रिक अभिचार; मारण; मूठ (४) पोत्रीस (चौ)वि० चौंतीस; चौंतिस:३४ निशाना। [-लागवी, वागवी = अचूक घोष (चॉथ,) स्त्री० चौथ; प्रत्येक वार होना; दावे या युक्तिका सफल पक्षकी चौथी तिथि(२)देखिये 'चोथाई' होना(२)चोट लगना; जख्मी होना; चोथाई (चॉ) स्त्री० चौथाई; चौथा मोच आना.] भाग (२) राजस्वका चतुर्थाश . चोट(-दूक, -) (चॉ) वि. चिप चोषियु (चॉ) वि. चौथे दिन पर पड़नेकनेवाला; चमचिच्चड़ वाला (२)म० चौथा भाग (३)छोटे चोटली स्त्री० चोटी; शिखा (२)नारि बालकको मृत्युके चौथे दिन होनेवाली क्रिया या भोज यलके रैशे।[-पकडवी चोटी दबाना चोथियो ( ताब) (चों) पुं० चौथे दिन (२)कान पकड़ना; क़बूल कराना। भानेवाला ज्वर; चौथिया .. -मंतरवी = दाव-पेचसे बसमें करना; चोद(वि)(चॉ)म. चौगिर्द; चौचोटी कतरना। -लई जवी= छलना.] खूट; चतुर्दिक चोटलो पुं० स्त्रियोंकी चोटी; वेणी बोगरी (चाँ) पुं० मुख्य माडीवान चोट, (चों)सक्रि० चिकनाईके कारण सारथि (२)गांवकी सीमाकी चौकी जुड़ना; चिपकना; (-से) लग जाना करके बख्शिसमें मिली हुई जमीनकी (२)चिमटना; आग्रहपूर्वक पकड़े रह- उपज लेनेवाला (३)पहाड़ों और जंगना; अड्डा जमाना [ला.](३)म०क्रि० लोंमें बसनेवाली एक जाति बैठना(तुच्छकारमें). . पोषसे (चों) पुं० गांवका मुखिया; चोटाम्बु (चों) स० कि० चिपकाना.. मुखिया; गोषरी (२) चौधरी' चोटी स्त्री० चोटी; शिखा जातिका भावमी गु. हि-१२ For Private and Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बीमार पोवार (चॉ) वि० (२) अ० बहुत; आठ आठ आँसू या फूट-फूटकर (रोना) चोपग (-) (च) वि० चार पैरोंवाला (२) न० पशु चौपाया [ चीनी चोपचीनी स्त्री० एक औषधि; चोबचोपट (चॉ) स्त्री० चौसर; चौपड़ (२) चौसर की बिसात; चौसर चोपड न० घी चोपड स० क्रि० चुपड़ना; पोतना चोपडाव स०क्रि० 'चुपड़ना' की प्रेरणार्थक क्रिया ( २ ) गाली या अपशब्द सुनाना; फटकारना चोपडी (चॉ) स्त्री० पुस्तक; किताब । [urat फाड = किताब बहुत पढ़ना ( व्यंग या तिरस्कारमें); पोथा पढ़ना. ] चोपसुं (चॉ) वि० जिसमें चार तहें हों; ter (२) न० चार तहोंवाली रोटी ; चपाती (३) किताब (तुच्छकार में) चोपड़े fro चुपड़ी (चीज) ; चिकटा चोपडी (चॉ) पुं० हिसाब लिखनेकी नही; बही। [सकेलवी, काढवो = ब्यौरेवार नोट खोलना ; उधेड़कर रख देना (२) गड़े मुर्दे उखाड़ना.] चोपन (चॉ) वि० चौवन; ५४ चोप स० क्रि० खोंसना; रोपना; चहोरना (पौदा) (२) टीपना (३) मरम्मत करना; मारना चोपाई (चॉ) स्त्री० चौपाई (२) चारपाई चोपाट (च) स्त्री० देखिये 'चोपट' (२) समतल भूमि मैदान (३.) दालान के अंदरका कमरा चोपानि (चॉ) न० चारपाँच पृष्ठोंकी लघु पुस्तक पुस्तिका; रिसाला; चौपतिया, 'पम्प्लेट' (२) बिज्ञापन; घोषणा (३) (छोटा) समाचारपत्र १७८ पोपटी = चोपास (चॉ) अ० चारों ओर; चौगिर्द चोफेर (-री) (चॉ) अ० चारों ओर चोभीलुं वि० खिसियाना; लज्जित चोमग (चॉ) अ० चारों ओर; चौगिर्द 'चोमासु (चॉ) वि० चौमासेमें होनेवाला; चौमसिया [ महीने; चौमासा चोमासु (चॉ) न० बरसातके चार चोमेर (चॉ) अ० चारों ओर; चौगिर्द चोर पुं० चोर । [-कोटवाळने दंडे = उलटा चोर कोतवालको डाँटे . ] चोरचसार पुं० चोरचकार चोरटुं वि० चोट्टा; चोरटा चोरणी स्त्री० लड़के-लड़कियोंके पहननेका छोटा पाजामा; सुथनी चोरणो पुं० जाँघके पास तंग न हो ऐसा पाजामा; सुथना (२) बड़ा पाजामा चोरदानत स्त्री० बदनीयत; बेईमानी चोर स० क्रि० चुराना; चोरी करना; काममें जी चुराना; उचितसे कम काम करना; कसर करना; कमी रखना ( काम, मन, मिहनत आदिमें) चोरस (चॉ) पुं० समकोण चतुर्भुज आकृति ( २ ) वि० ऐसे आकारका; चौरस ; 'स्क्वेर' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोरसो (चॉ) पुं० मोटे कपड़ेका चौरस टुकड़ा (२) एक प्रकारकी ज्यादा चौड़ी चादर; चादरा [ चौरानवे; ९४ चोरा (-j) (च) वि० चौरानबे; चोराशी ( -सी) वि० चौरासी; ८४ (२) स्त्री० ब्राह्मणोंकी चौरासी - सभी जातियोंका समूहभोज चोरी (चॉ) स्त्री० लग्न मंडप ; चौरी चोरी स्त्री० चोरी (२) चोरका काम चोरीचपाठी स्त्री० किसी प्रकास्की चोरी या गुनाह ; चोरी-चकारी For Private and Personal Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बोरीछुपी पोरीखूपी स्त्री० चोरी या छिपाव; चोरी-छुप्पे चोरीफेरा (चा) पुं० ब० ५० लग्नमंडपमें वरकन्याकी अग्निकी परिक्रमा; भांवर; फेरे चोरो (चाँ) पुं० चौपाल (२) पुलिस चौकी; थाना (३)बड़ा चबूतरा; चौरा चोबई(चों) वि० चार तहोंवाला; चौपा; चौतहा (२)चौगुना चोवीस (चा) वि० चौबीस; २४ पोसठ (चा) वि० चौसठ; ६४ पोसर (चाँ) वि० चौलड़ा; चौसर(२) स्त्री० चार लड़ोंको गूंथकर कपड़े पर बेल-बूटे निकालनेका काम; चौकड़ी (३) एक खेल; चौसर(४) चारकी गोई (बैलोंकी) (५) चौलड़ा हार (पुरुषोंका) [चक्का चोसलं (चाँ) न० जमा हुआ टुकड़ा; चोळ (चों) स्त्री० चौरेकी फली पोळ स० क्रि० मलना; मसलना(२) कुचलना; बारबार उलटपुलट करना; बिगाड़ना [ला.] पोळा(ना) पुं० ब० ५० एक दलहन बोड़ा; लोबिया; चौरा चोळाचोळ (-ळी)स्त्री० गीजना-मलना पोळिया पुं० ब० १० गले की दोनों ओरकी गिलटी; कौवा; गलेकी घंटी चोळी स्त्री० चोली चोळी (चौ) स्त्री० बोड़ा(फली) (२) बोड़ा; चौरा; लोबिया बोळो पुं० अंगरखेका कंठा या घाट; चोला (२)फ़कीरोंका लंबा, ढीलाडाला कुरता; चोला चॉक(चॉ०) अ० क्रि० चौकना; भड़कना; चमकना [चिमटना चॉट (चौ०) स० क्रि० चिपकना; चौटुं न० बाजार; चौहट्टा; चौक चौब वि० चौदह; १४ चौर, वि० चौदहवां (२)न० मृत्युके चौदहवें दिन किया जानेवाला भोज चौर रतन न० अमृत (२)मार; दर [चौदस चौरस (-) स्त्री० चौदहवीं तिथि, चौदशियो पुं० विघ्न-संतोषी पार स्त्री० पप्पड़ा तमाचा (२)भूक पुं०'च' वर्गका-तालुस्थानीय दूसरा व्यंजन - वि० छः; छ; ६ कम० चकित; विस्मित; भोंचक कई न०,(गे) पुं० 'छका समूह; छकड़ी; छक्का छको पु. छकड़ा; सम्गड़; बैलगाड़ी बकि छकना; किसीके काबूमें रहना; हापसे जाना; बहकना छारियो पुं० : उँगलियोंवाला व्यक्ति; छांगुर छको पुं० छ बूटियोंवाला ताशका पत्ता; छक्का (२) पासका वह बक जिसमें छह बिंदियां हो। [वाडी अवा-नाउम्मीद होना; पस्त हिम्मत होगा छूटना. For Private and Personal Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माको पंचो भूसी [गुस्सा १८. भाको पंखो पुं० सट्टे या गंजीफेका एक चूड़ी जैसा पविका एक गहना; बड़ा खेल (२) जूमा; छक्का (३) दार्व- (२) (कुंकुमका) थापा पेच; छक्का -पंजा . .... म(-मण) स्त्री० छड़नेकी उचत छन(-णियु) वि० छः कोण या छः कुटाई छटाई (२)छड़नेसे निकलने. भुजाओंवाला; षट्कोण या षड्भुज वाली महीन भूसी; चावलकी महीन छगगे पुं० छः का बांक छचोक (चाँ) अ० खुले-आम; सबके छडी स्त्री० छड़ी; सीधा, पतला डंडा सामने (२) राजाओंके राजचिह्नका डंडा; छछपाट पुं० छन-छन (२) मिजाज; बल्लम चोब(३) गुच्छा।[-पोकारवीवि० छिछला; उथला राजाओंकी स्तुति गाना.] छछंबर न० छुछंदर; छछंदर (२)एक छडीवार पुं० छड़ीदार; चोबदार आतिशबाज़ी (३)वि० नटखट अवमी छई वि० छड़ा; अकेला (२) ला.] उजावटी स्त्री० झरोखेका छोटा छप्पर; कुंवारा; अविवाहित (३)जिसके बाल बच्चे न हों; अकेला [जाहिरमें छM न० छज्जा; झरोखा; बारजा छचोक अ० खुले खजाने ; सरे बाजार; छट अ० धुतकारसूचक उद्गार; धत् छणको पुं० छनाका; छन'की आवाज छटफवं अ० क्रि० छटकना; सरकना; (२) गुर्राहट ; गुस्सा (३)तुच्छकार; खिसकना (२)भाग जाना ला.] फटकार छटकारस० क्रि० दुतकारता.... छण, स० क्रि० महीन कपड़ेसे छानना छटाईन० छटका; दावे-पेच; जाल या चालना(२)कड़ी जांच या छानछटा स्त्री० छटा; शोभा; शान (२) बीन करना रीत; खूबी . [(भाषण, वार्ता) छण स० क्रि० नाखूनसे खुजलाना छटावार वि० शानदार; लच्छेदार (२) गड़े मुर्दे उखाड़ना; अप्रिय छटांक न० एक (कच्चा)सेरका आठवां बातको छेड़ना [ला. भाग; छटांक छणणी, छणावट स्त्री० छानना; छानछठ स्त्री० छठी तिथि; छठ बीन; भूली हुई बातको छेड़ना पछी स्त्री० जन्मके वादका छठा दिन छत स्त्री० होनेका भाव; हस्ती (२) छठी । -- पावन काठ, गाठी बहुतायत; अधिकता; बाढ़ ... मामा-छठीका खाया-पीया निक- छत स्त्री० मकान या कमरेके अंदरकी लना; बहुत के करना(२)खूब पीटना.] पक्की पाटन; छत ; 'सीलिंग' (२) बवं वि० छठवां छठा मकानका ऊपरका पक्का खुला फ़र्श; मा०शि० छड़ना; (चावल मादि) छत; धावा बटकर छिलके अलग करना (२) उता ब० तब भी; फिर भी पीटना (३) उगमा : ०६: वि. विद्यमान जिना (२)पटका छा पुं०५०५० (स्त्रीया बनोस) टा; चित (३)सरल; सीवा (४) For Private and Personal Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org छपाट खुला; जाहिर । [ - राखबुं - वंशपरंपरा जारी रखना (२) सब अच्छी तरहसे संभालकर रखना. ] [ हुआ छतुंपाट वि० चित; पीठके बल फैलाया छते अ० रहते हुए; होते हुए छता ( - तुं) पाट वि० देखिए 'छतुंपाट' छत्र न० बड़ी छतरी ; छाता (२) राजचिह्नरूप छतरी ; छत्र (३) रक्षण करनेवाला; पालक [ [ला. ] छत्रछाया स्त्री० छत्रच्छाया (२) आश्रय छत्री स्त्री० छाता ; छतरी ( २ ) गाड़ी, पलंग आदिके ढाँचेके ऊपरका आच्छादन छतरी छत्रीश ( स ) वि० छत्तीस; ३६ छनाछनी स्त्री० बार-बार छन-छनकी आवाज होना (२) रुपये-पैसोंकी बाढ़ छ ( -श्रुं) वि० छानबे ; छियानबे ; छियानवे; ९६ [ मजदूरी; छपाई छपाई ( - मण, - मणी) स्त्री० छापनेकी छपाववुं स० क्रि० छपाना; छपवाना छपावुं अ०क्रि० छपना; छापा जाना (२) छिपना (३) (पतंगका) एकदम नीचे गिरना छप्पन वि० छप्पन; ५६ । [-उपर मूंगळी वागवी = बहुत मालदार होना (२) बिलकुल खयाल न रहना ; गहरी नींद सोना. ] छप्पन भोग पुं० छप्पन प्रकारकी रसोई जो ठाकुरजीके भोगमें लगती है छप्पनियो वि० पुं० विक्रम संवत् १९५६ का बड़ा अकाल [ छप्पय छप्पो पुं० छः चरणोंवाला एक छन्द ; छमछबाववुं स०क्रि० छपछपाना ( २ ) छपछपाकर कपड़ा घोना; छाँटना छबत वि० छिछला (२) गंदा; मैला १८१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छळबुं ( ३ ) न० विसावसे पतला बना हुआ पत्तर ( ४ ) गांजा हुआ काग़ज़का टुकड़ा छबरडो पुं० घोटाला; अव्यवस्था छबलीकां न० ब० व० झाल- झालर; झाँझ । [ -वगाडवां धनदौलतका नाश होना; रुपये पैसे से खाली होना. ] छब (बी) स्त्री० चित्र; तसवीर ( २ ) कांति; सौंदर्य; छवि छबीलुं वि० छबीला; सजीला छमकलुं न० नटखटी ( २ ) बखेड़ा; दंगा छमकार स० क्रि० 'छम' की आवाज करना; छनकाना [ छमाही छमासिक वि० छः महीने पर होनेवाला; छर पुं० उस्तुरा; छुरा ( २ ) मद; अहंकार ( ३ ) मस्ती; धुन । [ -ऊठवो, ऊडवो • उस्तुरेका चेप लगना. ] = = खरी स्त्री० छुरी; काता । [-ऊछळवी = छुरीसे मारकाट होना । —मूकवी छुरी फेरना ( २ ) पायमाल करना. ] छरो पुं० छुरा (२) खंजर (३) बंदूक़का छर्रा (४) बोल-बेरिंगमें काम आनेवाली लोहेकी गोली ; छर्रा छलक अ० छलकता हो इस तरह छलका अ० क्रि० छलकना (२) गर्वसे इतराना [ला. ] छलंग स्त्री० छलाँग; चौकड़ी छलाछल अ० लबालब ( भरा हुआ ) छलावुं अ० क्रि० देखिये 'छलकावुं' छलूडी स्त्री० छाली; कटोरी छलोछल अ० देखिये 'छलाछल' छवावुं अ० क्रि० छाना; घिरना; पसरना छब्वीश (स) वि० छब्बीस; २६ छळ पुं०; न० छल; धोखा ; झाँसा छळकपट न० छल-कपट ; झांसा-पट्टी छळ स० क्रि० छलना; ठगना For Private and Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छार १८२ छळ० क्रि० भयसे चौंकना; चोंकना । मने (सच कहना)(२) हिम्मत बँधाना। छंछन्वंस० क्रि० छेड़ना; चिढ़ाना -ठोकीने कहे विश्वास और हिम्मछंटकाव पुं० छिड़काव तके साथ कहना छाती ठोककर कहना। छंटाव स० क्रि० छिड़कवाना -फूलवी आनंद या गर्व होना।-मां छंटा, अ० क्रि० छिड़का जाना (२) घालवं = छातीसे लगाना.] छींटे उड़ना; छींटोंसे तर होना; भीगना । छातीचलं वि० दिलचला; साहसी (३)गाभिन होना; भरना (गाय, भैंस छातीफाट अ० छाती फट जाय इस आदिका) तरह; हृदयपूर्वक छंद पुं० लत; टेव; व्यसन छातीभेर अ० हिम्मतसे (२) (खड़ी छवी, छंबीलंबि० मौजी; शौकीन ; छैला चढ़ाईमें) दम भर जाय इस तरह (२) अमुक चीजकी आदत रखनेवाला छा- वि० गुप्त; छिपा हुआ (२) शान्त; छाक पुं० छाक; नशा (२)मिजाज; [न जाने ऐसा; गुप्त अहंकार (३)स्त्री० दुगंध ; हीक छा-छपतुं(--) वि० छिपा हुआ; कोई छाकर्ट वि० शराब पीकर मदहोश बना छानुमान वि० गुप्त (२) छिपे-छिपे; हुआ; मतवाला; प्रमत्त चुप-चाप; चोरी-चोरी छाकटो पुं० शराबी छाप स्त्री० एक चीजका दूसरी पर दबछाकोटो पुं० झिड़की; लानत ; भर्त्सना नेसे पड़नेवाला चिह्न; निशान ; मार्का; छाछ वि० छिछला छाप (२)मुहर; ठप्पा (३)पतंगका छाज न० छप्पर पर अतरवन, बाँस, तस्ते यकायक गिरना (४) [ला.] मन पर या बल्लियों वगैरहसे किया जानेवाला पड़ा हुआ असर; कायम की हुई राय आच्छादन या ये सब चीजें; छाज; (५)छापनेकी सफ़ाई (६)प्रभाव;दाब छाजन [छज्जा (२)परछत्ती; टांड़ छापखानुं न० छापाखाना; 'प्रेस' छाजली स्त्री० अटारीकी पक्की छत; छापरी स्त्री० छपरिया; मड़ई (२) छाज, स० क्रि० लायक-काबिल होना ___ झोंपड़ी; घर [ला.] [झोंपड़ा (२)फबना; शोभा देना; छाजना; छापवं न० घरका छाजन; छप्पर (२) जेब देना (३.) ज्यादा समय टिकना छाप, स० कि० छापना [(२)ठप्पा छाजिन. शोकावेगसे छाती पीटना; छापुंन० दैनिक अखबार; समाचारपत्र पिट्टस [पाट; सिल्ली छापो पुं० छापा; धावा (२) छापेसे छाट स्त्री० पत्थरका लंबा-चौड़ा टुकड़ा; बनाया हुआ निशान; छापा (३) छाण न० गाय-भैसका मल; गोबर लाग; रसूम ; कर छाण, स० क्रि० बारीक छानना छाब (०डी) स्त्री०,(0) न० डलिया; छाणून० उपला; गोहरा छिछला, छोटा छबड़ा; दोरी छाती स्त्री०छाती; सीना (२)दिल (३) छार (छा') पं०; स्त्री० पजावेका चूरा हिम्मत ; जिगर ।[-उपर हाथ मूकबो (२)फफूंदी (३)धूल (४)छार; राख = छाती पर हाथ रखना-ईश्वरके सा- (५)चीज पर जमनेवाली पपड़ी For Private and Personal Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org झरी : छारी (छा') स्त्री० किसी चीज पर जमनेवाली परत या पपड़ी कार्य (छा) न० ईंटों, मिट्टी और चूनेवाला चूरा [ तीखी डकार कारोडिया (छा') वि०ब०व० पित्तवाली छाल स्त्री० छाल (पेड़की) काल पुं० पीछा ( छोड़ना) छालक स्त्री० छलक छालकुं वि० छिछला; उथला (२) हलका ; ओछा [ला. ] (३) न० दो बाजूवाली और बीचमें खुली गधे पर लादनेकी गोनी; गठिया; खुरजी (४) चार मनकी तौल (कवी) छालां न० ब० व० छिलके; भूसा (२) खुरंड; छाले : छालियं न० चौड़े मुंहकी कटोरी छाली स्त्री० कटोरी; प्याली खान० कटोरा ; प्याला छावणी (छा') स्त्री० ( लश्करी) पड़ाव या मुक़ाम; छावनी छावर (छा') स० क्रि० आच्छादन करना, ढकना (२) प्रकट न करना; छिपाना छाबुं (छा') स०क्रि० छाना; ढकना छाश (श' ) स्त्री० छाछ; मट्ठा छाशी (सी) वि० छियासी; ८६ छांडिj (०) न० झिड़की; भर्त्सना छांट (०) स्त्री० नन्हीं नन्हीं बूंदें ; फुहार (२) ऊपर ऊपरसे छीलने या काटने से होनेवाले टुकड़े छाँटन; छाँट । [ -मारवी = गप हाँकना (२) बड़ाई, अभिमान हाँकना । लेवी = छींटे डलवाकर स्पर्शदोषसे मुक्त होना. ] छट न० (रोली- केसर वरी राके) छींटे फेंकना (२) (कपड़े पर ) छींटोंकी छाप ; १८३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छोट (०) स० क्रि० छिटफ़ना; छिड़कना; बिखेरना (२) ऊपर ऊपरसे काटना ; छांटना (३) गप या बड़ाई tear [.] (४) घूस देना [झींसी छांटा (०) पुं० ब० व० छींटे; कुहार; छां (०) वि० गपोड़ा छांटो (०) पुं० छींटा (२) [ला.] दान; कलंक (३) छुआछूत या खाने-पीनेका संबंध ( ४ ) तनिक ; जरा भी; उदा० 'एनामां छांटोय अक्कल नथी' छांटोपाणी (०) न० शराब [ला. ] (०) स० क्रि० त्यागना; छोड़ना (२) विवाह-संबंधका विच्छेद करना; तलाक़ देना; त्यागना ( ३ ) थाली में अन जूठा छोड़ना छांडी (-डेली) (०) वि० स्त्री० पतिकी त्यागी हुई ; तलाक़ दी हुई; त्यक्ता छांदj (०) स०क्रि० लोंदेसे थोपना मोटा लीपना; छोपना छांदो (०) पुं० गोबर और मिट्टीका लोंदा; गिल्लवा; छोप (२) गाढ़ा लेप या लिपाई छांय स्त्री०, (-यो) पुं०, (०डी) स्त्री०, ( ० डो) पुं० छाया; साया; छाँह (२) आश्रय (३) असर; छाप [ला. ] किनाळ वि० छिनाला करनेवाला (२) स्त्री० छिनाल; कुलटा छिनाळबुं वि० बदकार; व्यभिचारी किनाळी स्त्री०, (-छं) न० छिनाला; बदकारी डिपोली स्त्री० देखिये 'छीप' ही अ० धिक्कार या तिरस्कारका भाव प्रगट करनेवाला शब्द; यू; छिः; छी (२) गंदगीसूचक उद्गार; छी (३) स्त्री० न० गंदीचीज (४) छी; गू; मैला For Private and Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बीच वि. छिछला; उवला छीण स० कि० कद्दकश पर घिसमा; कसना(२)छीलना; काटना (सब्जी) छोणी स्त्री० कद्दकश; घियाकश (२) सुतारका औजार; रुखानी (३) धातु या पत्थर काटनेका औजार; टॉकी; छैनी। -कवी काट डालना (२) तबाह करना; छुरी फेरना.] छीनववंस० क्रि० छीनना (२)ठगना छीनवावुअ० क्रि० छीना जाना; छिनना छीप स्त्री० सीप छीपqअ० कि० बुझना-मिटना (प्यासका) (२)छिपना; लुकना छीपो पुं० कपड़ा छापनेवाला; छीपी छी, न० पतीलीका ढक्कन; तश्तरी डीक स्त्री० छींकनेकी क्रिया; छींक छींकनी स्त्री० सुंघनी; नास छींक अ० क्रि० छींकना छींट स्त्री० वह कपड़ा जिस पर रंगबिरंगी बूटियां छपी हों; छींट डीसी स्त्री० दो मकानोंके बीचकी संकरी गली; अंतरिका अई न० बाड़में संकरा रास्ता (२) [ला.] ऐब; दोष (३) बहाना छुटकारो पुं० छुटकारा; नजात ;रिहाई छुटाई अ० क्रि० छूटा जाना; छूटनेकी क्रिया होना छुट्टी स्त्री० छुट्टी (२)फुरसत छुई वि० देखिये 'छुटुं' छुपाव, स० क्रि० छिपाना; छुपाना; सपना (मुंह) [दबकना कृपावं अ० क्रि० छिपना; छुपना; धू न० छू होना; चलता बनना छूट (ट,) स्त्री० कुशादगी (२.) रखा; अनुमति (३)छूट; ऋणकी माझी (४) पतंगको उड़ाने के लिए दरियाई देना; छुड़ाना (५)स्वतंत्रता(६) रिआयत; कड़ाईका अभाव -मापवी-स्वतंत्रता देना; रजा या आजादी देना। -पवी छुट्टी मिलना (२) रोक या मनाहीका दूर होना (३)कमी न रहना.] छूटक वि० अलग-अलग; भिन्न-भिन (२)खुर्दा; फुटकर छूटको पुं० छुटकारा; रिहाई छुटछाट स्त्री० (ऋणमें) थोड़ी-बहुत माफ़ी देना; छूट; रिआयत(२)जगहकी बहुतायत; कुशादगी छूटअ० कि० बंधन दूर होना; छूटना (२) (यकायक या जोरसे) बाहर निकलना(पसीना, बू, गोली आदि) (३) पाससे निकलना; उदा. 'चमडी तूटे पण दमडो न छूटे' (४) (जानेके लिए) इजाजत मिलना; छूटना (५) चिपकी हुई चीजका अलग होना; खुलना (गांठ) (६)किसी भाव या लागणीका एकदम उमड़ आना-प्रगट होना (रहम, गुस्सा, लज्जा)। [छूटीजq= कैद या बंधनसे मुक्त होना (२)अदालतमें निर्दोष ठहरना । छूटी परजवाबदारीमेंसे मुकर जाना (२)वरबाद, निकम्मा जाना (मिहनत).] छूटाछेडा पुं० ब० व० कायदेके अनुसार विवाहका विच्छेद ; तलाक छुई वि. जो बैंधा न हो; छुट्टा; खुला; रिहा (२) फ़ारिग; बेकार; नौकरी आदिसे मौकूफ़; परतरफ़ (३)अलग; भिन्न (४)भुरभुरा (५)कुशादा; खुला; विस्तृत (६)म० रेजगारी; खुर्दा; छुट्टा ब्वायं वि० तितर-बितर; अलगअलग; झिलमिला (बुनाई) For Private and Personal Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समजूत स्त्री० छुवाछूत; छूतछात छुप अ० क्रि० छिपना; छुपना छुपी पोलीस स्त्री० खुफ़िया पुलिस; सी० आई० डी० वि० गुप्त ; खुफ़िया मंतर न० जादू; छूमंतर । [-बई जवं = भाग जाना; गायब होना; छू होना.] डूंछो न० ब०व० रेशे; फुचड़े चुंबन० बदन पर सुई चुभाकर बनाई हुई बिंदी, आकृति आदि; गोदना डूंद स० क्रि० सुई चुभाकर गोदना; गोदना (२) बारीक कूटना; कुचलना डूंबाव, स० क्रि० गुदाना; गुदवाना; कुटवाना; कुचलवाना [जाना छुदावं अ० क्रि० कूटा जाना(२)कुचल डूंगो पुं० कूट-कूटकर बनाया हुआ लोंदा, पिंडा (२)कसकर बनाया हुआ बामका अचार छेक अ० निपट; बिलकुल; निरा (२) पुं० आखिर; अंत [प.] छेकवं स० क्रि० छेकना (२)लिखा हुआ काटना या मिटा देना छेकाछेक (-की)स्त्री० लिखे हुए अक्षरों को जहां-तहां काटना या मिटाना; छेक छेको पुं० छेकनेके लिए खींची हई लकीर छेदं वि० दूर (२)न० दो जगहोंके बीचका फासला; दूरी। [-पड = अंतर बढ़ना । -भागq=अंतर कम करना.] केटे अ० दूर; फ़ासले पर छेडती स्त्री० छिद्र; दोष; ऐब (२) नटखटी; छेड़खानी; सताना; छेड़ना छेर स० क्रि० खिझाना (२)छेड़ना; 'टकोरना; बजाना . छेडागांठन (-) (छे') न० वर-वधूके कपड़ेके छोर बांधनेका वस्त्र, मंठबंधन; गैठजोड़ा छेडावं अ० कि० चिढ़ना; खीजना छेडो (छे')पुं० आखिरका हिस्सा; छोर; सिरा; अंत (२)हद (३)कपड़ेका छोर; दामन (४)आश्रय; मदद [ला.]। [छेडे बांषq=गिरहमें बांधना(सीख) (२)अपने अधिकारमें करना; इकट्ठा करना (३) व्यसन लगना । छेडे यांची जवं = परलोकमें साथ ले जाना। -वाळवो किसीकी मौत पर दामनमें मुंह ढापकर रोना] छेतरपिंडी स्त्री० ठगाई; झांसापट्टी छेतर सक्रि० ठगना; छलना; चकमा देना [जानेका भाव; धोखा छेतरामण न०, (-जी) स्त्री० ठगा छेतरामणु वि० धोखेबाज़ छेताळीस (छे) वि० छियालीस; ४६ छेद पुं० छेद; चीरा; शिगाफ़; काट (२)छेद ; सूराख (३)भिन्न संख्याकी भाजक संख्या; हर (४)नाश . छेद, स० क्रि० छेदना; काटना (२) छेद, सूराख करना; छेदना (३)निकदन करना(४) अंशको हरसे भाग देना (गणित) छेर (छे') स्त्री० धूल ; झाड़न छरवं (छे') अ.क्रि० पतला दस्त होना; पोंकना छेरंटो (छे') पुं० पतला दस्त ; पोंकना छेरंटो (छे') पुं० धूल; कचरा; झाड़न छेरामण (छे') न०;स्त्री० पतला दस्त; पोंकना छेल(छ) पुं० छैला; रंगीला पुरुष छलछबील (छ) वि. छबीला; मोहक और रूपवान For Private and Personal Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पठार छेलबटार(छ)वि०(२)पुं० छैला; बन- ठनकर रहनेवाला; छैल छबीला [प.] छेलाई(छ)स्त्री० बाँकपन ; छबीलापन; शौकीनी . . . छल्ल (छे') वि० आखिरी; अंतिम । [छल्ले पाटले बेसवं = असलियत पर आ जाना(२)आखिरी हद तक जाना.] छेवट (छे') स्त्री०; न० अंत; आखिर छेवट (-2) (छे') अ० अंतमें; आखिर बाई (छे') वि० आखिरी छोर परका छह पुं० दग़ा; विश्वासघात छेताळीस (छ) वि० छियालीस; ४६ छैयांछोकरांन० ब० व० बाल-बच्चे छैयुं न० छोटा बच्चा; बालक; छैया[प.] छैयो पुं० लड़का छो (छो') स्त्री० फ़र्श या छत बनानेका चूनेका मसाला; कमाया हुआ चूना; छोछ स्त्री० सफाई या आचारकी तीस लागणी .. छोड़ पुं० छोटा पौधा; पौदा छोड (छों) न० पेड़की छाल जो सूखकर कड़ी बनी हो (२) सूखा हुआ गर्भ (३) नाकमें चिपकनेवाली रेंट आदिकी . सूखी पपड़ी छोडवूस क्रि०खोलना; बंधन खोलना; छूटे ऐसा करना(२)तजना; छोड़ना छोडवो पुं० पौषा; पौदा छोरावस० क्रि० छुड़ाना छोडियं (छौ) न० छाल या उसका टुकड़ा; चिप्पड़ (२)लकड़ीका पतला टुकड़ा; छिलपट; चिप्पड़ । [छोडियां काढी नाखवा, पारवां उलहना देना; कड़ी आलोचना करना; आड़े हाथों लेना (२) मारना.] छोडी स्त्री० लड़को [(२)छिलका छोड़(छॉ) न० छालका टुकड़ा; चिप्पड़ छोत (छॉ) न० छिलका छोते (-से)र(छाँ)वि० छिहत्तर; ७६ छो ने (छाँ) अ० भले ही छोबंध (छो')वि० फ़र्श या पलस्तरवाला छोभा अ०क्रि० खिसियाना [हुआ छोभीलं, छो/ वि. खिसियाना; झेंपा छोक (-5) न० छोरा; बालक छोल पुं०; स्त्री (लकड़ी आदि)छीलनेसे निकलनेवाली चिप्पड़, छिलके ; छोलन छोलवं स० क्रि० ऊपर ऊपरसे काटना; छीलना; खुरचना (२)छिलका उतारना (फलका) (३)खरादना; छीलना (४) (कटाक्षमें)खूटी लेना; खराब उस्तुरेसे हजामत करना (५) फटकारना; डाँटना [ला.] छो (छों) अ० भले छोकरमत वि० बालक जैसी अल्प मतिवाला या हठी (२)स्त्री० बालकपन; छोकरापन; नासमझी छोकरवाद वि० कच्ची अक्लका; नासमझ; अविवेकी (२) स्त्री० ऐसा बर्ताव; छोकरापन; नासमझी छोकरी स्त्री० लड़की (२) कन्या; बेटी (३)(कटाक्षमें) नामर्द छोकरन० संतान ; औलाद ; बालक (२) छोटा बच्चा या बच्ची छोकरो पुं० लड़का (२)कच्ची उम्रका पुरुष; छोकरा (३)बेटा. छोरां न० कलगी जैसा खोंसा हुआ या उड़ता हुआ फेंटे या पगड़ीका सिरा; तुर्रा (२)पगड़ीमें खोंसा हुआ फूलका गुच्छा For Private and Personal Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org छोटं छोला स० क्रि० बहुत छीलना (२) सख्त फटकारना; डाँटना [ला. ] छोला अ० क्रि० छिलना छोबुं स० क्रि० स्पर्श करना; छूना ; (२) अ० क्रि० स्पर्शसे अपवित्र होना छों (छो') स० क्रि० पलस्तर करना; ज पुं० 'च' वर्गका - तालुस्थानीय तीसरा व्यंजन ज अ० ही (जोर देने और अनन्यता या निश्चय बतानेके लिए इसका प्रयोग होता है) ; उदा० 'त्यां ज '; 'तेने ज ' जईफ वि० जईफ़; वृद्ध ( २ ) दुर्बल जक (ज' ) स्त्री० ज़िद ; हठ (२) झकझक हुज्जत; उदा० 'लेवुं होय तो ले, नकामी जक छोड़ ' जकड स्त्री० जकड़; पकड़; शिकंजा जकड स०क्रि० जकड़ना; कसकर बांधना, पकड़ना जकात स्त्री० जकात; आयातकर; चुंगी (२) (इस्लाममें) दान; खैरात ; जकात जकाती वि० ज़कातका; जकातसे संबद्ध (२) जकातके योग्य ( ३ ) पुं० जकाती चक्की वि० झक्की; हठी झख जल मारवी (ज' ) = पछताना; मारना; पराजय स्वीकार कर ठिकाने आना अक्षम पुं० जखम; जख्म ; चोट जलमी वि० जखमी; जख्मी; घायल अगन पुं० यज्ञ ( २ ) अति कठिन या बड़ा काम [ला. ] जगप्रसिद्ध वि० जगत्प्रसिद्ध; जगजाहिर १८७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छोपना. छोळ (छॉळ ) स्त्री० तरंग; लहर (२) छलकना; छलक (३) बहुलता; इफरात; भरमार छोतेर ( छा० ) वि० देखिये 'छोतेर' छपाशी (-सी) वि० देखिये 'छाशी' जगबत्रीशी (सी) स्त्री० अफ़वाह ; किवदंती जगा स्त्री० जगह; स्थान; ठिकाना (२) खाली जगह (३) नौकरी ( ४ ) साधुओंका मठ । [ - आपवी = बैठनेको जगह देना ( २ ) नौकरी देना। -पूरवी = खाली जगह ( नौकरी, काम) पर किसीको रखना । लेवी = जमीन खरीदना (२) - का स्थान सम्हालना. ] जगाड ( -व) बुं स ० क्रि० जगाना जगावं अ० क्रि० 'जागवुं 'का भावे; जगना जग्या स्त्री० जगह जग्धुं न० बच्चा जज पुं० जज; न्यायाधीश [ आदि जजमान ( ० वृत्ति) देखिये 'यजमान' जजियावेरो, जजियो पुं० मुसलमान शासनकालका गैरमुसलमानों पर एक कर; जजिया जटियुं न० बालोंकी उलझी हुई या खुली लट; जटा; झोंटा जड स्त्री० जड़; मूल (२) खूंटी; मेख (३) स्त्रियोंका नाकका बिना चुशीका एक छोटा गहना; लौंग ; भोगली । [-उडवी, काडवी = जड़ उखाड़ना; For Private and Personal Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जड़मूलसे नाश करना। -बाली बेसयुं = स्थिर होना; जड़ जमाना. ] जडज पुं० जज; न्यायाधीश जडतर वि० जड़ाऊ; जड़ाईके कामकाउस काम से संबद्ध (२) न० पच्चीकारी; जड़ाई; जड़नेका काम या रीत जडवा (ब) तोड वि० जिसका उच्चाहो; जबड़ातोड (२) मुंहतोड़; जबड़ातोड़; बलवान जडबुं न० जबड़ा; कल्ला । [-भांगी मासबुं = मुँह पर सख्त मार मारना. ] बेसला अ० कसकर ; मजबूती से जडभरत वि० जड; नासमझ ( २ ) इस नामका एक योगी परमूळ न० मुख्य मूल aaj स०क्रि० एक वस्तुको दूस में मजबूतीसे बैठाना; जड़ना जडवं अ० क्रि० मिलना; हाथ आना (२) खोई हुई चीज़का मिल जाना जडसुं वि० बड़े डील-डौलका मगर कम अक्ल (व्यक्ति) [ उजरत) जाई स्त्री० जड़ाई (जड़नेकी रीत या जाउ (-) वि० जड़ाऊ; जड़ाववाला (२) पुं०; न० वह जेवर जिस पर नग या रत्न जड़ा हो जडि न० मुख्य जड़; जड़ जडियो पुं० जड़िया; पच्चीकार जडी स्त्री० जड़ी; जड़ी-बूटी जडीबुटी स्त्री० चमत्कारी असर करनेवाली बूटी; जड़ी-बूटी जण पुं० जन; व्यक्ति जगतर न० जनन; जनना ( २ ) बालक (३) औलाद ; संतति [ देना जणबुं स० क्रि० जनना; बच्चेको जन्म अणस स्त्री० जिन्स; चीज (२) माल; १८८ जनाकारी सौदा (३) रोकड़-बाकी (४) गहना जेवर (५) अफ़ीम जणसभाव स्त्री० ; न० धन-दौलत गौर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गहना पाता ; मूल्यवान चीजें Store स० क्रि० ' जाणवुं ' की प्रेरक क्रिया; जताना; जनाना जगावं अ० क्रि० ' जणवुं', ' जाणवुं 'का कर्मणि (२) दिखाई देना ( ३ ) बाहर आना; जाहिर होना; खुलना जतन न०, ( -ना) स्त्री० जतन; यत्न; हिफ़ाज़त जतरहुं न०, ( - डो) पुं० जंता; सोनेचांदी के तार खींचनेका एक औजार जथाबंध अ० थोक; फुटकरका उलटा जयो पुं० जत्था ; जूथ; दल जम्याबंध अ० देखिये 'जयाबंध' जभ्यो पुं० देखिये 'जयो ' जनता स्त्री० जनता; लोग-बाग जनम पुं० जन्म; जनम; पैदा होना (२) जिदगी जीवन । [ - आपवी = पैदा करना; जन्म देना. ] जनमकुंडळी स्त्री० कुंडली; जन्मकुंडली जनमकेव स्त्री० उमरकंद; डामल जनमकेबी वि० (२) पुं० जिसे उमर 1 क़ैदकी सजा हुई हो; उमरक़ैदी जनमगांठ स्त्री० बरसगाँठ; सालगिरह जनमटीप स्त्री० डामल; आजीवन कारावास ; उमरद जनमवं अ० क्रि० जन्म लेना; जनमना जनमारो पुं० जन्मसे मृत्यु तकका काल; सारी जिन्दगी या उम्र ; जनमारो [ प . ] जनमोजनम अ० हर एक जनममें जनमोतरी, जनमोत्री स्त्री० जनमपत्री; जन्मपत्रिका; जायचा [ छिनाला जना ( ०कारी) स्त्री०जिना; जिनाकारी; For Private and Personal Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनायो १८९ बनायो मुं० अरथी; जनाजा(२)जना- बबरण(ब) वि. जबरदस्त; जोजेके पीछे जानेवाला जुलूस रावर [बलात्कार; ज्यादती बनानखान न० जनानखाना; अंतःपुर; जबरज(-)स्ती स्त्री० जबरदस्ती; जबराई,पपरी स्त्री० देखिये जबरदस्ती' जनानी वि० जनाना; स्त्री-संबंधी; जब वि० जबरा; बलवान (२) मुश्किल स्त्रियोंका; उदा० 'जनानी जोडा'(२) [ला.] [जबान नामर्द ; नपुंसक जवान स्त्री० ज़बान ; जीभ (२)बोली; जनानो पुं० जनाना; परदेमें रहनेवाला अम्बर वि० देखिये 'जबरं' स्त्री-समुदाय या उसका जनानखाना; जम जे भयंकर और क्रूर (२)जमकी हरम भांति अपना काम करने कराने में अटल बनाब वि० जनाब; श्रीमान । (व्यक्ति); उदा० 'जम जेवो माये जनावर न० जानवर; पशु (२)शिकारी छे पछी शुं थाय' जानवर; हिंस्र पशु; हिंसक जमगे पुं० जम ; जमदूत जनेता स्त्री० जननी जमण नजीमना; भोजन (२)जेवनार; जनोई स्त्री०; न० जनेऊ; उपवीत जाति-भोज; जेंवनार जनोईवाट वि० जनेऊका हाथ - बायें जमणवार ०; स्त्री० जेवनार; जातिकंधे पर तलवारका तिर काटता भोज (२) उसकी तिथि या दिन हुआ (वार) जमणु वि० दाहिना । जमणो हापजन्नत न० जन्नत ; स्वर्ग [जिंदगी मुख्य मददगार व्यक्ति; दाहिना हाथ.] जन्म पुं० जनम; जन्म (२) जीवन, जमपुरी स्त्री० यमनगरी; यमलोक जन्मकुंडली (-ळी), जन्मकेव,जन्मकेबी, जमख्ख न० अमरूद [पेड़ जन्मगांठ, जन्मटीप, जन्म, देखिये जमरूखडी, जमरूखी स्त्री० अमरूदका __'जनम' आदि ['जनम' आदि जमवू सक्रि० जीमना (२)लाभ होना; जन्मोजन्म, जन्मोतरी, जन्मोत्री देखिये कमाना; टना (कटाक्षमें) [ला.] जपत वि० जन्त; कुर्क ; राज्य द्वारा डां- जमा वि० जमा; जमा हुआ; इकट्ठा ड़के रूपमें जब्त किया हुआ; जन्तशुदा (२) बहीखातेम जमाके बाजूका; (२)कर्जके एवज़में जब्त किया हुआ; जमाका (३)स्त्री० आमदनी; जमा; जन्तशुदा प्राप्ति-वसूल (४)जोड़; जुमला; जमा अपती स्त्री० जब्ती (२)कुकी जमाई पुं० जमाई; दामाद . जप्त, जप्ती देखिये 'जपत', 'जपती' जमाउषार न० जमा और खर्च; आयजबर वि० जबर; बलवान; बड़ा; खर्चका हिसाब; जमा-खर्च..... भारी; सस्त; बहुत (कद, बल, सत्ता, समाचारक, समालपुं० न०आय और प्रति बादिमें) (२) उर्दू लिखावटमें खर्च; जमा-सच ....[कराना हस्व अकारका चिह्न जबर बमारवं स० कि० जिमाना; भोधन For Private and Personal Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १९० जमात स्त्री० जमात; जमाअत; समूह (२) नागा साधुओंकी जमात जमान पुं० जामिन; जमानतदार जमानी स्त्री० जमानत ; जिम्मेदारी जमानो पुं० ज़माना; युग; बहुत समय (२) देशकालकी, आचार-विचारादिकी अमुक स्थिति या उसका काल । मानानुं खाल = ज़माना देखा हुआ; अनुभवी ; पक्का जमापासुं न० जमा; बहीमें वह भाग जहाँ प्राप्ति या आमदनी लिखी जाती है। जमाबंदी ( - घी) स्त्री० जमाबंदी; बंदो[ पासुं' जमाबाज ( - जू) स्त्री० देखिये 'जमाजमाव पुं० जमाव; भीड़ जमघट जमावट स्त्री० जमाना (२) किसी चीज में खप जानेवाली मिलावट जमाव स०क्रि० जमाना जमावसूल स्त्री० ; न० जमाबंदी; लगानकी उपज बस्त जमीन स्त्री० ज़मीन; भूमि ( २ ) खेतीके योग्य जमीनका टुकड़ा; खेत (३) घावके भर जानेसे आनेवाली नई चमड़ी; खुरंड । [ - आववी = = घाव भर जाना । :-मां पेसवं = नाटा रहना (२) बहुत शर्म आना; जमीनमें गड़ जाना. ] जमीनदार वि० ज़मीनकी मालिकी रखनेवाला (२) पुं० जमीनका मालिक (३) जमींदार जमीनदारी वि。जमींदारका; जमींदारसे संबद्ध (२) स्त्री० जमींदारी जमीनदारी पद्धति स्त्री० लगान अदा करनेकी वह पद्धति जिसमें किसानों के बदले मालगुज़ार- जमींदार सरकारको मालगुजारी अदा करता है Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चकर जमीनदोस्त वि० जमींदोज ; तहस-नहस जमे वि० (२) स्त्री० देखिये ' जमा ' जर्मयो पुं० खुखड़ी; कटार जैसा एक हथियार जर पुं० ज़र; धन; सोना ( २ ) जरतार जरकसी वि० ज़रकश; कलाबत्तूनी जरख न ० एक जंगली प्राणी; लकड़बग्घा जरजोलम न० पैसा आदि जोखिम जरयोस्ती वि० ज़रतुश्तका; जरतुश्ती (२) जरतुश्तका अनुयायी (३) ५० पारसी जरदालु (-छु) न० जरदालू; खूबानी जरबी स्त्री० अंडेके अंदरका पीला रस; जरदी जरदो पुं० तंबाकूका चूरा; जरदा जर अ० क्रि० जीर्ण-जर्जरित होना; • घिस जाना; झीना या दूर दूर होना (२) पचना; हजम होना जरा वि० (२) अ० ज़रा ; थोड़ा जराक वि० (२) अ० जरासा ; अल्प जरातरा अ० थोड़ासा ; नहींवत् जरायत वि० वर्षाके पानीसे होनेवाला ; चौमसिया ( फ़सल ) जरी स्त्री० जरी; कलाबत्तू; जरीका माल (२) वि० ज़रकश; जरबफ़्त जरी वि० (२) अ० जरा; थोड़ा; कुछ जरीक वि० (२) अ० थोड़ासा ; नहींवत् जरीकाम न० ज़रीका काम; कसीदा; सलमे सितारेका काम; जरी जरीपुराणं वि० पुराना; टूटा-फूटा; विशेष पुराना जलो पुं० देखिये 'झरूखो ' जरूर स्त्री० उपयोगिता; जरूरत जरूर स्त्री० जरूरत; आवश्यकता ; ग़रज; हाजत; उपयोगिता (२) अ० जरूर; अवश्य; बेशक For Private and Personal Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नारत जरुरियात स्त्री० देखिये 'जरूर स्त्री० में जरूरी वि० जरूरी; आवश्यक ; लाजिमी जलजलबंबाकार अ० सब जगह पानी पानी हो गया हो इस तरह; जलथल एक हो इस तरह जलद वि० तेज; सख्त; तीखा जलदी स्त्री० जल्दी; उतावली (२)अ० झटपट ; शीघ्र; जल्द जलपान न० जल पीना जलसो पुं० जलसा (२) संगीतका जलसा जलंद(-)रन० जलंधर; जलोदर जलेबी स्त्री० जलेबी बब पुं० जौ; जव [खार बक्सार पुं० जवाखार; जौके पौदेका बबरअवर स्त्री० बारबार आना-जाना; आमद-रफ़्त जबल्ले अ० क्वचित् ; कभो; शायद जबर्बु अ० क्रि० (फलके लिए) लगना; फलना; फल लगना; उदा. 'फूल बेसे पछी सींग जवे'(२) (फलादिमें) ढोला पड़ना बवान वि० (२) पुं० देखिये 'जुवान' जवानी स्त्री० देखिये 'जुबानी' जबाब पुं० जवाब। [-आपवा अईं = अपने भले-बुरे कर्मोंका हिसाब देने ईश्वरके पास जाना; मर जाना.] बाबदार वि० जवाबदार; जिम्मेदार; उत्तरदायी जवाबदारी स्त्री० जवाबदारी; जवाब- देही; उत्तरदायित्व जबाबी वि० जिसका जवाब मांगा गया हो; जवाबी (२)जिसके जवाबका खर्च दे दिया गया हो; जवाबी (खेत; तार) बवारा पुं० ब०व० धान, जौ आदिके मिट्टी में गाड़कर उगाये हुए अंकुर जरई; जवारा [जाना जवावं अ० क्रि० 'जवू का भावे; जाया जवासो पुं० जवासा; जवास जवाहिर न० जवाहिर; हीरा, रत्न, मणि आदि जौहर जवं अ०क्रि० जाना; गुजरना; दूर होमा (२) हाथसे निकल जाना; कम होना (३)नुकसान होना; नष्ट होना; घटना (४)बीतना। [जतुं कर = माफ़ करना; रिहा करना; जाने देना.] जसत न० जस्ता; जस्त । जहन्नम न० जहन्नुम; नरक ; जहन्नम जहाज पुं० जहाज, जलयान ; जलपोत जहाजी पुं० जहाजी; जहाजरान (२) वि० जहाजी; जहाजका जळ न० जल ; पानी । [-अंपy = नीरव शान्ति होना; सन्नाटा छाना। -मूक, = प्रतिज्ञा करना। -लेवं = प्रतिज्ञा करना.] [मद्गु जळककडी स्त्री० एक जलचर पक्षी; जळघोडो पुं० दरियाई घोड़ा; 'हिंपोपोटेमस' [बंबाकार' जळजळबंबाकार अ० देखिये जलजलजळजळवू अ०क्रि० जलना(२)जलन होना जळजळं वि० डबडबाया हुआ (लोचन) जळझीलणा(-णी) वि० स्त्री० भाद्रपद शुक्ला एकादशी जळवावं अ० क्रि० 'जाळव' का कर्मणि जळवू अ० कि० जलना; सुलगना जळो स्त्री० जोंक जळोव(-बार देखिये 'जलंघर' जंगम वि. जंगमचलमनक़ला जंगल न० जंगल; बन ।[-बापालाने जाना.] For Private and Personal Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९२ जाप्यमनाचे तरपुं० न० जंतर; तांत्रिक आकार जानम स्त्री. जाजम; जाजिम बिसात या कोष्ठ; यंत्र (२)ऐसी आकृति या बिछावन अक्षरोंवाला काग्रज या पतरा; तावीज़ जाजर पुं०; न० पाखाना; जाजरू (३)जादू; जंतर-मंतर बारपन न०; जालाई स्त्री० मोटाई; अंतर९न० देखिये 'जतरडं' स्थूलता जंतरमंतर पुं; न० जंतर और मंत्र; तंत्र । जाग्यिं वि० मोटा; स्थूल -मंत्र; जादू-टोना जाई वि० मोटा; दलदार (२)मोटा; बंप (ज') पुं० चैन; कल ; शान्ति मेदस्वी; चरबीयुक्त (३)दबीज; घना; जंपवं (जं') अ.क्रि० चैन होना; शांत ठस; गाढ़ा (४) तीक्ष्णका उलटा; होना (२)झपना; जरा नींद लेना- भोथरा; कुंद (५)भारी; कर्कश (६) आँख लगना (३)तूफ़ान या धमाल [ला. मंदबुद्धि; जड़ (७) अशिष्ट; करनेसे रुकना; शान्त होना गवार (८) जिसमें गहराई न हो; बंबूर न० कीलें खींचनेका एक औजार मोटा; उदा० 'तेनुं काम जरा जाडं जंबूरा; जंबूर होय छे' [दबीज जंबूरोपुं० एक छोटी तोप; जंबूर (२) जाडं खद्दर वि० ठस बुना हुआ; गाढ़ा; बाजीगरका मददगार लड़का; अमूरा जाडंब(-भ)म वि० भारी-भरकम; जाभाव स्त्री० जाना और आना; आवा- अतिशय मोटा जाही [(२) रुखसत जाण वि० जानकार (२) परिचित जाकार(-रो) पुं० आव-भगत न होना पहचानवाला (३)स्त्री० जानकारी जाकीट न० जाकिट; फतुही; वास्कट ज्ञान (४)परिचय; जान-पहचान जागतुं वि० जागता हुआ; जागता; जाणकार वि० जानकार [पहचान जाग्रत (२) सजग; जागरूक; बेदार। जाणपिछाण (-न) (ण,) स्त्री० जान[-मूतर = जानबूझकर बिगाड़ना। जानमे वि० अंदरकी बात जाननेवाला; जागतो वहाडो = आबादीका काल बातका भेद जाननेवाला; भेदिया। (२) अशुभ या झगड़ेका दिन.] जाणवं स० क्रि० जानना; पहचानना; जागरण न० जागरण; रतजगा (२) परिचित होना (२) मानना; समझना; जागृति; बेदारी उदा. 'हुँ जाणु के ते करशे' बागवू अ०क्रि० जागना; नींदसे उठना; जागी जोई (ने), जागी बूली (ने) जाग्रत होना; जगना (२) सजग होना; जान-बूझकर जाग्रत रहना; जगना (३)जागता हुआ जाणीतुं वि० जान-पहचानवाला; परिहोना; जागना (४) ताजा होना; चित (२) अनुभवी; अभ्यस्त (३)नामी चलना; उभरना; उदा० 'वात पाछी जाणे अ० गोया (२)मानो; जानो जागीले '(५)अज्ञानमें से निकलना; जायेमजा, जाप्येमजाये अ० जानेज्ञान प्राप्त करना अनजाने ... For Private and Personal Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org -जात (त) स्त्री० जाति; जात; वर्ग ( २ ) वंश; जात; खानदान; उदा० 'तुं तारी जात उपर गयो' (३) -बिरादरी; गोत्र ( ४ ) देह; जात (५) सदा बना रहनेवाला मूल गुण; प्रकृति; जात [ला. ] 1 [- उपर जयं जातिस्वभाव दिखाना; जात पर जाना (२) मिज़ाज करना । - चोरवी = कामचोरी करना ( २ ) बिरादरी, जात-पाँत छिपाना । —जणावी = असलियतका पता चलना; जाति या कुलकी प्रकृतिका जाहिर होना. ] AAP जातकमाई स्त्री० खुदकी कमाई जातभाई पुं० एक ही जाति या बिरादरीका; एक ही बिरादरीमें उत्पन्न होने के नाते भाई, भाई-बंद; ज्ञाति-जन जातमहेनत स्त्री० खुद की हुई मेहनत ; स्वाश्रय ( २ ) शरीरश्रम जातरखं वि० केवल अपनी जात सम्हालकर बैठा रहनेवाला; स्वार्थी; खुदगरज [ नस्लका जातिवंत, जातवान वि० कुलीम; अच्छी जाति स्त्री० कुल, वर्ण या विरादरी और योनिका भेदसूचक वर्ग; जाति; समुदाय (२) लिंगभेदसूचक वर्ग: जाति; लिंग [ व्या. ] जातिवहेवार पुं० जाति-जाति के बीच में खान-पानका संबंध जातिवाचक वि० जातिवाचक [व्याः ] मातिस्वभाव पु० जातिस्वभाव; जाति या कौमका विशिष्ट स्वभाव ( २ ) खुदका स्वभाव; स्वभाव जातीय वि० जातीय; जातिका ( २ ) स्त्री या पुरुष जाति-संबंधी; यौन π FZ-93 १९३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाते (ते) अ० खुद; आप ( २ ) जातिका; ज्ञातिसे; उदा० 'ते जाते कोण छे? जात्रा स्त्री० तीर्थयात्रा; यात्रा; जात्रा जात्राळ पुं० (२) वि० तीर्थाटन करनेवाला; यात्री जायु ( - थूक) अ० हमेशा टिके-चला करे इस तरह; लगातार जादवास्थळी स्त्री० यादवोंकी आपसआपसकी लड़ाई (२) एक वर्णके व्यक्तियोंकी आपसी लड़ाई; खानाजंगी [ला. ] जादु पुं० न० जादू जादुई वि० जादूका चमत्कारी जादुगर पुं० जादूगर; जादुमंतर पुं० जादूका मंत्र जादू, जावई, जादूगर, जादूमंतर देखिये. 'जादु' आदि जान स्त्री० बरात; जनेत 1 जान पुं० जान; प्राण ( २ ) प्राणप्यारा व्यक्ति; जान [ ला. ] ( ३ ) दम; जान (४) हानि 1 [ -आपवो जान बख्शना । —पर आवयुं = जान पर आ बनना ( २ ) जान पर खेलना.] जानमाल पुं० जान व माल; जन-धन जानवर न देखिये 'जनावर जानी वि० प्राणप्रिय ( २ ) जानी; जान लेनेवाला [ जगह; जनवासा जानीवासों पु० बरातियोंके ठहरनेकी जानेवारी पुं० देखिये 'जान्युआरी जानैयो पुं० बराती आजारी पुं० जनवरी भापती पुरु जान्ता; पक्का इंतजाम क़ाबू; कड़ी निगरानी जापानी वि० जापान देशका या संबद्ध; जापानी (२) जो टिकाऊ न हो; For Private and Personal Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नाजुक दिखावटी [ला. ] ( ३ ) स्त्री. ० जापानकी भाषा; जापानी (४) पुं० जापानवासी जास्तो पुं० देखिये. 'जापतो.' जाफत स्त्री० जाफ़त ; दावत जाफरां, जाफरियां न० ब० क० (अव्यवस्थित ) लंबे बाल (२) जुल्फ परीशाँ; . बिखरे हुए बाल [झबरा (पशु) जाकरियाळु जाफरियुं, आफदं वि० जामगरी स्त्री० तोप या बंदूक्रमें आग देनेका फ़लीता; जामगी । [-चांपवी, मूकवी = तोप, बंदूक़ आदि दागना (२) [ला.] उभाड़ना; उकसाना; कलह कराना. ] थामफळ न० अमरूद जामवं अ०क्रि० जमता; जमा, इकट्ठा होना ( भीड़, टोला, मैल, कचरा) (२) पतली चीजका गाढ़ी या ठोस होना; नीचे बैठना ; चिपकना; बैठना ; जमता : (दूध, पानी) (३) जड़ मजबूत होना; - अपनी जगह पर डटा बना रहना; जमना (४) रसोत्पादक होना; दिलमें बैठना; रंगमें आना; मचना; जमना ; चल निकलना; उनना (मैत्री, धंधा, दुकान, युद्ध) । [ जामी जबी =ठनना; - झगड़ा होना; लड़ पड़ना. ] सामिन पुं० समानत लेनेवाला; जामिन जामिन न० जमानतनामा: जामिनपरी स्त्री० जामिन होना; जामिनी [ देखिये 'जामिन' आदि जामीन, जामीनास, जामीनीरी जागो पु० पेशवाज जंसा बड़ा घेरदार अंगरखा; जामा 153 L ि न जायफल जम्मू वि जनमा हुआ जात १९४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाळणी जायो पुं० पुत्र ( २ ) वि० पुं० जना हुआ; जनमा हुआ; जात जार (र) स्त्री० ज्वार (अनाज) जारबाजरी स्त्री० भरण-पोषण ; गुजारा [ला.] जारी अ० जारी; चलता हुआ जालिम वि० ज़ालिम; क्रूर जावक वि० बाहर गया या भेजा हुआ; निर्यात (२) स्त्री० बाहर भेजा हुआ; निर्यात (३) खर्च; व्यय ( ४ ) खर्चमें लिखी हुई रक़म ; उधार जावंतरी, जावंत्री स्त्री० जावित्री जासाचिठ्ठी स्त्री० निजी बैर लेनेके लिये लिखी जानेवाली धमकीभरी गुप्त चिट्ठी जासूसी स्त्री० जासुसका काम; जासूसी जासो पुं० निजी बैर लेनेके लिए लोगों पर की जाती ज्यादती (२) उसके लिए दी जाती गुप्त धमकियाँ जाहेर वि० जाहिर; जो गुप्त न हो; प्रकट; खुला हुआ (२) सार्वजनिक ; आम जाहेरखबर स्त्री० विज्ञापन; इश्तहारआहेरनामुं न० घोषणापत्र सार्वजनिक सूचना [ आम जलसा जाहेरसभा स्त्री० सार्वजनिक सभा; जाहेरात स्त्री० जाहिर करनेकी क्रिया; प्रसिद्धि (२) इश्तहार; विज्ञापन (३) अ० खुले आम ; जाहिरमें जाजलाली स्त्री० वैभव दबदबा शान व शौकत ; जाह व जलाल जाळ स्त्री० . जाल ( सूत, सन आदिका ) (२) जाला. (३) फंदा : फ़रेब; जाल (४) लट्टू पर लपेटनेकी छोटी रस्सी जाळवणी स्त्री० संभाल; हिफ़ाजत For Private and Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिल्लो पुं० विभाग; हलका (२)सूबेका वह भाग जो कलक्टरके मातहत हो; जिला बाळव बाळव स० क्रि० संभालना; सहेजना; हिफ़ाजत करना जाळावाळा वि० छिदरा; जो दबीज़ न हो (कपड़ा) (२) तार-तार; जीर्ण जाळियं न० जाली (मकानमें); रोशनदान (२)जालीदार चिमनी जाळी स्त्री० छेददार चीज़; जाली (२) जाली जैसी बनावट जो दीवार या खिड़कीमें लगाई जाती है ; जंगला (३) लटूकी डोरी जाळून० जाला (२) मकड़ीका बुना हुआ जाल (३) आँखका एक रोग; जाला (४) जाल; ठगने, फँसानेकी युक्ति जांगड (०) वि० लौटानेकी शर्त पर, दिखानेके लिए, बिना दाम दिये लिया हुआ सौदा; जाकड़ जांघ (6) स्त्री० जाँध; जंघा; रान । जांघियो पुं० जाँघिया; घुटन्ना; निकर जांबु (०) न० जामुन [जामुनी जांबुडियं (०) वि० जामुनके रंगका; जांपु( ० )वि० जामुनी (२)न० जामुन बांबुडो (०) पुं० जामुनका पेड़; जामुन जिगर न० दिल; जिगर (२)दिली दोस्त ला. .. [जितवाना जितार (4) सक्रि० जिताना; जिता अ० कि. 'जीतना' क्रियाका कर्मणि रूप ; जीता जाना जिद्द स्त्री० ज़िद; हठ जिही वि० जिद्दी; हठी .. निजल न० जन्नत्त; स्वर्ग : ... जिप्सी वि० (२)पुं० एक खानाबदोश जातिका आदमी; कंजड़; कंजर जिराफ न० जिराफ़ा .. जिरायत वि० देखिये 'जरायत', जिवाई स्त्री० जीवन-निर्वाहके लिए मुकर्रर की हुई रकम या जमीन; जीविकाका साधन; गुजारा .. जिवाड, स० कि० जिलाना; जिंदा करना; मरनेसे बचाना (२)पालनापोसना; जिलाना जिवाळी स्त्री० तबलेके चमड़े परका • काला वर्तुल; स्याही (२)तंबूरेके तूंबे पर तारोंको बाँधा जानेवाला डोरा; जवारी यहोवा जिहोबा पुं० ईश्वरका यहूदी नाम; जिगोडी स्त्री० किलनी; चिचड़ी . जिगोडगे पुं० बड़ी किलनी; चिचड़ा जीतवंस० क्रि० जीतना --- जीतून न० देखिये जेतून' बीद स्त्री० देखिये जिद्द जोन पुं० एक प्रकारका भूत; जिन जीन न० जीन; पलान; चारजामा जीनो पुं० जीना; अलग निकाली हुई सीढी . . जीभ स्त्री. जीम (२)जबान; पाणी (३)रसना; जीभ (४)बूट पहनने में प्रयुक्त लोहेकी पट्टी;जीभ । [-साई जबी कह कहकर थक जाना।-गोमा घालवी, वाळवी-जीभ रोकना; बोलना बंद करना। जीनेजबान पर होना(२)बदनाम होना] जीभाबोडी स्त्री हुज्जत ; कहा-सुनीः बीरण वि० जीर्ण जीरव, स० क्रि० पचाना हजम करना (२)सहन करना; खेलना मी न जीत ..... For Private and Personal Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जी वि० जीर्ण; बहुत पुराना (२) पिंदा होना या रहना; जीता (३) जीलबे अ० बहुत ताबेदारी सूचित जीवन गुजारना; जीना; उदा० 'गुलाकरनेवाला उद्गार मीमां जीववा करतां तो मरवु सारु' नीव पुं० जीव; प्राण; शरीरका चेतन जीवसटोसट अ० जानजोखों [समूह तत्व (२)प्राणी; जीव(३)मन; दिल; जीवात स्त्री० सूक्ष्म जंतु या कीड़ोंका जी (४) [ला. पूंजी; धन (५)जान; जीवादोरी स्त्री० देखिये 'जीवनदोरी' दम; सार (६) चित्त; मन ; ध्यान । जीर न० कपास, पोस्ते इत्यादिका [अध्धर पवोजी न लगना (चिंता- फल; डोंडा; ढंढ़ी; डोड़ी . के कारण)। -आववो = सचेतन जीथरां (0) न०ब०व० देखिये 'झीथरां' होना (२)जानमें जान आना। -कह जुआई न० संयुक्त कुटुंबसे अलग होकर करतो नथी =जी न करना; मन न । .. जमाया हुआ नया संसार; बँटवारा; मानना. . __ अलगोझा जीबउकाळो पुं० जलापा; क्लेश; कुढ़न जुआळ पुं० ज्वार;जुआर;भाटाका उलटा जीवजंत(१) नकीड़ा-मकोड़ा; जुक्ति स्त्री० जुगत; उपाय; युक्ति; जीव-जंतु करामत (२)रीत जीवई न० जंतु; छोटा कीड़ा जुग पुं० जुग; जमाना; युग जीवडोपुं० जीव; आत्मा(२)बड़ा कीड़ा जुगत वि० जोड़ा हुआ; युक्त (२) जीवत न० जीवित; जिंदगी; जीवन युक्त; योग्य; अनुकूल जीवतदान न० प्राण-दान; जीवनन्दान जुगती स्त्री० देखिये 'जुक्ति' जीवतर न० जीवन; जिंदगी; उम्र । जुगतुं वि० अपनी जगह पर ठीक बैठता जीपतुं विजीता; जीववाला; जिंदा; हुआ; युक्त; उचित जुगलजोडी स्त्री० जोड़ा; युगल जीवतोर वि. जीतोड़ (काम) जगार पुं० जूआ; जुआ; द्यूत [जुआरी जीवन न० जीवन जिदगी (२)आयुष्य; जुगारियो पुं० जुआ खेलनेवाला जुआडी; उम्र(३)प्राण;जीवन जुगारी वि० जुआ खेलनेकी लतवाला बावनकलह पुं० देखिये 'जीवनसंग्राम' (२)० जुआड़ी; जुआरी जीवनदोरी स्त्री० आयुष्य (२)जीवनका जुळु वि० असत्य ; झूठा (२) नकली; मुख्य आधार [ला. बनावटी (३) बेकार; जड; संज्ञाहीन बीवननिर्वाह पुं० भरण-पोषण; निर्वाह (अंग) जीवनसतीस्त्री० सहधर्मचारिणी; पत्नी जुदाई स्त्री० जदाई; अलगाव जीवनसंग्राम. पुं० जिंदा रहनेके लिए जुद वि०जुदा; दूर; अलग (२) अनोखा प्राणियों द्वारा किया जानेवाला जुदा।[-पे - अलग होना (२)टूट संग्राम, जीवन-कलह ... जाना (३) अलग राय रखना (४) जीवलेपनि जानलेवा; प्राणघातक संयुक्तर्मेसे अपना अलग करना; जीव_ अ० कि० जीना; सांस बसना अलगाना : For Private and Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुनवाणी जुनवाणी वि० पुराना ( २ ) पुराने विचारवाला; सनातनी ; ' ओर्थोडोक्स ' जुबान स्त्री० देखिये 'जबान जुबानी स्त्री० ज़बानसे बताई हुई कैफियत ; गवाही जुमलो पुं० जुमला; कुल संख्या ; जोड़ जुमा पुं० जुमा; शुक्रवार जुमेरात स्त्री० जुमेरात; गुरुवार जुम्मेदार वि० जिम्मेदार; उत्तरदायी; ज़िम्मेवार [ दारी; जिम्मेवारी जुम्मेदारी स्त्री० उत्तरदायित्व; जिम्मेजुम्मेवार वि० देखिये 'जुम्मेदार' जुम्मेवारी स्त्री० देखिये 'जुम्मेदारी ' जुम्मो पुं० जिम्मा; जवाबदेही जुलफुं न० बालोंकी लट; ज़ुल्फ़ जुलम पुं० जुल्म; जबरदस्ती ( २ ) अत्याचार; अन्याय (३) अतिशयता या ग़ज़बका काम जुलमगार वि० जुल्मी; ज़ालिम जुलमी वि० जुल्मी ; अत्याचारी (२) जालिमाना; अत्याचारपूर्ण जुलाई पुं० जुलाई; जूलाई जुलाब पुं० जुलाब; विरेचन ( २ ) दस्त; जुलाब | [ - आपको = विरेचन देना (२) [ला. ] खूब धमकाना बहुत घबड़ाना । —थई जवो = घबड़ा जाना. ] जुवान वि० (२) पुं० जवान जुवानजोष वि० पूर्ण यौवनशाली (२) मजबूत; कद्दावर जुबानियो पुं० जवान जुवानी स्त्री० जवानी ; युवावस्था; यौवन जुवार स्त्री० ज्वार ; जुआर (अनाज) मुंबाई न० देखिये ' जुआई जुस्सादार वि० ओजपूर्ण; जोशीला 2. १९७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जस्सो पुं० जोश; उत्तेजना (२) मनो वृत्तियों का आवेश ( ३ ) शक्ति; प्रबलता जुहार पुं० जुहार; 'प्रणाम', ' सलाम का भाव सूचित करनेवाला शब्द जू स्त्री० जूं ; ढील । [ जेबुं = किलनीकी तरह चिपकनेवाला; चिकना; चमचिच्चड़ (व्यक्ति) . ] जूई स्त्री० जूही; जुही (बेल) जूगटुं न० जुआ; द्यूत जूज वि० बहुत थोड़ा; ज़रा जूजजाज बि० अति थोड़ा; नहींवत् जूजवं वि० जुदा; भिन्न ; अलग जूठ न० झूठ; असत्य जूठाणं न० झूठी बात ; झूठ जूठाबोलुं वि० झूठ बोलनेका आदी; झूठा [झूठा (अंग) जूठं वि० झूठा ( २ ) नक़ली (३) बेकार; जूटुं वि० खाकर छोड़ा हुआ; जूठा जूडी स्त्री० पूली; छोटा गट्ठर; जूरी जूडो पुं० झाड़ू (२) गट्ठर; पूला; मुट्ठा जूतियुं न०, जूती स्त्री०, जतुं न० जूता । [ जूतियां लावां, पडवां = मार पड़ना; जूते पड़ना ( २ ) अपमान या तिरस्कार होना; निकाला जाना । जूते मायुं जयं = जानेकी परवाह न करना; जूतीकी नोकसे; बलासे.] जून पुं० जून (छठा महीना ) जूनुं वि० पुराना; आगेका ; क़दीम (२) जर्जर; जीर्ण (३) जिस पर बहुत समय बीत चुका हो; दिनी ( ४ ) सघा हुआ; पूर्ण अनुभवी सिद्ध; नामी ; पुराना; उदा० 'जूनो चोर, जोगी, पापी आदि' जूवो पुं० किलनी (जे') स० (२) वि० जो ( ३ ) अ०जो; कि; उदा० तेनुं कारण ए छे जे (के) ' For Private and Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९८ मोग (ज) पुं०; स्त्री० जय; फ़तह जे, तेवं (जे') वि. साधारण ; जैसाजेजे (अँजें) पुं० नमस्कार; वंदन (२) तैसा (२)कैसा भी अ० वंदनसूचक उद्गार जेहाद स्त्री० धर्मकी रक्षाके लिए किया जेजेकार (जॅज)पुं०; स्त्री० जयजयकार जानेवाला युद्ध; जिहाद जेटलं (जे') वि० जितना जेहु स्त्री० धूल ; गर्द जेटले (जे') अ० जिस मात्रामें ; जितना जो अ० यदि ; अगर; जो जेठ पुं० पतिका बड़ा भाई; जेठ (२) जोहए अ०क्रि० चाहिये [आवश्यक जेठ मास जोईतुं वि० चाहिये उतना; ज़रूरी; जेठाणी स्त्री० जेठकी पत्नी; जेठानी। जोके अ० यद्यपि ; अगरचे; गो; जोकि जेठीमष न० जेठीमधु; मुलेठी, . (२) फिर भी; उदा० तेणे आपवा जेतून (जें") न० जैतून; एक तेलहन; कहघु,जो के एनुं मन नथी) 'ऑलिव जोख न० जोखनेका बाट (२) जोखनेकी जेते स० (२)वि. कोई भी; जो भी रीति; तौल; जोख (३) तराजू... (३) सामान्य; उदा० 'आ कई जे ते जोखम न० भविष्यमें होनेवाले नुकसामाणसथी' न बने' नकी दहशत (२) नुक़सान; जोखिम; जेब पुं०; स्त्री० जेब; शोभा खतरा (३) वह कार्य जिसमें जोखिमका जेम(जे') अ० जैसे; जिस तरह; यथा डर हो; साहस। [-खेर साहस जेम के (जे') अ० जैसे कि; मसलन् ; करना; जोखिम उठाना। -वेठy = उदाहरणके रूपमें . घाटा सहना; नुकसान उठाना.] अब तेम (जे') अ० ज्यों-त्यों; किसी जोखमकारक, जोखमकारी वि० जिसमें तरह मुश्किलसे; येन-केन जोखिम हो; जोखिमी जेमन (ज') स० ब०व० जिनका (२) जोखमदार वि० देखिये 'जवाबदार' वि. जिस तरहका; जैसा (३)जिस जोखमदारी स्त्री० देखिये 'जवाबदारी' बाजू या तरफ़का [जेर जोखमावं अ० क्रि० नुकसान पहुंचना जेर (जे') अ० बसमें; ताबे; पराजित; जोखवू स० क्रि० तौलना; जोखना (२) जेरबंद (-1) (जे) पुं०घोड़ेकी बागको मनमें अच्छी तरहसे विचारना [ला.] तंगके साथ जोड़नेवाला चमड़ेका जोग वि० योग्य ; उदा० 'खावा जोग; तस्मा; जेरबंद (२) चमड़ेका कोड़ा; लखवा जोग' (२) की ओरका; सटाकी जोग; के लिए; उदा. 'नाम जोग जेरो पुं० गिरा हुआ चूरा; झड़न; चूरा हुंडी' (३) अ० -के प्रति; उदा. ' (२) तंबाकूका चूरा; जर्दा '... ना तंत्री जोग' जेल स्त्री० कैदखाना; जेल;जेलखाना जोग पुं० योग (२)प्रबंध ; इंतज़ाम (३) (२)कैद ; कैदकी सजा बुनाईमें तानेके सूतके तारोंको ऊपरजेवई वि. जितना (कद, नाप) । नीचे करनेवाली योजना।[-आवयो, जेई (जे) वि. जैसा; जिस तरहका बेसबो संयोग प्राप्त होना; मौका For Private and Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बोगटी १९९ मिलना।-सावो-योग होना;मिलाप लगाना (४)(बैल या घोड़ा)जोतनाः होमा.] वाहन या सवारी तैयार करना (५) जोगटोपुं० जोगड़ा; साधु (तुच्छकारमें) नुकसान या घाटेको भरना; पूर्ति जोगण स्त्री० योगिनी; जोगन ; जोगिन करना; भरना; उदा. में ऐमां घरना (२) साधुकी स्त्री; जोगन । दस जोडघा' (६) स्थापित करना बोगमाया स्त्री० ईश्वरकी माया; योग- (प्रीत) मनसे उपजाना;जोड़ना(बात)। माया (२) दुर्गा [जोरी काढ= कल्पनासे गढ़कर जोगवाई स्त्री० व्यवस्था; इंतजाम तैयार करना; बनावटी या झूठा तैयार जोगं वि० देखिये 'जोग' वि० करना; बातें बनाना.] जोटसी स्त्री०,(-3) न० जवान मैस; जोडवू न० जोड़ा; जोड़ी औसर जोडाक्षर पुं० संयुक्ताक्षर; मिलित वर्ण जोटो पुं० एफसी दो चीजोंका जोड़; जोगजोर अ० पास-पास; सटकर : जोड़ा; उदा० 'धोतीजोटो (२) एक जोडान न० जोड़; संधिस्थान; संधान चीजके साथ सब तरहसे बराबरीकी (२) इकट्ठा करना; मिला देना; जोड़ चीज़; जोड़ी (३) इकट्ठा होना; जुड़ना; उदा० 'बे जोर स्त्री० दो समान चीजोंकी जोड़ी; राज्यो- जोडाण'. जोड़ (२) प्रतियोगिता या बराबरीमें जोरियुं वि० साथ रहनेवाला; साथी%B समान उतरनेवाली दूसरी बीज; जोड़ संगी (२) जोड़ेमेंका कोई एक; (३) तंबूरेके चार तारों में से बीचके जोड़वाला . [बच्चेकी जूती दो तार (४) सोहबत; मिलन; योग जोडी स्त्री० जोड़ी; जोड़ (२) छोटे जोरकj न० तुकबंदी; कैसे भी जोड़ा जोडीदार पुं० साथी (२) बराबरीका; हुआ गीत या पद्यरचना (२) मन- जोड़का; जोड़ीदार गढ़त बात जोडुन दो चीजोंका जोड़ा; जोड़ा (२) जोडकुं न० एक दूसरेके साथ लगी हुई वर-कन्या (३) जूता [पास चीजें ; युग्म (२) एक साथ पैदा हुए दो जोडे अ० साथमें; साय (२)नजदीक; बच्चे; जुड़वाँ (ब० व० में प्रयुक्त) जोडो पुं० जूता (२)देखिये 'जोटो' मोरणी स्त्री० जोड़नेका काम या रीत; जोत स्त्री० रोशनी; ज्योति (२)दीषेकी जोड़ाई (२)शब्द लिखनेके लिए अक्ष- लौ; टेम [बातकी बातमें रोंको जोड़नेकी रीत; हिज्जे ; जोड़नी जोतनोतामां अ० देखते ही देखते; जोडधं सक्रि०(अलग चीज़ोंको) जोड़ना मोतर न० जुआठेमें बंधी हुई रस्सी या - सीना, मिलाना, चिपकाना आदि तसमा जिसमें बैलकी गरदन फैसाई (२) अलग-अलग हिस्सों या टुकड़ोंकोजाती है; जोता मिलाकर एक पूरी चीज़ बनाना जोतर स. कि. जोतेसे पशुको तरतीबसे बैठाना; बैठाना; जोड़ना जुमाठेके साथ बाँधना; जोतना (वाक्य, पद्य, यंत्रादि) (३)काम पर जीत न० देखिये 'जोतर' For Private and Personal Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चीड़ो बौडी (-) पुं० योद्धा; सिपाही जोवन न० जोवन; जवानी जोबनवतुं बि० जोबनवाला ऑबर पुं० ( मिलमें) मजदूरोंका मेट; टंडेल [ होना मोबाबु अ० क्रि० गश खाना; मरणासन्न जोबो (जो ') पुं० जी खूबनेकी अवस्थामें आना; बेहोश हो जाना; राश; मूर्च्छा; बेहोशी । [आवयोः =ग्रश खाना; अचेत हो जाना. ] बोम न० जोम; जोश; बल जोर नं० जोर; कूवत ( २ ) श्रम; मेहनत; उदा० ' एमां मने शुं जोर पडचं ?' (३) वश; काबू ; जीर 'मारुं एना उपर कोई जोर नथी ' ( ४ ) उन्नति; तेजी ; जोश; वेग; उदा० 'भाईनुं काम कई जोरमां देखाय छे', 'तावनुं जोर' • आदि । [ - आवबुं = जोर पड़ना; श्रम लगना । —काढवु = बलका उपयोग करना; जोर दिखाना। -चडवूं = जोरों पर होना; जोर पकड़ना; चरबी चढ़ना.] जोरवार वि० जोरदार; प्रबल जोरावर वि० जोरावर; बलवान जोर स्त्री० जोरू; पत्नी [ [ दिखलाना जोवडा ( रा ) बवं स० क्रि० दिखाना; जोवानुं अ० क्रि० दिखाई देना; दीखना मोबुं स० क्रि० देखना (२) खोजना; -सोचना-समझना ; ध्यान देना; देखना [ला.] (३) पढ़ना; अभ्यास करना; उदा० 'कामना कागळ जोवा'; 'प्रूफ जोबां' (४) फलित ज्योतिष कहना या भूतादिका आवेश है या नहीं यह देखना (५) आजमाना; अनुभव करना; देखना; उदा० 'जोवु होय तो भावी जा' । [मोई २०० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लेवं = सोच लेना; गौर करता ( २ ) मारने की धमकी देना । जोईने चालवं, मोईने उगलं भरयुं = फुंककर पाँव रखना । जोवा जेबुं = दर्शनीय; सुंदर (२) बदनामी हो ऐसी स्थितिका आना; जिससे मारपीट हो; गत ( बनना).] जोश पुं० ज्योतिष; ज्योतिषका ज्ञान; नजूम । [ जोवा = ग्रहोंके स्थान देखकर फलित ज्योतिष कहना. ]. जोश पुं०; न० उफान; उबाल; जोश (२) उत्तेजना; सरगर्मी; जोश (३) वेग; जोर जोशी पुं० जोशी; ज्योतिषी; नजूमी जोशीलुं वि० जोशीला; जोरदार जोष पुं० देखिये 'जोश' जोषी पुं० देखिये 'जोशी जोस पुं०; न० देखिये 'जोश' ; ज्योतिष जोहाकी स्त्री० जुल्म; अत्याचार; ज्यादती For Private and Personal Use Only जोकम पुं० जुल्म ; धाक ( २ ) अ० हुक्म के मुताबिक ; जो हुक्म; जो आज्ञा जोहुकमी स्त्री० जुल्म ; स्वेच्छाचार (२) वि० जुल्मी ; अत्याचारी [ हत्या जोहर न० जौहर; सामुदायिक आत्मजौहर न० रत्न; जवाहरात ज्ञाति स्त्री० बिरादरी; जाति; ज्ञाति ज्ञातिबंधु पुं० बिरादरीवाला; भाई-बंद व्यारथी अ० जबसे व्यानुं वि० जबका प्यार लगी अ० जब तक ज्यारे अ० जिस समय जब ज्यारे प्यारे अ० किसी न किसी समय (२) चाहे जब ; जब कभी ख्यां अ० जहाँ " * Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्या त्यां २०१ ज्यो त्यो अ० जहां-तहाँ; हर एक जगह परीक्षामें नापास होकर उसी कक्षामें (२) मुश्किलसे (३) किसी तरह; रहना [ला.] ज्यों-त्यों ज्वाळा स्त्री० ज्वाला; आगकी लपट ज्युबिली स्त्री० महोत्सव; जुबली (२) ज्वालामुखी पुं० ज्वालामुखी स पुं० 'च' वर्गका - तालुस्थानीय चौथा । मटकामण न० फटकनेकी क्रिया; फटव्यंजन कना (२) फटकनेसे निकलनेवाला सकझोळ वि० मशगूल (२)स्त्री० रेल कचरा; फटकन (३)फटकनेकी उपत पेल ; बहुतायत (आनंदकी) मटकाबबुंस० क्रि० 'झटकवू' क्रियाका सकूबवू अ० कि० झुकना; लटकना । प्रेरणार्थक (२)झटकेसे मारता,काटना सख मारवी, मन मारीने रहे-देखिये मटको पुं० झटकेके साथ किया हुआ 'जन्व मारवी' [बोर; झलझल घाव ; झटका (२)धक्का; जोरसे खींचझगझग, संगमग अ० चमाचम ; झला ना (३) घावकी नाईं होनेवाली पीड़ा झगझगवं, झगमगवं अ० क्रि० झलझला [ला.] । [मटका खावा = घाव झेलना ना; जगमगाना [चमक (२) मर्मवचन या चुभनेवाली बात झगझगाट, झगमगाट पुं० जगमगाहट; सुनना। -पडवा = घाव खाना (२) मगq अ० कि० जगमगाना; झलकना दुःखी होना; श्रम उठाना (व्यंग्यमें).] सगार(-रो) पुं० जगमगाहट ; झलक सटोझट अ० झट-झट; झट-पट सगडवू अ० क्रि० झगड़ना; लड़ना .. सडको पुं० कपड़ेकी चीर; दरक (२) सघडाखोर वि० झगड़ालू ; कलहप्रिय _ झटका देकर दही मथना मघडो पुं० झगड़ा; टंटा; लड़ाई झडती स्त्री० पूरी खोज; तलाशी (२) सझणाट पुं० झनझनाहट ;शनकार (२) कुर्कीका आदेश ; जन्ती (३)पुलिसकी झुनझुनी;,जलन (३)रोब; दमाम तलाशी ममणी स्त्री० हाथ-पाँवके एक हालतमें सरप स्त्री० त्वरा; वेग (२)झपटनेकी देर तक रहने या दबनेसे पैदा होने- क्रिया; झपट (३)सपाटा; टक्कर : .. वाली सनसनाहट ; झुनझुनी ; झनझनी सउपमेर अ० तेजीसे; झपाटेसे . (२) क्रोध या रीसका आवेश सम्प, स० क्रि० झड़पना; झपटना समयूँ अ० क्रि० ऊपर लटकना, बाहर सपी वि० वेगवान; गतिवाला; तेज या ऊपरसे लटकना; टॅगना; झूमना सी स्त्री० जोरकी वर्षा; झड़ी(२) (बादल) (२) टूट पड़नेको तैयार सपाटा; झड़ी होना; दबाव डालना [ला.] मणकार (-रो), सगको पुं० झंकार; सट अ० झट; तुरत ..:: झनकार For Private and Personal Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org झणझणवं झणझणवं अ० क्रि० झनझनाना; झुनझुनाना ( २ ) झुनझुनी होना झणझणाट पुं० झुनझुनीका असर ( २ ) झंकार [ असर झणझणाटी स्त्री० झुनझुनीका जोरदार झणझणी स्त्री० झुनझुनी ( २ ) रीस अनून स्त्री० न० जुनून; जोश-जुनून झपट स्त्री० झपाटा; झपट्टा; सपाटा (२) झपट; लप (३) झपेटा; भूतादिके फेर में आ जाना; प्रेतबाधा (४) टक्कर । [ -मारवी = झपटना । -मां आवबुं = टक्कर लगना (२) भूत-पिशाचके फेर में आ जाना. ] झपटा अ० क्रि० टकराना; बीचमें आ जाना (२) उलझना ; फँसना [ला.] झप अ० क्रि० शान्त रहना; ऊधम न मचाना झपाझप ( -पी) स्त्री० मारामार; टंटा; झड़पा - झड़पी ( २ ) मार-काट ; क़तल झपाटबुं स० क्रि० जोर मारना; रपटना झपाटेसे; झट-पट फर्राटे से ( चलना) (२) मारना; चपेटना (३) जल्दी जल्दी खाना; ठूंसना झपाटो पुं० झपाटा; वेग; फर्राटा (२) ज़ोर से किया हुआ प्रहार ; झटका (३) टक्कर; चपेट झपझप अ० सब अ० अचानक ; एकदम Hanj r० क्रि० भड़कना; चौंकना ( २ ) रह रहकर प्रकाश फैलना; झिलमिलाना (बिजली) झबकारी पुं० प्रकाशकी चमक; कौंध शबकोळवं स०क्रि० पानीमें डुबाना; बोरना; मोरना [ अँगुला शबलं न० बच्चोंका कुरता; झगा; २०२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शरमर शबूक अ० रह रहकर चमकते या झिलमिलाते हुए झबूकवं अ० क्रि० झिलमिलाना शबे स्त्री० ज़बह; बलि चढ़ाना; कत्ल झो पुं० लंबा और ढीला-ढाला कोट; चोगा; चोला झबोशब अ० देखिये 'झपोझप ' झबोळबुं स० क्रि० देखिये 'झबकोळवु ' शब्बो पुं० देखिये 'झबो' भलुं न० देखिये 'झबलुं ' भो (-म्भो ) पुं० देखिये 'झवो ' झमक स्त्री० एक शब्दालंकार; यमक (२) झम-झमकी आवाज़; झमक; (३) चमक; भड़क झमक अ०क्रि० 'झम-झम' की आवाज़ होना; झमकना झमझम अ० झम-झम; छम-छम ( २ ) हलकी जलन होती हो इस तरह झमझमाट पुं० झमझमाना (२) हलकी जलन झमर (-रू) ख न० झाड़; झाड़-फानूस शमवुं अ० क्रि० द्रवका बूंद-बूंद होकर नन्हें नन्हें छेदोंसे बाहर निकलना; रिसना झरख न० देखिये जरख 4 झरड अ० कपड़ा फाड़ते समय होनेवाली आवाज के साथ; चरसे (२) स्त्री० झाड़शंखाड़के टुकड़े For Private and Personal Use Only , झरडको पुं० देखिये 'झडको ' झरड स०क्रि० ' पट 'की आवाज़ के साथ चीरना; दरकाना ( कपड़ा) झरर्ड न० झंखाड़; कांटेदार झाड़ शरण ( - गुं) न० झरना; सोता झरमर न० स्त्रियोंका गलेका एक गहना (२) स्त्रियोंका पाँवका एक गहना ॐ Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०३ माटकणी (३) एक बारीक कपड़ा (४) स्त्री० मळम (-ह)ळ अ० देखिये 'झळझळ' बारिशकी फुहार; बूंदाबांदी (५)अ० (२) वि० चमकता हुआ; झलाबोर रिमझिम सळहळवं अ०कि० बहुत प्रकारा देना; सर अ० क्रि० (द्रवका) धीरे धीरे झलझलाना; चमचमाना बाहर निकलना; झरना [अटारी मळांमळां (0) अ० झलाझल; चमकके सहखो पुं० झरोखा; छज्जा; बारजा; साथ (२)न० ब०५० तेजका अंबार; झरेणी स्त्री० झुनझुनी तेजःपुंज मरेळो पुं० जलनेसे होनेवाला फफोला; सळेळो पुं० देखिये 'झरेळो' . छाला; झलका संखना स्त्री० आतुरतापूर्वक या बेसब्रीसे भरो पुं० देखिये 'झरण' रटना; किसीको बार-बार याद करना झलक स्त्री० झलक; ओप; चमक (२) चिता; बेचैनी; छटपटी मलकवू अ० क्रि० चमकना; झलकना शंखवाj वि. खिसियाना; झेंपू (२)अपनी असली प्रकृति दिखाना[ला.] संखवा, अ.क्रि. धुंधला, मंद, हलका मलाएं अ० क्रि० पकड़ा जाना (२) पड़ना (२) झेंपना; खिसियाना अकड़ जाना; काठ होना; किसी शंख स० कि० आतुरतापूर्वक रटन अंगका जकड़ा जाना; उदा० 'वाथी __ करना; बार-बार किसीको याद करना सांधा झलाई गया छे' मंझट स्त्री०संझट; पचड़ा; झमेला प्रवेर न० जवाहिर; जौहर (२)पानी; झंड पुं० एक भूत; जिन (२)वि० अलजीवट [ला.] मस्त ; मुस्तंडा (३) धूर्त; मत्सरपूर्ण सवेरात न० जवाहिरात ; रत्न, मोती, मंडी स्त्री० झंडी हीरा वगैरह (२)जड़ाऊ जेवर (३) झंडो पुं० झंडा; निशान ; अलम (२) बल; खूबी ; सत्त्व ; जौहर [ला.] जुविश; आंदोलन [ला.] (३) कोई सवेरी पुं० जौहरी पक्ष या उसकी अगुआई । [-उठाववो, मळक स्त्री० झलक; चमक ; ओप फरकाववो=-का झंडा खड़ा करना मळकवं अ० क्रि० देखिये 'झलक' (२) की फ़तहका झंडा लहराना। मळकाट पुं० झलक ; चमक -लेवों अगुआ बनना.] झळको पुं० झलक; ओप; कांति झंपलाव, अ० क्रि० जीवटसे किसी मळमळ अ० झलझल; तेजसे झलकते काममें कूद पड़ना; साहस करना हुए; झलाझल [अ० झलझल झाकसमाळ वि० झकाझक ; झलाबोर; मळमळाट पुं० झलझलाहट ; चमक (२) जाज्वल्यमान मळमळियं न० आँसू (२) सबेरे या साकळ स्त्री०; न० ओस; शबनम शामका धुंधला प्रकाश; झुटपुटेका झाडं वि० ज्यादा; पुष्कल; अतिशय प्रकाश । [मळमळियां आवां = आँखें झाटकणी स्त्री० सूप आदिसे साफ़ डबडबाना; भाववश होकर गद्गद करना; फटकना (२)फटकनेकी उज्जत होना.] (३) फटकार; झिड़की; लताडाला.] For Private and Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org झाटक: झाटकबुं स०क्रि० सूपसे साफ़ करना; फटकना ( २ ) झटकारना; झाड़ना (३) फटकारना; उलटी-सीधी सुनाना [ला. ] झाटको पुं० देखिये 'झटको ' शाड न० पेड़ (२) एक आतिशबाज़ी; झाड़। [-बुं = सवारको नीचे पटकनेके लिए घोड़ेका अगले दोनों पैरों पर खड़ा होना. ] झाड स० क्रि० देखिये 'झाटकबुं ' झाडपान न० संपूर्ण वनस्पति झाडबुं स० क्रि० झाडू देना; झाड़ना (२) कपड़े से धूल-गर्द साफ़ करना; झाड़ना (३) झाड़-फूंक करना ( ४ ) फटकारना [ला. ] झाडी स्त्री० झाड़ी; झाड़ों, बेलों और कँटीले पौधोंका समूह ( २ ) जंगल झाड न० बड़ी झाडू; बुहारी (२) झाड़फटकार; अपमान; अनादर; भर्त्सना । [-पडबुं = उलहना मिलना; अपमानित होना । —मळवूं = विफल होना; बनना ( २ ) अपमान होना; फटकार पड़ना.] झाडवाळो पुं० झाडूवाला; भंगी झाडो पुं० झाड़ा; मैला; गू ( २ ) दस्त; जुलाब (३) पूरी जाँच; जामातलाशी (४) झाड़-फूँक । [झाडे जनुं, झाडे फरवा जवं = पाखाने जाना; हगना. ] झाडोपेशाब पुं० शौच; मलोत्सर्ग ज्ञानम न० देखिये ' जहन्नम ' झापट स्त्री० टक्कर; झापड़ ( २ ) प्रेतबाषा; झपेटा शापटबुं स०क्रि० कपड़े से झाड़ना; झटकारना; पछारना ( २ ) प्रहार करना (३) खूब खाना; ठूंसना [ला. ] 1 २०४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाळ झापटुं न० थोड़े समयकी मूसलधार वर्षा; जोरोंकी वर्षा; झर झापोट स्त्री० देखिये 'झापट ' झामर पुं० सिर और आँखोंका एक रोग झामरी स्त्री० हथेली या तलवे में होनेवाला फोड़ा; छाला शामरो पुं० देखिये 'झामरी ' ( २ ) एक त्वचारोग ( ३ ) अति पक्व ईंटका टुकड़ा; झाँवाँ शाम स०क्रि० तपाई हुई ईंट या ठीकरेसे पानी या दवाको छनकाना झार पुं० ज्वार ; भाटाका उलटा झारण न० धातुकी चीजको टाँका देकर जोड़ने का सामान (२) उससे की हुई धातुकी जोड़ाई; झाल; झालवा झारखं स० क्रि० गरम पानीकी धारसे धोना या सेंकना ( २ ) आहिस्ता आहिस्ता पानी देना; सींचना ( ३ ) निकम्मी डालियाँ काट डालना; छाँटना शारी स्त्री० झारी; टोंटीदार लुटिया ; करई ( २ ) पूरियाँ आदि उतारनेका छेददार पलटा; छोटा झरना झारो पुं० झरना; झर (पूरियाँ छाननेका) (२) पानी छिड़कनेका नलदार बरतन; हज़ारा; फुहारा [ छलक झालक स्त्री० तरल पदार्थका छलकना ; झालर पुं० एक दलहन ; सेमके दाने झालर स्त्री० झालर; झूल; कोरकिनारा (२) बजाया जानेवाला घड़ियाल ; झालर; घंटा झालं स०क्रि० हाथमें लेना; पकड़ना; ग्रहण करना; धरना ( २ ) क़ैद करना; थामना; बंधनमें लेना ( ३ ) अकड़ना ( किसी अंगका ) । [ झाली राखबुं = आग्रहपूर्वक जमे रहना ; अपनी बातको For Private and Personal Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . पकड़े रहना। माली पर किसी बात पर जमे रहना.] माळ स्त्री० ज्वाला या उसकी आँच (२) क्रोधका आवेश; झल्लाहट [ला.].:.. साळवं सक्रि० झालना; पाँजना । सांख(०५) स्त्री० मंदता; धुंधलापन(२) बट्टा; लांछन । [-आववी (आंखे) = धुंधला दीखना; अस्पष्ट दिखाई देना। -लागवी= धब्बा लगना.] झाखरं (०) न० झंखाड़; झाँखरः । झांखy (०) सक्रि० झाँकी करना (२) लुक-छिपकर देखना; झाँकना । मांती (०) स्त्री० अस्पष्ट खयाल या अपूर्ण दर्शन; झाँकी (२) लुक-छिपकर देखना; झाँकना (३) भावपूर्वक दर्शन (करना) सांखं (०)वि० अस्पष्ट ; हलका, ओछा (२) धुंधला; निस्तेज । मांस (०) स्त्री० झाँझ (२) गुस्सा; मल्लाना [बेड़ी; जंजीर ला.] झांझर (०) झाँझर; झाँझन (२) सांसवां (०) न० ब० व० मृगतृष्णा; मृगजल ; सराब (२)तेजसे या आँसूसे आँखोंका चौंधियाना; धुंध । [मांशवानं जळ = मृगजल.] ... [भूत सांपडी (०) स्त्री०, (--डो) पुं० मलिन मांपली (०) स्त्री० छोटा फाटक; झाँप . . (प्रायः बाड़ या खेतका) [सिवान माती (0) पुं० फाटक (२) गाँवका शिपाएँ अक्रि० 'झीप' क्रियाका कर्मणि रूप; पकड़ा जाना .... मिलावू अ०क्रि० 'झीलवु'का कर्मणि पकड़ा जाना; हाथमें लिया जाना पीक स्त्री०टक्कर मुकाबला।-सीसी = अपने बसभर मुकावण करमा. मुलाब भीक स्त्री जरीके तारोंकी कारचोकी सलमे-सितारेका काम . . . . झोकबुं सक्रि० जोरसे फेंकना; उठा, कर फेंकना; (धोते समय कपड़ेको.) पछाड़ना (२) पटकना; हराना , सीणवट, मीणाश स्त्री. बारीकी; सूक्ष्मता (२)निपुणता; कमाल गहराई शो' वि० झीना; बारीक; छोटा उदा० 'झीणुं काj' (२)पैना; तीक्ष्ण ; उदा० झीणी अणी (३)पतला; महीन (४) नाजुक ; महरा; सूक्ष्म ; बारीक (काम) (५)महीन; धीमा; तीक्ष्ण (आवाज़) (६) गहराईसे काम करनेवाला (मनुष्य); उदा० 'अहीं झीणा माणसनुं काम छ' [ला.] (७) बहुत किफ़ायती; कंजूस जैसा। [-कांत_ = गहराईमें जाना; बहुत छान-बीन करना; बालकी खाल निकालना.): मीणो ताव पुं० बहुत दिनसे आनेवाला मंद बुखार; जीर्ण ज्वर झीप, सक्रि० पकड़ना झीलु न० सिंचाईके लिए तालमेंसे पानी उलीचनेकी बाँसकी छिछली टोकरी या सूप जैसी चीज़; बेंडी झोंक (0) स्त्री टक्कर; मुकाबला झींकवं सक्रि० देखिये 'झीकवं.' मीटयूँ सक्रि० (शंखाड़) लगाना लिपटाता (२) एक पर एक (चीन) क्रममें रखकर ढेर लगाना झोंपरा (०) नम्ब०व० सिरके बिखरे हुए अव्यवस्थित सूखे बाल ; झोंटे.. मुकाबबुं सक्रि०. झुकाना; नीचा-टोमा करना; नवाना (२) बीवटो पिसी काममें कूद पड़ना, साहस करना मुलापर्बु सक्रि० झुलाना (२) लटकाना For Private and Personal Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुंर न झुंड; समूह; गल्ला मुंबेश स्त्री० जोरोंका आंदोलन ; जुबिश झुमर न० देखिये 'झमरख' [लटकना भूक अ.क्रि० झुकना ; नमित होना; सूम अ०क्रि० लगा रहना; पीछे लगना (२) घमसान युद्ध करना; जूझमा सूर सक्रि० लट्ट या मोटे डंडेसे । पीटना; सटकना; ठोंकना (२) झकझोरना; झटकारना। मुरियन० जिससे पीटा जाय ऐसा सोंटा या लट्ठ मूडियां पडवा=मार मिलना (२) जूतियों पड़ना; जूतियाँ चटखाते हुए अपमानसे लौटना; अपना-सा मुंह लेकर लौटना.] सूरी स्त्री० देखिये 'जूडी' मूगे पुं० बहुतसी चीजोंका एक साथ । बांधा हुआ जूट ; पूला; गट्ठर । मूमन०,(-खो) पुं० अनेक चीजोंका समूह; झूमका; गुच्छा सूमणुं न० अंक गहना; झूमका ; झूमर सूम अ०क्रि० देखिये 'झझूमवू' (२) टॅगना (३) आतुरतापूर्वक ताकना; , तरसना मूर अ० क्रि० -के लिए तरसना; कलपना (२) कलपनेसे दुर्बल-क्षीण . होना; सूरना; झुरना । झूल स्त्री० झालर (२)कवितामें आनेवाला अंतरा (३) हाथी-घोड़े आदिकी पीठ पर डाला जानेवाला कपड़ा; झूल मूलणा पुं० झूलना (छंद) (३) लोरी मूलचं न० झूला (२) पालना; हिंडोला झूलतुं वि० फेंग लेता हुआ; मूलना। [ललो पुल = झूलना पुल.] । मूल अ०क्रि० पेंग लेना; झूलना (२) लटकना . . सोयो मूलो पुं० झूला; झूलनेका साधन; हिंडोला (२) नुकसान ; टोटा [ला.] झूट (०) स्त्री० झपट ; झपट्टा ... मुटव, (०) सक्रि० हथियाना; झपटना [झपटना झूटबुं सक्रि० झपटकर छीन लेता; छूटंसूंटा, झूटा ट स्त्री० एक दूसरेके पाससे झपट लेना; छीना-झपटी मुटाव, सक्रि० देखिये 'झूटवq'. मुंटावं अ०कि० छीना जाना; झपटा जाना [झोपड़ा झुपडी (०) स्त्री०,(-ई) न० झोंपड़ी; झूसरी (०) स्त्री० देखिये 'धूसरी' मूंसर न० गाड़ी, हल आदिका जुना झर (झ) न० जहर (२) ईर्ष्या (३) बैर ।-आवq= डाह होना ; जलना। -घर = ज़हरका असर होना (२) बर, डाहका मनोभाव होना। -वाववं = झगड़ेके बीज बोना.] मेरकचोलं,मेरकोचलं (झें) न० कुचला मेरी (लु) () वि० जहरीला (२) ईर्ष्यालु शोक पुं०;स्त्री० झुकाव; मनका किसी विषयकी ओर झुकाव; झुकनेका भाव सोई स०कि. ऊँधना; पिनकना मोईन. नींद या नशेका झोंका; झपकी; पीनक सोको पुं० झोंका; झटका; अकोरा (२) आँखोंमें यकायक चोट लगना (३) डंडी या टेनी मारनेकी तरकीब सोटसी स्त्री०, (-) न० जवान मैस; . ओसर । झोर (झॉ) न० भूत, प्रेत .... मोरसापट (झॉ) स्त्री प्रेतादिकी बाधा होबा, मोबो देखिये 'जोबा', 'जोबो' For Private and Personal Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोबनो Pots टपली बांगली सोयणो पुं० देखिये 'झोलणो' । मोळ, (झॉ) स्त्री० ज्वाला; शोला; सोल स्त्री० ढीला होनेसे कपड़ेका बीचमें __ आगकी लपट ... ['झोलणी' आदि झूलना; झोल सोळणी स्त्री०,(-पो) पुं० देखिये झोलणी स्त्री० खानेदार थैली; झोली। मोळी स्त्री० झोली (साधूकी) (२) मोलगो पं० बड़ी झोली; झोला हाथमें पकड़नेकी लटकती थैली; मोल (झो) न० झुंड; टोली थैली (३) बालकको सुलानेकी सोलं न० झोंका [पेंग (३) झोल झोली।[-लेवी = भिखारी बनना.. सोलो पुं० झूला (२) धक्का; झूलेकी मोळो पुं० झोल (२)बड़ी झोली; थैला ट पुं० 'ट'वर्गका-मूर्द्धस्थानीय पहला व्यंजन टकटक अ० लगातार 'टिक-टिक' की आवाज़ ; टिक-टिक (घड़ी आदिकी) (२) टकटकी, टिकटिकी लगाकर ( देखना) (३) स्त्री० देखिये 'टकटकारो' टकटकाट पुं० 'टिक-टिक' आवाज़ (२) उकता देनेवाली बेकार बात; बकबक टकवू सक्रि० टिकना; निभना (२) एक स्थल पर ज्यादा समय तकं ठहरना टकाउ वि० टिकाऊ; चलाऊ; मजबूत टकाव पुं० टिकाऊपन; मजबूती हकावारी स्त्री० सौके हिसाबसे गिनती; सौमें से कितने इसका प्रमाण; प्रतिशतता; 'परसेन्टेज' टको पुं० टका; तीन पैसे। [टकार्नु माणस = कौड़ीका आदमी; तुच्छ मनुष्य.] टको पुं० रुपया; रुपया-पैसा; टका (२) सैकड़ेके हिसाबसे गिनतीतिशतता; फ्री सदी ... टको पु० मुंडा हुआ- गंजा सिर, टकोर स्त्री टोकटोकनेकी क्रिया (२) जरा इशारा या संकेत करना (३) वक्रोक्ति; मीठी टीका. . टकोरखा- न० नौबत बजानेका फाटकके ऊपरका कमरा या स्थान; नौबतखाना; नक्कारखाना टकोर सक्रि० टकोरना (२) टोकना टकोरीस्त्री० डंकेकी छोटी चोट ; टकोर टकोरो पं० डंकेकी चोट ; टकोरा (२) टकोरेकी झंकार .. टक्कर स्त्री० ठोकर; झोंका (२) मुकाबला; टक्कर . टगरठ-(-म) गर अ० टकटकी, दिक. टिकी लगाये हुए; निनिमेष ... ढगमग वि० देखिये 'डगुमगु' (२) म. डोलते हुए; लड़खड़ाकर टच वि० बढ़िया किस्मका (२) पुं० कसौटी पर जांचकर निकाला हुना सोनेका अंश; टंच (३) अ० थोड़ी देरमें ; झष्ट । [-बईने-तुरत] टचकंन० अन; नोक (२)छोटा स्योहार टमको पुं० झटका; घाव [छिमुनी पली बांगळी स्त्री० कामी उंगली; For Private and Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०८ टवाक वि० आडंबरी; शेखीखोर; ओछा पीटनेका कुम्हारका औजार; पापी; टयाक अ०,(-कियो, को) पुं० उँग- पिटना लियाँ चटखानेकी आवाज़ ; चटाक; टपq स० क्रि० टपना; लाँघना (२) चटाखा दूसरेसे आगे निकल जाना; बढ़िया टचूकडं वि० बहुत छोटा होना; बढ़ना [ला.] बढळवं अ० क्रि० बिलखना टपाटप अ० झटपट; टपाटप (२) टटा(-ट्टा)र वि० ठीक सीधा; तनकर; स्त्री० कहा-सुनी; टंटा-फसाद तना हुआ (२.) सशक्त [ला. [-अg टपाटपी स्त्री० कहा-सुनी; हुज्जत = सीधा खड़ा होना (२) बीमारीके । टपाल स्त्री० डाक; पोस्ट बाद शरीरमें शक्ति आना.] टपालऑफिस स्त्री० डाकघर ट्ठी स्त्री० टट्टी; टट्टर (२) खसकी टपालखर्च न० डाकव्यय टट्टी - चिक (३) पाखाना; संडास टपाली पुं० डाकिया; पोस्टमैन दृट्ट पुं०; न० टट्ट (२) कमज़ोर घोड़ा टपोटप अ० एक-एक करके (२) टपाटडकाव, स० क्रि० डाँटना; धमकाना टप; टपसे टडपड स्त्री०, (- डाट) पुं० मिथ्या टप्पो पुं० अमुक लंबाईका अंतर, बडापनका प्रदर्शन: खदनमाई: शेखी फ़ासला; टप्पा (२) मुसाफ़िरी; पड़ाव; टनटन अ०(२) न० टनटन (घंटेकी) मंज़िल (३) घोड़े या बैलकी सवारी टपकवं अ०क्रि० टपकना; चूना (४) संगीतका एक प्रकार; टप्पा टपकाव, सक्रि० टपकाना (२) संक्षेप- (५) गप । [-मारबो-गप हाँकना.] में लिखना; टांकना (३) अन्यमें से । टब न० टब; कंडाल; गंगाल . . नक़ल कर लेना टमकवू अ०क्रि० क्षीण प्रकाश देना; टपकी स्त्री० गोल टीका; बिंदी (२) टिमटिमाना (२) दूरसे सूक्ष्म प्रकाश टिकली; 'मीना, अबरक या सोने- दिखाई देना.... . चांदीकी गोल टिकिया; टिक्की; चमकी टमेटुं न०,(-टो)पुं० टमाटर पहुं न० बूंद (२) नुकता; बिंदु टर्पेन्टाइन न० तारपीन .: : टप टप अ० टपाटप; झट-झट , टस्लो पुं० टिल्ला; टल्ला; धक्का (२) टपटपी स्त्री० चमड़ेका टुकड़ा जो फेरा; चक्कर (३) मुंड़ा हुआ सिर उस्तुरेकी धार तेज़ करने के काम टवळवू अ० क्रि० तड़पना; छटपटाना आता है; चमोटा (२) बार बार याद करना; झूरना पली स्त्री० हलकी चपत ; थप्पड़ (२) (३) दुःखी होना; तड़पना १४. ताना; चुटीली बात [ला.] टश (-स) स्त्री० टक; टकटकी; एपलं न० कुम्हारका हाँगी टीपनेका टिकटिकी कराह सापना पापी (२) चमोटा ! हकारी पुं० दुःल या पीड़ाकी आवाज; टपलो पु० जोरसे लगाया हुआ थप्पड़ा। टहुक ब० कि० (कोयल या मोरका) तमाचा (२) मिट्टीके मायने बरतन कूकना; कूपना; पिहकना .. For Private and Personal Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org को टहुको पुं० कोयल या मोरकी मधुर (कूक, कुहू ; का) (२) बुलानेके लिए की हुई लंबी पुकार; हाँक ( ३ ) बातचीत में 'हुँ-हुँ' शब्द द्वारा सुनते रहनेकी स्वीकृति देना; हुँकारी व्हेल स्त्री० वह गाना जो याचक मांगते वक़्त रोज ऊँचे स्वरमें गाता है; टेर (२) एक ही चीज़ बार-बार कहना या ध्यान पर लाना; टोक [ला.] टहेलवं अ०क्रि० टहलना; इधर-उधर घूमना (२) गाँव में मांगनेके लिए टेर लगाना टहेलियो वि० पुं० (२) पुं० ऊँचे स्वरमें गाते हुए टेर लगानेवाला; फेरीवाला साघू [ करना ( २ ) वि० लालची टळकबुं अ०क्रि० ललचना; लालसा टळवळं अ०क्रि० देखिये 'टवळबुं ' टळ अ० क्रि० टलना; अलग होना; खिसकना ; अपने स्थानसे हटना (२) दूर हटना; मर जाना टंक पुं० मुहर लगा हुआ सिक्का टका (२) स्त्री० निश्चित बेला, वक़्त ; जून; उदा० 'खावानी के दोहवानी टंक' टंकणखार पुं० टंकणक्षार; सुहागा टंकशाळ स्त्री० टकसाल टंकावबुं स०क्रि० 'टing' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; टंकाना २०९ टंगड, टंगावं स० क्रि० टाँगना टंगावं अ० क्रि० टेंगना; लटकना टंटाखोर वि० झगड़ालू; फ़सादी टंटो पुं० टंटा; क़ज़िया; झगड़ा टंटोफिसाद पुं० टंटा-फ़साद; लड़ाई झगड़ा टंडेल पुं० जहाजका मुख्य मांझी; ग. हि- १४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टाई कर्णधार (२) ऊँचा आदमी या कोई ज्यादा ऊँची चीज; लंब-तड़ंग [ला. ] टंग्लर न० तामलेट ; तामलोट टाइम-टेबल न० समयसूची ; टाइमटेबुल टाउन हॉल पुं० टाउनहाल ; नगरभवन टाट पुं० परात जैसा बड़ा थाल जिसके किनारे बाहर मुड़े हुए हों; थाल (२) अ० बिलकुल ; निपट; उदा० 'लूखोटाट', 'नाटाट' टाट वि० चुस्त ; कसा हुआ; सब बैठा हुआ ( २ ) मस्त ; चकचूर [ टाट टाट न० सनकी डोरियोंका मोटा कपड़ा; टाटियु न० टाटका टुकड़ा (कपड़ा) टाटुं न० बाँसकी फट्टियोंकी चटाई, दीवार या छोटा दरवाजा; टट्टर; टट्टी (२) टट्टरोंका बनाया हुआ झोंपड़ा (३) टट्टू टाढ स्त्री० ठंड; जाड़ा; सरदी । [ -चडवी = = जाड़ा लगना ( २ ) बुखार की कँपकँपी लगना (३) [ला. ] (अमुक काम करना हो तब ) उकता जाना; सिहर उठना । - फेरा मारे छे= संरदी नहीं लगती है । -वावी = ठंड लगना. ] टाढक स्त्री० ठंडक (२) सुख शान्ति । [-थवी, वळवी = जलन शान्त होना; शान्ति मिलना. ] [ छाया cranesो पुं० सुख-दु:ख; धूप और टाढियोताव पुं० जूड़ी बुखार; सरदीका बुखार; जूड़ी टाढी शियळ, टाढी शीळी स्त्री० श्रावण शुक्ला या भाद्रपद कृष्णा सप्तमीका दिन; शीतला सप्तमी (२) ठंडा या बासी (खाना) होना ( व्यंगमें) टाबुं वि० ठंडा; सर्द (२) बासी (३) [ला. ] घीमा; मंद ( ४ ) शांत For Private and Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१० टॉप प्रकृतिका। [टाढा पहोरनी = गप; टांका मारना; सिलाई करना (३) लंबी-चौड़ी (हाँकना)। टाढा पहोरन सिलाई द्वारा जोड़ना (४) किसी फुरसतके समयका; गप जैसा ।-पाणी रचनामेंसे नक़ल करना; उद्धृत करना रे = हतोत्साह करना; पस्तहिम्मत ___टांकी (०) स्त्री०पानी रखनेका हौज या करना,] [(२)घात; मौक़ा टंकी (२) छोटी टंकी (बारिशके पानीके दाj न० शुभाशुभ प्रसंग-अवसर (२) लिए) (३) टाँकने या खोदनेकी टापटीप स्त्री० व्यवस्था; सुघड़ता; क्रिया (४) फ़ायदा; असर; गुण सफाई (२) मरम्मत; दुरुस्ती (३) _ (दवाका)ला.] (५) उपदंश (रोग)। टीम-टाम; सज-धज [हाँ करना [-लागवी = (दवाका) असर होना.] डापशी-सी) स्त्री० बातचीतमें हाँ में टांकु (०) न० बारिशका पानी भरनेके टापु पुं० टापू; बेट; द्वीप लिए जमीनके अंदर बनायी हुई टंकी; ढाबोटो पुं० हथेलियोंके परस्पर आधा- टाँका तसे उत्पन्न शब्द ; करतल-ध्वनि ताली टांको (०)पुं० बखिया; सीवनका टाँका टाल स्त्री बाल झड़ गये हों ऐसा टांग (०) स्त्री० टाँग; पैर [-मारवी सिरका भाग; मंज. = कुश्तीमें टाँग अड़ाकर गिरा देना.] यूलकी स्त्री० देखिये 'तालकी' टांगवं (०) स० क्रि० टाँगना...... टालकुं न० देखिये 'तालकुं' . टांगो (०) पुं० टाँग; पैर (२) टांगा; दावर न० टावर; घंटाघर ... तांगा; घोडागाड़ी। [टांगा तोरवा टाळवं स० क्रि०. टालना; दूर करना; = व्यर्थ पाँव तोड़ना] रोकना (२) किसी चीज़मेंसे अच्छा टांच (०) स्त्री० जब्ती (२) कलमकी निकालकर खराब छोड़ देना; छाँटना नोककी तिरछी काट (३) चोट; टाळो पुं० टरकाना; टाल-टूल (२) झटका (४) घट ; टोटा; तंगी।[-पडवी जुदाई रखना (३) भेद; चमत्कार; = घट होना; टोटा होना.] खेल (४) संजोग; मौक़ा (५) टांचण (०)न०संक्षिप्त नोंध; नोट ; टीप हिसाबके सही-गलत जाँचनेकी क्रिया; काँटा।[-मळवो मौका मिलना टांचं (०) वि० कम; थोड़ा; छोटा (२) हिसाब खरा होना (काँटा).] (२) उटंग (कपड़ा); तंग .. टांक (०) स्त्री० तराशी हुई कलमकी टांटियो (०) पुं० टाँग (तुच्छकारमें)। नोक; टाँक; जीभ (२) होल्डर या [टांटिया कापवा = जड़ काटना; पेनकी निब; जीभी आधार उड़ा देना। टाटिया नरम थई टांकणी (०) स्त्री० आलपीन; पीन जवा=थक जाना; पैर भर जाना टांकj (०) न० दाँकनेका औज़ार; (२) निरुत्साह होना (३) धन टॉकी (२) मौक़ा (३) शुभ अवसर गँवाना; नुकसान सहना.] टांक (०)सक्रि० पत्थर टाँकना; टांपy (०) स० क्रि० ताकना; मौका खनना; कुरेदना; सिल कूटना (२) देखते रहना; आतुरतासे देखना For Private and Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org टां टॉप (०) न० मिलने जाना (२) फेरा; चक्कर प्रवेशपत्र | टिकिट स्त्री० टिकट ; [- लागवी = टिकट खरीदनेकी आवश्यकता होना ( २ ) लाटरी में नंबर लगना; इनाम मिलना ( ३ ) भाग्य - वशात् फ़ायदा होना. ] : टिकिटमास्तर पुं० टिकटबाबू टिक्कड पुं० टिक्कड़ टिक्की स्त्री० सफलता; कामयाबी (२) प्रभाव; सिफ़ारिश (३) टिकली; टिक्की [ ठेंगा; हूठा [ला. ] टिक्को पुं० टीका; बड़ा तिलक ( २ ) .. टिबाबुं अ०क्रि० टकराना; दो वस्तु ओंका आपस में भिड़ जाना ( २ ) बेकार धक्के खाना; मारा मारा फिल टकराना (३) पिटना टिटियाण न०, (-रो) पुं०: क्लेश; टिटिहारोर; शोर-गुल ; क्रज़िया टिटोडी स्त्री० टिटिहरी .. टिन न० क़लई; राँगा (२) टीनकी चद्दरका बरतन; टीन टिनपाट न० तामलोट ; डबला ( २ ) उसके जैसा तुच्छ मनुष्य; हेच पोच [ला. ] । [ - आप = रुखसत करना; बरतरफ़ करना. ] टिपाई स्त्री० तिपाई टिपावj स०क्रि० 'टीप' का प्रेरणार्थक टिपावं अ० क्रि० 'टीपवु' का कर्मणि टिप्पण न०, ( - णी) स्त्री० संक्षिप्त टीका टिप्पणी (२) टाँकना; टीप; नोट-दर्ज करना टिगळावं अ०क्रि० देखिये 'टिंगावु' टिगाड ( - ) धुं स०क्रि० 'टिंगावु' का प्रेरणार्थक २११ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टिगा अ०क्रि० 'टेंगना' टिबो] पुं० टीबा ; टीला; ढूह; For Private and Personal Use Only टीपू ; टीडी स्त्री० गोल, ठोस चीज्रका चपटा टुकड़ा; टिकिया टैबलेट टीका स्त्री० टीका; व्याख्या (२) गुणदोषक समालोचना (३) निंदा टीकाखोर वि० टीका या निंदा करनेका आदी ; हरफ़गीर; नुकतेचीन टीकी स्त्री० सोने या चाँदीकी टिकली; चमकी (२) छोटा टीका; टिकली; बिंदी (३) नजर; टक ठीको पुं० देखिये 'टिक्को'' ご टीखळ न० मजाक; दिल्ल... टीखळी वि० दिल्लगीबाज ; मजाक पसन्द टीच स० क्रि० ठोकना; पीटना : टीपना; कुचलना 2 टीप स्त्री० सूची; फ़ेहरिस्त (२) उगाहनीका परचा; चंदेकी यादी 'बंदा (३) कैदकी सजा । [ सूची बनाना (२) चंदा लिखाना । - देवी, भरवी = ईंटोंके जोड़ोंपर ( मसाले से) टीप भरना । -मारवी = टीप भरना (२) सजा देना. ] टीपकी स्त्री० सोने या.... चाँदीक टिकली; टिकिया; चमकी; डॉक टीपणुं न० टीपना; पंचांग । [ -उकेलवं = गई गुज़री बातें उखेड़कर झगड़ा बढ़ाना; गड़े मुर्दे उखाड़ना.] टीप स० क्रि० टीपना; पीटना; ठोकना (जमीन, गच आदि) (२) ( लोहा आदिको ) आकार देना; ' पीटना (३) मारना पीटना ( ४ ) सज़ा करना (५) एक ही बात पर जोर देना [ला. ] टीपुं न० बूंद क़तरा i Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१२ टीमन न० नाश्ता कलेवा (२) पायेय. दूमण न० जादू-टोनेका छोटा मंत्र या टीम न० गचका टुकड़ा (२) लकड़ी- प्रयोग; जंतर; टामन; टोटका : का कुंदा टूवो पुं० गड्ढा, पिचक, गद्दा (बरतन'टीलरी स्त्री० ललाटमें लगानेकी __ में) (२) गहरा छेद; नासूर (३) . टिकली; बिदिया; चमकी (२) छोटी बिदु; बिंदी; नुकता (४) बूंद-बूंद बिंदी-टीका (३) मोरपंखका अर्ध करके पानी देना (५) रुईका फाहा चन्द्राकार चिह्न; चंदा; चंद्र (६) बड़ी चुटकी (७)ताना; चुटीली टीलं न० तिलक; टीका बात (८) एक प्रकारका जंतु टीसी (-सी) स्त्री. अखुआ; कॉपल ट्रॅक (०) स्त्री० देखिये 'टूक' नं. २ .(२) नुकीली कली; कुड्मल; टूसा ट्रॅक (०) वि० देखिये 'ट्रंकु' - (फूलका) (३) शेखी; ऐंठ ढूंकमा (0) अ० थोड़ेमें; सौ बातकी टीनळा, अ० क्रि० टॅगना; लटकना. एक बात [लिपि; 'शार्टहैंड' टोंगांग(-1)वं स० क्रि० देखिये टंकाक्षरी (लिपि) स्त्री० संक्षिप्त "टिंगाडq टींगा अ० कि० टॅगना ढूंकान (०)न० संक्षेप (२) छोटा करना टीको पुं० देखिये टिंबो टकडाखोर दूकावq (०) सक्रि० (कुछ अंश) टुकडालाउ टुकडाखोर वि० टुकड़गदा; काटना; घटाना; छोटा करना दंडु वि. जो लंबा या विस्तृत न टुकडी स्त्री• टुकड़ी; छोटा दल दुको पुं० टुकड़ा (२) खानेका टुकड़ा हो; कम; छोटा; संक्षिप्त (२)नाटा। ला.]। [इकडा उघराववाभीख [-कर-थोड़ेमें निबटाना; इति मांगना; टुकड़ा मांगना-नालयो, करना। -पर-पूरी नापका न बैंकबो-दयादानमें या तुच्छकारसे होना; कम पड़ना. ढूंकुंटच वि० बहुत छोटा; कम लंबा दृषको. पुं० लतीका; चुटकुला (२) ढूंटियं (०) न० हाथ-पैर समेटकर, • जादू-टोनेसे सम्बद्ध छोटा मंत्र या बकुची बांधकर सोना (२) एक प्रयोग; जंतर-मंतर; टोटका (३) प्रकारका शीतप्रधान संक्रामक ज्वर; इशारा; संकेत 'इन्फ्लुएंझा' टुवाल पुं० अंगोछा; तौलिया ढूंपy (6) स० कि० जड़मूलसे उखाड़ हुंकार पुं० तुकार डालना; नोचना (२) रुईको ढेडीमेंसे टुकार, स०कि. तुकारना अलग करना (३) ताने कसकर टुकारो मुं० तुकार शमिदा करना (४) मसलकर गूंधना टूक स्त्री० पहाड़की चोटी; शिखर ढूंपाy (०) अ० कि० 'ट्रंपवु' क्रियाका (२) कविताकी अमुक पंक्तियोंका कर्मनिरूप (२) गला जकड़ जाना; समूह; छंद; पद्यांश . [टुंटा घटना [(२) गलेकी घंटी टूट कि० जिसके हायं न हों; लला; दूंपो (०) पुं० गला घोटना; फांसा देना. For Private and Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टेक २१३ टेक पुं० ; स्त्री० टेक; प्रण; दृढ़ निश्चय टॅटें (टें०) अ० टेंटें (२) स्त्री० बड़ाई (२) आबरू (३) थूनी ; टेकनी (४) (३) नापसन्दगी जतानेकी बकवाद; कविताका स्थायी पद; टेक टॉय-टॉय टेकण न० टेकन; सहारा; आधार टेड स्त्री० शेखी; ऐंठ; गर्व . टेकरी स्त्री० टेकरी (२)छोटी पहाड़ी टैग्को. पुं० रीस; कोप (२) झिड़की टेकरो पुं० टेकरा; टीला; ठूह टेस्पंड स्त्री० देखिये 'टडपड. टेकव, स० क्रि० टेका-सहारा देना; टोक (०णी) स्त्री० टोकटाक; पूछताछ टेकाना (२) उलाहना (३) नजर; कुदृष्टि टेकावq सक्रि० देखिये 'टेकबवू' टोच स्त्री० चोटी; शिखर . टेकी स्त्री टेकनी (२)देखिये 'टिक्की'। टोचकुं(-) न० सबसे ऊपरका छोटा, [-लागवी-अच्छा असर होना (२) पतला या गोल हिस्सा . सफल होना.] टोच, सक्रि० लगातार चुभोना; टेकी वि० टेकी; टेकवाला कोचना; टोंचना; कुचकुचाना (२) टेकील वि० टेकवाला; टेकी; हठी बार-बार कहे जाना; टोकना; उलहना टेको पुं० सहारा; आधार; टेका (२) देना . आधारकी वस्तु; टेकनी (३)प्रस्तावका टोचो पुं० कोचा; उसका घाव (२) समर्थन; ताईद -आपको समर्थन ताना; कोचा (मारना) [ला.] करना (२) मदद करना.] टोटी स्त्री० टोपी; किसी भी चीज पर लगायी जानेवाली शामी जैसी वस्तु टेटी पुं०; स्त्री० गरमियोंमें होनेवाला टोटो पुं० बड़ी शामी (२) गलेकी एक फल; खरबूजा (२) लड़ी या घंटी; कौटेंटुआ (३) एक आतिबत्तीवाला पटाखा; पटाखा टेटो पुं० बरगदका फल ; गोदा; बड़बट्टा शबाजी; बड़ा पटाखा. (४) चुरुट । [-पीसबो = गला घोंटना; टेंटुआ टेबल न० टेबुल; मेज़ टेभो पुं० घावकी सिलाई; टांका टोडलो पु० देखिये 'टोल्लो' . टेरवू न० पतला अगला भाग; नोक; टोगे पुं० पगमें पहननेका एक गहना; सिरा तोड़ा (२)बंदूकका लंबा फलीता;तोड़ा टेव स्त्री० टेव; आदत होना (३) हजार रुपये या इनके रखनेकी टेवावु अ०क्रि० आदत पड़ना; अभ्यस्त थैली; तोड़ा (४) (चौखटका) टोड़ा टेस (ट) पुं० स्वाद; लज्जत (५) मीनार (६) सिवान टेसदार ()वि जायकेदार; स्वादिष्ट; टोण, टोj न०, टोणो पुं० ताना; कोचा मजेदार (२) जादू-टोना टेसी (टें) स्त्री० घमंड; शेखी टोप पुं० टोप (२) बारिशमें पहननेकी ₹ (टें०) अ० (थककर) चूर होकर; बनातकी टोपी (३) बड़ा छाता (४) शिथिल पकानेका बड़ा पतीला (५) कुकुरमुत्ता घोंटना] For Private and Personal Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टोपरापाक २१४ उपकार टोपरापाक पुं० देखिये 'कोपरापाक' उछालना (५) गुल्लीका टोला, टोपर्व न० देखिये 'कोपरुं' बिल्ला। [टोल्ले मूक = उठाकर टोपली स्त्री०टोकरी ऊँचे रख देना; भूला देना; बिसराना.] टोपलो पुं० टोकरा; झाबा टोवं सक्रि० (खेतसे) चिल्ला-चिल्लाटोपी स्त्री० टोपी . कर पंछियोंको उड़ाना; कुडकुड़ाना टोपो पुं० बड़ी टोपी; टोपा --- (२)बूंद-बूंद पानी पिलाना । टोयली स्त्री० लुटिया; लोटी टोळ (टॉ) पुं० ; स्त्री० ; न० हनी आवे टोल पुं॰टोल ; चुंगी (२) चुंगीघर; नाका ऐसी क्रिया या बोल;ठिठोली ; चुटकुला टोलकुं, टोल न०, टोलो पु० गंजा- टोळकी स्त्री० टोली घुटा हुआ, सफाचट सिर टोळटप्पो (टॉ) पुं० हँसी-मज़ाक़की टोल्लो पु० चौखटकी आगेकी लकड़ीका __ बात; हँसी-ठठोली आगे निकला हुआ सिरा; टोड़ा । टोळी स्त्री० टोली; मंडली (२) टिल्ला; धक्का (३) वादा (४) टोळं न० झुंड; समूह पुं० 'ट'वर्गका-मूर्द्धस्थानीय दूसरा व्यंजन . ठकठक अ० "ठक-ठक' ध्वनिके साथ ठकराई स्त्री० ठकुराई (२)सेठगीरी; बड़ाई [राइन; ठकुरानी ठकराणी स्त्री० ठाकुरकी स्त्री; ठकुठकराणो पुं० गाँवका मालिक; छोटा राजा; जमींदार; ठाकुर ठग वि० (२) पुं० ठग ठगणुं वि० ठगनेवाला; छली; धूर्त ठगq सक्रि० ठगना; छलना ठगळावू सक्रि० दचकना; झटका लगना । “(गाड़े जैसी सवारीमें) ठगाई स्त्री० ठगाई; ठगी ठगा वि० ठगनेवाला; धोखेबाज़ ठचरी स्त्री० बुढ़िया ; बूढ़ी ठच वि० खूसट; बूढ़ाफूस; जराजीर्ण ठच्चर वि० अतिवृद्ध; खूसट ठठ स्त्री० ठठ; जमाव; भीड़ ठठाउq स० क्रि० घुसा देना; भीतर पहुँचा देना ठठारवं स० कि० ठाट करना; खूब __ सँवारना; डाटना (पहनना); ठटना ठठारो पुं० सज-धज; ठाट-बाट ; ठट खोर वि० ठट्ठाबाज़; दिल्लगीबाज़ ठठ्ठाबाजी, ठठामश्करी स्त्री० हँसी मजाक; ठट्ठा-दिल्लगी ठछो पुं० ठट्ठा; हँसी-मज़ाक ठणकारो पुं० ठनक ; ठनकार ठणको पुं० ठनक (२) ठमक (३) जाड़ेकी कँपकँपी ठणठण अ० 'ठन-ठन' आवाज़ करते ठणठणगोपाळ पुं० साधनहीन या बुद्धिहीन आदमी; ठन-ठन गोपाल ठपकार सक्रि० पछाड़ना; पटकना (२) उलाहना देना (३) ठोकना For Private and Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्यको २१५ ठाकोर उपको पुं० उलाहना (२) खाँसीकी ठरेल वि० समझदार; संजीदा आवाज़; ढाँस । [-खावो, मळवो, ठलववं सक्रि० देखिये 'ठालव' सांभळवो= दोष या उपालंभका पात्र ठलवावं अ० क्रि० 'ठालव' क्रियाका होना. [भरी चाल; ठमक ___ कर्मणि रूप; खाली किया जाना ठमक स्त्री० चलनेकी छटा(२)नजाकत- ठस वि० ठस; ठोस; ठूसकर भरा ठमकारो, ठमको पुं० ठमक; थिरक हुआ (२) कसा हुआ; सख्त; ठस (२)मटक ; नखरा [ठौर-ठिकाना (३) अ० ठसाठस ठरठेकाणुं न० जमकर रहनेका स्थान; ठसक स्त्री०,(को) पुं० ठसका; ठस्सा; ठरड स्त्री० देखिये 'ठरडाट' शान; रोब (२) लटका; ठसक ठरड, स० क्रि० दो या ज्यादा धागोंको ठस, अ.क्रि० मनमें बैठ जाना-समझमें मिलाकर बट देना; दुबटना आना; जमना ठराट पुं० टेढ़ापन (२) ऐंठ [ला.] ठसाठस अ० ठसाठस; ढूंस-ठूसकर ठरडावं अ० कि० टेढ़ा-तिरछा होना; ठसाव स० क्रि० 'ठस' का प्रेरणार्थक झुक जाना (२) ऐंठा जाना; बटा ठसोठस अ० देखिये 'ठसाठस' जाना (३) रूठना [ला.] ठस्सादार वि० ठस्सादार; रोब-शानदार ठरवू अ० क्रि० ठहरना; थमना; ठस्साबंध अ० ठसकके साथ'; ठस्सेमें; स्थिर होना; ठिकाने लगना; रुकना रोबमें [रोब (३) लटका; ठस्सा (२) (भाव, बात) तय होना; पक्का ठस्सो पुं० तड़क-भड़क ; ठाट-बाट (२) होना; ठहरना (३) नीचे बैठना; ठळियो पुं० फलका सख्त बीज; गुठली जमना; थिरना; निथरना (४) ठंडसे ठंड स्त्री० ठंड; सर्दी (२) शीतलता गाढ़ा या ठोस होना; जमना (घी, (३) जुकाम; सर्दी लड्डू आदि) (५) ठंडा होना; उदा० ठंडक स्त्री० शीतलता (२) शान्ति; 'भात ठरी गयो' (६) सर्दी लगना; तृप्ति; ठंढक [ला. ठिठुरना (७) (अग्नि या दीपकका) ठंडाश स्त्री० ठंडापन (२) सुस्ती; मंदता बुझना; जलती चीजका ठंडा होना ठंडी स्त्री० देखिये 'ठंड' . (८) ठंडक, तृप्ति, शान्ति होना; ठंडं वि० ठंडा; सर्द (२)बासी (रसोई) उदा० 'छाती, आंतरडी ठरवी' (९) (३) मंद; सुस्त (बाजार; स्वभाव) लगना; उदा० 'जराक आंख ठरी हती' (४) शान्त; स्वस्थमना (मनुष्य)। ठराव पुं० ठहराव; प्रस्ताव (२) [-पाणी रेडq= शांत करना (२) किसी बातका हल या तोड़ हौसला पस्त करना.] [ओला ठरावq स० क्रि० पक्का या तय करना; ठंडुंगार वि० खूब ठंडा; बर्फ़सा ठंडा; ठहराना; निश्चय पर आना (२) ठाकोर पुं० गाँवका मालिक ; छोटा प्रस्ताव करना राजा; ठाकुर (२) ठाकुरजी; ठाकुर ठरीठाम अ० असल ठिकाने पर (२) (३)एक अल्ल (४) सामान्य क्षत्रियके .: चनसे; जल्दी या दौड़-धूप किये बग़र लिए आदरसूचक शब्द For Private and Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स कोरजी ठाकोरजी पुं० देव या विष्णुकीप्रतिमा; ठाकुरजी ठाठ पुं० ठाट; शान गठसी स्त्री० ठटरी; अरयी ठाठियं वि० लूंठ; जीर्ण-शीर्ण (२) न० इस प्रकारका वाहन । ठाठं न० ठटरी; हड्डियोंका ढाँचा; पंजर (२) छाती और जंघाकी हड्डियाँ (ब० व० में) (३) कोई भी जर्जर चीज; ढाँचा। [ठाठां भागवां, रंगावां-बहुत पीटना जिससे हड्डी टूट जाय; हड्डी तोड़ना.] ठाठो स्त्री० सेवा-टहल; खिदमत ठाम पुं०; न० (रहनेका) स्थान; ठिकाना; ठाँव (२) न० आसन; बैठनेकी जगह (३) बरतन । [ठेकाणा विना-बेठिकानेका; आवारा (२) बेपायादार (३) अव्यवस्थित.] ठामणुं नं० बरतन ठामूकं अ० निरा; बिलकुल ठार पुं०; न० ओस (२) ठंडी हवा (३) स्थान; ठौर (४) अ० पूरा; जानसे; उदा० ठार मार-कर' ठार, सक्रि० ठंढा करना; जमाना ठालव, स० कि० खाली करना ठालं वि० खाली; जिसमें कुछ भरा। न हो; रीता (२) जिसके पास कोई काम न हो; बेकार; ठाला (३) जो बंद न हो; खुला (४) (भैस आदिका) सगर्भा न होना; ठाँठ (५)अ० अकारण; बेमतलब ठालुठम, गलंमालं वि० बिलकुल खाली ठावकाई स्त्री०, ठावकापणुं न० गंभी रता; संजीदगी; विवेक ठावकुं वि० गंभीर; संजीदा; सयाना ठस (०) स्त्री० बुनाईका गाढ़ापन (२)शेखी ; ठसक बड़ाई ; खाली रोब (३) ठसका; ढांस ठांसh (०) स० क्रि० दबा-दबाकर भरना; ठूसना (२) बहुत अधिक खाना; डटकर खाना; सना (३) मनमें बैठाना; जमाना (४)अ०क्रि० खाँसना; ढांसना ठांसी (०) स्त्री० खाँसी सो (०) पुं० सूखी खाँसी; ढांस (२)घूसा [बौना (व्यक्ति) ठिंगुजी (-शी) वि० (२) पु० ठिंगना; ठीक वि० ठीक; अच्छा; योग्य ; जैसा चाहिये ऐसा; बराबर (२)न अच्छा, न बुरा; ठीक; सामान्य (३) अ० __ अच्छा ; खैर ठीकठाक अ० ठीकठाक ठीकाठीक वि० (२) अ० जैसा-तैसा; साधारण; मामूली ठोकरी स्त्री० ठीकरी; गिट्टी ठीक न० मिट्टीके बरतनका टूटा हुआ टुकड़ा; ठीकरा (२) मिट्टीका बरतन ला.] [हिस्सा; कटाह ठीब स्त्री० टूटी हुई हाँडीका नीचेका ठी, न० मिट्टीका बरतन ठीकरी (०) स्त्री० देखिये 'ठीकरी' ठीकर (०) न० देखिये ठीकरूं' ठींगणुं वि० ठिंगना; बौना; नाटा ठठवा, अ०क्रि० सर्दीसे अकड़ जाना; ठिठुरना; सिहरना [कुंदा ठूणकुं न० लकड़ीका भारी, बड़ा टुकड़ा: ठमको स्त्री० (पतंगकी डोरीको) दिया जानेवाला झटका; ठुमकी ठूमरी स्त्री० ठुमरी [निकालना ठूश (-स) स्त्री० दम, जान, मोमियाई विवेक For Private and Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org इंठबाबु ठूंठवा अ० क्रि० देखिये 'ठूठवावु' ठूंठ वि० ठूंठा; बिना हाथका ( २ ) न० पेड़का सूखा तना; ठूंठ (३) बीपी बादका बचा हुआ हिस्सा लूला २१७ सलो, ठूंसो पुं० घूंसा ठेकडी स्त्री० मजाक़; ठठोली ठेकठेकाणे अ० जगह-जगह; जहाँ-तहाँ ठेकडो पुं० कुदान; चौकड़ी; कुलांच ठेक स०क्रि० चौकड़ी भरकर कूदना; लाँघना ठेकाणुं न० ठिकाना; रहने की जगह; मुक़ाम ( २ ) स्थान; स्थल; ठिकाना (३) पता ( ४ ) रोजगारीकी जगह ( ठिकाना लगना ) ( ५ ) [ला.] प्रबंध ; ठिकाना ; उदा० ' रसोईनुं कशुं ठेकाणुं नथी' । [ ठेकाणे पडबुं = उचित स्थान पर पहुँच जाना; ठिकाने लगना । ठेकाणे पाडं नौकरी पर लगा देना; ठिकाना लगाना ( २ ) काम में लगाना (३) मार डालना; ठिकाने लगाना । ठेकाणे रहेषु = विवेक - मर्यादामें रहना । ठेकाणे रासवं = नियत स्थानमें रखना; गुम न होने देना (२) मर्यादा में रखना । ठेकाणे लावं : = समझाकर ठीक रास्ते पर लाना; ठिकाने लाना; असलियत पर पहुँचाना. ] ठेकाणे अ० बदले; की जगह पर ठेकेदार पुं० ठेकेदार; ठीकेदार ठेको पुं० तबला बजाने की एक रीत; ठेका (२) इजारा; ठीका; ठेका ठेठ अ० अंत तक ; आखिर तक ठेठनुं वि० आखिर तकका (२) धूर्त; काइयाँ; भेदू ठेठथी म० ठेठसे; शुरूसे Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठोका ठें न० ठेस; ठोकर ठेर (टॅ) अ० सही जगह पर ; असल ठिकाने पर (२) देखिये 'ठार' अ० ठेठेर (टॅ, टॅ) अ० जगह-जगह; जहाँ-तहाँ ठेव स० क्रि० तय करना; ठहराना (२) स्थिर करना; न हिले इस तरह रखना; टिकाना ( ३ ) रोकना ठें (टॅ) अ० क्रि० होना; छिड़ना (लड़ाई) (२) ठहरना; रुकना ठेराव स०क्रि० ठहराना; तय करना ठेलणगाडी स्त्री० ठेलकर चलाई जानेवाली गाड़ी; ठेला (२) बच्चोंको चलना सिखाने की गाड़ी ; घुड़ला; गड़ोलना (३) बच्चोंको बिठाकर ठेलकर चलायी जानेवाली गाड़ी; 'बाबागाड़ी' For Private and Personal Use Only ठेलबुं स० क्रि० ठेलना; ढकेलना; घलना ( २ ) आगे सरकाना ठेलो पुं० ठेला; धक्का (२) ठेलकर चलायी जानेवाली गाड़ी; ठेला ठेश स्त्री० ठोकर; ठेस (२) हलकी लात लगाना; ठेस (३) छोटी सिटकिनी; बिल्ली ( ४ ) छोटा पच्चड़ ठेशी स्त्री० पच्चड़ (२) छोटी सिटकिनी ; बिल्ली ठेस, ठेसी स्त्री० देखिये 'ठेश', 'ठेशी' ठोक पुं०; स्त्री० ठोंक ; प्रहार; बूंसा (२) उलाहना (३) ताना ठोकर स्त्री० ठोकर; ठेस (२) [ला. ] भूल; ठोकर (३) खोट; घाटा ठोक स० क्रि० ठोंकना ( २ ) मारना (३) गप हाँकना (४) खूब खाना; ठूंसना ( ५ ) (तार) खटखटाना ; ( मुक़दमा ) दायर करना; (खेमा ) गाड़ना Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होत २१८ ठोठ वि० ठोट; कम अक्लका; बुद्ध ठोर (ठा) पुं० ठोर; माठ ठोबर (लु) वि० भद्दी शकलवाला; ठोसh (ठॉ०) अ० क्रि० खांसना; कुरूप (२) न० धातु या मिट्टीका ढासना; ठांसना (२) सक्रि० ठूसना बरतन; ठीकरा - ठोंसो (ठॉ०) पुं० देखिये 'ठांसो' । . पुं० 'ट'वर्गका-मूर्द्धस्थानीय तीसरा व्यंजन - [डकैती काटी स्त्री० डाका डालनेका काम; उक्को पं० बंदरगाह पर माल चढ़ानेउतारनेके लिए बनाया हुआ पक्का घाट; डॉक (२) समुद्र या नदीके पानीसे बचने के लिए बाँधा हुआ बंध; पुश्ता खल स्त्री० देखिये 'दखल' रखं न० साग मिलाकर, पकाई हुई दाल; सगपती; दलभजिया रखो पुं० देखिये 'डखु' (२) [ला.] घोटाला; गड़बड़ (३) दखल; बखेड़ा; अड़चन । [-घालवो बाधा डालना; रोड़े अटकाना ।-पडवो= झगड़ा खड़ा होना; झंझट पैदा होना.] रसोळवू सक्रि० घंघोलना उग स्त्री० डिगना; हिलना; अस्थिरता उग न० डग; क़दम (२) एक डगका अंतर; फाल [डगमगाना उगडगवं अ०क्रि० इधर-उधर डोलना; डगडगो पुं० मनका डगमगाना (२) शंका; दगदग़ा (३)अविश्वास ; वहम डगमग वि० डगमगाता हुआ; डगडोर गमगवं अ० क्रि० डगमगाना (२) निश्चयसे विचलित होना-डांवाडोल होना ला.] डगमगाट पुं० डगमगाहट डगरी स्त्री० देखिये 'डोकरी' उगएं न० अति वृद्ध मनुष्य ; खल्लड़ गरो पुं० डोकरा; बूढ़ा आदमी गली स्त्री० छोटा डग डगली स्त्री० छोटा कुरता उगलं न० मोटा कुरता या अंगरखा उगलं न० देखिये 'डग'; कदम उगलो पुं० बड़ा अंगरखा; ओवरकोट उगवं अ० कि० देखिये 'डगमग,' डगळी स्त्री० मोटा, छोटा टुकड़ा; फांक (२) टॉकी (फलकी) (३) समझशक्ति; दिमाग। [-खसवी =पागल होना; होश ठिकाने न होना.] रगळं न० मोटा, बड़ा टुकड़ा; फांक गगुनगु वि० (२) अ० देखिये 'डगमग'; अस्थिर घावं अ.क्रि० घबड़ाहटसे सन्न या स्तब्ध हो जाना; हक्का-बक्का होना (२) दाग लगना (फलको) उध्यो पुं० तबलेका बायाँ; ठेका डच पुं० हालैंडका वतनी; डच (२) उसकी भाषा (३) वि० उस देशका उचकारी स्त्री०, (-रो) पुं० 'टिकटिक' आवाज करके (चलनेको) प्रेरित करना; टिटकारी उचकियं, उचकुं न० पानीमें डूबते या For Private and Personal Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरामणी २१९ ते या जबरन निगलते समय गले मेंसे बगर पु०तबले पर चमड़ा मढ़नेवाला; होनेवाली आवाज; हिचकी (रुदनमें) दबगर; खटीक (२) छाता आदि उचकुं न० फाँक; टुकड़ा (प्याजका) पर रोशन चढ़ानेवाला उचूरो पु० गले या छातीमें दम घुटना; डबडब अ० झटझट; टपाटप सांस रुकना; साँसत डबरो पुं० ताँबे-पीतलका डिब्बा रमन वि० बारह; दरजन (२) न० डबलरोटी स्त्री० डबलरोटी; पावरोटी बारहका समाहार उबलुं न० चमड़ेका कुप्पा; डब (२) रटण वि० गड़ा हुआ; जमीनके भीतरका कच्ची हाँड़ी; लुटिया (३) धातुका (२) न० गंदा पानी जमा होने के लिए चौड़े मुंहका छोटा बरतन; डबला बनायो हुआ पक्का कुआँ; चहबच्चा उबाडब अ० डबडबाते हुए; टपाटप डटणकूवो, उटणखाळ, उटणजाजरू डबी स्त्री० डिबिया; डिब्बी पुं० चहबच्चे पर बनाया हुआ उबूक अ० डूबनेकी आवाज । [बईने, पाखाना; संडास लईने = ऐसी आवाज़के साथ ; तुरन्त.] डट्टो पुं० कागकी तरह इस्तेमाल हुई डबूकियुं न० डूबतेका डूबना-उतराना। डाट; डट्टा (२) (किवाड़को बन्द [-खावू डूबना; डूबना-उतराना.] होनेसे रोकनेवाला लकड़ीका) डट्टा डबो पुं० डिब्बा; डब्बा (२) (रेल(३) बालमंदिरमें खेलका एक साधन गाड़ीका) डिब्बा (३) घड़ीका डिब्बा (४) कैलेंडरकी तारीखोंके पत्तोंका (४) एक तरहकी लालटेन (५) बंडल; गट्ठा [सूरवना लावारिस भटकते चौपायोंको बन्द उडळ अ० क्रि० दुर्बल-अशक्त होना; गणुं न० मोटा डंडा (२) डेला; ठेंगुर करनेका बाड़ा; कांजी-हाउस (६) टीनका पीपा; कनस्तर; टीन (७) उपकी स्त्रो०, (-कुं) न० डुबकी; गोता पगड़ी (कटाक्षमें) उपको पुं० द्रवका बड़ा छींटा (२) धब्बा; दाग़ (३) पकौड़ी (४) [ला.] डबोळवू स० क्रि० डुबाना; डुबाकर दगदगा; वहम ; शंका (५) आकस्मिक तर करना (२) अपवित्र करना डब्बी स्त्री० डिबिया; डिब्बी आतंक या भय। [-पडवो-शुबहा, - शुभा होना (२) भय खाना (३) डब्बो पुं० देखिये 'डबो' धब्बा पड़ना. उमणियुं न०, रमणी स्त्री० दो बैलोंकी उफ स्त्री०; न० डफ (२) अ० झट छोटी गाड़ी; लढ़िया; बहली उफणुं न० छोटा, मोटा डंडा; सोंटा डमर, डमरी स्त्री० देखिये 'डमर' डफांस (स,) स्त्री० मिथ्या बड़प्पन डमरो पुं० एक सुगंधीदार वनस्पति ; डफोळ वि० जड; मूर्ख मरुआ । उफोळ-शंख पुं० डपोरशंख ; मूर्ख डरपोक वि० डरपोक; बुज़दिल . उखकी, डबकुं देखिये 'डपकी' आदि डरवं अ० क्रि० डरना। डबको पुं० देखिये 'डपको' उरामणी स्त्री० धमकी; डर; सताना For Private and Personal Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रामj वि० डरावना (२) न० धमकी; डर [देना; डॉटना राव, स० क्रि० डराना (२) धमकी। डली स्त्री० घोड़ेकी पीठपर जीनके नीचे डाला जानेवाला नमदा; अर्कगीर उसकुँ न० देखिये 'डूसकुं उस, स० क्रि० दाँतसे काटना; जैसना व्हापण (इ) न० सयानापन; समझ । [-कर, ग्होळ%Dबिना समझे-बूझे बीचमें अपनी बात या अक्ल लड़ाना; बीचमें बोलना.] रहोल (हाँ) स० क्रि० द्रवको हिलोरना; (पानी) घंघोलना (२) (आँख लाल हो जाय यहाँ तक) मसलना (३) बहुत कामोंमें माथा मारना; सिर मारते फिरना [ला] रहोळावं (इहाँ) अ० क्रि० 'डहोळ' क्रियाका कर्मणिरूप (२) आँखका उठना (३) हिलनेसे अव्यवस्थित होना; हिलना;मामला उलझ जाना [ला.] रहोळ (इहाँ) वि० घंघोला हुआ; गंदला; आलोडित रहोळो (हाँ) पुं० घंघोला, हिलोरा हुआ तरल पदार्थ (२) अफ़ीमका रस; घोला उळी स्त्री० देखिये 'डली' उंकी स्त्री० पानी खींचनेका यंत्र; पंप उंको पुं० डंका (२)घोड़ेकी पीठपरदोनों ओर लटकाये हुए ढोल (३) टकोरा; घंटा (४)फ़तहका डंका; फ़तह [ला.] । -वागवो-विजय-घोष होना; फ़तहका डंका बजना (२) ख्याति होना (३) समाजमें नाम होना.] उंख पुं० डंक; दंश (२) दाने में धुन लगनेसे उसमें होनेवाला छेद (३) जहरीला काँटा; डंक (४)कीना; बैर। -राबवो=कीना या बैर रखना.] संखधं सक्रि० डसना; डंक मारना; दाँतसे काटना (२) जूतेकी रगड़से पांवका छिल जाना; काटना (३) मनमें खटकना; सालना ला.] खीलं वि० डंकीला; डंकवाला रंगो न०,गोरोपु० डंडा; लट्ठ; सोंटा डाबाजी स्त्री० डंडेसे मारपीट; लाठी चलना रंडी (-)को पुं० छोटा डंडाया लट्ठः संफाश (-स) स्त्री० देखिये 'डफांस' रमर पुं० बवंडर; बगूला गकण स्त्री० डाकिन; डाइन (२) भूत-विद्या जाननेवाली स्त्री; टुनहाई (३) जिसकी नजर लगे ऐसी स्त्री सकगी स्त्री. डाकिनी; डाइन राकबंगलो पुं० डाकबंगला मकली स्त्री० छोटी डुग्गी (२)सापका बोलना (३) जबड़ा कलं न० डुगडुगी; हुग्गी काटी स्त्री० डकैती; डाका ग पुं० डकैत; डाकू गसली(ल) देखिये 'डाकली', डाकलं' गगळी स्त्री० थिगली; थेगली; चकती (२)सिर; मज ; दिमाग़ (३)समझशक्ति ; सूझ ला..[-बसकवी, छटकवी = पागल होना। ठेकाणे होवी% होश ठिकाने होना] [(३)कीना गघ पुं० दारा; धब्बा (२) [ला.] ऐब पारधी स्त्री० धमे ही धब्बे ; दाग़ पड़नेसे होनेवाली अस्वच्छता डाघु पुं० मुर्देको जलानेके लिए कंधे पर रखकर श्मशान ले जानेवाले साधो पुं० दारा ; धब्बा For Private and Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मायोमो २२१ गोरधो पुं० एकाध दाग या धम्बा समचियो पुं० गुदड़ी, रजाई आदि अचाकूट स्त्री० बकवास; माथापच्ची रखनेकी लकड़ीकी घोड़ी .... गई न० जबड़ा; कल्ला(२) मुखड़ा रामण न० पशु भाग न जाय इसलिए डाट पुं० महाविनाश; तबाही उसका एक अगला और एक पिछला डटर्बु सक्रि० देखिये 'दाटवू' (२) · पर बांधनेकी रस्सी; छाँद; छान छिपाना समर पुं० कोलतार; तारकोल ; डामर गटषु स० कि. डांटना; धमकाना डामरेज न० रेलसे आया हुआ माल सटो स्त्री० डॉट; धमकी स्टेशनके गोदाममें अधिक समय तक उन्टो पुं० काग; डाट पड़े रहनेका हरजाना; डिमुरेज सफर स्त्री०,फरियं न बेकार इधर- डाम(डा') सक्रि० तपाये हुए लोहे उधर देखना; व्यर्थ झांकना या अन्य धातुसे शरीर पर दाग़ डाबडी स्त्री० देखिये 'दाबडी' लगाना; दागना (२) ताना मारना बडो पुं० देखिये 'दाबडो' गमागेळ वि० डांवाडोल; अस्थिर बनियुं न० दाबने के काम आनेवाला समीज (-स) वि० प्रसिद्ध गुनहगार वजन; दाबनेका साधन (२) चौखटके ग, न० दागनेका चिह्न; चरका; ऊपर दाब रखनेवाली लकड़ी; भरेठ . गुल; दाग़ (२) काला दाग़ गावली स्त्री० देखिये 'दाबडी' सायरी स्त्री० डायरी; रोजनामचा गवलो पुं० देखिये 'दाबडो' (२) गयरो पुं० (राजपूतोंमें) बिरादरी या घोड़ेकी टापका नाल जेवनार (२) बूढ़े, अनुभवी लोगोंकी गवाजमणी (-) अ० बायीं और बैठक ; दायरा (३)आपसी आदमियोंदायीं दोनों तरफ़; बायें-दायें (२) की मंडली क्रमशः दोनों ओर (३)बायाँका दायाँ गर, सक्रि० डराना; धमकी देना और दायांका बायां हो इस तरह (२) मना करना; रोकना (४) पक्षपातसे [ला.]। [-कर- गह वि० सयाना; समझदार पक्षपात करना (२) सुनी अनसुनी गळ स्त्री०; न० डाल; शाखा करना.] [अलग [ला.] डाळखी स्त्री०, गळलं न०, सगळी ग वि० बायाँ (२) अप्रिय; दूर; स्त्री० छोटी शाखा; डाली गम (डो) डाभ; दर्भ बाळ न० मुख्य तनेकी शाखा; डाल : साम (डा') पुं० किसी तप्त मुद्रासे डांखळी (0) स्त्री०, खळू न डालीदागनेका चिह्न; चरका (२) [ला.] __ मेंसे फूटी हुई छोटी डाली; टहनी; धब्बा; लांछन (३) कुछ नहीं; हूठा डॉड़ी, देना; उदा० 'ले डाम!' [-बापबो, मंग(०) स्त्री० लाठी; डॉग । देवो दागना (२)कुछ न देना; हा गंगर स्त्री० पान; शालि. देना; उदा० एने शुंडाम दे?'] गंY(0) वि० देखिये 'डांड' .. For Private and Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org डांड डांड (०) वि० छड़ा; बिना बालबच्चेका (२) डंडे से काम लेनेवाला (३) बेशर्म; लबार; ठग डोडाई (०) स्त्री० बेहयाई; लबारी; धुर्तता [ जानेवाला रास डांडियारास (०) पुं० छोटे डंडोंसे खेला डांडियो (०) पुं० बेहया पुरुष (२) ढिढोरा पीटनेवाला ( ३ ) छोटा पतला डंडा डांडी (०) स्त्री० छोटी पतली लकड़ी; डाँड़ी; डंडी; दस्ता ( २ ) तराजूकी डंडी; डाँड़ी (३) छोटे डंडोंसे बजानेका एक वाद्य (४) जहाज़ के मार्गदर्शनके लिए ऊँची टेकरी पर गाड़ी हुई लकड़ी : (५) रोशनीका मीनार ( ६ ) सीधी रेखा; डँडीर (नाककी सीध ) डांडो (०) पुं० छोटा लट्ठ ( २ ) दस्ता (३) फुनगी; अँखुआ [ डाँस डांस (०) पुं० एक प्रकारका मच्छर; डांसुं (०) वि० कच्चा, अपरिपक्व स्वादवाला ( खिरनीके लिए ) डिपोटी पुं० शालाओंका निरीक्षण करनेवाला सरकारी अधिकारी ( २ ) वि० नायब, डिप्टी डिल न० डील; शरीर डिसेंबर पुं० दिसंबर डिस्ट्रिक्ट पुं० डिस्ट्रिक्ट ; जिला (२) सरकारी अधिकारीका अपने हलके में दौरा डिंग स्त्री०; न० डींग; गप डिंगलं न० चोटीका हिस्सा, टुकड़ा; नया रस- दूधभरा अंकुर; गाभा (२) थूहरका टुकड़ा (३) सिर [ला. ] । [-उडाडी मूकवुं = झटकेसे काटकर अलग करना; गरदन उड़ाना.] २२२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डुंगरी डिगो पुं० अँगूठा दिखाना; हूठा देकर इनकार करना ५. डीचकुं न० तेंप; ढेंपी (२) सबसे ऊपरका पतला हिस्सा ; उँगलीका अग्र भाग ( ३ ) उभर आया हुआ गाँठ जैसा टुकड़ा [ चूची डीट (०डी) स्त्री० स्तनका अग्र भाग; डीटियुं न० छोटी ढेप (२) बैंगन डीटुं न० फलके मुँहका वह हिस्सा जिसके बल वह टहनीसे लटकता रहता है; प; ढेपी [ टुकड़ा; कुंदा ; लट्ठा डीमधुं न० लकड़ीका बड़ा और मोटा डोंट न० ढेंप। [-काढवु = जड़ खोदना । - जयं = जड़मूलसे नाश होना. ] डॉट (०.डी) देखिये 'डीट' डींटवं स०क्रि० ठेंपीमेंसे तोड़ना (२) ( फलसे लगी हुई) टहनी तोड़ डालना डोंटियुं न० देखिये 'डीटियु ' 'डोंटुं न० देखिये 'डोटं' ; टुन्ना [अंधेर डडवाणुं न० बदअमली; अव्यवस्था; डुक्कर न० सूअर ( जानवर ) डुगडुग अ० डुगडुगीकी आवाज़ डुगडुग न० डुगडुगी डुगडुगी स्त्री० छोटी डुग्गी, डुगडुगी डबाड ( - वं) बुं स०क्रि० डुबाना ; डुबोना डुबाबु अ०क्रि० 'डूबद्' क्रियाका भावे डुमकलास, न० भारी वज्रन उठानेवाला यंत्र [ बड़ा ढेर; तूह डुंगर पुं० छोटा पर्वत; डूंगर ( २ ) डुंगराळ वि० जहाँ जगह-जगह पर डूंगर हों ऐसा पहाड़ी डुंगरी वि० पहाड़ पर पैदा होनेवाली (वस्तु) ; पहाड़ी (२) डूंगरसे संबद्ध; पहाड़ी (३) स्त्री० छोटा पहाड़; टीला; डूंगरी For Private and Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंगरो २२३ डुंगरो पुं० डूंगर; छोटा पर्वत | = हारना; खोना(२)शर्तमें रखी हुई डुंगळी स्त्री० प्याज़ . चीजका हारने पर प्रतिपक्षीके कब्जेमें इंगो(-घो) पुं० चोर जाना (३)व्यर्थ जाना; उदा० 'बाजी घो पुं० छोटी डाँडीकी एक बड़ी डूल थई'.] कटोरीदार कलछी; डब्बू; डोई इलवं अ०क्रि० डूबना ; ग़रक़ होना (२) डूचQ सक्रि० बड़े बड़े कोर लेना तबाह होना; दिवाला निकालना (३) (२)ठूसकर माना कुछ महत्त्वका न होना (४) डोलना इचो पुं० निकम्मे काग़ज़ या कपड़ेका वो पुं० गाढ़ा तरल पदार्थ (२)तलछट गोला या पिंडा (२) उसकी डाट डूश स्त्री० मोमियाई, कचूमर निकालना (३) बड़ा कौर; गस्सा (४) वह डूसकुं न० सिसकी कपड़ा जो बारबार गीजनेसे पिंड डूंख (०) स्त्री०कोंपलके आगे फूटनेजैसा बने (५) असभ्य आदमी; वाला हिस्सा; टुनगा; कल्ला; गाभा उजड्ड। [डूचा काढवा, काढी नाखवा डूंखरा (-ळा) वq(०) सक्रि० धम= बहुत श्रम कराकर थका डालना; काना; डॉटना मोमियाई निकालना; कचूमर निका- डूंगळी (०) स्त्री० देखिये 'डंगळी' लना। -मारवो=पिंडसे मुंह या छेद डूंगो (-घो) पुं० देखिये 'डुंगो' बंद करना.] इंटी(०) स्त्री० नाभि; टूंडी दूबका न०ब०व० देखिये 'डबूकियु' डूंटो' पुं० बड़ी नाभि (२) नाभि जैसा डूबको स्त्री० डुबकी; गोता।[-सावी, मारवी = ग्रोता साना; पानीमें पैठना उभड़ा हुआ भाग ९९ न० अनाजकी बाल ; बाली; भट्टा (२)नज़र बचाकर छू हो जाना.] डेक न० जहाजकी पाटन; डेक डूबकुं न० डुबकी; गोता उपो स्त्री० गोदाम; डिपो डूबवं अ०क्रि० डूबना (२)डूबकर मर अफराबु अ०क्रि० पेटका उभड़ना (२) जाना (३) डूबना; अस्त होना (४) किसी अंगका सूजना; फूलना (३) ला. दिवाला निकालना (५) लीन होना; डूबना फीका-कांतिहीन होना ड्रमची स्त्री० साजमें घोड़ेकी दुमके डेरातंबु पु० ब०व० डेरा या तंबू; डाला नीचे रहनेवाली डोरी; दुमची । हुआ पड़ाव [[ला.] ड्रमो पुं० मनोवृत्तियोंके आवेशमें छातीमें डेरो पुं० तंबू ; खेमा (२) पड़ाव; डेरा होनेवाली बेचैनी या घुटन साँस डेरो (.') पुं० ठेगुर; अड़गोड़ा; डेला सीनेमें अड़ना डेली (.') स्त्री० पौरी; डपोढ़ी (२) इल वि० डूबा हुआ; ग़रक ; नष्ट; चौकी (पुलिस) तबाह (२)न० कानका एक गहना। डेलु (3') न० ड्योढ़ी; पौरी (२) [-करवू = वारना; निछावर करना; ड्योढ़ीकाः बड़ा दरवाजा . खोनेके लिए तैयार रहना। -पवं (..) न० छोटा जलसर्प ; डोड़ा For Private and Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org डोई डोई स्त्री० मटके आदिसे पानी निकालनेका लंबी डाँडीका एक बरतन; आ डोक स्त्री० गला; गरदन । [ - भागी जवी, मरडाई जवी = मरणासन्न होना; गरदन झुकना . ] डोकरी स्त्री० बूढ़ी स्त्री; डोकरी डोकरो पुं० बूढ़ा आदमी; डोकरा डोकाबारी स्त्री० बड़े दरवाज़े में रखी हुई छोटी खिड़की stead, डोकावुं अ० क्रि० सिर आगे करके देखना; झांकना डोकि न० गरदन आगेको करके देखना डोकी स्त्री० गला; गरदन डोकुं न० सिर (२) गरदन आगेको करके देखना । [ - बुणावनुं = ना कहना ; सिर हिलाना । मूकबुं = जानकी परवाह न करना; जान हथेली पर रखना. ] [ चोटी डोचकुं न० सिर (२) ऊपरका हिस्सा ; डोश पुं० एक जून लेनेकी दवाकी मात्रा या उतनी दवा; खुराक; डोज डोश न० पेट; ओझरी; गढ़ा डोनुं न० देखिये 'डोझरुं ' डोडं न० फल, फूल या बालका बिना खिला हुआ गोफा, गाभा (२) ढेढी; डोंड़ी डोडो पुं० फल-फूलका गाभवाला ताजा फूटता गोफा (२) मक्केका भुट्टा डोटी स्त्री० पोरी; ड्योढ़ी डोबुं वि० नासमझ; निरा पोंगा (२) न० भैंस । [ डोबां चारवां = निरक्षर रहना.] 1 डोबो पुं० जड; गावदी (पुरुष) डोयो पुं० नारियलको खुरचकर बनाया २२४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गेको हुआ एक बरतन ( २ ) नारियलका हुक्का (३) डोई या डौआ (४) बड़ी की डोल स्त्री० बालटी; डोल (२) मस्तूल डोलकाठी स्त्री० मस्तूल (२) उस परके झंडेकी लकड़ी डोलची स्त्री० छोटा डोल (२) चमड़ेका डोल (३) पुं० जहाजमें से डोलके सहारे पानी उलीचनेवाला डोलधुं न० डोल (२) चमड़ेका डोल डॉलर पुं० एक अमेरिकन सिक्का; डालर डोलर ( - रियो) पुं० एक फूल-पौधा; मोगरा डोलवं अ० क्रि० झूलना; डोलना (२) विचलित होना; डगमगाना डोलुं न० झपकी ( २ ) भूल-चूक ; धोखा डोशी (सी) स्त्री० बूढ़ी स्त्री; वृद्धा डोसो पुं० बूढ़ा आदमी; वृद्ध डोळ पुं० महुए के फलकी गुठली ; गुल्ली डोळ पुं०ब०व० लावामें बिना खिले हुए दाने; ठुर्री (२) दाल दलने में रह जानेवाले अखंड दाने डोळ (डॉ) पुं०; न० आकार; घाट; डौल (२) दिखावा; ढोंग ; तकल्लुफ़ डोळियुं न० महुएका तेल डोळी (डॉ) वि० दिखावटी ; आडंबरी; ढोंगी [ बुरे समाचार डोळी स्त्री० डाँड़ी; 'स्ट्रेचर' (२) डोळो पुं० आँखका डेला; कोया (२) आँख (३) नज़र; ध्यान [ला. ] । [डोळा काढवा = आँखें तरेरना; आँख दिखाना; डाँटना । -डूबबो = मन तृप्त होना । —फरी जबो = मरण समीप होना ( २ ) गुस्सा होना (३) ईर्ष्या होना. ] For Private and Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२५ पुं० 'ट' वर्गका - मूर्द्धस्थानीय चौथा व्यंजन (२)निरापोंगा; जड (व्यक्ति) डग पुं० ढेर; पुंज उनलाबंध वि० (२) अ० बहुत; ढेरों उगली स्त्री० छोटा ढेर; ढेरी गलो पुं० ढेर; अटाला; राशि। -बई बकुंअंजर-पंजर ढीले हो जाना; पस्तहिम्मत हो जाना.] पषु वि० डगमग; डांवाडोल उधर वि० अति वृद्ध; खूसट .. गड्डो पुं० जड मनुष्य (२) पतंगमें खड़ी लगायी जानेवाली तीली; ठड्ढा उप(-फ) अ० गिरनेकी आवाज; धप ब स्त्री० ढब; ढंग; तौर; रीति ब, अ०कि. 'ढब ढब' आवाज़ करना (२)डूबना (३)मर जाना; ढेर होना बबु पुं० दो पैसोंके बराबरका सिक्का; . अपन्ना; टका कईं अ०क्रि० (ढोलका)बजना (२) । . पानी में डुबकी लगाना . .. जबूर(-२), सक्रि० अच्छी तरह उढ़ाकर सुलाना (२) थपकना (३) पीटना [ढम-ठम; धुकार उमक (०ढमक) अ० ढोलकी आवाज हमकवं अ.