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VAISHALI INSTITUTE RESEARCH BULLETIN NO. 2
पाहार के लिए गमनविधिः
मुनि-आश्रम की व्यवस्था का कार्य गहस्थाश्रम पर ही निर्भर रहता है। भारत में प्राचीन काल से ही यह परम्परा रही है कि गृहस्थ लोग भोजन करने के पूर्व साधु आदि किसी अतिथि को भोजन कराते थे। अतः भिक्षादान की भावना से वे कुछ देर स्वयं खाने के पहले घर के बाहर खड़े होकर अतिथि की प्रतीक्षा करते थे। जिस किसी दिन उसे मुनिराज जैसे अतिथि को आहार कराने को सौभाग्य मिल जाता था, तो अपना जीवन ही धन्य समझते थे। मुनि भी अज्ञात, अनुज्ञात आहार के लिए, जघन्य, मध्यम और उच्च कुलों में गृह की पंक्ति से आहारार्थ निकलते थे। मुनि आहार-गमन के समय पाँच बातों पर अपना ध्यान केन्द्रित रखते थे':-१. जिनशासन की रक्षा, २. स्वेच्छा. वृत्ति का त्याग, ३. सम्यक्त्वानुकल आचरण, ४. रत्नत्रयरूप आत्मा की रक्षा तथा ५. संयम की रक्षा । यदि इनमें से किसी भी कार्य में किञ्चित् भी बाधा उपस्थित होती देखते हैं, तो मुनियों का यह कर्तव्य हो जाता है कि वे सद्यः आहार का त्याग करें। कहा भी है-"भिक्षार्थ गमन करनेवाले जो साधु भिक्षा के लिए मन, वचन, कायरूप गुप्तियों, मूलगुणों, शील और संयमादि का रक्षण करता हुआ गांव में प्रवेश करते हैं, वे साधु शरीर वैराग्य, परिग्रह-वैराग्य और संसारवैराग्य रूप निर्वदत्रिक की रक्षा करते हुए ही प्रवेश करते हैं । २ अतः मुनि को भिक्षा और क्षुधा का समय जानकर कुछ वृत्तिपरिसंख्यानादि नियम ग्रहण कर ग्राम या नगर में ईर्या समिति से प्रवेश करना चाहिए। वृत्तिपरिसंख्यान के स्वरूप में कहा है कि मुनि को मन में कुछ संकल्प लेकर ही आहार के लिये गमन करना चाहिये। मुनि प्रायः आहार के पहले जिनालय जाते हैं, वहाँ जिनेन्द्रदेव के दर्शन कर और वहीं से आहार करने के लिए किसी विधि विशेष से गहस्थ के पड़गाहने का संकल्प लेते हैं। इस मुलाचार में इस तरह के चार संकल्पों का उल्लेख आया है। जैसे
१. गोचर प्रमाण संकल्प :-[घरों के प्रमाण का संकल्प] अर्थात इतने घरों तक आहारार्थ जाऊँगा, उतने में मिला तो ग्रहण करूगा, नहीं तो वापस आ जाऊँगा।
२. दाता संकल्प :-अर्थात् यदि वृद्ध, युवा आदि दाता विशेष ही मेरा प्रतिग्रह करेगा तो आहारार्थ मैं उनके घर प्रवेश करूँगा, अन्यथा नहीं।
३. भाजन संकल्प :-चाँदी, पीतल, कासादि के पात्र या कलश या उस पर कोई विशेष फल-पुष्पादि रखकर पड़गाहेगा, तभी मैं उनके घर में प्रवेश करूँगा, अन्यथा नहीं ।
१. मूलाचार, ६.७५ २. वही, ६.७४ ३. वही, ५.१५८
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