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विवेक; शान; सयानापन (३)विचार। पूर्व वि. चिपटी नाकवाला; चिपट [-सोलवी-बुद्धिका विकास होना। (२)बार कानका (३)बिना गहनेका, -बालबी- अलका काम करना; अलंकाररहित (कान, नाक)[ला.] समझमें आना। -बोडाववी- अक्ल बूज स्त्री० बूश ; समझ; कद्र खर्च करना; अनल दौड़ाना। -नो बूज, स० कि० समझना; कद्र करना भंडार, सागर बहुत समझदार व्यक्ति बुझवस० क्रि० बुझाना । (२) मूर्ख; अक्लमंदकी दुम । -करवी, बूट स्त्री० (कानकी) लौ; लोलकी । फरी जवी अकल सठियाना.]
[-पकरवी=अपराध या भूल स्वीकार दुनिबल (-ळ) न० बुद्धिबल; समझ- करना. [ननेका गहना; बाली
शक्ति;बुद्धिशक्ति (२)शतरंजका खेल बूटियु न० (कानकी) लोलकी पर पहवृष वि० सयाना; ज्ञानी; बुध (२)पुं० बूढुं वि० देखिये 'बुर्छ' बुध ग्रह (३) बुधवार (४)पंडित; विद्वान बूरकी स्त्री० डुबकी; गोता बुमराण स्त्री० कोलाहल ; हल्ला-गुल्ला अ० क्रि० डूबना(२) बरबाद होना; बुमाट स्त्री० न०, (-टो) पुं० किंवदंती; दिवाला निकालना;घाटा सहना;डूबना अफ़वाह (२)पुकार; चीख
मूड, बूडियो पुं० बड़ा बंदर .. पुरखो पुं० मुंह ढकनेका जालीदार कपड़ा; बूई वि० बूढ़ा; वृद्धबुड्ढा . नक़ाब (२)बुरका (शरीर ढकनेका)
बृष न० मोटा डंडा; सोंटा(२)तला; पैदा पुरण पुं० बुर्ज; गरगज (किले परका)(२) (आँचसे बरतनका होनेवाला काला पैदा) पुरता;दीवारकी मजबूतीके लिए बनाया बूम स्त्री० चीस; पुकार; हाँक (२) हुआ बांध [पटाना; पटवाना अफ़वाह किंवदंती-ऊठवी% चीखपुरावस०क्रि० बूर' का प्रेरणार्थक; पुकार या हल्ला-गुल्ला होना (२)अफ्रपुरावं अ० क्रि० 'बूर' क्रियाका वाह फैलना; गप उड़ना। -पारखी,
कर्मणि रूप; पटना; पाटा जाना मारवी-बुलाना(२)फ़रियाद करना.] बुलंद वि० भव्य (२)बड़ी योग्यतावाला; बूमलन० सुखाई हुई मछली बुलंद मरतबा (३) जोरकी; बुलंद धूमावूम स्त्री० चीख-पुकार; शोरगुल (आवाज)
दुरई स० क्रि० पाटना; भरना मुर न० बूंद; कतरा
पूराई (-) स्त्री० दुष्टता; बुराई (२) बुंद पुं०, दुबदाणा पुं० ब०व० वह बीज अनबन
[बूरा "जिसकी काफ़ी बनती है; कहवा बूर न० साफ़ की हुई पीसी हुई चीनी; चूक (०डो) पुं० कौर; निवाला बूर वि० बुरा; खराब चूफसक्रि० फांकना(२)शटझट खाना। बूहो पुं० आड़ा जड़ा हुआ लकड़ीका कुंदा यूको पुं० बड़ा कौर (२) फंका (२)मूर्ख; बुद्ध चूच पुं० काग; डाट
बे(बें) वि० दो;२।[-आंखनी शरम - चियं वि० चिपटी नाकवाला; चिपट किसीकी मौजूदगीका असर।-आपक "(२)बगैर कानका
बडे तेवु-बढ़कर; सवाया।-चौरे
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