क्रि० (ढोलका) बजना उमटोल वि० ढोल जैसा फूला हुआ; बहुत मोटा दिखाई देनेवाला उस स०क्रि० जमीनसे रगड़ खाता हुआ खींचना; घसीटना (२)[ला.] , बेमनसे काम करना; घसीटना (३) घसीट लिखना; घसीटना (४) कोई काम जैसे-तैसे कर डालना . इसरो पुं० घसीटनेसे चमड़ेका छिल जाना; रगड़ (२) बेगार; इच्छाके विरुद्ध काम उसवं, उसळ, अ०कि. ढहना डळईं अ०क्रि० लेटना; एक ओर झुकना; ढलना; ढरकना (२) तरल पदार्थका पात्रसे गिरना; ढलना (३) सांचेमेंढाला जाना (४) अमुक वृत्तिकी ओर झुकना [ला.] [छिपना डंका, अ०क्रि० ढकना; ढक जाना; ढंग पुं० बर्ताव; चाल-ढाल; ढंग (२) आसार; लक्षण (३) रीति; उब तरीका; ढंग ढंगढाळ पुं० विश्वसनीय बरताव या रहन-सहन; ठिकाना (२) आकार; ढंग; बनावट ढंगपडो पुं० भरोसा; विश्वसनीय आचरण; ठिकानेका काम ढंड वि० बिलकुल पोला; खोखला ढंटेरो पुं० ढिंढोरा(२) सरकारी उद् घोषण या अधिसूचना [झकझोरना ढंढोळg स०कि. जोरसे हिलाना; ढाढी पुं० शहनाई बजानेवाला; ठाढ़ी (२) एक प्रकारका मंगन, भिखमंगा ढाल स्त्री० ढाल (२)बचावका साधन; आड़ [ला.] डाळ पुं० ढालुआं-उलवां जमीन ढाल(२) ढब; तरीका; आचरण (३) गानेकी For Private and Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org डाळकी = पद्धति; तर्ज (४) घरोपा; घरका सा संबंध ( ५ ) कनकूत । [ - उतारवो आकार देना ( २ ) ठीक ढालुआं रखना (३) समान, समतल बनाना । -मां गाबुं = रागके अनुसार - ढंगके साथ गाना. ] हुई गुल्ली डाळकी स्त्री० धातुको गलाकर ढाली डाळको पुं० धातुकी बड़ी गुल्ली ; डला (२) [ला.] ढंग; रीत (३) कामकाजमें सफ़ाई; कुशलता (४) समझ डाळबुं स०क्रि० ( आँखोंको) नीचा करना; झुकाना ( २ ) ( चारपाई) बिछाना (३) बूंदके रूपमें गिराना; (आँसू) ढालना (४) कनकूत करना (५) (साँचेमें) ढालना डाळि वि० ढालदार; ढालू; ढालुआं ; ढलवाँ (२) न० धातुकी गुल्ली (३) ढालुआं जमीन या खेत ; ढाल ( ४ ) एक ही ढालवाला छप्पर; एकपलिया (५) डेस्क डाळियो पुं० खेतकी सिंचाईके लिए पानी ले जानेकी ढालुआं नाली; बरहा (२) सोने या चांदीका ढाला हुआ चौकोर डला; पासा ढाळो पुं० विश्रान्ति; सुस्ताना ( २ ) चाल-ढाल (३) तरीक़ा; पद्धति डांकण (०) न० ढक्कन; ढकना ( २ ) बचाव, आड़ (३) ढकनेकी क्रिया डांकणी (०) स्त्री० छोटा ढकना; ढकनी; हाँडीका ढक्कन; चपनी (२) घुटनेकी हड्डी ; चपनी sinj (०) न० ढकना; ढक्कन ( २ ) (किसी चीज को ढकनेके काम आनेवाला कोई भी साधन; झाँप २२६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डोंगली ढांकप ( - पि) छेडो (०) पुं० दोष छिपाने या ऐब पर परदा डालनेकी युक्ति; ऐबपोशी [ ढँकना (२) छिपाना ढांक (०) स०क्रि० ढकना; ढाँकना; ढां (०) न० मरा हुआ ढोर ढांढो (०) पुं० बड़ा बैल ढिंगली स्त्री०, ढिगलं न०, ठिगलो पुं० देखिये ' ढींगली' आदि ढीकj वि० देखिये 'ढीकणु' डोको पुं० देखिये 'ढीको' ढीच स०क्रि० देखिये 'ढींचवुं ' ढी स०क्रि० मार मारना; पीटना ढीमधुं न० कुंदा (२) मिट्टीका मोटा कुठला ; डेहरी (३) [ला.] नाटा बच्चा (४) सिर ढीमडं ( - णुं ) न० गांठ जैसी सख्त सूजन; ददोरा; चकत्ता ढीमर पुं० मच्छीमार ( २ ) माँझी; धीवर ढीमुं न० चकत्ता; ददोरा ढील स्त्री० व्यर्थकी देर; विलंब ( २ ) तनावका अभाव; ढील; ढीलापन (३) [ला.] लापरवाही ढीलुं वि० ढीला; शिथिल; जो कसा न हो ( २ ) जो सख्त न हो; ढीला (३) [ला. ] पस्तहिम्मत ( ४ ) कमजोर (५) काहिल ; मंद ; ढीला । [ - मूकबुं = ढील देना; ढीला छोड़ना; थोड़ा लापरवाह होना. ] ढीलंडस वि० बिलकुल ढीला ढींकणुं वि० ढिमका; अमुक; फ़लाँ ढकवो पुं० नदी या तालाबके सूखे तलमें पानी के लिए खोदा हुआ गड्ढा ढींको पुं० घूँसा मुक्का ढींगली स्त्री० गुड़िया (२) गुड़िया - सी बनी-ठनी छोटे क़दकी स्त्री [ला. ] For Private and Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org डींगलं डोंगलं न० पुतला; खिलौना डोंगलो पुं० नर गुड़िया ; गुड्डा पुतला डींचण पुं० जांघ और टांग बीचका जोड़; घुटना डच स०क्रि० हदसे ज्यादा पीना ; ढकोसना (२) पीना (तुच्छकार में) (३) शराब पीना [ला. ] दूकडं वि० नज़दीक; निकट डूकबुं अ०क्रि० नज़दीक जाना; पास २२७ फटकना दूवो पुं० रेगिस्तानमें रेती उड़ उड़कर बना हुआ दूह या टीला; तूह ढूंकडुं वि० देखिये 'तूकडु' ड्रंक अ०क्रि० देखिये 'ढकवं ' ढूंढ स०क्रि० ढूंढ़ना; खोजना इंड न० बाजरेकी बालमेंसे दाने निकालनेके बाद बचा रहनेवाला भूसा ई न० देखिये ' ढूंढसुं' सो पुं० गेहूँकी बड़ी मोटी रोटी (२) मोटा भारी कंबल ; धुस्सा डेरुवो पुं० सिंचाईके लिए पानी निकालनेका एक यंत्र ; ढेंकली ढेको पुं० उभड़ा हुआ भाग; टेकरा (२) शरीर पर उभड़ा हुआ हड्डीबाला भाग; कूबड़ । [ -नमवो = मेहनत करना; शरीर नवाकर काम करना. ] बेखलो पुं० ईंटका टुकड़ा; ईंटकोहरा देखाळो पुं० देखिये 'ढेखलो ' ढेड पुं० इस नामकी अंत्यज जातिका आदमी [ गुजराती डेडगुजराती स्त्री० अंग्रेजीमिश्रित ढेडफजेती स्त्री०, ढेडफजेतो पुं० सबके सामने या खुले आम फजीहत; भद डेडवाडो पुं० 'ढेड' लोगोंका मुहल्ला या - टोला (२) [ला. ] गंदी - अस्वच्छ जगह ढोलो ढेपली स्त्री० छोटा, चपटा ढेला ढेपलुं न० रोड़ा; ढेला ( २ ) थक्का; चक्का ढेषु (पुं) न० देखिये 'ढेपलं' ढेबयं न० खानेकी एक चीज़ । टेव बंधावां रवाना करना ( २ ) रुखसत करना; बरतरफ़ करना. ]. हेर पुं० ढेर; राशि डेबो पुं० सूजन; शरीरमें पड़ी हुई गाँठ; गंड (२) गोबरका लोंदा ; चोंथ डेल (०डी) स्त्री० मोरनी ढोकळी स्त्री० खानेकी एक चीज़ ढोकळं न० खानेकी एक चीज़ ढोचकी स्त्री० छोटे मुंहका मिट्टीका छोटा घड़ा; गगरी - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढोचकुं न० सँकरे मुँहवाला मिट्टीका घड़ा (२) [ला. ] सिर; मुंड (३) वि० डाँवाडोल मनका; अस्थिर । [ - ऊडी जयं = सिर कटना ( २ ) पूरा हार जाना. ] ढोर न० गाय, भैंस, पशु आदि चौपाये ; ढोर; डंगर । [ - जेवुं = जड; मूर्ख. ] ढोरांक, ढोरांक (ख) र न०ब०व० मवेशी; ढोर-डंगर ढोल पुं०; न० ढोल; नगाड़ा । [ - कूट = खराखोटा समझे बिना हाँ में हाँ भरना. ] ढोलकी स्त्री० छोटा ढोल; पखावज । [ -वगाडवी = दोनों पक्षोंमें अपना स्थान सुरक्षित रखना; किसी एक 'पक्षका न रहना. ] ढोलकुं न० ढोल [ खटिया ; मचिया ढोलडी ( - णी) स्त्री० छोटी चारपाई ; ढोलियो पुं० चारपाई; पलंग ढोली पुं० ढोल बजानेवाला; ढोलकिया ढोली पुं० ढोला, पति [ छोला ढोलो पुं० मोटा, अहदी, मूर्ख व्यक्ति; For Private and Personal Use Only Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२८ डोळ पुं० चमक; मुलम्मा; धातु पर डोळी पाग्g (-के सिर) जिम्मेदारी चांदी-सोनेका पानी चढ़ाना डालना.] डोळई सक्रि० उड़ेलना; ढालना; डोळy सक्रि० पंखा झलना; चंवर पानी आदिको गिराना (२) लुढ़- ढालना काना (३) न० बेदीका बरतन डोळान न०, गेळा, मेळो पुं० देखिये (४) कमी इस पक्षमें तो कभी उस टाळ' पक्षमें मिल जानेवाला; बेदीका ढोंग (डॉ.) पुं० ढोंग; दिखावा लोटा; औढर। [(नेमाचे) डोळवं, डॉगी (लं) (डॉ.) वि० ढोंगी; पासंग a. 'त' वर्गका-दंतस्थानीय पहला व्यंजन तक स्त्री० उपयुक्त काल; मौका तपती स्त्री० कांच या धातुका चौकोर टुकड़ा; तख्ती तातो पुं० बड़ी तख्ती; तख्ता (२) बाईना (३) मढ़ा हुआ चित्र या फोटू तकरार स्त्री० तकरार; झगड़ा; टंटा (२) बाधा; विरोष; उण। [उठाववी= विरोध या. बाधा खड़ी करना.] [न हो; नाजुक तकलादी वि० जो मजबूत और टिकाऊ तकली स्त्री० तकली तकसीरवार वि० अपराधी; कुसूरवार तकाजो(-चो) पुं० तकाजा; तगादा तकावी स्त्री० तक्रावी. तकास, सक्रि० ललचाई हुई दृष्टिसे . ताकना (२) चाहना; ताकना तकियो पुं० पीठ पीछे रखा जानेवाला बड़ा तकिया (२) फ़क़ीरके रहनेकी · जगह; तकियागाह सवारी स्त्री० जाब्ता; कड़ी निगरानी सस्ती, तो देखिये तकती', 'तकतो' तबती स्त्री० देखिये 'तकती' तसतो पं. देखिये 'तकतो' (२) मंच; रंगभूमि तस्ती, तस्तो देखिये 'तकती', 'तकतों तगग्स ०कि. खूब दौड़ाना; खदेड़ना (२) थका डालना; बेकार घुमाना तगई वि० तगड़ा तगडो पुं० '३'-तीनकी संज्ञा तगतगईं म०क्रि० चमकना; चिलकता; चमचमाना तगवं अ०क्रि० देखिये 'तगतग' तगादो पुं० तगादा; तकाजा: तगाई न० लोहेका तसला (२) पेट; __गड्ढा [ला.] तगावी स्त्री० तक्रावी तगेड सक्रि० देखिये 'तगडवं' तज स्त्री०; न० दारचीनी; तज . तजगरो पुं० जाँच (२) हिसाबकी जांच तजवीज स्त्री० जांच ; खोज (२) युक्ति; करामात (३) कोशिश (४) चौकसी; हिफाजत (५) व्यवस्था; तजवीज; बंदोबस्त तज, स०कि त्यागना; छोड़ना; तणना For Private and Personal Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तटस्थ २२९ तटस्थ वि० जो किसी पक्षका न हो; तर अ०कि. किसीको मारने या निष्पक्ष (२) निरपेक्ष ; पक्षपातरहित; उससे झगड़नेके लिए आगे बढ़ना; तटस्थ झपटना; लपकना तर अ० तड़कनेकी आवाज; तड़ (२) तडतडा स्त्री० तड़ातड़ जवाब देना; स्त्री० लकड़ी, धरती, दीवार आदिके कहा-सुनी (२) मारपीट; तडातड़ फटनेसे पड़नेवाला लंबा छिद्र ; दरार ताक अं टूटनेका शब्द; तड़ाक (२) (३)न० तड़पक्ष; दल [छायडो' तुरत; तड़ाक तरकीछांयडी स्त्री० देखिये 'तडको- तडाको पुं० झूठी बात; गप (२) तरको पुं० धूप; सूर्यका गरम प्रकाश एकदम होनेवाली भीड़, वृद्धि या तरकोछायडो, तरकोछायो पुं० धूप लाभ । [-पडवो एकाएक अच्छा और छाँह (२) सुख-दुःख [ला.] लाभ होना.] तरजोर स्त्री० तड़ोंके बीच समझौता; तडातर अ० तड़ातड़; झटपट ; लगातार दलोंमें मेल तातली स्त्री० कहा-सुनी; मारपीट; तडतड अ० 'तड़-तड़की या तड़कने- तड़ातड़ (२) चढ़ा-चढ़ी; होड़ (३) फटनेकी आवाज; तडातड़ (२)फ़ौरन; उतावली; धमाचौकड़ी तड़ाक-फड़ाक तडामार अ० जोरोंसे; तेजीसे . तस्तर अ०क्रि० 'तड़-तड़' शब्द होना; तगमार(-रो) स्त्री० दौड़-धूप; जल्दी, तड़तड़ाना (२) चिटकना; फटने पर मारामार आना (३) गुस्से में बोलना; तड़कना तरी स्त्री० बौछार; झड़ी (२)मारपीट [ला.] [आतिशबाजी तक ब०कि. जोरसे कड़ककर तस्तरियो पुं० चिनगारी (२) एक बोलना; तड़कना; गरजना तर ने फर, ताने भर-देखिये 'तडफड' । तरको पुं० जोरसे कड़ककर बोलनेकी तरपवं अक्रि० देखिये 'तलपवू' आवाज; गरज; कड़क तरफर अ० चटपट; तड़ाक-फड़ाक; तमोतर अ० देखिये 'तडातड' तड़ातड़ (२) खुल्लमखुल्ला; मुंह पर तणखलं न० तिनका तरफा अ०क्रि० दुःखमें हाथ-पांव तमसो पुं० चिनगारी या अंगारा मारना; तड़फड़ाना (२) हॉफना (३) तनछाई । अ०कि. किसी अवयवका व्यर्थ प्रयत्न करना; छटपटाना [ला.] तनना (२) पैरको झटका देते हुए तरफडाट पुं० तड़फना; छटपटाहट चलना; झनकना; लँगड़ाना (३) तरफरियां नम्ब०व० दुःखमें हाथ-पैर तीव पीड़ा होना; टीसना . पछाड़ना; बेताब होना (२) बेकार तणावू अ०कि. खिंचना; तनना (२) कोशिश करना; छटपटाना अपने बसके बाहर कामोंसे लदना तरफ अ० कि० तड़फना; छटपटाना या खर्च करना।[तणाई मरवं-बूतेसे तरवूच न० तरबूज़; मतीरा ज्यादा खर्च करना; देखादेखी खर्च तरमा अ० देखिये 'तडफड' करके बहुत नुकसान सहन करना.] For Private and Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तची. तमंचो २३० तनी स्त्री०, तj न०, तणो पुं० संबंध तपेलं न० बड़ी पतीली; पतीला कारककी विभक्ति (का, को आदि) तफांची स्त्री० किसीकी चीज या ततड, अ०क्रि० देखिये 'तडतडवू' साहित्यिक रचनाको हड़पना; चुराना ततडाववं सक्रि० 'तडतडवू' क्रियाका तफडावतुं सक्रि०किसीकी चीज प्रेरक (२) धमकाना; डाँटना [ला.] उठाकर चलते बनना; हड़पना: चुराना ततडियो पुं० चिनगारी; अग्निकण तफरके अ० चुरा, बिखरा या हड़पा ततूडी स्त्री० छोटी तुरही.. हुआ हो इस तरह ततूई न० एक तरहकी रणभेरी; तुरही तफसील स्त्री० देखिये 'तपसील' तत्काळ अ० तत्काल तफावत पुं० तफावत; फ़र्क तपा.स्त्री० परवा; तमा (२)विस्तार; तफो पु० जत्था; विभाग; समूह फैलाव [वैसे; तथा तबक्को पुं० मंज़िल; तबका(२)स्थिति; तवा अ० बोरव; तथा (२)उस तरह; दशा (३) कक्षा; पद; दरजा (४) तदन अ० बिलकुल; पूरा (२) निरा विभाग; तबक़ा ; खंड [(२)दौड़ तनमनाट पुं० आवेश; जोश; अधीरपन तबरकी स्त्री० घोड़ेकी दौड़की आहट तपखोर स्त्री सुंघनी; हुलास तबगव, सक्रि० दौड़ाना (२)डांटनातपसीरियं वि० संघनीके रंगका डपटना (३) उबालना तलबबुं सक्रि० तपाना तबलुं न० तबला तप अ.क्रि० तप्त-गरम होना; तपना तबियत स्त्री० मन; मिजाज; तबीयत (२) तप करना (३) [ला.] देर तक (२)शरीरका हाल; स्वास्थ्य बाट देखते हुए खड़ा रहना; किसीकी तबीब पुं० तबीब; हकीम राह देखकर समय बर्बाद करना (४) तबीबी वि० तबीब-संबंधी; तिब्बी (२) गुस्सा करना स्त्री० हकीमका पेशा; हकीमी तपसी वि० (२)पुं० तपस्वी; तपसी [प.] तबेलो पुं० तबेला; घुड़साल तपसील स्त्री विवरण; ब्योरा; तफ़सील तबो पुं० चिलमके छेद पर रखनेका तपाड(-) सक्रि० तपाना गोल ठीकरा; तवा; ठीकरी तपास (०णी) स्त्री० तहकीकात; तमण स्त्री० जमीन खोदकर बनाया तफतीश (२) जांच-पड़ताल ; खोज हुआ चूल्हा; भट्ठी (३) निगरानी; देखभाल तमणुं वि० तिगुना तपासवं सक्रि० खोजना (२) चौकसी तमतमाट वि० बहुत चरपरा; तीखा · करना; छानबीन या जाँच करना (३) (२)पुं० चरपराहट; तीखापन संभालना; निगरानी रखना तमतमुं वि० बहुत चरपरा तपास-समिति स्त्री० जांच-समिति तमन्ना स्त्री० तमन्ना; इच्छा; आतुरता तपासाब, अ.क्रि. 'तपास' क्रियाका तमरी स्त्री० देखिये 'तम्मर' प्रेरणार्थक रूप तमहं न० झींगुर; झिल्ली तपेली स्त्री० पतीली तमंचो पुं० तमंचा; पिस्तौल For Private and Personal Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तमा तमा स्त्री० तमा; परवा; गरज (२) कमी; त्रुटि समाकु स्त्री० तंबाकू; तमाकू तमाची पुं० तमाचा; थप्पड़ तमाम वि० (२) अ० तमाम ; कुल ; सारा तमाशी पुं० तमाशा ( २ ) फजीहत ; भद [ला. ] [ छाना; चक्कर आना तम्मर स्त्री० आँखोंके आगे अँधेरा तर वि० तर; ताज़ा (२) तृप्त; अघाया हुआ (३) मालदार (४) मदमत्त; नशे में चूर [ परत; साढ़ी तर स्त्री० दही या दूध की मलाईकी तरक पुं० तुर्क; मुसलमान तरकट न० प्रपंच; षड्यंत्र; साजिश तरकटी वि० साजिश करनेवाला; प्रपंची तरको पुं० देखिये 'तरक' तरकारी स्त्री० सब्जी; तरकारी; सागपात ( २ ) खाने योग्य मांस तरकीब स्त्री० तरकीब; युक्ति तरखड स्त्री० देख-भाल ; सँभाल ( २ ) झंझट ; पचड़ा तरबाट पुं० तहलका; डर; त्रास तरगाळो पुं० गाने-बजानेका पेशा करनेवाली जातिका आदमी तरछोड स०क्रि० जोरसे झटकना; झटका देना (२) तिरस्कारपूर्वक निकाल देना, तजना (३) दुतकारना; धिक्कारना तरजुमो पुं० अनुवाद; उल्या; तरजुमा तर स्त्री० लकड़ी, धरती, दीवार आदिके फटने से होनेवाला लंबा चीरा; दरार; बाल (शीशा) तर अ०क्रि० दरार पड़ना; फटना; चटकना; तिलकना (मिट्टी) (२) - २३१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टेढ़ा -तिरछा होना (३) नाराज होकर किसीके विरुद्ध चलना तरडाट पुं० फटने की क्रिया; तड़क (२) अभिमान; अकड़; ऐंठ तरडावं अ०क्रि० देखिये 'तरडवुं ' तरणुं न० तिनका; तृण तरत अ० तुरत; फ़ौरन्; तुरंत तरपं ( - पि) डी स्त्री० मृतककी बरसीकें दिन किया जानेवाला श्राद्ध; त्रिपिंड तरफ स्त्री० तरफ़; पक्ष ; ओर; दिशा (२) तंतुवाद्यके मुख्य तारके नीचेके तारोंका समूह; तरब ( ३ ) अ० दिशामें; तरफ़ [ साबि तरफड, तरकडियां देखिये 'तडफदं' तरफण स्त्री० बीज बोनेका तीन नलीवाला एक औजार; बाँसा, तरकी वि० (समास ) तरफ़का; तरफ़ा तरफेण (फॅ) स्त्री० पक्ष; बाजू (२) तरफ़दारी; पक्षपात तरबतर वि० तरबतर; भीगा हुआ तरबूच न० देखिये 'तडबूच ' तरबोळ वि० सराबोर; तराबोर तरभाणी स्त्री० धार्मिक विधिमें काम आनेवाली तांबेकी छोटी तश्तरी; छोटा तरबहना तरभानुं न० ताँबेकी बड़ी तश्तरी जो धार्मिक विधि में उपयोग में लाई जाती है; तरबहना तरमेट (टो) पुं० तिराहा; तिमुहानी तरवाडो पुं० खजूरको छेदनेवाला; ताड़ी निकालनेवाला [ घोड़ी; तिपाई तरवायो पुं० तीन पायोंकी लकड़ीकी तरबुं स०क्रि० पार करना; लाँघना (२) (पानी पर तैरना (३) बचना; तरना [ला. 1 For Private and Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तरक्ष तरश स्त्री० प्यास (२) उत्कट इच्छा; चाह; लालसा [ला. ] तरश्यं वि० प्यासा ; तृषातुर तरस स्त्री० देखिये 'तरश' (२) न० लकड़बग्घा (३) पुं० क्रोध तरसाड स्त्री० ताड़का पत्ता; तालपत्र तरसाव स०क्रि० तरसाना; ललचाना तरस्युं वि० देखिये 'तरश्युं ' तरंग पुं० ( पानीकी) तरंग; लहर (२) कल्पना; मनकी तरंग तरंगी वि० तरंगी ; मौजी (२) कल्पनाएँ करनेवाला तराई स्त्री० तराई तराय स्त्री० दरार; चीरा तराना, तरानों पुं० तराना तराप स्त्री० छलांग (२) झपट ; झपट्टा तरापो पुं० लट्ठों और बाँसके टट्टर या पीपोंसे बनाई हुई नाव; बेड़ा तरियो पुं० चावलमें रहा हुआ धान; तुपयुक्त चावल तरियो पुं० एक दिनके अंतरसे आनेवाला ज्वर; अंतरा ज्वर (२) चौथे दिन आनेवाला ज्वर; चौथिया तरीके अ० - के अनुसार; तरह; - की हैसियत से; के तौर पर तरीको पुं० रास्ता; उपाय (२) रीत; तरीक़ा [ तरह; तौर तरेह स्त्री० प्रकार; तरह (२) भाँति; तरेहवार वि० तरह-तरहका ; भाँतिभाँतिका (२) विचित्र तल पुं० तिल; तिल्ली (२) तिलके आकारका शरीर परका काला दाग़; तिल तलप स्त्री० तलब ; चाह (२) कुदान; छलाँग । [ - आववी = चाह होना. ] २३२ तयो तलपबुं अ०क्रि० जोरसे कूदना ( २ ) तड़पना; तलफना तलपापड वि० आतुर; अधीर; बेसब्र तलपूर वि० तिलके जितना (२) तिलभर; थोड़ासा भी तलब स्त्री० तलब ; उत्कट इच्छा तलभार, तलमात्र वि० तिलके जितना; तिलभर; थोड़ासा भी तलवारनी धार पर रहेवुं = पूर्ण सतर्कता या सावधानी बरतना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तलस न० तेलहन काटने के बाद खेत में रहा हुआ डंठल तिलेती तलसबुं अ०क्रि० अति आतुर होना; बेचैन रहना; तरसना तलसाट पुं० आतुरता; छटपटी तलसांकळी स्त्री० तिलपपड़ी; तिलशकरी तलाक स्त्री० विवाह संबंधका विच्छेद; तलाक़ तलाटी पुं० पटवारी तलाव न० तालाब तलावडी स्त्री०, तलाबहुँ न० तलैया तली स्त्री० छोटे तिल; तिल्ली तलो पुं० पगड़ीके सिरे परका तुर्रा; शमला तल्लाक स्त्री० देखिये 'तलाक' तवंगर वि० पैसेवाला; मालदार तवाई स्त्री० कमबख्ती; आफ़त ; तबाही (२) ताकीद; चेतावनी ; धमकी तवारीख स्त्री० इतिहास; तवारीख तवी स्त्री० लोहेका छोटा तवा तवे पुं० रसोई में ऊपर-नीचे करनेकी लोहे, पीतल या काठकी चपटी कलछी; पलटा तवो पुं० रोटी सेंकनेका लोहेका गोल पत्तर; तवा (२) चिलमके छेद पर For Private and Personal Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तसतसवं रखने की गोल चपटी ठीकरी; तबा। [तवा = बिलकुल साफ़ (२)धनसे खाली हुआ; तबाह.] तसतसवं अ०क्रि०खिचनातनना कसना तसु पुं०; स्त्री० एक इंच जितनी माप; तसू। [-भोंय न सूमवी-दिमागमें या ध्यानमें न आना; अकुलाना; कुछ न सूझना; घबड़ाना.] तस्दी स्त्री० मेहनत; तसदीह [प.] तहकु (-)ब वि० स्थगित; मुल्तवी तहकूबी स्त्री० रोक; मौकूफ़ी; तवक्कुफ़ तहनामुं न० संधिपत्र; सुलहनामा तहसील स्त्री०; न० लगान; मालगुजारी (२) जिलेका वह भाग जो तहसीलदारके अवीन रहता है; तहसील तहसीलदार पुं० तहसीलदार तही अ० वहाँ; उधर तहेवात स्त्री० सेवा करनेके लिए उपस्थिति; हाजिरबाशी हुजूर (२)सेवाटहल; ताबेदारी तहेवार पुं० त्योहार; त्यौहार; पर्व तहोमत न० तोहमत; मिथ्या आरोप।। [-बाव = लांछन लगना.] तहोमतदार वि० अपराधी; मुलजिम तहोमतनामुं न० आरोपपत्र तळ न० निचला भाग; तल (२)तला; पेंदा; तल (३) सतह; तल (४) मूल (५) बुनियाद (६) जन्मस्थान तळपद न० गाँवकी जमीन (२) असलमूल जगह (३) समतल भूमि (४) पूरे लगानवाली-खालसा जमीन तळपदं वि० स्थानिक (२) देशज:ग्रामीण तळवं सक्रि० तलना [गद्दा तळाई स्त्री० बहुत रुई भरा बिछौना, तळाब न०, (डी) स्त्री०,(६) न. देखिये तलाव' आदि तळांसy (०) सक्रि० धीरे-धीरे पांव दबाना (२) चप्पी करना। तळियानाटक अ० सर्वथा नष्ट; तहस नहस ; नेस्त-नाबूद तळियुं न० बिलकुल नीचेका हिस्सा; तह; तल (२) पैरका नीचेका भाग तलवा तळी स्त्री० सुखतला तळे अ० नीचे; तले तळेउपर अ० ऊँचा-नीचा; तले या ऊपर (२) अधीर;बेसन [ला.] तळेटी स्त्री० तलहटी तंग वि० कसा हुआ; तंग (२) तना हुआ; खींचा हुआ (३) तंगदस्त (पैसा) (४) कायर, दिक या परेशान ; तंग आना (५) पुं० जीन कसनेकी पेटी; तंग ऊंची सुथनी तंगडी स्त्री० टांग; टॅगड़ी (२) उटगतंगाश स्त्री० कमी; तंगी तंगी स्त्री० कमी; न्यूनता; तंगी तंत पुं० तार; तंतु (२) किसी घटना या बातकी परंपरा; सिलसिला (३) चर्चा; वाद-विवाद (४) पीछा (छोड़ना) (५) हठ; ज़िद तंत्री पुं० तंत्र चलानेवाला; अधिपति (२) वर्तमानपत्रका संपादक (३) स्त्री० तंतुवाद्यका तार; तंत्री (४) धनुषकी डोरी;पनच (५)एक तंतुवाद्य तंदुरस्त वि० तंदुरुस्त; नीरोग; स्वस्थ तंदुरस्ती स्त्री० तंदुरुस्ती स्वास्थ्य सेहत तंबाकु(क) स्त्री० देखिये 'तमाकु' तंबु(-) पुं० तंबू; खेमा संदूरो पुं० तंबूरा For Private and Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तळ संबोळ पुं० (नागरबेलका) पान; तांबूल (२) पानका बीड़ा या बीड़ी (३) महरा लाल रंग (४) गलेका एक रोग तंबोळी पुं० तंबोली; तमोली ता पुं० एक काग़ज़ ; ताव ताक स्त्री० निशाना; लक्ष्य (२) घात; ताक ताडो पुं० ताक; लाग; मौक़ा ताकणियं वि० बाँधा हुआ निशाना गिरानेवाला ताकवं स०क्रि० स्थिर दृष्टिसे देखना; ताकना (२) निशाना बाँधना (३) चाहना; ताकना शाकात स्त्री० ताक़त; मक़दूर साफीर स्त्री० जल्दी (२) फ़रमान; आशा; तुरत करने की ज़रूरत ( ३ ) चेतावनी ; धमकी; ताकीद । [ -करवी = जल्दी करना । - आपवी= चेतावनी देना; चेताना. ] ताकुं न० ताक़; आला; ताला ताके वि० देखिये 'ताकणियं ' ताको पुं० ( कपड़ेका) यान -ताकोडी वि० देखिये 'ताकणिशुं ' ताग पुं० थाह; अंत; निबटारा; तोड़ । [-काढवो, लेवी = गहराई नापना (२) थाह लेना; अंदाजा लगाना. ] तागडविना पुं०ब०व० ऐशोआराम तागड़ो पुं० तागा; धागा तागबुं अ०क्रि० थाह लेना; माप निकालना (२) निबटना; पूरा करना; पार लगाना , ताछं न० देखिये 'तासुं' ताजगी स्त्री० ताजापन ( २ ) स्फूर्ति; ताज़गी (३) तंदुरुस्ती ताज न० देखिये 'त्राजनुं ' २३४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताणबुं ताजा कलम स्त्री० ( संक्षिप्त 'ता०क०' ) लिख चुकने के बाद और जोड़ा हुआ; पुनश्च ताजियों पुं० ताजिया ताजुब वि० अचरज भरा; दंग ताजुबी स्त्री० ताज्जुब; अचरज ताजुं वि० नया; ताजा; हरा (२) थकान दूर होकर स्फूर्तिमें आया हुआ (३) मालदार; तर ताजूडी स्त्री० देखिये 'त्राजूडी' ताजेतर वि० तुरतका; तरोताजा ताट पुं० थाल जिसका किनारा बाहर मुड़ा हुआ हो; बड़ा तरत ताट न० सनका मोटा कपड़ा टाट ताटी स्त्री० बाँसकी फट्टियोंका परदा; चिक [ या परदा; टट्टर ० बाँस या घासकी चटाई, पल्ला ताड पुं० ताड़ (पेड़ ) ताडगोळ पुं० खजूर या ताड़के रस - नीरेसे बनाया हुआ गुड़; ताड़गुड़ ताब (पत्र) न० ताड़का पत्ता; ताड़पत्र ताडपत्री स्त्री ० ताड़की पत्तियोंका छाजन (२) एक प्रकारका कपड़ा; तिरपाल ताडी स्त्री० ताड़ी (ताड़-खजूरका रस ) ताकवं अ० क्रि० गरजना; जोरसे कड़ककर बोलना; तड़कना ताको पुं० जोरसे कड़ककर बोलनेकी आवाज़; गरज ताडो पुं० सूजनके कारण चमड़ीके तननेसे होनेवाली पीड़ा; चरचराहट ताण (ण) स्त्री० नसोंका तनाव ( २ ) तंगी ; कमी (३) आग्रह ताण न० पानीके बहावका जोर; खिचाव ताण स०क्रि० तानना; खींचना ( २ ) घसीटना ( ३ ) लंबा हो इस प्रकार For Private and Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साताण २३५ तारवली खींचना; लंबाईके बल फैलाना (४) ताबेदारी स्त्री० ताबेदारी; हुक्मबरदारी तरफ़दारी करना; उदा० 'कोईनुं ताबे अ० ताबे; अधीन; मातहत ताण' [ताणीने%Dऊँची आवाजसे; ताबूत पुं०; न० मुरदा ले जानेका जोरसे (२)आग्रहपूर्वक । ताणी लाव, संदूक ; जनाज़ा; ताबूत (२) बावला = आग्रहपूर्वक खींच लाना (२) बगैर या मूढ़ जैसा व्यक्ति; बौड़म हक़के उठा लाना(३)जबरदस्ती खींच ताबडतोब अ० ताबड़तोड़; तुरत ही लाना.] तामडी स्त्री० देखिये 'तांबडी' . ताणताण (-णा), ताणाताण (ण,) तामडो पुं० देखिये 'तांबडो' स्त्री० खींच-तान; खींचा-खींची। तायफो पुं० टोली ; समूह; मंडली (२) ताणी स्त्री० देखिये 'ताणो' गाने-बजाने और नाचनेका काम करनेताणीतू (-तो)शी(ने, -सी, -सीने) वाली नर्तकी, रामजनी या वेश्याकी अ० खूब खींच-खांचकर; मुसीबतसे मंडली; तायफ़ा ताणु (-j) वि० तिरानबे; ९३ ।। तार वि० तार; उच्च; तीव्र (स्वर) तानो पुं० बुननेके लिए लंबाईके बल तार पं० तार; तंतु; तागा; रेशा; सूत फैलाया हुआ सूत; ताना (२) धातुको पीटकर या खींचकर तातुं वि० बहुत तपा हुआ; गरम (२) कठोर स्वभावका; सरगर्म (३)तुरत बनाया हुआ गोल तार; तार (३) का; ताज़ा [ला.] तार द्वारा भेजी हुई खबर; तान स्त्री०;न० तान (संगीतमें) (२) तार (४) तल्लीनता। [-छोरवो, ठोकवो-एकदम तार खटखटाना। धुन; लगन (३) तूफ़ान; शरारत तानपूरो पुं० तानपूरा [(२)क्रोध -मळवो= तार द्वारा संदेशा मिलना तानो पुं० ताना; व्यंग्यपूर्ण चुटीली बात (२) बनत या मेल होना; ऐक्य होना.] ताप पुं० सूर्यको गरमी; धूप (२) तारऑफिस स्त्री. तारघर गरमी; आंच; ताप (३) बुखार; तारकस पुं० तार खींचनेवाला; तारकश ताप (४) सख्ती (५) धाक; रुआब तारकसब पुं० सोने-चांदीके तार; (६) संताप; दुःख कलाबत्तू; जरी तापर्यु न० सनका मोटा कपड़ा तारण न० पार करना; तारना; उद्धार तापणी स्त्री०, (-j) न० शरीर गर- करना (२) भावार्थ ; सार (३) मानेके लिए घास-फूस आदिकी जलाई क़र्ज़ लेते समय माल या रोकड़के हुई आग ; अलाव [तप करना रूपमें रखी जानेवाली धरोहर; जमाताप अ.क्रि० तापना (२) सक्रि० नत (४) तरल पदार्थमें चीज़ डुबाकर तापोटो पुं०, तापोग्युिं न० सख्त धूप; निकाल लेने के बाद पड़ा रहनेवाला घाम (२) गरमीसे होनेवाला फोड़ा तरल पदार्थ ताबोटो पुं० देखिये 'टाबोटो' तारवणी स्त्री० (हिसाबमें) जमा-उधार ताबेदार वि० ताबेदार; आज्ञांकित का खातावार हिसाब तय करना For Private and Personal Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वारब, तारपई स०कि. दबी हुई चीजको तालीम स्त्री० तालीम (२) व्यायामखींचकर ऊपर उठाना (२) ऊपर- शिक्षा (३) अनुशासन ऊपरसे ले लेना (३) किसी चीजको तालीमबद्ध वि० तालीमयाफ्ता; शिक्षाफैलाकर पानीमेंसे निकालना; बोरना युक्त [(२) धूर्त (४) जमा और उघारके आंकड़े तालीमबाज वि० कसरती; व्यायामी सातोंके हिसाबसे तय करना (५) तालुको पुं० तालुका; तहसील नफा या टोटा निकालना; ब्याज-बट्टा तालं न० अॅगियामें लगाया जानेवाला निकालना कलाबत्तूका टुकड़ा तार सक्रि० तारना; डूबतेको बचाना तालेबर, तालेवंत, तालेवान वि० तालेताराबवि. तहसनहस ; बरबाद ; चौपट वर; भाग्यशाली (२) मालदार सारीत स्त्री० तारीख; तिथि ; मिती। ताव पुं० एक काग़ज़ ; ताव पांचवी तारीख डालना।-पच्ची ताव पुं० ताप; बुखार - मुकदमेकी तारीख निश्चित होना; ताव पुं० अहंकारकी झोंक; (मूंछों पर) तारीख पड़ना. [नोंघ ताव। [-बोरोब या गर्वमें मूंछों तारीच स्त्री० जमा-उधारकी संक्षिप्त पर हाथ फेरना; अकड़ना.] तारो पुं० तारा; सितारा (२)आँखकी तावरी स्त्री० छिछली कड़ाही; ताई पुतली; तारा तावरो पुं० कड़ाह; कड़ाहा तारो पुं० होशियार तैराक; तैराक तावण (-बी) स्त्री० तपानेकी या कड़ताल पुं० ताल (संगीतका) (२)मजा; । कड़ाकर शुद्ध करनेकी क्रिया (२) रंग (३) लाग; मौका (४) झांस; कसोटी ला.] कांस्यताल-बावबोमजा या रंग ताबलं वि० जिसे बुखार चढ़ा हो बाना (२) मौका आना।-करपो- ताब, सक्रि० शुद्ध करनेके लिए खूब गत बनाना; भद करना (२)आनंदका । तपाना; ताना (२)गलाना; पिघलाना बायोजन करना. (३)कसना; ताना ला.] ताल स्त्री० सिरका गंजापन; गंज। तावीज न० तावीज़; जंत्र -परवी%D सिर गंजा होना(२)खूब तायो पुं० देखिये 'तवेयों दुःख, कष्ट झेलना.] [चंदिया तासक स्त्री० तश्तरी; रकाबी तालको स्त्री० सिरका मध्य भाग; . तासीर स्त्री० गुण; असर; तासीर (२) तालकं न सिरका बीचका और सबसे रूप; आकार ऊपरका भाग; खोपड़ी; चंदिया । तासीरो पुं० मौक़ा; मजा; रंग; तमाशा तालमेल स्त्री. ताल-मेल; टीप-टाप (२) तासुं न ताशा; तासा [मजीरा बाहरी तड़क-भड़क [तालमेल ताळ पुं०; स्त्री० झांझ; करताल; तालमेळ पुं० तालों-स्वरोंका मेल; ताळवून तालु (२) खोपड़ी; चेंदिया तालावेली स्त्री० चटपटी; जल्दबाजी ताळाकूची स्त्री० ताला और कुंजी For Private and Personal Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तलावधी २३७ ताळाबंची स्त्री. वह स्थिति जिसमें तासळी (0)स्त्री० छोटा तसलातसली कारखानेका मालिक ताला लगाकर तांसळ (०) न० तसला मजदूरोंको काम करनेसे रोके; तिक्कर पुं० मोटी रोटी; टिक्कर तालाबंदी . तिबोरी स्त्री० तिजोरी [नादान वाळी स्त्री० हथेलियोंका परस्पर तितालियं, तिताली वि०बेअदव; उबत; आषात; ताली(२)ताल (संगीतमें)। तिलकन तिलक; टीका . [-आपबी = संमति या हर्ष सूचित तिसमारता दि० तीखे स्वभावका गरमकरनेके लिए अन्यकी हथेली पर हथेली। मिजाज (२) शेखीखोर (३) पुं. मारना (२) कोल देना (३)संगीतमें शेखीलोर आदमी [मंती ताल देना। -पस्वी%=(अभिनंदन या तीकम पुं० जमीन खोदनेका औजार; हर्ष जतानेके लिए) तालियां बजाना तीबाट पुं० चरपराहट; तीखापन (२) भद होना; ताली बज जाना.] _(स्वादका)(२)स्वभावकी उग्रता [शा.] ताळून ताला; कुफ्ल। [-रेवाई- तीसाश स्त्री० तीखापन ताला लगना; बंद होना (२) तीला नम्ब०व० लाल मिर्च मिरचा निःसंतान मर जाना; घरका बेचिराग़ (२) काली मिर्च होना(३)बुरा हाल होना; उजड़ना; तीवं वि० तीखा; चरपरा (२) नसीब टेढ़ा होना.] पानीदार; तेज (३) उप; मिपाणी साळो पुं० मिलता-जुलता या अपनी (४) न० फौलाद। [-परिठ, गरी जगह पर ठीक बैठता होनेका भाव (२) =उग्र प्रकृतिका; गरममिजाज.] हिसाबके सही गलत होनेकी जांच कांटा तीखंतमतमं वि० तीखा मिर्च; तीता सांत (०) स्त्री० चिकने पदार्थका तंतु; तीज, तीजु देखिये 'त्रीज', 'श्री' चिकना तंतु (२) आंतोंकी बटकर तोड न० टिड्डी बनाई हुई डोरी; तांत तीर्घ्य वि० पैना; तीक्ष्ण (२) तेज नोकतांतनो (०) पुं० तंतु; तार; डोरा वाला; तीक्ष्ण (३) कुछ ऊँचा मगर तांबळडो (०) पुं० चौलाई तीव्र (स्वर) तांवळा (.) पुं० ब०व० कंगनी, साँवा, तीतीघोगे पुं० एक परदार कीड़ा; टिहा कोदो आदिको कूटकर निकाले हुए दाने तीर; वि० तिरछा; कतराता हुआ टेड़ा तांबडी (०)स्त्री छोटा बटला; बटलोई तीरी स्त्री० तिक्की; तिग्गी सांबडो पुं० पानी भरनेका बड़ा बरतन; तीस वि० तीस; ३० . बटला. तुकमरियां नम्ब०व० एक औषषि तांबाकूडी स्त्री० स्नानका पानी रखनेके तुक्को पुं० लतीफ़ा; चुटकुला (२) लिए काममें आनेवाला मोल, गहरा ___ मनकी तरंग: मौज (३) बिना फलका बरतन जिसके दोनों ओर कुंडे रहते । बाण ; तुक्का।[-कठयो-मनमें यकाहै; कोपर; ताकुंड... यक कोई धुन सवार होना; लहर आ साई (०) न० तांबा .. जाना.] For Private and Personal Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुच्छकार २३८ तुच्छकार पु. अनादर; तिरस्कार तुकार पुं० देखिये 'तुंकारो' । तुच्छकार सक्रि० दुतकारना तुकार सक्रि० तुकारना तुणाई स्त्री० रफू करनेका काम या तुकारो पुं० तुकार (अशिष्ट संबोधन) उसकी उपत (२) तुनाई; तुमाई तुंगुं वि० मोटा; स्थूल; पुष्ट (२) न० (रुईकी) र्थक रूप; तुमाना हलककुद् (३) फूला हुआ पेट (४) तुणावतुं सक्रि०'तूण'क्रियाका प्रेरणा- चिढ़से फूला हुआ मुंह [ला.] तुनियाट पुं० देखिये 'तुनियाट'. तुंड वि० तुंद; मिजाजी; उद्धत तुनाई स्त्री० देखिये 'तुणाई' तुंडमिजाज पुं० गरम मिजाज तुनाव सक्रि० देखिये 'तुणावयूँ तुंरमिजाजी वि० गरम मिजाजवाला; तुनावं अ०क्रि० 'तूण'का कर्मणि रूप घमंडी तुनियाट पुं० रफ़गर (२) तूमनेवाला तुंता न० ब०६० 'तू-तू करना; तुकारना (रुईको) (३) बिसाती (४) तुच्छ तुंद, (०मिजाज), (मिजाजी) देखिये मनुष्य ; हेच-पोच [ला.] [घमंड 'तुंड' आदि बमाली वि० मिजाजो; घमंडी(२ स्त्री तुंबडी स्त्री० एक बेल; तुंबी (२)तुमड़ी; तुमार पुं० दो पक्षोके बीच में लंबा पत्र- तूंबा। [-मालवी- भिक्षुक बनना.] व्यवहार; काग़ज़ी का वाई; मिसिल; तुंबडं न० तूंबा (फल); तुमड़ा; तुंबा तमार . (२) इस फलको खोखला बनाकर तुमारी वि० लंबे पत्रव्यवहारसे संबद्ध बनाया हुआ पात्र ; तूंबा; तुमड़ी (३) तुरत अ० तुरत; झट; तुरंत सिर; मुंड (तिरस्कारमें) [ला.] तुरंग न० कैदखाना; जेल तूक स्त्री० कविताको अमुक पंक्तियोंका तुराई स्त्री० तुरही; शहनाई समूह; तुक; पद्यांश तुराई स्त्री० बुना हुआ कपड़ा लपेटनेका तूट स्त्री० टूटना; अवरोध (२) संबंध "जुलाहेका एक औजार; तूर न रहना; अनबन; विरोध (३) तुरि(-) स्त्री० जुलाहोंकी कूच या तंगी; कमी .. बानेका सूत तानेमें भरनेका औज़ार; तूटक वि० अलग हो गया हुआ; बिछुड़ा तुरी; भरनी थांवला . हुआ (२) खंडित; अपूर्ण (३) अ० तुलसीक्यारो पुं० तुलसीका थाला या अलग-अलग; पृथक -तुलसीपत्र न० तुलसीपत्र (२)निर्णायक तूटफाट स्त्री० फूट; अनबन (२)दरार मत; 'कास्टींग वोट' तूटयूँ अ०क्रि० टूटना; खंडित होना तुव(-३)र स्त्री० तुर; अरहर ; तुवर (२) संबंध छूटना; भंग होना (मैत्री, (२) उसका पौधा सगाई आदि) (३) दिवाला निकतुळसी स्त्री० तुलसी (पौधा) लना (४) भगदड़ मचना; पलायन तुळसीक्यारो, तुळसीपत्र देखिये 'तुलसी- होना। [सूटी पडवू = (किसी काम क्यारो', 'तुलसीपत्र' में) जोरोंसे और निश्चयपूर्वक लग तुं स० तू नाना; जुट जाना.] For Private and Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तूटपुंफूट २३९ तेत्रीस तूटपुंफूटधू वि० टूटा-फूटा ; साधारण; तत्त्व; तेज।[-पडर्बु-प्रकाश पड़ना; निकम्मा । [(रुई) चमकना (२)प्रभावमें दबना।-मार, पूणस०क्रि० रफू करना (२) तूमना = प्रकाशित होना; चमकना(२)रोंब तूत न० बनावटी बात ; गढ़त ; झूठ; जमना.] गप (२) साज़िश; जाल (३) चेष्टा; तेजानो पुं० दारचीनी, लौंग, धनिया, नखरा; चोचला मिर्च आदि सामग्री; मसाला . तूतक स्त्री० न० जहाजकी पाटन ; डेक तेजाब पुं० तेजाब; अम्ल; एसिड तूतेतूत न० झूठी और मनगढ़त बातोंकी तेजी स्त्री० तेजस्विता; चमक (२) परंपरा; गप ही गप (२) कोरी गप मूल्यका बढ़ना; तेज़ी; महँगी (३) तुन सक्रि० देखिये 'तुणवं' हौसला; स्फूर्ति ; उत्साह (४)उन्नति; दूमडी, (-) देखिये 'तुंबडी,' 'तुंबडु' आबादी (५)पुं० घोड़ा(६)वि०तेज; तूर न०;स्त्री० आक, सेमल आदिकी फुरतीला [तेजी-मंदी ठेठीसे निकलनेवाली रुई (२) स्त्री० तेजोमंदी स्त्री० मूल्यका चढ़ाव-उतार; शहनाई; तुरही (३) न० एक वाद्य तेजीलं वि० तेज़ ; फुरतीला (आदिवासियोंका) तेटलं वि० उतना तूराट पुं० कसैलापन तेटले अ० उस मात्रामें ; उतनेमें (२)उस तूरियं न० एक साग; तोरी; तोरई समय, जगह या अंतर पर (३)उतनेसे तरी स्त्री० तुरी; तुरही (२) जुला- तेटलामां अ० उतने समयमें ; उस बीचहोंकी कूची; तुरी __ में; दरमियान [तरफ़; ओर तू वि० कसैला; तुवर तेड (तँड,) स्त्री० तट; किनारा (२) तूल न० खड़ी फ़सल (२) रुई; तूल तेर सक्रि० निमंत्रित करना; न्योतना तूबर स्त्री० देखिये 'तुवेर' (२) (बालकको) कंधे पर या कमरमें तूंबडी(-) देखिये 'तुंबडी,' 'तुंबडु' बिठाना । तिडी जq=साथ ले चलना. ते स० वह (२) वि० वह | तेडागर वि० कंधे पर (बालकोंको) तेख (1) स्त्री० खोज; तलाश (२) बिठाकर लानेवाला (२) घर-घर तनदेही; हिफ़ाजत (३) करकसर; जाकर न्योता देनेवाला किफायतशारी (४) देखिये 'तेखडु' तेडाववं सक्रि० 'तेड' क्रियाका तेखई न० तीनकी टोली या समूह (२) प्रेरणार्थक रूप (२) निमंत्रण या तीन व्यक्तियोंका आपसमें अपनी _ न्योता देना; न्योतना अपनी कन्याओंका एवज या बदला तेलुं न० न्योता; निमंत्रण; बुलावा तेज वि० तेज; तीक्ष्ण; पैनी धारका तेणी (ते') स० 'वह' कास्त्रीलिंगका रूप (२) उग्र; तीखा; गरममिज़ाज; तेणीगम (ते) अ० उस ओर .. (३) फुरतीला; तेज़ तेतर पुं० तीतर - [लीस' तेज न० प्रकाश; तेज (२) प्रभाव; तेताली (-छी)म(.)वि० देखिये 'तेंता। सामर्थ्य (३) पंचमहाभूतोंमें अग्नि- तेवीस वि० तेंतीस तेतीस; तैतीस:३३ For Private and Personal Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - २४० तेची (करीने) ० इसलिए; इससे; तैयारी स्त्री तैयारी; तत्परता; मुस्तैदी अतः तो म० तो; अगर; यदि; उदा. 'जो नेपन (ते) वि० तिरपन; ५३ आवशो तो जईशु' (२) फिर भी तेम (तें) अ० उस प्रकार; वैसे तैसे उदा० 'तुं नहीं आवे तोपण हुंबईश' तेर वि० तेरह; १३ तो म०किसी शब्द पर जोर देनेके लिए तेरमुं वि० तेरहवा (२) न० मृत्युके इसका प्रयोग किया जाता है। तो; बादका तेरहवां दिन या उस दिन होने तब; उदा०'तो तुंजा', 'बेस तो खरों वाला भोज; तेरहीं तोछडाई स्त्री० बेअदबी; गुस्ताखी; तेरस(-) स्त्री० तेरहवीं तिथि; तेरस उजडपन तेरील स्त्री. व्याज गिननेका-लगानेका तो वि० असभ्य; गुस्ताख; उपत दिन (२) ब्याजकी दर (२) उटंग; ओछा (कपड़ा); कम तेरीन स्त्री० देखिये 'तारीज तोटो पुं० टोटा; कमी; नुकसान - तेल न० तेल (२) वह तेल जिसपर तोड स्त्री० पिंडलीमें होनेवाली पीड़ा कोई सत्व तैयार किया जाय; सत्त्वका तोड पुं० निकाल; फैसला; हल । माहा (३) बहुत श्रमसे थकना; तोरजोर स्त्री० समझौता; समाधान दम [ला.]। [-का -कचूमर तोफोर स्त्री० तोड़ना और फोड़ना; निकालना;थका देना। -बोवं, तेलनी तोड़-फोड़ पार बोवी-पूरी चौकसी करना। तोरई सकि० तोड़ना; जुड़े, सटे -नीकळq=कचूमर निकलना; थक- या लगे हुएको आघात, झटका या कर चूर होना। -रेग-कलेजा दबावसे अलग करना (२) चुनना; कापना(२)कलेजे पर सांप.लोटना; चुनकर अलग रखना; उतारना (फूल, डाह होना.] कली) (३) खंडित करना; तोड़ना तेलियं वि० तेलिया; तेलयुक्त (हाथ, कांच) (४) अलग दो हिस्से तेली वि० तेलिया; तेलयुक्त; तेलहा करना; टुकड़े करना (बाल, डोरा) (२) पुं० तेली. (३) एक अल्ल (५) भंग करना; तोड़ना (वचन) तेलीबियां नम्ब०व० तेलहन तोगे पुं० पैरमें पहननेका सांकड़ा; तोड़ा तेवई वि० उतना तोडो पुं० पूनी कातते समय निकलनेतेवीस वि० तेईस; २३ वाला थक्का ते, (ते') वि. वैसा; तैसा तोगे पुं० टोड़ा (२) मीनार; कंगूरा तेवे (ते') अ० उस समय; तब (३) बावलीके ऊपरकी दीवार (४) तेसठ (ते) वि० तिरसठ; ६३ कच्चा तोड़ा हुआ फल (आम, केय तेंताली (-ली)स (ते.) वि० तेता- आदि) लीस; तेंतालीस; ४३ . तोतडावं अ०क्रि० तुतलाना; हकलाना तसक(ले०)वि० देखिये 'तेसठ सज्ज तोत; वि. तोतला; हकला तैयार पि० तैयार (२)उद्यत आमावा; तोसिंग वि. भारी; विशाल ; भीमकाय For Private and Personal Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सोहेर तोतेर (त) वि० तिहत्तर; ७३ तोप स्त्री० तोप (२) बड़ी गप [ला. ] तोपगोळी पुं० तोपका गोला ; गोला (२) बड़ी गप [ला. ] [ गप्पी [फा.] तोपची पुं० गोलंदाज; तोपची (२) तोपण (तो) अ० फिर भी; तथापि; बावजूद [ मारपीट तोफान न० तूफ़ान; मस्ती (२) लड़ाई; तोफानी वि० ऊधमी; तूफ़ानी सोबरो पुं० तोबड़ा; घोड़ेको दाना खिलाने की चमड़े की थैली (२) रीसके मारे फूला हुआ मुँह [ला. ] तोबा अ० (२) स्त्री० 'अति हो गई' ऐसा अर्थ दिखानेवाला त्रास या उकता जानेका उद्गार; तोबा तोर (ताँ) पुं० मिजाज ; अहंकार तोर (तो) स्त्री० दूध या दहीके ऊपरकी मलाईकी परत ; मलाई ; बालाई तोरण न० मुख्य दरवाजा या द्वार; मेहराबदार द्वार; तोरण (२) बंदनवार; तोरण तोरी (तो) वि० मिजाजी ( २ ) स्त्री० मिजाज ; गरमी (३) रीस; झुंझलाहट तोरो पुं० टोपी या पगड़ीका फुंदना; तुर्रा (२) पगड़ीका कलाबत्तूवाला छोर; चिल्ला (३) बँधे हुए फूलोंका गुच्छा; तुरी; गुलदस्ता तोल पुं०; न० तौल; तोल; वजन; जोख (२) तौलने के काम आनेवाले साधन; बाट (३) [ला. ] क़ीमत; कद्र (४) प्रतिष्ठा; वजन तोलकुं (तो) न० सिर; खोपड़ी तोलडी स्त्री० पकानेका मिट्टीका पात्र ; हांडी (२) मुर्दे के साथ स्मशानमें ली जानेवाली आगभरी हाँडी तोल स०क्रि० देखिये 'तोळं'' π f_95 १४१ श्राहित सोलाट पुं० तौलनेवाला; तौला सोलुं न० दस सेरकी तौल; दस सेर कन तोलुं (तो) न० सिर तोले अ० तुलनामें; बराबरतोलो पुं० एक रुपयाभर वजन; तोला तोस्तान न० बहुत बड़ी चीज या भारी घटना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तोळ स० क्रि० वजन करना; तौलना तोळाट पुं० देखिये 'तोलाट' तोतेर वि० देखिये 'तोतेर' त्यजबुं स०क्रि० तजना; छोड़ना; त्यागना त्यागबुं स०क्रि० देखिये 'त्यजवु' त्यारे अ० तब (२) तो फिर उस स्थितिमें त्याशी (-सी) वि० तिरासी; तिराशी; ८३ स्यां (') अ० वहाँ तहाँ (२) उस परिस्थितिमें ; त्रण वि० तीन; ३ श्रमणं वि० तिगुना; तीन गुना नाक स्त्री० तकुआ; तकला त्रागडो पुं० तागा; सूत ( २ ) उपनयन (३) बट देनेकी फिरकी ; चिरनी त्रागुं न० धरना (२) हठ; जिद त्राजवं न० देखिये 'त्राजूडुं' त्राजूडं न० तराजू (२) गोदना त्राटक अ०क्रि० धावा बोलना; छापा मारना श्राड (त्रा') स्त्री० जोरकी चीख; दहाड़ त्राणु ( - शुं) वि० तिरानबे ; ९३ त्रापो पुं० देखिये 'तरापो' त्रास पुं० त्रास; जुल्म (२) सताना; परेशानी; ऊब (३) कंपकंपी (४) धाक; डर [होना] ( २ ) डरना त्रास अ०क्रि० उकता जाना; हैरान त्राहित वि० अजनबी (२) तटस्थ ; उदासीन (३) पुं० तिसरेत For Private and Personal Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra P www.kobatirth.org त्रांनुं न० देखिये 'तांबु' सुं वि० टेढ़ा; तिरछा त्रिफला (ळा) स्त्री० आँवला, हड़ और बहेड़ेका चूर्ण; त्रिफलाचूर्ण त्रिभेटो पुं० तिमुहानी; तिराहा त्रिरंगी वि० तिरंगा (२) पुं० सफेद, हरा और केसरिया ऐसे तीन रंगोंवाला राष्ट्रध्वज [ अरबा त्रिराशि स्त्री० त्रैराशिक ; अनुपात; त्रीज स्त्री० पक्षकी तीसरी तिथि ; तीज ब पुं० 'त' वर्गका - दंतस्थानीय दूसरा व्यंजन पई अ०क्रि० ('थवं' क्रियाका भूतकालीन स्त्रीवाचक रूप ) हुई; बनी ; रची गई; घटी आदि (२) अ० - से; द्वारा; होकर ; -मेंसे गुजरकर । [-चूकवुं : = खत्म होना; हो चुकना । - रहेवुं = पूरा हो जाना; हो चुकना ( २ ) अंत, फ़ैसला या निबटारा होना; हो जाना. ] [ द्वारा; होकर थईने अ० बनकर; होकर ( २ ) - से; थकववुं स०क्रि० 'थाकबुं' की प्रेरणार्थक क्रिया; थकाना थकी अ० देखिये 'थी' कुं अ० - के कारण; के द्वारा ग्रड न० ( पेड़का ) तना ( २ ) [ला. ] वंशवृक्ष ; कुरसीनामा; शिजरा ( (३) (कारचोबी में) प्रारम्भ; नीवें; मूल आधार (४) मतला ( गजल ) ; टेक (५) उत्पत्ति - स्थान वडक स्त्री० डर; धड़कन कंपन ( २ ) बोलते बोलते जीभका रुकना; हकलाहट २४२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म श्रीजुं वि० तीसरा श्रीश ( स ) वि० देखिये 'तीस ' [ [ प . ] ऋठवं अ० क्रि० प्रसन्न - तुष्ट होना; तूठना लड स्त्री० (२) न० देखिये 'तेखड' त्रेपन ( ) वि० तिरपन; ५३ वड स्त्री० किफ़ायत; मितव्ययिता ( २ ) इंतज़ाम त्रेवीश ( स ) वि० देखिये 'तेवीस ' त्रेसठ () वि० देखिये 'तेसठ ' श्रोफ स०क्रि० गोदना (शरीर पर ) थडकवुं अ०क्रि० रुक-रुककर उच्चारण करना; हकलाना ( २ ) धड़कना ; भय से काँपना थडकाट पुं० धड़कन ; भय (२) हकलाहट थडकार (-रो) पुं० 'थड' की आवाज (२) बोलते समय अक्षरोंपर पड़नेवाला दबाव थडको पुं० 'थड' की आवाज़ ( २ ) देखिये 'थडकार' नं० २ थम अ० नज़दीक; बग़लमें थडियं न० ( पेड़का ) तना या तनेका जड़ोंके पासका हिस्सा ( २ ) पुश्तनामेका मूल For Private and Personal Use Only थडी स्त्री० एकके ऊपर एक रखी गई चीज़ोंका ढेर; गड्डी थडुं न० देखिये 'थडियुं' थडो पुं० दुकानका अग्रभाग थथरडो पुं० गाढ़ा लेप थथरबुं अ०क्रि० थरथराना (२) डरना; त्रस्त होना [ला. ] reराट पुं० थरथराहट; कँपकँपी पडवं स०क्रि० गाढ़ा लेपना Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदि . बगे २४३ बचे (-4)गे पुं० देखिये 'थपरो' छ; कलाक थयो; मण शाक ययु; बनगन (०पनगन) अ० नाचनेकी एक गाउ थाय' आदि (४) मनमें आवाज येई-थेई होना; उपजना; होना; उदा. 'मने बनगन, अ.क्रि. थिरकना एम थाय छे के जई आवु' (५) महसूस धनगनाट पुं० जोश; मस्ती; उत्साह करना; अनुभव करना (दुःख) (६) बनवन, (०३),(नाट) देखिये 'थनगन' एक स्थितिसे दूसरी स्थितिमें आना; होना; उदा० 'पाणीनी वराळ थई।' बपडाक, थपाट स्त्री० थप्पड़; तमाचा [थई चूक, रहेवं = देखिये 'थई' में। चपेली स्त्री० थपककर बनाई हुई मोटी थई अq=पूरा होना; समाप्त होना; पूरी [बनाई हुई चीज, आकार हो जाना (२) स्वाभाविक रूपमें - पपोली स्त्री० हाथसे थापकर अपने-आप या अनजानमें बनना; बप्पर स्त्री० थप्पड़, तमाचा।-खावी उदा० 'भूल थई गई.] = थप्पड़ खाना; लगना (२) मार पळ न० स्थान; जगह; थल खाना (३) घाटा होना; धोखा खाना पळचर वि० (२)न० थलचर; थलचारी (४) सबक़ मिलना; अनुभवसे अक्ल थंभवं अ०क्रि० थमना; रुकना (२) ठिकाने आना.] सुस्ताना बप्पी स्त्री० छोटा गड्ड; गड्डी; चक्का पाक पुं० थकान ; थकावट। -उतारवो बप्पो पुं० (साड़ी, चोली पर लगाया =थकावट दूर करना; सुस्ताना।जानेवाला) कलाबत्तूका गोल लपेटा सावो = आराम करना.] हुआ फ़ीता; ठप्पा थाकवू अ०क्रि० थकना (२)तंग आना; पयुं अ० क्रि० हुआ (२) अ० बस ; काफ़ी [थका-मांदा पर पुं० भूमिकी परत;थर; स्तर (२) थाक्युपाक्युं वि० बहुत थका हुआ; तह; पपड़ी थागस्यी(-थीं)गड न० मरम्मत; थरथर अ० थरथर दुरुस्ती; कामचलाऊ उपाय [ला.) थरथर अ०क्रि० देखिये 'थथर' थाणदार पुं० थानेदार थरथराटी स्त्री० थरथराहट; कँपकँपी थाणुं न० थाना; अड्डा; केन्द्रस्थान (२) परमॉमिटर न० थरमामीटर; ताप- पुलिस चौकी; थाना (३) (पेड़का) मानयंत्र थाला; आलबाल भवं अ०क्रि० होना; बनना; निर्मित पाणेदार पुं० देखिये 'थाणदार होना (२) पैदा होना; लगना; थाथाथाबडी स्त्री० थपककर-सहलाहोना; उदा० को कशुं नहीं थाय; कर शान्त करना (२) कोरी आशा; झाड पर फळ थाय छे; उधरस थवी' फुसलावा (३) अस्तित्वमें आना; समयका थान न० थान (कपड़ा) व्यतीत होना; गुजरना; (तोल)तौलमें थान न० स्तन उतरना; होना; उदा० 'वखत थाय मानक न० स्थान; निवासस्थान;थानक हारना For Private and Personal Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थाप स्त्री. मुले हुए हायके पंजेका आघात; थाप(२) भुलावा; चकमा; झांसापट्टी (३) तबलेके बीचका काला माग या उस पर दी हुई थपकी; थाप।[-सावी धोखाखाना; मुलावेमें पड़मा। वी, मारवी% थप्पड़ कसना, लगाना(२)चकमा देना; छलना (३)तबले पर थाप लगाना (४)गाढ़ा लेप करना। -मारी ज-धोखा दे जाना.] बापट स्त्री० पप्पड़, वाप पापडी स्त्री० गच पीटनेका राजका औजार; थापी (२) देखिये 'पपेली' (३) थप्पड़ पापण स्त्री० पूंजी; थाती (२) लीपना; लेप (३) न्यास; थाती; धरोहर । मीळवी - अमानतकी रकम खा जाना; गबन.] भाप स० क्रि० स्थापित करना; थापना; कायम करना (२) गाढ़ी लिपाई करना (३) थापना; पाथना पापो पुं० चूतड़; नितंब (२)बेरेर पर रहनेवाला गोल खपड़ा; नरिया (३) गीली रोलीसे बनाया हुआ हाथके पंजेका छापा; थापा पावर सक्रि० थपकना; थपकी देना पाबरी स्त्री० थपकी (२)देखिये 'थापडी' थावर वि० देखिये 'स्थावर' . . थाह पुं० नदी आदिकी गहराईकी सीमा; थाह; तल। [-रहेको औचित्यकी सीमा रहना या होना; मर्यादा रहना.] पाळ पु०; स्त्री० पाल; बड़ी थाली (२) ठाकुरजीके नैवेषका पाल - ठाकुरजीका प्रसाद (३) ठाकुरजीको मैवेद्य समर्पित करते समय गाया जानेवाला स्तोत्र : . [रेका चूड़ी पाळी स्त्री० थाली (२) प्रामोफोनका थाळू न० चक्कीका गोल घेरा जिसमें पिसकर बाटा पड़ता है (२) मोटका पामी उंडेलनेके लिए कुंएके पास बनाया हुआ गड्ढा; छीलर; पड़ी पमिली (०) स्त्री० छोटा खंभा; यूनी थामलो(०) पुं० खंभा; स्तंभ थिजाव, सक्रि० 'थीज' क्रियाका प्रेरणार्यक रूप; जमाना पिजावू अ०कि. 'थीज' का भावे रूप पी-तीसरे और पांचवें कारककी विभक्ति; से पीगरी स्त्री० देखिये थींगडी' थीगई न० देखिये 'यींगडु पीज अ.क्रि० तरल चीजका गाढ़ा या ठोस होना; जमना पीन वि. जमा हुआ; गाढ़ा थींगडी स्त्री. छोटा पैवन्द; थिगली; थेगली [थेमली पोंगई न० पैवन्द; चकती; थिगली; धुवेर पुं०; स्त्री० यूहर; यूहड़; सेहूंड यू अ० थूकनेकी आवाज; थू पूई स्त्री० खेलमें विराम सूचित करनेवाला उद्गार; यूथू-थक्का यूथो पुं० रेशा; निःसार वस्तु; थोथा; सीठी; फोक (२) रेशा; तंतु धूली स्त्री० दरदरा दला हुआ अनाज या उसकी खाद्य वस्तु; थूली; दलिया यूलं न० चोकर; चलनोस यूवर पुं०; स्त्री० देखिये 'युवेर' चूंक न० थूक(२)मुंहमें छूटनेवाली लार । . [-उमर खाली बकबक करना. बूंकवानी स्त्री० उगालदान; पीकदान For Private and Personal Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बूंकवं सक्रि० थूकना। [कल गई, चाटवं = वचन न पालना; थूककर चाटना. पेई (येई) अ० थेई-येई .. घेईकार पुं० 'येई-येई ध्वनि बेक स्त्री० ज्वार जैसी एक खाद्य चीज़ जो एक छोटे पौधेकी जड़मसे मिलती है(२)कुदान ; छलांग बेको पुं० चौकड़ी; कुदान; छलांग बैंक अ०क्रि० चौकड़ी भरना (२) फांदना; -को कूदकर पार करना बेप स्त्री० गाढ़ी लिपाई या लेप पेपो पुं० गाढ़ी लिपाई (२)उखड़े हुए लेपकी पपड़ी (३)कुम्हारका कंडा मेपली स्त्री० लोदेको हाथसे थोपकर बनाई हुई चीज या कोई आकार बेपलं न० देखिये 'थेपली' (२) एक खाच चीज [पाथना; थोपना पेप, स० क्रि० गाढ़ा लीपना (२) पार्ड न०.धोती बेली स्त्री० छोटा पैला; थैली पेलो पुं० थैला (२)बोरा पोक मुं० स्त्री० थोक डेर पोकरी स्त्री० गड्डी . बोकडो पुं० बड़ा गाडेर बीयप वि. बहुत; खूब; योकमें पोराचोल वि० कम बोलनेवाला; मितभाषी .. . पीई वि० थोड़ा; जरा; अल्प। [घोडा बहाडानो, थोडी घरीनो महेमान = आसन्नमरण; कुछ ही देरका मेहमान.] चौड़क वि० जरासा; तनिक; थोड़ासा बोइंघj वि० थोड़ा-बहुत; कुछ-कुछ पोरे पोरे अ० थोड़ा थोड़ा करके; धीमे-धीमे [पन; मुख-शोथ पोपर स्त्री० मुंहकी सूजन और फीकापोयं न० सड़ा हुआ खोखला दाना (२) फटी पुरानी या निकम्मी पोथी पोभ पुं० अटकाव; रोक; अंत . योभ, अ० क्रि० अटकना; थमना; - रुकना (२) प्रतीक्षा करना; रुकना योभा, थोभिया पुं० ब० व. मुंछके सिरोंके पास गालों पर बढ़ाये हुए बालके गुच्छे; गलमुच्छे पोर(याँ') पुं० थूहर; सेहुँ योरियो (थॉ') पुं० यूहरका एक टुकड़ा पोरी (थाँ') स्त्री. पंजेदार थूहर; नाग-फनी; नाग-फन पोल(थों) पुं० अनुकूल समय ; मौक़ा पोलि(थों) न० एक पात्र; बटलोई र पुं० 'त' वर्गका-दंतस्थानीय तीसरा दक्षिणध्रुव पुं० दक्षिणी ध्रुव व्यंजन दक्षिणी वि० दक्षिणका; दक्षिण-संबंधी; दक्षिण वि० दक्षिण; दाहिना (२) . दक्खिनी (२) पुं० दक्षिण देशका स्त्री. दक्षिण; दक्खिन (दिशा) निवासी; महाराष्ट्रीय; दक्षिणी (३) (३) पुं० दक्षिण देश; दक्खिन .. स्त्री० मराठी भाषा बजिनमोल (-ठार्ष) पुं० दक्षिण- बसणातुं(-१) वि०क्सिनकी ओरका; गोलार्ष; दक्षिणगोल दक्खिनी; दकनी (२) दाहिनी ओरका For Private and Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir र अ० क्रि० दौड़ना; बहना (२) बसनी वि०(२)पुं० देखिये 'दक्षिणी' रखमुं न० वह स्थान जहाँ पारसी अपने मुर्दे रख आते हैं; दखमा बखल स्त्री० दखल; हस्तक्षेप (२) रुकावट; अड़चन ; दखल दखलगीरी स्त्री० दखल देना; हस्पक्षेप वल्क्षण स्त्री० दक्षिण दिशा; दक्खिन बगर पुं० पत्थर वगडाई स्त्री० (काममें) हरामखोरी; धूर्तता दगडाचोष स्त्री० भादों सुदी चौथ; गणेशचौथ; ढेलाचौथ बगहुं न० ढेला(२)वि० दगाबाज; धूर्त दगदगो पुं० दगदग़ा; शक; वहम बगलबाज (-जी) देखिये 'दगाबाज, दगाबाजी' [दगाबाजी' बगाखोर(-री) देखिये 'दगाबाज, बगाबाज वि० दगाबाज़ बगाबाजी स्त्री० दगाबाज़ी; धोखेबाज़ी बगो पुं० दगा; छल; धोखा (२) विश्वासघात । देवो, रमवोधोखा देना (२) विश्वासघात करना.] बगोफटको पुं० छल-कपट; मकर-फ़रेब बझार स० क्रि० 'दाझवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप ['डटण' आदि वटण (कूबो, ०खाळ जाजर) देखिये बटाव, स० क्रि० गड़वाना; गड़ाना बटावं अ० क्रि० 'दाटवू' क्रियाका कर्मणि रूप; गड़ना क्र पुं०; न० बारीक धूल या धूलकी मोटी तहवाली जमीन बम्बर अ० पानी गिरनेकी ध्वनि; टप टप (२)टपाटप (आँसुओंका गिरना) बरबर(बडबड)अ० दौड़नेकी आवाज र न० थक्का; धक्का दरियो पुं० दोना; दौना बडी स्त्री० छोटा गेंद (२) चीथड़े लपेटकर बनाया हुआ छोटा गेंद (३) शरीरका गठन; काठी ; उदा. 'बांधी दडी, माणस' बडो पुं० गोलाकार चीज़; पिंडा; गेंद (खासकर खेलनेका) [दत्तक; पालट दत्तक पुं० गोद लिया हुआ लड़का; ददर अ० कि० धाराके रूपमें गिरना बदूडी स्त्री० छोटी धारा (गिरनेवाली) दूडो पुं० ऊँचाईसे जोरसे गिरनेवाला तरल पदार्थ; धारा बन पुं० दिन; रोज़ [रोजीना वनियुं न० एक रोजकी मजदूरी;दिनाती; दफतर न० कामके काग़ज, बही, रजिस्टर वगैरह; दफ्तर (२) कार्यालय, दफ्तर (३) विद्यार्थियोंकी किताबें रखनेका बस्ता; जुज़दान दफतरी वि० दफ्तरका; दफ्तरसे संबड (२) पुं० दफ्तर लिखनेवाला या रखनेवाला दफन न० मुरदेको गाड़ना; दफ़न । दफनाव, स० क्रि० गाड़ना; दफ़नाना बफे वि० बिखेरा हुआ; तितर-बितर किया हुआ(२)नष्ट किया हुआ(३) तय किया हुआ; निबटाया हुआ; समाप्त किया हुआ। [-कर= दूर करना; दफ़नाना; नाश करना (२) बिखेर देना; तितर-बितर करना.] बफे स्त्री० दफ़ा; बार; बेर दबावस० क्रि० धमकामा; डपटना बबटुं न० चक्का; थक्का दबाको पुं० दबदबा ठाट-बाट; रोब For Private and Personal Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७ बबई दब, अ० क्रि० देखिये 'दबावु' (२) दबना; झुकना; हार स्वीकार करना दवाण न० दबाव (२) भार; वजन (३) दाब; नियंत्रणका असर [ला.] । [-करवू = दबाना (२)आग्रह करना (३) दमन करना; मात करना ।-नीचे 'भाव = एहसानमंद होना। -लाव, वापर= दबाव डालना.] दबाव स० क्रि० दबाना; दाबना। [दबावीने चालवू = तेजीसे चलना; पैर उठाना.] दबावु अ० क्रि० दबना बबेल(-लं) वि० दबा हुआ; दबैल (२) एहसानमंद; दबैल; पराधीन बम पुं० दम; श्वास; साँस (२) (धूम्रपानका) कश; दम (३) श्वासरोग; दमा (४) प्राणवायु; जान; जीव (५) [ला.] सत्त्व; ताक़त; बूता; दम (६) घमकी; दम । [-आपवो धमकाना। -ऊपउवो = दमेका हमला होना। -काठी नाखवो = खूब थका डालना (२) सताना; नाकमें दम करना। -खेंचवो =चिलमका कश लेना; दम लगाना (२) चैनकी साँस लेना (३) धीरज रखना; सब करना; चुपचाप सहन करना। -जोवो = दम या ताक़तकी जाँच करना; जोर-आजमाई।-देखास्वो= डर या धमकी देना; डॉटना। देवो धमकाना।-पकडवो बाट देखना; रुकना; ठहरना। -भिडाववो = दबाना; धमकाना। -मारवो = देखिये 'दम खेंचवो'(२)खाली रोब जमाना. बमरी स्त्री० पैसेका चौथा हिस्सा; दो दमड़ी। [-]= कौड़ीका.] दमदाटी स्त्री० डाँट-डपट ; धमकी दमननीति स्त्री० डरा-धमकाकर बशमें करनेकी पद्धति; दमननीति दमलं वि० दमेका रोगी; दमी दमिय (-ये)ल वि० देखिये 'दमलु'दमी दया स्त्री० दया; करुणा। [-सावी, लाववी% दया दिखलाकर छोड़ देना; तरस खाना। वाकणने खायदयाके बदलेमें अपकार मिलना; एहसान-फ़रामोशी.] दर पुं० भाव; कीमत; दर (२) ब. हरएक; उदा० 'दर पेढीए' दर न० बिल (सांप, चुहे आदिका) दरकार स्त्री० परवाह (२) संभाल बरखास्त स्त्री० आवेदन-पत्र; अर्जी; दरख्वास्त (२)प्रस्ताव (सभा आदिमें)। [-आपवी, भरवी = कचहरीमें दरख्वास्त पेश करना। -बजाववीडिगरीके अमलके लिए अर्जी देना। -मूकवी%=प्रस्ताव पेश करना.] बरगाह स्त्री० दरगाह; मकबरा दरगुजर वि० दरयुजर; माफ़ किया हुआ; क्षमा किया हुआ दरचा स्त्री० देखिये 'दरगाह' वरजी पुं० दर्जी; दरजी दरजोर-जो) पुं० दर्जा; दरजा; कोटि; हद; उदा० 'केटलेक दरज्जे; वात एटले दरज्जे गई छे' (२) पद; दरजा; ओहदा दरव न० दर्द; दुःख ; पीड़ा । -सवं = उठी हुई पीडाका बन्द होना.] बरवानीनो पुं० रुपया-पैसा और गहने वरदी वि० दर्दी; बीमार 3° पजा दरजी For Private and Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दरबार . ....... .. होना.] रस्पर २४८ पवार स्वी०पवार राजसमा परेक वि० हरएका प्रत्येक .. बादशाहकी कचहरी(२) पुं० राजा; हरे, सक्रि० बोनेके लिए घासके रूपमें बीज डालना (२) म०कि. परबारगड पुं०. राणाका महल; गढ़ी धाराके रूपमें गिरमा बरवारी वि० दरबारी; दरवारका; बरेडो पुं० धारा (गिरनेवाली).. दरबार-संबंधी (२) पुं०. राजसभामें. बरो-स्त्री. दूब; दूर्वा बैठनेवाला; दरवारी .. बरो-रो) पुं० तेजीसे किया हुवा बल्लाको पुं० बरमाहा; मासिक वेतन आक्रमण; छापा; दरेरा; धावा .. परमियाव, दरम्यान अ० दरमियान; वर्शन न० दर्शन; देखनेकी क्रिया (R) ममुक समयके अंदर; बीचमें। [-अधू __ भक्तिभावसे देखनेकी क्रिया; वर्शन . = बीच-बचाव करना. [बचाव (३) देखाव; दृश्य (४) दर्शन (छः बरमियानगीरी स्त्री० बिचवई; बीच- शास्त्र) पररोज अ० रोज; हररोज बर्शनी वि. जो सामने हो; खुला; बरवाजो पुं० बड़ा द्वार या फाटक; जाहिर (२)वि० स्त्री० दर्शनी इंग; दरवाजा। [रवाजा उघारी होवा = दरसनी हंडी किसी प्रतिबंधका न होना; रोक न दविवं सक्रि० दिखाना; दरसाना दलवाडी पुं० ईंटें पकानेवाला; पथेरा बस्वाल पुं० दरबाम; ड्योढ़ीदार दलाल पुं० दलाल; बिचवई; सौदा ठीक परवानगी स्त्री० दरबानी कर देनेवाला (२) कुटना; भड़ा दरात स्त्री० द्राक्ष; दाख दलाली स्त्री० दलालका काम; दलाली बराज स्त्री० चमड़ीका एक रोग; दाद (२) दलालका पारिश्रमिक; दलाली। परियाई वि० समुद्रका; समुद्र-संबंधी; [-काढवी, खावी = दलाली प्राप्त दरियाई (२) स्त्री. एक तरहका करना.] रेशमी कपड़ा; दरियाई दलालू न० दलालका काम; दलाली बरियादिल वि० दरियादिल; उदार बलील स्त्री० दलील; तर्क परियादिली स्त्री० दरियादिली;उदारता बलीलबाजी स्त्री० परस्पर दलीलोंका परियाफ(-पत) स्त्री० विवेक; विचार युद्ध; बहस; वाग्युद्ध बरियावबिल,(-ली) देखिये 'दरिया- बल्लो पुं० धरोहर; थाती; पूंजी दिल; दरियादिली' दवराव, स० कि० (पशुओंका) जोड़ा हरियो पुं० समुद्र; दरिया (२) बहुत खिलाना; बाहना; गाभिन कराना विस्तृत या गहराईवाली जगह, वस्तु दवा स्त्री० दवा; औषध (२) इलाज; आदि [ला. [- यो समुद्रयात्रा दवा [ला.] करना (ब्योपार, रोजगारके लिए)। दवाखान न० दवाखाना; औषधालय होळबो = लंबे-चौड़े विस्तारमें दवावास, बवापाणी न० ब० व० औषपरिश्रम उठाना, मेहनत करना.) धियाँ; दवादारू For Private and Personal Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपाकाळो २४९ वाचा दवा बेचनेवाला; 'मिस्ट' बस्ताना पुं० ब० व० दस्ताने बम वि० दस; दश; १. वस्तूर पुं० रिवाज, प्रथा; दस्तूर (२) दशक पुं० दशक; दशका समाहार नेग; लागा (३)पारसियोंका पुरोहित (२) दस वर्षोंका समाहार; दशक; वस्तुरी वि० दस्तूर-संबंधी (२) स्त्री दशाब्दि (३) संख्या लिखने में दाहिनी दस्तूरी ; दलाली (३)हक; नेग " ओरसे दूसरा स्थान; दहाई दस्तो पुं० छोटी ओखलीकी मूसली; बशको पुं० दशक; दसका समाहार दस्ता (२) मूठ; बेंट; दस्ता; हाथा (२) दस वर्षका समय; दशाब्दि (३) चौबीस कागजोंकी गड्डी; वस्ता दशम वि० दसवां; दशम(२)स्त्री० दसवीं (४) अमुक संख्याकी सिपाहियोंकी 'तिथि ; दशमी ; दसमी [हुई रोटी टुकड़ी; दस्ताः .... . बेशमी स्त्री॰ दूधमें आटा सानकर बनाई वहाडावाळी वि०स्त्री० सगर्भा; गर्भवती बशर्मू न० मृत्युतिथिसे दसवें दिन वहाडियं वि० (२) न०, (-यो) पुं० होनेवाला प्रेतकृत्य; दसवाँ; दशाह दैनिक मजदूरी पर काम करनेवाला; शरा पुं०; स्त्री० दशहरा; दसहा नफ़र; रोजीदार [अ०हररोज बशा स्त्री० गाड़ीका पहिया तौलनेकी वहाठी स्त्री० दिनाती; रोजीमा (२) तेलवाली धज्जी; बत्ती (२) देखिये बहाडो पुं० दिन ; तारीख ; तिथि, वार . 'दशी' (३) स्थिति; हालत; दशा (२) मृतकके पीछे दिया जानेवाला (४)ग्रहोंका भाग्यकाल ; बुरी दशा; भोज (३)[ला.] समय; जमाना(४) पुरा हाल नसीब; सितारा। [बहाना मापी दशांश पुं० दसवां भाग; दशमांश (२) रहेवा, खूटी गया मौत आना(२) वि० (३)न० भिन्नका एक प्रकार जो अवधि खत्म होना । बहाडा काडवा दशसे गिना जाता है; दशमलव [ग.] = दिन काटना (२) गुजारा करना। बशी स्त्री० कपड़ेके सिरे परका सूत; दसी पहाडा भराई चूकवा = आ पहला दशेरा स्त्री० देखिये 'दशरा .. मौत आना। बहाता रहेवा = गर्भ बशोदिश अ०चारों ओर; दसों दिशाओं में रहना; पेट रहना । वहाडा लेवा-समय बस वि० देखिये 'दश' बीतना, लमना । (-ना)बहाग होवा इसकत पुं० अक्षर; हर्फ (२)अक्षरोंकी 3-के सुखके दिन, मले दिन होना। लिखावट (हाथकी) (३) हस्ताक्षर; बहाडे लागq=कामधंधे पर लपना। दस्तखत '-आवयो = अवसर प्राप्त होना(२) उसको पुं० देखिये 'दशको' मौक़ा मिलना। -पस्तो होचो% बसमुं न० देखिये 'दशमुं सुखके दिन होना। -घडवो दिन बस्कत पुं० देखिये 'दसकत' चढ़ना(२)देर होना(३)गर्भ रहना बस्त पुं०दस्त; हाथ (२) वस्त; पाखाना; (४)रोजकी मजदूरी चढ़ना।-चाको [भोजन होबो- भाग्य प्रतिकूल होना; बुरे बस्तरखान न०दस्तरख्वान (२) साना; दिन होना..... For Private and Personal Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५० वहीं न० वही वाइयण, वाइयानी, राई स्त्री. प्रसव वहींगई न० दहीबड़ा करानेवाली स्त्री; दाई (२) धाय; बहेज स्त्री० न० देखिये 'देज' उपमाता वहेशत स्त्री० दहशत; डर वाक्तर पुं० डाक्टर बळ न० पत्ता; दल (२) फूलकी पैखड़ी; वाक्सरी वि० डाक्टरका; डाक्टरदल (३)सेना; दल (४) घनता; मोटा संबंधी (२) स्त्री० डाक्टरी पन (५) एक मिठाई दाखल वि० अंदर गया हुआ-घुसा बळj न० पीसनेकी चीज; पीसना हुआ; दाखिल (२)अ० बदले; -के बळदर न० दरिद्रता; गरीबी (२)आलस्य लिए; के रूपमें; -के तौर पर बळदरी वि० दरिद्री; काहिल ; सुस्त दाखलो पुं० उदाहरण; दृष्टान्त; बळवार पुं० दलदार (२) भारी मिसाल (२) अनुभव ; सबक ; सीख बळी वि० देखिये 'दळदरी' (३) प्रमाण ; सबूत (४) हिसाव; बळ स० क्रि० पीसना। [वळी बळीने गणितका प्रश्न [ग.। [दाखला तरीके कुलसीमा वाळवं = भारी परिश्रम = उदाहरणार्थ; मसलन् । -बेसवो= करने पर भी कुछ फल न पैदा करना; हिसाबका जवाब मिलना (२) सबक कम अक्लके कारण श्रम व्यर्थ नष्ट ले ऐसा होना; -को सबक़ मिलना.] करना. [उषत; पिसाई दाखव, दाखवं स० कि० दिखाना; बळाई स्त्री०, दळामण न० पीसनेकी बताना; ध्यान पर लाना; कहना; रंगो पुं० दंगा; बखेड़ा; हुल्लड़(२) दरियाफ्त करना(२)अ०क्रि० असर बलवा; दंगा। -उठाववो विप्लव दिखाना; गुणधर्म बताना (३)दुःखना; करना। -मचावबो = दंगा-फसाद पीड़ा होना करना.] [फ़साद; हल्ला; उत्पात वागीनो पुं० गहना (२) अदद; नग रंगोफिसाद पुं० लड़ाई-झगड़ा; टंटा- वाघ पुं०जलना; दहन ।[-देवो =अग्निबंड पुं० डंडा; दंड (२) पतला छोटा संस्कार करना; मृतक-दाह करना.] डंडा; छड़ी (३) सज़ा (४) डाँड; वाम(झ)स्त्री० प्रीति, अनुकंपा, रहम (२) जुरमाना (५) एक प्रकारकी कसरत; चिढ़; गुस्सा (३) द्वेष ; कीना; डाह । इंड (६)चार हाथ जितनी एक नाप । [-आववी = चिढ़ना; खीजना। [-पीलवा = डंड पेलना.] -ओलदवी = बैरका बदला लेकर बंधू स० क्रि० सजा करना (२) दंड अपना क्रोध शान्त करना। -परवी देना; डाँड़ना = गुस्सा होना; भीतर ही भीतर रंसी(--)को पुं० डंडा; लट्ठ [डंडा जलना। दाझे बळ = खारवृत्ति या संगे पुं० डंडा; लगुड़(२)(गुल्ली मारनेका) गुस्सेसे झुंझलाना, कुढ़ना.] बंताळ न० पांचा (किसानका औजार) बामj न० जमीनका इतना तपना कि (२) (हल, पांचा आदिका) दाँता [फुकना बंताळी स्त्री० पांचा (खेतीका औजार) बाम अ० क्रि० दग्ध होना; जलना; For Private and Personal Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 學 बाट वि० बहुत खूब; उदा० 'मोंघुं दाट' ( २ ) पुं० महा विनाश; तबाही बाबुं स० क्रि० दफ़नाना; गाड़ना (२) गाड़कर छिपाना दाटी स्त्री० धमकी; डॉट बाटो पुं० डाट; काग बाम न० अनार; दाड़िम दाढ ( उ ) स्त्री० डाढ़ ; चौभड़; दाढ़ । [-सळकवी = मुंहमें पानी भर आना; सल टपकना. ] वाढा (-डिया) को वि० दाढ़ीवाला; मर्द; डढ़ार [ दाढ़ी; डाढ़ी दाढी स्त्री० ठोड़ी या ठोड़ी परके बाल; दान न० जकात ; टोल; चुंगी दाणचोरी स्त्री० जकात भरनेसे बचना; करचोरी • [ दरदरा दानावार वि० दानेदार; रवादार; वाणापीठ स्त्री० अनाजकी थोक बिक्रीका बाजार; धान-मंडी 7 बानो पुं० अनाज ; धान्य (२) अनाजका कण; दाना (३) उसके जैसा कोई भी कण; रवा ; मनका ( ४ ) चौसरमें पासे पड़नेके बाद गिना जानेवाला अंक । [ -यांपी जोवो = कह देखना; प्रयत्न करके देखना. ] वाणोपाणी पुं० ; न० अन्न-जल; दानापानी ( २ ) नसीब बाण न० दातुन दलीन दातणपाणी न० दातुन और पानी या उनसे दाँत और मुंह साफ़ करना. दातरडी स्त्री० छोटी हँसिया वातरहुं न० हँसिया; गँड़ासा दाता (०१) वि० देनेवाला (२) दान करनेवाला; उदार (३) पुं० दान देनेवाला; दाता; दातार २५१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाब दाद स्त्री० फ़रियाद; अर्ज (२) इंसाफ़; दाद । [ -आपवी, देवी = न्याय करना; दाद देना (२) गिनना; बदना. ] दादफरियाद स्त्री० किसी भी प्रकारकी शिकायत, फ़रियाद दादर स्त्री० दाद (चर्मरोग ) बावर पुं० सीढ़ी; जीना दादरी पुं० सीढ़ी; जीना (२) जीनेका द्वार ( ३ ) तालेके अंदरका पेच; झड़ी (४) एक ताल; दादरा | गुंडापन दादागीरी स्त्री० जबरदस्ती ; सिरजोरी; वादी स्त्री० माता या पिताकी माता; दादी (पिताकी माता ) ; नानी (माताकी माता) दादो पुं० माता या पिताका पिता; दादा ( पिताका पिता ) ; नाना ( माताका पिता) (२) गुंडा दाधारं वि० अदेखी; डाही ( २ ) पागल दान न० दान देना ( २ ) धर्मबुद्धिसे या पुण्य कमानेके लिए देना; दान (३) खेलनेकी बारी; दावें; दाँव दानत स्त्री० मनोवृत्ति; वृत्ति । [-बगडवी = न्याय या नीतिकी भावना न रहना; प्रामाणिकताका मिटना | -राखवी = मनोवृत्ति रखना. ] बानाई स्त्री० दानाई; समझदारी; विवेक (२) भलमनसाहत ; शराफ़त (३) प्रामाणिकता; दयानतदारी दानेश ( स ) री पुं० दानवीर बानो वि०पुं० दाना; समझदार; विवेकी दापुं न० नेग; लाग दाब पुं० दाब; दबाव (२) आग्रह (३) दबाव अंकुश; धाक । [देवी, मूकवो = अंकुश, नियंत्रण रखना ( २ ) For Private and Personal Use Only Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बावडी दबावमें रखना । - बेसावी, राझवी = धाक जमाना; दाब दिखाना.] बावडी स्त्री० डिबिया [ डिब्बा बाबडो पुं० धातुका ढक्कनदार पात्र; वाणियुं न० कोई चीज दवानेका साधन दाब स० क्रि० दाबना; दबाना; कुचलना (२) दमन करना; अंकुशमें रखना या जोर न पकड़ने देना [ला. ] | [ दाबीने कहेवं = आग्रह करना; दबाव डालकर कहना । दाबी राखं = दबाना; भारके नीचे रखना (२) गुप्त रखना; जाहिर न होने देना । arat dj = कुचल डालना; रोक देना.] बाभ पुं० दाभं; दर्भ कीमत ; मूल्य दाम पुं० धन दौलत; दाम (२) न० दाम; दामण न० पशुओंके पैर बाँधनेकी रस्सी जिसमें और छोटी छोटी रस्सियाँ जुड़ी होती हैं; दामनी बामणी स्त्री० स्त्रियोंका ललाटका एक गहना; दामिनी [Y दामणुं न० मथानीकी वह रस्सी जिसे खींचनेसे मथानी घूमती है; नेती दामवूपट न० क़र्जसे दुगुना लेना; दून दायको पुं० दश वर्षका समय; दशक दायजो पुं० स्त्रीधन दायण स्त्री० बच्चा जनानेवाली स्त्री; दाई [ बैठक; दायरों बायरो पुं० समुदाय; जमाव (२) दरबार; बाह पुं० शराब (२) बारूद वाखानुं न० आतिशबाजी दारुगोळी पुं० बारूद, गोले आदि युद्धकी सामग्री वाडियो पुं० शराबी दाडी स्त्री० एक वनस्पति ; भड़भाड़ ; सत्यानासी (२) एक प्रक्षी २५२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दांडिय वाक्यंची स्त्री०: शराबबन्दी ; मद्यनिषेध वागो पुं० निगरानी करनेवाला अधिकारी; दारोगा ; दरोगा बाव पुं० खेलनेकी बारी; दाव; दाँव (२) पासेके दाँवमें आई हुई संख्या ( ३ ) मौक़ा उपयुक्त काल; घात (४) युक्ति; पेच; दाँव-पेच । [ (मा) बाबनुं हो = के योग्य होना । -भाववो = मौक़ा मिलना; घात लगना (२) खेलनेकी बारी आना । -मां आवj = घातमें आना; मोका मिलना ; युक्ति कारगर होना.] - बावपेच: पुं० युक्ति प्रयुक्ति; दाँव-पेच | [ - लडाववा = युक्ति करना; चाल चलना.] [ प्रार्थनापत्र दावाअरजी स्त्री० अर्जीदावा; वादीका बाबो पुं० दावा; हक्र; मालिकी ( २ ) हक्क प्राप्त करनेके लिए न्यायालय में की हुई फ़रियाद; नालिश ; दावा (३) दृढ आत्मविश्वास; दावा । [ -करवो हक़के लिए अदालतमें नालिश करना (२) अधिकार या हलकी माँग करना । -मांडवो - नालिशः पेश करना; मुक़दमा दायर करना. ] दास पुं० दास; सेवक दासी स्त्री० दासी; सेविका दाह पुं० दाह; जलन बाळ स्त्री० दाल ( २ ) पकाई हुई दाल; दाल (३) घाव पर जमनेवाली पपड़ी; खुरंड; दाल । [ मां कई काळं हो = दालमें काला होना. ] बाळरोटी स्त्री० दाल-रोटी; निर्वाह ( चलना) [ भूने हुए चने बालिया: पुं० म० व० (बिना छिलकेके) वडियो (०) पुं० देखिये 'डांडियो' For Private and Personal Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बांकी: बांडी (०) स्त्री० देखिये 'डांडी' (२) तंतुवाद्यका तुबे समेत लंबा दंड दांत (०) पुं० दाँत (२) दांता (३) बैर; कीना ( ४ ) हाथीदांत; उदा० 'दांतनी चूडी' । [दांते चड = बदनाम होना। दांते जीभ लेवी = दाँतोंसे जीभ काटकर मर जाना। दांते तरणुं लेबुं = दाँत काढ़कर, दीनतासे किसीकी शरणमें जाना। दांते मेल - आववो = धनी बनना । बांते लागवं - २. चसका लगना; -का स्वाद लग जाना.] बांतरं ( - बुं) (०) वि० दैतुला; दंवार बताळं (०) वि० दविदार; दंदानेदार बांतियुं (०) वि० वंदानेदार (२) न० दाँत दिखाकर काटनेको दौड़ना; बंदरघुड़की (३) झिड़की; डॉट. [ कंघा बातियो (०) पुं० एक ओर दाँतोंवाला दांती (०) स्त्री० किसानका बीज बोनेका भार; बाँसा (२) दरार; तड़ (३) डोर परकी काट ( रगड़ या दाँतसे) दाती (०) पुं० आरेका दाँत; दाँता (२) खरोंच; दाँता । [ -दांता पूरवा = जोड़ाई में इंटोंके बीच की जगह चूनेसे भर देना; टीप भरना . ] [ माली विकामाळी स्त्री० एक औषधि; डेकादिगर वि० अन्य ; विशेष; दीगर ( २ ) अ० ' और भी', 'इसके उपरान्त' इस अर्थ में पत्रके आरंभमें व्यवहृत [ ( २) गर्व विमाक (ग) पुं० मरज़; बुद्धि; दिमाग़ दिय ( ये ) र पुं० देवर शब्द; अन्यच्च दिय (ये) रखटुं न० पतिकी मृत्युके बाद देवरके घर बैठना दिल न० दिल; हृदय । [ -कतरखुं = दिल खट्टा होना । - ऊंं यतुं = दिल न २५३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - लगना; जी उचटना - भानुं : दिल भर जाना. ] विलदार वि० दिलदार (२) उदार (३) पुं० आशिक़ ( ४ ) प्रिय मित्र (५) स्त्री० माशूक़ा दिलावर वि० बड़े दिलका; दरियादिल (२) बहादुर; दिलेर; दिलावर - विलासो पुं० दिलासा; धीरज बिलेर बि० बहादुर; दिलेर दिलोजान वि० प्राणप्रिय; जिगरी दिल्लगी स्त्री० शौक़; दिलचस्पी (२) हँसी; दिल्लगी दिवस पुं० सूर्योदयसे सूर्यास्त तकका समय; दिवस (२) एक सूर्योदयसे दूसरे सूर्योदय तकका समय दिन ( ३ ) पुं० ब० व० समय; जमाना । [- फरवी = दिन फिरना । - भरवा = हाज़िरी लिखना, किखाना । —भराई चूकवा = मरणासन्न होना; भौतका सिरपर खेलना । सेवा दिन लगना ; समय बीतना. ] दिवासी पुं० आषाढकी अमावसका पर्व दिवाळी स्त्री० दिवाली दीवाली (२) आनन्द या मजा । [ -करवी = दिवाली का त्योहार मनाना . ] विवेट स्त्री० ( दीयेकी) बत्ती विवेल न० रेंड़ीका तेल; एरंडीका तेल विवेलियं वि० रेडीके तेलसे युक्त; चीकट (२) रेंडीका तेल पिया हुआ, उतरा हुआ ( चेहरा, मनुष्य) [ला. ] (३) न० रेंड़ीका तेल रखनेका पात्र दिवेली स्त्री० एरंडबीज; रेंड़ी; अंडी दिवेलो पुं० रेंड; अरंड; एरंड; अंडी बी पुं० दिन (२) दशाका ग्रह । [-उजाळवो = भाग्योदय करना। छठवी, For Private and Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बीकरी फरवो, स्ठवो = दुर्देव आना; बुरा हाल होना; दशा बिगड़ना.] बकरी स्त्री० पुत्री; बेटी बीक पुं० पुत्र; बेटा दीगर वि० (२) अ० देखिये 'दिगर' बीठ अ० प्रति; फ़ी; पीछे; उदा० 'जण दीठ' " २५४ 1 बीठं अ० क्रि० देखा [बीठानुं शेर नज्जरके सामने कुछ बने इसपर एतराज़ होना । पडवुं = इज्जत जाना (२) रुकना; बंद होना. ] वीदार पुं० ब० व० मुखाकृति; कांति दीघे राखवं = लगातार किये जाना; आँख मूंदकर किये जाना बीन न०; पुं० दीन; मज़हब (२) कोई भी धर्म बीडो पुं० तेंदुआ दीपमाळ स्त्री० मंदिरके आगे दीप जलानेके लिए बनाई हुई लाट या मीनार; दीपस्तंभ दीपaj स०क्रि० देखिये ' दीपाववुं ' दीपवं अ० क्रि० प्रकाशित होना; चमकना ( २ ) शोभा देना; फबना; खिलना [ करना aturaj स० क्रि० चमकाना; रोशन दवड पुं० दीपक; दीया [ मीनार दीवादांडी स्त्री० रोशनी - मीनार; दीपदीवान पुं० वज्रीर; मंत्री; दीवान ( २ ) 'राजसभा; कचहरी; दीवान (३) बड़ा कमरा ( ४ ) प्रकरण ; परिच्छेद (५) गजल-संग्रह; दीवान arrrrrrj न० दीवानखाना; बैठक दीवानगीरी स्त्री० दीवानका काम; वजीरी दीवानापj न० पागलपन; दीवानापन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुव दीवानी वि० रुपये और जायदादके इन्साफ़ से संबंधित; दीवानी (२) स्त्री० दीवानका काम; वजारत ( ३ ) राज्यके महसूलका कामकाज ( ४ ) दीवानी अदालत ; दीवानी (५) दीवानी अदालतका मुक़दमा दीवानुं वि० दीवाना ; पागल वीवाबत्ती स्त्री० दीया - बत्ती दीवाल स्त्री० दीवार; भीत aharaan पुं० [स्त्री० दीयाबत्तीका समय; सायंकाल [ सलाई वीवासळी स्त्री० दियासलाई ; दीयादीवी स्त्री० दियट; दीवट; चिराग़दान बीवो पुं० दीया; दीवा; दिया; चिराग़ ; बत्ती । [ - ओलवाई जवो = कुलके या किसी समूह के अच्छे आदमीका मर जाना; कुप्पा लुढ़कना । - राज करवो, राणो करवो = दीया गुल करना; दीया ठंडा करना. ] बीस अ० क्रि० दिखाई देना; दीखना (२) मालूम होना; सूझना [ला. ] । [ दीसतुं रहेबुं = आँखोंके आगेसे दूर होना; टलना (तुच्छकारमें ) . ] दुकान स्त्री० दुकान; दूकान ब्योपारी दुकानदार पुं० दुकानदार; दुकाळ पुं० अकाल; काल; दुष्काल; कहत काळियुं वि० अकाल- पीड़ित दुखडुं न० दु:ख, दुखड़ा ( २ ) वारना; बलायें लेना [(लेना) दुखणां न० ब० व० वारने; बलायें दुखणं न० दुखना; कष्ट होना ( १ ) प्रसवके पहले पेटमें होनेवाली पीड़ा (३) वारना दुखबबुं स० क्रि० देखिये 'दुखाववु' For Private and Personal Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुश्मनी २५५ दुबई अ० क्रि० दुखना; दर्द करना; दुरुस्ती स्त्री० दुरुस्ती; मरम्मत पीड़ा होना दुर्लक्ष न० लापरवाही; उपेक्षा (२) दुसारस० क्रि० पीड़ा देना; दुखाना *वि० बेखबर; बेपरवाह (२)पके घाव या फोड़े आदिको छूकर दुलारी स्त्री० लाड़ली बेटी; दुलारी पीड़ा पहुँचाना; दुखाना [णार्थक रूप दुलारो पुं० प्यारा पुत्र; दुलारा तुलाव सक्रि० दुखाना; दुखवु'का प्रेर- दुवा स्त्री० दुआ; आशिष । -देवी% दुला, अ० क्रि० दुखना; पीड़ा होना दुआ देना.] [(२) दुहाई; आन दुलावो पुं० दर्द; पीड़ा; वेदना बुवाई स्त्री० दुहाई; घोषणा; मुनादी दुलियारं, दुखियं, दुखी वि० दुखियारा; दुविधा स्त्री० निश्चयका अभाव; दुविधा दुखिया; दुखी दुशालो पुं० दोशाला दुना, अ० कि० खाने-पीनेकी चीजका दुश्मनाई, दुश्मनावट, दुश्मनी स्त्री. चूल्हेपर जलने लगना; जलना; दग्ध [दुष्काल होना (२) मनमें जलना; कुढ़ना दुष्काल(-ळ) पुं० अकाल; काल; कुत्तुं वि० धूर्त; चालबाज दुष्काल(-३)निवारण न० दुर्भिक्षका तुषारो पुं० दूधका व्यापारी; दूधवाला दुःख-निवारण; 'फेमिन-रिलीफ़' सुमाळ (-छं) वि० दुधार; दुर्घेल (ढोर) दुहो पुं० एक मात्रिक वृत्त; दोहा दुनिया स्त्री० दुनिया; संसार ।-पार बुंगो पुं० चोर करवं= लोकव्यवहारमेंसे निकाल देना; बुंद स्त्री० तोंद संसारकी नज़रमें गिराना (२) मार बुंदाळ (-छु) वि० तोंदवाला; तोंदीला डालना; दुनियासे उठा देना.] Qवाळो पुं० तोंदवाला देव; गणेश दुनियादारी स्त्री० संसारका व्यवहार; दू वि० दो (समासमें); दुगुना (अंकोंमें) दुनियादारी [दुनियाई दूओ पुं० देखिये 'दूरी' दुन्यवी वि० दुनियाका; सांसारिक; दूझj(-तुं)वि० (२)न० दुधार(मवेशी) दुपट्टो पुं० कंधे पर डालनेका कपड़ा; दूझवू अ० क्रि० दूध देना(२) चूना; [अधियाना टपकना दुभाग, स० क्रि० दोसे भाग देना; दूण, स० क्रि० सताना; संताप देना दुभाव, स० क्रि० देखिये 'दूभवतुं' दूत पुं० दूत; संदेशवाहक (२)जासूस दुभावं अ० क्रि० दुखी होना; मनमें दूती स्त्री० दूत स्त्री (२) दूती; दूतिका जंलना; दुःखी-नाराज़ होना दूतुं वि० धूर्त दुभाषियो पुं० दुभाषिया दूध न० दूध (२) वनस्पतिका दूधके दुमकलास न० देखिये 'डुमकलास' रंगका निर्यास ; दूध । [-आपy, देवु = दुरस्त वि० जैसा चाहिए वैसा; ठीक; दूध देना (गाय, भैस आदिका) (२) दुरुस्त (२)ठीक किया हुआ; मरम्मत फ़ायदा पहुंचाना; लाभ करना । किया हुआ; दुरुस्त (३) उचित; -मेळवq= दूध जमाना। दूचे धोईने वाजिब; दुरुस्त आपy=दियानतदारीसे (आदरपूर्वक) दुपट्टा For Private and Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दूषपाक देना; वापस करमा। -पांची पोरा काठबाबालकी खाल खींचना;खुचड़ निकालना। मां ने वहीमा पग राखवा = बेदीका लोटा; दो नावों पर पैर रखना.] .. पाक पुं० खीर [हुआ (बच्चा) दूषपीतुं वि० दूधमें मुंह डुबाकर मारा दूधभाई पुं० जिनके बाप अलग मगर मां , एक ही हो ऐसे भाई [(२)दूधके दाँत दूषिया वि० पुं० ब०व० दुधिया (दांत) दूषियं वि० देखिये ‘दुधाळ' (२)दूधके रंगका; दुधिया; सफ़ेद (३) नया; . ताजा; शुरूका; कच्चा; उदा० । 'दूषियुं लोही'(४)न० लौकी . दूधी स्त्री० लोकी; घिया; कद्द दूपट वि० दोहरा; दुगुना . दूबळी स्त्री० 'दूबळा' की या उस जातिकी स्त्री दूबई वि० दुबला; कमजोर दूबळो पुं० भीलसे मिलती-जुलती एक जातिका आदमी (२) आधा गुलाम जैसा (सूरतकी ओरका)किसानका चाकर दूभव, स० क्रि० दु:खी करना; दिल "जलाना दूभ, अ० क्रि० देखिये 'दुभाई' दूमो पुं० देखिये 'डूमो' दूर वि० दूर;जो दूरहो; अलग(२)अ० अधिक अंतर पर; परे; दूर। [-बेसवं __=(स्त्रीका) रजस्वला होना (२)अलग, जुदा होना. दूरबीन म० दूरदर्शक यंत्र; दूरबीन । दूरी स्त्री० दो बिंदियोंवाला ताशका पत्ता; दुक्की; दूरी दूरदेश वि० दूरंदेश; बुद्धिमान दूरदेशी स्त्री० दूरदेशी; दूरदर्शिता दूंगो पुं० चोर यूंटी स्त्री० देखिये इंटी' दूंटो पुं० देखिये 'इंटो' दूर न० देखिये 'डूंडु' वृष्टि स्त्री० नजर; दृष्टि (२)देखनेकी शक्ति; दृष्टि (३)[ला. ध्यान; चित्त (४)दृष्टिकोण। [-परवी-नजर पड़ना; दिखाई देना (२) (कुंडलीमें) महका असर होना। बेसवी नजर लगना.] बेकारो(दें) पुं० 'मारो, पकड़ो' ऐसी पुकार; हल्ला-गुल्ला; हुंकार देखतानी बाखमां धूळ नासवी= अनुमची की आंख में धूल झोंकना ." देखती आंखे जान-बूझकर देखरेख स्त्री० देख-रेख ; निगरानी । देख सक्रि० देखना देखा स्त्री० दिखाई देना; दृष्टिगोचर होना। -देवी-दिखाई देना; देखने में आना.] खेलाउ पुं० देखिये 'देखाडो'. देखाउ, सक्रि० 'देखवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; दिखाना; दिखलाना (२)आँख, हाथ, सोंटा आदि दिखाकर डराना (३) मैथुनके लिए मादा और नरको इकट्ठा करना (पशु); जोड़ा लगाना, खिलाना। दिखाडी देवं जो गुप्त हो उसे खुला करना (२) अपने प्रभावका परिचय कराना; चोर दिखाना.] [दिखाना; बताना देखाडो पुं० दिखावा; आडंबर (२) देखादेखी स्त्री० अनुकरण (२) अ० अनुकरणके रूपमें; देखादेखी .. देखाव पुं० दृश्य; नजारा; देखाव (२) आकार; आकृति; रूप (३) दिखावा; आडंबर [ला. देखावई वि० सुंदर; रूपवान. For Private and Personal Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बेला बेला अ० क्रि० दिखाई देना; दीखना; मालूम होना; सूझना ; नजर आना बेलीतुं वि० प्रत्यक्ष; जाहिर; बुला; स्पष्ट (२) दिखावटी; दिखाओ वेग पुं० देग़; डेग (२) स्त्री० तांबेका एक बरतन ; देराची; डेगची ; स्त्री० का एक बरतन देवची बेगडी पुं० छोटा देग; देगचा; हंडा वेज स्त्री०; न० वरपक्षकी ओरसे कन्याको दिये जानेवाले कपड़े वग़ैरहकी भेंट या भोजन; चढ़ावा; डाल; बरी (२) कन्या -शुल्क dant स्त्री० मादा मेंडक; मेढकी वेड न० मेढक; मेंडक dant पुं० मेढक, मेंडक वेण (वॅ) न० क़र्ज; देन ( २ ) महसूल; लगान (३) उपकारका दबाव देणगी (द) स्त्री० बख्शिश (२) दान देणवार (दें) वि० क़र्ज़दार; देनदार बेणुं (६) न० देखिये ' देण बेदार (दें) पुं० रूप; शक्ल-सूरत देन (दें) स्त्री० ताक़त; बस; मक़दूर । [ होवी = शक्तिशाली होना; बस चलना. ] देरडी (दे') स्त्री० छोटा देहरा देराणी स्त्री० देवरानी बेरासर (दे') न० घरमें देवकी मूर्तियाँ रखनेका स्थान (२) जैनोंका देवमंदिर; जैन मंदिर बेरी (दे') स्त्री० छोटा देहरा-मंदिर येवं (दे') न० देव देवियोंका स्थान; मंदिर; देहरा देव पुं० देव; देवता (२) परमात्मा; देव (३) स्वामी; मालिक; राजा । [-बुं = मर जाना; चल बसना.] गु. हि - १७ २५७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवी देवऊली अगिवार (स) स्वी० कार्तिक शुक्ला एकादशी; देवठान; देवउठनी, देवोत्थानी एकादशी देवकपास पुं० एक प्रकारकी कपास देवघर न० जैन- मन्दिर (२) देवगृह; देवालय dasraj स०क्रि० दिलाना; दिलवाना देवडी स्त्री० द्वारपालके बैठनेका स्थान; ड्योढ़ी; डेवढ़ी (२) चौकी; चबूतरा (३) समाधि स्थल पर बनाया हुआ छोटा देहरा X देवता पुं० देव (२) आग; अग्नि (३) स्त्री० देवी [-ऊठवो: = आग लगना; नाश होना । - ऊठी जवा = शक्तिका जवाब दे देना । - जागवो = (स्थानका ) भाग्योदय होना; हरा-भरा होना. ] देवताई वि० दैवी; अलौकिक देवदार ( - ) न० देवदारु [कार्तिकी देवदिवाळी स्त्री० कार्तिककी पूर्णिमा; देवपीढी अगियारश (स) स्त्री० अषाढ़ शुक्ला एकादशी; हरिशयनी एकादशी देवराव स०क्रि० देखिये 'देवडावj' देवल न० ब० व० घरके देवस्थानकी मूर्तियाँ [ पोढी अगियारस देवशयनी एकादशी स्त्री० देखिये 'देवदेवसेवा स्त्री० देव-मूर्तिकी पूजा देवळ न० देवल (खासकर थिस्तियका) देवादार वि० देनदार; क़र्ज़दार बेवाळियु वि० दिवालिया देवाळियो पुं० दिवालिया व्यक्ति देवाळु न० दिवाला देवी स्त्री० देवताकी पत्नी ; देवी; आद्या शक्ति ( २ ) रानी ; देवी (संबोधन में ) (३) स्त्रीके नामके पीछे लगनेवाला गौरवसूचक शब्द; देवी For Private and Personal Use Only Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बेधुं देवं स०क्रि० देना ( २ ) पीटना; ठोंकना [ला. ] (३) बंद करना; ओठंगाना देवं न० क़र्ज़; देना; ऋण देशकाल ( - ) पुं० देश और काल (२) दो परिमाण - दिक् और कल (३) देशाचार; आचार-व्यवहार [ला.] देशवाश स्त्री० स्वदेशके लिए अनुकंपा; देश-प्रेम देशनिकाल पुं० निर्वासन देशनिकाला बेशपार अ० देशके बाहर ( देशनिकाला ) देशटो पुं० अन्य देशमें वास ( २ ) देशाटन देशाचार पुं० देशमें प्रचलित रीतरिवाज; देशाचार [ करना;देशाटन देशाटन न० भिन्न-भिन्न देशों में पर्यटन देशावर पुं० परदेश; देसावर देशी वि० देशका ; देश-संबंधी ; देशी (२) स्वदेशी; स्वदेशमें उत्पन्न ( ३ ) पुं० अपने देशमें रहनेवाला ( ४ ) स्त्री० प्राकृत भाषाका एक प्रकार देह पुं०; स्त्री० देह; काया । [-छोडवो, पडवो, मूकवो: = मर जाना; देह छोड़ना. ] देहांतवंड पुं० मौतकी सजा ; मृत्युदंड देव वि० देव-देवता संबंधी; दैव ( २ ) न० नसीब; भाग्य वैवगति स्त्री० दैवगति; भाग्यका फेर वैवयोग पुं० दैवयोग; संयोग; इत्तिफ़ाक़ दोआब पुं० दोआब; दोआबा .. दोकडो पुं० रुपयेका सौवाँ हिस्सा ; एक नया पैसा (२) बारह टका सूद (३) अंक ; 'मार्क [ स्थान [ला. ] वोजल न० दोजख (२) दु:खोंसे परिपूर्ण छोट स्त्री० दौड़नेकी क्रिया; दौड़ बोटंबोटा, बोटाबोट स्त्री० दौड़ा-दौड़ी २५८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बोर बोड ( दॉड) स्त्री० दौड़नेकी क्रिया या वेग; दौड़ बोकुं न० तुरईकी जातकी एक सब्जी दोडधाम, बोडमार (दॉ) स्त्री० दौड़ादौड़ी; दौड़-धूप aisi ( दॉ) अ० क्रि० दौड़ना बोडो पुं० देखिये 'डोडो ' बोढ ( दॉ) वि० डेढ़; १ । । ( २ ) स्त्री० किसी चीजको ड्योढ़ा करना । [-पायानं = बेवक़ूफ़ ; दीवाना ; पागल ] बोडडहापण (दॉ) न० ज़रूरत से ज्यादा अक्ल बघारना दोडा ( दॉ) वि० ज़रूरत से ज्यादा अक्लमंद, सयाना; लाल-बुझक्कड़ atayi ( दॉ) वि० लँगड़ा aaj (द) स०क्रि० ( किसी चीजको ) घोढ़ा करना aj ( दॉ) स०क्रि० सीनां; डोरे भरना (२) देखिये 'दोढवj' दोसो (दॉ) पुं० डेढ़ सौ ; १५० वोढियां (दॉ) न० ब० व० धन-दौलत (२) रुपया-पैसा [ला.] बोटियुं ( दॉ) वि० डेढ़गुना (२) न० घोढ़ा करके सिया हुआ कपड़ा ( ३ ) पैसा ; टका ( ४ ) एक प्रकारका गाना दोढुं (दॉ) वि० डेढ़गुना; डेढ़ा; उद्योढ़ा दोणी ( दॉ' ) स्त्री० दोहनी; दुहनी दोदरं वि० जीर्ण; कमजोर (२) कुछ टूटा-फूटा; जिसमें तरेड़ पड़ी हो बोदश (दो) अ० दसों दिशाओंमें; इधर उधर दोवळं वि० देखिये 'दोदरुं' दोपट वि० दोहरा ; दुगुना बोर (दॉ) पुं० दौर; अमल; अधिकार; सत्ता (२) तड़क-भड़क ; दबदबा ; रोब For Private and Personal Use Only " Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बोरवमाम वोरवमाम (दॉ) पुं० दबदबा ; रोब-दाब बोर पुं० मोटा रस्सा ( २ ) पतंगकी डोरी; डोर दोरडी स्त्री० पतली रस्सी; डोरी बोरडं न० रस्सा ; रस्सी दोरडी पुं० तागा; धागा; डोरा (२) अभिमंत्रित - पढ़ा हुआ धागा बोरवणी स्त्री० मार्ग दिखाना; रहनुमाई (२) गुप्त सीख या सलाह; पट्टी; कान भरना बोरव स०क्रि० हाथ पकड़कर चलाना; रास्ता दिखाना (२) टांका मारना; सीना दोरखं स०क्रि० देखिये 'दोरववुं ' (२) खींचना ( लकीर) (३) उरेहना; चित्र खींचना दोरंगी वि० दो रंगोंवाला; दोरंगा (२) तरंगी ; चंचल [ला.] बोरी स्त्री० रस्सी; डोरी ( २ ) पतंगकी पतली डोर (३) लगाम ; काबूमें रखनेका उपाय ; डोरी [ला. ] (४) कुछ नापनेकी डोरी या फ़ीता । [ -ताणी राखवी = नियंत्रण, दाब रखना; बसमें रखना. ] बोरसंचार ( - रो ) पुं० कठपुतलीके खेलमें डोरी हिलाकर पुतलियोंको नचाना ( २ ) पीठ पीछे चालबाजी करना या चाल चलना [ला. ] बोरो पुं० डोरा; धागा ( २ ) गलेका एक गहना ( ३ ) करघनी; तगड़ी; कंदोरा (४) मंत्रित डोरा; मंत्र-सूत्र । [-बांधवो = मंत्रित - पढ़ा हुआ डोरा afaकर रोगादिका निवारण करना.] athurai पुं० मंत्र-सूत्र ; मंत्रित डोरा; पढ़ा हुआ डोरा बोलत (दॉ) स्त्री० दौलत ; घन बोलतमंद, बोलतवान (दो) वि० दौलतमंद २५९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्राविडी प्राणायाम बोलं (दॉ) वि० भोला; सीधा (२) उदार प्रकृतिवाला; सखी दोवडा (रा) व (दो) स०क्रि० 'दोहवं' क्रियाका प्रेरणार्थक; दुहाना दोशी पुं० बजाज (२) एक अल्ल बोध पुं० दोष ; भूल; ख़ता (२) खामी ; न्यूनता; दोष (३) गुनाह; जुर्म (४) लांछन ; दोष (५) पाप । [-काडवो खुचड़ निकालना; दोष दिखाना । - देवो = तोहमत लगाना (२) उलहना देना. ] बोहरो पुं० दोहा बोह स०क्रि० दुहना (२) किसी चीजका सारभाग निचोड़ लेना; कस खींच लेना; चूसना [ला. ] दोहितर पुं० बेटीका बेटा; नाती; दोड़ता (२) मृतकके पीछे बाँटे जानेवाले दूधमें आटा सानकर बनाये हुए लड्डू बोहित्र पुं० बेटीका बेटा; दौहित्र; दोहता बोझलुं वि० कठिन; मुश्किल; दुष्कर (२) न० दु:ख ; संकट बोंगाई स्त्री० धूर्तता; चालबाजी aj वि० धूर्त; कपटी (२) बेअदब; उद्धत जब पुं० तरल होना; द्रव (२) किसी चीज़का तरल रूपांतर; पिघला हुआ रस; द्रव द्रववुं अ० क्रि० तरल होना; पिघलना; गलना (२) चूना ; टपकना ; बहुना (३) दयार्द्र होना; पसीजना [ला. ] द्राक्ष स्त्री० दाख; द्राक्ष नाव पुं० घोल; द्रव; किसी पदार्थका तरल रूपांतर ब्रावक वि० गलाने, पिघलानेवाला; द्रावक ( २ ) न० सुहागा ; द्रावक द्रावण' न० तरल रूपांतर; द्रव; घोल द्राविडी प्राणायाम पुं० द्राविड प्राणायाम For Private and Personal Use Only Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प पुं० 'ख' वर्गका - दंतस्थानीय चौथा व्यंजन मक स्त्री० प्यास (२) जोश उत्साह (३) त्वरा ; जल्दी (४) ध्यान teen अ० क्रि० देखिये 'धगधग' eeraj स०क्रि० धकेलना ( २ ) जोरोंकी तैयारियाँ करके आगे चलाना (काम) धकेलवं स० क्रि० धकेलना; धक्का देना; ठेलना; ढकेलना (२) लापस्वाहीसे यों ही आगेको ठेलते जाना; बिना सोचे-समझे चलाये रखना मंत्रधक्का, Purnteent स्त्री० teeeeeni (२) भीड़ चक्कामुक्की स्त्री० धक्कामुक्की rent पुं० धक्का; ठोकर; हचकोला ; टक्कर (२) नुक़सान; घाटा; धक्का (३) चक्कर; फेरा (४) माल लादनेउतारनेकी पक्की जगह; 'डेक' । [धक्के च = ( किसीके ) हत्थे चढ़ना (२) वादाखिलाफ़के चक्करमें आ जाना (३) हचकोले लगने से दूर जाना ।-आंववी = नुक़सान होना; धक्का सहना ( २ ) दचका लगना | पडवो = व्यर्थ चक्कर खाना, काटना । लागवो, वागवी = धक्का सहना; धक्का खाना ( २ ) धक्का लगना. ] चल स्त्री० देखिये 'धक ' माधवं अ० क्रि० गुस्सा होना; कुढ़ना; मन ही मन जलना; मसोसना घाना स्त्री० रटन; चितन; खटका • अ० क्रि० अति तप्त होना। यह २६० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धडाकाच कना; धधकना ( २ ) [ला. ] गुस्सा होना; कुढ़ना (३) स०क्रि० उलहना देना घखारो पुं० धाम; गरमी; तपन ( २ ) आतुरतापूर्वक रटन; बार-बार याद करना धगधग अ० धधकते हुए (जोरोंसे जलना) धगधग अ० क्रि० घघकना; दहकना (२) खूब गरम होना घगवं अ० क्रि० देखिये 'धखवं' धगश स्त्री० जोश; उत्साह; प्रेम घज वि० श्रेष्ठ धुरीण (२) मजबूत; टिकाऊ ; पक्का (३) जोशीला धजा स्त्री० धजा; ध्वजा; झंडा; निशान । [ -बांधवी = झंडा लहराना (२) कीर्ति फैलाना; रोशन करना (३) गुप्त बात फैला देना. ] धजापताका स्त्री० ध्वजा घड न० बिना सिरका शरीर; घड़ (२) नीव; बुनियाद; मूल; आधार [ला.] (३) अ० धड़से । [ - बईने = घड़से; झट.] use स्त्री० धड़कन ; धड़क ( २ ) डर । [-पेसवी, लागवी = डरना. ] arej अ० क्रि० धड़कना; धकधकना घडकार (-रो) पुं० ' घड़' की आवाज ; धड़कन For Private and Personal Use Only धरपड अ० धड़-धड़ घडघडाट पुं० 'घड़-धड़ ' की आवाज; घड़-घड़ ( २ ) अ० घड़से; घड़ाघढ़ user स्त्री० मारपीट ; मारामार धडाकाच अ० धड़ाकेके साथ (२) बढ़ा; झटपट फर्राटेसे Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मढाको धाको पुं० घढ़ाका; घोर शब्द (२) सुमनेवाला चौंक उठे ऐसी नयी, विचित्र बात या घटना ( ३ ) कालचक्र ; गदिशे जमाना । [ - मारवो = जल्दीसे काम निबटना; झटपट कर डालना . ] घडाघड अ० घढ़ाधड़ धड़ाकेसे घडी स्त्री० एक तौल या वजन ( २ ) पासंग; घड़ा घडो पुं० तराजूका समतोल न होना (२) तराजूमें समतोलन लानेके लिए रखा जानेवाला भार; पासंग; घड़ा (३) बोध; सबक़ ( ४ ) नियम; प्रमाण; सीमा; हव; भाप (५) गणना; क़द्र; इज्जत ; हिसाब [ला.] । [-करवो = घड़ा करना (२) क़द्र करना । -केवी = बोध ग्रहण करना; सीख, सबक लेना । - होवो = तराजूके पलड़े समतोल न होना ( २ ) कुछ प्रमाण या नियम होना; हद होना. ] धण न० धन; गोधन; (गायका) झुंड बणघणवं अ० क्रि० दन-दन शब्द होना; दनदनाना (२) काँपना घणघणाट पुं० ' दन-दन' की आवाज धणियाणी स्त्री० पत्नी (२) मालकिन धनियातुं वि० जिसका घनी-मालिक हो (२) मालिकीका धणियापुं न० स्वामित्व; मालिकी पणियामो पुं० खेतीमें काम करनेवाले चार ('दूबळा') का मालिक पणी पुं० घनी; मालिक; स्वामी (२) पति (३) वि० मालिक; उदा० 'आनुं कोई धणी नथीं । [ -करवी = पुनविवाह करना; किसीके घर बैठना.] धणीजोग वि०, (गी) वि० स्त्री० खरी २६१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दारको ही मिले ऐसी (हंडी) : घनीके नाम लिखी हुई धणीषोरी पुं० बनी-घोरी (२) रक्षक वणीरणी पुं० मालिक; घनी-घोरी घणेणाटी, धणेणी स्त्री० दनदनाना लिंग न० हंगामा; उपद्रव (२) ढोंग; व्यर्थकी धूम-धाम धतुरो पुं० एक वनस्पति; धतूरा: घमडाव स० क्रि० खूब उलहना देना घघणावयुं स०क्रि० दनदनाना [धार घडो पुं० मोटी धारायें गिरना; मोटी धन अ० धन्य; धन [प.] धन न० धन दौलत (२) समृद्धि (गोधन ; विद्याधन) (३) धन (राशि) धनतेरश ( स ) स्त्री० धनतेरस धनवन अ० कृतकृत्य; धन्य धनारक ( स ) पुं० धनराशिका सूर्य धनुर पुं० धनुर्वात; धनुकबाई धपवं अ० क्रि० घपना धप्पो पुं० धप्पा ; थप्पड़; घप घब अ० धब; धप (आवाज) (२) शून्य; ठप ; बंद ( ३ ) धप्पा लगानेकी आवाज; धप धक्क स्त्री० धड़कन ; धकधकी भक्कबुं अ० क्रि० धड़कना धवकारो पुं० स्पंदन; धड़कन ; धड़का भडको पुं० सारा काम यकायक बेकार जाना; घोटाला होना; पानी फिर जाना; चौपट होना घव अ० क्रि० गिरना (२) [ला. ] दिवाला निकालना (३) मर जाना । [घबी जवुं = = मर जाना; ढेर हो जाना (२) [ला.] गहरी नींद में पड़ना. ]. धनाको पुं० घोर शब्द; धमाका; धब For Private and Personal Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वाय नमः बवाय नमः न० मटियामेट होना ; पानी फिर जाना; चौपट हो जाना rej स० क्रि० हायसे पीटना (२) ठगना; धोखा देना घोषय अ० घड़ाधड़; लगातार धन्वो पुं० देखिये 'धप्पो' (२) धब्बा ; दान षमक स्त्री० वेग; जोश ( २ ) तेज; दमक (३) तड़क-भड़क; ठाट-बाट धमक अ० क्रि० गरजना (२) कपिना (३) चमकना; दमकना धमकार, धमकारों पुं० 'घम' की आवाज; धम ( २ ) वेग; जोश reeraj स० क्रि० धमकी देना; धमकाना; डराना ( २ ) डाँटना धमकी स्त्री० धमकी; डर भमचकट स्त्री० धमाल ; धमाचौकड़ी (२) शरारत ; ऊषम धमण स्त्री० भायी; धौंकनी धनवम अ० धम-धम eeraj अ० क्रि० 'धम धम' आवाज होना (२) काँपना ( ३ ) बहुत गर्म होना धमघमाट वि० तीखा ; चरपरा (२) पुं० 'धम धम' की आवाज़; धम-धम (३) रोब; दबदबा ; आतंक (४) ठाटबाट; तड़क-भड़क (५) तीखापन घमघमायुं स० क्रि० 'धमधमवुं ' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (२) धमकाना (३) [ला. ] जोशसे काम चलाना ; कोई काम वेगपूर्वक और खूब करना; रगड़ना धमधीकार अ० पूरे वेगसे; धड़ाकेसे धमपछाड स्त्री०, ( -डा) पुं० ब० व० शरारत और अधीरता (२) उछलकूद; छटपटी २६२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थरवई धमवुं स० क्रि० भाषी चलाना; धमना; धौंकना ( २ ) आगको हवा करना; फूँकना ; जलाना (३) आँचसे बराबर तपाना ( ४ ) ठगना; चुरा लेना aareest स्त्री० देखिये 'धमचकड धमाधम (मी) स्त्री० घमघम ( २ ) मारामार ; मारपीट (३) हल्ला-गुल्ला धमाल स्त्री० घमाल ; धमाचौकड़ी घमालियं वि० धमारिया; धाँधली धमावदुं स० क्रि० 'धमवुं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (२) ठगना; चुरा लेना घर स्त्री० तृप्ति; संतोष (२) यक़ीन घर स्त्री० ( गाड़ीका) जुआ; कंधावर (२) बैलको पहले-पहल जोतनेसे लेकर गिने जानेवाले उसके वर्ष (३) शुरू; मूल; धुर चरखम वि० जिस पर किसी कार्यका भार हो; मजबूत; धुरीण; भारी (२) प्रवीण मरघडीची अ० शुरूसे; धुरसिरसे घरछोड स्त्री० रियायत ; छूट ( २ ) तोड़ समझौता धरणुं न० धरना; ढई धरती स्त्री० पृथ्वी ( २ ) ज़मीन; धरती । [-मां पैसी जर्बु = अत्यंत लज्जित होना; जमीनमें गड़ जाना. ] धरतीकंप पुं० भूकंप; भूचाल; भौंचाल धरपकड स्त्री० धरपकड़ (२) बार-बार गिरफ़्तारी घरपत स्त्री० तृप्ति; संतोष ( २ ) धीरज; विश्वास । [ - वळवी = अघाना; संतोष होना (२) यक़ीन होना.] धरब स०क्रि० तृप्त करना; छकाना; अघवाना ( २ ) ठूसना For Private and Personal Use Only 3 Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बरबोळ घरबोळ न० प्रलय ; सत्यानास [-जy तबाह होना; मटियामेट होना; धूल उड़ना.] परम पुं० देखिये 'धर्म' परमपक्को पुं०व्यर्थका फेरा; धरमधक्का घरमूळ न० शुरू; जड़मूल; धुरसिर घरव पुं० संतोष; तृप्ति घरवq स० क्रि० तृप्त करना; अधवाना घरधू स० क्रि० धरना; थामना; पकड़ना; रखना(२)धरना; पहनना (३) धारण करना; धरना विष ; जन्म)(४) पासमें रखना; पेश करना; आगे रखना बरार अ० जरूर; अलबत्ता(२)बिल कुल; साफ़ परार पुं० वाहनमें जुओकी तरफ़ ज्यादा बोझ होना; उलारका उलटा धराव_ सक्रि० 'धर' और 'धरावं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (२) नैवेद्य करना; देवके आगे धरना [छकना परावं अ० क्रि० तृप्त होना; अघाना; परी स्त्री० (पहियेका) धुरा; अक्ष (२) पृथ्वी या खगोलका अक्ष; उत्तर और दक्षिणको जोड़नेवाली कल्पित रेखा; अक्ष [हुए छोटे पौदे ; पौद; पनीरी घर न० उखाड़कर रोपने के लिए उगाये घरवाडियुं न० पौदकी क्यारी; पनीरी घरो पुं० गहरा गड्ढा (खासकर पानीका); दह परो स्त्री० दूब; दूर्वा धर्म पुं० धर्म (२)शास्त्रोक्त आचार; धर्म(३)पुण्य ; दान (४)धर्म; फ़र्ज; कर्तव्य (५) एक पुरुषार्थ ; धर्म (६) गुण; स्वभाव; प्रकृति (७)धर्मराजा । पवा(-रा)व, स० क्रि० 'धावq 'का प्रेरणार्थक; दूध पिलाना; आँचल देना पापाई पवा स्त्री तंदुरुस्ती; शक्ति (२)अच्छी दशा। [-वळवी = आरोग्य, शक्ति आदि पुनः प्राप्त होना.] [बढ़ना घसवं अ० कि० वेगसे आगे बढ़ना; घसारो पुं० हल्ला; हमला घंतर न० जादू (२) ठगनेकी कला जंतरमंतर न० जंतर-मंतर; जादू-टोना घंतूरो पुं० धतूरा धंधादार वि० पेशेवाला; धंधेवाला (२) उद्योगी (३)पुं० व्यापारी (४) कारीगर; हुनरमंद धंधादारी वि० पेशेवर; रोज़गारवाला (२)स्त्री० धंधा; रोजगार; उद्यम पंधो पुं० धंधा; उद्यम; रोजगार; प्रवृत्ति (२) व्यापार व्यवसाय पंधोरोजगार पुं० घंधा और रोजगार; घा पुं०; स्त्री० मददके लिए पुकार; दुहाई; गोहार (२) हाय। [-नाखवी% मददके लिए पुकारना. धाई स्त्री० स्तन धाक पुं०; स्त्री० धाक; डर (२) अंकुश; दबाव (३) बहरापन । [-ऊवश्वा , (बी)= बहरापन टलना। -सवी =धाक जमना. घागरी स्त्री० चीथड़ोंकी गुदड़ी; कथरी धागो पुं० फटा-पुराना कपड़ा; लाट; चिथड़ा; गूदड़ (२)धागा; डोरा घाटी स्त्री. रीत; ढब; शैली भार स्त्री० डाकुओंकी टोलीका छापा; घाड़; डाकाजनी (२) धावा; छापा (मारना) (३) उतावली [ला.] । [-मारवी = बड़े शौर्य या पुरुषार्थका काम करना; तीर चलाना [ला.]. चारपार पु० डाकू लुटेरा For Private and Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पारियं पारियं,बाई न० आदमियोंका जमाव मजमा भीड़ पाना पुं० ब०व० धनिया; पाना पाणी स्त्री० खील; लाजा; लावा. घात स्त्री० वीर्य; घात (२) कोष्ठक; खाना . [आना पातवं अ० क्रि० अनुकूल होना; रास धान न० अनाज; धान्य बाप स्त्री० उतावलीमें होनेवाली भूलचूक; धोखा (२) धोखा; छल (३) चोरी [ला. [-आपवी, देवी धोखा देना; छलना।-खावी = छला जाना; धोखा खाना। -मारवी = उचककर ले जाना.] घावग्वं स० क्रि० छलना; गाहकोंसे उचितसे अधिक दाम लेना; ठगना । धाबळ (-ळी स्त्री०पतला धुस्सा; कंबल धावळो पुं० मोटे ऊनका धुस्सा पाईं न० (मकानकी)पक्की छत; धाबा (२)धब्बा; दाग (३) (दूधका)हंडा धामण स्त्री० एक प्रकारका मोटा सांप; धामिन चहल-पहल; धूम-धाम धामधूम स्त्री० जोरोंकी तैयारी;धूम; धामो पुं० लंबे अरसेके लिए पड़ाव पार स्त्री० तलवार आदिका तेज़ किनारा;बाढ़धार(२)धार;पारा; दरेरा (३) किनार; छोर। -पर रहे = जान-जोखोंकी दशामें या कड़े . अधिकारमें रहना. पारण न० घरनेकी क्रिया; धरना; धारण (२) आधारभूत होना या बनना; अवलंबन; धारण (३) स्त्री० आषार(४)धीरज(५)धरन; शहतीर (६)घड़ा पासंग धारणा स्त्री० धारणा; मनसूबा (२) कल्पना; धारणा (३) याददाश्त धारणाशक्ति (४) ग्रहण करनेकी क्रिया; धारणा धारदार वि० धारदार; धारवाला . धार, स० क्रि० मान लेना; कल्पना करना(२)चाहना; इच्छा करना(३) अनुमान करना; अटकल लगाना (४) ठानना; (मनमें) तय करना । [धारीने जोवं = ध्यानपूर्वक, टकटकी लगाकर देखना। पायुं कर = अपने मनकी करना; इच्छित, मनमाना करना.] पाराधोरण न० कायदा, नियम आदि धारापोथी स्त्री० कानूनकी किताब; 'कोड' पाराशास्त्री पुं० वकील; कानूनदा धारासभा स्त्री० कानून बनानेवाली सभा;विधान-सभा व्यवस्थापिका सभा पारियुं न० एक धारदार हथियार पारो पुं० रिवाज, चाल; प्रथा(२)कानून घायु वि० इच्छित; (मनमें)ठाना हुआ; तय किया हुआ (२)न० धारणा;संकल्प घालावेली स्त्री० भारी अधीरता; उतावली; बेसब्री धाव स्त्री० घाय; उपमाता धावण न० मांका दूध; दूध घावणी स्त्री० चट्ट; चुसनी धावणुं वि० दूधपीता; दूधमुंहा (२) उस उम्रका (बच्चा) (३)न० दूधपीता बच्चा पाव, सक्रि० स्त्री या मादाका दूध पीना; स्तन पीना; चोखना घाई अ.क्रि० दौड़ना; मददको दौड़ना; धाना प.] (२)रोगका एकदम फैल जाना; उदा. 'तेने धनुर्वा पायो छे For Private and Personal Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाशको २६५ पाश(-स)को पुं० देखिये 'ध्रासको चुपकेसे।[-रहीने माहिस्ता धीरेसे पास्ती स्त्री० दहशत;डर। -आपवी, (२) युक्तिपूर्वक (३) चुपकेसे; देवी, देखारवी, बताववी% डराना; चुपचाप. डर दिखाना.] [गड़बड़, ऊषम धीर वि० पैर्यवान; अडिग; दृढ़ पीर बाघल (-3) (०) स्त्री० न० धांधल; (२) गंभीर; शांत; धीर(३)स्त्री० पापलि(-ळि)यं वि० धांधली; ऊधमी धैर्य; धीरज (४)यक़ीन; प्रतीति। विकाव, स० क्रि० खूब गरम करना; पीरपार स्त्री० महाजनी; साहूकारी तपाना;धिकादा (२) धधकाना पीर स० कि० भरोसा रखना; विक्कार स० क्रि० धिक्कारना । विश्वास करना(२)भरोसे पर साँपना धिंगाणुं न० जोरोंसे छिड़ी हुई लड़ाई; (३) उधार या सूद पर देना; कर्ज दंगा [मुश्ती देना; उधार देना पिंगामस्ती स्त्री० धींगाधींगी; धींगा- बीदं वि० धीमा (२) धीर; धैर्ययुक्त घिणु वि० धींगड़ा; मोटा; मजबूत धीरे धीरेषी, धीरे धीरे अ० आहिस्ता; . धीकडी स्त्री०, (-) न० हलका धीरे-धीरे; हौले-हौले ज्वर; हरारत धींगाणु न० देखिये 'धिंगाणं' बीकतुं वि० धधकता हुमा (२)जोरोंसे घोंगामस्ती स्त्री० देखिये "पिंगामस्ती' चलता हुआ; फलता-फूलता [ला.]। धींगुं वि० देखिये "घिगुं' [पीकती सगरी = खूब चिंताका पुजारी स्त्री०, धुजारो ० कंपकंपी; विषय; जलती आग; बलाजान.] सिहरन . [कारना करता धीकवू अ० क्रि० धधकना; बहुत जलना धुतकार स० क्रि० दुतकारना; धुतया तपना। [धीकतो धंधो बढ़ता धुतारी स्त्री० ठगनी; धूर्त स्त्री हुआ या चलता धंधा.] धुताई वि० धूर्त; धोखेबाज बीट वि० सहनशील (२) निडर; ढीठ धुता, अ० क्रि० 'धूतवू' क्रियाका कर्मणि पीवकारो पुं० 'घब-धब' की आवाज़ रूप; धोखा खा जाना; छला जाना; धब-धब छुपेल न० सिरमें डालनेका मसालेका तेल धीबको पुं० मुक्का; चूंसा;धप पेलियुं वि० तेल जैसा (२) न० बीबई सक्रि० धब-धब मारना; पीटना तेलहंडा (पात्र) धीमाश स्त्री० मंदता; धीमापन घुमाग्युिं न० चिमनी; घुवारा (२)वि० बीमुं वि० धीमा; मंद; मंथर; कम जिसमेंसे धुआं निकले ऐसा(मिट्टीका तेल) गतिवाला (२)जो उग्र या तेज न हो; घुमाती स्त्री० धुआँ । [-मा बाचका शान्त (३) ढीला; धीमा। [-परवं = भरवा = मिथ्या प्रयत्न करना; हवा गति मंद होना(२)क्रोध शांत होना। मुट्ठीमें बांषना.] -पार = मंद करना (२) ठंढा धुमागे पुं० देखिये 'धुमाडी'. करना; शांत करना.] पुमा अ०क्रि० जलनेमें धुआं होना धीमे (०पी) अ० आहिस्ता; धीरेसे; (२) कुढ़ना; भीतर ही भीतर जलना For Private and Personal Use Only Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६६ षोतीवोसे धुमास पुं० धुएंसे लगनेवाला कचरा; देना(३) जाने-आनेका नाता तोड़ना। धुमांसा (दीवार, छत आदि पर) सावी-ख मारना (२) पछताना धुम्मस न० कुहरा; कुहासा [प.] (३)व्यवहृत न होना । -परवी%D पळेटी स्त्री० होलीके बादका दिन; (जीवन, बुढ़ापा) धूलमें मिलना । धुलेंडी; धुरेंडी पाळवी-धूलमें मिलाना; पानी फेर धुंगं न० झाड़-झंखाड़; झाड़ी देना (२) बिगाड़ना; नष्ट करना धुंनो पुं० चूंसा; पप (३) धुरियाना; गाड़ना; धूलसे ढकना धूण, अ.क्रि० आवेशमें हिलना; (४) उपेक्षा करना. अभुआना प.] धूळक (-को)ट पुं० बगूला; बवंडर धूली स्त्री० धुओं (२) (जोगियोंकी) धूळपमा स्त्री० तुच्छ चीज़ या बात; धूल धूनी। [-जगाववी = धूनी जगाना, . घळपाणी स्त्री० बरबादी; धूलधानी रमाना. धूळी पडयो पुं० होलीके बादका दिन; धूत सक्रि० ठगना; धोखा देना। धुलेंडी धून स्त्री० धुन; लो (२) धुन ; मनकी बूंष स्त्री० (आँखकी) धुंध लहर; सनक (३) सुरका गुंजना; धूंधकार पुं०; न० धुंध (गर्दकी) स्वरभंगी (४) एक प्रकारका गीत; धुन बूंषवाट पुं० जलनेमें धुआँ होना (२) धूनी वि० धुनी; तरंगी (२) तरंगी; दबा हुआ गुस्सा; भड़ास ; झुंझलाहट; सनकी धूप (सूर्यकी) धूप पुं० धूप; गंधद्रव्य (२) पुं० ; स्त्री० धूंधवावं अ०कि० धुआँना; जलनेमें धूपदानी स्त्री० धूपदान; धूपदानी धुआँ होना (२) झुंझलाना; कुढ़ना धूपसळी स्त्री० धूपबत्ती; अगरबत्ती बूंसरी स्त्री०, बूंसरं न० जुआ (गाड़ी धूपियुं न० धूप देनेका पात्र; धूपदान आदिका) धूम वि० (२) अ० बहुत; भारी (३) धूंसो पुं० मोटा भारी कंबल; धुस्सा आवेशके साथ; धुनके साथ (४) घोकडी स्त्री०, धोकडं न० रुईकी बड़ी स्त्री० शोर; धमाल; धूम। गाँठ (२) काया; शरीर धूमधाम स्त्री० धूमधाम; धूम घोकणुं न० कपड़े धोनेका डंडा धूळ (ळ,) स्त्री० धूल; गर्द (२) घोको पुं० मोटा डंडा; लगुड़ (२) रास्तेकी रज; खाक (३) निकम्मी, मुक्का; घूसा (३) घाटा; नुकसान तुच्छ चीज ; धूल [ला.] । [-उडा- (४) देखिये 'धोकणुं । [-पहोंचवो = रवी%-के ऊपर धूल फेंकना; नाहक नुकसान पहुंचना; घाटा सहना.] निंदा करना (२) को धमकाना; घोको (-सो) पुं० नुकसान; घाटा (२) उलहना देना। -ऊडवी%=(किसी चिंता (३) दगा; धोखा स्थल पर)धूल उड़ना; उजड़ जाना। बोतली स्त्री० छोटी धोती -काही मालवी, खंखेरी काढवी%3D घोतियुं न० घोती खूब डांटना (२) अवाबदारी छोड़ बोतीजोटो(-1) पुं० धोतीजोड़ा कुढ़ For Private and Personal Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org घोष घोष पुं० ऊंचाईसे वेगसे गिरनेवाला पानीका प्रवाह; प्रपात घोषमार अ० मोटी धारसे; मूसलाधार धोबण स्त्री० धोबिन; धोबन धोबी पुं० धोबी । [ जो कूतरो धोबी का कुत्ता; उठल्लू आदमी.] घोषं वि० ठोठ; बुद्ध (२) न० ईंट; रोड़ा घोवो पुं० मूर्ख व्यक्ति; बुद्ध धोम पुं० सूर्य (२) सूर्यकी तेज गरमी; तेज धूप ( ३ ) क्रोध । [ -धलवो = सख्त धूप पड़ना ( २ ) अतिशय क्रुद्ध होना. ] धोरणं न० मनका झुकाव ; प्रवृत्ति (२) (शालाका) दर्जा; कक्षा ; श्रेणी (३) पैमाना; प्रमाण (४) पद्धति; रीति; नियम घोरी वि० धुरीण; बड़ा; मुख्य (२) पुं० जोतने योग्य बैल; बुरीण ( ३ ) पुत्र धोरो पुं० छतकी मुंडेर; मुंडेरा; चबूतरेका तकिया (२) पेड़के चारों ओर वनाया जानेवाला मिट्टीका चबूतरा (३) खेतकी मेंड़ घोल (घॉ) स्त्री० धौल; तमाचा धोलाई स्त्री० देखिये 'धोवाई' धोवडामण न० धोनेकी उज्रत; धुलाई (२) धोनेके बाद बचा हुआ गंदा पानी धोवन [ उच्चत घोडामणी स्त्री० धुलाई; धोनेकी stasraj स० क्रि० धुलाना धोवरामण न० देखिये 'धोवडामण' धोवराव स० क्रि० देखिये 'धोवडावj' घोबाई स्त्री० धोनेकी उज्जत; धुलाई धोवाण न० (पानीसे मिट्टीका) घुल जाना; बहावका तोड़; दरेरा २६७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूजयं धोवायुं अ० क्रि० 'घोबुं' क्रियाका कर्मणि रूप; धुलना (२) (शरीर ) क्षीण होना; निचुड़ना बोबुं स० क्रि० धोना । [ धोई काढवं, नालबुं : | = सख्त मरम्मत करना; पीटना (२) पानी फेरना; निकम्मा कर देना (३) (वृत्तिको) मनमेंसे दूर करना (४) निंदा करना । घोई पीवुं = ( किसी चीज़ को ) निकम्मा घरा रहना ( २ ) सिर चढ़ना; कुछ न समझना . ] घोळ (घा) पुं०; न० गीतका एक प्रकार घोळवूं (धाँ) स० क्रि० चूना पोतना; सफ़ेदी करना । [ धोळी आवबुं = कार्य सिद्ध करना; प्राप्ति करके आना (२) (कटाक्षमें) कार्य-सिद्धि न होना. ] घोळाई (घाँ) स्त्री० चूना पोतनेकी मजदूरी; पुताई = घोळां (घाँ) न० ब० व० पके हुए बाल घोळं (घ) वि० सफ़ेद ; उजला । [बोळा उपर काळं करवुं = लिखना (२) atfat धब्बा लगना । धोळे बहाडे = दिन-दहाड़े ; खुले आम . ] घोळंघव, घोळंफक (ग), घोळंबल ( धाँ) वि० बिलकुल सफ़ेद घोंस ( धॉ०) स्त्री० हल्ला ध्राश (स) को पुं० घड़क; दहशत ध्रुजाट पुं०, ध्रुजारी स्त्री० कंप; थरथराहट; कँपकँपी जारी पुं० देखिये 'धुजारी' ध्रुजाव स० क्रि० कँपाना ध्रुसको पुं० रोदन; रुदन धूजव स० क्रि० कॅपाना; हिलाना धूजयं अ० क्रि० काँपना; थरथराना For Private and Personal Use Only Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म पुं० 'त' वर्गका-दंतस्थानीय पांचों व्यंजन (२) अ० न; नहीं; मत नई (न') स्त्री० लोकी (बेल) नई (न') न. लौकी; पिया नई तालीम स्त्री० नई तालीम; बुनि यादी तालीम [बेशर्म [ला.] मकटुं वि० नककटा; नकटा (२) नकतो पुं० मनकी तरंग; अनूठी कल्पना; धुन (२)नुकता; बिंदी मकरं वि० जो महसूलसे मुक्त हो; निःशुल्क; करमुक्त (२) मुक्त; निर्लेप : (३)निरा; निपट नकल स्त्री० नकल; प्रतिलिपि (२) नक़ल; अनुकरण; स्वांग (वेश, वाणी आदिका) (३) मनगढंत कहानी; मनकी उपज नकली वि० नकली; कृत्रिम ; बनावटी । (२)पुं० बहुरुपिया (३) मसखरा नकशी स्त्री० नक्काशी; नकाशी नकशीकाम न० बेल-बूटे खोदने या चित्र बनानेका काम; नक्काशी नकशीदार वि० नक्काशीदार; नक्शी नकशो पुं० नशा, नकशा नकामु वि. निकम्मा; अनुपयोगी (२) अ० व्यर्थ; अकारण; नाहक नकार पुं० नकार नकारवं सक्रि० नकारना [रयुक्त नकारात्मक वि० निषेधात्मक; नकानकार वि० बुरा हीन (२)जिद्दी मकयो पुं० (सांकल अटकानेका)कोंढा; कुंडा [(उपवास) नकोरो वि० पुं० नहार; निराहार नक्कर वि० जो खोखला न हो; ठोस नक्कारं वि० देखिये 'नकार' . नक्की वि० चौकस; ठीक; निश्चित; तय किया हुआ; नियत (२) भरोसेका; विश्वसनीय (३)अ० जरूर; अवश्य मक्कूर वि० देखिये 'नक्कर नक्कोरडो वि० पुं० देखिये 'नकोरडो मल पुं० नख ; नाखून (२) नाखून (पशु, पक्षीका)। [-जेटलुं = बहुत छोटा; सूक्ष्म (२)महत्त्वहीन; नगण्य.] मसराळ, नखराखोर, नखरांबाज वि. नखरेबाज नस न० नखरा; नाज-अदा; हावभाव मखली स्त्री० स्त्रियोंका कानका क गहना नसाव, सक्रि० डलवाना नसावं अ०क्रि० 'नाखवू'का कर्मणि; डाला जाना (२) दुबला हो जाना; निचुड़ना मलियुं न० नाखून काटनेका एक साधन; नहरनी (२) रग निकाली हुई फली (३) नाखूनकी खरोंच; नखक्षत नसी वि० तीक्ष्ण नाखूनवाला; नखी (२) स्त्री० मढ़ा हुआ नाखून (३) मिज़राब (४) नाखून काटनेका एक साधन; नहरनी; नाखून-तराश मसेतर, नखेद वि० अशुभ . मलोद न० कुलका उच्छेद (२) सत्यानाश; उच्छेद। [-%निर्वश होना; घर उजड़ना (२) सत्यानाश होना। -वळq=पूरी पामाली होना; मटि For Private and Personal Use Only Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मलोदियु यामेट होना । -चाळं = पूरी पामाली करना; घर घालना.] नलोदियुं वि० विनाशकारी ; उच्छेदी (२) बाँझ; निःसंतान ( ३ ) न० निर्वंशका धन [ नखक्षत नलोरियुं न० नाखूनकी खरोंच ; नहला; नगणुं वि० एहसान - फ़रामोश; कृतघ्न नगद वि० नक़द ; नक्व ( रक़म ) (२) क़ीमती (३) ठोस; संगीन । [-धराक = मालदार व्यक्ति | नाणुं = वह जायदाद जिसकी कीमत कभी भी रोकड़में मिल सके ; नक़द . ] नगद नारायण पुं० नक़द रक़म ; रुपया (२) वि० घनी; मालदार ( ३ ) ( व्यंगमें) कंगाल ( आदमी ) नगद माल पुं० मलीदा जैसा तर भोज्य पदार्थ ; माल नगदी वि० देखिये 'नगद' नगरी स्त्री० नगरी; शहर (२) वि० नगरका ; शहरका नगदं वि० कृतघ्न (२) बेशर्म (३) निगुरा नगाई न० नगाड़ा; नक्कारा नगीन न० रत्न; नगीना [ पुरुष, विश नगीनो पुं० नगीना; रत्न (२) चतुर नगुणुं वि० देखिये 'नगणं' arite स्त्री० एक वृक्ष ; निर्गुडी; सिंदुवार नग्म वि० नग्न; मंगा (२) खुला; स्पष्ट (३) बेहया ; निर्लज्ज [ला. ] नवरोळ वि० बेहया ; चिकना पड़ा - (व्यक्ति); जड (२) बेफ़िक्र ; लापरवाह नचवधुं स०क्रि० 'नाचवुं' का प्रेरणार्थक; नचाना नाचत वि० निश्चिन्त; बेफ़िक्र मधूको पुं० देखिये 'नकूचों' म वि० अलग; जुदा २६९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नजीबु मछूटके अ० लाचार होकर नाचार नजदीक अ० नजदीक ; पासमें मजर स्त्री० नजर; भेंट | [-कर नजरके रूपमें कोई चीज भेंट करना. ] नजर स्त्री० नजर; दृष्टि (२) ध्यान (३) बुरी नजर लगना ; नजर [ला. ] । [-करवी = नजर करना; देखना (२) कृपा करना । -धालवी - चित्त देना; मन लगाना ( २ ) न्याय या नीतिकी भावना न रखना; नीयत बिगाड़ना । —-पालवी = देखिये 'नजर पहोंचवी' । - चोंटवी = नजर लगना (२) दिलमें बैठना ; ध्यानमें आना। -पडवी = दिखाई देना; देखना। -पहोंचवी : दिखाई देना; दीखना (२) अक्लका काम करना; सूझ-बूझ होना । -मां आव = पसन्द आना । —मां बालबुं = ध्यानमें रखना ( २ ) नुक़सान पहुँचानेकी ताकमें घूमना; घातमें रहना । -लागवी = नजर लगना. ] = नजरकेद स्त्री० नजरबन्दी; नजरकैद नजरचूक स्त्री० नज़रमेंसे छूटी हुई चूक या ग़लती नजरबंधी स्त्री० जादूसे लोगोंकी नजर बांधना ; नजरबन्दी; stoबंदी नजराणुं न०, ( - पो) पुं० नजराना; भेंट; नज़र... [ लगता नजराबुं अ० क्रि० नजराना नजर मजरियुं न० नज़र न लगे इसलिए किया जानेवाला काजलका चिह्न या तावीज आदि टोटका; डिठीना नजरोनजर अ० नज़रके सामने; प्रत्यक्ष नजीक अ० नज़दीक; पासमें [ थोड़ा मजीतुं वि० नाचीज; तुच्छ (२) बरा; For Private and Personal Use Only Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मट नट पुं० नट अभिनेता (२) रस्सीपर नाचनेवाला; नट (३) एक राग; नट नटखट वि० नटखट ; धूर्त; खटपटिया नठारं वि० बुरा; हीन मठोर वि० जिसपर कहने-सुननेका असर न हो; बेहया; चिकना घड़ा (व्यक्ति) [ प्रेतबाधा; छूत नडतर स्त्री० अड़चन; रुकावट (२) नड स०क्रि० बाधा डालना; पीड़ा देना नणदोई पुं० ननदोई नणंद स्त्री० ननद; ननंद; नंद नत्रवायु पुं० नाइट्रोजन (गैस) नब (०डी, ०णी, ०नी) स्त्री० नाककी बाली; नथ नयी अ० क्रि० नहीं है नदी स्त्री० नदी; दरिया नवीमाळु न० छोटी नदी या नाला मणियातुं, नघणियं वि० बिना मालिक का (२) लावारिस ननामी स्त्री० अरथी; ठठरी; ठटरी मनामुं वि० बग़ैर नामका (२) जिसमें लिखनेवालेके दस्तखत न हों; गुमनाम ननो पुं० नकार नपाट वि० खराब ; गंदा ; भद्दा मपाणियुं वि० बिना पानीका; जिसमें पानी न हो ( २ ) जो बिना सींचे विकसित हुआ हो ( ३ ) बेशऊर ; बेसलीक़ा नपास वि० फेल; अनुत्तीर्ण नपुंसक वि० नपुंसक लिंगका ( व्या.) (२) पुरुषत्वहीन (३) पुं० हिजड़ा; नपुंसक; हीजड़ा नफक वि० बेफ़िक्र; निश्चित नफट वि० बेशर्म ; निर्लज्ज नफटाई स्त्री० निर्लज्जता ; बेशर्मी २७० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नम नफालोर वि० नफ़ा उठानेकी वृत्तिवाला; नफ़ाखोर [वृत्ति; नफाखोरी नफाखोरी स्त्री० ज्यादा नफ़ा चाहनेकी मफिक वि० देखिये 'नफकरूं' नफो पुं० नफ़ा; मुनाफ़ा ; लाभ; प्राप्ति नफोतोटो पुं० लाभ-हानि (२) नफ़ाटोटा निकालनेका हिसाब; गणितका एक भाग; 'प्रोफिट एन्ड लॉस' नबलाई स्त्री० निर्बलता ; कमजोरी मबळं वि० निर्बल; कमजोर नवापुं वि० बिना बापका (२) बिना - बापका; यतीम ; अनाथ (बच्चा) नवीरो पुं० बेटे या बेटीकी संतान मभमंडल ( - ळ ) न० आकाशमंडल; खगोल नभबुं अ० क्रि० निभना; टिकना (२) निर्वाह होना; पुसाना; निभना ( ३ ) कामचलाऊ होना; काम चलना; निभना नभाव पुं० निबाह; गुजर; निर्वाह नभावकुं स० क्रि० निभाना; निबाहना नभोमंडल ( - ) न० देखिये 'नभमंडल' नमक न० नमक; नोन नमण न० झुकना; नत होनेकी क्रिया (२) देव पूजाका जल नमणुं वि० झुका हुआ; नमित ( २ ) व; टेढ़ा (३) सलोना; सुन्दर; बांका (नाक) [ला. ] ममतुं वि० नीचे की ओर झुकता या ढळता हुआ; नीचा (२) एक ओर नीचे शुकता हुआ (तराजूका पलड़ा ) (३) ढीला ; नर्म (४) नम्र; विवेकी ( ५ ) न० दबना; पीछे हटना; हार स्वीकार करना । [ - आप, जोखवं, मूकबुं = तौलमें ज्यादा देना ( २ ) अपना आग्रह For Private and Personal Use Only Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नम छोड़ देना; बात नीचे डालना; गिरकर सौदा करना; राम खाना; ढील देना (३) हार क़बूल करना; लोहा मानना । नमतो दिवस = ढलता दिन (२) पतनका समय; बुरे दिन । नमतो पहोर = सूर्यास्तकी ओर ढलता समय.] नमवं स० क्रि० झुकना; नत होना (२) नमन करना (३) नम्र बनना (४) ताबे - अधीन होना; शरणमें जाना [ला. ] । [ नमी पडबुं = माफ़ी माँगना; ताबेदार होना; शरणमें जाना. ] नमायुं वि० बिना माँका (बच्चा) नमारमूंड वि० निठल्ला; बेकार (२) निरंकुश (३) बेघरबारका; निगोड़ा नमालं वि० जिसमें कुछ दम या शक्ति न हो; बिना बिसातका [ तरीन नमूना (ने) वार वि० उत्तम; बेहनमूनो पुं० नमूना; बानगी ( २ ) वह असल प्रति या चीज़ जिस परसे नक़ल की जाय; मूल प्रति नम्युं वि० झुका हुआ; नत ( २ ) न० दबना; पीछे हटना । [ - आप = बात नीचे डालना; ग़म खाना; ढील देना (२) हार क़बूल करना. ] नर पुं० नर; पुरुष; मर्द (२) मनुष्य (३) चूल (किवाड़की) [ मल नरक न० नरक; दोज़ख (२) विष्ठा; नरगिस, नरगेश न० नरगिस नरधुं न० बायाँ; तबला [ [व्या.] नरजाति स्त्री० पुरुषवर्ग ( २ ) पुंलिंग नरणुं वि० नहार; निराहार नरतुं वि० खराब; गंदा; निकृष्ट नरदम वि० निरा; शुद्ध; एक ही क़िस्मका ; खालिस (२) अ० निरा; बिलकुल २७१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवटांक नरम वि० मुलायम; कोमल ( २ ) नम्र; विनययुक्त (३) नर्म; ढीला (४) निर्बल, कमजोर नरमाई स्त्री० नर्मी नरमावा न० ब० व० नर और मादा (२) कुलाबेकी जोड़ी; क़ब्ज़ा नरमाश स्त्री० नर्मी; नम्रता नरमो पुं० एक प्रकारकी कपास ; नरमा नरवा (वा' ) पुं० देखिये 'नरवो' नरवं वि० तंदुरुस्त ; निरोग (२) अ० निरा; निपट; एकदम नरवो (वो' ) पुं० क़ायमी बंदोबस्तवाली जमीन ( २ ) ज़मीनका वंशपरंपरासे प्राप्त कारबार नरस ( -सुं) वि० नीरस ( २ ) बुरा; गंदा नराज स्त्री० रंभा ; सब्बल नराणी स्त्री० नहरनी ( नाईकी ) नाताळ अ० देखिये 'नरदम'; निपट न वि० निरोग (२) अ० बिलकुल ; निरा नरेणी स्त्री० देखिये 'नराणी' नयुं वि० निरोग (२) अ० बिलकुल ; निरा; निपट नल पुं० देखिये 'नळ ' नव वि० नया; नूतन; नव नव वि० नव; नौ; ९ । [ -गजना नमस्कार करवा = से दूर भागना; दूरसे टालना । नेजां थवां, नेजां पाणी ऊतरयुं = भारी संकट आ पड़ना; गत बनना.] नवज ( - जु) वान वि० नौजवान; नवयुवक (२) पुं० नवयुवक नवजोबन न० चढ़ती जवानी; नवयौवन rain वि० छटांक (२) न० छटाँक; छटंकी (बाट) For Private and Personal Use Only Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org raiकि racint स्त्री० reateयुं न०, छटiककी नाप या बाट; छटांक नवडावj (न) स०क्रि० नहलाना (२) ठगना; नुक़सान करना; पानी फेरना नवतर (--) वि० नया; नवीनतर नवनेजा पुं० ब० व०; स्त्री०, नवनेजां न०ब०व० महासंकट नवमी स्त्री० नवमी (२) वि० स्त्री० नवीं नवराई स्त्री० फ़ुरसत; निठल्लापन नवरात (०२) स्त्री० चैत्र और आश्विनशुक्लकी पहली नव तिथियाँ ; नवरात्र नवराव (न) स० क्रि० देखिये 'नवडावj' नवराश स्त्री० देखिये 'नवराई' नवरं वि० बिना काम-धंधेका; जो खाली बैठा हो; निठल्ला ; बेकार (२) कामसे फ़ारिग़; निवृत्त नवसंधूप वि० बिलकुल बेकार नवरोज पुं० वसंत ऋतुका समान दिन और रातवाला दिवस ( २ ) पारसियोंके वर्षका पहला दिन ; नौरोज नवल स्त्री० उपन्यास; नावल नवलकथा स्त्री० उपन्यास; नावल नवलख वि० नौ लाखकी क़ीमतका (२) अगणित ( ३ ) अमूल्य 'नवलिका स्त्री० छोटी कहानी; कहानी मवलोहियुं वि० जिसकी नसोंमें नया लहू बह रहा हो; जवान - नवशिखाउ वि० नौसिखुआ; सीखतर नवशेकुं वि० थोड़ा गर्म ; कुनकुना नवसा (०) र पुं० नवसार; नौसादर (क्षार) नवस्त्रं वि० नंगा; विवस्त्र नबाई स्त्री० नयापन; नवीनता ( २ ) अचरज (३) अपूर्वता; अद्भुत २७२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवेलि नवाज स०क्रि० प्रेमपूर्वक स्वागत करना; अभिवादन करना ( २ ) भेंट देना नवाजिश स्त्री० नवाजिश; कृपा (२) भेंट उपहार ९९ नवाजूनी स्त्री० ताजी खबर ( २ ) उथल-पुथल; भारी उलट-पलट नवाजेश स्त्री० देखिये 'नवाजिश' नवाण (न') न० जलाशय नवाणु ( - ) वि० निम्नानबे ; निम्नानवे; [ लावारिस नवारस (सु, सुं, - सियूं) वि० नपुं वि० नया; नवीन; नूतन; अपूर्व (२) तुरतका; ताज़ा; शुरूका ( ३ ) नौसिखुआ; अनुभवहीन; अपरिचित; कच्चा (४) अपूर्व; अजनबी (५) जिसका उपयोग पहले न किया हो; कोरा ; अछूता ( ६ ) बदला हुआ; नया; स्थानापन्न (७) नये सिरेका । [नवी आंखे = नये जमानेकी नजरसे (देखना) । लोही = जवानीका जोश । नवे जन्मे आवj = भारी आफ़त या जानलेवा बीमारीसे बचना | नवे नाम = नये सिरेसे. ] [ उथल-पुथल हो नवंजूनुं वि० जिसमें भारी हेर-फेर या ननक्कोर वि० बिलकुल नया नवं सवं वि० तुरतका; हालका ; ताजा (२) अपरिचित; अज्ञात नवेण (न' ) स्त्री० रसोईघर; चौका ( २ ) वह स्थिति जिसमें भोजनसे पहले किसीको छुआ न जाय नवेली स्त्री० नवोढा; दुलहिन नवेसर ( ० थी) अ० नये सिरे से मवेळियूं (न') न० सँकरी, तंग गली; सकियारी (२) घरके पिछवाड़ेकी गली; अंतरिका For Private and Personal Use Only Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवेळी २७३ मवेळी (न') स्त्री० देखिये 'नवेळियु' ने भागळ जहाँ जाजो वहाँ कम(२) पानी जानेकी नाली नसीबी, दुर्भाग्य पेश आयेगा। (बोईन) मळू (न') न० देखिये 'नवेळियु' च% किसी पर माधार रखना. नर्वेबर पुं० नवंबर मसेक स. क्रि० देखिये 'मसीक' नव्याशी (-सी) वि० नवासी; ८९ नसोतर न० एक वनौषषि; निसोय मबाणु(-)वि० देखिये 'नवाणु'; ९९ मस्तर न० नश्तर (क्रिया और औजार) मशालोर, नशाबाज वि० नशाखोर; नहार म० कुत्तेकी जातका एक हिंसक. नशेबाज पशु; सोनहा नशो पुं० नशा; कैफ़ नहि म० न; नहीं नस स्त्री० नस; रग (२) पत्तेका रेशा; नाहितर अ० नहीं तो; वरना; अन्यथा रग।[-परवीनस-नस पहचानना; नहि न० नाखूनसे सटी हुई चमड़ीअसलियत, मूल कारण, प्रकृति या वाला भाग . खरी बात खोज निकालना. नहिवत् १० नहींवत् परासा नसकोरी स्त्री० नाकके भीतरकी मुला- नहीं अ० देखिये 'नहि यम चमड़ी (२) नकसीर । -यन । महीतर अ० देखिये 'नहितर फूटवी= नकसीर भी न फूटना; बाल । नहेर (न्हें) स्त्री० नहर भी बांका न होना.] [नाक महोतुं (न्हों) अ० कि० नहीं था । नसको न० नाकका छेद; नथुना (२) नहोर पुं० पंजेका नाखून; नल (२) मसवाण वि० अशक्त; ढीला; निहाल नखक्षत; नहट्टा [आजिपी नसार स० क्रि० 'नासवु' का प्रेरणा- नहोरा पुं०१०व० निहोरा; चिरीरी; र्थक रूप; भगाना। [नसाडी न= मळ पुं० पेटकी बड़ी मात; नला (२) दूसरेकी औरतको भगाकर ले जाना; पाईप ; नल (३)नल राजा। -एटी भगाना.] बबादस्त लग जाना; पेट छूटना। मसियत स्त्री० नसीहत; सीख (२)सजा -भरावा=आंतोंमें सूजन आना; बातें नसीक स० कि० सिनकना; छिनकना फूल जाना.] नसीब न० नसीब; भाग्य ।[-अज नळाकार वि० नलाकार मावq=नसीब आजमाना।