Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 2
Author(s): G C Chaudhary
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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'चरिउ' और 'मानस'
( ९ ) राम-सीता की जलक्रीड़ा । (१०) रुद्रभूति से भिड़ंत (११) कपिल ब्राह्मण की कथा ( १२ ) यक्ष द्वारा रामनगरी की रचना (१३) जीवंतनगर के राजा का प्रसंग (१४) अरिदमन की शक्तियों का झेलना ।
(१५) वंशस्थ नगर में जैनमुनियों की वंदना |
(१६) कुलभूषण मुनि प्रसंग | ( १७ ) वंशस्थ वन में प्रवेश ।
(१८) अवलोकिनी विद्या की सहायता से सीता का अपहरण |
(१६) नकली सुग्रीव प्रसंग बनाम । सहस्रगति ।
( २० ) हनुमान का अपने ससुर राजा महेन्द्र से युद्ध |
(२१) लंकासुन्दरी प्रसंग |
(२२) रावण का शांतिनाथ जिनमन्दिर में जाना ।
( २३ ) रावण की दिनचर्या ।
(२४) लवण - अंकुश युद्ध के वाद सीता द्वारा अग्निपरीक्षा
का
प्रस्ताव ।
(२५) पूर्वजन्म कथन, कथा का
समाहार ।
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( ९ ) भरत भरद्वाज मिलन | (१०) भरत का नंदीग्राम में निवास ।
(११) जयंत प्रसंग |
( १२ )
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सुतीक्ष्ण और अगस्त्य मिलन |
(१३) मारीच प्रसंग |
(१४)
शबरी पर कृपा ।
(१५) बालि उद्धार ।
(१६) लक्ष्मण को शक्तिलगना, सुषेण वैद्य और संजीवनी ।
(
( १७ ) रामराज्य |
(१८) प्रश्नोत्तर |
उपर्युक्त अवान्तर प्रसंगों की तुलना से स्पष्ट है मूल रामकथा से इनका उतना सम्बन्ध नहीं, जितना पौराणिक और अन्य दार्शनिक उद्देश्यों से । चरिउ, विद्याधर जाति और उससे उत्पन्न वानर-राक्षस जातियों में प्रचलित मूल्यों के संदर्भ में जिनभक्ति का महत्त्व प्रतिपादित करता है, जबकि मानस राम के पौराणिक और लौकिक चरित में सामंजस्य बताते हुए रामभक्ति की श्रेष्ठता निरूपित करता है । इसी प्रकार दोनों में घटनाएँ समान हैं और उनका स्वरूप और व्याख्या अलग-अलग है । यही बात पात्रों के विषय में कही जा सकती है । इन सबकी निष्पत्तियाँ भिन्न हैं ।
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