________________ तुलनात्मक धम्मविचार. 83 नहीं परन्तु केवल पितृ भक्ति के लिए ही चीन में पितृ पूजा कायम रही है पितृ पूजा यह कर्तव्य है और मुख्य कर्त्तव्य है। वृत्ति की कल्पना की जाए उतनी निःस्वार्थ वृत्ति से पितृपूजा की जाती है और वह चीनीओं का अपने माता पिता के प्रति पूज्य भाव है। पंचम प्रकरण भावी जीवन UP mmmmmm क्ति के अस्तित्वका अन्त उसकी मृत्यु के साथ होता है ऐसा दुनिया के किसी भी ऐतिहासिक धर्म में नहीं माना गया / यद्यपि बैबिलोनिया असीरिया यहूदियों में धर्म तथा समाज और उसके देव और देवताओं के बीच हुई हुई प्रतिज्ञाओं के रूप में माना गया था और इसलिए भावी जीवन के विषय में विचार करनेका उनको अवकाश नहीं था यह होने पर भी मृत्यु के पीछे व्यक्ति का अस्तित्व किसी अंश में रहता है ऐसा माना जाताथा / चीन ग्रीस और रोम जैसे देशों में भी पितृपूजा का प्रचार बढ़ रहा था या बन्द हो रहा था। उन देशों में जो कि बैबिलोनिया, असीरिया और यहूदियों के धर्मों की तरह ही अस्पष्ट रीति से भावी जीवन को बताया गया था तो भी पितृपूजा की भावना में ही भावी जीवन का समावेश अपने आप ही हो जाता।