-उधर, नळियु न० नरिया; खपरैल; खपरा खूल, जागवू = नसीब खुल जाना, नळी स्त्री० फुकनी; नरी (२) एक चमकना, जागना, सीधा होना। -नुं ऊँचा नलाकार बरतन; ऊँची नांद ऊंधू,-फूटलं = कमनसीब । -नुं पांबडं जैसा बरतन फरवू = भाग्योदय होना; नसीब नळो पुं० बड़ी नली (२) पैरकी लंबी पलटना। -फरवू = बुरेसे अच्छे दिन हड्डी; नला (३) घुटनेसे लेकर पेट आना; भाग्योदय होना; नसीब तकका हिस्सा (४)धातुका बड़ा नलापलटना । -फूटq= नसीब फूटना; कार बरतन [रूप; डलवाना किस्मत बिगड़ना। ये उगला आगळ नंताव सक्रि० 'नांखवु'का प्रेरणार्थक गु. हिं-१८ For Private and Personal Use Only Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मंखा चावं अ०क्रि० 'नांखं' का कर्मणि; डाला जाना (२) दुबला हो जाना; निचुड़ना (३) के करना । [ नंखाई जयं = (शरीर ) अत्यंत दुर्बल, कमजोर होना; नस ढीली होना; हौसला पस्त होना; दिल टूटना.] नंग न० एक बीज; नग; अदद ( २ ) हीरा; नग (३) [ला. ] मूर्ख (४) धूर्त मनुष्य [ चीजको ) ०क्रि० तोड़ना (प्रायः काँचकी म०क्रि० टूटना ( प्राय: कांच की चीका ) [ निंदा करना नंदधुं स० क्रि० देखिये 'नंदघवं ' (२) नंदवं अ० क्रि० आनंदित होना ना अ० नहीं, न; मत ( २ ) स्त्री० नकार । [ -संभळाववी = इनकार करना; निषेध करना. ] नाउमेद वि० नाउम्मेद; निराश नाक न० नाक ( २ ) [ला.] आबरू; नाक । [-कंधुं करबुं = घमंड-गर्व करना; इतराना । — कपाई जवुं = नाक कटना । —कापवुं = नाक - कापे एवं = भोथरा ; कुंद; खुंडा । - घसवुं = नाक घिसना ; नाक रगड़ना । -नी दांडीए = नाककी सीधमें । -पर माख बेसवी = नाक पर मक्खी बैठना । - मरडवुं = नाक सिकोड़ना । -मां ऊंट चालवां, पेसवां = खूब गर्व होना; ऐंठना । —लोटी ताणवी = नाक रगड़ना, घिसना.] नाककट्टु वि० नकटा; नककटा (२) बेहया ; नकटा काटना । नाकलीटी स्त्री० नाक रगड़ना; नाकघिसनी ; नकघिसनी [ बंधी ' नाकाबंदी ( -षी) स्त्री० देखिये 'नाके - २७४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नामर नाकुं न० छेद (२) सूईका छेद ; नाका; आँख (३) जकात वसूल करनेका स्थान; नाका; चुंगीघर ( ४ ) जहाँ बहुत रास्ते मिलते हों वह स्थान; एक तरहका चौराहा (५) रास्तेका सिरा, मोड़ या प्रवेशद्वार ; नुक्कड़; नाका (६) गाँव प्रवेशके लिए लिया जाता कर; चुंगी ; राहदारी नाकेदार पुं० नाकेदार ; राहदार नाकेबंधी स्त्री० नाकाबंदी; नाकेबंदी नाम स० क्रि० देखिये 'नांखवुं' नासुदा पुं० जहाजका कप्तान; नाख़ुदा नाखोरी स्त्री० देखिये 'नसकोरी' नालोदं न० नाक नागकेसर न० एक वनौषधि; कबाब - चीनी ; नागकेसर नागडं वि० देखिये 'नागुं' नागडो पुं० साधुओंका एक सम्प्रदाय; नागा (२) साधु ( तिरस्कारमें) (३) धूर्त व्यक्ति [ला. ] नागण ( - णी) (ण) स्त्री० नागिन ; नागन (२) एक गहना नागणुं न० बरतन उठानेके लिए लगाया जानेवाला सरकीली गाँठवाला रस्सीका घेरा; फंदा ; अश्विन ( २ ) मथानीकी रस्सी; नेती (३) हलसे जुआ बाँधनेकी रस्सी ; नागल नागपांचम (म) स्त्री० नागपंचमी नागर वि० नागर; नगर - संबंधी ( २ ) सभ्य (३) चतुर; नागर ( ४ ) नागरकी जातिका (५) पुं० नागर जातिका व्यक्ति; नागर (६) (व्यंगमें) हरिजन ; मेहतर (७) स्त्री० सोंठ ; नागर नागरडी ( - ण) स्त्री० नागरकी स्त्री नागरणुं न० देखिये 'नागणं' For Private and Personal Use Only Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धूर्तता नागरमोथ २७५ नात नागरमोथ (थ,) स्त्री० नागरमोथा पोला डंठल; नाल (४) [ला.] वृत्ति; नागरवेल(-ली) (ल,)स्त्री० नागरबेल झुकाब (५) लगाम; काबू (६) गरनागरिक वि० नागरिक; नगरका (२) दन। -जोवी = नाड़ी-परीक्षा; नम्ज पुं० नगरवासी; शहरी (३) राष्ट्रका पर उँगली रखकर देखना (२) मनोआम आदमी; नागरिक, 'सिटिज़न' भावोंका झुकाव देखना. नागली स्त्री० एक मोटा अनाज; नाचनी नारण न० जुआ बाँधनेकी रस्सी; मागाई स्त्री० निर्लज्जता; बेशर्मी (२) नागल; नाषा; नारी नागछडी स्त्री० दो या ज्यादा रंगोंके नागुं वि० नग्न; विवस्त्र; मंगा (२) सूतको डोरी; नारा; नाड़ा अलंकारहीन ; शोभाहीन ; खाली; मंगा। नारी स्त्री नाड़ी; नब्ज (२) छोटी (नाक, कान आदि) (३) ला.] डोरी; नाड़ा बेशर्म (४)धूर्त; काइयों। [-ओलवू मार्ड न० छोटी डोरी; नाड़ा (२) = बीभत्स बोलना (२) मुकर जामा; लाक रंगका डोरा; रक्षासूत्र; नाड़ा झूठ बोलना.] (३)नेफ़ेमें डालनेकी डोरी या फ़ीता; नागंपूगं वि० नंग-धडंग; नंगा-मुंगा नाड़ा; इजारबन्द (४)जूड़ा बाँधनेका नागोडियुं वि० नंगा; नग्न डोरा; चोटी (५) हंद; मर्यादा । नाच पुं० नाच, नृत्य या उसका जलसा। [-छोडq = पेशाब करना (२)बदै या किरवा तमाशा करना (२)(मनमें) तनाव ढीला करना] [आवमाना अलग अलग तरंग करना। -नचाववा नाण, स० क्रि० परखना; कसमी; = नाच नचाना. .. . नाणाकीय वि० आर्थिक; माली नाच, अ० कि० नाचना ....... नाणाबजार न० सराफ़ोंका बाजार; नाछूटके अ० नाचार; लाचार होकर सराफ़ा (२) जौहरी बाजार नाजर पुं० अदालतका एक अधिकारी माणाभीर स्त्री० पैसेकी तंगी; तंगदस्ती; 'नाजिर' (२) हिजड़ा; हीजड़ा . अर्थ- कष्ट नाजुकाई स्त्री० नजाकत; लताफ़त नाणामंत्री पुं० अर्थसचिव; वित्तमंत्री नाटक न० नाटक; दृश्य-काव्य (२) नाणावटी पुं० सराफ़ (२) मालदार [ला.] भद; फ़ज़ीहत (३) ढोंग व्यक्ति नाटकचेटक न० हास्य-विनोद; नाटक- नाणाशास्त्र न० अर्थशास्त्र चेटक [(२)ढोंगी [ला.] नाणाशास्त्री पुं० अर्थशास्त्र जाननेनाटकी वि० नाटक जैसा; नाटकीय वाला; अर्थशास्त्री; वित्तप्रबंधक नाटिका स्त्री० छोटा नाटक; नाटिका नाणां म०ब०व० पैसा; धन (२)मूल्य नाठाबारी स्त्री० भागनेकी खिड़की, नाणुं न० चलता सिक्का; मुद्रा (२) मार्ग या उपाय; चोर दरवाजा धन; पैसा; अर्थ नाड (ड,) स्त्री० नाड़ी; नब्ज; रग (२) नात (त.) स्त्री० ज्ञाति; बिरादरी; चमड़ेकी रस्सी; नाधा (३) कमलका __ जाति; एक ही कुल, जाति या वर्गका For Private and Personal Use Only Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मातजात www.kobatirth.org (२) जातिवालोंको जनसमुदाय दिया हुआ भोज । [-बहार मूकबुं = •बिरादरीसे खारिज करना; जातिच्युत करना. ] = नातजात स्त्री० जात-पाँत नातरिपुं वि० जिसने करावा किया हो; करावा - संबंधी (२) जिसे करावा करनेकी छुट्टी हो (व्यक्ति, जाति आदि) (३) जो एक क़िस्मंका न हो; बेमेल नातरं न० नाता; संबंध; उदा० 'गाम नातरे भाई (२) बेवा या त्यक्ताके • साथ पुनर्विवाह; करावा; समाई (३) बेमेल जोड़ा (चीज) । नासरे जयं करावा करना; (किसीके ) घर बैठना । मातरे लावयुं = बेवा या त्यक्ताका पाणिग्रहण करना; घरमें डालना . ] नातबरो पुं० जाति-भोज नाताल स्त्री० ईसाई त्यौहार ; क्रिसमस नातील वि० जातिका; बिरादरीका नाम स्त्री० बैल वगैरहकी नाकमें पहनाई जानेवाली रस्सी; नाथ ( २ ) (नाककी) नथ (३) जमीनकी घुलाई रोकनेके लिए बांधी जाती मेंड़ ! बाँध ; पाल [ रस्सी; तभी नावनुं न० तराजूके पलड़े बाँधनेकी नाथ स०क्रि० (बैलको) नाथ पहनाना; नाथना ( २ ) बसमें करना; नाथना (३) चाल सिखानेके लिए फेरना; - सधाना ; निकालना नाद पुं० नाद; घोष ; ध्वनि; आवाज (२) वाचा या वर्णोंके उच्चारणमें एक प्रकारका बाह्य प्रयत्न; नाद (३) [ला.] आदत; चसका (४) लौ; धुन; लगन (५) गर्व । [ -ऊतरबो = गर्व टलना, उतरना; घमंड चूर होना । २७६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाम = -मां पड, -लागयो, नादे चडं : लत लगना; धुन सवार होना; लगन लगना.] नादार वि० नादार; ग़रीब (२) जिसका दिवाला निकला हो या जिसने दिवाला निकाला हो; दिवालिया (३) पुं० दिवालिया [ दिवाला नादारी स्त्री० नादारी; ग़रीबी ( २ ) नानकडुं वि० नन्हा; छोटा नानखटाई स्त्री० नानखताई नानप (ना') स्त्री० कमी; क्षति; खोट (२) कुटुंबमें बड़े आदमीका न होना नानपण (ना) नं० बचपन; छुटपन नानम (ना) स्त्री० छोटापन; छोटाई (२) कमीनापन; ओछापन ( ३ ) कमी; खामी; क्षति (४) देखिये 'मानप' नं. २ नामुं (ना) वि० छोटी उम्रका; छोटा ; कमसिन (२) क़दमें अल्प; छोटा (३) हलका ; ओछा [ला. ] । [नाना बापनुं = हीन कुलका । नाने मोंए = छोटे मुँह.] नासूनं वि० मामूली; साधारण ; नाचीज नान्यतर वि० नपुंसक लिंगका [व्या. ] नापसंदगी स्त्री० नापसन्दगी ( २ ) मान्य न होना; मान्यता न देना [ संद नापास वि० देखिये 'नपास' (२) नापनाम न० नाम (२) ख्याति; नाम (३) स्मारक; यादगार; नाम ( ४ ) किसी व्यक्ति, वस्तु आदिका संज्ञारूप शब्द संज्ञा; नाम । [ -करवं काढवु = ख्याति प्राप्त करना; नाम करना ( २ ) [ला.] बदनाम होना; नाम डूबना । —जवा देवुं = नाम न लेना; ( किसीसे) बहुत अधिक बचना; प्रसंग तक न छेड़ना । देवं, For Private and Personal Use Only Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नामचीन लेबुं = ( किसीका) नाम लेकर कहना ; पुकारना; बुलाना (२) [ला. ] चुनौती देना; परेशान करना; सताना; रूबरू कहना या कुछ करना; नाम लेना । -बोळबुं = नाम डुबाना । —मूक = नाम न लेना । नामे चडावकुं = ( को ) हक़दार बनाना; दस्ताबेज या क़रारमें उसका नाम लिखवाना; ( किसीके ) नाम पर किसीके नाम । नामे मांडवु, नामे लखवं = बहीमें ( किसीके ) नाम रक़म लिखना; के पास इतने रुपये हैं यह लिखना ; नामे लिखना. ] नामचीन नामजादुं वि० नामी ; प्रसिद्ध नामजोग (जी) वि० अंदर जिसका नाम लिखा हो उसे ही मिले ऐसा (हुंडी ) नामठाम न० नाम और पता ; सिरनामा नामदार वि० नामदार; नामवर ( २ ) माननीय [ धातु; नामधातु [व्या.] नामधातु पुं० संज्ञापदसे बनायी हुई नामधारक, नामधारी वि० नाम धारण करनेवाला; नामधारी; नामधारक (२) नामधारी; झूठा; ढोंगी नामना स्त्री० नाम; कीर्ति; नामवरी नामनिशान न० नामनिशान; नामोनिशान ; 1 नामनुं वि० नामक; नामका (२) कहनेभरको नाममात्र ; नामधारी नाममात्र वि० कहनेभरको नाममात्र नामयोगी वि० संबंधसूचक (अव्यय) [व्या. ] [ होना नामरजी स्त्री० अनिच्छा; मरज़ी न नामराशि वि० एक नामका ; एक राशिके नामवाला नामर्द वि० नामर्द; डरपोक नामवई, नामर्दी स्त्री० नामर्दी ; भीरुता २७७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाल नामबुं स०क्रि० झुकाना; नवाना [ प . ] (२) उड़ेलना; गिराना (३) अ० क्रि० मुड़ना; की ओर जाना नामंजूर वि० नामंजूर; अस्वीकृत नामांकित वि० प्रख्यात; नामी-गिरामी नामी (०धुं) वि० नामी ( २ ) सुन्दर नामुं न० जमा-खर्चका हिसाब; हिसाबकिताब; लेखा (२) हक़; लाग (३) वर्णन; गाथा; उदा० शाहनामुं । [-कर = ( - के यहाँसे) उधार लाना, लेना | चाल = ( - के यहाँसे) उधार माल लानेका व्यवहार होनां.] नामे अ० के नाम; के खाते नामोशी स्त्री० बेइज्जती; लोडन; नामुसी [ जातिका आदमी नायको पुं० सुरत जिलेकी आदिवासी नाडी स्त्री० ( पहियोंकी) नामि; चक्रनामि ; पिंडी ( २ ) नारी; नाषा नारंगी वि० नारंगीके रंगका; नारंगी (२) स्त्री० नारंगी ( फल और पेड़) नाराज वि० माराज; रंजीदा ; नाखुश नाराजगी, नाराजी स्त्री० नाराजी; नाखुशी नारियेळ न० नारियल; श्रीफल नारियेळी स्त्री० नारियलका पेड़; नारियल [ मा; नारियल पूर्णिमा नारियेळी पूर्णिमा स्त्री० श्रावणी पूर्णि नारीजाति स्त्री० स्त्रीजाति (२) स्त्रीलिंग [ व्या. ] मारु पुं० नाई, बारी, बढ़ई आदि लोग; पौनी; नेगी- जोगी (२) पौनीका लाग या नेग नादं (ना' ) न० पके हुए जरूममें बना हुआ गहरा छिद्र ( २ ) नहरुआ ; नारू नाल स्त्री० नाल (कमल आदिकी डंडी) For Private and Personal Use Only Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नालायकी नालायकी स्त्री० अयोग्यता नालेशी ( -सी) स्त्री० निंदा; बुराई; दगोई २७८ नाव स्त्री० नाव । [चलाववं, ठेलबुं गृहस्थी चलाना; घर सँभालना. ] - नावडी स्त्री० डोंगी; किश्ती ; छोटी नाव नावसुं न० छोटी नाव; डोंगी नावण (ना' ) न० नहान; स्नान ( २ ) - नहानेका पानी (३) रजस्वलाका सहाना; ऋतु-स्नान (४) रज; आर्तव नापणियं (ना) न० नहानेकी जगह; हम्माम : नावाकेफ वि० नावाक़िफ़ ; अनजान नाविक पुं० नाविक; माँझी (२) • कर्णभार; नाविक नावी: पुं० नाई; हज्जाम नाश पुं० नाश; संहार; बरबादी ( २ ) नुकसान; टोटा नाशवंत, नाशवान वि० नाशवान; नश्वर ; भंगुर [ नास; नस्य मास पुं० नाकसे धुआँ या भाफ लेना; मासतपास स्त्री० खोज; तलाश: छानबीन [ पाती नासपाती स्त्री०; न० एक फल; नाशनासंभाग स्त्री० भगदड़ नास अ० क्रि० दौड़ना ( २ ) भागना; पलायन करना (३) पीछे हटना; पिछलना । [ नासतां भोंय भारे पडवी = भागना मुश्किल हो जाना. ] नासानास (सी) ( स ) स्त्री० दौड़ा दौड़ी; दौड़धूप (२) भगदड़ नासि (सी) पास वि० निराश; मायूस ; नाउम्मेद [ रोग नासूर न० नाक और गले आदिका एक नास्तो पुं० नाश्ता; जलपान Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मांस नाहक अ० नाहक़; अकारण ( २ ) बिना हक़; अन्यायसे नाहकनुं वि० व्यर्थ; नाहक़ नाह (ना' वुं ) अ०क्रि० नहाना । [ नाही नाखयुं = - को खत्म, पूरा हुआ या मरा हुआ समझना (२) कोई आशा या रिश्ता न रखना ( ३ ) शोक या चिंता छोड़ देना. ] [ डरपोक नाहिमत वि० पस्तहिम्मत ; बेहिम्मत; नाळ पुं० नाल(घोडे, बैल, जूते आदिका ) नाळ पुं० लंबी, खोखली डंडी या नली; नाल ( २ ) ( गर्भस्थ शिशुका ) नाल; आँवल ( ३ ) स्त्री० सँकरा, तंग रास्ता या गली; गलियारा (४) नरिया खपरा (५) परनाला (६) बंदूककी नली; नाल नाळचं ( - बुं) न० एक सिरेसे बंद बाँसकी खोखली नली; चोंगा नाळियं न० सँकरी, तंग गली या रास्ता ; गलियारा [ 'नारियेळ' आदि नाळियेर, ( - री), (-री पूनम ) देखिये नाळो पुं० पानीमें होनेवाली एक बेल; प्रसारिणी लता; चंद्रपर्णा नांख (०) स०क्रि० डालना; फेंकना ; झिड़कना (२) दूर करना; बाजू पर करना; पड़ा रहने देना; छोड़ देना (३) रखन। ; धरना; डालना; उदा० 'घास अहीं नांखवानुं छे', 'तलवार पर हाथ नाख्यो (४) अंदर डालना, छोड़ना; उदा० 'गोळ नांखो तेटलं गळधुं थाय' (५) कारीगरके यहाँ चीज़ तैयार करानेके लिए सौंपना; दे आना; उदा० 'जोडा, कपडां वगेरे नाख्यां' (६) कर, जकात लगाना । [नांखी मूकवुं, राखवु = चीज खरीद For Private and Personal Use Only Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नांगर कर रख छोड़ना (२) निकम्मी चीजको भी रखे रहना. ] नांगर (०) स० क्रि० लंगर डालना (२) जोतना; नाँधना मिका पुं० निकाह; शादी विवाह निकाल पुं० फ़ैसला ; निबटारा (२) निकलनेका रास्ता ; निकास + निकाश (स) स्त्री० मालकी परदेशमें रवानगी; निकासी; निर्यात निखार पुं० माँड़ी निकालना; निखारना (२) माँड़ी (३) बड़ा भाटा (४) वह स्थिति जिसमें भाटेके बाद बारह मिनट तक समुद्रका पानी स्थिर-अचल रहता है [लना; निखारना fare स० क्रि० धोना; माँड़ी निकानिखालस वि० पाक-दिल; निखालिस निलालसता स्त्री० पाकदिली निगाह स्त्री० निगाह; दृष्टि (२) [ला.] देख-रेख ; ध्यान; खबर; संभाल (३) निगाह ; मेहरबानी । [-राजवी = ध्यान रखना; निगाह रखना; निगरानी रखना ( २ ) मेहरबानी रखना. ] निगाळ पुं० बरतन आदि पर लगा हुआ छींटा; दाग़ (२) गाढ़ा रस (३) छाननेके बाद बचा हुआ कचरा, निधार मिधा स्त्री० देखिये 'निगाह ' निचोड पुं० निचोड़ ( रस, जल आदि ) (२) सार; निचोड़; निष्कर्ष [ला. ] निचोवj स०क्रि० निचोड़ना; गारना (२) निचोड़ना; शोषण करना [ला. ] निचोवायुं अ०क्रि० 'निचोववु' का कर्मणि २७९ नितार पुं० नियार ( तरल पदार्थ ) नितारखं स० क्रि० निथारना fresh अ० निधड़क; बेखटके Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नियम निपजाव स० क्रि० 'नीपजवुं 'का प्रेरणार्थक; उत्पन्न करना निभाडो पुं० देखिये 'निमाडो' निभाव पुं० गुज़ारी; निबाह; निर्वाह (२) आधार; सहारा । [-करवोः जैसे-तैसे पूरा करते रहना; चालू रखना (२) पालन-पोषण करना; निबाहना. ] मिभाव स०क्रि० 'नीभवु' का प्रेरणार्थंक = (२) निबाहना; निभाना ( ३ ) जैसे-तैसे निर्वाह करना ( ४ ) ज्योंका त्यों बनाये रखना; चला लेना; निभा लेना निमक न० निमक; नमक निमणूक स्त्री नियुक्ति; तैनाती (२) पगार; वेतन [लेखापरीक्षण निमताणी पुं० जाँच ; हिसाबकी जाँच निमतानदार पुं० हिसाबकी जाँच करनेवाला; लेखापरीक्षक; अन्वेषक निमंत्रक कुठे निमंत्रक; सभा आदि बुलानेवाला; 'कन्वीनर " निमंत्रण न० निमंत्रण; न्योता; दावत निमंत्र स० क्रि० निमंत्रण, न्योता देना निमंत्री पुं० देखिये 'निमंत्रक' ' निमाडो पुं० आव (२) कुम्हारकी भट्ठी निमार्बु अ० क्रि० नियुक्त होना निमाळी पुं० बाल; केश निमित्त न० कारण; निमित्त ( २ ) हेतु; लक्ष्य; निमित्त ( ३ ) योग; शकुन (४) तोहमत ( ५ ) दिखावटी कारण; निमित्त; बहाना नियम पुं० नियम; क़ानून; कायदा (२) रीति; प्रथा; चाल (३) व्रत; टेक; प्रतिज्ञा ( ४ ) बंधन; नियंत्रण; नियम (५) ठहराव; प्रस्ताव । [पाळवो = व्रतका पालन करना (२) नियमानुसार चलना । -बांधवी: For Private and Personal Use Only Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - नियमसर २८० निवेडो कायदा करना; नियम बनाना (२) निरूप, सक्रि० किसी विषयका निरूरीति, पद्धति या प्रथा रखना.] पण करना; ठीक-ठीक समझा देना; नियमसर अ. नियमके अनुसार; बयान करना (२) अवलोकन करना; बाकायदा आलोचना करना नियमावलि (-ली) स्त्री० नियमोंकी निर्णायक मत न०; पं० निर्णायक मत; परंपरा (२) तंत्र या संस्थाके नियम, 'कास्टिग वोट' कायदे आदि । निवेशवं स.. क्रि० निर्देश करना; नियामक वि० नियममें रखनेवाला; बतलाना (२) आज्ञा, हुकम या निर्देश व्यवस्था करनेवाला; नियामक (२) करना [निश्चय करना पुं. ऐसा पुरुष ; नियामक (३) निर्धार स० कि० निर्णय करना; विश्वविद्यालयकी प्रबंध समितिका निर्बल(-ळ) वि० निर्बल; अशक्त सभासद; 'सेनेटेर' निवळता स्त्री० निर्बलता; कमजोरी नियामकसभा स्त्री विश्वविद्यालयका निर्भेळ वि० बिना मिलावटका; शुद्ध; तंत्र चलानेवाली सभा; प्रबंधकारिणी खालिस .. सभा; 'सेनेट'. निर्म, स०क्रि निर्माण करना; रचना बिरबार पुं० निर्धार; निश्चय; निर्णय करना (२) तय करना; ठानना (२) अ. निश्चयपूर्वक; निरधार निर्मळ वि. निर्मल; स्वच्छ; पवित्र विरमा स० कि० देखिये 'निर्धार' निर्माता पुं० निर्माता; 'प्रोडघुसर' निरनिराळे वि० अलग-अलग ; विविध निर्माल्य स्त्री०; न० निर्माल्य (२) वि० बेजान; निस्सत्व निराकरण न फैसला; अंत; निराकरण निर्माववं सक्रि० 'निर्मवु'का प्रेरणार्थक (२) नामंजूर करना; रद्द करना निर्मा, अ० कि० निर्मित होना; रचा निराशावादी पुं० (२) वि० निराशा- जाना(२)तय होना [बाधाके वादमें माननेवाला; 'पेसिमिस्ट' निर्विघ्ने अ० निर्विघ्न; बिना विघ्ननिराळू वि० निराला; विलक्षण; निवाज, स० क्रि० सिरोपाव, इनाम, अजीब; अलग; न्यारा पद, खिलअत आदि देकर संतुष्ट निरांत (त,स्त्री० फुरसत ; खाली वक्त करना [निवारना [प.] (२) आराम; सुख; चैन (३) युद्ध निवारवं स० क्रि० रोकना; हटाना; आदिका रुक जाना या न होना; निवृत्ति स्त्री० सुख ; चैन; आराम (२) शान्ति; सलामती।[-थवी, वळवी = फुरसत; अवकाश (३) (संसारसे) निश्चित होना; फ़िक्र टलना.] निवृत्ति (४) निवृत्ति; काम न करना; निराते अ० आरामसे; फुरसतमें (२) प्रवृत्तिका अभाव (५) नौकरीसे निवृत्त .बिना उतावली या दौड़-धूप किये होना; अवकाशप्राप्ति (६) समाप्ति (३) चैनसे; सुखसे निवेगे पुं० निबेड़ा; फैसला; सुलझाव; निरुपयोगी वि० निरुपयोगी; निकम्मा निबटारा (२)अंजाम ; समाप्ति; अंत For Private and Personal Use Only Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org निशा निशा स्त्री० सिल (पत्थरकी पटिया ) निशातरो पुं० बट्टा; लोढ़ा ( पीसनेका) निशान न० डंका ; भोरका घंटा ; गजर (२) ऊँट परकी नौबत निशान न० निशान; चिह्न ( २ ) निशाना; लक्ष्य (३) झंडा; निशान । [ -कर = अंकित करना; चिह्न लगाना । —चडं = युद्धका निशान, झंडा लहराना । ताकयुं, मांडमुं= निशाना बाँधना. ] निशानबाज वि० (२) पुं० ठीक निशाना afनेवाला; लक्ष्य साधनेवाला; निशानेबाज़ निशानी स्त्री० निशानी ; चिह्न ; यादगार ( २ ) संज्ञा; संकेत ; निशानी निशाळ स्त्री० पाठशाला; स्कूल; मदरसा निशाळियो पुं० विद्यार्थी निश्चय पुं० निश्चय; दृढ विचार; निर्णय ( २ ) विश्वास ; निश्चय; भरोसा (३) अ० निश्चय ही; जरूर निश्चयपूर्वक अ० अवश्य; निश्चयपूर्वक निश्चयवाचक वि० निश्चयवाचक [व्या. ] निश्चयार्थ पुं० निश्चयार्थ [ व्या. ] निश्चे अ० निश्चय ही; जरूर; अवश्य निसबत स्त्री० निसबत; लगाव; वास्ता ( २ ) परवाह ; तमा; चिंता ( ३ ) अ० -के मार्फत, -के ज़रिये निसरणी स्त्री० नसेनी; सीढ़ी निसातरो पुं० देखिये 'निशातरों' निसासो पुं० निःश्वास; लंबी साँस निस्बत स्त्री० देखिये 'निसबत' निहाल वि० देखिये 'न्याल' निहाळवं स० क्रि० टकटकी लगाकर देखना; ध्यानपूर्वक देखना नि स० क्रि० निंदा करना २८१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीचान निवासोर वि० सदा निंदा किया करनेवाला; चुगलखोर नीक स्त्री० नाली; मोरी (पानीकी) नीकर अ० नहीं तो नोकळवं अ० क्रि० बाहर आना या जाना; निकलना (२) गुजरना; जाना; पसार होना (३) बीतना; - गुजरना ( ४ ) प्रकट होना; (नदीका ) उद्गत होना; निकलना ; धीरे-धीरे बाहर निकलना (५) दिखाई देना; उदित होना (सूर्य-चंद्र ) (६) कोनेमें पड़ी हुई चीजका मिलना, हत्ये चढ़ना ( चोरीका माल) (७) शरीर पर उत्पन्न होना; उभर आना (चेचक; गाँठ) (८) पकड़ या बंधनसे मुक्त होना; छूटना; उऋण होना; निकलना (९) (दाग़ ) दूर होना; जाता रहना; नष्ट होना; निकलना (१०) साबित होना; सिद्ध होना; निकलना; उदा० 'छोकरो पाजी - नीकळघो' (११) प्रकाशित होना; शाया होना ( १२ ) शुरू होना; चलना; छिड़ना (बात, चर्चा ) (१३) हिसाब होने पर रक़म जिम्मे आना; पावना होना; निकलना (१४) दूसरी क्रियाके साथ संयुक्त क्रियाके रूपनें आता है और जल्दीका भाव बताता है । [ मोकळी जबुं = निकल जाना; चला जाना (२) हस्ती या गिनती न रहना ( ३ ) बहकना; हाथसे जाना. ] नीघलवं, नोघलां अ० क्रि० बालोंमें दाने भरना; रेंड़ना; दूध पड़ना नीचलुं वि० निचला; नीचेका नीचाजोणुं न० लज्जित होना पड़े ऐसी स्थिति [ ढाल; निचान नीचाण न० निचान; नीची जगह (२) For Private and Personal Use Only Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भीषु २८२ नेटी नीचुं वि० जो ऊंचाई पर न हो; मींद, स० क्रि० निराना; नलाना; ढलता; झुका हुआ (२) कम उचाई- सोहना; नींदना [प.] वाला; नीचा (३)नीच; कमीना नीचा नींदामण न०, नींदामणी स्त्री० निराई; नीचे अ० नीचे; नीचेकी तरफ़ नलाई; सोहाई (मजदूरी) नीडर वि० निडर; निर्भय मीभाडो पुं० देखिये 'निमाडो' नीतर अ०क्रि० टपकना (२)निथरना; नुकसान न० नुकसान; हानि; बिगाड़ जल आदिका स्वच्छ होना (२) घाटा; नुक़सान । [-उठावद् = नीतर्यु वि० निथरा हुआ; स्वच्छ नुकसान उठाना.] नीपज स्त्री० उत्पत्ति ; पैदाइश; उपज नुकसानकारक, नुकसानकारी वि० नोपजवू अ० क्रि० पैदा होना; उपजना नुकसानदेह; हानिकर (२) बनना; नतीजा निकलना;नया नुकसानी स्त्री० हानि; बिगाड़ (३) रूप मिलना (३)लाभ होना । नुकसानका बदला; हरजाना (३) नीपट वि० बेशर्म (२) अ० निपट; वि० नुकसानवाला; क्षतिग्रस्त .. बिलकुल नुक्तेचीनी स्त्री० नुकताचीनी; छिद्रानीम पुं० नियम; प्रतिज्ञा (२) भूत- न्वेषण प्रेतादिको चढ़ायी जानेवाली बलि नुसखो पुं० नुसखा (दवाका) नीम वि० नीम; आधा । नूगरं वि० देखिये 'नगरु' नीम, अ०क्रि० अनुभव, शिक्षा, आँच नूर न० भाड़ा; किराया (जहाज, ' आदि पाकर तैयार होना (व्यक्ति, रेलगाड़ी आदिमें माल ले जानेका) वस्तु); निकलना (२) आंच, शिक्षा ने(न) अ. और (२) दूसरे और आदि पाकर पक्का होना; सिद्ध होना चौथे कारककी विभक्ति; 'को'(३) नीमकुं स० क्रि० नियुक्त करना; नाम- आग्रह और हकारसूचक शब्द; न; जद करना उदा० 'मैं कहयुं हतुं ने !' नीमे अ० आधे हिस्सेसे नेक वि० नेक; प्रामाणिक; सच्चा; मोमेनीम वि० आषोंआध न्यायी (२) नीतिमान (३) धार्मिक मीरख, स० क्रि० ध्यानसे देखना (४) स्त्री० नेकी; न्यायपरायणता नीरण न० घास-वारा (५) पुं० हद; प्रमाण; मात्रा (६) नीर, स० क्रि० ढोरको घास डालना भाव; दर नीरो पुं० नीरा; ताज़ा ताड़ी (२) धास- नेकनजर स्त्री० नेकनीयती; ईमानदारी चारा नेकी स्त्री० ईमानदारी; सचाई (२) नीलम न० नीलम भलाई ; नेकी (३)सदाचार; सद्वर्तन नीवर अ० क्रि० देखिये 'नीमडवू' (४)स्तुति-वचन; दुहाई पुकारना नीसर, अ० क्रि० निकलना. नेजें न०, नेजो पुं० नेजा (२) बरछी नींदण न० निरी हुई निकम्मी घास; (३) भाला [जांच-पड़ताल चिखुरन नेटां न० ब० व०, नेटी स्त्री० गहरी For Private and Personal Use Only Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८३ ने वि० निकटका; पासका नोकरडी (नॉ) स्त्री० नौकरानी मेरे १० नेड़े; पासमें नोकरशाही (नॉ) स्त्री० नौकरशाही नेगे पुं० नेह; प्रेम । [-लागवो = प्रेम नोकरियाट (-त) वि० नौकरीपेशा होना; दिल अटकना। -लेवो खुचड़ (२) पराधीन निकालनेके लिए पीछा करना; नोकरी (नॉ) स्त्री० नौकरी; सेवा किसीके पीछे पड़ना.] नोखा (नॉ) वि. जो दूर हो; अलग; नेतर न० बेंत (लता और छड़ी) जुदा; अलहदा नेता न० मथानीकी रस्सी; नेती नोट स्त्री० नोट (सिक्का) (२)टिप्पण; नेतागीरी स्त्री० नेतागीरी; अगुवाई नोंघ (३) चिट्ठी; पुरजा (४) नेपाळो पुं० जमालगोटा नोटबुक ; कापी [देना; बुलाना नेपुर न० नूपुर; धुंघरू नोतरवु (नॉ') स०क्रि० न्योतना; दावत नेफो पुं० नेफ़ा नोतरियं (नाँ) न० निमंत्रित व्यक्ति; नेम स्त्री० निशाना; लक्ष्य (२)इरादा; न्योतहरी; न्योतारी हेतु। -कवी निशाना चूक जाना नोतरं (नॉ') न० निमंत्रण; दावत:न्योता (२)कार्य सिद्ध या पूरा न कर लेना.] नोवार (नाँ) वि० आधारहीन (२) नेव न० नरिया; खपरैल (२) छप्परके बेसहारा; असहाय छोर परके खपरे; ओलती (३)ओलतीमें. मोक्त(नॉ) स्त्री० नौबत (२)निश्चित से गिरनेवाला पानी। निवे मूक समय पर बजाया जानेवाला मजला. छोड़ देना; किनारे पर, ऊपर, अलग मोम (नॉम,) स्त्री० नवमी; नौमी रखना; उपेक्षा करना.] नोरता (नों) न० ब०व० बसोज मासके नेवु(-) वि० नब्बे ; नव्वे; ९० नवरात्रके दिन ; नवरात्र आजिजी मे, न० देखिये 'नेव' मोरो(नॉ) पुं० निहोरा; चिरौरी; नेव्याशी (-सी) वि० देखिये 'नव्याशी' नोळ (-ळियो) पुं० नेवला . नेस (ो ) पुं० अहीरोंका जंगलमें नोंघ (नॉ०) स्त्री० टॉकना; नोट (२) बनाया हुआ झोंपड़ोंवाला गांव; आमी- टिप्पणी; नोंघ (३) वह बही जिसमें रपल्ली (२) अहीरका झोंपड़ा दिया हुआ माल ब्योरेवार लिखा नेस्ती पुं० परचूनिया; मोदी जाता है [टीप मेह (ने) स्त्री० (हुक्केकी) नै नोंदणी (नॉ०) स्त्री० टॉकनेकी क्रिया; नेह पुं० नेह; प्रेम [गलियारा नोंषपोथी; नोंघवही (नॉ०) स्त्री० मेळ (ने) स्त्री० संकरी, तंग गली; टिप्पण करनेकी बही या किताब; नोक (नॉ) पुं०; स्त्री० नोक; अनी; सिरा (२) प्रतिष्ठा; वक्र; टेक (३) नोंषवं (नॉ०) सक्रि० टॉकना; नोट छटा; शान (४) आकार; अग्रभाग; नौका स्त्री० नौका; नाव मौक़ा (घर आदिका) नौकासन्य न० नौसेना; जलसेना; 'नेवी' नोकर(नॉ) पुं० नौकर(२)दास न्यात स्त्री० जाति; बिरादरी; ज्ञाति नोंध-बही [करना For Private and Personal Use Only Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org म्यातजात भ्यातजात स्त्री० जात-पाँत न्याय पुं० न्याय; इंसाफ़ ( २ ) योग्यता ; उचित - अनुचितका विवेक, न्याय (३) प्रथा; रिवाज; क़ायदा (४) दृष्टांतवाक्य; कहावत ; न्याय; उदा० 'काकतालीय न्याय' ( ५ ) प्रमाण द्वारा किसी वस्तुकी परीक्षा; न्याय ( ६ ) न्यायदर्शन ( शास्त्र ) । [ तोळवो = दोनों प पुं० 'प' वर्गका - पहला ओष्ठय व्यंजन पकड स्त्री० पकड़ना; पकड़नेकी क्रिया (२) पकड़नेकी शक्ति, मौका या उसका तर्ज; पकड़ (३) सँड़सी जैसा पकड़नेका साधन । [ -आववी = पकड़में आना (२) ग्रहण करना; समझना. ] पकड स०क्रि० पकड़ना; ग्रहण करना; थामना (२) धारण करना; धरना; किसी वस्तुमें व्याप्त होना; पकड़ना (रंग) (३) भागते हुएको रोकना ; गति या व्यापारसे निवृत्त करना; पकड़ना (४) खोज निकालना (भूल) ; पकड़ना (५) पकड़ना; समझना ( अर्थ, बात ) (६) गिरफ़्तार करना; बंदी बनाना; 'अरेस्ट' करना; पकड़ना । [ पकडी - पाडवं = पकड़ना; किसी काममें आगे बढ़े हुएकी बराबरीमें आ जाना ( २ ) पता लगाना; खोज निकालना। पकडी लेबुं = उठा लेना ( २ ) एकदम पकड़कर क़ाबूमें करना या बंदी बनाना (३) किसी विषय या बात पर क़ाबू, अधिकार पाना. ] २८४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पक्ष पक्षोंकी सचाई - शुठाई या उचितअनुचितकी जाँच करके फ़ैसला करना; न्याय करना. ] न्यायी (स्य) वि० ठीक न्याय करनेवाला; न्यायी ( २ ) न्यायोचित; न्याय्य न्यायं वि० न्यारा; जो दूर हो ( २ ) अनोखा ; अजीब; न्यारा न्याल वि० निहाल; कृतार्थ ( २ ) मालदार पकडहुकम पुं० गिरफ़्तार करनेका हुकम ; वारंट गिरफ़्तारी पearपकडी स्त्री० लगातार गिरफ़्तारियाँ; पकड़-घकड़ पकवबुं स० क्रि० पकाना; रांधना (२) मिट्टी आदिके बरतनको भट्ठी में रखकर तपाना; आँच देकर कड़ा करना; पकाना (३) कोई चीज़ पक जाय ऐसा करना; पकाना पकवान न० पकवान; पक्वान्न पकावतुं स०क्रि० देखिये 'पकवबुं ' पकोडी स्त्री० पकौड़ी पक्काई स्त्री० धूर्तता; छल पक्कुं वि० जो किसीसे धोखा न खाय; अनुभवी (२) धूर्त; मक्कार ( ३ ) पूरापूरा; समूचा (४) पक्का; अचल; दृढ़ (५) पक्का ( रसोई आदि ) पक्ष पुं० पक्ष; तरफ़दारी (२) तड़; पक्ष; भाग ( ३ ) विवादके विषयका एक हिस्सा ; पक्ष ( ४ ) तरफ़दारी; पक्षपात (५) पखवाड़ा; पक्ष ( ६ ) स्त्री० पंख ; डैना; पक्ष । [ -करवो, चवो, ताणवो = पक्षपात करना. ] For Private and Personal Use Only Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८५ पक्षकार वि० (२)पुं० पक्ष करनेवाला; तरफ़दार पक्षपात पुं० पक्षाघात; लकवा; पक्षघात पक्षपात पुं० पक्षपात; तरफ़दारी पक्षपाती वि० पक्षपाती पक्षापक्षी स्त्री० पक्ष बनना; दल बन जाना; जुदाईकी भावना (२) तरफ़दारी; पक्षपात पक्षी न० पक्षी; चिड़िया पलवाज स्त्री० पखावज; मृदंग पसवारिक वि० हर पन्द्रहवें दिन होनेवाला; पाक्षिक (२) न० पन्द्रहवें दिन प्रकट होनेवाला समाचारपत्र; पाक्षिक पसवारियं न० देखिये 'पखवाड़े पनवाई न० पखवाड़ा; पास पसाब स्त्री० पखावज; मृदंग पताल स्त्री० पखाल पताल स्त्री० फूल आदि उठाकर सायंकालमें देवस्थानको धोना (२)धोना; पखारना पसाली पुं० भिश्ती; सक्का पसाळ, स० क्रि० पानीसे घोना; पखारना पग पुं० पग; पैर; पांव (२)माना-जाना [ला.](३)मूल; जड़। -आववा% पांवोंमें चलनेकी ताक़त आना (२) स्वाश्रय पर या अपने बल पर खड़े । रहनेकी शक्ति आना (३) हवा होना; गायब होना ।-उठावदा, उपारवा%3 वेगसे चलना; पांव बढ़ाना (२) खिसक जाना; भाग निकलना।-काहयो= आना-जाना बंद करना (२) चलन रोकना; प्रभाव दूर करना (३) हटाना; दूर करना(४)अलग होना; पगरस्तो दूर होना। -बलावकोपांव उठाकर चलना। -बोई पीवा = एहसान मानना; आभारी होना। - ऊपरवा = संकोच होना; शर्म आना। -पाछा परवा-हिम्मत न चलना; सकुचाना। -मांरखो पांव जमाकर खड़ा रहना (२)आगे बढ़ना; पांव उठाना (३) प्रवेश करना; पैर रखना (४)व्यवसाय आरम्भ करना। -बाळबोआराम लेना; सुस्ताना। पगे पर पांव पड़ना (२) शरण स्वीकार करना। पगे लागq=पांवोंमें गिरकर नमस्कार करना; मत्था टेकना; पांव छूना (२)माफ़ी मांगना; पांव पड़ना। पगे लाग्या = हारे; थक गये; तोबा.] पगचंपी स्त्री० पविचप्पी पगचार पुं० (घाटपर) थोड़ी सीढ़ियों के बाद आनेवाली चौड़ी सीढ़ी पगवियु न० सीढ़ीका डंडा; सीढ़ी; पाया पगली स्त्री० पगडंडी (२) पटरी; 'फुटपाथ' पगवंग स्त्री० पगडंडी पगपाळू वि० पैदल; पांव-पांव पगपेसारो पुं० पैठ; रसाई; दखल(२) आना-जाना [ला. [-करवो-धुसना.] पगभर वि० अपने पगपर खड़ा रहनेवाला; स्वावलम्बी पगर पुं० देवरी (खलियानमें) पगरखं न० जूता; पगरखा पगरण न० अच्छा अवसर; प्रकरण(२) आरंभ; शुरू . [जाना [ला. पगरवं पुं० चाप; आहट (२) आनापगरवट स्त्री० पगडंडी (२) चलनेसे होनेवाला निशान; पैर; पदचिह्न पगरस्तो पुं० पगडंडी . For Private and Personal Use Only Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पगला २८६ पछातवर्ग पगलां न०म०व० देव, संतादिकी पूजाके पचव, सक्रि० पचाना; हजम करना निमित्त बनाये हुए चरण-चिह्न; पच, अ० क्रि० हजम होना; पचना पादुकाएँ (२) जज्ब होना; सोखना; मर जाना पगली स्त्री० देखिये पगलां' [खोर (पानी); उदा० 'पाणी त्यां पची पगलुछ(-स)णियुं न० पा-अंदाज; गर्द गयु' (३) अंदर लीन या मग्न होना; पगलं न० पैरका निशान; पदचिह्न दिल अटकना; उलझना; उदा० 'प्राणी चरण-चिह्न (२) डग; क़दम; पैर प्रपंचमां शुं पची रह्यो' (४)हरामका (३) एक गहना (४) त्वरित माल प्राप्त होना या पचना . उपाय; शीघ्र इलाज । [पगला पचाव, स० क्रि० पचवू' का प्रेरणार्थक ओळखवांपैरके निशानकी जांच रूप; पचाना (२)ला.] हजम करना; परख होना; पदचिह्न परसे स्वभाव आत्मसात् करना; पचाना (३)हजम चारित्र्य आदिकी कल्पना करना (२) . कर जाना; पचाना; उड़ा देना किसी बातके पीछे रहे हुए गुप्त हेतुको पचास वि० पचास; ५० . जानना। पगलां करवां, थवा = पचीश (-स) वि० पचीस; पच्चीस; २५ पधारना; आना; तशरीफ़ लाना। पचुसण न० भगवान महावीरकी जयं-काढ=,पदचिह्न परसे चोरकी टोह तीके समयका जैन पर्व; पजूसण (२) लगाना।-भरq=इलाज करना (२) भाद्र-कृष्ण द्वादशीसे भाद्र-शुक्ला चौथ नालिश करना; दायर करना(३)किसी तकका जैनोंका त्योहार; पर्युषण .. काममें आगे बढ़ना; क़दम उठाना। पछडावं अ० क्रि० टकराना; पटकना पगले पगले कदम ब क़दम:अनुसरण पछवाडी अ० पीछे (करना).] पछवाडं वि० जो अंतमें हो या पड़े; पगार पुं० तनखाह; पगार; दरमाहा । आखिरका; सिरे परका (२) न० [-कर=चुकाना; अदा करना।- पीछेका भाग; पिछाड़ी; पिछवाड़ा थq= बेबाक़ होना; चुकता होना.] (३) पीछा पगारदार वि० वेतन लेकर काम करने- पछवाडे अ० पीछे; पीठ पीछे (२) वाला; तनख्वाहदार; वैतनिक अंतमें; छोर पर। [-पडवू, मंड, पगी पुं० पैरकी निशानी परसे चोरकी लागवू = कार्यसिद्धिके लिए किसीके टोह लगानेवाला (२)चौकीदार;गोडैत पीछे लगना (२)पीछे पड़ना.) .पगेई न० चोरके पैरका निशान; पैर पछाट (-3) स्त्री० पछाड़; पटकनी पगेलागणुं न० पालागन; नमस्कार पछार स० कि० जोरसे गिराना; पचपच अ० 'पच-पच' आवाज पटकना (२) कुश्ती में पछाड़ना; हराना पचपचवू अ० क्रि० पचपचाना (२) पछाडी अ० देखिये 'पछवाडी'; पीछे . पच-पच आवाज होना पछात वि० पीछेका; पिछड़ा हुआ पचरंग(-गियुं,-गी)वि० पचरंगा (२) (२) अ० पीछे जो विविध वर्ण या जातका हो; पचरंगा पछातवर्ग पुं० दलित वर्ग For Private and Personal Use Only Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पछी २८७ पछी अ० पीछे; बादमें; फिर; पीछेसे या सनदसे (जमीन) रखनेवाला (३) पछीत स्त्री० घरके पिछवाड़ेकी दीवार; जमीनदार (४) चपरासी पछीत [पिछौरी प.] पटापट अ० पटापट; एकके बाद एक पछेडी स्त्री० ओढ़नेकी मोटी चादर; पटाबाज वि० पटेत; पटेबाज पछेरो पुं० ओढ़नेकी मोटी बड़ी चादर पटाबाजी स्त्री० पटेबाजी (२)दावपेच पजवणी स्त्री० सताना; हैरानी पटामणी स्त्री० फुसलावा; दम-दिलासा पजव_ स० क्रि० सताना; त्रास देना पटामणुं वि० फुसलाऊ (२)न० फुसलावा पजळवू अ०क्रि० तर होना; पचपचाना पटारी स्त्री० पिटारी; पेटी पजुसण न० देखिये ‘पचुसण' पटारो पुं० बड़ी पेटी; पिटारा पट पुं० पुट ; स्पर्शसे हलका रंग लगना पटाव, स० क्रि० फुसलाना; तदबीरसे (२) असर; प्रभाव (३) नदीका पाट __ समझाना; मनवाना; पटीलना। (४) कपड़ा; पट (५) पर्दा; पट पटाबाळो पुं० नौकर; चपरासी (६)विस्तार; फैलाव; चौड़ाई; पाट पटियां न० ब० व० सँवारे हुए बाल; (७) सँकरी लंबी पट्टी (जमीनकी) (बालोंकी) पट्टी; पटिया [प.] (८)चित्र खींचनेका फलक या कपड़ा; पटी स्त्री० पट्टी; चिप्पी (२)फोड़े फुसी पट। [-खेंचवो, ताणवो, भरवो = पर लगानेकी धज्जी; पट्टी। -पग्वी बीचमें पर्दा डालना। -लागवो = कार्य सिद्ध होना; बहुत प्राप्ति होना । असर होना; रंग पकड़ना.] - पारबी = समझा-बुझाकर अपने पट अ० पट; तत्काल; झट।[-वईने, नफ़ेका काम करवाना (२) प्रयोजन . लईने = झट.] सिद्ध होना; काम निकलना, होना.] पटक सक्रि० पटकना; जोरसे जमीन पटेल पुं० मुखिया; चौधरी (२) गाँवका आदि पर गिराना मुखिया; पटेल (३) पाटीदार' नामकी पटको पुं० कपड़ेका छोटा टुकड़ा; पट्ट जातिका आदमी (४) एक अल्ल पटपट अ० पट-पट; जल्दी (२)स्त्री० पटो पुं० पट्टा; सनद; पटा (२) कपड़े बड़बड़ाना; बोलते रहना [(दुम) या चमड़ेकी लंबी पट्टी; पेटी (३) पटपटाव, स० क्रि० पट-पट हिलाना कमरबन्द; पट्टा (४) रंगकी चौड़ी पटराणी स्त्री० पटरानी धारी; पटी (५) चपरास पटलाई स्त्री० गाँवके मुखियाका अधि- पटोपट अ० पटापट; तेज़ीके साथ कार या काम; चौधराई पटोळून० (रेशमी कपड़ा)पटोर पटोरी पटवो पुं० पटवा (गूंथनेवाला). पट्टी स्त्री० देखिये 'पटी' पटा पुं० ब०व० तलवार, पटा, गतका पट्टो पुं० देखिये 'पटो' या लकड़ीके दावे; पटा [तंग पठाण पुं० पठान (२) माँझियोंका पटाक अ० पट ; शीघ्र (२)पुं० (घोड़ेका) नायक-सरदार (३) जहाजकी पीठ पटाकडी स्त्री० चुटकी (२) पिस्तौल पठाणी वि० पठानी (२) कड़ा (प्याज) पटादार वि० धारीदार(२)पुं० पट्टे पर पर्छ वि० पट्टा; तगड़ा; संडा For Private and Personal Use Only Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८८ पर न० परत; स्तर; थर(२) ढकनेवाली परतुं वि० गिरता हुआ (२) दुर्बल वस्तु; आच्छादन; पुट (३) सिलवट; (अवदशा) (३) न० कुदान ।[चुनट (४)पाट (चक्कीका) नाल = जोरसे गिरना; पड़ना।परकार पुं० ऊँचेसे संबोधन (२) लल- मूकबुं= छलांग भरना। पडतो बोल कार; चुनौती सोलयो= मुंहसे बोल निकलते ही परकारमु सक्रि० ललकारना; चुनौती काम कर डालना; आज्ञा या हुक्मका देना; आह्वान करना; बढ़ावा देना तुरत पालन करना.] पर न० करक्ट; पहलू (२) पक्ष; पवार पुं० देखिये 'पगथार' (२) बाजू; पार्श्व (३) मदद । [परसां (कुएंका) जगत मोबांपरखना; छानबीन करना। पग्दी स्त्री० छोटा पर्दा (२) आड़के परखा सेवा = आश्रय, ताबेदारी, लिए बनायी गयी दीवार; ओट शरण या पासमें रहना । परख रहे = परदो पुं० परदा; पर्दा (२) कानका पक्ष या मददमें रहना; किसीकी परदा; कर्णपट (३) बुरका; ओझल; कुमक पर होना.] परदा (४) गुप्त बात (५) अंतरा; परनी स्त्री० पेंदी; पेंदा; बरतन आदिका परदा (तंतुवाचका) ।[-काठवो= तला (२) वृक्षकी जड़ोंके इर्द-गिर्द परदा करनेका रिवाज हटा देना; बनाया हुबा चबूतस परदान करना।-पायो (नाटक) : परचम स्त्री० बड़ा ढोल; दुंदुभि परदा गिराना (२) किसी बहस पर परची स्त्री० देखिये पड़गी' पर्दा डालना (३) परदा डालना; परची स्त्री०, पब्धो पुं० गूंज; प्रति- छिपा देना (४) अमुक समय तक घोष; प्रतिध्वनि । [-परबो-गूंजना; मुल्तवी रखना ।-फूटी जवो परदा प्रतिधोष होना(२) प्रत्युत्तर मिलना। उठना या खुलना; परदा फाश होना; -पावो नाम करना; डंका बजना.] भेद खुलना। -राखवोपरदेका पग्छायो पुं० छाया; परछाई (२) रिवाज रखना (२)अंतरकी बात न प्रतिबिंब कहना; परदा रखना.] पग्छं न० ईखके ऊपरका हरा पत्ता; पल्पग् अ० कि. 'पड़-पड़' आवाज़ गेंड़ा [जीभ ; कौआ करना; पड़पड़ाना परजीभ स्त्री० (गलेकी) घंटी; छोटी परपट पुं० पड़-पड़ (आवाज) (२) पस्तर वि० बिना नफ़ा चढ़ाया हुआ; (मिजाजमें) पड़पड़ाना-बोलना लागत (खर्च); पड़ता (२) बिना पडपूछ स्त्री० पूछताछ जोता हुआ (खेत, जमीन); परती पड अ०क्रि० पड़ना; गिरना; पतन (३) जो बिक न गया हो (४) होना (२) जाना; राह लेना; उदा० खुला; जिसमें मकान न हों (मैदान) 'आगळ पडवू; रस्ते पडवू' (३) परती स्त्री० पतन; अधोगति; गिरा- होना; निकल आना; पैदा होना; प्रसंग वट । -रात=पिछली, भीगी रात.] प्राप्त होना; उपस्थित होना; पड़ना; For Private and Personal Use Only Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पो मिलना; गिरना ( दु:ख ; खप; काम; चैन; मार ; धूप ; बारिश आदि ) (४) टिकना; ठहरना; मुक़ाम करना; पड़ना ( ५ ) लेटना; लंबी तानना; पड़ना ( ६ ) ( क़ीमत; दाम; सूद; किराया आदि) लगना; पड़ना ( ७ ) लगना; स्पष्ट होना; होना; असर करना; अनुभवमें आना; समझा जाना; उदा० 'कपडुं ढीलुं पडे छे; सूंठ गरम पडे छे; ओछुवतुं पडशे ' (८) किसी चीज़ में पैदा होना; होना; पड़ना; 'चोखामां इयळ, जीवात पडी छे' (९) किसी काममें रत रहना, लगा रहना; तल्लीन होना (१०) भ्रष्ट या पतित होना ( ११ ) हारना; जीता जाना; युद्धमें मारा जाना; उदा० 'किल्लो पड्यो' (१२) हाजिरी में न गिना जाना; नाग़ा होना; उदा० 'निशाळ पडी; बहु दिवस पड्या' । [ पडी भागवुं = न चलना; चलना बंद हो जाना (व्यापार, नाटक आदि) । पडी मूकबुं = छोड़ देना; जाने देना ( २ ) पडी रहेवुं = परती रहना; उपयोगमें - काममें न आना । पड्या उपर पाटु = मरतेको माना कटे पर नमक छिड़कना . ] पडवो पुं० परवा; पड़वा; प्रतिपदा पंडसाळ स्त्री० घरका ओसारेके बग़लका कुमरा पडळ न० (आँखका) जाला; पटल । आववां, फरी वळवां = आँखपर झिल्ली चढ़ जाना ( २ ) आँख न खुलना; अलकन खुलना.] पडा अ० पट एकदम झट गु. हिं- १९ २८९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पतरि पापड (डी) स्त्री० एक दूसरे पर झपटना; झपाझपी; हल्ला पडाव पुं० पड़ाव; मुक्काम ठहराव, पडाव स०क्रि० 'पडवं', 'पाडवं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (२) झपटना छीन लेना. पडाळ : न०; स्त्री० छप्परके दो ढालुआं हिस्सों में से कोई एक; छप्पर पडाळी स्त्री० दालान; बरामदा परिमाण वि० देखिये 'पडतर' पडियं म० ( चक्कीका ) पाट; पवाई पडियो पुं० दोना; दौना पडी स्त्री० पुड़िया पडीकी स्त्री० छोटी पुड़िया ( २ ) दवाकी पुड़िया [(दवाकी) पडीकुं न० बड़ी पुड़िया ; पड़ा (२) पुड़िया पडो पुं० बड़ा पुड़ा या जूरी ; पूला (२) ढोल, डुग्गी (३) ढिढोरा; मुनादी पडोश, (०ण), (-शी) देखिये 'पाडनेश' आदि पण न० पण; प्रतिज्ञा; टेक (२) बाजी; शर्त । [ - मूक, लेवुं = प्रतिज्ञा करना. ] पण अ० पर; मगर (२) उपरान्त फिर भी ; भी; समेत (३) न० भाववाचक संज्ञा बनानेवाला एक प्रत्यय; 'पन'; उदा० 'गांडपण; बाळपण' पणच स्त्री० धनुषकी डोरी ; पनच -पनुं न० देखिये 'पण' अ० में नं. ३ ; उदा० 'माणसपणुं, सारापणुं पणे (प) अ० उधर पत स्त्री०न० मलनेवाला को गल्ति कुष्ठ; कोट-चूना [ प्रतीति पत स्त्री० आबरू पत[प. (२) विश्वास; पारवेल्ल न० अरवीका पत्ता (२) उसकी एक बानगी For Private and Personal Use Only Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पतराज(-जी) स्त्री० बड़ाई; बड़प्पन पतरावळ (-को) स्त्री० पत्तल; पत्ता पतराळी स्त्री० पत्तल; पत्तर(२)पत्तल; परोसा (खाद्य सामग्री) पतरार्छ न० पत्तल; पत्तर .... पतरी स्त्री० पत्तर (धातुका छोटा टुकड़ा) पतवं न० पत्तर; चादर(धातुकी)(२) बहुत बड़ी परात पतववं स० क्रि० निबटाना पत, अ.क्रि. निबटना; पूरा होना; खत्म होना; कुछ करना बाक़ी न रहना (२) फ़ैसला होना; तय होना; निबटना (३)चुकता होना; बेबाक़ होना पतंग पुं० पतंग; तितली; पतंगा (२) पुं०; स्त्री० पतंग; कनकौवा - पतंगियं न० पतंगा; तितली; पतिंग पताकडं न० चिट; पुरजा(काग़जका) पताबढ स्त्री० निबटारा; फैसला पतावस० क्रि० देखिये. 'पतव, पतासुं न० बतासा; बताशा पति वि० कोढ़ी; महारोगी पतीकुं न० कृतला; फांक पतीज स्त्री० आबरू (२) विश्वास; प्रतीति ; पतीज [प.] [त्यौहार पतेती स्त्री. पारसियोंके नये सालका पत्तर स्त्री० आबरू (२) न० पत्तल; पत्तर (३) भिक्षापात्र; कपाल। [-उतारवी, ओमणवी, खांची, फारवी, रगबी = इज्जत बिगाड़ना, उतारना(२)हैरान करना.] पतरवेलिवू न० देखिये 'पतरवेलियु' पतं न० पत्ता (पेड़ आदिका) (२) कागजका मोटा टुकड़ा; पत्ता; पृष्ठ (३) (ताशका)पत्ता(४)पोस्ट-काई; पत्र; चिट्ठी पत्तो पुं० पता; ठिकाना (२) खबर; पता। [-खावो, लागवो = खबर मिलना; टोह लगना (२)घात लगना; मौका मिलना.] पत्र पुं०;न० पत्र ; चिट्ठी ; काग़ज़ (२) न० पत्र ; पत्ता(३)पत्र; समाचारपत्र पत्रक न०पंजी; बही; दफ्तर; रजिस्टर' पत्राळी (-छु) देखिये 'पतराळी' आदि पथक न० टुकड़ी; छोटा दल (सैनिक स्वयंसेवकोंका); दस्ता पथरावं अ०क्रि० फैलना; पसरना (२) __ बिछना; बिछाया जाना(बिस्तर आदि) पथराळ वि० पत्थरवाला; पथरीला; कंकड़ीला पथरी स्त्री० कंकड़ी; कंकड़; छोटा पत्थर (२)(धार तेज़ करनेकी)सिल्ली; पथरी (३) अश्मरी; पथरी (रोग) पथरो पुं० देखिये 'पथ्थर' (२) [ला.] जड-भावनाहीन मनुष्य (३) विघ्न ; रोड़ा (४) खाक ; कुछ नहीं; अल्लाहका नाम ; पत्थर; उदा० 'तेने शुं पथरा आवडे छे !'। [-नाखवो, मारवोबाधा खड़ी करना; रोड़ा डालना। -पाकवो औलाद पत्थर जैसी निकम्मी होना; (किसी स्त्रीको कोखमें) कुपात्र पैदा होना.] [प्रसार फैलाव पयार पुं० बड़ा बिछौना (२)विस्तार; पथारी स्त्री० बिछौना; शय्या (२) [ला.] मुक़ाम; अड्डा; पड़ाव (३) बीमारी। -ए लेबु खाटसे उतारना; · मृत्युशय्या पर लेना. [शय्याग्रस्त पचारीवश वि० (बीमारीके कारण) पवारों पुं० देखिये 'पथार' । पन्धर पुं० पत्थर; पाषाण (२)रास्तेकी लंबाई सूचित करनेवाला या सीमा For Private and Personal Use Only Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पच्चरपाटी आदि बतानेवाला पत्थरका गड़ा हुआ टुकड़ा; पत्थर(३)पत्थरका-सा दिलवाला, संगदिल आदमी ला.। [-उपर पाणी = व्यर्थ परिश्रम कुछ असर न होना।-तरबो = पत्थर पर दूब जमना; अनहोनी बात होना।-नी छाती = भावनाहीन मनुष्य ; पत्थरका कलेजा (२) पत्थरकी छाती; मजबूत दिल.] पन्धरपाटी स्त्री० पाटी; पटरी; 'स्लेट' पपरियं वि० पत्थरका बना हुआ (२) पत्थर जैसा सख्त (३) न० पत्थरका बरतन; पथरोटा पद पुं० पद; पैर (२) न० दरजा; 'पद; ओहदा (३) अर्थयुक्त शब्द; पद व्या.] (४) पद्यका चरण; पद (५) [ग.] 'टम' (६) पद; वर्गमूल; पदक न० पदक; चन्द्रक (२) सिक्का पदवि(-बी) स्त्री० पदवी; ओहदा (२) उपाधि; खिताब; पदवी पदवीदान समारंभ पुं० पदवीदान समारोह; 'कोन्वोकेशन' पदवीधर, पदवीधारी वि० उपाधिधारी पदार्य पुं० पदार्थ; शब्दार्थ (२)चीज; वस्तु; पदार्थ (३) तत्त्व । पदार्यपाठ पुं० प्रत्यक्ष पदार्थके द्वारा बोध पदार्थविज्ञान न० पदार्थविज्ञान; 'फिजिक्स' पदावर्बु सकि० 'पारका प्रेरणार्थक; पदाना(२)[ला. खूब परिश्रम कराना; चका डालना; हैरान करना (३) बलपूर्वक निकलवामा, प्राप्त करना; हषियाना पन० पद; काम; उदा. 'गोरपर्यु पपरामणी स्त्री० पधरावनी; पधारना; पधराना (२) भेंट; उपहार पथराव, सक्रि० आदरके साथ लिव जाना, बैठाना या स्थापित करना; पघराना (२) गले मढ़ना (अनचाही चीज़) [ला.] पधार, अ० क्रि० पधारना पनाई स्त्री० डोंगी; नाव; पनसुइया पनारो पुं० पाला; साबिका (पड़ना) पर्नु (नु)न०पना;पन्ना(इमली आदिका) पनो (नो') पुं० पनहा; अर्ज पनोती (नो') स्त्री० शनिकी दशा बुरे दिन; साढ़े साती पनोतुं (नो') वि० शुभ ; मंगलकारी . (२) सुखी; बाल-बच्चेवाला पचं न० एक प्रकारका रत्न पन्ना पपडाट पुं० (मिजाजसे)पड़-पड़ बोलना पपनस न० एक फल; चकोतरा । पपलाव स० क्रि० सहलाना; थपकना पपैयुं न० पपीता; एरंडमेवा । पपैयो पुं० पपीहा; चातक (२)पपीता (वृक्ष) पमरवं ब०क्रि० महकना; सुवास फैलना पमराट पुं० महक; खुशबू . . पमा सक्रि० पामबुं' का प्रेरणार्थक पयगंबर पुं० पैगंबर; नबी पक्याम पुं० पैशाम (२) ईश्वरी संदेश पर अ० ऊपर; पर पर वि० पर;पराया; गैर (२) बम्ब दूसरा (३) दूर; अतीत (४) पर; आगेका; बादका; उतर (५) श्रेष्ठ परकम्मा स्त्री० परिक्रमा; प्रदक्षिणा परकार पुं० परकार; 'कंपास.... पर स्त्री० परम ब्रांच; परीक्षा। -होगी-परख होना.. For Private and Personal Use Only Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org परल परानुं स० क्रि० परीक्षा करना; परखना ( २ ) पहचानना; जान लेना परला स०क्रि० 'परखवं', 'पारखवं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; परखाना (२) [ला.] देना (३) सचेत करके सौंपना; सहेजना (४) समझाना; समझे ऐसा करना परलाबुं अ०क्रि० 'परखबुं', 'पारखवं' क्रियाका कर्मणि रूप; परखा जाना ( २ ) विवाहके लिए दुल्हेके रूपमें पसंद आना [ला. ] परगनु वि० परोपकारी; परहित परगणुं न० परगना; तहसील परवाम न० दूसरा गाँव परगामी वि० अन्य गाँवका रहनेवाला (२) अनजान (३) तटस्थ [ला. ] परचूट (-र)ण वि० विविध; फुटकर (२) न० खुर्दा रेजगारी [ चमत्कार परचो पुं० प्रतापका प्रमाण; पश्चा; परछंड वि० क़द्दावर; बड़े डील-डौलका परजळं अ० क्रि०प्रज्वलित होना; जलना परजीवी वि० परोपजीवी परंठ (०ण) स्त्री० क़बूलत; करार ( २ ) दहेज; दायजा [ क़रार करना पर स० क्रि० तय करना; ठहरामा; परस्त्री० माथापच्ची (२) बला; झंझट । [-मूकवी = माथापच्ची छोड़ देना; सिर खपाना छोड़ देना. ] परकुं ( - ) न० सँपोला ; पोआ परडियो, परडो पुं० बबूलकी फली; सेंगर परन न० व्याह; शादी ; परिणयन (२) ब्याहकी तीव्र इच्छा [ला.] परणवं स०क्रि० व्याहना; शादी करना परमायुं न० छोटा सकोरा (२) मिट्टीका दिया; दिउला २९२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परवीडि परणावयुं स०क्रि० ब्याह करना; 'परणवु का प्रेरणार्थक रूप; ब्याहना [ प . ] ( २ ) दूधमें पानी मिलाना [ला. ] परणियत वि० परिणीत; विवाहित (२) स्त्री० ब्याहता औरत; पत्नी परणेत (०९) न० ब्याह ; शादी ( २ ) स्त्री० ब्याहता; पत्नी परणयुं न० देखिये 'परणायुं' परण्यो पुं० ब्याहनेवाला; पति परत अ० वापस ( आना, देना, करना) (२) स्त्री० बारीक चूर्ण; फंकी, भस्म आदि । [ - करवुं = लौटाना; वापस करना.] परयार पुं० देखिये 'पडथार' परदादो पुं० परदादा; दादाका बाप परदेश पुं० परदेश । [ - खेडवो = कामवंघे के वास्ते परदेशमें जानेका साहस करना.] परवो पुं० देखिये 'पडदो' परनातीलं वि० अन्य जातिका; विजातीय परनार ( - री) स्त्री० अन्यकी स्त्री; परस्त्री परनाळ स्त्री०, ( -ं) न० परनाला परपोटी स्त्री० छोटा बुदबुदा या बुलबुला परपोटो पुं० बुदबुदा; बुलबुला (२) क्षणभंगुर वस्तु; बुलबुला [ला. ] । [-फूटवो = बाहरी तड़क-भड़क या दिखाऊ आयोजनका प्रकट हो जाता. ] परब स्त्री० प्याऊ; सबील; पौसला परबडी स्त्री० पक्षियोंको चुग्गा डालने के लिए एक ऊंचे खंभे पर बनायी हुई चारों ओरसे खुली छतदार बुर्जी; छतरी [ गये या रुके परवा अ० सीधा; बिना और कहीं परबीडियं न० लिफ़ाफ़ा (२) काजकी थैली. For Private and Personal Use Only Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परवीडो २९३ परवीडो पुं० बड़ा लिफ़ाफ़ा -खाने-पीनेमें संयम करनेवाला (४) परभाति न० देखिये 'प्रभातियु' - पापसे बचनेवाला (५)स्त्री० पापसे परभाई(-) अ० बिना कहीं गये या बचना; परहेजगारी; परहेज करनेका रुके; सीधा (२)वि० बाहरी; बाहरका कार्य । [-करवं = कैद करना.] परम वि० उत्तम; परम (२) अगले परहेजी (र) स्त्री० कैद (२) परहेज दिनसे एक दिन आगेका; पिछले पराई स्त्री० ओखली, खरल आदिका दिनसे एक दिन पहलेका छोटा मूसल ; दस्ता (२) रंभा (छेद परम बहारे, परम दिवसे अ० परसों करनेका) (३) वि० स्त्री० परायी परमधाम न० उत्तम लोक; मोक्ष पराणी स्त्री० बल हांकनेकी आरीदार परमाण वि० प्रमाण; सार्थक; ठीक; छोटी छड़ी; पैना चरितार्थ (२)अ० अवश्य ; जरूर पराणे अ० बलात्; बरबस (२) मुश्किपरमाणु पुं० न० परमाणु लसे;अति श्रमसे लंबी छड़ी;पैना परमाणुं न० नाप; परिमाण पराणो पुं० बैल हाँकनेकी आरीदार परमियो पुं० सूजाक; 'गोनोरिया' परात स्त्री० खड़े किनारेकी बड़ी थाली; परवडवं अ० क्रि० पुसाना परात (२)मटेके ऊपरका पानी परवर अ० क्रि० जाना परापूर्व पुं० बहुत पुराना काल परवळ न० परवल (तरकारी) परायुं वि० पराया; गैर परवा स्त्री० परवा; परवाह (२) पराश स्त्री० छाछके ऊपरका पानी ग़रज़; मतलब; जरूरत [सिवान पराळ न० पयाल; पुआल परवाड (ड,) स्त्री० गाँवका सीमान्त; परांठ्(०) न० परांठा; परोठा परवानगी स्त्री० परवानगी; इजाजत परिघ पुं० वृत्तकी परिधि; घेरा (२) परवानो पुं० परवाना; अधिकार-पत्र; अर्गला; सिटकिनी (३) अर्गला जैसा 'लाइसेंस' (२) तितली; परवाना (३) छुट्टी; आज़ादी [ला.] एक डंडा. [होना; रूपांतर होना परवार पुं०; स्त्री० फुरसत परिणम अ० क्रि० परिणामको प्राप्त परवारवं अ० क्रि० काम पूरा करके परिबळ न० शक्ति [(२)वंशज फुरसत पाना; सपरना; फ़राग़त होना परियं न०, (-यो) पुं० पुरखा; पूर्वज परवाळु न० मूंगा; प्रवाल परिसंख्या स्त्री० परिसंख्या; गिनती परसाद पुं० देखिये 'प्रसाद' (२)अंदाज़ ; अटकल (३)जोड़; जमा परसादी स्त्री० देखिये 'प्रसादी' (४)एक अर्थालंकार; परिसंख्या : परसाळ स्त्री० देखिये 'पडसाळ' परी स्त्री० परी; अप्सरा परसेवो पुं० पसीना परीकवा स्त्री० परीकथा; अद्भुत परहेज (र) वि० बंधनमें पड़ा हुआ; कथा; 'फेयरी टेल'. . कैदी (२) परहेज़ करनेवाला; बीमा- पर न० पीब; मवाद; पीप [परे रीमें कुपथ्यसे बचनेवाला (३)परहेज़ परन० उपनगर; 'तवर्ष (२)अ० दूर; For Private and Personal Use Only Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९४ पवन परूणागत स्त्री०. पाहुनी; आतिथ्य; ___ उलट-पुलट (२)पलटा (संगीत, कुश्ती मेहमानदारी आदिमें) [पसीजना [ला.] परूणो पुं० पाहुना; अतिथि पलळवू अ०क्रि० भीगना (२) (दिल) परेज, परेजी(रे')देखिये 'परहेज' आदि । पलंग पुं० पलंग [मौखिक हिसाब परोड(रो') पुं०; न० तड़का; प्रभात । पलाकुं(-खं)न० अंकके पहाड़ेका प्रश्न; परोढियं न० तड़का;प्रभात; सबेरा पलाण न० पलान; जीन या चारजामा परोणागत स्त्री० देखिये 'परूणागत' (२) सवार होनेकी क्रिया; सवारी परोणी स्त्री० देखिये 'पराणी' पलाण, अ० क्रि० सवार होना (२) परोणो पुं० देखिये 'पराणो' पलान कसना; पलानना [प.] परोणो पुं० पाहुना; मेहमान पलाव पुं० पुलाव परोव, स० क्रि० पिरोना (२) [ला.] __ पलाळवं स० क्रि० भिगोना (२)[ला.] किसी काममें मन लगाना, जोड़ना दिल पर असर पहुंचाना; पिघलाना पर्व न० पुस्तकका कोई भाग; पर्व (३) किसी कामका आरम्भ करना (२) अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और (४) मूंड़नेके लिए दाढ़ी भिगोना . अमावस्यामसे कोई एक तिथि; पर्व पलांठी स्त्री० पालथी; पलथी (३) पवित्र दिवस (४) त्योहार; पलीत पुं०; न० पलीत; पलीद; भूतप्रेत उत्सव; पर्व (५) गाँठ; पोर (ईख पलीतो पुं० पलीता; फलीता।[-चांपवो आदिकी) = पलीता दागना, देना, दिखाना। पर्वणी स्त्री० पवित्र दिवस (२) उकसाना; उभारना.] पलक स्त्री० पलक; क्षण; निमिष पलेट पुं०;स्त्री०पलेट (सिलाईमें); पट्टी पलक स्त्री० पलक गिरनेकी क्रिया;झपक पलोट, सक्रि० कामकाजमें लगाकर पलक अ० क्रि० झपकना; पलकका अनुभवी-होशियार बनाना (२) गिरना और उठना (२) पलक गिरनेकी फेरकर सवारीके लायक बनाना; तरह गति होना या आना (३) रह सधाना; निकालना(३) चप्पी करना; रहकर चमकना; झिलमिलानो पाँव दबाना पलकारो पुं० झपकना; पलकका पल्लवी वि० पल्लवित (वृक्ष) (२) - गिरना; झपक (२) झिलमिल (रोशनी स्त्री० इंगित; इशारा; उदा० 'करआदि) (३) इशारा; संकेत पल्लवी, नेत्रपल्लवी' . . पलटण (न) स्त्री० पलटन . पल्लं न० पलड़ा; पल्ला (तराजू) पलटवं स० क्रि० पलटना; बदलना पल्लं न० वरकी ओरसे कन्याको दिया पलटावg स० क्रि० पलटना; बदलवाना जानेवाला स्त्रीधन; हुंडा पलटा, अ०क्रि० 'पलटवू' क्रियाका पवई स्त्री० हिजड़ा; हीजड़ा; जनखा कर्मणि; बदल जाना; पलट जाना; पवन पुं० पवन; हवा (२) [ला.] पलटना ..... घमंड; अहंकार (३) फैशन । -काठी पल्टी स्त्री०, (-) पुं० उलट-फेर; मालवो = घमंड चूर-चूर करना। For Private and Personal Use Only Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पथनपावडी - बालवो, बावो = का फ़ैशन होना । - भरावो = मिज़ाज होना; घमंड होना; मिजाज सातवें आसमान पर होना . ] पवनपावडी स्त्री० वह जादूकी खड़ाऊं जिससे आसमान में उड़ा जा सके पवाडो पुं० पॅवाड़ा; वीरगाथा पवात, पवायत स्त्री० सूत या कपड़े में • लगाया जानेवाला कलफ़ ; माँड़ी (२) खेत आदिकी सिंचाई पवाली स्त्री० छोटा जाम; प्याली (२) पानी आदि भरनेका एक ऊँचे किनारोंका पात्र पवालुं न० प्याला; गिलास ; जाम (२) बड़ा नलाकार बरतन (३) अनाज नापनेका छोटा पात्र; पायली पवैयो पुं० हिजड़ा; हीजड़ा; जनखा पश्चिम वि० पश्चिमी; मग़रिबी; पच्छिमका (२) पीछेका पिछला (३) स्त्री० मग़रिब पश्चिम ( ४ ) न० योरप, अमरिका वग़ैरह पश्चिमी प्रदेश । [ -मां सूर्य ऊगवो = अनहोनी होना; पत्थर पर दूब जमना ; आसमानके तारे तोड़ना.] पस स्त्री० अंजलि ; अंजलिपुट; ओख पसरवुं अ० क्रि० पसरना; फैलना पसली स्त्री० आधी अंजलि ; पसर ; ओख (२) हथेलीका बनाया हुआ गड्ढा जिसमें आचमनका जल रहे; अंजलि (३) वह उपहार जो भाई बहनको देता है; भ्रातृदत्त (४) अँगूठी पसन्द वि० पसंद; मनोनुकूल (२) चुना हुआ; पसंद; स्वीकृत पसंदगी स्त्री० पसंद; रुचि पसायतुं न० बख्शिशके रूपमें मिली हुई ज़मीन; भूंडरी २९५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पसार वि० पार किया हुआ (२) पास ( जाँच में) [ (२) प्रवेश ; पैठ पसार पुं० फैलाव; पसारा प्रचार पसारखं स० क्रि० पसारना (२) लंबाना पसारो पुं० पसारा ; प्रसार; विस्तार पसीनो पुं० देखिये 'परसेवो' पस्तानुं न० रवानगी (अन्य गाँव जानेको) (२) प्रस्थान ( यात्राके पहले शुभ मुहूर्तमें किसीके घर वस्त्रादि रख आना) पस्तावुं अ० क्रि० पछताना पस्तावो पुं० पछतावा; पश्चाताप पस्ती स्त्री०निकम्मे काग़ज़ ; रद्दी पहाड पुं० पहाड़; पर्वत । [ जेवुं = पहाड़ जैसा बड़ा, दृढ़, अचल या मजबूत; पहाड़.] पहाडी वि०पहाड़ी; पहाड़का (२) मजबूत; कद्दावर [ला.] (३) स्त्री० छोटा पहाड़, पहाड़ी ( ४ ) गिरिमाला (५) एक रागिनी; पहाड़ी पहाण पुं० पाषाण; पत्थर [ खसरा पहाणीपत्रक न० पटवारीकी बही; पहाणो पुं० देखिये 'पहाण ' पहेरण (पू) न० कुरता पहेरनुं (पू) स० क्रि० पहनना पहेरवेश पुं० कपड़े पहननेका ढंग या त; पहनावा (२) पोशाक; पहनावा पहेरामणी स्त्री० कन्याके बापकी ओरसे वरको और उसके रिश्तेदारोंको दी जानेवाली भेंट ; मिलनी पहेराबनुं स०क्रि० 'परतुं' का प्रेरणार्थक; --पहनाना (२) गले मढ़ना (माल आदि) पहेरेगीर (1) पुं० पहरेवार; पहरी पहेरी (पू) पुं० पहरा देख-रेख ; जाब्ता; चौकी; निगरानी (२) संभाळ; हवाला पहेल (व्हॅ) स्त्री ० पहल: आरंभ; अगुआई For Private and Personal Use Only Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पहेल (पु) पुं० दो कोनोंके बीचकी सतह; पहल ( हीरा, पासा आदिकी) पहेलवार (प) वि० पहलदार पहेलवहेलुं (पहॅ; व्) वि० पहली ही बारका सबसे प्रथम (२) अ० पहलेपहल ; प्रथमतः पहेलवान पुं० पहलवान; मल्ल पहेली (पू) अ पहले; आगे ; पेश्तर पहेलुं ( पहॅ) वि० पहला ; प्रथम ( २ ) मुख्य; आला; श्रेष्ठ (३) अ० सबसे आगे; सर्वप्रथम पहोच (पहॉ) स्त्री० पहुँच; रसाई; गति (२) रसीद (३) [ला.] समझनेकी शक्ति; सूझ-बूझ ( ४ ) सामर्थ्य; बूता । [ पहोची वळवं = बराबरीमें आना; मुक़ाबलेमें पार उतरना; -से पार पाना.] पहोचवं (पहॉ) अ०क्रि० पहुँचना ; जाना (२) ( भेजी हुई चीज्रका) मिलना (३) टिकना जारी रहना; लगा रहना ( ४ ) स० क्रि० मुक़ाबलेका होना; समान होना; पहुँचना पहोचाडवं ( पहॉ) स० क्रि० 'पहोचबुं ' का प्रेरणार्थक; पहुँचाना पहोचेलं (व्हॉ) वि० जो किसीसे छला न जाय; अनुभवी; चालाक; घाघ पहोर ( पहाँ) पुं० पहर; याम महोळाई (हॉ) स्त्री० चौड़ाई पहोळं (हॉ) वि० चौड़ा (२) कुशादा; विस्तृत ( ३ ) जो बंद न हो; खुला (४) फैलाया हुआ; अलग; उदा० 'दाणा पहोळा करवा' । [-पई नबुं = तबाह होना; चौपट होना । = फूलकर "कुप्या होना; बाचें खिलमा; अत्यधिक उदार था बेफ़िक बनना.] - २९६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहोंच, (०गुं), (घाडं) (हॉ० ) देखिये 'पहोच' आदि पहोंची (व्हॉ० ) स्त्री० पहुँची (गहना) पहोंचे (व्हॉ० ) वि० देखिये ' पहोचेलुं ' पहोंचो ( पहॉ० ) पुं० हाथकी कलाई; पहुँचा । [ पहोंचा करडवा = कुछ नं सूझना; अक्ल मारी जाना ( २ ) हिम्मत हारना; पछताना | - पकडवी = गुनाह करते हुए किसीको पकड़ना ( २ ) पहुँचा पकड़ता.] [ ( २ ) क्षण; छन पळ स्त्री० पल; ६० विपलका समय पळवूं अ० क्रि० जाना पळवूं अ० क्रि० पालित होना; पलनो ; पाला-पोसा जाना (२) रास या अनुकूल आना ( ३ ) ( जमीन ) अपने क़ब्ज़े में होना ( ४ ) स० क्रि० (वचन) पालना; निबाहना [ सुहाती पळशी (सी) स्त्री० चापलूसी; ठकुरपळावं अ० क्रि० 'पळवूं' 'पाळबुं' का कर्मणि; पाला जाना 4 For Private and Personal Use Only 1 पळियुं न० पका हुआ बाल; पलित । [ पळियां आववां = बाल सफ़ेद होना; बुढ़ापा आना; सफ़ेदी आना.] पळी स्त्री०पली (घी-तेल निकालनेकी) पळोटवुं स० क्रि० देखिये ' पलोटवुं ' पंकावुं अ० क्रि० नाम होना; सराहा जाना ; का नाम लिया जाना पंखिणी स्त्री० मादा पक्षी; पक्षिणी पंखी (-) न० पंखी ; पखेरू पंखोपुं० पंखा (२) मोटर आदिके पहिये परका ढक्कन; पंखी ; मडगार्ड' पंगत स्त्री • पंगत ; पंक्ति ( भोजनमें ) पंच वि० पंच पाँच ( २ ) न० पंचायत ; पंच (सभा) (३) पुं० पंचका सदस्य; Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पंच | [ -नीम = पंच बदना; पंच मानना; मध्यस्थ बनाना. ] पंचक न० पांचका समूह; पंचक ( २ ) धनिष्ठा आदि पाँच नक्षत्र ; पंचक पंचक्यास पुं० पंचनामा; पंचकी तजवीज पंचनामुं न० पंचनामा; पंचोंकी तजवीज पंचराउ वि० फुटकल ; खुर्दा ( बिक्री) (२) पंचमेल (मिश्रण) पंचराशि स्त्री० ; न० पंचराशिक [ग] पंचवायका स्त्री० अफ़वाह ; जनरव पंचाजीरी स्त्री० पंजीरी [ ९५ पंचाणु (- i) वि० पंचानवे; पचानवे; पंचात स्त्री० पंचायत ; पंच ( २ ) पंचायतकी जाँच या तजवीज (३) पंचायतका फ़ैसला ( ४ ) [ला. ] ऊहापोह ; माथापच्ची; बहस ( ५ ) पचड़ा; झमेला | [- बहोरवी, - मां पडवुं = तकरार या झंझट मोल लेना; पचड़ेमें पड़ना.] पंचातनामुं न० पंचनामा पंचातियुं वि० झंझटी; पेचीदा; टेढ़ा ( काम या चीज़ ) (२) पंचायतके करने योग्य; पंचायती (३) झगड़ालू; बखेड़िया पंचायत स्त्री० पंचोंकी मंडली ; पंचायत (२) बिरादरीकी कार्यकारिणी सभा; पंच ( ३ ) पचड़ा; तकरार; झमेला पंचावन वि० पचपन; ५५ पंचाशी (सी) वि० पचासी ८५ पंचांग वि० पांच अंगोंवाला; पंचांग ( २ ) न० तिथिपत्र; पंचांग पंखियं न ० छोटी धोती ; कछनी; अँगोछी पंचोतेर वि० पचहत्तर; ७५ पंजरी स्त्री० पंजीरी O पंजेटी स्त्री • खेतीका ओक साधन; पाँचा पंजो पुं० ( हथेली और पैरका) पंजा (२) चिड़ियोंका पंजा; चंगुल (३) पंजा २९७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (ताश, पासा आदिका) । [ पंजामा लेवं = पंजे में करना; क़ाबू में करना । -ची काढवो, चोढी देवो = तमाचा मारना; हुलिया बिगाड़ देना. ] पंड पुं० पिंड; शरीर; देह (२) खुदकी जात ( ३ ) पिंडा; पिंड ( श्राद्धमें ) (४) पीलिया; पांडुरोग पंडरोगियुं, पंडरोगी वि० पांडुरोगी पंडे अ० खुद; आप; स्वयं पंडो पुं० पंडा; यात्रावाल पंडोळं न० चिचिंडा (तरकारी) पंचा पुं० पुरोहित (२) एक अल्ल पंडो पुं० ग्रामशालाका ब्राह्मण-शिक्षक ( २ ) पुरोहित ; उपाध्याय [ स्टर' पंतप्रधान पुं० मुख्यमंत्री ; 'चीफ़ मिनिपंतियालुं वि० जो कई आदमियोंके सा झेमें हो; पत्तीवाला (२) न० साझेका ब्योपार; साझेदारी पंतूची पुं० सिर्फ़ बच्चे पढ़ाना जाननेवाला; मास्टर; मुंशी (२) पोथीपंडित पंदर वि० पंद्रह पंदरह; १५ पंप पुं० पंप ( पानी खींचनेकी कल ) (२) हवा भरनेकी पिचकारी; पंप (३) मोटरमें पेट्रोल भरनेका यंत्र या वह स्थान पंपाळबुं स ० क्रि० सहलाना (२) [ला. ] अनुचित लाड़-प्यार करना ( ३ ) सहेजना; तंदेहीसे सम्हालते जाना पंपोयो पुं० ईंटका टुकड़ा; ईंटकोहरा पा वि० चौथे हिस्सेका ; पाव या स्त्री० तरफ़; ओर पाई स्त्री० पाई; पैसेका तीसरा भाग पाक वि० पाक; पवित्र ( २ ) प्रामाणिक पाक पुं० पाक; परिपक्वता (२) पैदाइश; उपज (३) खेतीकी उपज; फ़सल; For Private and Personal Use Only Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पाकट पैदावार ( ४ ) खाद्य पदार्थ; पाक (५) पाक (फोड़ेका) (६) रसोई; पकाना ; पाक पाकट वि० पाकठ; पका हुआ; पक्का (२) पुख्ता ; पाकठ; अनुभवी पाकवं अ० क्रि० पकना; परिणत अवस्थाको प्राप्त होना; सीझना (अनाज, फल आदि ) (२) फ़सल पैदा होना; उपजना; उदा० 'बाजरी आ वर्षे बहु पाकी' (३) (शरीरमें ) मवाद भर आनेकी अवस्थाको पहुँचना; पकना (४) ( बालका) सफ़ेद होना; पकना (५) [ला. ] सिद्ध होना; निकलना; साबित होना; उदा० 'छोकरो सारो पाक्यो' (६) (शरीर, अवयव ) चूर हो गया हो इस तरह पीड़ा होना; उदा० 'बाकथी शरीर पाकी गयुं छे' (७) नियत समय आना; वक्त पूर्ण होना (हुंडी) (८) (गोटीका) सब खानोंको पारकर अपने खानेमें पहुँचना; पकना ( ९ ) प्राप्ति होना; खटना; -के हाथ आना; उदा० ' आजनो दहाडो पाक्यो; तेमां तारं शुं पाक्युं ?' पाकाई स्त्री० देखिये ' पक्काई ' पाकी स्त्री० काम-काज बंद करना; हड़ताल पाकुं वि० पक्का; जो कच्चा न हो; पका हुआ ( २ ) पुख्ता; पाकठ; अनुभवी ( ३ ) पक्का ( भोजन, सीघा) (४) जो छूनेसे जूठा न हो; धीमें पकाया हुआ (५.) जो छला न जाय; अनुभवी; घाघ [ला.] (६) होशियार; उदा० 'छोकरो गणितमां पाको छे' (७) दृढ़; अचल; पक्का (८) जिसमें कमी न हो; परिपूर्ण २९८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प ( ९ ) जिसमें सुरखी-चूना आदिका उपयोग हुआ हो ( मकान ) ; ( क़रार या लेख ) जो क़ानूनके विरुद्ध न हो; पक्का । [ -पान = जराजीर्ण-वृद्ध मनुष्य । —लखाण = क़ानूनके अनुसार आखिरी लेख - क़रार । पाके पावे निश्चयपूर्वक ; निस्संदेह .] पाग ( -घ) डी स्त्री० पगड़ी ( २ ) [ला. ] अच्छे कामके बदलेमें दिया जानेवाला उपहार; सिरोपाव ( ३ ) वह रक़म जो मकान किराये पर लेने पर पेशगी और नाजायज तौर पर दी जाती है; पगड़ी (४) रिश्वत । [ - उतारवी = ( किसीके ) पैरों पर पगड़ी रखना; दयाकी भीख मांगना । - ऊंषी घालवी = दिवाला निकालना | - फेरववी = मुकर जाना; झूठ बोलना ( २ ) दिवाला निकालना (३) पक्ष बदलना । -बंधाववी = इनाम या सिरोपाव देना ( २ ) सराहना; शाबाशी देना ( ३ ) शोक छुड़ाना.] पाडीपन पुं० पगड़ीके जैसा विस्तार ( बहुत लंबा, कम चौड़ा) पाच न० मवाद; पीब; पीप पालुं वि० पिछला ; बादका ( २ ) पहलेका । [ पाछली अवस्था = वृद्धावस्था; बुढ़ापा । पाछली रात = रातका पिछला प्रहर; भीगी रात । पाछले बारणेयी = चोरी-चोरी; छिपे छिपे . ] पाडळ अ० पीछे; पीठकी ओर । [ -पड = पिछड़ जाना (२) किसी काममें तंदेहीसे लगा रहना; जुटना (३) पीछा पकड़ना; पीछे लगना । -पडी जर्बु = बराबरीमें न रह पाना; पिछड़ना; स्थिति या दरजेमें पीछे रह For Private and Personal Use Only Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पार्छु जाना । मूक = से आगे बढ़ना; - को पीछे छोड़ना. ] पालुं वि० पिछला ; पीछेका ( २ ) अ० पीछे ( ३ ) इसके अलावा; और; फिर (४) उलटी दिशामें; वापस; उदा० 'पाछो आव ' ( ५ ) बाजू पर; जरा पीछे; उदा० 'तुं पाछो खस, पाछो बेस ' [पाछी पानी करवी = पीठ दिखाना; पीठ फेरना । -पगलुं भरवुं झिझकना ( २ ) पलायन करना; पीठ फेरना । - पडं = हारना; थक जाना; पीठ फेरना । - वळंबुं = ( = (वीजका ) बिगड़ना, बेस्वाद होना ( २ ) के होना; उलटी होना (३) मर जाना; उठना । - बळीने (वाळीने) जोवं = पीछे क्या है यह देखना; सोचना ; बिचार करना । - वाळवं = अस्वीकार करना; लौटा देना; भगा देना; निकाल देना. ] पाछोतर वि० मौसमके पिछले समयका ; पछेती ( खेती आदि) पाजी वि० पाजी; नीच (२) कंजूस पाट पुं० बड़ा पीढ़ा; पाट ( २ ) पूरा थान (३) जमीनका लंबा पट्ट; पट्टी (४) दो से ज्यादा अददकी एक साथ बुनाई (५) पाँवड़ा ( चलनेके लिए रास्ते में आदरार्थ बिछाना ) (६) (ट) स्त्री० बड़ी चौकी; तख्त (७) लंबा आयताकार टुकड़ा; ( साबुन आदिका ) (८) न० राजगद्दी पाटडी स्त्री० छोटी धरन; कड़ी पाटडो पुं० शहतीर; धरन पाटनगर न० राजधानी; पायतख्त पाटलाची स्त्री०एक प्रकारकी गोह ; गोह पाठकी स्त्री० लंबी, कम चौड़ी चौकी; 'बेंच ' (२) छोटा पीढ़ा (३) टखनेसे २९९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाठी उँगलियों तकका भाग ( ४ ) एक तरहका गहना (५) धोती- साड़ी आदिके चुनटदार सिरे जो कमर और पेमें खोंसे जाते हैं पाटलून नं० पतलून पाटलो पुं० पीढ़ा; पाटा (२) ( रूईकी) गांठ; (चाँदीका) 'पाटला '; सिल । [ पाटले बेसाडी पूजा करवी लाड़दुलारसे निठल्ला बिठाये रखना ( २ ) ( व्यंग्यमें ) कोई काम न सौंपना या करनेको न कहना ; पाँव पूजना. ] पाटवी वि० सबसे बड़ा ( २ ) पुं० राज्यका उत्तराधिकारी; युवराज पाटियुं न० तख्ता; पटिया ; पटरी (२) काला तख्ता; श्याम पट (शालामै ) (३) पाँजरकी हड्डी ; छातीकी हड्डी (४) एक बरतन । [ पाटियां गोठववां = (कोई चीज़ ) अपनी जगह पर ठीक बैठे ऐसा करना; मेल हो ऐसा करना । पाटियां देवावा, भिडावां, बेसी जवां = कलेजा टूटना; छाती फटना; हिम्मत पस्त होना; छातीके किवाड़ खुलना (२) बंद हो जाना (३) नादार या दिवालिया होना । पाटियां रंगावां = खूब मरम्मत होना; बेभावकी पड़ना (२) बहुत टोटा होना. ] पाटियो पुं० बटलोईनुमा मिट्टी या धातुका एक बरतन ; हाँडी पाटी स्त्री० पाटी; स्लेट (२) सूत या रेशमकी बुनी या गूंथी हुई चौड़ी पट्टी; निवार (३) धातुका पतला, लंबा टुकड़ा; पट्टी (४) गाँवकी पट्टीदारी (५) एक ही मालिकीके पंक्तिबद्ध खेत (६) माजरा ; वाक्क्रया; उदा० 'सत्यानाशनी पाटी' (७) दल; टुकड़ी; For Private and Personal Use Only Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाटीदार ३०० दस्ता।[-उपर धूळ नालवीशालामें भैसा।[पाडा मुंडवा-निठल्ला होकर जाना। -वाळवी = वीरान करना; निकम्मे काम करना.] उजाड़ देना.] पाडगे (पा') पुं० पहाड़ा पाटीदार पुं० जमींदार; पट्टीदार (२) पाडो पुं० पाड़ा; टोला; मुहल्ला 'पाटीदार' जातिका आदमी .. पागेश पुं० पड़ोस पाटीवाळो पुं० रेलकी सड़क पर काम पारोशण स्त्री० पड़ोसिन करनेवाले रेलके मजदूरोंकी टुकड़ीका पाडोशी पुं० पड़ोसी; हमसाया आदमी; 'गैंगमैन' पाण(ण,) स्त्री० चौथा भाग; पाव पाटु स्त्री०; न० लात (२) चौथा भाग सूचित करनेवाली खड़ी लकीर; पाई" पाटो पुं० पट्टीके जैसा कपड़ेका लंबा पाण न० सिंचाई (२)माड़ी; कलफ़ पतला टुकड़ा; पट्टी (२) (रेलकी) पाणियारी (पा') स्त्री० पनहारिन; पटरी (३) लीक (गाड़ी आदिकी) पनहारी (४) लोकरीति; रिवाज। [पाटा पापिया(पा') न० घरमें पानीके बरबांधवा= पट्टी पढ़ाना; बहकाना (२) तन रखनेकी जगह; पनसाल; घड़ाँची भ्रमित होना; कुछ न सूझना; होश पाणी न० पानी; जल; आब (२) जल ठिकाने न रहना । पाटे चढवं = व्यव जैसा कोई तरल पदार्थ; पानी (३) स्थित रूपसे चालू होना; जमना। -गोठवो = मेल मिलना; बनत होना. [ला.] धार; बाढ़ (४) तेज; आब; नूर (५) शूरवीरता; जीवट (६) पाठ पुं० पाठ; पठन (२) सबक़ ; पाठ टेक ; आबरू; पानी; मान-मर्यादा (७) (३) बोध; सीख (४)धार्मिक ग्रंथोंको मुलम्मा; कलई। [-उतार=सख्त नियमित रूपसे पढ़ना; पाठ परिश्रमके काममें लगाना (२) पानी पाठमाला (-ळा) स्त्री० क्रमिक पाठोंकी उतारना; बेइज्जती करना।-उत्तर पुस्तक; पाठावली. =ज्वार या बाढ़का पानी घटना; पाठव, स०कि० भेजना; पठाना [प.] पानी कम होना (२) बुझाई हुई पार्छ न० पीठपर होनेवाला फोड़ा तलवार आदिका असर नष्ट होना; पार्छ न० घीकुआरका पट्ठा मरना (३) पानी उतरना; बेइज्जती पाउ(पा') पुं० उपकार; एहसान। [ होना (४) खूब श्रम पड़ना; थक जाना चरमो-का एहसानमंद होना.] (५) (परका) सूजना । -बगवq= पार स०क्रि० गिराना (२) तैयार उकसाना; ललकार कर लड़नेको उद्यत करना; बनाना (सिक्का आदि) करना (२) हथियार या लोहेको पारावार पुं० पक्का बैर (भैसों जैसा) बुझाना। -जq = इज्जत बिगड़ना, पाठी स्त्री० भैसका मादा बच्चा; पड़िया जाना। ना रेलानी पेठे= छनभरमें; पाएं न० भैसका बच्चा; पड़वा : सपाटेसे। -नो परपोटो= क्षणभंगुर पागे पुं० भैसका नर बच्चा; पाड़ा; वस्तु; बुलबुला। -पग् = पानी For Private and Personal Use Only Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पड़ना; वर्षा होना (२) मेहनत पड़ना। -पहेला पाळ = पानीसे पहले पुल या बांध (बांधना)।-पाणी करवं = पानीके लिए तरसना (२) का डालना (३) खूब खुश करना। -पाणी थई जq= पसीनेसे तर हो जाना(२)खूब खुश होना(३)(झार आदिका)पानी होना।-पा-मुलम्मा चढ़ाना (२) (हथियारकी धार तेज करने या हथियारको सख्त करनेके लिए) पानीमें बुझाना; पानी बुझाना (३) भड़काना; उकसाना (४)पानी देना; सींचना ।-पीने घर पूछ-पानी पीकर जाति पूछना।-फरवू, फरी वळj=पानी फिरना; बरबाद होना। .. -फेरबद्यं = पानी फेरना; चौपट करना ।-भरवू = पानी खींचना (२) पानी भरना;फीका पड़ना।-मांजq= श्रम बेकार जाना:-मांमूठीबो भरवी = मिथ्या प्रयत्न करना; हवा मुट्ठी में बांधना। -मकप्रतिज्ञा लेना ।लागपानी लगना।-लेq=पानी लेना(२)प्रतिज्ञा करना;नियम रखना.] पाणीचं वि० पनिहा; जलयुक्त (२) न० पानीवाला नारियल। -आपवं, परलावq= बरतरफ़ करना; निकाल देना।-मळवू = बरतरफ़ होना.] पाणीछल्लं वि०शरमिंदा; लज्जित (२) पनिहा; जलयुक्त (३) न० नारियल पाणीपोचुं वि० जिसमें कुछ पानी रहा हो; पचपचा पाणीफेर, पाणीबदलो पुं० (स्वास्थ्य सुधारको लिए) स्थानांतर करना । पाक पता; (२) मईकन पत्ता या उसकी एक बानगी TIRLIT libelli TIRATITI पातळ स्त्री० पत्तक; पत्तर(२)परोसा पत्तल (खाद्य सामग्री) पातळ वि. पतला; महीन पाताल (-2) न. पाताल । [-फोड पृथ्वीके पेटामें से पानी निकालना (२) अति कठिन काम करना; पत्थरको जोंक लगाना.; आसमानके तारे तोड़ना। मां पग होवा%= अप्रकट रूपसे बहुत कपटी और चालाक होना। मां पेसी जq=धरतीमें समा जाना (२) अति लज्जित होना; गड़ जाना.] पाताळकूबो पुं० अथाह पानीवाला कुआँ; टयूबवेल' पात्र वि० योग्य; लायक; क़ाबिल; उदा० दानपात्र; विश्वासपात्र' (२) न० पात्र; बरतन (३)नदीके दो तटोंके बीचका भाग; नदीका पेटा या पाट; पात्र (४) अभिनेता; पात्र (५) कहानी या उपन्यासका पात्र (६) लायक, योग्य व्यक्ति; पात्र .. पाथरण (-j) न० बिछावन; दरी पाथरपुं सक्रि० फैलाना (२)विळाना पाव न० अपानवायु; पाद. पादण वि० पादनेवाला; पदोड़ा(२) डरपोक; पदोड़ा [ला.] पादर न० गोईंडा; रहावन (गांवका) पावरी पुं० पादरी : पाव, अ० क्रि० पादना। [पायी जवं, पड्= डर जाना.] पाषर वि०. जनशून्य; वनस्पतिशुन्य; उजाड़; वीरान (२)खुला; मैदान जैसा (३) न० देखिये पादर'... . पाषरं वि० सीधा; जो माड़ा या टेड़ा न हो. (२) सरल; सीमा (३)३० कहीं गये-कके बिना; सीमा For Private and Personal Use Only Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पान पान न० पीना; पान पान न० पत्ता पत्र ( २ ) पृष्ठ (पुस्तकका); पन्ना (३) नागरबेलका पत्ता ; पान पानसर स्त्री० पतझड़ पानडी स्त्री० छोटा और कोमल पत्ता; पल्लव (२) स्त्रियोंका कानका एक गहना; पत्ता [ पानदान;पनडिब्बा पानवान ( - नियं) न०, पानवानी स्त्री ० पानपटी (डी), पानवीडी स्त्री०, पान बीडुं न० पानका बीड़ा; तांबूल पानसोपारी स्त्री०; न० पान और सुपारीका मुखवासन (२) [ला.] तुच्छ भेंट, पानफूल (३) किसीके मानमें किया जानेवाला समारंभ पानियुं न० पन्ना ; पृष्ठ ( २ ) नसीबका पन्ना ; भाग्य [ला. ] [ नीचेका भाग पानी (नी ' ) स्त्री० तलवेका एड़ीके पानुं न०पत्ता, पर्ण (२) पृष्ठ ; पन्ना (३) ( ताशका) पत्ता ( ४ ) औजारका धारवाला भाग; फल ( ५ ) ( रत्न) पन्ना (६) [ला. ] जीवनभरका संबंध; पाला । [पड - साबिक़ा होना; जीवनमें साथ रहनेका मौक़ा आना; पाला पड़ना. ] पानेतर न० वह सफ़ेद वस्त्र जो ब्याहके समय कन्याको पहनाया जाता है। पानो (नो') पुं० वात्सल्यसे माँकी छातीमें दूध उमड़ आना ( २ ) पेन्हाना (३) जीवट ; शूरवीरता; जोश; धैर्य [ला. ] । [ -चडवो = छातीमें दूध भर आना, उमड़ आना (२) दुलार होना; दूध पिलानेकी इच्छा होना ( ३ ) जोश में बाना.] पाप न० अधार्मिक कृत्य; पाप ( २ ) [ला. ] कपट ( ३ ) नापसन्द व्यक्ति; ३०२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पायानी केळवणी बला [ला. ] । [ - उधाएं पडकुंबुरे कामका भेद खुल जाना।-गयुं,टळचुं= बला टली; बाधा दूर हुई; पाप कटा । -फूटी नोकळं = = पाप उदय होना; पापका फल मिलना. ] पापड पुं० पापड़ [ खार पापडखार, पापडियो खार पुं० पापड़ापापडी स्त्री० पापड़ जैसी एक खाद्य चीज़ (चावलके आटेकी) पापडी स्त्री० सेम; शिबी पापियुं वि० पापी; पातकी पाम स०क्रि० प्राप्त करना; पाना ( २ ) ताड़ जाना; भाँपना; समझ जाना; पाना पाय पुं० पाँव । [ पाये पडबुं, लागबुं = मत्था टेकना; नमस्कार करना ( २ ) माफ़ी माँगना; पाँव पड़ना. ] पायखानुं न० पाखाना; पायखाना; शौचालय पायजामो पुं० पायजामा; पाजामा पायतख्त न० पायतख्त; राजधानी पायदस्त स्त्री० ( पारसीकी) मरणयात्रा पायवळ न० पैदल लश्कर ; पैदल पायमाल वि० पायमाल; पामाल; चौपट पायमाली स्त्री० पामाली; बरबादी पायरी स्त्री० सीढ़ीका पाया; सोपान; सीढ़ी (२) पद; दरजा (३) एक प्रकारका आम पायलागणुं न० पालागन पायली स्त्री० अनाज नापनेका बरतन; पायली (२) चवन्नी ; पावली पायादार वि० पायदार; बुनियादी पायानी केळवणी स्त्री० मुनियाकी तालीम; नई तालीम For Private and Personal Use Only Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पायो पायो पुं० पाया; पावा (२) कपड़े धोनेका डंडा (३)बुनियाद; नीव; नीतू (४) (त्रिकोणका) तल (५) घी और गुड़की चाशनी (६)आधार; मूल [ला.][-ओछो होवो = अक्लकी कनी होना; अक्लका फ़तूर होना या पागल होना; कमअक्ल । -भासवो = शिलान्यास विधि करना; मकानकी बुनियाद डालना (२) नीव डालना; कोई कार्य आरम्भ करना.] पार पुं० पार; अंत; छोर (२) हद; सीमा; पार (३) किनारा; तट; पार (४) गढ़ मर्म ; भेद [ला.-आवबो% मनाप्त होना; खत्म होना। -उतरवं = पार लगना; पार उतरना; किनारे पहुँचना (२)सफलतापूर्वक पूर्ण होना; सिद्ध होना; काम पूरा उतरना।। -पामवोमर्म, भेद जानना। मूकवो, मेलवो, लाववोसमाप्त,खत्म करना; पार लगाना.] पार (र,) स्त्री० लाख चढ़ाया हुआ मटका (२)अमृतबान; मरतबान पारकुं वि० पराया; गैरका; दूसरेका पारख स्त्री० परख ; परीक्षा पारखवं स०क्रि० परीक्षा करना; गुणदोष जान लेना; परखना(२)पहचान लेना; परख करना पारन वि० कद्रदी; परखैया पारवं न० परीक्षा; परख (२)परचा; प्रतापका प्रमाण; सबूत; चमत्कार। [-कर, बोर्बु, ले परीक्षा करना; परखना। -देसाई, बतार-चमत्कार करके अपना बल दिखाना; परचा देना; शक्तिका परिचय देना.] पारन पालना;ोटाला(बन्नोंका) पाता पार न० पारण; पारणा (व्रत, उप वासका) पारषी पुं० पारधी; शिकारी पारस पुं० पारस; फारस; ईरान पारस पुं० पारस; स्पर्शमणि (२) वि० बड़ा; उम्दा क़िस्मका; उदा० 'पारसजांबु' . [राय जामन - पारसजांबुन० बढ़िया किस्मका जामुन पारसण स्त्री० पारसी स्त्री पारसनाथ पुं० पार्श्वनाथ पारसपीपळो पुं० पीपलकी जातिका एक बड़ा पेड़ (२) [ला.] बेघरबारका __ लापरवाह आदमी पारसमणि पुं० पारस; स्पर्शमणि पारसी वि० पारसियोंसे संबद्ध (२) पुं० पारसी [पेन्हाना;पासना पारसो पुं० थनमें दूधका भर जाना; पारावार पुं० समुद्र; पारावार (२) वि० असीम ; अत्यधिक पाराशीशी स्त्री० तापमानयंत्र; 'थरमामीटर पारिजात (क) न० हारसिंगार; पारि जातक; पारिजात (फूल और वृक्ष) पारी स्त्री० रंभा (पत्थर तोड़नेका) पारेख पुं० पारखी; जौहरी (सिक्का, जौहर आदिका (२)एक अल्ल पारेवडं, पारे न० परेवा; कबूतर पारो पुं० पारा (धातु) (२) मालाका दाना; मनका (३) (तंबूरेके तारमें पिरोया हुआ) मनका (४) बंदूककी गोली या छर्रा (५) मसूड़ा पार्लमेन्ट स्त्री० इंग्लण्डकी संसद पार्लमेंट (२) संसद् पालक(-1) स्त्री० एक साग; पालक पालय स्त्री० पाइट(दीवारकी चुनाइन) For Private and Personal Use Only Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाहाती स्त्री. पालकी पालई न० (तराजूका)पलड़ा; पल्ला पालन न० पालन; परवरिश पालनपोषण न० पालन-पोषण पालनहार पुं०पालक; पालन करनेवाला पालब पुं० साड़ीका पल्ला, दामन (२) दुपट्टे या पगड़ीका जरीके तारोंवाला छोर (३) आश्रय; सहारा। [(-) पालवे पड% के पाले पड़ना;-की। शरणमें जाना.] .. पालव, अ० क्रि० पुसाना; पूरा पड़ना (२)उचित जान पड़ना; रास आना (३) सक्रि० पालना; पोसना; निबाहना [बरतन; सेई ; पायली पाली स्त्री० अनाजकी एक नाप ; उसका पाली स्त्री० बारीक पत्तियाँ (२) छोटा गिलास [रौनक़ आदि) पालीस स्त्री० पालिश (मसाला, क्रिया, पालुं न० कुठला; पाला (२) बारिशमें दीवारकी रक्षाके लिए लगाया हुआ टट्टर; टट्टी (३) प्याला; जाम; गिलास। (-नी साथे)पालां पडवी -के पल्ले पड़ता.] पालो पुं० चौपायोंके खानेकी पत्तियाँ; आला-पाला (२)पानी पीनेका जाम; गिलास . पालो पुं०. छतरी (बैलगाड़ी आदिके कमानीदार ढाँचेका आच्छादन) ... पावडी स्त्री० पांवड़ी; खड़ाऊँ (२) पावड़ी (करघेकी). (३) लंबे दस्तेका काठका छोटा फावड़ा; फावड़ी पावगे पुं० फ़ाबड़ा , पावती स्त्री० रसीद; पहुंच पावरपुं वि० कुशल; पटु निम्मात पावली स्त्री. पाबली; चवनी पावलं न० चवन्नी पाईं स० कि० पिलामा पायो पुं० हिजड़ा; नपुंसक ; हीजड़ा पानो पुं० एक प्रकारकी बंसी (२) (स्टीमरका) भोपा; भोंपू ; सीटी । पाशेर पुं० सेरका चौथा भाग; पाव (कच्चा ) ... [(कच्चा ) पाशेरो पुं० एक पावका बाट; पौसेरा पास पुं० स्पर्शसे रंग चढ़ना; पुट (२) सोहबतका असर; संग; संगत [ला.] । [-बेसवो, लागवो- स्पर्शसे रंग चढ़ना (२) संगका रंग चढ़ना; खरबूजेको देखकर खरबूज़ा रंग पकड़ता है.] पास स्त्री० बाजू; ओर (२)अ० पास पास वि० पास; सफल ; फ़तहमंद (२) स्वीकृत; मंजूर ; पसन्द (३)पुं० आज्ञापत्र; रजाकी लिखित आज्ञा; पास । [-पग् = पसंद आना; रुचना-] पासलो पुं० पासेके आकारका वातु आदिका आयताकार टुकड़ा; (धातु आदिकी) ईंट (२) सुनारका एक औजार; पासा पासवान पुं० हुजूरी; नौकर पासवं स० क्रि० रंग चढ़ानेके लिए पहले खटाईका पुट देना पातुं न० करवट (लेटना) (२) पक्ष; बाजू; तड़; किसी वस्तुका दायाँ या बायाँ भाग। [पांसामा घालवू हड़पमा; ग़बन करना (२) आश्रय .. देना; शरणमें लेना.] पासे भ० पासमें; निकट(२)कालमें; बाडमें (१)कब्जे में ; अधिकारमें (४) सामने आगे पाखो पुं० पासा; पांसा (खेलनेवा)। [पाखा मनका सा- भाग्य अति For Private and Personal Use Only Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पासो कूल होना; पासा पलटना । पासा मालवा = पासा फेंकना; भाग्यकी परीक्षा करना । पासा पोवार पडवा = सफल होना; सिद्ध होना; - का पासा पड़ना; भाग्य खुलना. ] पासो पुं० ( चौपायोंका ) दूधको थनमें उतरने देना; पासना पाळ (ळ) स्त्री० तालाब या सरोवरका किनारा; मेंड़; पाल ; पाला (२) बाँध; बंद; पाड़ पाळणुं न० पालना; ढोलना पाळवं स० क्रि० रक्षा करना; पालन करना (२) भरण-पोषण करना ; पालना (३) पाल-पोसकर तालीम देना; शिक्षा देना (४) निभाना ; भंग न करना; के अनुसार बरतना; मानना; पालना; रखना (आज्ञा, वचन, व्रत, रजा आदि ) पाळियो पुं० स्मृतिस्तंभ ( २ ) खेत में पानी ले जानेकी नाली ; घोला [ पाला पाळियो पुं० (मिट्टीका) बाँध; घुस्स; पाळी स्त्री० छुरी; पालिका (२) बारी; पारी (३) हड़ताल (४) पाटा; मेंड़ पांड (०) पुं० न०, ( ० रोटी) स्त्री ० पावरोटी पांख (०) स्त्री० डैना; पर; पंख (२) (सेना, मकान आदिका आगेकी ओर बढ़ा हुआ दायाँ-बायाँ भाग) पक्ष ( ३ ) आश्रय; सहाय [ला. ] । [-मां घालवं = आश्रय देना; शरणमें लेना । पांखो आववी = उड़ान भरने लगना; उड़ना सीखना ( २ ) सयाना होना; होश सम्हालना ( ३ ) भाग जाना; चंपत होना; ग़ायब होना. ] पांडी (०) स्त्री० फूलकी पत्ती ; पँखड़ी; पुष्पदल [ शाखा [ला. ] पांडं (०) न० टहनी (२) कुटुंबकी गु. हि - २० ३०५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांत्री पांला (०) वि० पांखवाला ( २ ) दाँतेदार (३) टहनीवाला पांसि (०) न० पक्ष; तड़ ( २ ) डाली ; शाखा (३) (कैचीका) पल्ला पं (०) वि० झीना; छीदा ; झिलमिला पांगत ( ब ) (०) स्त्री० पायँती; अदवान पांगर (०) अ०क्रि० पनपना पांग (०) न०, ( -रो) पुं० वह डोरी जिससे पालना लटकाया जाता है (२) तराजूका पलड़ा बाँधनेकी रस्सी; तनी (३) गुलेलकी रस्सी (४) पतवारकी ओरका नावका सिरा पांगळं (०) वि० पंगु; पंगुला ( २ ) [ला. ] निर्बल; अशक्त ( ३ ) आश्रयहीन; आधाररहित = पांगोठं (०) न० कंधे से कोहनी तकका हाथका भाग; पखुरा; मुश्क (२) हिलने-डुलनेवाले अवयवका जोड़ पांच (०) वि० पाँच; ५ । [ - माणसां = लोगोंमें; जाहिरमें; समाजमें । - वरसनुं = युवान (२) अरमानभरा. ] पांचम (०) स्त्री० पाँचवीं तिथि, पंचमी पांच (०) वि० पाँचवां पांचशेरी (०) स्त्री० पसेरी; पंसेरी (बाट) पांजरापोळ (०) स्त्री० अशक्त और पंगु मवेशियोंके रहनेका धर्मार्थ स्थान; पिंजरापोल पांजरां (०) न० पिंजरा पिंजड़ा ( २ ) ऐसी कोई भी रचना या बनावट (३) कठघरा ( न्यायालयका ) पांती (०) स्त्री० पक्ष; बाजू (२) रीति; उपाय (३) भाग; हिस्सा ; पट्टी (४) व्यवहार - गणित; 'प्रेक्टिस' (५) देखिये 'पांधी' पांत्रीश ( स ) (०) वि० पैंतीस ३५ For Private and Personal Use Only Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पांची पांची (०) स्त्री० माँग ( बालोंकी) । [-पाडवी = माँग बनाना. ] पांवडी (०) स्त्री० देखिये 'पानडी' पदिड़ ( ० ) न० पत्ता पूर्ण । [-फर = नसीब जागना; दिन फिरना । पांदडे पाणी पावुं = अति दुःख देना; खूब सताना; पेरना. ] पांपण (०) स्त्री० पलकके किनारेके बाल; बरौनी; बरुनी सयाना; पांश ( ० ) वि० सीधा; सरल | [-करं = मार-पीटकर सीधा करना; सीधा करना । -पडबुं = अनुकूल होना; रास आना ; सीधा होना. ] पांसठ (०) वि० पैंसठ; ६५ पांस (०) वि० देखिये 'पांश' पांसळी (०) स्त्री०, ( - ) न० पसली पिक स्त्री० थूक; उगाल ( २ ) पानका थूक; पीक [ पीकदान; उगालदान पिकदानी स्त्री० थूकनेका बरतन; पिखाबुं अ० क्रि० 'पीखवु' का कर्मणि पिगळाववुं स०क्रि० 'पीगळवु' का प्रेरणार्थक; पिघलाना पिचकारी स्त्री० पानीकी धार ( २ ) पिचकारी । [ - आपवी = गुदामार्गसे पानी चढ़ाना; 'एनिमा' देना; बस्तिकर्म.] [ निशान पिछाण स्त्री० जानकारी (२) पहचान; पिछाणवं स० क्रि० पहचानना; जानना पिछान, पिछान देखिये 'पिछाण' आदि पिछोडी स्त्री० देखिये 'पछेडी' । [ओढवी = दिवाला निकालना. ] पिछोडो पुं० देखिये 'पछेडो' पिटा अ० क्रि० 'पीटवुं' का कर्मणि पितकोडी स्त्री० एक चिड़िया पितपापडी पुं० पितपापड़ा; पलास-पापड़ा ३०६ पिरसन पितराई पुं० देखिये 'पित्राई' [ खेत पितवाडी पुं० कुएँ के पानीकी सिंचाईवाला पितळियुं न० (पीतलकी) कटोरी पिस न० वह रस जो कलेजेमें पैदा होकर खुराकको पचाता है; पित्त (२) शरीरके तीन दोषोंमेंसे एक; पित्त । [ - ऊतर, बेस = पित्तका असर दूर होना (२) क्रोध शान्त होना; पित्ता मरना ( ३ ) पित्त उबलना या खौलना; अधिक क्रोध आना. ] पित्तळ न० पीतल; पित्तल (धातु) पित्तळियुं न० देखिये 'पितळियुं' पितो पुं० पित्त (२) क्रोधका तीव्र आवेश [ ला. ] । [ -ऊछळवो, खसवो, हाथमांथी जवो = पित्ता खोलना या उबलना. ] पित्राई पुं० चाचाके बेटे-बेटी; सातवीं पीढ़ी तकका एक ही कुलपतिका वंशज (२) वि० पिता-संबंधी ; पित्र्य पित्राण वि० स्त्री० एक ही वंशमें पैदा होनेवाली पिन स्त्री० आलपीन ( २ ) ' सेफ्टी पिन ' पिपरमीट स्त्री० देखिये 'खाटीमीठी' पिपूडी स्त्री० फूंककर बजानेकी नली ; सीटी; पिपीहरी; पपैया । [-वगाडवी • अपनी ही बातको रटा करना;अपनी गाना ( २ ) खुशामद, भय आदिके कारण हाँ हाँ मिलाना. ] पियर (पि' ) न० पीहर; मायका पियावो पुं०सिंचाईकी उज्जत (२) प्याऊ पियु पुं० पति; कांत पियेर (पि' ) न० देखिये 'पियर' पिरसण न० परोसना ( २ ) परोसा हुआ पात्र; पत्तल, थाली आदि (३) परोसा; पत्तल (भेजना ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिरसाव ३०७ पिरसाव, स० क्रि० पीरसवू'का पीगळवं अ० कि० पिघलना; तरल, प्रेरणार्थक; परसाना (भोज्य वस्तु) द्रवीभूत होना(२)पसीजना; पिघलना पिरामिड पुं० पिरामिड (२) शंकु पीछी स्त्री० तूलिका; कूची; ब्रश आकार (चीज़) पीछु न० पर; पंख (२)उसकी लेखनी पिलाई स्त्री० पेरना; दबाव पहुँचाकर पीछेहठ स्त्री० पीछे हटना; हारना; हार रस निचोड़ना (२) पेरनेकी उजत पीछो पुं० पीछा।[-पकरवो, लेवो= पिलामण न०, (-णी)स्त्री० पेरनेकी पीछा करना (२) खुचड़ निकालते उज्जत (२) त्रास; यातना [ला.] रहना; पीछे पड़ना (३) सताना.] पिलावू अ० क्रि० 'पीलवू' का कर्मणि पीटवं स० क्रि० पीटना; खूब मारना पेरा जाना (२) [ला.] त्रास दिया (२) रोना-धोना; मृत व्यक्तिके शोकमें जाना (३) ओटा जाना छाती पीटना (३) ढोल आदि पर पिल्लं न०, (-स्लो) पुं० लपेटकर डंडा पीटना; बजाना बनाया हुआ गोला; लुंडा; पिंडा पीटयु वि० मुआ; निगोड़ा (गाली) पिवडाव सक्रि० पिलाना जाना पीठ न० स्थान; पीठ; उदा० 'विद्यापिवावं अ० क्रि० पीवु'का कर्मणि ; पिया 'पीठ' (२) स्त्री० बाजार; पेंठ (३) पिसावं अ०क्रि० 'पीस' का कर्मणि; पिसना; पीसा जाना [४५ बाजार-भाव ।[-ऊघडवी = बाजारपिस्ताळीस वि० पैंतालीस; पैतालिस; भाव निकलना, खुलना । -टकी रहेवी = बाजार-भाव स्थिर रहना.] पिस्तुं न० पिस्ता (मेवा) पिस्तोल स्त्री० छोटी बंदूक ; पिस्तौल पीठ स्त्री० पीठ; पृष्ठ। [-आववी%D पीठ लगना; छिलना। -ठोकवी, पिंगल (-ळ) वि. पिंग रंगका; गहरे भूरे रंगका; पिंगल (२) न० छंद: थाबडवी%Dपीठ ठोंकना। -देखावी शास्त्र; पिंगल (३) [ला.] अत्यंत = पीठ दिखाना; भाग खड़ा होना। विस्तार; लंबा-चौड़ा विस्तार -फेरववीत्याग करना; छोड़ देना; पीठ देना.] पिंजर न० पिंजरा पिंड पुं० पिंड ; गोला(२)पिंड (श्राद्धमें) पीठबळ न० पीठ पीछे रहकर सहारा पिंडलं न० देखिये 'पिडु' देनेवाली शक्ति; पीठ पर होना .. पिंडलो पुं० देखिये "पिंडों पीठी स्त्री० चिक्कस; वर-कन्याको पिरी स्त्री० पिंडली; पिंडी (टॉगकी) लगानेका हलदी, जीका आटा और पिडं न० लपेटकर किया हुआ गोला; तेल मिला उबटन पिंडा .. पीठं न० बाजार या दुकान (लकड़ी, मिंडो पुं० पिंडा; पिंड; लुंडा; गोल शराब-ताड़ी आदिकी); शराबखाना; (मिट्टी, आटे, डोरे आदिका) कलवरिया (२)टाल;अहार (लकड़ी) पीक स्त्री० देखिये 'पिक' ।। . पीड स्त्री० पीड़ा; कष्ट (२) प्रसवपीखवं स० क्रि० बदगोई करना वेदना (३) मरोड़ .. For Private and Personal Use Only Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पीग्वं स० कि० पीड़ा पहुंचाना; दुःख देना (२) पकड़ना; ग्रहण करना (३)दबाना; चांपना । पीडा स्त्री० पीड़ा; दुःख, कष्ट (२) बाधा; अड़चन; पीड़ा पीगई अ० कि. 'पीड' क्रियाका कर्मणि; पीड़ित होना; दुःखी होना पीढ स्त्री० काठकी लंबी बल्ली जिस पर पाटनके तख्ते जड़े जाते हैं; कड़ी; छोटी धरन (२) वि० प्रौढ़; सयाना पीढियं न० देखिये 'पीढ' नं० १; कड़ी (२)दाढ़; चौभड़ (३) मसूड़ा 'पीj न० पीनेकी चीज़; पेय । पीत न० पानी देकर तैयार की हुई फ़सल (२) वि० पीला; पीत पीतळ न० पीतल; पित्तल (धातु) पीतुं न०,(-तो) पुं० कृतला पील (-लु) वि० जिसने शराब पी है पीप न० पीपा पीपर स्त्री० एक पेड़; पाकड़ पीपर स्त्री० पीपल ; पिप्पली (लता)। (२) पीपर; पीपल (कली) पीपरीमूळ न० पीपरामूल; पिप्पलीमूल पीपळ पुं० एक वृक्ष; पाकड़ पीपळीमूळ न० देखिये 'पीपरीमूळे पीपळो पुं० पीपल (पेड़); अश्वत्थ पीपी अ० 'पी-पी' आवाज (२) स्त्री० (गाजर या पत्तेकी)फूंककर बजानेकी 'मली; 'पिपीहरी; सीटी (३) ची बोलना; फ़ज़ीहत . [ढीड़ पीयो आँखका मैल; कीचड़ पिजेट; पीरसवं स० कि० परोसना पीरसावू अ० कि. 'पीरस'का कर्मणि; परोसा जाना पीरोज पुं० फ़ीरोज़ा; पीरोजा पीरोजी(-) वि० फ़ीरोजेके रंगका; फ़ीरोजी [देना(३)ओटना(कपास) पील सक्रि० पेरना (२) [ला.] दुःख पीलवो पुं० एक पेड़; पीलू पील पुं० पीलू (पेड़) (२) एक राग (३) पीलूका फल; पीलू पीली स्त्री० पील; पीलू (पेड़) पीलडं न० पीलका फल; पील पीलो पुं०कन्नी; कल्ला (तने या जड़का) पी, सक्रि० पीना; पान करना(२) सोखना; जज्ब करना; पीना (३)धुआँ खींचना; पीना। पीजq=न बदना; सिर चढ़ना; कुछ न समझना(२)किसी बातको सह लेना; पीना पीसणी स्त्री० चक्की (२) ताश फेंटने की बारी; फेंट पीस, सक्रि० पीसना; चूर्ण करना(२) रगड़कर बारीक करना; घोटना; रगड़ना (३) फेंटना (ताश) पीसबो पुं० सीटी; भोपा; भोंपू पीहुडो पुं० देखिये 'पीसवो' पीळाश स्त्री० पीलापन ; जर्दी पीळू वि० पीला; ज़र्द; सँदली पीळूपच वि० बिलकुल पीला पीखवू सक्रि० बिखेर देना(२)नोचना; तोड़कर फेंक देना। [पोखी खावं तानोंसे तंग करना; ताना मारना(२) नोच-नाचकर खा जाना। पीली नाल = चीर-फाड़कर धज्जियाँ उड़ाना; नोच-नाचकर, अलग-थलग कर देना (२)तानोंसे तंग कर देना.]. पीला अ० क्रि० 'पीख' का कर्मणि; बिखरना; नुचना; नोचा जाना पीछी स्त्री० देखिये 'पीछी' .. पीएं म. पर; पिच्छ : For Private and Personal Use Only Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पीजण पजण स्त्री० पिंजन; धुनकी (२) न० धुनाई; पिंजन; पींजना (३) ( किसी बातका) पिष्टपेषण; बार-बार कहना [ला. ] पींजरं न० देखिये 'पांजरं' पीज स० क्रि० धुनना; पींजना (२) ( बातको) बहुत लंबाना [ला. ] पींजामण न०, ( - णी) स्त्री० घुननेकी मज़दूरी; धुनाई पींजारण स्त्री० धुनियेकी स्त्री ( २ ) रुई धुननेका काम करनेवाली स्त्री पींजारो पुं० धुनिया पींजाववं स०क्रि० 'पींजवुं ' का प्रेरणार्थक; धुनवाना [ धुना जाना पींजावं अ०क्रि० 'पीजवुं' का कर्मणि; पींढारो पुं० लुटेरोंकी एक ख्यातनाम जातिका व्यक्ति; पिंडारी पोंढेरी वि० मिट्टीकी दीवारोंवाला पुगाडवं स०क्रि० 'पूगवुं' का प्रेरणार्थक; पहुँचाना तारा पुचकारी स्त्री० पुचकार; चुमकार पुछडियो तारो पुं० धूमकेतु; पुच्छल[ पुछवाना पुछाववं स०क्रि० 'पूछवु' का प्रेरणार्थक; पुछावं अ० क्रि० 'पूछवुं' का कर्मणि; पूछा जाना (पुरुषकी) पुण्यतिथि स्त्री० मृत्युतिथि ( महापुत्रवधू स्त्री० पुत्रकी बहू; पतोहू पुरजो पुं० देखिये 'डक्को' ( २ ) पुरजा; टुकड़ा [ पुरजोश पुरजोर (-श-स) वि० (२) अ० पुरज़ोर; पुरवहार वि० (२) अ० पूरी शानके साथ पुरबियो, पुरभयो पुं० पुरबिया पुरवठा पुं० रसद ; आवश्यक सामग्री ३०९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्ती पुरवणी स्त्री० पूर्ति; परिशिष्ट; क्रोडपत्र ( २ ) बढ़ावा ; उत्तेजना पुरवार वि० प्रमाणित; साबित पुरवियो पुं० पुरबिया पुराण वि० पुराण; पुराना ( २ ) न० पुराण ( धर्मग्रंथ ) पुराणी पुं० पुराणकी कथा पढ़कर सुनानेवाला; कथक्कड़ (२) पुराणका रचयिता (३) एक अल्ल पुराणुं वि० पुराना; प्राचीन पुराव स०क्रि० 'पूरवुं' का प्रेरणार्थक; पुराना; भरवाना पुरावुं अ० क्रि० 'पूर' का कर्मणि पुराबी पुं० गवाही; सबूत; प्रमाण । [- ऊभी करवो = अगर कोई सबूत या गवाह न हो तो झूठा खड़ा कर देना. ] पुरांत ( ० ) वि० बाक़ी ; बचा हुआ ; शेष पुरुष पुं० पुरुष; मर्द; नर (२) वर; पति (३) आत्मा; पुरुष (४) पुरुष [व्या.] । [ -मां न रहेवुं = नामर्द, नपुंसक हो जाना। मां न हो नामर्द, नपुंसक होना. ] पुरुषोत्तम मास पुं० पुरुषोत्तम मास ; अधिक मास; लौंद पुल पुं० पुल; सेतु पुष्टि स्त्री० पुष्टि ; पोषण ( २ ) समर्थन ; ताईद पुष्टि (३) उत्तेजन; सहारा । [-मळबी = समर्थन, आधार मिलना.] पुस्तकियुं वि० किताबी; पुस्तकीय (जो गुरुसे या अनुभवसे प्राप्त हुआ न हो ) (२) जो पुस्तकमें भरा हो, पर जीवनमें न लाया गया हो पुस्ती स्त्री० रद्दी (काग्रज) (२) पुश्ता ( दीवारका); दासा For Private and Personal Use Only Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पुस्तो पुस्तो पुं० पुश्ता; घुस्स; बाँध ( पानीकी रोकके लिए) पूगबुं अ० क्रि० पहुंचना पूछगाछ स्त्री० पूछताछ; पूछपाछ पूछडी स्त्री० पूंछ; दुम; पूँछड़ी पूछ न० पूँछ; पुच्छ । [पूछडमां पेसबुं = दुममें घुसा रहना; खुशामद करके किसीके अधीन होना; पूंछ पकड़कर चलना । —एकलं बाकी छे = जानवर जैसा निरा मूर्ख है। -छूटी जं = दस्त जारी होना; पेट चलना । - पकड = पीछे पड़ना; पीछा करना (२) जिद पकड़ना । - मळवूं ( कटाक्षमें ) = खिताब मिलना. ] पूछपरख, पुछपाछ स्त्री० देखिये 'पूछगाछ' पूछवं स०क्रि० पूछना; प्रश्न करना; जवाब तलब करना; दरियाफ़्त करना (२) खोजना; पता लगाना (३) सलाह लेना ( ४ ) गिनतीमें होना ; क़द्र करना; पूछना [ बार पूछना पूछापूछ (-छी) स्त्री० पूछापाछी; बारपूजबुं स० क्रि० पूजा करना; पूजना (ईश्वर, देवता आदिको) (२) भजना; सेवा, भक्ति करना पूजा स्त्री० पूजा; आराधना ; उपासना ; पूजन (२) पुजापा (३) मार पिटाई; पूजा [ला. ] पूजापो पुं० पुजापा; पूजनकी सामग्री पूजारण स्त्री० पूजा करनेवाली स्त्री पूजारी पुं० पुजारी पूजाववुं स० क्रि० 'पूजवुं' का प्रेरणार्थक रूप; पुजवाना पूजावं अ० क्रि० 'पूजवुं' का कर्मणि; पुजना; पूजा जाना ( २ ) सम्मानित होना; पुजना ३१० पूमड़ पूठ स्त्री० पूंठ; पीठ (२) चूतड़; नितंब (३) पीछा [ला.] । [ -करवी = देखनेवालेकी ओर पीठ करना (२) अवज्ञा करना; आज्ञा न मानना (३) पीठ दिखाना; हारकर भाग जाना । - देखाउबी = पीठ दिखाना; भाग खड़ा होना. ] -- पूळ अ० पीछे; पुठवार [प. ] पूठियं न० ( पहियेकी) पुट्ठी (२) चूतड़ । [ पूठियां फाटवां = डर लगना; घबड़ाना । पूठियां रंगावां = सख्त मार पड़ना; भुरकुस निकलना. ] पूर्वं न० द्विदलके ऊपरका छिलका (२) किताबकी जिल्द ( ३ ) किताब पर चढ़ाया हुआ काग़ज़ (४) चूतड़, पुट्ठा (५) गठन ; काठी (शरीर ) । [-बंधावं, बाझवु = शरीरका मज़बूत होना. ] पूठे अ० पीछे ; पीठकी ओर पूडलो, पूडो पुं० पुआ; पूड़ा (आटे या पीठीका) (२) छत्ता पूणी स्त्री० पूनी पुतळी स्त्री० ( आँखकी) पुतली; तारा पुतळी स्त्री० पुतली ( लकड़ी धातु आदिकी); गुड़िया ( कपडे की ) (२) खूबसूरत स्त्री पुतली Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूतळं न० मूर्ति प्रतिमा । [ पुतळा जेवुं = जड; अचेतन; बुत जैसा. ] पूनम स्त्री० पूर्णिमा पूम स्त्री० रुई धुनते समय उड़नेवाले बारीक रोयें; वाततूल; इंद्रतुल (३) कपड़े परके रोयें; फुचड़ा पूमडी स्त्री० पौदेसे सटी हुई रुई महुँ न० रुईका अति छोटा गाला; फाहा; फोहा; फाया (२) रुईके गालेको ऊपर से थोड़ा बटकर बनाई हुई खड़ी For Private and Personal Use Only Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बत्ती (३) फूल। [मरे पाणी पावं =बहुत परेशान करना; सताना; नाच नचाना.] पूर वि० पूरा; संपूर्ण (२) न० बाढ़; पूर (३) पूरन; पूर (पूरनपूरी आदिका) पूरण वि० पूरण; पूर्ण (२) सर्वव्यापी (३)न० पाटनेकी या पाटी हुई चीज़; पूरन ; उदा० 'पोळी, पूरण ; जमीननु पूरण' पूरणपोळी स्त्री० पूरनपूरी (मीठी) पूरणी स्त्री० भरना; पाटना (२)पाटनेकी चीज़ (ईंट, मिट्टी आदि) (३) पूर्ति; अधिक कथन (४) बढ़ावा; पुरचक पूरतुं वि० काफ़ी; पूरा; पर्याप्त । पूरपाट अ० सरपट ; वेगसे पूरवं स० क्रि० भरना; पाटना (२) तंग जगहमें रखना; हवालातमें रखना (३) पूर्ण करना; पूर्ति करना; पूरना पूरी स्त्री० पूरी; पूड़ी (खानेकी चीज़) पूरं वि० देखिये 'पूर्ण'। [-करवं%3D समाप्त करना; पूरा करना (२) खत्म करना; नाश करना (३) भरण-पोषण करना; निबाहना (४) (वचन)निबाहना; पालन करना। -पडq= बराबरीका होना; -से (बल आदिमें) बढ़कर होना (२) काफ़ी होना; निर्वाह होना; पर्याप्त होना। -पाउज़रूरबके मुताबिक़ देना; आवश्यकताको पूर्ण करना. पूरेपूर वि० पूरा-पूरा; समूचा; संपूर्ण पूर्ण वि० पूर्ण ; पूरा; जो अधूरा, खंडित, कम या अपूर्ण न हो (२) समाप्त ; पूर्ण (३) न० शून्य; बिंदु; सिफ़र पूर्व वि० पूर्व ; प्राचीन (२) आगेका; पेचियं अगला; पूर्व (३) पूरबी; मशरिकी; पूर्व (४) स्त्री० पूर्व ; पूरब पूर्वतयारी स्त्री० पहलेसे की हुई तैयारी पूर्वभूमिका स्त्री० भूमिका; प्रस्तावना पूर्वे अ० पूर्व; पहले; पेश्तर पूळियुं न० छोटा पूला; पूली पूळो पुं० पूला; बड़ा मुट्ठा।।-ऊठवो%3D जल जाना; नाश होना; आग लगना। -मूकबो-जला डालना; नाश करना; आग लगाना. पूंख, स० क्रि० परछनसे वर-कन्याका स्वागत करना; परछना (२) बोनेके लिए छिटकाना, बिखेरना पूंछपियुं वि० पूंछवाला; दुमदार; पुच्छल पूंछी स्त्री० पूंछड़ी; दुम; पूंछ। [-पटपटाववी-दुम हिलाना (२) वशमें होना; ताबेदार होना.] पूंछडं न० पूंछ; पुच्छ पूंजी स्त्री० पूंजी; मूलधन पूंजो पुं० कूड़ा-करकट ; कचरा; राख, __ गोबर आदि [आदि पूंठ, पूंठळ, पूंठियुं, पूर्छ, पूंठे देखिये 'पूठ' पेक (पें) वि० पैक (करना)(२)चंट; चालाक ला.] पेगंबर पुं० देखिये ‘पयगंबर' पेगाम पुं० देखिये ‘पयगाम' पेच पुं० लपेट; चक्कर; पेच (२)चूड़ीदार कील; स्क्रू (३)पतंगोंकी डोरोंका एक-दूसरेसे उलझना; पेच (४)ला.) युक्ति; फ़रेब; पेच (५)मुश्किल; जाल;फंदा।[-रचवो-युक्ति रचना; जाल बिछाना। -लडाववा=पतंगोंका पेच करना (२) युक्तियाँ लड़ाना;जाल फैलाना.] पेचियं न० पेचकश For Private and Personal Use Only Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पेची पेची(-) वि० युक्तिबाज; जालसाज पेट न० पेट; उदर (२)पेट; जठर (३) [ला. आजीविका; गुजारा (४) गर्भाशय (५) खुदकी औलाद; अपना कुल (६) अंतर; दिल; पेट (७) किसी वस्तुका भीतरका भाग; पेट; पेटा। [-खोलj=दिल खोलकर पेटकी बात कहना; पेट देना। -घर = वायुगोलेसे पेटमें पीड़ा होना (२)पेटका पानी न पचना; पेट फूलना। -चालवू = पेट चलना; दस्त जारी होना। -चोटी जवं पेटमें चूहे दौड़ना। -चोळीने शूळ उपजावq= अपने हाथों आफ़त मोल लेना। -छूटी अg 3 पेट छूटना; दस्त होना । -टाएं करवू = पेटकी आग बुझाना; भूख मिटाना (२) परायी जायदाद हजम करना (३) चैन पाना; आराम मिलना। -टाढुं थy, ठरवू, ई थq = चैन नसीब होना; करार पाना; दिलकी आग बुझना; जी ठंडा होना। -नी पूजा करवी-पेटकी आग शान्त करना; भूख मिटाना। नुं पाणी न हालq=3 कुछ असर न होना। -मुंबळधू-भूखा (२)असंतुष्ट; दिलजला । -ने भाई आपq= जिंदगी चालू रखने, निभानेके लिए खाना (२) खाना । -नो मेल % पेटकी बात; रहस्यभरी बात। -पर छरी मूकवी, पग मूफवो, पाटु मार, = आजीविका-रोजीको नुकसान पहुँचाना; पेटका धंधा छोड़ना; रोजी बिगाड़ना।-काटq=पेट तनना (२) घरका या अपने आदमीका दगा देना; घरवालोंका आपसमें फूट डालना; घर फोड़ना । -बळवं जलना; दाह होना पेटासार्नु (२) चिंता, फ़िक्र होना; जी जलना। -बाळy- भूखों मरना।-मां उतारवं पेटमें डालना; निगलना; खा जाना (२)ध्यानमें लेना(३)बरदाश्त करना (४)पराया माल उड़ा जाना; पचाना (५) ठीक समझा देना।-मां कूकडां बोलवां, कूवा पडवा-पेटमें चूहे कूदना, दौड़ना। -मां वाडा पडवा = भूख लगना। -मां तेल रेगवू दिल धड़कना; चिंता होना; कलेजा धक-धक करना। -मां दुःखg = किसी बातका मनमें दुःख होना; मनमें मैल आना (२) 'अब करीब ही है' इस तरहका उद्गार; उदा० 'हवे अमदावादने शुं दुःखे छे' अर्थात् अहमदाबाद पास ही है। -मां पग = पेटमें दाढ़ी। -मां पाळी-मनमें बैर या मैल। -मां पेसवं पेटमें घुसना। -मां पेसी नीकळy =पेटमें घुसकर मनकी बात जानना। -मां बळवं = मन मसोसना (२) सद्भाव होना। -मोटं राखवू दरियादिल होना। पेटे आव_=-की कोखसे जन्म लेना। पेटे पडवू =जन्मना । पेटे पाटा बांषवा = भूखमरी सहन करना.] पेटपूजा स्त्री० भोजन पेटपूर वि० पेट भर जाय उतना; भरपेट पेटबळy वि. दिलजला; मनसे दुःखी (२) जलनेवाला; अदेखी पेटभरं वि० पेटू (२)स्वार्थी (३)पेटभर खानेके लिए नौकरी करनेवाला पेटव, स० क्रि० सुलगाना पेटवू अ० क्रि० सुलगना पेटाखानु न० मुख्य खानेमें आया हुआ खाना; पेटा For Private and Personal Use Only Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजाति पेटानाति स्त्री० बड़ी जातिका एक विभाग; उपजाति पेटानियम पुं० उपनियम [रकम पेटारकम स्त्री० मुख्यके पेटेमें आई हुई पेटारो पुं० पिटारा पेटाव, सक्रि० देखिये 'पेटव' पेटा अ० क्रि० देखिये 'पेटवू' पेटाविभाग पुं० उपविभाग पेटासमिति स्त्री० उपसमिति पेटाळ न० भीतरका भाग; पेटा पेटियु वि० पेटभर खानेके बदले में नौकरी करनेवाला (२) न० पेटका गुजर; रोजका खाना; रोजी (३) तनखाहके रूपमें दिया गया पेटभर नाज (४)तनख्वाह; दैनिक वेतन। [-काढj, कूटी काढq= गुजारे जितना कमाना ; रोटी कमाना.] पेटी स्त्री० पेटी; संदूक ; बक्स पेटुं न किसी चीज़का भीतरी भाग; पेटा (२)अंश; भाग (३) (तिरस्कारमें) पेटी [ला.] [पेटे; एवज़में पेटे अ० विषयमें; बारेमें (२)बदलेमें; पेठ(-3) (पॅ) अ० नाई; तरह पेड न० पेडू पेड न० मसूड़ा; मसूढ़ा पेढी स्त्री० सराफ़की दुकान; कोठी (२) व्यापारीको बखार; कोठी (३) पीढ़ी; पुश्त पेडीउतार वि. जो कई पीढ़ियोंसे चला आता हो; पुश्तैनी (२)अ० पीढ़ी दर पीढ़ी; पुश्त-दर-पुरत पेढीनामुं न० वंशवृक्ष; कुरसीनामा । पेड न० देखिये 'पेडु'; पेड़ पेई न० मसूड़ा पेण (पं) स्त्री० पत्थरकी कलम; पेन पेशवान पेणी (प) स्त्री० छिछली कड़ाही; तई पेणो (पें) पुं० छिछला कड़ाह; बड़ी तई पेदा (पें) वि० पैदा; उत्पन्न (२)कमाया हुआ; पैदा। [-कर-पैदा करना; उत्पन्न करना (२) पैसा पैदा करना; कमाना.] पेदाश ()स्त्री० पैदाइश ; उत्पत्ति;उपज पेष_() अ० क्रि० लत लगना (२) आदत पड़ना; अभ्यास होना पेईं (पं) वि० आदी; व्यसनी (२) न० आदत [पेन; 'फाउन्टनपेन' पेन स्त्री० पत्थरकी क़लम; पेन (२) पेपर न० पेपर; समाचारपत्र ; अखबार (२)पुं०; न० प्रश्नपत्र ; परचा; पेपर पेर (प)स्त्री० प्रकार; रीति (२) खबर; पता(३)तदबीर पेर स्त्री० पोर; पोंगी (ईख, बांस आदिकी) (२) न० अमरूद पेरवी (4) स्त्री० पैरवी; प्रबंध; युक्ति (२) प्रयत्न; कोशिश पेरवं स० क्रि० (बीज) बोना पेराई, पेरी स्त्री० पोर (ईख आदिकी) पेर न० अमरूद पेरे(पॅ) अ० तरह; नाई पेरो (पॅ) पुं० पैरा; 'पैराग्राफ' पेल (पॅ) न० धूनी हुई रुईकी छोटी तह; फाया; शाफ़ा पेलुं वि० (२)स० वह । [पेला जन्ममा, पेले जन्मे = आनेवाले जन्ममें(२)कभी नहीं.] पेशवाई वि० पेशवा-संबंधी; पेशवाका (२) स्त्री० पेशवाओंका अमल; पेशवाई (३) पेशवाओंका राज्यकाल या उनका साम्राज्य पेशवाज पुं० पेशवाज For Private and Personal Use Only Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पेशाब पेशाव पुं० पेशाब; मूत्र-पई जबो= पर जाना. पेशाबलान न० पेशाबखाना पेशी स्त्री० पेशी; मांसपिड (२)फलके गुदेका पिंड; फांक (खजूर, कटहल आदिकी) पेशवाई वि० देखिये 'पेशवाई' पेसनीकळ (पं) स्त्री० पैठना-निकलना; आना-जाना (२) कारभार [ला.] पेसवं () अ० क्रि० पैठना; घुसना पेसार(-रो) (पं)पुं० प्रवेश; पैठ (२) परिचय ; गाढ़ा संबंध पेंगई(०) न० रकाब पेंठ (०) स्त्री० पेंठ; पैठ (लापता हुंडीके स्थान पर) पंटो (०) पं० पिंडा; (मिटीका)लोंदा (२) पेड़ा (मिठाई) [प्रपंच पतरो (पॅ०) पुं० पैतरा (२) चाल; पंधवं (०) अ० क्रि० देखिये 'पेधदूं' (०) वि० (२) न० देखिये 'पेधुं' पैकी अ० -मेंका; -मेंसे पैट स्त्री० किसी बातका पीछा या अंत; पंचायत; माथापच्ची पैटुं न० पहिया; चक्र पैतुं न० पतला चपटा टुकड़ा; क़तला पैसादार वि० पैसेवाला; धनी पैसो पुं० पैसा; आनेका चौथा भाग (२) ला.] पैसा; धन; ज़र।[पैसा उडाववा=धन उड़ाना; पैसा बरबाद कर'ना; रुपया पानीमें फेंकना । पैसा खावा =घूस लेना (२) विश्वासघात करके पैसा हजम करना; गबन; जमा मारना। पैसा खोटा थवा कर्ज दी हुई रकम न मिलना; उधार दी हुई रकम न पटना । पैसा खोवा व्यापारमें टोटा पोष आना (२) पैसा नष्ट करना; पैसा उड़ा देना। पैसा घालवाकर्ज दी हुई रकम अदा न होना । पैसा वापवा -घूस देना; पूजना। पैसा पाणीमा जवा= रुपया ठीकरी करना; व्यर्थ खर्च होना । पैसा मारवा = रुपया खा जाना, हड़पना; जमा मारना । पैसा वेडफवा पैसा ठीकरी करना; रुपया पानीमें फेंकना। पैसा वेरवा=बहुत आदमियोंको घूस देना; पूजना । पेसान = टकेका; तुच्छ । सानुं पाणी करवं =पैसा ठीकरी करना. पैसोटको पुं० धन-दौलत; जमा-जथा पो(पॉ) स्त्री०; न० पासेके दावमें एक का दावे; पौ (२) पहला खाना (चौसर) पोपॉ) पं०:स्त्री० पौ: तडका: भोर पोई स्त्री० एक लता; पोई पोईस अ० 'मार्गमेंसे हट जाओ' यह उद्गार; पोश पोक स्त्री० चिल्लाकर रोना; चीख । -मूकवी = किसीका नाम लेकर जोरसे रोना (२) कुछ मिलेगा नहीं यह समझकर छोड़ देना.] [बनावटी पोकळ वि० पोला; खोखला (२)झूठा; पोकार पुं० पुकार; चीख (२) फ़रियाद। -उठाववो फ़रियाद करना; आवाज़ उठाना. [बुलाना पोकार, स० क्रि० पुकारना; जोरसे पोकेपोके अ० आठ-आठ आँसू; चोख मार-मार कर (रोना) पोखराज पुं० पुखराज (रत्न) पोगळ न० बाह्य आडंबर; दिखावा: क़लई; पोल पोच स्त्री० (धान्यका) वह छिलका जिसमें बीज-सार न हो; पैया For Private and Personal Use Only Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१५ पोषण पोचकण वि० डरपोक; बुजदिल पोवि० नरम; गुदगुदा; ढीला; दबाने पर दब जाये ऐसा(२) डरपोक [ला.] [-पर = गुदगुदा होना; नरम होना (२)टिक न सकना; घबड़ाना.] पोटकी स्त्री० छोटी गठरी;पोटली;पुटकी पोटर्नु न० गठरी; पोटला पोटली (-ल) देखिये 'पोटकी' आदि पोटाश (-स) पुं० पोटाश पोटीस स्त्री० पुलटिस पोठ स्त्री० गोन; गोनी (२)बनजारेके बैलोंका झुंड; टाड़ा (३)नंदी; बैल पोठियो पुं० लदुआ बैल (२) शिवका वाहन; नंदी पोठी पुं० टांडेका बल(२)बनजारा पोई न० लिपाईकी पपड़ी (२)छत्ता पोड(पॉ) अ० क्रि० सोना; पौढ़ना पोटारवं(पॉ)सक्रि०सुलाना;पौढ़ाना पोणा(पॉ) पुं०ब०व० पौनका पहाड़ा; पौना [९९॥ पोचीसो (पॉ) वि० सौमें पाव कम; पोj(पॉ)वि०पौन; तीन-चौथाई; ०॥ पोजोसो वि०(पॉ)पचहत्तर; पौनसी;७५ पोत न० अपना असली स्वरूप; असलियत। [-प्रकाशq=स्वभाव दिखाना; अपने गुण-कर्म पर जाना; अपने पर आना.] पोत न० बच्चा; बालक (२)कपड़ा; पोत (३)कपड़ेकी बुनावट ; पोत [ला.] पोती स्त्री० छोटी धोती; कछनी। पोतापणुं न० अपनापन; आत्मीयता (२)व्यक्तित्व (३)अस्मिता; अहंभाव पोतारो पुं० पोतनेका गीला कपड़ा; पोता; पुचारा; पुतारा (२)पोतनेकी क्रिया; पोताई; पुतारा पोमवं पोतियं न० छोटी पोती; कछनी। [पोतियां लई लेखां, लेवा = नुकसान पहुंचाना (२) लूटना (३)घबड़ाना; परेशान करना।-फाढी नाल, छूटी जवं, फाटी जq= घबड़ा जाना; हिम्मत पस्त होना.] पोतीकुंवि० अपना; स्वकीय; निजी पोतुं न० पोतनेका कपड़ा; पोता (२) चूने या रंगमें तर कूची; पोता पोते स० आप; खुद ; स्वयं पोबळी पुं० गोबरका लोंदा; चोंथ ; चोय पोपचुं न० (आँखकी) पलक; पोटा पोपट पुं० तोता; शुक पोपटियुं वि० तोतेके रंगका तोतई (२) बिना अर्थ समझे तोतेकी तरह रटा हुआ [स्त्री० तोतेकी मादा; शुकी पोपटी वि० तोतेके रंगका; तोतई (२) पोपटो पुं० हरे चनेकी फली; बूट पोपरी स्त्री० ऊपरी परत; पपड़ी पोपगे पुं० उभरी, उखड़ी, या सटी हुई परत; पपड़ी पोपलं वि० नरम; ढीला; जो कुछ बरदाश्त न कर सके (२)लाड़-लड़ता; जिसका बहुत अधिक लाड़ किया गया हो(३)व्यर्थ कोशिश करनेवाला पोपाबाईन राज न० नियम-व्यवस्था और कार्यकुशलताके बिना चलनेवाला अंधेर; अंधेरनगरी पोपुं वि० नरम; ढीला; दीन पोबार (पॉ) पुं० ब० व० तीन पासेके खेलमें तेरहका दावं (२) पोबारह फ़तह। [-करवा, गणवा =भाग जाना। -परवापौबारह पड़ना, होना; फ़तह होना.] पोमलं वि० हर्षविह्वल (२)नर्म ; लड़ता For Private and Personal Use Only Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोवनी पोयणी स्त्री० कुमुदिनी; कुई पोय-न० कुई; कुमुद पोयुं न० वह सीमा जहाँ डंडेसे गेंदको खेलते हुए ले जाते हैं; 'गोल' पोर(पॉ) अ० परसाल पोरस (पॉ) पुं० आनंदोमि; खुशीका जोश (२)पानी; जीवट पोरियुं न० बच्चा पोरियो पुं० लड़का पोरी स्त्री० लड़की पोरो (पॉ) ० सूक्ष्म जलजंतु ['पोरस' पोरो(पॉ) पुं० अवसर; मौक़ा(२)देखिये पोल (पॉ) पुं० धुनी हुई रुईका ढेर; पोल (२) न० नरम गद्दा (३) रुईका छोटा गाला या फाहा पोल स्त्री०; न० पोल; पोलापन; अवकाश; खोखला(२)[ला.] दिखावा; असत्यता; पोल(३)अंधेर।[-बलाव, हॉक-अव्यवस्था और अंधेर चलाना (२) असत्यता या ढोंग चलाना.) पोलकु न० अंगिया; चोली (स्त्रियों और बालकोंकी) [अंधेर ही अधेर पोलंयोल न० बिलकुल पोल-अंधेर होना; पोलान न० पोलापन; निःसारता(२) खोखलापन; पोल (पेड़का) पोलाव न० फौलाद [फौलादी [ला.] पोलादी वि० फौलादका (२) मजबूत; पॉलिश न०; स्त्री० पालिश; चमक पॉलिसी स्त्री० पालिसी (२)कूट नीति; • पालिसी पोलीस पुं० पुलिसमैन; सिपाही (२) स्त्री० पुलिसका दल [थाना पोलीसचोकी स्त्री० पुलिसचौकी;चौकी; पोलीसपटेल पुं० मुखिया; पटेल पोलुं वि०पोला; खोखला (२)निस्सार; खोखला [ला.। -मंड, भमः बिलकुल पोला.] पोश (पॉ) पुं०; स्त्री० अंजली; अंजलि (२) वि० अंजलीभर (एक या दोनों हथेलीका) [खर्च पोशाकी स्त्री० कपड़ा-लत्ता या उसका पोष पुं० पूस; पौष मास पोषण न० पोसना; पालना(२)पोषण पोषधं स० क्रि० पालना-पोसना (२) प्रोत्साहन, उत्तेजन देना;हौसला बढ़ाना पोवा, अ० कि० 'पोषवू' का कर्मणि (२) पुसाना (३) खपना; मांग होना पोस पुं० देखिये 'पोष'(२)नेग पोस्त पोस(०बोगे)पुं० अफ़ीमका खाली डोड़ा; पोस, स० कि० देखिये 'पोष' पोसाण न० पुसाना; पूरा पड़ना (२) माँग; खपत [ताजा पोसातुं वि० पुसाने योग्य (२) पुष्ट; पोस्ट स्त्री० पोस्ट; डाक पोस्ट ऑफिस स्त्री० डाकघर; 'पोस्ट आफ़िस' [मास्टर' पोस्ट मास्टर पुं० डाकबाबू; 'पोस्ट पोस्टमेन पुं० डाकिया; 'पोस्टमैन' . पोह(पॉ) पुं० पौ; भोर; तड़का पोळ स्त्री० फाटक; दरवाजा(२)मोहल्ला (३) गली [मीठी पूरनपूरी पोळी स्त्री० पतली और नरम रोटी(२) पॉक(०) पुं० हरी बालोंको आंच पर सेंककर निकाले हुए दाने; होला पोक स० क्रि० वरकन्याको परछना पोल(०) पुं० देखिये 'पोंक' पॉल,(०) सक्रि देखिये 'पोंकवं पौमा(-बा) पुं०ब०५० हरे या भिगोये हुए धानको सेंक और कूटकर निकाले हुए चिपटे दाने; चिड़वा; चिउड़ा For Private and Personal Use Only Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्या प्याईन० प्यादा(२)पैदल सिपाही प्यादा प्यारं वि० प्यारा; प्रिय [गिलास प्याली स्त्री० छोटा प्याला (२)छोटा प्यालं न० प्याला; जाम प्यालो पुं० प्याला; गिलास; जाम । प्रकट वि० खुला; जाहिर; प्रकट (२) प्रत्यक्ष (३) प्रकाशित (पुस्तक) (४) अ० सबके सामने ; प्रकट प्रकरण न० प्रसंग; विषय (२)प्रकरण (ग्रंथका) (३) मामला प्रगट वि० (२) अ० देखिये 'प्रकट' प्रगट अ०क्रि० प्रकट होना; जन्म लेना (२)सुलगना (३)स० क्रि० सुलगाना प्रगटाववं स० क्रि० 'प्रगटवू' का प्रेर णार्थक; प्रकट करना; प्रगटाना [प.] प्रचंड वि० प्रचंड; भीषण; भयानक (२)कद्दावर [रिवाज; प्रचार प्रचार पुं० प्रचार; फैलाव (२)चलन; प्रजळवू अ० क्रि० सुलगना; जलना प्रजा स्त्री० प्रजा; जनता (२) एक राष्ट्रकी जनता; प्रजा (३) रैयत; प्रजा; रिआया (४)संतान ; औलाद । -थवी = संतान पैदा होना। -होवी = संतति होना.] प्रजापति पुं० प्रजापति; ब्रह्मा (२) राजा (३)कुम्हार [ला.] ' [तंत्रात्मक प्रजासत्ताक वि० प्रजासत्ताक ; प्रजातंत्र; प्रजाळj स० क्रि० सुलगाना; जलाना प्रत स्त्री० ग्रंथकी नक़ल; प्रति (२)मूल ग्रंथ; असल लिखावट प्रताप पुं० सामर्थ्य ; प्रभाव (२) तेज; कांति (३) प्रताप; रोब .. प्रतिमा स्त्री० प्रतिभा; कांति (२) मानसिक शक्तिकी झलक,छटा प्रतिमा '(३)विलक्षण बौद्धिक शक्ति प्रतिभा प्रतिवादी पुं० प्रतिवादी; मुद्दालेह प्रत्ये अ० प्रति; ओर; तरफ़ प्रदर्शन न० निरूपण(२)प्रदर्शनी;नुमाइश प्रधान वि० प्रधान; मुख्य (२) पुं० - सचिव; मंत्री [पद; वजारत प्रधानपद(-१), प्रधानवटुं न० मंत्रीकाप्रभातफेरी स्त्री. प्रभातफेरी प्रभातियुं न० प्रभाती प्रमाण, सक्रि० जानना(२)प्रमाणके रूपमें स्वीकार करना; कबूल रखना (३)साबित करना;प्रमाणित करना; प्रमानना [प.] [प्रमाणतः प्रमाणसर वि० (२) अ० मापके अनुसार, प्रमाणे अ०-की तरह नाई;-के अनुसार प्रमुख पुं० सभापति; अध्यक्ष (२)वि० मुख्य; प्रमुख [स्थान ; सदारत प्रमुखपद, प्रमुखस्थान न० सभापतिका प्रसर, अ० क्रि० फैलना; पसरना प्रसाद पुं० प्रसन्नता; हर्ष (२) कृपा; प्रसाद (३) निर्मलता (४) देवताको चढ़ाई हुई वस्तु;प्रसाद [[ला.] प्रसादी स्त्री० (देवका)प्रसाद (२)मार प्राणपणे अ० जान-जोखोंसे ; प्राणपणसे प्राणियो पुं० प्राणी; जीव प्राणीविद्या स्त्री०जीवविज्ञान; 'जूलॉजी' प्राध्यापक पुं० अध्यापक; 'प्रोफ़ेसर' प्रार्ष, स० कि० प्रार्थना करना; विनयपूर्वक कहना; सवाल करना; प्रार्थना [प.] प्रेमळ वि० प्रेमीप्रेमयुक्त प्रेमवाला प्रेमाळ वि० स्नेही; प्रेमी; प्यारा प्रेरक वि० प्रेरणा, गति या उत्तेजन देनेवाला; प्रेरक (२) प्रेरणार्थक (क्रिया) [व्या. . For Private and Personal Use Only Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रेरणा प्रेरणा स्त्री. प्रेरणा करना; प्रेरणा (२)प्रोत्साहन उत्तेजना;प्रेरणा (३) आदेश; आज्ञा प्रेरj सक्रि० भेजना;प्रेरना [प.] (२). गति, प्रोत्साहन, आज्ञा या गुप्त सलाह देना; प्रेरणा करना। फटाकरो प्रेस न० प्रेस; दाबनेकी कल (२)रुई आदिको दबाकर गाँठे बांधनेकी कल (३) छापनेकी कल ; प्रेस (४) प्रेस; छापाखाना (५) अखबार [ला.] प्लेटफॉर्म न० प्लैटफार्म (रेल्वे स्टेशनका) (२) मंच; प्लैटफार्म फ पुं० 'प' वर्गका दूसरा ओष्ठय व्यंजन फई, फईजी, फईबा देखिये 'फोई' फकरो पुं० पैरा फकीर पुं० फ़क़ीर; त्यागी; वैरागी फकीरी स्त्री० फ़क़ीरी; साधुता फक्कड वि० लोकलाजकी परवाह न करनेवाला; उच्छृखल (२) छैला; सजीला (३) सुंदर (४) उड़ाऊ; फक्कड़; बेफ़िक्र फगवं अ० क्रि० झूठ बोलना; मुकरना . (२)नियंत्रणमें न रहना; हाथसे जाना फगाव स० क्रि० छलना (२) मलत समझाना (३)फेंकना; झिड़कना(४) अस्वीकार करना फजेत वि० बदनाम फजेती स्त्री० फजीहत; दुर्गति; भद (२) बदनामी; फजीहत । फजेतो पुं० भद; फजीहत (२) पके आमकी गुठली, छिलके आदि घोकर बनाई जानेवाली कढ़ी। फट अ० तिरस्कारका उद्गार; फ़िश; .छी (२) फट (आवाज) (३) 'फटा हुआ-खुला'; उदा. 'उधाडं फट'। कहे = "धिक्' कहना.. फटक अ० फड़फड़ानेकी आवाज़ (२) स्त्री० धकपक; डर; चौंक फटकडी स्त्री० फिटकरी; फटकरी फटकवू अ० क्रि० खिसकना; ठिकाने न होना (भेजा; बुद्धि) (२) हाथसे जाना; काबूमेंन रहना (३)(रंग) उड़ना फटकारवं स० क्रि० पीटना; ताड़ना (सोटी या चाबुकसे); फटकारना [प.] फटकारो पुं० प्रहार, झटका या उससे उत्पन्न शब्द (२) चित्तभ्रम ; उन्माद (३) खटका; धड़क फटकासाळ स्त्री० झटका-करपा फटको पुं० चाबुक या सोटीका प्रहार (२) हानि; घाटा ला.]। [-परखो, वागवो प्रहार होना (२) नुकसान पहुँचना; घाटा सहना.] फरको पुं० अंगोछा; गमछा ... फटफट अ० पटाखे आदिकी आवाज; पटाखा; फट-फट (२)धिक्-षिक् (३) झट-पट; बगैर सोचे-समझे . फटफटी स्त्री० मोटरसायकिल फटव, स० कि० देखिये 'फटावदूं.' फटाकसी स्त्री० छोटी बंदूक ; पिस्तौल फटाकडो पुं० पटाखा For Private and Personal Use Only Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फटाकियो फटाकियो, फटाको पुं० पटाखा फटाणुंन० अश्लील मीत याबोल सीम्ना फटाफट अ० फटसे; फट-फट; लगातार फटाबार वि० बिलकुल खुला . फटाव, स० क्रि० बहकाना; वररालाना फटोफट अ० देखिये 'फटाफट'. फड न० शराब चुमानेका स्थान (२) बाज़ार (३) थाना (४) गाने-नाचनेवालोंका समूह; भांड़-भगतिये (५) (लावणी गानेमें) एक पक्षका समूह (६) अ० फटसे फरक.स्त्री० धक-पक; डर; चौंक (२) पहने हुए वस्त्रका छोर; पल्ला; अंचल फडकियं न० दामन ; अंचल (२) ओसाते समय चादरसे बनाया हुआ हवा करनेका साधन फरच स्त्री० छोटा पतला टुकड़ा; फांक फरचो पुं० फैसला; निबटारा; हल (२) अदायगी; भुगतान (ऋण)। [फडचामा - दिवाला निकालनेके बाद बची हुई मिल्कियतमेसे ऋण-परिसमापन करना;ऋण चुकाना.] फडफड अ० फड़-फड़ आवाज़ (२) लगातार; बराबर (३) धड़कन (४) धाँधल; उतावली फडफड, अ० क्रि० फड़फड़ाना (२) (डरसे) कांपना; धकधकाना (३) गुस्सेमें बोलना; फटकारना फरफडाट पुं० फड़फड़ाहट; कंपकंपी (२) [ला.] मिजाज; बड़प्पन; ऐंठ फडश स्त्री० देखिये 'फडच' . फडाकियू वि० गपोड़िया (२)शेखीखोर फडाको पुं० पटाखा (२)धक-पक;षड़क (३) गप (४) 'फड' की आवाज फडाफर अ० तातड़; लगातार . फनो पुं० फुनगी; अंखुवा।[-फूटबो अंकुराना (२) नयी समस्या या बात ___ खड़ी होना; नया गुल खिलना.] फणस न० कटहल; पनस फणसी स्त्री० एक तरकारीकी फली; 'फेन्चबीन' फणी स्त्री० कंघी (२) करघेका एक औज़ार; फन्नी; राछ फतवो पुं० फ़तवा; आज्ञा (२) हुक्म (३) ढोंग । [-करवो, मांडवो = ढोंग रचना। -काढवो = निरंकुश सरकारकी ओरसे फ़तवे जैसा हुक्म जारी होना; आडिनन्स निकालना.] फतेह स्त्री० फ़तह; जीत; कामयाबी [-ना डंका = पूरी विजय; फ़तहका डंका.] [कामयाब फतेहमंद वि० फ़तहमंद; विजयी; फवफद अ० 'फद-फद' (शब्द) (२) नरम और गुदगुदा फवफद अ० क्रि० सड़कर या खमीर चढ़कर पिल-पिला होना; फदकना (२)मवाद भरकर फटने पर आना; फदफदाना (३) भात आदिका पकते समय 'फद-फद' शब्द करना; फदकना फदियुं न० पैसा (२.)