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बले
बाली स्त्री० छोटा बल्ला ; बल्ली ( २ ) लाठीके सिर पर जड़ा हुआ धातुका खोल; शामी [ इससे अधिक ; ओर बळी अ० - के अलावा, अतिरिक्त, सिवा, बळं न० भूमिकी परत ; स्तर ( २ ) जमीन के अंदर बहनेवाला पानीका प्रवाह (३) मनकी लहर; धुन; सनक (४) मंडल समुदाय ; पक्ष ( ५ ) अस्तर (६) शामी ( ७ ) पसीनेका दाग़ । [ - आवबुं = सनक सवार होना.] वळ पुं० मोटी, बड़ी बल्ली; बल्ला; लट्ठा वलोक पुं० रूप; आकार (२) चाल-ढाल,
विनय; आचरण [ भाव; टेढ़ा रुख बँक वि० टेढ़ा; वक्र ( २ ) पु० विरोधी वंकाई स्त्री० टेढ़ापन; वक्रता ( २ ) खुटाई; विरोध; हठ
का अ०क्रि० रूठना, मचलना (२) टेढ़ा होना, मुड़ना [ प्रेरणार्थक पढ़वाना juraj स० क्रि० 'वंचवुं', 'वाचवुं' का वंचा अ० क्रि० 'वाचवुं' का कर्मणि; पढ़ा जाना ( २ ) निंदा होना
वंज्ञा स्त्री० बाँझ स्त्री; वंध्या स्त्री बंटोळ (-ळियो) पुं० बवंडर; बगूला वंठ अ० क्रि० बहकना ; हाथसे जाना; मर्यादाका उल्लंघन करना ( २ ) न बदना; किसीके क़ाबूमें न रहना (३) बिगड़ना; चाल-ढाल खराब होना । | वंठी जबुं = हाथ से जाना; बिगड़ना; पथभ्रष्ट होना. ] थंडी स्त्री० चहारदीवारी; डँडवारा । | - परनुं खसलुं = तुच्छ वस्तु.] खंडो पुं० बड़ी चहारदीवारी ऊँचा परकोटा ( २ ) चहारदीवारीसे घेरी हुई जगह; अहाता (३) गी वंढी, वंढो देखिये 'वंडी', 'भंजे ' गु. हिं-२९
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-वंत वि० 'वाला' के अर्थमें संज्ञाके अंत में आता है; युक्त; उदा० 'मानवंत' वंतर न० भूत; प्रेत वंतरी स्त्री० भूतनी; स्त्री-प्रेत वंताक न० बैंगन; भंटा वंताकडी स्त्री० बैंगन (पौधा) - तुं वि० देखिये 'वंत' वंद स० क्रि० वंदन - नमस्कार करना वंदो पुं० एक जंतु; चपड़ा
वंश पुं० वंश; कुल ( २ ) संतान; वंश (३) बाँस (४) बाँसुरी -1 [-काढबो = कुलका उच्छेद-नाश करना। जो वेलो, -वेलो = वंशपरंपरा. ] वंशावळ ( -ळी) स्त्री० वंशावली; कुरसीनामा; वंशवृक्ष [ वंशी वंशी वि० वंशका ( २ ) स्त्री० बाँसुरी; या अ० वा; अथवा ; या; कि वा पुं० पवन; वायु; हवा (२) कल्पना ; मनकी तरंग, उपज ( ३ ) वातरोग (गिलटी, गठिया, फोड़े-फुंसी आदि ) (४) जीव; प्राण (५) रोग या विचारका वेग; लहर [ला. ] (६) 'इतने फ़ासले पर या इतना दूर' ऐसे अर्थ में संज्ञाके अंतमें आता है; उदा०
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'खेतरवा, राशवा' । [ - आववो = हवा चलना (२) संधिवातका हमला होना; शरीर के जोड़ों में दर्द होना ( ३ ) खयालोंकी लहर उठना; लहर उठना । - ए ऊडवं = हवाकी तरह प्रसारित होना; फैल जाना; हवा उड़ना। -ए रही जबुं = गठियासे जोड़ोंका अकड़ जाना; हवा लगना । —ए वात जवी : प्रकट हो जाना; कुछ गुप्त न रहना । - काढवो, काढी नाखवो = बिलकुल थका डालना (२) प्रभावहीन कर
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