________________ तुलनात्मक धर्मविचार. 111 जिनको प्रलयामि में फेंक देना है वह दूसरे सब मनुष्य हैं। अमुक खास हक रखने वाले समाज को ही यह योजना अनुकूल हो सके यह स्पष्ट है इस समाज के बाहर के मनुष्यों को तो यह रुचिकर नहीं हो सके। ऐसा धर्म फैल ही नहीं सकता / उसका संकोच होना चाहिए और वह हुआ भी है। उसका द्वंद्ववाद ही उसके विनाश का कारण है। सप्तम प्रकरण बौद्ध धर्म बौद्ध धर्मसमाज के सिवाय, सब समाज HRA आरंभ में राजकीय थे और वह अपने हित संरक्षणार्थ ईश्वर की पूजा करते थे / इस से यज्ञ की मुख्य धार्मिक क्रिया राजा के अथवा अधिकारी वर्ग के हाथ में रहती। इस कक्षा के लोग लड़ाके थे। यह क्रिया यथार्थ रीति पर करने की ज्यूं ज्यूं महत्ता बढती गई त्यूं त्यूं वह अधिकारी वर्ग में से पुरोहित का कर्म करने के लिए नियुक्त हुए विभाग के हाथ में जाने लगी। इसी कारण से हिंदुस्थान पर चढाई कर आए हुए आर्यों के अधिकारी वर्ग में जातिओं का समावशे हुआ देखने आता है / एक ब्राह्मण अथवा धर्मगुरु दूसरे क्षत्रिय अथवा लड़ाके / इस क्षत्रिय जाति में से गौत्तम बुद्ध कि जिस का जन्म इ. स. 560 के लगभग हुआ था जिसने लगभग 80 वर्ष की