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व्यको २१५
ठाकोर उपको पुं० उलाहना (२) खाँसीकी ठरेल वि० समझदार; संजीदा आवाज़; ढाँस । [-खावो, मळवो, ठलववं सक्रि० देखिये 'ठालव' सांभळवो= दोष या उपालंभका पात्र ठलवावं अ० क्रि० 'ठालव' क्रियाका होना. [भरी चाल; ठमक ___ कर्मणि रूप; खाली किया जाना ठमक स्त्री० चलनेकी छटा(२)नजाकत- ठस वि० ठस; ठोस; ठूसकर भरा ठमकारो, ठमको पुं० ठमक; थिरक हुआ (२) कसा हुआ; सख्त; ठस
(२)मटक ; नखरा [ठौर-ठिकाना (३) अ० ठसाठस ठरठेकाणुं न० जमकर रहनेका स्थान; ठसक स्त्री०,(को) पुं० ठसका; ठस्सा; ठरड स्त्री० देखिये 'ठरडाट'
शान; रोब (२) लटका; ठसक ठरड, स० क्रि० दो या ज्यादा धागोंको ठस, अ.क्रि० मनमें बैठ जाना-समझमें मिलाकर बट देना; दुबटना
आना; जमना ठराट पुं० टेढ़ापन (२) ऐंठ [ला.] ठसाठस अ० ठसाठस; ढूंस-ठूसकर ठरडावं अ० कि० टेढ़ा-तिरछा होना; ठसाव स० क्रि० 'ठस' का प्रेरणार्थक झुक जाना (२) ऐंठा जाना; बटा ठसोठस अ० देखिये 'ठसाठस' जाना (३) रूठना [ला.]
ठस्सादार वि० ठस्सादार; रोब-शानदार ठरवू अ० क्रि० ठहरना; थमना; ठस्साबंध अ० ठसकके साथ'; ठस्सेमें; स्थिर होना; ठिकाने लगना; रुकना रोबमें [रोब (३) लटका; ठस्सा (२) (भाव, बात) तय होना; पक्का ठस्सो पुं० तड़क-भड़क ; ठाट-बाट (२) होना; ठहरना (३) नीचे बैठना; ठळियो पुं० फलका सख्त बीज; गुठली जमना; थिरना; निथरना (४) ठंडसे ठंड स्त्री० ठंड; सर्दी (२) शीतलता गाढ़ा या ठोस होना; जमना (घी, (३) जुकाम; सर्दी लड्डू आदि) (५) ठंडा होना; उदा० ठंडक स्त्री० शीतलता (२) शान्ति; 'भात ठरी गयो' (६) सर्दी लगना; तृप्ति; ठंढक [ला. ठिठुरना (७) (अग्नि या दीपकका)
ठंडाश स्त्री० ठंडापन (२) सुस्ती; मंदता बुझना; जलती चीजका ठंडा होना
ठंडी स्त्री० देखिये 'ठंड' . (८) ठंडक, तृप्ति, शान्ति होना;
ठंडं वि० ठंडा; सर्द (२)बासी (रसोई) उदा० 'छाती, आंतरडी ठरवी' (९)
(३) मंद; सुस्त (बाजार; स्वभाव) लगना; उदा० 'जराक आंख ठरी हती'
(४) शान्त; स्वस्थमना (मनुष्य)। ठराव पुं० ठहराव; प्रस्ताव (२)
[-पाणी रेडq= शांत करना (२) किसी बातका हल या तोड़
हौसला पस्त करना.] [ओला ठरावq स० क्रि० पक्का या तय करना; ठंडुंगार वि० खूब ठंडा; बर्फ़सा ठंडा; ठहराना; निश्चय पर आना (२) ठाकोर पुं० गाँवका मालिक ; छोटा प्रस्ताव करना
राजा; ठाकुर (२) ठाकुरजी; ठाकुर ठरीठाम अ० असल ठिकाने पर (२) (३)एक अल्ल (४) सामान्य क्षत्रियके .: चनसे; जल्दी या दौड़-धूप किये बग़र लिए आदरसूचक शब्द
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