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आदि
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बगे
२४३ बचे (-4)गे पुं० देखिये 'थपरो' छ; कलाक थयो; मण शाक ययु; बनगन (०पनगन) अ० नाचनेकी एक गाउ थाय' आदि (४) मनमें आवाज येई-थेई
होना; उपजना; होना; उदा. 'मने बनगन, अ.क्रि. थिरकना
एम थाय छे के जई आवु' (५) महसूस धनगनाट पुं० जोश; मस्ती; उत्साह करना; अनुभव करना (दुःख) (६) बनवन, (०३),(नाट) देखिये 'थनगन' एक स्थितिसे दूसरी स्थितिमें आना;
होना; उदा० 'पाणीनी वराळ थई।' बपडाक, थपाट स्त्री० थप्पड़; तमाचा [थई चूक, रहेवं = देखिये 'थई' में। चपेली स्त्री० थपककर बनाई हुई मोटी थई अq=पूरा होना; समाप्त होना;
पूरी [बनाई हुई चीज, आकार हो जाना (२) स्वाभाविक रूपमें - पपोली स्त्री० हाथसे थापकर
अपने-आप या अनजानमें बनना; बप्पर स्त्री० थप्पड़, तमाचा।-खावी उदा० 'भूल थई गई.] = थप्पड़ खाना; लगना (२) मार पळ न० स्थान; जगह; थल खाना (३) घाटा होना; धोखा खाना पळचर वि० (२)न० थलचर; थलचारी (४) सबक़ मिलना; अनुभवसे अक्ल थंभवं अ०क्रि० थमना; रुकना (२) ठिकाने आना.]
सुस्ताना बप्पी स्त्री० छोटा गड्ड; गड्डी; चक्का पाक पुं० थकान ; थकावट। -उतारवो बप्पो पुं० (साड़ी, चोली पर लगाया =थकावट दूर करना; सुस्ताना।जानेवाला) कलाबत्तूका गोल लपेटा सावो = आराम करना.] हुआ फ़ीता; ठप्पा
थाकवू अ०क्रि० थकना (२)तंग आना; पयुं अ० क्रि० हुआ (२) अ० बस ; काफ़ी
[थका-मांदा पर पुं० भूमिकी परत;थर; स्तर (२) थाक्युपाक्युं वि० बहुत थका हुआ; तह; पपड़ी
थागस्यी(-थीं)गड न० मरम्मत; थरथर अ० थरथर
दुरुस्ती; कामचलाऊ उपाय [ला.) थरथर अ०क्रि० देखिये 'थथर' थाणदार पुं० थानेदार थरथराटी स्त्री० थरथराहट; कँपकँपी थाणुं न० थाना; अड्डा; केन्द्रस्थान (२) परमॉमिटर न० थरमामीटर; ताप- पुलिस चौकी; थाना (३) (पेड़का) मानयंत्र
थाला; आलबाल भवं अ०क्रि० होना; बनना; निर्मित
पाणेदार पुं० देखिये 'थाणदार होना (२) पैदा होना; लगना; थाथाथाबडी स्त्री० थपककर-सहलाहोना; उदा० को कशुं नहीं थाय; कर शान्त करना (२) कोरी आशा; झाड पर फळ थाय छे; उधरस थवी' फुसलावा (३) अस्तित्वमें आना; समयका थान न० थान (कपड़ा) व्यतीत होना; गुजरना; (तोल)तौलमें थान न० स्तन उतरना; होना; उदा० 'वखत थाय मानक न० स्थान; निवासस्थान;थानक
हारना
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