________________ तुलनात्मक धमविचार. स्थान नहीं मिलता पैसा बहुत से मानते हैं। अपने ऊपर पड़ी हुई अथवा पड़नेवाली कठिनाइयों में से अपना बचाव करने के लिए प्रत्येक मनुष्य पूरा यत्न करता है / आरंभ से ही मनुष्य सामाजिक प्राणी था कि नहीं इस प्रश्न को एक तरफ रखें तो भी यह सिद्ध ही है कि उसको बहुत सी कठिनाइयों में से सुरक्षित रहने के लिए प्रथम से ही अथवा कई अनुभवों के परिणाम से समाज का आश्रय लेने के लिए सहकार्य से तथा कार्य विभाग से उत्पन्न हुए प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त किए हैं। समाज का बचाव ही उसका अपना बचाव और समाज का संरक्षण यही अपना संरक्षण था। समाज अथवा मनुष्यों को त्रास देने वाले कई भयों के तथा पीड़ित करने वाले कई आपत्तियों के उत्पादक प्रत्यक्ष देखने में आते थे परंतु दूसरी कई आपत्तियों के उत्पादक देखने में नहीं आते थे / यदि ऐसी आपत्तिएं समाज अथवा व्यक्ति पर आजातीं तो समाज अथवा व्यक्ति को उनके दूर करने के लिए उन के गुप्त उत्पादकों को शान्त करना चाहिये ऐसा माना जाता था, कारण कि जो जो आफतें समाज पर आ पड़ती हैं उसका कोई भी तो कारण होना चाहिए, ऐसी धारणा पहले थी और अब भी है। छोटे बड़े सब धर्मों में बहुत करके ऐसा माना गया है कि कोई भी व्यक्ति अथवा शक्ति के संचार से समाज पर आपत्तिएं आती हैं। जिन प्रजाओं के लिखित इतिहास प्राप्त होते हैं उनमें उच्च स्थिति को प्राप्त हुए धर्मों में ऐसी व्यक्ति अथवा शक्ति को देवता के रूप में माना जाता है और उनके