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पीग्वं स० कि० पीड़ा पहुंचाना; दुःख देना (२) पकड़ना; ग्रहण करना (३)दबाना; चांपना । पीडा स्त्री० पीड़ा; दुःख, कष्ट (२)
बाधा; अड़चन; पीड़ा पीगई अ० कि. 'पीड' क्रियाका
कर्मणि; पीड़ित होना; दुःखी होना पीढ स्त्री० काठकी लंबी बल्ली जिस पर पाटनके तख्ते जड़े जाते हैं; कड़ी;
छोटी धरन (२) वि० प्रौढ़; सयाना पीढियं न० देखिये 'पीढ' नं० १; कड़ी
(२)दाढ़; चौभड़ (३) मसूड़ा 'पीj न० पीनेकी चीज़; पेय । पीत न० पानी देकर तैयार की हुई फ़सल (२) वि० पीला; पीत पीतळ न० पीतल; पित्तल (धातु) पीतुं न०,(-तो) पुं० कृतला पील (-लु) वि० जिसने शराब पी है पीप न० पीपा पीपर स्त्री० एक पेड़; पाकड़ पीपर स्त्री० पीपल ; पिप्पली (लता)।
(२) पीपर; पीपल (कली) पीपरीमूळ न० पीपरामूल; पिप्पलीमूल पीपळ पुं० एक वृक्ष; पाकड़ पीपळीमूळ न० देखिये 'पीपरीमूळे पीपळो पुं० पीपल (पेड़); अश्वत्थ पीपी अ० 'पी-पी' आवाज (२) स्त्री०
(गाजर या पत्तेकी)फूंककर बजानेकी 'मली; 'पिपीहरी; सीटी (३) ची बोलना; फ़ज़ीहत . [ढीड़ पीयो आँखका मैल; कीचड़ पिजेट; पीरसवं स० कि० परोसना पीरसावू अ० कि. 'पीरस'का कर्मणि;
परोसा जाना पीरोज पुं० फ़ीरोज़ा; पीरोजा
पीरोजी(-) वि० फ़ीरोजेके रंगका;
फ़ीरोजी [देना(३)ओटना(कपास) पील सक्रि० पेरना (२) [ला.] दुःख पीलवो पुं० एक पेड़; पीलू पील पुं० पीलू (पेड़) (२) एक राग
(३) पीलूका फल; पीलू पीली स्त्री० पील; पीलू (पेड़) पीलडं न० पीलका फल; पील पीलो पुं०कन्नी; कल्ला (तने या जड़का) पी, सक्रि० पीना; पान करना(२) सोखना; जज्ब करना; पीना (३)धुआँ खींचना; पीना। पीजq=न बदना; सिर चढ़ना; कुछ न समझना(२)किसी बातको सह लेना; पीना पीसणी स्त्री० चक्की (२) ताश फेंटने
की बारी; फेंट पीस, सक्रि० पीसना; चूर्ण करना(२) रगड़कर बारीक करना; घोटना; रगड़ना (३) फेंटना (ताश) पीसबो पुं० सीटी; भोपा; भोंपू पीहुडो पुं० देखिये 'पीसवो' पीळाश स्त्री० पीलापन ; जर्दी पीळू वि० पीला; ज़र्द; सँदली पीळूपच वि० बिलकुल पीला पीखवू सक्रि० बिखेर देना(२)नोचना; तोड़कर फेंक देना। [पोखी खावं तानोंसे तंग करना; ताना मारना(२) नोच-नाचकर खा जाना। पीली नाल = चीर-फाड़कर धज्जियाँ उड़ाना; नोच-नाचकर, अलग-थलग कर देना
(२)तानोंसे तंग कर देना.]. पीला अ० क्रि० 'पीख' का कर्मणि;
बिखरना; नुचना; नोचा जाना पीछी स्त्री० देखिये 'पीछी' .. पीएं म. पर; पिच्छ :
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