________________ तुलनात्मक धम्मावेचार. इन सब बातों में भी चीन का धर्म दूसरे ऐतिहासिक धर्मों से इतना मिलता है कि इस पर से हम सहज में अनुमान कर सकते हैं कि असीरिया और बैबिलोनिया कि जहां पितृ पूजा कभी भी उन्नति को प्राप्त नहीं हुईथी वहां जैसे देव पूजा का पितृ पूजा के साथ कुछ संबंध न था उसी प्रकार चीन में भी प्रथम देव पूजा का पितृ पूजा के साथ कोई संबंध न होगा। केवल चीन में यह ध्यान देने योग्य है कि जहां पितृ पूजा देवपूजा के जितनी ही बढ़ गई है और उसके जितनी ही महत्वपूर्ण हो गई है। जिस कारण से ऐसा परिणाम आया है वह यह है कि पितृ पूजा के साथ संबंध न रखने वाले ऐसे कई कारणों के लिए देवपूजा कम हो गई / अन्य धर्मों की तरह चीन में समाज की ओर से देवताओं के यज्ञ हुआ करते थे और अब भी समाज की ओर से सम्राट द्यौः देवता का यज्ञ करता है अथवा चीन के प्रजा तंत्र राज्य की स्थापना होने से पूर्व करता था / परन्तु जैसे दूसरी जगह में हुआ है वैसे ही चीन में भी मनुष्य अपने निजू लाभ के लिए स्वतंत्र यज्ञ करने लगे और इस से देव पूजा का गौरव कम हो गया और वह पितृ पूजा के बराबर हो गई। ऐसा होने पर भी देव और पितरों के बल और ऐश्वर्य में तो भेद रहा ही है और चीन के धर्म में वह प्रत्यक्ष देखने में आता है / सूर्य चन्द्र और दूसरे सब देवताओं और इसके अतिरिक्त सम्राट के पितरों से भी बढ़ कर द्यौः देवता