________________ 134 एकेश्वर वाद. देव को 'बे' आल कहतीं और उसकी पूजा करतीं। वैसे प्रत्येक 'बे आल' को पहचानने के लिए उस के साथ उस जाति का नाम जोड़ दिया जाता। उदाहरणार्थ 'टायर का बे आल' 'सीडन का बे आल' ' या टारसस का बे आल' और जिस जाति अथवा भूमि का वह अधिपति माना जाता उसी पर उस बे आल का अधिकार भी माना जाता। जब फिनाश्यनों में विशेष नाम रखने वाले देवताओं की पूजा प्रचलित हुई तब भी ‘बे' आल को परम देव के रूप में ही मानते इस पर से यह अनुमान हो सकता है कि 'बे' आल सब से प्राचीन देव होने से पीछे के समय में भी वह परम देव के रूप में गिना गया है और प्रथम प्रत्येक जाति अपने इष्ट देव को अमुक मूर्तिमान् देव के रूप में नहीं परन्तु 'बे आल ' अर्थात् अधिपति के रूप में मानती थी। ___ अपनी भूमि और अपने मालिक बे आल ' की पूजा करने वाले फिनीश्यन केनेनाइट और सीरिया के लोग ऐसे नाम रहित देवों की पूजा से आगे बढ़ कर किस प्रकार अनेक देव वादी हुए यह हम अच्छी तरह समझ सकते हैं। सेमेटिक धर्म उपरांत दूसरे धर्मों में भी इन्हीं कारणों के लिए ऐसे परिवर्तन हुए हैं / प्राचीन इटली के धर्म में कई मूर्तिमान् और कई अंश में मनुष्य के गुण धर्म वाले ' न्यूमिना ' को केवल थोड़े ही समय के बाद पुरुष और स्त्री के युग्ल रूप माना गया है / परन्तु उनके स्वरूप का संपूर्ण निर्णय नहीं