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गरत
गवगन
१३१ गबगब अ० गपागप; चटचट (२) गमवं अ० क्रि० भाना; रुचना (R) स्त्री० अन्यकी बातोंमें बीचमें बोलना प्रिय लगना; पसन्द आना गवरगंग(-) वि० मूर्ख; गबरगंड गमाण स्त्री० देखिये 'गभाण' गवडगं, वि० गंदा और अव्यवस्थित गमाणियुं न० चरनीकी आड़ी रखी हुई गवरवं अ० क्रि० लुढ़कना (२) लोटना
लकड़ी (३) (बिना हरकत या विघ्नके) गमार वि० मूर्ख (२) गवार; उजडू चलना; निभना; आगे बढ़ना गमे ते स० (२) वि० कोई भी या. गवारो पुं० गुब्बारा; बैलून (२) गुब्बारा
कुछ भी (३) मनोनुकूल; इच्छित । (आतिशबाजी)
गमे तेम अ० जी चाहे इस तरह; गबी स्त्री० गुच्ची
इच्छानुसार (२)निरंकुश या अमर्याद गबो (-यो) पुं० गबी; मूर्ख (व्यक्ति) रीतिसे (३) अव्यवस्थित रूपमें; गभराट पुं० घबराहट [(२) भय लस्टम-पस्टम। -करीने किसी भी गभरामण स्त्री० घबराहट; बेचनी उपाय या रीतिसे. गभरावं अ० क्रि० घबराना; अकुलाना; गमो पुं० रुचि; पसन्द
दुःख पाना (२) डर जाना । गम्मत स्त्री० देखिये 'गमत' गभर वि० गोरा और पुष्ट ; गबरू गयाव(वा)ळ पुं० गयावाल (२) मासूम; भोला
गर पुं० जहरीली बीट (छिपकलीकी) गभाण स्त्री० गाय-बैलको चारा-पानी गर पुं० गूदा (फलका); मरज़; मज्जा देनेकी आड़ी लकड़ी रखकर बनाई (पेड़का) (२) मनका रहस्य; मर्म हुई जगह; चरनी (२) गांवके पासका गरक वि० ग्ररक; डूबा हुआ (२) घासका मैदान; चरागाह
लीन; गर्क गभार (-रो) पुं० (मंदिरका) गर्भागार गरकवं अ० क्रि० धंसना (दलदलमें) गम स्त्री० ओर; दिशा (२) मन; (२) गर्क होना; डूबना (३) तन्मय मनका झुकाव (३) गति; पहुँच; होना; ग़रक होना (४) गम; सूझ ; समझ । -परवी =
गरकाव वि० ग़रकाब; मशगूल सूझना; दिमाग या ध्यानमें आना.]
गरगरी स्त्री० गराड़ी; चरखी (२) गम स्त्री० ग़म; शोक (२) सब्र ; ग़म- फिरकी; 'रील' खारी। [-खावी = गम खाना.]
गरज स्त्री० ग़रज़; जरूरत (२) स्वार्थ । गम पुं० शक्ति (२) शरीरका जोड़
-परवी = गरज होना; ज़रूरत महसंघिस्थान । -भागवा = पैरोंकी
सूस होना। -सरवी = ग़रज़ सरना, शक्तिका जवाब दे देना; पांव कट
निकलना.] जाना.]
गरजर्बु अ० क्रि० गरजना; दहाड़ना गमत स्त्री विनोद (२) मजा; आनन्द (शेरका) (२) कड़ककर बोलना; गमती वि० विनोदी (२) हंसोड़; तड़कना
[मंद; स्वार्थी मज़ाक-पसन्द
गरजाउ, गरजी (लू),गरवि० गरज
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