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कमालत
doe कंधेकी चमड़ीका सख्त होना । :-मारवी = कंधा देना. ] कांधावत (०) न० क़िस्तोंके अनुसार क़र्ज़ चुकानेका क़बाला- दस्तावेज कांपांजरां (०) न० ब० व० क़िस्त अदा न होने पर बकाया रक्कमकी सूदके साथ दुबारा क़िस्तें बांधना कांधियो (०) पुं० कंधे पर बोझ ढोनेवाला मजदूर (२) बैल (३) ठठरी उठानेवाला; कंधा देनेवाला ( ४ ) क़िस्त पर ब्याज - बट्टेका रोजगार करनेवाला (५) पुठवाल; पिट्ठू कांj (०) न० क़िस्त ; रहँटी कांप (०) पुं० काला, चिकना, जमा हुआ कीचड़ ; कल
कांप (०) पुं० कंप; सिहरन nij (०) अ० क्रि० काँपना (२) थरथराना कांबळ (-ळी) (०) स्त्री० कमली कांबळी (०) पुं० कंबल कांबी (०) स्त्री० स्त्रियोंका पाँवका एक गहना (२) चरसेके मोहरेका काँठा (३) आंत उतरनेकी बीमारीमें गाँठको दबानेवाली करधनी; कंदोरा (४) चमड़ेका डोल
कांस (०) पुं० छोटी नहर ( २ ) नाली कांसकी (०) स्त्री० कंघी कांसको (०) पुं० कंघा कांसj (०) अ० क्रि० खाँसना (२) खखारना (३) हाँफना ; साँस लेना (४) स०क्रि० ठूसना ; दबा-दबाकर भरना कांसा (०) न०ब०व० कांस्यताल; झाँझ कांसियो (०) पुं० पीतलकी कलछी (२)
काँसेका बड़ा कटोरा - तसला (३) कंघा कांसी (० जोड) (०) स्त्री०; कांसीजोडं (०) न० ( बहुवचनमें ) बड़ा
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किस्
कांस्यताल; झाँझ । [कांसीजोड बगाड = (धन आदिका ) घटना (२) भीख माँगना ( ३ ) काम-धंधा चला जाना; बेकार बनना. ] कांसं (०) न० काँसा किकियारी स्त्री० किकियाना; कंपा देनेवाली चीख किको पुं० चि
किलो पुं० ( सरकंडेकी) क़लम; लेखनी (२) अच्छे अक्षरोंमें लिखा हुआ मसौदा - नमूना (३) क़िता; खेतका टुकड़ा (४) अ० ऐजन् [कलाबत्तू किनखाब पुं०कीनखाब; कम ख्वाब (२) किनार ( - री) स्त्री० किनारा; कोर
(२) गोट ; किनारी ( ३ ) तट; किनारा किनारो पुं० किनारा; कांठा ; तट किन्नालोर, किमो देखिये 'कीनाखोर', 'कीनो' [वि० सस्ता किफायत स्त्री० किफ़ायत; बचत (२) किफायती वि० किफ़ायतका ; सस्ता किरकोल (-) वि० फुटकल (२) अ० खुर्दा; थोड़ा थोड़ा करके किरतार पुं० करतार; स्रष्टा किरपाण स्त्री० किरपान; कृपाण किरमज पुं० किरिमदाना ( २ ) इसमें से निकलनेवाला लाल रंग और दवा; किरमिज़
किरमजी वि० किरमिज़ी; गहरा लाल किलकार पुं० किलकार; किलक किलकारी स्त्री० किलकारी; किलकार (२) तीक्ष्ण चीख या पुकार [ चहचहा किलकिल स्त्री० कुलकुलकी आवाज़ ; किलकिलाट पुं० कुलकुलाना; कलरव (२) हर्षध्वनि [कीड़ा; कीट किल्लुं न० नाजमें पड़नेवाला एक
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