________________ तुलनात्मक धर्मविचार. 135 होने से उनका एक दूसरे के साथ का संबंध नहीं घड़ा गया है / उनके अमुक कुटुम्ब हैं अथवा तो उनका एक समाज है ऐसी कल्पना नहीं की गई और यद्यपि इन दिव्य युगलों को माता पिता के रूप में माना जाता था तो भी प्रत्येक युगल के स्त्री पुरुष दांपत्य संबंध से जुड़े हुए थे ऐसा वह नहीं मानते थे / ऐसे ' न्यूमिना' पर ही उनकी रक्षा तथा पशु और प्रजा वृद्धि का आधार था / इस प्रकार और इन्हीं कारणों के लिए फिनीश्यन भी अपने देवको बे आल अर्थात् स्वामी और बे आलेट अर्थात् स्वामिनी के युगल रूप मान कर पूजा करते थे। प्रथम बैबिलोनिया और असीरिया में और पीछे से सब प्राचीन प्रजा में ' एस्टार्ट ' अथवा ' ईश्वर' के नाम से पूजा की जाने वाली 'बे आलेट ' की महिमा बहुत बढ़ गई। दो भिन्न नामों के दो भिन्न पदार्थ होने चाहिएं ऐसा मनुष्य स्वाभाविक ही मानने को तय्यार होता है। विशेष नाम रहित देव को माननेवाले फिनीश्यन इत्यादि पीछे से अनेक देवों को मानने लग पड़े / इसका यह दूसरा कारण है। साधारण रीति से 'बे आल ' की रीति में पूजे जाने वाले देव को वह अपने मालिक तथा राजा के रूप में मानते / सब धर्मों में अन्त में ऐसे कुल देवताओं को उनके भिन्न भिन्न विशेषणों से भिन्न भिन्न देवों की तरह कल्पना करने की लगन देखने में आती है। इस पर से हम सचमुच अनुमान् कर सकते हैं कि प्रथम -- ऐडोन' अर्थात् शेठ और मलेक अर्थात्