________________ तुलनात्मक धर्मविचार. तीनों को अशुद्धि से रक्षा करने का आदेश किया गया। इन तीनों को पवित्र गिना गया था और इनको मलिन न किया जाए उसकी रक्षा करनी थी। प्राचीन काल से अमुक वस्तु को पवित्र रखने के प्रचलित विश्वास को जरथुस्त्रने स्वीकार किया। आजतक भी पारसी लोग पुराने विचार के याइदियों की तरह बहुत ध्यानपूर्वक इसका पालन करते हैं / जब घर में किसी की मृत्यु होती है तब उस घर में रखा हुआ अग्नि अशुद्ध न हो इस लिए उसे बुझा देना पड़ता था। अग्नि पर मांस पकाने को रखा हो और जो वह उभराए तो भी अग्नि अपवित्र होता है। जल पवित्र है इससे जब वर्षा पड़ती हो तब शव को दफन करने के लिये नहीं ले जाते / यदि मनुष्य का अथवा कुत्तेका शव जमीन को छुए तो वह जमीन अपवित्र होती है / जिस खेत में ऐसे शव पड़े हुए देखने में आते हैं उस खेत में एक वर्ष तक बोने का निषेध होता है इस प्रकार धातु भी अपवित्र होते हैं। - अहुरमझद के गुणों में विशुद्धिका अंतर्भाव होनेसे जरथुस्त्रने इन सब बातों को माना है / परम तत्व विशुद्धि है और अशुद्धि से उसकी रक्षा करने की आवश्यकता है ऐसी अपनी समाज की श्रद्धा में उसने विश्वास करके कार्य आरंभ किया है। केवल अमि के अधिष्ठाता का नहीं परंतु इस के उपरांत पृथिवी जल धातु, पालतुपशु और बोए हुए पौधों के भी अधिष्ठाताओं का भी एक धार्मिक कर्तव्य के रूप में अशुद्धि