चारपाई (बंबईमें) फना वि० फ़ना; नष्ट ; बरबाद फनाफातिया पुं० ब० व० पूरी तबाही; तहस-नहस फफड अ० क्रि० देखिये 'फडफडवू' फफाट पुं० देखिये 'फडफडाट' फफळतुं वि० खोलता हुआ फरक पुं० फ़र्क; अंतर फरकी स्त्री० (कातनेकी) फिरकी; चरखी (२) नाधन चकती (तकुएमें) (३)फिरकी; धकई (खिलौना) For Private and Personal Use Only Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पारक फरक अ० क्रि० फड़कना ; कंपित होना (२) [ला.] दिखाई देना; देखनेमें आना; दृष्टिगत होना ( ३ ) खिसकना ; चुपकेसे चल देना ३२० फरज स्त्री० फ़र्ज़; कर्तव्य । [-पडवी = कोई काम अपनी इच्छा के विरुद्ध या बरबस करना पड़ना; फ़र्ज़ आ पड़ना. ] फरजंद न० संतान; फ़रजंद (बेटा) फरजियात वि० कर्तव्यरूप; अनिवार्य ; जो फ़र्ज़के रूपमें करना पड़े; लाज़मी फरतुं वि० चारों तरफ़ आया हुआ; इर्दगिर्द (२) चलता; गतियुक्त (३) बदलता, पलटता हुआ । [-फर = आवारा घूमना (२) लगातार सफ़र करना. ] फरते अ० इर्द-गिर्द ; चारों ओर फरफर स्त्री० फुहार ( २ ) अ० हवामें उड़ता हो इस तरह; फड़-फड़ फरफर अ० क्रि० लहराना; फड़कना फरफरियुं वि० फड़के ऐसा (२) न० चिट; पुरजा [ परवाना फरमान न० फ़रमान ; हुक्म ( २ ) सनद ; फरमाव स०क्रि० फ़रमाना, हुक्म करना फरमाश (स) स्त्री० फ़रमाइश ; आज्ञा (२) सिपुर्दगी सौंपा हुआ फरमासी (सु) वि० फ़रमाइश, आर्डर से बनाया हुआ; हुक्मके अनुसार तैयार किया हुआ ( २ ) उत्तम; बढ़िया फरं अ० क्रि० इधर-उधर फिरना; ; घूमना; चक्कर खाना ( २ ) सैर करना; टहलना (३) गति करना; फिरना (४) लौटना; पलटना; बदलना । [ फरी जयं = ऊपर होकर जाना; चक्कर खाना (२) मुकर जाना; झूठ बोलना (३) बदल जाना। फरी बेस = वचनभंग करना; मुकरना ( २ ) पक्ष बदलना . ] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फसाएं फरशी स्त्री० रुखानी (बढ़ईका एक औजार) (२) परशु फरस स्त्री० पत्थरकी पटिया; तख्ती फरसबंधी स्त्री० गच; फ़र्श; फ़र्शबंद फरसाण न० तरावट लानेवाली खाद्य चीज; चाट फरसी स्त्री० देखिये फरशो ' फरंतु वि० हरहा (पशु) ; आवारा (२) घाघ; चतुर; जो किसीसे न छला जाय फराक न० फ़ाक (वस्त्र) फरास पुं० फ़र्राश; फरास; झाड़ू देनेवाला [ खुराक फराळ न० फलाहार; उपवासकी खास फरियाद स्त्री० अर्जी (२) अन्याय, जुल्मकी शिकायत ; फ़रियाद (३) नालिश; दावा; फ़रियाद फरियादी पुं० फ़रियादी ; वादी ( २ ) स्त्री० फ़रियाद; ज़ुल्मकी शिकायत फरी, फरीथी, फरीने अ० फिर; दोबारा; फिरसे; पुनः 1 फरीपार्छु अ० और दोबारा; और फिर फरीफरीने अ० बार - बार ; फिर-फिर फरेल (-लं) वि० पलटा हुआ (२) अनुभवी (३) अविचारी ; मिज़ाजी फल न० देखिये फळ फलंग स्त्री० फलाँग; चौकड़ी फलानुं वि० फ़लों; अमुक; फलाना फस स्त्री० नस;रग [ आवाज; फट फस स्त्री० फटने, दरकने, मसकनेकी फसकवं अ० क्रि० छटकना; हिम्मत पस्त होना; फिसलना (२) टूट, पड़ना; ऊपरसे नीचे गिरना ( ३ ) दरकना; मसकना; फसकना फडा - अ० क्रि० धँसना; नीचेकी ओर बैठ जाना; टूट पड़ना; फसकना For Private and Personal Use Only Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org फसल फसल स्त्री० मौसम (२) पैदावार फ़सल फसली वि० फ़सली; मौसमी ; फ़सलका फसवु अ० क्रि० देखिये 'फसावु' फसामण ( - णी) स्त्री० फँसना ; फँसाव फसाव स० क्रि० ' फसावुं ' का प्रेरणार्थक; फँसाना फसा अ० क्रि० फँसना ( २ ) ठगा जाना फळ न० ( वनस्पतिका) फल ( २ ) परिणाम; नतीजा ; फल (३) नफ़ा; फ़ायदा; फल ( ४ ) फल ( हथियार या औजारका अग्रभाग ) । [ -भावनुं = फल आना; फलना; फल लगना (२) फल पाना ; नतीजा मिलना । - काढबुं = प्राप्ति - फ़ायदा मिलना; फल पाना. ] फळझाड न० फलदार वृक्ष; फलवृक्ष फळबु ( - वू ) प वि० उपजाऊ ; फलद फळवं अ० क्रि० फलना; फल लगना (२) लाभदायक होना; सिद्ध होना फळाउ वि० फलदार; फल देता हुआ फळियुं न० मुहल्ला; टोला फळी स्त्री० छोटा मुहल्ला; टोली फळीभूत वि० सार्थक; सफल फळं न० ( हथियार, औजारका अग्रभाग ) किनारा; फल फंगोळवं स० क्रि० फेंकना झिड़कना (२) घुमाना; चक्कर देना फंटाबु अ० क्रि० दिशा बदलना; मुड़ना (२) शाखाएँ होना; विभक्त होना फंड न० फंड; चंदा फंद पुं० फंदा ; फाँस; साज़िश (२) मायाजाल; मोहका फंदा (३) दंभ; कपट; ढोंग (४) बुरी लत; दुर्व्यसन [ला. ] फंफोसबुं स० क्रि० टटोलना; ढूंढ़ना फाकडो पुं० फंका; फाँका गु. हिं- २१ ३२१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फाटले फाक स० क्रि० फकिना; फंका मारना फाका पुं० ब० व० तंगी हैरानी; मुश्किल (२) फ़ाक़ा अनशन [ फंकी फाकी स्त्री० छोटा फंका (२) (दवाकी) फाको पुं० फंका; फाँका फाग पुं० बहार; वसंत ( २ ) फाग; फगुआ ( गीत ) । [ खेलवो = होली खेलना; फाग खेलना. ] फागण पुं० फागुन; फाल्गुन फाचर स्त्री० पन्चड़; पच्चर; फाँस (२) T; बाधा; रुकावट [ला.] । [-मारवी : पच्चड़ लगाना, ठोंकना ( २ ) पच्चर अड़ाना;बाधा डालना; पच्चर मारना. ] फाचरो पुं० ( लकड़ीका ) चैला; फट्ठा फाजल वि० बचा हुआ; आवश्यकतासे अधिक; फ़ाज़िल (२) फ़ालतू; निकम्मा फाट स्त्री० फटना (२) दरार; फाट (३) देह टूटना; टूटना ( ४ ) [ला. ] भेद; फूट ( ५ ) गर्व ; रोब । [ - पडवीदरार होना; फटना ( २ ) दल या तड़ हो जाना; पृथक होना; विभक्त होना. ] फाटक पुं० ; स्त्री० बड़ा दरवाज़ा; फाटक फाटकवाळी पुं० रेलवे फाटक पर तैनात नौकर; फाटकदार फाटफूट स्त्री० फूट; भेद फाट अ० क्रि० फटना; टूटना; दरार पड़ जाना; दरकना (२) बदमस्त होना; छकना (३) (देह) खूब दुखना; टूटना । [ फाटी जवुं = फटना (२) बहकना; हाथ से जाना । फाटी नीकळबुं = (रोग) यकायक प्रकट होना और फैलना (२) फट पड़ना. ] फाटुं वि० टूटा-फूटा फाटेल ( - ) वि० फटा हुआ; फटहा (२) असभ्य (३) उद्धत For Private and Personal Use Only Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चीर फासावट ३२२ फांसलो फाटतूबj वि.० देखिये 'फाटुंतूई फाळ स्त्री० छलाँग; चौकड़ी (२)धकफाड स्त्री० चीर-फाड़ (२.) फाँक ; टुकड़ा पक; खटका घड़क ।-पडवी-दिल फाडवं सक्रि० फाड़ना; चीरना;तोड़ना धड़कना; खटका होना। -भरवी फाडियुं न० छोटा पतला टुकड़ा; फांक = चौकड़ी भरना(२) साहस करना.] फातडो पुं० खोजा; हिजड़ा; हीजड़ा :- फाळ पुं० कपड़ेका लंबा टुकड़ा; धज्जी; फानस न दीया; बत्ती; लालटेन । [चरखी फायदाकारक वि० फ़ायदेमंद; मुफ़ीद फाळकी स्त्री० (सूत लपेटनेकी)फिरकी; फायदो पुं० फ़ायदा; लाभ ; प्राप्ति (२) फाळको पुं० फिरकी; परेता गुण ; अच्छा असर; फायदा। -पडवो । फाळवणी स्त्री०. बँटवारा; विभाजन = (दवाका) अच्छा असर होना.) फाळवदुं सक्रि० बाँटना; हिस्सा करना फारक(-1)वि० छुट्टा; मुक्त; कार्यसे फाळियुं न० साफ़ा ; मुंडासा निवृत्त ; फ़ारिग फाळो पुं० हिस्सा; भाग (२)बँटवारा; फारगती स्त्री० छुटकारा; मुक्ति; फ़ा- विभाजन (३) फंड; चंदा। [फाळे रखती (२)तलाक; विवाह-विच्छेद; पडतुं = जितना जिसके हिस्से में आवे; 'डायवोर्स' [कता;प्रचुरता [ला.] हिस्सेके अनुसार.] फाल पुं० फ़सल (२)अतिशयता; अधि- फांकडु(०) वि० देखिये 'फक्कड़' (२) फालतु वि० फुटकर; फुटकल (२) छैला; सजीला; रसिक फ़ाज़िल; फालतू फांको (०) पुं० अभिमान; मिजाज : फालवू अ० क्रि० खिलना; फैलना (२) फांट (०) स्त्री० कपड़ेका छोर. या पुष्ट होना; मुटाना; मोटा होना उसकी कामचलाऊ बनाई हुई झोली फालसुं न० फ़ालसा जैसी चीज़ फाल न० एक प्रकारका गीदड़; लोमड़ी फांटो(०) पुं० शाखा; भाग (२) कीना फाव स्त्री० किसी काममें हाथ बैठना; (३)तरंग; झोंक ; मनकी लहर रास आना - [होना फांद (०) स्त्री० तोंद (२) एक बेल; फावट स्त्री० देखिये 'फाव'; गवारा फांजी; काला विधारा । फाववं अ० क्रि० हाथ जमना; अनुकूल फांदो(०) पुं० फंदा; प्रपंच; मायाजाल होना; गवारा होना(२)सफल होना; फांफां(०) न० ब०व० खाली इधरमौक़ा मिलना; पासा पड़ना। [फावतुं उधर देखना; झाँकना; टापना (२) - आवq=रास आना; अनुकूल आना. मिथ्या प्रयत्न; बेकार कोशिश फासफूस स्त्री० निकम्मा, रद्दी माल; फांस (०) स्त्री० फाँस; पच्चड़; किरिच . कूड़ा-करकट (२)अड़चन; रुकावट ; भाँजी मारना फासफूसियुं वि० फुसफुसा; कमजोर [ला.]। [-काढवी-बाधा दूर करना; (चीज़); निकम्मा; जो कुछ उपयोग फाँस निकालना। -नाखवी, मारवी .. का न हो [फ़र्क ; फ़ासला पच्चड़ मारना; पच्चर अड़ाना.] फासलो पुं० (समय, अंतर आदिका) फांसलो(०) पुं० फंदा; जाल For Private and Personal Use Only Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org फांस फांस (०) स०क्रि० फंदे में फँसाना; फाँसना ( २ ) फंदेमें कसमा (रस्सीमें डोल, घड़ा आदि ) ; फाँसना (३) तोड़ना ( डाली ) [ वाला; जल्लाद फाँसियो (०) पुं० फंदा कसकर मारनेफांसी (०) स्त्री० फाँसी [ का फंदा फांसो (०) पुं० फंदा ; फाँस ( २ ) रस्सीफिकर स्त्री० फ़िक्र; फ़िकर फिक्काश स्त्री० कांतिहीनता; फीकापन किक्कुं वि० पीला; फीका; कांतिहीन (२) सीठा; बेमजा; फीका [ फीका-फक फिक्कुंफच ( स ) वि० बिलकुल फीका; फिटकार पुं० फिटकार; लानत फिटाड ( -व) वुं स०क्रि० 'फीटवुं ' का प्रेरणार्थक; मिटाना; हटाना ; दुःख दूर करना [ ( ३ ) शरारत ; फ़ुतूर फितूर न० ढोंग (२) विद्रोह; फ़ुतूर ; दंगा फितूरी वि० फ़ुतूरिया ; फ़ुतूरी ( २ ) ढोंगी [ फ़िदा फिदा वि० बहुत खुश ( २ ) अति आसक्त ; फिरस्तो पुं० फ़रिश्ता ; फ़िरिश्ता ; देवदूत ( २ ) पैगंबर [ पियन फिरंगी पुं० पुर्तगाली (२) फ़िरंगी ; यूरोफिलसूफ पुं० फ़िलासफ़र ; दार्शनिक फिलसूफी स्त्री ० फ़िलासफ़ी; तत्त्वज्ञान फिशियारी स्त्री० बड़ाई; शेखी फिसाद स्त्री० ऊधम; तूफ़ान (२) फ़साद; हुल्लड़ फिसोटो पुं० झागका समूह; फेन की स्त्री० फ़ीस शिक्षा शुल्क ( २ ) मेहनताना फ़ीस ( वकील, डाक्टर आदिकी) फीकाश स्त्री० फीकापन; पीलापन; कांतिहीनता (२) फीकापन; सिठाई फीकुं वि० देखिए 'फिक्कु ' ३२३ फुलेव 574 कीफुंफेच ( स ) वि० देखिये 'फिक्कुंफच' फीटवुं अ० क्रि० टलना मिटना; दुःख दूर होना ( २ ) निबटना; अवा होना; फ़ैसल होना फीण न० फेन; झाग फोणवं स ० क्रि० फेंटना; मिलाना (पीठी - आदि) (२) फ़ायदा; लाभ, प्राप्ति होना; मिलना [ला. ] फील स्त्री० फीता [ छोटा परेता फीरकी स्त्री० फिरकी; चकई (२) फोसुं वि० बेमजा; सीठा; फीका (२) ढीला ; कम मजबूत; जो झट फट जाय फुक्को पुं० मूत्राशय; फुकना (२) बुदबुदा (३) (रबड़का ) फुग्गा फुगावो पुं० नक़दके बदले छपी नोटों के चलनका खूब बढ़ जाना; मुद्राविस्तार; 'इंफ्लेशन' [ निकम्मा; बेकार फुटकळ वि० फुटकल ; फुटकर ( २ ) फुवीनो पुं० पुदीना; पोदीना फुद्दी स्त्री० गुड्डी ; छोटी पतंग फुफवाटो ( - डो) पुं० फूँक; फुफकार (२) गुस्सेका जोश [ला. ] फुरचो पुं० टुकड़ा; पुरज़ा फुरजो पुं० बंदरगाह परका चुंगीघर; फुर्जा (२) डॉक; डक फुरसद स्त्री० फ़ुरसत; फ़ुर्सत फुलारो पुं० बड़ाई; शेखी [ फुलाना फुलाव स०क्रि० 'फूलवु' का प्रेरणार्थक; फुलावं अ०क्रि० ' फूलबुं ' का भावे रूप; फुलाना (अ० क्रि० ) [ वर-यात्रा फुलेकुं न० घुड़-चढ़ी; वरका जुलूस; फुलेल न० खुशबूदार तेल; फुलेल फुलेजर वि० बेल-बूटोंवाला (२) न० -ऐसा कपड़ा (३) ( ताशका रंग ) चिड़ी; चिड़िया (४) फूलगोभी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२४ . फुल्ली स्त्री० ताशके चार रंगोंमेंसे फूले बधावj पांव पूजना; देवकी एक; चिड़ी [(२) सोता तरह भावमय आवभगत करना.] फुलारो पुं० फ़व्वारा; फुहारा; फ़ौआरा फूलकोबी (ज) स्त्री० फूलगोभी कुंगराव स० क्रि० बढ़ावा देना; फूलपॅचणी स्त्री० फूल गूंथना (२)फूलोंबहकाना; भड़काना की सजावटकी तरह वस्तुओंका उपफुगरावं अ० कि० मुंह फुलाना; रूठना युक्त संकलन [वृक्ष; फूल-पौधा फूअ० फुफकार जैसी आवाज । -करवं फूलझार न० फूल देनेवाला पौधा या = फूंक मारना (२) फुफकारना (३) फूलडोल पुं० एक उत्सव; फूलडोल . गबन करना (४)खर्च कर डालना.] फूलणजी (-शी) वि० (२)पुं० बखानसे फूग स्त्री० फफूंदी; भुकड़ी फूल जाये ऐसा; फूलकर कुप्पा होनेफूट स्त्री० फूट; फूटना (२) दरार; वाला [(२)नाजुक; कामचलाऊ 'फाट (३) फूट; विरोध फूलफटाक (-कि) वि० सजीला;छैला फूट न० आरिया; फूट फूलवडी स्त्री० एक प्रकारकी बड़ी; नमकीन बूंदी फूटई वि० सुंदर; रूपवान; सलोना फूलवाडी स्त्री० फुलवारी; फुलवाड़ी फूटपाथ पुं० पटरी; 'फूटपाथ' फूलबुं अ० कि० फूलना; उभरना (२) फूट अ०क्रि० फूटना; खिलना; उगना; खिलना; फूलना; फूल आना (३) खुआ निकलना (२)टूटना; फूटना; हर्षित होना; प्रसन्न होना; फूलना(४) जोरसे फटना; भग्न होना (३) खुला गर्वसे इतराना; बड़ाई हाँकना (५) हो जाना; भंडा फूटना; जाहिर हो बहकना; उत्तेजित होना । [फलीने जाना (४) मुकरना; धोखा देना; फाळको थy = फूलकर कुप्पा होना; विपक्षसे जा मिलना; फूटना। [फूटी फूलना; शेखी बघारना.] बदाम न होबी = पासमें कानी कौड़ी फूलबुंफालवू अ० क्रि० फूलना-फलना न होना। फूटी बदामर्नु = टकेका; फूलु न० आँखका एक रोग; फूली मूल्यरहित.] फूड वि० फूहड़ (२)गंदा; भद्दा । फूबडी स्त्री० चौगिर्दा घुमाव; गोल-गोल फूस स्त्री० पराजय (२)वि० निकम्मा; घूमना (२)तारा या फूल जैसा चिह्न रद्दी (३) न० फूस ; घास तारक-चिह्न; फुल्ली [तितली फूंक स्त्री० फूंक; दम ; साँस (२)प्राण । फवं न० परदार कीड़ा; पतंग (२) [-नीकळी जवी = फूंक निकल जाना; फूमतुंन० फुदना; गुच्छा; कलगी; तुर्रा प्राण निकल जाना; मर जाना। फूर्तिलं वि० फुरतीला -मारवी=फूंकना(२)अप्रकट चेतावनी फूल न० फूल; गुल; फूलकी शकलकी देना (३) कान भरना (४)भरमाना.] वस्तु(२)आँखका एक रोग; फूली; फूंकमी स्त्री० फुकनी; फुकनी (नली) फूला (३) एक गहना (४) फूलगोभी फूंक स०कि० फूंक मारना; फूंकना (५) गर्व; बड़ाई; गर्वसे इतराना। (२)फूंककर बजाना (३) दिवाला For Private and Personal Use Only Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org फूंकार निकालना (४) सहलाना । [ फूंकी देवं, फूंकी मूकवुं = फूंक डालना; जला डालना (२) सस्तेमें बेच डालना; गिरकर सौदा करना । फूंकीफूंकीने = फूंक-फूंककर; सावधानतासे:] फूंकार पुं० फूंक (२) फुफकार ; फुंकार फूंकार स० क्रि० मुँहमें पानी भरकर फूँकसे छिड़कना (२) फुफकारना; फुंकारना फूंकारो पुं० देखिये 'फुंकार' फूकाबुं अ०क्रि० 'फूंकवुं 'का कर्मणि फूंफवाटो ( - डो), फूंफाटो (-डो) पुं० फुफकार; फुंकार फेज पुं० खराबी; दुर्दशा ( २ ) सजा फेड स०क्रि० टालना; मिटाना; दूर कर देना (२) चुकाना; अदा करना फेण (फॅ) स्त्री० फन (साँपका ) फेण (फॅ) न० फेन; झाग फेफर स्त्री० मुँहकी सुजन ; मुख-शोथ फेफरी स्त्री०, फेफरूं न ० मिरगी; अपस्मार फेफसुं न० फेफड़ा फेब्रुआरी पुं० फरवरी फेर पुं० फेर; फ़र्क़ अंतर ( २ ) सिरका घुमाव; चक्कर (३) लपेट; फेरा; चूड़ी (४) घेरा ( ५ ) दामन; कपड़ेका पल्ला (६) बार-बार आना-जाना; चक्कर; फेरा (७) घुमानेकी कील; पेच (८) अ० फिर ; पुन: । [ - चडवा = सिर घूमना; चक्कर | - पडवो = फ़र्क़ होना ( २ ) सुधार होना । -मां आवबुं = फेर खाना; घुमावके रास्ते जाना. ] फेरणी स्त्री० फेरी (२) बेकार घूमना फेरबदली स्त्री०, फेरबदलो पुं० आपसमें हेर-फेर ; अदला-बदला फेरवबुं स ० क्रि० फिराना; फेरना ३२५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फोईबा फेरियो पुं० फेरी करनेवाला; फेरीवाला फेरी स्त्री० चक्कर; गश्त ( २ ) दफ़ा ; बार (३) फेरी ( फेरीवालेकी) फेरो पुं० फेरा; भांवर (२) बारी; पारी (३) चक्कर; गश्त । [ फेरा फरवा = अग्निकी परिक्रमा करना ( विवाह के समय) ; भाँवर भरना । खावो = हो आना; चक्कर लगाना ( २ ) व्यर्थ चक्कर काटना। -पडवो = जानेका फल न मिलना ; फेरमें पड़ना । -फळवो = जानेका अर्थ सिद्ध होना; जानेसे लाभ होना. ] फेल (फॅ) पुं० फ़ेल; ढोंग [वृद्धि; प्रगति फेलाव (फॅ) पुं० फैलाव ; विस्तार (२) फेलाववं (फॅ) स०क्रि० फैलाना; पसारना; विस्तार करना [ बढ़ना फेला (फॅ) अ० क्रि० फैलना; पसरना; फेलावो (फॅ) पुं० देखिये ' फेलाव ' फेलं न० रेशा ; तागेकी लड़ (२) फाँस ; अड़चन ; बाधा ( ३ ) मुश्किल ; उलझन फेशन स्त्री० फ़ैशनफेसलो (फॅ) पुं० फ़ैसला ; निर्णय; निबटारा; समाप्ति; खातमा फेंकj (फॅ०) स०क्रि० फेंकना ; डालना (२) गप हाँकना [ थप्पड़ ; धप्पा फेंट (फॅ०) स्त्री० फेंट; कमरबंद (२) फॅटो (फॅ०) पुं० मुंडासा; साफ़ा ; मुरेठा फेंद (फॅ०) स०क्रि० तितर-बितर करना; बिगाड़ना; गींजना (२) बिखेरना फॅसलो (फॅ०) पुं० देखिये 'फेसलो ' फोइयात वि० फुफेरा कोई स्त्री० फूफी; बूआ फोईजी स्त्री० ( मानार्थ) फूफी; बूआ (२) फुफेरी सास फोईबा स्त्री० फूफी; बूआ For Private and Personal Use Only Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org फोक वि० फोकट; निकम्मा; रद्द फोकट वि० (२) अ० फोकट; व्यर्थ ; निकम्मा; खराब 2 फोकटियुं वि० मुफ्तका; फोकटका (-२) निकम्मा [' फोकटियुं ' फोगट ( - टियु) वि० देखिये 'फोकट ', फोज (फॉ) स्त्री० फौज; सेना फोजदार (फॉ) पुं० फ़ौजदार; कोतवाल फोजदारी (फॉ) वि० फ़ौजदारी ( २ ) - स्त्री० फ़ौजदारका काम या पद (३) फ़ौजदारी अदालत . फोड पुं०; स्त्री० स्पष्टीकरण; विवरण; ब्योरा (२) निबटारा; फ़ैसला ( ३ ) बँटवारा 1. फोडली स्त्री० छोटी फुड़िया फुंसी फोडलो पुं० फोड़ा; बड़ी फुंसी फोड स० क्रि० फोड़ना ( २ ) - का निबटारा करना; फ़ैसल करना (३) न० तरकारीका काटा हुआ टुकड़ा; टुकड़ा (४) दहीका लोंदा ; थक्का फोतरी स्त्री० खुरंड; पपड़ी फोतरं न० छिलका (२) काग़जका टुकड़ा; पुरजा [ आदिका) फोटो पुं० लोंदा; थक्का (दही, दूध ब पुं० 'प' वर्गका - तीसरा ओष्ठ्य व्यंजन बडियं न० दो कड़ों वाला एक बरतन बकनळी स्त्री० बकयंत्र; 'साईफन' aras स्त्री०, बकबकाट पुं० बकबक; बकवास बकरी स्त्री० बकरी 1 ३२६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फोफळ न० सुपारी; पुंगीफल फोफां न० ब० व० मूंगफलीफोद्धुं न० स्थूलकाय; मोटेमल ( २ ) मूंगफलीका छिलका फोरन ( फॉ) अ० फ़ौरन फोरम (फॉर,) स्त्री० खुशबू ; महक ( २ ) आबरू [ला. ] [ महक उठना फोर (फोर) अ० क्रि० खुशबू फैलना; फोरं ( फॉ) वि० चालाक; चुस्त ; फुरतीला ( २ ) जरा बड़ा; झांगला; ढीला-ढाला ( ३ ) हलका; कमवजनी फोठं न० छींटा; बूंद फोल पुं० छिलके निकालकर साफ़ की हुई चीज (२) बीज निकाली हुई इमली फोलवं सं० क्रि० छिलके आदि निकाल कर साफ़ करना फोल्ली स्त्री० फुंसी फोल्लो पुं० बड़ी फुंसी; फोड़ा ( २ ) फफोला; छाला फोसलामण ( - णी) स्त्री० फुसलाना; फुसलावा (२) ठगाई फोसलाव स०क्रि० फुसलाना; ठगना फोसलाबुं अ० क्रि० धोखा खा जाना; ठगा जाना बकरुं न० बकरा बकरो पुं० बकरा बकल न० बकलस; बकसुआ बकवाट, बकवाद पुं० बकवास ; बकवाद anj स० क्रि० बेकार बात करना; बकना (२) बोलना (तुच्छकारमें) (३) शर्त लगाना; बदना For Private and Personal Use Only Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बकात बकात वि० बचा हुआ; बाक़ी ( २ ) L A काटा, छाँटा हुआ; रद्द । [ - राख = छाँटना; रद्द करना; काटना. ] बकारी स्त्री० वमनका उच्छ्वास ; मतली बकाल पुं० काछी; बक्काल ( २ ) बनिया (तुच्छकार में); बक्काल [ का पेशा कालुं न० सागपात, सब्जी (२) बक्कालबकोर पुं० शोर; कोलाहल [ देना बवं स०क्रि० भेंटमें देना; बख़्शना (२) बक्षिश ( स ) स्त्री० भेंट ; उपहार ; नज़र बडियं न० देखिये 'बकडियं ' बखतर न० बहुतर; कवच बखतरियो पुं० कवचधारी योद्धा; बस्तरपोश सैनिक बखारो पुं० कोलाहल ; शोर । [ बखारा काढवा = दिलके फफोले फोड़ना; भड़ास निकालना. ] बखाळियुं वि० शोर मचानेवाला बलाको पुं० देखिये बखारो' बलियो पुं० बखिया बखील वि० बखील; कंजूस ( २ ) कंगाल बबुं न० छेद; सूराख बखेडो पुं० बखेडा; फ़साद; दंगा बखोल स्त्री० खोखली जगह; खोखला; ( गुफा, कोटर आदि) बल्लड वि० गाढ़ा ; जो पतला न हो बस्तर ( - रियो) देखिये ' बखतर' आदि ans to क्रि० बिगड़ना; नष्ट होना; खराब होना ( २ ) भ्रष्ट होना बगडो पुं० दोका अंक बगदो पुं० कचरा; कूड़ा-करकट बगभगत पुं० बगलाभगत बगरी स्त्री०, बगदं न० घी तपानेसे ऊपर आनेवाला मैल; घृतमंड (२) घी-तेल आदिकी तलछट ; काट ३२७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बगल स्त्री० बग़ल; काँख |[-मां घालव =देखिये ‘बगलमां लेवु । - मां मार = बग़ल में दबाना, दाबना । - मां राखयं = क़ब्ज़े में रखना (२) आश्रय देना । -मां लेबुं = बग़लमें रखना; बग़लमें दबाना ( २ ) आश्रय देना । - मां होवु = कब्जे में होना ( २ ) अपनी निगरानी - देखभाल में होना । बगलो कूटयाँ = बगलें बजाना । बगलो देखाडी = दिवाला निकालना। बंगलो वगाडवी = बग़लें बजाना. ] बगलथेली स्त्री ० कंधे पर लटकानेसे बग़लके नीचे रहे ऐसी थैली ; बगली बगली स्त्री० मादा बगला; बगली बगलुं न० एक पक्षी; बगला बगलो पुं० नर बगला ; बगला ; बक बगवा पुं० कानका मैल; खूंट बगवावं अ० क्रि० सगबगाना; घबड़ाया हुआ होना बगाई स्त्री० बगई; कुकुरमाछी बगाड पुं० बिगाड़; हानि ( २ ) विकृति ; खराबी (३) अनबन ; बिगाड़ (४) भ्रष्टता aisi स० क्रि० बिगाड़ना बगाडो पुं० देखिये 'बंगाड बगासुं न० जंभाई; जम्हाई ; उबासी बगी स्त्री० बग्घी ; जोड़ी बमीचो पुं० बग़ीचा; बाग़ [ छेद बगुं न० छेद; सूराख (२) दीवारमें हुआ बचकार स० क्रि० पुचकारना बचकारो पुं० चटखारा; चभड़-चभड़ बचकी स्त्री० बकुची; छोटी गठरी बचकुं न० बकुचा; गठरी बचकुं न० दाँतसे की हुई चोट; काट; बतीसा (२) दाँतोंसे काटनेमें समा सके इतना टुकड़ा । [-भरयुं = दांतोंसे काटना; काट खाना. ] For Private and Personal Use Only Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बचको बचको पुं० बकुचा; बड़ी गठरी बच वि० बचा हुआ ( २ ) स्त्री० वाक़ी बची हुई चीज; बक़ाया (३) बचाई हुई रक़म ; बचत बचपन न० बचपन बचरवाळ वि० बच्चेकच्चेवाला बच अ० क्रि० बचना ( २ ) बाक़ी रहना ; खर्च से बाक़ी बचना; बचना बचाव पुं० बचाव; रक्षा ( २ ) बची हुई रक़म; बचत । [ -करवी = निर्दोषता सिद्ध करनेके लिए सफ़ाई देना. ] बचावपक्ष पुं० बचाव करनेवाला पक्ष; अभियुक्त पक्ष बचावj सं० क्रि० बचाना बची स्त्री० बच्ची ; बेटी बच्ची स्त्री० चुंबन; बोसा बचोळियूँ न० छोटा बालक; बच्चा बच्चांकच्चां न० ब० व० बच्चे - कच्चे बच्ची स्त्री० चुंबन बच्चुं न० बच्चा (प्राय: पशुका); शावक बच पुं० लड़का (२) मनुष्य, इन्सान, माईका लाल - ऐसे अर्थ में; उदा० बच्चो होय ते हवे आवे' बजर पुं०; स्त्री० सुंघनी; नास बजरियुं न० सुंघनीकी डिबिया ; नासदान बजवणी स्त्री० (आज्ञा, हुक्म आदिका ) अमल करना - कराना; तामील बजवं अ० क्रि० अमल होना; कार्यमें परिणत होना ( २ ) बजना (वाद्य,' , घंटा - आदि) बजवैयो पुं० बजवैया बजाणियो पुं० ढोलकिया (२) रस्सी पर नाचनेवाला; नट बजार पुं०; स्त्री०; न० बाजार; हाट; मंडी ( २ ) साप्ताहिक बाज़ार ; गुजरी ३२८ क्यो (३) भाव; दर; बाज़ार (४) खपत : मालकी बिक्री । [ -करवुं = बाजार करना; खरीदना । बेसी जवुं = बाज़ार मंदा होना; बाज़ार गिरना । - वधी जयं = बाज़ार तेज होना. ] बजारभाव पुं० बाजारभाव atre वि० बाजारू; मामूली ; बाजा का हलका (२) बाज़ार में फैलनेवाली ( अफ़वाह ) ; अविश्वसनीय बाज़ारी (३) स्त्री० बाज़ारी औरत; वेश्या बजावणी स्त्री० देखिये 'बजवणी ' बजावj स० क्रि० ' बजबुं' का प्रेरणार्थक रूप; बजाना; बजा लाना बझाड स० क्रि० ' बाझवुं ' का प्रेरणार्थक रूप; लिपटाना; सटाना (२) गले मढ़ना; सिर थोपना [ला. ] बटक वि० जल्दी टूट जाये ऐसा; कनकना बटकण ( - गुं) वि० जल्दी टूट जाये ऐसा ; कनकना (२) कटखना; कटहा ; काट खानेवाला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बटकबोलुं वि० मज़ाक़पसंद हँसोड़ (२) मुँह पर दो-टूक जवाब देनेवाला बटक अ० क्रि० टूटना; दरकना (२) झड़ जाना बटका अ० क्रि० विदीर्ण होना; दरकना (२) चर्राना; मसकना फटना ( कपड़ा) बटकी स्त्री० ठिंगनी और पट्ठी स्त्री (२) नौकरानी; लौंडी ( ३ ) रखेली; वेश्या [ (२) टुकड़ा बटकुं न० ( दाँतोंकी) काट; बतीसा बटकुं वि० बौना; नाटा [ स्विच ) बटन न० बटन (२) बटन ( बिजलीका बटमोगरो पुं० मोगरा बटवो पुं० बटुआ For Private and Personal Use Only Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org महार बटाउ वि० उड़ाऊ बटाको (-टो) पुं० आलू मटा अ० क्रि० ज्यादा देर तक पड़ा रहने से बास मारना, उतर जाना ( अनाज या रसोई) बटु पुं० बटु वटु; बालक बटुक पुं० वह लड़का जो यज्ञोपवीतधारी न हो ( २ ) बोता आदमी बटेरं न० सकोरा, कसोरा [ दाग़, बट्टा बट्टो पुं० मिथ्या आरोप; तोहमत ( २ ) बघ पुं० पट्ठा; संड-मुसंड; पाठा ases स्त्री० (२) अ० बड़बड़, बकवास बडबड अ० क्रि० बड़बड़ाना ( २ ) नाराजी के कारण मनमें गुनगुनाना (३) डा sers पुं० बड़बड़ाहट; बकवास बडमूडियो, बडमूछो वि० पुं० बिना ३२९ मूंछका आदमी; मकुना बड न० वह पुरजा जिससे किवाड़ आदि चौखट से जोड़ने पर घूमते हैं; क़ब्जा बडवो वि०; पुं० सिरमुंडा; विरूप (२) पुं० वह लड़का जिसका यज्ञोपवीत हो रहा हो; बरुआ (३) छीली हुई गॅडेरी बडाई स्त्री० बड़ाई; महत्ता (२) मग़रूरी asia ro तितर-बितर; अव्यवस्थित बाश स्त्री० घमंड ; शेखी बहुं वि० बड़ा; भारी बडूको पुं० कड़ी चीज़ तोड़ते या चबाते समय होनेवाली आवाज़ बढती स्त्री० खुशहाली ; वृद्धि; समृद्धि (२) (तनख्वाह में ) वृद्धि; बढ़ती बणगुं न० नरसिंघा; रणसिंघा ( २ ) हुल्लड़, दंगा-फसाद (३) डींग ; शेखी ; कोरी गप [ला. ] वणवण अ० (२) न० भिन-भिन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir aranj अ० क्रि० भिनभिनाना बताड (ब) बुंस०क्रि० बताना, दिखाना बसी स्त्री० ( दीयेकी) बसी (२) दीया; बत्ती (३) बढ़ावा; उत्तेजना [ला. ] । [ -आपवी = उभाड़ना; उकसाना । -करवी = चिराग़- बत्ती करना । -फाटवी बोलना ।. - मूकवी = घावमें बत्ती भरना ( २ ) आग लगाना; उभाड़ना. ] = जबान खुलना; बसो पुं० ( सील आदिका) बट्टा; दस्ता ( खरल आदिका ) = बत्रीश (स) वि० बत्तीस; ३२ । [-कोठे चारों ओरसे; दसों दिशाओंमें.] बत्रीश ( स ) लक्ष ( ख ) णुं वि० पूर्ण मानवके बत्तीस लक्षणोंवाला (२) धूर्त ; काइयाँ ; चंट बत्रीशी ( -सी) स्त्री० बत्तीसों दाँत; बतीसी (२) बत्तीस चीजोंका समूह; बत्तीसी ( ३ ) स्वादिष्ठ भोजन । [ -ए = जनसमूहमें ( किसीकी) चर्चा - निंदा होना; बदनाम होना । बताववी = हँसना; बत्तीसी दिखाना (२) हँसकर बात उड़ाना (३) धमकी देना ( ४ ) अमर्याद बनना. ] वत्रीसुं न० बत्तीस दवाओं और मेवोंका चूर्ण जो प्रसूताको दिया जाता है; बतीसा बथ स्त्री० देखिये 'बाथ बथवो पुं० बथुआ , O यथावबुं स०क्रि० थका देना; हराना (२) हज़म कर जाना; पचाना । [ बयावी पाडं = अयोग्य रीतिसे ले लेना; हज़म कर जाना; माल मारना. ] ariबच्या स्त्री० गुत्थमगुत्था; भिड़ंत बब स्त्री० मद; गिलटी (रोग) बदचलन न० बदचलनी; दुराचरण For Private and Personal Use Only Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चरचाल बदचाल स्त्री० बदचलनी (२) वि० बदचलन; दुश्चरित्र बचदानत स्त्री० बददयानत; बदनीयती बददुआ (वा) स्त्री० बददुआ; शाप बदन न० बदन; शरीर ( २ ) कुरता बदनक्षी स्त्री० बदनामी ; हतकइज्जती बदनाम वि० बदनाम; कलंकित ( २ ) न० बदनामी बदनामी स्त्री० बदनामी; लांछन ; कलंक बदतुं न०, (तो) पुं० पानीका कुंडा या कुल्हड़; तामलोट (राजके काम आनेवाला) (२) डबला (पाखाने में काम आनेवाला) बदफेल बि० बदफेल, दुराचारी [ सड़ना बदबदवं अ०क्रि० जंतुओंसे बजबजाना; बदबो (०ई) स्त्री० बदबू (२) बदनामी बदल अ० बदलेमें; एवज़में बबल स० क्रि० बदलना ( २ ) - के बादलेमें दूसरी चीज़ लेना-देना; बदलना बदलावु अ० क्रि० ' बदलबुं' का कर्मणिरूप; बदलना ( २ ) दूसरा हो जाना; पलट जाना; बदल जाना बदली स्त्री० बदली; बदलना; बदल जाना; फेरफार ( २ ) नौकरी या कामके स्थान या प्रकारका तबादला होना; तबदीली । -मां होवुं के बदलेमें या - के स्थान पर होना. ] बदले अ० बदले; बजाय बदलो पुं० बदला; मुआवजा ; एवज (२) फेरफार; अदल-बदल ; बदला ( ३ ) बैर; बदला [ मानना; बदना बदबुं स०क्रि० गिनना ; समझना ; आज्ञा बदशिकल वि० बदशकल; भोंड़ा बदाम स्त्री० बादाम ; बदाम (२) हिसाबमें एक नगण्य चलन - सिक्का I - ३३० पो = बदामी वि० बादामी; बादामके छिलके से मिलते हुए रंगका ( २ ) बादाम का बना हुआ; बादाम से संबंधित; बादामी बबी स्त्री० दुराचरण; अनीति; बुराई; बदी (२) कुटेव ( ३ ) निंदा बधुं वि० सब; सारा; सर्व; पूरा बघे अ० सब जगह; सर्वत्र बनडी स्त्री० बनी; नवोढ़ा [शादियाना बनडो पुं० बना; दुल्हा (२) शादीका गीत; बनवुं अ० क्रि० बनना; होना; निर्मित, रचित, सिद्ध होना (२) मेल होना; पटना; बनना (३) रूप, वेश भरना ( ४ ) [ला. ] बेवकूफ़ बनना (५) बनाव - सिंगार करना; बनना ( ६ ) नशे में होना; नशा छाना; रंग चढ़ना । [ बनवा काळ = भावी; होनहार । बनवा जोग - संभवित; बन पड़ने योग्य. ] बनवुंठन स० क्रि० बनना-ठनना बनात स्त्री० बनात [ मेल बनाव पुं० घटना; प्रसंग ( २ ) बनाव; बनावट स्त्री ० बनानेकी रीति; बनावट; रचना ( २ ) षड्यंत्र (३) फ़जीहत ; बनावट बनावटी वि० बनावटी; नकली बनाव स०क्रि० बनाना; रचना; निर्मित करना (२) हंसी मज़ाक़ उड़ाना; बनू ( - भू) सन० ऊनका मोटा कंबल;धुस्सा बनेवी (ने' ) पुं० बहनोई बने वि० दोनों; उभय बर्पयो पुं० पपीहा; चातक बपोर पुं० दोपहर ; दुपहरी; मध्याह्न बपोरा पुं० ब० व० दोपहरका भोजन बपोरियुं वि० दोपहरका; मध्याह्नका (२) न० दोपहरको खिलनेवाला एक फूल; दुपहरिया (३) दोपरहको करनेका काम (४) दोपहर तक * बनाना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बपोरी काम करनेवाला मजदूर या कारीगर (५) एक तरहकी आतिशबाजी बपोरी वि० दोपहरका (२) स्त्री० दुपहरी। [-करवी = दोपहरीमें आराम करना। -गाळवी%दोपहरकी बेला गुजारना, काटना.] बफारो पुं० ऊमस बफायँ अ० क्रि० 'बाफवू' का कर्मणि रूप (२)ऊमससे जी घबड़ाना। [वफाई : जq= कुछका कुछ कह देनेसे बात बिगड़ना.] बबडवू अ० क्रि० बड़बड़ाना बबडाट पुं० देखिये 'बडबडाट' बबरची पुं० बावरची [[ला.] बबरचीखानुंन०बावरचीखाना(२)गंदगी बबूचक वि० मूर्ख; बौड़म बब्बे वि० दो-दो बमणवू अ.किवभिनभिनाना; भिनकना (२) भिनभिनाते हुए मंडराना बमणाट पुं० भिनभिनाहट; भिन-भिन बमणुं वि० दोगुना; दुगुना; दूना . बर पुं० अर्ज़; पनहा (२) किस्म (३) माल (४)अ०-के अनुसार; की तरह .. (५) वि० सफल ; बर(आना); पूरा (६) जैसा चाहिए ऐसा; योग्य । [-आव_= सफल होना; बर आना। - न होवू = किस्म या पनहेका होना (कपड़ा).] बरकत स्त्री० बरकत; लाभ (२)फ़तह; सिद्धि (३)बरकत; बहुतायत; समृद्धि बरको पुं० चिल्लाहट; चीख बरखास्त वि० बरखास्त; विसजित। [-कर-(जलसा)बरखास्त करना। -यवंबरखास्त होना.] . बरछट वि०जिसकी सतह चिकनी न हो; खुरदरा (२) मोटा; पटिया (अनाज) बरछी स्त्री० बस्छी बरड वि० जल्दी टूट जानेवाला; कनकना बरवू न देखिये 'बडवू'; क़ब्जा बरसो पुं० पीठ। [- थाबडवोपीठ ठोंकना। बेवड वळी जवो सख्त मार पड़ना (२) (हँसने के कारण) लोट-पोट होना.] बरणी स्त्री० एक पात्र-विशेष बरदाश(-स, त) स्त्री० देखभाल; तीमारदारी। [ -करवी - देखभाल करना; तीमारदारी करना (२)सहना; बरदाश्त करना; उदा० भूलनी बरदाश करवी'। -राखवी, लेवी देखभाल करना (२) मेहमानदारी करना.] बरफ पुं०; न०. बर्फ़; बरफ़ बरफी स्त्री० बरफ़ी बरफीबूरमुं न० एक मिष्टान्न बरबाद वि० रद्द; निकम्मा; खराब (२)नष्ट; बरबाद . बरबादी स्त्री० बरबादी बरागळ स्त्री० हलका बुखार; हरारत बराड, अ० क्रि० चीखना; चिल्लाना बराडो पुं० चिल्लाहट; चीख .. बराबर वि०(२) अ० बराबर; समान; तुल्य (३)खरा; उचित; वाजिब (४) जैसा चाहिए ऐसा; सही; ठीक बराबरियं वि० बराबरका; समकक्ष बराबरियो पुं० बराबरका व्यक्ति; प्रतिस्पर्धी बराबरी स्त्री० बराबरी; मुकाबला। [-करवी मुक़ाबला, स्पर्धा करना.] बरास न० बरास-कपूर बरास न० सौ घनफुट For Private and Personal Use Only Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org -बरी बरी स्त्री० खीस ; पेउसी; पेयूष बरु पुं०; न० नरकट; नेज़ा बरो पुं० मिज़ाज; मग़रूरी (२) नखरा (३) शेखी (४) अति ज्वरके कारण होटके कोनेके पास होनेवाली छोटी फुंसियाँ: [' बराबर' आदि बरोबर ( - रियुं, - रियो, -री) देखिये बरोळ स्त्री० तिल्ली ; प्लीहा बलके अ० बल्कि; किंतु प्रत्युत बला स्त्री० कष्ट देनेवाली वस्तु या व्यक्ति; बला (२) आफ़त; बला । [-जवी, टळवी बला टलना ।-लेवी = बलायें 'लेना । - बहोरवी = बला मोल लेना । -जाणे !, -रात जाणे ! = (मेरी) बला जाने ; मैं नहीं जानता. ] बलिहारी स्त्री० खूबी ( २ ) वाहवाही बलूच (बी) पुं० बलूचिस्तानका निवासी बहूची ( २ ) वि० बलूचिस्तानका बलून न० बैलून; विमान; वायुयान बले (-लो, -ल्लं) युं न० चूड़ी । [बलैयां कहे रवां = स्त्रीका ब्याह करना या किसीके घर बैठना; चूड़ियाँ पहनना (२) नामर्द बनना; चूड़ियाँ पहनना (व्यंगमें).] बस अ० बस; काफ़ी (२) निश्चय या दबाव बतानेवाला शब्द ; बस । [ -कर = बंद करना; बस करना। -थबुं काफ़ी हो जाना.] बस स्त्री० मोटरबस बसी स्त्री० रक़ाबी; तश्तरी सूर्य वि० देखिये 'बेसूरु ' बसें ( - सो ) ( सॅ० ) पुं० दो सौ; २०० बहरं वि० दोहरा बहलाव स० क्रि० मज़बूत करना; विकास करना (२) फैलाना (३) प्रफुल्लित करना; बहलाना [ला.] ३३२ बहेक बहादुर बि० बहादुर; शूरवीर बहादुरी स्त्री० बहादुरी; पराक्रम । [- मारवी = बहादुरीका दम भरना या शेखी बघारना. ] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir = प्रकट बहानुं न० बहाना; मिस । [ -आप किसी बहानेका निमित्त होना . ] बहार पुं०; स्त्री० बहार; शोभा ; ज्ञान (२) आनंद ; बहार ( ३ ) वसंत ऋतु; बहार; वसंतका आनंदभरा उन्मादक समाँ । [ - आवबी = लुत्फ़, मजा आना.] बहार अ० बाहर । [-आवबुं = होना । —एटलं अंदर = बड़ा घाघ; बाहरसे सरल पर भीतरसे चालाक । -पडबुं : = खुलना; जाहिर होना ( २ ) (पुस्तक) शाया होता. ] बहारवटियो पुं० बाग़ी; विद्रोही (२) लुटेरा [ बगावत बहारवयुं न० डाकाज़नी; डकैती (२) बहारवासियो पुं० बाहरंवाला; भंगी बहाल वि० बहाल; मंजूर; कायम बहाली स्त्री० बहाली; स्वीकृति बहिर्गोल वि० जिसकी सतह बाहरको उठी हो; उन्नतोदर For Private and Personal Use Only = बहु वि० (२) अ० बहु; बहुत खूब । [ -करी = कमाल किया । ययुं = अब बस करो; रुक जाओ ( २ ) हद हो गई । - सारं = भले; अच्छा; ठीक. ] बहुमती स्त्री० बहुमत; कसरतराय ( २ ) एक पक्षसे दूसरे पक्ष के मतोंकी अधिकता बहुरूपी वि० अनेक रूपोंवाला; बहुरूप (२) पुं० अनेक रूप धरनेवाला; बहुरुपिया बहुवचन न० बहुबचन बहेक स्त्री० महक; खुशबू बहेक अ० क्रि० महकना (२) छकना; आवारा होना; बहकना Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहेकाववं बहेकाव, स० क्रि० बहकाना;वररालाना बहेडुन० बहेड़ा (फल) बहेडो पुं० बहेड़ा (पेड़) (२)कीचड़ बहेतर वि० अच्छा; ठीक; बेहतर बहेन स्त्री० बहन ; बहिन (२)कोई भी स्त्री (३) स्त्रीके नामके अंतमें आदरसूचक अनुग बहेनपणां न० ब० व० बहनापा बहेर स्त्री० बहरापन (२) सुन्न होनेकी स्थिति; जडता बहेराट पुं०, बहेराश स्त्री० बहरापन बहेरं वि० बहरा (२)ठीक न बजनेवाला (रुपया) (३)झूठा ; सुन्न ; जड; उदा० 'चामडी बहेरी थई गई छे' बहोरवं स० कि० बुहारना बहोळं वि० बड़ा; विस्तारवाला; विशाल। [बहोळे हाथे = उदारतासे; दरियादिलीसे.] बळ न० बल ; जोर ।[-आववं, पकड, = बल मिलना; जोर पकड़ना; बलवान बनना। -भागq=ज़ोर चला जाना; शक्ति नष्ट होना. बळखो पुं० बलग़म बळजबरी, बळजोरी स्त्री० जबरदस्ती बळतण न० जलावन; इंधन बळतरा स्त्री० जलनेकी पीड़ा; जलन; दाह (२)जलन; मनस्ताप; कुढ़न बळतुं वि० जलता हुआ (२)न० जलती चीज़ (३) जलन; दाह (४) अलाव बळद (-दियो) पुं० बैल (२) गावदी; बैल [ला.] बळवालोर वि० बलवाई; बागी मळवू अ० कि० बलना; जलना (२) जलना; जलन होना (३)डाह करना; बंदियो __ जलना। [बळ' ='जाने दो; टाल दो' इस मतलबका उद्गार.] बळवो पुं० बलवा; ग़दर; विप्लव । [-ऊठवो, जागवो बग़ावत होना.] बळापो पुं० कुढ़न; संताप ।[-काढयोदिलके फफोले. फोड़ना; दिलका बुखार निकालना.] बळिया (काका),(बापजी) पुं० ब० व० बड़ी माता; चेचक (२) उसका देव । [-काढवा, टांकवा=शीतलाका टीका लगाना.] बळियु वि० बली; जोरावर बळियेल वि० अदेखी; ईर्ष्याल बळी स्त्री० खीसमें से बनाया जाने वाला एक खाद्य ; इन्नर बळेव स्त्री०श्रावणी; राखी पूनो; सलूनो बळोतियुं न० देखिये 'बाळोतियुं' बळपुंजळघु वि० क्रुद्ध ; जला-भुना (२) पीड़ित; संतप्त (३) ईर्ष्यालु; डाही बंको वि० पुं० छैला; बाँका; सजीला बंगडी स्त्री० चूड़ी। [-पहेरवी = नामर्द बनना; चूड़ियाँ पहनना.] बंग पुं० रीति; तरह; प्रकार (२) तर्क; मनकी तरंग (३) नमूना; ढंग; जाति (४)वि० निर्लज्ज; बेशरम बंगली स्त्री० छोटा बंगला [बंगला बंगलो पुं० एक खास प्रकारका मकान; बंगाळ (-ळा) पुं० बंगाल बंगाळी वि० बंगालका; बंगला (२) स्त्री० बंगाली भाषा; बंगला (३) पुं० बंगालका रहनेवाला; बंगाली। [-सोल = ८० तोलेके सेरकी एक तौल; पक्की तौल.] बंट(-टियो) पुं० धानके साथ उगनेवाला एक घटिया अनाज For Private and Personal Use Only Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बंडी बंटी स्त्री० साँवाँकी जातिका अनाज बंड न० दंगा-फसाद; हुल्लड़; बलवा बंडखोर वि० बलवाई; बाग़ी बंडी स्त्री० बंडी; फतुही बंदर न० बंदर; बंदरगाह ( २ ) बंदर पर बसा हुआ नगर ; बंदरगाह; 'पोर्ट' । [ - करवुं = जहाजका बंदरगाह पर लंगर डालना. ] बंदरी वि० बंदरगाह संबंधी बंदी पुं० बंदी; क़ैदी (२) स्त्री० मनाही ; बंदी ( ३ ) ग़ुलाम स्त्री; बाँदी; दासी बंदीजन पुं० चारण; बंदी बंदूक स्त्री० बंदूक़ 1 [-ताकवी = बंदूक छतियाना; बंदूक का निशाना बाँधना । -मारवी = बंदूक़ दागना. ] बंदो पुं० सेवक; दास (२) खुद (बड़ाई सूचित करनेमें व्यवहृत ) बंदोबस्त पुं० बंदोबस्त इंतज़ाम ; व्यवस्था (२) नियंत्रण; क़ाबू बंध पुं० बाँधना; बाँधनेका साधन; बंध (२) उसकी पकड़ या गाँठ; बंध ( ३ ) बंधन; क़ैद ( ४ ) रचना; वस्तुसंकलना (५) बाँध; बंध ( ६ ) प्रतिबंध; रोक बंध वि० जो खुला न हो; भिड़ा हुआ; बंद ( २ ) रुका हुआ; ठप; बंद बंधक वि० बंधनकारी; बाँधनेवाला बंधकोश ( - ) पुं० क़ब्ज़; मलावरोध . बंधणी स्त्री० क़रार ; ठहराव बेसतुं वि० अपनी जगहपर ठीक आनेवाला; ठीक बैठनेवाला (२) योग्य; अनुकूल बंघबेस अ० क्रि० अपनी जगहपर ठीक आ जाना; अँटना (२) इस्तेमाल होना; काम आना ३३४. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लत बंघाण न ० ( पेट पर बाँधनेकी) औषकी मोटी टिकिया - लेप (२) बाँधनेकी चीज़; उसकी गाँठ ; बंध ( ३ ) रोक; प्रतिबंध ( ४ ) व्यसन; बंधाणी वि० व्यसनी; आदी बंधामण न०, ( - णी) स्त्री० बाँधनेकी मजदूरी (२) बाँधनेकी रीति बंधारण न० रचना; निर्माण; तामीर (२) व्यसन; बुरी आदत ( ३ ) (पेट पर रखनेकी) औषधकी मोटी टिकियालेप (४) संविधान ; ' कोन्स्टीट्यूशन' बंधारणसभा स्त्री० संविधान सभा बंधारणीय वि० संविधानका; सांविधानिक बंधारो पुं० कपड़ेका रंगनेका हिस्सा अलग-अलग बाँधकर रंग बनानेवाला (२) रेशमी कपड़े धोकर कुंदी करनेवाला (३) बाँध; बंद बंघाव स० क्रि० ' बांधवं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; बँधाना ( २ ) साथ ले " जानेके लिये कुछ देना; उदा० 'रस्ता माटे नास्तो बंधाव्यो छे' बंधियार वि० हवा - प्रकाशरहित; बंद (स्थान) ( २ ) रुका हुआ या बंधा हुआ (पानी) बंधी स्त्री० बंदी; रोक; निषेध ( २ ) परहेज़ (३) हड़ताल (४) क़रार ; ठहराव बंधूक स्त्री० बंदूक बने वि० दोनों; उभय बंब वि० बड़ा; कद्दावर बंबाखानुं न० आग बुझानेका दमकल रखनेका स्थान [ नेवाला बंबावाळो पुं० दमकलसे आग बुझाबंबो पुं० पानी निकालनेकी कल; बंबा ( २ ) आग बुझाने के लिए पानी फेंक For Private and Personal Use Only Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बंजरी ३३५ नेका दमकल (३)पानी गरम करनेका बाखड अ०क्रि०बखेड़ा करना; झगड़ना एक प्रकारका बरतन (४) पानीकी बाखडी वि० (मवेशी)जिसे ब्याये ज्यादा बड़ी कल; बड़ा नल __ समय हो गया हो; बकेन (गाय, भैंस) बंसरी स्त्री० बंसरी; बंसी । बाखं न० छेद; सूराख बंसी स्त्री० बंसी; बांसुरी ... बागायत स्त्री०बगीचेमें होनेवाली खेती; बा स्त्री० माँ; माता (२)बुजुर्ग स्त्रीके साग-सब्जी (२) वि० कुंएके पानीसे नामके पीछे लगाया जानेवाला शब्द; होनेवाली (खेती) उदा० 'कस्तूरबा' (३)अ० प्यारका बागायती वि० फलफूलके पेड़-पौधे एक उद्गार लगाने लायक (जमीन); बाग़ाती, बाइवल न० बाइबिल ; इंजील बाघड (-इं.) वि० देखिये 'बाघु'(२) बाइसिकल स्त्री०बाइसिकिल ; साइकिल डरावना [लाहट बाई स्त्री० कोई भी स्त्री; बाई (२) बाबाई स्त्री० बुद्धपना ; मूढ़ता; बौखस्त्रीके नामके पीछे लगाया जानेवाला बायां न० ब० व. बेकार इधर-उधर मानसूचक शब्द (३)सास(४)नौकरानी देखना (२)व्यर्थ कोशिश बाईजी स्त्री० सास बाधू वि० बुद्ध; बौखल बाईडी स्त्री० कोई भी स्त्री; स्त्री बाचको पुं० मुट्ठी; पंजा या उसमें (२)पत्नी। [-करवी = ब्याहना। आये उतनी चीज़; बकोटा (२) -राखवी = रखेली रखना.] बकोटा; पंजे या नाखूनोंसे नोचना बाईमाणस न० स्त्री बाज पुं० एक शिकारी पक्षी; बाज़: बाउलुं न० खीरी; थन बाज स्त्री०; न० पत्तल बाकरी स्त्री० हठपूर्वक झगड़ना।[-बां- बाजठ पुं० चार पायोंवाला चौकोर घवी= पूर्वग्रहके कारण किसीसे बैर आसन; चौकी (बैठनेकी) रखना.] बाजडु न० पत्तल बाकळा पुं० ब० व० साबूत उबाला हुआ बाजरियं न० बाजरेकी बाल; सिट्टा दलहन। [-आपवा, नाखवा = उबाले बाजरी स्त्री० बाजरा हुए दलहनकी बलि देना.(२)घूस देना.] बाजरो पुं० बड़े दानोंका बाजरा बाकात वि० देखिये ‘बकात' बाजी स्त्री० वह तख्ता या कपड़ा जिस बाकी वि० बाक़ी; घटता या कम होता पर बाज़ी खेली जाय; बिसात (२) हुआ (२) बचा हुआ; अवशिष्ट'; बाक़ी चौसर या ताशका खेल (३) (ताशका) (३) शेष ; बाक़ी (४) स्त्री० जमा- दावे; बाजी; हाथ (४) युक्ति; दावँखर्चका हिसाब करनेके बाद जमा रही पेच; प्रपंच ।[-बगडवी = खेल बिगहुई रकम ; शेष ; 'बेलेन्स' (५) न ड़ना; योजना निष्फल होना। -रचवी चुकाई हुई रकम ; बकाया (६) अ० = बाजी लगाना;युक्ति रचना।-रमवी नहीं तो; बाक़ी =खेल खेलना;चाल चलना।-हाथथी बाकुं(-कोर) न० छेद; सूराख जवी = खेल बिगड़ना; बाजी हाथसे For Private and Personal Use Only Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बाजीगरी जाना। - हारवी = बाजी हारना (२) युक्तिका सफल न होना. ] बाजीगरी स्त्री० बाज़ीगरका काम; बाजीगरी (२) खेल-तमाशा (३) युक्ति; प्रपंच; बाज़ीगरी ३३६ बाजु (-जू) स्त्री० छोर; अंत (२) दिशा; ओर; करवट ; पहलू; बल (३) पक्ष; तरफ़दारी । [ - ए बेसर्बु = स्त्रीका रजस्वला होना ( २ ) काममें से निकल जाना; किनारा करना; उदासीन रहना. ] बाशबुं स० क्रि० लगना; सटना; लिपटना ( २ ) अ० क्रि० झगड़ना; लड़ना बासंबाशा ( -सी), बाझाबाझ (श्री) स्त्री० लड़ाई; टंटा-फ़साद; झगड़ा बाट न० बाट, वजनका सेट areej अ० क्रि० सट जाना; लिपटना (२) झगड़ना; लड़ना बाटली स्त्री० शीशी ; बोतल ( २ ) शराब [ला. ] । [ - पीवी = शराब पीना. ] बाटलो पुं० बड़ी बोतल ; शीशा । [ बाटला भरवा = शीशेमें उड़ेलना ( २ ) रोज़ दवा लाना; सदा रोगी बने रहना. ] बाहुं वि० भेंगा; ऐंचाताना । [ बाडी आंखे जोवुं = तिरछी नज़रसे चोरीसे देखना ( २ ) उपेक्षित दृष्टिसे देखना; देखा अनदेखा करना. ] बाण न० बाण; तीर (२) अंडाकार पत्थर (शिवलिंग) (३) खाड़ीकी ज़मीन जहाँ ज्वारका पानी आता हो (४) खेतका सीमासूचक पत्थर या कोई निशान ढोला (खेतका ) ( ५ ) पदचिह्न पाँवका निशान (६) बाणासुर । [ काढ = पाँवके निशानसे चोरका पता लगाना. 1 ; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बापा बाणावळी पुं० बाप चलानेमें कुशल योद्धा; होशियार तीरंदाज; बानैत; धनुर्धर [ क़बूलियत बाणी स्त्री० ठहराई हुई मुद्दत ( २ ) शर्त ; बाणु, बाणुं वि० बानवे; बानबे ; ९२ बातमी स्त्री० समाचार; खबर ( २ ) पता; टोह [ वाला; टोहिया; संवाददाता बातमीदार वि० (२) पुं० ख़बर लानेबातल वि० रद्द ; निकम्मा; बातिल (२) निकाल दिया हुआ; बरतरफ़ बाथ स्त्री० दोनों हाथ फैलाकर पकड़ना या आलिंगन देना; घपची; कोली (२) टक्कर; मुक़ाबला; मुठभेड़ । [- भरवी, भीडवी, लेवी = आलिंगन देना; भेंटना ( २ ) बीड़ा उठाना ; बड़ा भारी काम हिम्मतसे अपने ज़िम्मे लेना (३) मुक़ाबला करना; - से भिड़ना. ] बाथोडि न० बेकार कोशिश करना बाद वि० कम; रद्द (२) अ० बाद; पीछे ; बादमें बाबाकी स्त्री० घटानेकी रीति; वाक़ी; तफ़रीक; व्यपकलन[ ग. ] ( २ ) घटानेसे निकलनेवाली रकम ; शेष ; बाक़ी बादलुं वि० नक़ली; मुलम्मा चढ़ाया हुआ (२) जो टिकाऊ न हो ( ३ ) न० बादला (४) ज़रकश साड़ी बावी स्त्री० अजीर्ण ; बदहज़मी ( २ ) पेटमें होनेवाली वायु; बादी बाघ पुं० बाधा; अड़चन ; प्रतिबन्ध (२) विरोध; एतराज ( ३ ) दोष; पाप ( ४ ) पीड़ा; बाधा । [ - आववी = हरज, आपत्ति होना; बाघा खड़ी होना. ] बाधा स्त्री० मानता; मनौती ( २ ) पीड़ा कष्ट ; बाघा (३) विघ्न; बाधा । For Private and Personal Use Only Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बान [- राजवी, लेबी = मनौती मानना; व्रत रखना. ] बान वि० जमानतके रूपमें; एवजका (२) न० पेशगी; बयाना (३) जामिन बामाखत न० पेशगीकी दस्तावेज; बयानाखत बानु स्त्री० सन्नारी बानुं न० बयाना; पेशगी बानू स्त्री० सन्नारी बाप पुं० बाप । [ -ना कूवामां बूडी मरयुं = नुक़सानदेह होने पर भी पुरानी कुलमर्यादाको निबाहे रखना; बापके कुऍमें गिरना । ना बाप बोलाववा = बापरे बाप पुकारना.] बापकर्मी वि० बापकी कमाई खानेवाला बापजन्मारामां, बापजन्मारे अ० सारी जिंदगीमें; कभी; जनमभर बापजी पुं० देखिये 'बापु' नं. (२) बापडुं वि० बापुरा; ग़रीब; बेचारा बापदादा पुं० ब० व० बापदादा ; पुरखे बापा पुं० (आदरार्थ ब ० व ० ) देखिए 'बापु' " वापीकुं वि० बापका; मौरूसी ; पैतृक बापु पुं० बाप; बापू (२) बड़ोंके प्रति आदरसूचक और छोटोंके प्रति प्यारसूचक शब्द; तात बापूकुं वि० देखिये 'बापीकुं ' बापो पुं० देखिये 'बाप' बाफ पुं०; स्त्री० ऊमस (२) पसीना (३) भाप ; बाफ । [ आपवो = भाप देना । -यवो, मारवो = [= ऊमस होना. ] बाफणुं न० भाप में पकानेकी क्रिया; उबालना (२) उबाली हुई चीज (३) 'उबाला हुआ मवेशीका खाना, भूसा (४) गु. हिं-२२ ३३७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यात्र आमका शाक (५) [का] स्वादरहित खाना (६) गड़बड़ घोटाला बाफलो पुं० उबाले हुए बामका पना बाफबुं स० क्रि० पानीमें उबालकर Riधना (२) ( काम आदि ) बिगाड़ डालना; गड़बड़ करना [ला. ] बाबत स्त्री० विषय; बाबत; मामला (२) ब्योरा; विवरण (३) माजरा ; हक़ीक़त ( ४ ) अ० - के विषयमें, बारेमें; की बाबत बाबरां न० ब० व० सिरके बिखरे हुए बाल; झोंटे [ बाबरी बाबरी स्त्री० सिरपर बालोंका गुच्छा; बाबरुं वि० झबरा बाबागाडी स्त्री० छोटे बच्चोंकी गाड़ी; गडलना; गड़ोलना बाबाशाही, बाबाशी वि० हलका; निकम्मा (२) वि० पुं० बड़ौदा रियासत में पहले प्रचलित (सिक्का) बाबे अ० के बारेमें; - के विषयमें बाबोपुं० रोटी (बालककी भाषामें) (२) छोटा लड़का ; बाबा (३) दूधमुंहा लड़का बामण (म' ) पुं० ब्राह्मण बामणी (म') स्त्री० ब्राह्मणी बामणी स्त्री० छिपकली जैसा एक छोटा कीड़ा; ब्राह्मणी; बभनी बामलाई, बामली स्त्री० बग़ल में होनेवाला फोड़ा; कैवारी बायडी स्त्री० स्त्री; महिला ( २ ) पत्नी बायतुं वि० नामर्द; डरपोक, कायर (२) स्त्रीवश; जनमुरीद बायुं न० बायें हाथसे बजाया जानेवाला तबला; बाय बार पुं० बंदूक़ आदिकी आवाज ; धड़ाका बार न० द्वार ( २ ) आँगन ( ३ ) ड्योढ़ी For Private and Personal Use Only Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बार बार वि० बारह; १२ । [-1 पोष ( करतां) आवड = कुछ भी आना; अभ्यास होना | भैया ने तेर चोका = जातिभेद या छुआछूतकी अतिशयता । - बरसे = बहुत लंबे अरसेके ३३८ बाद । वागवा = पर आ पड़ना । बारे दरवाजा खुल्ला = कहीं भी जानेकी इजाजत होना । बारे मे चारे = सदाकाल | बारे मेह वरसवा = मेहकी आँख न खुलना ( २ ) खुशहाल होना; सब प्रकारसे सुखी होना । बारे वाट खुल्ली होवी = देखिये ' बारे दरवाजा खुल्ला ' . ] बारकस न० माल ले जानेवाला जहाज बारमुं न० दरवाजा; द्वार । [ बारणां उघाडां रहेवां = किवाड़ खुले रहना (२) वंश जारी रहना । बारणां ठोकवां, तोडी पाडवां = बारबार घर आकर तक़ाज़ा करना। बारणे ताळां देवायां = घर बेचिराग़ होना; घर उजड़ना । बारणे बेसवुं = धरना [देना; तक़ाज़ा करना. ] बारदान न० वह खाली बोरा, बँधना या पात्र जिसमें माल भरा जाय; बारदान (२) बारदानका वजन बारमासी वि० बारह मासका; बारहमासी (२) स्त्री० बारहमासी पौधा. बारमुं वि० बारहवाँ ; बारहाँ (२) न० बारहों या उस रोज होनेवाला श्राद्ध या भोज; द्वादशाह; बारवा बारमो चंद्रमा होवो = अनबन होना बारश ( स ) स्त्री० बारहवीं तिथि द्वादशी बारशी (सी) गुं न० बारहसिंगा बारसाल स्त्री० दरवाजेकी चौखट; चौखटा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाराक्षरी, बाराखडी स्त्री० बारहखड़ी बारी स्त्री० खिड़की (२) छटकनेका उपाय; बहाना [ला. ] बारीक वि० बारीक; झीना; सूक्ष्म (२) पतला; महीन; बारीक (सूत, कपड़ा आदि) (३) क़दमें छोटा (सुपारी, दाना आदि ) ; सूक्ष्म ( ४ ) ज़रूरतका ; अड़ीका ( वक़्त ) [ ला. ] । [ -काम = सूक्ष्म कारीगरीका काम । -नजर = सूक्ष्म दृष्टि । बखत, समय = जरूरतका बक्त; अड़ी.] [ सूक्ष्मता बारीकाई, बारीकी स्त्री० बारीकी; बारं न० बंदरगाहमें पैठनेका मार्ग (२) दरवाज़ा; रास्ता (३) छटकनेका उपाय ; बहाना बारोबार अ० सीधे; बिना पूछे या रुके बाल वि० छोटी उनका ; कमसिन ; बाला (२) नादान; बाल; कमअक्ल (३) पुं० लड़का (४) न० बालक; बाल बालगीर पुं० उत्साही, बहादुर बालक बालटी (बी) स्त्री० बालटी [सँभाल बालाश ( -शी) स्त्री० देखभाल ; सारबालां न० ब० व० हक्का-बक्का होकर इधर-उधर देखना (२) बहाने बावची स्त्री० एक वनस्पति; बनतुलसी बाटो पुं० एक मोटा अन्न; नांचनी; नागली [ भाग; बाहु; बाँह बावडुं न० कंधे और कोहनीके बीचका बावन वि० बावन; ५२ बावरं (बा) वि० बावला; घबड़ाया हुआ; बौखलाया हुआ बावलं (बा') न० थन; खीरी ( २ ) प्रतिमा बावळ (-ळियो) पुं० बबूल, कीकर बावळी स्त्री० अनेक बबूलवाली जगह या बबूलका छोटा जंगल For Private and Personal Use Only Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाची स्त्री० साधुनी; बाबी [प.] बावीश (-स) वि० बाईस; बाइस, २२ बा, न० मकड़ीका जाला; जाला गावो पुं० साधु; बाबा।[बावा आदम = अति वृद्ध पुरुष (२)बाबा आदम; आदि मानव। बावा भावमनो बखत - बहुत पुराना समय । बाबा के बालो थर्बु = संन्यासी बनना (२) जंजाल छोड़कर निश्चित बनना। -माच्यो एटले बोदली नाची = देखादेखी करना; भेड़चाल चलना.] बासठ वि० बासठ; ६२ बास्तु (-)बी स्त्री० रबड़ी बाहक पुं० बाहुक; बंदर (२) बौना, रावना, कुरूप मनुष्य (३) बाहुक; नलका एक नाम (४)हक्का-बक्का या बौखलाया हुआ आदमी;बावला [ला.] बाहोश वि० चालाक; होशियार बाहोशी स्त्री० चालाकी; होशियारी बाळ वि० (२)पुं० न० देखिये 'बाल'; बालक बाळउछेर पुं० शिशुपालन; शिशुसंवर्धन बाळक पुं० न० बालक बाळकबुद्धि स्त्री० बालबुद्धि; नासमझी; कमअकली; छोकरापन बाळकी स्त्री० छोटी लड़की; बालिका बाळकेळवणी स्त्री० बालशिक्षा बाळगोपाळ न० ब०व० बाल-बच्चे; बालगोपाल बाळपण न० बालपन ; बचपन बाळपोयी स्त्री० बालकोंको पढ़ना सिखानेकी पहली पुस्तक; बालपोथी (२)किसी भी विषयका प्राथमिक शान देनेवाली पुस्तक; बालपोथी [ला.] बाळबोध वि० जोबालकोंको सट समामें आ जाय; बालबोध; मासान (२) स्त्री० देवनागरी लिपि । बाळमंदिर न० बालकोंको तालीम देनेकी शाला; बालमंदिर बाळबुंस० कि. जलाना; बालना बाळुभोळु वि० बालक जैसा नासमझ और भोला; भोलाभाला . बाळोतियं न० पोतड़ा; गड़तरा(२) बिलकुल गंदा कपड़ा [ला.] बांक(ो ) (०) पुं० (बैठनेकी) बेंच बांकुं(०)वि० छैला; सजीला बांका (२) विचित्र प्रकृतिका; टेवा (३)साहसी; बांका (४)नाजुक; गंभीर (काम) बांग स्त्री० बांग; अजान बांगर (०) वि० धूर्त; काइयाँ (२) साहसी; बांका; धृष्ट [तिलेती बांगर(०)न० तेलहनका सूखा डंठल; बांगीपुं० अजा देनेवाला; मुअज्जिन बांध (-घे),(०)म०क्रि० गला फाड़कर जोरसे बोलना; उकराना (चौपायों आदिका)(२)भद्दे प्रकारसे गाना; रेंकना बांट (०)न० स्त्रियोंका एक रेशमी वस्त्र (२)बाट, वजनका सेट (३) (खेतकी) खूटी ; खुत्पी, कांटे आदि(४)पुं० एक मीठी बानगी [स०कि० बांटना बांटq(०) न० झाड़; छोटा पेड़ (२) बांडियं (०) वि० देखिये 'बांडु (२)न० छोटी आस्तीनका कुरता; बंडी; फ़तूही बाई (०) वि. बिना पूंछका (पशु); बाड़ा (२)कुरूप; महा; भोंडा(कुछ मपूर्णताके कारण) (३) खुला; नंगा . (तलवार) [बांधबंध बांष(.) पुं० पुश्ता; बड़ी मेंड(२) For Private and Personal Use Only Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बांधकाम अांधकाम (०) न० चुनने-जोड़नेका काम; चुनाई; तामीर; चिनाई aiछोड (०) स्त्री० निबटारा; चुकता करनेके लिए कुछ छोड़ देना [ला. ] ator (०) न० बाँधनेका कपड़ा; बंधना (२) गांठ; बंधन बांधणी (०) स्त्री० बाँधनेकी रीति; स्थापत्य (२) बांधनेकी मजदूरी (३) इबारत ; रचना ( ४ ) जगह-जगह पर कर कपड़े को रंगनेकी रीति ; बाँधनू (५) इस तरह रंगा हुआ कपड़ा; बाँधनू tej (०) स० क्रि० बांधना ( २ ) किसी tant समेटकर उस पर बंधन कसना; गाँठ देना; बाँधना (गठरी; बिस्तर ) (३) कायदा, नियम, वचन आदिसे बंधन में डालना; बाँधना ; पाबंद करना; उसकी मर्यादामें रखना ( ४ ) रचना; निर्माण करना; बनाना (मकान, पुल, दीवार आदि) (५) लपेटना; after (पगड़ी; साफ़ा ) (६) सोचना ; बांधना (आशा; कल्पना; मंसूबा; खयाल) (७) नियत करना; ठहराना; लगाना; बाँधना; उदा० 'एमने त्यां महिनानुं काम बांध्युं छे; वारा बांधवा' (८) जोड़ना; बटोरना; बाँधना; उदा० ' सौ पोतपोतानां पापपुण्य बांघशे' । [ बांधी आबरु = वह आबरू जो खोयी न गई हो। बांघी जवं = बंधनमें कसकर चला जाना ( २ ) बांधकर साथ ले जाना । बांधी मूठी = बनी हुई, न बिगड़ी हुई इज्जत या प्रतिष्ठा । बांषी लेबुं = प्रत्युत्तर देते समय घबड़ा जाय या अपने आप अपने जवाबोंसे बंध जाय ऐसा करना ( २ ) क़रार या प्रस्ताव पर क़ायम रहे १४० .. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऐसा करना (३) बसमें करना; वशीकरण करना । बांध्यो पग = एक स्थान पर ज्यादा समय रहना, बसना; पाँव तोड़कर बैठना.] बांधी वडी (०) वि० दोहरे बदनका (२) गठीला और मजबूत बांबी (०) पुं० गठन; अंगलेट (२) बंधन बांय (बा' ० ) स्त्री० बाँह ; आस्तीन ( २ ) हाथ; बाँह (३) [ला. ] मदद। [-सालवी, पडवी = बाँह देना; सहायता करना. ] बांधरी (बा' ० ) स्त्री० जमानत बिचारं वि० बेचारा; दुःखी; बापुरा बिछानुं न ० बिछानेकी चीज; बिछावन; बिछौना ( २ ) बिस्तर बिछौना बिछावj स० क्रि० बिछाना बिजोरी स्त्री० एक पेड़ बिजौरा बिजोरं न० एक फल; बिजौरा fasij अ० क्रि० 'बीडवु 'का कर्मणि; बंद होना बिन पुं० बेटा (किसका बेटा है यह बतानेके लिए प्रयुक्त होता है ) ; उदा० " महमद बिन कासिम ' बिन अ० बिना; बग़ैर; छोड़कर बिमअनुभवी वि० अनुभवहीन [भाव बिनआवडत स्त्री० अज्ञान; न आनेका बिनजरूरियात स्त्री० अनावश्यकता बिनजरूरी वि० ग़ैरजरूरी; अनावश्यक बिनपाया ( - ) वार वि० बेबुनियाद; मनगढंत बिनवाकेफ वि० नावाक़िफ़; अनभिज्ञ बिनशरती वि० बिना शर्तका बिनसलामत वि० बग़ैर सलामतीका बिना स्त्री० बयान; हक़ीक़त ; हाल (२) घटना; माजरा; वाक़या For Private and Personal Use Only Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिया बिया(-) न० अनेक बीजोंका समूह (२)बोआईके बीज बियुं न० बीज; तुरुम; बीया । बियो पुं० फलका कड़ा बीज; गुठली बिरद न० प्रतिज्ञा; टेक (२)नाम; यश; बिरद (३) गबपद्यमय राजस्तुति बिरदावलि (-ली, -ळि, -ळी) स्त्री० विरदावली . बिराजमान वि० विराजमान ; बैठा हुआ बिराजवं अ० क्रि० बैठना; बिराजना (२) शोभित होना; बिराजना; विराजना [मित्र बिरादर पुं० बिरादर; भाई (२)साथी; बिराबरी स्त्री० भाईचारा;बिरादरी(२) जाति; बिरादरी [विधेयक; बिल बिल न० बिल (माल आदिका)(२) बिलकुल अ० जरा भी (निषेधवाचक वाक्यमें) (२)बिलकुल ; निपट; क़तई बिलाडी स्त्री० बिल्ली(२)कुएं में गिरी चीजें निकालनेका लोहेका कांटा; बिलाई; काँटा (३) जहाजका लंगर ।[आडी ऊतरवी= बिल्लीका रास्ता काटना। -ना पेटमा खीर न टकवी - पेटका पानी न पचना; बात न पचना। बीकण बिलासी निपट डरपोक; भीगी बिल्ली.] बिलाडीनो टोप पुं० कुकुरमुत्ता; छत्रक बिलाईन० बिलाव; बिडाल । [बिलागं चीतरवां,ताणवा= अस्त-व्यस्त लिखावट लिखना या लकीरें खींचना (२) बिना देखे-भाले दस्तखत करना । बिलाडा बोलवां (पटमा)= (पेटमें) चूहे कूदना या दौड़ना।-काढवं (कोथळामांथी)=बीचमें बात यकायक पलटना जिससे रंगमें भंग हो.] बिलागे पुनर बिल्ली; बिलाव; बिल्ला बिलोरी काच पुं० एक प्रकारका पासे दार मोटा काँच; बिल्लौर बिल्लं न० एक इंटकी चौड़ाईकी दीवार बिल्लो पुं० पदक; बिल्ला (२) उपाधि, पदवी [ला.] बिवडा(-रा)वई (बि') स० क्रि० 'बी. यूँ क्रियाका प्रेरणार्थक; डराना। बिसमार वि० भुलाया हुआ; बिसारा हुआ; विस्मृत बिस्तरो, बिस्त्रो पुं० बिस्तर; बिछौना बिस्मिल्ला करh='बिस्मिल्लाह' कह__ कर कत्ल करना(२)खाना;भक्षण करना बिहामणुं वि० भयानक; डरावना बिंदी स्त्री बिंदी; गोल टीका (२) अनुस्वारसूचक बिंदी; नुकता; बिंदी -बिंदु न० बिंदु; बूंद (२)शून्य; सिफ़र (३)नाटकका बिंदु (४)पुं० संगीतका एक अलंकार बी न० बीज; तुरूम (२) जड़; मूलकारण; बीज।[-रोपq=बीज बोना; नीवं डालना.] बीक(बी') स्त्री० डरपोक, कायर। बीकण (बी) वि० भय; डर [-बिलाडीभीगी बिल्ली.] बीचा वि० देखिये 'बिचार' बीण स्त्री० दूज; द्वितीया (२)शुक्ल पक्षकी दूजका चांद ; नया चांद बीज न० बीज; तुल्म (२) वीर्यकी बूंद; शुक्र; बीज (३) औलाद [ला.] (४)वर्ण; अक्षर (५) बीजमंत्र; गुर (६)समीकरणका बीज; 'रूट' [ग.] (७) नाटक या कथावस्तुका मूल; बीज बीजक न० बिल; बीजक(२) कबीरका एक तत्त्वग्रंथ; बीजक For Private and Personal Use Only Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बीजगणित बीजमणित न० बीजगणित जवर पुं० दूसरी शादी करनेवाला; दूजवर; दुहेजू बीजुं वि० दूसरा ; और (२) अलग प्रकारका; मिन; दूसरा ( ३ ) अ० फिर; और; दूसरे ['बीट'; चुकंदर बीड न० गोबर ( २ ) बीट (३) एक कंद; बीड न० घासकी जमीन; चरागाह (२) ढाला हुआ खानका कच्चा लोहा बीड स० क्रि० बंद करना (२) लिफ़ाफ़ेमें रखकर उसे बंद करना arat स्त्री० पानकी गिलोरी; बीड़ी (२) (तंबाकूकी) बीड़ी = बीडं न० पानकी गिलोरी; बीड़ा। [ड, झडप = बीड़ा उठाना। फेरव = बीड़ा डालना, रखना. ] [ रखे हों बीटी पुं० बड़ा लिफ़ाफ़ा जिसमें काग़ज़ बीनबुं (बी) अ० क्रि० डरना बीमा स्त्री० देखिये 'बिना ' बीबी स्त्री० मुसलमानकी स्त्री (२) भले घरकी मुसलमान स्त्री बी न० साँचा (२) कोई आकृति छापका साँचा; ठप्पा (३) छापनेका सीसेका अक्षर; 'टाइप' (४) नमूना; प्रतिकृति [ला. ] बील न० देखिये 'बिल' [ पत्ता, बेलपत्र बीली स्त्री० एक पेड़ ; बेल (२) उसका बीलीपत्र न० बेलका पत्ता; बेलपत्र बीव्रं (बी) अ० क्रि० डरना (२) चौंकना;घबराना;भड़कना [ फांकना बुका स०क्रि० मुट्ठी भर भर खाना या बुकाली स्त्री० कपड़ा सिर पर इस प्रकार बांधना जो दाढ़ी बौर गाल पर आवे बुक्को पुं० फंका; फाँका -The ३४२ बुद्धि बुजरग वि० बुजुर्ग; वृद्ध ( २ ) अनुभवी बुझाएं न० पानीकी मटकीका ढंकना बुझाव स० क्रि० बुझाना बुझायुं अ० क्रि० बुझना बुज़ुर्ग वि० देखिये 'बुजरग ' बुट्टाबार वि० बेल-बूटेदार बुती स्त्री० ( कानकी) ली; लोलकी (२) उसमें पहननेका गहना बुड्डी स्त्री० छोटा बेल-बूटा; बूटी बुट्ठी स्त्री० जड़ी बूटी; चमत्कारिक वनौषधि (२) [ला.] अकसीर, अचूक उपाय (३) चतुर और प्रवीण आदमी । [ - सूंघाडवी : = समझाना; युक्तिसे अपने मतका कर लेना (२) उकसाना; उभाड़ना. ] बुड्डो पुं० गुलकारी या बुनाईमें फूल जैसा आकार; बूटा; फूल-पत्ती (२) मनकी तरंग; खयाल [ला. ] । [ -ऊठयो, वी : मनमें खयाल उठना.] = बु वि० कुंद; भोथरा (धार) (२) [ला.] मोटी अवलका ; कुंदजेहन; मंदबुद्धि (३) भावहीन; भावरहित बुजयक वि० बेवक़ूफ़; मूर्ख; बौड़म बुडाउ ( - ) वं स०क्रि० ' बूडवुं ' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; बाना बुदयुं वि० बुड्ढा ; वृद्ध; बूढ़ा [ बुताम बुतान न० बुहतान; कलंक (२) बटन ; बुतानुं न० महीन- फटी पगड़ीका टुकड़ा (२) [ला. ] मैली-फटी पगड़ी; बताना ) बुहतान; कलंक Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बुतानो पुं० फटी-पुरानी पगड़ी; बताना बुतारो पुं० बड़ी झाडू; बुहारा बुद्धि स्त्री० बुद्धि; अक्ल ; समझ ( २ ) वस्तुको जानने, समझने और विचार करनेकी चित्तकी शक्ति; समझ-शक्ति; For Private and Personal Use Only Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विवेक; शान; सयानापन (३)विचार। पूर्व वि. चिपटी नाकवाला; चिपट [-सोलवी-बुद्धिका विकास होना। (२)बार कानका (३)बिना गहनेका, -बालबी- अलका काम करना; अलंकाररहित (कान, नाक)[ला.] समझमें आना। -बोडाववी- अक्ल बूज स्त्री० बूश ; समझ; कद्र खर्च करना; अनल दौड़ाना। -नो बूज, स० कि० समझना; कद्र करना भंडार, सागर बहुत समझदार व्यक्ति बुझवस० क्रि० बुझाना । (२) मूर्ख; अक्लमंदकी दुम । -करवी, बूट स्त्री० (कानकी) लौ; लोलकी । फरी जवी अकल सठियाना.] [-पकरवी=अपराध या भूल स्वीकार दुनिबल (-ळ) न० बुद्धिबल; समझ- करना. [ननेका गहना; बाली शक्ति;बुद्धिशक्ति (२)शतरंजका खेल बूटियु न० (कानकी) लोलकी पर पहवृष वि० सयाना; ज्ञानी; बुध (२)पुं० बूढुं वि० देखिये 'बुर्छ' बुध ग्रह (३) बुधवार (४)पंडित; विद्वान बूरकी स्त्री० डुबकी; गोता बुमराण स्त्री० कोलाहल ; हल्ला-गुल्ला अ० क्रि० डूबना(२) बरबाद होना; बुमाट स्त्री० न०, (-टो) पुं० किंवदंती; दिवाला निकालना;घाटा सहना;डूबना अफ़वाह (२)पुकार; चीख मूड, बूडियो पुं० बड़ा बंदर .. पुरखो पुं० मुंह ढकनेका जालीदार कपड़ा; बूई वि० बूढ़ा; वृद्धबुड्ढा . नक़ाब (२)बुरका (शरीर ढकनेका) बृष न० मोटा डंडा; सोंटा(२)तला; पैदा पुरण पुं० बुर्ज; गरगज (किले परका)(२) (आँचसे बरतनका होनेवाला काला पैदा) पुरता;दीवारकी मजबूतीके लिए बनाया बूम स्त्री० चीस; पुकार; हाँक (२) हुआ बांध [पटाना; पटवाना अफ़वाह किंवदंती-ऊठवी% चीखपुरावस०क्रि० बूर' का प्रेरणार्थक; पुकार या हल्ला-गुल्ला होना (२)अफ्रपुरावं अ० क्रि० 'बूर' क्रियाका वाह फैलना; गप उड़ना। -पारखी, कर्मणि रूप; पटना; पाटा जाना मारवी-बुलाना(२)फ़रियाद करना.] बुलंद वि० भव्य (२)बड़ी योग्यतावाला; बूमलन० सुखाई हुई मछली बुलंद मरतबा (३) जोरकी; बुलंद धूमावूम स्त्री० चीख-पुकार; शोरगुल (आवाज) दुरई स० क्रि० पाटना; भरना मुर न० बूंद; कतरा पूराई (-) स्त्री० दुष्टता; बुराई (२) बुंद पुं०, दुबदाणा पुं० ब०व० वह बीज अनबन [बूरा "जिसकी काफ़ी बनती है; कहवा बूर न० साफ़ की हुई पीसी हुई चीनी; चूक (०डो) पुं० कौर; निवाला बूर वि० बुरा; खराब चूफसक्रि० फांकना(२)शटझट खाना। बूहो पुं० आड़ा जड़ा हुआ लकड़ीका कुंदा यूको पुं० बड़ा कौर (२) फंका (२)मूर्ख; बुद्ध चूच पुं० काग; डाट बे(बें) वि० दो;२।[-आंखनी शरम - चियं वि० चिपटी नाकवाला; चिपट किसीकी मौजूदगीका असर।-आपक "(२)बगैर कानका बडे तेवु-बढ़कर; सवाया।-चौरे For Private and Personal Use Only Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बेमानी चड = एक साथ बन न सके ऐसे दो काम शुरू करना । - तरफनी ( बाजुनी) ढोलकी बगाडवी = दो नावों पर पैर रखना । - दाणा = ज़रा भी (अक्ल न होना । ( एकं ) - बुं = अपनी बात पर क़ायम रहना; बात न डालना । -खापर्नु = छिनालके पेटका ( औलाद ) । बोल = छोटी प्रस्तावना; कुछ शब्द या वचन | -मोढा होवां = मुकर जानेवाला [ला. ].] बेमानी स्त्री० दुअनी बेड वि० दोनों; उभय बेकारी (बें) स्त्री० बेकारी; बेरोजगारी बेकी स्त्री० दोसे भाग की जाय ऐसी संख्या; समसंख्या; जुफ़्त (२) दोकी जोड़ी (३) दो उँगलियोंके इशारेसे जताई जानेवाली टट्टीकी हाजत । [ -करवा जनुं, जं = = पाखाना जाना। -थवी, लागवी = टट्टीकी हाजत होना.] S पराध बेगरज ( - आउ-जु) (बॅ) वि० बेग़रज़; 'बेमतलब ; निःस्वार्थं [ ( २ ) मजदूर बेगारी पुं० बेगार करनेवाला; बेगारी बेगुना (०ह) (बॅ) वि० बेगुनाह ; निर[ अस्वस्थ बेचेन (बें, चॅ) वि० बेचैन; बेक़रार; बेचेनी (बॅ, चॅ) स्त्री० बेचैनी; बेक़रारी बेजीववाळी, बेजीवसोती (बॅ, साँ) वि० स्त्री० गर्भवती; हामिला; दोजीवा बेट पुं० द्वीप; टापू बॅटरी स्त्री० टार्च (२) बैटरी बेटीजी स्त्री० गोस्वामीजीकी बेटी बेटीवहेवार पुं० बेटी-व्यवहार बेटी पुं० बेटा; पुत्र बैठक (बॅ) स्त्री० बैठना (२) बैठनेकी जगह; बैठक (३) बैठनेका कमरा; Br Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बेि 1 बैठक; चौपाल (४) बहुत से आदमियोंका इकट्ठा होकर बैठना ; बैठक; जमाव; इजलास (५) पैदा; बैठक (६) एक कसरत ; बैठक; बैठकी (७) अधिवेशन; जलसा ; बैठक । [ होवी = -के यहाँ रोज बैठने जाना.] बेठासाउ (बॅ) वि० बिना मेहनत किये खानेवाला; मुफ्तखोर; निरुद्यमी; आलसी बेठागलं, बेठाडु (बॅ) वि० बेकार बैठा रहने वाला; अकर्मण्य ; बैठा-ठाला बेठाठ (बॅ) स्त्री० बिना रोजगार बैठा M रहना; बेकारी; ठाला ( २ ) वह स्थिति जिसमें नफा-नुकसान न हो ( ३ ) अ० बैठा ही रहा हो इस तरह बे (बॅ) वि० बैठा हुआ ( २ ) नीचा; नाटा (क़दमें ) ( ३ ) शान्तिसे या ठंडे कलेजे होनेवाला; ठंडा ; शान्त; उदा० 'बेठं काम; बेठो बळवो' । [बेठा थबुं= लेटे हुएका बैठना ( २ ) रोगमुक्त होना; तंदुरुस्त होना (३) दुबारा उन्नति करना; उठना । बेठी बडीं = गठीला और छोटे कदका । - घड = किसी चीजका आग पर रखने के बाद अपने आप पक जाना; उदा० 'बेठो भात' । बेठेलो पोपडो उल्लाडवो = गड़े मुर्दे उखाड़ना । बेठो बळवो = शान्त, अहिंसक बलवा | बेठो भात = बैठा भात. ] बेठेल ( - लं) वि० बैठा-ठाला ; अकर्मण्य (२) नीचा; नाटा (३) दबा हुआ; दबैल ( कपड़ा) (४) पड़ा रहने से बिगड़ा हुआ बेठो पगार पुं० काम किये बिना मिलनेवाला वेतन; बैठी रोटी बेडियुं न० आम उतारनेका अंकुसीजालीदार लग्गा ; लग्गा For Private and Personal Use Only Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बेरजो बेरियं न० दो बैलोंका गाड़ा (२) बत्तीस मनकी नाप (कच्ची) बेडी स्त्री० बेड़ी; जंजीर (२)बंधन; जंजाल प्रतिबंध;बेड़ी [ला.] (३)पावका रूपेका गहना; कड़ा; बेड़ा (४) दो। उँगलियोंमें पहननेकी जड़ी हुई अंगूठी बेई (बे') न० घड़ा और हंडा बेडो पुं० बेड़ा; जहाज़ । [-पार करयो, यवो = बेड़ा पार होना.] बेडोळ (बॅ) वि० बेडौल ; भद्दा बेढब वि० भद्दा; बेडौल (२)बेअदब ; असभ्य (३) बेढंगा; अव्यवस्थित ; बिना पद्धतिका (४) प्राप्तिरहित बेढंग(-) (ब) वि० बेढंगा; कुढंगा; बेसिलसिला बेत (बॅ) पुं० युक्ति; तरकीब; योजना; चाल (२) इरादा; मनसूबा (३) बेत; बेंत।[-रचवो=युक्ति रचना; चाल । चलना.] बेतमा () वि० बेपरवाह बेतरफी (बें) वि० दोनों ओरका; दुतरफ़ा बेताळा (बॅ) न० ब०व० बयालीस सालकी उम्र में आँख में धुंधली आना या उस समय पहनी जानेवाली ऐनक बेतालीस वि० बयालीस; ४२ बेदरकार (बॅ) वि० बेपरवाह; बेफ़िक्र बेदरकारी (बॅ)स्त्री० बेपरवाही;बेफ़िक्री बेदस्तूर (बॅ) वि० दस्तूर या रिवाजसे उलटा [बेदाना बेदाणा (बॅ) पुं० ब०व० एक औषधि; बेदिल (वें) वि० बेदिल ; नाखुश; उदास बेदिली स्त्री० नाखुशी (२) अनबन बेई (बॅ) न० अंडा; बैजा बेपरक (बॅ) अ० बेधड़क; निर्भय होकर बेबार() वि० दोनों ओर धारवाला; दोधारा (२) गोल-गोल; अस्पष्ट; द्विअर्थक बेपारी तरवार(बॅ) प्रतिद्वंद्वी और इस्तेमाल करनेवाले दोनोंको नुकसान पहुँचानेवाली चीज़ : बेध्यान (बें) वि० जिसका ध्यान न हो; ग़ाफ़िल; व्यग्र; असावधान बेनमून (बॅ) वि० अजोड़; सर्वोत्तम; वेजोड़ [विपद बेपगुं(-गाळं) (बॅ) वि० दो पैरवाला; बेफाक(-ट) (बॅ) वि० खुला; निर्लज्ज; बेहद ; बेहिसाब (२) अ. खुले आम; सरे बाजार (३) बेतहाशा; सरपट बेफाम (बॅ) वि० बेखबर; असावधान; गाफ़िल (२) जिसका ध्यान न हो बेफिकर (-) (बें)वि०बेफ़िक्र; बेपरवा बेफिकराई (बें) स्त्री०बेफ़िक्री; बेपरवाई बेबाक (बॅ) वि० बेबाक़ ; चुकता (२) निडर; बेबाक बेबाकळू (बॅ) वि० व्याकुल; हक्का बक्का; घबड़ाया हुआ बेबोल (बॅ) पुं० ब० व० कुछ कहना, निवेदन करना। [-कहेवा = कुछ कहना (२)नसीहत देना; सीख देना.] बेबोलु (बैं) वि० झूठा; मुकर जानेवाला बेभत्तुं(-) () वि० दो तरहका; द्विविध (२)मिलावटवाला । बेभरभु () वि० बेस्वाद बेभान (३) वि० अचेत; बेसुध ; बेहोश बेमालूम (बें) वि० बेमालूम; अज्ञात (२)अ० गुप्त रूपसे [माला बेरसो (बॅ) पुं० रुद्राक्षके बड़े मनकोंकी बेरजो पुं० गंवाबिरोज़ा . For Private and Personal Use Only Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पेरत वि. धूर्त, ठगड़ा (२) उक्त तुनकमिजाज (३) बगैर मौसिमका (४) स्त्री० असमय; कुसमय बेरंग(-गी) (ब) वि. जिसका रंग उड़ गया हो या बिगड़ गया हो; बदरंग (२) [ला.] डांवागेल मनवाला; अस्थिरचित बैरोमीटर न० बरोमीटर बेल स्त्री० जोड़ी; जोड़ा; जोड़ेमें से कोई एक; साथी बेल(ब) पुं० बैल बेलगारी(बॅ) स्त्री० बैलगाड़ी बेलगाम (ब) वि. बेलगाम; निरंकुश बेलसी स्त्री० दो आदमियोंका जोड़ा युगल; जोड़ा [तेल बेलतेल न० लकड़ी पर लगानेका एक बेलाशक(बैं) अ० बिलाशक; बेखटके पेलिफ पुं० अदालतके हुक्मोंकी तामील करनेवाला सिपाही; मजकूरी; लीफ़ बेली पुं० बेली; मुरब्बी; सहायक बेल न० पूनीका जोड़ा(२)जोड़ा; युगल (३)सफ़ेद रेतीला पत्थर अवचनी(३) वि० बोलकर हट जाने वाला; मुकरनेवाला बेबर वि. दोपर्ता; दोहरा (२)स्त्री. दोहरी परत । [-बळवं, बळी ज७ % दोहरा हो इस तरह झुक जाना.] बेवडावं अ०कि. दोहरा या दुगना होना; दोहरना देवग्यिं वि० दो परतोंका; दोहरा (२) दोहरी गठनका [दोगुना बेवई वि० दोहरा; दोपर्ता (२) दुगना; बेशुट (बें) वि० अचेत;बेहोश; मूच्छित बेशुमार(बें) वि. बेशुमार; अगणित बेसाळ (बॅ) स्त्री० बैठना-उठना; उठ बैठ (२) मैत्री; मेलजोल; उठनाबैठना [ला.] [मजदूरी; जड़ाई बेसडामण न०, (-बी) स्त्री० जड़नेकी बेखनी(बें) स्त्री०पेंदी; (किसी चीजकी) बैठक (२) बैठक; आसन । बेस (3) न० वा; बैठक (२) बैठने का ढंग (३) मातमपुरसीके लिये जाना बेसती (ब) स्त्री० गहरी दोस्ती; दांत काटी रोटी बेसतुं (बैं) वि. अपनी जगह पर ठीक बैठता हुआ (२)मैत्री, मेल होना (३) नया शुरू होता हुआ; जिसका आरंभ हालमें हुआ हो; नया (वर्ष, मास आदि) (४) जो उचित हो; ठीक (५) अटता हुआ; ठीक आनेवाला। [-आवq= अपनी जगह पर ठीक आना, बैठना; अंटना। -पq= उपयोगमें आ जाना; काममें आ जाना; पूरा पड़ना (२)ठीक नापका होना; अॅटना(कपड़ा, जूता आदि)।= नया साल.] बेस (बॅ) अ० क्रि० आसीन होना; बैठना(२)नीचे आना; घटना; गिरना (भाव; दाम); नीचे बैठना (तलछट)तहमें जमना; बैठना (कचरा) (३) अपनी जगह पर ठीक आना; छोटा बड़ा न होना; अंटना; बैठना (कोट, टोपी) (४) शुरू होना (वर्ष; ऋतु) (५) फल-फूल लगना; आना (६) कीमत या दाम लगना (७) दान लगना; असर होना (रंग, बास आदिका)(८) घसना; बैठना; चुभना; कट जाना; लगना (छुटी या चाकू) (९)स्थापित होना; इजलास करना; शुरू होना; जारी होना; खुलना; For Private and Personal Use Only Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४७ पेलावं (कोरट, दशा, कुर्की आदि) (१०) वर्ष समझा जाना;सुलझना (हिसाब; वाक्य; प्रश्न) (११)सपना; मॅजना; (हाथ) बैठना; उदा. 'चीतरवामां तेनो हाथ बेठो छे' (१२) बेकार रहना; बैठा-ठाला होना; बैठना; उदा. 'भाई शंकरे छे ?...बेठा छे'(१३) गला बैठना; आवाज मारी होना(१४) बाट जोहना; अगोरना; उदा० 'बेसीने हूं तो थाक्यो '(१५)कस या पैनापन दूर होना; बिगड़ना (कपड़ा, धार आदि) (१६) डूबना; उजड़ना; बैठना; आश्रयहीन होना; उदा. 'घर बेठं- माल विनानु-छोकरांछैयां विनानुं थयुं'(१७) (धाक) जमना। [बेसवा ऊवानी जगादीवानखाना; बैठक (२)वह मनुष्य जिसके साथ उठनाबैठना हो। बेसवानी गळ =आश्रयस्थान; माधार। बेसी गq= बुरी दशा आना (२)घसना; दबना (भूखसे पेट या गाल) (३) कामकाज बंद होना (संस्था); ढहना; गिरना (घर) (४)(दुकान) न जमना(५)दिशाला निकालना (६) निवंश होना; तबाह होना (७) दबना; बिगड़ना; कस कम होना (कपड़ा, सूत आदि)(८) थक जाना; हार जाना; बैठना; उदा. 'मारी तो छाती बेसी गई। सूणे बेस(पतिकी मृत्युके कारण स्वीका)सोग मनाना। घेर बेस = बरतरफ़ होना । बारणे बेसवं धरना देना.] बेसार(बें) स० क्रि० बैठाना; बिठाना (२)जमाना; अपनी जगह पर स्थित करना; बैगना; जड़ना; उदा० 'नंग वींटीमां बेसाडघु (३)बंधनमें गल देना; कैद करना; उदा. 'जेलमा बेसाडी दीधो'(४) लगाना; डालना; मत्थे मढ़ना(कर)(५) (धाक, रोब) जमाना। (घर बेसा = बरतरफ़ करना। ठाम बेसार= (स्त्रीको) घरमें डालना; बैठाना.] बेसार, (ब) स० कि० देखिये 'बेसाउबुं' बेसावं ()अ० कि० बैग जाना बेसुमार (बें) वि० देखिये 'बेशुमार' बेसूर (३)वि० खोटे या खराब सुरका; बेसुरा बेस्वाद (बें) वि० बेस्वाद; बेमजा बेहक(क) (बॅ) वि० बिना हक्क अधिकारका (२)अनाहकअकारण बेहक अ० फिरसे न उठा जाय इस तरह (पशुका बैठना) बेहाल (बॅ) वि० जिसका हाल बुरा हो; बेहाल (२)पुं०ब०व० दुर्द शा;बुरे हाल बेहाली (बॅ) स्त्री० दुर्दशा; बुरी हालत बेहूदगी, बेहूवी (बें) स्त्री० बेहूदगी; ___ बेहूदापन; अनौचित्य बहूई (बें) वि० बेहूदा; भद्दा; असंगत बेळे बेळे (बॅ;) अ० मुश्किलसे ; अत्यंत कठिनाईसे; बलपूर्वक बैं(३) (बॅ०) अ० में-में बैंक स्त्री० बैंक ; बंक बैरी स्त्री. औरत; स्त्री (२) पत्नी; जोरू। [-करवी = पत्नी बनाना या घरमें बैठाना.] बरं न० देखिये 'बैरी' बो(बोरी)स्त्री० पुलिंदा आदि बांधने की एक प्रकारकी डोरी; 'ट्वाइन' दोस्त्री० बू; गंध (२)[ला. अभिमान बोकडी स्त्री० बकरी For Private and Personal Use Only Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बीक बोकडं न० बकरा बोकडो पुं० बकरा; बोकरा । [ बोकडाने मोते मरबुं = बुरी तरह से तुरंत मारा जाना । —बनाववो = (बलिके लियेमार सहन के लिए किसी को आगे करना (२) मखील - मजाकका पात्र बनाना. ] बोकी स्त्री० चुंबन; बोसा बोल स्त्री० बड़ा गड्ढा; बहुत बड़ी दरार ; खोखला ( २ ) पानी निकालनेका चमड़ेका डोल [ हों; पोपला बोखलं, बोखुं वि० जिसके दाँत गिर गये atri न० बड़ी लंबी दरार या छेद; खोखला (२) सुरंग ; 'टनेल ' (रेलकी ) बोधरणुं न० चौड़े मुँहकी बटलोई; बटुला बोधलं, बोधुं वि० भोला-भाला; गावदी; मूर्ख बोचलो पुं० बालोंकी किनारीवाली बाकी टोपी (२) पीठ तक आनेवाली लड़कियोंकी टोपी (३) जूड़ा; चोटी बोचियुं न० बाँसकी हलकी टोकरी ; टोकनी; छबड़ा बोची स्त्री० गरदन । [ -पर कांकरो मूकबो : = कड़ा नियमन रखना ( २ ) सतत खूब परिश्रम करना. ] बोचुं न० गरदन (तुच्छकारमें) बोज पुं० बोझ;भार;बोझा ( २ ) प्रतिष्ठा बोजो पुं० बोझ; भार; वज़न ( २ ) जवाबदारी; जोखिम; बोझ वोट न० देखिये 'अबोट' ( २ ) स्त्री० नाव; डोंगी ( ३ ) स्टीमर; 'बोट ' बोट स० क्रि० जूठा कर देना; जुठा ना; छूकर अपवित्र करना ( २ ) पहले से घेर-रोककर क़ब्ज़ा करना । [ बोटी राखबुं, लेबुं ( जगा) = पहलेसे घेरकर क़ब्ज़ा जमाना ; रोकना; छेकना.] ३४८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 बोटियुं न० देखिये 'अबोटियुं' बोड (बॉड) स्त्री० माँद, गुफा (पशुकी) बोड स० क्रि० मूंड़ना (बाल) बोडि वि० देखिये 'बोडुं ' । [बोडिया अक्षर = मात्रा, पाई, शिरो-रेखादिके बिना लिखे जानेवाले अक्षर . ] बोडियो कलार पुं० एक वनस्पति बोडी स्त्री० मुंडी; बेवा; विधवा बोडुं वि० जिसके सिर पर बाल न हों गंजा; मुंडा ; मुंडित (२) खुला ; साफ़ ; सफाचट, मुंडा (खेत, सिर, अक्षर आदि) । [ बोडा अक्षर = देखिये 'बोडिया अक्षर '। - करवुं = खुला - साफ़ करना ( बाल, पत्तियाँ आदिसे) (२) लूटकर अकिंचन बनाना; मूंड़ना; ठगना. ] बोणी (बॉ) स्त्री० बोहनी (२) नये सालके निमित्त दिया जानेवाला नेग (३) उलहना ; गाली | [ -करावबी = सबसे पहले खरीदकर शकुन कराना. ] बोत (बॉ) पुं० बौड़म; मूर्ख; जड बोतडुं न० ऊँटका बच्चा ; बोता बोतान ( - ) न० ( पगड़ीका ) बताना; तहपेच ( २ ) बोहतान; कलंक बोते (-ते ) र ( बॉ' ) वि० बहत्तर; ७२ बोयड वि० जड; ठोट ( २ ) सुस्त ; मंद बोदलं वि० देखिये 'बोदुं ' बोबा अ० क्रि० पानी पीकर तर होना ( २ ) पानी से सड़कर बिगड़ जाना बों वि० पानीसे सड़ा हुआ ( २ ) ठीक नहीं बजने वाला (३) ढीला ; कमजोर; दब्बू; बोदा बोध पुं० सीख ; उपदेश ( २ ) ज्ञान; बोध | [ - थवो : = ज्ञान होना; होश आना; समझ आना। -लेवो = सबक़ सीखना सीख लेना. ] For Private and Personal Use Only Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दोषपत्र बोषपत्र न० विवरणपत्र; 'प्रोस्पेक्टस ' बोषपाठ पुं० प्रत्यक्ष पदार्थके द्वारा बोध; पदार्थपाठ (२) नमूने के रूपमें दिया हुआ पाठ; प्रत्यक्ष पाठ (३) नसीहत ; सीख बोषवचन न० सिखावनके बचन atrj स०क्रि० शिक्षा देना; उपदेश देना बोबडं वि० तोतला ateकोट पुं० बहिष्कार; बायकाट बोर न० एक फल; बेर बोरडी स्त्री० एक पेड़ ; बेर; बड़बेरी । [-खंखेरवी, झूडबी = खूब मरम्मत करना (२) मारकर सब कुछ हड़प लेना. ] बकुल बोरसल्ली (ळी) स्त्री० मौलसिरी ; बोरियुं न० घुंडी; बटन ( २ ) एक गहना बोरी स्त्री०बोरी; गोनी ( २ ) गाँठ ; गठरी बोरो पुं० भारी कंबल ; धुस्सा बोल पुं० बोल; शब्द; वचन ( २ ) ( कविताकी) कड़ी ; पद्यांश ( ३ ) ताना; बोली; बोल । [ -आपको = क़ौल देना; वचन देना । - काढवो ज़रा भी बोलना; हर्फ़ निकालना । - ये एवं ज़रूरत के वक्त काम आनेवाला । - देवो: = जवाब देना; हुँकारी भरना (२) काममें आना । - बोलवा = बोल कहना ( २ ) गुस्से के लहजेमें कटु वचन कहना । -मारवो = बोली मारना, कसना ; ताने देना. ] [ बातूनी बोलणं, बोलकुं वि० बोलता; वाचाल; बोलचाल स्त्री० बातचीतका संबंध; मेल; बोलचाल (२) तकरार; टंटा (३) क़ौल-क़रार बोलछा स्त्री० बोलनेका ढंग बोलती स्त्री० जीभ । [-बंभ करावी = चुप कर देना; बोलती बंद करना. ] ३४९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्यूगल " बाला बोलपट न० बोलता हुआ चलचित्र; 'टॉकीज़ ' बोलबाला स्त्री० बढ़ती चढ़ती; बोल[ क्रिकेट बॉलबेट न० ब० व० क्रिकेटका खेल; बोलवं स० क्रि० बोलना; शब्द, आवाज निकालना ( २ ) कहना; बात करना (३) झिड़कना; डपटना; गुस्सा या नाखुशी बताने के लिए कहना [ला. ]। [ बोलतुं चालतं = जिंदा ; बोलता हुआ । -घालवु : = बोलचाल होना; बातचीत करना । बोली नाखवुं = बिना छुपाये या बिना संकोच के कह देना (२) क़बूल कर लेना; जताना; जाहिर करना । बोली बतावj = कह देना; जताना. ] बोलंबोला स्त्री० तकरार; हुज्जत बोलाचाली स्त्री० तकरार; झगड़ा; चखचख; कहा-सुनी (२) बोलचाल । [ -थवी = तकरार होना। होवी = बोलचाल या मेल होना. ] बोली स्त्री० बोली; बोलचालकी भाषा (२) ताना; बोल ( ३ ) क़बूलत करना । [ -करवी = शर्त करना;करार करना. ] बोळ पुं० एक प्रकारका गोंद बोळवं स० क्रि० डुबाना; बोरना [प] (२) गँवाना; नाश करना [ला. ] बोळावाडो पुं० भ्रष्टाचार; अशुचिता; छुआछूत बाँब ( ०गोळी) पुं० बम बमगोला बॉबमारी पुं० बमवर्षा; बमबारी ब्यान न० बयान; वर्णन व्याशी (सी) वि० बयासी; ८२ म्यूगल न० एक विलायती रणवाद्य; बिगुल For Private and Personal Use Only Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५० भ पुं० 'प' वर्गका-ओष्ठय चौथा व्यंजन भकभक अ० भक-भक ; जोरसे (२)रहरहकर वेगसे निकलनेवाले धुएंका शब्द; भक-भक भक्काबोलुं वि० स्पष्टवक्ता(२)कटुभाषी भक्त वि. विभक्त; अलग बना हुआ या किया हुआ (२)विभाजित; बँटा हुआ (३) अनुयायी; भक्त; -पर आशिक (४) भक्ति करनेवाला; भजनेवाला (५)पुं० उपासक; भक्त [स्त्री भक्ताणी स्त्री० भगतिन (२) भक्तकी भक्ति स्त्री० भजना; भजन; उपास्य देवताका नाम जपना(२)प्रेम ; श्रद्धा; भक्ति (३)नवकी संज्ञा भत पुं० भक्ष्य ; आहार (२)अ० भक' आवाजके साथ (३) तुरत . [गवार भल्साड वि० मोटा; गाढ़ा(२)निडर; (३) भगत वि० पुं० भजन करनेवाला; भगत भगवाळुन० बड़ा सूराख [(२)जोरसे भगभग अ० 'भगभग' आवाजके साथ भगवू वि० गेरुआ; काषाय भगार, स० क्रि० भगाना (२) ठगकर या बहकाकर ले जाना या असल स्थान छुड़ाना भगीरथ पुं० राजा भगीरथ (२) वि० दुष्कर; बहुत मुश्किल । [-प्रयत्न = महाप्रयास; भगीरथ प्रयत्न.] भचकावबुं सक्रि०गचसे भीतर घुसाना; धंसाना (२)टकराना - भवका म०कि० भचकवु'का भावे रूप (२) भटकना; व्यथ घूमना भर सक्रि० किसी भारी चीजसे जोरसे दबाना;कुचलना(२)दरदराना; ___ दलना [पद या गीत; भजन भजन न० भजन नामस्मरण(२)भक्तिका भजनमंडळी स्त्री० भजनमंडली .. भजनिक वि० भजन करनेवाला या गानेवाला; भजनी; भजनीक भजनियां न० ब० व० भजन (२) करताल (३) गालियां [ला.] भजव, स० कि० नाटक खेलना; रूप भरना; अभिनय करना भज, स० क्रि० भजन करना; भजना; नामस्मरण करना (२) जपना; जप करना(३)सेवा करना; भजना (४) घूस देना; उदा. 'तेने कांई भज्यं के शुं?' [खाद्य चीज़; पकोड़ी भजियुं न० तलकर बनाई हुई एक भटकण (-j) वि० भटकनेवाला; आवारागर्द; व्यर्थ घूमनेवाला भटक, अ० कि० भटकना; व्यर्थ घूमना भटकावूम०कि.(दो व्यक्ति या चीजोंका आपसमें) टकराना (२) बीचमें आना; बाधक होना; आड़े आना (३) भटकना; व्यर्थ घूमना (४) [ला.]अकस्मात् मिल जाना या हत्थे चढ़ना (५) लड़ाई या कजिया होना; भिड़ना भटको न०० व० व्यर्थ कोशिश (२) चक्कर; फेरे। [-मारवां = लालसासे व्यर्थ कोशिश करना (२)भटकना.] भटूरि, भटोळियुं न० कुत्तेका बच्चा; पिल्ला For Private and Personal Use Only Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मट्टी भट्टो पुं० गोल बैंगन; भटा; भंटा भठ अ० धिक् (२) झट; फटसे भठियारखानुं न० भठियारखाना (२) रसोईका कामकाज [ ला. ] भठियारण, भठियारी स्त्री० भठियारेका पेशा करनेवाली स्त्री ( २ ) भठियारेकी स्त्री; भठियारन; भठियारिन; भठियारी भठियारं न० भठियारेका काम; भठियारपन (२) रसोईघर; भठियारखाना [ला.] [ पकानेवाला; भठियारा भठियारो पुं० भड़भूंजा (२) खाना भट्ठी स्त्री० भट्ठी; भाड़; भरसाई (२) भट्ठा; पजावा (३) शराब बनानेका स्थान; भट्ठी (४) भट्ठी पर रखा हुआ बरतन या उसमेंकी चीज़ । [-गाळवी: = शराब बनाना. ] भट्ठो पुं० बड़ी भट्ठी; भट्ठा भड वि० शक्तिशाली; बलवान (२) समृद्धिशाली ( ३ ) पुं० योद्धा; भट (४) श्रीमंत भड न० कुँएसे पानी खींचनेकी सहूलि - यतके लिए की हुई चुनाई या कुँए पर रखी हुआ चपटी लकड़ी; पाट भडक स्त्री० भड़क; चोंक ; डर भडकण ( - णुं ) वि० डरपोक ; भड़कीला भडक अ० क्रि० चौंकना; भड़कना; यकायक डर जाना भडकी स्त्री० फीकी राब या कांजी जैसी एक खाद्य चीज भडकुं न० उबाली हुअी गाढ़ी चीज या एक बानगी; महेरी भडकुं न०, ( को ) पुं० आगकी धधक (२) ज्वाला; शोला; लपट । [ भडके बळवं= = धधकना; घायें - धायें जलना । ३५१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भानूड मंडको ऊठबो = बड़ा दुःख होना; जी जलना; आग लगना (२) बेकार जाना; व्यर्थ जाना । यबो = धधकना ( २ ) कलह होना. ] भवत न० भरता (बैंगनका ) ; भुरता भडवियुं भडभुं न० भूभलमें पकाया, सिझाया हुआ पदार्थ जल भड न० रेशा पड़ा हुआ कच्चा आम nees अ० घायें घायँ; 'भड़-भड़' आवाजके साथ (२) भक-भक; जोरसे भडभड अ० क्रि० बिना सोचे बोलना; बकवास करना ( २ ) धायें - धायें करके जलना; भड़कना; अचानक उठना; जोरसे जलना (३) खानेकी तीव्र इच्छा होना भडभडाट पुं० धायें घायँ जलना (२) भड़-भड़की आवाज़; भड़-भड़ (३) अ० ऐसी आवाज़के साथ; धायें - धायें भडभड वि० मनमें जो हो वह कह डालनेवाला; जो कुछ भी गुप्त न रख सके भडवीर पुं० बहादुर योद्धा; युद्धवीर भडवो पुं० अपनी स्त्रीके व्यभिचार पर जीविका चलानेवाला; स्त्र्याजीव (२) भड़आ ; सपरदाई (३) स्त्रीवश पति; जोरू का गुलाम भडसाळ स्त्री० चूल्हे या अंगीठीका गरम राखवाला भाग [ तुरंत; धड़ाकेसे भडाक अ० धड़ाकेके साथ; धायसे (२) माको पुं० धड़ाका; जोरकी आवाज (२) बंदूक़के दगनेकी आवाज़; धायें (३) गपोड़ा भडाभड अ० भडाभड' आवाजके साथ (२) एकदम ; धड़ाधड़ भवामूट स्त्री०; न० विल ऊषम (२) तितर-बितर पड़ी हुई चीजें For Private and Personal Use Only " Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भडुं न० घरके आगे दरवाजेके अगलबगलकी दीवार; कोरा (२) आड़के लिए की जानेवाली पतली दीवार; परदा । [ भडे बेसवुं = टूट जाना; बन्द होना; बिगड़ना (२) दिवाला निकालना (३) निःसंतान होना (४) रोजी या कमाई न चलना. ] भोभड अ० देखिये 'भडाभड ' भणकार (-रो), भणको पुं० किसी 'चीजकी आवाजकी गूंज या आगाही; भनक भणतर न० शिक्षा; पढ़ाई भणवं स० क्रि० सीखना पढ़ना ( २ ) कहना ; कविता रचना; उदा० 'भणे नरसैयो' (३) पढ़ना; बाँचना । [ - गणवं = पढ़ना और उस ज्ञानका उपयोग करना; पढ़ना-लिखना ; सीखना; अनुभव प्राप्त करना । भणीगणीने = पढ़-लिखकर; शिक्षा ग्रहण करके; होशियार बनकर । ( अगियारा ) भणी जवा = नौ दो ग्यारह हो जाना; ( लेकर ) चंपत होना. ] भणाव स०क्रि० सिखाना; पढ़ाना (२) पाठ पढ़ाना या उच्चारण कराना; सिखाना ; पढ़ाना । [ भणावी मूकबुं = पढ़ा देना; सिखाये रखना. ] भणी. अ० तरफ़; ओर भतुं न० मुसाफ़िरीमें खानेके लिये साथ लेनेका भोजन; कलेवा ; पाथेय; तोशा (२) उसके एवज में दिये जानेवाले पैसे; भत्ता (३) खास कामके लिए तनके अतिरिक्त दी जानेवाली बंधी रकम या असल खर्च; भत्ता ; अधिदेय भत्रीजी स्त्री० भाईकी बेटी ; पति या पत्नीके भाईकी बेटी; भतीजी के ३५२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भयर भत्रीज पुं० भाईका या पति या पत्नीके भाईका बेटा; भतीजा [जानेवाली भयवारी स्त्री० खेतमें छाक - कलेवा ले भच्यं न० देखिये 'भत्तुं ' भवतुं न० मिट्टीका घड़ा भपकादार वि० चमक-दमकवाला; शानदार; ठाट-बाटवाला भपकाबंघ वि० भड़कीला; भड़कदार (२) अ० शानके साथ ; दबदबे ने भपको पुं० शान; सजधज ; ठाट-बाट; आडंबर ( २ ) धमकी भभक स्त्री० चमक; भड़क भभकवं अ०क्रि० भड़कना; भभकना (२) शोभा देना; फबना ( ३ ) भड़कना; गुस्सा होना [ला.] भभकादार वि० देखिये ' भपकादार भभकाबंध वि० देखिये ' भपकाबंध ' भभको पुं० देखिये ' भपको ' भभडं अ० क्रि० खानेकी इच्छा होना; जीभ चलना; खानेको जी करना डाट पुं० खानेकी तीव्र इच्छा भमराव स०क्रि० भूका या चूर्ण छिड़कना; भुरभुराना; भुरकाना [ बन जाय भभरं वि० भुरभुरा;जो झट टूटकर चूर्णरूप भभूकवं अ० क्रि० भभकना; भड़कना । . [भभूकी ऊठवुं = जल उठना ; भभकना (२) चमक उठना; प्रकाशित होना. ] भभूको पुं० भभूका; शोला ( २ ) प्रकाश भभूत (ती) स्त्री० भभूत; बभूत; भस्म । [-चोळवी, लगाववी = भभूत रमाना; साधु हो जाना. ] भमर स्त्री० भौं भौंह; भ्रू भमर स्त्री० भँवर; जलावर्त (२) अ० गोल-गोल ; चक्करके रूपमें (३) पुं० भौंरा; भ्रमर For Private and Personal Use Only Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भामरी स्त्री० छोटा लट्ट (२)चकफेरी; परिक्रमा (३) चकई; फिरकी । भमरो पुं० लट्ट, गुटका (२) [ला.] सिफ़र; शून्य; कुछ नहीं; उदा० ‘भमरडो आवडे छे'। भिमरग जेवू = मूर्ख; घनचक्कर (२) अस्थिर.] भमराळू वि० सुंदर भीवाला; सुप्रू(२) दुर्भागी; अमंगल (३) भीषण भमरी स्त्री० कोटनेवाली एक मक्खी; भौरी; भिड़ (२) भंवर; जलावर्त; मौरी (३) मोह .. . भमरो पु० भंवर; जलावतगिब (२) चक्राकारमें उगे हुए बाल ; भौंरी (३) भौंरा; भ्रमर; बड़ी मधुमक्खी; भवरा। [-भूसाई जवो = किस्मत फूटना (स्त्रीका विधवा बनना).] भमवं अ०क्रि० गोलाईमैं घूमना; चक्कर काटना; घूमना (२) बेकार घूमना; भर्टकना (३) ग़श या चक्कर आना। नमतुं भूत = सारा समय भटकता रहनेवाला;उठल्लूका चूल्हा आवारागर्द.] भमाड(ब)वं स० क्रि० 'भमवं' का प्रेरणार्थक ; घुमाना (२)भ्रममें डालना: भरमाना; ठगना भम्मर स्त्री० भौं ; भौंह । [-चावी = भौह चढ़ाना, तानना] ..... भयो अ० कृतार्थताका संतोष हुमा हो इस तरह; संतुष्ट । -यक काफ़ी होना;कृतकृत्य, संतुष्ट हो इतना होना.] भर वि० भर; पूर्ण ; भरपूर; उदा० 'भरजुवानी, भरऊंघ' भरपूच(बा. . स्त्री० फुटकल निकम्मी चीजों, बच्चों या मनुष्योंका समूह; भानमतीका कुनबा गु. हिं-२३ सकार भरम स० कि० भक्षण करना, खाना (२) संत घसानासंतोंसे काटना भराषि० बहुत; पुष्कल; खूब (२) खचाखच; ठस भरम स० कि.. अनाजको मोटा पीसमा दलना; दरदराना (२) अंडबंड बकना; बड़बड़ाना [ला.] भरडो पुं० दला हुआ अन्न, दलिया (२) वह लपेट जिससे कोई चीक चूर-चूर हो जाय (अजगरकी लपेट),... भरण न भरण; गुजारा; निर्वाह (२) मांखमें सपरियाः भरना [बसर भरमसोमन-न० पालन-पोषण; गुजरभरन० भरमा वृद्धि (२)चुकाये, दिये हुए पैसे (३)संग्रह। पारवं, भर= सरकारी ट्रेजरीमें रकम रखना, देना.] भरतम० माप; माप; मिकदार; प्रमाण (२) कपड़े पर बेलबूटी, फूलपत्ती काढ़ना, निकालना; कारचोबी, गुला कारी, कशीदा (३) साँचे में रत डालकर ढालना; भरत; ढलाई (४) मसाला 'भरकर बनाया हुमा शाक; भरता। भरतकाम न० कारचोबी, कशीदेका काम; कढ़ाव काम भरतगूंथणन० कारचोबी और गूथनेका भरतरा-ल) वि० डाला हुआ,भरतका (धातुकी चीज) भरतियुं न० बिल; बीजक करती स्त्री० भरना; बाढ़; वृशि (२) ज्कार; जुआर, भाटाका उलटा (३) बहुतायत आमद; बाढ़ । [भावना ज्वार बाना। -करणी भरना (२) (फौजमें) भरती करना भरणार पुंमार पति For Private and Personal Use Only Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरनींगळाज. भरा जाना और स्ति। होना (२) फोड़ेका एक रोग भरपड़े अ० चाहिये उतना; खूबा जी भरकर; भरपेट भरपाई स्त्री० भरपाई; बेबाकी भरपूर वि. बहुत; पुष्कल (२)पूरीतरह भरा हुआ; भरपूर (३) अ० पूरी तरहसे; भरपूर भरभर वि० कोरा; जो चुपड़ा हुआ न हो(२)दानेदार; भुरभुरा भरमाखळु न० प्रभात; तड़का; भोर मरम पुं० भरम, भ्रम; ब्रांति; वहम (२)भेदभरम; रहस्य । [-सोलयो% रहस्य खोलना; छिपी हुई बात प्रकट करना। -बमडयो बेस्वाद हो जाना (२)मजा किरकिराहोना। -भागबो -भरम खुलना या भरम खोलना] भरमार स्त्री० भरमार; अधिकता - भरमा म०कि. ठगा जाना; बोला खाना (२) भ्रममें पड़ना; वहम करना भरब स० क्रि० टांगना; लटकाना (२) जोड़ना; साथमें कर देना (३) कान भरना; उकसाना [ला.] भरबारपुं० मवेशी पालकर गुजर करने बाली एक जातिका आदमी; अहीर भरपारण स्त्री०बहीरस्त्री या अहीरकी स्त्री; अहीरिन . भरघु स० क्रि० भरना; खाली चीवमें रखना, डालना, उड़ेलना; साली जगहमें लिखना (२) जमा करना; १. संबह करमा (अनाज) (३) (नुकसानकी) पूर्ति करना; भरना (४) फलके ममें मिलना; भर पाना; उदा० करतो तेवूमरशो' (५) षमा करना; पावना चुकाना; चुकाना; देना (कर; बीमा; किराया; दोल; पैसे आदि) (६) चंदा देना या लिखाना (७)करना; लगाना; एकत्रित करना (सभा; प्रदर्शनी; बाजार; भीड़; परिषद आदि)(८)गूथना (फूलोंकी चादर); बुनना; खाली जगह.भरता (खटपाटी) (९) बेल-बूटे बनाना; काढ़ना(१०)नापना(११)रंग पूरना; भरना; देहमें पोतना; उदा. चित्रमा रंग भर्या ; डामरथी मों भरी दीर्घ' (१२) समृद्ध या खुशहाल बनाना; उदा. 'बापर्नु घर भरे छे' (१३) लादना; बोझा रखना; उदा. 'भार भरवो; सामान भरवो'(१४) पद पर नियुक्ति करना; भरना; उदा० जगाओ. भरवी' (१५) अलग-अलग शब्दोंके साथ प्रयुक्त होनेसे अलगअलग अर्थ होते हैं। [मांस भरवी% आँखमें आंसू भरना। अगलं भर क़दम बढ़ाना; डग भरना। दोरो भरवो सीना; सांधना । बचकुंभर = बुहका भरना; दांतोसे काटना। मों भर घूस देना। भरतामा भर = जहाँ अधिक हो वहाँ वृद्धि करना; बढ़ाना। भरी आपq= नुकसानकी पूर्ति करना; भरना (२) चंदेमें लिख देना (३) नाप देना। भरीपीई= मूल्य,महत्वका न गिनना; न बदना.] भरसार स्त्री० देखिये 'भडसाळ' भराव पुं० भरा जाना; जमा होना; भराव; जमाव; संग्रह (२) पूर्णता; परिपूर्णता भरावदार विजोगराहुनाहो; बस. For Private and Personal Use Only Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भराब सक्रि० 'भरवू', 'भरवq' क्रियाका प्रेरणार्थक; भरवाना भरा अ० कि० 'भरवू' का कर्मणि; भरना (२) दबकना; छिपना (३) ज्वराक्रान्त होना; तपना; उदा. 'माजे शरीर भरायुं छे' (४) थकानसे देह अकड़ जाना; फूलना; उदा० ' वाली चालीने पग भराई मया' (५) सना; उलझना; लिपटना(६)व्याप्त होना; भर जाना; पूर्ण होना; भरना; उदा० 'मों फोल्लाथी भराई गयु (७) घावका भर जाना; भरना (८) पुष्ट, मोटा होना; भरना; उदा० 'गाल भराता जाय छे' (९) पूर्ण होना; भरा जाना; उदा. 'तेना दिवसो भराई चूक्या छे'(१०)लगना; इकट्ठा होना (मेला ; भीड़)। [भराई भाववँ- (ज्वरसे) अंग टूटना (२) (दिल) पसीजना, भर आना (३) आँख भर आना। भराई गईं फैस जाना (२)दबकना (३) (थकानसे देह) अकड़ना, टूटना (४)पूर्ण होना; भरा जाना(नौकरी,चन्दा,लोन आदि)। भराई पर फैसना; उलझना। मराई बेसq= दक्कना; छिपना. भरावो पुं० देखिये 'मराव' यो= पिट, मलका)जमाव होना (२) (ताव, चकावट आदिसे) देहका अकड़ना.] भरसादार, भसंसापात्र वि० भरोसेका; विश्वसनीय [मीनान; भरोसा मस्सो पुं० एतबार; विश्वास; इतभरोसादार, भरोसापान, भरोसादार, भरोसापात्र, भरोसो, भरोसो देखिये 'मरसादार' बादि भईनाव वि० भरापूरा; माबाद मलमलं वि०. कुछ-कुछ भलाई. या बड़प्पन या महत्त्ववाला; बड़ा और प्रतिष्ठित [मनसी; भलमनसाई भलमनसाई स्त्री० भलमनसाहत; भलभलाई स्त्री० मलाई; अच्छाई; सुजनता (२)नेकी; भलाई(३)भले आदमीकी हैसियतले प्रशंसा होना मलानग स्त्री० सिफारिश भलामणपत्र पुन: सिफारिशनामा; सिफारिशी चिट्ठी भलामणी स्त्री० देखिये 'भलामण' भलाश स्त्री० देखिये 'भलाई-सेवी भला है ऐसा यश प्राप्त करना, लेना. भलीमूंग स्त्री० खरी या खोटी बात भली-बुरी.. भलीवार पुं०; स्त्री० सत्त्व; सार (२.) बरकत-फ़ायदा(३)होशियारी;ज्ञान भलं वि० भला; अच्छा (२)स्नेही (३) सभ्य, सुजन (४) प्रामाणिक; नेक। [-हशे तो-संभवतः; प्रायः.] भले अ० भले; अच्छा; ठीक भले पनार्या= बच्छा हुवा बाप आये; खुश बामदीद भले भले अ. भले; बहुत अच्छा भव पुं० भव; संसार (२) जन्म; अव . (३) जिंदगी; जीवन (४) महादेव भवः । [-बगरखो, बळवो जिंदगी बरबाद होना; जीवन धूलमें मिलना। मुवारको जीवन सुधारना जीवनमें कुछ उपयोगी या महत्त्वका काम करना। एक भवमा भव करवा पतिके प्रति बेवफ़ा बनना (२) षर्मान्तरसे या मानीतिसे कुलमर्यादाका लोप करना (३) (स्त्रीका) दूसरी शादी करना... For Private and Personal Use Only Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मबाई मबाई स्त्री० हलके प्रकारके नाटकका एक भेदस्वांग (२) फजीहत; भद्द [ला. ] भवाet पुं० भद्द; फ़जीहत भवात्यो पुं० भाँड; भांड ( २ ) वह व्यक्ति जो बदनाम करे; माँड़ भविष्य वि आनेवाले कालका; भविष्य; भविष्यत् (२) न० मसीब; भाग्य (३) मृत व्यक्तिकी छोड़ी हुई दौलत; वरासत (४) भविष्यकाल; भविष्य । [सा = वरासतका - मृत व्यक्तिकी संपत्तिका उपभोग करना । बंधावनुं = उत्तराविकारीको दौलत दे देना.]-2 भविष्यकाळ पुं० आनेवाला काल; · भविष्य (२) क्रियाका एक काल; भविष्यकाल; भविष्य ; भविष्यत्काल भविष्यवाणी स्त्री० भविष्यवाणी भविष्यवेता पुं० भविष्य जाननेवाला; ज्योतिषी भवु म० मोह; भू; भीं । [ भवा चढावयां = क्रुद्ध होना; भौंह चढ़ाना.]:. भर्वयो पुं० देखिये 'भवायो ' ratna to प्रत्येक जन्ममें; जनम-जनम भश ( स ) को पुं० इच्छा; तीव्र लालसा भस अ० क्रि० भौकमा; भूकना (२) व्यर्थ बकना; भूँकना भतुं वि० जो हिलमिल जाये ; मिलनसार (२) कसा भी बिना ठिकानेका (३) बेलुका असंगत मन० देखिये 'भस्म' भळवं न० कि० विश्रित होता; मिलना (विता-गुरुता होना; समान "होना मिलना [(२) सपना ०क्रि० सिफ़ारिश करना मंग पुं० मंग; टूटना; खंडित होना ( २ ) तोड़ना; भंग ( ३ ) यांस ना (४) ३५६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भंडारी विघ्न बाधा; भंग (५) वचता टेढ़ापन, कुटिलता; भंग। [ - पेडवो = बाधा खड़ी होना; टूटना; बिगड़ जाना; भंग होना ( आनंद, हर्ष आदि) । - पाडवी = बाधा खड़ी करना; रोड़े अटकाना; (रंगमें) भंग करना; तोड़ना. ]: भंगटी स्त्री० देखिये 'भंगियण भंगान न० भंग; विघटन; खंडित होना (२) अनवर विरोध भंगार पुं० टूटे-फूटे बरतन वा दूसरी रद्दी चीजें भंगड़ - खंगड़ भंगियण स्त्री० भंगी जातिकी या भंगीकी स्त्री; भंगिन; मेहतरानी भंगियो पुं० भंगी; मेहतर भंगी पुं०. देखिये 'भंगियो' भंडक न० भौंहरा; तहखाना; भुइँहरा [प] (२) स्टीमर में तीसरे दर्जे के मुसाफिरोंके बैठने स्थानके इर्दगिर्वकी जगह भंडार पुं० ( अन्नका ) भंडार; कोठार (२) खजाना : कोश (३) जहाजके डेकके नीचेकी, जमह ( ४ ) दुकान; उदा० 'खादी भंडार ' भंडकियुं न० छोटा भौंहरा मा तहखाना भंडारपुं स० क्रि० भंडारमें रखना (२) छिपाना; गाड़ना ५ भंडारियुं न० दीवारमें बनी हुई छोटी ..आलमारी या किवाड़दार ताखा भंडरिया (२) गाडेके जीके हिस्सेमें फ्रेटीनुमा रचना (३) घरमें पीछेकी छोटी कोठरी, भंडारी:: For Private and Personal Use Only by • भंडारी पुं० भंडारी खजानची (२)भंडारका अध्यक्ष भंडारी; कोठारी (३) एक अल्ल (४) ताड़ी और शराब बनानेका, पेशा करनेवाली जातिका ति Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंतरो मंगरोपुं० पूरे गांव या पूरी बिरादरीको दिया जानेवाला भोज (२)साधुनोंका भोज; भंडारा [बटोरा हुवा धन भंडोळ न० पूंजी; संचित धन; जोड़ा, भंभेरणी स्त्री० झूठ-सच (जोड़ना); झूठा बढ़ावा या उत्तेजन (देना) भंभेर, स० क्रि० झूठा बढ़ावा देना; बहकानेवाली बातोंसे कान भरना; पट्टी पढ़ाना; मूठ-सच जोड़ना भाई पुं० भाई; सहोदर (२) चाचा, मामा,मौसी आदिका बेटा(३)किसी भी व्यक्तिके लिए विवेकयुक्त संबोधन;भाई भाईचारो पुं० भाईकासा नाता या बर्ताव; भाईचारा; दोस्ती; बिरादरी भाईबंध पुं० मित्र; दोस्त; यार भाईबंधी स्त्री० मित्राचारी; दोस्ती भाईबापा पुं० ब०व० मिन्नत-समाजतसूचक शब्द । [-फरवागिड़गिड़ाना; मिन्नत-समाजत करना (२)नरमीसे या समझा-बुझाकर (किसीसे) काम लेना.] भाईबीज स्त्री० भैयादूज बच्चे भाईभांडु न० ब०व० एक ही मांबापके भाखरी स्त्री० एक प्रकारकी सल्त रोटी भाखरो पुं० मोटी बड़ी रोटी; रोट भाख, स० क्रि० बोलना; भाखना [प.] (२) भविष्य कहना भाग पुं० भाग; अंश; हिस्सा (२)पुस्तकका हिस्सा; खंड (३)भाग; तक़सीम [ग.]। [-पडयोबॅटना; हिस्सा होना ।- राखवो%3D हिस्सेदार, भागी बनाना; किसी काम, पेशा आदिमें हिस्सा रखना.] भागलं वि० खंडित; टूटा हुआ; भग्न (२) खोखला; दरारवाला (मिट्टीका बर्तन)। [भागला पापस्ताहिकाता निराशा मागला हाका मारुतीपन; सुस्ती; काहिली। शपणतुं भागलं = आलसी; कामचोर.] ... भागलो पुं० ,बंटवारा; हिस्सा; भाग (२) देवीके नैवेद्यका पाल-प्रसाद । [भागला पारवा%Dबंटवारा करना; हिस्से करना; बांटना.]. भागवू अ० कि० टूटना; टुकड़े होना; नष्ट होना; भग्न होना (२)दूर होना (भय) (३) दिवाला निकालना; उदा. 'पेढी भागी' (४) पलायन करना; भागना(५) स० कि० टुकड़े करना; तोड़ना (६) लूटकर तबाह करना (गाँव); डाका डालना (७) अदा न करना; न लौटाना (कर्ज; सूद) (८) भाग करना; भाग देना [ग.] (९) बटना; ऐंठना (रस्सी)। [भागी जq=भाग जाना (२) टूटना; टुकड़े होना.। भागी रात-भीगी रात; आधी रातके बादकी रात.] भागाकार पुं० [ग.] भाग करना; भाग देना;भाग;तक़सीम(२)भागफल; लब्धि भागाभाग(-पी) स्त्री० भागदौड़, भगदड़ - [दारिन भागियण स्त्री० हिस्सेदार स्त्री; हिस्सेभागियु वि० भागी; हिस्सेदार . भागियो पुं० भागी; हिस्सेदार; साक्षी भागीदार पुं० भागी; हिस्सेदार; साझी (२)साथी; मित्र . [पत्तीवारी भागीदारी स्त्री० हिस्सेदारी; साझा; भागेडु पुं० भगोड़ा; फ़रारी भागोळ स्त्री० शहरके किलेका दरवाजा (२) गांवका सीमान्त; सिवान (३) बाजार; चौक For Private and Personal Use Only Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५८ भान मान्य विटूटा-फूटा(२)जो लगा- भाषियो पुं० देखिये 'भाणेज '(२)वह तार न चले;कुछ बन्द, कुछ रुका हुना चीज़-सौग्रात जो कठिनाई शेलकर भी माम्ये ज. कदाचित्; शायद । साथमें लाई जाय [ला. भाजी स्त्री. भाजी; साग - भाणी स्त्री० भानजी भाजीखाउ वि० साग खानेवाला (२) भाणु न० परोसी हुई थाली। [भाणामां [ला.] बेदम; शक्तिहीन; मूंगकी धूळ नाखवी= खाना खराब करना; दाल खानेवाला लगी रोजी बिगाड़ना। मांग्= खाना भाजीपालो पुं० सागपात; तरकारी परोसना (२) खाना खाने बैठना.] भाजीमूळापुं०५० २० मूली और उसकी भाणेज पुं० भानजा तरकारी (२) गाजर-मूली; नगण्य चीज़ भाणेजी स्त्री० भानजी [ला.] [(२)[ला. चापलूस; भाट भाणो पुं० भानजा भाट पुं० भाट जातिका आदमी; भाट भात (त,) स्त्री० बेल-बूटेदार चिह्न, भाटाई स्त्री भाटका काम या पद(२) निशान; छाप(२)तरह; प्रकार; भांति । भाटपन; चापलूसी; भटई। [-पाडवी = किसी वस्तुकी छाप, भाठ स्त्री०,(-3) न० चमड़ी छिलनेसे चिह्न, आकृति आदि उतारना; छापना हुजा छोटा जख्म; रगड़ (२) अलग व्यक्तित्व होना; प्रभाव, मा न० नदीके किनारेकी बलुई-रेतीली सिक्का जमाना (३) उलहना, ताना, भूमि; भाठ (२) नदी आदिमें छिछले निंदा आदिसे अपमानित करना या पानीवाली जगह इक्जत बिगाड़ना.] भाई न० (चमड़ीकी) रगड़ (२) कपड़े भात पुं० पकाये हुए चावल;भात (२) पर पड़ा हुआ चिकटा दाग़; घब्बा कलेवा; छाक (काम करनेकी जगह भाड स्त्री० भाड़(२) भड़भूजेका भूननेका पर ले जानेकी) (३)पुं० ; न० धान बर्तन भातभात वि० भाँति-भाँतिका; तरहभार जो पुं० भड़भूजा तरहका भावात पुं० देखिये 'भाडूत' भातीगर(-ळ), भातील वि० रंगबिभाडाखत न०, भााचिठ्ठी स्त्री किरा- रंगा; भाँति-भांतिका; तरहदार यानामा; सरखत भातुं न० मुसाफ़िरीमें साथ लिया जानेभाई न० किराया; भाड़ा। [भाडानी वाला भोज्य पदार्थ पाथेय;संबल;तोशा "बहेल = भाडेका टट्ट.] भाषून० देखिये 'भातुं' भाजूत पुं० किरायेदार भायुं न०,(-घो) पुं० भाथा; तरकश भारूती वि० किरायका; भाडेका(२) (२) भाथी; चमड़ेकी धौंकनी पैसेकी खातिर काम करनेवाला; भावरवो पुं० भादोंका महीना; भादों भाडेका टट्ट ... " भान न० चेतना; होश (२)स्मरण;स्मृति भाणावहेवार पुं० एक पंक्तिमें साथ बैठ- (३)समझ ; अक्ल ; बुद्धि (४)खयाल; कर भोजन करनेका संबंध रोटीव्यवहार भास (५) सँभाल ; देखभाल [-आव, For Private and Personal Use Only Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वर्ष होशमें आना; चेतनायुक्त होना (२) याद आना; खयाल आमा (३) होश आना; समझ आना । -कराव = होश में आवे, समझदार बने ऐसी युक्ति करना.] भानभूलुं वि० जिसका होश ठिकाने न हो; बेसुध; आत्म-विस्मृत; सुध-बुध खोया हुआ [ भावज ; भौजाई भाभी स्त्री० भाईकी पत्नी; भाभी; भाभु स्त्री० बापकी माँ ; दादी ( २ ) भाभी ( ३ ) ताई; ताऊकी स्त्री [ गीरा भामटो पुं० आवारा; उचक्का; उठाईभाडो पुं० पुरुष; मर्द ( २ ) पति । [ ऊभे O छते भायडे = पतिके जिंदा होते हुए भी ( पत्नीका किसीके घर बैठना ) . ] भायात पुं० पितृव्य - चाचाके बेटा-बेटी ; (२) राजाके चचेरे भाई-बहिन भार पुं० भार; वजन; बोझ (२) चौबीस मनका एक वजन (कच्चा) ( ३ ) बीस तोले या एक तोलेका वजन (४) अमुक तौल जितना वजन; भर; उदा० ' रतीभार; रूपियाभार' (५) बूता; सामर्थ्य; हैसियत उदा० 'तारा ते बोलवाना शा भार ? ' (६) ग्रह, दशा या मंतर जंतरका असर ( ७ ) राशि; ढेर; जत्था ( ८ ) अपच; अजीर्ण (९) जिम्मेदारी; भार [ला. ] (१०) प्रतिष्ठा; वजन, महत्व; वक़अत ( ११ ) अहसान; आभार । [ - आववो = बोझ लगना (२) तकलीफ़ होना; परेशानी होना । - उपाडवी = भार, ज़िम्मेदारी, बोझ उठाना; भार उठाना। - खोवो, गुमाववो = प्रतिष्ठा गँवाना । —जवो = मानहानि होना; प्रतिष्ठा जाना। -ताणवो = भार ३५९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - उठाना। मां रहे = अपनी प्रतिष्ठा बनी रहे इस तरह बरतना । मूकवो = बोझ भरना, लादना; बोझ डालना; भार देना (२) ज़िम्मेदारी, भार या बोझा लादना ( ३ ) एहसान करना ( ४ ) महत्त्व देना; कुछ महत्त्वका सम झना, गिनना ( ५ ) आग्रह रखना । - रहेवो = अजीर्णसे पेट भारी होना (२) मान, इज्जत वचना । -राखयो = मान रखना.] भारखानुं न० भार भरनेका वाहन (बैलगाड़ा, ऊँट, लारी आदि); भारवाहन (२) मालगाड़ी भारजा स्त्री० भार्या; पत्नी भारण न० दबाव; वजन ( २ ) भूभलमें दबाना, रखना (३) वशीकरण; जादू भारबोज पुं० वजन; बोझ (२) [ला. ] जिम्मेदारी; भार ( ३ ) प्रतिष्ठा; वजन भारवक्कर पुं० वजन; वक़अत; महत्व भारवट ( - टियो ) पुं० घरन; बँडेर भारखं स०क्रि० गरम राखमें दबा रखना (अग्नि) (२) मोह लेना; जादू करना भारी वि० भारी (२) स्त्री० घास, लकड़ी आदिकी गठरी; छोटा बोझा भारे वि० भारी; वजनी (२) मुश्किले; भारी; कठिन ( ३ ) क़ीमती ; मूल्यवान (४) भारी; सक़ील; जो पचनेमें मुश्किल हो ( खुराक, पानी आदि ) ( ५ ) अ० अति; खूब | [ -करी = कमाल किया । ई = कमाल हुआ। -थवं : = आदरकी इच्छा रखना; बड़ा बनना; भारी बनना (२) वजनमें बढ़ना (३) मुश्किल होना । - दिले = खिन्न हृदयसे ; ग़मगीन के साथ । -पडं = बोझ सा लगना; सहा न जाना For Private and Personal Use Only Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भारेजम (२) भारी होना; महँगा पड़ना । - कागबुं = (शरीर ) सुस्त लगना; अँगड़ाई लेना देहका टूटना . ] भारेखम वि० आबरूदार; वज्रनदार आदमी (२) गंभीर (३) बड़प्पनका आडंबर रखनेवाला ३६० भारवाई स्त्री० सगर्भा; हामिला भारो पुं० घास, लकड़ी आदिका बोझ ; गट्ठर ; गट्ठा [ छोटा गट्ठर भारोटी स्त्री० लकड़ीका छोटा बोझ; भारोभार अ० -के वजन बराबर; किसी चीज़के वज्रनके समान (२) पूर्ण ; भरपूर भालुं न०, (लो) पुं० भाला भालोडुं न० तीर ( २ ) उसका फल ; गाँसी भाव पुं० भाव; क़ीमत; दर भाव पुं० भाव; अस्तित्व; होना (२) प्रकृति; स्वभाव ( ३ ) इरादा; आशय; इच्छा; भाव ( ४ ) मनोवृत्ति ; मनोभाव (५) तात्पर्य; अभिप्राय; मंशा ( ६ ) चेष्टा; अभिनय; भाव; भंगी ( ७ ) राग प्रीति; भाव (८) श्रद्धा (९) आर्य ! पूज्य ! ( नाटकमें संबोधन ) । [-आववो, ऊपजबो = अच्छे दाम मिलना । -खाबो = मिन्नत समाजत या आजिजीकी अपेक्षा रखना ( २ ) नफा मिले इस तरह बेचना । - छोडवो = मर जाना । —थवो = चाह, अरमान होना; (२) ( किसीके प्रति ) प्रीति होना, भावना होना । —तुं भूख्युं = भावका भूखा ; प्रेम चाहनेवाला । पडवो : क़ीमत तय होना (२) भाव नीचे जाना; दाम कम होना। -पूछवो: = मूल्य - महत्त्वका गिनना; कद्र करना; पूछना ( २ ) क़ीमत या दाम पूछना | -भजववो = अपने स्वभावके अनुसार - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भांग बरतना; अपने पर आना । -राजवी = प्रीति रखना । भावे कभावे = इच्छा या अनिच्छासे. ] भाववुं अ० क्रि० भाना ; रुचना भासवुं अ० क्रि० दिखाई देना; दीखना; दिखना ( २ ) प्रतीत होना; लगना (३) प्रकाशित होना; भासना [ प . ] भाळ स्त्री० पता ; खबर; खोज; सुराग़ (२) सँभाल; देखभाल । [-आपकी, देवी = ठिकाना, पता बताना । —काढवी = टोह लगाना.] = भाळवण (-णी) स्त्री० सिपुर्दगी; सौंपना भाळवबुं स० क्रि० देखभालके लिये सपना सहेजना (२) सिफ़ारिश करना भाळवं स०क्रि० देखना; अवलोकन करना भांग (०ग, ) स्त्री० भंग; भाँग ( २ ) उससे बनाया हुआ पेय; भाँग; भंग भांगतोड, भांगफोड (०) स्त्री० तोड़ना• फोड़ना; तोड़-फोड़; विघटन भांगरे (०) पुं० एक वनस्पति ; भँगरा; भृंगराज । [ - वाटवो = छिपी हुई बातको प्रकट कर देना; भंडा फोड़ना. ] भांगवं (०) अ० क्रि० टुकड़े होना; भग्न होना; टूटना (२) स० क्रि० टुकड़े करना; तोड़ना ( ३ ) ( गाँवको ) लूटमारकर तबाह करना; ( गाँव पर ) डाका डालना । [ भांग्यानो भेद = अड़ीके समय मदद करनेवाला । भांगी पडवु = टूट जाना. ] भांग्jतj (०) वि० टूटा-फूटा भांजग ( -घ) ड (०) स्त्री० तकरार; झगड़ा (२) झंझट, झमेला; पचड़ा भांजा ( -घ) डियं (०) वि० उलझनवाला या झंझटी (काम) (२) झमेला करनेवाला; झमेलिया For Private and Personal Use Only Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भांजनी भांजनी (०) स्त्री० बंटवारा; विभाजन (२) भाग; हिस्सा भांड (०) पुं० भाँड ; मसखरा (२) हँसीमजाककी नक़लें आदि करनेवाली जातिका व्यक्ति; भाँड; भंड (३) वि० असभ्य; बेशर्म भांड (०) स० क्रि० गाली देना (२) बदगोई करना; भाँड़ना (३) उपालंभ, उलाहना देना भांडु न० भाई-बहन आदि स्वजन; बांधव [ माना भांभरj (०) अ० क्रि० गायका बोलना; भांभरुं ( - ) ( ० ) वि० जरा खारा (२) स्वादरहित; बदजायका भिखारचोट वि० भिखारी जैसा ; फ़क़ी राना ( २ ) भुक्खड़; टुकड़गदा भिखारण स्त्री० भिखारिन; भिखारिनी भिखारवेडा देखिये 'भिखारीवेडा ' भिखारी वि० (२) पुं० भिखमंगा; भिखारी भिखारीवेडा पुं० ब० व० भिखारीके जैसा बर्ताव ; भिक्षावृत्ति [ भीगना भिजावं अं० क्रि० 'भीजबुं' का कर्मणि; भिडावबुं स०क्रि० ' भीडवु ' क्रियाका 4 प्रेरणार्थक (२) लगाना; कसना ; उदा० 'बटन भिडाव्यां नथी' (३) दबाना; गले लगाना (४) उलझनमें डालना; घबराना (५) बैर कराना; लड़ाना (६) धमकाना; डाँटना भिडावं अ० क्रि० ' भीडवं' क्रियाका कर्मणि (२) जकड़ा जाना; पकड़में आना; संकटमें आ पड़ना (३) भार या दाबके नीचे आना; दबना भिलामुं न०, ( मो ) पुं० भिलावाँ भिल्ल पुं० खेलका साथी; पिट्ठू भिस्ती पुं० भिश्ती; सक्का ३६१ भींडो भिम न० छाल या चमड़ीका कड़ा छिलका; खुरंड; पपड़ी भीजवj स० क्रि० भिगोना भीजवं अ० क्रि० पानीसे तर होना; भीगना; गीला होना = भीड स्त्री० भीड़ ; मजमा (२) कठिनाई; तंगी, भीड़; संकट (३) पुं० लकड़ीको पकड़में रखनेका बढ़ईका एक औजार; शिकंजा । [-टाळवी, भांगवी मुश्किल के समय मदद करना । - पडवी = भीड़, संकट पड़ना. ] भीड स० क्रि० बंद करना; भिड़ाना (दरवाजा) (२) लगाना; कसना ( बटन आदि ) (३) दबाना; भेंटना (४) अ० क्रि० जूझना; लड़ना भीतर न० अंदरका हिस्सा ; भीतर ( २ ) दिल; भीतर ( ३ ) अ० अंदर; भीतर भीनाश स्त्री० तरी; नमी भीनुं वि० तर; गीला ; भीगा हुआ; आर्द्र (२) श्याम; साँवला; उदा० 'भीने वान'। [ -संकेलवं = किसी बात, जाँच, घटना या मामलेको आगे बढ़नेसे रोक देना; बात मारना. ] भीर पुं० खेलका साथी; पिट्ठू भीलडी स्त्री ० भील जातिकी या भीलकी स्त्री; भीलनी भींगडुं न० देखिये 'भिंगडुं ' भींजवj स० क्रि० भिगोना भींजवं अ० क्रि० गीला होना; भीगना भींजाववं स० क्रि० भिगोना भजावं अ० क्रि० गीला होना; भीगना भींडी स्त्री० मोइया (२) उसकी छालके निकाले हुए रेशे जिनकी रस्सी बटते हैं भींडो पुं० एक पौधा ; भिंडी ( २ ) उसका फल; भिंडी (३) बाधा; रुकावट (४) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भींत गप [ला.] । [ - घालवो, मारवो, मेलवों = गप हाँकना; बेपरकी उड़ाना (२) पच्चर अड़ाना; बाघा डालना. ] भींत स्त्री० भीत; दीवार । [ ने कान होवा = दीवारके भी कान होना । - भूलवी = रास्ता बिलकुल भूलना; भटकना; उलटी राह चलना. ] भीतपत्र न० विज्ञापनके लिये समाचार आदि दीवार पर लिखना; भित्तिपत्र भीतियुं न० छोटी भीत - दीवार भींस स्त्री० दबाव; चाप; शिकंजा । [-मां लेवं = दबाना; दबावके नीचे लाना.] भींस स० क्रि० दबाना; कुचलना; चाँपना; दबावके नीचे लाना (२) गले [ कर्मणि; दबना भींसावं अ० क्रि० 'भींसवुं ' क्रियाका भुखाळवं वि० भुक्खड़ ; पेटू भुट्टो (-ठ्ठो) पुं० मक्केकी हरी बाल; भुट्टा ( २ ) गोल बैंगन ; भंटा; भटा भुलकणुं वि० भूलनेका आदी; भुलक्कड़ भुलभुलामणी स्त्री० भूलभुलैया; भूलभुलैयाँ लगाना डा भुलवण (-णी) स्त्री० भुलावा; भ्रम भुलामणुं वि० भुलक्कड़ ( २ ) जो भुलावे में [भुलाना भुलवाना भुलाव स०क्रि० भूलवु' का प्रेरणार्थक; भुलावं अ० क्रि० 'भूलवु ' का कर्मणि; भूलना ; याद न रहना भुलावी पुं० भुलावा; भ्रम; घोखा । [भुलावामां पडवं = भुलावेमें पड़ना; धोखा खाना. ] भुसावं अ०क्रि० ' भूस ' का कर्मणि भुस्को पुं० कुदान; छलाँग । [ -मारवो = कूदना (२) साहस करना; कूद पड़ना.] भुंगळ ( -ळी, -ळं) देखिये 'मूंगळ' आदि ३६२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंड न० देखिये ' मूंड ' 4 भू न० ( बालभाषा ) पानी । [-पीतुं करवं = नवजात शिशुको पानीमें डुबाकर मार डालना । पीतुं अनुं = मर जाना (२) अर्थसिद्धि हुए बिना लौट जाना; खाली हाथ लौटना । पीतो करवो: शक्तिहीन करना. ] भूकरी स्त्री० चूरा; बुरादा भूकी स्त्री० बुकनी; भुरका ; चूर्ण भूकेभूका पुं० ब० व० चूर-चूर । [ ऊडी जवा = चूर-चूर ना; नष्ट होना (२) खानेसे साफ़ जाना; उदा० 'पांच सेर चवाणाना भूकेभूका ऊडी गया .] भूको पुं० चूरा; बुरादा । [ भूका काढी नाखवा = तहस-नहस कर देना ( २ ) चाट-पोंछकर खा जाना. ] भूख स्त्री० भूख (२) इच्छा; भूख ! [- ऊडी जवी = भूख मर जाना। -काढवी = ठूंसकर खाना; भरपेट खाना ( २ ) बहुत दिनोंकी इच्छा पूरी करना; अरमान निकालना | भूखे मरबुं = खाना न मिलना ( २ ) निराहार रहना; भूखों मरना . ] [ (२) कंगाल भूखडीबारश ( स ) वि० भुक्खड़; भुक्कड़ भूखडुं वि० भूखा ( २ ) कंगाल ; तंगदस्त भूखमरो पुं० भुखसे मरना; भुखमरी भूख्यं वि० भूखा ( २ ) [ला.] इच्छुक ; लालची (३) ग़रीब ; भुक्खड़ ; भुक्कड़ । [ - डांस, बंगाळी: = बहुत भूखा . ] भूख्युपाख्यं वि० भूखा ; बिलकुल भूखा भूगोळ पुं० पृथ्वीका गोला ; भूगोल ( २ ) भूगोलशास्त्र ; भूगोल भूत वि० भूत; बीता हुआ; अतीत (२) बना हुआ; घटित; रूप या अवस्थाविशेषको प्राप्त ; भूत; उदा० 'अंगभूत; For Private and Personal Use Only Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नतपलीत घनीभूत' आदि (३) न० पंच महाभूतोंमेंसे कोई एक तत्त्व; भूत (४) प्राणी; भूत (५) प्रेत; पिशाच; भूत (६) भूतकी तरह पीछे घूमनेवाला; भूत बनकर पीछे लगनेवाला (टोहिया; खुफ़िया) (७) ग़लत खयाल; वहम'; आवेश; धुन। [- आवq= भूतका आवेश होना; भूत लगना (२) भूतावेश जैसी ज़िद या धुन लगना; किसी बातका भूत सवार होना। काढq=प्रेतबाधा हटाना (३) सवार हुई धुन, जिद या ग़लत खयाल दूर करना। -गयुं ने पलित जाग्यं = चूल्हेसे निकलकर भट्ठी में पड़ना। - भरा = वहम, धुन आदिका भूत सवार होना। -वळगq= भूतावेश होना.] भूतपलीत न० भूत; पलीत; प्रेत (२) बेडौल आदमी; भोंडी शकलवाला भूतावळ (-ळी) स्त्री० भूतोंका समूह भूमध्यरेखा (-पा) स्त्री. विषुवरेखा भूमंडल (-ळ) न० भूमंडल; धरती भूमि (-मी) स्त्री० भूमि; धरती; पृथ्वी (२) जमीन; भूमि (३) देश; प्रदेश (भारतभूमि) भूमिका स्त्री० भूमिका; ज़मीन; धरती (२) स्थान; भूमि (३) ओहदा; पदवी (४) मूल; उत्पत्तिस्थान (५) नटकी वेशभूषा; अभिनेताका पार्ट; नाटकका पात्र; भूमिका (६) ग्रंथादिकी प्रस्तावना; भूमिका भूमिदाह पुं० (शवको) दफ़न करना भूरकी स्त्री० मंत्रित भस्म (२) जादूमंत्र (३) मोहकारक प्रभाव; जादू; मोहिनी। [- नालवी, भमराववी भरमाना (२) वशीकरण करना; जादू डालना.] भूराकोळू न० देखिये 'भूरुकोळु' भूरियं वि० नीला; आसमानी (२)गोरा भूरंकोळं न० भूरा कुम्हड़ा; पेठा भूवि० देखिये 'भूरियुं' : भूल स्त्री० भूल; चूक; खता; ग़लती; खामी; अशुद्धि; दोष; गफ़लत (२) ठगा जाना (३) विस्मृति (४) ग़लतफ़हमी।[-आववी- चूक होना। -खाबी = भूल, गलती करना; चूकना। -पडवी = भूलना; चूक होना-मां रहे = ग़फ़लतमें रहना.] भूलचूक स्त्री० भूलचूक । [-लेवी देवी भूलचूक लेनी देनी.] भूलथाप स्त्री० भूल; बेखबरी; गफ़लत भूलवर्नु सक्रि० भुलावा देना; भुलाना भूलवू अ०क्रि० गलती करना; याद न रहना; भूलना; भूल जाना। [भूल्या त्यांथी फरी गण = की हुई ग़लती पर दुःख न करके काम फिरसे शुरू करना.] भूलं वि० रास्ता भूला हुआ; भटका हुआ; भूला (२) भूला-भटका (३) विस्मरणशील; भूलना। [-पडवू = भूला पड़ना; रास्ता भूल जाना; भटकना.] । भूबो पुं० पानीसे बना हुआ गहरा गड्ढा --(२) एक कीड़ा; गुबरैला भूवो पुं० झाड़-फूंक करनेवाला; ओझा भूशिर स्त्री० अंतरीप; रास भसको पुं० ऊँचाईसे नीचे कूदना; कुदान भूसंवं सक्रि० साफ़ करना; पोंछना भूसुं न० चोकर (२) चबेना; चनाचवेना। [-भरवं =(मग़ज़में) निकम्मी For Private and Personal Use Only Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जानकारी भरना। -भरा-दिमाग आसमान पर होना; इतराना; गर्बसे । ऐंठना (२) वहमका भूत सवार होना.] मूंक अ०क्रि० गधेका बोलना; रेंकना भंगळ स्त्री० किवाड़ोंको बन्द रखनेका एक लंबा आड़ा डंडा;बेंवड़ा; अरगल भंगळ स्त्री० एक वाद्य मुंगळी स्त्री० पोली नली (२) फुकनी; फुकनी (३) लोहे या धातुका खोल(४) मरीजको जाँचनेका डाक्टरका साधन; 'स्टेथेस्कोप' [भोपा(२)चिमनी । भूगळं न० नलाकार आकृति; भोंपा; मूंजर स्त्री० सूअरनी और उसके बच्चे भंग न० सूअर; सूकर। [-नीबूंजर = स्त्रीके बहुत (छोटे छोटे) बच्चे; सूअरनीके बच्चे.] मुंडण स्त्री० मादा सूअर; सूअरनी भूगई स्त्री० खराबी;बुराई (२) अनबन मूंगपो पुं० बुराई (२) बुराईका कलंक भंगा स्त्री० देखिये ‘भंडाई' भूई वि० खराब ; बुरा; दुष्ट (२)द्वेषी (३) बीभत्स। [-बोलवू = निंदाबदगोई करना (२) गाली देना.] भंसवं स० क्रि० पोंछना; धूल, दाग़ आदि साफ़ करना भूसावं अ० क्रि० 'भूस'का कर्मणि भेख पुं०; स्त्री० देखिये 'वेष';भेस; पहनावा (२)संन्यासीका भेस; संन्यासीकी दीक्षा। [-उतारवो= संन्यासीका भेस बदल देना; फिरसे संसारी बनना। -बरबोसंन्यासी बनना। -लेवो= देखिये 'भेख धरवो' (२) किसी ध्येयके पीछे सर्वस्व त्यागकर लग जाना.] [किनारा; करारा मेर स्त्री० ढेला (२) कगार; ऊंचा मेवारी वि० संन्यास ग्रहण करनेवाला भेलवटो पुं० संन्यास भेग पुं० मिलावट; मिश्रण भेगाभेगुं अ० साथ-साथ [मिलाजुला भेगुं इकट्ठा; एकत्र (२)मिश्र ;संयुक्त; भेषो पुं० देखिये 'भेंचो' भेज पुं० नमी; तरी। [-आववो, लागवो = सील या हवाकी नमीका फैलना, लगना.] भेजागेव (गें) वि० सनकी; पागल भेचं न० भेजा; मरज़; दिमाग़ । [भेजानुं वहीं थQ = सख्त मेहनतसे दिमागका थक जाना; दिमाग खाली होना । -मां उत्तर= समझना; खयालमें आना। -सवाई जq= दिमाग चट हो जाना। -खसq= पागल होना (२) विचारशक्ति नष्ट होना । -खाई जq= मरज खा लेना; मरज चाट जाना। -सकळपागल होना;सनकना।-ठेकाणे न हो%3Dविवेक-मर्यादाका खयाल न रहना; दिमाग ठिकाने न होना (२) दिमाग सातवें आसमान पर होना.. भेट स्वी० भेंट ; मुलाक़ात; मिलन (२) भेंट; नजर(३) कमरबंद; फेंटा भेटवू स० क्रि० आलिंगन देना; गले लगाना; भेंटना [प.] (२) मुलाक़ात होना; मिलना; भेंट होना (३) लड़नेके लिए इकट्ठा होना भेटो पुं० भेंट; मिलन (२)आलिंगन भेव पुं० भेद; बिलगाव; अंतर(२) प्रकार; भेद; विभाग (३) छिपी हुई बात; रहस्य; भेद (४) राजनीतिके चार उपायोंमेंसे एक; भेद (५) फूट; भेद (६) छेदन; चौरा; भेद। -आपयोरहस्य या छिपी हुई For Private and Personal Use Only Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या पेटकी बात बताना। -उपारी पारबी, सोलबो-भेद खोलना, प्रकट करना; भंडा फोड़ना। -जाणवो, पामवो = भेद जानना। -रासदोजुदाई, भेदभाव रखना; अंतर रखना (२)रहस्य या छिपी हुई बातको प्रकट न होने देना.] भेरी वि० कूट; रहस्यमय भेदु पु. भेद या रहस्य जाननेवाला; भेदिया (२) जासूस; भेदिया; मेवी (३)फूट डालनेवाला. .. भेर स्त्री० भेर; मेरी (२)मदर्द, कुमक भेर () अ० (समासान्तमें) के साथ उत. 'होंशभेर' (२) केवल उसके बल; भर; उदा० 'पोतियाभेर' : भेरव सक्रि० टाँगना; लटकाना (२) कान भरना; भरमाना; पट्टी पढ़ाना भेरवाई अ० क्रि० 'भेरवधू' का कर्मणि (२)उलझना; फैसना भेरी स्त्री० भेरी; नमाड़ा; नौबत; भेर भेर पुं० खेलका साथी पिठू भेलाड पुं० बिगाड़; नुकसान भेलाम्स क्रि० बिगाड़ना; नष्ट करना भेळ (० मिलावट ; मिश्रण (२)बिगाड़; नुकसान (३) विघटन भंग (४)स्त्री० एक प्रकारका चबेना भेळवा सक्रि० मिश्रित करना; मिलाना (२) शरीक करना; शामिल करना; मिलाना . भेळ स० क्रि० शरीक करना; मिला लेना (२) मिश्रित करना; मिलाना (३) देखिए. भेळबळ'. भेळसेळ वि० इकट्ठा; मिला हुआ; मिश्रित (२)स्त्री० मिलावट; मिश्रण भेळसेळियं वि० मिलावटवाला भोगियी में(में) न० (२)अ० रोनेकी आवाज भेकडी(में)पुं० लंबे स्वरमें जोरसे रोना; चिल्लाहट मेंका (२)उसकी आवाज़ भंकार (.०) वि० भयानक भेंचो (मॅ०)पुं० कुटा हुआ लोंदा; लोय डा(२)कुचली हुई चीज (३) दम ; कस। [-ऊरयो, कसरी जों, नौकळवो : कुचल जाना; कुंचलनसे लोंदा बनना (२)अतिशय थक जाना; रगड़ पड़ना। -काढवो= कूट डालना; कुचलकर लोंदा बनाना (२)बहुत थका डालना: रगड़ देना.] भेंश(-)(०)स्त्री० भैस आवाज भेसासूर (भ०) पुं० भैसके जैसी मोटी भेंसो (में) पुं० दवाव; धक्का भों पुं० मय; डर भोई पुं० कहार; महरा [चुभाना भोकवं सक्रि० भोंकना; साना; भोग पुं० भोगना; भोग (२) भोगेकी सामग्री (३) नैवेद्य ; भोग(४)ला.] बुरा हाल; शामत;दुर्दशा (५)बलिदान; कुरबानी। [-आपवो बलि देना; त्याग करना; बलि चढ़ाना। -थई पड, यवं = (किसीका) शिकार होना; किसीके रोषादिकी बलि होना; कुरबान होना। -मळवा, लागवा= आ पड़ना; कमबख्तीकी मार पड़ना (२) आफ़त आना.... भोगजोगे अ० इत्तफ़ाक़से; संयोगवश; (२) शायद भोगवटो पुं० (भूमि, घर आदिका) फल भोगना; भोग; भुक्ति; कब्जा : भोगव, स० क्रि० उपभोग करना; भोगना (२) सहना; भुगतना भोगियो पुं० भोग करनेवाला; भोगी For Private and Personal Use Only Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोगी वि० भोग करनेवाला; भोगी (२) पुं० भोग करनेवाला; भोमी (३)आशिक ; प्रीतम ; भोगी; विषया सक्त (४) भौंरा (५) सांप; भोगी भोजक पुं० उपभोग करनेवाला; भोगी [प.] (२) जैन मंदिरका गवैया भोजलं न० बंदर; मर्कट , भोजाई स्त्री० भौजाई; भाभी भोट वि० (२) पुं० बेवकूफ़; बुद्ध; मूढ़ भोटवो पुं० मिट्टीकी सुराही; कुंजा; कूजा भोटंगरी स्त्री० एक वनस्पति; भटकटैया भोटीलुं न० पिल्ला मोठप, भोलु देखिये 'भोंठम', 'भोंटु' भोड. वि० गदराया हुआ भोबो पुं० पेट; गढ़ा(तुच्छकारमें) भोपाळु न० पोल; निःसारता (२) ढोंग। [-कारपोल खोलना। -नीकळq=पोल खुलना.] भोमियण स्त्री० जानकार स्त्री भोमियुं वि० जानकार भोमियो पुं० जानकार(२) रास्ता बता नेवाला; 'गाइड' भोर (भों) पुं० घासके पूलोंसे भरा हआ छकड़ा (२) गाड़े में लादी जाय उतनी राशि मोरिंग पुं० बड़ा नाग मोरिंगडी स्त्री० एक वनस्पति; भटकटैया; कंटकारी । भोल वि० पोला; फूला हुआ; बहुत मोटा; उदा० 'जाडु भोल' भोळपण न० भोलापन [भरमाना भोळव स० क्रि० भ्रममें डालना; भोळियं वि० सीधा; निष्कपट; भोला भोयतीत भोळ वि० भोला; सीधा भोंकवं सक्रि० देखिये 'भोकवं भोप (भॉ०) स्त्री०, भोठामण (भॉ०) न. शर्म; झेंप .: . भों (भा) वि० शमिदा; झेंपू भोंय (भॉ०) स्त्री० जमीन; भूमि। [-आववी% नयी चमड़ी आना,घावका भर जाना; खुरंड आना। -सावी, खोतरवी-जमीन देखना; शर्मसे जमीन कुरेदना; लज्जित होना (२) आलसीपनके लक्षण जताना। खावं = मरणासन्न होना (२) बहुत भूख. लगना। नास = मरणासन्न व्यक्तिको खाटसे उतारना । -पर पनेन मूकवो पांव धरती पर न रखना; घमंडसे चूर रहना।-बराबर करवं; भो कर = भुरकुस निकालना; पीटकर भरता बना देना (२) जमींदोज कर देना। -भारे पडवी (नासतां) = इस तरह घिर जाना कि भागते न बनना।-मांजगवं, होवू छोटी उम्र होना(छोटी उम्रवाले चालाक या युक्तिबाज मनुष्यके लिए प्रयुक्त होता है)। -मां पेसq=लज्जित होना; जमीनमें गड़ जाना। -सूक्वी = मृत्युशय्या पर होना। भोंये उतार, नाख, ले खाटसे उतारना.] भोंवतळियु (भॉ०) न० मकानका बिल कुल नीचेका भाग भोयर (भा०) न० भौंरा; तहखाना; भुइंहरा [स्त्री० मूंगफली भोशि (-शी,-सि, सी) ग (मॉ०) For Private and Personal Use Only Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म पुं० 'प' वर्गका अनुनासिक होवं = अक्ल ठिकाने न होना; अक्ल मकदूर स्त्री० देखिये 'मगदूर' जाती रहना (२)पागल होना। -तुं मकबरो पुं० क़ब्रिस्तान (२) मकबरा असेलं, चसकेलं = पागल।