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- राल = कहा मान लेना; बात रखना । - सांभळवूं = उलहना या ताना सुनना ; फटकारा जाना; सुनना. ] वेणि (-णी) स्त्री० बालोंकी चोटी; वेणी (२) जूड़ेमें खोंसनेका फूलोंका गजरा वेणु (०का) स्त्री० वेणु; बांसुरी वेत (वॅ) पुं० उपयुक्त काल; मौक़ा (२) व्यवस्था; प्रबंध; ब्योंत वेतन न० वेतन; तनख्वाह वेतर न० एक-एक बारका जनन; बियान । [-आवबुं, वेतरे आवबुं = पशुकी मादाका गर्भाधानका समय होना. ] वैतरण स्त्री० (कपड़ेको) ब्योंतना (२)
जरूरी इंतजाम, प्रबंध (३) सजा [ला.] - बेतर स० क्रि० कपड़ेको सिलाईके
=
लिए काटना; ब्योंतना ( २ ) जरूरी इंतजाम करना (३) [ला.] बिगाड़ देना; चौपट कर देना; गुड गोबर कर देना । [ओं वोड वेतरबुं - कुछका कुछ कर डालना; बिगाड़ देना; औरका और या उलटा कर देना. ] बेता पुं० ब० व० समझ ; सयानापन; होशियारी (२) सलीक़ा ; शऊर ; ढंग वेद पुं० वेद; ज्ञान (२) यथार्थ ज्ञान; वेद (३) आयका सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ; वेद ( ४ ) चारकी संख्या; वेद । [ -भगवा = वेदाध्ययन जैसा भारी काम करना. ]
वेदियं वि० वेदज्ञ; वेद पढ़ा हुआ ( २ ) [ला. ] व्यवहारशून्य पंडित । [ डोर
: पोथी पंडित; जो पंडित हो मगर व्यवहारदक्ष न हो; कोरा पंडित. ] वेध पुं० वेध; छिद्र; बेध (२) दोष; पाप (३) जख्म ; वेघन; वेध (४) बेघना; छेद करना; वेष ( ५ ) ग्रहों
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वैरागी
आदिकी गति, समय आदिका पर्यवेक्षण, निरीक्षण (६) सुतार या राजके काम शास्त्रीय दोष (७) सूर्यग्रहणके पहलेके चार और चन्द्रग्रहणके पहलेके तीन पहरके सूतकका समय (८) द्वेष ; डाह [ला. ]
वेधन न० वेधन; छेद करनेकी क्रिया; बेघना (२) छेद करनेका औजार; वेधनी वेधमी स्त्री० मोती, रत्न आदिमें छेद करनेकी बरमी; वेघनी ( २ ) हाथीका अंकुश; वेधनी
वेषवं स० क्रि० छेद करना; छेदना; बेघना (२) बींधना ; बेघना ; चुभाना वेधशाला (-ळा) स्त्री० वेधशाला; जंतर-मंतर [ जैसा कोई वाहन वेन (वॅ) न० बहना ( २ ) बैलगाड़ी वेपार (वॅ' ) पुं० व्यापार; व्योपार ।
कामकाज
[-मांडवी = संसार-व्यवहार चलाना.] वेपाररोजगार (वॅ) पुं० व्यापारका [ धंधा - रोजगार बेपारवणज (वॅ') पुं० बनिज-व्योपार; वेपारी (वॅ) पुं० व्यापारी; ब्योपारी वेर (वें) न० बैर; शत्रुता ( २ ) द्वेष; बेर; बुराई । [ -लेवं, वाळवं = बेर लेना; बदला लेना. ]
वेरणले (-छे ) रण वि० तितर-बितर;
अस्त-व्यस्त छिन्न-भिन्न वैरभाव (वॅ) पुं० शत्रुभाव; द्वेष; बैर वेरी (वॅ) पुं० बेरी; शत्रु
वेर स० क्रि० चीजोंको तितर-बितर करना; बिखेरना (२) फैलाना; छिटकाना; बिखेरना (३) [ला.] खूब पैसे खरचना
बेराग (वें) पुं० वैराग्य; बैराग वेरामी (वॅ) पुं० बैरागी; बाबा
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