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भोगी वि० भोग करनेवाला; भोगी (२) पुं० भोग करनेवाला; भोमी (३)आशिक ; प्रीतम ; भोगी; विषया
सक्त (४) भौंरा (५) सांप; भोगी भोजक पुं० उपभोग करनेवाला; भोगी [प.] (२) जैन मंदिरका गवैया भोजलं न० बंदर; मर्कट , भोजाई स्त्री० भौजाई; भाभी भोट वि० (२) पुं० बेवकूफ़; बुद्ध; मूढ़ भोटवो पुं० मिट्टीकी सुराही; कुंजा; कूजा भोटंगरी स्त्री० एक वनस्पति; भटकटैया भोटीलुं न० पिल्ला मोठप, भोलु देखिये 'भोंठम', 'भोंटु' भोड. वि० गदराया हुआ भोबो पुं० पेट; गढ़ा(तुच्छकारमें) भोपाळु न० पोल; निःसारता (२) ढोंग। [-कारपोल खोलना। -नीकळq=पोल खुलना.] भोमियण स्त्री० जानकार स्त्री भोमियुं वि० जानकार भोमियो पुं० जानकार(२) रास्ता बता
नेवाला; 'गाइड' भोर (भों) पुं० घासके पूलोंसे भरा हआ छकड़ा (२) गाड़े में लादी जाय उतनी राशि मोरिंग पुं० बड़ा नाग मोरिंगडी स्त्री० एक वनस्पति;
भटकटैया; कंटकारी । भोल वि० पोला; फूला हुआ; बहुत
मोटा; उदा० 'जाडु भोल' भोळपण न० भोलापन [भरमाना भोळव स० क्रि० भ्रममें डालना; भोळियं वि० सीधा; निष्कपट; भोला
भोयतीत भोळ वि० भोला; सीधा भोंकवं सक्रि० देखिये 'भोकवं भोप (भॉ०) स्त्री०, भोठामण (भॉ०) न. शर्म; झेंप
.: . भों (भा) वि० शमिदा; झेंपू भोंय (भॉ०) स्त्री० जमीन; भूमि। [-आववी% नयी चमड़ी आना,घावका भर जाना; खुरंड आना। -सावी, खोतरवी-जमीन देखना; शर्मसे जमीन कुरेदना; लज्जित होना (२) आलसीपनके लक्षण जताना। खावं = मरणासन्न होना (२) बहुत भूख. लगना। नास = मरणासन्न व्यक्तिको खाटसे उतारना । -पर पनेन मूकवो पांव धरती पर न रखना; घमंडसे चूर रहना।-बराबर करवं; भो कर = भुरकुस निकालना; पीटकर भरता बना देना (२) जमींदोज कर देना। -भारे पडवी (नासतां) = इस तरह घिर जाना कि भागते न बनना।-मांजगवं, होवू छोटी उम्र होना(छोटी उम्रवाले चालाक या युक्तिबाज मनुष्यके लिए प्रयुक्त होता है)। -मां पेसq=लज्जित होना; जमीनमें गड़ जाना। -सूक्वी = मृत्युशय्या पर होना। भोंये उतार, नाख, ले खाटसे उतारना.] भोंवतळियु (भॉ०) न० मकानका बिल
कुल नीचेका भाग भोयर (भा०) न० भौंरा; तहखाना;
भुइंहरा [स्त्री० मूंगफली भोशि (-शी,-सि, सी) ग (मॉ०)
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