-नुं फरेलं, मकरकूदी स्त्री० उछल-कूद; ऊधम फाटेलु उच्छृखल; घमंडी; मिजाजी। मकला अ०क्रि० मुसकराना; मुलकना -पाकी जq= बकवाससे खोपड़ी [प.] (२) खूब खुश होना खाली हो जाना; दिमाग थक जाना। मकाई स्त्री०; पुं० मक्का; मकई -फर, फरी जq=क्रोध, धूप मकाईडो(-दो)में पुं० मक्केकी बाल; आदिसे माथे पर बल पड़ना; सिर भुट्टा ['मंकोडी' आदि चकराना, घूमना। -बहेर मारी अर्बु मकोडी स्त्री०, (-ओ) पुं० देखिये = अक्ल काम न करना; अक्ल मारी मक्कम वि० पक्का; अटल; दृढ़ जाना। - भमी जy = व्यग्रचित्त हो मखमल न०; स्त्री० मखमल (कपड़ा) जाना; अक्ल जाती रहना; अक्ल मल्लीचूस वि० मक्खीचूस; कंजूस ठिकाने न रहना। -मां आव, मग पुं० मूंग। [-नुं नाम मरी (न देवं, ऊतर, खयालमें आना; समझाम पार) =जबान न खोलना; कुछ न आना। -मांची खास भूलना; बोलना (युक्तिसे या किसी रहस्यसे)। निकल जाना;बिसरना । -मां पवन (मों मां) मग ओरवा, भरवा= भराको दिमाग सातवें आसमान जवान पर ताला लगाना; मौनाव- पर होना. . . [पच्ची लंबन करना.] मगजमारी स्त्री० मग़जपच्ची; माथामग पुं० मार्ग; मग [प.] (२)स्त्री० मगनी स्त्री० देखिये 'मुगजी' ओर; तरफ़ (३)अ० ओर; दिशामें ममत न०मच्छर; डांस [भगतराममगज पुं० बेसनकी एक मिठाई तुच्छ; नाचीज.] मगज न० मज़; भेजा (२) पुं० फलकी मगतुं वि० कुशादा; चौड़ा; लंबा-चौड़ा गिरी; गूदा; मरज [-कहपुं करतुंनषी मगवळ पुं० मूंगके लड्डू; मगदल =दिमाग काम नहीं करता; अक्ल काम मपदळ न० मुगदर; मुद्गर नहीं करती है (२) दिमाग चक्कर मगळियो पुं० मुगदर [हिम्मत काटता है (३)पित्ता खोलता है ; गुस्सा मगर स्त्री० मक़दूर; शक्ति; बस; आ जाता है।-ससी जई-पागल हो मगन वि० मगन; राजी; अति प्रसन्न जाना। -जाई जई, साईं मरख खा मनन पुं० जगह; अवकाश जाना; खोपड़ी चाट जाना।-बसपी मगळी स्त्री० मूंगफली -पागल होना। कान मार पुं० मगर; घड़ियाल For Private and Personal Use Only Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मगरमच्छ पुं० मगरमच्छ ; बड़ा मत्स्य ; बड़ी मछली मगरमस्त वि० हट्टा-कट्टा; हृष्टपुष्ट मगरी स्त्री० मादा मगर मगरूब वि० मग़रूर; अभिमानी मगरूबी ( - री) स्त्री० मग़रूरी; घमंड मगा स्त्री० जगह; स्थान मगाववु स०क्रि० 'मागवु' क्रियाका प्रेर (२) मँगाना [ माँगा जाना मगावु अ० क्रि० ' मागवु' का कर्मणि; मगियो पुं० एक प्रकारका पत्थर मघमघवूं अ० क्रि० खुशबू फैलाना; महमहीना [ प ]; महकना मघमघाट पुं० महक मचक स्त्री० पीछे हटना; डिगना । [-आपनी = हार स्वीकार करना; झुकना (२) पीछे हट जाना. ] चकार स०क्रि० देखिये 'मींचकारबु' मचकारी पुं० ( पलकें मिचकाना; झपक Reet पुं० अदा; नाज-नखरा; लेटका aunte पुं० ठेला ; धक्का (२) तिरस्कार (३) स्त्री० मोच | |-सावी = मोच आना. ] 1 मसलना:. मचकोड स० क्रि० मरोड़ना; ऐंठना remier अ० क्रि० 'मचकोडबुं' का कर्मणि; हड्डीका अपनी जगहसे हट जाना सच स० क्रि० ऐंठना; मरोड़ना (२) [ मरोड़ा जानक • मचडावं अ० क्रि० 'मचडवु'का कर्मणि, सच अ० क्रि० समाना; अँटना (२) लीज हो जाना; लगा रहना, शुरू होकर जारी रहना; लगना (३) फैलना; मचना हलचल होना; उदा० 'त्यां सोन मच्युं छे' [मानसुमान मच्छर पुं० मच्छर ; मच्छड़ (२.) अभि ३६८ मयों मच्छरदानी स्त्री० मच्छरदानी ; मसहरी मच्छी स्त्री० मच्छी; मछली मच्छीबजार न० मच्छीबाजार ( २ ) अतिशय शोरगुलका स्थान [ला. ] मछदं न० मच्छर डाँस महवो पुं० नाव: मछवा मजकूर वि० मजकूर ( २ ) पुं० अहवाल; हक़ीक़त; वृत्तांत Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मजबूत वि० मजबूत; दृढ़; जो डिग सके; पक्का ( २ ) सबल; बलिष्ठ; मज्जबूत (३) कसकर बंधा हुआ; मजबूत (४) ठोस; पोढ़ा मजम वि० साझेका; संयुक्त मजमुदार पुं० परगनेका माल-कर्मचारी; मजमूआदार; हिसाबकी जांच करनेवाला अधिकारी ( २ ) पत्तीवार; हिस्सेदार.. मजमू, मजमूदार देखिये 'मजमु' आदि मजरे अ० मुजरा ; हिसाबमें मुजरा या . मिनहा किया हुआ; बदले में । [ -माप हिसाब में मुजरा कर देना। -लेवुं = हिसाबमें काट लेना; मिनहा करना. ] मजसे पुं० मुज़रा; अदबसे किया हुआ : सलाम | [ -करवो = झुककर सलाम करना. ] (२) कटौती; मुजरा । [-आपको = मुजरा करना; मिनहा करता.] मंगल स्त्री० मंजिल; एक दिनका सफ़र - (अंतर) (२) पड़ाव मुक़ाम; मंजिल (३) सफ़र ; टप्पा ; पर्यटन । [ -करवी, कापवी, खंडवी, खंचवी, मारवी= - सफ़र करना ] मजलो पुं० मकानका दर्जा; मंजिल मजा स्त्री० मजा; आनंद; लुत्फ़ । [-करवी मानवी, रवी For Private and Personal Use Only Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir = मोज मारना; लुत्फ उठाना। -परवी = सुख भोगना; आनंद मिलना; मजा आना.] मजाक स्त्री० मजाक ; हंसी; दिल्लगी मजागन० (किवाड़का)कम्जा; कुलाबा मजार्नु वि० मज़ेदार; मनोहर; जिसमें आनंद आये ; मजेका मजाल स्त्री० मजाल; सामर्थ्य मजिया वि० संयुक्त ; साझेका (२)न. भागीदारी; पत्तीदारी; साझा मनीठ स्त्री० एक वनस्पति; मजीठ मजीठियु वि. मजीठके रंगका; गहरे सुखं रंगका; मजीठी मजूर पुं० मजदूर; मजूर;श्रमजीवी मजूरण स्त्री० मजदूरनी; मजदूरन मजूर महाजन न०, मजूर संघ पुं० मज दूर संघ मजूरी स्त्री० मजदूरी: श्रम; मेहनत (२) उज्जत; मेहनताना; मजदूरी; मजूरी [मंजूषा मजूस स्त्री० लकड़ीका बड़ा पिटारा; माचार स्त्री० मझधार; मंझधार मंझलं वि० मझला; बीचका; मझला मझा, मझा- देखिये 'मजा' आदि मटक स्त्री० नखरा; मटक मटकाव स० क्रि० (बात करते हुए) आँखें मटकाना, चमकाना मटकुं न० पलकका गिरना; झपक मटको पुं० मटक ; नाज़-नखरा; लटका मटमटाव सक्रि० आँखें मटकाना, चमकाना मटवू अ०क्रि० मिटना; दूर होना; नष्ट होना(२)रोगमुक्त होना;स्वस्थ होना मटोटी स्त्री० मिट्टी; मट्टी [मलबा मटोई न० मिट्टी, कचरा आदि कूड़ा; गु.हि-२४ ममीको मठ पुं० एक दलहन; मोठ मठ पुं० साधुओंका आश्रम; मठ (२) विद्याधाम मठारवं स० क्रि० मसलना; गूंधना(२) मठरनेसे यारदेसे ठीक करना;मठारना (३) बनना उनना; सजना-संवरना (४) मारना; पीटना; मरम्मत करना (५)छककर, मजा ले-लेकर खाना मठियुं न० मोठके आटेका पापड़ मठियो पुं० कपासकी एक जात मठेर, स० क्रि० देखिये 'मठारदुं' मठो पुं० दही मथकर बनाई हुई छाछ; लस्सी; मथित (२) (दहीकी) एक खाद्य चीज मदाल वि० देखिये 'मुडदाल' माई न० मुरदा; मुर्दा; शव मडम स्त्री० यूरोपीय गोरी स्त्री; मेम मागांठ स्त्री० खोलने पर भी न खुलने वाली गाँठ [कसकर (लिपटना).] मर्डन० मुरदा।[मडानी पेठे-मजबूतीसे; मढवं सक्रि० मढ़ना (चीज) [मईया मढी, मदली स्त्री० कुटी; मड़ई; मढ़ी; मण पुं० चालीस सेरका वजन; मन (कच्चा)। [पांचशेर कर खूब पीटना; पीटकर भरता बना देना.] मणको पुं० मनका; गुरिया मणा स्त्री० कमी; त्रुटि; खामी मणियार पुं० चूड़ियां बनानेवाली एक जातिका आदमी; चुड़िहारा; मनिहार मणियुं वि० जिसमें एक मन वजन चीज समा सके (बरतन, टोकरा, बोरा आदि); मनका मणियो पुं० मन वजनका बाट; मन मनीकुं न०, (को) पुं० मन वजनका बाट या माप For Private and Personal Use Only Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मत पुं० न० मत; राय (२)संप्रदाय; पंय; धर्ममत (३) दुराग्रह; हठ (४) वोट; मत । [-आपवो = राय देना (२)वोट देना। -बांधवो-मत स्थिर करना; राय कायम करना। -लेवो राय पूछना. मतदार पुं० मताधिकारी; मतदाता मतदारमंडळ न० चुनावका हलका; निर्वाचन-क्षेत्र मतपत्र पुं०; न० मतपत्र मतपेटी स्त्री० मतपेटिका; 'बेलट बॉक्स' मतवालं वि० मस्त; मतवाला; उन्मत्त (२) नशे में चूर; मतवाला मता स्त्री० माल-मत्ता; दौलत मति स्त्री० मति; बद्धि।[-बगडबीमति मारी जाना; अक्ल सठियाना। -ममबी विचार आना.] मति वि. जो अपना मत न छोड़े; हठी; जिद्दी; दुराग्रही मतील वि० हठी; ज़िद्दी मतुं न गवाह और कबूलत करनेवाले के दस्तखत। -करवं, मारवू = सही, .. हस्ताक्षर करना. मथक न० मुख्य स्थान; केन्द्रस्थान मषवं स० क्रि० बिलौना; मथना (२) अ० क्रि० मेहनत करना; अत्यधिक परिश्रम करना [परिश्रम; रगड़ मबामण स्त्री० मथना; मथन (२)कड़ा मवाळू न० शीर्षक; हेडिंग' (२) चोटी; शिखर ; किसी वस्तुका सिरा, सबसे ऊपरी हिस्सा मपोटी स्त्री० मवेशियोंके सींगोंका मूलवाला हिस्सा; माथा; पेशानी (२) वह धब्बा जो साड़ीके सिर परके हिस्सेमें पड़ता है मन मयोई न० वह नाप जो मनुष्यकी ऊँचाई जितनी हो;पुरुष(२)उतनी गहराई;पुरुष मददनीश वि० मददगार; सहायक मदनियं न० हाथीका बच्चा; मकुना मदरसा स्त्री० मदरसा; शाला मदार पुंस्त्री० मदार;आधार; भरोसा मदारी पुं० भालू, बंदर, साँप आदि सधाकर नचानेवाला; मदारी मष न० शहद; मधु (२) शहद जैसी मिठास; उदा० 'मधवाळी जीभ' मष अ० मध्यमें; बीचमें मषपूगे पुं० शहदका छत्ता; मोहार; [शहदकी मक्खी मषमाख (-खी) स्त्री० मधुमक्खी; मघरात स्त्री० आधीरात; मध्यरात्रि मधुरं वि० मधुर; मीठा मध्यम वि० मध्यम; बीचका; मझला (२) मझोला; न बड़ा, न छोटा मध्यमसर अ० मध्यम रीतिसे; मर्यादित मात्रामें [भूमध्यरेखा मध्यरेखा(-पा) स्त्री० विषुवरेखा; मध्यवर्ती, मध्यस्थ वि० मध्यवर्ती; बीचमें स्थित ; मध्यस्थ (२) तटस्थ; उदासीन; मध्यस्थ (३) मध्यस्थ; बिचवई [स्थता; बिचवई मध्यस्थी स्त्री० मध्यस्य होना; मध्यमध्यान(-ह्न) पुं० मध्याह्न ; दोपहर मध्ये अ० मध्यमें बीच में (२)भीतर;अंदर मन न० मन ; चित्त (२)दिल ; अंतःकरण (३)इच्छा; जी; मन । [-उपरथी काढी नाखq= मनसे दूर करना; भुला देना। - उपर लेवं ध्यान देना; खयाल करना। -ऊ, ऊतर, ओसरवू= दिलसे उतरना; मनसे उतरना; मनमें अनादर हो जाना। For Private and Personal Use Only Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३७१ मनोहर -कह करतुं नवी मन नहीं -वाळवू = मन मना लेना; मन मानता; मन संतुष्ट नहीं होता है। शान्त करना.] . काचु, चुपचु मन =डाँवाडोल, मनसादेह पुं०; स्त्री० मनुष्यकी देह अस्थिर मन । -घालवूमन लगाना; मनखोपुं० मनुष्योचित जीवन ।[-बगामन देना; जी लगाना। -चक- वो जीवन व्यर्थ गंवाना.] डोळे चडवू = मन विचलित, डांवाडोल मनगमतुं वि० मनभाया; प्रिय; मनहोना; मनका अनिश्चयकी दशामें पसन्द [मनचाहा होना। -चोर_=मनकी बात न मनपसंद वि. मनपसन्द; दिलपसंद; कहना (२)ध्यान न देना(३)अन्यका मनफेर वि. जिसमें थोड़ासा फ़र्क हो मन हरना; मन मोह लेना। -चोंटवं (२) ऊबे, थके हुए मनको दूसरी = मन लगना;जी लगना(२)भाना; ओर लगाना; मनबहलाव : रुपना।-थq= जी करना; मन होना; मनभावतुं वि० मनभाता; दिलपसंद इच्छा होना। -थी ऊतरी ज_=मनसे 'मनमानतुं, मनमान्यं वि० मनमाना; उतरना; मनमें तिरस्कार हो जाना। जितना जी चाहे; यथेच्छ -मुं मनमा रही जq= इच्छा पूर्ण न मनमोजी वि०मनमौजी; स्वच्छंद; मौजी होना; मनकी मनमें रहना। -नुं मेलं मनवर स्त्री० अतिथि सत्कार; पाहुनी; = मनका मैला; खोटा। -नो मेल = पहुनाई . अंतरकी गुप्त बात (२)कपट ; बुराई। मनव, स० क्रि०..मनाना... .. -परोवq=जी लगाना; दत्तचित्त मनवार स्त्री० जंगी जहाज़; युद्ध-पोता होना; मन लगाना। -बेस = रुचना; मनसूबो पुं० मनसूबा ; इरादा; विचार जी लगना; मन भाना। - मारवं%3 मनस्वी वि० मनमौजी; स्वच्छन्द (२) इच्छाओंको दबाना; मन मारना। अच्छे, ऊँचे मनवाला;मनस्वी(३)स्थिर-मी ऊगवू = खयाल उठना; मनमें चित्त; मनस्वी(४)मानी; स्वाभिमानी आना।-मां ऊतरवं = समझमें आना। मना(ई) स्त्री० मता; मनाही; निषेध -मां गांठ वाळवी= गाँठ बाँधना; मनाई-हुकम पुं० मनाही करनेवाला या याद रखना (२) निश्चय करना; _जतानेवाला हुक्म; निषेधाज्ञा गाँठना। -मां घोळावू = बार-बार मनाम(-4)j न० मनुहार; मनावन मनमें उठना। -मां फूलवू, फुलावू= मनाव_ स० क्रि० मनाना हरखना; मन ही मन फूलकर कुप्पा मनाएं अ० कि० 'मान' का कर्मणि; हो जाना; इतराना। - मूकीने, मान जाना; राजी होना.. मेलीने = तहे दिलसे; जी खोलकर; मनियार पुं० देखिये 'मणियार'.. मन मैला किये बिना । मोटा मन-= मनीऑर्डर पुं० मनीआर्डर . . उदार; दरियादिल । -वर्तवू = मनमें मनुहार पुं० मनुहार; मनावन क्या है यह जानना-परखना। -पळवू मनोहर वि. मनोहर; सुंदर (२) = संतोष होना; मन मानना। न० सिरका पहनावा; आभूषणरूप For Private and Personal Use Only Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मपाव ३७२ शिरोवेष्टन; उदा. 'माथा करतां मरघो पुं०. मुरगा; मुर्ग; कुक्कुटकुक्कर मनोहर मोटु मरची स्त्री० लाल मिर्चका पौधा(२) मपाव, स० कि० 'मापवु'का प्रेरणार्थक __ कानका एक गहना; मुरकी (३) एक मपा अ० कि. 'मापवू'का कर्मणि आतिशबाजी मफत अ० मुफ्तमें ; बिनदामों; मुफ्त मरचुं न० लाल मिर्च; मिर्च; मिरचा मफतन, मफतियुं वि० मुफ्तका; संतका; (२) मिर्च जैसा छोटा मगर तीखा व्यर्थका (२) मुफ्तखोर मनुष्य [ला. [-मीठं भभरावमफलर न० गुलबन्द; 'मफ़लर' नमक-मिर्च मिलाना । मरचा कठयां, मबलक (-1) वि. अतिशय; पुष्कल लागा=बुरा लगना; मिर्च लगना.] मम पुं० ब० व० चबेना मरजाद स्त्री० अदब; तमीज (२)पुष्टिमममम पुं० खाना; खुराक; उदा० मार्गकी आचारप्रणाली 'ममममनी पडी छे; टपटपनी नहीं' मरजादी वि० पुष्टिमार्गके विशिष्ट ममत पुं०; न० हठ; दुराग्रह (२) आचारके अनुसार चलनेवाला (२) होड़; चढ़ा-ऊपरी। [-मूकवो हठ स्त्री० पुष्टिमार्गकी आचारप्रणाली छोड़ना। ममते चरj-हठ करना; मरजियात वि० अपनी मरजी पर अवजिद पर आना.] लंबित; ऐच्छिक; इस्तियारी. ममतास्त्री० ममता; अपनापन; अहं मरजी स्त्री० मरजी; मर्जी; इच्छा भाव (२)स्नेह, ममता खुशी। -राखवी, साचववी=मरजीके ममताकु वि० ममतायुक्त; स्नेही अनुसार बरतना.] ममती(लं) वि० हठी; आग्रही ममरी स्त्री० मुरमुरे जैसे छोटे दाने मरजीवो पुं० समुद्र से मोती निकालनेममरो पुं० मुरमुरा (२) बत्तीका जला वाला; पनडुब्बा; मरजिया (२) हुआ हिस्सा; गुल (३) उकसाना; मौतकी परवाह नहीं करनेवाला; जान पर खेलनेवाला; मरजिया [ला.] टुपकना। [-मूकबो = झगड़ा लगा देनेवाली बात धीरेसे कहना; टुपकना.] मरर पुं०; स्त्री० कंकड़ (चूना बनाममळाव, स० क्रि० किसी चीजको नेका) (२)सड़क बनाने में काम आनेगलानेके लिए मुंहमें रखकर चूसना; वाला रोड़ा; कंकड़; गिट्टी .चुभलाना; टुघलाना मरर पुं०; स्त्री० देखिये 'मरडाट' ममी स्त्री० न० रक्षित शव ; मोमिया मरखg स० कि० मोड़ना; टेढ़ा करना मरक मरक अ० मुसकाते हुए (२) ऐंठना; मरोड़ना मरक, अ० क्रि० देखिये 'मलकवू' मराट पुं० ; स्त्री० मुड़ना; टेढ़ाई; ऐंठन मरकी स्त्री० महामारी; मरी; वबा (२) टेढ़ापन; वक्रता; रीस (३)गर्व; (हैजा, प्लेग आदि) घमंड (४) नाज; लटका मरधी स्त्री. मुरगी; मुर्गी मरा, अ० कि. 'मरडवू' क्रियाका मरधू न० मुरगा कर्मणि; मुड़ना (२) चिढ़ना; कोष For Private and Personal Use Only Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मरणशिंग करना;रीस करना (३)नखरे करना; मटकना [मरोड़फली मराशि (-शी,-सि,-सी,)ग स्त्री० मररियो पुं० एक प्रकारका रोड़ा जिसे जलाकर चूना बनाते हैं; कंकड़; मरगे पुं० मरोड़ा; पेचिश; आमातिसार मरण न० मरण; मौत; मृत्यु (२) नाश; तबाही । [-बगडq=मरणोन्मुख व्यक्तिको सुख न मिलना; दुःखी होकर मरना(२) उत्तरक्रिया ढंगसे न होना.] मरणतोल वि० मर जाय ऐसा या उतना (मार) मरणपचारी स्त्री० मृत्युशय्या [जिया मरणियुं वि० जानपर खेलनेवाला;मर. मर, न० मरण; मरन; मौत मरतबो पुं० मरतबा; दरजा; रुतबा मरद पुं० मरद; पुरुष; मर्द (२)वीर पुरुष; मर्द (३)वि० बहादुर; वीर; मर्द मरवाई, मरदानगी स्त्री० मर्दानगी; पुरुषत्व (२) बहादुरी; मर्दानगी मरवाना(-नी) वि० मरदाना; मर्दाना; पुरुष-संबंधी; मर्दोका (२)पुरुषोचित; मर्दाना मर अ० क्रि० मरना; नष्ट होना; मरण होना (२)तबाह होना; घाटा सहना; डूबना; वसूल न होना; मरना (सया; पावना) (३) (धातु आदिकी) भस्म, कुश्ता हो जाना; मरना (४) भीतर जाना; सोखना;पचना; किसी चीज़में मिल जाना; मरना (५)टलना; दूर हटना (तुच्छकारमें) (६) पिटना; मारा जाना; मरना; उदा. 'सोगटी मरी गई। [मरता जीवता = (भविष्यमें) किसी भी दिन । मरवा ?=क्यों;अकारण;खाली; उदा. 'त्यां मरवा गयो हतो?' | मरी जq= मरना; दब जाना; नष्ट हो जाना (भूख, प्यास, पाखानेकी हाजत आदि) (२) मुरझाना; सूखना (३) पिटना;मारा जाना (गोट; मोहरा)। मरी पडq=जान तोड़कर कोशिश करना; मर मिटना; मर पचना(२) बलि, निछावर जाना; मोहित होना; मरना (किसी पर)। मरी परवार = (सबका) मर जाना; तबाह हो जाना; मर मिटना। मरी फीटq= देखिये 'मरी पडवू'। मरी मथीने =मरपिटकर; मरते-जीते;ज्यों-त्यों करके.] मरवो पुं० अॅबिया; टिकोरा; अंबी मरसियो पुं० मरसिया;स्यापा (कहना) मरहूम वि० मरहूम; स्वर्गस्थ मरामत स्त्री० मरम्मत; दुरुस्ती मरियुं न० गोल मिर्च; मिर्च (२)मिर्चसा तीखा-क्रोधी मनुष्य [ला.] मरी न० कालो या सफ़ेद गोल मिर्च मिर्च मरीमसालो पुं० गरम मसाला (२) [ला. अतिशयोक्ति; नमक-मिर्च । मरेठण स्त्री० मराठा स्त्री [स्त्री मरेठी स्त्री० मरेठी वनस्पति(२)मराठा मरेठो पुं० महाराष्ट्रका निवासी; मराठा मरो पुं० मौत (२) मौतकासा दुःख मौत; शामत; मुसीबत मरोड पुं० घुमाव; मोड़; (अक्षरका) आकार (२) देखिये 'मरडाट' मरोडवू स० क्रि० देखिये 'मरडवू' मर्द, मई, मर्दानगी, मर्दाना(-नी) देखिये 'मरद' आदि मल पुं० मल्ल ; पहलवान For Private and Personal Use Only Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मलकबुं मलकवं अ०क्रि० मुसकाना; मुसकराना; मुस्कराना; मुलकना [ प . ] " ३७४ मलकाट पुं० मुसकराहट; मुस्कराहट (२) हर्ष; आनंद मलका अ० क्रि० देखिये 'मलकवुं ' मलखम, मलखंभ पुं० मलखंभ ; मलखम मलम पुं० मरहम मलमपटी (-डी) स्त्री०, मलमपटो (हो) पुं० मरहमपट्टी [ मसलना मलबुं स० क्रि० मिलना ( २ ) मलना; मलाई स्त्री० मलाई; बालाई (२) 'क्रीम' मलाजो पुं० अदब; लिहाज ; मुलाहजा (२) लिहाज के कारण स्त्रियोंका परदा रखना या करना; परदा मलावडi (ला') न० ब० व० मीठे बोल बोलकर खुश करना मलीवो पुं० मलीदा ; चूरमा (२) सत्त्वयुक्त खुराक ( ३ ) मार; मरम्मत [ला. ] वडावं, मवाडवं स०क्रि० भीतर समा सके ऐसा करना; अँटाना; समाना; भरना [ न हो; ' मोडरेट' मवाल वि० नरम; धीमा; जो जोशीला मवाली पुं० कंगाल; भिखारी (२) गुंडा मवाळ वि० देखिये ' मवाल ' मशालची, मशाली पुं० मशालची मशियाई वि० मौसीका; मौसेरा मशी स्त्री० मसि ; काजल (२) दाँत साफ़ या काला करनेका चूर्ण; मंजन; मिस्सी मशी स्त्री० मच्छरकी तरह काटने वाला छोटा जंतु; मश; मच्छर मश्करी स्त्री० मसखरी; मजाक़; ठट्ठा मकरो पुं० मसखरा ( २ ) विदूषक ( राजाका ) मस वि० ज्यादा; पुष्कल मस न० मिस; बहाना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मसूरियं मसको पुं० मसका; मक्खन ( २ ) श्रीखंड बनानेका पानी निकाला हुआ दहीका लोंदा, थक्का (३) चापलूसी; खुशामद [ला. ] मसलत स्त्री० साथ मिलकर की जानेवाली विचारणा ; मसलहत ; परामर्श मसलतसमिति स्त्री० विषयविचारिणी समिति [ गूंधना मसळवं स० क्रि० मसलना; मलना; मसाण न० मसान; मरघट मसाणियुं वि० मसानका (२) श्मशान कर आया हुआ ( ३ ) कंगाल; मनहूस - असगुनियाँ [ला. ] मसाणियो पुं० शवके साथ श्मशान गया हुआ व्यक्ति ( २ ) मसानका भंगी; मसानिया मसालो पुं० गरम मसाला (२) कोई चीज बनानेकी जुटाई हुई सामग्री; मसाला (३) जोड़ाईके लिए रेत, चूना आदि मिलाया हुआ सामान; गारा; मसाला । [ - भभ राववो = नमक-मिर्च डालना; रुचिकर बनाना; बढ़ाकर कहना ( बात आदि ) . ] मसालेदार वि० मसालेदार मसियाई वि० देखिये ' मशियाई ' मसी स्त्री० देखिये 'मशी ' ( २ ) ईखका एक रोग मसीद स्त्री० मसजिद; मस्जिद । [-कोटे वळगवी = नेकी करते करते बला पीछे लगना. ] मसुर स्त्री० एक दलहन; मसूर मसूदो पुं० मसविदा; मसौदा मसूर स्त्री० देखिये ' मसुर ' मसूरियुं न० गोल तकिया; मसूरक; उदा० 'गालमसूरियं' For Private and Personal Use Only Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मसो मसो पुं० मस्सा; मसा(२)अर्श; मसा मसोर्ड न० मसूड़ा; मसूढ़ा मसोतुं न० चूल्हेसे गरम बरतनको पकड़कर उतारनेका कपड़ा; साफ़ी मस्त, मस्ताना, मस्तान वि० मस्ताना; मस्त; नशे में चूर; उन्मत्त । मस्ती स्त्री० तूफ़ान; ऊषम; उधम (२) मस्ती; मतवालापन; नशा मस्तीखोर वि० शरारती; ऊधमी महा पुं० माघ मास; माह महामारी स्त्री० महामारी; हैजा महार पुं० भंगी; मेहतर महाराज पुं० महाराज; बादशाह (२) वैष्णवोंके आचार्य (३) ब्राह्मण, संत, राजा आदिके लिए संबोधन महाराज (४) ब्राह्मण रसोइया महाराणी स्त्री० बड़ी रानी; महारानी महारूपक न० रूपक काव्य; ‘एलेगरी' महारेखा स्त्री० (-)ऐसा विरामचिह्न निर्देशक; 'डेश' [व्या.] महाल पुं० जिलेका एक भाग; तहसील महालक(-का)री पुं० तहसीलदार (सरकारी अफ़सर) महालवं अ० कि० ठाटबाटसे खुशीमें इधर-उधर टहलना महावत पुं० महावत; पीलवान महावरो पुं० मुहावरा; अभ्यास महाविद्यालय न० महाविद्यालय; कालिज' महाविराम न० महाविरामका (:)ऐसा चिह्न; 'कोलन'; विसर्गचिह्न [व्या.] महिना पुं० ब० व० गर्भ रहना [ला.] महिनो पुं० महीना; मास (२)मासिक वेतन; दरमाहा। [-आववो, थवो (स्त्रीका) महीनेसे होना; ऋतुमती होना (२)मासिक वेतन मिलना.] महियर न० नैहर; मायका महियारी स्त्री० अहीरिन; ग्वालिन मही न० दही महीं अ० में; भीतर महुडी स्त्री० महुएका छोटा पेड़ (२) तौला; महुएकी शराब । [-चडवी% शराबके नशेमें चूर होना; शराबका नशा छाना.] [गुलंदा; कोइना महुई न० महुएका फल; कोलंदा; महुडो पुं० महुएका पेड़; महुआ . महुरत न० देखिये 'महर्त' महुवर स्त्री० मदारीका बाजा; महबर महेक (ह) स्त्री० महक; खुशबू महेक (हे) अ०कि० बास आना;महकना महेकाट (हे) पुं० महक; गंध महेणांटू(-टो)णां (हे; टॉ)न० ब०५० ताने; मर्मवचन महेj (हे) न० ताना; मर्मवचन।[-- र= ताना मारना; फबती कसना.] महेतर (हे) पुं० हरिजनोंका मुखिया (२) भंगी; मेहतर महेतराणी (हे)स्त्री० मेहतरानी; मंगिन महेतल (हे) स्त्री० मुहलत; मुद्दत; समय महेतागीरी (हे) स्त्री० गुमाश्तागिरी; कारिंदगी महेताजी (हे) पुं० देखिये 'महेतो' महेती (हे) स्त्री० शिक्षिका (२) शिक्षककी स्त्री [कारिंदा;गुमाश्ता महेतो (हे) पुं० शिक्षक (२)कारकुन; महेनत (हे) स्त्री० मिहनत; मेहनत महेनताj (हे) न० मेहनतका बदला; मजदूरी; पारिश्रमिक; मेहनताना महेनतु वि० मेहनती; परिश्रमी महफिल (ह) स्त्री० महफ़िल; जलसा (२) वनभोजन; गोट For Private and Personal Use Only Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org महेमान ' महेमान ( हैं ) पुं० मेहमान अतिथि महेमानगत ( -ति), महेमानगीरी, महेमानी स्त्री० आतिथ्य; मेहमानदारी; मेहमानी महेर ( हॅ) स्त्री० मेहर; कृपा; दया महेरबान वि० मेहरबान; कृपालु महेरबानी (हॅ) स्त्री० मेहरबानी; कृपा महेरामण (हॅ) पुं० समुद्र [ कहार महेरो ( हैं ) पुं० पालकी ढोनेवाला; महरा; महेल (हॅ) पुं०, महेलात (हॅ) स्त्री० महल महेल्लो (हॅ) पुं० महल्ला; मोहल्ला; टोला महसूल (हॅ) स्त्री० ; न० महसूल; भूमिकर; लगान ( २ ) जकात ; चुंगी (३) राज्यकी कुल आय महसूली वि० महसूल -संबंधी; महसूली महोबत (हॉ) स्त्री० मुहब्बत मित्रता; स्नेह (२) प्रेम; मुहब्बत; प्रीति महोबती (हॉ) वि० मुहब्बती ; स्नेही; प्रेमी महोर (हाँ) स्त्री० सोनेका एक अंग्रेजी सिक्का गिनी; मुहर (२) छाप; सिक्का; मुहर; मोहर । [ - मारवी, लगाववी: मुहर करना; मुहर लगाना ( २ ) क़द्र करना या प्रामाणिकताकी सनद दे देना; मुहर लगाना. ] = महोयं (हॉ) न० शतरंजकी गोटी; मोहरा महोल ( - लात) (हॉ) देखिये ' महेल' महोल्लो (हॉ) पुं० देखिये ' महेल्लो' मळ पुं० मल; मैला; विष्ठा मळतर न० नफ़ा; कमाई; लाभ मळताबडुं वि० मिलनसार ; मेली मळतियुं वि० साथमें काम करनेवाला; स्वाथी; मेली - मुलाक़ाती ( २ ) अमुक पक्षसे मिला हुआ; पक्षकार बुं अ० क्रि० मिलना ; जुड़ना; सटना; पक्षमें हो जाना; मिश्रित होना (२) ३७६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंजीरा एक होना; मेल करना; मिलना (३) इकट्ठा होना; भेंट होना; भेंटना; मिलना ( ४ ) एकसा होना; समान होना ( ५ ) मेल होना; मिलना ( ६ ) पाना; मिलना (७) लाभ होना; हाथ लगना । [मळतं आवबुं = समान होना; एकसा होना; मिलना ( २ ) अपनी जगह पर ठीक बैठता हुआ होना; ठोक आना; अँटना । मळी जवुं = एक हो जाना; पक्षमें हो जाना; मिलना | मळ्या भाईनी प्रोत = कहनेभरकी, नामकी प्रीति. ] मळलकुं न० भोर; तड़का ; प्रभात मळी स्त्री० गाड़ीके पहिये में ओंगे हुए तेल और चीथड़ोंसे बननेवाली कालिस; कालिख (२) हनुमानकी प्रतिमा परके तेल और सिंदूरका मैल. मंकोडी स्त्री० छोटा चींटा; छोटा मकोड़ा मंकोडो पुं० चींटा ; चिउंटा; मकोड़ा मंगल ( - ळ ) वि० मंगल ; शुभ ; कल्याण कारी (२) पुं० मंगल ग्रह; मंगल (३) मंगलवार (४) न० मंगल; कल्याण; सुख (५) शुभ अवसर ( ६ ) मंगलगीत (७) ग्रंथ प्रारंभ की जानेवाली इष्टदेवकी स्तुति; मंगलाचरण । [ -गावां = लग्नके समयके गीत - मंगल गीत गाना;सोहले गाना.] [[-फरवा= ब्याह करना.] मंगळफेरा पुं० ब० व० फेरे; भाँवर । मंगळसूत्र न० मंगलसूत्र ( सधवा स्त्रियां गलेमें पहनती हैं) (२) स्त्रियोंके गलेका एक गहना मंगळावरण न० मंगलाचरण (ग्रंथारंभ में या शुभ कार्यमें) (२) [ला.] आरंभ मंगावj स०क्रि० मँगवाना; मँगाना मंडा स्त्री० मनशा ; इच्छा; विचार मंजीरा पुं० ब० ब० मजीरे; मंजीरे For Private and Personal Use Only Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंजूर ३७७ माती मंजूर वि० मंजूर; स्वीकृत; सम्मत सावधान करना(२)अभिमंत्रित करना; मंजूरी स्त्री० मंजूरी; स्वीकृति ; सम्मति मंत्रप्रयोग करके शक्ति देना।-मारवो मंडल न० मंडल; गोल घेरा; हलका; मंत्रसे वशमें करना; मंत्रमुग्ध करना। कुंडली(२)समूह; मंडली; मंडल; जमात -मूकवो, मेलबो=गुप्त मंत्रणा, सलाह (३)जिला; प्रदेश; मंडल (४) बारह देना. राज्योंका समूह; मंडल मंत्री पुं० मंत्री; सलाहकार; सचिव(२) मंडलि(-ली)कपुं० कर देनेवाला, करद मुख्य कार्यकर्ता; संस्थाका संचालक राजा; मंडलीक मंत्री; 'सेक्रेटरी' मंडली स्त्री० छोटा मंडल;मंडली;टोली; मंबवाड पुं० मांदगी; बीमारी; रोग छोटा समुदाय; जमात मंदिर न० मंदिर; देवालय (२)घर; मंडलेश (-श्वर) पुं० मंडलेश्वर मंदिर (३)विद्याका धाम [सस्ती मंग्वं सक्रि० मुस्तैदीसे लगना;जुटना। मंदी स्त्री. मंदता; कमी (२) मंदी; मिडया रहेवं = किसी काममें मुस्तैदीसे मंई वि० मंद; धीमा; सुस्त (२)बोझ लगे रहना; जुटना.] मा (निषेधार्थक)अ० मा; मत; न । मंगळ,मंगळ (-ळी)क, मंडळी, मंडळेश मा स्त्री० मा; माता; मा। [-तुं पy (स्वर) देखिये मंडल' आदि = मांजाया; मांजायी; सगा; सहोदर.] मंडाण न० आरंभ; नीव (२) कुएंकी माईकांगलं वि० माताका कहा करनेघिरनी और उसके साथकी लकड़ियाँ । वाला (२)नामर्द; डरपोक; निर्बल [-कर, मां आरंभ करना; किसी माईल पुं० मील कामकी बुनियाद डालना.] माकड (-) पुं० खटमल मंगव, स० क्रि० 'मांडवु' क्रियाका प्रेरणार्थक; शुरू कराना माख स्त्री० मक्खी। [-बी जवी मंडगई म०क्रि० 'मांडर्बु'का कर्मणि ( तेलमा ) = कमजोर बनकर चुप मंतर पुं० देखिये 'मंत्र'। [-मारवा= हो रहना; खिसियाना। -मारीने मंत्रसे प्रभावित करना; जादू करना.] नीचोववी= बहुत कंजूसीसे बरतना। मंतरवु सक्रि०मंत्र द्वारा वशमें करना; माखो मारवी = मक्खी मारना; कुछ मंत्रका असर डालना (२) भरमाना; न करना; बेकार बैठा रहना; जूती सिखा देना[ला.][मंतरी जq=घोखा, चटखाते फिरना.] चकमा देकर ले जाना; उदा. 'मारा माखण न० मक्खन (२)[ला.] खुशारूपिया मंतरी गयो'. मद; चापलूसी। [-चोपडवं, लगाव, मंत्र पुं• मंत्र (शब्द या शब्दसमूह) (२) = चापलूसी, खुशामद करना.] कानमें कही जानेवाली बात; मंत्रणा; माखणचोर पुं० माखनचोर; श्रीकृष्ण सलाह; मंत्र ।-आपवोदीक्षा देना; माखणियुं वि० मक्खन जैसा मुलायम मंत्र देना (२) समझा, सिसा देना। (२) खुशामदी [ला.] -फूंकबो = कान फूंकना; चिताना; माखी स्त्री० देखिये 'माख'; मक्खी For Private and Personal Use Only Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माग ३७८ माग पुं० मार्ग; रास्ता (२) जगह; माजव्यं वि० मांजाया; सगा; सहोदर बैठक (३)स्थान ; अवकाश; गुंजाइश। माजाई स्त्री० मांजाई; बहन [-आपवो, देवो= किसीको बैठने माजायुं वि० मांजाया; एक मांका आदिके लिए जगह देना(२)सत्कार माजायो पुं० मांजाया; भाई करना। -करवो = रास्ता कर देना; माजी वि० माजी; पहलेका; आगेका , मार्गमेंसे हट जाना (२)अवकाश या (२) मरहूम; स्वर्गवासी (३) स्त्री० दादी जगह कर देना। -मूकवो (नी (४) अंबा माता (५) माई आगळ) = किसीसे घटिया, निकृष्ट माझम वि० बीचका; मझला; मंझला होना। -मुकाववो(-नी पासे)-श्रेष्ठता मामा स्त्री० मर्यादा; हद । [-छोरवी, कबूल कराना; लोहा मनवाना.] __ मूकवी = मर्यादाका त्याग करना। माग (ग,) स्त्री० मांग; खपत (२) -साचववी मर्यादाका पालन करना.] तक़ाजा; पावना मांगना माटली स्त्री० मटकी; छोटा मटका मागण पुं० भिखारी; मंगवा; मंगन माटलं न० मिट्टीका एक बरतन; मटका (२)न० मांगना; याचना माटी स्त्री० मिट्टी(२)मांस । [-डोकवी = मागणियात वि० भिखमंगा; मंगन; ऐब पर परदा डालना; मिट्टी डालना। टुकड़गदा [(२)खपत; मांग . -यq=बिगड़ जाना; मिट्टी होना। मागणी स्त्री० मांग; सवाल ; प्रार्थना -मां मळी जq = मिट्टीमें मिलना; माग- न० मांग; माँगना (२) लेना; नष्ट होना.] [मद; पुरुष पावना (३)बन्दी-प्रत्यर्पण; 'एक्स्ट्रे- माटी वि. जोरावर (२) पुं० पति (३) डिशन'। [-करवू = मांगना.] माटे (०करी ने) अ० लिए; वास्ते; मागतुं वि० मांग करता हुआ(२)न. -के कारण (२) इसलिए; इस कारण लेना; पावना मार्छ वि० अशुभ ; बुरा; अनिष्ट।[माग, स० क्रि० माँगना; याचना करना; लागवं बुरा लगना; दिल दुखी होना.] कुछ देनेकी प्रार्थना करना (२)वापिस मारी स्त्री० मा(२)दुर्गा; आद्या शक्ति; देनेके लिए कहना ।[मागी खावू टुकड़े माता [हिम्मतवाला मांगकर जीना । माग्या मेह =मांग या माडीजायो पुं० वीर पुरुष; माईका लाल; जरूरतके अनुसार मेंह (बरसना).] माढ पुं०महल; मंजिलवाली सुंदर इमामागशर पुं० मार्गशीर्ष मास; अगहन; रत, आलीशान इमारत (२) महल्ला, . मंगसिर [विषयक) टोला (३) एक राग मागुं न० मांग; मॅगनी (प्रायः लग्न माण (ण,) स्त्री. पनचोरा; गागर माछण स्त्री० मच्छीमारकी या मच्छी माणवू स० क्रि० अनुभव करना; भोगना मारनेवाली स्त्री; मल्लाहिन; मछुइन अ०क्रि० खुश होना; मजा लूटना माछली स्त्री०,(-ल) न० मछली माणस पुं० न० मनुष्य'; इंसान । [-नी माछी पुं० मछुआ; मच्छीमार (२)माझी; वर्णमांथी ऊठी जवू, नीकळी जवं, मल्लाह; मांझी माणसमांथी नीकळी जq=इंसानियत For Private and Personal Use Only Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माणसाई ३७९ मा गॅवाना (२) नपुंसकता प्राप्त करना; माथु न० सिर;खोपड़ी(२)घड़के ऊपरपुरुषत्व गवाना.] का भाग; सिर (३)किसी चीजका मन माणसाई स्त्री० मनुष्यता; इंसानियत भाग;माथा; सिर। [माथा उपर(होवं) माणियो पुं० घियांडा =मुरब्बी, सरपरस्त होना (२) सिरनाणी स्त्री० बारह मनकी तौल (कच्ची) मांखों पर होना; सम्मान्य होना;उदा० माणेक न० माणिक ; मानिक 'माव्या तो माथा उपर'। मायाना वाळ माणेकठारी स्त्री०शरत्पूर्णिमा; कोजागर घसाई जवा=बहुत दुःख सहन करना मातबर वि० खुशहाल ; तालेवर (२) अधिक परिश्रम उठाना पड़ना; मातुं (०तातुं) वि० हृष्ट-पुष्ट (२)मत्त सिर खपाना ।मायानु फरेल, फाटेल = मात्रा स्त्री० बारहखड़ीमें वर्णके ऊपर किसीका कहा न माननेवाला; सरकरा । लगाया जानेवाला () यह चिह्न माथानो मणि, मुगट = सरदार; सिरमात्रा(२)काव्य या संगीतमें एक स्वरके ताज (२) पति; सिरताज । मायामा उच्चारणमें लगनेवाला काल; मात्रा गजघाल्या होवा=किसीसे न दबना। (३) धातुकी भस्म; रसायन (४) मायामांटपला वागवा%3Dठोकर उठाना, किसी चीजका योग्य परिमाण; मात्रा; दुःखका अनुभव करना । मायामा धूळ प्रमाण [वृत्त घालवी% इज्जत पर पानी फेरना। मात्रामेळ छंद पुं० मात्रिक छंद; मात्रा- मायामां पवन भरावो घमंडमें पूर मायाकूट स्त्री० माथापच्ची; झंझट; होकर अकड़कर चलना; इतराना पचड़ा(२)बेकार श्रम, बला; चरखा, (२) सिर चकराना; चक्कर आना। झंझटवाला काम मायामां भूसं भरावं = गलतफ़हमी या मायाकूटियु वि० झंझटवाला; झंझटी वहमका भूत सवार होना। माया मागासीक स्त्री० माथापच्ची; झंझट वगरनु = निडर; जान पर खेलनेमायादीठ अ० प्रति मनुष्य ; फ़ी आदमी वाला। -आपq=सिर देना; प्राण मायाफरेल(-लु) वि० सिरफिरा; निछावर करना। -उठाव देखिये मिज़ाजवाला; क्रोधी 'मायुं ऊंचकवू'। -ऊंचकQ=सिर मायाफोड स्त्री० सिरपच्ची; मग़जपच्ची उठाना; विरोष, मुकाबला करना। मायाफोडियुं वि० झंझटी (काम); -ऊंचु राखq = सिर ऊंचा करना; बखेड़िया (मनुष्य) आत्मसम्मानपूर्वक रहना; मग़रूरी मायाभारे वि० मिज़ाजी; सरकश रखना; सिर उकसाना। -कापq= माथावटी स्त्री. वह कपड़ा जो साड़ीमें बहुत नुकसान पहुंचाना (२)दगा देना। सिरके नीचेके हिस्से में सिया जाता है -कूटq= मग़ज़ चट कर जाना (२) (२) सिर परके कपड़े पर पड़े हुए सिर धुनना; सिर पर खाक उड़ाना; तेलके धब्बे(३)सिरका भाग; पेशानी; शोक करना। -खबवाळवं, खणq= माथा(४)आबरू [ला. [वाला कर विचारमें पड़ जाना; सोचमें पड़ना मामावेरो पुं० फी आदमी लिया जाने- (२) शरमिंदा होना; खिसिया जाना। For Private and Personal Use Only Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माथे ३८० -बालg= देखिये 'मायुं मारवु'। -यूम थ, घडवू = सिर घूमना, चकराना; सिरमें दर्द होना।-चडाव_% सिर खाना। -मीकवू =माथापच्ची करना। -नमवू = आदर या भक्ति होना, वंदना करना।-जमाव-सिर नवाना, ताबेदार बनना। -पकाववं = सिर खाना। -पाक, पाकी जq= मग्रजपच्चीसे ऊब जाना (२)सिर दुखने बाना। -कर = चक्कर आना; सिर घूमना (२)क्रुद्ध होना।-फाटq=धूप, दर्द या बदबूसे सिरमें दर्द होना; सिर घूमना:(२)गुस्सा आना, होना। -फोडq=माथापच्ची करना; सिर खपाना। -भांगq= घमंड चूर करना (२) नुकसान पहुंचाना। -भारे पy= गर्व या मिजाज बढ़ जाना; दिमारा चढ़ना (२) सिर भारी होना, सिरमें दर्द होना। -भोंयमां घालवं 3 सिर झुकाना; लज्जित होना; जमीनमें गड़ जाना। -मारवं = किसी बातमें मन लगाना, जी लगाना (२) सिर मारना; बीच-बचाव करना; टांग भड़ाना; दखल देना । -रंगg=सिर तोड़ना, फोड़ना। -सोपवू =शरणमें जाना (२) जान देना; सिर देना.] माये अ० ऊपर; उदा० 'घा माथे पाटो बांध्यो'(२)सिरके ऊपर । [-आवq= (स्त्रीका)ऋतुमती होना (२) जिम्मे पड़ना; सिर पड़ना (३) ऊँचाई पर माना, ऊँचे आना (सूर्य, पतंग आदि)। -ओढq= साड़ी ठीक माथे पर ओढ़ना (२) जिम्मे लेना; सिर पर लेना (३) दिवाला निकालना। -ओरावं =जवाबदारी या जोखम दूसरे पर डालना; सिर डालना; मत्थे मढ़ना (२) धोखा देकर माल बेचना; गले मढ़ना। -गाळ चडवी =ऐब लगना। -गाळ मूकवी =ऐब लगाना।-बाव = स्वीकार करना; सिर-आँखों पर होना (२) सिर चढ़ाना; बहकाना; गुस्ताख बनाना। -चडी बेसबुं, घरी वागवू- हुक्म न मानना; मुंहलगा होना (२) किसीकी सत्ता हथियाना (३) बढ़िया या बढ़कर होना। -छोगी मूकवी=बिगाड़ डालना; नष्ट करना (२) नुकसान करना; हानि पहुँचाना।-झाड ऊगवां बहुत कष्ट पड़ना; सिर पर पहाड़ गिरना। -टाल पडवी = जवाबदारी या भार वहन करते करते या अनुभवकी ठोकरें खाते खाते बूढ़ा होना। -थी उतारी नाखq=सिरसे बोझ उतारना; किसी भार, दायित्वसे मुक्ति प्राप्त करना; पीछा छुड़ाना।-धूळ घालवी= कलह खड़ा करना (२) अपने ऊपर दोष या कलंक ले लेना (३) अपने आपको कलंकित करना;खुदं अपमानित होना। -पड-ज़िम्मे आ पड़ना; सिर पर मा पड़ना (२) - के कारण घाटा सहना पड़े ऐसी हालतमें आ पड़ना; उदा० 'अमुक माल माथे पडयो'। -पाडवू = सिर मढ़ना। -मार_= जिसमें घाटा सहना पड़े ऐसी चीज किसीके गले मढ़ना। -मोत भमg= सिर पर मौतका खेलना। -राखy = जिम्मे लेना; सिर लेना। -लेवू = जिम्मे लेना (२) अपने ऊपर ले लेना (झगड़ा, घाटा आदि)।-बहोरकुं% देखिये 'माथे लेवं'।-हाथ फेरववो, For Private and Personal Use Only Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मापोर्ट मूकवी : = अपना गुण-स्वभाव दूसरेको देना (२) आशीर्वाद देना । - होवूं = ऋतुमती होना ( २ ) जिम्मेदारी होना; सिर होना; जिम्मे होना (३) सिरआँखों पर होना. ] मापोडं न० सिर डूब जाय उतनी गहराई; पुरुष ; ऊँचाई, गहराईकी एक माप मावळियं न० गंडा या तावीज़ रखनेका सोने-चांदीका खास आकारका आभूपण; चौकी; तावीज माधुकरी स्त्री० घर-घर जाकर भिक्षा माँगना; मधुकरी (भिक्षा) माध्यमिक वि० माध्यमिक; मध्यका (२) प्रारंभिक से आगेका; ' सेकंडरी ' माध्यमिक शाळा स्त्री० 'हाईस्कूल '; माध्यमिक शाला माल न० मान; प्रतिष्ठा (२) आदर; सद्भाव (३) अभिमान ; मान ( ४ ) तौल; तोल ; नाप; मान (५) 'लोगेरी ' [ग] । [ - आप बेबुं = सत्कार करना; मान रखना; मान देना । - भागवुं = विशेष आजिज़ीकी अपेक्षा रखना; मानकी इच्छा करना । - - मां रहेबुं = घमंड या बड़प्पनमें रहना । - मूकबुं = अभिमानका त्याग करना । -राखयं = मान रखना; बात रखना ( २ ) मानभंग न हो ऐसा करना; प्रतिष्ठा बनाये रखना. ] [ लीफ़-मेप' मानचित्र न० मानचित्र; नक्शा ; 'रिमानत (-ता) स्त्री० मनौती; मानता मानव वि० मान देनेवाला; मानप्रद (२) अवैतनिक; 'ऑनररी' मानपान न० मान; आदर ( २ ) प्रतिष्ठा मानभंग पुं० मानभंग; अपमान (२) वि० अपमानित ३८१ माफी मानमरतवो पुं० मतंबा; प्रतिष्ठा मानमर्यादा स्त्री० अदब; लिहाज मानवंतुं वि० माननीय; प्रतिष्ठित मानवी वि० मानव; मनुष्य संबंधी; मनुष्योचित ( २ ) पुं० मनुष्य; मानव मानवं स०क्रि० मानना; स्वीकार करना; क़बूल करना (२) मान करना; गिनना; कुछ मूल्य - महत्त्वका समझना (३) मनौती मानना [ लाड़ला मानीतुं वि० खास प्रेमपात्र;अति प्यारा; माप न० माप; परिमाण; नाप; मिकदार; वजन (२) [ला.] प्रतिष्ठा; वक़अत ( ३ ) हद; हिसाब । [काढवु, जोबुं = मापना; नापना ( २ ) अटकल बाँधकर अंदाज़ लगाना ( ३ ) ताक़त देखना; बल परखना । - खों= इज्ज़त गंवाना; वक़अत न रहना । - राखवु : = मान रखना (२) हद या मात्रा या प्रमाण रखना. ] मापणी स्त्री० नपाई; पैमाइश मापलुं न० नापनेका पात्र ; नपुआ मापवं स०क्रि० नापना; मापना; पै Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माइश करना ( २ ) पैदल जाना [ला. ] मापियुं, मापुं न० नापनेका बरतन या साधन; नपुआ माफक विo अनुकूल; रुचिकर; मुआफ़िक़ (२) अ० - के अनुसार; मुताबिक़ माफकसर अ० प्रमाणके अनुसार; प्रमाणतः; हिसाब से माफी स्त्री० माफ़ी ; क्षमा (२) जाने देना; मुक्ति; माफ़ी । [ - आपवी, बक्षवी - माफ़ करना (२) क्षमा बख्शकर छोड़ देना । - मळवी = माफ़ी मिलना (२) मुक्ति मिलना ( फ़ीस कर आदिसे). ] , For Private and Personal Use Only Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माफीपत्र ३८२ मारफतियो माफीपत्र पुं०; न० माफ़ी मांगनेवाली माया स्त्री० माया; प्रकृति; अविद्या या देनेवाली चिट्ठी या पत्र (२) कपट; माया; धोखा; इंद्रजाल माफो पुं० रथ; मुहाफ़ा (३) [ला.] ममता; माया; स्नेह (४) माबाप न० ब०व० मातापिता; मांबाप ममताका कोई भी विषय (५) धनया मातृ-पितृतुल्य व्यक्ति (२) किसी दौलत;माया। [काची माया = धोखा बातका आधार, उत्पत्तिस्थान या मूल- खा जाय ऐसा मनुष्य । पहोंचेली माया कारण [ला.]; उदा. 'आ खर्चनां = पक्का; किसीसे छला न जाय ऐसा माबाप बतावो' मनुष्य । -करवी=स्नेह करना;प्रीति माम स्त्री० माया; ममता (२)आश्चर्य; जोड़ना। -थवीराग, स्नेह होना। ताज्जुब (३). धैर्य ; दृढ़ता (४) टेक ; -राखवी=ममता, राग रखना.] ममत्त्व [लदार मायाममता स्त्री० दया; माया ; स्नह मामलतदार पुं० मामलतदार; तहसी मार पुं० मार;ताड़न;चोट (२) मौत;मार मामलो पुं० मामला ; परिस्थिति ; बात (३) मारामार; विपूलता; अधिकता (२) नाजुक समय ; अड़ी; संकटका [ला.)। [-खावो = मार खाना (२) समय । [-काबूमां आववो मामला घाटा सहना । -पडवो = मार मिलना --परिस्थिति काबूमें आना।-वीफरवो (२) नुक़सान पहुँचना । कामनो मार =मामला बिफरना, किसीके क़ाबूके चालवो = मारामार काम चलना। बाहर होना; बात हाथसे जाता.] मूढ मार, मूंगो मार = मीठी मार.] मामा पुं० ब० व० माँका भाई; मामा मारक' वि० मरकहा;हथछुट; मरखना (२)शत्रु; चोर [ला. 1 [-मळवा = मारकूट स्त्री० मारकुटाई; मारपीट चोर मिलना] मारकेट न० मार्केट ; मंडी मामामातीनुं करवं = सगे-संबंधियोंका मारको पुं० मारका; निशान ; छाप (२) पक्ष लेना या तरफ़दारी करना इफ़रात; विपुलता मामाजी, मामाससरा पुं० ब० व० पति मारखाउ वि० जो सदा मार खाये ; पिट्ट या पत्नीका मामा; ममिया ससुर मारग पुं० देखिये 'मार्ग' मामी स्त्री० मामाकी पत्नी; मामी मारझूड स्त्री० एक दूसरेको मारना और मामीजी, मामीसासु स्त्री० पति या ठोकना; मारकुटाई पत्नीकी मामी; ममिया सास मारदडी स्त्री० गेंदसे खेलनेका एक खेल; मामूल न० मामूल, रिवाज गेंदतड़ी [पीटना; मारपीट मामूली वि० मामूली ; साधारण मारपीट स्त्री० एक दूसरेका मारना और मामेरं न० देखिये 'मोसाळं' मारफत अ० द्वारा; ज़रिये; मारफ़त मामो पुं० माका भाई; मामा (२) शत्रु; (२)स्त्री० आढ़तिया या दलालके द्वारा चोर [ला.] काम करनेकी रीत (३) दलाली; आढ़त मायकांक (-ग)लुं वि० नामर्द; कायर मारफतियो पुं० दलाल; आढ़तिया; मायनो पुं० मानी; अर्थ (२) हेतु; इरादा अढ़तिया. For Private and Personal Use Only Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८३ मालतुं मारफाड स्त्री० मारपीट चीजकी कमी होना; न मिलना (२) मार, सक्रि० मारना; चोट पहुंचाना; की कमी न होना; मिलना.] आघात करना; ठोंकना; पीटना (२) मारंमारा स्त्री० मारपीट; लड़ाई मार डालना; जान लेना (३)पीछे रेल मारामार(-री) स्त्री० लड़ाई; वारदेना; मार हटाना; भगाना; खदेड़ना दात (२) तंगी; कमी (४) विशिष्ट गुण-धर्मका नाश करना; मारीतारी (मा', ता') स्त्री० गालीबरवाद करना(चमड़ी);फोड़ना(गवाह) गलौज; तू-तू, मैं-मैं (२)निंदा । (५) लूटना; धावा बोलकर लूट लेना मातारं कर = भेदभाव रखना (गाँव; नफ़ा ; खजाना);जोशसे कोई मारो पुं० जल्लाद;वधिक(२)मारामार, काम करना; व्यर्थ कोशिश करना; वार पर वार (करना)(३) [ला.] इफ़(फंका) मारना (६) असर हो ऐसा रात; विपुलता।[-चलाववो = माराप्रयोग करना; मारना (ताना, मार, लगातार प्रहार करना (२)[ला.] वचन, आँख, गप आदि) (७) प्रहार बच्छा भोजन मिलने पर खूब खाना; करनेके लिए फेंकना; चलाना (तीर, हाथ मारना.] तलवार आदि) (८)रोकना; सहना; मार्क पुं० मारका (ट्रेडमार्क) (२) अंक; मारना (भूख ; मन) (९) धातुकी भस्म, नंबर(परीक्षा आदिके फलमें) ... कुश्ता करना; मारना (१०)चोरना; मार्ग पुं० मार्ग; रास्ता (२)रूढ़ि; प्रथा; हड़पना;माल मारना [ला.](११)लगा- चाल (३) धर्ममत; पंथ; संप्रदाय । ना; ठोंकना ; गाड़ना; चुभाना, मारना; [-काढवो= निबटारा करना; हल जबान बंद करना (ताला, थिगली, करना; रास्ता निकालना। -लेवो= काग, लोंदा, कील आदि) (१२)पट- मार्ग ग्रहण करना (२)प्रथा ग्रहण कना; दे मारना; उदा. 'माथामां करना (३) रास्ता लेना; उपाय लेना.] मारवु' (१३) -का असर, झाँकी या माल पुं० माल; सामान; असबाब (२) वेदना दिखाई देना (चमक, भाप, धुंध धन-दौलत; माल (३) [ला.] सत्त्व लापन,फीकापन आदि)(१४)जबरदस्ती हक़ीक़त ; हस्ती; माल (४)मिष्टान्न; या धोखा देकर गले मढ़ना।[मारी खावू मिठाई;माल (५)गाँजा।[-मारवो%D =माल मारना; हड़पना। मारी नाखवू रिश्वत, खयानत आदिसे पैसा पैदा =जानसे मार डालना (२)घूस देकर करना; माल मारना.] अपना बनाना। भारी पाडवू = मार मालकांक (-गणी स्त्री० मालकंगनी डालना (२)एक साथ हड़पना या प्राप्त मालको स्त्री० मालिकी; स्वामित्व करना; रुपया मारना। मारी मूकवू मालकीहक (क्क) पुं० मालिकाना हक; = सरपट दौड़ना। मा जq= मारा स्वामित्व; मालिकी जाना (युद्ध में) (२) चाटा या हानिमें मालखं न० धातुके तार या डोरेमें पिरोआ पड़ना । मायुं मायुं फरवू % मारा- कर रखा हुआ काग्रज या चिट्ठियोंका मारा फिरना। मायुं फरवू =किसी __ ढेर(२) बड़ी माला। [हाडकांनमालखं For Private and Personal Use Only Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मालगारी = सूखकर सिर्फ हड्डियां रह गई हों ऐसा (शरीर); कंकाल'; अस्थिपंजर.] मालगारी स्त्री० मालगाड़ी मालण स्त्री० मालीकी स्त्री; मालीका पेशा करनेवाली स्त्री; मालिन (२) नाकमें होनेवाली फुसी मालवणी पुं० मालिक [जाति मालपारी पुं० सौराष्ट्रमें अहीरकी एक मालपाणी न० ब०५० मिष्टान्न ; सुस्वादु भोजन; माल । [-करवा = तर माल खाना;माल उड़ाना (२)माल मारकर निहाल होना.] मालपूनो(-डो)पुं० मालपूमा, मालपूड़ा मालम पुं० जहाजमें रखे मालका हिसाब रखनेवाला (२)कर्णधार; मांझी मालमता स्त्री० स्थावर और जंगम मिलकियत; मालमत्ता मालमलीदो पुं० माल-मलीदा मालमसालो पुं० मिष्टान्न; तर माल(२) । उपयोगी माल असबाब; सामग्री मालमिलकत स्त्री० देखिये 'मालमता' मालिक-पुं० मालिक; स्वामी (२)परमेश्वर;मालिक [आदि मालिको,मालिको हक देखिये 'मालकी' मालिश (-स) स्त्री० मालिश मालेतुजा(-ज्जा)र न० बड़ा व्यापारी (२)वि० बड़ा मालदार मावजत (मा')स्त्री० तीमार; सेवाटहल; रखवाली [महावट (माघ मासमें) मावळं न० बगैर मौसिमकी बारिश; मावरियं वि० मांकी गोदमें या मौके ' कहने में रहनेवाला (२)डरपोक, कायर माव(-बी)तर न० ब०व० मांबाप मा अ० क्रि० समाना; बॅटना; अपनी जगह ठीक आ जाना; माना [प.] मावो पुं० मावा; खोया (२) फल बादिका गूदा; मग़ज (३)सत्त;मावा माशी स्त्री. मोसी; मासी; खाला माशूक स्त्री० माशूका; प्रेमिका मासिक वि० मास-संबंधी; माहवार; मासिक (२)न० मासिक-पत्र;मासिक (३) (स्त्रियोंका) मासिक धर्म (४) ब० प्रतिमास; माहवार मासियो पुं० मृतकका एक साल तक हर मास किया जानेवाला श्राव; मासिक (२)एक -प्रेतभोजन मासो पुं० तोलेका बारहवाँ भाग;माशा मासो पुं० मौसीका पति; मौसा; लालू मास्तर पुं० मास्टर;शिक्षक(२)कर्मचारी: __ अमलदार(डाक, रेल, मिल आदिका) माह पुं० माघका महीना; माष; माह माहित वि० वाक़िफ़;जानकार; माहिर माहितगार वि० वाक़िफ़कार; जानकार माहिती स्त्री० जानकारी; वाक़िफ़कारी (२)पता; खबर ['माहे फागण' माहे अ० अमुक महीना-इस अर्थमें;उदा० माह्यरुं न० लग्नमंडप [माल माळ स्त्री० माला (२)चरखेकी माला; माळ पुं० निर्जन, वीरान घासका प्रदेश (२)मंजिल ; खंड; मकानका दरजा माळखं न० देखिये 'मालखं' माळण स्त्री० देखिये 'मालप' माळण न० छाजन; अतरवन माळ, स० क्रि० छाना (छप्पर) माळा स्त्री० माला; मनके, पुष्प आदि पिरोकर बनाया हुआ हार(२)जपमाला (३) किसी भी चीजकी माला-सी संकलना, माला; श्रेणो; आवली; उदा. 'ग्रंथमाला' [-अपवी=माला फेरना, भगवद्भजन करना (२) की बाट For Private and Personal Use Only Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माछि ३८५. मान्, जोहना; बार-बार याद करना; प्रतीक्षा बैठक ऊँची चौकी; तस्त (२)गाडीकी करना (३) अकिंचन बनना; कामकाज- धुरीके ऊपरका तख्ता; मचान रहित होना,खालो बैठना।-मालवी% मांची (0) स्त्री० खाट (२)मचिया; विरक्त बनना, साधु बनना। -फेरवबी चौकी जैसा आसन = देखिये 'माळा जपवी'। -लेबी= मांचो(0) पुं० देखिये 'मांचडो'(२) देखिये 'माळा झालवी'.] चारपाई। [-भूकवो= पलंगको लात माळियुं न० मंजिल ; मकानका दरजा मारकर खड़ा होना; बीमारीसे स्वस्थ (२)असबाब रखनेके लिए छप्परके नीचे होना.] बनाया हुआ छोटा मचान; टाँड़; पाटा मांजर(०) स्त्री० तुलसी आदिकी सींकों माळी पुं० माली; बाग़बान (२)फूल पर लगे हुए छोटे घने फूल ; मंजरी बेचनेवाला (२) सुखतला (जूतेका) (३)मुर्गे के सिर परकी चोटी; कलगी माळो पुं० घोंसला; नीड (२) बहुत मांजरं (०)वि० कंजी आँखोंवाला; कंजा कुटुंब रह सकें ऐसा चार-पांच मंजिला मांजवं(०)सक्रि० मांजना [मांझा मकान (३)खेतका मचान; मंच मांजो (०)पुं० पतंगकी मांझा दो हुई डोर; माकड (०) पुं० खटमल मांड(0) अ० ज्यों-त्यों करके; मुश्किलसे मांकडी(०) स्त्री० वानरी;बंदरी;मर्कटो मांडगी (०) स्त्री० छत या मंजिलकी (२)चक्कीके ऊपरवाले पाटमें पहनाई ऊंचाई (२)सजावट हुई लकड़ी; मानी (३) मथानीके डंडेमें मांड मांड (०) अ० ज्यों-त्यों; किसी लगी कटावदार खोरिया जो मयनी पर तरह; बहुत मुश्किलसे; मरते-जीते जमकर बैठ जाती है(४)मवेशीके गरांव मांडवाळ (०)स्त्री० निर्णय ; समझौता के फंदेमें पहनाई जानेवाली लकड़ीकी फैसला; निबटारा . गुल्ली (५) हलके ऊपरकी वह आड़ी मांडवी स्त्री० घरके सामनेकी ऊंची बैखूटी जिसे पकड़कर हलवाहा जोर देता ठक (२)ओसारा;सायबान; बरामदा है (६) नीले रंगकी भैंस (७) चमड़ीका (३)नवरात्रमें बहुत दिये रखनेके लिए एक रोग (८) घोड़ीकी एक जाति बनाई गई बड़ी दीवट जैसी रचना (४) (९)मकड़ी; लूता जकात लेनेकी जगह; चुंगीघर (५) मांकडोकूकडी (०) स्त्री० एक जंतु; बाजार; चौक (६)मूंगफली . . लूता (इसके पेशाबसे फफोले उठते हैं) मारवं(०) स० कि० शूरू करना (२) मांक (०) न० लाल मुंहका बंदर; मर्कट लिखना; नोट करना (३) सजाना; माको(०)पुं० लाल मुंहका बंदर; मर्कट तरतीबसे रखना (४) योजना करना; मांकण (०) पुं० खटमल स्थापित करना। [मांगी. वाळवं = मांस (०) स्त्री० देखिये 'माखी' फैसल करना; निवटारा करना (२) मांगवं(०) स० क्रि० देखिये 'मागवं' पावना छोड़ देना, जाने देना (३)बंद्र मांवडो(०) पुं० मचान (२)मंच; ऊँची रखना; मुल्तवी रखना. गु. हिं-२५ For Private and Personal Use Only Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मांडवो मांडवी (०) पुं० मंडप मंच-मंडप ; मँड़वा (२) [ला.] कन्या; बेटी । [ -आववो = बेटी जन्मना । - ऊभो वो = बेटी ब्याहके योग्य होना. ] मांडवामहरत, मांडवामुरत (०) न० कन्याके घर लग्न मंडप स्थापित करनेकी विधि या मुहूर्त मांदगी (०) स्त्री० मांदगी; बीमारी मांदलं (०) वि० सदा बीमार रहनेवाला; माँदा (इससे ) दुर्बल; ढीला; सुस्त मां (०) वि० माँदा; बीमार; रोगी मांसाजुं (०) वि० (२) न०कभी बीमार, कभी स्वस्थ या तंदुरुस्त मांस (०) न० मांस; गोश्त ; आमिष मांसमाटी (०) न० ब० व० मांस माही ( है ) अ० अंदर; में; भीतर माहेलं (०) वि० भीतरका मांहो मांहे (०) अ० आपसमें मालुं वि० अंदरूनी ; भीतरका freere स० क्रि० मीचना ; मूंदना freere पुं० मिचकाना; झपक मिचामणां न०ब०व० आँखोंको बार-बार खोलना और बंद करना; आँखमुंदाई (२) आँखसे इशारा करना; इशारेबाज़ी मिचाबुं अ० क्रि० 'मीचबुं ' का कर्मणि; (आँखोंका) मिचना; मुँदना मिजबान पुं० मेज़बान; मेहमानदार मिजबानी स्त्री० जियाफ़त ; दावत (२) मेहमाननवाजी; मेजबानी । [-उडाबबी, करवी = दावतका मजा लूटना. ] मिजलस स्त्री० नाच - रंगकी महफ़िल ; जलसा (२) मजलिस; सभा fruits ro ( किवाड़का) कब्जा, कुलाबा मिजाज पुं० गुस्सा (२) अभिमान; घमंड; मिज़ाज (३) तबीअत; मिज़ाज । ३८६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चित्री [-करवी = क्रुद्ध होना; गुस्सा करना (२) मिजाज, घमंड करना; इतराना । -सवो खोवो, जवो = क्रुद्ध होना । - ठेकाणे न होवो = गुस्सा करना; आपेसे बाहर होना. ] [ मिजाजी; घमंडी मिजाजी वि० गुस्सैल; क्रोधी (२) मिटाव स० क्रि० मिटाना मिणायें अ० क्रि० नशा छाना ( २ ) (मवेशीका) दूष चढ़ाना;दूध चुरा रखना मित्राचारी स्त्री० मित्रता; मंत्री; दोस्ती मिनार ( -रो) पुं० मीनार मिनिट स्त्री० मिनट मियाउं न० बिल्लीकी बोली; म्याँव मियान न० मियान मियां पुं० मुसलमान सज्जन (२) सम्मानित मुसलमानका संबोधन; मियाँ मिरात स्त्री० दौलत ; पूंजी मिल स्त्री० मिल ( प्राय: कपड़ेकी) मिलकत स्त्री० धन-संपत्ति ; जायदाद; मिल्कियत मिलन न० मिलन; मुलाक़ात ; भेंट मिलनसार वि० मिलनसार मिलकामदार, मिलमजूर पुं० मिलमजदूर मिलाप पुं० मिलाप ; मेल; भेंट मिलावट स्त्री० मिलावट; मिश्रण मिलाव स०क्रि० मिलाना; मिश्रित करना मिव न० मिस; मिष; बहाना । [ ने मिषे: = -का बहाना बनाकर; - के मिष. ] मिसर न० मिस्र (देश) मिसरी स्त्री० साफ़ करके जमाई हुई चीनी ; मिसरी मिसाल स्त्री० उदाहरण ; मिसाल ( २ ) व० की तरह; के अनुसार मिस्त्री पुं० होशियार कारीगर; मिस्तरी For Private and Personal Use Only Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मीष ३८७ मीच, स० क्रि० (मास) मीचना; व्यक्तिके अभावमें) मूल्यरहित मोर बंद करना भींगी; मिरी बलहीन चीजें और व्यक्ति.] मीज स्त्री० बीजके भीतरका गूदा; मीढळ न० मैनफल; मदनफल मोजान न० अटकल; अंदाज़ा; नाप; मीढी(आवळ) स्त्री० सोनामुखी; भुई उचित मात्रा [सार; हिसाबसे खखसा मोजानसर अ० प्रमाण या मात्राके अनु- मीण न• मोम मोट स्त्री० नजर; एकटक दृष्टि; टक- मीणकप्पर, मीणकापड न० मोमवामा टकी;टिकटिकी। [-मांरवी टकटकी मीणबत्ती स्त्री. मोमबत्ती लगाकर देखना; प्रतीक्षा करना (२) मीणियुं वि. मोमवाला (२)न० मोम(-के पास) आशा रखना;-से इच्छा जामा [हुवा करना.] [मिटना(२)रोगमुक्त होना। मीषियं, मीचं वि० नशीला; नशा चढ़ा मीटईम०क्रि० लप्त होना; नष्ट होना; मीणो पुं० नशा; कैफ़(२)मादक द्रव्य मोठडा न० ब०व० प्यारका आलिंगन नशीली चीज; नशा (२)वारने। -लेवा बलायें लेना.] मीनडी स्त्री० बिल्ली मोई वि० मिठासवाला; मीठा (२) मीन९ न० बिल्ली मिठबोला; मिळू (३) न० देखिये मीनमेख (-ब) स्त्री० एतराजबिरोध; 'मीठडां' शंकाशीलता (२) घटा-बढ़ी करनेका मीठाबोल वि० मिठबोला; मधुरभाषी भाव (३) १० कमोबेश मीठाश स्त्री० मिष्टान्न; मिठाई (२) मीनाकारी वि० बेल-बूटेदार (२)स्त्री० मिठास; माधुर्य मीनाकारी; मीना मीठी स्त्री० चुंबन; मिट्ठी(२ स्नेहालिंगन मोना अ० हार स्वीकार करनेका संकेतमीठं वि० मधुर; मीठा (२) जिसमें शब्द । [-कहे = हार स्वीकार मिठास हो; मधुर रसवाला; मीठा करना; ची बोलना.] (३)न० नमक । [मीठा झाडनां मूळ मीनी स्त्री० बिल्ली कापवां- नेक आदमीसे इतना फ़ायदा मीनो पुं० सोने-चांदी पर बनाया उठाना कि नेकी करनेवालेकी ही हानि जानेवाला रंगीन काम; मीना हो। मीठी जीभ = खुशामदी-प्रिय लगे मीर पुं० मीर; अमीर; सरदार ऐसी जवान। -भरचं भमराव = मीरास स्त्री० मीरास; वरासत नमक-मिर्च मिलाना.] मींच, स० क्रि० देखिये 'मीच मीठं लींबु न० मीठा नीबू; चकोतरा मींचामणां देखिये 'मिचामणां' मीठो लीमडो पुं० मीठा नीम मींचा व०क्रि० देखिये 'मिचावू' मोई न० शून्य; बिंदु; सिफ़र। [-चळवू मीज स्त्री० देखिये 'मीज' = रद्द होना (२) खत्म होना (३) मीर स्वी० मीड़ (संगीतमें) निवंश होना; पर बेचिराग़ होना। मी न० देखिये 'मीडु' एका वगरना मी = (प्रधान मोडळ न० देखिये 'मीढळ' For Private and Personal Use Only Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुष्टी मोशी(आवळ) ३८८ मीडी (आवळ.) स्त्री० देखिये 'मीठी' मुखपत्र न किसी मंडलका पत्र:मुखपत्र मींदु वि. जो मनमें समझे मगर बाहर मुखपाठ पुं० ज़बानी याद करना;पोखना व्यक्त न होने दे;मचला(२)मक्कार;धूर्त । मुलियो पुं० प्रमुख व्यक्ति ; मुखिया (२) मीबडी स्त्री० बिल्ली ठाकुरजीकी सेवा-पूजा करनेवालोंका मौंबई न० बिल्ली अगुआ; मुखिया मुकटो पुं० देखिये 'मुगटो' मुली पुं० अग्रेसर; नायक ; अगुआ (२) मुकदमो पुं० मुकदमा; मुक़द्दमा; दावा गांवका चौधरी; मुखिया मुकरवम पुं० देखिये 'मुकादम' . मुल्यत्वे, मुख्यत्वे करीने अ० मुख्यतया; मुकरवमो पुं० देखिये 'मुकद्दमो'. अकसर; प्रायः मुकरर वि० त किया हुआ; नियत; मुख्य प्रधान पुं० मुख्य मंत्री मुकरर [इनकार करना; मुकरना मुगजी स्त्री० कपड़ेके किनारे पर लगाई मुकरj, मुकरी जवं अ० क्रि० कहकर जानेवाली रंगीन महीन पट्टी; गोट; मुकादम पुं० मुकद्दम; नायक; मुखिया; . मग़जी; संजाफ़ टंडल (मजदूरोंका) गिरी मुगट पुं० पगड़ी पर लगानेका एक मुकादमी स्त्रीमुक़द्दमका काम; नायक आभूषण (२) राजाका ताज; मुकुट मुकाबले अ० मुकाबलेमें मुगटी स्त्री० छोटा मुटका मुकाबलो पुं० बराबरी; तुलना; मुका मुगटो पुं० एक रेशमी वस्त्र ; मुटका बला (२)आमना-सामना ; मुकाबला मुबरको पुं० (गुनहगारका) जमानतमुकाम पुं० रहनेका स्थान; वास; नामा; मुचलका मुकाम (२) पड़ाव; मुकाम मुछाळो वि० पुं० मूंछोंवाला मर्द; मुछंबर मुकाव, सक्रि० 'मूकवू'का प्रेरणा मुजब अ० मुजिब; -के अनुसार पंक; रखवाना [रखा जाना मुजरो पुं० मुजरा; सलाम मुकावू अ० क्रि० 'मूकवू' का कर्मणि; - मुमवण स्त्री० दुविधा; घबराहट;उलझन मुक्की स्त्री० मुक्का; चूंसा मुमारी स्त्री०,(-रो) पुं० त्रिदोष;सन्निमुल्को पुं० मुक्का; बूंसा पात (२) घबराहट; बेचैनी मुक्तकंठे अ० खुलकर; बगैर संकोच मुझावं अ० क्रि० दम घुटना ; सांस रुकना रखे; मुक्तकंठसे (२) दुविधामें पड़ना; घबड़ाना मुख न० मुख; मुंह (२) चेहरा; मुख- मुळी स्त्री० मुट्ठी; मुश्त (२)मुट्ठीभर मंडल (३)आगेका या ऊपरका हिस्सा आटा या अन्न जो दानके लिए निकाला (४) मुहाना; नदीमुख जाय) मुट्ठी; चुटकी। [-चांपवी, मुखत्यार वि० जिसे अपनी मर्जीके अनु- बाबवी - मुट्ठी गरम करना; घूस सार कार्य करनेकी सत्ता दी गई हो; देना। -मां राखy = अपने हाथमेंमुखतार (२) एलची; प्रतिनिधि कब्जेमें रखना; मुट्ठी में रखना। मुखतार बाळवी = हथेली बांधना (२)देनेसे मुखत्यारनामुं न० मुखतारनामा इनकार करना.] For Private and Personal Use Only Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुट्ठीभर मुठ्ठीभर वि० मुट्ठीभर (२) थोड़ा मुट्ठो पुं० बड़ी मुट्ठी मुडदाल वि० मुरदा जैसा ; मृतवत् ( २ ) मुरदार; बेदम; दुर्बल (३) मुरदेका (मांस) मुड न० मुरदा; मुर्दा; शव मुतरडी स्त्री० पेशाबखाना मुतराव स०क्रि० 'मूतर'का प्रेरणार्थक मुत्सद्दी पुं० हिसाब लिखनेवाला; मुतसद्दी (२) राजकार्य में कुशल व्यक्ति; राजनीतिज्ञ ( ३ ) [ला.] दाव पेच जाननेवाला; युक्तिबाज़ मुदत स्त्री० मुद्दत; समय ( २ ) अवधि; मुद्दत । [ - थवी = समय होना (२) मीआद या अवधि पूरी होना । - बांधवी = समय नियत करना; मुद्दत बाँधना; अवधि देना। -पडवी = मुक़दमेकी सुनवाई किसी अन्य दिन पर रखना : मुक़दमेकी तारीख पड़ना । : - पाकवी = मीआदका पूर्ण होना । -मारवी = अवधि देना; मुद्दत बाँधना.] मुतियुं वि० मुद्दती ; मीआदी ; मीयादी मुदतियो ताज पुं० मीआदी बुखार; , ३८९ टायफाइड मुद्दत स्त्री० देखिये ' मुदत ' मुद्दल न० मूलघन; पूंजी ( २ ) अ० बिलकुल निरा; एकदम निःसंदेह; बेशक मुद्दाम अ० विशेषतः ; खासकर ( २ ) मुद्दामाल पुं० खास महत्वका या आवश्यक माल ( २ ) वह माल जिससे गुनाहका प्रमाण - सबूत मिले मुद्दो पुं० प्रमाण; सबूत ( २ ) महत्वपूर्ण काम, विषय या बाबत (३) मूलकारण; जड़; आरंभ; मुद्दआ मुनक्का स्त्री० मुनक्का मुनशी पुं० मुंशी; लेखक; ग्रंथकार (२) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुलाकाती लिखनेवाला; feateा काम करनेवाला; मुहर्रिर; मुंशी (३) उर्दू-फारसी या अरबी पढ़ानेवाला; मुंशी मुनसफ पुं० दीवानी अदालतका न्यायाधीश; मुंसिफ़ मुनसफी स्त्री० मुंसिफ़का काम; मुंसिफ़ी (२) अधिकार; सत्ता ( ३ ) विवेक करनेकी बुद्धि मुनास ( - सि) ब वि० मुनासिब ; वाजिब मुनीम पुं० कोठीका प्रधान गुमाश्ता; मुनीम मुफलिस वि० मुफ़लिस; ग़रीब मुबारक वि० मुबारक; सौभाग्यशाली; शुभ; धन्य । [ ने मुबारक हो, रहो = : - को मुबारक हो ; हमें नहीं चाहिए. ] मुबारकबादी स्त्री० मुबारकबादी; मुबारकबाद; बधाई; अभिनंदन मुरधी स्त्री० मुर्गी; मुरग़ी मुरघो पुं० मुरगा; मुग़ मुरत न० मुहूर्त ; शुभ काल मुरतिया पुं० दूल्हा ; कन्याके लिए प्रस्तावित अथवा निश्चित किया हुआ वर मुरब्बी वि० (२) पुं० ( कुनबे में ) पूज्य ; बड़ा; बुजर्ग ; गुरुजन ( ३ ) क़द्रदान; सरपरस्त; मुरब्बी; 'पेट्रन' मुरब्बी पुं० मुरब्बा मुलक पुं० मुल्क; देश; प्रदेश मुलकी वि० मुल्की; मुल्क-संबंधी; मुल्कका (२) दीवानी; महसूली मुलतवी वि० मुलतवी; मुल्तवी ; स्थगित मुलवणी स्त्री० मूल्य निश्चित करना; मूल्यांकन मुलाकात स्त्री० मुलाक़ात ; भेंट मुलाकाती वि० मुलाक़ात संबंधी (२) पुं० मुलाक़ात करनेवाला; मुलाकाती For Private and Personal Use Only Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुलाम वि• सुंदर; शोभन : मुलाम(-मो) पुं० मुलम्मा; गिलट मुल्लो पुं० पूंजी; मूलधन मुबाई न० छोटा गाँव, खेड़ा; पुरवा मुबाळो पुं० बाल; केश मुशळ न० मूसल; मुसल मुसळधार वि० मुसलाधार मुशायरो पुं० मुशायरा हुआ मुस्केटाट वि० पीठ पीछे मुश्के बांधा मुश्केल वि० मुश्किल कठिन [नाई मुश्केली स्त्री० मुश्किल ; मुसीबत; कठिमुसही वि० (२) पुं० देखिये 'मुत्सद्दी' मुसद्दों पुं० खर्रा ; मसौदा (२) अर्थधन शैलीवाला लेख मुसल(-ळ) न० मूसल ; मुसल मुसळधार वि० देखिये 'मुशळेधार' मुसाफर पुं० मुसाफ़िर; यात्री मुसाफिरखानुं न० मुसाफिरखाना, सराय मुसाफरी स्त्री० सफ़र, प्रवास, मुसाफ़िरी मुसाफरी बंगलो पुं० डाकबंगला मुस्ताक वि० आतुर ; मुश्ताक (२)दृढ़ अटल । [-रहे =जमा रहना; अटल रहना.] मुहूर्त न० मुहूर्त ; दो घड़ीका समय; ४८ मिनट (२)कोई कार्य आरंभ करनेका शुभ समय; मुहूर्त; साइत; सात मुंज न० एक घास; मुंज मुंग वि० मुंड़े हुए सिरवाला; मुंडी ' (२ पुं० नाई; मुंग(३)संन्यासी; मुंडी मूई वि० स्त्री० मरी हुई; मुई मूउं वि० मरा हुआ; मुआ (२) क्रोष या प्यारमें दिया जानेवाला एक विशेषण-उद्गार; मुआ. : मूएवं वि० मरा हुवा; मृत मूओ वि.पुं० मृत; मुआ।[मूआ नहीं पाछा यया, मूआ नहीं ने मांदा पाया = कोई खास फ़र्क न पड़ा; एक-सा; जहाँका तहाँ रहना।-वर ने बळी जान =जाने दो छोड़ दो वह बात;मुझे क्या.] मूक, स० कि० छोड़ना; तजना; रिहा करना; मुक्त करना (२) (अमुक स्पान पर) नियुक्त करना; लगाना; कायम करना; (चीज़) सजाना; सिलसिलेसे रखना; रखना (३) धारण करना; पहनना (टोपी; पगड़ी) (४) पकनेके लिए चूल्हे पर रखना(साग, भात आदि) (५) रेहन रखना; सौंपना;सिपुर्द करना; रखना; उदा. 'तेने त्यां सो रूपिया मूक्या छे' (६)सीखनेके लिए नियत स्थान पर पहुँचाना; लगाना; उदा० 'शराफनी दूकाने-निशाळे मूक्यो' (७) कुछ जगह छोड़ना; उदा० 'चार लीटी मूकी दीधी' (८)-के जिम्मे डालना; रखना; थोपना । [कंचं मूंकवं खत्म करना; पूरा करना; निबटाना (२) रहने देना(काम)। पाणीमूकवू हायमें पानी लेकर संकल्प करना, प्रतिज्ञा करना। बात भूकवी-बात छेड़ना; जिक्र करना (२)बात पेश करना.] मूगु वि० गूंगा; मूक (२)शान्त; चप; मौन । [मूंगो मार = मीठी मार; गुप्त मार.] मूछ स्त्री० मूंछ। [-आववी, ऊगवी% मूंछोंका उगना; मसें भींगना (२) लड़केका जवानीमें आना। -ऊंची राखवी प्रतिज्ञा या इज्जत निवाहना;आन रखना; अपनी बात रखना। -नीची थई जबी-मूंछ नीची होना; इज्यत खोना। -नो आंकडो नमवा For Private and Personal Use Only Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मूबी पर न बेबो = गवं रखना; मूंछ नीची न होने देना । -मो बोरो फूटवो = मसें भींगना; मूंछ उगना । - नो वाळ = मूंछका बाल । - पर ताब, ताल देवो = मूंछों पर ताव देना; मूंछ मरोड़ना । लबु ठरावयां, नचावयां, राखयां = मर्व करना । - मां हसवं = स्मित करना; मुसकराना. ] [ हौसला ; सुस्त मूजी वि० कंजूस (२) बेअक्ल या पस्तमूठ स्त्री० मुट्ठी मूठ (२) क़ब्ज़ा; दस्ता; मूठ (३) तांत्रिक प्रयोग; मूठ । [-मारवी = मंत्र पढ़कर तांत्रिक प्रयोग करना; मूठ मारना. ] मूठी स्त्री० देखिये 'मुठ्ठी । [ - ओ . भरावी = बेकार कोशिश कराना; व्यर्थ माथापच्ची कराना। -वाळीने ( नासवु, दोडवं) = दुम दबाकर । बांधी मूठी = गुप्त या रहस्यमय बात ( २ ) इज्जत क़ायम रहना. ] मूठो पुं० बड़ी मुट्ठी मूडकुं न० मुँड़; सिर; कपाल मूडी स्त्री० मुंह या कपालका भाग; मुंड । [ - तीची करवी = टेक या इज्जत छोड़ देना, जाने देना । नीची मूडीए = सिर नवाकर; लज्जित होकर; सिर नीचा करके. ] मूडी स्त्री० पूँजी; धन ( २ ) व्यापार - उद्योगमें लगाया हुआ धन; मूलघा [ -हाथमां होवी = मुट्ठीमें होना; क़ब्ज़े में होना. ] [ पूँजीपति मूडीदार वि० (२) पुं० धनी व्यक्ति; मूडीवाद पुं० पूँजीवाद; सरमायादारी; 'केपिटालिझम' [ सरमायादारी मूडीबाबी वि० (२) पुं० पूँजीवादी; मूडी पुं० मूढ़ा; मोंढ़ा ३९१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मूतर न० मूत्र; मूत; पेशाब मूतरखं अ० क्रि० मूतना । [ मूतरी पं = डर जाना; घबराना. ] मूमती स्त्री० कपड़ेकी पट्टी जो जैन यति मुँह पर बांधते हैं; मुखपत्री मूरख वि० (२) पुं० मूर्ख मूरखाई, मूरखामी स्त्री० मूर्खता मूरखं वि० मूर्ख मूरक्षाबुं अ० क्रि० मुरझाना मूर्खाई स्त्री० मूर्खता; नासमझी मूल न० क़ीमत; मूल्य; दाम मूलवबुं स० क्रि० मूल्य ठहराना ( २ ) खरीदना (३) कद्र करना; गुणकी पहचान करना मूल्य न० मूल्य; क़ीमत; दाम मूल्यवान वि० मूल्यवान; क़ीमती मूसळी स्त्री० मूसली मूसळी स्त्री० बट्टा; दस्ता मूळ वि० मूल; असल; पहलेका; आद्य (२) न० पेड़-पौधेकी जड़; मूल (३) आधार; नीव; बुनियाद ( ४ ) नदीका उद्गमस्थान; मूलस्रोत (५) आदिकारण [ ला. ] 1 [ - मां, मूळे = असलमें (२) शुरूमें; आदिमें; मूलतः . ] मूळकारण न० मुख्य कारण मूळगत वि० मूलगत - मूळगुं वि० (२) अ० असल; आद्य; मूल (३) तमाम; सारा; कुल मूळभूत वि० मूलभूत; बुनियादी ; आ[ ककहरा ; वर्णमाला मूळाक्षर पुं० वर्णमालाके मूल अक्षर; मूळारियुं, मूळाडुं न० जड़ ; मूल मूळियं न० जड़; मूल मूळी स्त्री० मूलकी छोटी शाखाएं मूळो पुं० मूली धाररूप For Private and Personal Use Only Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मूंगु वि० देखिये 'मूगुं' मूंबी वि० देखिये 'मूली'. मूंसवम(-गो)स्त्री०आकुलता ; बेचैनी; व्यग्रता; उलझन; घबराहट मुंशव, स० क्रि० आकुल बनाना; उलझनमें डालना; बेचैन बनाना । मुंसारी(-रो) देखिये 'मुझारी' मुंझाई अ० कि० देखिये 'मुझावू'... मूंडहुं न० मूंड; मुंड; सिर; खोपड़ी मूंग्वं स० क्रि० सिरके बाल उस्तुरेसे बनाना; मूंडना (२) [ला.] ठगना; मूंडना (३)चेला मूंड़ना मूंगनवं स० कि० 'मूडवू' का प्रेरणा र्यक; मुंड़ाना; मुड़ाना मूंग अ० कि० 'मूडq 'का कर्मणि; मूंडा जाना; मुंडना रियो पुं० मुड़िया; संन्यासी vडी स्त्री० वह स्त्री जिसका सिर मुंड़ा हुमा हो; मुंडी (२)मूंडी; मूंड; सिर मुंई वि० मुंडित; मुंड़ा हुआ; मुंडा मुंगे पुं० मुंडा हुआ सिर; मुंड (२) मुंडित सिरवाला व्यक्ति; मुड़िया मृगजल (-ळ) न० मृगजल मगली स्त्री० हिरनी; मृगी मृगलं न० हिरन; मृग मृगलो पुं० हिरन; मृग मृत्युदंड पु० मौतकी सजा; देहांत-दंड मृत्युपत्र न०, मृत्युलेख पुं० वरासतनामा मृत्युवेरो पुं० मृत्युकर मे पुं० मई (मास) मेख स्त्री० मेख ; खूटी; कील (२) पच्चर । [-मारवी = कील ठोंकना; मेख मारना (२) रुकावट डालना; पच्चर मारना; मेख मारना (३) मजबूत या अटल बना देना; खूटा गाड़ना । सोनानी पाळीमा लोढानी मेल इज्जतमें कलंकका टीका (लगना).] मेष पुं० मेंह; बारिश (२) बादल; मेघ (३) मेघ राग (४) एक छंद मेघवनुष (-व्य) न० इंद्रधनुष मेघराजा पुं० इन्द्र (२) बरसात; मेंह मेघल (-ली) वि० स्त्री० बादलोसे ढका हुआ; मेघाच्छन्न __ मेघाडंबर पुं०; न० घनघटा; बदली (२)बादलोंका गरजना; मेघाडंबर .. (३) छतरीदार होदा । मेज स्त्री० न० मेज़; टेबुल मेजबान पुं०, मेजबानी स्त्री० देखिये 'मिजबान; मिजबानी' [मंजिल मेडी स्त्री० छोटे मकानकी ऊपरकी मेरो पुं० ऊपरकी मंजिल ; छत मेते (में) अ० खुद; स्वयं मेपियुं न० मेथीयुक्त मसाला भरकर बनाया हुआ अचार मेथी स्त्री० एक प्रकारके दाने या उसके पत्ते; मेथी।[-ना= मेथीके लड्डू (२) बहुत भारी लाभ (३) मिष्टान्न ; उदा. 'मेथीना करी मूक्या छे'.] मेथीपाक पुं० मेथीके लड्डू(२)[ला. मार मेवनी स्त्री० धरती; दुनिया; मेदिनी (२)भीड़; मजमा मेदान (में) न० मैदान मेदानी (में) वि० मैदानी (खेल) मेवी (में) स्त्री० एक वनस्पति ; मेहंदी मेबो (में) पुं० मैदा (गेहूँका) मेना (में) स्त्री० मैना; सारिका मेनो (में)पुं० देखिये म्यानो' मेर पुं० जपमालामें सबसे ऊपर रहनेवाला प्रधान मनका; मेरु (२)शिरोमणि; मुकुट (३)नचेका वह भाग जिस For Private and Personal Use Only Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मेर पर चिलम रहती है; चिलमची (४) सौराष्ट्रमें बसनेवाली एक जाति (५) मेरु पर्वत ३९३ मेर स्त्री० ओर; दिशा मेराई पुं० दरजी; दर्जी मेल पुं०; स्त्री० डाकगाड़ी ; मेलट्रेन; मेल मेल (मॅ) पुं० मैल; कचरा; गंदगी । [-कापवो = मैल काटना, दूर करना । [-मूकवो = दिलमें मैल न रहने देना; कपट न रखकर साफ़-साफ़ कहना. ] मेखाउ (मॅ) वि० मैलखोरा ; गर्दखोरा मेलगाडी स्त्री० डाकगाड़ी; मेलट्रेन मेलडी (मॅ) स्त्री० चांडाल स्त्रीप्रेत; भूतनी (२) एक देवी; चांडालिनी मेलन (मे') न० छुटकारा; रिहाई मेलं (मे') स०क्रि० रखना; धरना मेलाण (मे) न० मिलन; मिलाप (२) छुटकारा; मुक्ति (३) डग; क़दम । [ - = ( ग्रहण में से छूटना, मुक्त होना: ] Amraj (मे') स०क्रि० 'मेल' का प्रेरणार्थक; रखवाना | रखा जाना मेला (मे') अ०क्रि० 'मेलवु'का कर्मणि; मेली (मँ) स्त्री० वह झिल्ली जिसमें गर्भस्थ शिशु लिपटा रहता है; आँवल; खेड़ी; जरायु मेली विद्या ( मॅ) स्त्री० मारण- जारण या भूतप्रेतादिको वश में करनेकी विद्या; मंत्र-तंत्रविद्या / मेलुं (मॅ) वि० गंदा ; मैला ( २ ) कपटी (३) न० मलमूत्रादि; मैला (४) भूतप्रेतादि । [ - वळगबुं भूत लगना. ] मेब पुं० ताजे या सुखाये हुए फल; मेवा मेश (मॅ) स्त्री० काजल; मसी । [ - घसवी (मोठे) = अपयश लेना । -नो चाहलो = कलंकका टीका. ] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only मेळा मेशी वि० कंजूस मेस (मॅ) स्त्री० देखिये ' मेरा ' मेह पुं० ह; बारिश । [ माग्या मेह वरसवा = जरूरत के अनुसार मेह बरसना; राम-राज्य होना. ] मेहुलो पुं० मेह; वर्षा मेळ पुं० रोजका आय-व्ययका हिसाब; ब्योरा; लेखा (२) हिसाब; समझ ; महत्त्व; हेतु; उदा० 'अत्यारे त्यां जवानो शो मेळ छे ? ' (३) एकसापन; सादृश्य; समानता (४) बनत; मेल (५) इकट्ठा होना; मिलन; मेल ( ६ ) मेल (संगीतमें); सुरोंका मिलना (७) संयोग; अनुकूलता; मेल; उदा० 'हमणां मने त्यां आवानो मेळ नथी । [ - आववो = एकदिल होना; मेल खाना ( २ ) अपनी जगह पर ठीक बैठना (३) मौक़ा मिलना । - काटो, बेसाडवो, मेळवबो = जमाखर्च करना; हिसाब मिलाना ( २ ) रोकड़ निकालना (३) अनुकूल करना; मेल मिलाना। - बायो, बेसवो = मेल खाना मेल बैठना (२) अनुकूलता होना; संयोग होना (३) संगतिके उपयुक्त होना। -बेसवो, मळवो = हिसाब मिलना (२) पटना ; मेल बैठना । - रहेबो : = बनत होना; मेल रहना. ] मेळवण न० मिश्रण ( २ ) जामन । [ - कर = मिश्रण, मिलावट करना; मिलाना. ] मेळवणी स्त्री० मिलाना-बढ़ाना; मिलाई (२) मिलानेकी चीज़ ( ३ ) तुलना मेळवतुं स० क्रि० इकट्ठा करना; मिश्रित करना; मिलाना ( २ ) प्राप्त करना; पाना (३) तुलना करना; मिलाकर देखना; मिलाना (४) दूधमें जामन Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गलना; जमाना(५)बाजेके स्वरोंका मेल करना; मिलाना मेळाप पुं० मिलाप; मिलन; समागम (२)मेल; सद्भाव; बनत [ला.] मेळापी पुं० मित्र मेळावगे पुं० जमाव; मजमा; समूह (२)सभा;जलसा; मजलिस; सम्मेलन मेळे (में) अ० खुद; स्वयं (२) अपनी इच्छासे; खुशी-खुशी मेळो पुं० मेंट; मिलाप; मुलाकात (२) मेला।-भरावो मेला लगना.] मंडी(म०) स्त्री० भेड़ मई(म०) न० भेड़ा; मेढ़ा मंटो (म०) पुं० भेड़ा; मेढ़ा मेंसी (म०) स्त्री० मेहँदी; हिना मेंदो(म.) पुं० देखिये 'मेदो' भयत स्त्री० मृत्यु(२)मातम मनानेके लिए इकट्ठा होना (३) वि० मरा हुमा; मृत [चिंता नहीं मोई वि० देखिये 'मूई ' (२) भले; मोई स्त्री० गुल्ली-डंडेके खेलमें छोटा काठका टुकड़ा; गुल्ली; गिल्ली मोईदा पुं० ब०व० गुल्ली-डंडा मोकलबुं स० क्रि० रवाना करना; भेजना; जानेको कहना (२) पहुँचाना मोकलाव_ स० कि. 'मोकलवू' का प्रेरणार्थक; भिजवाना; भेजवाना मोकळाण (-श) (मॉ) स्त्री० (जगहकी) कुशादगी; विस्तार; फैलाव मोकळ (माँ) वि० खुला हुआ; विस्तृत; कुशादा (२) [ला.] साफ़दिल; पाकदिल (३)दरियादिल; उदार; कुशादादस्त । [-मूक- गला फाड़कर रोना.] मोकाण (मॉ) स्त्री० मौतकी खबर(२) मातम मनाने के लिए इकट्ठा होना; मोगले मातम पुरसी (३) मुसीबत; शामत । [-जा समाचार मौतकी खबर अशुभ समाचार.] [हुआ; मौका मोकूफ वि० बंद किया हुआ; छोड़ा मोकूफी स्त्री० मौक़्फ़ी मोको पुं० मौका; अवसर; ताक; दावं मोल पुं० मौक़ा; ताक (२) आगेका हिस्सा जो कुछ महत्त्व रखता हो; विशिष्ट स्थान; मौक़ा; उदा. 'घर, दुकान सारा मोखमां आव्यां छे'(३) मौक़ा; अनुकूलता; उपयुक्त काल; उदा० मोख आवशे त्यारे पैसा आपीश' ।-आववो मौका मिलना; सुभीता या सुयोग प्राप्त होना। -मां फरवं% ताकमें घूमना; घातमें फिरना.] मोखरो (मों) पुं० आगेका हिस्सा; अगीठा; मौका (मकानका)। [मोखरे कर = खतरे आदिके समय किसीको सामने कर देना; आगे करना (२) अगुआ बनाना; आगे करना। मोखरे घर देखिये 'मोखरे करवु नं० १। मोखरे जq = आगे जाना, चलना; भगुआना(२)अगुआ होना। -साबबवो = वीरोंकी तरह आगे बढ़कर मैदानमें आना और युद्ध-संचालन करना.] मोगर वि० छिलके निकाली हुई (दाल) मोगरी स्त्री० एक साग मोगरी स्त्री० मुंगरी . मोगरेल न० मोगरेका तेल मोगरो पुं० मोगरा; बढ़िया बेला (२) मुंगरा-हथौड़ी (३) छोटे गुंबद या शिखर जैसा आकार; कंगूरा (४) बत्तीका सिरा जो बिलकुल जल गया हो; गुल; फूल (५)डट्टा; 'नॉब'; हाट (६) एक गहना For Private and Personal Use Only Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोचन मोघम (मॉ) वि० (२) अ० अस्पष्ट; अनिश्चित; मुग्गम मोषवारी (माँ) स्त्री० महंगी (२)मह गीका भत्ता; महंगाई मोघाई, मोषारत (मॉ) स्त्री० महंगा होना; महंगी; गिरानी मोघु (मॉ) वि० महंगा; कीमती; अधिक दामवाला; तेज़ (२)[ला. अति प्रिय; दुलारा (३)दुर्लभ ; दुष्प्राप्य (४)आदरणीय; सम्मान्य (५) विशिष्ट मान या लाड़ या प्रेमका इच्छुक ; जिसका मनुहार करना पड़े। -सोंधू प= मान इच्छना; आदरकी अपेक्षा करना.] मोचन स्त्री० मोचीकी स्त्री; मोचिन मोची पुं० मोची मोज (माँ) स्त्री० मौज; आनन्द (२) मरजी; तरंग; मौज। -मां आवे तेम -%Dइच्छाके अनुसार.] मोजती स्त्री० मखमल या चमड़ेकी सुन्दर, नाजुक जूती; सलीमशाही जूती मोजणी स्त्री० पैमाइश (जमीन) मोजणीवार पुं० (जमीनकी) पैमाइश करनेवाला मोजमजा (मॉ) स्त्री० मौज-मजा मोजशोख (माँ) पुं० भोग-विलास . मोजी(ल) (मॉ) वि. आनंदी; मौजी (२) विलासी (३) मनमें आये सो करनेवाला; तरंगी; मौजी मो न० मौज; पानीकी लहर; तरंग मोj न० मोजा या दस्ताना तैयार मोजून वि० मौजूद; हाजिर; विद्यमान; मोजे (माँ) अ० (अमुक)मुकाम पर,गांव पर; मौजे पर; उदा. 'मोजे रामोल मोजो पुं० देखिये 'मोजु' मोझार १० में; बीचमें; मझार [प.] मोटप स्त्री० बड़प्पन, प्रतिष्ठा वावर मोटपणु न० बड़ाई (२) बड़ी उन मोटम स्त्री० देखिये 'मोटप' मोटाई (मो') स्त्री० देखिये 'मोटप' मोटामा(मो') पुं०ब०व० पद, प्रति ष्ठावाला व्यक्ति; अगुआ; मुखिया मोटाश (मों') स्त्री० देखिये 'मोटाई' मोटुं(मो') वि० बड़ा(२)[ला.] उदार; सखी (३)प्रतिष्ठावाला; आवस्वार (४)मुख्य;महत्त्ववाला; बड़ा; जरूरी; उदा. 'मोटी मोटी बावत' [मोटा लोक= बड़े लोग; बड़े आदमी। मोटा जोटा-बालिग; वयःप्राप्त; सयाना। कपाळ-भाग्यशालीका-बड़भागीका ललाट। -करवू = बड़ा करना; पालना-पोसना (२)मान, महत्ता देना; बड़ा बनाना। -पेट =क्षमाशील या सहनशील स्वभाव(२)पेटकी बात पचानेवाली प्रकृति (३) लालची स्वभाव । -मन= उदारता; दरियादिली।-मों = लालची, पेटू या घूसखोर स्वभाव । मोटे पाटले बेसाडjऊंचे आसन पर बिठाना; ज्यादा मान देना; बसान, करना.] मोटेची (मो') ऊँची बावाजसे;जोरसे मोरं वि० बड़ा; बुजर्ग मोर(मों) पुं० शादी जैसे मंगल भवसर पर स्त्रीके सिर पर पहनाया पामेवाला एक प्रकारका मुकुट मार(२) जिम्मा; भार [ला.]। [-भूकदोदायित्व प्रहण करना; भार उगना.] मोर पुं० मोड़ घुमाव (रास्ते बादिका) (२)अकड़; गर्व; ऐंठ (३)लिद; टेक (४) हावभाव; नखरे (५) लिखनेका डब; शैली; इबारत For Private and Personal Use Only Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . मोई मोरबंधो (मा) वि०मीर-सेहरा पहनने वाला; बहादुर (२) पुं० वर; दूल्हा मोडे(माँ) वि. निश्चित समयके बादका; जिसमें देर हुई हो; देरमें (२)न०समय बीत जाना; देर होना (३)देर; विलंब मोटामोट (माँ) अ० मुंह दर मुंहारूबरू; समक्ष; मुंह पर (२)एक मुंहसे दूसरे मुंह मोडियं (मॉ) न० सबसे ऊपरका हिस्सा; मोहड़ा; मोहरा (२) लालटेनका वह भाग जिसमें बत्ती रहती है; कल्ला; 'बर्नर' (३)चरखेका वह हिस्सा जिसमें तकुआ रहता है; मोढ़िया (४)पशुओंके मुंह पर बाँधी जानेवाली जाली;मोहरा मोढुं (माँ) न०मुंह ; मुख । [मोटा जे% जो ठीक या अच्छा न हो;भद्दा; भोंड़ा। मोठानी मीठाश =दिलमें मिठास नहीं, मगर मुंहमें मिठास; मुंहकी मिठास । मोढानी वात मौखिक कही हुई बात, लिखित नहीं। मोढानीबातो जबानी जमा-खर्च; वह बात जो कही जाय, पर अमलमें न लाई जाय । मोढा, छूट्ट = वाचाल; मुंहजोर (२) दो-टूक जवाब देनेवाला;साफ़जवाब । मोढा पर आव, =जबान पर आना; मुंहमें आना। मोढा पर कहे % बिना शरमाये मुंह पर कहना; सीधी-सीधी सुनाना। मोढा पर बूंकबू = मुंह पर थूकना;तुच्छ समझना। मोढा परथी माल पण न ऊडबी = जिससे कुछ बन न सके ऐसा होना; दुर्बल, बेदम होना । मोढा पर मारवू = मुंहपर सीधी-सीधी सुनाना। मोडा पर शाही बोळावी, रेडावी= मुंहमें कालिख लगना;मुंह काला होना। मोढामां मावे तेम = बिना सोचे-समझे; मुंहफटकी तरह; जो मनमें आये। मोढामां आंगळी घालवी = दांत तले उँगली दबाना; दंग हो जाना (२) बोलनेके लिए विवश करना । मोढामां जीभ घालवी = मुंह बंद कर लेना; चुप होना । मोढामा जीभ न होवी = मुंहमें जबान न होना; चुप होकर बैठ रहना। मोडामां बूंके एवं परवाह न करनेवाला (२) दूसरेसे आगे निकल जानेवाला: बढ़कर; सवाया। मोढामा दांत नयी ? = दम, जोर, ताक़त नहीं है ? मोठामा मग ओरवा= मुंहमें घुनघुनिया भर लेना; जवाब दिये बिना चुप रहना; मुंह पर ताला लगा लेना। मोडामा मार= मुंह पर सीधी-सीधी सुनाना ।मोठामा लीलं तरjघालबुं - मुंहमें तिनका लेना; अति दीनता प्रकट करना । मोढामा साकर = मुंहमें गुड़-धी या धी-शक्कर । -अवळं करी नाखq= मुंह चपड़ा कर देना; हुलिया बिगाड़ देना। -आवडं थई जर्बु = . (अपनासा) मुंह लेकर रह जाना; खिसियाकर रह जाना।-आवq = मुंह आना; मुंहमें छाले पड़ना। -ऊतरी जq= खिसियाकर रह जाना; मुंह उतरना (२) दिलगीर हो जाना। कर = छेद करना; फोड़ेका फूटना, मुंह करना।-काढ=संसारमें आत्मसम्मानपूर्वक रहना;सिर ऊँचा करना। -घडवू = मुंह लटकाना, फुलाना; रूठना। -बलाव = मुंह लगना; हुज्जत करना;ढिठाईसे जवाब देना (२) गालियां देना(३)खाना; मुंह चलाना। -चालवू = बार-बार खाये जाना (२) बोलते रहना; मुंह चलाना। -छोडवं = बड़ोंकी बात न रखना; कहा न For Private and Personal Use Only Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोई मानना (२)आँख बचाना; मिलनेका टालना। -जोईने लपडाक मारवीकिसीसे जैसा चाहिये वैसा बरताव करना। -डांफवं = शरमिंदा होना; परदा करना (२) रोना; सियापा (स्त्रियोंका मृतकके पीछे रोना)। -नीचुं घालवू = मुंह छिपाना; सिर नीचा करना।-पड, पडीज=मुंह उतरना; (अपनासा) मुंह लेकर रह जाना। -पहोळु करवंदंग रह जाना; मुंह बोना, फलाना (२)मुंह . पसारना; आतुरतापूर्वक राह देखना। -पहोळ थई जq = दंग रह जाना (२)मर जाना; टन हो जाना ।-फेरव, = मुंह फेर लेना; नाराजी दिखाना; मुंह लटकाना। -बताव = सामने आना; मुंह दिखाना। -बतावाय एवं = मुंह दिखाने योग्य । -बहार काठवू = दुनियाको मुंह दिखाना; सबके सामने आना।-बंध करवू = चुप कर देना; मुंह बंद करना। -बाळq = मुंह पर फेंक देना या मुंह पर फेंक मारना (२) दूर होना; मुंह काला करना। -भडभडवू, भभडq=खानेकी तीव्र इच्छा होना;जीभ चलना;हौका होना। -भर = मुंहमें कौर डालना; मुंह भरना (२) घूस देना; मुंह भरना। -भराई जq=अघाना; संतुष्ट होना। -मलकाव =मंद-मंद हँसना; मुसकराना। -रही जवं = मुंह थकना। -राखq = मान रखना।-लेवाई जर्बु = (अपनासा) मुंह लेकर रह जाना; सिसियाकर रह जाना; मुंह फक पड़ जाना।-बकासीने रहे = मुंह ताककर रह जाना। -मटाळवं = कुछ खाना; . मुंह जुठारना। -संतारq=पारमिंदा होना; मुंह छिपाना। -सिवाई मुंह पर मुहर लगना; न बोलना। -सीवी लेवू = मुंह सीना; मुंह बंद कर देना (२) छेद या सूराख बंद करना । - हलावq = खाना (२) चबाना (३)बोलना (४) सिर हिलाकर स्वीकृति, अस्वीकृति आदिकी सूचना देना; सिर हिलाना। मोडे कर घोखना; कंठस्थ करना । मोडे कहेवू = रूबरू कहना; मुंह पर कहना। मोठे चडवू = याद हो जाना; जबान पर होना; कंठस्थ होना । मोडे पीने = सामने आकर रूबरू;मुंह पर । मोरे ताळु देवू = ज़बान पर ताला लगाना; मुंह पर मुहर लगाना । मोबई गई, थएँ = ज़बानी याद हो जाना। मोडे बोलq=सिर्फ कहना,कुछ करना नहीं; जबानी जमा-खर्च करना (२) सामने कहना (बिना डरके); मुंह पर कहना। मोढे माथे ओढवू =दिवाला निकालना (२)मुंह ढांपकर रोना (३)निराश होना; हार जाना । मोढे लागq= खानेका चसका लगना; मुंह लगना। अवछं मोढुं करीने बेसवं पीठ फेर लेना; ध्यान न देना; मुंह मोड़ना। शुं मोढुं लईने बोले? कया मोटे बोले? =बोलनेमें लज्जित होना; किस मुंहसे बात कहना? जरा जेटलुं मोढुंबई जवू = अपनासा मुंह लेकर रह जाना; लज्जित होना(२)मुंह इतनासा निकल आना; दुबला हो जाना। बाळ ताएं मोढुं = अपना मुंह काला कर; दूर हो जा.] [उपयुक्त तैली पदार्थ मोयन मोण न० मोयन देना या उसके लिए For Private and Personal Use Only Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मीत (माँ) न० मौत; मृत्यु मोतियो पुं० आंखकी पुतली पर लगनेवाली झिल्ली; मोतियाबिंद । [ मोतिया भरी जया = पस्त हिम्मत हो जाना; हाथ-पांव फूलना . ] मोती न० मोती । [-ना चोक पूरवा = खयाली पुलाव पकाना; बड़े बड़े मनसूबे बांघना. ] मोतीज ( स ) रो पुं० चेचकका एक प्रकार जिसमें बदन पर मोती जैसे दाने निकल आते हैं; मोतीझिरा मोद स्त्री० देखिये 'मोदियुं ' मोबियुं न दूसूती चादर या फ़र्श मोदी पुं० मोदी ( २ ) कोठारी; भंडारी (३) एक अल्ल मोबीलानुं न० मोदीकी दूकान (२) awer कोठार; मोदीखाना (३) लश्करको खुराक और कपड़े सप्लाय करनेवाला महकमा ; 'कमसरियट ' मोबदलो (मॉ) पुं० देखिये 'मोंबदलो' मोम पुं० वह बल्ला जिसपर छप्परके ठाटका बोझ रहता है; बड़ेर मोभादार वि० वज्रनदार; इज्जतदार मोभारियुं न० बंडेर पर ढकनेकी बड़ी नरिया; मोघिया मोभारो पुं० छप्परका बँड़ेरवाला भाग मोभो पुं० रुतबा ; दरजा ; आबरू ; मर्तबा मोम (माँ) न० देखिये 'माहारं ' - मोर (माँ) पुं० बौर; मौर; मंजरी मोर ( माँ, र, ) अ० आगे ; पूर्व; मोहरे पर मोरचोपुं० लश्करी मोहरेकी ब्यूहरचना; मोरचा (२) क़िलेके बुर्जका भाग जहाँ तोप रहती है; गरगज [ मयूरतुल्य मोरचूद न० नीला थोथा; तूतिया; मोरो पुं० देखिये 'मुरब्बी' ३९८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोसा मोरमोर (माँ-माँ) अ० (खाद्य) मुंहमें डालते ही चूर-चूर हो जाय इस तरह; खस्ता मोरली स्त्री० मुरली; वंशी मोरलो पुं० मोर मोरवण न० जामन मोरववुं स० क्रि० जमाना (दही) मोरबुं (मॉ) अ० क्रि० बौर लगना; मौर आना; मोरना; बौना मोरवं (माँ) स०क्रि० काटना; छीलना (सब्जी आदिको ) मोरस स्त्री० दानेदार शक्कर ; बीनी मोरियो पुं० साँवाँ जैसा मान; तिमी; नीवार मोरी स्त्री० मोरी; नाली (गंदे पानीकी) मोठं (माँ' ) न० (शतरंजका ) मुहरामोहरा मोहं स० मेरा मोरे ( माँ ) अ० आगे मोल (माँ) पुं० फ़सल; पैदावार मोडी वि० आगेका; अगला; सामनेका (२) पुं० अगुआ; मुखिया मोषण न० देखिये 'मोण ' मोबाळो पुं० बाल; केश मोबुं स० क्रि० स्नेहयुक्त करना; मोना मोसम (मॉ) स्त्री० मौसिम; ऋतु मोसमी वि० मौसिमी; ऋतुका मोसंबी स्त्री० नारंगीकी क़िस्मका एक फल; मोसंबी मोसाळ (माँ) न० माँका पीहर ननिहाल; ममियौरा [ आदमी मोसाळियुं (माँ) न० मामाकी तरफ़का मोसाळं (माँ) न० वह नेग जो माँबापकी ओरसे लड़कीको सीमंतके अवसर पर या उसके बेटे-बेटीके उपवीत या शादीके अवसर पर दिया जाता है; चीकट; भारत For Private and Personal Use Only Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मोहनठार मोहनठार, मोहनथाळ पुं० एक प्रकारका मिष्टान मोहरम (मॉ) पुं० हिजरी संवत्का पहला महीना; मुहर्रम मोहबुं अ० क्रि० मोहित होना (२) स० क्रि० मोहित करना मोहावं अ० क्रि० मोहित होना मोळ (मॉळ,) स्त्री० शरीरमें वातके प्रकोपसे मुंहसे टपकनेवाली लार (२) मंदी मोळप (मॉ) स्त्री० फीकापन; सीठापन ( २ ) ढिलाई मोळं स० क्रि० छीलना (सब्जी) मोळाई (त) (मॉ) वि० मामाका; ममेरा मोळाश (माँ) स्त्री० फीकापन; सीठापन (२) ढीलापन मोळियं (माँ) न० अँगियाकी आस्तीन पर लगाया जानेवाला (कलावस्तूका ) फ़ीता; ठप्पा; कलाबत्तू (२) कलाबतूनी साफ़ा मोळियं (माँ) न० बिना नमककी रोटी (२) शोकमें पहननेकी साड़ी मोळं (माँ) वि० स्वादरहित; फीका; सीठा (२) ढीला ; सुस्त [ला. ] मोळं मच (मॉ) • वि० बिलकुल फीका मों (मो' ) न० मुंह; मुख (२) [ला. ] आबरू ; प्रतिष्ठा; हया । [ -नुं पान = अति प्यारा; आँखका तारा (२) जिससे शान बढ़े। -ने चोक नयी = मुंहमें लगाम नहीं है; जो मनमें आये, बक देना । -पडी जबुं = लज्जित होना; खिसियाकर रह जाना (२) ३९९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म्युनिसिपालिटी दिलगीर, दुःखी होना । -मां मांगळा घालवां = दाँतों तले उंगलियाँ दबाना; दंग रह जाना । —मां मूंक = घूर्तता आदिमें आगे बढ़ जाना। मां के एवं = बढ़ा हुआ; सवाया; आगे बढ़ जानेवाला । - मूकीने = मान-प्रतिष्ठा या हया त्याग करके; बेशर्म होकर (२) मुक्तकंठसे मुंह ढाँपकर। -संताड = मुँह छिपाना; लज्जित होना। गळधुं मों कर, कराव = मुंह मीठा करना; मिठाई खाना, खिलाना.] मोकळा (मो') स्त्री० चेहरेका आकार, रूप मोंघवारी, मोंघाई, मोंघारत, मोंषुं देखिये 'मोघवारी, मोघाई, मोघारत, मोघुं' मोबदलो (माँ) पुं० वह चीज़ जो कुछ काम करने या कुछ देनेके बदलेमें मिले; बदला; मुआवजा (२) जमीन बेचनेवालेका सरकारी दफ़्तरमें खरीदारका नाम दर्ज करा देनेका काम मोंमाग्यं (माँ) वि० मुंहमांगा; खूब मोमायुं (माँ) न० मुंह या सिर; किसी चीज़का अता-पता या जानकारी [ला. ] मोंमार (माँ) वि० मुंहज़ोर और प्रभावशाली मोंसूझणुं (माँ) न० प्रभात ; भोर म्याउं न० बिल्लीकी बोली; म्याँव म्यान न० म्यान म्यानो पुं० एक तरहकी पालकी; मियाना म्युनिसिपालिटी स्त्री० नगरपालिका; नगरसभा ; म्युनिसिपैलिटी For Private and Personal Use Only Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org य पुं० पहला अंतःस्थ वर्ण ( २ ) पदके अंतमें आनेसे 'भी' का अर्थ सूचित करता है; उदा० 'तमेय' ( ३ ) प्रश्नare सर्वनामके साथ अनिश्चितार्थक अधिकताका भाव सूचित करता है; उदा० ' केटलंय' यजमान पुं० यज्ञ करनेवाला; यजमान (२) दक्षिणादि देकर पुरोहित या ब्राह्मणोंसे धार्मिक कृत्य करानेवाला; यजमान (३) आश्रयदाता; दाता यजमानवृत्ति स्त्री० यजमानके दानदक्षिणासे जीविका चलाना यंत्र न० यंत्र ; कल (२) देखिये 'जंतर ' ; जंतर; यंत्र यंत्रोद्योग पुं० यंत्रोद्योग starगवाद पुं० यंत्रोद्योगके बढ़नेसे देशकी आबादी है ऐसा वाद; 'इन्डस्ट्रियलिजम' या अ० है; ऐ ( २ ) अथवा ; वा; या याकूती स्त्री० भाँगकी चाशनीकी माजून याच स० क्रि० याचना; माँगना यात्राळु पुं० तीर्थाटन करनेवाला; यात्री यात्री वि० तीर्थाटन करनेवाला (२) पुं० यात्री [ सूची; नोंघ; याददाश्त - याद स्त्री० याद; स्मरण; स्मृति ( २ ) यादगार वि० जो किसीकी याद दिलाये (स्मारक) (२) याद रह जाय ऐसा; स्मरणीय " यादगीरी स्त्री० स्मरणशक्ति; याददाश्त (२) स्मारक; स्मृतिचिह्न ; यादगार याददास्त (स्ती) स्त्री० याददाश्त ४०० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यावी स्त्री० सूची; ब्योरेवार नोंष; फेहरिस्त ( २ ) नोंव, ब्योरा लिखनकी किताब ( ३ ) याद ; स्मरण याने अ० अथवा ; वा; या युनिट = यार पुं० यार दोस्त ( २ ) जार; यार यारी स्त्री० यारी; दोस्ती; मैत्री (२) स्त्री-पुरुषका अनुचित प्रेम या संबंध; याराना (३) पाल फैलानेका रस्सा (४) मदद । [ - आपवी, देवी (नसीबे ) ( नसीब ) खुल जाना या चमकना; प्रयत्न सफल होना . ] [ अयाल याल स्त्री० सिंहकी गरदन परके बाल; याहोम अ० कुरबानी - आत्मत्यागका नारा । [ - कर, करीने झुकाव = मरनेकी तैयारी करके जूझना. ] याळ स्त्री० देखिये ' याल ' युक्ति स्त्री० तदबीर; चाल; हिकमत; उपाय (२) तर्क; युक्ति युक्तिप्रयुक्ति स्त्री० भले-बुरे उपाय करना; विविध चालें चलना ; युक्तिप्रयुक्ति करना युक्तिबाज, युक्तिमान वि० चतुर; होशियार ( २ ) शोधक; खोजी; करामाती युनान पुं० ग्रीस देश; यूनान युनानी वि० यूनानका; यूनान -संबंधी; यूनानी (२) यूनानी (चिकित्सा शास्त्र; हकीमी) For Private and Personal Use Only • युनिट पुं० इकाई ( मान या माप) (२) एक प्रकारकी चीज़ोंकी एक राशि जो मानदंडक काम दे Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org योजना योजना स्त्री० योजना; आयोजन; व्यवस्था (२) किसी कार्यके बारेमें उसकी रीति, वस्तु, उद्देश्य आदिका पहलेसे किया हुआ विचार; योजना र पुं० दूसरा अंतःस्थ वर्ण रकझक स्त्री० झकझक; खींचतान रकम स्त्री० वस्तु; चीज (२) गहना ; ज़ेवर (३) बहुत रुपये-पैसे; घन; रक़म (४) संख्या ; रकम [ग. ] ( ५ ) गणितका प्रश्न, सवाल । [ - उपाडवी = पैसे उधार लेना; लौटाने की शर्त पर पैसे लाना (२) कोई चीज या जेवर चुराना. ] रकमबंध वि० थोक; फुटकर या खुदराका उलटा (२) अ० एक क़लम ; पुरे तौरसे; समूचे (३) हिसाबसे; एकके बाद एक; क्रमसे रका (के) बी स्त्री० रकाबी; रकेबी रक्षबुं स० क्रि० रक्षा करना रखडपट्टी स्त्री० आवारागर्दी; मटरगश्त (२) धक्का; चक्कर रखड अ०क्रि० भटकना ; व्यर्थ चक्कर काटना (२) [ला. ] -का ठिकाना न लगना; किसी काममें न लगना (३) काम पूरा न होना; बीचमेंसे विनष्ट होना; लटक जाना [ हरहा (पशु) रखडा वि० भटकता; आवारा (२) रखडामण न०, (-णी) स्त्री० बेकार घूमना या व्यर्थ चक्कर लगाना; [ आवारा रखड (-डेल) वि० देखिये 'रखडाउ' ; रखती स्त्री० मान; लिहाज़; मुरौवत भटकना गु. हि- २६ ૪૦૨ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योजं स०क्रि० संबद्ध करना; जोड़ना (२) योजना करना; रचना; तरतीबसे रखना ( ३ ) नियुक्त करना; लगाना; प्रवृत्त करना रखरख न० तड़प; छटपटी; बेचनी रखरखवं अ० क्रि० तड़पना; छटपटाना (२) जलना; खूब तपना रखवाळ पुं० चौकीदार; रखवाल रखवाळी स्त्री०, (चुं) न० रखवाली; चौकी (२) रखवालीकी मजदूरी; रखवाना खाई रखवाई [हुई स्त्री; रखेली रखात स्त्री० बिना विवाह किये रखी रावबुं स०क्रि० 'राखबु' का प्रेरणार्थक; [ रखा जाना रखा अ० क्रि० 'राखवु' का कर्मणि; रखे (०) अं० शायद ; कदाचित् ; कभी रखेवाळ (ळी, छं) देखिये 'रसवाळ' आदि रखेळवूं स०क्रि० रखियाना; अनाजको सड़ने से बचानेके लिए उसमें राख मिलाना रखो ( ० पियो) पुं० गाँव या खेतकी चौकी करनेवाला; रखवाला; चौकीदार रखोपुं न० देखिये 'रखवाळं ' रख्या स्त्री० राख; भस्म रग स्त्री० रग; नस (२) [ला. ] मनका झुकाव ; मनोवृत्ति ( ३ ) हठ; खब्त; घुन । |- ओळखबी, जाणवी, तपासबी, पारलबी = मनोवृत्ति जानना; रग पहचानना । - तो भोगियो = रग-रगसे बाक़िफ़ ] For Private and Personal Use Only Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रगर स्त्री० रगड़; मर्दन मालिश (२) कड़ा परिश्रम; रगड़ [कठिनाईसे रगडदगड अ० ज्यों-त्यों करके जैसे-तैसे; रगडपट्टी स्त्री० रगड़ा; अति परिश्रम रगड स० क्रि० रगड़ना; घिसना; घोंटना (२)मालिश करना; मलना; हाथसे रगड़ना (३)अत्यधिक परिश्रम कराना; हैरान करना; रगड़ना रगडो पुं० गाढ़ा द्रव पदार्थ (२)तलछट; किट्ट (३)झगड़ा; रगड़ा रगत न० लह; रक्त रगतपीतियुं वि० कोढ़ी; कुष्ठरोगी रगतरोयडो पुं० रोहेड़ा; रक्तरोहितक रगबोळवं स० क्रि० धूलमें रगड़ना; गंदा करना (गिड़गिड़ाना रगरग, अ० क्रि० आजिजी करना; रगरगाव, सक्रि० 'रगरगवं' का प्रेरणार्थक(२)भरोसा देकर दुःखी करना (३)आशा बंधाकर लटकाये रखना रंगशियं वि० धीमा;मंद; सुस्त। -गाडं = मंथर गतिसे और मुश्किलसे चलनेवाला कामः] रगि, रंगोल वि० रगीला; हठी (२) । "अमुक प्रकारकी मनोवृतिवाला. रघवाट पुं० जल्दबाजीसे उत्पन्न घबरा हट; हड़बड़ी(२)बावलापन रघवाटियु, रघवायुं वि० हड़बड़ी मचा नेवाला; हड़बड़िया; अधीर रघवावं अ० क्रि० हड़बड़ाना; घबराना रच, सक्रि० रचना; बनाना, निर्माण करना रच, अ० क्रि० (द्रवका) जमीनमें उतरना पचना (२)आसक्त या अनुरक्त होना; रचना .. . [लगा हुआ रचलुपचेलं, रच्युपच्यु वि० रत; लीन; रज स्त्री० परी; अणु; कण जो सूर्यप्रकाशमें उड़ता दिखाई देता है (२) गर्द; रज; कचरा (३)न० स्त्रियोंका मासिक रक्तस्राव; रज (४) वि० थोड़ा; जरासा। [-नुं गज करवू % तिलका ताड़ करना। माथे रज भभ रावे एq= क़दम आगे रहनेवाला.] रजकण स्त्री०; पुं० रजकण; धूलिकण रजको पुं० मेथीकी जातिकी घास रजत वि० रजत; चाँदीका बना हुआ (२) रजत; शुभ्र ; रूपेके रंगका (३) न० रूपा; रजत रजतमहोत्सव पुं० पचीस साल पूरे होने पर मनाया जानेवाला उत्सव; रजतजयंती; 'सिल्वर-ज्युबिली' रजपूत वि० (२) पुं० राजपूत ... रजपूताई स्त्री० रजपूती; राजपूतपन रजपूताणीस्त्री०राजपूत स्त्री;राजपूतानी रजपूताना पुं० राजपूताना रजपूती स्त्री० राजपूतपन; रजपूती रजवाडी वि० देशी रियासतका; रियासती रजवाई न० देशी रियासत; रजवाड़ा रजवाडो पुं० देशी रियासत; रजवाड़ा (२)जहाँ राजपूत रहते हों वह प्रान्त; राजस्थान (३) राजगृह; राजाका महल [देखिये ‘रज' रजस पुं० देखिये 'रजोगुण' (२) रजा स्त्री० रजा; परवानगी; अनुमति (२) छुट्टी; रजा (३) रुखसत; मौकूफ़ी; रजा (नौकरी,काम आदिसे)। [-परवी = छुट्टी होना.] [रजाई रजाई स्त्री० थोड़ी रूई भरा लिहाफ़; रजाकजा स्त्री० बीमारी (२)अनचीती आफ़त (३)मौत; कला For Private and Personal Use Only Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org रजाचिठ्ठी रजाचिट्ठी स्त्री० वह चिट्ठी या अर्जी जिसमें रजा दी या माँगी गई हो रजी स्त्री० रेत;बालू [ किया हुआ रजू वि० नज़रके सामने रखा हुआ; पेश रजूआत स्त्री० पेश करने या होनेका काम; पेशी [ दूसरा; रजोगुण रजोगुण पुं० प्रकृतिके तीन गुणोंमें से रजोगुणी वि० रजोगुणवाला या उससे संबंधित (२) क्रोधी; तामस रजोटी स्त्री० बारीक गर्द-रज रझळवं अ० क्रि० निकम्मा या बेकार घूमना-फिरना; भटकना । [ (काम) रमळी जयं = (काम) खटाई में पड़ना या कुछ तै न होना. ] रटबुं स० क्रि० रटना रडती सूरत वि० रोनी सूरतवाला; मुहर्रमी; रोतड़ी सूरत रडबुं अ० क्रि० रोना; रुदन करना (२) स० क्रि० को लक्ष्य करके दुःखी होना; रोना; रंज, शोक, ग़म करना ( ३ ) दुःख बयान करना; रोना । [ रडी ऊठबुं = नींदमेंसे सुगबुगाकर - हड़बड़ाकर रोना (२) घाटेमें आ जाना; हानि पहुँचना (३) हार जाना; थक जाना. ] रवं अ० क्रि० लुढ़कना रडाकूट स्त्री०, (टो) पुं० रोना पीटना, रोनी-धोनी (२) क़जिया; टंटा (३) व्यर्थ श्रम [ला. ] रडारोळ स्त्री० रोना-पीटना ; कुहराम रडपुंखडचुं वि० भूला भटका ( २ ) शायद कोई इक्का-दुक्का (३) बिखरा हुआ; तितर-बितर [ आग्रह रड स्त्री० लौ; लगन; धुन (२) हठ; रडियाळं वि० सुंदर; सलीना; मोहक - ४०३. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रण न० बालूका मैदान; रेगिस्तान (२) लड़ाईका मैदान; रण ( ३ ) युद्ध; रण (४) ऋण; क़र्ज़ emej अ० क्रि० रनकना रणकार (-रो), रणको पुं० धातुकी चीज़ टकराने से उत्पन्न ध्वनि; झनकार; झंकार (२) उस आवाज के खत्म होनेके बाद हवामें गूंजता हुआ स्वर ; गूंज रणगाडी स्त्री • तोप आदिसे लैस यांत्रिक गाड़ी जो लड़ाई में काम आती है; टंक; 'टैंक' रणगीत न० लड़ाईका गीत रणझणवं अ० क्रि० झनझनाना; रनकना; [ भागनेवाला; रणधीर रणवीर ( - ) वि० लड़ाईके मैदान से न रणबंको पुं० रनबंका; वीर रणवाट स्त्री० रणक्षेत्रका रास्ता ( २ ) लुटेरेका काम; डाकाज़नी; डकैती रणवास पुं० रनिवास; रनवास; हरम; अंत:पुर [ रणभेरी रणशिंग, रणशिंगुं न० रणसिंघा; रणशूर ( - हं) वि० रनबंका; शूरवीर खनकना हाक स्त्री० युद्धका नारा; युद्धघोष रणियं रणी वि० ऋणी; क़र्ज़दार रतन न० देखिये 'रत्न' ( २ ) आँखकी पुतली; तारा रतनजोत स्त्री औषधके काममें आनेवाला एक पौधा; रतनजोत रतल पुं० क़रीब साढ़े अड़तीस तोलेका . एक अंग्रेजी वजन; पाउंड रतली वि० पाउंड वज्रनका (२) संख्याके साथ प्रयुक्त होता है; उदा० 'त्रण रतली '; अमुक पाउंड वजनका रतवा पुं० चमड़ीका एक रोग; वातरक्त; रक्तवात For Private and Personal Use Only Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रताश रता स्त्री० ललाई; लाली; सुर्जी रताळुन एक कंद रतालू [रतौंधिया रतांधळं वि०रातके समय नहीं देखनेवाला; रती स्त्री० गुंजे जितना कद या वजन; रत्ती २)एक वजन जो तोलेका ३२ वा हिस्सा होता है रतीपूर, रतीभर दि० रत्तीके जितना; रत्तीभर (२)जरासा; रत्तीभर रतुंबई, रतूमडं वि० रतनारा; ललछू; किंचित् लाल; राता रत्न न० रत्न (२)अपने वर्ग, जातिमें उत्कृष्ट वस्तु या व्यक्ति; रत्न;अग्र (३) समुद्रमंथनसे निकले हुए चौदह रत्न । रक वि० रद्द निकम्मा;काटा-छाँटा हुआ रखबातल वि. निकम्मा; रद्द रदियो पुं० कही हुई बातको रद्दनिकम्मी साबित करनेवाला प्रत्युत्तर; खंडन; रद्द करना रही वि० रद्दी; निकम्मा; बेकार रपाटी स्त्री०,(-टो) पुं० चक्कर; फेरा (२) तेज़ दौड़; रपट (३) थका डालना; रगड़ना रपेटQ स० क्रि० खूब तेज दौड़ाना; खदेड़ना (२) बहुत श्रम कराकर थका डालना; रगड़ना रपेटी स्त्री०, (-रो) पुं० देखिये ‘रपाटी'। [-मां लेबु काममें बहुत जोतना; थका डालना; रगड़ना.] रफते रफते अ० रफ्ता-रफ्ता; धीरे-धीरे रफ वि० रफूचक्कर; गायब रफुचक्कर वि० गायब; रफूचक्कर रफेरफे ब० अस्तव्यस्त; तितर-बितर रबडी स्त्री० रबड़ी; बसौंधी रबर न० रबड़, रबर रपारी पुं० ग्वाला; अहीर रबर(-२) न० रबर; रबड़ रमकई न० खिलौना रमसाण न० हुल्लड़; दंगा; मारपीट रमवी(-जी) स्त्री० हिरमजी रमझट स्त्री० सपाटा; तेजी; झड़ी रमण पुं० रमण; कान्त; पति (२)न० खेलना; विलास; रमण; क्रीड़ा। [रमणे पर = खेलके पीछे पागल होना (२) (पागल बने इतनी हद तक) जोशमें आना.] रमणबुझारु न० मिट्टीका मोटा ढक्कन (२) उसके जैसी बेढंगी, भद्दी कोई चीज [ला.] [वितर रमणभमण अ० अस्तव्यस्त; तितररमत स्त्री० खेल; क्रीड़ा; मनोरंजन (२) खेलनेकी रीति, ढंग। [-करवी =कामकी तरह काम न करके सिर्फ उसके साथ खेलना। -रमबी = खेलना; क्रीडा करना (२) दावं डालना; खेल खेलना; चाल चलना (३) युक्तिपूर्वक छलना; दगाबाजी करना.] [क्रीड़ा; मनबहलाव रमतगमत स्त्री० तरह-तरहके खेल; रमत वात स्त्री. बिलकुल आसान चीज़ या काम; बायें हाथका खेल रमताराम पुं० एक जगह स्थिररूपसे न रहनेवाला;रमताराम;उठल्लूका चूल्हा रमतियाळ वि० खेलकूदमें मग्न रहनेवाला; खेलवाड़ी; खिलंदरा रमतं वि० खेलता हुआ (२) बंधनरहित; छुट्टा; मुक्त (३) कुशादा; विस्तारवाला; खुला (४) जो चुस्त न हो; ढीला। [-रहेवं = छुट्टा या डीला रहना। -राल %झांगला रखना; तंग न रखना.] For Private and Personal Use Only Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०५ रमरमाव स० कि. जोरसे मारना रमवं म० क्रि० खेलना (२) मानंद मनाना; चैन करना(३)सदा मनमें या स्मृतिपट पर रहना; मनमें घूमनाफिरना; रमना; उदा० 'वात रम्या करवी' (४) काम-क्रीड़ा करना; रमना (५) करतब या खेल-तमाशा करना; खेलना (नट, भाड़ आदि) (६) कोई खास खेल खेलना (ताश, शतरंज आदि) (७) लाड़ करना। [गव रमवो =युक्ति करना; दावें खेलना या पैतरा रचना । राम रमी जवा = मौतके मुंहमें जाना; शामत आना; संकट आ पड़ना। रमी रहेवं, रम्या कर हमेशा व्याप्त होना; न भूलना; रमना.] रमा सक्रि० 'रमका प्रेरणार्थक; । खेलाना (२) नचाना; ठगना [ला.] रमूज स्त्री० मनोरंजन; मजा; हँसीविनोद; कौतुक (२) हंसी; मजाक रमजी वि० विनोदप्रिय; मजाक-पसंद; हसोड़, मजेदार (२) आनंदी रबई स्त्री० रई; छोटी मयानी रवरवं अ० क्रि०भटकना । [रवडी जर्बु, रवी पडq=बेकार घूमते रह जाना; कामयाब न होना; कुछ ठिकाना न होना; छूटना (नौकरी आदि).] रवरव अ० छरछरछरछराहटके साथ (पीड़ा होना) रवरव अ०क्रि० छरछराना (पीड़ा) रवरवाट पुं० धावमें नमक या खार लगनेसे होनेवाली पीड़ा; छरछराहट रवानगी स्त्री. रवाना होना; बिदा; रवानगी (२) उस वक्त दी हुई भेंट; बिदाई (३) दूसरे गांव रवाना करना, भेजना रवाल स्त्री० घोड़े या बैलकी एक प्रकारकी चाल; दुलकी; रहवाल रवी पुं० वसंत ऋतु या उस ऋतुकी फसल; रबी; चैती । रवीपाक पुं० रबी; चैती (फ़सल) रवेश पुं० वालाखानेका बरामदा बारजा (२)रिवाज प्रथा;रविश [ओसारा रवेशी स्त्री० मकानका बरामदा; रवंयुं न० बहुत छोटा बैंगन (२)ऊपरसे थोड़ा चीरकर, अंबर मसाला भरकर पकाया हुआ शाक .. [रई रवैयो पुं० दही मथनेका डंडा; मथानी; रवैयो पुं० रवया; चलन; प्रथा रवो पुं० रवा; सूजी (२) चांदी आदिका दाना; रवा(३)गुड़की भेली;पारी ठोंका रशियन वि० रूसी (२)पुं० रूसनिवासी (३)स्त्री० रूसी भाषा रशिया पुं० रूस (देश) रसपुं० रस; स्वाद (२)खाये हुए अन्नका प्रथम परिणाम;शरीरकी सात धातुओंमें से पहली धातु; रस (३) काव्यका रस, आनंद (४)आनंद;प्रेम; रस (५) जिद; होड़; ममत्त्व (चढ़ना) (६)तरल पदार्थ;रस (७) फलों या वनस्पतियोंका जलीय अंश ; रस (८)सार;सत्त्व (९) गुण ; फायदा; नफ़ा; रस (१०)सोना, चाँदी आदि धातुको गलाकर बनाया हुआ रस (११)पारा; रस (१२)धातुओंको फूंककर तैयार किया हुआ भस्म; रस। [-आवयोमजा, रस आना। -उतारवो% (हायसे) पीटकर गुस्सा ठंडा करना;पीटनेको इच्छा पूरी करना (२)व्यर्थ चक्कर काटकर लौट आना (३) बहुत देर तक खड़ा रहना (४) जवानदराजी करना; जवान For Private and Personal Use Only Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चलाना - (५) बददुआ देना । -उतरवो = अतिशयोक्ति करना (२) ( पांव) सूज जाना ( ३ ) अंडवृद्धि होना ; पानी उतरना (४) अधिक चलनेसे या खड़ा रहनेसे थक जाना; पाँव तोड़ना । - जामवो = रसोत्पादक होना; जमना (काव्य; गाना) (२) मज़ा आना.] रसकस पुं० सार; सत्त्व; कंस रसगुल्लं न०, (लो) पुं० रसगुल्ला रसक्स वि० रसपूर्ण; सरस रसभर अ० मजेसे; चावसे; शौकसे रसाकशी (-सी) स्त्री० भारी कशमकश; खींच-तान; नोक-झोंक रसातल ( -ळ ) न० रसातल । [-घालबुं = रसातल पहुँचाना; पूरा बरबाद कर देना। -जवं, बळी जवं = मटियामेट होना ( २ ) निवंश होना । पृथ्वी रसातल नवी = दुनिया इधरसे उधर होना.] रसावार वि० रसादार; शोरबेवाला रसायन न० धातु, पारा आदिकी भस्मवाली औषधि (२) जराव्याधि..नाशक औषधि; रसायन (३) रसायनविद्या; रसायन विज्ञान रसायनविद्या स्त्री० धातु, पारा आदि मारनेकी या तांबा आदि हलकी धातुओंमें से सोना बनानेकी विद्या; रसायन ( २ ) रसायनशास्त्र रसामणशास्त्र न० रसायनशास्त्र; 'केमिस्ट्री (२) रसायन - विद्या; रसायन रसाबणी वि० रसायन-संबंधी ; रासायनिक (२) पुं० रसायनशास्त्री; रासायनिक रसायन ( ० विद्या, ०शास्त्र, जी) देखिये 'रसायण' आदि रताको पुं० घुड़सवारोंका दल; रिसाला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रखो ( २ ) अफ़सर या रईसका परिवार परिजन आदि [(२) उपजाळ. रसाळ (मुं. वि० रसपूर्ण; रसीला; रसाल रसियुं वि० रसिया; रसिक ( २ ) रस या आनंदका अनुभव करनेवाला; रस लेनेवाला (३) अड़दार; हठी; जिद्दी रसी स्त्री० पीब; मवाद; उसके जैसा जलीय पदार्थ; पानी (२) रोगके जंतुओंसे बनाई हुई दवा; लाग; टीका रसी स्त्री० रस्सी; डोरी रसीद स्त्री० रसीद; पावती रसीलं वि० रसीला; रसिया ( २ ) छबीला; सुंदर; सजीला (३) रससे भरा हुआ; रसपूर्ण रसो पुं० शोरबा ; रसा; झोल रसोter स्त्री० खाना पकानेवाली; मिसरानी रसोइयो पुं० रसोइया; बबरची रसोई स्त्री० खाना पकाने की क्रिया (२) पकाया हुआ खाद्य पदार्थ; रसोई; खाना रसोईपाणी न० भोजन या उससे संबंधित कामकाज [ रसोई; बावरचीखाना रसोयुं न० रसोईघर; रसोईखाना; रसोळी स्त्री० शरीर पर उभरी हुई गिलटी; रसौली रस्तो पुं० रास्ता; मार्ग; राह ( २ ) उपाय; रास्ता । [ रस्तामां पडबुं = रास्ते में पड़ा हुआ होना; झट मिल जाय ऐसी स्थितिमें होना; निकम्मा या अरक्षित | रस्ते चडवुं = रास्ते पर आना; उचित मार्ग पर आना (२) रास्ते जाना; राह लगना । रस्ते पडं - राह पकड़ना; चला जाना ( २ ) नौकरी या किसी काममें लग जाना; ठिकाने लगना (३) काम चल निकलना । For Private and Personal Use Only Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०७ कारबो = उपाय निकालना; हल खोजना । -पकडमोचला जाना; रास्ता पकड़ना (२)मार्ग ग्रहण करना.] रस्सो पुं० मोटी रस्सी; रस्सा रहीश वि० रहनेवाला; निवासी; बासी रहेठाण (रहें) न० रहने का स्थान; निवासस्थान; मुकाम; रहाइश रहेगी (हें) स्त्री० रहनेका ढंग; रहन-सहन; बर्ताव रहेणीकरणी (रहें) स्त्री० रहन-सहन; आचरण [मेहरबानी रहेम (०त) (रहें)स्त्री० रहम; कृपा; रहेमदिल (रहें) वि. रहमदिल . रहेमनजर (र.) स्त्री० कृपादृष्टि; मेहरबानीकी निगाह रहेवा, (३) अ० क्रि० रहा जाना (२) चैन पड़ना; कल मिलना; उदा. 'दुखे रहेवातुं नथी' रहेवास (रहें) पुं० रहना; बसना; बास करना (२)निवास; रहनेका स्थान रहेवासी (हें) वि० रहनेवाला; निवासी रहे(र.) अ०क्रि० रहना; बसना (२) राह देखना; रुकना; ठहरना; रहना (३) समाना; भीतर आना; अँटना (४) थम जाना; रुकना; रहना (५) बचना; छूटना; बाकी रहना (६) जीवित रहना; जिंदा रहना; रहना (७)शान्त-चुप होना; स्वस्थ होना (८)नौकरी पर लगना; रहना (९) पेट रहना (१०) रहना (दूसरे शब्दोंके साथ आने पर); उदा. 'ढीला रहे,' (११) दूसरी क्रियाके भूतकृदंतके साथ 'वह क्रिया पूर्ण करना' इस अर्थमें; उदा. 'ते बोली रह्यो' (१२) भूतकृदंतके साथ 'वह क्रिया जारी है। इस अर्थमें; उदा. 'हुं विचारी रह्योछु के हवे मारे शुं करवू' (१३) वर्तमान कृदंतके साथ 'वह क्रिया होती रहती है' इस अर्थमें; उदा. 'ते घेर कागळ लखतो रहे छे'। [रही जq= (अंगका) संज्ञाहीन हो जाना; काठ होना; गठिया रोगसे जकड़ जामा (२) मर जाना (३)बच जाना (४) रुकना; ठहर जाना;न जाना (५) मुक़ाम पर डटा रहना (६) बाकी रहना; बचना; छूटना (७) (ग्राम्य) पेट रहना। रही रहीने = रुक-रुककर; रह-रहकर । रहेवा देवं रोक देना; बंद कर देना (२) त्याग करना; छोड़ना (३) मुक़ाम करने देना.] रहेंट (र:०) पुं० रहँट; रहट रहेंस (रहें०) स० क्रि० फाड़ डालना; क़त्ल करना रहघुसह वि० रहा-सहा; बचा-खुचा रळतर न० कमाई; उपार्जन . रळस० कि० कमाना; पैसा पैदा करना रळाउ वि० कमाऊ रळियामणुं वि० रमणीय ; सुंदर रंग पुं० लाल, पीला आदि रंग या उसकी बुकनी या द्रव; रंग (२)[ला. असर; प्रभाव; रंग (३)आनंद; मनकी तरंग; मौज; रंग (४) नशा; मस्ती; मद; कैफ़ (५) प्रीति; स्नेह; रंग (६) प्रतिष्ठा; शान (७) रंगभूमि; रंगमंच (८)रणभूमि;युद्धक्षेत्र। [-आवयो आनंद माना; रंग जमना।-ऊषडयो = भलीभांति रंग लगना; रंग चढ़ना; रंग खुलना। -ऊती अबो = रंग उड़ना। ऊतरवोरंगका हलका For Private and Personal Use Only Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०८ पड़ना; रंग उतरना, उड़ जाना (२) रंग सकि० रंग चढ़ाना (मेष, दीवार धोते समय रंगउतरनेसे दूसरे कपड़ेको आदि पर); रंगमें डुबोना (कपा); रंग लगना। -करपोरंग देना; रंगना। [रंगी नाखg = मारपीटकर रंगना (२) विजयी होना (३) यश लहू-लुहान करना.] या ख्याति प्राप्त करना। -मांसबो रंगशाला(-ळा) स्त्री० रंगशाला; = रंग खेलना, डालना, फेंकना। नाटयशाला (२) रंगनेका कारखाना -फरवो, बदलावो रंग फीका पड़ रंगाई स्त्री० रंगनेकी मजदूरी; रंगाई जाना; रंग उतरना। -मचाववो रंग (२) रंगनेकी कला या चतुराई; रंगाई मचाना;रंग रचाना। मारवो, लगार- रंगाट पुं० रंगनेका काम और कला; (-) वोरंगना।-मां आवq=रंगमें रंगाई रंगना; रंगमें आना। -रामवोशान रंगाटी स्त्री. रंगनेका काम या कला रखना; कमाल करना। -लागवो%D (२) रंगरेज (३) रंगनेका कारखाना रंगी हुई चीजके स्पर्शसे रंग लगना रंगामण न०, (-जी) स्त्री. रंगनेकी (२)-के असरमें आना; -के रंगमें ___ मजदूरी; रंगाई दलना (३)-का चसका लगना.] रंगारो पुं० रंगरेज; रंगसाज रंगत वि० रेंगा हुआ; रंगीन (२) रंगी वि० रंगी; रंगीन; रंगका शौकीन · सुशोभित (३)स्त्री० रोनक खबसूरती; (२) रंगयुक्त; रंगवाला; उदा. उदा. 'आ कपडानी रंगत सारी नयी' 'विविधरंगी' (३)स्त्री० एक प्रकारको (४) आनंद; मजा; रंगत लाल मिट्टी; हिरमजी रंगद्वेष पु० जातिद्वेष; अन्य रंगके रंगीन वि० रंगा हुआ; रंगीन लोगोंके प्रति भेदभाव रंगीलं वि० रंगीला; आनंदी; रसिक रंगपंचमी स्त्री. वसंतपंचमी (२) सुंदर; खूबसूरत; रंगीला रंगपाणी न० मादक पेय; नशा; अमल रंगोळी स्त्री. जमीन पर रंग देकर रंगबेरंगी वि. रंगबिरंग बनाये हुए बेल-बूटे; चौकमें आटे रंगभेव पुं० अलग रंगके लोगोंके प्रति आदिकी लकीरोंसे बनाया हुआ. चित्र भेदभाव; जातिभेद रंच वि० रंच; थोड़ा रंगभेर अ० हर्षके साय; आनंदसे रंजाड पुं०;स्त्री०बिगाड़; नुकसान (२) रंगरसियुं वि० रंगरसिया; विलासी ऊधम; तूफ़ान; शरारत (३) हैरानी; रंगरूट पुं० रंगस्ट; नया सिपाही दुःख ; क्लेश; संताप रंगरूप न० आकार; सूरत-शक्ल; रंग रंजार स० क्रि० संताना; दुःख देना रूप; देखाव रंगपो पुं० रंडापा; वैधव्य रंगरेज पुं० कपड़ा रंगनेवाला; रंगरेज रंगवं अ० क्रि० 'रांडवु'का कर्मणि रंगरोगान न० रंग और रोगन (माविकी रंडी स्त्री. नाचने-गानेका व्यवसाय रोनक) [में); मसखरा;मांड करनेवाली स्त्री; रंडी (२) वेश्या; रंगलो पुं० विदूषक (नाटक या भवाई' रंग (३) ताशका एक पत्ता; बेगम For Private and Personal Use Only Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०९ - रंदो पुं० रंदा मिसरानी रंपवारी स्त्री० खाना पकानेवाली; रंपवारो पुं०;स्त्री० रसोइया; बावरची रंपा, अ० क्रि० 'रांघर्बु'का कर्मणि (२) कार्य सिद्ध होना; लाभ होनाला.] रंधो पुं० रंदा राई स्त्री० राई । [-चरबी, लागनी = राईके जैसा असर होना (२) गुस्सा होना; उत्तेजित होना । -होवी(मगज के माथामां) मिजाज होना; गुमान होना.] राईतुं न० रायता। [-कर = [ला.] कुचल डालना (२) अपने पास खाली पड़ा रहने देना.] [गलना;वारना राईमीठं न० राई-नोन उतारकर आगमें रामसी वि० राक्षसका (२) अति विशाल; भीमकाय; भयामक; क्रूर (३) स्त्री० राक्षसी; दानवी (४) कुत्तेके जैसा लंबा नुकीला दांत राख स्त्री० राख; भस्म । [-चोळवी = भभूत रमाना(२)दिवालिया बनना (३) भीख मांगना (४)पायमाल होना.] राखडी स्त्री० राखी; रखाड़ी; रखड़ी राखयुं सक्रि० रक्षा करना; बचाना; रखना (चीज); निर्वाह, पालन करना (बात; वचन); मान रखना; नष्ट न होने देना (इज्जत) (२) जोड़जोड़कर रखना; एकत्र करना; संचय करना (धन आदि) (३) (आशा; उम्मीद; चिंता) करना; रखना(४) धारण करना; दिखलाना (दया; मेहरवानी; भाव; जोर); रखना(५) अपने हाथमें,अधिकारमें करना; रखना (अंकुश; काबू; दाव; ध्यान; निगरानी; कब्जा; हक; आना-जाना (१)आग्रह छोड़ना; रहने देना; स्थापित, स्थित रखना; मंजूर करना; स्वीकृत करना; उदा० 'कायम राखवू; बहाल राख; छूट राखवी; ढीलं राखवू'(७) रेहन, बंधक करना; जमा रखना; स्वीकार करना; उदा. 'गीरो राखq; जमे राखq'(८)खरीदना; कब्जे में लेना (९)व्यवहारके लिए अपने अधिकारमें लेना; तैनात करना; रखना(घोड़ा, पहलवान आदि) (१०)स्त्री-पुरुषसे संबंध करना; रखना (परस्त्री या परपुरुषको) (११)पड़ा रहने देना; छोड़ना (१२) रोकना; आगे चलने न देना (१३) रोक रखना; ठहराना; जाने न देना। [राखी जोवू = आजमाइश, जाँचके लिए रख लेना । राखी मूकq=सम्हालकर रखना; हिफ़ाजतसे रखना(२)बाक़ी रखना। राखी रहे = कम्जेमें रखे रहना (२)जारी रखने देना। राखी लेवं = खरीद कर रख छोड़ना; ले रखना (२) रोक रखना; ठहराना; रखना.] राखली वि० स्त्री० (२) स्त्री० रखेली राखोडियुं वि० राखके रंगका राबोडी स्त्री०,(-ओ)पुं० राख; भस्म राग पुं०राग ; आकर्षण; मोह; आसक्ति (२) प्रीति; राग; मेल; बनत (३) क्रोष (४)लाल रंग; राग(५)गानेकी ताल-लययुक्त पद्धति जिससे रंजन हो; राग । -आषवो = पटना; मेल होना। -काढवो गाना; तान लगाना; अलापना (२) लंबी आवाजमें रोना (व्यंग्यमें); भेंकड़ा पूरना। -खावोबनना;पटना; मेल खाना। -गावो=किसी रागमें गाना (२)-के For Private and Personal Use Only Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समडो ४१० राजसता कहे अनुसार चलना; के रंगमें राजारवारी वि० राजकीय ढलना।-बूंटवो स्वर भरना, साध- राजहारी वि. राजा या राज्यसे ना(२)तान लगाना। -पवो = मेल, संबंध रखनेवाला; राजकीय एका होना। रागे पड = ढंगसे चल राजधानी स्त्री०. राजधानी; पाटनगर निकलना; सफलताकी ओर बढ़ना राजन पुं० राल पेड़का निर्यास; राल; .(२) लगना; नौकरी, काम करना; 'रेझीन' ठिकाने लगना.] [या रोनेकी) राजपाट न० राजपाट; राजसिंहासन रागडो पुं० लंबी आवाज; तान (गानेकी राजप्रकरण न० राजनीति : . राच न० राछ; औजार (२) घरकी राजबंधारण न० राज्यका विधान; चीज-वस्तु; घरबार (३)बरतन (४) संविधान पुं० जुलाहोंका औजार;राछ [बार राजबीज विराजाके वंशमें पैदा हुआ; रावरचील न० घरकी चीज-वस्तु घर- राजवंश्य (२) न० ऐसा आदमी राचवं अ० क्रि० खुश होना; प्रसन्न । राजभोग पुं० वैष्णव मंदिरोंमें दोपहरका होना; राचना [प.] (२)फबना; शोभा एक भोग और दर्शन देना; राचना प.] राजमहेल पुं० राजमहल राज अ० (दीपक) गुल, ठंडा (होना, राजमान (राजेशरी) (संक्षेपमें रा० करना)।-करवो(दीवो)=(दीया) रा०) वि० जिसके नाम चिट्ठी लिखी ठंडा करना। -बो (दीवो) = जाय उसका एक संबोधन (दीपक) गुल, ठंडा होना.] | राजरमत स्त्री० राजनीतिक दाव पेच, राज पुं० राजा; राज (२)न० राज; युक्ति-प्रयुक्ति राज्य। [-आवq राजाकी तरह राजराणी स्त्री० पटरानी बैठे-बिठाये खाना प्राप्त होना, मिल- राजवी पुं० राजा(२) राजाके जैसा भाना; कामकाजसे मुक्ति मिलना (२) ग्यवान पुरुष (३)वि० राजाके योग्य; कुल सत्ता प्राप्त होना.] राजसी राजकाज पुं० राजकाज; राज्यव्यवस्था राज, अ० क्रि० शोभित होना; रोशन, (२) राजनीति [टिक्स' प्रकाशित होना; राजना [प.] राजकारण न राजनीति; 'पॉलि- राजशासन न० राजाज्ञा; शासन (२) राजकारणी वि० राजनीति-संबंधी; राजकाज; राज्यप्रबंध (३) राजाके राजनीतिक (२) पुं० पॉलिटिक्समें मारफ़त चलनेवाला राजकाज; राजहिस्सा लेनेवाला व्यक्ति; राजनीतिज्ञ तंत्र; 'मोनार्की' राजगरो पुं० फलाहारके काम आनेवाला राजशाही स्त्री० राजाकी मर्जीके मुताएक प्रकारका धान, रजगीर; कूटू. बिक़ चलनेवाला राज्यप्रबंध; राजतंत्र; राजपादी स्त्री० राजगद्दी; राजसिंहासन 'मोनार्की' राजदरबार पुं०. राजाके रहनेका और .. राजसत्ता स्त्री. राजाकी सत्ता (२) दरबार करनेका स्थान;राजगृह दरबार राज्य चलानेवाली सत्ता; राजसत्ता For Private and Personal Use Only Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हासत्ताक वि० जिसमें राजाकी सत्ता »ालती हो; राजसत्तावाला राजसभा स्त्री० राजसभा; दरबार (२) राजाओंकी सभा; राजसभा (३) खास वर्गके लोगोंके प्रतिनिधियोंकी परिषद्; राज्यसभा; राज्यपरिषद, 'काउंसिल ऑव स्टेट राजस्थान न० देशी रियासत; रजवाड़ा (२) राजस्थान; राजपूताना .. राजा पुं० राजा; राज्य करनेवाला (२) ताशका एक पत्ता; बादशाह (३) भोला और उदार प्रकृतिका आदमी। [-मोज= भोज राजा; राजा भोज (२)ला.] उदार और दाता आदमी। - माणस = राजा जैसे वैभव और आचारवाला आदमी; बादशाह (२) भोला और दरियादिल मनुष्य (३) अविश्वसनीय और आलसी व्यक्ति.j राजियो पुं० राजा (२) मृतकको लक्ष्य करके छाती पीटते समय गाया जानेवाला गीत; मरसिया; सियापा राजी वि० राजी; खुश (२) सम्मत; सहमत [स्वेच्छा; उमंग; होस राजीखुसी स्त्री० कुशल ; खैरियत (२) राजीनामुं न त्यागपत्र ; इस्तीफा (२) वादी-प्रतिवादीका परस्पर मेलवाला लेख; राजीनामा; समझौता राज्यबंधारण न० संविधान राम(ड,) स्त्री० चीख पुकार;टेर (२) कजिया; रार; राढ़; राड़ (३)शिकायत (४)लो; धुन ; आसक्ति । [-करवी% शिकायत करना (२)कजिया करना; रार मचाना (३) हठ करना.] राएं न० ज्वार, बाजरा या सरकंडे आदिका तना; डंठल (२) तीर (३) नरकट (४) राजकी कन्नी, करनी. राणी स्त्री० रानी (२) ताशका एक पत्ता; बेगम राणीजायुं न० रानीका बच्चा रानीवास पुं० देखिये 'रणवास' राणु वि० बुझा हुआ (दीपक)। [(दीवो) राणो करयो =(दीया) बुझाना, ठंडा करना.] [रहित; अँघराघुप्प राणुधब वि० बिलकुल अँधेरा, प्रकाशराणो पुं० राजपूत राजा;राणा (२) [ला.] एक हिंदू जातिका आदमी; 'गोलो' (३) एक अल्ल रात पुं० नाई (मानवाचक संबोधन) रात स्त्री. रात; रात्रि।[-काढवीरात काटना, गुज़ारना। -दहाडानी खबर न होवी = संसारके कामोंका कुछ ज्ञान या समझ न होना। -मो राजा-चोर (२) उल्लू; रात-राजा (३) रातको काम करके दिनमें नींद लेनेवाला। -माथे लेवी% आँखमें रात काटना; सारी रात जागकर काम करना। -रात पडवी-रातका समय होना; रात होना.] रातरियो पुं० लाल ज्वार रातबहाडो, रातदिवस अ० रातदिन; हमेशा . [पारी; नाइट शिफ्ट' रातपाळी स्त्री० रातकी पारी; रातरातवासो पुं० रातको कहीं पड़ाव डालना पड़ाव (२)खेतमें चौकीके लिए रहना . [आसक्त; अनुरक्त रत रातुं वि० लाल रंगका; सुर्ख; राता (२) रातुंबटक, रातुंबोळ वि० बहुत लाल;' "लाल अंगारा रातुंपीळ वि० गुस्सैल; नीलामीला For Private and Personal Use Only Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रातोरात ४१२ रातोरात अ० रातोंरात (४) सत्त्वहीन हो जाना।-राम रात्रि(श्री) स्त्री० रात्रि; रात करो=यह बात अब छोड़ दो; कुछ राजे ० रातको; रातमें बननेका नहीं ; अल्लाहका नाम लो। रान न० वीराना; जंगल (२) वीराना; -शरण थq=मर जाना.] उजाड़ प्रदेश रामकी स्त्री० साषुकी स्त्री; रामकी रानवी (-) वि. जंगलका; जंगली रामडोल पुं० बड़ा ढोल (२) असभ्य; उजड्ड (३) गँवार (४) रामदवारो पुं० रामका मंदिर (२)धर्मआवारा; भटकनेवाला शाला; सराय रानी वि० जंगली; वन्य [(गुजरात) रामबुवाई स्त्री. रामदुहाई रानीपरज स्त्री० एक आदिम जाति रामपगलं न० रामकी चरणपादुकावाला राफमे पुं० (सांप या चूहेका) बिल; मीनाकारीका जेवर कसोरा बांबी (२) (दीमक, चींटी आदिका) रामपातर, रामपात्र न० सकोरा; बमीठा; बॉबी। [-फाटवो बड़ी रामफळ न० एक फल । तादादमें बाहर आना.] रामबाण न कभी निष्फल न जाय ऐसा राब(1) स्त्री० महेरी; कांजी (२) रामका बाण; रामबाण (२) वि. उबालकर गाढ़ा बनाया हुमा ईखका । निष्फल न जाय ऐसा; अमोष; रस; राब हुक्मी (दवा); रामबाण राबतो पुं० चाल; प्रथा; रिवाज रामभरोसो पुं० भगवानका भरोसा रा, वि० गंवार; अनगढ़; उजड्ड रामरोटी स्त्री० पकाये हुए अन्नकी भिक्षा राम पुं० दशरथ पुत्र राम; विष्णुका - (२)पुआ;मालपूआ [कोटिका नाटक एक अवतार; राम (२) परशुराम; रामलीला स्त्री० रामके जीवनका हलकी राम (३) बलराम; राम (४) ईश्वरका रामायण न० रामकी चरित्रकथा (२) एक नाम; राम (५) जान; दम; ला. बीती; रामकहानी (३) लंबी ताकत (६) आना (सूद) (७) 'उस बात; अनावश्यक या बड़ाईकी बात वर्ग-जातमें बड़ा' यह अर्थ बतानेके (४) स्त्री० मुश्किल काम ; टेढ़ी खीर। लिए नामके आगे 'राम' लगाया [-उकेलवं% बढ़ाकर बात कहना। जाता है; उदा०'रामकुंडाळू' आदि। -थवी= आफ़त आना; पीड़ा होना.] [-नाम जपो चुपचाप बैठे रहो; चुप- रामी पुं० माली चाप देखा कीजिये। -- नाम लो= रामयं न० सकोरा . [मोट; चरसा भगवानका नाम लीजिए; कुछ अच्छा रामयो वि० पुं०(२)पुं० बिना सूडका काम कीजिए (२) देखिये 'राम रामो पुं० घरका काम करनेवाला राम करो'। -रामायण बातका नौकर; रामा (बंबई) बतंगड़। -बोलवा=मर जाना।-रमी रायण स्त्री० खिरनी (पेड़ और फल) जवा=मर जाना (२) टूटकर घूर राय न० खिरनीका फल; खिरनी हो जाना (३) तबाह हो जाना रायतुं न० देखिये 'राईतुं' For Private and Personal Use Only Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४१३ रात स्त्री० देखिये ' राळ '; राल राव स्त्री० अन्याय-अत्याचार से बचानेको फ़रियाद; शिकायत ( २ ) सहायताके लिए की हुई आजिज़ी; गुहार; रक्षाके लिए पुकार (३) चुग़ली । [ - करवी, लावी = फ़रियाद करना. ] राइटी (-ठी) स्त्री० गोलाकार छज्जा, बरामदा, छत ( २ ) रावटी ; छोटा खेमा; छोलदारी [ लोंका एक तंतुवाद्य रावणहम्यो पुं० गाकर भीख मांगनेवा- . राणियो पुं० गांवका चौकीदार; चौकीदार; गाँवकी चौपालका चपरासी राजगुं न० राजपूत क्षत्रियोंकी मजलिस; दरबार (२) गाँव पंचोंका इकट्ठा होना (३) सिपाहियोंके रहनेका स्थान राश स्त्री० भागीदारी; पत्ती; साझा ( २ ) सूदके साथ मूलधन ( ३) औसत (४) एक राशिमें उत्पन्न होनेसे समान जाति, गुण, स्वभाव आदि; राशि मिलना ( ५ ) ढेर; राशि । [ बनती राश आववी = बनना; पटना; मेल खाना; रास आना. ] राश (श) स्त्री० रस्सी ( १६ हाथकी) (२) लगाम, रास; बागडोर (३) पगहा ; ढोर बाँधनेकी रस्सी [ ( १६ हाथ ) राशवा वि० बैलादिकी रस्सीके जितना राशी वि० खराब; हीन; दुष्ट रास पुं० ( २ ) स्त्री० देखिये 'राश' रास पुं० वृत्ताकारमें गाते हुए घूमते-घूमते किया जानेवाला एक नाच या उसमें गाया जाय ऐसा गीत; (गुजराती) रास Test पुं० एक प्रकारका गरबा ( घटित घटनाओंका वर्णन करनेवाला) राह पुं० राह; रास्ता ( २ ) रीति; प्रथा; राह (३) प्रतीक्षा; बाट । [ - जोबी = बाट देखना; प्रतीक्षा करना.] