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स
कोरजी ठाकोरजी पुं० देव या विष्णुकीप्रतिमा;
ठाकुरजी ठाठ पुं० ठाट; शान गठसी स्त्री० ठटरी; अरयी ठाठियं वि० लूंठ; जीर्ण-शीर्ण (२)
न० इस प्रकारका वाहन । ठाठं न० ठटरी; हड्डियोंका ढाँचा; पंजर (२) छाती और जंघाकी हड्डियाँ (ब० व० में) (३) कोई भी जर्जर चीज; ढाँचा। [ठाठां भागवां, रंगावां-बहुत पीटना जिससे हड्डी टूट जाय; हड्डी तोड़ना.] ठाठो स्त्री० सेवा-टहल; खिदमत ठाम पुं०; न० (रहनेका) स्थान; ठिकाना; ठाँव (२) न० आसन; बैठनेकी जगह (३) बरतन । [ठेकाणा विना-बेठिकानेका; आवारा (२) बेपायादार (३) अव्यवस्थित.] ठामणुं नं० बरतन ठामूकं अ० निरा; बिलकुल ठार पुं०; न० ओस (२) ठंडी हवा (३) स्थान; ठौर (४) अ० पूरा; जानसे; उदा० ठार मार-कर' ठार, सक्रि० ठंढा करना; जमाना ठालव, स० कि० खाली करना ठालं वि० खाली; जिसमें कुछ भरा। न हो; रीता (२) जिसके पास कोई काम न हो; बेकार; ठाला (३) जो बंद न हो; खुला (४) (भैस आदिका) सगर्भा न होना; ठाँठ (५)अ० अकारण; बेमतलब ठालुठम, गलंमालं वि० बिलकुल खाली ठावकाई स्त्री०, ठावकापणुं न० गंभी
रता; संजीदगी; विवेक ठावकुं वि० गंभीर; संजीदा; सयाना
ठस (०) स्त्री० बुनाईका गाढ़ापन (२)शेखी ; ठसक बड़ाई ; खाली रोब
(३) ठसका; ढांस ठांसh (०) स० क्रि० दबा-दबाकर भरना; ठूसना (२) बहुत अधिक खाना; डटकर खाना; सना (३) मनमें बैठाना; जमाना (४)अ०क्रि० खाँसना; ढांसना ठांसी (०) स्त्री० खाँसी
सो (०) पुं० सूखी खाँसी; ढांस (२)घूसा [बौना (व्यक्ति) ठिंगुजी (-शी) वि० (२) पु० ठिंगना; ठीक वि० ठीक; अच्छा; योग्य ; जैसा
चाहिये ऐसा; बराबर (२)न अच्छा, न बुरा; ठीक; सामान्य (३) अ० __ अच्छा ; खैर ठीकठाक अ० ठीकठाक ठीकाठीक वि० (२) अ० जैसा-तैसा;
साधारण; मामूली ठोकरी स्त्री० ठीकरी; गिट्टी ठीक न० मिट्टीके बरतनका टूटा हुआ टुकड़ा; ठीकरा (२) मिट्टीका बरतन ला.]
[हिस्सा; कटाह ठीब स्त्री० टूटी हुई हाँडीका नीचेका ठी, न० मिट्टीका बरतन ठीकरी (०) स्त्री० देखिये 'ठीकरी' ठीकर (०) न० देखिये ठीकरूं' ठींगणुं वि० ठिंगना; बौना; नाटा ठठवा, अ०क्रि० सर्दीसे अकड़ जाना; ठिठुरना; सिहरना [कुंदा ठूणकुं न० लकड़ीका भारी, बड़ा टुकड़ा: ठमको स्त्री० (पतंगकी डोरीको) दिया
जानेवाला झटका; ठुमकी ठूमरी स्त्री० ठुमरी [निकालना ठूश (-स) स्त्री० दम, जान, मोमियाई
विवेक
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