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घासचारो पाई स्त्री० जल्दबाजी; दौड़-धूप (२) घाण स्त्री० गंध; बदबू हंगामा; धांधल (३) भीड़; झमेला पाणी स्त्री० तेलहन पेरनेका यंत्र; धापरी स्त्री० घाघरी; छोटा लहँगा। धानी। [-ए मोर उबा देनेवाले, [-पहेरवी-स्त्रीका पार्ट लेना; चूड़ियाँ कड़ी मेहनतके काममें लगाना; पहनना (२) नामर्द बनना.] जोतना।-नो बळव = कोल्हूका बैल.] घाघरो पुं० धापरा; लहंगा
चात पुं० घात; चोट ; घाव (२)नाश; घाट पुं० आकार; देखाव; सूरत; हत्या (३) स्त्री० अकाल मृत्युका रूप (२) मौक़ा; घात; ताक [ला.] फांसा। -जबी-मरते मरते बचना; (३) मली-बुरी रीतोंसे काम निकाल बालबाल बचना. लेनेकी योजना; उपाय (४) रीत; घातकी वि० घातकी (२) क्रूर लक्षण; शोभा। [-आवयो- योग्य घातेल न० घाव पर लगानेका तेल आकार देना (२) घात लगना; मौका
घाम पुं० घाम (२) ऊमस (३)पसीना मिलना। -घरवो= आकार बनाना घायल वि० घायल; जख्मी (२) युक्ति या प्रपंच करना (३)मन- पारण न० घोर निद्रा (२) नींदमें खर्राटे सूबा करना (४) ताकमें रहना (५)
लेना (३) नींद लानेवाली दवा मार डालना (६) भारी नुकसान
घारी स्त्री० एक मिठाई (२) उरद या पहुंचाना.
मूंगकी दालका बड़ा (३) चोटीके पाट पुं० घाट (२) दर्रा; घाटी (३) इर्द-गिर्द रखे हुए बालोंका गुच्छा; सह्याद्रिका पहाड़ी प्रदेश
चंदिया
छिद्र नारू चाटन स्त्री० सह्याद्रिके पहाड़ी प्रदेश
घाई न० रोगसे शरीरमें होनेवाला में रहनेवाली जातिकी स्त्री
घाल (ल.) स्त्री० जेवनारमें एकसाथ बाढी वि- सह्याद्रिके घाटोंमें रहने- भोजन करनेवालोंकी पांत; पंगत वाली एक जातिसे संबंधित (२) पुं० घाल (ल,) स्त्री० घाटा; टोटा उस जातिका मनुष्य
घालमेल स्त्री निकालना और रखना; पाटील वि० सुडौल; रूपवान् ; सुगठित घाल-मेल करना (२) पचड़ा; संझट बादं(-3) वि० गाढ़ा; लोंदादार (३) प्रपंच; खट-पट । (२) खचाखच (३) बहुत; गहरा घालवू स० क्रि० घालना; खोंसना (४) कठोर; मजबूत
(२) पहनना (३) अवसर पर उपघाई वि० देखिये 'घाटुं'
हारके रूपमें पहनाना; उदा. 'में पाण पुं० घान (अनाज, तेलहन आदिका)
कन्यानी कोटमा अछोडो घाल्यो (४) (२) संहार। [-काडवो भयंकर माल मारना; रकम डुबाना (५) संहार करना। -नोकळी जवो, वळवो बिगाड़ना; घालना; उदा० घर घालवू' -बिलकुल तबाह हो जाना.] घास न० घास; खड; चारा।[-कापवं पान पुं० लकड़ी खा जानेवाला एक घास काटना।-सा घास खाना.] कीड़ा; धुन
घासचारो पुं० घास-चारा
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