________________ 136 एकेश्वर वाद. राजा यह दो शब्द केवल 'बे आल' के पर्यायवाचक ही वर्ते गए थे और पीछे से वह कुल देवता के अर्थ में वर्ते जाने लगे और अन्त में दो भिन्न भिन्न देवों के नाम रूप वह माने नाने लगे। सेमेटिक जाति की दूसरी प्रजाओं और याहूदिओं के बीच इतना फरक है कि याहूदी अपने देव के साथ लगे हुए थे और उस देव को वह बे आल, बेआलेटके रूप में मानते न थे तथा उन्होंने अपने देव के भिन्न भिन्न नाम डालकर उन सब नामों का भिन्न भिन्न कुल देवताओं की कल्पना करने लगे थे / दूसरी प्रजाओं के देवों की तरह उनका देव भी प्रथम नाम रहित था। पीछे से उसका नाम ' यह वाह' डालने में आया और इस से वह दूसरी सेमेटिक प्रजाओं से अलग पड़े / साधारण नियम ऐसा है कि दो पदार्थों का भेद ढूंड निकालना यह उन दो पदार्थों की तुलना हो सके ऐसा है, ऐसा मान लेने के बराबर ही है। यहां यह भी हमें मान लेना चाहिए कि यहो वाह दूसरी सेमेटिक प्रजाओं के देव जैसे एक देव माना जाता था और वह सर्वोपरि देव था ऐसा कहें तो भी दूसरे देव थे ऐसा हमें मानना पड़ता है / इस से अन्त में अपने को ऐसा मानना न पड़े इस लिए याहूदिओंने दूसरे की तरफ तिरस्कार दृष्टि से देख कर ऐसा प्रगट किया कि हमारा देव ही एक देव और दूसरों के देव पुतले ही हैं / यह होने पर भी याइदिओं का ऐसा ही दृढ़