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बक्कर
वक्कर पुं० वक्र ; मान; पद; वजन ( २ ) ढंग;चलन;पात्रता । [–खोवो, गुमाववो = मान, प्रतिष्ठा गँवाना; वक्र खोना. ] वक्रीभवन न० (किरणोंका) वक्र होना वल न० विष; ज़हर
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वखत पुं० वक़्त समय ( २ ) वक़्त ; मौक़ा (३) बुरी दशा; मुसीबतका समय; मुश्किल ( ४ ) फ़ुरसत; अवकाश; वक़्त (५) बार; दफ़ा ; उदा० 'एने केटली वखत कहे ?' | [ - काढवो, गाळवो, गुजारवो = वक़्त गुज़ारना; समय नष्ट करना । - साचववो समय पर काम करना; वक़्तका पाबंद होना. ] वखतबेवखत अ० किसी भी समय; वक्त बेवक़्त
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वखतसर अ० वक़्त पर; समयसे वखते अ० शायद; संभवतः; कदाचित् बखतोवखत अ० बार-बार वक़्तनफ़वक़्तन; समय-समय पर
वखल्लो पुं० बानेके दोषके कारण कपड़ेमें होनेवाला नुक़सान वखाण न० बखान; प्रशंसा वखावुं स० क्रि० बखानना; सराहना वखार (र) स्त्री० बखार; कोठार वस्तुं न० पक्ष; तरफ़दारी (२) आड़; आश्रय; शरण ( ३ ) देखिये 'वगवसीलो' (४) वि० नामके अंतमें आकर ' -के पक्षका ' ऐसा अर्थ सूचित करता है; उदा० ' बापवखुं' वटं वि० बिछुड़ा हुआ; बिछोही वो पुं० भुखमरीका संकट (२) संकट । [ वखानुं मायुं = भुखमरी या संकटका मारा हुआ । खावाना वखा पडवा, होवा = खानेका न होना; रोटीके लाले पड़ना; दाने-दानेको तरसना.]
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वगोवं
arts स०क्रि० बदगोई करना; निंदा करना; दोष निकालना
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वग पुं०; स्त्री० देखिए ' वगवसीलो ' (२) पक्ष; तरफ़दारी ( ३ ) जगह; समाई; गुंजाइश (४) मौक़ा ; अवसर | [ - करवो ( - वी ) = पक्ष करना ( २ ) व्यवस्था, प्रबंध, आयोजन कर देना । - चालवी, पहोंचवी, लागवी = बड़ोंके साथके संबंधका या इनके आश्रय या मददका असर होना । वगे करयुं, पाडवु = उचित स्थान पर सजाकर रखना; ठिकाने पर रखना । वगे पडतुं - अनुकूलता के अनुसार; यथावसर (२) तरतीब से सजाया हुआ . ] वगडाउ वि० वन्य; जंगली वगडो पुं० जंगल; वीराना वगदां न० ब० व० मिथ्या प्रयत्न are अ० बग़ैर; बिना सिवा वगवसीलो पुं० बड़ोंके साथका संबंध और उनका आश्रय या मदद; वसीला बगसग स्त्री० देखिये 'वगवसीलो ' (२) समा सके ऐसी जगह; गुंजाइश;अवकाश वगडाववुं स० क्रि० 'वगाडवु', 'वगडबुं' का प्रेरणार्थक
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वगावं स० क्रि० बजाना (२) चोट, प्रहार लगे ऐसा करना; चोट पहुँचाना afri, वगीलुं वि० जान-पहचानवाला; जिसकी कुछ चलती हो ; प्रभावशाली (२) पक्षपाती (३) न० पक्षपात वगेरे अ० वग़ैरह; इत्यादि मो पुं० मुहल्ला; टोला वगोणुं न०, ( - वणी) स्त्री०, ( -वणुं) न० निंदा ; बदगोई [ करना वगोवबुं स० क्रि० निंदा करना; बदगोई
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