________________ 92 भावी जीवन. मनुष्य को सामान्य जीवन छोड़ कर इन धर्मों को स्वीकार कर अपना जीवन उच्च बनाने की आवश्यकता रहती है परन्तु मिसर वासियों के मतानुसार तो अभीष्ट फल प्राप्त करने के लिए उनके धर्म को स्वीकार करने की आवश्यकता ही नहीं रहती परन्तु केवल उनके जादु के प्रयोगों की सहायता की ज़रूरत रहती है। तो भी हमें इतना मानना चाहिए कि जादु ने मिसर के धर्म को बिलकुल निकाल ही नहीं दिया / मुक्त लोगों के स्थान में प्रवेश पाने के लिए उन्होंने भी कितनी शरतें रखी हैं / स्वयं इस लोक में नीतिमय जीवन बिताया है ऐसा परलोक के न्यायाधीशों के सन्मुख साबित करने की शक्ति पर मृत मनुष्य के भावी जीवन की स्थिति का आधार रहा हुआ है ऐसा वह मानते हैं / मिसर वासी दूसरों की तरह, नीति और धर्म एक दूसरे के साथ मिले रहते हैं, ऐसा मानते हैं / यद्यपि परलोक और भावी सुख की कल्पना ने मिसरवासी के नैतिक और धार्मिक जीवन को उन्नत बनाया था तो भी जादु पर पड़ी हुई उनकी अगाध श्रद्धा से वैसा जीवन कायम न रह सका / यद्यपि वह नीति और धर्म जितनी ही श्रद्धा जादु पर न रखी होती तो प्रेत संहिता में जादु को इतनी बड़ी महत्ता न दी जाती। मिसर वासियों पारसियों और मुसल्मानों की परलोक विषय में ऐसी कल्पना देखने में आती है कि वहां पुण्यशाली