________________ तुलनात्मक धर्मविचार. प्रतिज्ञा ईश्वर ने अपनी प्रजासे की है ऐसा याहूदी लोग मानते हैं। यद्यपि यज्ञ क्रिया में प्रवृत्त मनुष्यों को हम इन क्रियाओं का रहस्य इस प्रकार समझा सकते हैं तो भी इस से सब को पूरा संतोष न होगा इस लिए ऐसा समझ कर अन्य प्रकार से इसका विवेचन करेंगे। यज्ञ क्रिया में एक ओर समाज होता है और दूसरी तरफ उसका देवता और समाज हाथ में भेट लेकर इस देवता के पास आकर खड़ा रहता है और स्वयम् देवता के आधीन है ऐसा दिखाता है। यह भेट उस देवता को देने वाले बलिदान होते हैं। समाज की राजकीय परिस्थिति के अनुसार उनके देवताओं के ऐश्वर्य की कल्पना की जाती है। तथा इस कल्पना के अनुसार देवताओं की भेटों में भी फेरफार किया जाता है। इस प्रकार जब समाज सामान्य स्थिति में से आगे बढ़कर साम्राज्य की प्राप्ति करता है तब देवताओं के प्रभाव और ऐश्वर्य में भी वैसे ही गौरव की कल्पना की जाती और जिस प्रकार सम्राट को उत्तम प्रकार की भेंट दी जाती है वैसी भेट समाज उस समय अपने देवताओं को देता है। ऐसी भेट अवश्य रखनी चाहिए ऐसी भावना साथ साथ उत्पन्न होती है और इन देवताओं को भेंट देने की क्रिया को यज्ञ रूप की कल्पना की जाती है। इस प्रकार सार्वजनिक यज्ञों का विवेचन किया जा सकता है।