________________ यज्ञ. अब हम देवताओं की कल्पना से निजू यज्ञों का क्या असर हुवा उसका विचार करें / हम पूर्व बता चुके हैं कि जहां धर्म गुरुओं की प्रबलता अधिक होती है और यह वर्ग जहां व्यवस्थित होता है वहां सामान्य रीतिपर निजू यज्ञों को उत्तेजन नहीं मिलता / परन्तु जब धर्म गुरुओं का बल टूट जाता है तब निजू यज्ञ आरंभ होते हैं और ऐसे यज्ञों के आरंभ होते ही व्यक्ति के स्वतंत्र धर्म की भावना उदय हुए विना नहीं रहती तथा कई स्थानों पर ऐसा भी होता है कि मनुष्य अपने निजु लाभ के लिये धर्म गुरुओं की मारफत यज्ञ कराते हैं परन्तु ऐसी प्रवृत्ति व्याक्त के स्वतंत्र धर्म की भावना को निर्मूल करने का प्रबल कारण रूप हो जाती है / इस प्रकार निजू यज्ञ दो प्रकार के हो सकते हैं और उनसे देवताओं का गौरव घटता जाता है। यूनान में ऐसे यज्ञों को मनुष्य की अभिलाषाओं को पूर्ण करने तथा अपना इच्छित कार्य करने का साधन माना गया था / ऐसे यज्ञों से मनुष्य व्यक्ति का तथा देवता का स्वतंत्र संबंध बनता और जिस लाभ के लिए देवता को तय्यार रहना पड़ता / इस प्रकार निजू यज्ञों की उत्पत्ति से देवता मनुष्य कोटि में आगए अर्थात् उनका ऐश्वर्या एक राजा अथवा प्रधान व्यवस्थापक की उच्च कोटिसे अधोगति पाता हुआ बाज़ार में माल बेचने वाले व्यापारी की कोटि में आ पड़ता है / यूनान