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राहदारी पुं० पथिक; मुसाफ़िर; राहगीर (२) किसी रास्तेसे ले जाये जानेवाले माल पर लिया जानेवाला कर; उसका आज्ञापत्र ; राहदारी; राहका परवाना (३) मार्गप्रदर्शन; राहबरी राहबर पुं० राहबर; मार्गप्रदर्शक रहबरी स्त्री० राहबरी; रहनुमाई राळ स्त्री० राळ वृक्षमेंसे निकलनेवाला गोंद; राल; सालरस [ आजिज; दीन शंक (-कुं) (०) वि० नरम स्वभावका; रांग (०) स्त्री० कोटकी दीवारके पासका हिस्सा (२) सवारी [ रोग क्षण (-जी) (ण) स्त्री० पाँवका एक रांत (०) स्त्री० टेढ़ापन; वक्रता; बाँक (२) अनबन ; विरोध रांडं (०) वि० टेढ़ा; वक्र; बाँका ; कुटिल रांड (०) स्त्री० विधवा; बेवा; रॉड; (२) वेश्या; रंडी (०) अ० क्रि० विधवा या विषुर बनना ( २ ) वि० नामर्द । [रांडीने बेसबु = = राँड़की तरह हताश या लाचार होकर बैठना ; सिर पर हाथ धरकर बैठना. ] रांडो (०) पुं० नामर्द ; डरपोक रांडीछांडी (०) स्त्री० विधवा या पतिसे त्यागी हुई स्त्री [श्रित विधवा रांडीरांड (०) स्त्री० विधवा (२) निरारांडेली (०) वि० स्त्री० विधवा रांडं (०) न० मोटी रस्सी; रस्सा राषण (०) न० राँघनेका काम; रांधना रामजि (०) न० रसोईघर aj (०) न० राँधनेकी क्रिया ; चिना tej (०) स०क्रि० भोजन पकाना; घना (२) फल प्राप्त करना; लाभ होना; मिलना [ औजार) रोप (०) पुं० बड़ी गहनी (सेतीका For Private and Personal Use Only Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिडी ४१४ समाप संपती स्वीखेतकी बेकार घास निका- -राखवी रिवाजके अनुसार बरतना लानेका खेतीका एक औजार; गहनी (२) संसारका व्यवहार निबाहना; राप, स० क्रि० खेतकी घास निकालनेके लेन-देनमें ईमानदार रहना.] लिए गहनी चलाना [रापी;रापी रीतभात स्त्री० रहन-सहन; व्यवहार; रापी(०) स्त्री० मोचीका एक औज़ार; चाल-ढाल रिक्षाव स० क्रि० देखिये "रीझव' रीतरिवाज पुं० ब० व० रीति-रिवाज रिझा, अ० क्रि० देखिये रीझ' रीतसर अ० रीतिके अनुसार रिपोर्ट पुं० रिपोर्ट रीते अ० तरह; प्रकार (२) की रिवामण (-जी) स्त्री० यातना; पीड़ा हैसियतसे(३)रिवाज या प्रथाके अनुसार रिबावq सक्रि० 'रीबवु'का प्रेरणार्थक; रीबवं स० क्रि० सताना; खूब दुःख देना दारुण यातना पहुंचाना; खूब दुःख देना रीम न० बीस दस्ता (काग़ज़); रीम रिबाबु अत्रि 'रीब'का कर्मणि खूब रील स्त्री० न० डोरे लपेटी हुई गराड़ी; सताया जाना; अति पीड़ित होना रील (२) सिनेमाके चित्रोंकी लंबी पट्टी रिवेट पुं० धातुकी चद्दर या टुकड़ोंको रीस स्त्री० रिस; रीस; क्रोध; रूठन जोड़नेवाली कील जो एक सिरे पर रोंगण न० बैंगन; भंटा माथेदार होती है; टाँका । रोंगणी स्त्री० बैगनका पौधा; बैंगन रितामणुं वि० बात-बात पर रूठनेवाला; रिसहा (२) न० रीस; रिस । रोंगणुं न० बैंगन ; भंटा [रिसामणां मनामणां करवा = ज़रा रीछ न० रीछ; भालू जरामें रूठना और जरा-जरामें मनाना.] रुआब पुं० रूआब; दबदबा (२)तेज; रिसावू अ० क्रि० रिसाना; रूठना प्रताप; रोबदाब। [-करवो रोब रिसाळ (0) वि० रिसहा . जमाना। -पडवो = रोब जमना; रोबमें आना। -राखवो = ठाटबाटसे रीझ स्त्री० आनंद; रीझ रीशववं स० क्रि० रिझाना रहना या बरतना. .. रीझवू अ० क्रि० रीझना; प्रसन्न होना रमाबदार वि० रोबदार; प्रभावशाली रीढं वि० उपयोगमें आकर मजबूत बना रुकावट स्त्री० रुकावट ; अवरोध हुआ (मिट्टीका पात्र); पक्का (२) रुको पुं० रुक्का; छोटी चिट्ठी; पुर्जा दुःख सहकर धीर बना हुआ; दृढ़ रुख पुं० रुख ; गाल (२)चेहरा; मुख; (३) जो न सुधरे; चिकना घड़ा शकल (३)पक्षपात; मनका झुकाव रीत (त,) स्त्री० रीत; रीति; प्रकार; दखसत (-)स्त्री० रुखसत; बरतरफ़ी ढंग; तरीका (२) रिवाज; चलन; व अ०क्रि० रुचना; पसंद आना परिपाटी; रीति; पद्धति (३) दहेज रुचि स्त्री० रुचि; इच्छा (२) भूख; आदिके लेन-देनकी प्रतिज्ञा; ठहरोनी।। खानेकी इच्छा; रुचि [-मारहे = रूढिके मुताबिक़ चलना; । हषिमंग पुं० सुरुचिभंग लोकाचारके अनुसार चलना। समाव सक्रि० रूझवु' का प्रेरणार्थक For Private and Personal Use Only Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मा०कि. 'म'का भावे रूप पावका भरना रवि न० हृदय; हिरदा [प] . स्वायत स्त्री० चार मिसरोंका एक छंद (अरबी, फ़ारसी या उर्दू); रुबाई रुवांटी स्त्री० मुलायम बारीक रोंगटे रुवाटुं न० रोंगटा; रोम रुयेल (-लु) वि० रुईदार रुशनाई स्त्री रोशनाई; स्याही; मसि रुशवत स्त्री० रिश्वत; घूस रुशवतखोर वि० रिश्वतखोर एन० रुई; रूई रूए अ० -के अनुसार; -के आधार पर या क्रमसे या के सबब रूख स्त्री० देखिये 'रुख' (२)अटकल; अंदाजा (३) रुख ; विचार;अभिप्राय (४) बाजारका भाव; रुख; भावताव । -जोवी = मौक़ा या अवसर देखना.] रूखड़ा बल (ई) न० छोटा पेड़-पौधा; छोटा रूझ स्त्री० घावका भरना रूमवं अ० क्रि० घावका भरना रूउबुं स० क्रि० रूठना; नाराज होना वि० अच्छा; उत्तम रूरा;सुंदर;भला।। खडा वानां थवा - शुभ-मंगल होना.] रूढि स्त्री० रूढि; प्रचलित रीति या रिवाज;चाल(२)रूढिके कारण शब्दका अमुक अर्थबोध करानेकी शक्ति; रूढि रूढिप्रयोग पुं० भाषामें जिसका रूढिसे विशेष अर्थ होता है ऐसा शब्द प्रयोग; रूढि-प्रयोग रूप न०रूप; आकार; शकल'; स्वरूप (२)सौन्दर्य ; रूप (३)वेश; रूप (४) रूपक; नाटक; दृश्यकाव्य (५)विभक्तिके प्रत्ययके योगसे बना शब्दका रूपांतर जो वाक्यमें प्रयुक्त होता है। रूप [ध्या. [-पनो अवतार, अंबार = खूब सुंदर होना; रूपकी संपत्ति । -नी मणि = सुंदरी; रूपवती स्त्री शोरेकी पुतली.] रूपक न० रूपक; दृश्यकाव्य; नाटक (२) एक अर्थालंकार; रूपक (३) सात मात्राका एक दोताला ताल; रूपक (संगीत) (४) गाना; गीत (संगीत) (५) पुं० रूप भरनेवाला नट; अभिनेता रूपरेखा स्त्री० किसो चीज़का सिर्फ आकार बतानेवाली रेखा; खाका; रेखाचित्र (२)संक्षिप्त बयान;रूपरेखा रूपाल्यान न० धातुका रूपांतर करना; रूप; धातुरूपावली [व्या.] रूपाळू वि० रूपवान; हसीन; सुंदर रूपियाभार वि० (२)पुं० एक रुपये या तोले भरकी तौल ; भरी रूपियो पुं० रुपया। [रूपिया खावा% रुपयोंका खर्च होना; रुपये लगना; उदा. 'आ मकाने बह रूपिया खाधा' (२) घूस लेना; रुपये खाना.] रू' न० रूपा;चाँदी [जैसा;पहला रूपेरी वि० रूपैका बना हुआ; रूपा रूपैडी स्त्री० रुपल्ली;रुपया(तुच्छकारमें) रूबरू अ० रूबरू; सामने ; समक्ष रूम स्त्री० कमरा; रूम । रूमझूम अ० पाजेबकी मंद ध्वनि रुनझुन कमलादु (रू') अ० क्रि० जोरसे वक्राकारमें घूमना; पागलपनसे घूमना (मवेशीका) समh () अ० कि० जोरसे चक्राकारमें घूमना; जूझना (युबमें) (२)पटकना; फिरना । For Private and Personal Use Only Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४१६ बुं न० रोय; रोंगटा । [हवां ऊभां थव रोमांच होना; रोयें खड़े होना । - न फरकबुं - कुछ भी असर न होना; रोयाँ न पसीजना । रूवे रूवे जीव राखयो = बहुत देखभाल रखना. ] रूस न० रूठन; रूसना खंड, छु न० छोटा बाल या तंतु ब स० क्रि० रोकना ; घेरना (२) दम घोंटना [ घुटन संग्रामण स्त्री० दम घुटना; अकुलाना; धानुं अ० क्रि० ' रूघवं ' का कर्मणि; रुकना; घोंटा जाना; घुटना वायुं हुं न० देखिये 'रूवं ' रेकर्ड न० नोंष; टिप्पणी; अभिलेख (२) मिसिल; दफ़्तर; फ़ाइल ( ३ ) स्त्री० ग्रामोफोनकी प्लेट; रेकार्ड ; चूड़ी (४) पुं०; न० पराकाष्ठा; आखिरी हद । [- सोडवो = जो हद अंकित हो गई है उस हदसे भी आगे बढ़ना. ] रेल स्त्री० रेखा; लकीर (२) दाँतमें जड़ी हुई सोनेकी कील; खुमी ( ३ ) बहुत छोटी कील ( ४ ) अ० जरा भी रेखाचित्र न० रेखाओंसे बनाया हुआ चित्र ; रेखाचित्र ( २ ) किसीके जीवनका संक्षिप्त निरूपण; रेखाचित्र रेच पुं० विरेचन; जुलाब । [ - आपबो = दस्त लाने वाली दवा देना ( २ ) धमकी देना । -लागवो = विरेचनका असर होना (२) धमकीका असर होना. ] रेचक पुं० रेचक; दस्तावर रेजगी स्त्री० रेजगी; रेजगारी; खुर्दा रेजो पुं० अँगियामें काम आने वाला सूती या रेशमी कपड़ेका टुकड़ा; रेजा (२) धातु गलानेकी कुल्हिया ; घड़िया Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रेड (रॅ) वि० गाढ़ा; तलकट जैसा (२) स्त्री० पीछा ( पकड़ना; छोड़ना) रेडबुं स० क्रि० जल आदिको धाराके रूपमें गिराना; उड़ेलना (२) तरल पदार्थको एक से दूसरे बरतनमें ढालना; उड़ेलना रेडियाळ (₹) वि० भटकता; बिना मालिका; हरहा (पशु) (२) निकमा; बिना दमका (काम) रेतुं (रॉ) वि० भटकता; बिना निगरानीका; बिना देखभालका झालना रेण (रॅ) न० धातुको जोड़नेका टाँका ; [ झालना; पाँजना रेणवं (₹) स० क्रि० धातुको जोड़ना; रेत स्त्री० बालू; रेत रेताळ वि० रेतीला; बलुआ रेती स्त्री० बालू; रेत रेफ पुं० रेफ रेबचो (रॅ') पुं० रबदा ; कीचड़ (वर्षा) रेबशेब अ० पसीने से तरबतर, सराबोर रेल स्त्री० बाढ़; जलप्रलय (२) बहुतायत; रेलपेल रेल स्त्री० रेलकी पटरी रेलगाड़ी स्त्री० रेलगाड़ी ; रेल रेलछल, रेलमछेल स्त्री० पूरा भरनेपर छलक जाना ( २ ) भरमार ; रेलपेल रेलवं अ०क्रि० बाढ़ आना; जोरसे बहना (२) जाना (३) स०क्रि० ज़ोरसे उड़ेलना (४) द्रवकी धारा गिराना; ढोलना (५) बाढ़का बहा ले जाना; दूर करना रेलसंकट न० बाढ़ से उत्पन्न संकट रेलावुं अ०क्रि० रेला चलना; ढलना; उड़ेला जाना रेलो पुं० छोटा बहाव ; रेला For Private and Personal Use Only Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रे स्त्री० रेवड़ी (२)फजीहत; मद्द। -उगवी, करवी फजीहत, बदनामी करना।-बी = बदनामी होना। चाणादाण करवी% हक्काबक्का बना देना (२) भद्द उड़ाना.] रेवंची स्त्री० रेवंदका गोंद; रेवंदचीनी रेवंचीनो गोळ पुं० विरेचन और रंगके लिए उपयोगमें आनेवाला रेवंदका गोंद रेवा(जी) स्त्री. रेवा; नर्मदा नदी रेसादार वि० रेशादार; रेशेवाला रेसो पुं. रेशा; सुतड़ा; तंतु रेळ स्त्री. रेहल; रिहल रकडी (रे०) स्त्री०,(-) पुं० छोटी बैलगाड़ी (२) बोझ ढोनेकी छोटी हाथगाड़ी [तानकर आवाज निकालना रेक(रे०) अ०कि. गाय-भैसका गले मेसे रेंजीबी (रे०;०) वि० बेशऊर; बेस लोका (२)पस्तहोसला; उत्साहहीन रेट (०) पुं० रहँट; रहट रडिवाबारश (-स) (२०) स्त्री० श्राद्धपकी द्वादशी (२) चरखा-जयंती (महात्मा गांधीकी जन्मतिथि) रेटियो (०) पुं० चरखा रेंस (र०) स० क्रि० देखिये 'रहेंस' रयतवारी वि० (२) स्त्री. किसानके पाससे सीधा लगान वसूल करनेकी पद्धति; रैयतवारी रोक वि० (२)स्त्री० रोक; मनाही; प्रतिबंध पीटना; कुहराम रोककळ स्त्री०, (-ळाट) पुं० रोनारोकटोक स्त्री० रोक-टोक ; रोक-थाम रोकर वि० नकद; रोकर (२) स्त्री० नकद रकम; नकदी; रोकड़ रोफरि वि० रोकइसे लेन-देन कर. नेवाला (२)हाजिरजवाब रोकडी स्त्री० दिवसके प्रचलित समयक उपरांत सुबहमें मनुष्यका काम पर ज्यादा समय लगा रहना या उसकी नकद मजदूरी रोकडं वि० उधार नहीं पर तुरत पैसे देकर; नकद; रोकड़ (२) नकद रकम (नोट नहीं) (३) [ला. कुछ भी छिपाये बिना तुरत कहा हुआ; साफ़-साफ़ (कथन) (४) दोटूक (जवाब) सेक, स० क्रि० रोकना; अटकाना जाने, चलने या होने न देना; गति या चाल बंद करना; रास्ता रोकना (२) काम या नौकरी पर नियुक्त करना; लगाना(३)व्यापार-धंधे में लगाना(पैसा) रोकाण न० रोक; रोकना या रुकना; (किसीके पास) रुका हुआ होना (२) अवरोध; रुकावट रोक्ट स्त्री. रोना-पीटना; रोपीट रोगचाळो पुं० रोगका फैलाव रोगान पुं०; न तेल, मोम, लासबादिका एक प्रकारका मिश्रण रोगन; वानिश रोगियु, रोगिष्ट, रोगी, रोगीलं वि. रोगी; रोगिया; बीमार रोज पुं० रोज; दिन (२) एक दिनकी मजदूरी; रोजीना (३) अ० रोष हमेशा प्रतिदिन; रोजाना; रोज-रोष। -उठीने =रोज-रोज; हररोज.] रोजगार पुं० जीविकाका साधन; उपम; रोजगार [कामपंचा रोजगारी स्त्री. रोजगार; उपम; रोजनीशी स्त्री. डायरी; रोजनामचा रोगबरोज १० रोज-ब-रोग प्रतिदिन रोजमेळ पुं० हर रोषका हिसाब-लेखा (२)उसे लिखनेकी बही; रोजनामचा नु. हिं-२७ For Private and Personal Use Only Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दैनिक रोगिई ४१८ रोजि वि० प्रतिदिनका; रोजमर्राका; रोनक स्त्री० रौनक ; चमक; तेज .. रोनकदार वि. रौनक़दार; भड़कीला रोजी स्त्री० कामधंधा; रोजगार (२) रोप पुं० रोप; पौधा गुजरान; जीविका; रोजी (३) रोजकी रोपणी स्त्री रोपाई; रोपनी; बोआई आय%; पैदाइश रोपवं सक्रि० रोपना; बोता; जमीनमें रोजो पु• बड़े और धार्मिक मुसल- गाड़कर खड़ा करना; उदा० 'वांस मामकी कन; दरगाह (२) मुसल- रोपवो' -मानोंका रोजा .. .. रोपीट स्वी० रोना-पीटना; कुहराम; रोझ न० घोड़ेसे मिलता-जुलता एक रोपीट जंगली जानवर; नीलगाय, रोफ(-) (रॉ) पुं० रोब; रुमाब; रोमियो,रोमी वि० एक प्रकारको कपास दबदबा(प्रताप;तेज(३)दाबरोबदाब रोदली स्त्री० गेहूंकी रोटी; फुलका; रोबड वि० जड; मूर्ख; अरसिक चपाती.. रोमांचक वि० रोमांच हो ऐसा; रोंगटे रोटलो पुं० हाथकी रोटी; रोट (२) खड़े करनेवाला; रोमहर्षण .... : जीविका; रोजी [ला.] 4 [रोटला भेगा रोमं वि० मुभामरा (स्त्रियोंकी गाली) अg = भोजन मिलना (२) जीविका रोवराव स०कि० रोवु'का प्रेरणार्थक; प्राप्त होना। -करवो रोटी बनाना रुलाना (२) मारकर चपड़ा बना देना (३) । रोवावं अ० क्रि० 'रो' का भावे रूप; कुचल डालना.] रोया जाना रोटी स्त्री० देखिये 'रोटली' (२) रोवं अ० क्रि० रोना; आँसू बहाना (२) डबलरोटी; पावरोटी.. स० क्रि० -की रोना; का दुःख रोना रोटीवहेवार पुं० साथमें जीमने-जिमा- (३)न० रुदन; रोनेकी क्रिया .. नेका संबंध; रोटीका संबंध; रोटी- रोशनाई, रोशनी स्त्री० रोशनी (२) व्यवहार . स्याही; रोशनाई होरखवं अ० क्रि० लुढ़काना ... रोळ पुं० कै-दस्त; हैजा; मरी (२) रोईन० इंटका टुकड़ा; रोड़ा..... कहर देवकोप; ग़ज़ब; पायमाली रोग स्त्री. संतकी चौकी रौंद; गश्त । रोळ, स० क्रि० मसलना;गींजना (२) (सिपाहीका) ... धूलमें रगड़ना; मैला करना (३) . ..जो न० रुदन; रोना.. कुचलकर मार डालना [ला.]... रोता(-ई,-ल) वि० जो झद रो दे; रोंचु(रॉ०) वि० गॅवार; असभ्य वजह रोनी सूरतवाला रोंचो (रॉ०) पुं० बुद्ध; उजड्ड; गावदी रोतं वि० रोता हुआ; रोता रहनेवाला रों(रॉन तीसरा पदर: सांप्रका . रोदj(-) न० बीतीकी कहानी; समय: .. रोना (२) रुदन , ... यद; गश्त रोंटो (रॉ०) तीसरे पहरका भोजन रोन स्त्री. रातमें चौकी के लिए घूमना; (२) व्यालू (३) तीसरा पहर; साँझ For Private and Personal Use Only Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ल पुं० तीसरा अंतःस्थ वर्ण लईने अ० लेकर ( २ ) - के कारण ; को लेकर; उदा० ' एने लईने ' लकडघकड अ० घड़ाकेसे; धड़ाधड़; जोरोंसे लकडियं वि० लकड़ीका ( २ ) सख्त; कड़ा; कठिन (३) पेड़को भी झुलस दे ऐसा (पाला) (४) न० मसाले रखनेकी लकड़ीकी खानेदार छोटी पेटी; चौघड़ा लवो पुं० लकवा ; पक्षाघात: लकुं (कं) बोपुं० लुकमा; कौर ( २ ) काम; प्रयोजनकी सिद्धि; फ़ायदा ( व्यंग्यमें) ४१९ लक्कड न० लकड़ी [ईका काम लक्कडकाम न० लकड़ीका काम; बढ़लक्कडखोद पुं० कठफोड़ा; हुदहुद (पक्षी) देखिये 'लकडधकड " अ० स्त्री० लकड़ीकी दुकान; टाल; अड़ार लक्कडफोडो पुं० लकड़हारा [लड्डू लक्कडशी लाड पुं०. एक तरहके चीनीके लक्कडियं वि० (२) न० देखिए 'लकडियं' लक्ष पुं० लक्ष; लाखकी संख्या (२) किसी विषयमें चितकी एकाग्रता; ध्यान (३) उद्देश्य; लक्ष्य (४) निशाना ; लक्ष्य । [ -आपवुं देवं = ध्यान देना; खयाल करना । - खेच, बोरबुं = ध्यान आकर्षित करना; ध्यान पर लाना। - पर लेबुं = ध्यान देना खयाल करना । - राखबुं = ध्यान रखना; निगाह रखना 1 - साधवं = प्रयोजन, उद्देश्य सिद्ध करना ( २ ) ठीक, लक्ष्यवेध करना. ].-. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लक्षणं लक्षण न० लक्षण; चिह्न (२) अन्य वस्तुओंसे अलग करनेवाला खास गुण; खासीयत (३) व्याख्या; परिभाषा; लक्षण (४) चाल-ढाल; आचरण; लक्षण लक्षणवंतुं वि० शुभ लक्षणोंवाला; सु-लक्षण (२) (व्यंग्धमें) अशुभ -बुरे लक्षपोंवाला लक्षवं स०क्रि० स्थित दृष्टिसे दिखना ; ताकना ( २ ) निशाना बांधना ; साधना (३) ताक में रहना, तकना (प.) (४) अटकल करना (५) खोज निकालना; - देख जाना लाषिपति पुं० लक्षर्पति; लखपती लक्षी वि० लक्ष्यवाला; लक्ष्य ( सामान्यतः समासके अंतमें आता है। उदा० 'एकलक्षी ' लक्ष्मीपूजन न०, लक्ष्मीपूजा स्त्री० पेनतेरसके दिन की जानेवाली लक्ष्मीकी पूजा For Private and Personal Use Only लक्ष्य कि० ध्यान देने योग्य, लक्ष्य (२) जिस पर निशाना लगाया जाय; जिसका निशाना बाँधा जाय (३) जो देखा या जाना जा सके; दर्शनीय; दृश्य ( ४ ) न० ध्येय; उद्देश्य, लक्ष्य (५) हेतु मक़सद ( ६ ) निशाना ; लक्ष्य(७) लक्ष्यार्थ लक्ष्यबिन्दु न० लक्ष्य; ध्येय लखचोराशी स्त्री० चौरासी लाख योनि - जन्मका चक्र; चौरासी लखणी न० सूची; फेहरिस्त (दान था चंदेकी) F लक्ष्णुं न० लेखनी (२) (देवी) सूची Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न. लिखित; लेख; करार सभापति पुं० लखपती लललल वि० चमकीला; चमकदार; साफ-स्वच्छ (२) अ० पीड़ाका उठना या अंगोंका टूटना सलल अ.क्रि० पीड़ा होना; अंगोंका टूटना(२)चमकना; सलकना(३)चमड़पमड़ावाब होना(४)बकबक करना; बड़बड़ाना [(२)तरसना; ललचना सलल ब० क्रि० पोरकी भूख लगना ललललाट पुं० जगमगाहट (२)बकवास (३)टीस; कसक मसलूट वि० बेशुमार, पुष्कल लाई सक्रि० लिखना। [लसी मारवं = जो लिखना हो उसके बदले कुछ और लिख डालना (उतावलीमें या भूलसे)। लसी बाळg%3D हिसाबमें बट्टेखातेमें लिखना] दूरी समाई स्त्री० लिखाई; लिखनेकी मजससाण न० लिखाई; लिखावट (२) लिखी बात; लिखित; लेख समापट्टी(-पी) स्त्री० लिखा-पढ़ी. लसारो पुं० बकवास रूषितंग वि० (खत) लिखनेवाला लोसरी वि० धनी; तालेवर (२) पुं. लखपती [लाख चढ़ाना समोटवं सक्रि० (मिट्टीके बरतन पर) लबोटी स्त्री. कांच या पत्थरकी • (खेलनेकी) छोटी गोली; गोली लसोटो पुं० कांच या पत्थरकी (खेलनेकी) बड़ी मोली; गोली (२)महत्त्वपूर्ण या सरकारी कागजोंका सील किया हुमा पुलिंदा, लिफ़ाफ़ा सरसन न० देखिये 'लक्षण' लिख सरवा लेख पुं० ब०व० ब्रह्मलेख; भाग्य- गट वि० (२)बल्सगातारासी सगरी स्त्री. सोने या चाँदीकी गुल्ली; इंट [काठी (२) लावी; गोस लगडं न० गधे पर लादनेकी बरतीया लगन अ० तक; पर्यंत; लग कि.] लगत वि० संबंधी; विषयक(२)स्त्री. __ लगाव; संबंध (३) अ० पास; साव; लगती स्त्री० लगाव; पहुंच; प्रभाव लागतुं वि० संबंधी विषयक नजदीकला, पासका लगन को लगन न० देखिये 'लग्न' (२) स्मी. लगनगाळो विवाहके दिन; सहान लगनसरा स्त्री० शादीके दिन; सहन लगनी स्त्री. लगन; धुन वदावन लगभग २० पास करीब (२)लगमन लगावं स० कि० लगाना(२)पोकना; चुपड़ना; चिपकाना; लगाना (३) संलग्न करना; जोड़ना; सटाना लगाना (४)किसीको साथ लगा लेगा, साय कर देना लगार स० क्रि० सुलगाना लगाम स्त्री० (लोहेकी) लगाम (२) बागडोर; रास; लगाम (३) अंकुश नियंत्रण [ला.] लगार(-रेक) वि० जरा; थोड़ा-सा (२) ब. थोड़ी देरके लिए; जरा; तनिक लगाववं स० कि० देखिये 'लगावू' नं. १; लगाना (२) मारना लगी अ० तक; पर्यंत; लगि [प.] लगीर (-रेक) वि० देखिये 'लगार' लगोलग ब. बिलकुल करीब; सटकर (२) लगभग; पासमें; निकट लन वि. लग्न लगा हुमा (२)लीन; मासक्त (३)न० पृथ्वी एक राशि For Private and Personal Use Only Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२१ - ज्या समव; लग्न (४) किती शुम कार्यको करनेका महतं; लग्न (५) विवाहका महतं या शुभकाल (६) बाबी लग्न भरपर वि• फटेहाल वि. स; छोटा (२) हलका; लघु (३) आसान (४) हस्व; एक मात्रापाला; लघु [फोन मोन पुं०९० से छोटा कोषम्यूनमन वि०सतम; सबसे छोटा (२) पुसतम समापवयं [ग] wnet स्त्री० बल्पमत (२)अल्पमतगालोग या पक्ष; अल्पमत (३)पोड़े परवीना या रसना स्त्री. संक्षिप्तलिपि; 'शार्टहै?' वन स्त्री. लघुशंका (२) मोच सस्त्री० रुटकती चाल; लचकन साईब.क्रि. लचकना; दबाव बारिसे बीपका झुकना (२) मोच बाना(३)इठलाते हुए चलनेसे कमरका मुम्मा लपकना पकाई हुई बाल सो पुं० कोंदा; पिंड (२)लोंदा जैसी सपना ब. तरबतर; चकाचक लबई ब० कि. लचकना; झुकना सो पुं० मांझा चढ़ाये हुए गेरकी बंटी; मांझा- [करना; लजाना लगाई सक्रि० लज्जित करना;शमिदा वा, स०कि. 'साम'का प्रेरणार्थक; सज्जित करना; लबाना; लखवाना मानवी स्वी. लाजवंती; छुईमुई; लालू [लायक; शर्मनाक समालवि. लज्जाजनक; लजानेमा०कि. लजाना; शरमाना र स्त्री०ट; बुक(२)बड़की पर (३)(सूतके) बमकतार मा गरेकी बंटी; लटिया (४) मोतियोंकी सड़ी लटक स्त्री० लटक; नखरा(२)छटा; खूबी; शैली; लटका; ब. (३) मोच लटकम(-णि) वि० लटकता, झूलता हुवा (२)न० मुमका (कानका गहना) लटकई अ० कि० लटकना; मूलना टॅगना (२) आधाररहित होना; काम अधूरा रह जाना; लटकना [ला.] अटकावस.क्रि. 'लटक'का प्रेरणा र्थक; लटकाना [युक्त (२) नखरेवार लटकाळू वि० लटकीला; हाव-भावनई न० नखरा; अदा; चोचला लडको पुं० बदा; अंग-भंगी; हाव-बार कोनटको पुं० मटक; नाज-बदा. सपट वि. प्रेमासक्त; एक बचते लिपटा हुमा (२)स्त्री खटपट;प्राचा [-करवी = अन्यको भरमानेके लिए चालाकी, खटपट या धमाल करना। -पनप्रेमासक्त होना.] लटपटियं न० चमोटा (हज्जामका) सह, अ.क्रि. झुकना; नत होना लटार स्त्री. चक्कर; मटरगश्त सटियुं न० सिरका बाल सट्ट वि० बहुत डीला; सुस्तशिषित (२) परवश; पराधीन (३) स्तम्ब बड़ीभूत (४) पुं० लटू (खिलौना) लठ वि. पट्ठा; मुस्तंडा(२)पुं० लठि(-)गं वि० मुस्तंडा (२) पूर्त लख वि० (२) पुं० देखिये 'लठ' लको पुं० गाड़ीके पहियेका लोहेका रंग; अक्ष; धुरा (२) मुस्तंडा आदमी पट्ठा लरकन(-) (ल') वि. सदाका; झगड़ालू सस्त(ल') स्त्री० लड़ाई For Private and Personal Use Only Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२२ लरधुं वि. मुस्तंडा पट्टा (२)न० हृष्ट- लबावु अ० कि० 'लादवू' का कर्मणि; पुष्ट बच्चा : [कज़िया लदना . लसवाड (ल') स्त्री० झगड़ा; लड़ाई; लप स्त्री० बला; आफ़त . लडh (ल') स० कि० उलाहना देना; लप अ० लपसे; झटसे दोष देना (२)अ० क्रि० लड़ना; झग- लपक लपक अ० लपसे ; चटसे; गटगट ड़ना; बहस करना; युद्ध-लड़ाई करना (२) घाव आदिमें टीस मारते हुए, (३)मामला अदालतमें ले जाना;लड़ना; लहर मारते हुए दायर करना(४)अनबन होना [ला.] लपकारो पुं० जीभको लपलपाना; लग्यो पुं० (ल') योद्धा; सैनिक जीभकी लपलपाहट (२) वेदना या लडाई (ल') स्त्री० लड़ाई; युद्ध; जंग भयसे किसी अंगका फड़कना; धड़कन (२) झगड़ा; टंटा; लड़ाई । (कलेजा) का-कु)(ल') वि० लड़ाका; झगड़ालू लपको पुं० गंदी चीजका लोंदा (२) लडायकाल') वि० जो लड़ सके(२)युद्धो .. गरम लोहेसे दागनेका निशान, चरका पयोगी; जंगी (३) झगड़ालू; लड़ाका लपछप स्त्री० प्रपंच; झमेला; झंझट; लडाव, (ल') स० कि० 'लडवु'का प्रेरक; जंजाल लडाव अक्रि० दुलार करना; लड़ाना लपट स्त्री० लपक; लपकना; झपट ससी स्त्री० लड़ी (२) डोरेकी लटिया (२)टक्कर; धक्का ; चपेट (३)पेच; लाग स्त्री० लत; टेव (२) पद्धति; ढब लपेट; फंदा (४)वि० तल्लीन; मशलमणी स्त्री० लुनाई; लोनी गूल ; लिप्त लम स० क्रि० लुनना; फ़सल काटना लपटमपट स्त्री० लपक; झपट्टा; झपट लत स्त्री० लगन; धुन (२)लत ; व्यसन लपटवं अ० क्रि० सरकना लत्तां न० ब० व० लत्ते; कपड़े लपटाव_ स० कि. 'लपटवू', 'लपलत्तो पुं० महल्ला; शहरका हिस्सा टावु' का प्रेरणार्थक; लिपटाना लपम्पयड अ० लथपथ; सराबोर(२) लपटावं अ० क्रि० लिपटना ; चिकटना; देखिये 'लथरपथर' चिकनी चीजसे गंदा होना(२)लालचमें लथडवू अ० क्रि० लड़खड़ाना(२)हक फंसना; ललचना [पटा; ढीला लाना (३) दुबला हो जाना (बीमारीसे) लपटुं वि. जो कसा हुआ न हो; लटलपडियं न० लटापटी; लड़खड़ी । लपलंग वि० लंबतडंग लथवथ अ. एक-दूसरेसे बलपूर्वक भिड़े, लपडाक स्त्री० तमाचा; लप्पड़ (२) लिपटे हुए; लथपथ लथाड़ खाना; नुकसान पहुँचना, पहुँलपरपवर अ० ढीला-ढाला; झांगला चाना ला.] लदबद अ० तर और लौंदा जैसा (२) लरिंग वि० देखिये 'लपडंग' किसी तरल पदार्थसे सराबोर हुआ; लपरगे पुं० गाढ़ा लेप लथपथ (३) चूर; लीन लपलप स्त्री० बकवास, बकबक (२) For Private and Personal Use Only Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लपलपाट ४२३ बलपसे; त्वरासे (३) घाव मादिमें लबडवं अ० कि० देखिये 'लटकवू' लहर मारते हुए लबदावं अ०क्रि० तरल पदार्थसे सनना; लपलपाट पुं०;स्त्री० बकवास, बकवक लथपथ होना (२) फंसना; उलझना (२)उतावली; जल्दबाजी लबलब अ० 'लब-लब' आवाज़ करते लपलपियं वि० जल्दबाज़; हड़बड़िया हुए; चभड़-चभड़ (२)लपसे; गटगट लपस वि० फिसलनवाला; रपटीला (३) थरथर . .. (२)न० फिसलन (जगह) लबाचो पुं० मैले, फटे-पुराने कपड़ोंका. लपस, अ० क्रि० फिसलना; सरकना ढेर; लुगरा (२) घरके टूटे-फूटे माल (२) पतन होना; गिरना; फिसलना असबाबका र (३) काठकबाड़; घरकी लपा, अ० क्रि० दबकना; छिपना(२) रही चीजें तंग जगहमें सटकर बैठ जाना लबार(-डी) वि. लबार; लबाड़ लपेटवू स० क्रि० लपेटना (२)फंसाना; लबासी स्त्री० लबारी; झूठा; लबाड़ी लपेटना [ला.] चुपड़ना लबुटा, लालबु, लबूफलबूक अ०. परलपेरई स० क्रि० लेपना; गीली चीज थर; धकधक (कलेजा) सापेगे पुं० गाढ़ा लेप लमणा(-णा)मीक स्त्री० मायापली सप्पट वि० सख्त चिपका हुआ, लिपटा लमj न०,(-जो) पुं० कनपटी: * हुआ; लपटोओं . लयानत स्त्री० शर्म; साज (२)लानता लप्पर स्त्री० लप्पड; तमाचा धिक्कार स्वरमें गाया हुआ गान लप्पनछप्पन स्त्री०;न० पचड़ा; झंझट; ललकार पुं० अलापना; तान (२)ऊंचे प्रपंच; जंजाल (२) ज़रूरतसे ज्यादा ललकार, स० क्रि० अलापना; "तान अक्ल बघारना; शेखी लगाना (२) हाँक लगाना (३) टिटलप्पो पुं० कलाबतूका गोल लपेटा हुआ कारना (४) ललकारना; लड़नेकी फ़ीता; ठप्पा (२) मोटा, बेढंगा पैवंद चुनौती देना [णार्थक; ललचाना लफर(-र)फफड(-र) अ० झूलता ललचाबस० कि० ललचावु' का प्रेर हो इस तरह ढीला-ढाला; अव्यवस्थित ललचा अ० क्रि० ललचना; लालपमें लफर्क न० रेटका लोंदा या रेट (२) पड़ना (२)लुभाना;मोहित होना(३) किसी वस्तु, व्यक्ति या कार्यके संबंधसे लालसा करना; ललचना होनेवाला नुकसान; आफ़त; बला। लव वि० थोड़ा(२)पुं० अंश; लव (३) [-वळगq = बला पीछे लगना; पीड़ा निमेषका छठा भाग (४) तबलेका लगना. किनारवाला हिस्सा(५)बकबक , लफर्नु वि. धूतं; दगाबाज़ (२) लफंगा; लवचीक वि० लचीला; लचकीला व्यभिचारी (३) बेशरम ; निर्लज्ज लवरी स्त्री० बकवास; प्रलाप लबक लबक अ० देखिये 'लपक लपक' । लवलव स्त्री० बड़बड़; व्यर्थ बकना लक्लारो पुं० देखिये 'लपकारो' (२) अ० व्यर्थ बकबक (करना) लसी पुं० देखिये "लपको' लवलव अ० कि० बड़बड़ाना; बकना For Private and Personal Use Only Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org WAR सबलबाट (-रो) पुं० बकवास लबलीन वि० लवलीन; तल्लीन; मशगूल वपुं अ० क्रि० बड़बड़ाना; बकना लवंग न० लौंग; लवंग सर्वणि वि० लौंगकी शकलका या लौंगके जितना ( २ ) न० कानका एक गहना; लौंग [ पत्रिका आदिका ) समाजमन० चंदा (सदस्यता, पत्रसाद पुं० पंच (२) पंचायतका सदस्य पंच सवाबी वि० पंच-संबंधी ; पंचायती (२) स्त्री० पंचोंका काम; पंचायत सवार ( वा ') पुं० लुहार; लोहार सवारियां (वा') न० ब० व० लोहारका काम करनेवाली खानाबदोश जाति; बाड़िया लोहार पाई न० बकरीका बच्चा कमारो पुं० बकवास; प्रलाप विंग न० देखिये 'लवंग ' (२) लोंगके आकारका ( बंदूक, स्टव आदिका ) मागेका छोटा हिस्सा ; टोपी लागि वि० (२) न० देखिये 'लवंगियु' सम्बूरियं (वु') न०, लबूरो पुं० नाखूनसे की हुई खरोंच ; नखक्षत; नहट्टा सच्चो पुं० जीभका अग्र; जिह्वाग्र कर न० लशकर; सेना; लश्कर (२) भीड़; मजमा; फ़ौज ; उदा० 'आसुं लश्कर लईने न जता' [ला. ] सहकरी वि० लश्करी; सेना-संबंधी ४२४ राज न० लहसुन; लसुन सनियं वि० लहसुनवाला (२) लहसुन जैसा तीखा (मूली आदि ) [ पत्थर ससनियो पुं० लहसुनिया ; एक क़ीमती कसरक सरक अ० मर्राटेसे; तेजीसे सरको पुं० बेगसे सींचना या रगड़ना (२) घिस्सा ; रगड़ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लसोट स० क्रि० घोटना; बाटना लस्सी स्त्री० लस्सी (दूध और पानीकी) लहर ( - रा ) बुं अ० क्रि० लहराना लहाण (ल्) न० लाभ; नफ़ा लहाणी (ल्) स्त्री० खुशीके अवसर पर नेग बाँटना CMT; लहाणुं (ल्) न० शुभाशुभ अवसरों पर बिरादरीवालों और नेगियोंको दिया जानेवाला उपहार कातिब; लहाव (-यो) (ल्) पुं० आनंदका सुख लेना (२) अरमान; चाव लहियो पुं० लिखनेवाला; लहे (ल्हे) स्त्री० लगन; लो; धुन लहेक (लहॅ) अ० क्रि० लहकना; चौक खाना ( २ ) अंग-भंगके साथ बा बोलना आदि; झूमना (३) लहाना लहेको (ल्हे) पुं० हाव-भाव ; अंग-भंगी; अदा (२) ऊंचे स्वरमें या गला फाड़कर बोलना; लहजा लहेजत (ल्हॅ) स्त्री० मज़ा; आनंद; लज्जत (२) लज्जत; स्वाद; मजा लहेजतदार (ल्हॅ) वि० लज्जतदार; स्वादु; जायकेदार For Private and Personal Use Only लहेर (ल्हें) स्त्री० ( पानीकी) लहर तरंग (हवाका ) झोंका; (मनकी) मौज; लहर ( २ ) नींद या नशेके असरका अनुभव करना; लहर (३) सुख-चैन; ऐश (४) आनंद; चैन; मजा । [ - उढावबी, करवी, मारवी = मोज मारना; मजा लूटना । -पडवी = मज़ा आना.] [ लहराना सहेरं (ल्हें) अ० क्रि० तरंगें उठना; लहेरी (ल्हॅ) वि० आनंदी (२) तरंगी Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मनमौजी; लहरी (३) इश्क़बाज (४) उड़ाऊ (५) स्त्री० लहर; तरंग; लहरी लहेषु (ल्हे) स०क्रि० ग़ौरसे सुनना (२) गिनना; समझना ; मानना; पहचानना (३) देखना (४) पाना; लहना [ प ] लळकबुं अ० क्रि० चमक मारना; झलकना (२) उमंगसे झूमते हुए आना (३) लालसा करना; ललकना फळं अ० क्रि० शुकना; नत होना (२) खुशी में झूमना (३) देखिए 'लळकबुं' । [ लळी पडवुं = झुक जाना । रूळी लळीने = नीचे झुक-झुककर. ] लंगड वि० लंगड़; लंगड़ा लंगडा अ० क्रि० लँगड़ाना लंगडी (० घोडी) स्त्री० एक खेल संग वि० लंगड़ा पडो पुं० लंगड़ा (आम या पेड़ ) लंगर न० लंगर (नाव या जहाजका ) (२) लंगर; लंगरखाना; सदावर्त ( ३ ) स्त्रियोंका पैरका एक गहना; लंगर (४) एक सिरे पर वज़न बाँधी हुई डोरी; लंगर (५) [ला. ] लंबी क़तार; पंगत । [ -उपाय, ऊंचक = लंगर उठाना । —नाखबुं फांस = लंगर डालना, करना. ] लंगरखानुं न० लंगरखाना; लंगर लंगरवं स० क्रि० लंगर करना; लंगर डालकर जहाजको खड़ा करना ( २ ) एकमें दूसरी चीज लगाकर या जोड़कर वजीर या क़तार या माला करना (३) फंदे में फँसाना; फांसना [लंगर लंगार स्त्री० लंबी क़तार (२) जंजीर; लंगार स० क्रि० देखिए 'लंगरवुं' लंगाबुं अ० क्रि० लंगड़ाना 2 ४२५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लंगीस न० पतंगके दिनोंमें डोरेसे ठीकरा afaकर खेला जानेवाला लंगर लंगोट पुं० लंगोट; लंगोटा । [ -मारवी = लँगोट पहनना (२) साघु या जोगी बनना; लँगोटी बाँध लेना (३) लँगोटी बांध लेना; सारा धन उड़ाकर दरिद्र हो जाना. ] लंगोटबंध वि० लँगोटबंद; लंगोट बांध कम उम्र नेवाला (२) ब्रह्मचारी; लंगोटबंद लंगोटियुं वि० लंगोटी बांधनेवाला; [(२) साधु बाबा लंगोटियो पुं० लंगोटियायार; बालमित्र लंगोटी स्त्री० लंगोटी । [ -मारवी, बाळबी = लंगोटी बांधकर तन ढंकना (२) धन-दौलत उड़ाकर मिसारी बनना; लंगोटी बाँध लेना (३) साधुसंन्यासी बनना; लँगोटी बाँध लेना. ] लंगोटो पुं० लँगोटा (२) देखिए 'लंगोटियो' [लंघन करना लंघं स० क्रि० देखिए 'उल्लंघवुं (२) लंबावं अ० क्रि० लंगड़ाना लंब वि० (२) पुं० लंब; 'पर्पेन्डिक्युलर' (३) वि० लंबा ; लंब (४) पुं० साहुल लंबगोळ वि० (२) पुं० अंडाकार ; अर्थ वृत्ताकार लंबचोरस वि० ( २ ) पुं० समकोण चतुर्भुज; 'रेक्टेंगल ' ; आयत [ ग. ] लंबाई स्त्री० लंबाई लंबाण न० लंबापन; लंबान; लंबाई (२) लंबाना [र्थक; लंबाना लंबावयुं स० क्रि० 'लंबावु' का प्रेरणालंबावुं अ० क्रि० लंबा होना (२) किसी बातका अधिक समय तक जारी रहना लंबूस (स) वि० लंबू (आदमी) (२) पुं० ऐसा व्यक्ति For Private and Personal Use Only Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org लाकडकाम लाकडकामं न० लकड़ीका काम लाकडशी वि० लकड़ी - सा सख्त ( २ ) पुं० ब० व० देखिये ' लाकडशी लाडु ' लाकडशी लाड पुं० एक तरहका चीनीका सख्त लड्डु लाकडी स्त्री० लकड़ी; लाठी । [ -ओ ऊडवी = लकड़ी, लाठी चलना; मारपीट होना । एक लाकडीए हांक = एक लाठीसे सबको हाँकना. ] लाकडं न० (पेड़की) लकड़ी (२) [ला.] विघ्न; अड़चन ; अवरोध; बाघा (३) ईंधन; लकड़ी । [ लाकडानी तलवारे ड = पूरे साधनोंके बिना लड़ना (२) इस तरह दिखावा करके अपना व्यबहार, संसार चलाना; लँगोटी पर फाग खेलना । लाकडां लडाववां = झूठ-सच जोड़कर झगड़ा लगाना । लाकडां संकोरवां = उकसाना; भड़काना; आगमें घी डालना । -घालवं, घुसाडवं, घुसाडी देवं = नेग, कर, लाग या ऐसा रिवाज लादना (२) अपने स्वार्थकी बात बीचमें दाखिल कर देना (३) रुकावट, विघ्न डालना (४) कमर जकड़ जाना । —पेसवं, पेसी जवुं = देखिए ' लाकडं घालवु ' नं. १, ३ । लाकडे मांकडं वळगाडं = योग्यता देखे बिना संबंध करना; अनमेल संबंध जोड़ना (२) दो आदमियोंमें झगड़ा लगाना. ] लास स्त्री० लाख (पीपल आदिकी) लास पुं० लाख ; सौ हजार । [टकानं = बहुत क़ीमती या उपयोगी; लाख टकेका ; पतेका ; मारकेका । रूपियानुं = लाख टकेका; हीरा आदमी; बड़ा ईमानदार और भला (मनुष्य) । वातनी ४२६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लाग एक बात = संक्षेप में; थोड़ेमें; सौ बात की एक बात । लाखे लेखां लेवां = लाखोंका लेन-देन करना (२) बड़ी-बड़ी बातें करना; डींग मारना; दूनकी लेना. ] लाखबुं स०क्रि० लाख चढ़ाना ( २ ) लाखना [ प . ] लाखियं वि० लाखका बना हुआ या लाख चढ़ाया हुआ (२) न० लाखका कंगन लाखुं न० शरीर पर जन्मसे पड़ा हुआ दाग़; लच्छन; लक्षण लाखेणुं वि० प्रतिष्ठित; इज्जतदार; सुलक्षण (२) लाख टकेका ; कीमती लाखोटवुं स०क्रि० देखिये 'लाखवुं ' लाग पुं० घात; मौक़ा ( २ ) आधार; लाग; टेकान (३) युक्ति; लाग; तरकीब (४) बीच; दरमियान ( जगह) । [-खावो = = मौक़ा मिलना ( २ ) ठीक क़ब्ज़े में आना; पकड़में आना। ताकवी : घातमें रहना ; मौका ढूंढ़ना. ] लागट अ० लगातार ; बिना रुके लागणी स्त्री० भाव; मनोभाव (२) दया लागणीप्रधान वि० भावप्रधान; भावुक लागत स्त्री ० लागत ( २ ) जकात लागतं वळंगतुं वि० लगावटवाला; संबंधी लागभाग पुं० संबंधीकी हैसियतसे मिलनेवाला हिस्सा लागलागट अ० लगातार; बिना रुके लागलं अ० तुरत ही; फ़ौरन लागवग स्त्री० बड़े आदमियोंसे जानपहचान; रसाई; पहुँच लागवं स० क्रि० संबंध या स्पर्श होना; लगना; जुड़ना; सटना ( २ ) संबंध, रिश्ता होना; लगना ( ३ ) मनोभाव अनुभव करना; दिलपर असर करना; —के लिए मनमें भाव पैदा होना; लगना For Private and Personal Use Only Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org लागं लगना; टकराना; रगड़ खाना; (४) जान पड़ना; अनुभव होना; समझमें आना लगना (५) दिखाई देना; प्रतीत होना; ज्ञात होना ( ६ ) इच्छा - हाजत होना; लगना ( भूख-प्यास ) ( ७ ) ( किसी काममें) मुस्तैदीसे, मनोयोगपूर्वक लग जाना; जुटना; लिपट जाना;लगा रहना (८) जारी होना; शुरू कर देना; ठिकाना लगना; उदा० ' ते नोकरीए - कामे-धंधे लाग्यो छे' (९) ठीक बैठना ;लगना (कुंजी); असर - प्रभाव करना ( दवा ); लागू होना (क़ानूनकी धारा) (१०) हानिकर प्रभाव होना; लगना; उदा० 'पाणी लागवुं, उजागरो लागवो' (११) धक्का चोट लगना (१२) आँख मूंदना, लगना; उदा० 'हमणां ज आंख लागी छे' (१३) खर्च होना; दाम लगना (१४) किसी स्त्री या पुरुषका अन्य पुरुष या स्त्रीसे अवैध संबंध जोड़ना । [ कामे लागवुं = नौकरीधंधे में लग जाना (२) काम आना; इस्तेमाल होना । पूठे लागवुं = हाथ धोकर ( किसीके ) पीछे पड़ना ( २ ) पीछे लगना; किसी आशासे पीछा पकड़ना । हाथ लागवुं - मिलना; हाथ लगना ; हाथ आना | लामबुं अ० क्रि० सुलगना; जलने लगना लागु वि० लागू; लगा हुआ; सटा हुआ ( २ ) ठीक बैठता हुआ; अनुकूल आनेवाला (३) अ० जारी । [ -करवुं = अपनी जगह पर ठीक बैठे ऐसा करना; चरितार्थ हो ऐसा करना (२) जोड़ना; लगाना । —थयुं, पडवुं = पीछे-पीछे जाना; साथ हो लेना (२) ठीक बैठना; लागू होना ( ३ ) अवैध संबंध जोड़ना ( स्त्री-पुरुष) (४) (रोग) ४२७ लाडो लगना (५) दवाका असर होना । - रहेवं: = लगा रहना (२) पीछे-पीछे जाना; साथ धरना. ] लागो पुं० लाग; नेग; हक़; दस्तूरी (२) कर ; महसूल ( ३ ) लगाव; रिश्ता; लाग (४) पीछा लाज स्त्री ० लाज; शर्म ( २ ) परदा ( रखना) (३) प्रतिष्ठा; लाज । [ काढवी = परदा करना; घूंघट करना, काढ़ना, निकालना । —मूकवी = परदेकी प्रथाका त्याग करना (२) हया - शर्मका त्याग करना । - राखवी = आबरू बचाना ; लाज रखना.] लाजम वि० देखिए 'लाजिम ' लाजवं अ० क्रि० लजाना; शरमाना लाजिम वि० लाज़िम; उचित लाट (ट) स्त्री ० लाट; जाठ ( घानीकी) (२) धुरा ( गाड़ीके पहिये या चरखेकी ) लाट पुं० लहर; तरंग लाट पुं० लॉट; ढेर लाटसाहेब पुं० बड़ा हाकिम; लाट लाटी स्त्री० लकड़ीकी बखार; टाल लाटो पुं० लहर; मौज; तरंग लाटो पुं० साबून या किसी धातुका लंबा टुकड़ा । [ लाटा काढवा = फ़ायदा होना; प्राप्ति करना. ] लाठी स्त्री० बाँसका लंबा डंडा ; लाठी | [ - चलाववी = लाठी चलाना.] लाड न० लाड़; दुलार लाडकणुं वि० लाड़ला; प्यारा erseवायुं वि० देखिए 'लाडवायुं ' लाकुं वि० देखिए 'लाडवायुं ' लाडवायुं वि० लाड़ला ; दुलारा ; प्यारा लाडवो पुं० देखिए 'लाड' । लाडवा खावानुं काम नयी = आसान काम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२८ नहीं है। सेल नहीं है। -बाबो, जनयो सपोरिन न० रेलिए 'लाप]ि =प्राप्ति करना; लहु बटना,मिलना.) साको पुं० तमाचा (२)उगाहमति लाडी स्त्री० सुकुमार कन्या(२)दुलहन; (३) बर्गला;वड़ा दुलहिन; लाड़ी [बेटा; दुलहेटा व वि० सुकुमार; नाजुक कोमल लागलं वि० लाड़ला (२) न० लाड़ला साबी स्त्री० देखिए 'लापी' ..... लारपुं० लड़; मोदक (२)पिंडा; गोला। साई न. पीकुमारका पट्टाम्बाला -भावानुं काम आसान काम; खेल.] काम पुं० लाम; प्राप्ति; फाक्तलागे पुं० लाड़ा (२) लाड़ला बेटा। सापो लाभ मिलना; फायदा होगा.] लात स्त्री० लात; पाद-प्रहार (२) हानि; लाभपांचम स्त्री० कार्तिक शुक्ला पंचमी लपाड़ [ला. [-सावी, वागवी = साभ, स० क्रि० लाभ होना; बटना; लात खाना; लातका प्रहार सहना (२) कमाना हानि होना। -मारवी, लगाववी पाय (लाह.) स्त्री० आग; अग्नि(२) लात चलाना; लातसे मारना (२) जलन; वाह । [-पवी, लागी . नुकसान करना.] चीजको आग लगना। मेरमा जाप लाताटवं स० क्रि० लातसे मारना; लागी = जोरकी भूख लगना में लताड़ना कोठी चूहे दौड़ना (२) जलन, दाह होगा.] हाती स्त्री० बंदरगाहके पासका गोदाम; लायक वि० लायक; योग्य (२)वधिकार(द,) स्त्री० लीद कारी; लायक (३) अनुकूल; साब स० क्रि० लादना मुनासिब; उपयुक्त [लायत्री लादी स्त्री० पत्थरकी पतली और छोटी लायकात, लायकी स्त्री० लिया तस्ती; पटिया (२) फ़र्श; गच लायरी (ला') स्त्री० बहुत बोलना लाप, स० कि० पाना; लापना [प.] बकबक (२)शेखी; खुदकी बड़ाई;ौंग (२) अ० कि. जहाजका जमीनसे चिपक जाना लार(ला') स्त्री० लंबी कतार; लोहड़ा लापट स्त्री० लप्पड़; तमाचा लारी (ला') स्त्री० रेलकी पटरी पर लापटियुं न० गलसुआ; कनफेड़ ठेलकर चलाई जानेवाली गाड़ी (२) लापरबा वि० लापरवा; लापरवाह माल ढोनेके काम आनेवाली गाड़ी लापरवाई स्त्री० लापरवाई; बेफ़िक्री (हाथकी या मोटर-लॉरी) लापशी (-सी) स्त्री० गेहूंके दरदरे लाल पुं० छैला; रंगीला पुरुष ; बाँका आटेका एक प्रकारका हलवा; ज्यादा (२)पुत्र; लाल (३)स्त्री० माणिक; घी डालकर बनाई हुई लपसी लाल (४) एक चिड़िया; लाल लापी स्त्री० किवाड़, मेज, कुरसी आदि लाल वि० लाल ; सुर्ख। [-घोडीए चावं लकड़ीकी चीजोंके छेद आदि भरनेके = शराब या अफ़ीमका नशा करना; कामका एक प्रकारका मसाला; पुटीन लाल पानी पीना।-थई जq= लालसापोट स्त्री० लप्पड़ा पोल; तमाचा पीला हो जाना; क्रोष करना। - For Private and Personal Use Only Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोदी करवा पान खाना (२) यश मिलना.] लाल अंगारा सवून, लालपटक वि० बहुत लाल मन्यु वि. लालची; लोभी पाचोळ वि० देखिए 'लालघूम' । पानी पुं० कृष्णकी नालस्वरूपकी मूर्ति (२) गोस्वामीजीका बेटा सातवाणी स्त्री० लालपानी; शराब सावन वि० बहुत लाल; लालभभूका कल्याई स्त्री० आग; अग्नि सासनलाल वि० लालसुत्र ; बहुत लाल साल पुं० छैला; रंगीला पुरुष बांका का स्त्री० लाली; सुर्जी; ललाई काली स्त्री० लाली; सुखी (२)घंटेका कटकन; लोलक कालो पुं० छैला; बांका; मोजी (२) पठान एक ताल सावनी स्त्री० लावनी (२) संगीतका साबरी स्त्री० एक पक्षी; लवा; लावा साप (ला') न० कुत्तका काटना (२) कुत्तेका भूकना। [-माल, भर= कुत्तका काटना (२)गुस्सेमें बोलना; फटकारना.] लावलश्कर न० लाव-लश्कर मावळ स० कि० लाना; ले आना ला(ला') न० कुत्तेका काटना लाम(स) वि० बरबाद; नष्ट (२) स्त्री० लाश । [-अवंतबाह होना.] सासर स्त्री० व्यर्थकी देर; ढील लासरियाप" न०, लासरियावेग पुं० ब० व० व्यर्थकी देर; ढील सासरियं वि० जो कहे मगर करे नहीं; व्यर्यकी देर करनेवाला; ढीला लाही स्त्री० गेहू के आटेकी माडी; लेई काळ स्त्री० सार; राल लाठियं वि० अधिक लार टपकती हो ऐसा (बच्चा) (२)न० वह कपड़ा जो बच्चेके गलेमें इसलिए बांधते हैं कि राल टपकनेसे उसका शरीर भीगे नहीं; सीनाबंद (३) दूधभरी बाल, खोशा लाळी स्त्री० रजस्राव (पशुका) लाळी स्त्री० कानका निचला भाग; लोलकी; लोंडी (२) घंटेका लटकन; लोलक (३) बोलना; आवाज; हुओं (पशुपक्षीकी- खासकर स्यारकी) लाळो (ला') पुं० अंगारा लांग पुं० मटर जैसा एक दलहन लांगर,(०) सक्रि० देखिए लंगर लंगर डालकर जहाजको ठहराना लांघ (०१)(०) न०; स्त्री० लंघन; उपवास लांप,(०) न० धरना (देना) लांघ (०) अ० क्रि० लंघन करना(२) किसीके यहाँ धरना देना लांघो(०) पुं० लंघन; उपवास (२) धरना (३) बड़ा डग, फाल लांच() स्त्री० रिश्वत; लांच; धूस लचिलाउ, लांचसोर(०)वि० घूसखोर लांचियं (०) वि घूसखोर;रिश्वतखोर लाठ(०) वि० धूर्त ; शठ (२) अक्खड़ा किसीके वशमें न रहनेवाला; सरकश; . तूफ़ानी लापी(०) स्त्री० देखिये 'लापी' लांबरी(०) स्त्री० एक पातसाग, भाषी लांबी (०) स्त्री० स्मृति; याददाश्त (२) देखिये 'लापी' . लांबीढूंको (०) स्त्री. बंड-बंटवी चौड़ी (२) तकरार; हुज्जत लाई(०) वि० लंबा; अधिक विस्तारवाला; दूर। लांबीच, निजामा For Private and Personal Use Only Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लीलवो दीर्घ निद्रा; लंबा सफ़र । लांबी लिंबु न० नीबू (फल) संचवी = लंबी तानना; झुरमुट मारकर । लिंबुरी, लिंबोई स्त्री० नीबू (पेड़). सो जाना (२) मर जाना। लांबी फाळ लिबोळी स्त्री० चौड़े मुंहका एक बड़ा भरवी भारी हिम्मत करना; साहस बरतन (२) निबौली; निमकौड़ी . करना (२) अपने बूतेसे बाहर काम लोक स्त्री० लीक; रेखा (२)हद; लीक करना । -करवं% लंबा करना; तूल लोख स्त्री० जूका अंडा; लीख देना; पिष्ट-पेषण करना। -काह, लीखियं न० लीखें निकालनेकी बारीक = अधिक जीना। -संचवं - बहुत दंदानोंवाली कंधी जीना (२) ढील करना; समय व्यर्थ लीटी स्त्री० रेखा; लकीर; लाइन (२) बिताना। -प, यई अgकिसी पंक्ति; कतार(३) काव्यपंक्ति; चरण; काममें अधिक समय लगना; तूल पाद (४)मर्यादा; लीकहद । [-मारवी पकड़ना (२) (आरामके लिए) लंबी =लकीर खींचकर रद्द करना, काटना.) तानकर सोना (३) बहुत घाटा सहना लीटो पुं० मोटी लकीर (२) छेक; अक्षर (४) मर जाना । लांगे हाथ करवो%3 काटना। [लोटा ताणवाऊटपटांग मदद करना या मांगना; हाथ धरना लकीरें खींचना (२) बेतुका चित्र या पसारना (२) भीख माँगना; हाथ खींचना या लिखना। -मारवोपसारना (३) घूस लेना (४) बाधा छेकना; अक्षर काटना.] डालना. लीये ० -के कारण; को लेकर । लांबुछट (०) वि० चित; पट लीपण न० गोबर-मिट्टीका लेप; लिपाई लांबुलच (क)(१) वि. बहुत लंबा; लीपवं सक्रि० लीपना (गोबर-मिट्टीस) लंबा-चौड़ा लोमडी स्त्री० छोटा नीम (२)नीमकी लांभवं, लां (०) न० विभाग; हिस्सा जातिका कोई छोटा पेड़; उदा० 'मीठी (२) वह चिट्ठी जो हिस्सेदारों के लीमडी' हिस्सेकी बॉटके लिए डाली जाती है। लोमडो पुं० नीम [पट्टी; लीर पं.] लिखित वि०लिखित लिखा हुआ (२) लीरो पुकपड़ेका लंबा टुकड़ा; धज्जी न० भाग्यलिपि; भाग्यरेखा . लील स्त्री० काई; सिवार(२)जीभका लिखितंग वि० "लिखनेवाला' इस अर्थमें मैल। [-उतारवी = जीभका मल खत लिखते समय इस्तेमाल करते है साफ़ करना. 'लिफाफो पुं० लिफाफ़ा : लीलछोयं वि० हरा (२)हरी छालका लिलाम) में नीलाम लीलझामं न० चोटसे बना हुआ हरा लिसोटी स्त्री० छोटी रेखा या खरोंच; दाग़; नीला; नील (पड़ना) पिसनेका चिन्ह ; रगड़ लीलम म० हरे रंगका एक रत्न; लिसोटो पुं० बड़ी रेखा या खरोंच: पन्ना; मरकत . कारी; सब्जी लकीरलीक लीलवण न०,(-जी) स्त्री० हरी तरलिका स्त्रीक नीबूषा पेड़; नीबू ... लीलवो पुं० दलहनकी फलीका हरा दाना For Private and Personal Use Only Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org लीलागर लीलावर स्त्री० भाँग लीलामुं न० देखिए 'लीलझामुं ' लीलालहेर स्त्री० आनंद; ऐश (२) खुशहाली लीलाश स्त्री० हरापन लीला पाणी न० ब० व० घोटी हुई भाँगका पेय; भाँग लीली घोडी स्त्री० भाँग ( २ ) भांगका नशा । [ - ए चडवं = भंग पीना ; भंगका नशा छाना.] लीलीसुकी स्त्री० सुख-दुःख ; नीच ऊँच लीलं वि० हरा; सब्ज़ (२) गीला ; भीगा (३) रसवाला; तरोताजा ( ४ ) तर; मालदार; धनी । [ लीला झाड तळे भूखे मरतुं = खूब हयादार - लज्जाशील होना ( २ ) बहुत आलसी ; कामचोर । लीली वाडी = भरी जवानी; चढ़ती, खिलती जवानी (२) बालबच्चोंवाला बड़ा परिवार। -करवुं = फ़ायदा पहुँचाना ; संपत्ति प्राप्त करना । तोरणे = कुछ भी हासिल किये बग़ैर । लौलो बुकाळ = अतिवृष्टिसे होनेवाला अकाल; पनकाल; पनिया काल.] लीलुंछम वि० बहुत हरा; हरा हीं हरा लोलुपीळं वि० नीला-पीला ; अति क्रुद्ध; लाल-पीला लीलोतरी स्त्री० हरी वनस्पति ; हरियाली (२) सागपात; सब्ज़ी; भाजी लीसुं वि०जो खुरदरा न हो; चिकना (२) फिसलनवाला; चिकना (३) ढीला; व्यर्थकी देर करनेवाला लीपुंस वि० बिलकुल चिकना लोंड न०; स्त्री० रेंट; सिनक - कोंडी स्त्री० लेंडी; मंगती: मेगनी: ४३१ लूबुंपासुं लडीपीपर स्त्री० पीपलकी कली; पीपर; पीपल [हुआ मल; बड़ी लेंड़ी डुंन० (ऊँट, गधे आदिका ) गोल बँधा लीपन (०गूंपण) न० देखिए 'लीपण * लपवं (०पवं) स०क्रि० देखिए 'लीपवु' लोंबडी ( - डो) देखिए 'लीमडी ' आदि लोंबण स्त्री० देखिए 'लिंबण' लींं, लींबुडी, लोंबोई देखिए 'लिंबू' आदि लोंबोळी स्त्री० देखिये 'लिंबोळी ' : लुच्चाई स्त्री० कपट; धूर्तता लुच्चुं वि० धूर्त; कपटी ( २ ) काइय घाघ; चंट (३) लुच्चा; बदमास; व्यभिचारी [कपड़ा आदि; पोंछना लछणियं न० पोंछनेके काम आनेवाला लुछाव स० क्रि० 'लुछवं' का प्रेरणार्थक; पोंछवाना [पोंछा जाना लुछावं अ० कि० लुछ्वं ' का कर्मणि: सुणियं वि० लूटनेवाला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लुटारु ( - रो) पुं० लुटेरा ; डाकू लुटावबुं स०क्रि० 'लूटवं' का प्रेरणार्थक; लुटाना [ लुटना लुटावं अ० क्रि०' लूटबुं' का कर्मणि; लुहार पुं०- लुहार; लोहार: लुहारियां न०ब०व० देखिए 'लवारियां' लू स्त्री० लू (२) लूसे होनेवाला सेम । [ -लागबी = लू लगना, मारना । - बाबी = लू चलना. ] लूओ पुं० लोई ; पेड़ा (गूंधे हुए आटेका) लूक ( ख ) स्त्री० देखिए 'लू' लूखस स्त्री० खुजली (रोग) लूबुं वि० जिसमें चिकनापन न हो; 1 रूखा ( २ ) रसहीन; सूखा ; रूखा ( ३ ) निर्धन; खाली हाथ || हसवं = कृत्रिम ढंगसे हँसना-] लूबुंगा (पू) सुं कि० रूखा-सूखा For Private and Personal Use Only Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गडक गतां न० ब० व० कपड़ा-लत्ता गहुं न० कपड़ा; वस्त्र ( २ ) साड़ी । [ लूगडां उतारीने वांचजो = मौतकी खबर देनेके लिए ( पत्रके आरंभ में) लिखा जानेवाला सांकेतिक वाक्य | सुगडां उतारी लेवां = सब कुछ छीन लेना; कपड़े उतार लेना । लूगडा लेवावां = डाकुओं आदि द्वारा लूटा जाना । लूगडां लेवां = लूटना.] लूगबी स्त्री० लुगदी (२) मांझा (पतंगका) सूनुं न० देखिए 'लुछणियं ' स० क्रि० पोंछना (२) किसीके कोई गीली चीज मलना, लगाना, चिपकाना [माल; लूट सूर स्त्री० ० लूट, डकैती ( २ ) लूटा हुआ कूडफाट स्त्री० लूटमार; लूटपाट बुं स ० क्रि० लूटना; जबरदस्ती छीनना लूटालूट स्त्री० बार-बार या अनेक "जगहों पर लूटमार मचना कूज न० लवण; नमक। [-उतार = बाधा दूर करने के लिए नमक निछावर करना; वारना । - बाबुं - = का नमक खाना ( २ ) - का नमक खानेसे उसका एहसानमंद होना या वफ़ादार रहना.] महराम वि० नमकहराम बहलाल वि० नमकहलाल लूनी स्त्री० एक भाजी ; लोनी ; नोनिया लूजो पुं० लोना; खार; नोना लूम स्त्री० फलोंका गुच्छा; घोद ; घौरी लूमलं न० (-खो) पुं० फलोंका बड़ा गुच्छा; चौरा ४३२ सूम अ० क्रि० लटकना लूमना [ प . ] (२) झुकना; नत होना कूली ( ० बाई) स्त्री० जीभ; लोला । [हलाववी, हलाव्या करवी = सिर्फ़ मुँह Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir से कहना ; जीभ हिलाना (कुछ किये बग़ैर ) (२) हुँ-हीं करना. ] " लुं वि० लंगड़ा (२) अशक्त ; निर्बल; असहाय (३) प्रमाणरहित; बेबुनियाद; आधारहीन; अमूल लूंट स्त्री० देखिए 'लूट' लूटणि वि० देखिए 'लुटणियुं ' लूंटफाट, लूट देखिये 'लूटफाट', 'लूट' लूंटार (-रो) पुं० देखिए 'लुटारु' लूंटालूंट स्त्री० देखिए 'लूटालूट' लूंटावबुंलूंटाबुं देखिए 'लुटावनुं', 'लुटावु' ंडाणुं न० दासता; गुलामी लूंडी स्त्री० लोंडी; दासी लूंडो पुं० दास; गुलाम लूंब स्त्री० देखिए 'लूम ' लूंब अ० क्रि० देखिये ' लूमबुं ' लेल पुं० लिखी बात; लेख; उदा० 'शिलालेख, विधिना लेख ' (२, करारनामा; दस्तावेज; लिखित; लेखपत्र (३) छोटा निबंध; लेख | [-करवी = लिखापढ़ी-लिखित करना । —कोतराववो, लखाववो = शिला या ताँबे आदिके पत्र पर लेख लिखवाना.] लेखन (-जी) स्त्री० लेखनी ; कलम लेखपत्र पुं०; न० लेखपत्र ; दस्तावेज लेखव, लेखबुं स० क्रि० गिनना; कुछ मूल्य - महत्त्व रखनेवाला मानना; समझना [लेखित लेखित वि० लिखा हुआ; लिखित; लेखितवार, लेखी वि० लिखा हुआ; लेखित; लिखित (२) अ० लिखकर लेसुं न० गणितका छोटा, आसान प्रश्न जो जबानी किया जाय (२) महत्त्व गिनती (३) शक्ति; हैसियत बिसात For Private and Personal Use Only Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लेखे अ० - के हिसाबसे ; अनुसार(२) प्रीत्यर्थ; वास्ते;-के नाम पर। [-लाग, = इस्तेमाल होना; काम करना; कारगर होना.] लेनदार (लॅ') पुं० लेनदार लेगवेण (लें') स्त्री०लेन-देन; लेने-देनेका संबंध; लेना-देना (२)पूर्वजन्मका कर्ज लेने-देनेका संबंध ; ऋण-संबंध लेणावेणी (ले') स्त्री० देखिए 'लेणदेण' नं० २ (२) लेन-देनका संबंध लेणु (लें') न० लहना; लेना; पावना (२) ऋणानुबंध जैसा अच्छा संबंध लेप पुं० लेप(२)उबटन, मरहम या लेपका गीला मसाला; लेप (३) आसक्ति; लगाव; लेप लेपडी स्त्री० दर्द आदि पर लगानेका या रखनेका लेप;मिट्टी आदिकी पट्टी;प्रलेप लेप वि० गले पड़नेवाला लेपडो पुं० पपड़ी; परत [लगना लेपवं स० क्रि० लेपना (२) लिपटना; लेपावं अ.क्रि० लेपवु'का कर्मणि (२) अनुरक्त, आसक्त, लिप्त होना लेबल न० लेबुल; लेबल लेबास पुं० लिबास ; पोशाक लेभागु(लॅ) वि० उचक्का (२) कहींसे किसीका माल हड़पकर अपना बतानेवाला लेमूक (ले) स्त्री० आपसमें निबटारा; कुछ रकम छोड़कर चुकता करना (२) घबराहट; हड़बड़ी; व्याकुलता लेमेल (लॅ) स्त्री० बार-बार उठाना और धरना (उतावलीके कारण) (२) मरणासन्न अवस्था; मौतकी घड़ी (३) इस तरहकी घबराहट या हड़बड़ी; अधीरता लेम्प पुं०;न० लप; लंप; चिराग लेरखें (ले) न० देखिए 'लूमखु' लेलं (ले) न० राजका औजार; करनी; कनी (२) एक पक्षी; सतमइया लेलर (ले) वि० उनींदा; ऊंघता हुआ लैलर (ले) वि. अतिशय; बहुत . लेवर स्त्री० उधारका व्यवहार लेवदेवड स्त्री० उधार लेने-देनेका संबंध; उधार, मॅगनीका व्यवहार लेवराव स० क्रि० 'लेवं' का प्रेरणा थेक; लिवाना (२) डॉटना; धमकाना लवादेवा पुं०; स्त्री०लेने-देनेका या अन्य किसी प्रकारका संबंध; लेना-देना लेवाल न० खरीदनेवाला; लेवाल वाली स्त्री० खरीद; लेवाली लेवावं अ० क्रि० लेवु' का कमणि; लिया जाना (२) चेहरा पीला पड़ना; दुबला होना; सूखना (३)खिसियाना; लज्जित होना । लवाई जq=खिसियाना (२) सूखकर कांटा हो जाना.] लेवं स० कि० लेना; किसीको स्वीकार, धारण करना (२) थामना; पकड़ना; लेना (३) ले लेना; शामिल करना; उदा० 'आ काममां एने न लेशो'(४) खाना या पीना; उदा. 'अत्यारे दूध लेशो के चा' ? (५) मान्य रखना; समर्थन करना; लेना (पक्ष; तरफ़दारी) (६) खरीदना; लेना; उदा. 'घोडो क्यारे लीधी' ? (७) मूल्य, कीमत लेना उदा० 'आ शाल- शुं लीधुं'? (८) धारण करना; रूप भरना (९) अनुमान, धारणा करना; रखना; उदा. 'शक लेवो'(१०)अगवानी करना; साथ ले चलना; ले जाना; उदा. 'छोकराने साथे लीयो '(११)हड़पना; छीनना; ग. हिं-२८. For Private and Personal Use Only Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४३४ लोचो लूटना; कब्जे में करना; लेना (इज्जत, खबर लेना (२) वैर लेना। मनमा समय, जीव, रिश्वत आदि) (१२) लेवं = बुरा लगाना; मन पर असर खबर लेना; डांटना; फटकारना; होने देना (२)मन पर धरना; ध्यान आड़े हाथों लेना; उदा० ते आव्यो देना । माथे लेवू = अपने ज़िम्मे लेना; के तेने लीघो' (१३) उठाकर सिर पर लेना। हाथमा लेQ= भागते रखना; स्थानांतरित करना; उदा० हुएको पकड़ना; मारना; लेना (२) 'टेबल पासे लो' (१४) पुकारना; बसमें करना; लेना (३) अपने काबू - बोलना; लेना; उदा. 'तेनुं नाम नियंत्रणमें करना। लेता पडवं = न लेशो'(१५) इकट्ठा करना; अपने देखिये 'लई पडवं'.] सिर पर लेना; उदा. 'निसासा लेवा; लेवदेवं न० देखिये 'लेणदेण' हाय लेवी' (१६)दर्ज करना; लिखना; लेंघी (लॅ.) स्त्री० बच्चोंका सुथना नोट कर लेना; उदा. 'तेमनुं ठेकाणुं लें (लॅ.) वि० थोड़ा पागल-सा; बौड़म लई लो'(१७) काटना (नाखून, बाल लेंघो (लॅ०) पुं० पायजामा; सुथना आदि) (१८)काम लेना या कराना; लोई स्त्री० लोई (ऊनी) उदा० 'काम लेवू'(१९)खोज करके लोकवायका स्त्री० लोकवचन; अफ़वाह जानना; समझना; लेना (नाप, थाह, लोकशासन न०, लोकशाही स्त्री० खबर, सुधबुध आदि)(२०)लेना; लोकतंत्र; प्रजातंत्र मांगना; उदा० ‘में रजा लीधी छे' लोकशाळा स्त्री० जनताको शिक्षा देने(२१) विरोध, एतराज, आपत्ति वाली एक प्रकारकी शाला करना। लई नाखवू = खबर लेना; लॉकिट, लॉकेट न० स्त्रियोंका गलेका धमकाना; आड़े हाथों लेना (२) एक गहना; लॉकेट उलाहना देना (३) अनिच्छासे या लोखंड न० एक धातु; लोहा बरबस लेना, ग्रहण करना। लई लोखंडी वि० लोहेका बना हुआ; लोह; पडवं = समझ बैठना; मानना; अपने लोह (२)बहुत मज़बूत; फौलादी (३) ऊपर लेना (२) गले मढ़ना; गले पड़ना। दृढ़ निश्चयवाला; अडिग [ला. लई बेसवूआरंभ करना (२)मानना; लोचवावं अ०क्रि० उलझना; फँस जाना; समझना; अपने ऊपर लेना (३) हज़म खटाईमें पड़ना। [लोचवाई जवं, पडवू कर जाना। लई मूकq=पहलेसे ले __= उलझना (२) घाटेमें आ जाना.] रखना; खरीदकर रख छोड़ना। लई लोचावं अ० क्रि० किसी चीज़का एक लेवं पकड़ना; थामना; ले लेना (२) ओर दब जाना; पिचकना (२) छीनना; झड़पना; झपटना (३) अपने देखिये 'लोचवावु' (३) घबड़ाना (४) अधिकार-कब्ज़में करना; लेना (४) आंखोंमें पीड़ा होना; आँखें चढ़ना अपने पास ले रखना; संग्रह करना लोचो पुं० लोंदा; पिंड (२)रद्दी काग़ज़ (५) वापस लेना (६) उठा लेना; या कपड़ेका पिंडा(३) गड़बड़; घपला उठाना । सबर लेबीहाल पूछना; (४) तकरार; एतराज; आपत्ति । For Private and Personal Use Only Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोट [लोचा पडती वात = वह बात जिसमें सफ़ाई न हो। लोचा वाळवा = साफ़ न बोलना; खुलकर, स्पष्टरूपमें न कहना; बोलते समय बीच में रुकना (२) सही बात न कहकर हीले-हवाले करना। -करवो-गोल पिंडा बनाना (२)बिगाड़ना; कामके लायक न रहने देना; गोंजना। -पडवो= तकरार या आपत्ति खड़ी होना।-पाडवो बखेड़ा या आपत्ति खड़ी करना। -वाळवो = देखिए ‘लोचो करवो'.] लोट पुं० आटा; चून । [-चाटतुं करवं = कंगाल या पायमाल करना ; खाकमें मिलाना। -फाकवो पागलकी तरह बकना (२) धूल चाटना; व्याकुलता या कायरता दिखाना (३) साधनरहित हो जाना.] लोटकू न० मिट्टीकी लुटिया लोटपोट वि० बहुत थका हुआ;लोथपोथ (२)झुरमुट मारकर लेटना; लोटपोट लोटवू अ० क्रि० लोटना; करवटें बदलना (२) लेटना; सोना (३) लुढ़कना; लोटना लोटियुं वि० सफाचट (२) बिलकुल मूंडा हुआ; सफाचट । [-कराव= सिर मुंडाना.) [जातिका आदमी लोटियो पुं० शीआ मुसलमानोंकी एक लोटी स्त्री० लोटी; लुटिया लोटुं न० मिट्टीका लोटा;मिट्टीका लोटेकी शकलका बरतन (२)सिर ; मुंड [ला.] लोटो पुं० लोटा (पात्र)(२) दस्त; पतला पाखाना [ला. । [लोटा भरवा=बारबार पाखाना जाना (२) (भोजनकी तैयारीके लिए) लोटे पानीसे भरना। -ऊतरवो दस्त होना; टट्टी होना। लोब -थवो = दस्तकी बीमारी होना।लईने जq = पाखाने जाना.] लोढ पुं० पानीकी उत्ताल तरंग; बाढ़की ऊँची लहर (२) मिट्टीका पिंडा जो आँचमें गलकर लोहे जैसा बना हो; लोष्ट ; लोहेका ढेला (३) आपत्ति; एतराज़; बाधा [ला.। [-नाखवो, पडवो = बाधा खड़ी होना, करना; अड़चन डालना या खड़ी होना.] लोढवं स० क्रि० लोढ़ना; ओटना लोढां न० ब०व० लोहेके औज़ार; लोखर (नाई, बढ़ई आदिके) लोढी स्त्री० लोहेका तवा (रोटीका) लोढुं न० लोहा (धातु) लोथ (थ,) स्त्री० लोथ; लाश (२) आफ़त;बला [ला.] (३)वि० बहुत थका हुआ; लोथ-पोथ। [-थएँ = थककर चूर होना। -पडवी= लोथ गिरना; मारा जाना। -वहोरवी=बला मोल लेना। -वळवी = बरबाद होना।वाळवी = बरबाद करना (२)बला दूर करना(३)लाश गिराना;लोथ डालना.) लोथपोय वि० थका हुआ; लोथ-पोथ लोथवं अ० क्रि० लोटना; छटपटाना लोथियु (लॉ) न० कुत्तेका काटना लोपडचोपड न० घी, तेल आदि स्नेहयुक्त पदार्थ (२) [ला.] अतिशयोक्ति (३) खुशामद लोपरी स्त्री० लोंदेको हाथसे थोपकर बनाया हुआ मोटी पूरी जैसा आकार लोपवं सक्रि० तोड़ना;उल्लंघन करना; न मानना लोफर वि०पुं० लफंगा;बदमाश आवारा लोब (लॉ) स्त्री० याददाश्त; स्मरणशक्ति (२) आदत; बान For Private and Personal Use Only Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लीवान लोबान पुं० लोबान (धूप और औषधि) लोभामणु वि० लुभानेवाला; मनोहर लोभाव, सक्रि० 'लोभावु' का प्रेरणा र्थक; लुभाना लोभाई अ० क्रि० लालचमें पड़ना; लुभाना लोभियु, लोभी वि० लोभी; लालची लोल वि० लोल ; चंचल (२)सुंदर (३) उत्सुक ; लोल (४)न० गरबेके चरणके अंतमें आनेवाला शब्द लोलक न० लटकनेवाली चीज़; लोलक (घंटेका लटकन; घड़ीका लंगर) लोहचुंबक न० लोहकांत; चुंबक; मकनातीस [लफंगा। लोहर पुं० जड;मूर्ख व्यक्ति(२)आवारा; लोहवं स० क्रि० पोंछना । तर लोहियाळ (-छं) वि० लहूवाला; खूनसे लोही न० लहू; खून ; रक्त । [-उकाळो। = जलन ; कुढ़न; गुस्सा; क्लेश। - ऊकळy गुस्सा आना; लहू उबलना। -ऊडी जh = लहू न रहनेसे चेहरा पोला पड़ना; खून सूखना (२)डर या खेदसे चेहरा विवर्ण होना;चेहरा सफ़ेद हो जाना (३)शर्मिंदा होना। -चड, धकीलातमा = तंदुरुस्ती अच्छी होना; शरीरमें खूनका दौरा होना (२)आनंद होना; बाछे खिलना ।-dपाणी करतुं सख्त परिश्रम करना;लह-पानी एक करना। -नुं पाणी थq = लहू बिगड़ना (२) खूब परिश्रम होना। -पी = तकलीफ़ देना; लहू पीना (२) चूसकर पायमाल करना। -रेडवू = (अपना या अन्यका) खून बहाना; अन्यको क़त्ल करना या अपना बलिदान देना। शेर लोही चडq = बाछे खिलना; अति प्रसन्न होना. लोहीचूतुं वि० लहू-लुहान ; क्षत-विक्षत लोहीतरस्युं वि० लहूका प्यासा लोहील(-लो)हाण वि० लहू-लुहान लोळियुं न० स्त्रियोंका लोलकीका एक गहना ; झुमका (२) धानकी बाल;बाली लोळो पुं० जीभ; लोला (२) जिह्वान लोकडी (लॉ०) स्त्री० लोमड़ी लोंठ (लॉ०) वि० देखिए 'लांठ' लोदो (लॉ०) पुं० लौंदा; लोंदा लौकिक वि० लौकिक; सांसारिक (२) इस लोकका; इहलौकिक (३) न० लोकाचार; चलन (४) मातमपुरसी व पुं० चौथा अंतःस्थ वर्ण बकरवं अ० क्रि० क्रुद्ध होना; बिगड़ना (२) बहकना; हाथसे जाना; कब्जे में न रहना(३)मुकरना; बेईमानी करना। बकरी स्त्री०, (-रो) पुं० बिक्री; विक्रय (२)बिक्री ; विक्रीकी आमदनी; गल्ला (३) बिका हुआ माल वकासवं स० क्रि० (मुंह) बाना, फैलाना वकील पुं० वकालत करनेका अधिकारी; सनदयाफ्ता वकील (२)राजप्रतिनिधि; वकील(३)किसीकी ओरसे मामलेकी पैरवी करनेवाला; वकील वकीलात स्त्री० वकालत वकीलातनानु न० वकालतनामा For Private and Personal Use Only Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बक्कर वक्कर पुं० वक्र ; मान; पद; वजन ( २ ) ढंग;चलन;पात्रता । [–खोवो, गुमाववो = मान, प्रतिष्ठा गँवाना; वक्र खोना. ] वक्रीभवन न० (किरणोंका) वक्र होना वल न० विष; ज़हर ४३७ वखत पुं० वक़्त समय ( २ ) वक़्त ; मौक़ा (३) बुरी दशा; मुसीबतका समय; मुश्किल ( ४ ) फ़ुरसत; अवकाश; वक़्त (५) बार; दफ़ा ; उदा० 'एने केटली वखत कहे ?' | [ - काढवो, गाळवो, गुजारवो = वक़्त गुज़ारना; समय नष्ट करना । - साचववो समय पर काम करना; वक़्तका पाबंद होना. ] वखतबेवखत अ० किसी भी समय; वक्त बेवक़्त = वखतसर अ० वक़्त पर; समयसे वखते अ० शायद; संभवतः; कदाचित् बखतोवखत अ० बार-बार वक़्तनफ़वक़्तन; समय-समय पर वखल्लो पुं० बानेके दोषके कारण कपड़ेमें होनेवाला नुक़सान वखाण न० बखान; प्रशंसा वखावुं स० क्रि० बखानना; सराहना वखार (र) स्त्री० बखार; कोठार वस्तुं न० पक्ष; तरफ़दारी (२) आड़; आश्रय; शरण ( ३ ) देखिये 'वगवसीलो' (४) वि० नामके अंतमें आकर ' -के पक्षका ' ऐसा अर्थ सूचित करता है; उदा० ' बापवखुं' वटं वि० बिछुड़ा हुआ; बिछोही वो पुं० भुखमरीका संकट (२) संकट । [ वखानुं मायुं = भुखमरी या संकटका मारा हुआ । खावाना वखा पडवा, होवा = खानेका न होना; रोटीके लाले पड़ना; दाने-दानेको तरसना.] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वगोवं arts स०क्रि० बदगोई करना; निंदा करना; दोष निकालना = वग पुं०; स्त्री० देखिए ' वगवसीलो ' (२) पक्ष; तरफ़दारी ( ३ ) जगह; समाई; गुंजाइश (४) मौक़ा ; अवसर | [ - करवो ( - वी ) = पक्ष करना ( २ ) व्यवस्था, प्रबंध, आयोजन कर देना । - चालवी, पहोंचवी, लागवी = बड़ोंके साथके संबंधका या इनके आश्रय या मददका असर होना । वगे करयुं, पाडवु = उचित स्थान पर सजाकर रखना; ठिकाने पर रखना । वगे पडतुं - अनुकूलता के अनुसार; यथावसर (२) तरतीब से सजाया हुआ . ] वगडाउ वि० वन्य; जंगली वगडो पुं० जंगल; वीराना वगदां न० ब० व० मिथ्या प्रयत्न are अ० बग़ैर; बिना सिवा वगवसीलो पुं० बड़ोंके साथका संबंध और उनका आश्रय या मदद; वसीला बगसग स्त्री० देखिये 'वगवसीलो ' (२) समा सके ऐसी जगह; गुंजाइश;अवकाश वगडाववुं स० क्रि० 'वगाडवु', 'वगडबुं' का प्रेरणार्थक 1 वगावं स० क्रि० बजाना (२) चोट, प्रहार लगे ऐसा करना; चोट पहुँचाना afri, वगीलुं वि० जान-पहचानवाला; जिसकी कुछ चलती हो ; प्रभावशाली (२) पक्षपाती (३) न० पक्षपात वगेरे अ० वग़ैरह; इत्यादि मो पुं० मुहल्ला; टोला वगोणुं न०, ( - वणी) स्त्री०, ( -वणुं) न० निंदा ; बदगोई [ करना वगोवबुं स० क्रि० निंदा करना; बदगोई For Private and Personal Use Only 6 Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वट वघर९ ४३८ वघरडं न० साठी जैसा लाल धान (२) वछ स्त्री० वस्तु; चीज चोकर; कचरा; बनावन वछनाग पुं० बछनाग वघरj न० विघ्न; बाधा वछूटवू अ० कि० छूटना; सटी, चिपकी वघरो पुं० टंटा; अनबन (२) विघ्न । चीज़का अला होना (२)सटी चीजसे (३) बिगड़ना या सड़ने लगना । अलग होकर उड़ना, वेगसे फेंका जाना; वघार पुं० बघार; छौंक (२)टुपकना; छूटना [हुआ; वियुक्त उभाड़ना;उकसाना; चुटीली बातला. वछटुं वि० बिछुड़ा हुआ; अलग किया वघारणी स्त्री० हींग वछेरी स्त्री० बछेड़ी; बछेरी वघार, स० क्रि० बघारना; छौंकना वछेरुं न० घोड़ीका बच्चा;बछेड़ा;बछेग्न वच स्त्री० बीच; मध्यस्थता वछेरो पुं० घोड़ीका नर बच्चा; बछेड़ा; वचकलं न०हरज; आपत्ति ; बुरा लगना बछेरा (२) बछड़ा (तुरतका खसी वचक (-का), अ० कि० बुरा लगना; किया हुआ) नाराज होना; रूठना (२) बीचमेसे वछो पुं० बिछोह; वियोग (२) भेद ; फूट खिसक जाना वछोडवू स० क्रि० सटी, चिपकी चीजको वचकुं न० विघ्न; बाधा अलग करना; पकड़से निकालना; वचको पुं० बुरा लगना (२) हरज; छोड़ना आपत्ति (३) वहम वज स्त्री०; न० बच;वचा (एक वनस्पति) बचगालो पुं० बीचका हिस्सा; बीच । वजन न० वज़न ; भार (२) तौल ; वज़न वचन न० वचन; कथन; वाक्य ; बात (३)/ला. महत्त्व; दबाव ; वजन (४) (२) प्रतिज्ञा; क़ौल'; वचन (३) मान; प्रतिष्ठा; वज़न। [-पउवं = वचन; उदा० एकवचन' [व्या.] । प्रभाव, असर पड़ना. -काढवं%Dकहना; बोलना; बात मंह वजरबटुं(-टुटुं) न० बजरबटू पर लाना (२)प्रतिज्ञा करना।-तोड. वजाडवू स० क्रि० बजाना q= वचनभंग करना। -मारवु = ताने वजीको पु० इनाममें मिली ज़मीन;माफ़ी मारना; कटु वचन कहना। -लेg = जमीन; इनाम [(शतरंजका) प्रतिज्ञा करना; वचन लेना.] | वजीर पुं० वज़ीर; मंत्री (२) वज़ीर वचनी वि० वचन पालनेवाला;सत्यवादी । वजीराई (-त), वजीरी स्त्री० वजारत वचमां अ० बीचमें; दरमियान वजूद न० खरापन; सचाई वचलं वि० बीचका; मझला वज्जर न० इंद्रका अस्त्र; वज्र । [-जेवू बचाळ स्त्री०, (-छं)न० बीचकी खाली __ = बहुत कठोर; वज.] जगह; बीच (२) छेद; सूराख वट वि० मुख्य ; सबका बचाळो पु० काम न आनेवाला कोना वट स्त्री० टेक ; संकल्प; प्रतिज्ञा (२) वचेट वि० मझला; बीचका आबरू (३) महाजनी; साहूकारी (४) बच्चे अ० बीचमें वह स्थान जहाँ लेन-देनका काम चलता बच्चोवच अ० बीचोंबीच ; ठीक मध्यमें हो; साहूकारा; उदा० 'नाणावट' (५) For Private and Personal Use Only Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बटक होनेका भाव बतानेवाला प्रत्यय; उदा० 'घरवट'(६)पं० रोब:प्रभाव; शान । [-पडवो रोब, धाक जमना। -मां रहे = रोबमें रहना. वटक स्त्री०; पुं० मूल्यका वह अंतर जो दो चीज़ोंके अदल-बदलमें रहे; फ़र्क (२)क्षति-पूर्ति; नुकसानका मुआवज़ा (३) बदला; वैर वटकवू अ० क्रि० रूठकर भाग खड़ा होना; रिसाना; नाराज होना वटल(-ला) अ० क्रि० हलकी मानी जानेवाली जाति या धर्ममें जाना; जाति या धर्मभ्रष्ट होना . वटलोई स्त्री० बटलोई वटवृं सक्रि० लाँघना;पार करना (२) अ० क्रि० (समय) बीतना, गुज़रना (३) (पानीका) पीछे हटना ; उतरना (४) भाग जाना वटहुकम पुं० मुख्य हुक्म या सब पर लागू होनेवाला हुक्म(२)आर्डिनेंस;अध्यादेश वटाणो पुं० मटर (दाना) वटाव पुं०ऋण, मूलधन, कीमत आदिकी कुछ माफ़ी; छूट (२)बट्टा; जाई;भुनाई (३) बिक्री पर मिलनेवाली दलाली वटाव, सक्रि० भुनाना; अंजाना (सि क्का) (२) हुंडी, नोट आदिको सिक्कोंमें बदलवाना; भुनाना (३) लाँघना; पार करना; -से बढ़ जाना (४) वटवू', 'वाटवू' का प्रेरणार्थक। [(-ने)वटावे एवं = से बेहतर; -से बढ़कर। वटावी खावं = धोखा दे जाना (२) बसमें न रहना; न बदना (३) -का दुरुपयोग करना;उदा० 'बापनी आबरू वटावी खाधी'.] [का कर्मणि बटावं अ० क्रि० वटवु' और 'वाटवु'- वटाळ पुं० जातिभ्रष्ट या धर्मभ्रष्ट होनेका भाव; भ्रष्टता [करना वटाळवं स० कि० जाति या धर्मभ्रष्ट वटाळो पुं० देखिये 'वटाळ' वटमार्ग पुं० बटोही; पथिक; मुसाफ़िर वटेशरी स्त्री० राहखर्च; मार्गव्यय (२) पाथेय; संबल बड पुं० बड़; बरगद (२)वि० बड़ा वडग्बो पुं० एक पेड़; लसोड़ा; लहसुआ वडपण (-गुं) न० बड़प्पन वडवाई स्त्री० बरोह; डाढ़ (बड़की) बंडवागळ स्त्री०, वडवागळं न०, वर वागोळ स्त्री०. चमगादड़; गादरु वडवो पुं० पुरखा; पूर्वज (२) बाप या माँका बाप; दादा (पिताका पिता); नाना (माताका पिता) वडससरो पुं० सास या ससुरका बाप; ददियाससुर (ससुरका पिता); ननि- . याससुर (सासका पिता) वडसासु स्त्री० सास या ससुरकी मौ; ददियासास (ससुरकी माता); ननियासास (पति या पत्नीकी नानी) बडाई स्त्री० बड़ाई;कीति(२)शेखी;घमंड वडागरं वि० (समुद्रके किनारे गड्ढोंमें पानी सुखाकर बनाया हुआ) डलेदार (नमक); पाँगा; साँभरका (नोन) बडारण स्त्री० रानीकी दासी; खवास स्त्री; लौंडी [या नानी पडियाई स्त्री० बाप या मांकी माँ; दादी बडी स्त्री० बड़ी; बरी (चौलेकी) -वडील वि० बुजुर्ग; बड़ा; पूज्य (२)पुं० गुरुजन; पूज्य पुरुष (३)पूर्वज; पुरखा वडीलोपाजित वि० पैतृक; मौरूसी; __ बाप-दादाका [आदिमें अधिक बई वि० बड़ा; उम्र, पद, अधिकार For Private and Personal Use Only Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४० बदार बहुं न० बड़ा (उरदका) (२) 'परत के वणसाड स० क्रि० 'वणसवू' का प्रेरअर्थमें संख्यावाचक शब्दके साथ आता णार्थक ; विनाश करना; बिनसाना [प.] है; उदा० 'एकवडु; बेवडुं' वणाई स्त्री० बुननेकी मजदूरी; बुनाई बड़े अ० से (२) बुननेका ढंग; बुनावट; बुनाई बडे वि० बुजुर्ग ; बड़ा [लड़ाका वणाट पुं० बुनाई ; बुनावट । बढकण (-j), वढकालं वि० झगड़ालू; वणाटकाम न० बुननेका काम ; बुनाई वढवाड स्त्री० क़ज़िया; टंटा; लड़ाई वणिय(-ये) र (व') न० एक छोटा वढवाडियुं वि० देखिए 'वढकणुं' चौपाया जंतु; बिज्जू [फाड़ डालना बढवं अ०क्रि० तकरार करना ; झगड़ना; वतडवू स० क्रि० नाखूनसे खुजलाना या लड़ना (२) मारपीट करना; लड़ना वतन न० वतन ; मूल वासस्थान ; जन्म(३) सक्रि० डाँटना; फटकारना भूमि (२) सरकारकी ओरसे इनाममें वढा अ० क्रि० 'वढवू', 'वाढवू' का मिली ज़मीन; माफ़ी ज़मीन ; जागीर कर्मणि [प्रेरणार्थक (३) ज़मीन-जागीरकी उपज बढावयु सक्रि० 'वढवू', 'वाढवू 'का वतनदार वि० (२) पुं० जागीरदार वण (ण,) अ० बिना; बगैर बतरडवं स० क्रि० देखिए ‘वतडवू' वण (ण,) न० कपास (२) कपासका वतरणुं न० कलम (लकड़ीका लिबनेखेत या पौधा का टुकड़ा) वणकर पुं० बुनकर; जुलाहा बताडवं स० क्रि० देखिए 'विताडवं' वणकरी स्त्री० बुननेकी मज़दूरी; बुनाई वतावq स० क्रि० सताना; परेशान वणछो पुं० पेड़की छाया (नीचेके पौधे करना (२) छेड़ना (३) बताना पर पड़नेवाली) वती अ० से (२)वास्ते;-के स्थान पर; वणज पुं० बनिज; व्यापार ; धंधा (२) -के बदले स्त्री० माल; सौदा; व्यापारकी चीज़ वतुं न० हजामत वणजार स्त्री० बनजारेके बैलोंका झुंड; यते अ० से टाँड़ा (२)बनजारेका क़ाफ़िला; कारवाँ वतेसर वि० विस्तारवाला; लंबा-चौड़ा वणजारी स्त्री० बनजारन; बनजारी (२) न० बतंगड़; लंबी-चौड़ी (हॉकना) वणजारो पु० बनजारा [बुनाई वत्तुं वि० विशेष; अधिक ; ज्यादा वणतर न० बुनना (२) बुनावट; साफ़ वद (द,) अ० वदि ; कृष्णपक्षमें (२) वणवं स० क्रि० बटना (रस्सी) (२) स्त्री० अँधेरा पाख; बदी बुनना (कपड़ा) (३) बेलना (रोटी वदवू स० क्रि० बोलना (२) अ० कि० आदि) (४) सेंवई बटना (५)बीनना मंजूर, स्वीकृत होना (६) कामकाजमें लगाकर अनुभवी वदाड पुं० देखिये 'वायदो' बनाना; सधाना [ला.] बदाय वि० (२) स्त्री० देखिये विदाय' वणसवं अ० क्रि० बिगड़ना; खराब बदायगीरी स्त्री० देखिये 'विदायगीरी' होना (२) नष्ट होना; बिनसना [प.] ____ वदार पुं० देखिये ‘वायदो' For Private and Personal Use Only Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org यदि यदि अ० वदि; वदी; कृष्णपक्षमें बड़ी स्त्री० वृद्धि; हासिल [ ग.] बच अ० (२) स्त्री० देखिये 'वद ' बचा स्त्री० देखिए 'वद्दी' ar (घ) स्त्री० वृद्धि, बाढ़, विकास; नफ़ा वषघट स्त्री० घट-बढ़; कमी-बेशी बबरावळ स्त्री० अंडकोशका एक रोग बघ अ० क्रि० संख्या, डील, आकार, मात्रा, गुण, फैलाव आदिका अधिक होना; वृद्धि होना; लंबा, ऊँचा होना; बढ़ना ( २ ) बाक़ी रहना ; बचना ( ३ ) दूसरेसे आगे निकल जाना; प्रगति करना; बढ़ना । [ वात बधी जबी, पडवी : या झगड़ेका रूप ले लेना. ] = बात बढ़ना; बातका बहस बधाई ( - मणी) स्त्री० बधाई; बधावा; खुशखबरी (२) खुशखबरी लानेवालेको दिया जानेवाला उपहार; बधाई धामणुं न० मंगल कार्य के निमित्त किया जानेवाला देवीका पूजन (२) बघावा; बधाई वधावुं स० क्रि० वृद्धि करना; किसी चीज़ आदिमें और रखना; बढ़ाना (२) पहले से अधिक लंबा-चौड़ा, ऊँचा करना; बढ़ाना; फैलाना; विस्तार करना (३) बचत करना; बाक़ी रखना; बचाना; खर्च न होने देना वधारे वि० अधिक; ज्यादा; विशेष वधारेपडतुं वि० चाहिये उससे अधिक ( मात्रा, क़द, मर्यादा आदिसे) वषारो पुं० वृद्धि; बढ़ती; अधिकता (२) नफ़ा; लाभ; वृद्धि (३) बाक़ी; शेष बचत ( रक़म ) ( ४ ) पूरण; पूर्ति; 'सप्लिमेंट' (५) समाचारपत्रकी पूर्ति; परिशिष्ट Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * 無 amraj H० क्रि० ( आशीर्वाद देते हुए या भक्तिपूर्वक अक्षत - फूल आदिसे ) सत्कार करना; पूजना (२) हर्षपूर्वक आवभगत करना बघा पुं० पूजन -आवभगतकी सामग्री (२) वर या कन्याको भेजा जानेवाला उपहार; बधावा वषु वि० अधिक; ज्यादा; बहुत बषुपडतुं वि० देखिए ' वधारेपडतुं' वधूकुं वि० चाहिये उससे अधिक ; उचितसे अधिक ( २ ) बाक़ीका वधेर स० क्रि० बलि चढ़ाना; बलि देना (२) फोड़ना; तोड़ना ( ३ ) काटना वन न० बन; जंगल; वन । [ -करं = बिना घरबारका कर देना; कहींका न रखना.] [ वल्कल वनकूळ न० पेड़की छालका कपड़ा; वनभोजन न० वनभोजन; गोट; 'पिकनिक > वनमाळा स्त्री० वनमाला ; बनमाला वनमाळी पुं० बनमाली; वनमाली; श्रीकृष्ण वनराई ( - जि, - जी) स्त्री० वनराजि; वनराजी; वन; वृक्षों की लंबी कतारें (२) लंबा-चौड़ा जंगलका प्रदेश; जंगल; वन; वनराजी (३) जंगलकी पगडंडी; वनराजि वनवेली स्त्री० जंगली बेल (२) गद्यकाव्यकी एक नई रचना, कविता वनवागळं न०, बनवा गोळ स्त्री० देखिये ' वडवागळ ' बना स्त्री० वनिता (२) अ० बिना; सिवा बनेर वि० भटकता; आवारा ; असभ्य; जंगली वपत स्त्री० विपत्ति; आफ़त; मुसीबत For Private and Personal Use Only Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वपरावं वपरा, अ० क्रि० वापरतुं' का कर्मणि; इस्तेमाल होना; काममें आना वपराश स्त्री० उपयोग; इस्तेमाल वफा स्त्री० वफ़ा; वचनका पालन; प्रामाणिकता(२)भक्ति;श्रद्धा; विश्वास वफाई स्त्री० वफ़ादारी वफादार वि० वफ़ादार,वचन-पालक(२) विश्वसनीय (३)स्वामिभक्त, वफ़ादार वफादारी स्त्री० वचनका पालन करना; वफ़ादारी (२)स्वामिभक्ति; वफ़ादारी (३)निष्ठा (४) राजभक्ति; वफ़ादारी वभोपुं० वैभव ; साहबी ठाठ (२) अदब; लिहाज़; मुरीवत (३)प्रतिष्ठा; वजन बमळ न० भंवर; चक्कर; जलावर्त । वर वि० वर; श्रेष्ट (२)पुं० दूल्हा; वर (३)पति (४)वर; देवता या गुरुजनोंसे इच्छा-पूर्तिके लिए की जानेवाली प्रार्थना वरक(-ख) पुं० वरक ; सोने, चाँदीका पत्तर [वृषभ राशि बरख पुं० वरक़ (२) वर्ष (३) स्त्री० वरखडी स्त्री०, (-डो) पुं० पीलूकी जातिका एक वृक्ष [पतिकामा वरघेली वि० स्त्री० पतिप्रेममें आसक्त; वरघोडियां न० ब०व० नवदंपती वरघोडो पुं० वरयात्रा (२) फ़जीहत [ला.] । [वरघोडे चावू = बदनाम होना। -काढवो = वरयात्रा निकालना (२) बदनाम करना. वरचडावो पुं० घुड़चढ़ी (वरकी) वरजवं सक्रि० तजना; वर्जित करना; छोड़ना 1 [वरयोग्य बरजोग वि० स्त्री० विवाहके योग्य; परजोळो पुं० उचाट ; फ़िक(२)बदनामी वरड (व') न० बिवाई वरई (व')न० अंकुर निकला हुआ चना __ आदि; अंकुरी [स्त्री० वर्ण; जाति वरण पुं० वर्ण; अक्षर (२)रंग; वर्ण(३) वरणागियुं वि० बनाव-सिंगार करने वाला; शौक़ीन; छैला ; सजीला वरणागी स्त्री० बनाव-सिंगार; सजधज वरणावं अ० क्रि० पकने पर होना; गदराना [(२)चुनाव; पसंद; वरण वरणी स्त्री० वरणी, पुरोहितका सम्मान वरणो पुं० वरुण वृक्ष वरत पु०; स्त्री० चरस खींचनेकी रस्सी; बरत (२)ढोर चरानेकी उजरत;चराई वरतणियो पुं० गाँवका चौकीदार (२) गांवके चौपालका चपरासी (३) पाँवके निशान परसे चोरका पता लगानेवाला; चौकीदार (४) मार्गदर्शक; 'गाइड' (५)मार्गमें रक्षा करनेवाला परतवं अ० क्रि० बर्ताव करना; बरतना; आचरण करना (२) बनना; होना (३)स० क्रि० परखना; जान लेना; विचारना (४)प्राप्त होना (५) नेग या लाग देना; उदा० 'बहेनने कई वरत्या नहीं' [(२)ज्योतिषी ; नजूमी वरतारो पुं० भविष्यवाणी; पेशीनगोई वरवी स्त्री० खबर; संवाद ; संदेशा (२) हुक्म । [-आपबी = सूचना या हुक्म देना; आज्ञापालनको खबर देना। - करवी, पहोंचाडवी= खबर पहुँचाना; जताना; विदित कराना.] वरम पुं० वरम; सूजन वरमाळ (-ळा) स्त्री० जयमाला (स्वयंवरमें)(२)विवाहके समय वर-कन्याके गलेमें डाली जानेवाली सूतकी माला; मंगलसूत्र वरराजा पुं० दूल्हा; वर; नौशाह For Private and Personal Use Only Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर वरवं वि० बेडौल ; विरूप; बदशकल; भद्दा (२) खराब ; गंदा बरवू सक्रि० पसंद करना; चुनना (२) वरके रूप में पसंद करना; ब्याहना [प.] वरवं अ० क्रि० खर्च होना; इस्तेमाल होना; खपना वरशी स्त्री० बरसी। [(विवाहनी) -थवी = शुभके बदले अशुभ होना.] वरस न० वर्ष ; बरस; साल । [-थवां = बुढ़ापा आना; आयु ढलना.] वरसगांठ स्त्री० बरसगाँठ; सालगिरह वरसदहाडो पु०, वरसवंटोळ न० करीब एक सालका समय; एकाध बरस वरसवं अ० क्रि० वर्षा होना; बरसना । (२) बूंदोंकी तरह गिरना; झड़ना; बरसना (३) स० क्रि० बड़ी मात्रामें देना, फेंकना, बखेरना; बरसाना वरसाव पुं० वर्षा; बारिश (२) बड़ी मात्रामें बरसना (फूल, रुपये आदि)। [-चडवोबादल चढ़ना;घटा घिरना। - नी पेठे वाट जोवी = वर्षाकी तरह राह देखना; अति आतुरतासे प्रतीक्षा करना। वरसी जq = दे देना; प्रसन्न होकर खूब दे देना.] वरसी स्त्री० देखिए 'वरशी' वरसूद स्त्री० प्रतिवर्ष मिलनेवाली बँधी रकम; सालियाना वरसोवरस अ० हर साल ; सालाना वरसोळी स्त्री० देखिए 'रसोळी' वरंड (-डो) पुं० बरामदा; दालान; ओसारा परागडं वि० देखिए 'वडागरूं'। वराड पुं० ; स्त्री हिस्सा; भाग। [वराडे पडतं = हिस्सेके अनुसार; जितना जिसके हिस्से में आवे.] वर्चस्व वराडु(व') न० रस्सी; डोरी वराध (ध,) स्त्री० बच्चोंको होनेवाला एक रोग (२) एक वनस्पति बराप स्त्री० उत्कट इच्छा;तीव्र लालसा; तलब (२)ज़मीनकी वह स्थिति जिसमें वर्षाके बाद बादल फटने पर पानी सूख जाता है और वह जोतने योग्य होती है (३) फुरसत वराळ स्त्री० भाप; भाफ; बाष्प (२) [ला.] भड़ास ; दिलका बुखार, गुबार। [ऊनी वराळे न काढवी= ज़रा भी मुंह न लगना; चूं न करना; विरुद्ध न बोलना(२)दिलका गुबार न निकालना.] बराळयंत्र न० भापसे चलनेवाली मशीन वरांसो (०) पुं० भरोसा (२) पछतावा वरियाळी (व') स्त्री० सौंफ़ वरी स्त्रो० एक अन्न; काँगनी; कैंगनी वर पुं०; न० भेड़िया; वृक वरुणी स्त्री० देखिए ‘वरणी' वरे९(रे') न० रस्सी; डोरी वरो पुं० बिरादरीको भोज देना (२) उपयोग; खर्च वर्ग पुं० किसो बड़े समूहका एक विभाग; वर्ग (२) जातिके अनुसार किये गये समूहोमें से प्रत्येक समूह; वर्ग (३) श्रेणी; कक्षा; दर्जा (४) शालामें विद्यार्थियोंकी पढ़ाई के लिए निर्धारित किया गया श्रेणीवार कमरा; दर्जा (५) वर्ग; 'स्क्वेर' [ ग.] । [-करवो= दो समान संख्याओंका गुणा करना; वर्ग करना (२) दर्जा या श्रेणी बनाना.] वर्गमूल (-ळ) न० वर्गमल वर्चस न० वर्चस्; कांति; तेज (२) शक्ति; पराक्रम; वर्चस् (३)वीर्य वर्चस्व न० देखिये 'वर्चस' For Private and Personal Use Only Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४४ वलंबो [[प] वर्ण वर्ण पुं० वर्ण; रंग(२)वर्ण; अक्षर (३) बाह्य रूप; वर्ण (४)प्रकार; भेद; वर्ण (५)पुं०; स्त्री० जाति ; वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, आदि) (६)ज्ञाति; बिरादरी; उदा० 'अढार वर्ण'। [-माथी जतुं रहे, नीकळी जq= जातिच्युत होना (२) इनसानियत खोना। -विनानुं = बेठिकाना; भद्दा; बेढंगा; खराब.] वर्णभेद पु० जातिभेद (२)वर्णभेद वर्णमाला(-ळा) स्त्री० वर्णमाला; अक्षरमाला वर्णवq स० क्रि० वर्णन करना; बरनना वर्णवं स० क्रि० देखिए 'वर्णव' वर्णसगाई स्त्री० वर्णानुप्रास (२)प्रास बैठना या बिठाना; तुकांत वर्णसंकर वि० वर्णसंकर; दोग़ला (२) व्यभिचारसे उत्पन्न; हरामी (३)पुं० ऐसा आदमी; वर्णसंकर वर्ण वि० -के रंगका ; उदा० 'घउंवणु' वर्तणूक स्त्री० बरतनेका ढंग; बरताव; व्यवहार वर्तन न० वर्तन; आचरण ; बर्ताव वर्तमान वि० वर्तमान; चालू (२) आधुनिक; हालका; वर्तमान (३)पुं० ब० व० समाचार; वर्तमान (४)पुं० वर्तमानकाल; वर्तमान वर्तमानकाळ पुं० वर्तमान समय (२) वर्तमानकाल; वर्तमान [व्या.] वर्तमानकृवंत न० वर्तमानकृदंत वर्तमानपत्र न० समाचारपत्र; अखबार वर्तवं अ० क्रि० आचरण करना; बरतना; चलना (२)होना; बनना (३) स० क्रि० परखना; पहचानना; देखना (४)प्रचलित रूढ़िके अनुसार देना (नेग आदि) वर्ताव पुं० बर्ताव; व्यवहार; आचरण वर्तुल (-ळ) न० गोल ; वर्तुल ; कुंडली; वृत्त (२)वर्तुल ; वृत्त; 'सर्कल' [ग.] वर्षफळ न० वर्षफल वर्ष_ अ० क्रि० (२) स० क्रि० देखिए [वृष्टि ; वर्षा वर्षा स्त्री० वर्षाकाल; बरसात (२) वर्षासन न० (राज्यकी ओरसे) निर्वाहार्थ मिलनेवाली वार्षिक वृत्ति; सालियाना व वर्ष अ० प्रतिवर्ष वलखवू अ० कि० मिथ्या प्रयत्न करना वलखां न० ब० व० मिथ्या प्रयत्न; बेकार कोशिश वलण न० रुख ; भाव ; मनका झुकाव; वृत्ति (२)(रास्ते या नदीका) मोड़ (३) कवितामें छंदका पलटा सूचित करनेवाला पद (४) किसी सौदेमें होनेवाले लाभ-हानिका फ़र्क लेना या देना (५)अक्षरोंका मोड़। [- अखत्यार करवू,पकडवू,लेवू = अभिप्राय या वृत्ति धारण करना । - चूकवq, पताव, वहें = सौदे में होनेवाले लाभहानिकी रकम चुका देना.] वलवल स्त्री० आवश्यकतासे अधिक चंचलपन ; चुलबुलापन (२)बिना पूछे बकना; बड़बड़ वलवलवं अ० क्रि० बड़बड़ाना; बकना (२)रोते रोते बोलना;विलाप करना; बिल्लाना (३)व्यर्थ प्रयत्न करना वलवलाट पु० बिलबिलाहट आक्रंद (२)हिलना-डोलना; कुलबुलाना वलवलियुं वि० आक्रंदी; रोने-चिल्लाने वाला (२)बकवादी [डच वलंदो पुं० हालैंडका निवासी ; वलंदेज; For Private and Personal Use Only Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बलर (व') स्त्री० खुजलाहट; चुल; सुरसुराहट [खूनसे खरोंचमा बलरव(व') स० क्रि० खुजलाना; नाबलूरियं न०, वलूरो पुं० पंजे या नाखून से बनी खरोंच; बकोटा [हाल वले (ले) स्त्री० हाल ; दशा (२) बुरे बलोणावार (व') पुं० बिलोनेका दिन बलोणावारे (व') अ० बार-बार; हर घड़ी [ला.] बलोणी (व') स्त्री० मथानी; रई वलोj(व') न० बिलोना;मथना (२) दही मथनेका मटका; मथनी (३)दही मथनेका डंडा; रई; मथानी बलोपात पुं० अधैर्यसे पैदा होनेवाली घबराहट; बेसब्री (२)विलाप; आनंद वलोववं (व')सक्रि० बिलोना; मथना (२) [ला.] बहस करना; किसी बातकी बार-बार चर्चा करना.] ववडा(-रा)व स० क्रि० 'वावq 'का प्रेरणार्थक; बोआना ववळवू अ० क्रि० खुजलाना; त्वचामें सुरसुरी अनुभव होना ववळाट पुं० खुजली; सुरसुराहट (२) कुलबुलाना; हिलना-डोलना वसति स्त्री० बसना ; बस्ती (२)बास; निवास (३) आबादी; बस्ती (४) बच्चों-कच्चोंकी अधिकता (५)आबाद जगह; बस्ती वसती स्त्री० देखिये 'वसति' वसतीगणतरी स्त्री० जनगणना'; मर्दमशुमारी [रेकर्ड बसतीपत्रक न० जनगणनाका पत्र या बस, वि० विषम; कठिन; मुश्किल (२) विकट; जटिल; विषम (३) बुरा; अशुभ बसवसो पुं० दग़दशा; अंदेशा; वहम वसवाट पुं० बसना; बास; वासस्थान बसवायुं न०,(-यी) पुं० पौनी; नेगी बसवं अ० क्रि० बसना; स्थायी रूपसे रहना (२) मन में बैठना; जमना वसंत पुं०; स्त्री० वसंत; वसंत;बहार (२) वसंत (राग) वसंत स्त्री०;न० वरकी ओरसे कन्याको दिया जानेवाला वस्त्रादिका उपहार; डाल;बरी (रसम) [बसाना बसाईं सक्रि० 'वसर्बु'का प्रेरणार्थक; वसा न औषधियाँ डालकर बनाया हुमा पाक (२)पंसारीकी चीजें वसात स्त्री० बिसात; पूंजी; माल (२) हैसियत; बिसात; गिनती वसावq सकि. 'वसर्बु'का प्रेरणार्थक; बसाना (२) 'वासवु'का प्रेरणार्थक बसावं अ० कि० 'वस' का भावे (२) 'वास'का कर्मणि (३) न० रसवाई (रखवाली और मजदूरी) वसावो पुं० रखवाला; रक्षक वसाहत स्त्री० मूल वासस्थानसे दूसरी जगह पर किया जानेवाला निवास या उसका स्थान(२)उपनिवेश; 'कॉलोनी' वसाहती वि० उपनिवेश-संबंधी (२) दूसरे देश में बस जानेवाला;उपनिवेशी वसियत स्त्री० विरसा; वरासत; मीरास (२) वसीयतनामा वसियतनामुं न० वसीयतनामा बसीलो पुं० बड़ोंके साथ लगाव, संबंध या रसाई; उनका वसीला, सहायता या प्रभाव [(गाय, भैसका) वसूक, अ० क्रि० दूध तोड़ना; सूखना बसूल न० पावनेमें से अदा हुई राम; वसूल (२) नामदनी प्राप्ति; वसूल For Private and Personal Use Only Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वसुलदार (३) लगान (४) अ० चुकता ; बेबाक । [ - आप = मिनहा करना; कटौती करना । —कर, थवुं, लेबुं = बेबाक़ होना; चुकता होना. ] वसूलदार वि० (२) पुं० आय या लगान वसूल करनेवाला वसूलात स्त्री० वह लगान जो वसूल करना हो ( २ ) वसूल करना या लेना; वसूली वसो पुं० बीघेका बीसवाँ भाग; बिस्वा (२) सवा पाँच हाथ (मान) ( ३ ) सौ या बीसका अनुक्रममें सौवाँ या बीसवाँ भाग (४) आबरू [ कुनबा वस्तार पुं० विस्तार; फैलाव ( २ ) बड़ा वस्तारी वि० बड़े कुनबेवाला. वस्ती स्त्री० देखिये 'वसती' वस्तीगणतरी, वस्तीपत्रक देखिये ' वसतीगणतरी', 'वसतीपत्रक ' वस्तु स्त्री० वस्तु; चीज़; पदार्थ ( २ ) सत्य वस्तु (३) न० नाटककी कहानी; घटना; कथावस्तु; वस्तु । [ गूंथवं = नाटक या कहानी के विषयकी रचना करना; प्लाट रचना. ] वस्तुता स्त्री० खरापन; सत्य; यथार्थता वस्तुपणुं न० सत्यता; सचाई ; यथार्थता वस्तुसंकलना स्त्री० वस्तुरचना; वस्तुसंकलन वह स०क्रि० वहन करना; ढोना (२) अ०क्रि० धाराके रूपमें प्रवाहित होना; बहना (३) बीतना; गुज़रना । [ वही जवुं = = बहक जाना; हाथसे जाना. ] बहाण न० बड़ी नाव ; जहाज । [ - कमावुं = खूब दौलत कमाना . ] वहाणवटी पुं० नाविक; खलासी ( २ ) समुद्री व्यापारी (३) जहाजका मालिक ४४६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वही चो वहाणवटुं न० सागरमें जहाज़ चलानेका काम ( २ ) जहाज़ों से व्यापार करना (३) समुद्रयात्रा वहाणुं न० प्रभात ; भोर । [ वहाणां वही जवां = बहुत दिन गुज़र जाना । - वावुं = सबेरा होना. ] बहार (व् ) स्त्री० सहायता; कुमक । [वहारे चडवं, धावुं = मददको दौड़ना. ] वहाल (व् ) न० प्रीति; प्यार वहालपण ( - णुं ) ( व्) न० प्यार; प्रेम वहालम (व् ) पुं० बालम ; पति ; प्रियतम वहालसोयुं (व्) वि० लाड़ला, लाड़लड़ैता वहाली ( व्) स्त्री० प्रिया; चहेती वहालुं (व् ) वि० प्यारा; प्रिय वहालेशरी (व् ) वि० हितैषी ; हितेच्छु वहालो (व् ) पुं० प्रियतम ; प्रीतम ; प्रेमी; चहेता वही स्त्री० वही; खुदाका संदेश ( २ ) [ला. ] धुन; मनकी तरंग; सनक । [- आववी: = ग़श आना या नसोंका तन जाना (२) [ला.] सनक सवार होना. ] वही स्त्री० बही; हिसाबबही ( २ ) वंशवृक्षकी किताब, पुश्तनामा, शिजरानब ( ३ ) किताब ( कोरी या लिखी हुई) । [ वांचवी पुश्तनामा पढ़ना ( २ ) पुरानी घटनाओंका वर्णन करना ( ३ ) निंदा करना, गड़े मुर्दे उखाड़ना. ] वहीवट पुं० संचालन; कारबार; प्रबंध ( २ ) प्रथा ; परिपाटी; पद्धति; रीति-रिवाज ( ३ ) लेन-देन ; संबंध antacare पुं० प्रबंधकर्ता; 'मैनेजर'; संचालक (२) तहसीलदार वहीवटी वि० कारबार - संबंधी वहीवंचो पुं० पुश्तनामा रखनेवाला भाट; भाट For Private and Personal Use Only - Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहु स्त्री० पत्नी; बहू (२)पुत्रवधू; बहू बहुवर स्त्री० नवोढ़ा; नवविवाहिता (२) न० शादीका जुलूस (३) न० ब० व० पति-पत्नी; नवदंपती बहुवार स्त्री० युवा प्रियतमा वहेण (-1) (व्) न० प्रवाह; बहाव वहेम (व्) पुं० वहम ; शक; संदेह (२) भ्रम; ग़लत खयाल; वहम । [-नुं जाळं, डाळ = वहमका पुतला। -मां पडवं = वहम करना. [करना बहेमार्बु (व्) अ० क्रि० वहम, शुबहा वहेमी (लुं)(व,वि० वहमी; शंकाशील वहेर (व) पुं० बुरादा; कुनाई (लकड़ी की) (२) दरार वहेरणियो (व्) पुं० आराकश; कराँती वहेर(व्) स० क्रि० आरेसे चीरना वहेल (व्हॅल,) स्त्री० रथ ; बहली वहेल (व) स्त्री० 'व्हेल' मछली वहेलं (व्हॅ) वि० जल्द; जल्दी वहेलंमोडु (व्हें) वि० जो समय पर न हो; जल्द या देरसे (२) अ० जल्द या देरमें. (३) चाहे जब; किसी समय; अनुकूलतासे; मौक़ा-बेमौक़ा वहेवडा(-रा)वq (व) स० क्रि० 'वहेवू' का प्रेरणार्थक ; बहाना बहेवार (व्) पुं० घरोपा; संबंध (२) महाजनी; साहूकारा (३) बर्ताव; व्यवहार (४)आचरण; व्यवहार (५) संसारके कामकाज ; दुनियादारी (६) प्रथा; रिवाज; परिपाटी बहेवारियो (व) पुं० लेन-देनमें सच्चा; ईमानदार (२) व्यवहार-प्रथाके अनुसार चलनेवाला (३)साहूकार बहेवारीकुं(व) वि० व्यवहार्य; कामचलाऊ(२)न बढ़िया, न घटिया, मध्यम वहोरो वहेवाह (व) वि० न घटिया, न बढ़िया;मध्यम; साधारण (२)काममें लाने योग्य; व्यवहार्य; जिस पर आचरण किया जा सके वहे (व्हॅ) स० क्रि० वहन करना; ढोना; उठाना (२) सहना; झेलना (३) अ० क्रि० धाराके रूपमें प्रवाहित होना; बहना (४) धारा या बहावके साथ आगे जाना; बह जाना (५) गुज़रना; बीतना (६)बहकना; पथ-भ्रष्ट होना। [वही जq= हाथसे जाना; बहकना। बहेती गंगा, सेर = चालू आमदनी। वहेतुं मूक-दूर हटा देना (२) ध्यान न देना; पड़ा रहने देना; छोड़ देना (३) बहकने देना; हाथसे जाने देना. वहेळियु (व्हें) न० छोटा नाला वहेलो (व्हें) पुं० छोटा प्रवाह; नाला या सोता (२) बहावसे बना हुआ गड्ढा; खाई वहेंचण (-णी) (व्हॅ०) स्त्री० बाँटना; हिस्से करना; बटवारा (२) हिस्सा (३) छोटा हिस्सा; 'डिविडंड' वहेंचq (व्हॅ.) स० क्रि० बाँटना (२) प्रत्येकको अपने हिस्सेके अनुसार देना वहोj(ब) वि० विहीन; रहित वहोरर्बु (वहाँ) स० क्रि० मोल लेना; खरीदना (२)इकट्ठा करना; बटोरना; हिफ़ाज़तसे रख 'छोड़ना (३) मांग लाना (४)जोखिम उठाना, लेना वहोरवार (व्हॉ) स्त्री० शीआ मुसल मानोंका महल्ला-बस्ती वहोरो(व्हॉ) पुं० शीआ मुसलमानोंकी एक जातिका आदमी(२)मुसलमानोंकी एक जमाअतका व्यक्ति(३)एक बल्ल For Private and Personal Use Only Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वळ पुं० रस्सी आदिकी ऐंठम; बट (२) लगाव; संबंध; वसीला (३) युक्ति; करामात (४) घात; दावें (५) कीना; बैर; आंट (६) हठ; जिद; आग्रह (७) गाँठ; गिलटी । [-पडाववी = बटना; ऐंठना (२) उकसाना; उभाड़ना। -रालयो- बैर रखना। वळे कवळे = युक्तिपूर्वक; कुशलतासे.] बळकवळ पुं०; स्त्री० ; न० अनुकूलता और प्रतिकूलता; सुयोग-कुयोग (२) घात और दावपेच बळगण न० (भूतका) लगना; भूतावेश; प्रेतबाधा (२) निस्बत; लगाव; वास्ता; सरोकार (३) भूतप्रेत (४) साथ लगा हुआ काम या व्यक्ति (५) अवैध संबंध बळमणी स्त्री० अलगनी; बिलंग, वळगई अ०क्रि० लगना ; सटना; जुड़ना, लिपटना; चिमटना (२) लगा रहना; लगना (३)झगड़ा करना; उलझना। बळगाट (-3) पुं० भूतप्रेत या किसीका लगना; छूत (२) भूतप्रेत वळगाडवं स० क्रि० 'वळगवू' का प्रेरणार्थक (२) सिर मढ़ना, डालना वळण न० देखिये 'वलण' (२) जाँधका मूल; वाटी; उरुमूल पळतर न० मुआवज़ा; बदला बळता, वळता, वळती अ० बादमें पीछे; फिर (२) और; अधिक वळतं वि० प्रति; विरुद्ध (२) वापसी; जवाबी (कार्ड); लोटता; उदा. 'वळतो जवाब; वळती टपाल' चळवार वि० बटवाला; ऐंठनदार वळवं अ० कि० टेढ़ा होना; मुड़ना; झुकना (२) लोटना; वापस आना (३) मनका झुकाव होना (४) बेस्वाद होना; कसैला होना; बिगड़ना (५) सुधरना; सुधार पर आना (६) बंधना; बाँधा जाना (जूड़ा; लड़) (७) जारी होना; लगना; उदा. 'वाते वळया' (८) होना; बनना; लगना; उदा. 'शेवाळ वळवी, टोळे वळ,' (९) पलटना; बदल जाना; अच्छी दशाको प्राप्त होना; उदा. 'वळतो दहाडो, वळती वेळा' (१०) काम सरना; प्राप्ति होना। [वळता पाणी या = माटा शुरू होना(२)जोश कम होना (जवानी, रोग आदिका)। वळती वहागे= मले दिन; भाग्योदय । हगलो वळी जq = (थकान या निराशासे) निढाल होकर बैठ जाना (२) अधिक मात्रामें इकट्ठा होना -आ जाना। पाई वळवू = लौटना; वापस आना (२) कै होना (३) बेस्वाद होना; बिगड़ना.] वळामj न० विदा करना; बिदा (२) वि० पीछे हटता हुआ; कम होता हुआ उदा० 'पाणी वळामणां थई गयां' वळाववं स० कि० वळवू', 'वाळवू' का प्रेरणार्यक (२) बिदा करना वळावियो पुं० पथप्रदर्शक; 'गाइड' (२) रास्तेमें खोज-खबर लेनेवाला; मार्गरक्षक वळावं न० पथप्रदर्शकका काम (२) उसकी मजदूरी (३)अ.क्रि०'वाळवु'का कर्मणि वळावो पुं० देखिये 'वळावियों वळाक (०) पुं० (रास्तेका) मोड़, धुमाव (२) लिपिका मोड़ For Private and Personal Use Only Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बले बाली स्त्री० छोटा बल्ला ; बल्ली ( २ ) लाठीके सिर पर जड़ा हुआ धातुका खोल; शामी [ इससे अधिक ; ओर बळी अ० - के अलावा, अतिरिक्त, सिवा, बळं न० भूमिकी परत ; स्तर ( २ ) जमीन के अंदर बहनेवाला पानीका प्रवाह (३) मनकी लहर; धुन; सनक (४) मंडल समुदाय ; पक्ष ( ५ ) अस्तर (६) शामी ( ७ ) पसीनेका दाग़ । [ - आवबुं = सनक सवार होना.] वळ पुं० मोटी, बड़ी बल्ली; बल्ला; लट्ठा वलोक पुं० रूप; आकार (२) चाल-ढाल, विनय; आचरण [ भाव; टेढ़ा रुख बँक वि० टेढ़ा; वक्र ( २ ) पु० विरोधी वंकाई स्त्री० टेढ़ापन; वक्रता ( २ ) खुटाई; विरोध; हठ का अ०क्रि० रूठना, मचलना (२) टेढ़ा होना, मुड़ना [ प्रेरणार्थक पढ़वाना juraj स० क्रि० 'वंचवुं', 'वाचवुं' का वंचा अ० क्रि० 'वाचवुं' का कर्मणि; पढ़ा जाना ( २ ) निंदा होना वंज्ञा स्त्री० बाँझ स्त्री; वंध्या स्त्री बंटोळ (-ळियो) पुं० बवंडर; बगूला वंठ अ० क्रि० बहकना ; हाथसे जाना; मर्यादाका उल्लंघन करना ( २ ) न बदना; किसीके क़ाबूमें न रहना (३) बिगड़ना; चाल-ढाल खराब होना । | वंठी जबुं = हाथ से जाना; बिगड़ना; पथभ्रष्ट होना. ] थंडी स्त्री० चहारदीवारी; डँडवारा । | - परनुं खसलुं = तुच्छ वस्तु.] खंडो पुं० बड़ी चहारदीवारी ऊँचा परकोटा ( २ ) चहारदीवारीसे घेरी हुई जगह; अहाता (३) गी वंढी, वंढो देखिये 'वंडी', 'भंजे ' गु. हिं-२९ ४४९ -वंत वि० 'वाला' के अर्थमें संज्ञाके अंत में आता है; युक्त; उदा० 'मानवंत' वंतर न० भूत; प्रेत वंतरी स्त्री० भूतनी; स्त्री-प्रेत वंताक न० बैंगन; भंटा वंताकडी स्त्री० बैंगन (पौधा) - तुं वि० देखिये 'वंत' वंद स० क्रि० वंदन - नमस्कार करना वंदो पुं० एक जंतु; चपड़ा वंश पुं० वंश; कुल ( २ ) संतान; वंश (३) बाँस (४) बाँसुरी -1 [-काढबो = कुलका उच्छेद-नाश करना। जो वेलो, -वेलो = वंशपरंपरा. ] वंशावळ ( -ळी) स्त्री० वंशावली; कुरसीनामा; वंशवृक्ष [ वंशी वंशी वि० वंशका ( २ ) स्त्री० बाँसुरी; या अ० वा; अथवा ; या; कि वा पुं० पवन; वायु; हवा (२) कल्पना ; मनकी तरंग, उपज ( ३ ) वातरोग (गिलटी, गठिया, फोड़े-फुंसी आदि ) (४) जीव; प्राण (५) रोग या विचारका वेग; लहर [ला. ] (६) 'इतने फ़ासले पर या इतना दूर' ऐसे अर्थ में संज्ञाके अंतमें आता है; उदा० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4 'खेतरवा, राशवा' । [ - आववो = हवा चलना (२) संधिवातका हमला होना; शरीर के जोड़ों में दर्द होना ( ३ ) खयालोंकी लहर उठना; लहर उठना । - ए ऊडवं = हवाकी तरह प्रसारित होना; फैल जाना; हवा उड़ना। -ए रही जबुं = गठियासे जोड़ोंका अकड़ जाना; हवा लगना । —ए वात जवी : प्रकट हो जाना; कुछ गुप्त न रहना । - काढवो, काढी नाखवो = बिलकुल थका डालना (२) प्रभावहीन कर For Private and Personal Use Only Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४५० बाई देना; घमंड चूर करना; ढीला, वागळू न० देखिये 'वागोल' नरम बना देना (३)धमकाना; डाँटना बाहोल स्त्री० ; न० गादुर; चमगादड़ (४) पीटना; मारना। -खावो = (२)जुगालीसे बना हुआ रस बेरोजगार रहना; मक्खियाँ मारना वागोलवं स० क्रि० जुगाली करना; पगु(२)काम न निबटनेसे देर होना; राना (२)[ला.] चबा-चबाकर खानेसे काम खटाईमें पड़ना(३) खाली, निर- देर लगाना र्थक पड़ा रहना; बेकार बैठे रहना।। बागोळ स्त्री०; न० देखिये 'वागोल' -छूटवो, सरवो = अपानवायुका निक- बागोळवू स० क्रि० देखिये 'वागोलवू' लना; हवा छूटना (२)[ला.] घबराना; वाग्ये अ० बजे छक्का छूटना; पसीना छूटना। वाघ पुं० बाघ ; शेर; व्याघ्र। [-नी -नी साये वढे एवं = हवासे लड़ने- बोडमां हाथ घालवो = जान पर वाला,झगड़ालू।-नीकळी जवो= थक खेलना; शेरके मुंहमें जाना। -नी जाना (२) मर जाना; दम निकलना। माशी = शेरकी खाला; बिल्ली। -वावो = असर होना, विचार या भा- -नुं माथु लावq = बड़े साहसका वनाओंका वेगसे फैलना, हवा चलना.] काम करना; जान पर खेलना। वाई स्त्री० मूर्छा रोग, हिस्टीरिया';बाई -मारवो = बड़ा पराक्रम करना.] वाउ स्त्री० बिवाई (२)वि० तरंगी; वाघनख पुं० बघनखा; बाघनख (एक अस्थिर [उपदेश; वाज़ हथियार; बच्चोंका गहना) (२)एक वाएज पुं० उपदेशक ; वाइज़ (२)स्त्री० गंधद्रव्य [द्वादशी वाक पुं० कस; सत्त्व (२) आटेकी वाघबारश (-स) स्त्री० कार्तिक कृष्णा चिकनाई [कार(२) प्रवीण वाधरण स्त्री० 'वाघरी' जातिकी या वाकेफ (गार) वि. वाक़िफ़; वाक़िफ़ __'वाघरी' की स्त्री (२) गंदी, फूहड़ वाखरो पुं० घरकी चीज़-वस्तु; घरबार __ स्त्री [ला.] वाखो पुं० देखिये 'वखो' (२) महामारी वाघरी पुं० ‘वाघरी' जातिका आदमी वागलं न० देखिये 'वागोल' (२) मैला, गंदा, असभ्य नीच व्यक्ति वागवं अ० क्रि० बाजेसे आवाज़ निक- वाघांबर न० बाघकी खाल ; बाघंबर लना; बजना(२)चोट लगना; लगना वाघोपुं० बाना; बागा,पहनावा(२)गठरी (३) (अमुक घंटोंका) समय होना; वाचन न० वाचन; पाठ; पढ़ाई (२) बजना। [वागते ढोले जq= डंकेकी पढ़नेका तर्ज़ ; पढ़ाई (३)विधानसभामें चोट जाना (२) बदनाम होना । वागतो बिलका चर्चा के लिए पेश होना;वाचन; घंट = बातूनी या शेखीखोर आदमी। पगलां वागवां = किसीके आनेकी वाचनमाळा स्त्री० पाठशालाके दरजोंमें आहट सुनाई देना; पास आनेमें होना। पढ़ाने के लिए तैयार की हुई किताबोंकी शम्ब बागवा = अखरनेवाली- लगती माला; पाठावली ।बूंदें; बौछार बातका असर होना; बोल अखरना.] वाछट स्त्री० हवासे उड़ी हुई बारिशकी रीडिंग' For Private and Personal Use Only Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वारी वाछटियु वाछटियुं न० सायबान; पड़छती वाट स्त्री० (दीयेकी)बत्ती (२) पहिये पर वाछी स्त्री० बछड़ी; बछिया चढ़ाया जानेवाला लोहेका पट्टा;हाल । वाछएं न० बछड़ा [-चाववी= हाल चढ़ाना (२) बत्ती वाङगे पुं० गायका नर बच्चा ; बछड़ा उकसाना.] वाछरी स्त्री० बछड़ी वाटकी स्त्री० कटोरी; प्याली वाकरई न० देखिये 'वाछडूं' वाटको पुं० कटोरा; प्याला वारगे पुं० देखिये 'वाछडो' वाटखरच पुं०,(-ची)स्त्री० राह-खर्च; वाछन गायका बच्चा बछरूप.];बछड़ा मार्गव्यय (२) सफ़र-खर्च ।। वाछंट, बाछंटियं देखिये 'वाछट', वाटणियो, वाटणो पुं० बट्टा; लोढ़ा 'वाछटियु' [पादना; गोज करना वाटपाड, वाटमार(-6) पुं० बटमार; वाछूट स्त्री० अपान वायुका निकलना, ___ राहजन [घोंटना बाटना(२)बाँटना वाज वि० उकताया हुआ (२) हारा हुआ। वाटवं स० क्रि० पीसना; कुचलना; (३) स्त्री० तोबा; पीड़ा; ऊब (४) वाटवो पुं० बटुआ [परामर्श उपदेशवाज ।[-आव-उकता जाना बाटाघाट स्त्री० बातचीत; चर्चा; (२)दुःखमें आ पड़ना; पीड़ामें फंसना. वाटो पुं० गोल लंबा बीड़ा (२) (पेट बाजबी वि० वाजिब; उचित; वाजिबी। पर पड़नेवाली बड़ी) झुर्रा (३)चूनेसे [पाजतुंगाजतुं, वाजते गाजते = बाजे- दीवार पर बनाई हुई गोल किनारी गाजेके साथ; धूमधामसे (२) खुले- वाड (ड,)स्त्री० बाड़; झाड़बंदी । [बारे आम; डंकेकी चोट.] चीभडां गळवां = रक्षकका ही भक्षक वाजापेटी स्त्री० हारमोनियम बनना; बाड़का ही खेतको खाना.] वाजित न० बाजा; वाद्य ; वादित्र । वार(ड,) स्त्री० मोहल्ला; टोला वाजिया वि० (२)पुं० ब० व० सिंचा- वारकी (को)देखिये 'वाटकी','वाटको' ईसे तैयार किया हुआ (गेहूँ) वाडाबंधी स्त्री० फ़िरक़ाबंदी; दलबंदी वाजिंत्र न० देखिये 'वाजिन' (२) वि. जो दलबंदीमें शामिल हो वाणु न० बाजा; वाद्य (२) (एकसे वारियुं न० खजूर भरनेका या खजूर स्वभाववाले लोगोंकी) मंडली [ला.] भरा हुआ खजूरकी चटाईका बना हुआ वाट (ट,)स्त्री० बाट ; मार्ग (२)प्रतीक्षा; थैला; बोरिया राह; बाट (देखना)। [-जोवी= वाडी स्त्री० बाग; फुलवारी; बाड़ी इंतजार करना; बाट जोहना; राह (२) फूलोंकी चादर या उनकी सजादेखना । -पारवी लूटना; बाट वट (३) बिरादरीके भोज आदिके पारना (२) बाड़मेंसे रास्ता करना लिए बिरादरीकी ओरसे बनाया हुआ (३)छटकनेका उपाय करना। वाटे चौकवाला मकान; बाड़ी (४) छोटा ने घाटे = जहां-तहाँ; सभी जगहोंमें। मुहल्ला या पाड़ा। [-ओ वूमवी = वाटेथी पतवार लेवी = अकारण अच्छी आमदनी होना । -लूटाई जबी झगड़ा मोल लेना; हवासे लड़ना.] = खाकमें मिलना.] . For Private and Personal Use Only Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जागीवजीफो वाडीवजीफो पुं० जागीर, जमीन आदि (२) [ला.] समृद्धि वाडो पुं० घरका घिरा हुआ पिछवाड़ा; अहाता; बाड़ा (२)बाड़ा; पशुशाला (३)पाड़ा; मोहल्ला (४) संडास (५) . [ला.] दल; तड़; पक्ष । [वाडामा जवं, बाडे जq=पाखाने जाना। -बांधवो, वाळवो बाड़ा बनाना (२) गुटबंदी या तड़ बनाना.] वाड पुं० ईखका खेत या ईखकी खेती वाढ पुं० काट; घाव (२) हथियारकी धार; बाढ़ (३) मरोड़ा; पेटकी ऐंठन (४) (फ़सलकी) कटाई; लुनाई वाढकाप स्त्री० फोड़े आदिमें चीरा लगाना; चीर-फाड़ वाडकूटियो पुं० चीर-फाड़ करनेवाला (डॉक्टर) (२) पंचायत करनेवाला; दूसरोंके मामलेमें अपने आप बीचमें पड़नेवाला बाद स० क्रि० काटना; चीरना . पाठियुं न० देखिये 'वाडियु' वाढियो पुं० उत्कट इच्छा; चसका (२) लत; चसका (लगना; पड़ना) वाढी स्त्री० घी परोसनेका प्रायः मिट्टीका टोंटीदार बरतन; करवा [बनेनी वाणियण स्त्री० बनियाइन,बनियेकी स्त्री, वाणियागत, वाणियाविद्या स्त्री०, बाणियावेडा पुं० ब० व० बनियेका . ढंग या व्यवहार; बनियापन वाणियो पुं० बनिया (२) एक कीड़ा; अँखफोड़वा [वाणिया थई जq=समय समझकर नरम हो जाना; दीन-हीन बन जाना.] वागीशूरं वि० बोलनेमें शुर वाणो पुं० बाना (सूतका) वाणोतर पुं० गुमाश्ता; कारिंदा वाणोताणो पुं० बाना और ताना; ताना-बाना वात पुं० वात; पवन (२)वात (धातु) वात स्त्री० कथा; आख्यायिका; कहानी (२) घटना ; वृत्तान्त ; वार्ता; हक़ीक़त; सच बात (३) अफ़वाह; गप (४) कथन; कहना; वचन; बात; उदा० 'तमारी वात हुं समज्यो' (५)बातचीत; संभाषण; वार्तालाप (६) बड़ी आवश्यक या कठिन बात, मामला या विषय, बिसात; हैसियत; उदा० 'एमां ते शी वात छे ?' (७) काम; विषय; मामला; बात; उदा० 'पारकी वातमा माथु न मारो', 'ए मारा हाथनी वात नथी' (८) बात; रवैया ; तौर-तरीक़ा; व्यवहार; आचरण; उदा० पैसादारनी वात जुदी छे' (९) बराबरी; मुकाबला; उदा० 'एनी शी वात करवी' (१०) वर्णन; खूबी ; प्रशंसाकी बाद उदा० एनी शी वात थाय' (११) कहना या करना; बात आ पड़ना; उदा० 'वखत आवे त्यारे वात' (१२) योजना; कोई काम करनेका विचार; ‘स्कीम'; उदा० 'मारी बधी वात मारी गई '(१३) रहस्य; भेद; बात; उदा० 'तेनी वात बहार पडी गई'। [-आपवी= भेद या रहस्य खोल देना; पेट देना। --उकेलबी= देखिये 'वात काढवी'। -उडाडवी = बात उड़ाना, टालना (२) गप उड़ाना; चर्चा चलाना।-उपाडवी% किसी विषयकी चर्चा छेड़ना; बात उठाना (२) बात गढ़ना; झूठी बात कहना । -ऊरवी% For Private and Personal Use Only Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४५३ बात उड़ना, फैलना। - ऊडी जवी= बात कटकर उसका विषयान्तर होना; बात न चलना; बात टलना। -ऊभी करवी झूठी बात बनाना; बात गढ़ना (२)बात शुरू करना, छेड़ना। -करवी = चर्चा करना (२) हक़ीक़त, हाल कहना या सुनाना (३)निंदा करना; बदगोई करना। -कराववी = बातोंमें लगाना। -कालवीबात कहना (२) बातचीत या चर्चाका विषय बनाना। -खाई जवी, गळी जवी = बात पी जाना;बात चूंट जाना।-चालवी= गप उड़ना (२)चर्चा फैलना; बात उड़ना (३) निंदा होना। -चूंथावी = बात बिगड़ना । -चोळवी = बात लंबाना; एक ही बातका पिष्टपेषण करना। -छणवी= बातकी छानबीन करना। - जोडवी = कहानी रचना (२) झूठी बात बनाना; बात गढ़ना। -थवी% बात उठना;बात आना;चर्चा चलना। हक़ीक़त या हाल पेश किया जाना (२) निंदा होना। - नहीं, वातनो पायो नहीं = नापायेदार बात; बातका सिर, न पैर। -ना तडाका, फडाका = गप-शप; लंबी-चौड़ी (हाँकना) (२) युद्धकी बातें। -नुं वतेसर के वतीगण कर = बातका बतंगड़ करना। - पामवी = बात पाना; असल मतलब समझना;भेद जानना।-फूटवी= बात खुलना; भंडाफोड़ होना। -बनवी= घटना बनना। -बनाववी = बहाना बनाना; बात बनाना, गढ़ना। - भारे थवी = टेक, आग्रह बढ़ना; गर्व होना; बात बढ़ना; साख, मान बढ़ना (२) बात बिगड़ना। -भारे पडी जवी= किये हुए कामका परिणाम सहा न जाय ऐसी स्थिति पैदा होना।-मानवी __ = बात रखना; कहा मान लेना; सलाह मान लेना। -मारी जवी = काम न बनना(२)खेल बिगड़ना।-मां नाखq= बातोंमें लगाना। -वषवी, वंठवी= बात बढ़ना; मामलेका तूल खींचना। - वातमांजरा-सी बातमें; बातबातमें। एक जवात = पक्का निश्चय सी बातकी एक बात।(-नी)शीवात करवी = इनकी बराबरी क्या करना; इनकी क्या बात । ठीक छ, वात छे तारी= आगेतेरी शामत आयेगी; तुझे बादमें मजा चखाऊँगा। वाए बात चालवी= चारों ओर चर्चा होना; बात फैलना; हवा उड़ना। वाते लागवं,वाते वळगवं-बातोंमें लगना। वाते वळ. गाड = बातोंमें लगाना। वातोनां वहां करवा = बातें बघारना; निरर्थक बातें किया करना.] बातचीत स्त्री० बातचीत; वार्तालाप (२)गप-शप [बातूनी वातूडियुं, वातूईं, वालोडियुं, वातोई वि० वाद पुं० वाद; बहस ; शास्त्रार्थ (२) तकरार; झगड़ा;वादविवाद (३) होड़; लाग-डॉट(४)सिद्धान्त;वाद; थियरी'; उदा० 'विकासवाद'। [करवो= शास्त्रार्थ करना (२) होड़ लगाना; स्पर्धा करना। -पडवो= तकरार, बहस होना। -मां पडवू, वादे चडवू = स्पर्धा करना; होड़ लगाना.] वादण स्त्री० वादी-मुद्दई स्त्री वादळ न० बादल; मेघ । [-तूटी पडवं = जोरोंकी वर्षा होना;वर्षाकी भरमार होना (२)[ला.] (आफ़तके बादल)एक For Private and Personal Use Only Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वावळी ४५४ वायदासर साथ टूट पड़ना।-बीखरावं, वेरावं 3 बानो पुं० एक खुशबूदार पदार्थ (२) घटाका बिखरना; बादल छंटना; हलदी-तेल (चढ़ाना); चिक्कस बादल फटना.] वापर पुं० देखिये 'वपराश' वावळी वि० बादलके रंगका; आसमानी, वापर, स० क्रि० इस्तेमाल करना; हलके नीले रंगका (२) बादलमेंसे बरतना (२)खर्च करना; खरचना होकर आनेवाला (कड़ी धूप) (३) वाम पुं०;स्त्री० लंबाईकी एक नाप जो स्त्री० छोटा बादल; बदली (४) दो हाथ फैलाकर छाती समेत होती है इस्पंज; मुर्दा बादल; इसपंज वाम वि० सुंदर;वाम ; बाम (२)बायाँ; वाबळू न० बादल वाम (३) विरुद्ध प्रतिकूल; वाम (४) वादी वि० वादी; बोलनेवाला; उदा० अधम, नीच; वाम 'सत्यवादी'(२)वादमें माननेवाला; वामणुं वि० बोना; ठिंगना; वामन उदा० 'वेदांतवादी' (३) पुं० रागका वामन वि० वामन; बौना (२) पुं० मुख्य स्वर; वादी (४) मुद्दई; वादी विष्णुका एक अवतार; वामन (३) (५) महुअर आदि बजाकर (साँप बौना आदमी; वामन (४) धूर्त आदिको) नचानेवाला; मदारी (६) मनुष्य [ला.] वाद, बहस करनेवाला वाम, स० क्रि० (बोझ कम करनेके बादीगर पुं० मदारी लिए) फेंक देना; कुछ कम करना बाबीलं वि• आग्रही; हठी (२) घटाना; दूर करना; कमीकी वादोवाद अ० होड़ाहोड़ी; स्पर्धासे ओर लाना (३) दिलकी बात कह वाषण (-णी) स्त्री० हिचकी ... देना; दिल खोलना (४) कै करम%B वाघर(-री)स्त्री० चमड़ेकी संकरी पट्टी वमन करना (५) त्याग देना 'या डोरी; चमड़ेकी बद्धी; वधी (६) अ० क्रि० घटना; कम होना वान पुं० वर्ण;रंग(२)स्त्री०सर्दीसे फटी वामाटामा पुं० ब० व०, वामाटामा हुई चमड़ी (३) न० शरीरकी गठन; न०ब० व० आनाकानी; टालमटोल , काठी [अचरजभरी चीज़ वायक न० वचन; वाक्य वानगी स्त्री० बानगी; नमूना (२) वायका स्त्री० बात; गप; अफ़वाह वानी स्त्री० एक प्रकारकी मीठी ज्वार बायज पुं०(२) स्त्री० देखिये 'वाएज' वानी स्त्री० चीज़; व्यंजन (भोजनका) वायडाईस्त्रीगप या शेखी मारनेका भाव (२) भस्म ; चिताकी राख । [-वाळवी वायडु वि० वातकारक ; बादी; वातज = मुर्देकी राखको ठंडी करना.] (२) गप या शेखी मारनेका आदी वानुं न० वस्तु; चीज;जिस । [घणां वानां (३) [ला. विचित्र प्रकृतिका; हठी करवा = बहुत प्रकारसे समझाना, वायदाचिट्ठी स्त्री० वादेके मुताबिक मनाना (२)उलहना देना। सौ सारां पैसे देनेके लिए लिखी हुई क़बूलत; वानां या = सारा काम निर्विघ्न रुक्का [मीवादसे पार उतरना.. वायदासर, अ०. वादेके मुताबिक, For Private and Personal Use Only Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वायदो वायदो पुं० मुद्दत; अवधि (२) मीआदसे करनेका काम; वादा । [ वायदानो सोबो = वादेका सौदा ; सट्टेका व्यापार । वायदे चडवुं = मुल्तवी रहा करना; खटाईमें पड़ना; ( किसी कामका) टिल्ले खाते जाना । अगस्त्य ऋषिना वायदा = अशक्य मुद्दत; वादा पूरा न करनेके लिए दी हुई अवधि. ] वायरो पुं० वायु; हवा ( २ ) फ़ैशन; जमानेकी हवा [ला.] । [ वायरा वाई चूकवा = सुख-दुःखका अनुभव हो जाना; सुख-दुःख देखे होना । वायरे चडवं = रंगमें आना (२) फूलकर कुप्पा हो जाना; गर्वसे इतराना; फूलना ( ३ ) खयाली पुलाव पकाना (४) खटाईमें पड़ना (५) आपमें न रहना उत्तेजित होना । - - काढवो, काढी नाखवो = बहुत झाड़ना (२) खूब थका देना (३) पीटकर भूरकस निकालना; अघमरा कर डालना । -नीकळवो, नोकळी जवो = थककर चूर होना ( २ ) भुरकस निकलना । वावी = हवा चलना. ] वायल ( - ली) वि०तरंगी; अस्थिरचित्त वायवडंग स्त्री० ; न० बायबिडंग वायवरणो पुं० देखिए ' वरणो ' वायवी वि०स्त्री० वायु-संबंधी ; वायव्य (२) वायव्य (कोण) धमकाना; वायु पुं० वायु; हवा (२) पुं०; न० वातविकार; बादी ; वायु ( ३ ) बाई; मिरगी; अपस्मार । [ -आवबुं = वातकोप होना; बाई चढ़ना.] वायुगोळा पुं० गोला (रोग) ; बायगोला ; वायुगुल्म [ फारोंको जाननेवाला वायुशास्त्री पुं० हवामानमें होनेवाले फेर ४५५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only वाराफेरा बायज देखिये 'वाएज' वार (वा') पुं० ३६ इंचकी नाप ; गज बार पुं० वार; दिन (२) स्त्री० समय; काल (३) बार; बेर; दफ़ा; फेरा; उदा० ' पांच वार' ( ४ ) [ला. ] देर; विलंब ; ढील । [-लगाडवी, लागवी = देर लगाना; देर लगना ] 4 वार अ० - के अनुसार' के अर्थ में संज्ञाके अंतमें आता है; उदा० ' क्रमवार, गोत्रवार' (२) 'वाला' के अर्थ में संज्ञाको लगनेवाला प्रत्यय; उदा० 'उमेदवार' वारकवार पुं० शुभाशुभ दिन वारणुं न० वारना (२) वारण; प्रतिरोध । [- वाळवं = किसीके सिर आनेवाले दोष आदिमें से उसे उबार लेना; किसीका दोषादिमें से बचाव करना. ] वारतहेवार पुं०, वारपरब ( - ब ) न० उत्सवका दिन; पर्व तीज-त्यौहार वार स० क्रि० रोकना; अटकाना; मना करना (२) बलि जाना; वारना (३) (आरती) उतारना । [वारी ज -- : बलायें लेना ( २ ) निछावर होना; फिदा होना । वारी नालबुं = राई, नोन उतारकर फेंक देना; वारना । वायुं करयुं = सलाह मानना.] वारस पुं० वारिस; उत्तराधिकारी वारसाई स्त्री० विरसा; मीरास वारसागत वि०. विरसेमें प्राप्त; मौरूसी; पैतृक [ वरासत; विरासत वारसाहक (- पुं० उत्तराधिकार; बारसो पुं० विरसा; - मीरास वारंवार अ० बार -बार; बारंबार वाराफरती अ० बारी-बारीसे; एकके. बाद दूसरा वाराफेरा पुं० ब० व० बार-बार जाना Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४५६ वास्ते जाना; गश्त ; फेरा (२)बदलना, परि- वावासोई न० आंधी; अंधड़; तूफ़ान वर्तन, फेर (दशाका) वावं अ० क्रि० हवाका चलना, बहना वारी स्त्री० बारीपारी(२)बदला लेनेका (२) (शरीर पर ठंडका) असर होना; मौक़ा - अवसर लगना (३)सक्रि० बजाना बार अ० अच्छा; खैर; अस्तु (२)वि० बाएँ स० क्रि० ब्याना; बियाना अच्छा; सुंदर; ठीक बावेतर न० बोआई; खेती (२)बोयी बारेघडीए अ० बार-बार; फिर-फिर हुई चीज़ (३) बोयी हुई ज़मीन बारो पुं० बारी; पारी (२) तातील'; वाश (श,) स्त्री० (श्राद्ध आदिमें)काकबलि छुट्टी; काम बंद रहनेका दिन (३) वास पुं० बसना; बास; निवास (२) "घड़ा; कलसा।[-बांधवो=कोई चीज़ वासस्थान; घर; बास ; मुक़ाम (३) नियमित रूपसे देनेका क़रार करना। मोहल्ला (४) स्त्री० बास ; गंध (५) -मकवो = गरम पानीका कलसा पेट- बदबू; दुर्गध [सदरी; फ़तूही पर रखकर सेंकना.] वासकोट पुं०; न० वास्कट ; फतुही; पारोबारियुं वि० वारके हिसाबसे दिन वासण न० बरतन ; पात्र । [-खबरयां - गिनकर लगाया जानेवाला (सूद) = घरमें (प्रायः पति-पत्नीके बीच) पाल पुं० तीन रत्तीके बराबरकी एक झगड़ा होना.] तोल, परिमाण वासणकूसण न० बरतन-भौड़ा बाल पुं० ब० व० एक द्विदल ; सेम बासरी स्त्री० डायरी; रोजनामचा बाल पुं० कपाटी; 'वाल्व' वासल वि० देखिये 'वासेल' वालपापडी स्त्री० सेमकी फली वासबुं स० क्रि० बंद करना काली पुं० संरक्षक; वली; अभिभावक; वासी वि० बासी (खाना, फल आदि) गार्जियन बासीयूँ न० मवेशियोंका गोबर, मूत्र बालीवारस पुं० बली या वारिस आदि कूड़ा; गोबर पालोळ (लो') स्त्री० एक प्रकारके बासेल वि० परती (खेत) सागकी फली; सेम वासो पुं० बसेरा करना; बसना; टिकना बाव स्त्री० बावली; बावड़ी (२)मुकाम; बसेरा(३)दिन; वासर बावटो पुं० झंडा; पताका वासोती (-पी) पुं० रखवालीके लिए वावर पुं० खबर; पता; समाचार (२) खेतमें रात रहनेवाला; अगोरिया किसी बीमारी-रोगका फैलना। वास्तव न० देखिये 'वास्तविकता' वावरिंग न० बायबिडंग (औषधि) वास्तवदर्शी वि० यथार्थदर्शी; रियलिस्ट' बावणियो पुं० बीज बोनेका साधन;बाँसा वास्तविक वि. वास्तविक; यथार्थ; वावणी स्त्री० बोनेका काम; बोआई सत्य (२) उचित; वाजिब पावर पुं० देखिये 'वावड'. वास्तविकता स्त्री० सच्ची हक़ीक़त; बाव, स० क्रि० बोना ....... । वास्तव (२) औचित्य; मुनासबत बावंटोळ पुं० बवंडरका तूफ़ान; आंधी वास्ते अ० वास्ते; लिए; हेतु For Private and Personal Use Only Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाह अ० वाह; साषु; शाबाश वाहन न० वाहन; सवारी (गाड़ी, पशु मादि) (२)विचार, भाव या कार्यविशेषको प्रकट करनेवाली वस्तु; माध्यम; जरिया; साधन । वाहवाह स्त्री० वाहवाही; प्रशंसा (२) अ० देखिये 'वाह वाहियात वि० वाहियात; बेहूदा; निकम्मी(बातें) (२)खराब, वाहियात; नीच [हो; संदिग्ध मनवाला बाहेल(-खं) वि. जो भ्रमित हुआ बाळ पुं० बाल; केश।[-उतारवा% (विधवाका) सिर मुंडाना। -ऊभा बबा=रोयें खड़े होना; रोमांच होना। तूटवो, -बांको न थयो = बाल बांका न होना। -लेवा = किसी खास अंगके बाल मूंडना(२)विधवाका सिर मुंडना; सिर मुंडवा देना.] पाळछो पु० बाल ; केश (तुच्छकारमें) बाळण न० उतार; किसी चीजका प्रभाव दूर करनेकी दवा, युक्ति आदि वाळ, स० क्रि० टेढ़ा करना; झुकाना; नवाना (२) चूर्ण, चाशनी आदिको बाँधकर किसी तरहका रूप या आकार देना; बांधना (लड्ड); बनाना (बीड़ी); डालना (शिकन); मारना (पालथी); बांधना (जूड़ा आदि) (३) अदा करना; चुकाना (ऋण); फिराना; फेरना; घुमाना; दिशा बदलना; मोड़ना (गाड़ी); लौटाना; वापस करना (जवाब, मूठ आदि); मनाना (मन); बदला देना; फेरना (उपकार, बदला आदि) (४)झाड़ना; बुहारना; उदा० 'पूंजो वाळवो, घर वाळवू' (५) ढकना; आच्छादन करना; लगाना; उदा. 'तेना उपर धूळ वाळ, छेडो वाळवो'(६)पानीके लिए रास्ता बनाना; पानी बराना (सिंचाईमें)। [कलम वाळवी - (पेड़ पर) क़लम लगाना । केट वाळवी-खूब काम करना । छेडो वाळवो = मुंह ढांपकर रोना। पंग वाळवा = दम लेना; सुस्ताना। मन वाळवं = मन मनाना; मन मारना। वाळी लाव = बटोरना; झाड़बटोरकर इकट्ठा करना (२)घुमाना; लौटाना। वाळी लेवं झाड़-बटोरकर इकट्ठा करना (२) मिनहा करना; काट लेना.] वाळंद पुं० नाई; हज्जाम बाळंदण स्त्री० नाईकी स्त्री; नाइन वाळी स्त्री० नथ (२)बाली (कानकी) वाळू स्त्री० बालू; रेत वाळु न०; स्त्री० रातका भोजन ; ब्यालू बाळू वि० नामके अंतमें आनेवाला एक प्रत्यय; -वाला; न्युक्त; -संबंधी; -की मालिकीका आदिके अर्थमें;उदा. 'घरवाळो' वाळो पुं० धातुका लंबा तार; तार (२) एक रोग; नारू; नहरुआ वांक (०) पुं० अपराध; गुनाह; दोष; खामी (२) वक्रता; टेढ़ापन ; बांक। [-काढवो = दोष निकालना या देखना। -नीकळवो, पडवो, मां आववं =दोष निकले ऐसा कार्य करना; गुनाह, अपराध होना.] वांकडियुं (०)वि० टेढ़ा (२) धुंधराला बांकडो (०) पुं० दहेज; दायजा । वांकाई(०) स्त्री० टेढ़ापन; वक्रता (२) खुटाई; दुराग्रह For Private and Personal Use Only Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org काबोल यांकाबोलुं (०) वि० कहनेके बाद इनकार करनेवाला; मुकर जानेवाला वांकिj (०) न० नल आदिको जोड़नेवाला टेढ़ा टुकड़ा ४५८ वांकुं (०) वि० जो सीधा न हो; टेढ़ा; व; झुका हुआ ( २ ) [ला.] जो सरल न हो; कुटिल; चालबाज ( ३ ) आड़ा; झूठा; उलटा (४) विरुद्ध ; विरोधी (५) न० हरज; अनबन; ग़लतफ़हमी ; विरोध (६) वक्रता; टेढ़ापन । [ वांकी नजरे जो बुं = चोरी-चोरी देखना (२) गुस्सा होना ( ३ ) कामातुर दृष्टिसे देखना; आँख सेंकना (४) कुदृष्टि करना । वांकी पाघडी मूकवी = बनाव"सिंगार करना; बाँकपन करना ( २ ) दिवाला निकालना । - चालबुं = अनीतिकी राह चलना (२) उलटा, टेढ़ा जाना। -पडवुं = बुरा लगना; गुस्सा होना ( २ ) उलटा, विरुद्ध, प्रतिकूल लगना । - बोलवु = मुकर जाना; झूठ बोलना (२) निंदा करना (३) गुस्से यारीसमें बोलना । - वळबुं - टेढ़ा होना (२) परिश्रम करना ( ३ ) मुड़ना; दिशा बदलना । - वळी जबुं = झुक जाना । वांको बहाडो= शामत आना; सत्यानासका समय । वांको वाळ थवो - = बाल का होना; ज़रा भी बाधा होना या अड़चन पड़ना. ] वांकुंकुं (०) वि० टेढ़ा-मेढ़ा वांकुंटेड (०) वि० बिलकुल टेढ़ा वधुं (०) न० नाला ( नदीका) वचन (०) न० वाचन; पढ़ना ( २ ) पढ़नेका तर्ज़ पढ़ाई (३) अभ्यास; अध्ययन ; पढ़ाई , ['वाचनमाळा' देखिये वचनमाळा (०) स्त्री० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बांदरो वांचj (०) स० क्रि० पढ़ना; बाँचना ( २ ) [ला. ] भविष्य कहना ; ज्योतिषका फल बताना ( ३ ) चाह करना; इच्छा करना । [ यांची काढवं, यांची जयं= पूरा पढ़ डालना (२) जल्दी-जल्दी पढ़ डालना । वांचो जोबुं = ध्यानसे पढ़ना (२) पढ़नेका प्रयत्न करना. ] airi (०) स० क्रि० इच्छा करना; चाहना . वांझ (०णी) (०) स्त्री० बाँझ (स्त्री); वंध्या वांझणुं (०) वि० देखिये 'वांझियुं' वांशियाबाएं वि० बाँझका ; लावारिस ( २ ) न० इकलौता बेटा वांशिj ( o ) वि० जिससे संतान उत्पन्न न हो; बाँझ (२) जिससे फलप्राप्ति न होती हो; अफल ; बाँझ वांशी (०) पुं० बुनकर, जुलाहा वांट (०) पुं० हिस्सा; बाँट; भाग वांटणी (०) स्त्री० बंटवारा; ट aij (०) स०क्रि०बाँटना; हिस्से करना वांटो (०) पुं० हिस्सा ; बाँटा (२) इनाम या निर्वाहकी जमीनका टुकड़ा वांढो (०) वि० पुं० कन्या न मिलने से अविवाहित रहा पुरुष; वंट; वंठ वांतरी (०) स्त्री० कपड़े या किताब में लगनेवाला एक कीड़ा; घुन वांदर (०) पुं० वानर, बंदर । [वांदराने निसरणी आपवी = मूर्खको और भड़काता; पागलको भंग पिलाकर उकसाना. ] वांदर ( - रा ) वेडा (०) पुं० ब० व० बंदर जैसी चेष्टाएँ करना [ वानरी बांदरी (०) स्त्री० बँदरी; बँदरिया; बांद (०) बंदर; वानर बांदरी (०) पुं० नर वानर; बंदर For Private and Personal Use Only Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बांदो ४५९ विकास (२) चाँप ; घोड़ा; खटका; कल वांसळी (0) स्त्री० बांसुरी; बंसी; (३) तालेका खटका; झड़ी (४) बंसरी; बाँसली (२)देखिये 'वांसणी' एक आतिशबाज़ी; छछूदर (५) बोझ वांसिया चोखा (0)पुं०ब०व०सागूदाना उठानेकी एक कल'; बालाकुप्पी; वांसियुं (०) वि० बाँस-संबंधी (२) 'क्रेन' एक पौधा; बाँदा बाँस बराबर; बाँस जितना लंबा वांदो (०) पुं० एक जंतु; चपड़ा (२) वांसी (०) स्त्री० लंबा बाँस जिसके वांषाखोरियु (०) वि० दोष निका- सिरे पर हँसिया जैसी चीज़ जड़ी होती लनेवाला; नुकताची; छिद्रान्वेषी है (२)एक तरहका धान; बाँसी । बांधो (०) पुं० बाधा; अड़चन (२) वांसे (0) अ० पीठकी ओर ; पीछे हरज; विरोध; तकरार; एतराज; वांसो(०)पुं०पीठ;पृष्ठ।[-थाबडवोआपत्ति ।-आववो, ऊठबो, नोकळवो पीठ ठोंकना।-भारे थवो=मार खाने = एतराज़, विरोध, हरज होना;झगड़ा योग्य काम करना(२)मिज़ाज सातवें खड़ा होना । -उठाववो, काडवो, आसमान पर होना गर्व बढ़ना।