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गौचळी (०) स्त्री०कंचुली; चोली (२) केंचुली ; केंचली। [-उतारपी, काठी मानवी = केंचुली झाड़ना, छोड़ना, बदलना।-पहेरवी कायरता दिखाना; चूड़ियां पहनना (२) जनाना भेस बनाना.] लई (३)माडी कांनी (०) स्त्री०काजी; लपसी (२) कांटादार(०) वि०पानीदार;जोशीला कांटासरि(-ळि)यो (०)पुं० कटसरैया
(पोषा) काटाळू (०) वि. केटीला; कांटेदार काटियं (०) न० कफ़न (२)संडास. काई(0) न० माल लेने देनेका इंतजाम-कोलकरार; सौदा (प्रायः ना. जायज)(२) भूसा कांटो(०)पुं०कांटा(२)उसके आकारकी कोई चीज़ (घड़ीकी सूई आदि) (३) युरोपीय लोगोंका खाना खानेका एक साधन; कांटा; उदा.'छरी-कांटो (४) तौलनेका कांटेदार तराजू; राटुल; टक आदि (५)नाकमें पहननेका स्त्रियोंका एक गहना; लौंग कील (६)रोमांच [ला.] (७) रुकावट; कांटा (८) बैर; कीना(९) वहम; शंका(१०)जोश; पानी (११)टेक ; दुराग्रह । [कांटा वाचवा, बेरवा-बैर मोल लेना; कांटे बोना। कांटो काढवोबाधा दूर करना (२) मनका खटका दूर करना.] कांठली (०) स्त्री० हंसली (२) करघेकी ठरकी; भरनी; 'शटल' काठलो (०) पुं० अंगरखेकी काट जो गलेमें ठीक बैठती हो; कंठा (२) तोतेके गलेकी रंगीन रेखा; कंठा (३) देखिये • 'कांठली' (४) घड़ा, गागर आदिका गला; कंठ (५)घाट ; किनारा
कांगे (०) पुं० किनारी;तट (२)अंत; छोर; सीमा (३) (घड़ा, गागर, कुआं
आदिका) काठा कार पुं० कांड; परिच्छेद (२) पौर
(पौधेकी); कांड (३) डाली; शाखा कांगवरियाळ(6) स्त्री० कलाई पर
बांधनेकी घड़ी; 'रिस्टवॉच' कांगवळ (०) न० भुजबल; बाहुबल कांगवळियं(०) वि० मजबूत (कला
ईका बल); बाहुबली काव्यूि (०) म० पहुँची; मुतेहरा (२)
कफ़ (कमीज़ आदिका) कांग(०) स्त्री दियासलाई या इसकी
पेटी(२)देखिये 'कांडु काई(०) न० कलाई; गट्टा । [-कापी
आप; हस्ताक्षर कर देना; क़बूलत लिखना (जिससे बादमें मुकर न जाये)।-पकरपाणिग्रहण करना; ब्याहना (२) आसरा देना.] कांतण(०) न० कताई; कातनेकी क्रिया कांत (०) सक्रि० कातना (२)निक
म्मी चर्चा करना; बालकी खाल निकालना [ला.] । [कातेलं कांतषु व्यर्थ परिश्रम करना; किया हुआ काम दुबारा करना; पिष्टपेषण करना. कां तो(0) अ० अथवा; या तों कांदो (०) पुं०कांदा;प्याज (२)कंद; गांठदार जड़ (३) लाभ; फायदा
ला.[-काढवो= फायदा मिलना; हाथ आना.] कांष (०) स्त्री०कंधा; स्कंध (२) जूएकी रगड़से गरदन पर होनेवाला बट्ठा। [-आपवी = कंधे पर उठाकर सहायता करना; कंधा देना।[-परवी%=
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