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पिरसाव
३०७ पिरसाव, स० क्रि० पीरसवू'का पीगळवं अ० कि० पिघलना; तरल,
प्रेरणार्थक; परसाना (भोज्य वस्तु) द्रवीभूत होना(२)पसीजना; पिघलना पिरामिड पुं० पिरामिड (२) शंकु पीछी स्त्री० तूलिका; कूची; ब्रश आकार (चीज़)
पीछु न० पर; पंख (२)उसकी लेखनी पिलाई स्त्री० पेरना; दबाव पहुँचाकर पीछेहठ स्त्री० पीछे हटना; हारना; हार रस निचोड़ना (२) पेरनेकी उजत
पीछो पुं० पीछा।[-पकरवो, लेवो= पिलामण न०, (-णी)स्त्री० पेरनेकी
पीछा करना (२) खुचड़ निकालते उज्जत (२) त्रास; यातना [ला.] रहना; पीछे पड़ना (३) सताना.] पिलावू अ० क्रि० 'पीलवू' का कर्मणि
पीटवं स० क्रि० पीटना; खूब मारना पेरा जाना (२) [ला.] त्रास दिया
(२) रोना-धोना; मृत व्यक्तिके शोकमें जाना (३) ओटा जाना
छाती पीटना (३) ढोल आदि पर पिल्लं न०, (-स्लो) पुं० लपेटकर
डंडा पीटना; बजाना बनाया हुआ गोला; लुंडा; पिंडा
पीटयु वि० मुआ; निगोड़ा (गाली) पिवडाव सक्रि० पिलाना जाना
पीठ न० स्थान; पीठ; उदा० 'विद्यापिवावं अ० क्रि० पीवु'का कर्मणि ; पिया
'पीठ' (२) स्त्री० बाजार; पेंठ (३) पिसावं अ०क्रि० 'पीस' का कर्मणि; पिसना; पीसा जाना [४५
बाजार-भाव ।[-ऊघडवी = बाजारपिस्ताळीस वि० पैंतालीस; पैतालिस;
भाव निकलना, खुलना । -टकी रहेवी
= बाजार-भाव स्थिर रहना.] पिस्तुं न० पिस्ता (मेवा) पिस्तोल स्त्री० छोटी बंदूक ; पिस्तौल
पीठ स्त्री० पीठ; पृष्ठ। [-आववी%D
पीठ लगना; छिलना। -ठोकवी, पिंगल (-ळ) वि. पिंग रंगका; गहरे भूरे रंगका; पिंगल (२) न० छंद:
थाबडवी%Dपीठ ठोंकना। -देखावी शास्त्र; पिंगल (३) [ला.] अत्यंत
= पीठ दिखाना; भाग खड़ा होना। विस्तार; लंबा-चौड़ा विस्तार
-फेरववीत्याग करना; छोड़ देना;
पीठ देना.] पिंजर न० पिंजरा पिंड पुं० पिंड ; गोला(२)पिंड (श्राद्धमें)
पीठबळ न० पीठ पीछे रहकर सहारा पिंडलं न० देखिये 'पिडु'
देनेवाली शक्ति; पीठ पर होना .. पिंडलो पुं० देखिये "पिंडों
पीठी स्त्री० चिक्कस; वर-कन्याको पिरी स्त्री० पिंडली; पिंडी (टॉगकी)
लगानेका हलदी, जीका आटा और पिडं न० लपेटकर किया हुआ गोला;
तेल मिला उबटन पिंडा ..
पीठं न० बाजार या दुकान (लकड़ी, मिंडो पुं० पिंडा; पिंड; लुंडा; गोल शराब-ताड़ी आदिकी); शराबखाना; (मिट्टी, आटे, डोरे आदिका)
कलवरिया (२)टाल;अहार (लकड़ी) पीक स्त्री० देखिये 'पिक' ।। . पीड स्त्री० पीड़ा; कष्ट (२) प्रसवपीखवं स० क्रि० बदगोई करना वेदना (३) मरोड़ ..
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