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पीजण
पजण स्त्री० पिंजन; धुनकी (२) न० धुनाई; पिंजन; पींजना (३) ( किसी बातका) पिष्टपेषण; बार-बार कहना [ला. ]
पींजरं न० देखिये 'पांजरं' पीज स० क्रि० धुनना; पींजना (२) ( बातको) बहुत लंबाना [ला. ] पींजामण न०, ( - णी) स्त्री० घुननेकी मज़दूरी; धुनाई
पींजारण स्त्री० धुनियेकी स्त्री ( २ ) रुई धुननेका काम करनेवाली स्त्री पींजारो पुं० धुनिया पींजाववं स०क्रि० 'पींजवुं ' का प्रेरणार्थक; धुनवाना [ धुना जाना पींजावं अ०क्रि० 'पीजवुं' का कर्मणि; पींढारो पुं० लुटेरोंकी एक ख्यातनाम जातिका व्यक्ति; पिंडारी पोंढेरी वि० मिट्टीकी दीवारोंवाला पुगाडवं स०क्रि० 'पूगवुं' का प्रेरणार्थक; पहुँचाना
तारा
पुचकारी स्त्री० पुचकार; चुमकार पुछडियो तारो पुं० धूमकेतु; पुच्छल[ पुछवाना पुछाववं स०क्रि० 'पूछवु' का प्रेरणार्थक; पुछावं अ० क्रि० 'पूछवुं' का कर्मणि; पूछा जाना (पुरुषकी) पुण्यतिथि स्त्री० मृत्युतिथि ( महापुत्रवधू स्त्री० पुत्रकी बहू; पतोहू पुरजो पुं० देखिये 'डक्को' ( २ ) पुरजा; टुकड़ा [ पुरजोश पुरजोर (-श-स) वि० (२) अ० पुरज़ोर; पुरवहार वि० (२) अ० पूरी शानके साथ पुरबियो, पुरभयो पुं० पुरबिया पुरवठा पुं० रसद ; आवश्यक सामग्री
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पुस्ती
पुरवणी स्त्री० पूर्ति; परिशिष्ट; क्रोडपत्र ( २ ) बढ़ावा ; उत्तेजना पुरवार वि० प्रमाणित; साबित पुरवियो पुं० पुरबिया
पुराण वि० पुराण; पुराना ( २ ) न० पुराण ( धर्मग्रंथ )
पुराणी पुं० पुराणकी कथा पढ़कर सुनानेवाला; कथक्कड़ (२) पुराणका रचयिता (३) एक अल्ल पुराणुं वि० पुराना; प्राचीन पुराव स०क्रि० 'पूरवुं' का प्रेरणार्थक; पुराना; भरवाना
पुरावुं अ० क्रि० 'पूर' का कर्मणि पुराबी पुं० गवाही; सबूत; प्रमाण । [- ऊभी करवो = अगर कोई सबूत या गवाह न हो तो झूठा खड़ा कर देना. ] पुरांत ( ० ) वि० बाक़ी ; बचा हुआ ; शेष पुरुष पुं० पुरुष; मर्द; नर (२) वर; पति (३) आत्मा; पुरुष (४) पुरुष [व्या.] । [ -मां न रहेवुं = नामर्द, नपुंसक हो जाना। मां न हो नामर्द, नपुंसक होना. ]
पुरुषोत्तम मास पुं० पुरुषोत्तम मास ; अधिक मास; लौंद
पुल पुं० पुल; सेतु
पुष्टि स्त्री० पुष्टि ; पोषण ( २ ) समर्थन ; ताईद पुष्टि (३) उत्तेजन; सहारा । [-मळबी = समर्थन, आधार मिलना.] पुस्तकियुं वि० किताबी; पुस्तकीय (जो गुरुसे या अनुभवसे प्राप्त हुआ न हो ) (२) जो पुस्तकमें भरा हो, पर जीवनमें न लाया गया हो पुस्ती स्त्री० रद्दी (काग्रज) (२) पुश्ता ( दीवारका); दासा
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