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पो
मिलना; गिरना ( दु:ख ; खप; काम; चैन; मार ; धूप ; बारिश आदि ) (४) टिकना; ठहरना; मुक़ाम करना; पड़ना ( ५ ) लेटना; लंबी तानना; पड़ना ( ६ ) ( क़ीमत; दाम; सूद; किराया आदि) लगना; पड़ना ( ७ ) लगना; स्पष्ट होना; होना; असर करना; अनुभवमें आना; समझा जाना; उदा० 'कपडुं ढीलुं पडे छे; सूंठ गरम पडे छे; ओछुवतुं पडशे ' (८) किसी चीज़ में पैदा होना; होना; पड़ना; 'चोखामां इयळ, जीवात पडी छे' (९) किसी काममें रत रहना, लगा रहना; तल्लीन होना (१०) भ्रष्ट या पतित होना ( ११ ) हारना; जीता जाना; युद्धमें मारा जाना; उदा० 'किल्लो पड्यो' (१२) हाजिरी में न गिना जाना; नाग़ा होना; उदा० 'निशाळ पडी; बहु दिवस पड्या' । [ पडी भागवुं = न चलना; चलना बंद हो जाना (व्यापार, नाटक आदि) । पडी मूकबुं = छोड़ देना; जाने देना ( २ ) पडी रहेवुं = परती रहना; उपयोगमें - काममें न आना । पड्या उपर पाटु = मरतेको माना कटे पर नमक छिड़कना . ] पडवो पुं० परवा; पड़वा; प्रतिपदा पंडसाळ स्त्री० घरका ओसारेके बग़लका
कुमरा
पडळ न० (आँखका) जाला; पटल । आववां, फरी वळवां = आँखपर झिल्ली चढ़ जाना ( २ ) आँख न खुलना; अलकन खुलना.]
पडा अ० पट एकदम झट गु. हिं- १९
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पतरि
पापड (डी) स्त्री० एक दूसरे पर झपटना; झपाझपी; हल्ला पडाव पुं० पड़ाव; मुक्काम ठहराव, पडाव स०क्रि० 'पडवं', 'पाडवं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप (२) झपटना छीन लेना.
पडाळ : न०; स्त्री० छप्परके दो ढालुआं हिस्सों में से कोई एक; छप्पर पडाळी स्त्री० दालान; बरामदा परिमाण वि० देखिये 'पडतर' पडियं म० ( चक्कीका ) पाट; पवाई पडियो पुं० दोना; दौना पडी स्त्री० पुड़िया
पडीकी स्त्री० छोटी पुड़िया ( २ ) दवाकी पुड़िया [(दवाकी) पडीकुं न० बड़ी पुड़िया ; पड़ा (२) पुड़िया पडो पुं० बड़ा पुड़ा या जूरी ; पूला (२) ढोल, डुग्गी (३) ढिढोरा; मुनादी पडोश, (०ण), (-शी) देखिये 'पाडनेश' आदि
पण न० पण; प्रतिज्ञा; टेक (२) बाजी; शर्त । [ - मूक, लेवुं = प्रतिज्ञा करना. ] पण अ० पर; मगर (२) उपरान्त फिर भी ; भी; समेत (३) न० भाववाचक संज्ञा बनानेवाला एक प्रत्यय; 'पन'; उदा० 'गांडपण; बाळपण' पणच स्त्री० धनुषकी डोरी ; पनच -पनुं न० देखिये 'पण' अ० में नं. ३ ; उदा० 'माणसपणुं, सारापणुं पणे (प) अ० उधर
पत स्त्री०न० मलनेवाला को गल्ति कुष्ठ; कोट-चूना [ प्रतीति पत स्त्री० आबरू पत[प. (२) विश्वास; पारवेल्ल न० अरवीका पत्ता (२) उसकी एक बानगी
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