-हलको लेवो आपत्ति उठाना; तकरार या करवो पीटना; मारना.] विरोध खड़ा करना। -पडवो = विकराल(-ळ)वि० विकराल;भयानक विरोध या एतराज़ होना; झगड़ा होना विकल वि० विकला; व्याकुल ; विह्वल (२) बुरा लगना; विरोध करनेका (२) विकल; अपूर्ण; खंडित (३) बहाना मिलना.] असमर्थ; विकल (४) पुं० विकला; वांधोवचको (0) पुं० दोष; खामी; कलाका ६०वा भाग खुचड़; भूल-चूक ; नुक्स निकालना विकला स्त्री० कलाका ६० वाँ भाग; वांस (०) पुं० बाँस (२) उसका डंडा विकला (२) रजस्वला; विकला (३) या सोंटा (३) मथानी; रई (४) एक अंशका ३६०० वाँ भाग [ग.] सात-आठ हाथ जितनी एक नाप ; बाँस । विकसq अ० कि० खिलना; विकसना (५) राजका ईंटें छीलनेका औज़ार । विकसाव स० क्रि० 'विकस' का [-फरवो घरमें निर्धनता होना.] प्रेरणार्थक रूप ; बिकसाना . वांसकपूर (०) न० वंशकपूर; वंश- विकळ वि० देखिये 'विकळ'. लोचन ; बंसलोचन [(गहरा) विकळा स्त्री० देखिये 'विकळा' वांसजाळ, वांसपूर (०) अ० बाँस बराबर विकाशवं अ० कि० खिलना; विकसना वांसडो (०) पुं० बाँसका सोंटा-डंडा (२)सक्रि० विकसित करना;खोलना, वांसणी (०) स्त्री० रुपये रखने की लंबी फैलाना; प्रसारित करना। __ थैली; बसना [आदि बनानेवाला विकास पुं० विकास; खिलना (२) बांसकोडगे (०) पुं० बाँसके टोकरे उत्क्रान्ति; ऋमिक उन्नति या विकास वांसलटी (०) स्त्री० बाँसुरी; बांसली विकासवाद पुं० विकासवाद बांसको (०) पुं० बसूला विकास देखिये 'विकाश' For Private and Personal Use Only Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६० विताय विषम पुं० विक्रम ; वीरता(२)विक्रमा- रखना; अदब करना। लांबी विचार% दित्य राजा(३)न० विक्रम ; कदम दूरकी सोचना; दूरदेशीकी बात. विखन विष; जहर विचारणा स्त्री० विचार करना; विखवाव पुं० जहर पैदा करनेवाली विचारणा [बिचार करके बोली; जली-कटी (कहना)(२)तकरार; विचारपूर्वक अ० सोच-समझकर; बखेड़ा [छूटा हुआ विचारवंत, विचारवान वि० विचारविखर्ट वि० अलग; बिछुड़ा हुआ; साथ वान्; विचारशील; सोचने-विचाविखेरस० क्रि० बिखेरना रनेवाला [प्रदान विसरा, अ० क्रि० "विखेर का विचारविनिमय पुं० विचारोंका आदान कर्मणि; बिखरना; फैल जाना। विचारवं स० क्रि० बिचारना; सोचना विगत स्त्री० विषय; बाबत; ब्योरा (२) विचारसरणि(-जी) स्त्री० विचार समझ ; सूझ-बूझ [विस्तारपूर्वक करनेकी पद्धति, क्रमबद्धता आदि; विगतवार, विगते अ० ब्योरेवार; विचारधारा; विचारसरणी विग्रहरेशास्त्री० (-)ऐसा विरामचिह्न, विछळावq स० क्रि० 'वीछळवं 'का प्रेरणार्थक निर्देशक; 'डेश' [व्या. विछोह पुं० वियोग; बिछोह; जुदाई विघोटी स्त्री. प्रत्येक बीघेका मुकर्रर विजय पुं० विजय'; फ़तह [दुंदुभि किया हुआ या दिया जानेवाला विजयउंको पुं० विजयका डंका; विजयलगान; शरह-लगान; लगान मुकर्ररी विजयादशमी स्त्री० विजयादशमी या लगान वाक़ई [उधर घूमना दशहरा; दसहरा . [वियोग विचर अ० क्रि० विचरना; इधर विजोग पुं० वियोग ; जुदाई (२) विरह विचार पुं० विचार; बिचार; खयाल विजोगण (-णी)वि० स्त्रीवियोगिन; (२) अभिप्राय; विचार; राय(३)उद्देश, _ विरहिणी; वियोगिनी अभिप्राय; मतलब (४) कल्पना; विटंबणा स्त्री० कष्ट ; विडंबना परेशानी मनसूबा; खयाल ; बिचार, धारणा(५) विण अ० बिना; सिवा; बिन (प.] निर्णय; विचार(६)विनय; मुरोवत; विणामण न०, (-णी) स्त्री० बिनदूसरोंका लिहाज (७) परिणामका नेकी क्रिया; बिनाई (२) अनाजमें खयाल(८)चिंता,खयाल,सोच-बिचार। से बिनकर निकाली हुई चीज़ (कूड़ा-आपवो= राय देना,सलाह, परामर्श करकट); बिनन (३) बीननेकी देना।-चलाववो सोचना, बिचारना मजदूरी; बिनाई (२) परामर्श करना। -दोडाववो = विणाएं अ० कि० वीणवू' का कर्मणि कल्पना करना । -घराववो राय विणाव सक्रि० 'वीण'का प्रेरणार्थक रखना;उद्देश्य होना। पूछबो-किसीका वितारवं सक्रि० दुःख देना; हैरान अभिप्राय जानना चाहना । -राबवो=3 करना; सताना [गुजारना बिचार होना,बिचार करना(२)लिहाज वितार(-)स० क्रि० बिताना; For Private and Personal Use Only Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विद्राय विवाय वि० बिदा किया हुआ; रुखसत किया हुआ; रवाना (२) स्त्री० बिदा; जानेकी इजाजत; अलग होना; विदाय [विदाई; रुखसती विवायगीरी स्त्री० बिदा करना ; बिदाई; विवार, सक्रि० फाड़ना; टुकड़े करना; बिदारना [प.] (२) मार डालना विद्या स्त्री० विद्या; ज्ञान (२) उसका शास्त्र या कला; उदा० 'समाजविद्या (३) विज्ञान; विद्या; सायन्स (४) देखिये 'वद्या'। [चौवे विद्या = तमाम विद्या; समग्र ज्ञान; हर फ़न। मेली विद्या = जारण, मारण, वशीकरण या भूतप्रेतादिको वशमें करनेकी विद्या; मलिन विद्या.] विद्याधिकारी पुं० शिक्षा-विभागका . अधिकारी; लोकशिक्षण संचालक; 'टी. पी. आई.'; 'डी. ई.' . विचाम्यास पुं० पढ़ाई; शिक्षा; अध्ययन विध स्त्री० बिध;प्रकार; भाँति ; तरह विषया स्त्री० विधवा; बेवा; रॉड विषिष वि० भांति-भाँतिका; कई प्रकारका; विविध विषान न० विधि; काम करनेका ढंग; रीति; विधान. (२) शास्त्राज्ञा; विधि (३) क्रिया; विधि (४) सेवा (५) उपाय; साधन; विधान (६)हायीके लिए बनाया हुआ लड्ड; विधान विधि स्त्री० विधि; ब्रह्मा, विधाता (२) तक़दीर बनानेवाला, भाग्य विधाता(३) बाजा; शास्त्राज्ञा; विधि (४)विधि; संस्कार(५)पुं० स्त्री० क्रिया,धार्मिक संस्कार; विधि (६) क्रियाका क्रम या पद्धति [[व्या.] विधिपूरक वि० उद्देश्यपूर्ति या कर्मपूर्ति विमळ विषुर पुं० विधुर; रडुआ(२)वि०विकला, व्याकुल ; विधुर (३)वियोगी; विधुर विषय वि० विधेय; करने योग्य (२) अधीन; वशवर्ती; विधेय (३) न० वाक्यका वह अंश जो उद्देश्यके बारेमें कहा गया हो; विधेय [व्या.] . विषयवर्षक वि० विधेयके अर्थमें वृद्धि करनेवाला (२) न० विधेय-विस्तारक, विधेयवर्धक [व्या. विष्यर्थ पुं० आज्ञार्थ; विध्यर्थ विनय पुं० विनय ; नम्रता (२)शिष्टता बिनयमंदिर न० माध्यमिक शाला; हाईस्कूल विनवणी स्त्री० मनहार; विनती करना विनंति स्त्री० अर्ज; प्रार्थना; बिनती; विनती विनंतिपत्र न० अर्जी; प्रार्थनापत्र विनंती, विनंतीपत्र देखिये 'विनंति'; ___ 'विनंतिपत्र' विना अ० बिना; बगैर; छोड़कर विनाशिका स्त्री० विध्वंस-पोत; 'डिस्ट्रायर' विनीत वि० विनीत; नम्र ; विनयी (२) सुशिक्षित (३) उदार दलका; 'लिबरल' (४) जिसने हाईस्कूल या "विनयमंदिरकी' शिक्षा पूरी की हो; 'मैट्रिक्युलेट' (५) उस कक्षाका विनीतपक्षपुं० उदारदल, लिबरल पार्टी' विपरीतकोण पुं० 'रिफ्लेक्स ऐंगल [ग.] [असफल विफल(-ळ) वि. विफल; बेकार; विभक्ति स्त्री. संज्ञाका क्रियासे संबंध ___ बतानेवाला प्रत्यय; कारक-चिह्न विभक्ति [व्या.] [विमल विमल (-2) वि. निर्मल; स्वच्छ For Private and Personal Use Only Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विमान विमान न० विमान; वायुयान ; हवाई जहाज़ (२) देवमंदिर (जैन); विमान विमानी वि० हवाई जहाज़-संबंधी; विमानका (२) निरभिमान; गर्वरहित (३) पुं० विमानचालक विमानीमथक न० हवाई अड्डा विमासण स्त्री० पछतावा; पश्चात्ताप (२) गहरा सोच-विचार, चिंतन । विमासवं अ० क्रि० पछताना; सोचना (२) विचार करना; सोच में पड़ना वियाण वि. जो ब्याता हो;जो बच्चा देता हो; उदा० 'वरसवियाण' (२) न० बियाना; पशुकी प्रसूति वियावं अ० क्रि० ब्याना; बच्चा देना (पशुका) [विरण विरण(०वाळो) पुं० एक सुगंधित जड़; विरमवं अ० क्रि० ठहरना; रुकना; बिरमना [प.] विरल(-लुं) वि० दुर्लभ; विरल'; (२) जो घना न हो; विरल (३) थोड़ा; विरल (४) निर्जन; वीरान विराजवं अ० कि० शोभित होना; बिराजना; विराजना; बैठना विराम पुं० विराम; ठहराव; रुकना; बंद होना (२) आराम; विश्राम; विराम (३) अंत; अवसान; विराम विरामचिह्न न० विरामचिह्न विरामवं अ० क्रि० बिरमना [प.]; रुकना; ठहरना ; बंद होना; अंत आना विलसवं अ० क्रि० बिलसना [प.]; चमकना; झलकना; शोभित होना (२) मौज, आनन्द करना; विलसना [प.] (३)स० क्रि० भोगना; बिल साना [प.] [विलंबना विलंबवू अ० क्रि० देर, विलंब करना; विशेष विलायत स्त्री०; न० वतन; स्वदेश; जन्मस्थान (२)तुर्कोका असल मुल्क; विलायत (३) यूरोप ; विलायत (४) ब्रिटेन; विलायत विलायती वि० विलायतका; विलायती; विलायतका बना हुआ (२) जो स्वदेशका न हो; विदेशी; विलायती (३) विचित्र; चकित करनेवाला; असाधारण [ला. विलावू अ० क्रि० कुम्हलाना; मुरझाना (२) पिघलना (३) नाश-विलय होना विलासवं स० क्रि० विलास करना; विलसना [प.] (२) चमकना विलोकवू स० क्रि० देखना; बिलोकना [प.](२)तलाश करना; अवलोकननिरीक्षण करना [(दूध) विलो, अ.क्रि० दूध चढ़ाना; अमोरना विवरण न० विवरण; स्पष्टीकरण विवाद पुं० विवाद ; बहस ; चर्चा (२) झगड़ा; विवाद (३) मतभेद (४) मुकदमा; दावा [शादी ; ब्याह विवाह पुं० सगाई; मँगनी (२)विवाह; विवेक पुं० देखिये 'विवेकबुद्धि' (२) विनय; सभ्यता; शिष्टता विवेकबुद्धि स्त्री० भले-बुरेका भेद करने, समझने की शक्ति ; विवेक ; तमीज़ विवेकी वि० भले-बुरेकी पहचान करनेवाला; विवेकी; समझदार (२) ज्ञानी; विचारवान्; विवेकी (३) ___ सभ्य; शिष्ट ; विनयी विशाल (-ळ, -छं) वि० विशाल ; बड़ा विशे अ० -के विषयमें; बारेमें विशेष वि० विशेष ; अधिक ; ज्यादा (२) असाधारण ; असामान्य ; विशेष; खास (३) पुं० अंतर; भेद करना; For Private and Personal Use Only Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विशेषण विशेष (४) खास धर्म या गुण; विशेष | [ - विनंती के (संक्षेप में 'वि० वि०' ) = ख़ास निवेदनके अर्थ में पत्र में लिखा जाता है । विशेषे करीने = ख़ासकर; विशेषतः .] विशेषण न० संज्ञाका गुण या संख्या बतानेवाला शब्द; विशेषण [ व्या. ] विशेषता स्त्री० ज्यादापन; अधिकता; ज्यादती ( २ ) अंतर; विशेष ( ३ ) श्रेष्ठता, उत्कृष्टता; खूबी; विशिष्टता; विशेषता [ व्यक्तिवाचक संज्ञा [व्या. | विशेषनाम न० नामका एक प्रकार ; विशेष्य न० विशेषणयुक्त संज्ञा; विशेष्य विश्वास पुं० विश्वास ; यक़ीन; भरोसा (२) श्रद्धा; विश्वास [ भरोसेका विश्वासपात्र वि० विश्वसनीय ; विश्वासी वि० देखिये 'विश्वास' ( २ ) पुं० ईसा मसीहमें विश्वास करने - वाला; ईसाई विश्वासु वि० विश्वास करनेवाला; विश्वासी ( २ ) जिसका एतबार किया जा सके; विश्वसनीय ; विश्वासी विष न० विष; ज़हर । [ -मारखं = जहर मारना. ] विषखापरो पुं० एक वनस्पति विषय पुं० इंद्रियग्राह्य पदार्थ; विषय (२) भोग्य वस्तु भोगका साधन (३) कामवासना पूर्ण करना; कामभोग; इन्द्रियजन्य आनंद ( ४ ) विचार या अध्ययनकी वस्तु; विषय ( ५ ) मामला ; बात; विषय; प्रसंग ( ६ ) लक्ष्य उद्देश्य (७) देश; विषय; जनपद । [ - उपाडवो = कोई बात या विषय छेड़ना, आरंभ करना. ] ४६३ विहोणं विषयविचारिणी वि० स्त्री० विषयनिर्वाचनी [ संबंधी विषे अ० में (२) बारेमें; विषयक; विसवासी स्त्री० बिस्वेका २०वाँ भाग; बीघेका ४०० वाँ भाग ( २ ) लकड़ी को Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ; एक नाप विसात स्त्री० बिसात; मूल्य; महत्त्व (२) बिसात ; शक्ति सामर्थ्य; महत्त्व ( ३ ) गणना ; हस्ती बिसात विसामो पुं० विश्राम; सुस्ताना ( २ ) वह ऊँचा चबूतरा जहाँ बोझिया बोझ रखकर सुस्ताये; टेकान विसार पुं० भूल जाना; विस्मरण विसारखं स० क्रि० भुला देना; याद न रखना; बिसारना विसारो पुं० देखिये 'विसार' ; विस्मृति विस्तर अ० क्रि० विस्तृत होना; फैलना विस्तार पुं० विस्तार; फैलाव ( २ ) वृद्धि (३) विशालता; विस्तार ( ४ ) [ला. ] बड़ा परिवार या कुनबा विस्तारखं स० क्रि० विस्तृत करना; फैलाना; विस्तारना [ प . ] विस्फोटक वि० फूटनेवाला या फोड़नेवाला (पदार्थ) ; विस्फोटक विस्मरतुं स०क्रि० भूल जाना ; बिसरना विहरवं अ० क्रि० घूमना-फिरना ( २ ) विहार करना; विहरना [ प . ] बिहार पुं० विहार; क्रीड़ा (२) घूमकर मनोरंजन करना; विहार ( ३ ) भ्रमण; मटरगश्ती; बिहार ( ४ ) (बौद्ध) मठ; विहार । [ -करवो: क्रीड़ा करना ( २ ) जैन साधुका प्रवास करना (३) जैन साधुका चल बसना . ] विहोणुं वि० विहीन; वंचित; विमुख; रहित, = For Private and Personal Use Only Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बीसरवं बीसर(-रा), अ० क्रि० विखरना; तितर-बितर होना बीगत, बीगतवार देखिये 'विगत' आदि वीधू न०, (-घो) पुं० बीघा .. बीछळवं सक्रि० किसी बरतनमें पानी डाल, उसे हिलाकर साफ़ करना; संगालना (२) कपड़ोंका मैल छाँटना बीछी (-छु) पुं० एक विषला जंतु;बिच्छू बीछवा पुं० ब० व० पांवके अंगूठेका एक गहना; बिछिया; बिछुआ बीन स्त्री० बिजली; विद्युत् वीजणो पुं० पंखा; व्यजन बीजळी स्त्री० बिजली; विद्युत् बीबळीघर न० बिजलीघर; 'पावर स्टेशन गीजाणु पुं० विद्युत्का अणु; 'इलेक्ट्रोन' बीण स्त्री० प्रसव-वेदना; प्रसवकी पीड़ा बीणस० क्रि० बिनना; चुनना (२) छांटना; पसन्द करना (३)(अनाजमें से कूड़ा-करकट) निकाल लेना; बिनना पीतक न०; स्त्री० किसीके ऊपर बीती हुई बात; घटित घटना; बीती (२) संकट [दुःख पड़ना; बीतना वीत अ० क्रि० बीतना ; गुज़रना (२) बीनवर्बु सक्रि० प्रार्थना-विनय करना; मनुहार करना,चिरौरी करना,बिनवना वीफर अ.क्रि० क्रुद्ध होना; बिगड़ना बीमाकंपनी स्त्री० बीमाकंपनी . बीमो पुं० बीमा (२) उसका करार, लेख (३) बीमेका प्रीमियम (४) [ला.] जान-जोखोंके काम; साहस । [-ऊतराई के ऊतरी जवो, -खलास थवो= मर जाना; तबाह होना। -करवो, सोडवो=साहस करना; जान जोखिममें डालना; जान पर खेलना. बीतर वीर वि० वीर; बहादुर; बीर (२) पुं० वीर पुरुष; बीर (३) भाई; बीर(४)एक तरहका प्रेत; बीर (५) वीर; वीररस (६) महावीरस्वामी वीरकाव्य न० वीररसका काव्य . वीरडो पुं० नदी या तालाबके जलविहीन भागमें पानीके लिए बनाया हुआ गडुढा वीरण(वाळो) देखिये 'विरण' वीरपसली स्त्री० श्रावणी पूर्णिमाके दिन भाईकी ओरसे बहनको दी जानेवाली भेंट [वाली धरती वीरभूमि स्त्री० वीरोंको जन्म देनेवीरहाक स्त्री० युद्धके समय वीरकी भयानक गर्जना वीरो पुं० भाई; बीर वील न० वसीयतनामा; मृत्युपत्र; 'वील' वीलु (वी') वि० शरमिंदा; झेंपा हुना (२) भटकता (पशु); छुट्टा; जोबंधा न हो । [-पड = बिछुड़ जाना (२) झेंपना; खिसिया जाना। -मूक साथमें न रखना; किसीको बेकार घूमता छोड़ देना। -मों कर = शर्म, कलंक या खेदसे अपना-सा मुंह लेकर रह जाना. वीश वि० बीस; २० वीशी स्त्री० देखिये 'वीसी' बीशी स्त्री० ढाबा; बासा; भोजनालय वीशीवाळो पुं० होटलका मालिक वीस वि० बीस; २० ।[-बसा = संपूर्ण; सोलहों आने (२) बहुत करके; बीस बिस्वे. वीसमवं अ०क्रि० दूर होना; उतरना; शान्त होना (गरमी, जोश, थकान, उफान आदि) बीसर, स० कि० बिसरना; भूल जाना For Private and Personal Use Only Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीसरा, वीसरा, अ० क्रि० . 'वीसरवू' का कर्मणि ; याद न रहना; भूलना वीसी स्त्री० बीसका समूह; बीसी (२) बुनाईमें तानेके तारोंकी एक प्रकारकी गिनती; वीशी बीळ स्त्री० ज्वार (भाटाका उलटा) वीखवू स० कि० देखिये 'पीखवू' वींचqसक्रि० मूंदना बंद करना,मीचना । वींछी पुं० बिच्छू (जंतु) वींछीडो पुं० बिच्छू (२) वृश्चिक राशि वींछु पुं० बिच्छू (जंतु) वौंछुडो पुं० देखिये 'वींछीडो' वींछुवा पुं० ब० व० देखिये 'वीछुवा' वीजणुं न० बढ़ईका औज़ार; रुखानी वौंजणो पुं० पंखा; व्यजन वीझणुं न० देखिये वीजणुं' वीसवं स० क्रि० तलवार, लाठी आदि हवामें जोरसे घुमाना वीटली स्त्री०, (-लो) पुं० स्त्रियोंका नाकका एक गहना; नथ वाटलो पुं० देखिये 'वींटो' वींटवं स० क्रि० लपेटना; लुंडियाना; पीडियाना (सूत, रस्सी आदि) वींटावं अ० क्रि० 'वींटवू' का कर्मणि; . लिपटना; लपेटा जाना। वींटाळवं स० क्रि० लपेटना; लँडि याना (सूत, रस्सी आदि) वीटी स्त्री० अँगूठी; मुंदरी वीटो पुं० लपेटा हुआ गोल पिंडा; बीडा (२) बिस्तरका बीडा वींढारQ स० क्रि० पालन करना; - पोसना (२) मुसीबत झेलकर भी साथमें रखना, ढोना वीच न० बेध; छेद (मोती आदिमें) वीवj न० रुखानी ग.हिं-३० बोंबई स० क्रि० बेधना; छेद करना; छेदना; बींधना (२) घाव करना; बेधना; गड़ाना; चुभाना । वींधाव, सक्रि० 'वींध'का प्रेरणार्थक वींषावं अ० क्रि० 'वींधवू' का कर्मणि; बिंधना; बेधा जाना चूठवं स० कि० बरसना; बरस पड़ना वृत्त न० वृत्त; आचरण; चाल-चलन (२) छंद; वृत्त (३) वर्तुलाकार क्षेत्र; वृत्त (४) समाचार; वृत्त (५) वृत्तांत; घटना; हक़ीक़त; वृत्त वृत्तपत्र न० अखबार; समाचारपत्र वृत्तविवेचक पुं० पत्रकार वृत्तविवेचन न० पत्रकारी; अखबारनवीसी; 'जर्नालिज्म' वृत्तांत पुं०; न० वृत्तांत; हाल; हक़ीक़त; वर्णन (२) खबर; समाचार वृत्ति स्त्री० मनमें उठनेवाला विचार; वृत्ति; चित्त-मनका व्यापार (२) रुख; मनकी अवस्था; मनोभाव; वृत्ति (३) स्वभाव; प्रकृति (४)आचरण; बरताव (५)व्याख्या; कारिका; वृत्ति (६) रचनाशैली (कोशिकी आदि); वृत्ति(७)वृत्ति; पेशा (८) जीविका; वृत्ति (९)शब्द-शक्ति (अभिधा आदि) [व्या.] [(२)बुजुर्ग; बड़ा; वृद्ध वृद्ध वि० वृद्ध; बड़ी उमरका; बूढ़ा वेउ पुं० एक बेल वेकरो पुं० कंकड़ मिली हुई बड़ी रेत वेकळो पुं० छोटा नाला या झरना वेकर स्त्री० बालू; रेत वेखल(-) वि. जिसे स्वमान न हो; 'खी-खी' आवाज़ करके हँस पड़नेवाला (२) निर्लज्ज; बेहया; (३) खल; अशिष्ट For Private and Personal Use Only Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वेग पुं० वेग; गति; त्वरा (२) जोश; आवेश (३) कसक; शूल (४) त्रास; आतंक; डर। [-मारवा = कसकना; शूल उठना.] वेगळु वि० जो दूर हो; दूर (२) अलग; जुदा । [-होवं% रजस्वला होना; कपड़ोंसे होना.] वेगळे अ० फ़ासले पर; दूर वेगी(लं) वि० वेगी; तेज ; वेगयुक्त वेचवाल वि० बेचनेवाला; वेचवाल (शेयर आदिका) वेचवें स० क्रि० बेचना । विचीने चणा खावा = किसीसे न दबना (२) बेच खाना; उड़ा डालना.] वेचाउ वि० बिकाउ वेचाण न० बेचना; बिक्री; बै वेचाणखत न० बैनामा; विक्रय-लेख देचातुं वि० मोल लिया हुआ या दिया हुआ; दाम देकर लिया हुआ या दिया हुआ। [कजियो वेचातो लेवो, लडाई वेचाती लेवी = झगड़ा मोल लेना (२)किसीका पक्ष लेकर झगड़ना.] वेचा, अ०क्रि० 'वेचq' का कर्मणि; बिकना [प्रजा वेजा स्त्री० निशान (२) विपत्ति (३) बेठ स्त्री० बेगार (काम) (२) जबदस्ती कराया जानेवाला काम; बेगार (३) [ला.] बोझ; बला; आफ़त; कष्ट देनेवाली वस्तु या व्यक्ति। [-उतारवी, काढवी, बाळबी = बिना मन लगाये, बेगारकी तरह काम करना; बेगार टालना। बेठे काढवं, पकड = बेगार पकड़ना। बेठे नवं = बेगारके लिए जाना.] पेठ, स० क्रि० सहना; झेलना (२) किसी स्थिति, संबंध आदिकी रक्षा किये जाना; निबाहना वेठियो पुं० वह आदमी जिससे बिना मजदूरी दिये काम कराया जाय; बेगारी (२)बेगारमें पकड़ा हुआ बगैर दामका नौकर वेडफबुं सक्रि० व्यर्थ खर्च करना; उड़ा डालना; नष्ट कर देना; बिगाड़ना वेडफा अ० क्रि० 'वेडफवू' का कर्मणि वेडमी (वे') स्त्री० पूरन भरी हुई रोटी; पूरनपूरी वेडलो पुं० देखिये 'वेल्लो' वे सक्रि० जालीदार लग्गीसे(फल) तोड़ना, उतारना वेडवो पुं० देखिये 'वीरडो' बेसरी स्त्री० वह लग्गी जिसके सिरेपर जालीदार थैली रहती है (आम आदि तोड़नेकी) वेडो पुं० लग्गीसे फल उतारनेवाला वेढ पुं० उँगलीकी गाँठ; पोर;पोरवा (२)छल्ला; पोरिया वेढमी स्त्री० देखिये 'वेडमी' वेदो पुं० उंगलीकी गाँठ; पोर;पोरवा (२) लकड़ीकी गाँठ। [वेढा गणवा = पोरें गिनकर हिसाब करना (२) दिन गिनना; प्रतीक्षा करना। बेटे गणाय एटलं =अल्प संख्यामें;उँगलियों पर गिना जा सके उतने; इने-गिने.] वेण (वॅण,) स्त्री० कपासका पौधा; कपास (२) प्रसवकी वेदना वेण (वें) न० वचन; बोल ; बैन [प.] (२) प्रतिज्ञा; कोल। [-कावं = बोलना। -मार = बोल मारना; मर्मभेदी वचन कहना; ताना मारना। For Private and Personal Use Only Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૪૬૭ - राल = कहा मान लेना; बात रखना । - सांभळवूं = उलहना या ताना सुनना ; फटकारा जाना; सुनना. ] वेणि (-णी) स्त्री० बालोंकी चोटी; वेणी (२) जूड़ेमें खोंसनेका फूलोंका गजरा वेणु (०का) स्त्री० वेणु; बांसुरी वेत (वॅ) पुं० उपयुक्त काल; मौक़ा (२) व्यवस्था; प्रबंध; ब्योंत वेतन न० वेतन; तनख्वाह वेतर न० एक-एक बारका जनन; बियान । [-आवबुं, वेतरे आवबुं = पशुकी मादाका गर्भाधानका समय होना. ] वैतरण स्त्री० (कपड़ेको) ब्योंतना (२) जरूरी इंतजाम, प्रबंध (३) सजा [ला.] - बेतर स० क्रि० कपड़ेको सिलाईके = लिए काटना; ब्योंतना ( २ ) जरूरी इंतजाम करना (३) [ला.] बिगाड़ देना; चौपट कर देना; गुड गोबर कर देना । [ओं वोड वेतरबुं - कुछका कुछ कर डालना; बिगाड़ देना; औरका और या उलटा कर देना. ] बेता पुं० ब० व० समझ ; सयानापन; होशियारी (२) सलीक़ा ; शऊर ; ढंग वेद पुं० वेद; ज्ञान (२) यथार्थ ज्ञान; वेद (३) आयका सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ; वेद ( ४ ) चारकी संख्या; वेद । [ -भगवा = वेदाध्ययन जैसा भारी काम करना. ] वेदियं वि० वेदज्ञ; वेद पढ़ा हुआ ( २ ) [ला. ] व्यवहारशून्य पंडित । [ डोर : पोथी पंडित; जो पंडित हो मगर व्यवहारदक्ष न हो; कोरा पंडित. ] वेध पुं० वेध; छिद्र; बेध (२) दोष; पाप (३) जख्म ; वेघन; वेध (४) बेघना; छेद करना; वेष ( ५ ) ग्रहों Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वैरागी आदिकी गति, समय आदिका पर्यवेक्षण, निरीक्षण (६) सुतार या राजके काम शास्त्रीय दोष (७) सूर्यग्रहणके पहलेके चार और चन्द्रग्रहणके पहलेके तीन पहरके सूतकका समय (८) द्वेष ; डाह [ला. ] वेधन न० वेधन; छेद करनेकी क्रिया; बेघना (२) छेद करनेका औजार; वेधनी वेधमी स्त्री० मोती, रत्न आदिमें छेद करनेकी बरमी; वेघनी ( २ ) हाथीका अंकुश; वेधनी वेषवं स० क्रि० छेद करना; छेदना; बेघना (२) बींधना ; बेघना ; चुभाना वेधशाला (-ळा) स्त्री० वेधशाला; जंतर-मंतर [ जैसा कोई वाहन वेन (वॅ) न० बहना ( २ ) बैलगाड़ी वेपार (वॅ' ) पुं० व्यापार; व्योपार । कामकाज [-मांडवी = संसार-व्यवहार चलाना.] वेपाररोजगार (वॅ) पुं० व्यापारका [ धंधा - रोजगार बेपारवणज (वॅ') पुं० बनिज-व्योपार; वेपारी (वॅ) पुं० व्यापारी; ब्योपारी वेर (वें) न० बैर; शत्रुता ( २ ) द्वेष; बेर; बुराई । [ -लेवं, वाळवं = बेर लेना; बदला लेना. ] वेरणले (-छे ) रण वि० तितर-बितर; अस्त-व्यस्त छिन्न-भिन्न वैरभाव (वॅ) पुं० शत्रुभाव; द्वेष; बैर वेरी (वॅ) पुं० बेरी; शत्रु वेर स० क्रि० चीजोंको तितर-बितर करना; बिखेरना (२) फैलाना; छिटकाना; बिखेरना (३) [ला.] खूब पैसे खरचना बेराग (वें) पुं० वैराग्य; बैराग वेरामी (वॅ) पुं० बैरागी; बाबा For Private and Personal Use Only • - Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६८ बेरान (4) वि०. वीरान; उजाड़ अकस्मात् किसी काममें बाधा डालता; बेराअ०कि. 'वेरवु' का कर्मणि (२) रूठकर बीचमें से खड़ा हो जाना; बिखर जाना; तितर-बितर होना बीचमें टाँग अड़ाना। -वलयो= देरी (वें) वि. बैर रखनेवाला; वैरी दूसरे पक्षमें जा मिलना. - (२)पुं० दुश्मन; बैरी वेशधारी वि० रूप भरनेवाला; स्वाँगी; धेरे (वें) अ० -के साथ; से (लग्न) वेशधारी (२) ढोंगी; धूर्त (३)पुं० ठग वेरो पुं० कर; महसूल; 'टैक्स बेशवाळ न० देखिये 'वेविशाळ' । वेल स्त्री० बेल; लता वेष, वेषधारी देखिये 'वेश' आदि बेलण न० बेलन; बेलना . [फूल-पत्ता वेसण न० बेसन (२) बेसनका घोल बेलबुट्ठी स्त्री०, (-टो) पुं० बेल-बूटा; वेसर(-री) स्त्री० बेसर (नाकका बेला स्त्री० देखिये 'वेळा'(२) सीमा; गहना) [(३)बिल ;छेद मर्यादा; वेला (३) समुद्रतट; वेला वेह पुं० बेध; छेद (२) नाका; छेद (४) वाणी . .. वेळ स्त्री० वेला; समय ; बेला (२) वेली स्त्री० बेल; लता ज्वार; भाटाका उलटा।[-वळवी = बेलो पुं० बड़ी बेल, लता (२) वंश; दशा सुधरना.] : बेल [ला.]। -चालयो, वषवो = वेळ (वेळ,) स्त्री० नसोंका तनाव या वंश बड़ना; बेल बढ़ना. [बाली ऐंठन; मरोड़ (२) फोड़े-फुसी या क्लोपुं० स्त्रियोंकर कानका एक गहना; किसी धावकी पीड़ासे शरीरके संधिअवलं वि० बेसलीक़ा; जिसमें शऊर स्थानमें होनेवाली गाँठ; गिलटी (३) न हो (२) जिसके पेटमें बात न.पचे मनकी तरंग; खब्त ; धुन । [-आववी (३) विह्नल; व्याकुल ..... = शरीरकी नसोंका तन जाना (२) बाई. (वा') पुं० समधी : .. धुन सवार होना। -घालवी= फोड़ेवेवाण (वा' ;ण')स्त्री० समधीकी स्त्री; फुसी या घावके दर्दके कारण गिलटी समधिन; समधन [तिलक होना.] वेविशाळ (वे') न० सगाई; मॅगनी; वेळा स्त्री० वेला; समय ; बेला (२) बेल पुं० भेस;पोशाक;पहनावा; वेश-भूषा विलंब; देर (३) [ला.] वेला; खास (२) बदला हुआ भेस; रूप; वेष; अवसर; प्रसंगविशेष (४) आफ़तका स्वाम। [-उतारवो, काढतोपोशाक समय; विपत्काल। [-बटवी = समय बदलना (२) विषवाका केश आदि गुजर जाना।-बळवी=भाग्य फिरना; सिंगार निकाल देना (३) वचनभंग दिन फिरना। -वेळानी छायडी = करना; वादाखिलाफ़ी करना; मुकर जीवनके उतार-चढ़ाव, अस्तोदय.] जाना। फरवो, काहनो, घरबो, लेवो वेळ स्त्री० बालू; रेत = भेस बनाना; वेश धारण करना; बंगण (०) न० बैंगन; भंटा रूप भरना;स्वांम बनाना । -कारबो, वेंगणी (०)स्त्री० बैंगनका पौषा,बैंगन काटीने कमा रहेवं, काडीने सर्व बैंग (३०) न० बैंगन; भंटा संगीत For Private and Personal Use Only Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्यसनी व्यक्तिके साथ जानेवाला पथप्रदर्शक बत (३०) स्त्री० बालिश्त; वित्ता (२) पुं० युक्ति; मौक़ा; घात; चाल; पेच; उदा० 'शा वेतमा फरो छो? '(३)अ० 'किसी क्रियाके होनेके साथ-साथ तुरत' ऐसा अर्थ दिखाता है; ही; उदा० 'जतात'। [-झाबो, बेसबो =मौक़ा मिलना; घात लगना। -भोंय न सूझवी = कोई उपाय न सूझना; दिमाग़में या ध्यानमें न आना । -मां फरवू = घातमें फिरना; ताकमें घूमना; घातमें रहना... वैज्ञानिक वि. विज्ञान-संबंधी; वैज्ञा निक (२) पुं० वैज्ञानिक; विज्ञानी बैड पुं० बिवाई वैदुं न० देखिये 'वरडु' वैतरं न० थका देनेवाला या उकता देनेवाला काम; रगड़ (२) बेगार (काम) (३) मेहनताना; भजदूरी वैतरो पुं० थका देनेवाला काम करनेवाला; श्रमजीवी; मेहनतकश; मजदूर (२) कड़ा परिश्रम उठानेवाला; कष्टसाध्य काम कर सकनेवाला वंद पुं० वैद्य; वैद; बैद वैदक न० बैदका पेशा; बैदई (२) चिकित्साशास्त्र; वैद्यक [वैद्यक वैवकीय वि० चिकित्साशास्त्र-संबंधी; वै, न० वैद्यका पेशा; बैदई ; चिकित्सा- व्यवसाय। -करव= किसीको पीटकर राह पर लाना; सीधा करना.] वैशाख पुं० वैशाख; बैसाख । वोकळो पुं० छोटा झरना; नाला, वोट पुं० वोट; मत [अधिपत्र बोरंट न० वारंट; वारंट-गिरप्तारी; बोळाव, (वॉ) स० क्रि० बिदा.करना वोळावियो (वॉ). पुं० विदा होनेवाले वोंकको (वॉ०) पुं० देखिये 'वोकळो' व्यक्ति स्त्री० किसी भी वर्ग या समूहका एक जन; व्यक्ति(२)जन; व्यक्ति (३) व्यक्त, प्रकट होनेकी क्रिया; व्यक्ति व्यक्तिवाद पुं० वह बाद जिसमें सामांजिक विचारमें व्यक्ति और उसका व्यक्तित्व दोनों महत्त्वकी चीजें हैं व्यतीपात पुं० एक योग; व्यतिपात; व्यतीपात(२)भारी उपद्रव या उत्पात; व्यतीपात .. ... व्यतीपातियुं वि० उपद्रवी; उत्पाती व्यवहार पुं० व्यापार; कारबार; पेशा; व्यवहार (२) बर्ताव; आचरण; व्यवहार (३) लोकरीति'; प्रथा; व्यवहार (४) आपसमें लेने-देने, आदान-प्रदानका संबंध व्यवहारगणित न० व्यवहारमें-दुनियाके कामोंमें काम आवे ऐसा गणित (२) व्यवहारगणित; 'प्रेक्टिस' [ग.] (३) गणितका मौखिक सवाल [ग.] व्यवहारसिद्ध वि० व्यवहारमें प्रचलित बना हुआ; प्रचलित; व्यवहारी व्यवहारी वि० व्यवहार-संबंधी; व्याव हारिक व्यवहार वि०देखिये 'वहेवारु' ; व्यवहार्य व्यसन न० व्यसन ; बुरी आदत; लत (२)नशा करनेकी आदत (३)दुःख; संकट; व्यसन (४) आफ़त; जोखिम (५) नाश; व्यसन। [-परवु = ज्यादा आदी होना; चसका पड़ना (२) मादक पदार्थका आदी होना.] व्यसनी वि०.किसी बुरी चीजका आदी पसनी; आदी For Private and Personal Use Only Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंडल व्यंडल(-) पुं० नपुंसक; हिजड़ा व्याज न० ब्याज; सूद (२) बहाना; मिष ; व्याज (३)ठगाई; व्याज; छल । [-कावं = ब्याजका हिसाब करना। कापq=सूद काट लेना; सूद मिनहा करना। व्याण=[ला.] संतानकी संतान । काप्यु ब्याज = कटौती किया हुआ सूद । चक्रवृद्धि व्याज = सूद दरसूद; चक्रवृद्धि.] व्याजलाउ वि० ब्याजखोर; सूदखोर व्याजखाद(-) स्त्री० रुपयोंका लेन देन न होनेसे या अवधिसे पहले चुकता होनेसे होनेवाला सूदका घाटा; ब्याजका बट्टा व्याजखोर वि० व्याजखोर; सूदखोर व्याजमुद्दल न० वह रकम जिसमें मूल और सूद शामिल हो सूदके साथका मूल व्याजवटुं न० ब्याज और दलालीका पेशा; महाजनी; साहूकारा व्याव() वि० सूद पर लिया हुआ या दिया हुआ; सूवी म्याप स० क्रि०; अ० कि० व्याप्त होना; किसी चीजके अंदर फैल जाना; व्यापना (२)पसरना; फैलना शकरपास व्यापार पुं० व्यापार;प्राणी या पदार्थकी किया; काम (२)कारबार; पेशा; व्यापार; वाणिज्य (३) उद्योम; उद्यम, व्यापार व्यापारी पुं० व्यापारी; व्योपारी व्यास पुं० व्यास (मुनि) (२)ब्राह्मणोंका एक अल्ल (३) मोटाई; विस्तार; व्यास (४) केन्द्रसे होते हुए परिषिके दोनों छोरों तककी दूरी; व्यास'; 'डायमीटर' [ग.] व्यासजी पुं० व्यास मुनि (२) [ला.] लोगोंको(महाभारतकी) कथाएँ सुनानेवाला ब्राह्मण; कथावाचक ; व्यास व्यासपीठ स्त्री०; न० वह स्थान जहाँ वक्ता या कथावाचक खड़ा रहता है या बैठता है; मंच व्रत न० व्रत; पुण्यके विचारसे करनेका धार्मिक कृत्य, अनुष्ठान, नियम आदि (२)अमुक करने न करनेका धार्मिक निश्चय; व्रत। [-अजववं = व्रतका उद्यापन-पूर्णाहुति करना। -लेवं = कोई धार्मिक कार्य करनेका संकल्प करना;व्रत ग्रहण करना.] . श पुं० ऊष्मवर्गका प्रथम वर्ण शक पुं० शक; वहम; शंका शक पुं० एक प्राचीन जातिके लोग; शक (२) संवत् (३) शकसंवत् शकतुं न० रेशा; सुतड़ा [संदिग्ध शकतार वि० जिस पर शक पड़ता हो; शकन, शकनियाळ देखिये 'शुकन' आदि शकमंद वि० संदेहमें पड़ा हुआ; शकवाला; संशयग्रस्त शकरखोर(-रो) पुं० एक पक्षी; शकरखोरा (२)मीठी चीजें खानेका शौक़ीन; शकरखोरा शकरटेटी स्त्री० एक फल; सरबूजा शकरपारो पुं० शकरपारा, For Private and Personal Use Only Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सकरि ४७१ साहरिपुं न० एक कंद; शकरकंद शसस पुं० शख्स; व्यक्ति आदमी शकरी स्त्री० क्षिकरेकी मादा शल्लो पुं० देखिये 'लखोटी' (२) भाकरी (बाज) पुं० शिकरा (२)ला.] देखिये 'शक्को ' नं. २, ३ पक्का उठाईगीरा, उचक्का शग स्त्री० (दीयेकी) लो; दीपशिखा शकवी वि० जो शक प्रवर्तित करे; शगरी स्त्री० अंगीठी। [-माये तेवी, जिसकी स्मृतिमें शक प्रवर्तित हो; युग- बहोरवी = अन्यका झंझट अपने ऊपर प्रवर्तक; स्मरणीय ले लेना; पराई आगमें कूदना.] . शक, अ०क्रि० समर्थ होना; शक्तिमान शगराम पुं०; न० देखिये 'शिगराम' होना; सकना (२) संभव, मुमकिन शण न० सनका पौधा; सन (२) होना; सकना उसकी छालके रेशे; सन शकुन न० शकुन; सगुन; शगुन (२) शणगार पुं० शरीरकी शोभाके लिए पक्षी; शकुन।[-जोवा-शकुन देखना, अलंकार, गहने आदि; सिंगार; शृंगार निकालना, बिचारना । थवा, लेवा शणगार, स० क्रि० शृंगार करना; शुभ सगुनके रूपमें मान्य करना; सजाना;संवारना; सिंगारना[प.] (२) सगुन होना.] शके अ० मानो; गोया; जैसे गहने पहनना [फूटना,अंकुर उगना शकोदं न सकोरा; कसोरा शणगावं स० क्रि० अंकुराना; अखुआ शक्करटेटी स्त्री० देखिये 'शकरटेटी' शणगो पुं० अंकुर; अंखुआ शक्करपारो पुं० देखिये 'शकरपारो' शणियुं न० सनका कपड़ा; शाण ; सनिया शक्फरिपुं न० देखये 'शकरियु'. शत पुं० शत; सौ शक्कल स्त्री० शकल; शक्ल'; रूप । शतक न० शतक; सौका समाहार(२) .[-फरी जवी, बदलाई जवी = स्वरूप, शताब्दी;शती; सदी; शतक चेहरा, गुण-धर्म आदि बदल जाना; शताब्दी स्त्री० शताब्दी; सदी; शती सूरत बिगड़ना.] (२)सौ सालोंका उत्सव शक्कादार वि० शानदार चेहरेवाला; शत्रुवट स्त्री० शत्रुता; दुश्मनी; बैर डौलदार (२) मोहक;प्रतिभासंपन्न; शनि पुं० शनि (ग्रह) (२) शनिवार शानदार (३) नीलम ; शनिप्रिय । [- नी क्शा शको पुं० देखिये 'शिक्को' (२) सुन्दर, = दुर्भाग्य साढ़ेसाती;भारी आपत्तिका भव्य मुखाकृति; सूरत-शक्ल (३) समय.] (गहने आदिकी) चमक शब न० शव; लाश; मुरदा शक्तिमत्ता स्त्री० शक्तिमान होनेका शब्द पुं० शब्द ; ध्वनि; आवाज भाव; शक्तिमत्ता; सामर्थ्य (२)बोल; वचन (३) शब्द (वाक्यमें शक्यमेव पुं० क्रियाका शक्यार्थसूचक आया हुआ सार्थक पद) [व्या.] । वाच्य[व्या.] [रूप,संभावमार्थ व्या.] करवो= आवाज करना।-काढयो शपयार्थ पुं०शक्यता बतानेवाला क्रियाका बोलना,आवाज निकालना।देशन For Private and Personal Use Only Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शमवू ४७२ शहेनशाहत कहेवा, बोलवा% सिफारिश करना शरमिडं वि० शर्मिदा; लज्जित,शरमिंदा । (२)सीख देना या उलहना देना. शर_ वि. तीक्ष्ण, तेजमानका शमवू अ० क्रि० बुझना; शान्त होना; शरसो पुं० शिरीष; सिरीस'; सिरस ठंडा होना (२) नष्ट होना; मिटना (पेड़) शमळी स्त्री० एक पक्षी; चील -- शरादि(-षि)यां नम्ब० व० श्राद्ध-पक्ष शमियानो पुं० शामियाना; तंबू; खेमा शराप पुं० शाप ; सराप; बददुआ शयतान पुं० शैतान; इबलीस (२) शराफ पुं० सराफ़; महाजन ; साहूकार बदमाश; दुष्ट ; शैतान [सैतानी शराफी स्त्री० सराफ़ी; महाजनी; शयतानियत स्त्री० बदमाशी; दुष्टता; साहूकारा (२)वि० सराफ़-संबंधी (३) शरण न० शरण; सहारा; आश्रय; विश्वसनीय ; शरीफ़ [खोरी रक्षण । शरणे माक् = शरणमें बाना, शराबखोरी, शराबबाजी स्त्री० शराब- शरणागत होना.] शराव (०ल)न सकोरा; चपनी,शराव शरणाई स्त्री० शहनाई [शरणागत शरीगत वि० हिस्सा रखनेवाला,शरीक; शरणागत वि० शरणमें आया हुआ; साझी(२)साथी, सहायक, बेली; शरीक शरणं न० शरण; आश्रय ... [प्रतिज्ञा शरीफ वि० शरीफ़; कुलीन; ऊँचे शरत स्त्री० शत;होड़; बाजी; करार; - घरानेका (२)प्रतिष्ठित; आबरूदार; शरती वि० शर्त-संबंधी; शर्ती; शर्त- शरीफ़ (३) पुं० (बड़े शहरका) शेरीफ़' वाला (२) किसी शर्त या प्रतिज्ञापर शरीर न० शरीर; देह । आश्रित; शर्ती [शरदपूनो शरीरविद्या स्त्री० शरीरकी रचना शरवपूनम स्त्री० शरत्पूर्णिमा,कोजागर; आदिका शास्त्र; 'फिजियोलोजी' शरवी स्त्री० सर्दी; ठंड; जाड़ा (२) शर न० एक पेड़; सरो; सर्व जुकाम; सर्दी सिरफोका शरू वि०प्रारंभ किया हुआ; चालू;शुरू शरपंखो पुं० एक वनस्पति; शरपुंखा; शरूआत स्त्री० शुरू; प्रारंभ; पहल शरबत पुं०; न० शरबत ; शर्बत शलावडं न० देखिये 'शरावलं' शरबती वि० हलके, ओछे रंगका (२) शल्या स्त्री० पत्थरकी पटिया; सिल्ली, स्त्री० शरबती (कपड़ा) शिला शरम स्त्री० शरम; शर्म; हया; लज्जा शस्त्रक्रिया स्त्री० शस्त्रक्रिया, चीर-फाड़ (२)प्रतिष्ठा; लाज; इज्जत; शर्म (३) शस्त्रप्रयोग पुं० चीर-फाड़; 'ऑपरेशन • लानत; धिक्कार शहाळी स्त्री० फूलका एक पेड़; शेफाशरमावQ सक्रि० 'शरमावु'का प्रेरणा- लिका र्थक (२)शरमाना; लज्जित करना शहीद वि० (२) पुं० शहीद शरमा अक्रि० लज्जित होना; शर- शहीदी स्त्री० शहीद होना; शहादत माना,लजाना (२) पना, खिसियाना शहूर न० शऊर; सलीक़ा; ढंग शरमाळ वि० लज्जाशील; शर्मीला; शहेनशाह (शह) पुं० शाहंशाह सम्राट शर्माऊ; शर्मालू शहेनशाहत (शह) स्त्री० साम्राज्य For Private and Personal Use Only Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहनशाही शहेनशाही (शह) वि. शाहंशाह-संबंधी (२) स्त्रीमाम्राज्य शहेर(शह) न० शहर; नगर शहेरी (शहॅ) वि० शहरका; शहरसंबंधी (२) पुं० शहरमें रहनेवाला; शहरी (३)नागरिक; 'सिटीजन'। शळ पुं० सिलवट; सलवट; शिकन (२) लकड़ी आदिकी चोटका दान; साट; साँट शळी स्त्री० सलाई; शलाका शंका स्त्री० शंका; संशय; वहम (२) कल्पित डर;शंका(३)मलमूत्रकी हाजत शंख पुं० शंख (२) शंखके आकारका उँगली पर बना हुआ चिह्न (३) मूर्ख;घोंघा[ला. 1[-फूंकवो = दिवाला निकालना(व्यंगमें)।-वागवो (धरमा) = घरमें खानापीना कम हो जाना.] शंखजीरं न० एक तरहका सफ़ेद चिकना पत्थर या उसका चूर्ण ; संगेजराहत; 'शंखजीरा' शंखणी स्त्री० कर्कशा स्त्री; कर्कशा शंखली स्त्री० बहुत छोटा शंख शंखलो पुं० छोटा शंख; शंखनख शंखावळी स्त्री०एक वनस्पति;शंखपुष्पी; कौड़ियाली शंभुमेळो पुं० भिन्न-भिन्न जातियों या वस्तुओंका अव्यवस्थित समूह (२) सभी जातियों या वर्णोका एक दूसरे में मिश्रण; संकर -शाई वि० यह प्रत्यय नामके अंतमें आता है और उससे संबंधित, उस ढंगका या उसके जैसा' ऐसा अर्थ बताता है; उदा. 'वाणियाशाई' शाक न० शाक; तरकारी (२) शकसंवत् ; शाक शाप शाकपारडुंन० साम-पात; साप-माजी शाकबजार स्त्री० न० सब्जीमंडी : शाकमाजी स्त्री० साग-भाजी; सब्बी तरकारी (२) [ला.] छोटा; तुच्छ; साग (समझना) शाकाहार पुं० शाकाहार शाकाहारी वि० (२) पुं० शाकाहारी; 'वेजिटेरियन' शाके अ० शक-संवत्के अनुसार शाख स्त्री० साल; लेन-देन-संबंधी एतबार या प्रतिष्ठा; इज्जत (२) अल्ल ; उपजाति (३)देखिये 'साक्षी'। [-पडवी प्रतिष्ठा होना; आबरूका प्रभाव पड़ना (२) अल्लका नाम पड़ना । -पूरवी% गवाही, साख देना.] शाखा स्त्री० शाखा; डाली; शाख (२) भाग; अंश; शाखा शागरित (-द), शागिर्द पुं० शागिर्द; शिष्य (२) सहायक; पिठू - शाण पुं० शाण; सान (पत्थर) (२) न० चार माशेकी एक तौल ; शाण शाणकुं न० सकोरा; कसोरा (२) मिट्टीका भिक्षापात्र; खोपड़ा; खप्पर शाणप स्त्री०, (०ण) न० सयानापन; चतुराई शाणु वि० सयाना; समझदार । शाणी शियाळ = बाहरसे सयाना और भीतरसे कपटी। शाणी सीता -सीता जैसी सयानी और विनयी लड़की या स्त्री.] शान स्त्री० शान; ठाट; ठसक (२) रूप; शान ; देखाव; छटा - शानदार वि० शानदार; सुगठित; सुन्दर (२) शानदार; भव्य; गौरवशाली शाप पुं० शाप; बददुआ For Private and Personal Use Only Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शापवं शापवं सक्रि० शाप देना; सरापना [प] शाबाश अ० शाबाश; धन्य; वाह शाबाशी स्त्री० शाबाशी; धन्यवाद; सराहना [शामी; सामी शाम स्त्री० मूसलकी लोहेकी सामी; शाम अ० क्रि० शान्त होना शामळ (-ळियो) पुं० श्रीकृष्ण; सांवलिया; श्याम शामळू वि० सांवला; काला; श्याम शामळो पुं० श्रीकृष्ण; साँवलिया शामियानो पुं० देखिये 'शमियानो' शार (शा') पुं० छेद; सूराख शारडी (शा') स्त्री० छेद करनेका औजार; बरमा शारगे (शा') पुं० बड़ा बरमा (२) बहुत पानीके लिए कुएंके तलमें छेद करना या जमीनमें पाइप उतारकर कुओं बनाना; 'बोरिंग' शारवं(शा') स० क्रि० छेद करना; छेदना; बेधना (२) ताना मारना; कोसना [ला.] शाल स्त्री० शाल; ऊनी चादर शालदुशाला पुं० ब०व० सम्मानार्थ दिये जानेवाले पगड़ी, शाल-दुशाले आदि शासन न० शासन ; दंड; सजा(२)अमल, राज्य; हुकूमत; शासन (३) आज्ञा; हुक्म (४) उपदेश [शासनतंत्र शासनतंत्र न० राज्यतंत्र;शासनव्यवस्था; शासनपति स्त्री० शासनप्रणाली . शाह पुं० मुसलमान राजा; शाह; बादशाह (२) सराफ (३) प्रामाणिक, प्रतिष्ठित व्यक्ति; शरीफ़ (४) चोर (व्यंग्यमें) (५) बनियोंका एक अल्ल.. [जीरा; काला जीरा शाहजीरं न० एक औषधि; स्याह माहबोग वि०, शाहजोगी वि. स्त्री. सच्चा; ईमानदार (२)(संदेह निवारण करनेके बाद) सकारने योग्य (इंग) शाहमग न० एक पक्षी; शुतुरमुर्ग. शाही वि० शाह-संबंधी; शाही (२) साम्राज्यका; साम्राज्यसे संबद्ध शाही स्त्री० स्याही; रोशनाई शाहीचूस पुं०न० स्याहीचूस; सोख्ता शाहुकार पुं० साहूकार; सराफ़; महाजन (२) सच्चा, ईमानदार व्यक्ति (३) (व्यंग्यमें) चोर; धूर्त.. शाहकारी स्त्री०लेन-देन आदिमें सचाई; ईमानदारी; सचाई शाहुरी स्त्री० एक जानवर; साही शाहेद पुं० गवाह; शाहिद शाहेवी स्त्री० गवाही; शाहिदी; शहादत पुं० शाहिद; गवाह शाहेर पुं० शायर; कवि शाहेरी स्त्री० कवित्व; कविपन (२) कविता; शायरी शाळ स्त्री० शालि; धान शाळा स्त्री० मकान; शाला; गृह (२) पाठशाला; मदरसा । शाळोपयोगी वि. विद्यार्थियोंके उप__ योगका; शालोपयोगी शांति स्त्री० शान्ति; वेग, क्षोभ या क्रियाका अभाव (२) क्लेश, कजिया या युद्धका अभाव; शांति (३) निःशब्दता; खामोशी; सूनापन (४) मानसिक या शारीरिक उपद्रवोंका शमन; काम, क्रोध, रोग, पीड़ा, ताप आदिका शमन; शांति (५) धीरता; मनकी स्थिरता,स्वस्थता (६)विश्राम; आराम; निवृत्ति; शान्ति। [-भवी = तृप्ति होना (२) युद्धादिका न For Private and Personal Use Only Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शांतिपाठ होना; शान्ति होना; निश्चित होना। -वळवी = शांति होना; निश्चित होना; युद्धादिका न होमा.] शांतिपाठपुं० शांतिके लिए किया जाने वाला मंत्र-पाठ; शांति-वाचन . शिकरामण न० (हुंडी) सकारना (२) हुंडी सकारनेका बट्टा; सकारा शिकराव, स० क्रि० 'शिकार'का प्रेरणार्थक शिकरावं अ०क्रि० 'शिकार'का कर्मणि; स्वीकार किया जाना; सकरना शिकल स्त्री० शकल; शक्ल'; चेहरा शिकाकई स्त्री० सीकाकाई । शिकार पुं० शिकार; मृगया; आखेट (२) मारा हुआ पशु-पक्षी; शिकारका जानवर; शिकार (३) [ला.] बलि; भोग; भक्ष्य; शिकार। [-यq= किसीके फंदेमें फंसना; किसीका शिकार होना; किसीके रोषादिकी बलि होना (२)-से मात होना; से पराजित होना; उदा. 'वासनानो शिकार बन्यो'.] [सकारना (हुंडी) शिकार, स० क्रि० स्वीकार करना; शिकारी (-१) वि. शिकार-सम्बन्धी (२) शिकार करनेवाला; शिकारी (३) पुं० शिकारी; पारधी शिकोतर(-री)स्त्री० पीछा न छोड़ने वाली भूतनी शिकोतरं न० पीछा न छोड़नेवाला भूत शिक्कल स्त्री० देखिये 'शिकल शिक्के अ० साथ; सहित; समेत शिक्षण न० शिक्षा; पढ़ाई (२)सीख; उपदेश; शिक्षा शिक्षणपद्धति स्त्री शिक्षा देनेका ढंग; शिक्षा पद्धति; शिक्षा-प्रणाली शियाको शिक्षणशास्त्र न. शिक्षणशास्त्र; शिक्षाशास्त्र [शिक्षाशास्त्री शिक्षणशास्त्री पुं० शिक्षणशास्त्री; शिक्षा स्त्री० शिक्षा; ज्ञान; बोष; सीख (२)सजा; दंड (३)एक वेदांग; शिक्षा . [पट्टी (पढ़ाना) शिलवनी स्त्री० बहकानेवाली सीख; शिखवाउबुं अ० क्रि० देखिये 'शीखवर्गा' (२) बहकानेवाली सीख देना; कान भरना; उभाड़ना; पट्टी पढ़ाना [ला.] शिखंड पुं० दही और शक्करके योगसे बनाया जानेवाला एक खाद्य पदार्थ; श्रीखंड शिखा स्त्री० शिखा; चोटी; चुटिया (२)तुर्रा; शमला (३) लो; शिखा शिखाउ वि० नौसिखुआ;नौसिखिया; सीखतर (२) बिना अनुभवका; बेतजरबेकार शिखामण स्त्री० सिखावन; उपदेश; शिक्षा; सबक़। [-माथे चडाववी = सीख लेना; उपदेश गिरहमें बांधना. शिगराम पुं०;न० एक प्रकारका वाहन, सवारी; शिकरम; सिकरम शिफारस स्त्री० देखिये 'सिफारस' शिविर पुं० तंबू; शिविर (२)छावनी; शिविर [शील शियळ न० स्त्रीकी पवित्रता; सतीत्व; शिया वि० शीआ (मुसलमान) शियाविया वि० घबड़ाया हुआ; हक्का बक्का (२) झेंपा हुआ; खिसियाना शियाळ पुं०; स्त्री० (०,-ळियू) न० सियार; गीदड़ शियाल वि० जाड़ेमें होनेवाला .. शिवाळो पुं० सर्दीका मौसम ; जाड़ा For Private and Personal Use Only Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शिर न शिर;सिर(२)किसी चीजका सर्वोच्च अंश, भाग; शिर; शीर्ष शिखर (३) सेनाकी आगेकी पंक्ति; शिर। [-आपy =प्राण निछावर करना; जान देना; सिर देना। - उपर लेp = ज़िम्मे लेना; सिर लेना। -कापq=सिर कोरे उस्तुरेसे मूंडना; नमकहराम होना; ठगना.] शिरजोर वि० सरजोर; सरकश; उदंड शिरजोरी स्त्री० सरजोरी; ज़बरदस्ती शिरताज पुं०ताज; राजाका मुकुट (२) बुजुर्ग; सिरताज [ला.] शिरपेच पुं० पगड़ी या फेंटेका ऊपरका शमला; चिल्ला; सिरपेच शिरमोर पुं० ताज; (सिरका) मुकुट (२)जो सर्वश्रेष्ठ हो; सिरमौर शिरस्तेदार पुं० अफ़सरका मुख्य क्लर्क; सरिश्तेदार शिरस्तो पुं० सरिश्ता; रीति रिवाज शिराई (रा') स्त्री० सुराही (बरतन) शिरामण (रा')न०,(-णी)स्त्री॰नाश्ता शिराव, (रा') स० कि० नाश्ता करना शिरोई (रो') स्त्री० देखिये 'शिराई' शिरोबिदु न० सर्वोच्च बिंदु या स्थान; शिरस्; शिखर (२) 'वटॅक्स [ग.] शिलाजित न० शिलाजीत; सलाजीत शिलारोपण न० शिलान्यास 'शिलालेख पुं० शिलालेख; शिलालिपि . शिव वि० मंगलकारी; शुभ; शिव (२) पुं० महादेव; शिव (३) न. कल्याण ; मंगल; शिव शिवरात(-त्रि,-त्री) स्त्री शिवरात्रि शिर्डी स्त्री० छोटी सीटी शिशूडो पुं० सीटी; भोंपा; भोंपू शिष्यवृत्ति स्त्री० छात्रवृत्ति; बीफ़ा शिस्त वि० लायक; योग्य (२) स्त्री० अनुशासन; 'डिसिप्लिन' शिस्तपालन न० अनुशासनका पालन करना; नियमपालन शिस्तबद्ध वि० नियमबद्ध शिंग स्त्री० फली; छीमी; शिबी शिंग न० देखिये 'शिंगड़' शिगडी स्त्री० छोटा सींग (२) बारूद रखनेका सींगनुमा चोंगा; सींगड़ा शिंगडं न० सींग (२)सींगनुमा बाजा; सींग; सींगी। [शिंगडा भरावां, मांडवा = लड़नेको तैयार होना; सामने होना । -थई जq= (शरीर) सींगकी तरह तन जाना (२) टंडसे अकड़ना; ठिठुर जाना.] शिंगोटी स्त्री० सींगका टेढ़ापन, वक्रता (२)छोटा सींग (३)वह भाग जहाँसे सौंग निकलते हैं (४)मुलम्मा चढ़ानेका एक औजार; सिंघाड़ा(५)एक गहना; सिंगौटी (६) सींगवाले पशुओं पर लिया जानेवाला कर [वल्ली शिगोडी स्त्री० सिंघाड़ेकी बेल; जलशिंगोई न० सिंघाड़ा; जलफल (२) एक आतिशबाजी; सिंघाड़ा शीकली, शीकी स्त्री० बैलके मुंहपर बांधी जानेवाली जाली; मोहरा; छीका शीकुं न छीका; सीका। [शीके मूकवू = छीकेमें रखना (२) कोई काम टाल देना या दूसरे समयके लिए रख छोड़ना; अभी हाथ पर न लेना (३) गुप्त रखना.] शीके अ० साथ; समेत शीख स्त्री० सीख; सिखावन (२)बिदा करते समय दिये जानेवाले रुपये आदि; बिदाई खसताना(३)बिदा; For Private and Personal Use Only Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शीख ४७७ शुकनियाळ रुखसत। [-आपकी रुखसताना या पीनळ(-ठो) पुं० एक पेड़; सेमल बिदाई देना.] शीरीन वि० सीरी; मीठा ... शील पुं० लोहेकी नोकदार आधी शी न० किसी आटेका शीरे जैसा खोखली सलाख ; सीख (बोरे से नाज घोल ; घोला (२) जलेबी आदिका निकालनेकी) [सिख ; सिक्ख खमीरवाला घोल [देखिये 'शीरु' शील पुं० सिक्ख संप्रदायका अनुयायी; शीरो (शी') पुं० हलवा; हलुआ (२) शीखवधं सक्रि० सिखाना,पढ़ाना (२) शील न० शील; स्वभाव (२) व्यव[ला.]पट्टी पढ़ाना,कान भरना उभाड़ना हार; चाल-चलन; शील (३)चरित्र; शीखवावु अ०क्रि० 'शीखव'का कर्मणि चारित्र्य; शील (४)देखिये 'शियळ शीखवं स० क्रि० सीखना; पढ़ना; (५)वि० स्वभाववाला;शील (समाज्ञान प्राप्त करना समें); उदा० 'दानशील' शोखे अ० समेत; साथ शीशम न० सीसम (पेड़) शीड स० क्रि० बंद करना; शीशी स्त्री० शीशी;बोतल।-सुंघाडवी पाटना; पाटकर बंद करना (छेद, = चीर-फाड़के लिए क्लोरोफ़ार्म देना.] दरार आदि) (२) कुछ चीज़ भीतर शीशो पुं० बड़ी बोतल ; शीशा। शीशारख कर बंद करना (लिफ़ाफ़ा) (३) मा उतार =धोखा देकर वशमें कर (कर्ज) अदा करना, चुकाना लेना; शीशे में उतारना.] शीतल वि० शीतल; ठंडा; सर्द शीळ न० देखिये 'शील' शीतला, शीतलासातम देखिये शीतळा'; शीळवंत, शीळवंत, शीळवान वि० शील'शीतळासातम' वान; शीलवत् नेकचलन शीतळ वि० देखिये 'शीतल' शीळवा पुं०, शीळस न९, शीळी स्त्री० शीतळा स्त्री० शीतला; चेचक (रोग) एक चर्मरोग; शीतपित्त; जुडपित्ती; (२)चेचक रोगकी अधिष्ठात्री देवी; पित्ती .. [सातम शीतला (३) वि० स्त्री० शीतला। शोळीसातम स्त्री० देखिये 'शीतळा[-कादवा, टाकवाचेचकका टीका शीळ वि० शीतल; ठंडा लगाना.] शीळो पुं० छाँह; छाया शीतळासातम स्त्री० श्रावण शुक्ला या । शीकली स्त्री० देखिये 'शीकली' भाद्रपद कृष्णा सप्तमी; एक त्यौहार शीकी स्त्री० दोनों या पत्तलोंकी बांधी शीचळो पुं० थूहर, झाड़-झंखाड़ आदि हुई गड्डी (२) देखिये 'शीकली' उठाकर लानेका लकड़ीका एक साधन, शकुं न० देखिये 'शीकुं' [आदि कांटा काहे [प.] शीग (री, ई, गोटी) देखिये शिंग शीव (ने) अ. क्यों; किस लिए; शींगोरी (-) देखिये 'शिंगोडी'; शीबी पुं० हबशी जातिका आदमी; __ शिंगोडु' [सगुन हबशी [सीधा शुकन न० देखिये 'शकुन' (२) अच्छे शीषू न० भोजनकी कच्ची सामग्री; शुणानिया वि० सगुनवाला For Private and Personal Use Only Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुकर पुं० शुक्र; शुक्रिया; उपकार मानना (२) सौभाग्य; खुशकिस्मती (३) सफलता; फ़तह । [-गुजारवो, (-वा) = कृतज्ञता प्रकाश करना; शुक्र बजा लाना; शुक्र अदा करना.] शुकल पुं० देखिये 'शुक्ल' शुक्र वार पुं० देखिये 'शुक्रवार'(२) सलीक़ा; ढंग; शऊर (३)जान;माल; बरकत शुक्रवारी स्त्री० शुक्रवारको लगने वाला बाजार; गुजरी; हाट शुक्र पुं० शुक्र (ग्रह) (२) शुक्रवार (३) न० वीर्य; शुक्र शुक्रवार पुं० शुक्रवार; शुक्र (२) [ला.] सलीक़ा; जान; बरकत; माल; शऊर। -करवोहित, कल्याण, भलाई करना; कार्यसिद्धि करना; भाग्य फेरना । -थवो, वळवो=बरकत या जान आना; लाभ होना; अच्छे दिन आना; भाग्य पलटना.] शुक्ल वि० शुक्ल ; श्वेत; सफ़ेद (२) पुं० ब्राह्मणोंका पुरोहित (३) ब्राह्मणोंका एक अल्ल [पाख; सुदी शुक्लपक्ष पुं०; न० शुक्लपक्ष ; उजाला शुद्ध वि० शुद्ध; साफ़; निर्मल (२) पवित्र; शुद्ध (३) निर्दोष ; शुद्ध (४) बिना मिलावटका; खालिस; असली; शुद्ध (५)स्त्री० देखिये 'शूष' शुद्धि स्त्री० शुद्धि पवित्रता; स्वच्छता; सफ़ाई (२) प्रायश्चित्त करके पवित्रशुद्ध होना; अंतःशुद्धि (३) धर्मातर करनेवालेको संस्कार द्वारा अपने मूल धर्ममें लाना या उसका अपने आप जाना; शुद्धि(४)चेत; होश; सुष; जागृति। [-भाववी, उपर माव होश आना होशमें आना। -करवी = धर्मांतर करनेवालेको संस्कार द्वारा पुनः मूल धर्ममें लाना (२)पुनः हिंदूधर्ममें लाना.] [बका) शुद्धिपत्र (क) न० शुद्धिपत्र (किताशुमार पुं० शुमार; अंदाजा (२) शुमार; गिनती शुमारे अ० शुमारसे; अंदाजन लगभग शुल्क न० शुल्क; स्त्रीधन (२)कन्याके मूल्यके रूपमें वरसे लिया जानेवाला द्रव्य; शुल्क ; कन्याशुल्क (३) मूल्य; कीमत (४) भाड़ा; किराया (५)कर; महसूल; शुल्क शुं स० क्या; प्रश्नवाचक सर्वनाम; उदा० 'शुं खाधू? ; शुं लाव्या?' (२) क्या; बेपरवाई या तुच्छकारसूचक प्रश्नवाचक सर्वनाम ; उदा० ते माएं शुं घोळवानो हतो? ; ताराथी शं थाय तेम छे?' (३) वि० कोनसा; क्या; प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण; उदा. 'ते शो पदार्थ छे?' (४) क्या; आश्चर्यसूचक प्रश्नवाचक विशेषण; उदा. 'शो रोफ!' (५) प्रश्नार्थसूचक विशेषण; क्या; उदा० 'शो विचार छे? ; 'शी वात छे?' (६) कितनेक प्रयोगोंमें 'कुछ' या 'क्या' जैसा अर्थ सूचित करता है; उदा. 'शुंनुं शुं थई गयुं!' (७) क्या-क्या; उदा० 'शुं मोटा, शुं नाना' (८) सा; जैसा (नामके अंतमें आता है); उदा० 'तोबराशुं मों' (९) अ० प्रश्नसूचक शब्द; क्या; उदा. 'तमे आववाना छोडं?' (१०)-के साय; से; उदा. 'राम नामशं ताळी लागी' For Private and Personal Use Only Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शुंड पुं०, (ड) स्त्री० सूंड; शुंड शुंडी पुं० शुंडी; हाथी शुंय वि० कुछ ; क्या ( अनिश्चितार्थं सूचित करता है); उदा० 'शुंय कहधुं हशे ने शुं समज्यो' [ बक्का शूढमूढ वि० मूढ़; जडवत् ; सुन; हक्काशूष स्त्री० होश; सुध-बुध; चेत । [ - भावबी = चेतनायुक्त होना; होशमें आना.] [ (२) बुद्धि; समझ शूभबूथ स्त्री० सुध-बुध; होश - हवास शून (न) स्त्री० शून्य; सुन्ना; सिफ़र । [ - मूकवी = रद्द करना; काटना . ] शूनकार (न) पुं० निस्तब्धता ; सन्नाटा; सुनसान; निर्जनता (२) (चित्तकी) शून्यता; शून्य अवस्था; चित्त सन्न हो जाना [ बिलकुल मौन शूनमून वि० सन्न; स्तब्ध; जडवत्; शून्य वि० शून्य; खाली; रिक्त (२) असत् ; मिथ्या; झूठ (३) अचेत ; बेहोश; बेसुध; संज्ञाहीन (४) रहित; शून्य; उदा० 'ज्ञानशून्य' (५) न० शून्य; सिफ़र (६) अभाव; शून्य । [ -मूक = रद्द करना; काटना.] शून्यहृदय वि० हृदयशून्य; क्रूर; निष्ठुर; हृदयहीन ( २ ) शून्यमनस्क ; बेध्यान; अन्यमना शूर वि० शूर; बहादुर; वीर; पराक्रमी (२) पुं० शूरवीर; शूर (३) जोश ; आवेश । [ - आववुं चबुं, छूटबुं = शूरताके जोशमें आना; शौर्य सवार होना (२) जोश आना; सनक सवार होना. ] [ वीर व्यक्ति; हिम्मती शूरवीर वि० (२) पुं० शूरवीर; शूरातन न० शौर्य; पौरुष; पराक्रम शूदं वि० शूर; पराक्रमी ४७९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शेडा शुरू न० एक शस्त्र जो भाला, बरछा जैसा होता है; शूल (२) सूली; शूली (३) त्रिशूल; शूल (४) कंटक; कांटा (५) एक वातप्रकोपजन्य वेदना; शूल शूळ न० देखिये शूल (२) स्त्री० कांटा । [- ऊपडवु, फूटबुं = काँटा चुभनेकी जैसी पीड़ाका होना; शूल उठना । - वागवी = शरीरमें कांटा चुभना. ] शूळी स्त्री० सूली; शूली । [ -आपवी, शूळीए चडाव, देवी = सूली पर चढ़ाना.] शृंगार स० क्रि० सिंगारना; सजाना शेक पुं० सेंकनेकी क्रिया; सें शेकवुं स० क्रि० आग पर पकाना, कड़ा या लाल करना; सेंकना (२) भूनना ( ३ ) शरीरके किसी अवयवको गरम करना; सेंकना ( ४ ) [ला. ] जलाना; सताना; कष्ट पहुँचाना शेखच ( स ) ल्ली पुं० शेखचिल्ली; हवाई किले बाँधनेवाला व्यक्ति ( २ ) आलसी और तरंगी आदमी शेखाई, शेखी स्त्री० शेखी; घमंड शेखीखोर वि० शेखीखोर; शेखीबाज़ शेठ पुं० सेठ; साहूकार; धनाढ्य; महाजन (२) बनिया ( ३ ) ( नौकरका) मालिक; आक़ा; स्वामी ( ४ ) व्यापारी आदिका एक संबोधन (५) एक अल्ल शेठाई स्त्री० सेठगीरी; सेठपन शेठाणी स्त्री० सेठ या सेठकी स्त्री; सेठानी शेठियो पुं० सेठ साहूकार शेड (शे') स्त्री० धारा; धार ( २ ) [ला. ] धार जैसा नोकदार भाग; शंकु शेड (शे') वि० तुरतका दुहा हुआ; धारोष्ण (दूध ) शेडा पुं० ब० व० रेंट; सेढ़ा [ प . ] For Private and Personal Use Only Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८० छोटी स्त्री. खेतका कम चौड़ा किनारा शेरामण न०; स्त्री देखिये 'छेरामा भेडो पुं० खेतका किनारा जहाँ जुताई शेरियं न० सेर वजनकी नाप (पात्र) नहीं होती और घास उगती है; किनारा शेरियो पुं० सेर वजनका बाट; सेर शेतरंज पुं० एक खेल; शतरंज शेरी स्त्री० गली; कूचा (२) मुहल्ला शेतरंजी स्त्रीरंग-बिरंगी दरी; शतरंजी । शेरीको पुं० सेरका बाट; सेर शेतान पुं० देखिये 'शयतान' शेरो(शरो')पुं०अर्जी आदि पर अफ़सरशेतानियत स्त्री० शैतानी; दुष्टता __का लिखा हुआ रिमार्क;टिप्पणी; टीका शेतानी वि० शैतान; नटखट; शरीर शेलडी स्त्री० देखिये 'शेरडी'; गन्ना स्त्री० शैतानी; शरारत; बदमाशी शेलायुं न० देखिये 'शेलो' शेतूर न० शहतूत; तूत(फल और पेड़) शेली स्त्री० चकमक़से आग सुलगानेकी शेर पुं० एक तौल-मनका चालीसा डोरी; सोख्ता भाग; सेर (२)शेर; बाघ ; सिंह (३) शेली स्त्री० राख; भस्म चीता ।[-पई = शेर होना; हावी । शेलं न० जरकश दुपट्टा; कशीदेदार होना; सरज़ोर होना। -लोही चर उपरना; सेला (२) (अमुक जातिकी) संतोष, आनन्द होना, बाग-बाग़ होना, विधवाके पहननेकी एक खास साड़ी बाळे खिलना । -सूंठ खावी =-में (३) जरकश अंचलवाला स्त्रियोंका जोर होना;-में बूता, सामर्थ्य होना.] एक कीमती वस्त्र शेर (शें) स्त्री० शेर; कविता; पद्यांश शेलो पुं० वह रस्सी जिससे दुहते समय शर पुं० शेयर; हिस्सा (२) शेयरकी गायकी टाँगें बाँधते हैं; नोइनी नोई सनद या दस्तावेज शेव स्त्री० सेव (बेसनकी) (२) शेरटी स्त्री० ईस; गन्ना; ऊख (२) सेंवई; सेवई; सिवई (गेहूँकी) छोटी पतली पगडंडी शेवममरा पुं० ब० व० वह चबेना शेरो पुं० पगडंडी; पगरस्ता (२) जिसमें सेव और मुरमुरे मिले हुए हों (शर्म आदिके कारण) चेहरे पर शेवाल(-3) स्त्री० सिवार; सेवार; लाली दौड़ना (३)आँसुओंकी लड़ियोंके काई। [-पळवी = काई जमना.] सूखे हुए निशान(४)धकधकी; खटका; शेवाळवू स० क्रि० पैसा पैदा करना; हौल (५)शीतल जल पीनेसे गलेसे पेट कमाना;खटना (२)सफलतापूर्वक पूरा तक होनेवाला ठंढकका असर करना; कार्य-सिद्धि करना शरवलाल पुं० शेयरदलाल; दलाल शेवं वि० ढाल ढालवाँ (२) न० आड़ा शेरबजार न० शेयरोंके लेन-देनका कूड़ (जोताईमें) बाजार; शेयरबाजार शेष वि० शेष ; बचा हुआ; अवशिष्ट; शेरवाणी (-नी) स्त्री० शेरवानी बाकी (२)पुं० शेष; शेषनाग (३) शेर अ० क्रि० देखिये 'छेर' बाकी बची हुई चीज़ ; शेष (४) स्त्री. शेरा न० एक पक्षी प्रसाद देवताको चढ़ाई गयी वस्तु; शेराटो पुं० देखिये 'छेरंटो'; गर्द शेष (५) भागकी बाक़ी; शेष [ग.] : For Private and Personal Use Only Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ह ४८१ शेह (रों) स्त्री० हराना; दबाना; मात सोच पुं० शोध; शोक (२) बिर्ता [प.](२)दाब; प्रभुत्व; रोब; नियंत्रण; फ़िक; शोच (३) पछतावा; सोच अंकुश (३) शंतरंजमें बादशाहको शोचना स्त्री० देखिये 'शोच'; सोच दी गयी किश्त; शह (४) पतंगको शोचवं स० क्रि० शोच, शोक करना धीरे-धीरे डोर पिलानेकी क्रिया; ढील (२) सोचना; बिचारना देना; शह।[-आपवी, देवी-शह देना; शोष पुं०;स्त्री० शोध; खोज; तलाश किश्त देना (शतरंजमें)। -आववी, __ अन्वेषण(२)खोजी हुई चीज आविष्कार पडवी, लागवी = दबना; शहमात । शोषखोळ स्वी० खोजना; तलाश करना होना; शहका असर होना। (२)आविष्कार करना का बिलकुल डर जाना; भीगी शोषवं सक्रि० खोजना;शोधमा तलाश बिल्ली बनना। -छोरवी, मूकबी करना (२)परखना; जाँच करना (३) पतंगको शह देना; ढील देना...... शुद्ध करना; शोधना; साफ़ करना (४) शेळी पुं० एक प्रकारका जंतुः कांटाचूहा नयी बात खोज निकालना; नयी चीज़ शें (श०) अ० किस कारण; काहे [५]; बनाना; आविष्कार करना क्यों (२)किसलिए (प्रश्नवाचक शब्द) शोषंशोषा, शोधाशोष स्त्री० खोज पर शोक (शॉ) पुं० देखिये 'शोख' .. खोज (करना) शोक (शॉक,) स्त्री० सौत; सपत्नी शोभ, अ०क्रि० शोभित होना; सुन्दर शोक पुं० शोक ; दिलगीरी; मृत्यु लगना; सुहाना; फबना (२) शोमा शोक (२)मृत्युके बाद मातम मनानेका देना; -के लायक होना; छाजना; लोकाचार । [-करवो, घरवो = जेबा देना ग़म करना; शोक करना। -पाळको शोभा स्त्री० सुन्दर देखाव; सौंदर्य; = शोक करना; मातम मनाना.] शोकियं न० देखिये 'सोगियुं' शोभा (२) शान; प्रतिष्ठा ला| शोकीन (शॉ) वि० शौक़ीन; छैला [-आपवी= शोभा देना; जेबा देना। शोख (शॉ) पुं० शौक ; प्रबल इच्छा; -लेवी = आनन्दका सुख भोगना(२) अरमान; रुचि (२) मौज; भोग यश प्राप्त करना; यश,मान कमाना विलास; ऐश छैला शोभीतुं न० सुन्दर लगनेवाला; शोभायशोखी (०न, लं) (शॉ) वि० शौक़ीन; मान; शोभायुक्त; सुहावना शोग पुं० शोक; मातम ; सोग [प.] शोर पुं० शोर; कोलाहल शोगटाबाजी स्त्री० एक खेल ; चौसर; शोरवकोर पुं० शोरगुल; कोलाहल चौपड़ - [(चौसरकी) शोष पुं० सूखने या जलहीन होनेका शोगटी स्त्री०, (ई) न० गोटी; गोट भाव ; सूखना; प्यास'; शोष। [-पडवी शोनि वि० शोक करनेवाला; शोक- = प्याससे गला सूख जाना.] पूर्ण; शोकी(२)शोक-सूचक; मातमी शोषण न० सोखनेकी क्रिया; सुखानेकी (३) न० मातमी वस्त्र, साड़ी क्रिया; शोषण गु. हिं-३१ For Private and Personal Use Only Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Titilllifi ४८२ शोर.स.कि सोखना; जज्ब करना भीजी पुं० (आदरार्थ ब०व०) प्रभु शोषा अ० कि० शोष'का-कर्मणि; विष्णु (२) स्वामीनारायण संप्रदायके सूखना; जलहीन होना प्रवर्तक श्री सहजानन्द स्वामी शौच न० शौच; शुद्धिः पवित्रता; बीफळ न० नारियल श्रीफल ।[-बापj स्वच्छता (२)मल त्याग द्वारा परीर- = छुट्टी दे देना; बरतरफ़ करना.) शुद्धिःपाखाने जाना। [-4g=पाखाने भीमंत वि. श्रीमंत; धनी; लक्ष्मीवान जाना; मल त्यागके लिए जाना.] .. (२) राजाओंके नामके पूर्व लगाया शौचकूप: पुं० संडास, पासाना.. जानेवाला शब्द ... भाव श्मशान न० श्मशान; मसान; मरघट श्रीमंताई स्त्री० श्रीमंत या पनी होना स्मशानियो पुं० मुरदेको कंधे पर उठा श्रुतलेखन न० सुनकर लिखना; बोलकर कर मसानमें ले जानेकाला; कंधा लिखाना; इमला; 'डिक्टेशन' देनेवाला... [तकलीफ़;श्रम श्वसन न० श्वसन; सांस लेना (२) श्रम पुं० श्रम; थकान (२) मेहनत; पवन; वायु; श्वसन श्रमजीवी वि० शारीरिक परिश्रम कर श्वसवं स० क्रि० सांस लेना; जीना जीविका चलानेवाला, श्रमजीवी श्वसित वि० श्वास द्वारा लिया हुआ (बुद्धिजीवीका उलटा); मजदूर या छोड़ा हुआ; श्वसित (२) हाँफा श्रमण पुं० बोर या जैन संन्यासी ... हुआ (३) न० श्वास; श्वसित अब स० क्रि० श्रवण करना; सुनना श्वास पुं० श्वास; साँस; श्वसित भाप.पुं० देखिये 'शाप' (२) दम; हांफा; श्वास (३) मावक वि० सुननेवाला; श्रावक (२) वर्णका एक बाह्य प्रयत्न व्या.] पुं० बौद्ध भिक्षु; जैन संन्यासी; धावक [-ऊपरयो = वेगपूर्वक श्वासोच्छ्वास धावण पुं० श्रावण; सावन (मास)। चलना; सांस उखड़ना; साँस चढ़ना; [-भादरवो बहेवो = बहुत विलाप हांफना (२) आसनमरण होना; करना; आठ-आठ आँसू रोना.] सांस ऊपरको चढ़ना। -सायोश्री पुं० मंगल-सूचक शब्द जो किसी दम मारना; सांस लेना; सुस्ताना । लिखावटके आरम्भमें प्रयुक्त होता है -छूटबो = सांस रोकना; वम (२) 'श्रीमान्, 'श्रीमती' का संक्षेप साधना; सांस चढ़ाना। -घेरावो = (नामके पूर्व आदरार्थ जोड़ा जाता दम घुटना; सांस ऊपरको चढ़ना है);श्री (३) छः रागोंमें से एक राग; (२) दिल लगना; विश्वास संपादित श्री(४)स्त्री लक्ष्मी; श्री (५)शोभा; होना। -चडवो = साँस चढ़ना; सांस सौन्दर्य; श्री (६)त्रिवर्ग-धर्म, अर्थ फूलना(२)दमेका हमला होना। पहार और काम ; तीन पुरुषार्थ;श्री।[-गणे- काडतां लगी-आखिरी दम तक . शाय नमः श्री गणेशको नमस्कार मरते दम तक। -मूकयोमाराम (२)पुं० ब० व० आरंभ; श्रीगणेश.] करना; दम मारना (२) मर जाना; For Private and Personal Use Only Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शासनळी यम फ्रना होता । - सेवो सांस लेना (२) विश्राम करना, सुखाना, दम लेना. ] इलासनळी स्त्री० वह नाली जिसके उदा० स पुं० ऊष्मवर्गका तीसरा वर्ण (२) यह नामके आरंभमें आकर 'सह, सहित, साथ' या कहीं-कहीं ' समान ' आदि अर्थ बताता है; 'सकुंटुंब ; सपिंड; सजाति; सगोत्र' से एक पूर्वग; यह शब्दके आरंभ में आकर 'सु, अच्छा' आदि अर्थ बताता है; उदा० 'सजात; सपूत सई पुं० दर्जी; दरजी सईस पुं० साईस सकटम वि० देखिये 'साकटम'; सपरिवार सकवं स० क्रि० जकड़ना; कसकर बाँधना ; कसना सकरकंद न० सकरकंदी; शकरकंद सकरटेटी स्त्री० देखिये 'शकरटेटी' सकरपारो पुं० देखिये 'शकरपारो' सकर्मक वि० सकर्मक (क्रिया) [व्या. ] सकर्मी वि० भाग्यशाली; नसीबदार सकल ( - ) वि० सकल; सब; समस्त सकंचो ( - जो ) पुं० शिकंजा (यंत्रणा देनेका यंत्र ) (२) कसकर पकड़ने, दबाने का यंत्र ; शिकंजा (३) [ला. ] पकड़ क़ाबू; शिकंजा सकाम वि० कामनायुक्त; सकाम (२) फलाकांक्षासे कार्य करनेवाला; सकाम; फलासक्त (३) स्वार्थी; खुदगर्ज ४८३ स सक्को द्वारा सांस फेफड़ोंमें जाती है; श्वासप्रणाली [ च्छ्वास श्वासोच्छ्वास, श्वासोश्वास पुं० श्वासो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सकार पुं० ढंग; सलीक़ा (२) स्वाद; जायका (३) (किसी पदार्थका ) सार; सत; सत्त्व (४) 'स' अक्षर या उसकी ध्वनि; सकार। [-आववो = अच्छा बनना; कोई चीज रसोत्पादक बने ऐसा करना; जमना ] सकारी पुं० वह लकड़ी या फट्टी जो तानेके तारोंको व्यवस्थित रखनेके लिए सूतमें डाली जाती है; सुतारा सकुटुंब वि० सपरिवार; सकुल सक्कई वि० टकसाली; प्रमाणभूत; बढ़िया क़िस्मका ; खरा; जो बनावटी न हो ( २ ) सुन्दर; मजेदार सक्करखोर पुं० देखिये 'शकरखोर' सक्करटेटी स्त्री० देखिये 'शकरटेटी' सक्करपारो पुं० देखिये 'शकरपारों' सक्कस वि० अच्छी तरह कसा हुआ; खूब खींचा हुआ; जकड़बंद (२) सख्त; मजबूत सक्काई वि० देखिये 'सक्कई' सक्कावार वि० देखिये 'शक्कादार' सक्को पुं० देखिये 'सिक्को' (२) लेन-देन संबंधी इतबार या प्रतिष्ठा; साख; छाप; असर; प्रभाव ( ३ ) रोब; दबदबा ; सिक्का ( जमना) (४) शक्ल-सूरत चेहरा (५) खेलनेकी पत्थरकी गोटी, मोली For Private and Personal Use Only Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सख 6 सस स्त्री०; न० चैन; सुख; आराम; क़रार । [ -पड = शांति या चैन होना; क़रार पाना । वळवु = चैन, क़रार पाना; शान्ति मिलना. ] सखणुं वि० नरम स्वभावका ; सीधा ; सरल (२) जो शरीर, नटखट, उपद्रवी न हो; जो चुलबुला न हो; अचंचल सतत वि० सख्त; सुखत; कड़ा ( २ ) दृढ़ मजबूत; सख्त ( ३ ) निर्दय कठोरहृदय; कड़ा; सख्त ( ४ ) थका - डालनेवाला; घोर; कड़ा; कठिन (५) हदसे ज्यादा; भारी: गजबका ; उदा० 'सखत भीड- (६) तेज; तीखा; उग्र ; सख्त (७) जोरवार; आग्रहयुक्त; उदा० 'सखत भलामण' (८) मुश्किल; भारी । [ सजा : क़ैद सख्त ; कड़ी क़ैद । -हाये: कढ़ाईके साथ; सख्तीसे.] सखतळी स्त्री • सुखतला; पाताबा सखताई, सखती-स्त्री० सख्ती; कड़ापन (२) जुल्म कठोर व्यवहार; सख्ती (३) प्रतिबंध; रोक । [ -गुजारवी, वापरवी = कड़ाई करना; - सख्ती करना. ] [ हो गया हो; शिथिल सखळखळ वि० ढीला-ढाला ; जो ढीला सखावत स्त्री० सखावत दान ( २ ) - = उदारता; सखावत सखावती वि० सखी; दानी; उदार (२) सखावतका; खैराती सखी वि० सखी; दानशील; उदार । [ -नो लाल - बहुत उदार स्वभावका आदमी; दरियादिल आदमी. ] सखी स्त्री० सखी; सहेली सखुन पुं० देखिये 'सुखन' [ आदि सख्त (- हताई, ख्ती) देखिये 'सखत ' ૪૪ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सगँ स्त्री० ( दीयेकी) लौ; दीपशिखा सगड पुं०; स्त्री० समाचार; लंबर; टोह (२) चोरका पदचिह्न (३) पीछा सगड वि० अस्थिर; डाँवाडोल ; डगमग सगडगो पुं० अस्थिरता; अनिश्चितता (२) संदेह; अनिश्चय सगडी स्त्री० देखिये 'शगडी' सगण पुं० पीछा [ सगाई; मँगनी सगपण व० सगापन; खूनका नाता (२) सगराम पुं०; न० देखिये 'शिगराम' सगवड स्त्री० व्यवस्था; सुपास;सुभीता; अनुकूलता । [ - जोवी = किसी चीज्रका इंतजाम होगा या नहीं यह सोचना । - पडतुं = अनुकूलताके अनुसार; जो रास आये या अनुकूल हो; मुआफ़िक़ ] सगवडियं वि० जो रास आये; मनोनुकूल; जैसा चाहिये वैसा सगवाड, सगाई स्त्री० देखिये 'सगपण' सगांसांई न० ब० व० सगे-सम्बन्धी; रिश्तेदार सगीर वि० सगीर; नाबालिग स वि० एक ही खूनका; जिससे विवाह आदिके कारण संबंध हो; सगा; निकट संबंधी (२) न० संबंधी; रिश्तेदार; सगा सगंबहालुं वि० सगा ; संबंधी ; रिश्तेदार सगुंसंबंधी न० सगे-संबंधी सघळं वि० सकल, सब; सारा सचराचर वि० जिसमें स्थावर-जंगम सभी हों, सचराचर ( २ ) अ० सब जगह; सर्वत्र [ ( २ ) अ० चिताके साथ सचित वि० चितायुक्त; सचित; चिंतित सचोट वि० अचूक; जो चोट पहुँचा सके; खाली न जानेवाला; शर्तिया ; पुर-असर (२) अ० चूक न जाय इस तरह; प्रभावपूर्वक; अचूक For Private and Personal Use Only Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org इच्चाई सच्चाई स्त्री० सचाई ; सच्चापन (२) ईमानदारी; सच्चाई ; सच्चुं वि० सच्चा ईमानदार; खरा खड वि० कसा हुआ; जकड़बंद; सख्त ; दृढ़ मजबूत (२) कठिन; मुश्किल; भारी; सख्त : ( ३ ) सख्त चिपका, सटा या जुड़ा हुआ ( ४ ) अकड़ा हुआ; जकड़ा हुआ । [पई जर्बु मर जाना; टन हो जाना ( २ ) हक्का-बक्का हो जाना; स्तब्ध, सन्न रह जाना; सन्नाटे में बना; जड़वत् हो जाना । बाप बड़ी भारी चोरी। लेबुं = खूब धमकाना; फटकारना. ] ४८५ सजाना सजनी स्त्री० सजनी; सहेली (२) प्रिया सजबुं स० क्रि० धारण करना; सजना (२) अलंकृत करना; सजाना; सँवारना (३) युद्धादिके लिए तैयार करना; [ अश्रुपूर्ण; सजल सजळ वि० जलयुक्त; सजल ( २ ) सजा स्त्री • सजा, जुर्माना, अपराधका दंड सजात वि० सुजात; सुजन्मा; कुलीन सजाति, सजातीय वि० सजातीय; सजाति सजायो पुं० उस्तुरा; क्षुर सजावट स्त्री० सजना; सजावट; सजनेका तर्ज, पद्धति आदि; अलंकरण सजावार वि० सजा पानेका अधिकारी; सजायाब सजीव वि० सजीव; जीवित; ज़िन्दा सजीवन वि० सजीव; जिंदा । [औषधि = हमेशा बढ़नेवाला और -काटने पर भी सजीव रहनेवाला वृक्ष । पाणी : = सदा बहनेवाला पानी; अखूट पानी. ]: सजीवं वि० देखिये 'सजीव' सजोडे अ० पति या पत्नीके साथ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साखोर सज्ज वि० सज्ज; तैयार; लैस सज्जड वि० देखिये 'सजड' सज्जा स्त्री० सज्जा; शय्या ( २ ) शय्या-दान [ ( २ ) पोशाक; सज्जा सज्जा स्त्री० कवच; बख्तर; सज्जा सट पुं० समान चीजोंका समूह; सेट सट ( ०क) अ० सट सट; जल्द ! [-बईने, लईने फ़ौरन; तुरत; सूट-सट. ] सटक अ० क्रि० छटकना; पलायन करना; भाग जाना ( २ ) धीरेसे खिसक जाना; सटकना सटकावबुं स० क्रि० छड़ी आदिसे मारना; सटकाना (२) 'सटकवूं 'का प्रेरणार्थक सटरपटर वि० अव्यवस्थित; तितरबितर ( २ ) इधर-उधर ; तितर-बितर; जहाँ-तहाँ (३) फुटकल सटर-पटर (४) अ० बेतरतीब ; अव्यवस्थित रूप में सटरपटरिय वि० सटर-पटर; अव्यवस्थित For Private and Personal Use Only सटवं अ० क्रि० देखिये ' सटकवु सटाक अ० 'सट-सट' आवाज करते हुए; सट-सट; सड़ाकसे (२) फ़ौरन; जल्द ; सट-सट ( ३ ) स्त्री० सटाकी (४) सटाकीकी आवाज; सटाक; सड़ाक | [बईने, लईने = त्वरांसे; जल्द ; सट-सट (२) 'सट-सट' आवाज करते हुए; सट-सट. ] [फ़दिसे सटाकाबंध अ० तुरत; श्री बतासे; सटाको पुं० कोड़ेकी आवाज ; सटाक ; [ सड़ाक (२) कोड़ा; सटाकी सटोडियो पुं० सटोरिया; सट्टेबाज सटोसट अ० लगातार सड़ासड़, बिना रुके सद्वाखोर वि० चीजों का सट्टा सौदा करनेका आदी; सट्टेबाज Q Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सट्टालोरी स्त्री० चीजोंका सट्टा-सौदी सह पुं० पाल; बादबानमा __ करनेकी लत सणको पुं० वह दर्द जिसमें कोटासा सट्टो पुं० सट्टेबाजका सौदा, सट्टी', चुभता हो; शूल (२) [ला.] मनको सड वि० संज्ञाहीन; जड़; ठस (२) तरंग; धुन । सिमका भाववा, नाखवा, 'चकित; विस्मित; भौचक्का (३)अ० मारवा = शूल उठना.] त्वरासे; सड़ासड़ सणगार्नु अ० क्रि० देखिये 'शणगावू' संरक वि० (२)म० चकित भौचक्का सणगो पुं० देखिये 'शणगो' (३)सड़ासड़; तेजीसे। [-पई जर्व = सणसण अ० क्रि० 'सन-सन' शब्द "हैरान रह जाना; भौचक्का, चकित उत्पन्न होना; सनसनाना .. "होना. समसपाट पुं० सनसनाहट सरफ स्त्री० सड़क सणसार(-रो) पुं० देखिये 'अणसार सरको पुं० देखिये 'सबडको (२)घोड़े, बैल आदिको वेगसे हांकना, सरवं अ० क्रि० सड़ना; गलना (२) टिटकारना; सटकारना (३) लगाम ला.] भ्रष्ट होना; सड़ना. आदिको जरा झकझोरना, झटका देना सरसठ (8,) वि० सड़सठ; ६७ सत वि० सत्य; सच्चा (२) भला; सरसगट पुं० खोलनेकी आवाज; सन- नेक ; सत् (३) जिसका अस्तित्व हो; सनाहट; 'सड़-सड़' आवाज (२) अ० जीवित (४) यथार्य; सत्; सत्य (५) फर्राटेसे; तेजीसे; सड़ासड़। म० अस्तित्व; सत्ता; सत्त्व (६)सत्य; सहाक अशीघ्रतासे; सड़ाकसे सट-सट सत; सच्चाई (७) सार; सत्त्व, सत सगको पुं० चाबुककी आवाज; सड़ाक; (८) सतीत्वका बल । [-आववं, पर सटाक (२)बीड़ी या चिलमका कश; = सच्चाईका जोश उमड़ना (२)सतीदम (३) चमड़-चभड़। -ताणवो, त्वकी शक्तिका प्रादुर्भाव होना, प्रकट मारवो, लेवो चिलम आदिका कश होना; पतिकी मौत पर मरनेको तैयार खींचना.] होना; सत पर चढ़ना। -बतावसड़ासर अ० सड़ासड़; तेजीसे; लगातार अपने सत्यका परचा-परिचय देना.] सरियानो पान (डि')न०ब०व० अरवीके सतजुग पुं० सतजुग; सत्ययुग • पत्ते सतत वि० अविच्छिन्न; जो लगातार सरियाली गांठ (डि') स्त्री० अरवी हो; सतत (२) अ० हमेशा; सतत सग्यिो (डि') पुं० अरवी; घुइयाँ (२) सतपत स्त्री०, सतपताट पुं० चंचलता; उसका पता या डंडी .. वह भाव जिसमें स्थिर न रहा जाय; सडाट ब० वेगपूर्वक; तेजीसे; सड़- चुलबुलापन. [चुलबुला; चंचल सड़ आवाज करते हुए; बिना विघ्न- सतपतियं वि० जो स्थिर न रह सके; बाधाके; निविघ्न सतम पुं०; स्त्री० जुल्म ; सितम सगे सड़न; बिगाड़ (२) भ्रष्टा- सतसाई स्त्री० सतसई चार; खराबी; बिगाड़ [ला.] सतामणी स्त्री० सताना; हैरानी For Private and Personal Use Only Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८७ सवारी सतार पुं०; स्त्री० सितार नामाव = सत्ताधारी बनना सतारो पु० देखिये 'सितारों-स्तो शासन-सूत्रं हाथमें होना.] होवो सितारा बुलंद होना; सौभाग्य- सत्ताधारी वि० सत्ताधारी काल होना अच्छे दिन होना । -पशिरो संताधिकारी, सत्ताधीश वि. जिसके होवो भाग्यका अनुकूल होना; नसीब पास सत्ता और अधिकार हो (२) लड़ना.] पुं० अधिकारी; अफसर सतावनी स्त्री० देखिये 'सतामणी' सत्तावान वि० सत्ताधारी सताव_ सक्रि०सताना; परेशान करना सत्तावार वि० प्रमाणित; विश्वसनीय सतावू अ०.क्रि० समाना; अटना प्रमाणभूत सतास पुं० समाई; निर्वाह; समाना सत्तावाही वि० सत्तावाला; अधिकारसति वि० सत्यवादी; सच्चा युक्त; जो सत्ताका प्रभाव जमाये सतुं वि० सच्चा; सन्मार्गगामी (२) सत्ताणु(-) वि० सत्तामबे सत्तानवे; सतवाला; सत्त्ववान् (३)जिंदा; जीवित सत्तामन वि० सत्तावन; ५७. (४) चलता हुआ; वर्तमान सत्तावीस वि. सत्ताइस; २७ सतेज वि० (अधिक) प्रकाशयुक्त या सतु पुं० सत्तू; सतुआ सुलगता हुआ (२)उत्साहयुक्त; सत्व सत्तो पुं० सात बूटियोंवाला ताशका शील; उत्साही (३)सजग ; होशियार: पत्ता या पासा; सत्ता सावधान सत्य वि० सत्य; यथार्थ; सच; खरा सत्कार स० क्रि० स्वागत-सत्कार (२)न० सत्य; यथार्थता; सच्ची बात करना; सतकारना [प.] सत्याग्रह पुं० सत्य-पालनका आग्रह सत्कारसमिति स्त्री० स्वागत-समिति सत्याग्रह (२) उसके द्वारा लड़ा जानेसत्तर वि० सत्रहासत्तरह; १७१-माना वाला अहिंसक युद्ध (३) उसके निमित्त नेपाई चाहिये उससे भी बढ़िया; की गई सविनय अवज्ञा सर्वोत्तम। -जगाए % अनेक स्थानों सत्याग्रही वि० सत्याग्रह-संबंधी (२) पर। -जण=बहुत मनुष्य ; सौ पचास सत्याग्रह करनेवाला; सत्याग्रही(३)पुं० आदमी। -वलत, वार=बहुत दफ़ा; सत्याग्रहका सहारा लेनेवाला सत्याग्रही बार-बार (२) अवश्य; जरूर.] सत्यानाश न० सत्यानास; सर्वनाश; बरसत्ता स्त्री० मालिकी; स्वामित्व (२) बादी।-अ, वळवं =निर्वश रहना सत्ता; अधिकार; प्रभुत्व (३)अमल; (२) तहस-नहस होना। जी पाटी: हुकूमत ; शासन (४)बल; जोर (५) पूरी पामाली; मलियामेट होना.] अस्तित्व; सत्ता।[-आववीप्रभुत्व सत्याशी(सी) वि० सतासी;सत्तासी;८७" प्राप्त होना;हुकूमत मिलना (२)कूवत सबस(4)पर वि० अव्यवस्थित प्राप्त होना; बीमारीसे उठनेके बाद तितर-वितर; बिखरा हुआ .. शक्ति प्राप्त होना। बालबी-हुकूमत सवारो पुं० साथ; संग (२) काफ़िला चलना; रोब जमना; पाक जमना। (३) राजकी एक जातिका बादमी For Private and Personal Use Only Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साटो ४८८ साई वि० गाढ़ा; जो अधिक पतला न हो सनंद, सनंदी देखिये 'सनद' आदि .. सदर वि० मुख्य; प्रधान; श्रेष्ठ; सदर; सनात न० सगे-संबंधियोंकी मौत पर सर्वोच्च (२) पहले बताया हुआ;पूर्वोक्त किया जानेवाला स्नान; मृतस्नान । (३)सब;कुल (सत्ता; परवानगी)(४) [-ना समाचार = अशुभ समाचार न० प्रधान अधिकारीके रहनेका स्थान; (२) आफ़त; कमबख्ती । -लागवू उच्चाधिकारीकी कचहरी; सदर; = किसीकी मृत्युके कारण स्नान सदरमुकाम (५) पुं० सभापति; सदर करना पड़ना (२) किसी व्यक्तिकी सदरपरवानगी स्त्री० सर्वाधिकार; मौत पर मृत्युस्नानका संबंध होना.) चाहे सो करनेका कुल इख्तियार सनानसूतक न० स्नान-सूतक (२) सदरहु वि० पहले बताया हुआ; पूर्वोक्त लेन-देन; सरोकार; लगाव [ला.]. सदरो पुं० सदरी; फ़तूही [-आव, होवू = मृत्यु-स्नान या सूतक सदबुं अ०क्रि० रास आना अनुकूल होना लगे ऐसा संबंध होना; सरोकारसवंतर अ० हमेशाके लिए; सदाके संबंध होना.] लिए (२) पूर्णतः; सर्वथा; बिलकुल सने अ० सन्के अनुसार, सन्में सदा(०काळ) अ०. सदा; हमेशा सनपात, सन्निपात पुं० सन्निपात; त्रिदोष सकी स्त्री० सदी; शताब्दी (२) सन्मान, स० क्रि० सम्मान करना; सौ; सैकड़ा; सदी सनमानना [प.] [र्थक; फंसाना सबेहे अ० सदेह; शरीरके साथ सपटाव, सक्रि० 'सपटावु'का प्रेरणासषवा वि० स्त्री० (२) स्त्री० सघवा सपटा, अ० क्रि० फंसना; उलझना; सपा, अ० क्रि० 'साध' का कर्मणि; पकड़में आना; जकड़ा जाना सधना; साधा जाना सपडाव, स० क्रि० 'सपडावू' का सच्चर वि० शक्तिशाली; सशक्त; प्रेरणार्थक; फंदेमें लाना; फंसाना मज़बूत; मोटा (२)धनी।[-आसामी सपडावं अ० क्रि० फंदेमें पड़ना; = मालदार व्यक्ति; मोटा असामी; फैसना; पकड़ा जाना धनी (२)रुपये-पैसेके मामलेमें सच्चा; सपनुं न० देखिये 'स्वप्न'. ईमानदार आदमी; खरा असामी.] सपरम वि० शुभ पर्ववाला; मांगलिक, सन स्त्री० सन ; संवत् सन् (सन् ईसवी; शुभ (दिन) [तबाह; नेस्तनाबूद्र सन् हिजरी) सपाट वि० सपाट; हमवार (२) चौपट, सनक स्त्री०.सनद; परवाना सपाट स्त्री० चपाट; सलीपर (जूता) सनदी वि० सनदी; सनदयाफ़्ता सपाटाबंध अ० तुरत; सपाटेसे . सनमन अ० तीर या बंदूककी गोली सपाटी स्त्री किसी भी चीजका बिलछूटते समय होनेवाली आवाज; सनसन कुल ऊपरका सपाट भाग; सतह.. सनसनाटी स्त्री० सनसनी; सभाटा सपाटो पुं० सपाटा; तेजी; बरा (२) खलबली ।।-फलाई नवी = सन्नाटा तमाचा. (३) चाबुकका प्रहार (४) छाना.] . : गप; मपोड़ा। [सपाटामा मावq= For Private and Personal Use Only Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हत्थे चढ़ना; हाथ आना; पकड़में आना।-करतो, मारबो, लगावबो = कोई काम रगड़ अलना; जोर मारना । -काढी नाबबोपोटना; धमकाना; सबक सिखाना.] सपाडं नाभार; एहसान(२)वसीला; सिफ़ारिश। [-बन्यु= एहसान होना। -लागवं = एहसानमंद होनेकी भावना होना. .. [मुनासिब ढंगसे सपारे अ० ठीक; उचित रीतिसे; सपूवं वि० समूचा; पूरा; तमाम सपूत पुं० सपूत; कुलका नाम बढ़ाने वाला (२) अच्छा पुत्र; सपूत : सपूरत स्त्री० सिपुर्दगी; सौंपना सपेर () अ० ठीक; उचित रीतिसे सप्टेंबर पुं० सितंबर सप्पट वि० चुस्त; तंग; चिमटा हुआ सफर पुं० सफ़र (हिजरी सन्का दूसरा महीना) (२)स्त्री प्रवास; सफ़र (३) जहाजका सफ़र; समुद्रयात्रा सफरजन न• एक फल; सेब; सेव सफरी वि० सफ़रका; सफ़री (२) उड़ाऊ; खर्चीला (३) पुं० मुसाफ़िर; सफ़री (४) खलासी; नाविक सफल(-ळ) वि० सफल; फलयुक्त; फलवाला (२) कामयाब; कृतकार्य; सफल; सार्थक सफा वि० सफ़ा; साफ़; स्वच्छ (२) समाप्त ; पूरा; जिसमें कुछ बाकी न हो सफाई स्त्री० सफ़ाई; स्वच्छता (२) निष्कपटता; सरलता; सफ़ाई(३)[ला.] शेखी; डींग (४)सुथरापन टीप टाप; ठाट-बाट।[-मारबी, हाकवी शेखी बधारना; डींग मारना। -मांची हाल न काढवो अपने मुंह मियाँ मिळू सबरस बनना (२) अपनी निर्दोषता या सफाई पेश किये जाना.... सफाईदार वि० साफ़; स्वच्छ, सुथरा सफाचट अ० सफाचट; बिलकुल साफ़ सफाळ वि० (अप्रत्याशित घटना आदिके कारण)घबराया हुया; हक्का-बक्का; भौचक्का (२) बिना सोचा हुआ; अनचीता सफील वि० साथ-साथ लगा हुआ, आया हुआ (घर, जायदाद आदि) (२) स्त्री० रक्षणके लिए बनायी हुई रचना; फ़सील; परकोटा सकुँ न० सफ़हा; पृष्ठ सफेदी स्त्री० सफ़ेद बुकनी, चूर्ण (२) ___ श्वेतता; सफ़ेदी (३) चूनेकी पुताई; सफ़ेदी (४) अंडेका सफ़ेद मरज; अंडेकी सफ़ेदी सफेदो पुं० सफ़ेद चूर्ण (२) सफ़ेदा (रंग) सफो पुं० सफ़हा; पृष्ठ सबक पुं०; न० सबक सीख सबजी स्त्री० भंग; सब्जी (२) सागपात; सब्जी; हरी तरकारी सबजो पुं० मरुआ (पौधा); मरवा सबरको पुं० तरल वस्तु खाते समय निकलनेवाली आवाज; चभड़-चभड़ सब अ० क्रि० बासी पड़ा रहनेसे बिगड़ जाना,उतर जाना (२)निठल्ला होकर बैठा रहना; बेकार घूमना; सड़ना; बुरी हालतमें रहना [ला.]. सबधू वि० सुगठित;मजबूत;सक्षम;समर्थ सबब पुं० सबब; कारण; हेतु (२) अ० क्योंकि; कारण यह कि; सबब सबमरीन स्त्री० सबमेरीन :सबर स्त्री० (२) १० देखिये 'सबूर सबरत न० नमक सर्व-रस For Private and Personal Use Only Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संबल सबल (, ) वि० सबल ; बलवान; मजबूत (२) खूब ; अतिशय सबीज वि० सबीज; बीजवाला; बीजयुक्त (२) सविकल्प (समाधिका एक प्रकार) संपूर स्त्री० सब्र ; धीरज ; सहन-शक्ति; सबर (२) अ० ठहरो; रुक जाओ' इस मतलबका उद्गार सबुराई, सबरी स्त्री० सन; धैर्यं । [ - पकडवी, राखवी = सब्र करना; धीरज धरना. ] सबसब अ० तेजीसे; चटपट सभर वि० पूरी तरह भरा हुआ; भरपूर । [-भर, समरे भरवुं = पूरी तरह मरना . ] सभा स्त्री० सभा; परिषद् मजलिस (२) सभा; समिति, समाज; मंडली | [ - भरवी = सभा करना; सभा होना । -मळवी = जलसा होना; सभा होना. ] सभाक्षोभ पुं० सभामें खड़े होकर बोलनेमें संकोच सभागी वि० हिस्सेदार; सभाग सभासद पुं० सभासद; सदस्य; 'मेम्बर' सभ्य वि० सम्य; शिष्ट; भद्र; सम्मा नित; संभावित ( २ ) पुं० सभासदः सभ्य सम पुं० ब०व० सौगंध; क़सम । [आपया लवडाबवा, घालवा, देवा: सौगन्ध दिलाना | सावा, लेवा : क़सम खाना; शपथ लेना. ] = सम वि० सम; एकसा; सदृश; समान (२) तालका आरंभ - स्थान; सम ( संगीत ) (३) संगीतका एक अलंकार; सम समचरी स्त्री० प्रतिवर्ष आनेवाली मृत्युतिथि श्राद्धदिन (२) उस दिन की जानेवाली क्रिया; श्राद्धकर्म Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • समचीरस वि० (२) पुं० जात्य समचतुर्भुज; मुरब्बा ; वर्ग समरी स्त्री० देखिये 'समचरी' समज (०ण) स्त्री० समझ; अक्ल, बुद्धि; ज्ञान; होश ; सयानापन (२) आपसमें किया हुआ समझौता ; क़रार ; आपसी समझ । [ -ना परमां आवबुं - होश संभालना; वयस्क होना; तमीज़, व्यवहार सीखना । -पडवी = समझा जाना; जान पढ़ना; मालूम होना. ]: समजणुं वि० समझदार; सयाना - समजदार वि० समझदार; बुद्धिमान समजबुं स० क्रि० समझना ; जानना (२) अर्थ ग्रहण करना; अर्थ समझना (३) खरे-खोटेकी तुलना करना; बिचारना; समझना (४) अ० क्रि० आग्रह छोड़ना; मान जाना । [समग्री लेबुं = समझौता करना; समझ लेना. ] समजावट स्त्री० समझाना समजाव स० क्रि० समझाना ( २ ) रूठे हुएको प्रसन्न करना; ठंडा करना; मनाना; समझाना (३) मीठी बातोंस बहलाना; फुसलाना; भुलावा देना; छलना' समजु वि० समझदार; सयाना समजूत (सी) स्त्री० समझ जाना; मानना; समझौता, स्वीकार, क़बूल करना (२) समझाना; दोनों पक्षोंमें मेल कराना; समझौता (३) सीख; सलाह (४) किसी बातको सुगम करके समझाना; स्पष्टीकरण; विवरण; खुलासा; विवेचन । [-उपर आव समझौता करना. ] समग्री स्वी० बीलसमडी स्त्री० "शमी वृक्ष For Private and Personal Use Only Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समता ४९१ समग पं० एक पंहः शमी मौसम (३) मौका; अवसर; उपसमनी स्त्री० बारीक चीजें पकड़ने, युक्त काल; समय; संजीन (४) उठाने या तार मोड़नेका नाजुक प्रतिज्ञा; नियम; समय (५) संकेत चिमटा; चिमटी शत; वादा; समय (६)सिद्धान्त; समय समर्नु न० सपना; स्वप्न । [-आवq= (७)पाठशालामें शिक्षणके लिए नियत स्वप्न आना; सपना पड़ना (२)तीव्र किया हुवा समयका एक भाग; तास; इच्छा होना; ललचना; उदा. 'तने 'पीरियड'। -ओळसवी, बोवो, तो पैसानां ज समणां आवे , (३) वर्तवो = अनुकूल अवसर है या मनमें यकायक कोई खयाल उठना; नहीं यह देखना; अवसर ताकना; धुन सवार होना.] मोका ढूंढ़ना। -वो (कोई काम समतल वि० समतल ; हमवार(२)न० करनेका)समय होना। -भराई जवो "समतल, समान सतह (३) समतल = समय पूरा होना; मीआद गुजरना क्षेत्र, 'प्लेन' [ग.] (२) अवकाशं या फुरसत न रहना समतोल वि० बराबर वजनका; सम (३) वक्त आ जाना; मौतकी घड़ी तोल (२) समान; बराबर; एकसा आ जाना.] [टाइमटेबुल (३)पुं०;न० समान वजन । [-ऊतरई समयपत्रक न० समयसूची; समयसारणी = बराबर, समान उतरना.] समयसूचक वि० समयोचित कार्य समतोलता स्त्री०, (- - ) न० करनेकी बुद्धिवाला; प्रत्युत्पन्नमति । समतोल होना या बनना; समतुला; समयसूचकता स्त्री० समयोचित कार्य सन्तुलन [स्थल; समतल करनेकी बुद्धि; प्रत्युत्पनमतिका भाव समपळ वि० समान सतहवाला; सम समरण न स्मरण; सुमिरन समषारण वि. जो ऊँचा या नीचा समर स० क्रि० स्मरण करना; सुमन हो; समान (२)मध्यम प्रकारका; रना [प.] औसत दरजेका;न घटिया, न बढ़िया; समराव स० कि. 'समार' का सामान्य [समानता; मोडरेशन' प्रेरणार्थक; मरम्मत कराना समधोरण न० प्रमाण, माप आदिमें समर्प, स० कि० समर्पित करना; समन्स पुं० समन; सम्मन साँपना; समर्पना प.] समवानु(-) वि० समान भुजाओं- समशान न० स्मशान; मसान वाला; समभुज (क्षेत्र) [ग.] समसम अ०हवाकी जोरकी आवाज; समभाव पुं० समताकी बुद्धि या भाव; सन-सन .. समभाव (२)आत्मीयमाव; अपनापन समसमई अ०कि. 'सन-सन' आवाज समभावी वि० समभावयुक्त . होना; सनसनाना (२) मन ही मन समभुज (-जीय) वि० देखिये 'समबाजु दुःस करना; मसोसना सममिति स्त्री० औसत; सममिति [ग.] समस्या स्त्री० समस्या; पटिल प्रश्न समय पुं० समय; काल; वक्त (२) मसला (२) इशारा; संकेत; सैन (३) For Private and Personal Use Only Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org समली कहावत ; पहेली; समस्या; मसल | [- पूरवी = समस्यापूर्ति करना. ] समळी स्त्री० चील [ शमी वृक्ष समळी, समळो देखिये 'समडी; समडो'; समा स्त्री० ज्वारके अंत और भाटके आरंभके बीचकी स्थिति जिसमें पानी बारह मिनट रुकता है - समाचार पुं० समाचार; खबर समाज समाचारपत्र न० समाचारपत्र; अखबार समाज पुं० समाज; समूह; समुदाय (२) सभा; समिति ; समाज ( ३ ) समान धर्म या आचारवाला जनसमूह; समाज ( ४ ) किसी खास उद्देश्यकी पूर्तिके लिए संघटित जनसमुदाय; [ नियम आदि समाजकारण न० समाजतंत्रकी रचना, समाजिक पुं० समाजका सदस्य; सामाजिक ( २ ) प्रेक्षक; सामाजिक समाजी वि० समाजका ; सामाजिक; समाज-संबंधी (२) जो किसी समाजमें शामिल हुआ हो (३) पुं० ऐसा पुरुष; सामाजिक ( सदस्य ) समाणी स्त्री० देखिये 'समणी' समाणुं वि० समान; एकसा; सरीखा - को लागू होनेवाला (गाली) 1 383 अ० ; - के साथ; सहित समाणो पुं० बड़ी चिमटी समाधान न० समाधान; संदेह-निवारण और शांति (२) संतोष ; तृप्ति (३) ध्यान; समाधि; समाधान; इन्द्रियनिरोध (४) निबटारा होना; फ़ैसला होना; निबटाना; सुलझाना हल करना (५) समझौता ; राजीनामा । [-उपर आवबुं = समझोता करना; समझ लेना. ] ४९२ समायु समाधानी स्त्री० समाधान; निबेड़ा; फ़ैसला (२) चित्तकी शान्ति; कल; चैन (३) लड़ाई-झगड़ेका अभाव; सुलह और शान्ति समापि पुं०; स्त्री० मनको ब्रह्म पर केन्द्रित करना; समाधि; योगका अंतिम अंग (२) साधु-संन्यासीका मरण ( ३ ) समाधिस्थल पर बनाया हुआ मकान आदि; समाधि । [चडवी, थवी, मां बेसनुं, लागडी = समाधि लगना ; परमात्म-चिंतनमें तद्रूप होना; समाधिस्थ होना। -पडाववी = समाधि लगाना। -लेवी = मर जाना ( साधु-संतों या योगीका ) . ] समाप स०क्रि० पूर्ण, समाप्त करना समार पुं० मरम्मत; दुरुस्ती समार पुं० जोती हुई जमीन बराबर करनेका पटरा ; हेंगा; पटेला; मेड़ा समारकाम न० मरम्मत करना समारबुं स०क्रि० बनाना; दुरुस्त करना; सुधारना ( २ ) काटना ( तरकारी ) (३) सँवारना; बनाना (बाल) समारंभ पुं० ठाट-बाटके साथ किया . हुआ आरंभ; समारंभ (२) धूमधामयुक्त उत्सव, जलसा आदि; समारोह समालबुं स०क्रि० सँभालना; रक्षा करना समाव पुं० समाई; समाना समावडाव स० क्रि० 'समाव एका प्रेरणार्थक [ समाना समावयं स०क्रि० 'समावु' का प्रेरणार्थक; समायुं भ० क्रि० समाना; भीतर आ जाना; अँटना (२) समाविष्ट हो जाना; किसीको अनुकूल होकर स्थान प्राप्त करना; किसी संस्था या तंत्रमें कसा जाना; बैठना । [ समाई जयं = भीतर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - दाखिल होकर हिल-मिल जाना; लुप्त, विलीन या गायब हो जाना.] समावेश पुं० समावेश; समाना समास पुं० समाई; समाना; समावेश .(२) समास [व्या.](३)संक्षिप्त करना; समासः छोटा रूप।[-पवोसमावेश होना; किसी तंत्र या संस्थामें घुल-मिल जाना.] [हुआ;समानान्तर; पेरेलल' समांतर वि० समान अंतर पर आया समीकरण न० समीकरण; समान, बराबर करना (२) समीकरण; 'इक्वेशन' [ग.] [संध्या समीसंध्या, समीसांज स्त्री० सांश;शाम; समुद्र पुं० समुद्र; सागर। [-खेग्यो = समुद्रयात्रा करना। -महोळयो, वलोववो% समुद्रमंथन करना (२) कोई कठिन समस्याकी चर्चा करना.] समुद्रकांठो, समुद्रकिनारो पुं० समुद्र तट; समुद्रका किनारा [फेन समुद्रफीण, समुद्रफेण(--) न० समुद्रसमें वि० ठीक; दुरुस्त; व्यवस्थित; जैसा चाहिये वैसा (२) देखिये समाणु' (३) अ० समेत; -के साथ; उदा० 'धडाका समुं ते नीचे पड्यु'।[-करj = दुरुस्त करना; सुधारना (२) तरतीबसे रखना; सजाना.] समुनमुं वि० ठीक ; दुरुस्त ; व्यवस्थित समूल (-ळ) वि० मूल सहित; समूल समूळगुं वि० समूचा; पूरा; समूल . समूळ वि० देखिये 'समूल' समेटवू स० क्रि० समेटना (२) निबटाना; समाप्त करना (३)बंद करना समेत वि० समेत; एकत्र; संयुक्त (२) अ० साथ; समेत समयो पुं० अगवानी अगवाई (२) किसी संप्रदायके अनुयायियोंका संमेलन समो पुं० समय ; वक्त (२) उपयुक्त अवसर; मौका (३)मुश्किलका वक्त; मुश्किल।[-कठन के बारीक होवो =मुसीबतके दिन होना; संकटपूर्ण यो नाजुक वक्त होना; वक़्त पड़ना। - जोवो = अनुकूल अवसरकी राह देखना;मौक़ा देखना (२) घातमें रहना; मौक़ा तकना। -वळवो= पूर्व स्थिति पर आ जाना; पहलेके जैसा अच्छा हो जाना; जमाना बदलना.] समोल (ल,) स्त्री० जुएके सिरे पर लगायी जानेवाली खूटी सैला;सिमल समोवड वि० समान; बराबरका; समकक्ष (२) प्रतिस्पर्धी; बराबरीका समोवडियण वि० स्त्री० हमउम्र, समवयस्क (स्त्री) (२) बराबरीकी, प्रतिस्पर्धी (स्त्री) समोवडियुं वि० हमउम्र (२) समान; जोड़का (३) प्रतिस्पर्धी; हरीफ़; बराबरीका समोवधु वि० देखिये 'समोवड' समोवण म० स्नानके गरम पानीमें और पानी मिलाना या मिलानेका पानी समोवq स० क्रि० स्नानके लिए रखे हुए उष्ण जलमें ठंडा जल मिलाना; समोना सर स्त्री० गलेमें पहननेकी एक लड़ीकी मोती या मनकोंकी माला,कंठी,सिकड़ी सर वि० 'बड़ा' के अर्थमें शब्दके आरंभमें आता है; उदा. 'सरसूबो' सर पुं० ताशके खेलमें किसी एक रंगके पत्तोंका प्राधान्या; तुरुप; सर (२) शेयर; भाग For Private and Personal Use Only Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सर जीतना । सर पुं० ब० व० (सूद गिननेमें) मूलधन और मुद्दतके महीनोंका गुणनफल सर वि० ताबे ; अधीन : मात; पराजित हारा हुआ । [ - कर -प = मात होना; अधीन होना. ] सर अ० 'अनुसार ; मुताबिक़ से इस 'अर्थ में संज्ञा या विशेषणके साथ आता है; उदा० 'कायदेसर, माफकसर (२) 'के लिए, के कारण' इस अर्थ में संज्ञाके साथ आता है; उदा० 'धंधासर, हेतुसर' सरकट न० बेंत या नरकट जैसा एक पौधा ; सरकंडा सरकणं वि० सरकीला; फिसलनवाला (२) न० सरकनेकी जगह; फिसलन सरकवूं अ० क्रि० सरकना; खिसकना ; फिसलना (२) चुपकेसे चल देना; खिसकना ; सटकना सरकस न० सर्कस सरकार पुं०; स्त्री० सरकार; राज्य; हुकूमत (२) बड़ोंका संबोधन; हुजूर; सरकार। [ – दरबारे चडवुं = मुक़दमा कचहरी में पेश करना; दावा दायर करना. ] सरकारधारो पुं०, सरकारभरणुं,सरकारभरत न० लगान; भूमिकर; पोत सरकारी वि० सरकारका; सरकारसंबंधी; सरकारी सरकियुं न० सरकीली गाँठ सरको पुं० सिरका सरलाई स्त्री०, सरखापणुं न० समानता; बराबरी सरखामणी, सरखावट स्त्री० तुलना; समानता (२) बराबरी; मुक़ाबला सरलाव स० क्रि० तुलना करना; मिलाकर जाँचना; मिलाना ४९४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरनुं वि० समात; बराबर सदृश (२) सपाट; समतल ; जो ऊबड़-खाबड़ न हो ( ३ ) ढंगका ; व्यवस्थित; ठीक (४) उचित; योग्य; लायक़ ; उदा० 'मारा सरखं काम' (५) वाक्यमें संज्ञाके बाद आने पर 'तक' या 'भी' अर्थ सूचित करता है; उदा० 'आंगळी सरखी न उपाडी । [ सरली नजर = निष्पक्ष दृष्टि; समदृष्टि; एक आँख से सबको देखनेकी दृष्टि । नहि सरखं नहींवत् (२) जरा; तनिक; थोड़ा. ] सरलेसरतुं वि० बराबरका ; जोड़का ; समान; एकसा = सरगवो पुं० सहिजन; मुनगा; सौंजना सरघस न० जुलूस (समुदाय ) । [ -काढ = जुलूस निकालना.] सरजनहार पुं० देखिये 'सर्जनहार' सरजबुं स० क्रि० देखिये 'सर्जवं ' सरजोरी स्त्री० देखिये 'सिरजोरी' सरड अ० सुड़कनेसे होनेवाली आवाज सरडको पुं० सुड़कनेकी क्रिया, आवाज; सुड़क (२) चभड़-चभड़; तरल चीज़ खानेसे होनेवाली आवाज़ सरडी स्त्री०गिरगिट ( २ ) मादा गिरगिट सरडो पुं० गिरगिट सरणि (-णी) स्त्री० सरणी; सरणि; पगडंडी ( २ ) पद्धति; तरीक़ा; रीति; सरणी (३) सजावट ; व्यवस्थितता; सरणी सरत स्त्री० नज़र; दृष्टि (२) याददाश्त स्मरणशक्ति ( ३ ) ध्यान; खयाल; सुरत । [ -पहोंचवी = नजर या दृष्टि जाना (२) अक्ल काम करना । - रहेवी = ध्यान आना; का खयाल रहना; स्मरण होना; खयाल For Private and Personal Use Only Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सतचूक खाना। -रहेतुं = याद रहना; याद होना। राजवी = खयाल रखना; निगाह रखना; संभालना. ] सरतचूक स्त्री० देखनेमें चूक होना; दृष्टिदोष (२) ध्यानसे उतरना; भूल जाना सरतुं वि० समीप; निकट; पास सरदार पुं० सरदार; नेता; मुखिया (२) अमीर; सरदार; सामंत सवारी स्त्री० सरदारकी सत्ता या पद; सरदारी (२) अगुआई ; नेतृत्व (३) वि० सरदारका; सरदार-संबंधी सरदेशमुखी स्त्री० मराठी राज्यकालका एक प्रकारका कर सरनशीन पुं० सभापति; सदर सरनामुं न० पता; सरनामा सरपट पुं० एक वनस्पति; सरपत सरपण न० जलावन; ईंधन ( लकड़ी) सरपंच पुं० सरपंच ; पंचोंका मुखिया सरपाव पुं० सिरपाव; खिलअत । [ -आपको = सिरोपाव बख्शना ; खिलअत देना ( २ ) शाबाशी देना. ] सरपेच पुं० देखिये 'शिरपेच' सरपोश न० ढक्कन (२) ग़िलाफ़ सरफरोशी स्त्री० सरफ़रोशी; सिर देना सरबसर वि० तमाम ; संपूर्ण ( २ ) समग्र ; सारा (३) अ० पूर्णतः; सरबसर; सरासर सरबाजी स्त्री० ताशका एक खेल सरभर वि० न कम, न ज्यादा; ठीक; बराबर ( २ ) बिना नफा-नुकसानका । [-बातुं : = वह खाता जिसमें जमाखर्चकी मदें समान हों.] सरभरा स्त्री० आव-भगत ; सेवाटहल ; खातिरदारी; सरबराही ४९५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरमुखत्यार वि० कुल सत्ताधारी (२) पुं० तानाशाह; अधिनायक सरमुखत्यारी स्त्री • मुखतारकुलका काम या पेशा; तानाशाही; अधिनायकत्व सरर अ० सन-सन; सर-सर ( गोली, तीर आदिकी हवामें चलनेकी आवाज ). सररर अ० जल्दी सरकनेकी आवाज़; संर-सर; सरसराहट सरल वि० सरल; सीघा (२) आसान; सरल; सुकर (३) निश्छल; सरल सरव पुं० एक पेड़; सरो; सर्व सरवडियं, सरवसुं न०, सरवडो पुं० रहरहकर आनेवाली बारिशकी बौछार सरवण पुं० फेरीवाला साधु (२) काँवर लेकर भीख मांगनेवाला ( ३ ) श्रमण; भिक्षु सरवणी स्त्री० तेरहींके दिन की जानेवाली शय्यादान आदि क्रिया सरवर, सरवरियुं न० सरोवर; झील सरवाणी स्त्री० सोता; झरना सरवायुं न० आय व्ययका वार्षिक विवरण; चिट्ठा २० सरवाळे अ० कुल मिलाकर ; समग्रतया (२) अंतमें; आखिरकार ; फलत: सरवाळो पुं० संख्याओंको जमा करना, जोड़ना (२) जोड़; मीजान; जुमला सरखं वि० तीक्ष्ण कानका; जो झट सुन सके (२) जोरसे, ऊँचेसे बोला हुआ (३) अमुक तरहके स्वाद या महकवाला (४) चपल; तेज; उदा० 'सरवा पग' सरवुं अ० क्रि० देखिये 'सरकवूं ' (२) पूरा पढ़ना; काम चलना; सरना; प्रयोजन सिद्ध होना; उदा० 'काम, अर्थ, गरज सरनां For Private and Personal Use Only Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरवयं सरवयं न० देखिये 'सरवायु' सरशियं न० सरसोंका तेल; कड़ा तेल (२) केंचुआ; गिजाई . सरस पुं० देखिये 'सरेश' सरस वि० अच्छा; उत्तम; बढ़िया (२) रसवाला; रसीला; सरस (३) सुन्दर; मोहक। [-तोल - तौलमें अधिक देना. सरसंदेशों पुं० खबर; समाचार सरसव पुं० सरसों सरसाई स्त्री० होड़; प्रतिस्पर्धा सरसामान पुं० घरगिरस्तीका सामान; सरोसामान; माल-असबाब सरसियुं न० देखिये 'सरशियु' . . सरसीधू न० रसोईकी कच्ची सामग्री; सीधा [समीप; सटकर; पास सरसुं वि० अच्छा; उत्तम (२) अ० सरसूबो पुं० बड़ा सूबेदार; प्रांत या "प्रदेशका बड़ा अधिकारी सरहद स्त्री० सीमा; सरहद (देशकी) सरहवी वि० सीमा-संबंधी सरहदी (२) पुं० सरहद प्रांतका आदमी . सरळ वि० देखिये 'सरल' . सरळता स्त्री० सरलता; आसानी सरंजाम पुं० आवश्यक सामग्री; 'सरंजाम (२)युद्ध या सेनाकी सामग्री सरा स्त्री० देखिये 'सराई' (२) प्रवाह ; धारा; सरा (३)ऋतु;मौसिम; उदा० 'लगनसरा' सरा (०६)स्त्री० सराय ; सरा,धर्मशाला सराक पुं०; स्त्री० नोकदार सलाई; फांस, किरिच'; शूल सराकडो पुं० देखिये 'सरोखडो' सराडे अ० सीधी राह पर तुंगसे; ठिकाने पर। [-पy = ठीक रास्ते सरेस · पर आना; ठिकाने आना; चल निकलना; ढंगसे चलने लगना। -चढाव, पाउq= राह पर लाना.] सराण स्त्री० सान (चढ़ाना; देना; धरना) [सिकलीगर सराणियो पुं० सान धरनेवाला; सरापरा अ० आदिसे अंत तक सराफ पुं० देखिये 'शराफ' सराफी स्त्री० देखिये 'शराफी'।[-बंधो =प्रामाणिक घंधा; ईमानका सौदा (२) महाजनी; साहूकारा.] सरार अ० अंत तक ; सरासर; सरबसर सराव (लु) न० सकोरा; सराव;शरावं सराव स० क्रि० 'सार' का प्रेरणा थंक (२) श्राद्धकर्म करना; पिंडा देना सरासर अ०,(-री) स्त्री० देखिये _ 'सरेराश सराठी (०) स्त्री० अरहर आदिका सूखा डंठल'; कड़िया; रहँठा . सरियाम वि० प्रमुख ; मुख्य (रास्ता) (२) सरे-आम; जाहिर; खुला (३) सीधा; जो टूटा हुआ न हो; अखंड सरीखं वि० सरीखा; समान; योग्य सरीसुं वि० देखिये 'सरीखं' (२) अ० समीप; पास सरु न० एक पेड़ ; सरो; सर्व सरूप वि० सदृश; सरूप; एकसां (२) रूपवाला; सरूप; सुन्दर । सरेडे अ० देखिये 'सराडे सरेतीरे अ० बाजे-गाजे के साथ (२) सरे- आम; जाहिरमें सरेराश स्त्री० औसत; पड़ता ग.] (२) अ० औसतन् (३) अंदाजन्; लगभग; अटकलसे सरेश(स) पुं० सरेश; सरेस (पदार्थ) For Private and Personal Use Only Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - सरयो ४९७ सलाम तरयो (') पुं० खुशबूदार चीजें सर्वानुमति स्त्री० सबकी अनुमति बेचनेवाला [मिट्टी सर्वसम्मति सरोलगे पुं० चूनायुक्त या चूना मिली सर्वांगी(ण) वि० सब अंगोंसे संबद्ध सरो न० ज्वार-बाजरेका सूखा डंठल (२) सारे शरीरमें व्याप्त होनेवाला; सरोतरी वि० वाजिब,उचित,न्यायसंगत सर्वांगीण सरोतो पुं० सरीता; सरोता सर्वे स० सर्व; सब; सारा सरोद पुं० एक तंतुवाद्य; सरोद सर्वोच्च वि० सर्वोच्च; सबसे बड़ा सरोवो पुं० सरौता (२) सरोद (३) सर्वोपरी वि० सबसे बढ़िया; सर्वोस्वरोदय; सरोषा (विद्या) स्कृष्ट (२) श्रेष्ठ; उत्तम सरोवर न० सरोवर; झील; सर सर्वोपरीपणुं न श्रेष्ठता; उत्तमता सर्कल (इन्स्पेक्टर) पुं० सकिल इंस्पे सलगम न० सलजम; शलगम क्टर; गिर्दावर कानूनगो सलज्ज वि० हयादार; सलज्ज (२) सर्जनजूनुं वि० सृष्टिके आरंभसे प्रचलित; अ० लज्जाके साथ; शरमाकर आदिका; रोजे अजलसे जारी सलपो(-फो) पुं० दमकश (चिलमका) सर्जनशक्ति स्त्री० रचना, निर्माण (२)समूह; समुदाय सलमो पुं० सलमा; बादला करनेकी बौद्धिक शक्ति; रचनाशक्ति; सजनशीलता प.] सिजनहार[प.] सलववं स० क्रि० देखिये 'सालव' सलवामण स्त्री० उलझन; फंसाव, सर्जनहार पुं० स्रष्टा; सिरजनहार; स, स० क्रि० उत्पन्न करना; रचना सलवावं अ० क्रि० कोई उपाय, हल न मिलनेसे घबराना; सकपकाना; करना; सिरजना; सृजना [प.] सर्व वि० सर्व; सब; समस्त। [-हक हड़बड़ीमें पड़ना; फंसना । (२) स्वाधीन = मालिकोके सर्व अधिकार 'सालव', 'सलवयूँ' का कर्मणि अपने कब्जे में होना.. सलाट पुं० सिलावट; संगतराश सर्वपक्षी वि० सब पक्षोंका; सब पक्षोंसे सलाटी स्त्री० धार तेज करनेका पत्थर; संबद्ध; सर्वपक्षीय (२) सबका उचित सिल्ली [बांधना; गांठना, जोड़ना पक्ष करनेवाला [सर्वभक्ष सलाड स०क्रि० एकको दूसरेके साथ सर्वभक्षी वि० सब कुछ खानेवाला; सलाठी स्त्री० देखिये 'सलाटी' सर्वमान्य वि० सबको मान्य; सर्वमान्य सलाडुंन० देखिये 'सलाटी' (२)चुगली सर्वसत्ताधीश पुं० सर्वाधिकारी; मुख सलामे पुं० एक ऊँटको दूसरेकी दुमसे तारकुल बांधना (२) [ला.] किसीको उसकी सर्वसंमत वि० सर्वमान्य; सर्वसम्मत इच्छाके विरुद्ध काममें लगाना; जोतना सर्वसाधारण, सर्वसामान्य वि० सबको (३)चुगली खाना इधरकी उधर करना लागू होनेवाला; सर्वसामान्य । सलाम स्त्री० सलाम; नमस्कार। - सर्वानुमत वि० जिसको सबने अनुमति अलकुम, मालेकम= सलाम अलैकम । दी हो; सर्वसम्मत; एकराय -करवी नमस्कार करना।-भीलवी, गु. हिं-३२ For Private and Personal Use Only Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सलामती लेवी = सलामका जवाब देना; सलाम लेना । - भरवी = झुक-झुककर नमस्कार करना; कोरनिश बजा लाना (२) आजिज़ी या खुशामद करना. ] सलामती स्त्री० सलामती; तन्दुरुस्ती; कुशल (२) जिंदगी; सलामती ( ३ ) रक्षा; सुरक्षितता सलामी स्त्री० सलामी ; सलामके रूपमें दिया जानेवाला मान, भेंट या लगान (२) किसीके सम्मानार्थ सलामी देना; सलामी सलावडुं न० मिट्टीका भिक्षापात्र ; खप्पर सलाह स्त्री० सलाह; सीख; सिखावन (२) राय; सलाह (३) सुलह; मेल सलाहकार वि० (२) पुं० सलाह देने वाला; सलाहकार ( ३ ) सुलह करनेवाला या करानेवाला सलूक स्त्री० सलूक ; बर्ताव; व्यवहार (२) सद्भाव; मेल; सलूक (३) नेकी; भलाई; सलूक; सुलूक सलूकाई स्त्री० सभ्यता; शिष्ट व्यवहार (२) सलूक ; मेल; मुहब्बत सलूणुं वि० सलोना; सुन्दर; मनोहर सलून न० सैलून सेलून सपाट पुं० सलीपर; सिलीपट (रेलका) सल्ली स्त्री • उस्तरा तेज़ करनेका पत्थर; सिल्ली, पथरी [ काम आनेवाला) - सल्लो पुं० बरीका चूना ( पलस्तर में सवड पुं०; स्त्री० देखिये 'सगवड' सवळवं अ० क्रि० देखिये 'सळवळवु' सबळ (-छं) वि० सुलटा; सीधा ( २ ) घड़ी की सुईकी दिशामें घूमनेवाला; बाईसे दाहिनी ओरका; 'क्लाकवाइज' । [ सवळा पासा पडवा = मनमें इच्छा ४९८ सवाको हुआ पार उतरना; फ़तह होना; पौ बारह पड़ना । — पडवुं - सही निकलना; सच होना ( २ ) सफल होना; पार उतरना । सवळे हाथे पूज्या हशे : विधिपूर्वक या फल मिले इस तरह आराधना की होगी.] सवा पुं० ब०व० सोआ (बीज) (२) पापड़ या अचार में पड़नेवाला एक कीड़ा सवा वि० सवा १ । (२) चतुर्थांशके साथ कोई अंक; किसी अंकसे पाव अधिक; उदा० 'सवा छ' (३) सौ, हज़ार जैसी संख्याओंके पूर्व 'इससे सवा गुना' अर्थ सूचित करता है; उदा० 'सवासो; सवाहजार' । [ - आठ = मनपसंद ; अच्छा । -वीस : = सच्चा; यथार्थ; सत्य । शेर = बहुत; खूब; उदा० 'सवाशेर लोही चडवं' याने अति आनन्द होना ( २ ) बढ़-चढ़कर; सवाई; उदा० 'शेरने माथे सवाशेर'. ] सवाई वि० स्त्री० सवाई; सवागुना; बढ़-चढ़कर (२) स्त्री० सवागुनेका भाव; सवाई (३) उत्तमता, बढ़ती या उम्दापनका भाव; अधिकता ( ४ ) सिपाहीका साफ़ा या पगड़ी ( ५ ) नियत समयसे अतिरिक्त समयमें किया हुआ काम या उसका मेहनताना ( ६ ) सूद नेका एक प्रकार जिसमें मूलधन अपने चतुर्थांशसे युक्त होता है; सवाई । [चिट्ठी = एक रुपयेका सूदके साथ सवा रुपया देनेका लिखित क़रार ; सवाईका रुक्का । -नो धंधो = सवाई पर क़र्ज़ देनेका धंधा. ] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सवाकवा पुं० अनुकूल या प्रतिकूल वायु (२) दुर्घटना; आकस्मिक घटना सवाको पुं० एक पैसा For Private and Personal Use Only Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सवाण सवाण स्त्री० साथ, मंत्री या संगतका आनंद, सुहबतसे मिलनेवाला बल (२) आराम; चैन; कल (३) न० मादा पशुका गर्भाधानका काल सवादियुं वि० स्वादिष्ट ; जायकेदार (२) स्वादी; चटोरा; जिभला सवायुं वि० सवाया; सवागुना (२) सवाई; बढ़-चढ़कर सवायो पुं० एक पैसा सवार ( स ) स्त्री० ; न० सवेरा; प्रात:काल । [ - थबुं, पडवुं = सवेरा होना. ] सवार वि० सवार; सवारी पर बैठा हुआ (२) पुं० सवारी पर चढ़ा हुआ आदमी; सवार (३) अश्वारोही सिपाही; सवार । [ - थवं = घोड़े पर सवार होना ( २ ) सरकश होना; उद्दंड होना; सिरजोरी करना.] सवारी स्त्री० सवार होनेकी क्रिया; सवारी (२) गाड़ी, पालकी यादि पर सवार होनेवाला; सवार ; सवारी (३) जुलूस, सवारी (४) अधिकारीका दौरा; गश्त (५) ( फ़ौजकी) कूच; हमला; चढ़ाई (६) [ला. ] रोबदार, ठाट-बाटवाला आदमी (७) संगीतका एक ताल सवाल पुं० सवाल ; प्रश्न ( २ ) माँगना, माँग प्रार्थना; सवाल ( ३ ) बोल; वचन; सवाल । [ - करवो, नाख वो सवाल करना; माँगना; याचना करना. ] सवालजवाब पुं०ब०व० सवाल-जवाब ; प्रश्नोत्तर ( २ ) कहा-सुनी तकरार (३) पूछताछ; खोज = सवा वीस वि० [ला. ] सही ; प्रमाणभूत ; यथार्थ (२) शिरोधार्य सवासण स्त्री० सुहागिन; सुवासिनी सवासो (सॉ) पुं० सवासी; १२५ ४९९ सहकारी मंडळी सविस्तर वि० विस्तारयुक्त; विस्तृत (२) अ० सविस्तर; ब्योरेके साथ; तफ़सीलवार सवे (वॅ) अ० ठिकाने पर ठीक रास्ते पर; व्यवस्थित ( २ ) वि० अच्छा; रूरा; उत्तम । [ - करवुं = छिपा देना (२) नियत स्थान पर रख देना; ठिकाना लगाना (३) मार डालना; ठिकाने लगाना । —पडयं = अनुकूल होमा (२) ठिकाना लगना; प्रबंध होना; नौकरीपेशेमें लगना (३) नियत स्थान पर पहुँचना | लाववुं = काममें लेना; इस्तेमाल करना ( २ ) ठीक रास्ते पर लाना; सुधारना. ] [ पहले; आगे सवेळा अ० समय पर; नियत समयसे सवैयो पुं० एक छंद; सवैया सव्यापसव्य वि० बायाँ - दायाँ (२) झूठ-सच ससणबुं अ० क्रि० देखिये 'सणसणवु'ससणाट पुं० देखिये 'सणसणाट' ससणी स्त्री० सन - सन; सनसनाहट ( २ ) बच्चोंका एक रोग; हब्बा-डब्बा ससरो पुं० ससुर, श्वसुर ससली स्त्री० खरगोश (मादा) ससलुं न० खरगोश; खरहा ससलो पुं० खरगोश (नर).. सस्तुं वि० सस्ता; अल्प मूल्यका (२) [ला. ] बेवक़अंत; तुच्छ । [-पडवं कीमत में सस्ता लगना या आना । मूक = सस्ता लगा देना; सस्ता बेचना. ] सहकार पुं० सहकार ( २ ) आम; सहकार सहकारी वि० सहकारयुक्त (२) सहकार करनेवाला या सहकारसे चलनेवाला; सहकारी (३) पुं० सहायक ; सहकारी सहकारी मंडळ न०, सहकारी मंडळी "स्त्री० सहकारी समिति Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only - Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सहज सहज वि० सहज; साथ-साथ जन्मा हुआ (२) प्राकृतिक; कुदरती; सहज (३) आसान; सरल (४) अ० अकारण; व्यर्थ ; योंही (५) स्वाभाविक ढंगसे; सामान्यतः (६) आसानीसे सहजबुद्धि स्त्री० स्वाभाविक बुद्धि या प्रेरणा; सहजज्ञान; 'इंस्टिक्ट' सहमत वि० सहमत; एकराय सहमती स्त्री० एकवाक्यता; एकमत होना सहवास पुं० साथ रहना ; सहवास ( २ ) सुहबत; साथ- संबंध (३) अभ्यास ; मुहावरा ; मश्क़ सहबासी वि० साथ बसनेवाला; सहवासी (२) परिचित (३) अभ्यस्त ; आदी सहशिक्षण न० सहशिक्षा सहाय स्त्री० सहाय; मदद; सहायता सहाय पुं० सहाय; साथी; मददगार सहायभूत वि० जो मददगार हो सके; सहायक बना हुआ सहायवृत्ति स्त्री० परस्पर सहायता करनेकी (प्राणीकी) सहजवृत्ति सहारो पुं० सहारा; आश्रय; आधार सहियर स्त्री० सखी; सहेली सहियाएं वि० जिसमें भाग, हिस्से हों; भागी साझेका ( काम, जायदाद आदि) (२) संयुक्त ; मुश्तरका (३) न० साझेदारी; पट्टीदारी , सही स्त्री० सही; हस्ताक्षर ; दस्तखत (२) वि० सही; खरा; सच्चा ( ३ ) अ० निश्चित; पक्का, सही; मंजूर ; स्वीकृत । [ -करवी = हस्ताक्षर करना ( २ ) स्वीकृत करना; मंजूर रखना । -कर = पक्का करना; मुहर लगाना; निश्चित करना । - = सिद्ध होना; सफल ५०० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सळक होना । - होवुं = क़बूल-मंजूर होना; स्वीकृत होना (२) खरा, सही होना. ] सही स्त्री० सखी; सही [ प . ] सहीपणुं न० सखीका नाता; बहनापा सहीसलामत वि० निर्विघ्न ; सहीसलामत; सुरक्षित; निरापद (२) अ० सलामत; सहीसलामत [ सलामती सहीसलामती स्त्री० सुरक्षितता; सह वि० सब; सर्व सहूलियत स्त्री० सहूलियत ; आसानी सहृदय वि० सहृदय; दूसरोंकी भावना या मनोभावों को समझनेवाला; कोमलचित्त (२) दयालु; सहृदय ( ३ ) रसिक; सहृदय सहेज (स्हे) वि० अल्प; थोड़ा; तनिक ( २ ) अ० देखिये 'सहज' [ जरासा; कुछ सहेजसाज (स्हे) वि० (२) अ० थोड़ासा; सहेजे (सह) अ० आसानीसे; सरलता से सहेल (स्) वि० सरल; आसान; सहल (२) स्त्री० मनबहलाव के लिए भ्रमण; सैर (३) मनकी मौज; आनंद सहेलगाह (स्हॅ) स्त्री० सैर करना; मौज उड़ाना या उसका स्थान; सैरगाह; रमणीय स्थान - सहेलाई (स्हॅ) स्त्री० आसानी; सुगमता सहेलाणी ( स ) वि० (२) पुं० सैलानी; आनंदी; मनमौजी सहेलं (स्) वि० आसान; सहल सहेलुंसट (सह) वि० बिलकुल आसान सहेवायुं (स्हें) अ० क्रि० 'सहेवुं' का कर्मणि; सहा जाना [ बर्दाश्त करना सहेवं (स्) स०क्रि० सहना; झेलना ; सह्यभेव पुं० कर्मवाच्य [व्या. ] सळ पुं० सिलवट ; शिकन; सलवट ( २ ) छड़ीकी चोटका दाग़; साँट सळक स्त्री० शूल (दर्द) For Private and Personal Use Only Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सळकरी ५०१ संकेल सळकरी स्त्री० छोटी तीली; सलाई; उभारना; उत्तेजित करना (२) शलाका (२) [ला. उकसाहट;उत्तेजन । चिढ़ाना; खिझाना(३)चिढ़ानेके लिए [-करवी-उभारना; उत्तेजित करना.] उँगली आदिसे छूना; छेड़ना.] सळकर्ड न० शलाका; छोटी सलाई. सळेखम न० जुकाम सळकवं अ०क्रि० जरासा हिलना; कुल- सळो पुं० घुनना; कीड़े लगना बुलाना (२) खानेकी तीव्र इच्छा होना; संकडामण (-णी) स्त्री० जगहकी तंगी; होका होना (३) शूल उठना संकीर्णता; कुशादगीका न होना (२) सळको पुं० देखिये 'सळक' (२) तीव्र मुश्किल ; संकट [प्रेरणार्थक इच्छा; लालसा [जलना संकडाव स० क्रि० 'संकडावु' का सळगवं अ०क्रि० सुलगना; सिलगना; संकडावं अ०क्रि० सिमटना; सिकुड़ना; सळवळवू अ० क्रि० जरा-जरा हिलना; तंग जगहमें दबना(२)जगहकी संकीर्णता अंगड़ाई लेना;कुलबुलाना(२)शरीर पर सहन करना (३)संकट, भीड़ पड़ना; कीड़ा रेंगनेकासा भाव उत्पन्न होना(३) संकटमें फंसना [ला.] कुछ करनेके लिए आमादा, तत्पर हो संकडाश स्त्री० तंगी; संकीर्णता;जगहकी जाना [बुलाहट तंगी (२) संकट; मुश्किल तळवळाट पुं० हिलना-डुलना; कुल संकल्प पुं० संकल्प; इरादा; इच्छा; प्रयो जन (२) निश्चय; संकल्प (३) कोई सळवं अ०क्रि० धुन द्वारा खाया जाना; घुनना; घुन लगना धार्मिक कृत्य करनेकी प्रतिज्ञा; संकल्प सळंग वि० जिसमें जोड़ न हो; जो (४) कल्पना; विचार; संकल्प; तर्क। बीचमसे जुड़ा हुमा न हो; अखंड; [-ऊठवो=कल्पना उठना;जीमें आना; अटूट; अविच्छिन्न (२) अ० लगातार; धुन बंधना। -करवो-निश्चय करना; बराबर; बिना रुके ठानना (२) प्रतिज्ञा करना; नियम सळंगसूत्र विक्रमबद्ध; सिलसिलेवार; बनाना। मूकवो प्रतिज्ञा लेना(२) अविच्छिन्न ; एक सूत्र में जोड़ा हुआ निश्चय करना (३)आशा छोड़ देना.] सळियो पुं० छड़ (धातुका); सीखचा; संकळावं अ०क्रि० 'सांकळवू'का कर्मणि, लोहेकी तीली संकलित होना; संलग्न होना; (जंजीरसळी स्त्री० शलाका;सलाई।[-आपवी के आंकड़ोंकी तरह)जुड़ा हुआ होना = उभारना; उकसाना। -करवी% संकेत पुं. पहलेसे की हुई गुप्त योजना नटखटी करना; छेड़ना.] (२) इशारा; इंगित; चिह्न; संकेत (३) सळीसंचो पुं० [ला.] भले-बुरे उपाय; संकेत स्थान; संकेत (४) शर्त ; संकेत युक्ति-प्रयुक्ति (२)उकसाहट उत्तेजना (५)संकेतवाक्य ; सांकेतिक शब्द [व्या.] सळेकडी स्त्री०, (-1) न० देखिये संकेल, सक्रि० समेटना; बटोरना; 'सळकडी आदि तह करके रखना (जाजिम आदि); सळेखी स्त्री० देखिये 'सळकडी' सकेलना [प.] (२)बंद करना; सकेसळेलई न० देखिये 'सळकडु' ।[-करवं रना [प.] For Private and Personal Use Only Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकोच ५०२ संघरवं संकोच पुं० संकोच; तंगी; कमी; संकी- संगठन न० संघटन; संगठन र्णता (जगह, चीज़ आदिकी) (२) संगति स्त्री. संगति; संयोगः मिलन हिचकिचाहट; झिझक ; संकोच (३) (२) मेल; संगत (३) साथ; सोहलज्जा; शर्म; संकोच (४) मुंदना; बत; संगति (४) पूर्वापर संबंध (५) बंद होना (नेत्रका);संकोच (५) भय 'सिमेट्री'; संगति संकोचवू सक्रि० मूंदना; सिकोड़ना संगतिदोष पुं० सुहबतका बुरा असर (२) मर्यादित करना, संकुचित करना; संगाथ पुं० संग; साथ; मार्गका साथ सिकोड़ना संगाथी वि० (२) पुं० साथी; संगी; संकोधावं अ०क्रि० 'संकोच'का कर्मणि, हमराह [पुं० साथी, सुहबती, संगी संकुचित होना; मुंदना; सकुचाना [प.] संगी वि० साथ करनेवाला; संगी(२) (२)झिझकना हिचकना सकुचाना[प.] संगीन वि० संगीन; पत्थरका बना संकोड, स० क्रि० संकुचित करना; हुआ(२)मजबूत; संगीन (३)स्त्री० सिकोड़ना; (२) बटोरना संगीन; 'बेयोनेट' संकोरणी स्त्री० उकसानेकी क्रिया संगमरमर पुं० संगमरमर [[प.] संकोर, स० क्रि० घुसाना; आगे सर संग्रह सक्रि० संग्रह करना; संग्रहना काना; उकसाना; ज्यादा घुसेड़ना संग्रहस्थान, संग्रहालय न० अजायबघर; .(२)प्रज्वलित करना; भड़काना (३) उकसाना; उत्तेजित करना (४)देखिये संग्रहस्थान; 'म्यूजियम' 'संकेलधुं' संघ पुं० संघ; समूह; दल (२) तीर्थसंख्याबल (-)न० संख्याओंसे मिलने यात्रियोंका समूह (३) संघटित और वाली या पैदा होनेवाली सम्मिलित व्यवस्थित समूह; संघ; उदा० 'युवकशक्ति; संख्याबल संघ'। [-काढवो = तीर्थ-यात्रियोंका संख्यावाचक वि० संख्यावाचक [व्या.] समूह लेकर चलना (२) (व्यंग्यमें) संख्यावृत्तिवाचक वि० आवृत्तिवाचक (किसीके) पास कुछ नहीं है यह संख्यावाचक (विशेषण); उदा. 'बेवडु' जताना; पोल खुल जाय ऐसा करना संख्यासमूहवाचक वि० समूहवाचक (३) ढोंग रचना। -काशीए जवो, संख्यावाचक (विशेषण); उदा० 'पंचक, पहोंचवो= इच्छित प्रयोजनका सिद्ध सैकुं व्या.] होना; काम होना.] संख्यांशवाचक वि० अपूर्णाकबोधक संघबळ न० संघशक्ति • संख्यावाचक (विशेषण); उदा० अधु' संघरणी स्त्री० संग्रहणी संग पुं० संग; संयोग; मिलन (२) संघरवं अ० क्रि० जमा करना; एकत्र संपर्क; संबंध; संग (३) सुहबत; करना; संग्रह करना ; संग्रहना [प.] संगति; साथ; संग (४) आसक्ति; (२) हिफ़ाजतसे रख छोड़ना (३) संग (५) मैथुन ; संगति किसीको अपने अंदर समाविष्ट करना; संगटो पुं० मिश्रण; संयोग; मिलावट अपनाना; मिलाना; रखना For Private and Personal Use Only Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संदर्भ संघराखोर ५०३ संघराखोर वि० ज़रूरतसे ज्यादा संग्रह संचो पुं० यंत्र; कल (२) देखिये 'संच' करनेकी वृत्तिवाला; संग्राहक ; परिग्रही (३) स्टव संघराखोरी स्त्री० संग्राहक-वृत्ति संचोरो पुं० पापड़ाखार संघरो पुं० संग्रह; संचय; परिग्रह संजाप(-ब) पुं० संजाफ़; गोट; किनारा संघाडियो पुं० खरादी संजीवन न० पुनर्जीवित करना;संजीवन संघाडो पुं० खराद संजीवनी स्त्री० संजीवनी (औषधि) संघात पुं० साथ; संग (२) जमाव; भीड़; (२) संजीवनी-विद्या जत्था; समूह; संघ (३) आधात; संजोग पुं० संयोग; संजोग; मिलन पीटना; संघात (४) अ० साथ ; संग; (२) दैवयोग; संयोग; इत्तफ़ाक़ (३) सहित ; उदा० 'कोनी संघात गयो?' परिस्थिति संघाती वि० (२) पुं० साथी; संगी संजोगवशात् अ० दैवयोगसे ; इत्तफ़ाक़न् संघाते अ० साथ; संग. संडास पुं०.; न० संडास; पाखाना संघेडो पुं० देखिये 'संघाडो'; खराद संडोव, सक्रि० शरीक करना; फंदेमें संच पुं० गुप्त पेचदार रचना या बनावट लाना; घसीटना; फाँसना (२) दीवार या पिटारी आदिमें बनाया संडोवावं अ०क्रि० संडोव' का कर्मणि हुआ गुप्त खाना या आलमारी संत वि० साधु; पवित्र (२)पुं०संत;साधु संचरवू अ० क्रि० चलना; चलता बनना; संतति स्त्री० संतति; बाल-बच्चे; संचरना [प.](२)भीतर घुसना;व्याप्त औलाद (२) फैलाव; विस्तार; संतति होना;फैलना(३)सक्रि० संचय करना; (३)परंपरा; अविच्छिन्नता; संतति संचना [प.] (४) खपरैलोंकी फेरवट संततिनियमन न० संतति-निरोध करना [मेहनताना संतरं न० संतरा संचरामण न०,(-णी) स्त्री० फेरवटका संतलस स्त्री० गुप्त मंत्रणा; मसलहत संचराव, सक्रि० 'संचर' का प्रेरणा- संताकुकडी स्त्री० एक . खेल; आँखर्थक (२) फेरवट कराना मिचौनी करना संचवें सक्रि० इकट्ठा करना; जमा, संताडवू स० क्रि० छिपाना; आड़में संचय करना;संचना[प.](२)गड्ड बनाना संतापवं स० क्रि० पीड़ा, कष्ट देना; संचळ पुं० संचल ; सोंचर नमक; काला सताना; संतापना [प.] नमक संताएं अ० क्रि० छिपना; छुपना संचार पुं० फैलना;प्रसार; संचार (२) संतोखq स० क्रि० संतुष्ट करना; राजी चलाना ; आगे बढ़ाना;प्रेरणा करना; करना वजन संचार (३)गमन; संचार; भ्रमण (४) संतोलो पुं० बारदानके साथका कुल सूर्यका दूसरी राशिमें प्रवेश; संचार संत्री पुं० संतरी; पहरेदार; संत्री। संचारवं स० क्रि० खपरैलोंकी फेरवट, संदर्भ पुं० संदर्भ ; मनका आदि पिरोना; फेरोरी करना (२) डालना; सींचना व्यवस्थित करना (२) एकत्र करना; संचारो पुं० फेरवट करनेवाला संकलन करना; संदर्भ (३)आगे-पीछेके For Private and Personal Use Only Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संदर्भग्रंथ अर्थका संबंध; संबंध-निर्वाह; संदर्भ (४) रचना (५)प्रबंध, निबंध आदि ग्रंथ; संदर्भ [रेफरन्स' संदर्भग्रंथ पुं० आकर ग्रंथ ; 'बुक ऑव संदेश पुं० संदेश; खबर; संवाद. संदेशरो पुं० पुन्नाग पेड़; सिद्धेश्वर । संदेशो पुं० देखिये 'संदेश'; खबर संदेह पुं० संदेह; शंका; वहम (२) एक अर्यालंकार; संदेह । [-आणवो, १ लाववो = संदेह करना। -पडवो, मां पडवंशक पड़ना; शंका होना.] संघाडवं स० क्रि० दो चीज़ों, टुकड़ोंको एक दूसरेके साथ चिपकाना, मिलाना, सीना आदि; जोड़ना; टांकना संधि पुं०; स्त्री० संधि; संयोग; मेल (२) वह जगह जहां दो चीजें या दो टुकड़े जुड़ें; संधिस्थान; जोड़ (३) सुलह; संधि; मेल; समझौता (४) ज़रूरतका वक्त; अड़ी; परिवर्तनकाल (५) युगांत-काल; संधि (६) संधि [व्या. (७) नाटककी एक संधि (८) सेंध; संधि संधिकाळ पुं० दो युगों या विशिष्ट कालों के बीचका समय,युगांत-काल,संधिवेला संधिवा पुं० गठिया; संधिवात संधू वि० सब; सारा संघे अ० सर्वत्र; सब जगह संप पुं० ऐक्य; मेल संपवू अ.क्रि० मेल करना; एका करना - संपाडवू स० क्रि० प्राप्त करना; पाना संपी (लं) वि० मेल-जोलवाला; मिलनसार; मेली संपेटवू स० क्रि० देखिये 'समेटवू' संपतरं न किसीको पहुँचानेके लिए सौंपी गई चीज़ संभाळ संबंध पुं० संबंध; योग; मेल; संपर्क संयोग; संग ; संसर्ग (२)मँगनी; सगाई (३)मैत्री; परिचय; संबंध; पहचान; रिश्ता (४)छठा कारक; संबंध[व्या.] । [-जोडवो, बांधवो = नाता जोड़ना.] संबंधी वि० संबंधी; से संबद्ध ; संबंध रखनेवाला (२) रिश्तेदार; 'सगा; संबंधी (३)अ०के बारेमें, विषयमें संबो पुं० समूह; समुदाय; समवाय संबोषवं स० क्रि० संबोधन करना; को लक्ष्य करके बोलना (२) समझाना; संबोधना [प.] संभव पुं० संभव; शक्यता; मुमकिन होना; संभावना (२) मूल; कारण; हेतु; संभव (३) उत्पत्ति; जन्म; संभव । [-यवो पैदा होना; उत्पन्न होना। -होवो %= मुमकिन होना; शक्य होना.] संभव अ०क्रि० उत्पन्न होना; बनना; संभवना प.] (२) हो सकना; संभव होना; संभवना [प.] संभळाव, स० क्रि० 'सांभळवू' का प्रेरणार्थक ; सुनाना(२)प्रत्युत्तर देना; खरी-खोटी सुनाना या गाली देना; सुनाना [सुना जाना संभळावू अ०क्रि० 'सांभळवू' का कर्मणि, संभार पुं० संभार; साज-सामान; उपकरण (२) सरकारी या अचारमें भरनेका मसाला संभारणुं न यादगार; निशानी संभार स० क्रि० याद करना; स्मरण करना; सँभारना [प.] संभारियुं वि० मसाला भरा हुआ (२) न० मसालाभरी तरकारी संभाळ स्त्री० संभाल ; देख-रेख; खबर (२) पोषणादिका भार; पालन; For Private and Personal Use Only Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संभाळवं रक्षी सार-संभाल । [ नीचे = -की देखरेख में ( २ ) - के आश्रयमें, शरणमें । - राखवी, लेवी = संभालना; रक्षा, 'पालन करना; खबर लेना; रोक-थाम करना. ] संभाळवं स० क्रि० सँभालना; रक्षा करना; हिफ़ाज़तसे रखना; जतन करना; देख-भाल करना (२) (किसी कामका) भार उठाना; ज़िम्मे लेना; चलाना; निबाहना (३) अपनेको ज़ब्त करना; संयत करना; सँभालना (४) अ० क्रि० सँभलना; सावधान या होशियार रहना; बेखबर न रहना; चोट आदिसे बचाव करना संमत वि० सम्मत; सहमत ( २ ) माना हुआ; स्वीकृत; पसन्द; सम्मत संमति स्त्री० सम्मति; सहमति; स्वीकृति; अनुमति संमान न० सम्मान; आदर-सत्कार ( २ ) प्रतिष्ठा; गौरव संमानकारिणी वि० स्त्री०, संमानकारी वि० सम्मान करनेवाला; आदरसत्कार करनेवाला संमानित वि० सम्मत; माना हुआ (२) सम्मानी; जिसमें सम्मानका भाव हो संमान्य वि० सम्मान्य; आदरणीय संमिश्रण नं० सम्मिश्रण; मिलावट संमुख वि० सम्मुख; जो सामने हो ( २ ) - की ओर प्रवृत्त; अभिमुख; सम्मुख ( ३ ) अ० सामने; समक्ष ; सम्मुख संयुक्त वि० संयुक्त ; जुड़ा हुआ; मिला हुआ; संबद्ध (२) अनेकोंने मिलकर किया हुआ संयुक्तक्रियापद न० संयुक्त क्रिया ५०५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संसार संयोग पुं० संयोग ; मिलन; मेल (२) संबंध; संयोग (३) समागम; साथ; संगति ( ४ ) मिश्रण; संयोग ( ५ ) परिस्थिति [ भूडमरूमध्य संयोगी भूमि (मी) स्त्री० संयोगभूमि; संवत पुं० संवत्; विक्रम संवत् ( २ ) उसका कोई भी वर्ष ; संवत् संवनन न० संवनन; वशमें करनेकी क्रिया ( २ ) प्रेम करना; प्रेम करके वशमें करनेका यत्न संवर स०क्रि० ढकना; व्याप्त करना; छिपाना (२) समेटना; बटोरना (३) रोकना ; निग्रह करना सवाल संवाद पुं० संवाद; वार्तालाप ; जवाब; बातचीत (२) चर्चा; संवाद; बहस ( ३ ) मेल होना; एकता ( ४ ) सहमति; संवाद एकराय होना संशय पुं० संशय; संदेह; शक ( २ ) दहशत; भय 嘴 संशोधक पुं० आविष्कारक; नयी खोज करनेवाला ( २ ) शुद्ध-साफ़ करनेवाला; संशोधक संशोधन न० संशोधन; शुद्धि ( २ ) खोज; शोध; अन्वेषण; आविष्कार संशोधवं स० क्रि० संशोधन करना संसार पुं० संसार; जगत्; दुनिया; सृष्टि ( २ ) मायाजाल ; लौकिक प्रपंच; संसार ( ३ ) आवागमन; जन्म-मरण; संसार (४) गृहस्थी ; संसार । [ -तरवी - दुनियादारीके व्यवहारमें से पार उतर जाना ( २ ) पार उतरना; भवबंधन से छुटकारा पाना; तरना । नो वा वावी = संसारके दूसरे लोगों की तरह आचरण करने लगना; दुनियाके तौर-तरीके अपना लेना; दुनिया For Private and Personal Use Only है Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संसारव्यवहार ५०६ सागमटुं दारीकी हवा लगना। -मांडवो, मां साकटी(-ठी)स्त्री०,(-)न०,(-टो) पडवू = शादी करना; घर बसाना.] पुं० सागौनका लंबा मोटा बल्ला संसारव्यवहार पुं० दुनियादारी साकर स्त्री० मिसरी। [-पोरसवी, संसारसुधारो पुं० सामाजिक सुधार; वाटवी, ना रवा पीरसवा, वाळी जीभ समाज-सुधार करवी = चापलूसी, खुशामद करना.] संसारी वि० संसार-व्यवहार-संबंधी; साकरियो पुं० फूलके मधुका टपकना; सांसारिक, दुनियादारी-संबंधी; संसार परागका चूना (२) चीनी चढ़ाया का (२) दुनियादार; लोकव्यवहारमें हुआ चना चिना कुशल ; संसारी (३) संसारमें फँसा साकरियो चणो पुं० चीनी चढ़ाया हुआ हुआ; दुनियादार; संसारी साक्षर वि० (२) पुं० साक्षर; पढ़ासंस्कार पुं० संस्कार; शुद्ध-साफ़ लिखा; शिक्षित (३) शिक्षित; विद्वान करना (२) सुधारना; संस्कार (३) (४) लेखक; साहित्यकार सजाना; संस्कार(४)वासनाओं, कर्मों साक्षरी वि० साहित्यकार-संबंधी (२) आदिकी मनपर पड़ी हुई छाप ; संस्कार कठिन शब्दार्थवाली (रचना) (५) शिक्षा, उपदेश, संगति आदिका साक्षी पुं० (अपनी) आँखों देखनेवाला; मन पर पड़ा हुआ प्रभाव ; संस्कार(६) साक्षी (२) गवाह; साक्षी पूर्वजन्मके कृत्योंका फल; संस्कार साक्षी स्त्री० साक्षी; साक्ष्य'; गवाही; (७) अंत्येष्टि क्रिया; मृतक-कर्म; गवाहका बयान । [-आपबी, पूरबी = संस्कार(८)द्विजातियोंके शास्त्रविहित गवाही देना (२) समर्थन करना.] १६ कृत्य ; संस्कार (९)पढ़ाई; शिक्षा। साक्षीदार पुं० गवाह; साक्षी [-करवो-शुद्ध करना (२) सजाना; साक्षीभूत वि० साक्षीभूत; जिसने स्वयं व्यवस्थित करना । माथे संस्कार वीतवा देखा हो = सिरपर आफ़त आना; संकट आना.] साख स्त्री० साख; गवाही; साक्षी संस्थान न० छोटा राज्य; रियासत साख स्त्री० डालका पका हुआ फल; (२) उपनिवेश; 'कोलोनी' टपका (आम) संस्थानवासी वि०(२)पुं० उपनिवेशमें साख स्त्री० चौखटके आधार पर बसनेवाला, उपनिवेशवासी, उपनिवेशी लगनेवाली दो खड़ी लकड़ियाँ; साह संहरवू स० क्रि० एकत्र करना; संग्रह (२) [ला.] आँगन; चौक करना; संहरण (२)लोटा लेना (मंत्रसे साखप(-पा)डोशी पुं० हमसाया,पड़ोसी बाण आदि); संहरण (३)नाश, संहार साखी स्त्री० दो चरणोंका एक प्रकारका करना; संहारना [प.] दोहा या पद, साखी (२) गज़ल, लावनी साइकल स्त्री० साइकिल'; बाइसिकिल या गरबीमें आनेवाली स्वर आलापकर साईस पुं० साईस गायी जानेवाली छोटी पंक्तियाँ साकटम वि० सारे कुनबेको-सपरिवार साग पुं० सागौन; सागवन दिया हुआ (न्योता) सागमटुं वि० देखिये 'साकटम For Private and Personal Use Only Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सागरीत सागरीत (-ब) पुं० पुठवाल; साथी (खासकर बुरे कामोंमें सहायक ) सागवान न० सागौनकी लकड़ी सागुचोखा, सागुदाणा पुं० ब० व० सागूदाना, साबूदाना [ बरीका चूना सागमेळ पुं० छाना हुआ बारीक चूना; साच न० सत्य साचकलुं वि० साँचला; सत्यवादी; ईमानदार, सच्चा, निष्कपट साचमाच वि० सच्चा यथार्थ; ठीक (२) अ० सचमुच वस्तुतः सावण (पी) स्त्री०, ( - जं) न० सँभाल; देखभाल ; रक्षा; पालन-पोषण साचव स० क्रि० सँभालना; रक्षा करना; पालन करना; व्यवस्था करना साचाई स्त्री० सचाई ; सत्यता, सच्चापन साचाबोलुं वि० सच बोलनेवाला; सच्चा साधुं वि० सत्य; सच ; खरा; जैसा हो वैसा (२) सच्चा विशुद्ध; खरा; असली; जो नक़ली न हो; उदा० 'साधुं मोती' (३) सच बोलनेवाला; सच्चा ( ४ ) वचन पालनेवाला, सत्यवादी साचंजठं वि० झूठ-सच सच - झूठ (२) न०उकसाना; उभारना । [साचां जूठां करवां = झूठ-सच जोड़ना; उभारना . ] साचे अ० सचमुच वाक़ई; निस्संदेह (२) उचित रीतिसे; यथार्थतः साचेसाचुं वि०बिलकुल सच; यथार्थ साज पुं० साज़;सामान; आवश्यक सामग्री (२) सिंगार; वस्त्राभूषण; सजावटकी सामग्री ; साज़ (३) घोड़ेको सजानेका सामान; साज । [ -मांडवी = घोड़ेको सवारीके लिए तैयार करना. ] साजन ( ० महाजन) न०, साजनिया पुं० ५०७ साटे ब०व० वरयात्रामें शामिल होनेवाले लोग; बराती साजसरंजाम, साजसामान पुं० साजसामान; आवश्यक चीज़ - वस्तु साजिदो पुं० साज बजानेवाला,साजिदा; सपरदाई (तबलची या सारंगिया ) साजीखार पुं० सज्जीखार; सज्जी साजुं वि० तंदुरुस्त ; स्वस्थ ; चंगा ( २ ) जो टूटा हुआ न हो; साबित; साबूत; अखंड [ भला-चंगा साजुंतागुं वि० ताज़ा और निरोगी; साजुंसम, साजूंसमुं वि० तंदुरुस्त; निरोगी (२) बिलकुल साबित; जो जरा भी टूटा हुआ न हो; अखंड साटको पुं० चमड़े की पट्टी बाँधकर बनाया हुआ चाबुक या कोड़ा; सटाकी साटमारी स्त्री० देखिये 'साठमारी' साटवबुं स०क्रि० मूल्य ठहराना; लगाना (दाम) (२) खरीदना (३) शर्त, इक़रार, प्रतिज्ञा करना [ लेना साटवं स०क्रि० मूल्य ठहराना (२) मोल साटाखत न० प्रतिज्ञापत्र ; इक़रारनामा साटतिखडां न० ब० व० कन्याके बदलेमें कन्या देनेका व्यवहार या बिरादरी के तीन व्यक्तियोंका आपस में कन्याका लेन-देन करनेका व्यवहार साटी स्त्री० शर्त : प्रतिज्ञा; वादा; उदा० 'तें रमतमां दान आपवानी साटी करी हती' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साटुं न० प्रतिज्ञा; क़ौल ; शर्त ; क़रार ( २ ) मूल्य ठहराना (३) पेशगी ; बयाना (४) मालके बदले में माल या कन्याके बदलेमें कन्या देना (५) बदला; मुआवजा सातेखडुं न० देखिये 'साटांतेखडां' साटे अ० बदलेमें; एवज़में For Private and Personal Use Only Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साटोग ५०८ सायवो साटोडी स्त्री० पुनर्नवा; गदहपूरना; पीq = खूब सोच-समझकर कदम साटी (वनस्पति) उठाना। पांच थवी, वीतवीपेटमें साटोडीमूळ न० पुनर्नवाका मूल हड़बड़ी पड़ना; बहुत घबराना (२) साटोडो पुं० एक वनस्पति मुसीबत आ पड़ना; आसमान टूटना। साठ (8,) वि० साठ; ६० -पेढी उथलाववी, -पेढीना चोपडा साठमारी स्त्री० जंगली पशुओंको उकेलवा=बीती हुई बातें निकालकर उकसाकर लड़ानेका तमाशा (२) गालियाँ देना; गड़े मुर्दे उखाड़ना; बहुत लड़ाई; टंटा ला.] निंदा करना; पानी पी-पीकर कोसना । साठी स्त्री० साठ सालकी आयु; -फेरा गरज होवी = कोई चारा न बुढ़ापा (२) साठ वर्षका अंतर, समय होना; अत्यंत गरजमंद होना। -मण ने या अवधि । [साठे हाथ घालवा = खूब सवाशेर- काळजु = पत्थरकी छाती; बूढ़ा हो जाना; सठियाना.] घोर संकट में भी न डिगनेवाला दिल: साठी स्त्री०साठ दिनमें पकनेवाला एक मज़बूत दिल (२)खूब सावधान । साते धान या ज्वार; साठी (धान) अवतार = जन्मजन्मान्तरमें । साते साडनीश (-स) वि० सैंतीस; ३७ घोडे साथे चडq=एक साथ अनेक फ़र्ज़ साडलो पुं० स्त्रियोंकी धोती; साड़ी अदा करनेका जिम्मा लेना.] [खेल साडा (ड') वि० आधेके साथ; साढ़े। सातताळी स्त्री० दौड़कर खेलनेका एक [-त्रण घडीनुं राज = क्षणिक सुख या सातभाई पुं० सातभाई;सतभइया (पक्षी) सत्ता; चार दिनकी चाँदनी। -सात सातम स्त्री० सप्तमी (तिथि) वार परवडवू = ठीक पुसाता होना.] सातमुं वि० सातवाँ । [सातमे आसमाने साडाबार (डा')स्त्री० [ला.