________________ तुलनात्मक धम्मविचार. दिया गया। यह आर्यों के सभीपस्थ पारसी भी यज्ञ क्रियासे मनुष्यको ईश्वरीय सहायता मिलती है और देवताओंको अर्थात् अहुरमजद और अहिर्मानके विग्रहरूप मानते हैं / और यज्ञ क्रिया से इन सारी शक्तियों को सहायता मिलती है तथा ऐसी मदद से बुरी शक्तियोंको हराने में समर्थ होते हैं ऐसा भी मानते हैं / ऐसे विश्वास के लिए वहां यज्ञ क्रिया साधनरूप ही रहती है। दुनियां की उत्पत्ति यज्ञ क्रिया में से नहीं हुई परन्तु दुनिया उत्पन्न हुई उस समयसे ही यज्ञ क्रिया का आरंभ हुआ है ऐसा उपदेश असीरिया और बैबिलोनिया के पादरियों ने किया है। रोज़ दिन में दो वार देवताओं को नैवेद्य देने की क्रिया को वह यज्ञ कहते हैं और " देवता इस यज्ञ के आसपांस मक्खियों की तरह संख्या बंध इकट्ठे होते हैं " ऐसा वह मानते हैं। प्राचीन मिसर की यज्ञ विधि के संबंध में हम को जो थोड़ा बहुत ज्ञान मिल सकता है उस परसे हम ऐसा अनुमान कर सकते हैं कि वहां पर यज्ञ क्रिया का अधिक प्रचार नहीं हुआ, वहां तो अपने आत्मा की परलोक में क्या दशा होगी इस विषय में ही सबको विशेष ध्यान रहता था। अन्य सब धर्मों में जिस विधि से जिन कारणों के लिए तथा जिस जिस समय देवताओं के प्रसन्न करने के लिए यज्ञ