Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 2
Author(s): G C Chaudhary
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur

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Page 221
________________ 212 VAISHALT INSTITUTE RESEARCH BULLETIN NO. 2 वनमार्ग इस संदर्भ में राम के वनगमन का मार्ग भी विचारणीय है। 'चरिउ' में वह अयोध्या से सीधे गंभीर नदी (इसका भौगोलिक अस्तित्व संदिग्ध है, वैसे इन्दौर के पास गंभीर नदी है) पहुँचते हैं। उसे पार करते ही भरत उन्हें मनाने आते हैं। फिर तापस का धानुष्कवन, भीलवस्ती, चित्रकूट, दशपुरनगर, नलकूबरनगर, नर्बदा, विंध्याचल, ताप्ति, दंडकारण्य, क्रौंचनदी, वंशस्थलनगर का वर्णन है। इसमें गंगा, यमुना का उल्लेख नहीं है, अयोध्या से चित्रकूट आते समय उन्हें पार करना जरूरी है। लेकिन लक्ष्मण को शक्ति लगने पर जव हनुमान विशल्या को लाने के लिए लंका से अयोध्या की उड़ान भरता है तब उसका मार्ग यह है : समुद्र, मलयपर्वत, काबेरी, तुंगभद्रा, काबेरी, गोदावरी, महानदी, विंध्याचल, नर्मदा, उज्जैन, पारियात्र, मालव, यमुना, गंगा और अयोध्या। इसमें गंगा-यमुना आती है, परंतु यह आकाश मार्ग है। __मानस में राम का वनमार्ग इस प्रकार है :-शृंगवेरपुर, गंगा, प्रयाग, यमुना, चित्रकूट, वहाँ से दंडकवन, ऋष्यमूकपर्वत, पंपा सरोवर, माल्यवान और सुवेल पर्वत । भरत राम को मनाने के लिए, उनसे चित्रकूट में मिलते हैं। इसी प्रकार 'मानस' में रावण का वध राम करते हैं, चरिउ में लक्ष्मण। मानस की सूर्पणा चरिउ में चंद्रनखा है; मानस में सीता का अपहरण स्वर्णमृग के छल से होता है, चरिउ में अवलोकिनी विद्या और सिंहनाद के द्वारा 'मानस' में लक्ष्मण की शक्ति संजीवनी से दूर होती है। 'चरिउ' में विशल्या के जल से । समान कथा दोनों काव्यों की समानताओं और विभिन्नताओं में, रामकथा का निर्विवाद अंश इस प्रकार है :-- राम लोक विख्यात पुरुष है ? उनके पिता दशरथ और माँ कौशल्या हैं । वे जनक की सहायता करने जाते हैं, धनुषयज्ञ में सीता से उनका विवाह होता है। कैकेयी के विरोध पर राम को वनवारा के लिए जाना पड़ता हैं, यह अवधि लम्बी है। भरत त्यागी और उदार हैं। सोता के अपहरण का मूल कारण सूर्पणखा है। राम की अनुपस्थिति में सीता का अपहरण होता है। लक्षमण को शक्ति लगती है, जो वाद में हट जाती है । रावण के वध पर विभीषण उसका उत्तराधिकारी बनता है। सीता की अग्नि-परीक्षा होती है, परन्तु उसका क्रम अनिश्चित है । अंत में सीता का राम से मिलन नहीं होता, वह धरती में समा जाती है । 'नरिउ' की तुलना में मानस के चरित्रों में दुहरापन है। अर्थात् एक ओर वे राम के आदर्श भक्त हैं, और दूसरी ओर उनका उनसे लौकिक संबन्ध भी है। फिर भी 'चरिउ' और 'मानस' के राम में मूलभूत समानता यह है एक के राम में वैराग्य और मोह के वीच अन्तर्द्वन्द है, जव कि दूसरे में व्यक्तिगत और सामाजिक कर्तव्य के वोच । 'चरिउ' के राम जिनभक्त हैं, मानस के राम शिवभक्त । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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