________________ 152. एकेश्वर वाद. वह उसके व्यक्तित्व के भिन्न भिन्न भावों का जो दैवी और मनुष्य संबंधी है बोधक है और यह भावना इस मत की विशेषता है। दूसरे धर्मों में जिस का ध्यान भी नहीं आया ऐसी व्यक्तित्व की सर्वोत्कृष्ट भावना को बताने वाली यह आध्यात्मिक अथवा मानसिक पूजा का और स्वार्थ रहित समाज की भावनाएं हैं। ईसाई धर्मानुसार पूर्णता को प्राप्त मानुष व्यक्ति दिव्य प्रेम का अवतार रूप है और वह दिव्य व्यक्ति अर्थात् ईश्वर प्रेममय है / 'प्रेम' यह शब्द व्यक्तित्व का संपूर्ण ज्ञान देने वाला है कारण कि ईसाई धर्मानुसार प्रेम यही व्यक्ति का. आत्मा है। इति.