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मंडल व्यंडल(-) पुं० नपुंसक; हिजड़ा व्याज न० ब्याज; सूद (२) बहाना; मिष ; व्याज (३)ठगाई; व्याज; छल । [-कावं = ब्याजका हिसाब करना।
कापq=सूद काट लेना; सूद मिनहा करना। व्याण=[ला.] संतानकी संतान । काप्यु ब्याज = कटौती किया हुआ सूद । चक्रवृद्धि व्याज = सूद दरसूद; चक्रवृद्धि.] व्याजलाउ वि० ब्याजखोर; सूदखोर व्याजखाद(-) स्त्री० रुपयोंका लेन
देन न होनेसे या अवधिसे पहले चुकता होनेसे होनेवाला सूदका घाटा; ब्याजका बट्टा व्याजखोर वि० व्याजखोर; सूदखोर व्याजमुद्दल न० वह रकम जिसमें मूल
और सूद शामिल हो सूदके साथका मूल व्याजवटुं न० ब्याज और दलालीका
पेशा; महाजनी; साहूकारा व्याव() वि० सूद पर लिया हुआ
या दिया हुआ; सूवी म्याप स० क्रि०; अ० कि० व्याप्त होना; किसी चीजके अंदर फैल जाना; व्यापना (२)पसरना; फैलना
शकरपास व्यापार पुं० व्यापार;प्राणी या पदार्थकी किया; काम (२)कारबार; पेशा; व्यापार; वाणिज्य (३) उद्योम; उद्यम, व्यापार व्यापारी पुं० व्यापारी; व्योपारी व्यास पुं० व्यास (मुनि) (२)ब्राह्मणोंका एक अल्ल (३) मोटाई; विस्तार; व्यास (४) केन्द्रसे होते हुए परिषिके दोनों छोरों तककी दूरी; व्यास'; 'डायमीटर' [ग.] व्यासजी पुं० व्यास मुनि (२) [ला.]
लोगोंको(महाभारतकी) कथाएँ सुनानेवाला ब्राह्मण; कथावाचक ; व्यास व्यासपीठ स्त्री०; न० वह स्थान जहाँ वक्ता या कथावाचक खड़ा रहता है या बैठता है; मंच व्रत न० व्रत; पुण्यके विचारसे करनेका धार्मिक कृत्य, अनुष्ठान, नियम आदि (२)अमुक करने न करनेका धार्मिक निश्चय; व्रत। [-अजववं = व्रतका उद्यापन-पूर्णाहुति करना। -लेवं = कोई धार्मिक कार्य करनेका संकल्प करना;व्रत ग्रहण करना.]
. श पुं० ऊष्मवर्गका प्रथम वर्ण शक पुं० शक; वहम; शंका शक पुं० एक प्राचीन जातिके लोग;
शक (२) संवत् (३) शकसंवत् शकतुं न० रेशा; सुतड़ा [संदिग्ध शकतार वि० जिस पर शक पड़ता हो; शकन, शकनियाळ देखिये 'शुकन' आदि
शकमंद वि० संदेहमें पड़ा हुआ;
शकवाला; संशयग्रस्त शकरखोर(-रो) पुं० एक पक्षी; शकरखोरा (२)मीठी चीजें खानेका शौक़ीन; शकरखोरा शकरटेटी स्त्री० एक फल; सरबूजा शकरपारो पुं० शकरपारा,
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