ग़रज़; परवा जवू, चडवू, पहोंचवू = मिजाज सातवें साडी (डी') वि० देखिये 'साडा' । आसमान पर होना; बहुत घमंड बढ़ साडी स्त्री स्त्रियोंकी कीमती धोती (२) जाना.] स्त्रियोंकी धोती; साड़ी सातवो पुं० सत्तू; सतुआ साडीबार (डी')स्त्री०देखिये 'साडाबार' सातळो पुं० एक पेड़; छतिवन; सप्तपर्ण साडीसाती (डी') वि० साढ़ेसाती सातोडियुं न० एक खेल साडु(भाई) (डु') पुं० साढ़ साथ पुं० साथ ; संग ; सुहबत (२) सहसाढ(भाई) (ढु') पुं० साढ़ कार (३) अ० साथ साणकुं न० बड़ा सकोरा (२) भिक्षापात्र साथरो पुं० घासका बिछौना; पयालका साणशी (-सी) स्त्री० सँड़सी बिछौना; साथरी [प.] (२) कुशकी साणसो पुं० सँड़सा (२)पकड़; फँसाव; चटाई; साथरी (३)मरणासन्न व्यक्तिके काबू (३) संकट; मुश्किल [ला.] लिए गोबरसे लीपकर बनाया हुआ सात वि० सात; ७ । [-गळणे गाळवं = चौका। [साथरे सुवाडq=मरणासन्न खूब सोचना; खूब विचार करना;छान- व्यक्तिको चौके पर सुलाना. बीन करना।-गळणे गाळीने पाणी साथवो पुं० देखिये 'सातवो'; सत्तू For Private and Personal Use Only Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सावळ ५०९ साषु सापळ स्त्री० जांघ; रान; ऊरु साधना करनेवाला; तपस्वी ; साधक । सापियो पुं० स्वस्तिक;सथिया[प.][]। [-बाधक कारणो-पक्षकी और उसके [साथिया पूरवा = आँगनमें स्वस्तिक विपक्षकी दलीलें.] आदिमें रंग भरना; चौक पूरना.] साधन न० सिद्ध करना; पूरा करना; साथी पुं० साथी; सहायक; मददगार साधना; साधन (२)साधन; औजार; (२) खेतीके लिए रखा हुआ नौकर सामग्री; उपकरण (३) उपाय; साधन; साये अ० साथ; सहित; सह जरिया; युक्ति (४)तप,संयम,उपासना साथेलागुंअ० साथ-साथ ; एकसाथ (२) आदि ईश्वर-प्राप्तिके साधन (५)हेतु; बिलकुल; तमाम; समूचा साधन साद पुं० आवाज; पुकार; स्वर (२) साधनभूत वि० साधनरूप बना हुआ चीख; चिल्लाहट। [-ऊघडवो % साधनसमृद्धि स्त्री० साधनोंकी विपुलता आवाज खुलना; गला खुलना । -करवो सापनी स्त्री० समतल जाननेका राज= हांक देना; जोरकी आवाजसे बढ़ईका एक औजार; साधनी बुलाना; आवाज़ देना।-देवो जवाब साषवं सक्रि० साधना; सिद्ध करना; देना। नीकळवोआवाज़ निकलना। पूरा करना(२)प्रमाणित करना;साबित -पाडवो= ढिंढोरा पीटना; मुनादी करना; साधना (३)(दव, मंत्र आदिको करना। -बेसवो= गला बैठ जाना.] वशमें करनेके लिए) साधना करना(४) सादर वि० फुटकर (२) सार्वजनिक; अपने अनुकूल करना; वशमें करना; सबके लिए खुला हुआ ['सादडो' साधना (५) शब्दका सिद्ध रूप किन सादर स्त्री०, (-डियो) पुं० देखिये फेरफारोंसे हुआ यह बताना (६) सावरी स्त्री० चटाई (अवसर या मोक्रेसे) लाभ उठाना; सादडो पुं० अर्जुनका पेड़; ककुभ प्राप्ति करना; काम निकालना सादाई स्त्री० सादगी; सादापन साधारण वि० साधारण; मामूली; आम; साईं वि०जिसमें तड़क-भड़क, दिखावा, सामान्य (२) मध्यम; न बहुत, न फ़जूलखर्ची, जटिलता, मिलावट, दंभ कम; औसत दरजेका; सामान्य; न या कृत्रिमता न हो; सादा (२) जिस बढ़िया, न घटिया (३) समान; जो पर रंग, छाप, स्टांप, टिकट या लिखाई सब पर लागू हो; साधारण न हो; कोरा; सादा (काग़ज) (३) साधारण अवयव पुं० समापवर्तक; साधारण (क़द); आसान; सरल। 'कॉमन फेक्टर' ग.] [मावी केव = सादी कैद; कैद महज.] साघु वि० साधु; बढ़िया; उत्तम (२) सावक वि० साधक; कार्यकी सिद्धिमें धानिक; धर्मपरायण; सदाचारी; साधु उपयोगी (२)साधक; सिद्ध करनेवाला (३) [व्या.] शिष्ट; साधु (शब्द; (३) सिद्ध करनेका प्रयत्न करनेवाला भाषा)(४)(समासके अंतमें) सिद्ध (४) मंत्रबलसे भूत-प्रेतादिको सिद्ध करनेवाला; साधक; उदा. 'स्वार्थकरनेवाला;साधक (५)पुं० (मोक्षकी) साधु; तकसाधु' (५)पुं० साधु-पुरुष; For Private and Personal Use Only Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सान साधु ( ६ ) त्यागी ; मुनि; संत ; वैरागी ( ७ ) अ० शाबाश; धन्य; साधु-साधु सान स्त्री० शान; छटा सान स्त्री० इशारा; संकेत; सैन; आँखका संकेत (२) समझ ; अक्ल ( ३ ) स्वमान शान (४) न० रेहन; गिरवी । [ -करवी = इशारे करना; आँखसे संकेत करना । मां कहेवुं = इशारेसे कहना ; सैनसे कहना । -मां मूकवं: गिरवी रखना; रेहन रखना । -मां समजाववुं = इशारेसे समझा देना; थोड़े समझा देना. ] सानी स्त्री० तलते समय ताईमें बचा हुआ चूरा (२) पेरे या कूटे हुए तिलका तेलयुक्त चूरा; तिलकुट ( ३ ) राख; भस्म सानुकूल (-) वि. अनुकूल; सहायक साप पुं० साँप, सर्प । [ - उतारवो = साँप उतारना | काढवो = ( सँपेरेका ) साँप - को तमाशेके लिए बाहर निकालना (२) कामकी धूम में दूसरा काम ले आना या बाधा खड़ी करना । -छे के घो छे = क्या है, यह निश्चित नहीं किया जा सकता । -ना के घोना भणाववा = बहुत तरीक़ोंसे समझाना । -नो भारो = जोखिम; बला; हानिकर, कष्टकर चीज़; साँपोंका सिरपर लिया हुआ पिटारा (२) खूब डाही, ईर्षालु व्यक्ति; साँपका बच्चा । सापे छछूंदर गळवं = सांप-छछूंदरकी गति या दशा होना; द्विविधामें होना . ] सापण (-णी) स्त्री० साँपिन; सांपकी [ सँपोला सापोलियूं न० छोटा साँप (२) पोआ; साफ वि० साफ़ ; स्वच्छ, निर्मल (२) जिसमें मैल न हो; जिसमें काँटे - कंकड़ मादा ५१० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साबू न हों; मँजा हुआ; साफ़ ( ३ ) समतल ; बराबर; साफ़ (४) जिसमें मैल, बुराई, कपट न हो; निर्दोष; साफ़; निष्कपट; साफ़दिल (५) स्पष्ट; दोटूक; साफ़ (६) अ० साफ़, खुले तौरसे; स्पष्ट रूपसे । [ -कर, करी देवूं = उड़ा देना; खर्च कर डालना; कुछ बाक़ी न छोड़ना; साफ़ करना; सब खा-पी डालना (२) मार डालना; सबको ख़तम कर देना; किसीको जीवित न छोड़ना; साफ़ करना. ] साफ साफ वि० बिलकुल साफ़ (२) अ० साफ़-साफ़ ; स्पष्टतः ( ३ ) साफ़ दिलसे साफसूफ वि० साफ़ निर्मल; स्वच्छ ; साफ़-सुथरा ( २ ) स्त्री० सफ़ाई; झाड़पोंछ (३) कामकाजमें सफ़ाई; फुरती; चतुराई, सफ़ाई (४) पुं० डंडकी कसरतका एक प्रकार साफसूफी स्त्री० सफ़ाई; झाड़-पोंछ साफी स्त्री० चिलम पीनेका कपड़ा, साफी. साफी स्त्री० शेखी; बड़ाई (२) वि० बिना कमीशनका ; जिसमें बट्टा, दलाली न मिली हो; केवल ; खालिस साफो पुं० साफ़ा; मुरेठा साबदुं वि० सारा; पूरा ; तमाम ( २ ) सज्ज ; लैस ; तैयार (३.) स्वस्थ ; तनकर साबर न० साबर; साँभर हिरन साबर्राशगडुं, साबर्राशगुं, साबरशींगडुं, साबरशींगुं न० साबरका सींग साबाश (-शी) देखिये 'शाबाश' आदि साबित वि० साबित; सिद्ध; प्रमाणित साबिती स्त्री० सबूत; प्रमाण; सुबूत साबु पुं० साबुन; साबून साबुचोखा, साबुदाणा देखिये 'सागुचोखा' साबू पुं० देखिये 'साबु' For Private and Personal Use Only Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org साबूत साबूत वि० साबित; अखंड ; साबत ; ज्योंका त्यों; दुरुस्त; जिसमें कोई खामी न हो; पूरा-पूरा जीवित ( २ ) संगीन; मजबूत; साबूत साबूती स्त्री० मजबूती; संगीनी ( २ ) सुरक्षितता [अ० आभारके साथ साभार वि० एहसान- आभारसहित (२) साम पुं० स्वामी; पति ( २ ) स्त्री० ( मूसलका लोहेका ) शंब साथ साम पुं० सामवेद; साम (२) साम (उपाय ) सामटुं वि० इकट्ठा; एकसाथ; एकत्र ; सम्मिलित ( २ ) अ० साथ- साथ; एक[ विरोध; मुठभेड़ सामनो (सा') पुं० सामना ; मुक़ाबला ; सामर न० सेमल ; शाल्मली वृक्ष सामसामुं (सा') वि० जो ठीक सामने हो; सम्मुख समक्ष ( २ ) विरुद्ध ; प्रतिकूल; विरोधी ( ३ ) स्पर्धावाला ; हरीफ़, प्रतिस्पर्धी (४) अ० आमने-सामने ; मुक़ाबले में (५) प्रतियोगितामें । [ -आवी जवं = ( लड़नेके लिए) तैयार होना; सामने होना. ] सामसामे (सा') अ० आमने-सामने ( २ ) स्पर्धा, प्रतियोगितामें ५११ सामळ (-ळियो) पुं० श्रीकृष्ण, साँवलिया सामळं वि० साँवला; श्याम सामळो पुं० साँवलिया; श्रीकृष्ण सामान पुं० सामान; असबाब ; चीज़वस्तु (२) साज़ (जीन, लगाम आदि) । [ - नाखवो, भीडवो = ज़ीन कसना . ] सामान्य वि० सामान्य; साधारण; आम; मामूली ( २ ) सबमें पाया जानेवाला गुण या चिह्न समान; सामान्य ( ३ ) न० सामान्य लक्षण सामान्यनाम न० जातिवाचक संज्ञा [व्या. ] Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साम सामापांचम स्त्री० ऋषिपंचमी ; भादों सुदी पंचमी सामावाळियुं, सामावाळं (सा') वि० विपक्षी; शत्रुके पक्षका ; प्रतिपक्षी सामावाळियो (सा') पुं० प्रतिपक्षी; शत्रु सामासामी (सा', सा') अ० एक दूसरेके विरुद्ध; आमने-सामने सामने ( २ ) स्पर्धा में; प्रतियोगितामें । [ -आववुं = मारपीट होना; मुठभेड़ होना; लड़ाई होना ( २ ) स्पर्धा होना. ] सामियानो पुं० शामियाना सामुद्रधुनी स्त्री० दो समुद्रोंको जोड़नेवाली खाड़ी; जलडमरूमध्य सामुं (सा') वि० सामने आया हुआ; सम्मुख मौजूद (२) विरुद्ध ; प्रतिकूल । [ सामां शिगडां मांडवां = लड़नेको तैयार होना; सामने होना; मुक़ाबले पर आना । - आवबुं, जवुं = आगे बढ़कर लेना या स्वागत करना; अगवानी करना । - जोबुं = ख़बर लेना; देखभाल करना (२) का खयाल करना; खयालमें लाना; लिहाज करना; उदा० 'मारा धोळा वाळ सामुं तो जो' (३) नज़र डालना; देखना; इच्छा करना, उदा० ' तेना सामुं तो जोई जो '। - यवुं = सामने होना; धृष्टतापूर्वक जवाब देना ( २ ) मारनेको दौड़ना । - पडवुं = विरुद्ध पक्ष में जाना । —बोलबुं = धृष्टतापूर्वक जवाब देना; विरुद्ध बोलना; मुँह लगना. ] सामे (सा') अ० सामने; रूबरू ; मौजूदगी में (२) आँखोंके सामने; सामने; समक्ष (३) विरोधमें; विरुद्ध । [-आंगळी करवी = निंदा करना । - बारणे = नजदीकमें; पासमें । मोढे For Private and Personal Use Only Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सामेल ५१२ सामाटुं = सामने आकर; रूबरू; मुंह पर.] सारवान पुं० सारबान; ऊँटवान सामेल वि० शामिल ; शरीक सारवार स्त्री० सँभाल; सेवा-टहल सामैयुं न० अगवानी; आगे बढ़कर (२) तीमारदारी लेना या स्वागत करना। सार, सक्रि० श्राद्धकर्म करना; पिंड सामो पुं० एक कदन्न; साँवा देना (२) पिरोना (३) झाड़ना; सायत स्त्री० सायत ; ढाई घड़ी; घंटा गिराना (४)आँजना; आँखमें लगाना सायर पुं० सागर; सायर [प.](२)न० (५) पार लगाना; पूरा करना (६) शराब, ताड़ी आदि पर लगनेवाली सुंदर बनाना; सजाना; पहनना (७) जकात खिसकाना; दूर करना; सरकाना (८) सायंकाल (-ळ) पुं० सायंकाल .. टाँकना; नक़ल कर लेना सायो पुं० साया; छाया; छाँह (२)[ला.] सारस पुं०; न० सारस; लकलक मदद ; आश्रय; साया (३) फ़क़ीरका सारसी स्त्री० सारसकी मादा; सारसी कुरता; चोला सारंग पुं० जहाजका कप्तान; नाखुदा सार वि० अच्छा; बढ़िया; उत्तम (२) (२) उसका साथी; खलासी । पुं० न० सार; सत; कस (३) सारंगी स्त्री० एक तंतुवाद्य; सारंगी भावार्थ ; तात्पर्य ; मथितार्थ (४) [ला.] साराई (-श) स्त्री०अच्छाई; सज्जनता; लाभ; फ़ायदा(५) उमंग; आनंद (६) भलमनसी अच्छा भाव (७) सज्जनता; अच्छाई सारासारी स्त्री० अच्छा मेल या संबंध सारण वि० सारण ; चलानेवाला (२) सारांश पुं० सारांश; तात्पर्य ; मथितार्थ पुं० बावली या कुंएमें से निकाली हुई सारीगम स्त्री०संगीतके सात स्वर या नहर (३)न० अंत्रवृद्धि उनकी लिपि; (संगीतका) सप्तक; सारणगांठ स्त्री० अंत्रवृद्धि; 'हानिया' स्वरलिपि (२) किसी राग या गीतके सारणि(-णी) स्त्री० सारणी; नहर; स्वर; सरगम जल-प्रणाली (२)तालिका; सारणी सारी पेठ(-3) अ० खूब; अच्छी तरह सारणी स्त्री० बुनाईके लिए फन्नीमेसे सार अ० -के लिए; वास्ते ताना पिरोना; कंघी भरना सारं वि० (२)न० अच्छा; मंगलमय%; सारप स्त्री०भलाई; सज्जनता; अच्छाई शुभ; भला (३) सुंदर;अच्छा;मजेदार; सारभाग पुं० अच्छा भाग (२)सारांश भला (४)सारा; समस्त; सर्व (५)अ० सारभूत वि० निष्कर्ष या निचोड़के (जवाबमें) भले; अच्छा; खैर। [(स्त्रीने) रूपमें प्राप्त; सारभूत; साररूप (२) सारा वहाग होवा गर्भ रहना; पेट सर्वोत्तम; सारभूत; साररूप रहना। सारा पगलानुं = नेकक़दम; सारमाणसाई स्त्री० सज्जनता जिसके पधारनेसे शुभ हो। सारो सारवq सक्रि० सार निकालना बहाडोभले दिन; सुखके दिन.] सारवा स्त्री० सारवान् जमीन ; उपजाऊ सारंनरसं, सारंमा वि० भला-बुरा। जमीन [-करवं= यह अच्छा है, यह खराब है For Private and Personal Use Only Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सासह सारेषडं इस प्रकार नुक्स निकालना; जल्दी पसंद न करना। -कहे = उलहना देना; धमकाना (२) निंदा करना; बुरा कहना.] सारेषई न० चावलके आटेका पापड़ सार्वजनिक, ' सार्वजनीन वि० सार्व जनिक; सार्वजनीन साल न० किसी छेदमें ठीक बैठनेवाला सिरा; लकड़ी आदिका पतला सिरा जो सालमें जमकर बैठे; चूल (२)वह जो दुःख देता हो; साल । [-कारलकड़ीके छेदमें ठीक बैठनेवाला सिरा बनाना (२). बाधा दूर करना (३) खतम करना; मार डालना; ठिकाने लगाना। -चालवू = बाधा खड़ी करना; रुकावट डालना.] साल स्त्री० साल; वर्ष (२) फ़सल; पाकका मौसिम (३) सालियाना सालगरेह, सालगीरी स्त्री० सालगिरह; बरसगाँठ सालपोल (-लियु) वि. जो जोडमैसे ढीला पड़ गया हो; ढीला (२)जिसकी चूलें ठीक बैठी न हों; ढीली चूलवाला (३)[ला.]ढीला; बोदा; सुस्त सालम पुं० सालम मिस्री; सुधामूली सालमपाक पुं० सालम मिस्री डालकर बनाया जानेवाला एक पाक (२) मार [ला. सालव, सक्रि० लकड़ीका सिरा अन्य लकड़ीके छेदमें बैठाना; सालना सालवार अ० सालवार; वर्षानुक्रममें सालवारी स्त्री० वर्षानुक्रम (२)घटना ओंको सालवार क्रममें रखना; उनकी - सूची या नोंध 'सालवं अ० क्रि० सालना; चुभना; खटकना (२) दिलमें दुःख होना; खलना; अखरना सरल सालस वि० सीधे स्वभावका; सीमा सालातूल वि० बेसमझ; बेढंगा (२) बेढंगा (३)भोला-भाला; सरल, अल्हड़ सालियान सालियाना सालो पुं० देखिये 'साळो' सालोनी पुं० ढोसेंका डाक्टर; पशुचिकित्सक ; सलोतरी साल्लो पुं० स्त्रियोंकी धोती; साड़ी साब (सा') अ० बिलकुल; एकदम निपट सावकुं वि० सौतेला सावचेत वि० सावधान; सावचेत सावचेती स्त्री० सावचेती; सावधानी; सजगता (२) चेतावनी; तंबीह । सावज पुं० वाद्य (२) सिंह सावष(-पान) वि० सावधान; सतर्क सावरणी स्त्री० झाड़; बुहारी । सावरणो पुं० बड़ी झाड़ सावलं न० सकोरा; शकोरा; शराब सास पुं० श्वास; सांस (२) ला.] प्राण; जीव; साँस (३) दम; जान; सत्त्व। [-आववो = दुरुस्त होना; दोष या विकृतिका दूर होना;सुधरना। -ऊपरयो, थवो = साँस ऊपरको चढ़ना; आसन्नमृत्यु होना। -काढी नाखवो = खूब थका डालना (२) भुरकुस निकालना; कचूमर निकालना। -चालवो जिंदा होना; साँस चलना.] सासरबासो पुं० बिदाके समय बेटीको दिये जानेवाले कपड़े, गहने आदि सासरियुंन० ससुरके पक्षका; ससुराल वाला (२) ससुराल सासरी स्त्री०,(-) न० ससुराल ग. हिं-३३ For Private and Personal Use Only Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सासु स्त्री सासमति या पत्नीकी माता सातुनी स्त्री० सास (मालवाचक साहसकिना पकड़ना थालना साहस नसाहस जोखिमका काम (२) अनितारपूर्ण, बौद्धत्यपूर्ण काम; साहस (३) किसी-असाधारण काम प्रवृत्त होनेकी वृत्ति; साहस; जीवट; ...हिम्मत। [-बेगम साहस करना; जोखिम उठाना.] सहकया स्त्री० साहस या साहसपूर्ण कामोंका वर्णन करनेवाली कहानी; वीरोंकी कथा वादमी; साहसिक साहसबीर पुं० हिम्मतवर, दिलेर साहसिकताहती वि० साहस करनेवाला; साहसिक; साहसी साही, साहस देखिये 'शाही'वादि सहकार, समारी देखिके शाहुकार'; 'शाहुकारी' . . साहुरी स्त्री० देखिये 'शाहुडी'.. .. साहेब पुं०साहिब मालिकस्वामी (२) सरदार; हाकिम; आदरणीय व्यक्ति; साहिब (३) टोपीवाला; यूरोपियन; साहब (४)ईश्वर साहिब . साहेबमेक.पुं० गोरे लोग (खासकर ..अंगरेज) .. . [ष्ठित स्त्री साहेबा स्त्री० साहिबा; सेठानी;प्रतिसाहेबी स्त्री० साहबी ठाट; वैभव (२) मालिकपन; साहिबी साहेबो पुं० स्वामी; वर साहेलो स्त्री० सहेली; सखी मक स्त्री० करघा साळवी पुं० बुनकर समावेली स्त्री० सालेकी पत्नी सम्हल साळी स्त्री पत्नीकी बहन; साली सम् पुं० रंगीन महीन साड़ी को पुं० पत्नीका भाई; साला.. सकिन(०) स्त्री० संकीर्णता; तंगी(२) कठिनाई; मुसीबत मुश्किल ... सांकडं(०) वि० कम चौड़ा; सकरा; तंग (२) मुस्त; संकीर्ण ; कसा हल्स (३) संकुचिढ़:- अनुदार; संकीर्णहृदय। [-परळ = विस्तारमें कम पड़ना; संकीर्णता अनुभव करना, कुशादगीका न होना.] सांकर मांकरे (-) (०,०) म. सिकुड़-सुकुड़कर; सिमटकर; बकुची मारकर 'सांकळ (०) स्त्री० शृंखला; जंजीर; संकल; सांकल; सिकड़ी (२) दरवाजेकी साँकल; कुंडी (३) जमीन नापनेकी १०० फुटकी एक नाप सांकळवं(०) स० कि० (जंजीरकी तरह)जोड़ना; मिलाना; एक दूसरेसे लगाना (२) अ० क्रि० सांकलकी तरह जुड़ना; संकलित होना तांकळियं(०) न० अनुक्रमणिका; विषयसूची सांकळी (0) स्त्री० छोटी कड़ियाँ,छल्ले आदि जोड़कर बनाई हुई लड़ी या जंजीर; 'चेइन' (२) जंजीर जैसा गलेका एक गहना; सिकड़ी सांक (०) न० परका एक गहना; [अंदाजा साको (0) पुं० किसी चीजकी मापका सांस (०) सक्रि० सहना; झेलना (२) क्षमा करना (३) नापना (४) तुलना करना; मिलाकर देखना सातु(०)न० नाप (२)जोतकर खाली छोड़ा हुवा खेत [(व्यापारी) साँचो (0) पुं• एककी संस्थाका संकेत For Private and Personal Use Only Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . CS सगरी)(स्त्री.शमीकी फली संगर [साथ; समस्त;पूरासमूचा सांगोपांग वि० (२)०. अंग-प्रांगोंके सागर (0) अ०कि. चलना,संचना [प.] (२) जाना; विदा होना सांच, (०) सक्रि० संचय करना; इकट्ठा करना; संचित करना। साधाकाम (०) न० यंत्र; कल; मशीन (२)कलका काम; यंत्रकाम (३)यंत्रकी बनावट, कल,'पुरले आदि [ठप्पा सांचो (०)पुं०यंत्र; मशीन (२)सांचा; सांज (०)स्त्री०संध्या; शाम, सशिप.] । [-यवी, पडवी-सांयकाल होना,शोम होना (२) बहुत देर करना ला.] । -पारवी-विलंब करनाकाम खटाईमें डालना;शाम-सुबह करना। सवार= रोज; निरंतर; लगातार.] सांबरे(०) अ० शामको सांजी (०)स्त्री० शामको गानेका लग्न गीत (२) आरती तांजे (०) देखिये 'सांबरे' सांस, सांबरे, सांसी, साँझ देखिये 'सांज आदि [सूखा डंठल ; रहा सांठी(०) स्त्री० अरहर,कपास आदिका सांगे (०) पुं० ज्वार, ईख बादिका गांठदार हरा तना; सांठ (ईखका) सांशी, सांसी, सारसो (.) देखिये 'साणशी' मादि आदमी,साडला.] साह (0) पुं० सांड़ (२) मतपेफ़िक सांड (,) स्त्री० सांड़नी; ऊँटनी सांदनी (०) स्त्री० साड़नी सांठियो (०) पुं० देखिये 'सांड' पुं० सांडगे (0) पुं० एक जंतु; सांडा.." सांस (.)स.क्रि. पी या तेलमें तलना या सेंकना सांती(.)स्त्री०एक हलसे जोती माय उतनी उमीन; जोत (२) न० देखिये 'सांतीहूं' सांतीषु (०) न० हल; सीर सांतलं (.) न लको जोतने में प्रयुक्त एक प्रकारका जुगासांच(थ,) स्त्री मीनके मालिकको लगानके रूपमें ठहराई हुई शर्त पर अनाज या रुपयोंमें मिलनेवाला उपजका भाग; बटाई; गल्लई। सांये आपाईमूक = जमीन जोतने के लिए देना जिसमें मालिकको लगानके रूप में उपजका नियत हिस्सा मिले. सायq (०) सक्रि० बटाई पर खेत जोतनेको देना साथियो, सांयी, सायोगे पुं० पट्टे पर जमीन जोतनेवाला काश्तकार:असामी सांय (०ध;) स्त्री० देखिये 'सांधों(२) कताई,बुनाई बादिमें तार जोड़ना सांप सापन(०)न० जोड़नेकी क्रिया;जोड़; संघि(२)आगेकी वस्तुके साथ जोड़ना संधान(३) परिशिष्ट; किसी कीलका पूरक बंश .. सांधणी (०) स्त्री० जोड़नेकी क्रिया; जोड़(२)जोड़नेकी कुशलता या रीति सांधवं (०) अ०क्रि० सीना (२) दो चीजों, टुकड़ोंको चिपकाना, मिलाना आदि; जोड़ना (३) टाकना; जोड़ना (४) (बरतनको) झालना; टांका लगाना; चकती लयाना सांपो (०) पुं० वह जगह जहाँ दो चीजें जुड़ें; जोड़; संधिस्थान (२) फटा या टूटा हुआ दुरुस्त करनेके लिए लगावी हुई विमली या चकती। लोसफलता मिलना (२) मेल साम For Private and Personal Use Only Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सांपड ठीक जुड़ना; मारवी = पटना । बेसवो, मळवो टीका ठीक लगना । जोड़ना, मिलाना, सीना आदि . ] सांपड (०) अ०क्रि० मिलना; प्राप्त होना, संपन्न होना ( २ ) जनमना, पैदा होना सांबेलुं (०) न० मूसल सांजर (०) स्त्री०, (०) न० स्मरण; याद सांभर (०) स०क्रि० इकट्ठा करना; बटोरना (२) अ० क्रि० याद आना; स्मरण होना [ ध्यान देना; सुनना सांभळ (०) स०क्रि० सुनना (२) [ला. ] सांसता (०) स्त्री० धीरज; सब्र ( २ ) सत्ता बल (३) तंगी ; मुश्किल; भीड़ ( पड़ना) सांसतं (०) वि० सबूर; धैर्ययुक्त ( २ ) क्रोधादिसे निवृत्त; शांत सांता (०) पुं० ब० व० कमी; बड़ा संकट; साँसत; परेशानी ; मुश्किल सांसो (०) पुं० साँसा ; संशय; अनिश्चय सांसोट (०) अ० सीधा; आर-पार सिक (क) ल स्त्री० शक्ल; चेहरा सिक्काई वि० देखिये 'सक्कई' सिक्कादार वि० छापवाला; मुद्रांकित ; मुहर लगा हुआ (२) सुंदर, शकील सिक्काबंध वि० मुद्रांकित; मुहरवाला (२) ज्योंका त्यों; जो खुला न हो; बंद सिक्के अ० साथ; समेत सिक्को पुं० सिक्का; छाप; मुहर ( २ ) चलनसार सिक्का; रुपया; सिक्का । [- करवो, ठोकवो, मारवौ, लगावबो = मुहर करना; सिक्का लगाना (२) सफलतापूर्वक काम पूरा करना; •पार लगाना.] सिगराम पुं०; न० देखिये 'शिगराम' सिगार (-रेट) स्त्री० सिगरेट, सिगार ५१६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिफत सिझायुं अ० क्रि० 'सीझवु ' का भावे; सिझना सिडावनुं स०क्रि० 'सीडवं' का प्रेरणार्थक सिटावं अ०क्रि० 'सीडवु ' का कर्मणि; सीझना (ऋण) सितार पुं०; स्त्री० सितार सितारो पुं० सितारा ; तारा (२) [ला. 1 दशा; भाग्य, सितारा । [ -घडतो होवो= अभ्युदय होना; सितारा बुलंद होना । - पांशरो होबो = भाग्य अनुकूल होना; क़िस्मत लड़ना. ] सित्तर वि० सत्तर; ७० सितोतेर वि० सतहत्तर; ७७ [ ८७ सित्याशी ( -सी) वि० सतासी ; सत्तासी; सित्योतेर वि० देखिये 'सित्तोतेर' सिद्ध वि० सिद्ध; अच्छी तरह तैयार या पूरा किया हुआ; सफल ; प्राप्त; लब्ध (२) निश्चित; प्रमाणित ; सिद्ध (३) निष्णात; दक्ष; विशेषज्ञ ( ४ ) जिसने सिद्धि प्राप्त की हो (५) मुक्त; सिद्ध (६) पुं० संत या योगी जिसे सिद्धि प्राप्त हो गई हो; सिद्ध ( ७ ) मुक्तपुरुष; सिद्ध सिधार ( - ब ) वुं अ० क्रि० सिधारना; जाना; रवाना होना सिनेमा पुं० सिनेमा चलचित्र ( २ ) सिनेमाघर; सिनेमा For Private and Personal Use Only 1 सिपाई पुं० सिपाही; सैनिक (२) चपरासी; सिपाही (३) पुलिस; सिपाही सिपाईगिरी स्त्री० सिपाहीका काम या नौकरी ; सिपहगरी; सैनिकवृत्ति सिपाईसपरां न०ब०व० सिपाही - पुलिस और उनके साथके व्यक्ति सिफत स्त्री० सिफ़त; गुण; विशेषता (२) तारीफ़; प्रशंसा (३) चालाकी; होशियारी; सफ़ाई Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विकाससी सिफारिश सिर न०-सिर; शिर . कारखोरी स्त्री सरजोरी; जबरदस्ती (२) उइंडता; सरकशी; सरजोरी। सिरताज पुं० मुकुट; ताज (२) [ला.] मुरम्बी; बुजुर्ग (३)सिरताज; सरदार सिरनामुं न० पता; सिरनामा सिरसाव पुं० देखिये 'सरसाद' सिरपेच पुं० पगड़ी पर बांधनेका एक गहना; सिरपेच; सरपेच सिरस्तेवार पुं० देखिये 'शिरस्तेदार' तिरस्तो पुं० देखिये 'शिरस्तो';रीत सिलक स्त्री० खर्च में से बची हुई रकम; बचत (२) हाथ परकी रोकड़; श्री रोकड़ बाकी (३) वि० हाथ पर बचा हुआ रुपया, नोट आदि; बाक़ी।काढवी खर्च में से बची हुई रकमका हिसाब करना। -मेळवबी = आयव्ययका हिसाब लगाकर रकमके घटनेबढ़नेका पता लगाना;रोकड़ मिलाना। -रहेवं बाकी बचना; बचत होना.] सिलसिलाबंध वि. सिलसिलेवार; क्रमयुक्त (२)जो लगातार हो;अखंड(३) अ०अनुक्रमसे; एकके बाद एक सिलसिलो पुं० सिलसिला; शृंखला; कड़ी (२)क्रम;प्रथा;परंपरा;सिलसिला (३) कुलपरंपरा; कुरसीनामा; सिलसिला; शिजरा-नस्व सिलाई स्त्री० सीनेका ढंग; सिलाई (२) सीनेकी मजदूरी; सिलाई . सिवडामण न०,(-पी) स्त्री० सीनेकी मजदूरी; सिलाई सिबावसक्रि० सीव'का प्रेरणा र्थक सिलाना; सिलवाना . सिवाय म०-के सिवा, बिना, अलावा सीमा सिका, अ०कि. 'सीव'का कर्मणि; सिया जाना सिसकार स०कि सिसकारना; आक्र मण करनेके लिए उभारना सिसकारो पुं० सिसकारी; सिसकारना (आवाज)[-करबो-सिसकारना; उसकाना; उभारना; लहकारना। -भरखो, मारवो, लेवोसिसकारना; मुंहसे सीटीकी-सी आवाज निकालना.] सिसोटी स्त्री० देखिये 'सीटी' । सिसोळियं न० साहीका कोटा सिंग स्त्री० देखिये "शिंग'; फली सिंच, स० क्रि० सींचना; छिड़कना; डालना (२) (पेड़को) पानी देना; सींचना (३) एक पर एक चीजें तरतीवसे रखना; लादना; गड बनाना (४) लादना; किसी पर जिम्मेदारी, भार डालना (५) (पानी निकालनेके लिए रस्सी या घड़ा) कुएमें डालना सिंदूर न० सिंदूर; संदूर [प.] सिंदूरि वि. सिंदूरके रंगका; सिंदूरिया; सिंदूरी; संदूरी [सिंघव सिंघव पुं०; न० सेंधा नमक; सैंधव सिंघालूण न० सेंधा नमक सिंह पुं० सिंह; शेर(२)पांचवीं राशि; सिंह। -केशियाळ ?= फ़तहकी खबर या मौतकी?। -मुंबन्धुं = वीर; बहादुर; शेरका बच्चा. सिंहण स्त्री० सिंहनी; शेरनी सीकर-स) स्त्री० लोहेकी सलाख या छड़; सीख सीगरो पुं० बढ़ईका एक औज़ार; बांक सीमाव स० कि० 'सीस'का प्रेरणायंक; सिमाना For Private and Personal Use Only Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सीस अक्रिमांच पर पक जाना सीईन० भोजनकी कच्ची सामग्री सीपी सिझना; सीझना (२) पार पडला; सीधुंदोर वि० सीधा तीर-सा मतलब पूरा होमा; सपना)लि.] सीपानी न भोजनकी कच्ची सामग्री शान्त होना; ठंडा पड़ना (४) दुःखी या उसका सामान, सीधा [तीर-सा होना; कष्ट पाना; सीममा ---- सीपुंसट वि० बिलकुल सीधा सीधा सीटी स्त्री० सीटी (वावाज) सीपुंसामग्री स्त्री०, सीवुसामान नम्ब० सीई सक्रि० गारेसे बंद करना; डाट व० सीधा; रसद; परचून . साफ़ लगाना; 'बड़ाना (२) (ऋण) अदा । सीसीधुं वि० बिलकुल सीधा; साफ़ करना; चुकाना ... सीनो पुं. सीना; छातीका फैलाव सीरी स्त्री० सीढ़ी: निसेनी .. सीप स्त्री० सीप; शुक्ति (कड़ा खोल) सीताफल(-3). सीताफल शरीफ़ा सीपमाछली स्त्री० सीप; शुक्ति; सीपी सीताफळी स्त्री. सीताफलका पेड़ (मोती बनानेवाला जीव) [उड़ेलना शरीफ़ा सीप, सक्रि० छिड़कना; गिराना; सीत्कार(-रो).पुं० सिसकी; सीत्कार । सीम स्त्री० खेत या गांवकी सीमा; उस सीबी पुं० देखिये 'बीदी' । विभागकी जमीन; सिवान; सींव [प.] सीव स्त्री० खबर:सुध; समाचार(२) सीमळो पुं० सेमल; शाल्मली वृक्ष सीप; सीषा होनेका भाव सीमंत न० सीमंत:स्त्रीके सिरमें निकाली सीष अ.क्रि. मतलब पूरा होना;काम हुई मांग (२) सीमंतोन्नयन संस्कार; बनना; काम होना; सधना सीमंत सीषवो पुं० उलरुआ (गाड़ीका) सीमंतिनी स्त्री० सौभाग्यवती स्त्री(२) सोपाई स्त्री०सिधाई; सरलता;सीधापन वह स्त्री जिसे सीमंत आया हो सीधू वि० जिसमें टेढ़ापन या घुमाव न सीमागे पुं० गांवकी सीमा, हद; सिवान हो;जो एक ही दिशामें हो; सीधा (२) सीरम वि. बिना सिंचाईका; उदा० जिसमें ऐठे, अकड़ न हो; जो शरीर, __ 'सीरमा घर' : लड़ाका या फ़सादी न हो; सरल; सील स्त्री० सील; मुहर; ठम्पा।। सीर्धा (३) सुबोध; सरल'; जो झट [-करवं,मारसील-मुहर लगाना.] समझा जाय (४) निष्कपट; भोला- सीलबंध वि० सील किया हुआ; मुहरभाला। सीधी रीते = शरारत या बंद (२) जिसका सील टूटा न हो; ऊधम किये बिना (२)सरल व्यवहारसे; जो खोला न गया हो; ज्योंका त्यों नरमीसे। करवू[ला.ठोंक-पीटकर सीवण न० सीना या उसका ढंग; ठीक करना सीधा करना। -संमळावी सिलाई; सीवन (२) वह जगह जहाँ दे मुंह पर, रूबरू कहना;साफ़-साफ़ सिया हो; सिलाईका जोड़; सीवन जबाब देना। सीबोजवाब-बिनाऐंच- सावणकाम न० सीनेका काम या उसका पेंचका, सीधा जवाब । सोवो सवाल कौशल; सिलाई; सीवन खुला, साफ़ प्रश्न; सीधा प्रश्न.] सौपनी स्त्री० सिलाई (काम; डंग) For Private and Personal Use Only Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साचन स० क्रि० सीना; टाक लगाकर जोड़ना; सिलाई करना । सासको पुं० देखिये 'सिसकारों' सीसपेन स्त्री० पेंसिल सीसम स्त्री० न० सीसम (पेड़,लकड़ी) सीसापेन स्त्री० पेंसिल सीसी स्त्री० शीशी; बोतल सीतुं न० सीसा (धातु) सीसो पुं० शीशा; बड़ी बोतल सींग स्त्री० देखिये "शिंग'; फली.. सींचणियुं न० पानी सींचनेका पात्र या साधन (२) कुएं में से पानी निकालनेकी रस्सी; लेजुरा; नेजु; उबहन सींचा स० क्रि० देखिये 'सिंबवू'। खींचामो पुं० बाज (पक्षी) . सीवरी स्त्री० नारियलकी रस्सी सुम० सुन्दर; उत्तम उदा० 'सुकेली; सुवास' (२)भलीभांति;खूब पूरे तौर पर; उदा० 'सुरक्षित; सुसेवित' (३) सहज, अनायास ; उदा० सुकर सुलभ' सुकतान न० देखिये 'सूकगळु' सुकलकसी वि० सूखकर कांटे-सा बना हुआ; सुखंडी;क्षीणकाय [सूखा सुकवनी स्त्री० सुखाई हुई चीज(२) सुकवचं न० काफ़ी बारिश न होनेसे खेती आदिका सूख जाना; सूखा सुकान न० पतवार; सुक्कान; कर्ण सुकानी पुं० पतवार पकड़नेवाला; कर्णधार [चीजको सुखाना सुकाव स० क्रि० सुखाना; गीली सुकावं अ० क्रि० शुष्क होना; सूलना (२) (शरीर) दुबला होना; सूखना सुकाळ पुं० सुकाल; सुमिन (दुभिक्षका उलटा) (२)भरमार, अधिकताला.] सुतर स्त्री. चंदन (वृक्ष, लकड़ाया लेप); संदल [हलवाई सुखरियो पु० मिठाई बनानेवाला; सुलग स्त्री० पी और गुड़में गेहको आटा सेंककर बनायी हुई एक खाच चीज़; जमी पंजीरी जिसमें धनिया, सोंठ आदिका योग नहीं रहता (२) मिठाई (३) दस्तूरी; हक; बल्शिश । [-आपकी = भेंट · या दस्तूरी देना। -कापवी=बेचे हुए मालकी कीमतमें से दस्तूरीके स्पमें कुछ रकम काटना; दस्तूरी काटना। -जमावी = मार मारना; हलवा निकाल देना. . . . . . सुल वि० सुखी; सुखमें मग्न सुखतळी स्त्री० सुखतला; पाताया सुखक, सुखायी, सुखदेव वि० सुखदायक; सुख देनेवाला .... सुखधाम वि० सुखके धामरूप; सुखद (२) जो स्वयं सुखमय हो; सुबर्षम (३) न० सुखका धाम; सुखधाम, सुखन पुं० सुखन; सुखुन; वचन; उक्ति । [ब सुलन कहेवा = सिफ़ारिश करना(२)सीख देना(३)उलइना देना. सुखपाल स्त्री० एक प्रकारकी पालकी; सुखपाल [चैनसे; सहीसलामत सुखरूप वि० (२)अकुशल-क्षेमपूर्वक सुखरेच पुं० मंद रेघन या जुलाब सुखवेल स्त्री० एक तरहका बढ़िया धान सुखपूर्व वि० सुखोपभोगमें शूर सुखसगेवर स्त्री०; नम्ब०व० आराम और अनुकूलता; ऐशोआराम; सुख और सुभीता सुखांकारी स्वी० सुली हालत, सा (२) तंदुरुस्ती; सुख-स्वास्थ्य For Private and Personal Use Only Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२० सुधारो सुसासन न० सुखद आसन; सुखासन सुतारकाम न० लकड़ी घड़नेका काम; (२) पालकी; सुखासन बढ़ईगिरी; सुतारी सुखियाई, सुलियं वि० सुखी; सुखिया सुतारी वि० बढ़ईका; बढ़ई-संबंधी सुगरी स्त्री० एक चिड़िया; बया (२) स्त्री० सुतारी; बढ़ईगिरी सुगंध पुं०;स्त्री०, (-बी) स्त्री० सुगंध; सुचार(काम, -री) देखिये 'सुतार' आदि [सुदी; उजेला पाख सुगंधीवार वि० सुगंधी; खुशबूदार सुब अ० शुक्ल पक्षमें (२)स्त्री० सुदि; सुगाई अ० क्रि० घिनाना; नफ़रत सुदामा पुं० सुदामा; श्रीकृष्णका एक करना; किसी चीज आदिसे भागना सहपाठी (२) कंगाल मनुष्य [ला.] । सुगाळ वि० खूब सस्ता; अल्प मूल्यका [ना तांदुल = गरीबका उपहार.] सुपाळ (05-5) वि० जल्द घिन या सुदामापुरी स्त्री० सौराष्ट्रका एक नफ़रत करनेवाला; किसी चीजसे नगर;पोरबन्दर(२)[ला.] कंगालका निवासस्थान भागनेवाला : सुदि अ० देखिये 'सुद सुघर वि० साफ़; स्वच्छ (२) चतुर; सुधरतुं अ० क्रि० सुधरना; अच्छा होना कुशल; सुघड़ (३) विवेकी; ज्ञानी; सुपराई स्त्री० सुधार; सुधराई (२) समझदार नगरपालिका; म्युनिसिपैलिटी सुबरता, सुषगई स्त्री स्वच्छता (२) सुबराबवंस०कि. 'सुधरतुं' का प्रेरणासुघड़ता; सुघड़ाई; कुशलता र्थक; सुधरवाना; गलती दुरुस्त कराना सुपरी स्त्री० देखिये 'सुगरी'; बया। सुषार पुं० सुधार; इसलाह संस्कार सुजाण वि० सुजान;ज्ञानी; समझदार सुधारक वि० सुधारक; सुधार करनेसुजात वि० सुजात; कुलीन (२) सुन्दर; वाला (२)पुं० ऐसा व्यक्ति; सुधारक सुजात; सुगठित सुमारण न०,(मा) स्त्री० सुधारना; सुमार, स० कि० 'सूम' का प्रेरणा सुधार; संस्कार; इसलाह र्थक; सुझाना; दिखाना; सूचित करना सुधार, स० क्रि० अच्छा करना; सुडताळीस वि० संतालीस; ४७ बिगड़े हुएको बनाना; सुधारना (२) मुंगेल वि० सुडौल; सुंदर; सुगठित छीलना (तरकारी); मरम्मत करना; सुगवं स० क्रि० सुनना दुरुस्त करना (मकान, यंत्र आदि)(३) सुगाव, स० क्रि० 'सुणतुं' का प्रेरणा- ग़लती दूर करके सही करना या र्थक सुनाना [सुगम; सुबोध लिखना; सुषारना; संस्कार करना सुतर वि० (२) अ० सरल; यासान; सुबाराब, स० क्रि० देखिये 'सुषराव,' सुतराउ वि० सूतका बना हुआ; सूती सुषारो पुं० सुधार; सुधरना; दोष या सुतरं वि० देखिये 'सुतर विकृतिका दूर होना; अच्छी स्थिति सुतरेल वि० देखिये 'सुतराउ'; सूती (२) संस्कृति; सुधार; सम्यता (३) सुतार पुं० बढ़ई; सुतार . नयी प्रया या रिवाज (४) प्रस्ताव For Private and Personal Use Only Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२१ पर संशोधन; तरमीम । [-मूकबो% मुरावट स्त्री सुर मिलाना; स्वरमेल प्रस्ताव पर संशोधन रखना.] (२)सुरीली आवाज; सुस्वर सुपी अ० तक; पर्यंत सुरीलं वि० सुरीला; मधुर स्वरवाला सुम्या (०१)अ० साथ;सहित समेत सुद्धा । सुरेख वि० सुडौल ;सुन्दर; गठीला सुनावणी स्त्री० सुनवाई; सुनाई; पेशी। सुरेल वि० मधुर स्वरवाला; सुरीला [-वी, नीकळवी - मुकदमेकी सुन सुलक्षण(-) वि० सुन्दर या शुभ वाई होना.] लक्षणोंवाला; सुलक्षण [करना सुपरत स्त्री० सिपुर्दगी,हवाला (२)वि० सुलटाव, सक्रि० सुलटा करना; सीधा सिपुर्द,सौंपा हुआ।[-करवं सौंपना.] सुलतानी वि० सुलतानका; सुलतानी; सुफिया वि० ऊपर-ऊपरसे सुन्दर शाही (२)स्त्री० सुलतानकी हुकूमत; लगनेवाला; बाहरी सफाईवाला राज्य; सुलतानी (३) [ला.] राजाका सुमार पुं० शुमार; अटकल; अंदाजा स्वेच्छाचार या जुल्म सुमारे अ० अंदाजन; लगभग सुलाल स्त्री० सूराख; छेद सुमेळ पुं० अच्छा मेल; मनका अच्छा सुलेह स्त्री० सुलह; लड़ाई-झगड़ेका मिलन; बनत (२)सुंदर मिलन; उत्तम प्रकारका मिश्रण [दाई अभाव; मेल (२) समझौता; सुलह सुयाणी स्त्री० बच्चा जनानेवाली स्त्री; सुलेहशांति स्त्री० सुलह और अमन सुरत वि० सुर्ख, लाल [[ला.] असर सुवा (-रा)व, स० कि. 'सू' का सुरखी स्त्री० सुर्जी; लाली; सुरखी (२) प्रेरणार्थक; सुलाना सुरता स्त्री० लगन; लौ (२) ध्यान; सुवा पुं० सोआ; सोवा (बीज) होश; सुरत [प.](३)याद; सुध; सुरता सुवाडवू सक्रि० सूर्यु' का प्रेरणार्थक; सुरती वि: सुरत शहरका या उस ओरका सुलाना (२) स्त्री० सुरतकी ओरकी बोली सुवाण स्त्री० देखिये 'सवाण' (३) पुं० सुरतका या उस तरफ़का सुवारोग पुं० जच्चाको होनेवाला एक रहनेवाला।[-लाला- छैला फक्कड़.] रोग; सूतिकारोग सुरमो पुं० सुरमा [पायजामा सुवावर स्त्री० प्रसवकाल और उसके सुरवाल(-3) पुं०;स्त्री० सुरवाल; बादका बीमारीका समय [सौरी सुरंग स्त्री० जमीनमें खोदकर बनाया सुवावरखान न० प्रसवगृह जच्चाखाना; हुआ गुप्त मार्ग; सुरंग (२) बारूदके सुवावरी स्त्री० जच्चा;प्रसूता; सूतिका गोलेकी एक युक्ति या बनावट (दीवार सुबाई अ०क्रि० 'सूर्बु' का भावे ; सोया या चट्टान आदि उड़ानेके लिए); जाना [सौभाग्यवती; सुवासिनी सुरंग। [-कारवी% पहाड़के नीचेसे सुवासन(-पी)स्त्री० सुहागन ; सधवा; खोदकर रास्ता बनाना.] सुवासिणी(-नी स्त्री० देखिये 'सुवासण' सुराई स्त्री० सुराही सुशोभन न० शोभाके लिए की हुई सुरात स्त्री० सूराख; छेद सजावट; सुंदर सजावट . For Private and Personal Use Only Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२२ सुसबाट (टी) पुं० तेज हवा चलनेको को १० तम्बाकका चरा:जरदा:सुरती आवाज'; सरसराहट; शरांटा सूग स्त्री० घिन; नफ़रत सुस्त वि० सुस्त; मालसो (२) बीमा; सूचन न० सूचन; सुझाव मंद; सुस्त सूचव, सक्रि० सूचित करना;जताना; सुस्ती स्त्री० सुस्ती; मालस्य; नींदका ध्यान पर लाना; सुझाना .. खुमार(२)मंदता; सुस्ती-उतावी सूचवाई अ०क्रि० 'सूचव'का कर्मणि; देवी, का। नालवी-ठोक-पीटकर सुझाया जाना सीधा करना । -करवी : अंगड़ाई सूज स्त्री० सूजन;शोथ [फूल जाना लेना; बेदार होना। -करवी, राजवी सूजवं अ०क्रि० सूजना, किसी अंगका आलसी होना. . सून स्त्री० सूझ ; समझ; पहुँच सुहाग पुं० सुहाग; सौभाग्य सूमतुं नं० जो अपनी पसंद या सूझके सुहागण वि० स्त्री. सुहागिन ; सुहागन; अनुरूप हो; उदा० तमे तमारं सूझतुं सौभाग्यवती (२) पतिकी चहेती . करो छो ए चाले?' सुहान स्त्री शान्ति; संदेहनिवारमा सम, अ० कि० दिखाई देना; सूझना समाधान [सुंदर लगना (२)खयाल या ध्यानमें आना; सूझना सुहा, ब० क्रि० सुहाना; शोभित होना; सूट वि० इकट्ठा सादा (ब्याज) (२) सुंबाळा (0) पुं०व०व० दशाहकी क्रिया पुं०; न० मूल ; जड़ (३) न० जोतनेस संवाळी (०)स्त्री०.पूरी जैसी नाश्तेकी पहले खेतमेंसे खूटी, डंठल, झाड़ चीज; सुहारी आदिकी सफाई करना संवाळू (०) वि. चिकना और मुला- सूचलो पुं० एक प्रकारका तोता; सूमा यम; सुकुमार (२)नरम स्वभावका; सूरी स्त्री० छोटा सरीता (२) सूएकी नर्मदिल; मृदु (३) न० बालकके मादा [तोता; सूबा जन्मका सूतक; सूतकाशीच सूगे पुं० सरौता (२) एक तरहका सूकगळं न० बालकको होनेवाला एक सूपअ० क्रि० सूजना [सूतक रोग; सूखा रोग; सुखंडी; 'रिकेट्स सूतक न० जननाशीच या मरणाशीच; सकवचं स० कि० देखिये 'सुकाव' । सूतकी वि० सूतकी (जन्म या मरणका) सर्छ वि. जिसमें गीलापन न हो; सूखा; सूतर न० सूत कच्चा धागा।[-तांतने खुश्क ; शुष्क (२) दुबला; सुखंडी। बंधायल = प्रेमके धागेसे बंधा हुआ.] [-रही नवं कुछ असर न होना; सूतरफेगी (1) स्त्री० एक तरहकी कोरा रह जाना । सूको काळ =बारिश मिठाई, फेनी; सुषाफेनी न होनेसे पड़नेवाला अकाल; सूखा। सूतरशाळ स्त्री० एक प्रकारका धान सूको दम-खाली धमकी;बंदरघुड़की। सूतळी स्त्री० सुतली को प्रवेश= वह विभाग जहाँ नशा- सूत्र न० सूत्र; तंतु; सूत; धागा (२) बंदी हो; 'ड्राय एरिया'.] सूत; रुईका धागा (३)सूत्र व्यवस्था; सूकुंभ(-स)ट वि० बिलकुल सूखा नियम (४) सूत्र-अंय (कल्पसूत्र, FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE For Private and Personal Use Only Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra - सूत्र आदि) (५) ध्येयके रूपमें ! स्वीकृत किया हुआ कोई छोटा, अर्थगर्भ वाक्य ; सूत्र (६) सूत्र; 'फारमूला' [ग] (७) साध्य ; 'प्रोपोजीशन' [ग.] सुष स्त्री० ० सुघ; होश; चेत- खबर (२) पता ; ख़बर । [ - आववी, वळवी होश आना; चेतनायुक्त होना.] सर्वदूष स्त्री० सुध-बुध; होश- हवास ; अक्ल । [ - ऊडी जवी = होश ठिकाने न रहना. ] ( २ ) ब० व० गणेशकी दो पयाँ शुद्धि और बुद्धि सून वि० शून्य; शून; खाली; रहित सूनकार पुं० देखिये 'शूनकार' सूनमून (-नं) वि० देखिये 'शूनमून ' सूनुं वि० सूना; जनहीन; उजाड़ (२) जिसकी देख-रेख करनेवाला कोई न हो; सूना [पं = खाली या . निर्जन पड़ना ( २ ) बिना साथ-सहवासके रहना । —मूक = अकेला, साथीसंगीके बिना छोड़ देना. ] सूनुंसट वि० बिलकुल सूना सुपडी स्त्री० छोटा सूप या छाज सूपड़े न० सूप; छाज सूफ न० बकरीके बाल (२) उसका कपड़ा (३) ऊनका बस्त्र ; सूफ़ सूबो पुं० सूबा; प्रदेश; प्रांत (२) सूबेदार; सूबेका शासक - www.kobatirth.org · सूम वि० (२) पुं० सूम; कंजूस तुम वि० शून्य ( २ ) पस्त हौसला; जड़; सुस्त । [ -जें = = काठका उल्लू; बुत जैसा ; बुद्धू जैसा । -मारी अर्यु = (सिर, दिमाग़ ) चक्कर काटने लगना.] सुमयुं वि० सूमड़ा; कंजूस सुमसाम वि० आवाज या गतिसे शून्य; ५२३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुनसान; सन्न (२) न० देखिये शून"कोर'; सुनसान; सभाटा सूर पु० सुर; आवाज; कंठ; स्वर । [-ओपथी = गायकको चाहिये ऐसा स्वर बाजेमें निकालना; स्वर मिलाना। - पूरबो = स्वर भरना; स्वर मिलाना ( २ ) [ला. ] समर्थन करना. ] सूरज पुं० सूरज; सूर्य । [-वडती कळाए होवो : = अभ्युदयका समय होना; नसीब चमकना ; सितारा बुलंद होना । -तपतो होवी = उन्नति, तरक्की पर होना । —माये आवव = दोपहरका समय होना (२)पूर्ण समृद्धि होना. ] सूरजमुखी न० सूरजमुखी सूरण न० जमीकंद; सूरण; सूरन सूरत (सी) स्त्री० देखिये 'सुरता' सूरपेटी स्त्री० स्वर भरनेका पेटीनुमा एक वाद्य सूरोवार पुं० एक क्षार; शोरा सूर्यवंशी पुं० सूर्यवंशी (२) सूर्योदयक बाद देरसे उठनेवाला सूल न० हिसाब या झगड़ेका निबटारा; फ़ैसला; समाधान; समझौता (२) वि० सीधा ; सरल सुलटुं वि० सुलटा; 'उलटा' का उलटा (२) अनुकूल; सुविधाजनक 3 सूवर पुं०; न० सूअर; सूकर सुबुं अ० क्रि० लेटना; किसी आधारपर पड़े रहना (२) सोना; नींद लेना । [ सूई जनुं = शान्त होना; बंद पड़ना; vetr (२) खर्च अतिरेकसे खराब स्थिति होना; नसीब सो जाना; सोनेका घर मिट्टी हो जाना (३) हिम्मत पस्त होना; दुर्बल होना । सूत जाग : = अचानक बाधा आ पड़ना । For Private and Personal Use Only Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सव सूतुं सूफबुं = अवज्ञा करना; कुछ न गिनना । सूतेलो सिंह जगाडवो = विकराल या पराक्रमी पुरुषको छेड़ना. ] [ करना; सनसनाना सूसवबुं अ०क्रि० सन-सन सूळ, सूळी देखिये 'शूळ'; 'शूळी' संबळं न० जौ, गेहूं, धान आदिकी बालके ऊपरका सूई जैसा नुकीला रेशा; टूड आवाज ५२४ संघणी स्त्री० सुंघनी; हुलास; नास सूंघ स० क्रि० सूंघना; बास लेना (२) नाकके श्वाससे अंदर खींचना ( सुंघनी ) [र्थक; सुंघाना संघाडवं स० क्रि० 'संघ' का प्रेरणासूंठ स्त्री० सोंठ; शुंठी सूंडली स्त्री० डलिया; टोकरी ; सिकोली सूंडलो पुं० डला; टोकरा, छबड़ा सूंडो पुं० डला; टोकरा सूंढ स्त्री सूंड; सूंढ सूंडल (ल) स्त्री० ( बैल या श्रमकी) किसानोंकी आपसकी सहायता ; हूँड़; डंगवारा [ करना सूंढाड स० क्रि० सज्ज करना; तैयार सूंढाळं वि० सूंडवाला सूंढियं वि० सूंडवाला; सूंडाकार (मोट) (२) न० एक प्रकारकी हलकी ज्वार; सुँधियो (३) ऊँट या घोड़ेके पलानके नीचे डाला जानेवाला कपड़ा सुंथणी स्त्री० छोटा सुथना, पाजामा सूपणुं न० सुथना; पाजामा सूंबियं न० चीथड़े, रस्सी, पयाल आदिकी बड़ी ईंडुरी; गंडुरी; बीड़ा; बीड (२) [ला.] बेढंगी या पुरानी पगड़ी या टोपी सृजवं स० क्रि० रचना; सिरजना [ प . ] बनाना; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेरो से (सॅ') स्त्री० मदद; सहाय । [ -पुरवी = सहारा, बल देना; मददगार सिद्ध होना.] सेकटो पुं० देखिये 'सरगवो' सेकंड स्त्री० सेकंड; सेकेंड सेगरो पुं० देखिये 'सीगरों' सेज (सें) स्त्री० सेज; शय्या सेजल न० नदीका पानी ; सरित्जल (२) वि० बारिशके पानीसे होनेवाला (गेहूँ) सेड (ड) स्त्री० देखिये 'शेड' सेडक (ड) वि० देखिये 'शेडकढुं' सेतान ( - नियत, नी) देखिये 'शेतान' आदि सेतूर न० शहतूत सेनो पुं० एक प्रकारका कपड़ा; लट्ठा सेप न० सेब सेपट न ० ब ० ० चमड़ेकी पतली पट्टियाँ जो पैनेके सिरे पर बाँधी जाती हैं; वधियां । [काढी नालवां = ( पीटपीटकर ) खाल उधेड़ना; चमड़ी उड़ जाय इतना पीटना . ] [पट्टी, सटाकी सेपटी स्त्री० चमड़ेके चाबुककी पतली सेब न० सेब [ भ्रमण सेर (सॅ) स्त्री० संर; हवाखोरीके लिए सेर (सॅ) स्त्री० वह डोरा जिसमें मौती, मनके आदि पिरोये हों; लड़ी; इस तरहकी माला ( २ ) घासकी चिपटी पसी, तिनका या शलाका ( ३ ) प्रवाह; द्रव पदार्थकी धार (४) शिरा; नस । [ - आवबी = धारा या प्रवाह निकलना; झरना बहना । —छूटबी = फव्वारेकी तरह धारा बह निकलना. ] सेरडो पुं० देखिये 'शेरडो' सेरववुं स० क्रि० सरकाना ; आहिस्ते से खिसकाना सेरवो पुं० शोरबा; शोरबा For Private and Personal Use Only Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२५ सरि (स) न० सनकी जातके एक सेत(-१)लो (सें०) पुं० झाड़-झंखाड़ पाधका बीज उठानेका लकड़ीका एक साधन; काँटा सेलाई (-5) न० घीकुआरका फूल सेयी (सं०) स्त्री० मांग (बालोंकी) सेली स्त्री० राख; भस्म (२) गलेमें सेंचो (सें०) पुं० देखिये 'सेंथी' (२) डालनेकी काले धागोंकी अंटी; सेली . सिरका एक गहना; माँग-टीका , सिरका सेलं न० देखिये 'शेल' .. . सैकुं न०, (-को) पुं० सैकड़ा; सौका सेलो पुं० देखिये 'शेलो' समूह (२) सौ सालका काल; सदी सेव देखिये 'शेव' सैडकागांठ स्त्री० रस्सी आदिका एक सेवती स्त्री० जैन साध्वी सिरा खींचनेसे छूट जानेवाली गाँठ; सेवगे पुं० सेवड़ा; जैन साधु मुद्धी; डेढ़ गाँठ [बच्चोंको एक खेल सेवममरा देखिये 'शेवममरा' सैडकियु न० देखिये 'सैडकागांठ' (२) सेवर्षन(-नी) वि० इस नामकी एक सैउकुं न० देखिये 'सैडकागांठ' (२) प्रकारकी (सुपारी) . - सुड़क (आवाज) सेवईं स० क्रि० सेवा, भक्ति करना; संरको पुं०सुड़क (आवाज) (२)साड़ीके भजना (२) बहुत संग करना (३) आँचलका कोना जो खींचकर कोखमें काममें लाना; व्यवहारमें लेना (४) खोसा जाता है; कोंछ (अंडा) सेना सैडण न छाजनमें खपरैलोंके नीचे डाली सेवं वि० देखिये 'सेवर्धन' ... जानेवाली फट्टियाँ, अतरवन आदि; सेवा स्त्री० सेवा; खिदमत, चाकरी तिरपाल (२)उनको बाँधनेकी डोरी (२) पूजा; आराधना; सेवा (३) सैयड(-3) पुं०ब०व० चेचक; शीतला सेवा-टहल; तीमारदारी (४)निष्काम __सो (सॉ)पुं०सौ; १००।-गळणे गाळीने भावसे अन्यका काम करना; सेवाकार्य = बहुत सावधानीके साथ ; खूब सोचसेवाचाकरी स्त्री० सेवा-टहल ; तीमार- विचारके बाद। -टचनु सोनुं = दारी उत्तमोत्तम सोना; सौ टंचका सोना। सेवापूजा स्त्री० सेवा-पूजा; आराधना -ना साठ करवा = घाटा सहना; सेवाळ, सेवाळवू देखिये 'शेवाळ' आदि घाटेका धंधा करना। -मण रूनी सेवो स्त्री० ब०व० सेव या सिवइयाँ तळाईए सूवं = सुखचैन होना; घोड़े सेळभेळ वि० देखिये 'भेळसेळ' बेचकर सोना। -ये वर्ष पूरा थवां = सेळभेळियुं वि० मिलावटवाला किसी पर आफ़त आ पड़ना; मौतकी सें (30) पुं० 'एक'को छोड़कर किसी तैयारी होना.] संख्यावाचक विशेषणके साथ आने- साई स्त्री० इंतजाम ; सुभीता; व्यवस्था 'वालासोका रूप;उदा० 'चारसें, बारसें' सोकटाबाजी स्त्री० चौसर; चौपड़ सेंकने (सॅ०) पुं० सौकी संख्या; सौका सोकटी स्त्री०,(-९) न० (चौसरकी). समूह; सैकड़ा (२)सदी; शताब्दी (३) मोटी; गोट। [-मारवी = गोटी वि० सैकड़ों; उदा० सेंकडो माणसो' मारना; दूसरेकी गोटीको खेलमें For Private and Personal Use Only Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोकाबाजी मारना (२).चोट करना (३) गोटी जमना;प्रयोजन सिद्ध करना; फतह हासिल करना। वागवी= युषित सफल होना; गोटी जमना; गोटी बैठना.] . सोकळाबाजीस्त्री० देखिये 'सोकटाबाजी' सोकळी (-3) देखिये 'सोकटी' । सोग पुं० सोग; शोक सोगटाबाजी स्त्री० देखिये 'सोकटाबाजी' सोमटी(;) देखिये 'सोकटी' सोगठाबाजी स्त्री०देखिये 'सोकटाबाजी' सोगठी(-) देखिये 'सोकटी' सोगन (सों) पुं०ब०व० सौगंध; शपथ । -आपवा, सवडावबा = कसम खिलाना; हलफ़ देना; गीता, कुरान या गंगाजल उठवाना। -खावा, लेवा = कसम खाना; कुरान, गीता या गंगाजल लेकर कहना.] सोगननामुं (साँ)न० शपथपत्र; हलफ़ नामा; एफिडेविट [सोगननामुं' सोगंद,, सोगंदनाम देखिये 'सोगन, सोगात (सों) स्त्री० सौगात; भेंट। सोगियुं वि० शोकवाला; ग़मज़दा; शोकपूर्ण (२) न० शोकसूचक पहनावा; मातमी लिबास सोज पुं० गंभीरता; सयानापन; विवेक (२) सौजन्य सद्वर्तन (३)रीति; ढब, रहन-सहन;ढंग (४)वि०अच्छा; उत्तम सोजी स्त्री० मैदा सो वि० अच्छा; उत्तम (२) स्वच्छ सोनो पुं० सूजन; शोथ सोटी स्त्री० छड़ी; छोटा पतला डंडा सोटो पुं० मोटा बड़ा डंडा; सोंटा। -लायो सोंटेसे मारना; सोंटा चलाना, जमाना(२)सत्ता चलाना.] सोर (सॉर)स्त्री. पावं; पहलमास (२) परदा करते समय या लेटे हुए आदमीका अपना ओढ़ा हुआ कपा मुंह पर तानना.(३) ओढ़नेकी चादर या रजाई आदिके नीचेका मुलायम कपड़ा; चादर; सौर। [-साणपी, ताणीने सूq=पावसे सिर सक ओढ़ना (२)चैनसे सोना; लंबी तानना (३) आलस्यसे देर तक लेटा रहना (४) रूठकर सोना(५)मर जाना। -मां भरा_=-के आश्रयमें जाना; -की शरणमें जाना.] सोर(ड') पुं०; स्त्री० गंध; महक;बू सोरम (ड)स्त्री० गंध; महक ; सोंधा सो(ड) सक्रि० सूंघना; बास लेना (२) म०कि. गंधाना; दुर्गध होना; बू मारना सोग(ड) सक्रि० बास आना; गंधाना;बू मारना सोडे(सॉ) अ० बग़लमें; नजदीक; पासमें (२) के अनुसार;-की तरह सोण पुं०;स्त्री० पच्चर कील सोपल, सोनुं न• सुपना; स्वप्न सोत(-) (साँ) अ० समेत; सह सोबागर पुं० सौदागर; बड़ा व्यापारी सोराग(-पी)री स्त्री० बड़ा व्यापार तिजारत; सौदागरी (२) सौदा गरका पेशा; सौदागरी सोईं(साँ) वि० व्यभिचारी; शोहदा; बदचलन (२) ठग; धूर्त सोरो(सॉ) पुं० सौदा; व्यापार (२) [ला.] खरीद-बेची या खरीद करनेका संकेत या वायदा; सौदा (३)तिजारती साहस । [-पाकवो = सौदा सफल होना; ठीक सौदा होना; सौदा पटना For Private and Personal Use Only Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (२) वादा पूर्ण होना; उसकी अवभि पूर्ण होना. ] सोनचंपो पुं० सुवर्ण चंपक; पीला चंपा श्रोतारं पुं० एक प्रकारकी लाल मिट्टी: सोनागेरू; हिरमजी सोनामहोर स्त्री० सोनेका सिक्का ; मुहर; अशरफ़ी सोनामुखी स्त्री० एक रेचक वनस्पति; सनाय; सोनामुखी (२) एक धातु; सोनामाखी; सोनामक्खी सोनार पुं० सुनार, सोनार सोनारण स्त्री० सुनाकी स्त्री; सुनारी सोनी (० महाजन) पुं० सुनार सोनार सोनुं न० सोना;सुवर्ण । [सोनानां नळियां करवां = सोनेके महल उठावा; बहुत धनवान होना । सोनानी लंका लूंदावीअति मूल्यवान चीज्रका खो जाना या लुट जाना । सोनानो वरसाद बरसबो = बहुत कमाई होना; चांदी कटना । सोनानो सुस्म ऊगवो = बहुत सुख और समृद्धिका समय आना; सितारा चमकना.] सोनेरी वि० सोनेके रंगका ; सुनहरा ; सुनहला (२) सोनेका (३) सोनेका मुलम्मा चढ़ाया हुआ (४) [ला. ] उत्तम; ध्यानमें लेने योग्य; बढ़िया (नियम, कानून आदि ) [ - केळं = एक अच्छी जातका केला; चंपा केला; कलकतिया केला । -टोळी = धोखाधड़ीके काम करनेवाली धूर्त लोगोंकी टोली.] सोर्नयो पुं० सोनेका सिक्का; स्वर्णमुद्रा सोपट अ० सीधे ; बिना मुड़े-घूमे सोपारा पुं० अध्याय; परिच्छेद । [गणया, गनी जवा=भाग जाना; नौ दो ग्यारह होना.] ५२७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोडव सोपारी स्त्री० न० सुपारी; सोपारी, सोपो पुं० रातके पहले पहर में प्राणियों के निद्राधीन होने से होनेवाली शान्ति या सन्नाटा सोबत (साँ) स्त्री० सुहबत; संग ; साथ; मित्रता । [ सोबते चडवं = सुहबत उठाना; किसीकी सुहबतमें रहकर कुछ बुरी आदतें सीखना. ] सोबती (सॉ) पुं० सुहबती; साथी; मित्र सोम पुं० सोमलता: सोमरस; सोम (२) चंद्रमा सोम (३) सोमवार; सोम. (४) संगीतमें एक अलंकार सोम । [नाम = सोमयागमें पूर्णाहुतिका स्नान करना ( २ ) 'छूटे; बला टली; कल पड़ी' इस मतलबका उद्गार. ] सोमल पुं०; न० संखिया सोमवती अमास स्त्री० सोमवती अमावाल्या; समोती मावस सोमवार पुं० सोमवार; सोम सोमवेली स्त्री० सोमवल्ली; सोमलता सोय (सॉ) स्त्री० सूई; सुई तोयनी स्त्री० मोचीका एक औजार (२) एक रागिनी; सोहिनी सोयो (सॉ) पुं० बड़ी सूई; सूआ सोरठ पुं० सौराष्ट्रका एक हिस्सा (२) एक रागिनी; सोरठ; सोरठी सोरठियाणी स्त्री० सोरठ प्रदेशकी स्त्री सोरठी वि० सोरठ प्रदेशका सोरठसे संबंधित सोरठी पुं० एक मात्रिक छंद; सोरठा सोरण (स) स्त्री०; न० वियोगके दुःखसे सूखना; झुरना सोरम स्त्री० देखिये 'सोडम' सोरवर्ड स० क्रि० चैन पड़ना; कल मिलना For Private and Personal Use Only Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोरवं सौ ५२८ सोरई (सो') सक्रि० (लकड़ी, पेड़ सोहागी वि० सुशोभित (२) भाग्यवान; आदिको) खुरचकर या काट-छाँटकर सुखी (३) आनंदी या 'टूसे निकालकर साफ़ करना या सोहामणु वि० सुहावना ; सुशोभन ठीक करना (२)[ला.] उचितसे अधिक सोहाववं स०कि० 'सोह'; 'सोहावुका दाम लेना; लूटना (३)गाली देना; प्रेरणार्थक फटकारना सोहा अ०कि० देखिये 'सोहवू'. सोराटवू (सो') सक्रि० खूब छीलना; सोहासण(-णी) स्त्री० सुहागिन; खूब काट-छांट करना (लकड़ी, बांस सौभाग्यवती; सुहागन [सोहिनी आदिको) (२) [ला.] खूब गालियाँ सोहिणी (-नी) स्त्री० एक रागिनी; देना; फटकारना; सौ बात सुनाना सोह्यलुं वि० सुहावना (२) सरल; सोरं अं० तक; अरसेमें; दरमियान आसान (३) सुखदायक सो वसा अ० बिलकुल निश्चितरूपसे; सोळ वि० सोलह; १६ । [-बाल मे निस्संदेह; सो बिस्वा [सुवासिनी एक रतीबराबर; ठीक; न्यायके सोवासण(-णी) स्त्री० सुहागिन; अनुसार; 'बावन तोले पाव रत्ती। सोवू सक्रि० (सूपसे) फटकना सोळे कळा = पूरा (चंद्रकी सोलह सोस पुं० खूब प्यास (लगना); गला कलाओं परसे); पूर्ण । सोळे संस्कार सूखना, खुश्क होना (२) [ला.] तीन पई चूक्या = सब प्रकारके सुखदुःखका इच्छा; लालसा (३) फ़िक्र ; चिंता। अनुभव कर लिया; सब कुछ भोग [-पडवो खूब प्यास लगना; गला लिया। सोळे सोपारा भणवासब सूखना.] प्रकारसे होशियार, चालाक बनना; सोसवावं अक्रि० रस सूख जाना; घाघ बनना। सोळसोळ मानी=सोलहों सूखना; जलहीन होना (२) दुबला आने ; जैसा चाहिये वैसा; बिलकुल.] होना; सूखना (चिंतासे) सोळ (सों) पुं०, (-छं) न० (छड़ी सोसवं अ०क्रि० सहन करना; सहना आदिकी) चोटका दाग़; सांट (२)स.क्रि० सोखना;जज्ब कर लेना सोळं वि० धोकर अलग रखा हुआ सोसावं अ०क्रि० देखिये 'सोसवावं' (२) (वस्त्र) (२) न० खाना पकाते 'सोसवू'का कर्मणि समय पहना जानेवाला वस्त्र (३) सोहवू अ०क्रि० सोहना; सुंदर लगना पुष्टिमार्गीय आचार-प्रणाली सोहाग पुं० सौभाग्य ; सुहाग; अहिवात सोंघ (०वारी) (सॉ०) स्त्री० सस्ती; (२) बड़ा भाग्य (३)अहिवात, सुहा- सस्तापन; महँगीका न होना गकी चीजें (चूड़ी, सिंदूर आदि)। सोंधारत (-य) (सॉ०) स्त्रो०; न० [-उतराववो, लेवराववो. = पतिके देखिये 'सोंघवारी' मरनेपर पत्नीकी सुहागकी चीजें साधु (सॉ०) वि० कम दामका; सस्ता। उतरवाना.] [वती; सुहागन [-मोंधू थq=मान चाहना; आदरकी सोहागण वि०स्त्री० सुहागिन; सौभाग्य- अपेक्षा रखना.] For Private and Personal Use Only Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोंपण ५२९ स्फुरवं सोपण (सॉ०) स्त्री० सिपुर्दगी; हवाला करना(२) (किसी स्थान पर) स्थिर सोंपवं (सॉ०) सक्रि० सौंपना; सिपुर्द करना; जमाना; रखना; नियुक्त करना करना; स्थापित करना (३) किसी सोंफ (सॉ०) स्त्री० सौंफ़ विषयको सप्रमाण प्रतिपादित करना, सोंसर, सोंसर(सॉ०) वि० (२)अ० प्रमाणित करना या निरूपित करना आर-पार। [-नीकळवं, पडवू = इस स्थिति स्त्री० स्थिति; स्थिर रहना; पारसे उस पार तक जाना(२)न पचना.] एक स्थान या अवस्थामें लगातार बने सौ वि० सब; सर्व; कुल (२) अ० रहना; ठहरना (२) निवास; स्थिति भी; समेत; उदा० 'तुं सौ आवजे' (३)अवस्था; दशा; स्थिति (४)पद, स्टांप (०) पुं० स्टांप; 'स्टेम्प' ओहदा; स्थिति (५) मर्यादा; स्थिति स्टॉल पुं०; स्त्री० स्टाल; दुकान । स्थितिचुस्त वि० रूढ़िवादी; स्थितिस्त्री स्त्री० औरत; स्त्री (२)पत्नी पालक; 'कनजरवेटिव' स्त्रीकेसर न० स्त्रीकेसर [त्रियाचरित्र स्थितिस्थापक वि० पूर्व अवस्था प्राप्त स्त्रीचरित (-त्र) न० तिरिया चरित्तर; करनेवाला; स्थितिस्थापक; लचीला स्त्रीजन न० औरत; स्त्री स्नान न स्नान; नहाना (२)मृतस्नान । स्त्रीधर्म पुं० स्त्रियोंका कर्तव्य ; स्त्रीधर्म [-करवं = नहाना (२) [ला.](किसी (२) रजोदर्शन; स्त्रीधर्म [स्त्रीपात्र संबंधीको) मरा हुआ समझना; सारा स्त्रीपात्र न० कथा, नाटक आदिका संबंध तोड़ देना.] स्त्रीबुद्धि स्त्री० स्त्रीकी बुद्धि; स्त्रीबुद्धि स्नेहलग्न न० प्रीतिविवाह (२) स्त्रीकी सलाह [[व्या.] स्नेहसंमेलन न० स्नेहियोंका सम्मेलन स्त्रीलिंग न० स्त्रीलिंग; नारीजाति स्नेह-सम्मेलन; 'सोश्यल गेरिंग' स्थान न० स्थान; जगह; स्थल (२) स्नेहाळ वि० प्रेमपूर्ण; स्नेहल रहनेकी जगह; घर; स्थान (३) स्पर्षवं अ०क्रि० स्पर्धा करना पद; ओहदास्थान स्पर्धास्पर्षी स्त्री० होड़; प्रतिस्पर्धा स्थानक न० स्थान; स्थानक ; रहनेकी स्पर्श पुं० छूना; स्पर्श (२) संसर्ग; जगह (२) बैठक; आसन (३) पद; संपर्क; स्पर्श (३) छूनेसे होनेवाला स्थानक; ओहदा ज्ञान; स्पर्शज्ञान; स्पर्श (४)[ला.थोड़ा स्थानकवासी वि० (२)पुं० जैनोंका एक अंश; लव; गंध; अल्पमात्रा; लेश संप्रदाय (३)स्थानकवासीका या उससे (५) (संसर्ग, स्पर्श या संगका)असर संबंधित स्पर्शवं सक्रि० छूना; स्पर्श करना स्थानिक स्वराज (-ज्य) न० स्थानिक स्फुरण न०,(-णा)स्त्री० स्फुरण (२) स्वशासन; 'लोकल सेल्फ गवर्नमेंट' - स्फूति; तेजी; फुरती स्थापवं सक्रि० स्थापित करना, स्फुर, अक्रि० स्फुरित होना; कांपना, कायम करना (संस्था आदि); स्थित (अंग) फड़कना; स्फुरना [प.] (२) करना; प्रतिष्ठित करना; निर्माण मनमें एकाएक आना; प्रकाशित होना; गु. हिं-३४ For Private and Personal Use Only Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्फोट चमकना(विचार, चमक आदि):स्फुरण होना (३) अंकुरित होना; फूटना स्फोट पुं० फूटकर निकलना (अंकुर आदि); फूटना; फटना, स्फोट (२) निबटारा; अंत; फैसला (३)फोड़ा; सूजन,स्फोट (४)वर्णके श्रवणसे मनमें उत्पन्न होनेवाला भाव; शब्दार्थका बोध; स्फोट [व्या.] स्मरण न० स्मरण; स्मृति; याद (२) बार-बार याद करना [स्मृतिचिह्न स्मरणचिह्न न० स्मारक; यादगार; स्मरणपोयी स्त्री० देखिये 'नोंधपोथी' स्मरस०क्रि० याद करना; स्मरना[प.] लव अ.क्रि० टपकना; चूना स्वदेशी वि० अपने देशका; स्वदेशी (२)न० स्वदेशज; स्वदेशबंधु (३) स्वदेशकी भावना (४) अपने देशका माल इस्तेमाल करनेकी भावना स्वदेशी धर्म पुं० अपने पड़ोसकी परिस्थितिकी सेवाके द्वारा जगतकी सेवा होती है यह भावना; स्वदेशीका धर्म स्वधर्मी वि० अपने धर्मका (२) पुं० अपने धर्मका आदमी; स्वधर्मी स्वमाम न० अपना वतन (२) स्वर्ग [जवं, पहोंचq= मर जाना; स्वर्गवास होना; परलोक सिधारनाः] स्वान, स्वप्नुं न० स्वप्न ; सपना; ख्वाब स्वभाव पुं० स्वभाव, सहजप्रकृति(२)टेव, आदत; प्रकृति। [-परयो सदा बना रहनेवाला मूल गुण या धर्म बन जाना, 'आदत पड़ना(२)आदत बन जाना.] स्वीकार स्वागतप्रमुख पुं० स्वागताध्यक्ष स्वागतसमिति स्त्री० स्वागतसमिति स्वागता स्त्री० स्वागत; सत्कार; अभि नंदन (२)पुं० एक छंद स्वाद पुं० स्वाद; जायका (२)सौंदयं; आनंद; रस (३) चखना (४) मज़ा; लज्जत; स्वाद(५)मोह शौक़ रुचि।[करवो = चखना (२) खानेकी चीजोंका चसका लगना । -चखाडवो चखाना (२) अनुभव कराना(३)स्वाद चखाना; मारना। -चाखवो, जोवो चखना, रसानुभव करना, मजा लूटना ।-पडवो = रुचिकर होना; पसंद आना; मजा आना। - लेवो = देखिये 'स्वाद चाखवो'.] स्वादियुं, स्वावीलुं वि० चटोरा; जिभला स्वाधीन वि० जो अपने ही अधीन हो; स्वाधीन (२) जो अपने वशमें हो; स्वाधीन (३) स्वतंत्र; आजाद; स्वाधीन । [-कर = सौंपना.] स्वार्थो (लं) वि० स्वार्थी; खुदगर्ज स्वाहा स्त्री० अग्निकी पत्नी; स्वाहा (२) अ० अग्निमें आहुति देते समय उच्चारण किया जानेवाला एक शब्द, स्वाहा ।-कर = खा जाना; चट कर जाना।-थq=जल जाना नष्ट होना, . स्वाहा होना (२) खाया जाना.] स्वीकार पुं० स्वीकार; अंगीकार स्वीकारवू सक्रि० स्वीकार करना; कबूलना; मान लेना For Private and Personal Use Only Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हे पुं० ऊष्मवर्गका अंतिम वर्ण हक पुं० हक़ ; दावा; अधिकार (२) नेग; हक़ (३) फ़र्ज़ ; कर्तव्य; हक़ ( ४ ) सत्य; न्याय (५) वि० सही; सत्य; हक़ ; न्याय्य; दुरुस्त । [ -अदा करवो = फ़र्ज़ पूरा करना; हक़ अदा करना । -करवो : मालिकाना हक़ या अधिकारकी माँग करना; दावा करना । वालवो = हक-अधिकार होना । थवुं = मर जाना। दबाववो, मारवो = हकके अनुसार जिसे जो मिलना चाहिये वह उसे न देना; हक़ मारना । - पहोंचवो = हक़ - अधिकार होना । - मां = पक्षमें; हमें . ] [ ठीक; दुरुस्त; न्याय्य एकवार वि० हक़दार ; अधिकारी (२) हकवारण वि० स्त्री० हक़दार (स्त्री) हकदारी स्त्री० हक़दार होने का भाव हकनाक, हकनाहक अ० हक़-नाहक़; अकारण हकसाई स्त्री० नेग; हक़ ; लाग हकार पुं० 'ह' की ध्वनि या 'ह' वर्ण, हकार (२) हाँ करना, स्वीकृति देना । [-भगवो - हाँ करना;स्वीकार करना; क़बूलना. ] हकार स०क्रि० हाँक लगाकर या लल कारकर कहना ; हँकारना हकारो पुं० हाँक लगाकर बुलानेवाला (२) हँकारकर निमंत्रण देनेवाला (३) हुँकारी हकालवं स०क्रि० हदाना; भगा देना (२) हाँकना; चलाना ( ३ ) हँकारना; ऊँचे स्वरसे बुलाना ५३१ ह Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हजामपट्टी हकीकत स्त्री० सही अहवाल या घटना; सत्य बात; हक़ीक़त (२) सच्ची खबर या समाचार; सही हाल; हक़ीक़त (३) ख़बर; हाल; वृत्तांत (४) घटना (५) सत्य; असलीयत ; हक़ीकत; यथार्थता हकीकतदोष पुं० हक़ीक़त, वृत्तांत, घटना आदि बारेमें रही हुई त्रुटि या भूल हकूमत स्त्री ० हुकूमत, सत्ता; अधिकार हकूमती वि० हुकूमत - संबंधी हक्क पुं० देखिये 'हक' हगवं अ०क्रि० हगना हचमच अ०क्रि० किसी स्थिर स्थान परसे या किसी जमी अवस्थासे इधरउधर होना; हिल उठना हचमचाववुं स०क्रि० 'हचमचवुं ' का प्रेरणार्थक; हिलाना हचाको पुं० देखिये ' 'हिचाको ' हज स्त्री० हज; हज्ज ( मक्के की यात्रा ) हम वि० हज़म किया हुआ; पचा हुआ; हज़म (२) [ला. ] ग़बन किया हुआ; हजम हजरत पुं० मालिक; स्वामी; श्रीमान् For Private and Personal Use Only (२) हज़रत ; जनाब ; महोदय हजाम पुं० नाई; हजाम; हज्जाम हजामत स्त्री० हजामत (२) [ला. ] बेकार मेहनत व्यर्थका परिश्रम (३) कड़ी आलोचना करना; आड़े हाथों लेना हजामपट्टी स्त्री० हजामतका काम; हज्जामी (तुच्छकार में ) । [ -करवी = बिना काम-धंधे का बैठा रहना; खाली बैठा रहना; निरर्थक काममें समय गँवाना. ] 25 Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हजार वि० हजार; १०००।-गागं = बहुत; बेहद; हजारहा।-घंटीनो लोट खाबो = बहुत अनुभव होना; खूब मुसाफ़िरी किये होना। -हायनो पणी परमेश्वर.] हजारी पुं० एक पुष्पवृक्ष; गेंदा; हजारा हजारी गोटोपुं० गेंदेका फूल; हजारा; मेंदा हजी अ० अभी; अब तक (२) अब भी हजीरो पुं० मीनारोंवाला संदर मकबरा ' (२) [ला.] बड़ी ख्याति-प्रसिद्धिका काम (व्यंग्यमें) हजु अ० देखिये 'हजी हजूर स्त्री० हुजूर; श्रीमान् (२) उपस्थिति;हाजिर होना;हुजूर। [-भरवी = हुजूरमें-सेवामें रहना.] हजूरियो पुं० हुजूरमें रहनेवाला खास नौकर; हुजूरी (२) अंगोछा; गमछा हबूरी पुं० हुजूरी; राजाका खास नौकर (२) स्त्री० सेवा-टहल हटानुं न० खरीदनेका काम; सौदासुलुफ़का काम (२) खरीदने-बेचनेका पेशा; दुकानदारी; हटुवाई हठ पुं०; स्त्री० हठ; जिंद; दुराग्रह। [-उपर आववं, पकडवी, मां आववं, लेवी, हठे चरवं, हठे भरावं = हठ पकड़ना; जिद पर आना; जिद करना.] हवं अ०क्रि० हठ करना; मचलना हठ अक्रि० हटना (२)पीछे हटना; भागना; हटना हठीलाई स्त्री० हठीलापन; जिद हठीलं वि० हठीला; जिद्दी; हठी (२) असाध्य; लाइलाज (रोग) हरकवा पुं० हड़क; जलातंक (रोग) (२)[ला.] हड़क जैसा पागल आवेग; हरसेलो हड़का;हड़क । [-पवो, लागवो हड़क रोग होना; हड़काया बनना (२) हड़क जैसे पागलपनके अधीन बनकर आचरण करना; हड़काये जैसा बर्ताव करना। हालबोखूब हड़क उठना.] हरका (-येलं) वि० हड़काया; पागल हडताल स्त्री० एक उपधातु; हरताल हस्ताल स्त्री० हड़ताल [हड़ताली हडतालियो पुं० हड़ताल करनेवाला; हरताळ स्त्री० हड़ताल हडताळियो पुं० देखिये 'हडतालियो' हडवो पुं० हाथ या पैरसे दिया जाने वाला धक्का; टहोका हग्धूत स्त्री० चारों ओरसे धुतकार मिलना;दुतकार (२)वि० सब जगहोंसे तिरस्कृत बना हुआ या दुतकारा हुआ हम्प स्त्री० आग्रह (२) अ० एकदम और तेजीसे;त्वरित;झटपट ।[-कर, करी जवं% बिना चबाये एकदम निगल जाना; हड़पना (२) [ला.] हड़पना; हजम कर जाना (चीज, माल आदि)। -लाईने =एकदम और तेजीसे; चटसे. हरपची स्त्री० ठोड़ी, ठुड्डी हापर्व सक्रि० हड़पना; निगलना हरफ अ० देखिये 'हडप'; त्वरित हरफट स्त्री० देखिये 'अडफट' हडफवं सक्रि० फेंक देना; झिड़कना हडफेट स्त्री० देखिये 'अडफट' हरबर अ० क्रि० पस्तहिम्मत होना; हिम्मत टूट जाना (२) हड़बड़ाना; घबराना हरबाट पुं० हड़बड़ी; धबराहट हरसेल सक्रि० धक्का देना; धकेलना हरसेलो पुं० धक्का; टहोका For Private and Personal Use Only Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हव्हतुं हडतुं वि० खौलता हुआ (२) [ला. ] पूरा; पक्का ; निरा [-साथ खोलना हडहरवं अ० क्रि० 'हडहड' आवाजके हडी स्त्री० दौड़ । [-काढवी, मेलबी = दौड़ना. ] [ लपकनेकी आवाज हड्डाट, हड्ड अ० तेजीसे दौड़ने या डेबाट अ० देखिये 'हडुडाट' हहडे स्त्री० कुत्तेको हाँकनेकी आवाज (२) किसीके प्रति आदरका अभाव; अवज्ञा; अवहेलना हो पुं० बैलगाड़ीको आगेकी ओर झुकने से रोकने के लिए लगायी जानेवाली लकड़ी ; हरैना; उंटड़ा हगबुं स० क्रि० क़त्ल करना; जानसे मार डालना; नाश करना; हनना हमहनबुं अ०क्रि० हिनहिनाना; हींसना हमहजाट पुं०, (टी) स्त्री० हिनहिनाहट; हींस हतुं महोतं थई जर्बु = जड़मूलसे नाश होना; नाम उठ जाना; नामोनिशान न रहना हत्या स्त्री० हत्या; खून । [-पोटवी = हत्या लगना । -लेवी, बहोरबी = हत्या सिर लेना; पापका भागी बनना.] हत्याकांड पुं० भारी खूनखराबा या संहारकी घटना हत्यारं वि० हत्यारा; घातक हथियार न० हथियार; अस्त्र-शस्त्र (२) साधन; उपकरण ( ३ ) औजार; हथियार । [ - उगामव, ऊंचकवां, पकडवां, लेवां, सज हथियार उठाना; हथियार बाँधना; युद्धके लिए तैयार होना. ] हथियारबंध वि० हथियारबंद; सशस्त्र = ५३३ हपती हथियारबंधी स्त्री० हथियार रखनेकी मनाही; हथियारबंदी हवेली स्त्री० हथेली; करतल । [-खाडवी- कुछ मिलेगा नहीं ऐसा सूचित करना; अँगूठा दिखाना। मां नचावर्बु = किसीसे इच्छानुसार काम कराना; नाच नचाना; हाथमें करना । -मां स्वर्ग बताव, मां हीरा बतावबा : बड़ी बड़ी आशाएँ देकर ठगना; गुड़ दिखाकर ढेला मारना.] [ ग्रहण हवाळी पुं० देखिये 'हाथेवाळो'; पाणिहळी स्त्री० देखिये 'हथेली'; हस्ततल हपोटी स्त्री० हथोटी; हस्तकौशल (२) टेव; अभ्यास हथोडी स्त्री० हथौड़ी होडो पुं० हथौड़ा हयं वि० (समासांत में ) हाथकी नापका ; उदा० 'अढीहथ्थुं ' (२) हाथमें; उदा० 'एकहj' Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हब स्त्री० हद; सीमा; मर्यादा (२) अंत; हद । [ - आववी, यवी = हद होना; अति हो जाना; औचित्यकी सीमा लाँघ जाना ।-ओळंगवी, बटाबवी = हदसे गुजरना; मर्यादाके पार हो जाना। -करवी, वाळवी = हद कर देना; अति कर देना; औचित्यकी सीमा लाँघ जाना.] [ बाहर हवपार अ० बेहद ; अतिशय ( २ ) हदके हदपारी स्त्री० किसी हदके बाहर होनाहनुमानकूबको पुं० हनुमान जैसी लंबी कुदान, छलाँग; 'लांग जंप ' [ वार हपतावार अ० क़िस्तके अनुसार; क़िस्तहपती पुं० सप्ताह; हफ़्ता (२) क़िस्त चुकानेका नियत समय या नियत रक्रम, क़िस्त [ -करवो, बांदो= For Private and Personal Use Only Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - हफतावार किस्त बाँधना। -पडवो किस्तका नियत समय पर अदा न होना; किस्तखिलाफ़ी होना। -भरवो=किस्त अदा करना.] हमतावार, हफतो देखिये 'हपतो' आदि हबक स्त्री० भारी डर; हैबत; हौल हबक, अ०क्रि० चौंकना; डर जाना; हौल पैठना हबशी पुं० हबशी हबसण स्त्री० हबशीकी या हबशी जातिकी स्त्री; हबशिन; हबशन हबसी पुं० हबशी हबहबाट पुं० 'हब-हब' आवाज (२) कोलाहल ; शोरगुल हमणां अ० अभी; इस समय; फ़िलहाल हमराही स्त्री० साथ; सुहबत हमवतनी वि० एक ही देशके निवासी हमवतन [दस्ता; खल-बट्टा हमामदस्तो पुं० हावनदस्ता; हमामहमाल पुं० हम्माल ; हमाल ; कुली हमाली स्त्री० हमालका काम हमियाणी स्त्री० (रुपये रखनेकी)थैली%B गैजिया (२)[ला. धन; दौलत हमेल पुं० गर्भ; हमल (२) स्त्री० चपरास; पट्टा। [-रहेको सगर्भाहामिला होना.] हमेश अ० हमेशा; रोज । हमेशा अ० हमेशा; नित्य; सदैव 'हयात वि० जिंदा; जीवित हयाती स्त्री० जिंदगी; हयात (२) अस्तित्व; हस्ती हर वि० हर; प्रत्येक हरकत स्त्री० अड़चन; रुकावट; बाधा (२) आपत्ति; एतराज; हर्ज . हराती वि० रुकावट डालनेवाला हरकोई वि. प्रत्येक; चाहे जो कोई; ___ कोई भी हरस पुं० हर्ष; आनंद; हरख [प.] रललं वि० अति हर्षसे पागल बना हुआ; हर्षोन्मत्त हरखमेर अ० हर्षके साथ; सहर्ष हरख (-खा) अ.क्रि० खुश होना; प्रसन्न होना; हरखना; हरखाना प.] हरगिन(-स) अ० हरगिज; कभी; किसी हालतमें हरजी पुं० परमेश्वर, हरि [फल; हड़ हर न००व० हड़के अधपके छोटे हरडे स्त्री० हर्र; हड़; हरीतकी (फल) हरण न० हिरन; मृग; हरिण .. हरणियुं न०, (-यो) पुं० मृगशिरा नक्षत्र; मृगशीर्ष [मृगशीर्ष नक्षत्र हरणी स्त्री० हिरनी; हरिनी (२) हरणुं न० हिरन; मृग [हरताल हरताल(-ळ). स्त्री० एक उपधातु हरतुंफरतुं वि० जो धूम-फिर सके; घूम-फिर सके ऐसा या उतना; चंगा हरदम अ० हरदम ; हमेशा [पहर हरनिश अ० दिन-रात; अहर्निश; आठों हरफ पुं० हरफ़; बात ; शब्द (२) अक्षर; [आना-जाना हरफर स्त्री० घूमना-फिरना; बार-बार हरबडवं अ० क्रि० देखिये 'हडबडवू' हरबडाट पुं० हड़बड़ी; घबराहट हरभु वि० हलदीके स्वादका हरबर्बु सक्रि० देखिये 'हराव' हर वि० हरा; सज (रंग) (२) ताजा; हरा हरवं सक्रि० जबरदस्ती भगा ले जाना (स्त्रीको); हरना; हरण हर्फ़ For Private and Personal Use Only Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . वासीर करना (२) छीन लेना; हरना; हड़पना (३) ले लेना हरत पुं० अर्श; बवासीर हरसमसा पुं० ब०व० अर्श और मस्सा हराज वि० नीलाम किया हुआ, नीलामी हराजी स्त्री० नीलाम। -बोलाववी = नीलाम करना; नीलाम पर चढ़ाना.] हराम वि० इसलामी धर्मशास्त्रके विरुद्ध ; हराम ; निषिद्ध; धर्मशास्त्रमें निषिद्ध (२) बिना हक़का; अनुचित; हरामका (३) मुफ्तखोर; आलसी; निरुद्यम। [-ना पैसा = हरामकी कमाई; हरामका माल।-नी ओलाव, -तुं खोळियु=हरामका बच्चा,हरामखोर; दुष्ट शठ। -तुं खा_= हरामका खाना; बिना मेहनत किये खाना। नो माल = हरामका माल ; हरामकी कमाई.] हरामखोर वि० हरामका माल खानेवाला; हरामखोर (२) कृतघ्न, नमकहराम; हरामखोर (३)दुष्ट; बदमाश हरामजादुं वि० हरामके गर्भसे उत्पन्न हरामजादा हरामी वि० हरामखोर; कृतघ्न; बदमाश; हरामी (२)स्त्री० हरामखोरी; नमकहरामी; मुफ्तखोरी हरायं वि० हरहा; हरहट (पशु) (२) निरंकुश; मत्त (पशु)।-डोर-पशु जो भागा फिरनेवाला हो और जिसका कोई मालिक न हो (२) [ला.] उसके जैसा निरंकुश व्यक्ति; आवारा हरावतुं सक्रि० 'हरवू', 'हार'का प्रेरणार्थक; हराना (लड़ाई-झगड़े आदिमें) [कर्मणि हरावं अ० क्रि० 'हर', 'हारवंका हरि पुं० हरि; विष्णु; श्रीकृष्ण (२) घोड़ा; हरि (३) सिंह (४) बंदर (५) चंद्रमा ।[-नोलाल =भगवानका भक्त; ईश्वरकी प्रेरणासे चलनेवाला पुरुष (२) सखी आदमी; दाता पुरुष.] हरिजन पुं० हरिका आदमी;भगवज्जन, देवदूत (२) अंत्यज'; अछूत; हरिजन (३) हरिका भक्त हरिजनेतर पुं० जो अंत्यज न हो;अंत्यजसे भिन्न (२) पुं० ऐसा पुरुष; सवर्ण हरिण पुं०; न० हरिण; हिरन हरिणी स्त्री० हरिणी; हिरनी; मृगी (२) एक वर्णवृत्त; हरिणी (छंद) हरिताल स्त्री० हरताल (उपधातु) हरियाळी स्त्री० हरियाली; सजा हरियाळं वि० हरा; सब्ज हरीफ पुं० हरीफ़;प्रतिद्वंद्वी प्रतिस्पर्धी (२) विरोधी; हरीफ़; शत्रु हरीफाई, हरीफी स्त्री० स्पर्धा; होड़; प्रतिद्वंद्विता (२) लाग-डॉट; शत्रुता हरेक वि० हर एक; प्रत्येक हरेरो पुं० एक पेड़ हरोल(-) स्त्री० सेनाका पिछला हिस्सा(२)पंक्ति; कतार; श्रेणी (३) बराबरी; जोड़। [-मां आववं, ऊe रहे, बेसq = स्पर्धा करना.. हल पुं० हलनिर्णय; सुलझाव।[-करवं हल करना; सुलझाना.] हल न० हल (खेतीका औजार) हलक स्त्री० कंठ; हलक; गला (२) शोभा; बहार; रौनक (३)पल; क्षण हलकदार वि० सुरीला हलकट वि० हलका; कमीना; नीच; ओछा .हलकई हलकाई स्त्री० हलकापन; नीचता; For Private and Personal Use Only Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हलकापनुं हलकापनुं न० भार न होना; हलकापन हलकार स० क्रि० जोरसे पुकारना (२) टिटकारना; चिल्ला-चिल्लाकर हाँकना (३) चलाना; हाँकना हलकारो पुं० हरकारा ; क़ासिद ( २ ) हरकारा; दूत ५३६ हलकाश स्त्री० हलकापन हलकुं वि० कम वज्रनवाला; जो भारी न हो; हलका (२) कम दामवाला; मामूली ; हलका (३) जो जल्दी हज़म हो जाय; सुपाच्य; पक्का (पानी); हलका (४) कम परिश्रममें हो जानेवाला; सहल; हलका(५)हलका; ताजा; थकानरहित; प्रसन्न चितारहित; उल्लासपूर्ण (६) जो (प्रहार) तेज या अधिक कष्ट देनेवाला न हो; जो गहरा न हो (रंग); हलका मीठा (७) घटिया; निकृष्ट (८) नीच; ओछा; कमीना; हलका ( ९ ) अघटित; निदित; अप्रतिष्ठित; हलका । [ हलका पेटनुं = पेटकी बात या गुप्त बात बता देनेवाला; पेटका हलका (२) अनुदार मनवाला; संकुचित मनोवृत्तिवाला (३) नीच कुलका । —कर = वज्रन, भार कम करना (२) मारमारकर अशक्त बना देना; पीटकर भरता बना देना (३) घमंड चूर करना । -पवं: = वजन कम होना (२) देखिये 'हलकुं पडवं' । -पढबुं = अपमानित होना; हलका होना । —लोही = घटिया दरजा या जाति; अप्रतिष्ठितता (वंश, कुल, आदिकी) . ] हलमल स्त्री० खलबली; उपद्रव, हलचल हलमलबुं अ० क्रि० हिलना; डोलना (२) [ला. ] भावमग्न होना; दिल भर आना हलबुं अ०क्रि० हिलना; डोलना हले हलबी पुं० एक मिठाई हलाक वि० हैरान ; हलाकान (२) कंगाल हलाकी स्त्री० हैरानी; हलाकानी; तकलीफ़ (२) तंगी; ग़रीबी ; कंगाली हलामण स्त्री० चक्कर में आना; भटकना; हैरानी (२) माथापच्ची; झंझट ; पचड़ा हलाल वि० ( इसलामी ) शरअके अनुकूल; हलाल; विहित;जायज । [-करबुं = पशुका शरअकी विधिसे वध करना; हलाल करना (२) बदले में पूरा काम कर देना; हलाल करना. ] हलालखोर पुं० भंगी ; हलालखोर (२) क़साई (३) पूरा काम करके बदला प्राप्त करनेवाला; हलाल करनेवाला हलाव स०क्रि० 'हालव' का प्रेरणार्थक; हिलाना ( २ ) किसी वस्तुको ऊपरनीचे, दायें-बायें ले जाना या गति देना; हरकत देना, हिलाना; डोलाना (३) किसी वस्तु या व्यक्तिको किसी स्थान से हटाना ; खिसकाना; हिलाना (४) प्रचलन करना; चलाना (विचार, बात, चर्चा आदि ) ; चलनेको प्रेरित करना ( हलचल, प्रवृत्ति आदि) । [ जीभ हलावबी = बोलना; जबान हिलाना ( २ ) सिफ़ारिश करना। मायुं हलाववुं = सिर हिलाना ( स्वीकृति, अस्वीकृति आदि सूचनाके लिए)। लूली हलाववी = देखिये 'जीभ हलाववी' । हाथ हलाववा = हाथ-पाँव हिलाना; काम करना; मेहनत करना. ] [ जाना हलाधुं अ० क्रि० 'हालवु' का भावे; हिला हलाबुंचलावं अ०क्रि० हिला-डुला जाना; कुछ क्रिया करनेमें समर्थ होना हलेतुं वि० दुनियादारी न जाननेवाला; अल्हड़ (२) धीमा; मंद; मंथर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हन. माव खेनेकारंडागड़बल्ला हलो पुं० हमला; हल्ला; धावा (२) .] धक्का; हानि; घाटा (३)[ला.] कामकाज; उपम : हमर वि० देखिये 'अवर्ड' हवां अ० इस समय; अभी हास पुं० हवस; इच्छा; वासना(२) कामवासना (३) लालच; हवस हबसतोर वि० कामी; विषयी हवा स्त्री० हवा; वायु (२)वातावरण; परिस्थिति:हवा(३)नमी,तरी। [(गाममा)-केवी छ? गांवमें क्या चर्चा-बातचीत चल रही है ? (२) गांवमें जीवनको प्रभावित करनेवाली परिस्थिति या वातावरण कैसा है ? (३)गाँवके लोगोंका आरोग्य कैसा है ?-जावा जq= हवाखोरीके लिए स्वास्थ्यवर्षक स्थानको जाना, हवा खानेके लिए जाना (२)बेकार भटकते रहना या ठाली बैठे रहना; कहींकी हवा खाना। साबी हवा खाना; खुली जगहमें टहलना (२)कुछ न मिलना; असफल रहना, हवा खाना(३)गायब हो जाना, हवा हो जाना। -मां की अq= गायब हो जाना; हवा हो जाना(२) मेहनत बेकार जाना। -मां किल्ला बांधवा-हवाई किले रचना; खयाली पुलाव पकाना।-मांबाचका भरवा = व्यर्थ कोशिश करना; हवा पीटना।लागवी-हवा लगना;किसीके संसर्गका प्रभाव पड़ना (२) हवा या नमीका असर होना.] . हमाई वि० हवाई हवासे संबड (२) हवाको चीरकर चलनेवाला; हवाई (३)कल्पित; मनसे गढ़ा हुमा; हवाई गु. हि-३५ (४)स्त्री. एक आतिशबाजी हवाई। [-किल्ला बांधना = देखिये 'हवामां किल्ला बांधवा'। -छुटवी - हवाई (आतिशबाजी) छूटना (२) अफवाह फैलना; हवाई उड़ना.] हवाई जहाज न हवाई जहाज;वायुयान हबाट पुं० किसी चीजपर नभ हवा लगनेका असर (होना); नमी; तरी हवागे पुं० जानवरोंके पानी पीनेके लिए (कुएंके पास) बनाया गया कुंड; उबारा हवाण स्त्री० सुहबत, मंत्री या साथ रहनेका आवंद (२) साथ रहनेसे मिलनेवाला बल (३) आराम; चैन(४) न० पशुकी मादाके गर्भाधानका काल हवातियुं न० व्यर्थ कोशिश; मिथ्या प्रयत्न । [हवातियां मारवां बेकार कोशिश करना.] हवाफेर पुं० स्वास्थ्यके कारण हवा खोरीके लिए कहीं जाना हवामान न० वातावरणमें होनेवाले हवाके दबाव आदि परिस्थितियोंकी नाप [(२) अहवाल ; वृत्तांत हवाल पुं० अवस्था; हालत ; हवालाप.] हवालदार पुं० पटवारी या चौधरीका सिपाही; हवलदार(२)फौजके सिपाहियोंकी या पुलिसकी छोटी टुकड़ीका अफ़सर; हवलदार; हवालदार हवालबारी स्त्री. हवालदारका काम या पद.. ... हवालो पुं० कबा; अधिकार (२) सिपुर्दगी; हवाला (३) इख्तियार; सत्ता, अधिकार()बारीक छलनी (५) परस्परके खालेमें जमा-उधार करना, सानांतरित प्रविष्टि । [हमाले पार = कम्जेमें लेना (२) कम्नमें देना; For Private and Personal Use Only Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हवाले करना। -आपबोजामिन बनना, हवाला देना (२) सौंपना । पासवोपरस्परके खातेमें जमाउधार करना.] हवावं अ०क्रि० किसी चीज़में हवाका मिलना; नमी लगना; हवा लगना हुने अ० अब; इस समय (२) इसके बाद; आइंदा; आगे। हवेग पुं० हलदीका चूर्ण हवेगे पुं० देखिये 'हवाडो' होषी अ० आगेसे; आइंदा [मंदिर हवेली स्त्री० हवेली (२) पुष्टिमार्गीय हो अ० खैर; भले; कोई परवाह नहीं। होकुं वि० थोड़ा गरम; कुनकुना हसमुलं वि० हँसमुख, प्रसन्न हसवं अ०कि० हँसना खुले मुंहसे हर्षध्वनि निकालना (२) मजाक करना; हंसना (३) सक्रि० उपहास करना; हँसी उड़ाना (४)न० हंसी, हास्य(५) मजाक; दिल्लगी हंसी। [हसचामांची ससई पर्वमजाक उड़ानेसे बुरा नतीजा निकलना,मजाक करनेका फल भुगतना । हसी काठy= हँसीमें उड़ा देना; हँसीमें ले लेना; हंसकर बात उड़ा देना ।हती मांस हँस देना; हँस पड़ना (२)देखिये 'हसी काढy'। गांत काडीने, पेट पकडीने हसj= हंसते-हँसते पेटमें बल पड़ जाना; खूब हँसना; लोट-पोट होना.] हसाब, सक्रि० 'हसवु'का प्रेरणार्थक हँसाना। [लोक हसाववा=जगहँसाई, लोकनिंदा कराना.] हिँस देना हमा २० क्रि० 'हसवू' का कर्मणि; हती स्त्री०,(-) न. हंसना; हंसी (२) हांसी; मजाक; हंसी हळाहळ हस्तक वि०(२)अ० के जरिये के द्वारा (३) हवाले; कब्जेमें; ताबे. हस्तधूनन न० अभिवादनके रूपमें आप समें हाथ मिलानेकी क्रिया; 'शेकहेन्ड हस्तप्रत स्त्री० पुस्तककी हस्तलिखित 'प्रति; पांडुलिपि; 'मेन्युस्क्रिप्ट हस्तमेळाप, हस्तमेळो पुं० हथलेवा; पाणिग्रहण हस्ते अ० हस्ते-के द्वारा; मारफत । [-पोते= खुदने किया है ऐसा अर्थ सूचित करता है (प्रायः हिसाब और लेन-देनमें).] हळ न० जमीन जोतनेका औजार; हल।[हळे जोगवं हलमें जुतना (२)सख्त मेहनतके काममें लगातार जुते रहना.] हळा (०२) स्त्री० हलदी; हलद हळपति पुं० (सुरतकी ओरकी) 'दुवळा' जातिका एक व्यक्ति हळपूणी स्त्री० फाल; कुसी (हलकी) हळवाश स्त्री० प्रखरताका अभाव; धीमापन मंदता; हलकापन हळवं वि० हलका; मंद; आसान; कम परिश्रममें हो जानेवाला; धीमा, धीरमृदुनरम (२)[डा.] अप्रतिष्ठित, हळवं अ०कि. हिल जाना; परचना; हिल-मिल जाना(२)जी लगना; ठीक लगना, रुचना; भाना (३)अवैध संबंध जोड़ना; आशनाई करना हळमळ, सक्रि० हिलना-मिलना; घुलना-मिलना(२)हिल-मिलकर चलना हळवे (०पी) अ. होलेसे; आहिस्ते हळाहळ वि० अति तीव; भीषण (२) न० कालकूट विष; हलाहल For Private and Personal Use Only Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्कीमळीने हीनळीने = हिल-मिलकर हार सक्रि० होकना; चलाना हंगामी वि० अस्थायी; थोड़े अरसेका हंगामो पुं० हंगामा,धमाल,उपद्रव (२) हुल्लड़; हंगामा; ऊधम हंकावसक्रि० 'हांफवू' का प्रेरणा र्थक; थकाना; हराना हमेश (-शा) अ० हमेशा; रोज हंस पुं० हंस (२) आत्मा; जीवात्मा; हंस (३) एकदंडी (संन्यासी); हंस हंसणी स्त्री० हंसनी; हंसी हंसपद न० लिखावटमें (.)चिह्न हंसपद हंसा पुं० एक छंद (२) स्त्री० हंसनी हंसी स्त्री० हंसी; हंसनी हा अ० सम्मतिसूचक उद्गार; हाँ (२) स्त्री० स्वीकृति (देना); हाँ करना। [-पारवी हाँ करना;स्वीकार करना; मानना. हाउ पुं० हाऊ; हौवा (२) सांप हाक स्त्री० हाँक; जोरकी पुकार (२) प्रभाव; धाक; रोब; आतंक। [देलाडवी, देवी= डर दिखाना।मानवी = (किसीका) प्रभाव मानना; आज्ञाकारी रहना; भय मानना; रोबमें आना। -वागवीप्रभावका असर होना; डंका बजना; धाक जमना.] हाकल स्त्री० हॉक; जोरकी पुकार (२) उत्साहयुक्त अनुरोध या विनती; पुकार; हांक; आह्वान हाक अक्रि० हांकना; चलाना (२) हाक देकर भगा देना हाकेटो पुं० देखिये 'हाकोटो' हाकेम पुं० हाकिम; सूबेदार हाकोट, स० कि० जोरसे बोलना; चिल्लाना (२) डांटना; फटकारना हाकोटो पुं० जोरकी आवाज; चीख हाक हाजल स्त्री० हाजत; आवश्यकता जरूरत (२)शौच आदिका वेग हाजत (३)हवालात; हाजत; 'लोक-अप'। [-वी, लागवी = टट्टी-पेशाबकी हाजतहोना।-परवी=आदत पड़ना। हाजते जq=पाखाने जाना; हाजत रफ़ा करना.] हाजर वि० हाजिर; उपस्थित; मौजूद हाजरजवाब पुं० हाजिरजवाब; जो बातका यथायोग्य जवाब तुरत दे हाजरजवाबी वि० जिसे बातका यथायोग्य जवाब तुरत सूझ जाय; हाजिरजवाब (२) स्त्री० हाज़िरजवाबी; तुरत जवाब देनेकी शक्ति हाजरजामि(-मी)न पुं० हाज़िरजामिन हाजराहजूर वि. जो हजूरमें-सेवामें हाजिर हो; हाजिरबाश (२)साक्षात्; आँखोंके सामने; हाजिर हाजरी स्त्री० हाजिरी; मौजूदगी उपस्थिति (२) सवेरेका खाना; हाजिरी।[-पूरवी, भरवी = हाजिरी रजिस्टर में लिखना; हाजिरी लेना। -लेवी = उपस्थिति मालूम करना (२) सख्त उलहना देना; फटकारना.] हाजरीपत्रक न० हाजिरीकी किताब; रजिस्टर हाजियो पुं० हाँ (२) खुशामदी; हांजीहाजी करनेवाला। [-पूरवो हो करना; सम्मति देना.] हाजी पुं० हाजी; हज करनेवाला हाजी अ० हाँ जी जी साहब : हाजी हा स्त्री० खुशामद; हांजी-हाजी हाट स्त्री०; न० हाट; दुकान (२) For Private and Personal Use Only Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हारियं ५४० साप्ताहिक बाजारहाट; गुजरी। [- काम न करना। -अतरवं, तरी मां दुकान करना; हाट करना.] = हड्डी उखड़ना। नमाव-दिल हाटियं न दीवारमें बनी हुई अलमारी; लगाकर, कमर बांधकर काम करना.] भंडरिया , हाउपिचर न• अस्थिपंजर; कंकाल हाड न० हड्डी (२) देहकी गठन; हारमार स्त्री० दिक्कत; परेशानी काठी (३) अ० (मुहावरेमें) एकदम; कठिनाई [(२)देखिये 'हारमार बिलकुल; निपट (४) खूब; बहुत ही। हाडमारी स्त्री० तिरस्कार; धुतकार [-आव खूब तंग आना;थक जाना; हाब्वेर न० पक्का बैर; बापावर उकता जाना (२) खूब दुर्बल हो जाना; हाम्वेव(-4) पुं० हड्डी बैठानेवाला; हड्डियाँ निकल आना;सूखकर कांदा हो कमंगर जाना । -अq = असलियत जाहिर हाग्यिो पुं० कौआ (पक्षी) [बुखार करना अपने पर आना(२)हाथसे जाना हाग्यिो ताव पुं० जीर्णज्वर; पुराना (३) रुपये-पैसेसे बिलकुल खाली हो हारे(-)हार अ० हड्डियों तक जाना। -नो तावजीर्णज्वर;पुराना प्रत्येक अंगमें। -यापी जवं, लापी बुखार।-भांगवां बुरी तरह पीटना; जq=सिरसे पैर तक आग लगना.] हड्डी तोड़ना (२) शरीरसे दुर्बल- हाण (म,) स्त्री० हानि; नुकसान हडहा बना देना (३) दिल लगाकर हाय पुं० हाथ; हस्त (२) कुहनीसे काम करना.] बीचकी उँगलीके सिरे तककी नाप; हारकी स्वी० छोटी और नाजुक हड्डी हाथ (३) (ताशमें)जीता हुआ दाय हारकुं न० हड्डी। [हाडका खोखरां हाथ (४) रेलका सिग्नल; सिकर करवा = हड्डी-गुड्डी तोड़ना; हड्डी दरा (५) [ला.] हस्तकौशल (६) तोड़ना; अधमरा करना। हारका सहायता; सहयोग; हाथ बँटामा; चालवा = शरीरमें काम करनेकी प्रेरणा; साथ; उदा० 'ए काममां मारो ताकत होना;हाथ-पांव चलना । हार- हाय नयी' (७) कृपा; रहम; उदा. कान आखं, भागलं, माखो हारकान, 'सेना उपर मारा बन्ने हाथ छे' हारकांनु हराम= कामचोर; आलसी। (८) (रँगाई आदिमें) दफ़ा; वार; हारकांनो माळो= हड्डियोंका ढांचा; पुट; उदा. 'रंगना बे हाथ दोषा' कंकाल । हाडकां भारे थांमार (९) पाणिग्रहण; हथलेवा; उदा. • खानेके लक्षण दिखाई देना। हारका 'कन्याना हाथनी मागणी करी' मांगवा = जी लगाकर मेहनत करना (१०) इख्तियार; सत्ता; काबू (२)बुरी तरह पीटना; हड्डी तोड़ना। बस; उदा. 'मारा हाथनी वात हारका रंगयां हड्डी तोड़ना (२) नयी (११) ओर; तरफ़; दिशा; खूब नुकसान करना।हारकांबाळां: हाथ; उदा. 'डाबे हाये तेनुं घरछे। कसरत करना (२) मेहनत करना। [-अबकारबो, अगरबो = हादसे हारका हराम करवां आलसी होकर स्पर्श करना; हाथ लगाना (२) For Private and Personal Use Only Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हटाना; काम करने में सहायता काला। -आवकुं%3Dमिलना; फायदा होना; हाथ आना (२) अधिकारकम्बोमें आना; हाथ आना।-उगालबो मारने पर उतारू होना; किसी पर हाथ उठाना। उनको देखिये 'हाथ उगामबो' (२) अपना क्रमा या हक्क छोड़ देना। उपर लेबशमें करना; हायमें करना (२) काम शुरू करना; हाथमें लेना। -उपास्वोकिसी पर हाथ उठाना; मारना। ऊतरीबो-हाय उखड़ना, उतरना।-ऊपरबो-हाथ उठाबैठना; हापसे मारना। ऊंचो रहेको किसी काममें फंसनेके बाद उसमें से पैदा होनेवाले दोषसे अलग रहना, बचना । (२)माशा देनेवालेकी स्थितिमें होना। करवू = अधिकार करना; हाथमें करना। -कापी आपया = सही, कबूलियत आदि देकर खुद विवश होना; हाथ कटा देना; हाथ कटाना।-काळा करवा-बुरे काममें शरीक होना; कलंकका टीका लगाना; हाथ रंगना (२) घूस लेना; हाथ रंगना। संरवा = काममेंसे फ़ारिग होना; किसी कामसे हाथ खींचना; काममें सहायता देना बंद करना; हाथ उठा लेना; जिम्मेदारी फेंक देना (२)हाथ झाड़ना; आशा छोड़ देना। -बसवा = पछताना; हाथ मलना (२) हार जाना; थकना। -धालबो=किसी काममें दखल देना; हाथ डालना; हस्तक्षेप करना। = (काममें) हाथ जमना, बैठना (२) हत्थे चढ़ना; हत्थे लगना। -चलावयो= काम करना; तेजीसे काम करना; हाथ चलाना (२)(किसी पर) हाप उठाना; मारना; हाथ चलाना (३) जल्दी-जल्दी खाने लगना; मुंह चलाना (४) (लिखावटमें)काट-छाँट करना; सुधारना । -चळवळया %D (मारनेको)हाथ खुजलाना। -भाटवों = व्यर्थ प्रयत्न करना; हाथ-पांव पीटना [ला.] । बालवो= हाथ चलना। -बोलो न होवोस्त्रीका रजस्वला होना; कपड़ोंसे होना (२) हाथका झूठा, बेईमान होना।-बोल्लो होबो-हाथका सच्चा होना;ईमानदार या निष्कलंक होना। -चोळवाखोनेके बाद पश्चाताप करना; हाथ मलना। छूटो होवो खूब खर्चीला या उदार होना; हाथ ऊँचा होना (२) हाथ छुटा होना;मारनेकी आदत होना। -जवा = सहारा, आधार जाना (२) हिम्मत हारना (३) हाथ न चलना; हायसे काम करनेकी शक्तिका न रहना। -सालबो-हाय पकड़ना (२)रोकना; मना करना; हाथ धरना (३)सहायता करना; हाथ धरना; हाथ बँटाना (४) पाणिग्रहण करना; हाथ धरना। -उरवो = किसी काममें हाथका अभ्यस्त होना; हाथ जमना, बैठना। -साळी देवी = सफ़ाईसे छटक जाना (२) छलना; दगाबाजी करना । - थी बदेखिये 'हाथी जवू'।देखाग्यो = ताक़तका परिचय देना (२) हस्तकौशल दिखाना (३) हस्तरेखाविद्को हाथ दिखाना। वो हाथका सहारा देना; टेकाना (२) For Private and Personal Use Only Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हाथ घर चुपड़ना ( रोटीमें घी आदि ) (३) रोकना; मना करना; हाथ देना; हाथ धरना । -धरखंः = काम आरंभ करना; हाथ डालना । —धरवो = हाथ पसारना; भांगना । - धोई नाखवा = आशा छोड़ देना; हाथ धो बैठना (२) दिवाला निकालना (३) ज़िम्मेदारी या किसी काम से हट जाना; हाथ खींचना; हाथ उठा लेना । -घोईने = देखिये 'हाथपग' धोईने । नासवो = हड़पना लूटना; हाथ मारना; हाथ साफ़ करना (२) हाथसे पकड़ना । -नीचे = अधीन; मातहत ( २ ) आश्रयमें; (३) निगरानीमें; देखभालमें । - नीचेनुं = ताबेदार; मातहत ; नीचे काम करनेवाला । -नी वात = बसकी बात; अधिकारकी बात । नुं कर्तुं = अपने हाथसे किया हुआ ( बुरा काम ) । -नुं बोल्युं = हाथका सच्चा । नुं छूटुं = हथछुट (२) उड़ाऊ । -नं जुठं : हाथका झूठा । नुं पौलुं = उड़ाऊ । -नो मेल = तुच्छ वस्तु जिसे दे देनेमें झिझक न हो। पकडवो - देखिये 'हाथ झालो' । -पग = हाथ-पाँव (२) मुख्य आधार (३) हेतु; आदिकारण; मूलकारण । -पग गळी जवा = देखिये 'हाथपग भांगी जवा' । -पग जोडीने बसी रहेवुं = हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना; आलसी होकर बैठा रहना । -पग घोईने = हाथ धोकर ( किसीके पीछे पड़ना) । पग भांगी जवा = हाथ-पाँव हारना; बिलकुल नि:शक्त होना ( २ ) साहसहीन होना; हाथ-पाँव हारना । पछाडवा = गुस्सा करना (२) तीव्र शोक करना; सिर ५४२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हाथ लागवो पीटना । पीळा करवा = हाय पीले करना; ब्याह करना। -बताववो = देखिये 'हाथ देखाडवो' (२) हाथका इशारा, संकेत करना । यांवा = किसीको विवश कर देना; हाथ काट देना । बेसबो = किसी काममें हाथ बैठना, जमना । - भीडमां होवो = तंगदस्त होना; हाथ खाली होना । -मारवा = तैरनेमें हाथ-पाँव हिलाना; हाथ-पाँव मारना | मारवो = चोरी करना; हड़पना; हाथ मारना (२) रोग़न, रंग आदिसे रंगना (३) तैरनेमें हाथपाँव मारना । -मां आवकुं = देखिये 'हाथ आवतुं ' । -मां चांप, दाबवु = घूस देना । - मां पडवं = वशमें होना; हाथ पड़ना; हाथ आना । मां लेपुं = देखिये 'हाथ उपर लेवु' । -मां हाथ आपदो = वचन देना; प्रतिज्ञा करना; हाथ पर हाथ मारना ( २ ) हाथमें हाथ देना, ब्याह कराना । मां होवु = हाथमें होना; वशमें होना, अधिकारमें होना । -मिलाबवो = पाणिग्रहण करना; हाथ धरना (२) दोस्ती करना (३) मेल-मिलाप करना । मूकवो = गुरु या बुजुर्गका आशीर्वाद देना; किसी व्यक्तिमें सरपरस्तके गुणधर्म, स्वभाव आदिका संचार होना; उदा० 'मामाए तेने माथे हाथ मूक्यो छे' । -राखवं = वशमें रखना; हाथमें रखना । —लगाडवो = हाथसे स्पर्श करना; हाथ लगाना ( २ ) मदद करना; हाथ बँटाना। -लंबाववो = मदद माँगना; हाथ पसारना ( २ ) भीख माँगना (३) मदद करना, हाथ बँटाना । - लागनुं = मिलना; हाथ लगना । -लागवो = किसी चीज़का किसीके For Private and Personal Use Only Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हाथी हाथउछीनू ५४३ हाथसे छू जाना; हाथ लगना। -लांबो पर ली हुई या दी हुई, मॅगनीकी(चीज); करवोदेखिये 'हाथ लंबाववो'। हथउधार -पळवो किसी काममें हाथ बैठना; हाथकडी स्त्री० हथकड़ी। [-करवी% अभ्यस्त होना। -सारोहोवो किसी हथकड़ी पहनाना, डालना.] हस्तकौशलमें प्रवीण होना; हाथमें हायकंतामण न० हाथकताई सफ़ाई होना (२) जिससे यश प्राप्त । हाथकागळ पुं० हाथकाग़ज हो ऐसा होना (३) ईमानदार । हापकाम न० हाथका काम; हस्तकार्य होना; हाथका सच्चा होना (४) हायकारीगरी स्त्री० दस्तकारी; हस्त(स्त्रीका) रजस्वला न होना। क्रिया -सांकडमां होवो देखिये 'हाथ हाथकातण न० हाथकताई भीडमां होवो'। -हलको होवो हाथगाडी स्त्री० हाथसे खींचनेकी या =Dहाथसे काम करनेमें चोट न लगे या ठेलनेकी गाड़ी [हाथकी चतुराई नुकसान न हो ऐसी कुशलता होना। हाथचालाकी स्त्री० (जादूके खेलमें) -हलावता आवq= हाथ हिलाते हायछड स्त्री० (हाथसे) धान-कुटाई आना। -हलाववा= उद्यम करना; हायणी स्त्री० हथिनी; हथनी (२) हाथ चलाना। -हेठे पडवा = कोई (दीवारकी मजबूतीके लिए बनवाया उपाय न रहना; हाथ पर हाथ जानेवाला पुरता [ला.] धरकर बैठ जाना; हाथ-पांव हारना; हायताळी स्त्री० ताली; करताली। हिम्मत हारना। होवो- हाथ होना; [-देवी = सफ़ाईसे चंपत हो जाना शामिल होना । आडे हाये देवू = खूब (२) छलना; चकमा देना.] पीटना। आडो हाथ देवो, घरवो, हाथप्रत स्त्री० देखिये 'हस्तप्रत' राखवो रोकना; अटकाना; हाथ हाथबेडी स्त्री० हथकड़ी। हाथमहेनत स्त्री० हाथसे किया जानेदेना या धरना । केडे हाथ देवा= थक वाला श्रम [(देना) जाना; कमर टूटना। माथे हाथ हाथमुचरका पुं० ब०व० खुद मुचलका देवोहताश हो जाना; सिर पकड़कर हाथमोजु न० हाथका मोज़ा; दस्ताना बैठ जाना । माये हाथ फेरववोमातम हाथलाकडी स्त्री० छड़ी (हाथमें या स्नेह प्रदर्शित करना (२)आशीर्वाद पकड़नेकी) (२) सहारा; आधारला.] देना; अपने गुण, स्वभाव किसीमें हाथवेत (-मा) अ० बहुत नजदीक; आये इस प्रकार सिर पर हाथ रखना। पासमें ; हाथ आनेमें (होना) माथे हाथ मूकवो= आशीर्वाद देना हाथसाळ स्त्री० हाथकरघा (२)अपना गुण, स्वभाव दूसरेको देना। हाथियो पुं० हस्त (नक्षत्र); हथिया माथे हाथ होवो = सिर पर साया हाथी पुं० हाथी। [घोळो हाथी बांधवो होना; सिर पर होना. = बूतेसे बाहर खर्च हो ऐसा काम हायउछीनू वि० पुनः लौटा देनेकी शर्त करना; सफ़ेद हाथी बाँधना.] For Private and Personal Use Only Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हाथीदांत हाथीदांत पुं० हाथीदांत हाथीपj वि० जिसे हाथीपांव रोग हो (२) बड़ी टाँगोंवाला हाथ अ० हाथ से (२) हाथमें ( ३ ) खुद ; आप । [-करीने = स्वेच्छा से ; जान-बूझकर ; संकल्पपूर्वक । - घडवुं = देखिये 'हाथ चडवं' ।, - थी जवुं = हाथसे जाना, निकलना ; अधिकारमें न रहना ( २ ) किसी के क़ाबू, वशके बाहर होना; हाथसे जाना । — बेस = कोई काम आना; हाथ जमना । हाथ हाथ मिलाववो = देखिये 'हाथ मिला वो'. ] [ हथलेवा हायेवाळी पुं० वरकन्याका पाणिग्रहण; हाथो पुं० हाथा; दस्ता; मुठिया; हत्था (२) सहाय; मदद ( ३ ) पक्ष । [ कुहाडाना हाथा बनवुं = बुरे काममें दूसरेके साघन या हथियाररूप बनना. ] हाथोहाथ अ० जिसको देना हो उसीके हाथमें; हाथोंमें (२) एक हाथसे दूसरे हाथमें; तुरत; हाथोंहाथ; एक-दूसरे की मददसे । [-ऊपडी जबुं, वेचाई जवं = हाथोंहाथ बिक जाना, उड़ जाना. ] [ टालटूल हा ना स्त्री० आनाकानी; टालमटोल; हाम स्त्री० हिम्मत; साहस । [ - भीडवी = हिम्मत करना. ] हामलवं अ०क्रि० हिम्मत हार जाना; पतहिम्मत होना हामी पुं० ज़मानत देनेवाला; जामिन (२) जमानत ; ज़िम्मेदारी लेना हाय अ० हाय ( उद्गार) (२) स्त्री० बददुआ; शाप; हाय । [ - पोकारवी, लेवी = दिल दुखाना; आह लेना. ] हायपीट स्त्री० हाय मारना; रोना-पीटना हायवराळ स्त्री० शोक; अफ़सोस ; खेद ५४४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हालर हायवीय स्त्री० शोक; अफ़सोस; चिंता (२) अ० आह; हाय हार पुं० फूलोंकी बड़ी माला; पुष्पहार (२) गलेम पहननेका एक गहना; हार हार (र) स्त्री० हार; पराजय ( २ ) पंक्ति, क़तार । [ -खाबी = हार खाना; पराजित होना । -मां रहेवुं = पंक्तिमें रहना (२) [ला.] स्पर्धा करना; होड़में रहना. ] हारडो पुं० बड़ा हार ( २ ) शक्करकी कतरियोंका हार; खजानीका हार हारतोरा पुं० ब० व० पुष्पमाला और फूलोंका गुच्छा (२) [ला.] मान; आदर हारबंघ अ० क़तार में; पंक्ति बाँधकर हारवं अ०क्रि० हारना; पराजित होना (२) तंग आना; थकना ( ३ ) स०क्रि० खोना; हारना हारी पुं० एक छंद (२) किसानी के काम में मदद के लिए रखा हुआ व्यक्ति; हरवाहा हारे अ० साथमें; साथ; पासमें ( २ ) तुलना में ; बराबर ; साथ-साथ हारेडुं वि० ऊघमी; उत्पाती हारोहार अ० एक पंक्तिमें; पाँत बाँधकर; बराबर [ भावार्थ ; मतलब ; हार्द हार्द न० हृदय (२) मर्म रहस्य ( ३ ) हाल पुं०ब०व० हाल ; दशा; अवस्था (२) बुरा हाल ; अवदशा ( ३ ) अ० हाल में; अभी हालचाल स्त्री० हाल- डोल; हिलना डुलना (२) चाल-ढाल ; तौर-तरीका हालणडोलण वि० हिलता डुलता ; आदत; लत डगमगाता हुआ; डाँवाडोल हालत स्त्री० हालत ; दशा; हाल ( २ ) [ पोलियूँ हालपोल ( - लिपुं) वि० देखिये 'सालहालमां अ० हालमें; अभी हालरडुं न० लोरी (गीत) For Private and Personal Use Only Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हाल हाललं न० बच्चोंको नजर न लगे ऐसी चीजोंकी माला; कठला (२) समूह टोली (३)दवरी (खलिहानमें) (४) लोरी (गीत) हालबुं अ०क्रि० हिलना; डोलना; चंचल होना (२) जाना; चलना हालहवाल पुं०ब०व० बुरे हाल ; दुर्दशा; तबाही (२)वि. दुर्दशाग्रस्त हाल हाल अ० अभी; इसी वक्त तत्काल हालहाला, हालाहाल स्त्री० बार-बार हिलना; हिलना-डुलना हालीमवाली पुं० ऐरा-ौरा; मामूली हैसियतका आदमी हालोचालो पुं० घूमना-फिरना हाव पुं० हाव; स्त्रियोंकी शृंगारसूचक चेष्टा (२) इच्छा; हवस । हावभाव पुं० ब० व० हाव-भाव; नाज- नखरा (२) विलास-चेष्टा हावरंबावरं वि० हक्काबक्का; पागल सा; घबराया हुआ; हावला-बावला हावां(-वे) अ० अब; अभी हाश अ० चैन, संतोष या छुटकारेका उद्गार; हा (२) स्त्री० चिंतारहित दशा; चैन; कला; शान्ति हास्तो अ० हाँ तो; हाँ ज़रूर हास्यचित्र न० हास्योत्पादक चित्र; 'केरिकेचर' हाहाहीही अ० हास्य-विनोदकी आवाज; हाहा (२) स्त्री० हाहाहीही; हाहाठीठी; हँसी-ठट्ठा हाहो स्त्री० शोरगुल ; हो-हल्ला; चीख पुकार (२) चहल-पहल; धूम हाळी पुं० हलवाहा; किसान (२)खेतीके काममें मदद करनेवाला नौकर हां (०) अ० हो (एक उद्गार); उदा० 'तमे एम करजो, हां' (२) (कहानी सुनते समयकी) हुँकारी (भरना) हुँ (३) ललकार, हुंकारका उद्गार हाक (०) स्त्री० हाँक; जोरकी पुकार होकवू(०) सक्रि० हाँकना (२) [ला.] लंबी-चौड़ी बातें करना; बढ़ा-चढ़ाकर बातें करना; हाँकना । [हांक्ये राखq= कैसे भी बनाये रखना; कभी भंग न होने देना; निबाहना (२) लंबी-चौड़ी बातें किये जाना.] हांकारो(०) पुं० 'हां' आवाज हांकेडु (०) पुं० गाड़ीवान; हाँकनेवाला हांजा गगडी जवा (०)= छक्के छूटना; हिम्मत पस्त होना हांडली(०) स्त्री० हाँड़ी; हंडिया हांडलं (०) न० बड़ी हांड़ी हांडवो (०) पुं० एक खाद्य चीज़ हांग(०) स्त्री० हाँड़ी; हंडी (मिट्टीकी) (२)हंडा(धातुका)(३)हड़िया; हाँड़ी (छतसे लटकानेका कांचका पात्र) हांगे (०) पुं० हंडा (धातुका) (२)एक खाद्य चीज़ (३) [ला.] मूर्ख; गावदी हाफ(०)०;स्त्री०,०ण) स्त्री० हाफा। [-बडवो= हाँफा छूटना; हाँफना.] हांफ,() अक्रि० हांपना; हांफना हाफळ (०) वि० व्याकुल; घबराया हुआ हांफळफांफळं वि० हक्का-बक्का; घब राया हुआ; बावला हाल्ली स्त्री०, (-ल्लं) न० देखिये 'हांडली, हांडलुं। हाल्ला कुस्ती करे (घरमां) = अत्यंत ग़रीब होना; दांत पर मैल न होना। हॉल्लां खखरवां झगड़ा, तकरार होना। हाल्ला फोडवां =तकरार करना (२) घर बदलना (३)किसी एक काममें न लगा रहना। For Private and Personal Use Only Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिसाब हांसडी -फोडq= छिपी हुई बात बता देना; भंडा फोड़ना(२)जीविकाके साधनोंका नाश करना; लगी रोजी बिगाड़ना। -फोडी नांखq= नुकसान करना; तबाह करना (२) सिर फोड़ना (३) मारना.] हांसडी (०) स्त्री० हंसली (गलेकी हड्डी) (२) गलेका एक गहना; हंसली (३) अरिवन; रस्सीका फंदा हांसल(०) वि० हासिल; लब्ध;प्राप्त(२) न० जकात; चुंगी; कर(३)फ़ायदा; लाभ ; हासिल (४) उपज; पैदावार; हासिल (५) नतीजा; हासिल; निचोड़ हांसवो(०) पुं० गती; कुदाल हांसियो(०) पुं० हाशिया (काग़ज़का) हांसिल (०) वि० देखिये 'हांसल' हांसी (0) स्त्री० हाँसी; मजाक; हँसी; दिल्लगी (२) फ़जीहत; बदनामी; हाँसी; हँसाई हां हां (०) अ० वर्जन करनेका उद्गार; हाँ-हाँ शोरगुल ; कोलाहल हिकराण न० रोना-पीटना; कुहराम (२) हिक्कड वि० निष्ठुर; हृदयहीन ; सख्त दिल(२)जो मिलनसार न हो [ठंड हिक्कळ न० बारिशसे होनेवाली बहुत. हिक्का स्त्री० हिक्का; हिचकी हिचकाएं वि० कायर; नामर्द (२) अधम ; नीच; हलका ; निंद्य ; हेय ; बुरा हिचाको पुं० भीड़; भीड़-भड़क्का; धक्कमधक्का हिजरत स्त्री० वतनसे अलग होना या वतन छोड़ना; हिज्रत; हिजरत हिजरती वि० हिजरत करनेवाला हिजरावं अ.क्रि० वियोगसे दुःखी होना; झूरना; हुड़कना [होना हितविरोष पुं० किसीके हितमें विघ्नरूप हितशत्रु पुं० अपनी मूर्खतासे हितके बदले हानि करनेवाला मित्र (२) हितमें विघ्नरूप बननेवाला [स्वार्थ हितसंबंध पुं० भला; हित; कल्याण (२) हितेशरी वि० हितैषी; हितेच्छु हिना स्त्री० हिना; मेहँदी हिनो पुं० मेहँदी; हिना (२)हिम हिमायत स्त्री० हिमायत; तरफ़दारी (२) समर्थन करना (३) लगान मुकर्ररीमें की हुई वृद्धि हिमायती वि० (२) पुं० हिमायती; तरफ़दारी करनेवाला; हामी [ठंडा हिमाळं वि० बर्फीला ; हिमवान् ; बर्फ़सा हिमाळो पुं० हिमालय। [-गाळयो % हिमालय चढ़कर बर्फमें देह छोड़ना.] हिरवणी पुं० कपासकी एक जात । हिलचाल स्त्री० हिलना-डुलना; हाल डोल (२)प्रवृत्ति; आंदोलन; हलचल हिलोळवं स० क्रि० झूलेको हिलाना; झुलाना (२)हिलोरनी हिलोळो पुं० हिलोर;हिलकोरा;हिल्लोल (२) झुलेका आगे-पीछे जाना; पेंग(३) विनोद; आनंद; हिल्लोल; उछाह । हिलोळे चडq=झूलेकी तरह झूलना; तरंगित होना; हिलोरा लेना (२) उधम मचाना; उपद्रव करना.] हिल्लोल(-8) पुं० लहर; हिलोर; हिल्लोल (२) मनकी तरंग; हिल्लोल हिसाब पुं० हिसाब; गणना; गिनती (२)गणितका प्रश्न ; हिसाब[ग.](३) लेखा; खरीद-बेची, आय-व्यय, लेन-देन आदिका ब्योरा; हिसाव; हिसावकिताब (४)गिनती; हैसियत; बिसात; महत्त्व (५)रीति; नियम; ढंग; हद; हिसाब:तरीका ।[(खुदाने घेर)-आपवा For Private and Personal Use Only Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विजडा हिसाबकिताब अमर जाना। -गणवो% गिनती करना; गणितका प्रश्न करना(२)कुछ महत्त्वका समझना; हिसाब होना। -चूकववो = हिसाब पाक करना; हिसाब बेबाक़ करना; ऋण चुका देना।-राखवो आवक-खर्चका ब्योरा रखना (२) हिसाब होना; कुछ हद रखना। -लेवो%D हिसाब माँगना; हिसाब पूछना.] हिसाबकिताब पुं० हिसाब-किताब; हिसाबबही (२) लेन-देनका ब्योरा या लेखा; हिसाब-किताब हिसाबनीश(-स) पुं० हिसाबनवीस; हिसाबदार; 'अकाउंटेंट' हिसाबी वि० हिसाब-संबंधी (२)हिसाब रखनेवाला; हिसाबदार; हिसाबसे चलनेवाला(३)गिनकर निश्चित किया हुआ; चौकस; ठीक (४) पुं० हिसाब लिखनेवाला मुनीम हिसाबे अ० हिसाबसे;हिसाबके मुताबिक़ हिस्सेदार वि० हिस्सेदार;भागी; साझी हिस्सो पुं० हिस्सा; भाग; अंश ; साझा हिंग स्त्री० हींग हिंगळो (क) पुं० इंगुर; शिंगरफ़ हिंगळोकियुं न० इंगुर रखनेकी डिबिया; इँगुरोटी (२)वि० शिंगरफ़के रंगका; जिंगरफ़ी [फल ; इँगुवा हिंगोरं न०, हिंगोरो पुं० हिंगोट वृक्षका हिंगोरी स्त्री० हिंगोट वृक्ष; इंगुदी हिंडोल(-ळ) पुं० हिंडोल ; झूला । हिंडोळाखाट स्त्री० खाटका हिंडोला हिंडोळो पुं० पालना जैसा बड़ा झूला; हिंडोला।-खावो झूले पर झूलना; पेंग मारना(२) [ला. किसी आशामें लटके रहना; झूलना.] हिंदवाणी स्त्री० हिंदुस्तानकी या हिंदू स्त्री; हिंदुआनी हिंवोल पुं० हिंदोल; झूला; हिंडोला (२) एक राग; हिंदोल हिंबोळवं स० क्रि० हिंडोलेमें या पालने में झुलाना; झुलाना हिमत स्त्री० हिम्मत; बहादुरी हिंमतबाज, हिंमतवान वि० हिम्मती हीक स्त्री० हिक्का; हिचकी (२)शूल; वेदना (३) उतावली; ताकीद (४)दमा हीकळ न० देखिये 'हिक्कळ' हीचकवू अ०क्रि० देखिये 'हींचक,' हीचकाएं वि० देखिये 'हिचकारु' हीचकावं अ० क्रि० 'हींचकवु' का भावे (२) टकराना देखिये 'ईचवं' होचवू अ० क्रि० देखिये 'हीच' (२) हीजडो पुं० हिजड़ा हीण वि० हीन; नीच; अधम (२) घटिया; हलका; निम्न कोटिका (३) मिलावटवाला (४) रहित; हीन; वर्जित ; कम; अधूरा हीणकर्म न० नीच कर्म; हीनकर्म होणपत (-द) स्त्री०; न० नीचता; बुराई; लांछन; हीनता हीj वि० देखिये 'हीण' हीबकवू अ०क्रि० चौंकना; धकधकाना (२) सिसकना; हिचकी लेना हीबकुं स्त्री० सिसकी; हिचकी होमज स्त्री० छोटी हड़, हरीतकी हीमजी हरडे स्त्री० छोटी हरी सूखी हड़ हीर न० रेशम (२)एक वृत्त;हीर (३) तेज; नूर; कांति (४) सत्त्व; जौहर; हीर; माल (५) प्रेम; प्यार(६)हिम्मत। [-गुमाव =नूर गवाना। -हार = साख-प्रतिष्ठा जाना; इज्जत खोना.] For Private and Personal Use Only Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इलामण हीरकमहोत्सव ५४८ हीरकमहोत्सव, हीरकोत्सव पुं० हीरक =आज्ञा करना;हुक्म देना। -उठाववो जयन्ती; ६०वीं वर्षगांठका उत्सव = आज्ञाका पालन करना; हुक्म बजा हीरकोरी वि० रेशमी कोरवाला लाना। काढवोआज्ञा जारी करना। हीराकणी स्त्री हीरेकी कनी; कनी -बहार पडवो=आज्ञा जाहिर होना; हीराकशी(सी) स्त्री हीराकसीस हुक्म निकलना. हीराकंठी स्त्री० पासेदार मनकोंका हुकमनामुं न० डिगरी; डिक्री सोनेका हार हुक्कापाणी न०ब०व० हुक्का,पानी आदि हीरागळ वि० रेशमी पीना (२) हुक्का पीने-पिलानेका हीराबोळ पुं० एक प्रकारका गोंद; बौल व्यवहार या जाति-बिरादरीका संबंध; हीरावेष वि० हीरेको बेधे ऐसा (२) हुक्कापानी। [-बंध करवा-हुक्का[ला.] होशियार; चालाक ; हीरा पानी बंद करना.] हीरो पुं० हीरा; एक श्वेत रत्न हुक्को पुं० हुक्का; नारियल। [-गगहोलवू अ०क्रि० हिलना; डोलना (२) डाववो, ताणवो, पीवो=हुक्का पीना; देखिये 'ईचवू' गुड़गुड़ाना। -भरवो हुक्का भरना.] हीही अ० हँसनेकी आवाज़; हीही हुज्जत स्त्री० हठ; जिद(२)हुज्जत;झगड़ा हीचकवू अ०क्रि० पेंग लेना; झूलना। हुज्जती वि० हठी (२)झगड़ालू; हुज्जती हीचको पुं० झूलनेका साधन; झूला; हुडताववं स० क्रि० धुतकारना; हिंडोला (२)झूलते समय झूलेका आगे- धिक्कारना (२) धमकाना; डाँटना पीछे जाना; पेंग; हचकोला हुडुडु अ० हल्ला या झपाझपीकी ध्वनि हीचव, सक्रि० देखिये 'हींचाव' । हुताशनी स्त्री० हुताशनी; होली हीचवू अ.क्रि० झूले पर झूलना;पेंग लेना हुतुतुतु न० एक खेल; कबड्डी हींचावबुं सक्रि०'हीचर्बु'का प्रेरणार्थक; हुन्नर पुं० हुनर; फ़न; कारीगरी झुलाना [झुलाना; पेंग मारना हुन्नरउद्योग पुं० हुनर और उद्योग-धंधा हींचोळवू सक्रि० झूलेको हिलाना; । हुन्नरी वि० हुनरमंद; निपुण ; कुशल हींचोळाखाट स्त्री० देखिये 'हिंडोळाखाट' हुमलाखोर वि० हमलावर; आक्रहीडछा स्त्री० चलनेका ढंग; चाल मणकारी होड, अ० कि० चलना हुमलो पुं० हमला; आक्रमण ; धावा हीडाड(-1)वं स० क्रि० 'हीडवू' का हरम स्त्री० लौंड़ी; दासी; हरम प्रेरणार्थक; चलाना [जाना हुरियो पुं०; स्त्री० गत; भद्द ; फ़जीहत होंडावं अ०क्रि० 'हीडवु' का भावे; चला (२) मजाक उड़ाना; ठट्ठा (३) हीडोल(-ळ), होंडोळाखाट, हीडोळो अ० बढ़ावा, मजाक या तुच्छकारका देखिये 'हिंडोल' आदि । उद्गार।[-बोलाववो भद्द उड़ाना.] हीयां अ० यहाँ ; हियाँ हुलरावतुं सक्रि० (बच्चेको)दुलारना; हुकम पुं० हुक्म ; आज्ञा (२) (ताशमें) लाड़-चाव करना सर;तुरुप । [-आपको, करदो, छोडवो हुलामण न० लाड़-चाव; दुलार For Private and Personal Use Only Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४९ हुलामर्नु न० दुलार (२) वि० प्यारमें दिया हुआ (नाम) हलामो पुं० जोश; आवेश (२) [ला.] धमाचौकड़ी; धमाल'; उपद्रव हुलाव, स० क्रि० देखिये 'हुलराव' (२) उछालना (३) हिलाना; चारों ओर घुमाना, फिराना (४) तलवार, भाला, चाकू आदिकी नोक तेजीसे गड़ाना, भोंकना; हूलना (५) 'हुलावु', 'हूलवू' का प्रेरणार्थक हुला, अक्रि० देखिये 'मकलावं' (२) सक्रि० देखिये 'हुलराव'; उदा० 'हुं तो हुलावू मारा भाईने' हुल्लड न० हुल्लड़; दंगा-फसाद;बलवा हुल्लडखोर वि० (२) पुं० हुल्लडबाज़; बलवाई; विद्रोही; उत्पाती हुं(०) स० मैं [उद्गार) (०) अ० हुंकार (दर्प, ललकार आदिका हुंकार (-रो) (०) पुं० बात सुननेकी स्वीकृतिका सूचक शब्द ; हूँ (२)जोर देकर कोई बात कहना (३)सिंहनाद; गर्जना; हुंकार हंसातुंश (-शी,-सी) (०,०) स्त्री० स्पर्धा; चढ़ाऊपरी; खींचतान; होड़ हूक पुं० हुक; अँकुसी हूक पुं० बंदर (बालभाषामें) (२) स्त्री० मरोड़; आँतोंकी ऐंठन हूकवू अ०क्रि० बंदरका बोलना (२) चीख मारना; चिल्लाना हूकाहूक स्त्री० बंदरोंकी हुंकार हूको पुं० देखिये 'हुक्को' हप अ० बंदरकी 'हप-हप' आवाज़ (२) पुं० बड़ा बंदर हूपाहूप अ० देखिये 'हूकाहूक' हूबहू वि० हूबहू; ज्योंका त्यों; तादृश हरी स्त्री० हूर; अप्सरा हूलकुं न० अनचीती घबराहट हलवू अ०क्रि० देखिये 'ऊलवु' (२) आनंदमें आ जाना हंछी वि० नटखट; उत्पाती; लगामको न माननेवाला (घोड़ा) (२) मनहूस; अशुभ मनहूस व्यक्ति हूंछी घोडो पुं० मुंहजोर घोड़ा (२) हंडियामण न० हुंडीकी दर; हुंडावन हूंडी स्त्री० हुंडी।[-पाकवी = हुंडीकी मुद्दत होना । -लखवी- हुंडी करना; हुंडी लिखना। -शिकारवी% हुंडी सकारना. [(खेतीमें) हूंढल (ल,स्त्री०हूँड;आपसकी सहायता हूंफ स्त्री० उष्मा; गरमाहट (२)[ला.] सहायता; आश्रय; बल । [-चळवी% गरमाहट अनुभव करना; गरमाना.] हूंफाळ (-छं) वि. गरम गरमी पहुँचानेवाला हृदय न० हृदय; दिल (२)[ला.] छाती; हिम्मत ; हौसला (३) मन ; अंतःकरण; हृदय; हिया (४) दया मनोभाव या वृत्तियाँ-प्रेम, दया, समभाव आदि (५)मर्म ; रहस्य । [-पीगळवू = दिल पसीजना। -बंध पडी जq=दिलकी धड़कन बंद हो जाना । -भराई आवq=दिल भर आना.] हृदयपलटो पुं० हृदय-परिवर्तन हव्यमयन न० दिलमें होनेवाली उथल पुशल; मनोमंथन हृदयाफाट अ० देखिये 'हैयाफाट' हे (ह) स्त्री० धीरज; हिम्मत ।[-पूरवी = संतुष्ट होना (२) सहायता करना.] हेज पुं० जमीनकी नमी; तरी; सील हेठ अ० नीचे; तले; हेठ [प.] For Private and Personal Use Only Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हेव्लाण हेठलाण न० नीचेकी ओरका हिस्सा; निचाई हेठलं वि० नीचेका; निचला हेव्ळ अ० नीचे; तले [ नीचे हे वि० हलका; नीचा; हेठा ( २ ) अ० हे अ० देखिये 'हे' । [ - बेस = नीचे बैठना ; तलमें जमना (२) उकताकर या हारकर कोई काम-धंधा या प्रवृत्ति छोड़ देना; हाथ उठा लेना (३) पामाल होना. ] हेड (ड) स्त्री० शिकंजा ( अपराधीको यंत्रणा देनेका) (२) अड़गोड़ा; ठेंगुर (३) सगर्भा स्त्रीको नियमित रूपसे होनेवाली शारीरिक पीड़ा; उदा० 'ऊलटीनी हेड' (४) बेचने के बैलोंका झुंड ( ५ ) [ला. ] जेल; कैदखाना की स्त्री० सिसकी (२) हिचकी; हिक्का हेडबेडी स्त्री० शिकंजा और बेड़ी (२) अंकुश; दबाव ; शिकंजा [ला. ] हेडी स्त्री० बेचने के बैलोंका झुंड (२) समानता ( वय आदिकी) हेडो पुं० अति प्यार; आसक्ति ; अनुराग हेत न० प्रीति; स्नेह; ममता ; हेत [ प . ] । [ - वरसवं = अधिक प्रीति होना. ] हेताळ (-छु) वि० प्रेमपूर्ण; स्नेही; स्नेहल बक (हॅ) स्त्री० हैबत; दहशत; डर । [ - खावी = चौंकना ; डर जाना; हैबत छाना.] . बकावुं (हॅ) अ०क्रि० देखिये 'हबकवं' बत (T) स्त्री० देखिये 'हेबक' बतावुं (हॅ) अ०क्रि० देखिये 'हेबकावु' मक (हॅ) वि० अहमक़; मूर्ख (२) डरपोक मक्षे ( - खे) म वि० सहीसलामत ; क्षेम; कुशल हेमंती वि० हेमंत संबंधी ५५० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हेवातन हेर ( ०क) पुं० जासूस ; भेदिया; हेरिक हेरत (हॅ) स्त्री० हैरत; अचंभा हेरफेर वि० हेरफेर किया हुआ; अदलबदल किया हुआ ( २ ) परिवर्तित ; बदला हुआ (३) पुं० हेरफेर; उलटपलटकी क्रिया; परिवर्तन ( ४ ) फ़र्क़ ; फेर; अंतर हेर स०क्रि० गौरसे ताकना या छिपे - छिपे देखना; निहारना; हेरना [ प . ] ( २ ) ललकारना; बढ़ावा देना हेरान (हॅ) वि० हैरान; तंग आया हुआ; दिक़ [ मुश्किल हेरानगत ( - ति) (हॅ) स्त्री० हैरानी; हेरियुं न० छिपे -छिपे देखना (२) किसी सूराखमेंसे आनेवाली सूर्यकी किरण (३) झपकी नींदका झोंका (४) पवनके अनुकूल नाव घुमाना हेरु ( - रो ) पुं० जासूस; हेरिक; भेदिया हेरोफेरो पुं० आना-जाना; आमद रफ़्त; फेरा (२) आने-जाने जैसा कुछ थोड़ा काम मिलना-जुलना हेल (ल.) स्त्री० बोझ; भार ( २ ) गाड़ी में भरा हुआ बिकाऊ जलावन या वह गाड़ी जिसमें ये चीजें भरी हों; हेल (३) सिर पर रखा हुआ या रखनेका हंडा (४) बोझ उठानेकी मज़दूरी (५) मज़दूरका काम; मज़दूरी हेलकरी पुं० मज़दूर; मुटिया हेलकारो पुं० धक्का; हेला; हचकोला हेलारो पुं० हेला; धक्का; हचक हेली स्त्री० सतत वर्षा; झड़ी हेलो (-ल्लो) पुं० हेला; हचकोला; धक्का (२) तेज़ी ; वेग (३) अड़चन ; नुकसान (४) दचका; हचकोला वातण (-न) (हॅ) न० सौभाग्य; अहिवात For Private and Personal Use Only Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हेवान (हे) वि० हैवान; जंगली (२) न० पशु; जानवर; हैवान हेवानियत (ह) स्त्री० हैवानियत; पाश वता; पशुता [परचा हुआ हेवायु(ह) वि० हिल गया हुआ;(किसीसे) हेवाल (है) पुं० अहवाल ; वृत्तांत; हाल हेवाएँ (हे) अ०क्रि० हिलना; परचना; हिल जाना हेसियत (ह) स्त्री० हैवियत; सामर्थ्य; बिसात (२) मान-प्रतिष्ठा; हैसियत हेसियतदार (ह) वि० हैसियतदार; हैसियतवाला हेळवईं सक्रि० हिले-मिले ऐसा करना; हिलाना; परचाना (२) मनमें संतोष हो ऐसा करना; मन मनाना (३) सधाना; पालना (पशुको) हैडियावेरो पुं० मुसलमानी राज्यका एक कर; जिज़िया हैडियो पुं० टेंटुवा; घंटी है९ न० देखिये 'हैयु' हैयाउकलत स्त्री० वुद्धि; सूझ-बूझ;अक्ल हैयाधारण स्त्री० संतोष; समाधान; शान्ति (२) विश्वास; दिलजमई; चित्तका समाधान हैयाफाट वि० जिससे कलेजा फट जाय; हृदयविदारक (२) अ० हृदय विदीर्ण हो जाय, कलेजा फट जाय इस तरह; बिलख-बिलखकर (रोना) हैयाफूटुं वि० मूढ़; हियेका अंधा; बेवकूफ़ हैयाश(-स) गडी स्त्री० कलेजा भूनने वाला; छाती पर मूंग दलनेवाला हैयासूनुं वि० देखिये 'हैयाफूटुं' (२) निष्ठुर; हृदयशून्य हैयुं न० हृदय; दिल; हिया। [हैया उपर राखq= खूब देखभाल करना; होकारो प्यारसे पालना-पोसना; छाती पर लगा रखना। हैयाना लाळा = अंतर्वेदना; दिलका जलापा; दिलकी फाँस । हैयानी होळी = दिलका दुःख । हैयानुं फूटलं, फूटपुं= हियेका अंधा; बेवकूफ़। हैयामां कोतरी राखq= देखिये 'हैयामां लखी राख' । हैयामां लखी राखq=ठीक रखना; जीमें रखना; गाँठ बांधना।-कबूल करतुं नथीतसल्ली न होना; चित्तका समाधान नहीं होता; मन मानता नहीं है (२) हिम्मत न पड़ना। -कहघु न करे एवं = जो न माना जाय; हैरतअंगेज़ ; अचरजभरा।-खाली करवू = दिल खोलना; दिलके फफोले फोड़ना; दिलका गुबार निकालना। -ठालववं = देखिये 'हैयुं खाली करवू'। -फटी जवू = अक्ल चरने जाना। -भराई आवq=दिल भर आना। -हाथ राखy = मनकी स्वस्थता बनाये 'रखना। हैये तेवू होठे = जैसा मनमें वैसा होंठोंपर। हैये दाबg = छातीसे लगाना; गले लगाना। हैये धर = मनमें रखना; ठीक ध्यान देना; गाँठमें बाँधना. होइयां अ० डकार या तृप्तिका उद्गार। [-करवं-किसीका माल पचा जाना; डकारना.] होकली (हॉ) स्त्री० छोटा हुक्का होका(०यंत्र) न० कुतुबनुमा; दिग्दर्शक यंत्र; कंपास होकारो (हाँ) पुं० संमतिसूचक शब्द; हुँ; हुँकारी (२) चीख; हो-हल्ला; डाँटनेवाली आवाज़। [-पूरवो = हुँकारी भरना; हुँ-हुँ करना.] For Private and Personal Use Only Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org होको होको ( हॉ) 'होकायंत्र' = होज (हॉ) पुं० पानीका कुंड, हौज़ होजरी स्त्री० जठर; पेट होज न० पेट; गढ़ा (तुच्छकार में ) होठ पुं० देखिये 'ओठ' । [ - फफडाववो होंठ हिलाना; कुछ बड़बड़ाना । -मां ने होठमां = कोई न सुने इस तरह; धीरेसे । होठे आवी रहेवुं = बोलनेकी तैयारी होना; होंठों पर, मुँह पर आना. ] होड स्त्री० होड़; शर्त । [ -मां ऊतरखं, बकवी, मारवी = शर्त बदना, बाँधना. ] होडकुं न० छोटी नाव; डोंगी होडी स्त्री० नाव; नौका होद्देदार वि० ओहदेदार ; पदाधिकारी होहो पुं० ओहदा; पद अधिकार होनारत स्त्री० घटित होनेवाली घटना; होनहार भवितव्यता (२) दुर्घटना; आकस्मिक घटना पुं० हुक्का (२) देखिये होबाळो पुं० लोक-समाजमें प्रकट हो जाना; चर्चा या फ़ज़ीहत (होना) होम स०क्रि० होमना; बलिदान करना होय (हॉ) अ० खैर; भले होलववुं स०क्रि० देखिये 'ओलववु'' होला अ०क्रि० बुझना ( आग, दीपक आदिका); शान्त होना ( डाह ; द्वेष ) होली स्त्री० मादा पंडुक; पंडुकी होलो पुं० पंडुक; टूट; फ़ाख़्ता होवापj (हॉ) न० अस्तित्व; होना; हस्ती हो (हॉ) अ०क्रि० होना; बनना; निर्मित होना होवे अ० हाँ होश पुं० होश; चेतना; सुधबुध (२) शक्ति; सामर्थ्य | [ -ऊडी जवा = होरा ५५२ होंसील उड़ जाना; होश जाते रहना। मां आवबुं = होशमें आना; चेतना प्राप्त करना. ] [ हवास; होश होशकोश पुं० ब० व० हिम्मत; होशहोशियार वि० होशियार; प्रवीण; चालाक (२) सजग; सावधान; होशियार ( ३ ) समझदार; होशियार । [ - रहेवुं = सावधान होशियार रहना, सतर्क रहना. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होशियारी स्त्री० होशियारी । [-करवी, दाखवी, बताववी, मारवी = मिथ्या बड़प्पन जताना.] होहा ( - हो ) स्त्री० हो-हल्ला; शोरगुल; कोलाहल (२) प्रसिद्धि; विज्ञापन; चर्चा; इज्रहार (३) घबराहट; खलबली (४) अ० 'होहा' आवाज़ 2 होळवं स०क्रि० कंघी करना; ब्योरना; बाल सँवारना " होळी स्त्री० होली । [ - नुं नाळियेर = आफ़त या जानजोखोंके कामोंमें कूद पड़नेवाला; जान पर खेलनेवाला. ] होळयो पुं० मन, सेर, रुपये आदिका पूर्णतासूचक चिह्न; उदा० रु० १० ) ; बिकारी [ चीख-पुकार हकार (हॉ०) पुं० देखिये 'होकारो' नं. २; होंश (हॉ० ) स्त्री० होस; उमंग ; शौक़ होंशातोंशी (हाँ०, तॉ० ) स्त्री० देखिये 'होंसातोंसी' For Private and Personal Use Only होंशीलुं (हॉ० ) वि० देखिये 'होंसीलु' हाँस (हॉ०) स्त्री० देखिये 'होश' होंसातोंसी (हॉ०, तॉ० ) स्त्री० देखिये 'हुंसातुंश' हसलं (हॉ०) वि० हौसलामंद; उत्साही Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shree Jain Mahavir Aaradhna Kendra Shree Kailash Sagar Shuri Koba Gandhinagar, gear Mandir For Private and Personal Use Only Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only