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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंतरो मंगरोपुं० पूरे गांव या पूरी बिरादरीको दिया जानेवाला भोज (२)साधुनोंका भोज; भंडारा [बटोरा हुवा धन भंडोळ न० पूंजी; संचित धन; जोड़ा, भंभेरणी स्त्री० झूठ-सच (जोड़ना); झूठा बढ़ावा या उत्तेजन (देना) भंभेर, स० क्रि० झूठा बढ़ावा देना; बहकानेवाली बातोंसे कान भरना; पट्टी पढ़ाना; मूठ-सच जोड़ना भाई पुं० भाई; सहोदर (२) चाचा, मामा,मौसी आदिका बेटा(३)किसी भी व्यक्तिके लिए विवेकयुक्त संबोधन;भाई भाईचारो पुं० भाईकासा नाता या बर्ताव; भाईचारा; दोस्ती; बिरादरी भाईबंध पुं० मित्र; दोस्त; यार भाईबंधी स्त्री० मित्राचारी; दोस्ती भाईबापा पुं० ब०व० मिन्नत-समाजतसूचक शब्द । [-फरवागिड़गिड़ाना; मिन्नत-समाजत करना (२)नरमीसे या समझा-बुझाकर (किसीसे) काम लेना.] भाईबीज स्त्री० भैयादूज बच्चे भाईभांडु न० ब०व० एक ही मांबापके भाखरी स्त्री० एक प्रकारकी सल्त रोटी भाखरो पुं० मोटी बड़ी रोटी; रोट भाख, स० क्रि० बोलना; भाखना [प.] (२) भविष्य कहना भाग पुं० भाग; अंश; हिस्सा (२)पुस्तकका हिस्सा; खंड (३)भाग; तक़सीम [ग.]। [-पडयोबॅटना; हिस्सा होना ।- राखवो%3D हिस्सेदार, भागी बनाना; किसी काम, पेशा आदिमें हिस्सा रखना.] भागलं वि० खंडित; टूटा हुआ; भग्न (२) खोखला; दरारवाला (मिट्टीका बर्तन)। [भागला पापस्ताहिकाता निराशा मागला हाका मारुतीपन; सुस्ती; काहिली। शपणतुं भागलं = आलसी; कामचोर.] ... भागलो पुं० ,बंटवारा; हिस्सा; भाग (२) देवीके नैवेद्यका पाल-प्रसाद । [भागला पारवा%Dबंटवारा करना; हिस्से करना; बांटना.]. भागवू अ० कि० टूटना; टुकड़े होना; नष्ट होना; भग्न होना (२)दूर होना (भय) (३) दिवाला निकालना; उदा. 'पेढी भागी' (४) पलायन करना; भागना(५) स० कि० टुकड़े करना; तोड़ना (६) लूटकर तबाह करना (गाँव); डाका डालना (७) अदा न करना; न लौटाना (कर्ज; सूद) (८) भाग करना; भाग देना [ग.] (९) बटना; ऐंठना (रस्सी)। [भागी जq=भाग जाना (२) टूटना; टुकड़े होना.। भागी रात-भीगी रात; आधी रातके बादकी रात.] भागाकार पुं० [ग.] भाग करना; भाग देना;भाग;तक़सीम(२)भागफल; लब्धि भागाभाग(-पी) स्त्री० भागदौड़, भगदड़ - [दारिन भागियण स्त्री० हिस्सेदार स्त्री; हिस्सेभागियु वि० भागी; हिस्सेदार . भागियो पुं० भागी; हिस्सेदार; साक्षी भागीदार पुं० भागी; हिस्सेदार; साझी (२)साथी; मित्र . [पत्तीवारी भागीदारी स्त्री० हिस्सेदारी; साझा; भागेडु पुं० भगोड़ा; फ़रारी भागोळ स्त्री० शहरके किलेका दरवाजा (२) गांवका सीमान्त; सिवान (३) बाजार; चौक For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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