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पठार छेलबटार(छ)वि०(२)पुं० छैला; बन- ठनकर रहनेवाला; छैल छबीला [प.] छेलाई(छ)स्त्री० बाँकपन ; छबीलापन;
शौकीनी . . . छल्ल (छे') वि० आखिरी; अंतिम । [छल्ले पाटले बेसवं = असलियत पर
आ जाना(२)आखिरी हद तक जाना.] छेवट (छे') स्त्री०; न० अंत; आखिर छेवट (-2) (छे') अ० अंतमें; आखिर
बाई (छे') वि० आखिरी छोर परका छह पुं० दग़ा; विश्वासघात छेताळीस (छ) वि० छियालीस; ४६ छैयांछोकरांन० ब० व० बाल-बच्चे छैयुं न० छोटा बच्चा; बालक; छैया[प.] छैयो पुं० लड़का छो (छो') स्त्री० फ़र्श या छत बनानेका चूनेका मसाला; कमाया हुआ चूना;
छोछ स्त्री० सफाई या आचारकी तीस
लागणी .. छोड़ पुं० छोटा पौधा; पौदा छोड (छों) न० पेड़की छाल जो सूखकर कड़ी बनी हो (२) सूखा हुआ गर्भ (३) नाकमें चिपकनेवाली रेंट आदिकी . सूखी पपड़ी छोडवूस क्रि०खोलना; बंधन खोलना;
छूटे ऐसा करना(२)तजना; छोड़ना छोडवो पुं० पौषा; पौदा छोरावस० क्रि० छुड़ाना छोडियं (छौ) न० छाल या उसका टुकड़ा; चिप्पड़ (२)लकड़ीका पतला टुकड़ा; छिलपट; चिप्पड़ । [छोडियां काढी नाखवा, पारवां उलहना देना; कड़ी आलोचना करना; आड़े हाथों लेना (२) मारना.] छोडी स्त्री० लड़को [(२)छिलका छोड़(छॉ) न० छालका टुकड़ा; चिप्पड़ छोत (छॉ) न० छिलका छोते (-से)र(छाँ)वि० छिहत्तर; ७६ छो ने (छाँ) अ० भले ही छोबंध (छो')वि० फ़र्श या पलस्तरवाला छोभा अ०क्रि० खिसियाना [हुआ छोभीलं, छो/ वि. खिसियाना; झेंपा छोक (-5) न० छोरा; बालक छोल पुं०; स्त्री (लकड़ी आदि)छीलनेसे निकलनेवाली चिप्पड़, छिलके ; छोलन छोलवं स० क्रि० ऊपर ऊपरसे काटना; छीलना; खुरचना (२)छिलका उतारना (फलका) (३)खरादना; छीलना (४) (कटाक्षमें)खूटी लेना; खराब उस्तुरेसे हजामत करना (५) फटकारना; डाँटना [ला.]
छो (छों) अ० भले छोकरमत वि० बालक जैसी अल्प मतिवाला या हठी (२)स्त्री० बालकपन; छोकरापन; नासमझी छोकरवाद वि० कच्ची अक्लका; नासमझ; अविवेकी (२) स्त्री० ऐसा बर्ताव; छोकरापन; नासमझी छोकरी स्त्री० लड़की (२) कन्या; बेटी
(३)(कटाक्षमें) नामर्द छोकरन० संतान ; औलाद ; बालक (२)
छोटा बच्चा या बच्ची छोकरो पुं० लड़का (२)कच्ची उम्रका पुरुष; छोकरा (३)बेटा. छोरां न० कलगी जैसा खोंसा हुआ या उड़ता हुआ फेंटे या पगड़ीका सिरा; तुर्रा (२)पगड़ीमें खोंसा हुआ फूलका गुच्छा
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