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स्टेनल
240 VAISHALI INSTITUTE RESEARCH BULLETIN NO. 2 है। जैनागम, जैनटीका-साहित्य का स्वतन्त्र साहित्यिक रचनाओं के प्रामाणिक संस्करण जर्मन और फ्रेंच विद्वानों द्वारा तैयार किये गये हैं। जैन कथा साहित्य पर उनकी विशेष रुचि रही है। व्याकरण एवं भाषा-शास्त्रीय ग्रन्थों के अतिरिक्त १९वीं शताब्दी से अब तक जैन साहित्य के जिन प्रमुख ग्रन्थों पर विदेशी विद्वानों ने कार्य किया है, उनका विवरण कालक्रम की दृष्टि से इस प्रकार हैं :
अभिधानचिन्तामणि ओ. वोतलिक १८४८ ई० शत्रुजयमहात्म्य
अल्वर्ट वेबर
१८५८ भगवतीसूत्र'
जेकोवी
१८६८ कल्पसूत्र
जेकोवी
१८७९ देशीनाममाला
पिशल
१८८० नायाधम्मकहा
१८८१ औपवादिकसूत्र एवं रायपसेणिय
लायमन
१८८२ आचारांग
जेकोबी उत्तराध्ययनटीका
जेकोवी
१८८६ हेमचन्द्र-लिंगानुशासन एफ० आर० ओटो
१८८६ कथासंग्रह
जेकोवी
१८८६ सगरकथा का जन रूप फिक
१८८६ उपमितिभवप्रपंचकथा जेकोबी
१८९१ महावीर एवं बुद्ध
एस० एफ० ओटो
१९०२ धर्मपरीक्षा
मिरनोव निकोलेल १९०३ कल्पसूत्र
सुबिग
१९०४ जैन ग्रंथ-संग्रह
ग्य रेनिट
१९०६ ज्ञाताधर्मकथा
१९०७ अंतगडदसाओ
वरनट
१९०७ वज्जालग्ग
जलस
१९१३ पउमचरियं
जेकोबी
१९१४ कर्मग्रंथ
ग्लसनप
१९१५ भविसयतकहा
जेकोबी
१९१८ प्रबन्धचिन्तामणि
सिवेल
१९२० कालकाचार्य-कथानक
जेकोवी
१९२१ नेमिनाथचरित
जेकोबी
११२१ सनत्कुमारचरित
जे कोवी
१९२१ तत्त्वार्थाधिगमसूत्र एवं कल्पसूत्र
१९२१ ३०. उत्तराध्ययनसूत्र
कार्पण्टर
१९२२ १. German Indology-Past and Present p. 21.
हट्टमन
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सुजुकी
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