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विशेषण
विशेष (४) खास धर्म या गुण; विशेष | [ - विनंती के (संक्षेप में 'वि० वि०' ) = ख़ास निवेदनके अर्थ में पत्र में लिखा जाता है । विशेषे करीने = ख़ासकर; विशेषतः .]
विशेषण न० संज्ञाका गुण या संख्या बतानेवाला शब्द; विशेषण [ व्या. ] विशेषता स्त्री० ज्यादापन; अधिकता; ज्यादती ( २ ) अंतर; विशेष ( ३ ) श्रेष्ठता, उत्कृष्टता; खूबी; विशिष्टता; विशेषता [ व्यक्तिवाचक संज्ञा [व्या. | विशेषनाम न० नामका एक प्रकार ; विशेष्य न० विशेषणयुक्त संज्ञा; विशेष्य विश्वास पुं० विश्वास ; यक़ीन; भरोसा (२) श्रद्धा; विश्वास [ भरोसेका विश्वासपात्र वि० विश्वसनीय ; विश्वासी वि० देखिये 'विश्वास' ( २ ) पुं० ईसा मसीहमें विश्वास करने - वाला; ईसाई
विश्वासु वि० विश्वास करनेवाला;
विश्वासी ( २ ) जिसका एतबार किया जा सके; विश्वसनीय ; विश्वासी विष न० विष; ज़हर । [ -मारखं = जहर मारना. ] विषखापरो पुं० एक वनस्पति विषय पुं० इंद्रियग्राह्य पदार्थ; विषय (२) भोग्य वस्तु भोगका साधन (३) कामवासना पूर्ण करना; कामभोग; इन्द्रियजन्य आनंद ( ४ ) विचार या अध्ययनकी वस्तु; विषय ( ५ ) मामला ; बात; विषय; प्रसंग ( ६ ) लक्ष्य उद्देश्य (७) देश; विषय; जनपद । [ - उपाडवो = कोई बात या विषय छेड़ना, आरंभ करना. ]
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विहोणं
विषयविचारिणी वि० स्त्री० विषयनिर्वाचनी [ संबंधी विषे अ० में (२) बारेमें; विषयक; विसवासी स्त्री० बिस्वेका २०वाँ भाग; बीघेका ४०० वाँ भाग ( २ ) लकड़ी को
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एक नाप विसात स्त्री० बिसात; मूल्य; महत्त्व (२) बिसात ; शक्ति सामर्थ्य; महत्त्व ( ३ ) गणना ; हस्ती बिसात विसामो पुं० विश्राम; सुस्ताना ( २ ) वह ऊँचा चबूतरा जहाँ बोझिया बोझ रखकर सुस्ताये; टेकान विसार पुं० भूल जाना; विस्मरण विसारखं स० क्रि० भुला देना; याद न रखना; बिसारना विसारो पुं० देखिये 'विसार' ; विस्मृति विस्तर अ० क्रि० विस्तृत होना; फैलना विस्तार पुं० विस्तार; फैलाव ( २ )
वृद्धि (३) विशालता; विस्तार ( ४ ) [ला. ] बड़ा परिवार या कुनबा विस्तारखं स० क्रि० विस्तृत करना; फैलाना; विस्तारना [ प . ] विस्फोटक वि० फूटनेवाला या फोड़नेवाला (पदार्थ) ; विस्फोटक विस्मरतुं स०क्रि० भूल जाना ; बिसरना विहरवं अ० क्रि० घूमना-फिरना ( २ )
विहार करना; विहरना [ प . ] बिहार पुं० विहार; क्रीड़ा (२) घूमकर मनोरंजन करना; विहार ( ३ ) भ्रमण; मटरगश्ती; बिहार ( ४ ) (बौद्ध) मठ; विहार । [ -करवो: क्रीड़ा करना ( २ ) जैन साधुका प्रवास करना (३) जैन साधुका चल बसना . ] विहोणुं वि० विहीन; वंचित; विमुख; रहित,
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