________________ भावी जीवन. हुआ है / दूसरी सब प्राचीन राजकीय समाजों की तरह यह समाज भी एक राजकीय और धार्मिक संस्था थी, और इस धर्म में दाखल होने के लिए प्रथम उसके राष्ट्र निर्माण में प्रवेश होना पड़ता / इस्लाम समाज में इस प्रकार दाखल हुए मनुष्यों को नास्तिक माना जाता है और वह नरक के अधिकारी हैं ऐसा मुसलमान मानते हैं। इस विषय में बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म का मत इस्लाम धर्म से बिलकुल अलग ही है / पहले दो धर्मों में धार्मिक समाज और राजकीय समाज की ऐक्यता नहीं होने से उनमें दुनिया के सर्व सामान्य धर्म के रूप में स्वीकार किए जाने का सामर्थ्य है / निर्वाण अथवा स्वर्ग प्राप्ति के लिए उन दो धर्मों में दाखल होने वाले मनुष्यों को अपने राजकीय समाज छोड़ने की आवश्यकता नथी परन्तु केवल उन धर्मों पर विश्वास लाने तथा धर्म सिद्धान्तों को स्वीकार करने की ही आवश्यकता रहती है। प्राचीन मिसर में और आधुनिक बौद्ध तथा ईसाई धर्मों में भावी जीवन की भावनाओं में रहे हुए भेद उन उन धर्मों में दाखल होने के लिए आवश्यकताओं पर से ही समझ में आते हैं प्राचीन मिसर में भावी जीवन के विषय में सविस्तर विचार किया जाता था और * पिरोमिड ' तथा प्रेत संहिता यह दो उनके विचारों को आचरण में रखने के लिए भारी प्रयत्नों के साक्षी हैं / प्राचीन मिसर में ईरान के प्राचीन धर्म