________________ तुलनात्मक धर्मवेिचार. उसके स्वरूप से की जाती है / सम्राट के पितरों को सूअर तथा बकरे की बलि दीजाती है इस को स्वीकार करने के लिए पितरों का आव्हान किया जाता है और नैवेद्य रखकर उनका विसर्जन किए जाने के बाद कुटुम्बीजन नैवेद्य का प्रसाद लेते हैं। दूसरी एक बात यह है कि उस से चीन में भी देवताओं और पितरों के बीच में माना हुआ भेद मालूम पड़ता है / मृत मनुष्यों को देने वाले बलिदान उनके रहने सहने तथा उनकी पदवी बतानेवाला पट्टा आगे रखे जाते हैं तथा राजमंदिरों में और राजवेदियों के पास देवताओं की प्रतिमाएं तथा प्रतिमा न स्थापन करने पर उनके पटे रखे जाते हैं / इस राजकीय नियम का उद्देश्य देव पूजा और पितृपूजा को मिश्रण करने का होता है / जहां पर लाखों पूजा करने वाले आते जाते हैं ऐसे हजारों देवताओं के मंदिरों में मनुष्य की आकृति की प्रतिमा के बदले पट्टे रखने पर कुछ भी असर हुआ हो ऐसा प्रतीत होता नहीं है / पितरों और देवताओं में जितना भेद है उतना ही पट्टे और प्रतिमाओं में है और राजकुटुम्ब की ओर से ऐसे भेद निकाल देने का प्रयास होने पर भी जन समाज के मगज़ में तो ऐसा भेद रहा हुआ ही है। प्रथम भूतको चले जाने तथा हमेशा के लिए दूर रहने के लिए ललचाने के लिए मृत मनुष्य को लक्ष्य में रख कर उसे परलोक में अवश्य अन्न वस्त्रों के बलिदान दिए जाते होंगे