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स्फोट
चमकना(विचार, चमक आदि):स्फुरण होना (३) अंकुरित होना; फूटना स्फोट पुं० फूटकर निकलना (अंकुर
आदि); फूटना; फटना, स्फोट (२) निबटारा; अंत; फैसला (३)फोड़ा; सूजन,स्फोट (४)वर्णके श्रवणसे मनमें उत्पन्न होनेवाला भाव; शब्दार्थका बोध; स्फोट [व्या.] स्मरण न० स्मरण; स्मृति; याद (२)
बार-बार याद करना [स्मृतिचिह्न स्मरणचिह्न न० स्मारक; यादगार; स्मरणपोयी स्त्री० देखिये 'नोंधपोथी' स्मरस०क्रि० याद करना; स्मरना[प.] लव अ.क्रि० टपकना; चूना स्वदेशी वि० अपने देशका; स्वदेशी (२)न० स्वदेशज; स्वदेशबंधु (३) स्वदेशकी भावना (४) अपने देशका माल इस्तेमाल करनेकी भावना स्वदेशी धर्म पुं० अपने पड़ोसकी परिस्थितिकी सेवाके द्वारा जगतकी सेवा होती है यह भावना; स्वदेशीका धर्म स्वधर्मी वि० अपने धर्मका (२) पुं०
अपने धर्मका आदमी; स्वधर्मी स्वमाम न० अपना वतन (२) स्वर्ग [जवं, पहोंचq= मर जाना; स्वर्गवास होना; परलोक सिधारनाः] स्वान, स्वप्नुं न० स्वप्न ; सपना; ख्वाब स्वभाव पुं० स्वभाव, सहजप्रकृति(२)टेव,
आदत; प्रकृति। [-परयो सदा बना रहनेवाला मूल गुण या धर्म बन जाना, 'आदत पड़ना(२)आदत बन जाना.]
स्वीकार स्वागतप्रमुख पुं० स्वागताध्यक्ष स्वागतसमिति स्त्री० स्वागतसमिति स्वागता स्त्री० स्वागत; सत्कार; अभि
नंदन (२)पुं० एक छंद स्वाद पुं० स्वाद; जायका (२)सौंदयं; आनंद; रस (३) चखना (४) मज़ा; लज्जत; स्वाद(५)मोह शौक़ रुचि।[करवो = चखना (२) खानेकी चीजोंका चसका लगना । -चखाडवो चखाना (२) अनुभव कराना(३)स्वाद चखाना; मारना। -चाखवो, जोवो चखना, रसानुभव करना, मजा लूटना ।-पडवो = रुचिकर होना; पसंद आना; मजा आना। - लेवो = देखिये 'स्वाद चाखवो'.] स्वादियुं, स्वावीलुं वि० चटोरा; जिभला स्वाधीन वि० जो अपने ही अधीन हो; स्वाधीन (२) जो अपने वशमें हो; स्वाधीन (३) स्वतंत्र; आजाद; स्वाधीन । [-कर = सौंपना.] स्वार्थो (लं) वि० स्वार्थी; खुदगर्ज स्वाहा स्त्री० अग्निकी पत्नी; स्वाहा (२) अ० अग्निमें आहुति देते समय उच्चारण किया जानेवाला एक शब्द, स्वाहा ।-कर = खा जाना; चट कर
जाना।-थq=जल जाना नष्ट होना, . स्वाहा होना (२) खाया जाना.] स्वीकार पुं० स्वीकार; अंगीकार स्वीकारवू सक्रि० स्वीकार करना; कबूलना; मान लेना
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