________________ पितपजा. ऐतिहासिक धर्मों में ऐसा माना गया है कि मात्र देवता ही इस प्रकार लौकिक सुख समृद्धि देने की शक्ति रखते हैं / ग्रीस में पितृ पूजा का जल्दी अंत हो गया और रोम में भी तो केवल निजू पूजा के रूप में प्रचलित रही, परन्तु चीन में तो इतने महत्व की हो गई है कि धर्मों के इतिहास में उसे अद्वितीय मानना पड़ता है। तो भी चीन में देव पूजा की अपेक्षा पितृ पूजा का महत्व अधिक है ऐसा ख्याल न करना / चीन में देवताओं के हजारों मंदिर हैं और उनकी लाखों प्रतिमाएं देखने में आती हैं देवताओं के मंदिर चीनीओं के धार्मिक जीवन का केन्द्रस्थान है / जिन देवताओं को अधिक माना जाता है उन मंदिरों में असंख्य पुरुष तथा स्त्री हमेशा जाते हैं और अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं तथा उनके लाभ मिलने पर अमुक यज्ञ करने तथा बलि देना भी मानते हैं। दूसरे धर्मों की तरह चीन में भी मेघ, पवन, वृष्टि, मेघ गर्जन इत्यादि के देवता हैं / वहां वनस्पति देवताओं के यज्ञ किए जाते हैं और इसी प्रकार प्रति वर्ष वृष्टि के लिये तथा पाक के लिए भी यज्ञ किए जाते हैं / अन्य धर्मों के अनुसार चीन के धर्मों में स्वर्ग पृथिवी सूर्य, चंद्र तारागण नदी और अग्नि इनकी पूजा की जाती है और देवताओं को मनुष्य के जैसा गुण धर्मवाला समझा जाता है। उनके मंदिरों में उनकी प्रतिमाएं भी मनुष्यों जैसी देखने में आती हैं /