________________ तुलनात्मक धर्मविचार. परन्तु उसमें से जरथोस्ति धर्म का उद्भव किस इस का विचार करना उचित है। जब एक देशपर दूसरा धर्मवाला चढ़ाई कर विजयी हो तब उस देश के पुराने देवताओं को एकदम बिदा नहीं कर देते / नए धर्म में भी उन देवताओं को माना जाता है केवल उनकी प्रतिष्ठा में परिवर्तन हो जाता है। जिन देवताओं पर प्रजा का अधिक प्रेम देखने में आता है वसे देवताओं को नए धर्म की सहूलियत के लिए अमुक पदवी दी जाती है और बाकी के सब देवों को झूठे देवों के रूपमें अथवा भूत प्रेत पिशाच और राक्षस के रूपमें गिना जाता है / हिंदु और पारसियों के सामान्य पूर्वजों से प्रचलित धर्म के स्वरूप का जरथोस्ती धर्म में रूपांतर हुआ है यह बात निर्विवाद है। वैसे ही नवीन धर्म की स्थापना करने वाला जरथुस्त्र ऐतिहासिक पुरुष था वह भी निर्विवाद है और प्राचीन ईरान में दूसर देशों की तरह पुराना धर्म नए धर्म के अनुकूल हो गया है यह भी स्पष्ट रीति से मालूम हो जाता है। पुराने धर्म की अग्नि पूजा नए धर्म में प्रचलित रखी गई है और ऐसा परिणाम यद्यपि वह पूजा के प्रभाव से पारसी प्रजा का चित्त उस तरफ आकर्षित रहा होने से हुआ हो ऐसा मालूम होता है तो भी हमें इतना तो मानना पड़ेगा कि जरथुस्त्र धर्मगुरु होने से तथा वह आग्निपूजक होने से उसकी भी इस में सहायता मिली। उसने अग्नि की उपासना प्रचलित रखी