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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गांठ १३७ गार स्त्री० मिट्टी और गोबरका लेप; गाळियुं न० गरांव (२)कार्यका भार; गारा [जादूगर जिम्मेदारी [ला.] (३) छनना (४) गादडी पुं० गारुडी (२) मदारी (३) खूद; निथार गारो पुं० कीचड़ (२) गारा (३) पीसा गाळो पुं० अरिवन; फंदा (२) मीआद; हुआ चूना अवधि (३)मौसम ; उदा० 'केरीगाळो' गाल पुं० गाल (४) घरका विभाग; कमरा (५) गालपचोरि(-ळि)यां न०ब०व० गलेके (दो स्थल या कालके बीचका)अंतर भीतरकी गाँठका सूजना; गलशुंडी (६) अर्ज; चौड़ाई; पनहा (७) अमुक गालमशू (-सू)रियुं न० गलतकिया स्थान; प्रदेश (८)चक्कीमें झींका डागालीचो पुं० गालीचा; कालीन लनेका गड्ढा; मुंह (९)चूड़ीका घेरा गाल्ली स्त्री० छोटी बैलगाड़ी (२) (१०) शरीरकी गठन; काठी (११) (कच्चे) तीस मनकी एक नाप दर्रा; घाटी (१२) बट्टा; लाभकी मात्रा: गाल्लुं न० छकड़ा; सग्गड़; गाड़ा 'माजिन' (१३) आँतोंमें छनकर जमा गावडी स्त्री० गाय; गैया हुआ मल (१४)स्त्रियोंका एक बारीक गावडोल पुं० मुख्य मस्तूल वस्त्र गावली स्त्री० दलाली [- काढी जq= गांगडी (०) स्त्री० डली; छोटा टुकड़ा कामके बोझमेंसे छटकना; जवाब- गांगडुं(०) वि. जो भीगे नहीं और पके दारीमेंसे हटना.] [पाल नहीं (२) पुं० ठु”; ठुड्डो। [-रहेवं गावी पुं० मुख्य मस्तूल पर ताना हुआ = पकाने पर भी दानेका न पकना गावं सक्रि० गाना (२) [ला०] बखान (२) न सुधरना (३) दोनों पक्षोंमें ना; गुण गाना (३) एक ही बातको अप्रिय बनना.] बारबार कहना; दोहराना। [गाया गांगडो (०) पुं० डला;रवा(२) कपासकी करवं = (एक ही बातको) बारबार डोंडी जो फटी न हो, [(ऊंटका) कहना. गांगर (०) स० क्रि० बलबलाना गाशा (-शियो) पुं० घोड़ेके जीनके नीचे गांगुं(०) वि० रॉक; दीन (२) बेशऊर डालनेका नमदेका टुकड़ा; अर्कगीर । गांजवं(०) स० क्रि० झाँसना; चकमा गाळ स्त्री० गाली देना; फुसलाना (२) हराना (३) गाळ पुं० खूद; निथार बदना; गिनना। [गांज्यु जq= चकमा गाळ स० क्रि० छानना (पानी आदि) दिया जाना (२) किसीसे प्रभावित (२) उगारना; ओगारना(कुआँ आदि) होकर दबना. [पत्तियाँ) (३)गलाना (धातु आदि) (४)गला- गांजो(०) पुं० गाँजा (पौधा और ना; सोखना; कम करना (५)बिता- गांठ (०) स्त्री० गाँठ; गिरह ; गुत्थी ना; काटना; गुज़ारना (६) भबकेसे (२) पेड़का वह भाग जहाँसे डाली अर्क खींचना; चुआना; खींचना फूटती है; पोरोंका जोड़; गिरह (३) गाळंगाळा,गाळागाळी स्त्री०गालीगलौज लकड़ीमें भंवरीका गाँठ जैसा भाग; For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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