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बाल पु० चाल; रीति-रिवाज ( चलनेका ढंग; चाल (३) गति; रफ्तार (४) (खेलमें)मोहरा चलाता या उसका दाँव (५)चलन; आचरण । [-पाडयो-रीति कायम करना; प्रथा शुरू करना। (-नी) बाले चालबुं
की चाल-गतिके अनुसार चलना (२) का अनुसरण करना.] चालचलगत स्त्री०, चालचलम न० चाल-चलन; आचरण ((२) चारित्र्य; शील चालणगाडी स्त्री० बच्चोंको खड़े खड़े
चलना सिखलानेकी गाड़ी; घुड़ला चालचलाउ वि० कामचलाउ चालती स्त्री० चलता बनना। [पकडवी = चलता बनना; पलायन करना.] चालबाजी स्त्री० गोटी आदि चलानेकी
रीति या होशियारी (२) चालबाजी; चालाकी [ला.] चालवू अ० क्रि० चलना(२)किसी यंत्रका गतिशील होना; चलना (३)निभना; गुजर होना; उदा. 'आम आपणुं क्यां सुधी चालशे?'(४)टिकना; चलना; काम देना; उदा० आटला चोखा घणा दिवस चालशे' (५) असर होना; बस चलना; उदा० 'एनुं कई चालतुं नथी' (६) आचरण करना; अनुसरण करना (७) काझी होना; हो सकना; उदा. 'आमां आटलं दूध चालशे' (८) किसी प्रवृत्तिका गतिशील बनना; उदा० 'अहीं मसलत चाले छे' (९) चलन होना; प्रचलित होना। [चालता, रस्ते चालता- अकारण; वैसे ही (शगड़ा मोल लेना)।
चालती बहेलमा बेसबू, बेसी - - बड़ोंके या विजयीके पक्षमें जा घुसना.] चालाक वि. चालाक ; होशियार; चंट
(२)धूर्त ; काइयाँ चालाकी स्त्री० चालाकी; धूर्तता चाली स्त्री० किरायेकी अनेक कोठलियोंवाला बड़ा मकान; चाल बालु वि० चलता हुआ; जारी (२) हालका; वर्तमान चावडी स्त्री० पुलिस-चौकी; थाना चावडं न० बीज गिराकर अनाज बोनेका बाँसकी नलियोंवाला साधन; बाँसा; सेल चावणुंन० चना-चबैना चावq स० कि० चबाना चावळं वि० जरूरतसे ज्यादा अवल बघारनेवाला (२)चरबाँक ...... चावी स्त्री० चाभी; चाबी; कुंजी (२) उपाय ; गुर [ला.] | [-चडाववी-उकसाना; उत्तेजित करना; उभाड़ना।जडवी रहस्य या उपाय मिल जाना.] चास पुं० हल जोतनेसे बनी हुी गहरी
लकीर; कूड [कसौटी चासणी स्त्री० चाशनी; शीरा (२) चासन वि० (२)अ० देखिये 'चाहन' चाह पुं० चाह; इच्छा (२)प्यार चाहन वि० (२)अ० जाहिर; खुले-आम चाहना स्त्री० देखिये 'चाह' । चाह, स० क्रि० चाहना(२)प्रेम करना चाहे अ० चाहे; मरजीमें आये.. बाळणी स्त्री० चलनी; छलनी चाळणो पुं० अनाज छाननेकी बड़ी छल
नी; झरना; चलना । चाळवतुं सक्रि० कभी कभी उलट-फेर करना; फेरना (२)खपरैलीको फेरना
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