Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 2
Author(s): G C Chaudhary
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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76 VAISHALI INSTITUTE RESEARCH BULLETIN NO. 2 की पूरी एक विद्यापीठ चलाना कठिन कार्य है। किन्तु डॉ० हीरालालजी की निष्ठा थी, जिससे यह कार्य संपन्न हुआ। विद्यापीठ का अपना मकान नहीं था, उनके रहने का मकान नहीं था, चपरासी नहीं, और कोई साधन भी नहीं, ऐसी स्थिति में भी दौड़धूप करके उन्होंने संस्थान को प्रतिष्ठित किया। आज भी उनके जो विद्यार्थी हैं वे उन्हे आदरपूर्वक याद करते हैं। विद्यार्थियों के साथ उनका कौटुम्बिकभाव से व्यवहार ही उसका मुख्य कारण है।
उनका परिवारिक जीवन जिन्होंने देखा है वे कह सकते हैं कि वे प्रादर्श पिता थे, व्यवहार कुशल थे और मृदुता तो उनके जीवन का अंग थी।
डॉ० हीरालालजी तो गये, किन्तु अब जो प्राकृत विद्यापीठ का संचालन कर रहे हैं उनका यह कर्तव्य हो जाता है कि जिस पौधे को उन्होंने अपने जीवन की बाजी लगाकर लगाया है उसका संवर्धन पूरी तरह से होता रहे।
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