________________ भावी जविन. हिंदुस्थान के आदि निवासी जिन्होंने की हिंदु धर्म के भिन्न भिन्न संप्रदायों को स्वीकार किया हुआ है वह केवल भक्ति रूप धर्म से ही संतोष माने दिखाई देते हैं / इस लोकमें ही वह भक्ति से मुक्ति पाते हैं और इससे भावी जीवन की ओर उनकी मनोवृत्ति नहीं जाती / हिंदुस्थान और ईरान में दाखल होने से पूर्व इकठे रहने वाले हिंदु और पारसिओं के पूर्वजोंने-परलोक में मनुष्यको अच्छे बुरे फल भोगने हैं-ऐसी भावी जीवन संबंधी कल्पना कर रखीथी / इस कल्पना का पारसी धर्म में इतना प्रचार हुआ कि पारसियों को ही पुनजीवन अंतिम न्याय और स्वर्ग का लाभ मिलेगा और अन्य धर्मी नरक में पड़ेंगे ऐसा मानते हैं। हिंदुस्थान पर चढ़ाई करने वाले आर्यों ने भावी जीवन की कल्पना को इतना गौण बना दिया कि वैदिक धर्म संप्रदाय में उसे महत्व का स्थान नहीं मिलसका / पाश्चात्य देशों की तरह भावी जीवन की कल्पना के बदले ब्राह्मण धर्म में पुनर्जन्म की अर्थात् संसार चक्र की कल्पना प्रचलित हुई देखने में आती है। ____ प्राचीन उपनिषदोमें पुनर्जन्मको माना हुआ होने से यह कल्पना उपनिषद् काल में ही उत्पन्न हुई होगी ऐसा मालूम होता है। परन्तु इस कल्पना का मूल क्या होगा उसे निश्चय नहीं हो सकता। जीवात्मा एक मानव देह में से दूसरे में जाता है ऐसा आस्ट्रेलिया के आदि निवासी मानते हैं परंतु देहांतर प्राप्ति के साथ ही अपने अच्छे बुरे कर्मों के फलका